महबूबा मुफ्ती पर मनी लाँन्ड्रिंग का केस चल रहा है। इसी केस में बीते गुरुवार को ईडी की टीम ने उनसे 5 घंटे तक पूछताछ भी की थी। प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने मुफ्ती के श्रीनगर स्थित घर से 23 दिसंबर 2020 को एक डायरी बरामद की थी, जिसमें कई प्रकार के वित्तीय लेनदेन का जिक्र था।
जम्मू/श्रीनगर:
जम्मू और कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का पासपोर्ट विदेश मंत्रालय ने रिन्यू करने से मना कर दिया है, क्योंकि स्थानीय पुलिस ने उन्हें खतरा बताया. जिसके बाद विदेश मंत्रालय ने उनके पासपोर्ट रिन्यूवल के फॉर्म को रिजेक्ट कर दिया. विदेश मंत्रालय के श्रीनगर क्षेत्रीय कार्यालय ने इस बाबत महबूबा मुफ्ती को पत्र लिखकर जानकारी दी है कि आखिर उनका पासपोर्ट क्यों नहीं रिन्यू किया गया.
बौखलाई महबूबा मुफ्ती
विदेश मंत्रालय का पत्र मिलने के बाद महबूबा मुफ्ती ने सरकार पर जोरदार हमला बोला. उन्होंने लिखा, ‘पासपोर्ट ऑफिस ने मुझे पासपोर्ट इश्यू करने से मना कर दिया, क्योंकि सीआईडी की रिपोर्ट में मुझे हिंदुस्तान की सुरक्षा के लिए खतरा बताया गया. ये है कश्मीर में सामान्य हालात की असलियत. उन्होंने कहा कि कश्मीर में अगस्त 2019 के बाद से सबकुछ सामान्य बताया जा रहा है, जिसमें अब एक पूर्व मुख्यमंत्री का पासपोर्ट रखना इतने ताकतवर देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन गया है.’
क्या है पत्र में?
महबूबा मुफ्ती ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर उस पत्र को भी पोस्ट किया. ये पत्र श्रीनगर स्थित विदेश मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय से भेजा गया है. जिसमें महबूबा मुफ्ती के पासपोर्ट को रिन्यू न करने की वजह बताई गई है. हालांकि पत्र में ये भी लिखा गया है कि अगर आप इसके विरोध में अपील करना चाहती हैं, तो आप कर सकती हैं. बता दें कि अगर किसी को पासपोर्ट रिन्यू कराना होता है, तो स्थानीय पुलिस की एलआईयू की रिपोर्ट लगती है. जम्मू और कश्मीर में ये काम स्थानीय सीआईडी करती है.
पत्र पढ़ें:
Passport Office refused to issue my passport based on CID’s report citing it as ‘detrimental to the security of India. This is the level of normalcy achieved in Kashmir since Aug 2019 that an ex Chief Minister holding a passport is a threat to the sovereignty of a mighty nation. pic.twitter.com/3Z2CfDgmJy
जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके उमर अब्दुल्ला ने भी इस मुद्दे पर सरकार को निशाने पर लिया. उन्होंने जम्मू-कश्मीर पुलिस को भी लताड़ लगाई. उमर अब्दुल्ला ने लिखा, ‘ये J&K पुलिस क्या कर रही है. यही महबूबा मुफ्ती जब बीजेपी के साथ सरकार चला रही थी, तब खतरा नहीं थी? उनकी पार्टी का बीजेपी के साथ गठबंधन था. वो मुख्यमंत्री रहते हुए राज्य के गृह मंत्रालय और सुरक्षा मामलों के कमांड की मुखिया थी. और अब वो खतरा बन गई हैं!’
What a shame J&K police is going along with this farce. How is it that Mehbooba Mufti was not a threat to the nation when her party was allied with the BJP? As Chief Minister she was incharge of the Home Department & head of the Unified Command, now suddenly she’s a threat! https://t.co/Ye1tQmFIIc
महबूबा मुफ्ती ने कुछ समय पहले बयान दिया था कि भारत और पाकिस्तान को बातचीत करनी चाहिए, खासकर जम्मू और कश्मीर को लेकर. बता दें कि महबूबा मुफ्ती हाल ही में नजरबंदी से रिहा हुई हैं, लेकिन वो आरोप लगाती रहती हैं कि उनपर सरकार नजर रख रही है.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2021/03/mmtr.jpg500640Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2021-03-29 15:17:332021-03-29 15:18:50पासपोर्ट रेनेयु न होने पर बौखलाई महबूबा मुफ़्ती
दिल्ली यूनिवर्सिटी में नए सिलेबस के ड्राफ्ट में 20 से 30 फीसदी तक बदलाव किया गया है। इतिहास (ऑनर्स) के पहले पेपर ‘Idea of Bharat’ पढ़ाया जाएगा। ड्राफ्ट सिलेबस के तीसरे पेपर में सरस्वती-सिंधु सभ्यता को पढ़ाया जाएगा। वेदों में सरस्वती नदी का विस्तार से उल्लेख मिलता है। ‘भारत की सांस्कृतिक विरासत’ नाम से 12वां पेपर है। रामायण और महाभारत जैसे सांस्कृतिक विरासत का विषय शामिल हुआ। इस्लामिक शासकों के आगे आक्रमणकारी शब्द जोड़ने पर विवाद है। नए पाठ्यक्रम में आक्रमण शब्द का इस्तेमाल मुस्लिम शासकों जैसे बाबर के संबंध में किया गया है। भारत की सांस्कृतिक विरासत पढ़ किसकी बौखलाहट बढ़ी?
