तीन तलाक के मुद्दे पर नक़वी ने कांग्रेस्स की निंदा की


केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री ने कहा, ‘तीन तलाक एक सामाजिक कुरीति और कुप्रथा है और इसे धार्मिक और राजनीतिक नजरिए से देखना ठीक नहीं है’


केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि मोदी सरकार का विकास का मसौदा, वोट का सौदा नहीं है. और तीन तलाक संबंधी विधेयक के पारित होने के मार्ग में बाधा डालकर कांग्रेस पार्टी वही गलती दोहरा रही है जो उसने 1985 में शाह बानो मामले में किया था.

अल्पसंख्यक कार्य मंत्री नकवी ने कहा, ‘तीन तलाक एक सामाजिक कुरीति और कुप्रथा है और इसे धार्मिक और राजनीतिक नजरिए से देखना ठीक नहीं है.’

उन्होंने कहा कि तीन तलाक संबंधी विधेयक में मुस्लिम महिलाओं को सामाजिक न्याय दिलाने और संवैधानिक अधिकारों को मजबूत बनाने की पहल की गई है. लेकिन कांग्रेस पार्टी और उनके कुछ साथी दल इस विधेयक को लेकर बहानेबाजी कर रहे हैं और शुरू से ही इस विधेयक को रोकने की कोशिश कर रहे हैं.

उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी की पृष्ठभूमि कुछ कट्टरपंथी निहित स्वार्थी तत्वों के सामने घुटने टेकने वाली पार्टी की रही है. विपक्ष की आपत्तियों पर नकवी ने कहा, दुरुपयोग तो किसी भी चीज का, कोई भी कर सकता है. धारा 302 का भी गलत इस्तेमाल हो सकता है. लेकिन इसकी वजह से हम कोई कानून ना बनाएं, किसी के साथ न्याय की बात न करें, अन्याय होता रहे, ऐसा नहीं हो सकता.

बता दें कि तीन तलाक संबंधी विधेयक बजट सत्र में लोकसभा में पारित हुआ था लेकिन राज्यसभा में यह अब तक पारित नहीं हो पाया था. सरकार ने हाल ही में इस विधेयक में संशोधन किया है जिसके तहत मुस्लिमों में तीन तलाक से जुड़े प्रस्तावित कानून में आरोपी को सुनवाई से पहले जमानत जैसे कुछ संरक्षणात्मक प्रावधानों को शामिल किया गया है.

प्रदेश के पूर्व बीजेपी अध्यक्ष प्रभात झा ने दावा किया है कि आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का एक बार फिर सफाया हो जाएगा

 

मध्य प्रदेश के पूर्व बीजेपी अध्यक्ष प्रभात झा ने कांग्रेस को आधारहीन, अर्थहीन और बिना जनसमर्थन वाली पार्टी करार दिया है. झा ने कहा, कांग्रेस ऐसी पार्टी है जिसके पास न तो कोई चेहरा है, न कोई आधार है, न कोई अर्थ है और न ही इसके पास कोई जन नेता है. उन्होंने कहा कि आने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी का एक बार फिर सफाया हो जाएगा.

बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राज्यसभा सांसद ने दावा किया कि मध्य प्रदेश में कोई सत्ता विरोधी लहर नहीं है और पिछले 15 वर्षों से बीजेपी को जनता का स्नेह और जबर्दस्त समर्थन मिल रहा है.

कांग्रेस ने किया फिर से सरकार बनाने का दावा

उन्होंने कहा, ‘हम यहां फिर से सरकार बनाएंगे. हम लगातार चौथी बार राज्य में सरकार बनाएंगे और शिवराज सिंह चौहान फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे.’ उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से 26 सीटें बीजेपी के पास हैं. जबकि केवल 3 कांग्रेस के पास हैं.

झा ने कहा, ‘इससे स्पष्ट है कि कांग्रेस के पास राज्य में कुछ नहीं बचा है. वो पहले ही यहां कई धड़े में बंटी हुई है. उनके पास कोई चेहरा (मुख्यमंत्री पद के लिए) नहीं है, अर्थ नहीं है और आधार नहीं है. पार्टी का सफाया हो जाएगा.’

‘जनता बीजेपी के साथ है’

झा ने कहा कि मुख्यमंत्री के प्रति समर्थन दिखाते हुए बीजेपी की जनआशीर्वाद यात्रा के तहत आयोजित एक कार्यक्रम में 25 हजार से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया, जिससे यह सबित होता है कि जनता हमारे साथ है.

मंत्रियों और विधायकों के टिकट बंटवारे के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि पार्टी इस पर उचित निर्णय लेगी. साथ ही यह उम्मीदवार के जीतने की संभावनाओं पर भी निर्भर करेगा.

उन्होंने कहा कि राज्य की 230 विधानसभा सीटों में बीजेपी का लक्ष्य 200 सीटों का है और पार्टी का चुनावी नारा ‘अबकी बार 200 पार’ है.

4 राज्यों के चुनाव परिणामों के पश्चात ही कांग्रेस महागठबंधन को गंभीरता से लेगी


कांग्रेस चाह रही है कि महागठबंधन के लिए हाथ तो फैलाया जाए लेकिन डील फाइनल न की जाए. क्योंकि कांग्रेस को फेयरडील मिलने की उम्मीद कम है. इसलिए4  पार्टी एनडीए में और फूट का इंतजार कर रही है


कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी जयपुर के बाद अब तेलांगना के दौरे पर जा रहे हैं. 2019 में होने वाले आम चुनाव से पहले राहुल गांधी पार्टी में नई जान फूंकने की कोशिश कर रहे हैं. रविवार को जयपुर में राहुल गांधी के लिए काफी भीड़ उमड़ी, इस दौरान राहुल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जमकर कोसा. हालांकि राहुल का प्रयास एक तरफ चल रहा है. लेकिन गठबंधन की राजनीति के लिए अभी तक सार्थक पहल नहीं हुई है. राज्यसभा में जहां विपक्ष के संख्याबल में अधिक होने के बाद भी सत्ता पक्ष का उपसभापति का चुनाव जीतना विपक्षी एकता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है.

राहुल गांधी की तरफ से न ही कांग्रेस पार्टी की तरफ से गंभीर प्रयास किया गया. बी के हरिप्रसाद को चुनाव लड़ने के लिए सिर्फ मैदान में उतार दिया गया. इस दौरान आपसी सामंजस्य बैठाने की रणनीति का अभाव साफ दिखाई दिया. आम आदमी पार्टी (आप) के आरोप को अगर अहमियत न भी दिया जाए तो भी ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस वॉक ओवर देने के लिए तैयार बैठी थी.