सरीका तिवारी, नयी दिल्ली/चंडीगढ़:
गुरु नानकदेव जी ने बाबर के आक्रमण और लोगों की दुर्दशा के समय भारत की तबाही का आँखों देखा उल्लेख किया और युद्ध की स्थिति का वर्णन किया:
अर्थात हे लालों, बाबर पाप की बारात ले कर काबुल से मार आत मचाता हुआ आया है और धिंगाजोरी से भारत को दहेज के रूप में मांग रहा है। शर्म और धर्म दोनों ही अलोप हो चुके हैं, अब झूठ की प्रधनगी है। क़ज़ियों और ब्राह्मणों के काम धंधे सब चौपट हो चुके हैं अब विवाह जैसी पवित्र रसम भी शैतान ही करवा रहा है।
गुरु जी के शब्दों में बाबर एक आक्रांता है बाबर की दरिंदगी का वर्णन गुरु जी ने अपनी कोमल वाणी में अत्यंत दुखी हो कर किया है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) एक सांविधिक इकाई है, जो विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा से संबंधित सभी प्रकार के कार्यकलापों की एक जिम्मेदार संस्था है। यूजीसी ने हाल ही में बीए इतिहास के पाठ्यक्रम का एक ड्राफ्ट प्रकाशित किया, जो भारतीय इतिहास के सभी पहलुओं पर प्रकाश डालता है। यूजीसी के इसी प्रयास के कारण कई बुद्धिजीवी और नेता व्यथित हैं, जिनमें असदुद्दीन ओवैसी प्रमुख रूप से सम्मिलित हैं।
दि आइडिया ऑफ भारत
बीए इतिहास का पहला पेपर “आइडिया ऑफ भारत” पर आधारित है। यह भारतवर्ष की अवधारणा, भारतीय ज्ञान परंपरा, कला एवं साहित्य, धर्म, विज्ञान, जैन एवं बौद्ध साहित्य, भारतीय आर्थिक परंपरा एवं ऐसे ही अन्य टॉपिक्स को कवर करता है। इनमें वेद, उपनिषद, महान ग्रंथ, जैन एवं बौद्ध साहित्य, वसुधैव कुटुंबकम की अवधारणा, भारतीय अंक पद्धति एवं गणित, समुद्री व्यापार इत्यादि सम्मिलित है।
ड्राफ्ट में बताया गया है कि इस पाठ्यक्रम के माध्यम से छात्र प्राचीन भारत के नागरिकों के प्रारम्भिक जीवन और संस्कृति से परिचित होंगे एवं उस समाज की व्यवस्था, धर्म पद्धति एवं राजनैतिक इतिहास को जान सकेंगे। इस पाठ्यक्रम का एक उद्देश्य यह भी है कि छात्र भारत में लगातार हुए सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तनों का भी अध्ययन कर सकें।
सिंधु-सरस्वती सभ्यता की व्याख्या
इस स्नातक कोर्स का तीसरा पेपर प्राचीन भारत के इतिहास लेखन एवं ऐतिहासिक स्रोतों की व्याख्या से संबंधित है। इसमें वैदिक काल, जैन और बौद्ध धर्म के उदय से संबंधित कई विषय हैं। इस खंड की सबसे महत्वपूर्ण बात है कि इसमें सिंधु-सरस्वती सभ्यता के अस्तित्व से संबंधित सभी पहलुओं की व्याख्या की गई है। साथ ही हिंदुओं में भेद उत्पन्न करने के लिए प्रचलित की गई आर्य आक्रमण की थ्योरी को भी नकारा गया है।
आक्रांता अब आक्रांता ही कहा जाएगा
अभी तक स्नातक कार्यक्रमों की इतिहास की पुस्तकों में बाबर और तैमूरलंग जैसे आक्रमणकारियों के लिए आक्रांता अथवा आक्रमणकारी जैसे शब्द नहीं लिखे जाते थे किन्तु UGC ने इस ड्राफ्ट में इसे स्वीकार किया है।
बुद्धिजीवियों और नेताओं का विरोध
हालाँकि जब भी इतिहास में किसी भी प्रकार के सुधार की बात आती है तो कुछ राजनैतिक नेताओं और स्वघोषित बुद्धिजीवियों को यह सुधार आरएसएस का षड्यंत्र ही दिखाई देता है। वामपंथी पोर्टल टेलीग्राफ ने कुछ शिक्षकों और विद्यार्थियों का वक्तव्य छापा है कि वैदिक और हिन्दू धार्मिक ग्रंथों का उपयोग करके शिक्षा का भगवाकरण किया जा रहा है। इन “शिक्षकों और विद्यार्थियों” ने यह भी चिंता व्यक्त की है कि “आइडिया ऑफ भारत” पर आधारित ने पाठ्यक्रम से “मुस्लिम शासनकाल की महत्ता” समाप्त हो जाएगी।
टेलीग्राफ ने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज के एक अनजान विद्यार्थी का कथन छापा कि वह “आइडिया ऑफ भारत” के माध्यम से प्राचीन भारतीय सभ्यता के महिमामंडन से व्यथित है। दिल्ली विश्वविद्यालय के ही श्यामलाल कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर जीतेंद्र मीणा जी भी व्यथित हैं कि नया पाठ्यक्रम सेक्युलर साहित्य के स्थान पर धार्मिक साहित्य का महिमामंडन करता है एवं मुगल इतिहास को दरकिनार कर देता है।