कैसे होगा विपक्ष का एका

विपक्षी दलों की एकजुटता न होने की वजह है, गिला और शिकवा, सत्ता से कोसों दूर होने के बाद भी अहम की लड़ाई पीछे नहीं छूट रही है. विपक्षी दल इस बात के लिए सहमति नहीं बना पा रहे हैं कि किस बात पर सहमत होना है. कुल मिलाकर मोदी विरोध ही उनके जुड़ाव का केंद्र है. लेकिन इस बात पर भी आपस में मतभेद है.

कांग्रेस के खेमों से बीजेपी नीतीश कुमार को अपने साथ लाने में कामयाब रही. वहीं टीआरएस भी बीजेपी के साथ खड़ी दिख रही है. बीजेपी सबसे बात करने में गुरेज नहीं कर रही है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को नवीन पटनायक से बात करने में कोई बुराई नहीं दिखाई दी. राजनीति में अमित शाह की चाल का जवाब देना कोई बड़ी बात नहीं है. बशर्ते यदि कोई पहल करे. कांग्रेस में इस पहल की कमी साफ दिखाई दे रही है. राहुल गांधी ने वर्किंग कमेटी की बैठक में कहा कि वो गठबंधन के लिए एक कमेटी का गठन करेंगें, लेकिन अभी तक कमेटी का इंतजार हो रहा है.

कॉरडिनेशन कमेटी की जरूरत

गठबंधन के लिए यूपीए में कॉरडिनेशन कमेटी की मांग उठ रही है. राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता तेजस्वी यादव ने भी कहा है कि एक कमेटी बनाने की जरूरत है. जाहिर है इसके लिए राहुल गांधी को पहल करनी चाहिए, कि एक ऐसी कमेटी बनाई जाए जिसमें मौजूदा घटक दल के नेता भी हों, जिससे किसी को शिकायत का मौका ना मिल सके. क्योंकि वक्त की कमी है.

दूसरे कांग्रेस की अपनी ताकत भी घटी है. जिससे छोटे दल कांग्रेस को ज्यादा अवसर देने से बच रहे हैं. समाजवादी पार्टी (एसपी) के अध्यक्ष अखिलेश यादव का हाल में दिया गया बयान जाहिर करता है कि वो कांग्रेस को यूपी में ज्यादा सीट देने के मूड में नहीं है. अगर यूपीए की ओर से अधिकारिक कमेटी बना दी जाती है. तो कांग्रेस को भी आसानी रहेगी, क्योंकि इसमें पार्टी का नुमाइंदा रहेगा जो कांग्रेस के हित का ध्यान रख सकता है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने भी कहा है कि बीजेपी को हराने के लिए विपक्ष को एकजुट होना पड़ेगा. लेकिन इसके लिए पहल कांग्रेस को ही करना पड़ेगा, क्योंकि 2004 में भी पहल सोनिया गांधी ने ही की थी.

सोनिया की टीम में अनुभव

2004 के लोकसभा चुनाव से पहले सोनिया गांधी ने कई बड़े पहल किए थे. रामविलास पासवान से मिलने वो पैदल चलकर उनके घर पहुंचीं थी. सोनिया गांधी के कार्यालय से सिर्फ यह पूछा गया कि पासवान घर पर हैं या नहीं, हालांकि दोनों का घर एक-दूसरे से सटा हुआ है. सोनिया तब मायावती से भी मिलीं थी.

राजीव गांधी के 1989 में हार का कारण बने वी पी सिंह से भी उन्होंने सहयोग लिया था. राजीव गांधी के धुर विरोधी रहे आरिफ मोहम्मद खान से वो मिलीं और उन्हें पार्टी में शामिल होने का न्योता भी दिया. यह बात दीगर है कि आरिफ उसी शाम बीजेपी में शामिल हो गए. शायद वो इंडिया शाइनिंग के विपरीत चल रही हवा के रूख को भांप नहीं पाए. लेकिन रामविलास पासवान ने इसे पहचान लिया था.

तो सार यह है कि सोनिया गांधी की टीम ही पर्दे के पीछे काम कर रही थी. राहुल गांधी भी इस टीम का सही इस्तेमाल कर सकते हैं. राजनीति में सत्ता या अनुभव ही काम आता है. कांग्रेस के पास न अब सत्ता की हनक है और न ही टीम राहुल में धुरंधर दिखाई दे रहे हैं.

नहीं बन पा रही धुरी

विपक्षी एकता का राग सभी अलाप रहें हैं लेकिन उनमें इच्छाशक्ति की कमी साफ दिखाई दे रही है. कोई ऐसा व्यक्ति दिखाई नहीं दे रहा है जो इस एकता की ध्रुवी बन सके. सभी राजनीतिक दल शह और मात का दांव खेल रहे हैं. किसका दांव लगेगा यह कहना मुश्किल है. लेकिन इस बार ज्यादातर लोगों को लग रहा है कि वो किंग मेकर की जगह किंग बन सकते हैं.

2004 की तरह अब न हरिकिशन सिंह सुरजीत हैं ना ही वी पी सिंह. राहुल गांधी के सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी से मरासिम अच्छे हैं. लेकिन न लेफ्ट में वो ताकत बची है, न ही हरिकिशन सिंह सुरजीत वाला कद उनके पास है. विपक्ष के पास असरदार नेताओं में शरद पवार ही हैं. जिनका मुलायम सिंह यादव और ममता बनर्जी से दोस्ताना रिश्ते हैं. उनके शिवसेना से भी संबंध अच्छे हैं. शरद पवार लगातार लोगों से मिल भी रहे हैं, हाल में वो मायावती से भी मिले थे. राहुल गांधी बड़े दल के अध्यक्ष हैं. उनके ऊपर पार्टी की जिम्मेदारी है. ऐसे में उनको किसी पर भरोसा करना पड़ेगा क्योंकि अकेले यह सब करना आसान नहीं है.

3 राज्यों के विधानसभा के चुनाव

जल्द ही 3 महत्वपूर्ण राज्यों के विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. कांग्रेस को उम्मीद है कि इन तीनों राज्यों में उसे सत्ता हासिल हो सकती है. ऐसे में कांग्रेस की कीमत बढ़ेगी और पार्टी की यूपी, बिहार, बंगाल जैसे राज्यों में मोलभाव की क्षमता बढ़ेगी. कांग्रेस चाह रही है कि गठबंधन के लिए हाथ तो फैलाया जाए लेकिन डील फाइनल न की जाए. क्योंकि कांग्रेस को फेयरडील मिलने की उम्मीद कम है. इसलिए पार्टी एनडीए में और फूट का इंतजार कर रही है.

तीसरे मोर्चे की सुगबुगाहट खत्म

राहुल गांधी के प्रधानमंत्री पद की दावेदारी से पीछे हटने से तीसरे मोर्चे की आवाज दब गई है. राहुल गांधी से कई दल सहज नहीं थे. राहुल के इस फैसले के बाद से कांग्रेस की गोलबंदी का काम आसान हुआ है. लेकिन अधिकृत कमेटी या व्यक्ति न होने से हर पार्टी सीधे राहुल गांधी से बात करना चाहती है. जिससे समस्या खड़ी हो रही है. समय निकलता जा रहा है. बीजेपी जहां चुनाव के लिए तैयार है. वहीं कांग्रेस अभी गठबंधन के पेंच में उलझी है.

 

बिहार यूथ कांग्रेस प्र्देशाध्यक्ष, गुंजन पटेल बोध गया धमाकों का संदिग्ध


शुक्रवार को यूथ कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए गुंजन पटेल को चुना गया तो पार्टी नेताओं ने ही आरोप लगाया कि पटेल 7 जुलाई 2013 को बोधगया में हुए सीरियल बम ब्लास्ट के संदिग्ध रहे हैं


कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के लोकसभा में दिए भाषण से देश को भले ही भूकंप के झटके महसूस नहीं हुए, लेकिन बिहार की कांग्रेस पार्टी को उस दिन से भूकंप के झटके लग रहे हैं. कांग्रेस के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार जब लोकसभा में भाषण दे रहे थे तो ठीक उसी समय भागलपुर में कांग्रेस के कई बड़े नेता आपस में झगड़ रहे थे.

बहरहाल, उस भूकंप के झटके अभी भी पार्टी को महसूस हो रहे हैं. शुक्रवार को यूथ कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए गुंजन पटेल को चुना गया तो पार्टी नेताओं ने ही आरोप लगाया कि पटेल 7 जुलाई, 2013 को बोधगया में हुए सीरियल बम ब्लास्ट के संदिग्ध रहे हैं. गुंजन पटेल ने एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में कहा था कि केंद्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने उनसे इस मामले में पूछताछ भी की थी, लेकिन एफआईआर में उनका नाम नहीं है. इस बम ब्लास्ट में 5 लोग घायल हुए थे जिनमें 2 बौद्ध भिक्षुक थे.

मामले की जांच के लिए सारे तथ्य दिल्ली भेज दिए हैं

शिकायत का संज्ञान लेते हुए मतदान कराने वाली जे.के राव और जी.एम लिंडा एजेंसी ने परिणामों पर रोक लगा दी है. गौरतलब है कि यूथ कांग्रेस में संगठन चुनावों के लिए पार्टी ने एक एजेंसी को हायर किया था. चुनाव के रिटर्निंग अफसर तेलंगाना निवासी नशीर अहमद ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि यह बात सही है कि पटेल की बम ब्लास्ट में बतौर संदिग्ध नामित होने की लिखित शिकायत मिली है. हालांकि इसकी सफाई में पटेल ने एनआईए की दर्ज की गई एफआईआर की कॉपी भेजी है जिसमें उनका नाम नहीं है. फिर भी हमने मामले की जांच के लिए सारे तथ्य दिल्ली भेज दिए हैं. सोमवार तक इस पर फैसला हो जाएगा.

बिहार प्रदेश यूथ कांग्रेस के प्रभारी सर्वेश तिवारी का कहना है कि ‘कहीं कोई गड़बड़ी नहीं है. पार्टी में कुछ लोग इस फैसले से खुश नहीं हैं जो इस बात का बतंगड़ बना रहे हैं. राजनीति में एक दूसरे की टांग खींचने का काम लगातार होता रहता है. इस प्रकार का खेल केवल जिला या प्रांत तक सीमित नहीं है बल्कि देश की राजधानी दिल्ली में भी चलता है.’

राज्य यूथ कांग्रेस पद के 3 प्रत्याशियों के खिलाफ गंभीर शिकायत 28 जुलाई को ही एजेंसी के पास भेज दी गई थी. उसी शिकायत के आधार पर एक प्रत्याशी राकेश यादव को अयोग्य घोषित कर दिया गया था. जिसके बाद चुनाव की तारीख 6 अगस्त से बढ़ाकर 9 अगस्त कर दी गई थी. मतदान के दिन विरोधी पक्ष के भीषण आक्रोश को ध्यान में रखकर रिजल्ट की घोषणा रोक दी गई और इस संगीन मामले को दिल्ली भेज दिया गया है.

विरोधियों का आरोप है कि कांग्रेस नेता ब्रजेश पांडेय किसी भी शर्त पर गुजंन पटेल को यूथ कांग्रेस का अध्यक्ष बनवाना चाहते हैं. पांडेय बेतिया लोकसभा से चुनाव लड़ना चाहते हैं. बतौर यूथ कांग्रेस अध्यक्ष गुंजन पटेल को अधिकार होगा कि वह किसी एक व्यक्ति का नाम अपने स्तर से लोकसभा के लिए आगे कर सकते हैं. इसके बाद ब्रजेश पांडेय को अपने रसूख के बल पर दिल्ली से अनुमति लेने में आसानी होगी. बता दें कि यह वही ब्रजेश पांडेय हैं जिनका नाम पिछले दिनों एक तथाकथित सेक्स स्कैंडल में उभरा था.

जो यूथ कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष होगा उसको विधानसभा चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा

एजेंसी को भेजी गई आरोप पत्र में गुजंन पटेल से हारने वाले निकटतम उम्मीदवार सिराजुद्दौला उर्फ दौलत इमाम का नाम भी है. पत्र में लिखा है कि दौलत इमाम के खिलाफ भी कई अपराधिक मुकदमे पटना के सुल्तानगंज थाने में दर्ज हैं. नियम के अनुसार यूथ कांग्रेस के सांगठनिक पद के लिए वही प्रत्याशी हो सकता है जिसके खिलाफ कोई अपराधिक मुकदमा दर्ज न हो और जिसकी उम्र 18 से 35 वर्ष के बीच हो. प्रदेश यूथ कांग्रेस के प्रत्याशी के लिए मानक है कि पूर्व में वो ब्लॉक से लेकर प्रांतीय स्तर पर संगठन के किसी पद पर रहा हो. गुंजन पटेल किसी पद पर नहीं रहे हैं. पहले वो जनता दल में थे. बम ब्लास्ट में नाम आने के बाद नीतीश कुमार ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया तो कांग्रेस ने हाथों हाथ लपक लिया. पांडेय की कृपा से पटेल कम समय में ही प्रदेश यूथ कांग्रेस के प्रवक्ता और फिर एआईसीसी सदस्य बना दिए गए.