Education is not propaganda. BJP is using syllabus to introduce its own Hindutva ideology into textbooks. There is a place to study mythology, religious texts, oral traditions, etc but it is not in undergraduate history courses. 1/2https://t.co/msLLuiReCi
ऐसे मुद्दों पर ओवैसी कुछ न कहें, यह असंभव है। उन्होंने सीधे भाजपा पर यह आरोप लगा दिया कि भाजपा अपनी हिन्दुत्व की विचारधारा को पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने का कार्य कर रही है। ओवैसी ने एक ट्वीट में कहा कि शिक्षा प्रोपेगंडा नहीं है। भाजपा हिन्दुत्व की विचारधारा को पाठ्यपुस्तकों में शामिल कर रही है। माईथोलॉजी को स्नातक कार्यक्रमों में नहीं पढ़ाना चाहिए। ओवैसी ने ड्राफ्ट पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि पाठ्यक्रम मुस्लिम इतिहास को मलीन कर रहा है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2021/03/14943273758_d62d2a8480_z.jpg427640Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2021-03-26 14:49:272021-03-26 14:49:46बाबर कोआक्रांता बताने पर भड़के ओवैसी और वामपंथी
दारुल उलूम फरंगी महल के प्रवक्ता मौलाना सुफियान निजामी ने कहा कि हमारा देश में तमाम मजहब के मानने वाले मिलजुल कर रहते आ रहे हैं। यहां पर होली का त्योहार का मौका हो या फिर कावंड़ यात्रा का मौका हो, बड़े बड़े लाउडस्पीकर लगाकर बजाये जाते हैं। इसके अलावा रामायण आदि का पाठ भी लाउडस्पीकर से किया जाता है।
भारत में लगभग 50 साल तक लाउड स्पीकर पर अज़ान देना हराम था. फिर ये हलाल हो गया। और इतना कि इसकी कोई सीमा न रही. लेकिन ये खत्म होना चाहिए। अज़ान ठीक है, लेकिन लाउड स्पीकर से दूसरे लोगों को परेशानी होती है। मुझे उम्मीद है कि इस बार वो खुद से ये कर लेंगे। – जावेद अख्तर
लखनऊ:
उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी की कुलपति द्वारा अजान को लेकर उठाए गए सवालों पर अब राजनीतिक बवाल शुरू हो गया है। कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव ने प्रयागराज के डीएम को चिट्ठी लिख कहा है कि मस्जिद की अजान से उनकी नींद में खलल पड़ता है, ऐसे में एक्शन लिया जाए। अब इस पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएँआ रही हैं। समाजवादी पार्टी ने कहा है कि भाजपा सिर्फ धर्म-जाति के मसले पर राजनीति करना चाहती है।
राजनीतिक बयानबाजी हुई तेज़
समाजवादी पार्टी के अनुराग भदौरिया ने बयान दिया कि जब से भाजपा की सरकार बनी है, सिर्फ जाति-धर्म की बात हो रही है रोज़गार पर जोर नहीं दिया जा रहा है। किसी शिक्षा संस्थान को इस तरह के मसले पर जोर नहीं देना चाहिए।
वहीं, भाजपा के प्रवक्ता नवीन श्रीवास्तव का कहना है कि नमाज़ करना अधिकार है, लेकिन कोर्ट पहले ही कह चुका है कि लाउडस्पीकर लगाना निजता का हनन है। बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि लाउडस्पीकर का प्रयोग करना संवैधानिक रूप से उचित नहीं है।
मौलाना ने भी की शिकायत की निंदा
इसी मसले पर मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना सैफ अब्बास का भी बयान आया है, उन्होंने कहा कि अज़ान तो सिर्फ 2-3 मिनट के लिए ही होती है। शिकायत करने वालों को ये भी कहना चाहिए था कि जो सुबह आरती होती है, इससे भी उनकी नींद खराब होती है। मुस्लिम धर्मगुरु ने कहा कि सिर्फ अजान के लिए ऐसी शिकायत करना बिल्कुल गलत है, ऐसे में मैं मानता हूँ कि उन्हें इस शिकायत को वापस लेनी चाहिए।
मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना सूफियान निजामी ने इस विवाद पर कहा कि हमारे मुल्क में हर मजहब के लोग रहते हैं, कहीं मस्जिद की अजान होती है तो कहीं मंदिर में भजन-कीर्तन होते हैं। अगर कोई कहता है कि सिर्फ अजान के कारण ही नींद में खलल होता है, तो ये ठीक नहीं है।
मौलाना सूफियान निजामी बोले कि इलाहाबाद में कुंभ के दौरान, होली के दौरान या किसी अन्य त्योहार में भी लाउडस्पीकर का इस्तेमाल होता है लेकिन किसी ने कोई चिट्ठी नहीं लिखी। ऐसे में ये सिर्फ एक साजिश का हिस्सा है कि अजान को बंद करवाया जाए।
क्या है न्यायालय के दिशा निर्देश:
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मस्जिद से अजान मामले में अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि लाउडस्पीकर से अजान देना इस्लाम का धार्मिक भाग नहीं है। यह जरूर है कि अजान देना इस्लाम का धार्मिक भाग है। इसलिए मस्जिदों से मोइज्जिन बिना लाउडस्पीकर अजान दे सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण मुक्त नींद का अधिकार व्यक्ति के जीवन के मूल अधिकारों का हिस्सा है। किसी को भी अपने मूल अधिकारों के लिए दूसरे के मूल अधिकारों का उल्लंघन करने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने मुख्य सचिव को आदेश दिया है कि जिलाधिकारियों से इसका अनुपालन कराएं।
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर का एक पत्र मेरे संज्ञान में आया है। ये पत्र उन्होंने ज़िला मजिस्ट्रेट को लिखा है, पत्र में उन्होंने लिखा है कि माइक से एक निश्चित डेसीबल से ऊपर अजान होती है जिससे उन्हें परेशानी होती है। मैं तत्काल अध्ययन करके कार्रवाई करूंगा: IG प्रयागराज ज़ोन pic.twitter.com/AnYx973OP9
आपको बता दें कि प्रयागराज की इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी की कुलपति संगीता श्रीवास्तव ने 3 मार्च को डीएम को चिट्ठी लिखी थी। जिसमें उन्होंने कहा कि अजान के कारण उनकी नींद टूटती है और इसके बाद उनके काम में खलल पड़ता है। इसी को लेकर पूरा विवाद हो रहा है। कुलपति की चिट्ठी पर डीएम का कहना है कि उचित कार्रवाई की जाएगी।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2021/03/UP-Allahabad-university-vice-chancellor-prof-sangeeta-srivastava-writes-Letter-to-dm-over-morning-azan-from-mosque-news-in-hindi.jpg10341969Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2021-03-17 22:21:332021-03-17 22:24:45लाउड स्पीकर से अज़ान की शिकायत पर रार
सनातन धर्म की संस्थाओं को पहले तो सरकार द्वारा अधिग्रहण किया जाता है फिर उन्हे उसी क्षेत्र में कमजोर कर उनकी हजारों एकड़ भूमि का विक्रय कर दिया जाता है। यह सिलसिला ओड़ीशा में धड़ल्ले से चल रहा है और अब जगन मोहन रेड्डी की सरकार आने के पश्चात तो यह कार्य और भी द्रुत गति से चल पड़ा है, पहले तो पुरी के धाम में कई गिरिजे ओर मस्जिदोन के स्थापित होने की बातें सुनने में आयीं। सूत्रों की मानें तो सरकारी बोर्ड द्वारा संचालित यह काम बहुत ही शांति पूर्वक किए जा रहे हैं। सरकार पहले ही कटक शहर में भारती मठ भवन सहित जगन्नाथ की 315.337 एकड़ जमीन बेच चुकी है और जमीन की बिक्री से अर्जित 11.20 करोड़ रुपये मंदिर कॉर्पस फंड में जमा किए गए हैं।
भुवनेश्वर:
राज्य सरकार ने ओडिशा और छह अन्य राज्यों में भगवान जगन्नाथ से संबंधित 35,272 एकड़ जमीन बेचने की प्रक्रिया शुरू की है, कानून मंत्री प्रताप जेना ने मंगलवार को विधानसभा को बताया।
भाजपा विधायक मोहन चरण मांझी के एक प्रश्न के लिखित उत्तर देते हुए, जेना ने कहा कि तत्कालीन राज्यपाल बीडी शर्मा की अध्यक्षता में गठित एक समिति की सिफारिशों के अनुसार, सरकार मंदिर की 35,272.235 एकड़ भूमि की संपत्ति बेचने के लिए आवश्यक कदम उठा रही है।
जेना ने कहा कि भगवान जगन्नाथ ओडिशा के 30 में से 24 जिलों में फैले 60,426.943 एकड़ के मालिक हैं। जिसमें से, मंदिर प्रशासन 34,876.983 एकड़ में राइट्स ऑफ राइट्स (RoR) तैयार कर सकता है। मंत्री ने विधानसभा को बताया, “आयोग की सिफारिश के अनुसार, राज्य सरकार की अनुमोदित नीति (समन नीति) के अनुसार जमीन बेचने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।”
इस बीच, सरकार पहले ही कटक शहर में भारती मठ भवन सहित जगन्नाथ की 315.337 एकड़ जमीन बेच चुकी है और जमीन की बिक्री से अर्जित 11.20 करोड़ रुपये मंदिर कॉर्पस फंड में जमा किए गए हैं।
इसी तरह, ओडिशा के बाहर छह राज्यों में पहचान की गई 395.252 एकड़ जमीन को बेचने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस उद्देश्य से जिला कलेक्टरों को पत्र लिखा है।