बीते 7, 8 और 9 जुलाई को बिहार में यूथ कांग्रेस के जिला अध्यक्ष, महासचिव, प्रदेश अध्यक्ष और विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ था. यह चुनाव टेबलेट के माध्यम से कुल 38 जिलों में एजेंसी की देखरेख में बिलकुल नए तरीके से कराए गए थे. कम से कम एक दर्जन जिलों में विरोधियों के बीच जमकर मारपीट भी हुई थी. हिंसक झड़प में समस्तीपुर जिला में अध्यक्ष पद के प्रत्याशी के भाई का सिर फट गया तो बक्सर में कांग्रेस विधायक मुन्ना तिवारी के खिलाफ प्रत्याशी अजय ओझा ने थाने में केस किया कि ‘विधायक कहते हैं कि चुनाव से हट जाओ नहीं तो जान से मार देगें.’ उसी तरह चुनाव के दिन बेगूसराय में कांग्रेस बिधायक रामदेव राय और अमृता भूषण के समर्थकों बीच हिंसक झड़प होते-होते बच गई.

जानकार बताते हैं कि यूथ कांग्रेस अध्यक्ष पद के प्रत्याशी अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए लाखों रुपए खर्च करते हैं. प्रत्येक प्रत्याशी अपना पैसा खर्च कर यूथ कांग्रेस का साधारण सदस्य बनाते हैं. ऑनलाइन सदस्य बनने में 75 रुपए, ऑफलाइन 125 रुपए और तिथि विस्तार की अवधि में 140 रुपए जमा कराने होते हैं. एक हारे हुए प्रत्याशी ने बताया, ‘हमलोग अपनी जेब से पैसा लगाकर सदस्य बनाते हैं. इसबार मेरे 7 लाख रुपए लग गए हैं.’

दसअसल, ऐसी परंपरा रही है कि जो यूथ कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष होगा उसको विधानसभा चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा. संभवतः इसीलिए इस पद को पाने लिए इतनी बेचैनी है.

अहीरवाल की जनता का बहाया पसीना व्यर्थ नहीं जाएगा – हुड्डा


·        इनेलो और भाजपा दोनों धोखेबाज, मिलकर लड़ रहे हैं नूरा कुश्ती  
·        इनेलो का देखो खेल, घर बैठे भर रहे जेल 
·        जनता के साथ-साथ सड़कों का भी हाल बेहाल  


महेंद्रगढ़, 12 अगस्त :

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में जनक्रांति यात्रा के पांचवें चरण में महेंद्रगढ़ जिले के लोगों ने हाजरी का नया रिकॉर्ड बनाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री का गगनभेदी जयजयकारों के साथ स्वागत कियाI विश्वविद्यालय प्रांगण में जहाँ उनका हेलिकॉप्टर उतरा, भीड़ एक रैली का नज़ारा पेश कर रही थी Iलोगों के जुनून का आलम यह था कि केन्द्रीय विश्वविद्यालय पाली से खेल स्टेडियम महेंद्रगढ़ तक का 8 किलोमीटर के रास्ते को तय करने में जनक्रांति यात्रा के काफिले को ढाई घंटे लगे Iरास्ते में पड़ने वाले गाँव की महिलाओं समेत लोगों ने पूर्व मुख्यमंत्री का फूल मालाओं से और दूध पिला कर उनका स्वागत और सम्मान किया Iअपार भीड़ के कारण आज खेल स्टेडियम में तिल रखने तक की जगह नहीं बची I स्टेडियम के चारो ओर मोटर साइकिलों और गाड़ियों को पार्किंग के लिए चालकों को पूरी जद्दो जहद करनी पड़ी व मुख्य सड़क पर जाम रहा I
अपार भीड़ से गदगद हुड्डा ने कहा कि महेंद्रगढ़ कर्मठ किसानों और वीर जवानों की धरती है  और आज यहाँ की जनता का बहा पसीना व्यर्थ नही जाएगा I वे महेंद्रगढ़ में लोगों द्वारा दर्शाए समर्थन व प्यार के लिए आभार प्रकट करते हैं तथा मौका मिलने पर जनहित में ऐसा कुछ करने का इरादा रखते हैं जिसको लम्बे समय तक याद किया जा सके I उन्होंने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि चुनाव पूर्व भाजपा ने किसानों और जवानों से बड़े बड़े वादे किये थे जिनपर भरोसा कर उन्होंने भाजपा को सत्ता की चाबी सौंपी I मगर दुर्भाग्य की बात है कि अपने पूरे कार्यकाल में भाजपा ने किसानों और जवानों से किया कोई वायदा ईमानदारी से पूरा नहीं किया I किसानों को कागजों में  स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार लागत से ऊपर 50% मुनाफा देने के नाम पर ठगा, चार साल से किसानों की फसलों को मंडियों में कौड़ियों के भाव लूटा जा रहा है Iसैनिकों को आधे अधूरे ‘वन रैंक वन पेंशन’ लागू कर धोखा देने का काम किया गया हैI न किसानों की जेब में 50 प्रतिशत मुनाफा आया न सैनिकों के खातों में कांग्रेस की सरकार के समय मंजूर हुए ‘वन रैंक वन पेंशन’ पर आधारित पेंशन I उन्होंने कहा कि जनक्रांति रैलियों में उमड़ रही भरी भीड़ और उत्साह को देख कर वे विश्वास के साथ कह सकते हैं कि हरियाणा में अगली सरकार कांग्रेस की बनेगी I सरकार बनने पर किसानों के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू किया जायेगा I पूर्व मुख्यमंत्री की इस घोषणा के बाद रैली स्थल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा I
उन्होंने घोषणा की कि यदि आगामी चुनाव के बाद हरियाणा में उनकी पार्टी की सरकार बनीं तो वे प्रदेश के कर्मचारियों को पंजाब के समान वेतन देंगें I उनहोंने कहा कि 2014 में उन्होंने पानीपत रैली में इस आशय की घोषणा की थी और मंत्रिमंडल से इसको मंजूरी भी मिल गयी थी लेकिन कुछ दिनों के बाद सरकार बदल गई Iउन्होंने आगे कहा कि यद्यपि भाजपा ने भी अपने चुनावी घोषणा पत्र में यह वायदा किया था लेकिन सरकार आने के बाद अन्य 154 वायदों के साथ इसे भी रद्दी की टोकरी में फैंक दिया I हुड्डा ने कर्मचारियों को सरकार का अभिन्न अंग बताते हुए कहा कि आज प्रदेश का कर्मचारी सरकार से पूरी तरह नाराज है इसलिए सरकारी मशीनरी जाम हो गई है, किसी दफ्तर में कोई काम नहीं हो रहा है Iहुड्डा ने  बुढ़ापा पेंशन 3 हजार रूपए महीना देने के अपने वायदे को दोहराते हुए “पेंशन में तीन नोट खरे – एक गुलाबी दो हरे” और बिजली के रेट आधे करने के वायदे पर “करेंगे एक ख़ास काम – पूरी बिजली आधे दाम” के नारे दे कर भीड़ में जोश भर दिया I राजनीतिक विशेषज्ञ सरकारी कर्मचारियों को पंजाब की तर्ज पर वेतन देने की घोषणा को हुड्डा का एक और मास्टर स्ट्रोक मान रहे हैं I
उन्होंने कहा कि भाजपा की नीति झूठ, फूट और लूट पर आधारित है, भाजपा राज में न केवल जनता बल्कि सड़कों का भी बुरा हाल है I प्रदेश की जनता का ध्यान मुख्य मुद्दों से हटाने के लिए भाजपा सरकार भाईचारा समाप्त कर के समाज को आपस में लड़ाने का एक मात्र काम कर रही हैI उन्होंने जनता से अपील की कि वे हर कीमत पर प्रदेश में सदियों से चले आ रहे भाईचारे को कायम रखे I
हुड्डा ने कहा कि उनके दस साल के कार्यकाल में दक्षिण हरियाणा के चहुँमुखी विकास में कोई कोरकसर नहीं छोड़ी गयी थी I उन्होंने कहा महेंद्रगढ़ और भिवानी को एनसीआर क्षेत्र में शामिल किया I महेंद्रगढ़ में केन्द्रीय विश्वविद्यालय व महिला महाविद्यालय, रेवाड़ी में इंदिरा गाँधी विश्वविद्यालय, गुडगाँव में रक्षा विश्वविद्यालय, जैनाबाद में सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज, समेत अनेकों आईटीआई, पॉलिटेक्निक स्थापित कर युवाओं के लिए अच्छी और सुगम शिक्षा के द्वार खोलेI महेंद्रगढ़ रेवाड़ी और भिवानी की प्यासी धरती की प्यास बुझाने के लिए हांसी बुटाना ब्रांच का निर्माण करवाया I रेवाड़ी को प्रदेश की राजधानी से सीधा जोड़ने के उद्देश से रेवाड़ी झज्जर रोहतक रेलवे लाइन का निर्माण करवाया Iइन विकास कार्यों को निकाल दें तो किसी भी पार्टी के पास अपनी उपलब्धि गिनाने के लिए कुछ भी नहीं है I
हुड्डा ने इनेलो को चुनौती देते हुए कहा कि वर्ष 1999 से लेकर 2005 तक हरियाणा में उनकी सरकार रही है, अपने 6 साल के कार्यकाल में दक्षिण हरियाणा के हित और विकास के लिये एक भी काम किया हो तो उसको बतायें I यदि काम किया होता तो इनेलो के नेता  कैथल रैली में उसका जिक्र करते I इनेलो वाले अपनी जनसभाओं में मेरी आलोचना तो करते रहते हैं अपनी उपलब्धि कभी नहीं बताते हैं I जब कुछ किया ही नहीं तो बताएंगे क्या? इनेलो ने विकास का काम तो क्या करना था इसके विपरीत चौटाला ने हांसी बुटाना ब्रांच के निर्माण का विरोध किया I
उन्होंने कहा इसी प्रकार 2014 से अब तक प्रदेश में भाजपा की सरकार है इस इलाके में कोई काम किया हो तो ये बता दें I हमारी सरकार ने इस इलाके के महान संत बाबा खेता नाथ के नाम पर नारनौल में एक सरकारी आयुर्वेदिक कॉलेज का निर्माण करवाया था यह निकम्मी सरकार गत चार वर्षों में उसको चालू नहीं करवा सकी है जबकि भवन निर्माण का कार्य हमारी सरकार में पूरा हो चूका था I इसके साथ ही उन्होंने घोषणा की कि उनकी सरकार बनने पर इस आयुर्वेदिक कॉलेज को चालू किया जाएगा I
इनेलो और भाजपा पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि ये दोनों दल प्रदेश की जनता की आँखों में धूल झोंकने के लिए आजकल नूरा कुश्ती लड़ रहे हैं I अभी हाल में भाजपा सरकार के खिलाफ लोक सभा में विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर इनेलो सांसदों ने भाजपा के खिलाफ वोट नहीं दिया और राज्यसभा में उपसभापति के चुनाव में इनेलो सांसद ने भाजपा के साथ वोट दिया I मिलीभगत का इससे बड़ा सबूत क्या होगा? एसवाईएल के मुद्दे पर इनेलो द्वारा चलाये जा रहे जेल भरो आन्दोलन पर कटाक्ष करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा ये कैसा जेल भरो आन्दोलन है? इनेलो का कोई नेता या कार्यकर्ता इस आन्दोलन के दौरान एक मिनट भी किसी जेल में रहा है तो बताएं, इस नकली आन्दोलन पर ये चार पंक्तियाँ फिट बैठती हैं –

“इनेलो का देखो खेल,
घर बैठे भर रहे जेल,
नकली गिरफ्तारी नकली बेल,
जेल भरो आन्दोलन हो गया फेल”