सूत्रों ने कहा कि 12 वीं सदी के मंदिर में पश्चिम बंगाल में अधिकतम 322.930 एकड़ और महाराष्ट्र में 28.218 एकड़, मध्य प्रदेश में 25.110 एकड़, आंध्र प्रदेश में 17.020 एकड़, छत्तीसगढ़ में 1.700 एकड़ और बिहार में 0274 एकड़ जमीन है। मंत्री ने कहा कि बाघा क्षेत्र में लगभग 100 एकड़ की पहचान की गई है और सरकार प्रत्येक वर्ष शेयरधारियों से धान की मात्रा एकत्र कर रही है। इस उद्देश्य के लिए एक खामारी बाघा में लगी हुई है, जबकि एक अन्य खामारी डोहियन में लगी हुई है, जो क्षेत्र में स्थित जमीन जायदादों की देखभाल के लिए है, उन्होंने कहा, दोचियान क्षेत्र से एकत्र धान भी हर साल बेचा जाता है।
इसके अलावा, खुरदा में स्थित 582.255 एकड़ जमीन लीज के आधार पर ओडिशा काजू डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (OCDC) को दी गई है। बदले में, सरकार को हर साल निगम से 3 लाख रुपये मिल रहे हैं, मंत्री ने कहा।
सूत्रों के मुताबिक, जिन लोगों ने 30 साल से अधिक समय तक श्रीमंदिर की जमीन पर कब्जा किया है, उन्हें मंदिर की जमीन को कब्जे में लेने के लिए प्रति एकड़ 6 लाख रुपये देने होंगे। जिन लोगों ने श्रीमंदिर भूमि का अधिग्रहण 30 साल से कम समय के लिए किया है, लेकिन 20 से अधिक वर्षों के लिए भूखंड खरीदने के लिए प्रति एकड़ 9 लाख रुपये का भुगतान करना होगा।
इसके अलावा, जिन व्यक्तियों ने 20 साल से कम समय के लिए मंदिर के भूखंडों पर कब्जा कर लिया है, लेकिन 12 साल से अधिक के लिए प्रति एकड़ 15 लाख रुपये का भारी भुगतान करना होगा, स्रोत ने कहा।
कानून मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने सुधार लाने और जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी विभिन्न घटनाओं की जांच के लिए चार आयोगों का गठन किया है। पैनल न्यायमूर्ति बीके पात्रा आयोग, बीडी शर्मा की अध्यक्षता वाली समिति, न्यायमूर्ति पीके मोहंती आयोग और न्यायमूर्ति बीपी दास आयोग हैं। उन्होंने कहा कि आयोगों द्वारा की गई विभिन्न सिफारिशों को लागू करने के लिए, श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंध समिति की मंजूरी के बाद मंदिर के मुख्य प्रशासक की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2021/03/Srimandir-696x522-1.jpg522696Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2021-03-17 21:42:562021-03-17 21:52:50भारती मठ सहित जगन्नाथ पुरी की 315॰337 एकड़ भूमि बेच चुकी राज्य सरकार अब जगन्नाथ भगवान की 35,272 एकड़ जमीन बेचने की तैयारी में
जम्मू में कांग्रेस ‘शांति सम्मलेन‘ : भगवा साफा पहनकर वरिष्ठ कांग्रेसी नेता जम्मू में इकट्ठे हुए. इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पार्टी को लेकर अपने-अपने विचार रखे. हालांकि सभी नेताओं ने एक सुर में कहा कि पार्टी कमजोर हुई है. दरअसल राज्यसभा का कार्यकाल पूरा होने और संसद से विदाई के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद जम्मू कश्मीर की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं. उनके साथ जी-23 के भी कई नेता मौजूद
कांग्रेस में अंसतुष्ट कहे जाने वाले नेताओं का समूह जी-23 जम्मू के एक कार्यक्रम में शामिल हुआ
कपिल, आनंद शर्मा और राज बब्बर ने कांग्रेस को कमजोर बताते हुए कामकाज पर सवाल उठाए
वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद को दोबारा राज्यसभा न भेजे जाने कपिल सिब्बल ने जताई हैरानी
कांग्रेस ओहदा दे सकती है पर नेता वही बनते हैं जिनको लोग मानते हैं’ : आनंद शर्मा
‘राज्य सभा से रिटायर हुआ हूं, राजनीति से नहीं’ : गुलाम नबी आजाद
लोग कहते हैं- जी 23, मैं कहता हूं गांधी 23। महात्मा गांधी के विश्वास, संकल्प और सोच के साथ :राज बब्बर
जम्मू/चंडीगढ़:
एक ओर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी चुनावी राज्य तमिलनाडु का दौरा कर रहे हैं, वहीं जम्मू में पार्टी के असंतुष्ट नेता एक कार्यक्रम में इकट्ठा हुए। इस दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कांग्रेस के कामकाज पर सवाल उठाते हुए कहा कि कांग्रेस उन्हें कमजोर होती दिख रही है। उन्होंने गुलाम नबी आजाद को दोबारा राज्यसभा के लिए नामित न किए जाने पर भी सवाल उठाए। इस कार्यक्रम में सोनिया-राहुल के पोस्टर नहीं थे। कार्यक्रम के मंच पर गांधी ग्लोबल लिखा था।
आजाद के रिटायरमेंट पर सिब्बल का सवाल?
पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने गुलाम नबी आजाद के रिटायरमेंट पर कहा, ‘हम नहीं चाहते थे कि आजाद साहब संसद से जाएं। हमें दुख हुआ. आजाद कांग्रेस की असलियत जानते हैं, जमीन को जानते हैं। मुझे यह बात समझ नहीं आई कि कांग्रेस इनके अनुभव का इस्तेमाल क्यों नहीं कर रही है?’ कपिल सिब्बल ने कहा, ‘सच्चाई ये है कि कांग्रेस पार्टी हमें कमजोर होती दिखाई दे रही है और इसलिए हम यहां एकत्रित हुए हैं। हमें इकट्ठे होकर पार्टी को मजबूत करना है. गांधी जी सच्चाई के रास्ते पर चलते थे, ये सरकार झूठ के रास्ते पर चल रही है.’बता दें, शांति सम्मेलन में सिर्फ गुलाम नबी आजाद समर्थक गुट के नेता शामिल हुए हैं, जिनमें पूर्व मंत्री, विधायक शामिल हैं।
हम नहीं चाहते थे कि गुलाम नबी आजाद साहब को संसद से आजादी मिले। क्योंकि मैं समझता हूं कि जबसे वह राजनीति में आए कोई ऐसा मंत्रालय नहीं रहा, जिसमें वह मंत्री नहीं रहे। मुझे समझ नहीं आ रहा है कि इस अनुभव को कांग्रेस पार्टी इस्तेमाल क्यों नहीं कर पा रही है।
हमें कोई न बताए कि हम कांग्रेसी हैं या नहीं- आनंद शर्मा
आनंद शर्मा ने आगे कहा, ‘पिछले 10 सालों में कांग्रेस कमजोर हुई है। दो भाई अलग-अलग मत रखते हों, तो इसका मतलब यह नहीं है कि घर टूट जाएगा। या भाई, भाई का दुश्मन हो जाता है, ऐसा तो नहीं हो जाता है। अगर कोई अपना मत न व्यक्त करे कि उसका कोई क्या मतलब न निकाल ले, फिर वह घर मजबूत नहीं रहता है।’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने बिना नाम लिए नेतृत्व पर सवाल खड़े करते हुए कहा, ‘मुझे यह कहने में कोई हिचकिचाहट नहीं है, कांग्रेस ओहदा दे सकती है पर नेता वही बनते हैं जिनको लोग मानते हैं।’ गुलाम नबी आजाद के रिटायरमेंट पर उन्होंने कहा, ‘किसी को भी गलतफहमी नहीं होनी चाहिए कि ये कोई रिटायरमेंट है, ये कोई सरकारी नौकरी नहीं है. आजाद भारत में लेह और लद्दाख का विलय हुआ है और मैं आज भी नहीं मानता कि ये स्टेट नहीं है UT है. आनंद शर्मा ने कहा, ‘भारत एक नाम, एक विचारधारा पर नहीं चल सकता है.’
आनंद शर्मा ने अपने संबोधन में कहा, ‘हममें से कोई ऊपर से नहीं आया। खिड़की रोशनदान से नहीं आया। दरवाजे से आए हैं। चलकर आए हैं। छात्र आंदोलन से आए हैं। युवक आंदोलन से आए हैं। यह अधिकार मैंने किसी को नहीं दिया कि मेरे जीवन में कोई बताए कि हम कांग्रेसी हैं कि नहीं हैं। यह हक किसी का नहीं है। हम बता सकते हैं कांग्रेस क्या है। हम बनाएंगे कांग्रेस को।’
हम छात्र आंदोलन से आए हैं। युवक आंदोलन से आए हैं। यह अधिकार मैंने किसी को नहीं दिया कि मेरे जीवन में कोई बताए कि हम कांग्रेसी हैं कि नहीं है। यह हक किसी का नहीं है। हम बता सकते हैं कांग्रेस क्या है। हम बनाएंगे कांग्रेस को।
‘राज्य सभा से रिटायर हुआ हूं, राजनीति से नहीं’
इस सम्मेलन में गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘मैं राज्य सभा से रिटायर हुआ हूं, राजनीति से रिटायर नहीं हुआ और मैं संसद से पहली बार रिटायर नहीं हुआ हूं.’ साथ ही उन्होंने जम्मू कश्मीर का स्पेशल दर्जा खत्म होने का मुद्दा उठाया. आजाद ने कहा, ‘आज कई बरसों बाद हम राज्य का हिस्सा नहीं हैं, हमारी पहचान खत्म हो गई है. राज्य का दर्जा वापस पाने के लिए हमारी संसद के अंदर और बाहर लड़ाई जारी रहेगी. जब तक यहां चुने हुए नुमाइंदे मंत्री और मुख्यमंत्री नहीं होंगे बेरोजगारी, सड़कों और स्कूलों की ये हालत जारी रहेगी.’