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने महेंद्रगढ़ के कांग्रेस नेताओं विषेशकर राव दान सिंह और उनके साथियों की पीठ थपथपाई और कहा कि आपकी की गई मेहनत जरूर रंग लाएगी और प्रदेश में अगली सरकार कांग्रेस की होगी और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी के हाथ मजबूत करने का काम करेगीI
पूर्व मुख्यमंत्री ने गत विधान सभा में बादली से चुनाव लड़े और दूसरे नंबर पर रहे कुलदीप वत्स को कांग्रेस में शामिल किया I मंच संचालन प्रो. विरेन्द्र ने किया I राष्ट्रीय गान के साथ रैली का समापन किया गया और पूर्व मंत्री राव धर्मपाल ने जनता का आभार व्यक्त किया I
इस अवसर पर उनके साथ राजस्थान के अलवर से सांसद डॉ करण सिंह यादव, सांसद व कांग्रेस कार्यसमिति सदस्य दीपेंद्र हुड्डा, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष धर्मपाल सिंह मलिक, पूर्व सीपीएस राव दान सिंह, पूर्व मंत्री राव नरेन्द्र, पूर्व सीपीएस अनीता यादव, पूर्व स्पीकर व विधायक डॉ रघुबीर सिंह कादयान, पूर्व स्पीकर और विधायक कुलदीप शर्मा, विधायक आनंद सिंह दांगी, विधायक गीता भुक्कल, विधायक श्रीकृष्ण हुड्डा, विधायक उदयभान, विधायक जयतीरथ दहिया, विधायक जगबीर सिंह मलिक, विधायक जयवीर बाल्मीकि, विधायक ललित नागर, विधायक शकुन्तला खटक, पूर्व मंत्री आफताब अहमद, पूर्व विधायक राव यादवेन्द्र, पूर्व मंत्री सतपाल सांगवान, पूर्व मंत्री कृष्णमूर्ति हुड्डा, पूर्व विधायक बी.बी.बत्रा, पूर्व विधायक संत कुमार, पूर्व विधायक धरम सिंह छोक्कर, पूर्व सीपीएस रणसिंह मान, पूर्व सीपीएस विनोद भयाना, पूर्व विधायक रणवीर महेंद्रा, सुभाष चौधरी ,पूर्व विधायक प्रहलाद सिंह गिल्लाखेड़ा, पूर्व विधायक राम निवास घोड़ेला, पूर्व विधायक जसवंत बावल, पूर्व चेयरमैन चक्रवर्ती शर्मा, संजय राव, ठेकेदार रणधीर सिंह, सतपाल दहिया, प्रवीण चौधरी, राजू मान, राव अक्षत, महाबीर मसानी, प्रदेश युवा कांग्रेस अध्यश सचिन कुंडू, प्रदेश एनएसयूआई अध्यक्ष दिव्यांशु बुद्धिरजा, प्रदीप सांगवान, नृपेन्देर सांगवान , सोमबीर सिंह ,ठाकुर लाल सिंह , नरेश हसनपुर , धर्मेन्द्र ढुल , जितेंदर भरद्वाज , सरदार रणधीर सिंह, सूर्यदेव दहिया , कर्ण सिंह कादयान ,अर्जुन सिंह ,संदीप तंवर , प्रदीप पुण्डरी , धर्मेंदर ढुल,प्रदीप गुलिया, धीरज सिंह, राकेश, राजेश,तेलूराम जांगड़ा समेत अनेक नेता मौजूद थे I

फोटो और खबर अजय कुमार

पंचकुला 12 अगस्त,2018:

स्वतंत्रता दिवस को होने वाले प्रोग्राम को लेकर स्वागत द्वार को बनाने के लिए सड़क में गहरे खड्डे कर दिए गए जिसे निगम द्वारा अभी बीते दिनों में बनाया गया था जो की बाद में इसे ऐसी हालत में छोड़ दिया जाता है इस के कारण बाद में धीरे धीरे सड़क और आगे तक टूटनी शुरू हो जाती है स्थानीय प्रशासन इस पर गौर नही करता।

मोदी-खट्टर की जोड़ी सबसे बड़ी किसान विरोधी-सुरजेवाला


लाडवा में बोले रणदीप, प्रदेश के 52 साल के इतिहास में नहर पाटने वाले खट्टर पहले सीएम

सुरजेवाला ने प्रधानमंत्री मोदी को बताया झूठों का सरदार

कहा – इनैलो किसानों के लिए नही बल्कि खुद के अस्तित्व को बचाने के लिए लड़ रही और इनैलो भाजपा की बी टीम


लाडवा, कुरुक्षेत्र, 12 अगस्त 2018
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मीडिया इंचार्ज व पार्टी की केंद्रीय कार्यसमिति के सदस्य रणदीप सिंह सुरजेवाला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके चेले मनोहर लाल खट्टर की जोड़ी को देश के इतिहास में सबसे बड़े किसान विरोधी क़रार दिया है।
यहाँ आयोजित जनसभा में उमड़ी भारी भीड़ के बीच सुरजेवाला ने कहा कि गुरू चेले की इस जोड़ी ने देश और प्रदेश के किसानों को कहीं का नहीं छोड़ा। खट्टर को निशाने पर लेते हुए उन्होंने कहा कि वे प्रदेश के ऐसे पहले सीएम हैं जिन्होंने नई नहर बनवाने की बजाय दादुपुर नलवी नहर को पाटने का तुगलकी फ़ैसला कर डाला। इसके लिए प्रदेश के किसान उन्हें कभी माफ़ नहीं करेंगे।

सुरजेवाला ने कहा कि आज पूरे हरियाण प्रांत और पूरे देश के अंदर पीठ और पेट एक करके मिट्टी से सोना पैदा करने वाला किसान व उसके साथ काम करने वाला मजदूर पीडि़त, व्यथित और आंदोलित है। उन्होंने कहा कि जब केन्द्र में भाजपा की सरकार नहीं बनी थी तो नरेन्द्र मोदी ने कुरूक्षेत्र में एक जलसे के दौरान किसानों को वायदा किया था कि भाजपा की सरकार आने पर उनको फसल लागत का 50 फीसदी मुनाफा दिया जाएगा। जब सरकार बनी तो मोदी व खट्टर सरकार ने इस वायदे को भूलाकर किसानों की पीठ पर खंजर घोपने का काम किया। उन्होंने कहा कि यहां तक ही नहीं केन्द्र सरकार ने 22 फरवरी 2015 को सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र देकर कहा था कि वह किसानों को 50 फीसदी मुनाफा नहीं दे सकते। इससे बाजार भाव बिगड़ जाएगा। उन्होंने कहा कि मोदी खट्टर के चार साल में किसानों को बेहाल कर दिया गया है। भाजपा सरकार किसानों की फसल का एमएसपी बढ़ाकर किसान हितैषी होने की छाती पीट रही है, लेकिन वास्तविकता बिल्कुल उलट है।

कृषि मूल्य आयोग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए सुरजेवाला ने कहा कि धान का 50 फीसदी लागत मूल्य लगाया जाए तो किसानेां को 2340 रुपये प्रति क्विंटल मिलना चाहिए था, जबकि सरकार ने केवल 1750 रुपये दिया है। जो भाजपा के वायदे से 590 रुपये कम है। इसी प्रकार ज्वार का लागत मूल्य 3275 रुपये बनता है, लेकिन सरकार ने 845 रुपये कम देकर 2430 रुपये दिया है। कपास का लागत मूल्य 6771 रुपये बनता है, लेकिन सरकार ने घोषणा की 5150 रुपये की, जो 1621 रुपये कम है। ठीक यही हाल मूंग, उड़द, अरहर, सोयाबीन, मूंगफली की फसल का है।