पार्टी ने आजाद को नहीं दिया सम्मान समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार G-23 समूह के एक नेता ने कहा ‘जब दूसरी पार्टियां आजाद को सीट की पेशकश कर रही हैं, प्रधानमंत्री ने उनके बारे में इतना अच्छा कहा. हमारी कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व ने उन्हें कोई सम्मान नहीं दिया.’ खास बात है कि कई वरिष्ठ नेताओं को पार्टी ने दरकिनार करते हुए मल्लिकार्जुन खड़गे को विपक्षी का नेता बनाया है. पार्टी नेतृत्व के इस फैसले के चलते G-23 के नेताओं की नाराजगी और बढ़ गई है.
मैं राज्यसभा से रिटायर हुआ हूं, राजनीति से रिटायर नहीं हुआ और मैं संसद से पहली बार रिटायर नहीं हुआ हूं: जम्मू में शांति-सम्मेलन में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद pic.twitter.com/dAOJDZmbQM
आज कई बरसों बाद हम राज्य का हिस्सा नहीं हैं, हमारी पहचान खत्म हो गई है। राज्य का दर्जा वापस पाने के लिए हमारी संसद के अंदर और बाहर लड़ाई जारी रहेगी। जब तब यहां चुने हुए नुमाइंदे मंत्री और मुख्यमंत्री नहीं होंगे बेरोज़गारी, सड़कों और स्कूलों की ये हालत जारी रहेगी: गुलाम नबी आज़ाद pic.twitter.com/juklot6zGK
जम्मू पहुंचने वाले नेताओं में गुलाम नबी आजाद, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा, मनीष तिवारी, विवेक तन्खा और राज बब्बर शामिल हैं. G-23 के एक वरिष्ठ नेता ने कहा है कि आज कांग्रेस में जो कुछ हो रहा है, वह पिछले साल दिसंबर में कांग्रेस वर्किंग कमिटी (CWC) की बैठक में हुई सहमति का उल्लंघन है. किसी सुधार या चुनाव के कोई संकेत नहीं हैं. बता दें कि पिछले साल G-23 के नेताओं ने सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को लिखे खत में पार्टी के कामकाज को लेकर अपनी नाराजगी जताई थी. इन नेताओं ने कांग्रेस के सांगठनिक चुनाव को तत्काल कराने सहित संगठन में जरूरी बदलाव की मांग भी की थी.
गुलाम नबी के नेतृत्व में जम्मू पहुंचे ये नेता इस समारोह में गुलाम नबी आजाद और राज बब्बर के अलावा, पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी, विवेक तन्खा और भूपिंदर सिंह हुड्डा मौजूद हैं। गुलाम नबी गांधी ग्लोबल फैमिली एनजीओ के प्रमुख हैं। माना जा रहा था कि ये नेता कांग्रेस के कामकाज पर सवाल उठा सकते हैं।
जी-23 चाहता है कि कांग्रेस मजबूत बने’ इस मौके पर यूपी कांग्रेस के पूर्व चीफ और जी-23 के नेता राज बब्बर भी मौजूद थे। राज बब्बर ने मंच से कहा, ‘लोग कहते हैं, जी 23, मैं कहता हूं गांधी 23। महात्मा गांधी के विश्वास, संकल्प और सोच के साथ, इस देश के कानून और संविधान का गठन किया गया था। कांग्रेस इसे आगे ले जाने के लिए मजबूती से खड़ी है। जी 23 चाहता है कि कांग्रेस मजबूत बने।’
लोग कहते हैं- जी 23, मैं कहता हूं गांधी 23। महात्मा गांधी के विश्वास, संकल्प और सोच के साथ, इस देश के कानून और संविधान का गठन किया गया था। कांग्रेस इसे आगे ले जाने के लिए मजबूती से खड़ी है। जी 23 चाहता है कि कांग्रेस मजबूत बने।
राहुल के बयान से नाखुश है जी-23! यह भी कहा जा रहा है कांग्रेस में अंसतुष्ट नेताओं का समूह राहुल गांधी के हालिया ‘उत्तर-दक्षिण की राजनीति’ वाली टिप्पणी से नाखुश है। कांग्रेस के ये नेता गुलाम नबी आजाद को राज्यसभा के लिए फिर से नामित न किए जाने से भी नाराज हैं। पिछले दिनों गुलाम नबी आजाद का कार्यकाल समाप्त हो गया था जिसके बाद उन्हें विदाई दी गई। आजाद की विदाई समारोह में पीएम मोदी ने सदन में उनकी काफी तारीफ की थी। इसके कई मायने निकाले गए थे।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2021/02/27_02_2021-azad_in_congress_program_21410973.jpg540650Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2021-02-27 12:12:172021-02-27 12:38:10कांग्रेस ओहदा दे सकती है पर नेता वही बनते हैं जिनको लोग मानते हैं' : आनंद शर्मा