सुरजेवाला ने कहा कि किसान की फसल खराब होती है तो केन्द्र व खट्टर सरकार कहती है कि हमने फसल बीमा योजना लागू की है। इसकी सच्चाई किसी को नहीं बताई। इस सरकार ने खेती बाड़ी पर टैक्स लगाकर 22 हजार करोड़ रुपये एकत्रित कर लिए और किसानों को बीमा के रूप में केवल मात्र 6 हजार 700 करोड़ रुपया दिया गया। 14 हजार करोड़ रुपये देश की 5 बीमा कंपनियों के खाते में चले गए, इनमें से कुछ कंपनियां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चहेती कंपनियां हैं। उन्होंने कहा कि इस योजना का नाम प्रधानमंत्री फसल बीमा नहीं, बल्कि निजी कंपनी मुनाफा योजना होना चाहिए था।

सुरजेवाला ने कहा कि इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि जब सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र पर टैक्स लगाया गया हो। ट्रैक्टर एव अन्य सभी उपकरणों पर 12 प्रतिशत का जीएसटी टैक्स लगाया गया जबकि टायर, ट्यूब और ट्रांसमिशन पार्ट्स पर 18 प्रतिशत का जीएसटी टैक्स लगाया गया। कीटनाशक दवाइयों पर 18 प्रतिशत, खाद पर 5 प्रतिशत तथा कोल्ड स्टोरेज पर 12 प्रतिशत का जीएसटी लगा दिया गया है। किसानो के आलू को सुरक्षित रखने वाले कोल्ड स्टोरेज पर भी 12 प्रतिशत टैक्स लगाकर किसानों की पीठ में छुरा घोंपने का काम किया गया है। किसान पर टैक्स लगाकर 10 हजार करोड़ रुपए कमा रही है मोदी सरकार। किसानो के आलू के 25 पैसे के भाव पर जब किसान खट्टर सरकार के खिलाफ अपना विरोध प्रकट करते हैं तो उस विरोध का जवाब खट्टर सरकार द्वारा उन्हें पुलिस की लाठियों और गोलियों से दिया जाता है। आज खट्टर सरकार ने इरादाएकत्ल के मुकद्दमे के 47 किसानों को जेल में बंद कर रखा है। क्या इस तरह से ही देश व प्रदेश के किसानो का भला करेगी भाजपा सरकार? इसलिए बदलाव की जरूरत है।

भाजपा पर किसानविरोधी होने का आरोप लगाते हुए सुरजेवाला ने कहा कि इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि जब किसी सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र पर टैक्स लगाया गया हो। भाजपा ने पेट्रोल व डीज़ल पर भारी टैक्स लगाए, जिसके चलते डीज़ल व पेट्रोल आज भी उसी भाव में मिल रहा है, जब कच्चे तेल की कीमतें दोगुना हुआ करती थीं। सुरजेवाला ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि 16 मई 2014 को पेट्रोल के भाव 62.93 रु प्रति लीटर और डीजल के भाव 56.71 रु प्रति लीटर थे लेकिन आज साढ़े 4 साल के बाद डीजल 69.56 रु प्रति लीटर यानि डीजल पर 12.85 रु की बढोत्तरी करके भाजपा इस देश पर कुठाराघात कर रही है और इतना ही नही जब कांग्रेस का राज था तब डीजल पर 9.72 प्रतिशत और पेट्रोल पर 21.5 प्रतिशत वैट था लेकिन आज खट्टर सरकार ने डीजल पर 17.22 प्रतिशत और पेट्रोल पर 5 प्रतिशत की बढोत्तरी के साथ 26.25 प्रतिशत की बढोत्तरी करके इस प्रदेश के लोगों की पीठ में छुरा घोंपने का काम किया है। इसी प्रकार केंद्र की मोदी सरकार पेट्रोल और डीजल पर 11 बार एक्साईज डयूटी लगाकर इस देश की जनता से 10 लाख करोड़ रुपए और खट्टर सरकार 18 हजार करोड़ रुपए वसूल रही है। यही भाजपा व कांग्रेस की सोच का फर्क है। भाजपा द्वारा ट्रैक्टर एवं अन्य सभी उपकरणों पर 12 प्रतिशत का जीएसटी टैक्स लगाया गया जबकि टायर, ट्यूब और ट्रांसमिशन पार्ट्स पर 18 प्रतिशत का जीएसटी टैक्स लगाया गया। कीटनाशक दवाइयों पर 18 प्रतिशत, खाद पर 5 प्रतिशत तथा कोल्ड स्टोरेज पर 12 प्रतिशत का जीएसटी लगा दिया गया है। किसानो के आलू को सुरक्षित रखने वाले कोल्ड स्टोरेज पर भी 12 प्रतिशत टैक्स लगाकर किसानों की पीठ में छुरा घोंपने का काम किया गया है।प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को प्राइवेट मुनाफा कम्पनी व किसान शोषण योजना करार देते हुए सुरजेवाला ने कहा कि किसान की फसल खराब होती है तो केन्द्र व खट्टर सरकार कहती है कि हमने फसल बीमा योजना लागू की है। इसकी सच्चाई किसी को नहीं बताई। इस सरकार ने खेती बाड़ी पर टैक्स लगाकर 18 हजार करोड़ रुपये एकत्रित कर लिए और किसानों को बीमा के रूप में केवल मात्र 5600 करोड़ रुपया दिया गया। 14 हजार करोड़ रुपये देश की 7 बीमा कंपनियों के खाते में चले गए, इनमें से कुछ कंपनियां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चहेती कंपनियां हैं। उन्होंने कहा कि इस योजना का नाम प्रधानमंत्री फसल बीमा नहीं, बल्कि प्राइवेट मुनाफा योजना व किसान शोषण योजना होना चाहिए था।

सुरजेवाला ने कहा कि किसानो के आलू के 25 पैसे के भाव पर जब किसान खट्टर सरकार के खिलाफ अपना विरोध प्रकट करते हैं तो उस विरोध का जवाब खट्टर सरकार द्वारा उन्हें पुलिस की लाठियों और गोलियों से दिया जाता है। खट्टर सरकार ने इरादा-ए-कत्ल के मुकद्दमे के तहत 42 किसानों को जेल में बंद कर दिया व उनके 42 ट्रैक्टर जब्त कर लिए गए और आज भाजपा सरकार की तानाशाही रवैये के कारण प्रतिदिन 46 किसान आत्महत्या कर रहे हैं और मोदी सरकार चंद उधोगपतियों को खुश करने में व्यस्त है। उन्होंने कहा कि यहां तक ही नहीं केन्द्र सरकार ने 22 फरवरी 2015 को सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र देकर कहा था कि वह किसानों को 50 फीसदी मुनाफा नहीं दे सकते। इससे बाजार भाव बिगड़ जाएगा। सुरजेवाला ने कहा कि मेरा सरकार से सवाल है कि जब देश के 12 उद्योगपतियों का 2 लाख 83 हजार करोड़ का कर्जा माफ कर दिया गया तो 62 करोड़ किसान मजदूरों का 2 लाख करोड़ रु क्यों नही माफ हो सकता। सुरजेवाला ने कहा कि जब कांग्रेस का शासन था तो कांग्रेस पार्टी ने इस देश के किसानों का 72 हजार करोड़ रु कर्जा माफ किया।
इनैलो पार्टी को भाजपा की बी टीम करार देते हुए सुरजेवाला ने कहा कि एक तरफ तो इनैलो जनता के हितों की बात करती है तो दूसरी तरफ जब जनता के हितों के लिए मोदी सरकार के खिलाफ आवाज उठाने की बात आती है तो ये भाजपा के साथ खड़ी हो जाती है। इनैलो और भाजपा आपस में मिली हुई है क्योंकि जब प्रधानमंत्री के अविश्वासमत, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राष्ट्रसेना के चेयरमैन को वोट डालने की बात आए तो इनैलो भाजपा के साथ खड़ी हो जाती है। इनैलो किसानों के लिए नही बल्कि खुद के अस्तित्व को बचाने के लिए लड़ रही है। इस सम्मेलन को पूर्व मंत्री बच्चन सिंह आर्य,ए सी चौधरी,राजकुमार वाल्मीकि,
सुल्तान जडौला,अनिल धण्तोडी़,शिव शंकर भारद्वाज,सुमित्रा चौहान,पवन दिवान साहनी,फूल सिंह बाल्मिकी,
भूपेन्द्र फौगाट,सज्जन सिंह ढूल,सतबीर भाणा,संजीव भारद्वाज,रंजीता मेहता,रणधीर मलिक,सुरेश यूनिसपुर,बलविंदर संधाय,अमन चीमा,लखजीत सिंह लक्खा,रण सिंह देशवाल, प्रवेश राणा,हरजोत सिद्धू ,सरदार नछतर सिंह ,सतीश सांगवान,हरबीर महल,राजेश चौधरी, सुमित चौधरी,आशिश लाम्बा आदि प्रदेश भर से आए अन्य नेताओं ने भी संबोधित किया।

Meerut resident detained for spying in Rajasthan

 

A man allegedly active in several Pakistani WhatsApp groups has been detained in Rajasthan’s Banswara district.

Ayan, a resident of Meerut in Uttar Pradesh, had been staying in a hotel for the last few days after coming to Rajasthan in search of a job, Banswara Superintendent of Police Kaluram Rawat told PTI.

He was working in a garment factory.

“When his mobile phone was checked during routine checking, he was found active in several groups operated from Pakistan,” said Rawat.

SHO, Kotwali police station, Shaitan Singh said he was interrogated jointly by the local police and the Anti-Terrorist Squad.

“He came in touch with the owner of the factory through WhatsApp,” he said.

Heavy to very heavy rain is predicted in 16 states


Heavy to very heavy rains are expected in 16 states, including Kerala, Uttarakhand and West Bengal, in next two days with fishermen are advised not to venture in central Arabian Sea, the NDMA said on Saturday.


Heavy to very heavy rains are expected in 16 states, including Kerala, Uttarakhand and West Bengal, in next two days with fishermen are advised not to venture in central Arabian Sea, the NDMA said on Saturday.

In a statement, the National Disaster Management Authority (NDMA) said heavy rains are also expected in large areas along Bay of Bengal.

Red warning for heavy to very heavy rain at a few places with extremely heavy falls at isolated places very likely over Uttarakhand tomorrow and Monday, theNDMA said quoting a bulletin of the India Meteorological Department.

Rough to very rough sea conditions are likely to prevail over west central Arabian Sea. Fishermen are advised not to venture into this area, it said.

Heavy to very heavy rains are likely at isolated places over Uttarakhand, Sub-Himalayan West Bengal, Sikkim, Himachal Pradesh, Uttar Pradesh, Chhattisgarh, Bihar, Jharkhand, Odisha, Arunachal Pradesh, Assam, Meghalaya, coastal Andhra Pradesh, coastal Karnataka,Tamil Nadu and Kerala.

As many as 718 people have lost their lives in incidents related to floods and rains in seven states during the monsoon season so far.

According to the Home Ministry’s National Emergency Response Centre (NERC), 171 people lost their lives in Uttar Pradesh, 170 people have died in West Bengal, 178 have died in Kerala and 139 have died in Maharashtra.

As many as 52 people lost their lives in Gujarat, 44 died in Assam and eight perished in Nagaland.

A total of 26 people were also missing, Kerala (21) and West Bengal (5), while 244 others received injuries in rain-related incidents in the states, it said.

Doklam report will be binned if not tabled by 31st August


Congress leader meets Minister as Standing Committee’s report could not be tabled in Parliament.


Chairman of the Standing Committee on External Affairs Shashi Tharoor on Friday met External Affairs Minister Sushma Swaraj to resolve the stand-off over the panel’s report on the Doklam crisis.

The panel failed to table the report in the just-concluded monsoon session, though it had met on August 7 and 9. At both meetings, sources said, BJP members had a series of objections and did not let the panel adopt the draft report.

‘No objections’

According to sources, Mr. Tharoor submitted the report to the Ministry of External Affairs to give the government an opportunity to study it before tabling it in Parliament. “It seems that the ruling party has no objections with the recommendations of the panel but with the testimonies of MEA and Defence Ministry officials, which were candid and many of them unflattering towards the government,” a Committee member said.

The report contains testimonies of former Foreign Secretary S. Jaishankar, present Foreign Secretary Vijay Gokhale, Defence Secretary Sanjay Mitra and former Army chief General Deepak Kapoor (retd.). In parts, the testimonies from the MEA and the Defence Ministry contradict each other. Both sides, however, agreed that there was a build-up of Chinese troops at the other side of the border.

Sources told The Hindu that Mr. Tharoor had explained the entire situation to Ms. Swaraj. The MEA will study and, if need be, redact the “problematic” portions.

The panel however, would take the final call on the amendments suggested by the government.

The report could be discarded if it is not submitted before the panel’s term expires on August 31. If the report was not submitted before its term ends, then the report could easily be binned. Congress president Rahul Gandhi is also a panel member.

In the last two consecutive meetings, the report could not be adopted because of protests from the BJP members. The members in a meeting on August 7 first complained that they got the copy of the draft report too late and did not have enough time to give it a thorough reading.

In the second meeting on August 9, the lone BJP MP Sharad Tripathi, left the meeting mid way citing ‘lack of qorum’.

The military face off at Doklam between India and China started on June 16, 2017, when a Chinese road construction party tried to build a road in the Doklam region and was stopped by Indian troops.