केंद्र सरकार ने OTT, न्यूज पोर्टल और सोशल मीडिया के लिए गाइडलाइंस का ऐलान कर दिया है. केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और प्रकाश जावडेकर ने इन गाइडलाइंस के बारे में जानकारी दी। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि भारत में व्यापार करने के लिए सोशल मीडिया का स्वागत है, लेकिन सोशल मीडिया में ऐसे ऐसे प्रेजेंटेशन आ रहे हैं, जो किसी भी तरह से सभ्य नहीं कहे जा सकते हैं, ऐसी शिकायतें हमारे पास बहुत आई थीं। रविशंकर ने कहा कि सोशल मीडिया यूजर्स की समस्या के लिए फोरम होना चाहिए। सोशल मीडिया का इस्तेमाल नफरत फैलाने के लिए किया जा रहा है। सोशल मीडिया का इस्तेमाल आतंकी भी कर रहे हैं। सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल की कई सालों से शिकायतें आ रही हैं, फेक न्यूज की ये हालत है कि कई न्यूज चैनल को फैक्ट चेक सेल बनाना होगा।
सोशल मीडिया इंटरमीटियरीज और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के लिए गाइडलाइंस जारी
यूजर्स को मिलेगी और ताकत, कंपनियों को बनाना पड़ेगा प्रॉपर मैकेनिज्म
सोशल मीडिया कंपनियों को यूजर्स वेरिफिकेशन का सिस्टम बनाना होगा
OTT प्लेटफॉर्म्स को सेल्फ रेगुलेशन पर देना होगा ध्यान, सख्ती नहीं
नई दिल्ली(ब्यूरो):
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट को लेकर नई गाइडलाइंस जारी कर दी हैं. नए नियमों के मुताबिक अब सोशल मीडिया कंपनियों को किसी ट्वीट या मैसेज के ओरिजिनेटर के बारे में जानकारी देनी होगी। वॉट्सऐप जैसी कंपनियां जो इंड-टू-इंड एनक्रिप्शन देती हैं उनके लिए ये नियम मुश्किल पैदा करने वाले हो सकते हैं।
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद (Ravi Shankar Prasad) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, ‘हमने कोई नया कानून नहीं बनाया है। हमने ये नियम वर्तमान आईटी एक्ट के दायरे में रहते हुए बनाए हैं। हम प्लेटफॉर्म्स पर भरोसा करते हैं कि वो नियमों का पू
सोशल मीडिया के लिए नई पॉलिसी
प्रसाद ने कहा, “सोशल मीडिया कंपनीज का भारत में कारोबार करने के लिए स्वागत है। इसकी हम तारीफ करते हैं। व्यापार करें और पैसे कमांए।” उन्होंने कहा कि सरकार असहमति के अधिकार का सम्मान करती है लेकिन यह बेहद जरूरी है कि यूजर्स को सोशल मीडिया के दुरुपयोग को लेकर सवाल उठाने के लिए फोरम दिया जाए। प्रसाद ने कहा कि हमारे पास कई शिकायतें आईं कि सोशल मीडिया पर मार्फ्ड तस्वीरें शेयर की जा रही हैं। आतंकी गतिविधियों के लिए इनका इस्तेमाल हो रहा है। प्रसाद ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के दुरुपयोग का मसला सिविल सोसायटी से लेकर संसद और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है।
सोशल मीडिया पॉलिसी में क्या है?
दो तरह की कैटिगरी हैं: सोशल मीडिया इंटरमीडियरी और सिग्निफिकेंट सोशल मीडिया इंटरमीडियरी।
सबको ग्रीवांस रीड्रेसल मैकेनिज्म बनाना पड़ेगा। 24 घंटे में शिकायत दर्ज होगी और 14 दिन में निपटाना होगा।
अगर यूजर्स खासकर महिलाओं के सम्मान से खिलवाड़ की शिकायत हुई तो 24 घंटें में कंटेंट हटाना होगा।
सिग्निफिकेंड सोशल मीडिया को चीफ कम्प्लायंस ऑफिसर रखना होगा जो भारत का निवासी होगा।
एक नोडल कॉन्टैक्ट पर्सन रखना होगा जो कानूनी एजेंसियों के चौबीसों घंटे संपर्क में रहेगा।
मंथली कम्प्लायंस रिपोर्ट जारी करनी होगी।
सोशल मीडिया पर कोई खुराफात सबसे पहले किसने की, इसके बारे में सोशल मीडिया कंपनी को बताना पड़ेगा।
हर सोशल मीडिया कंपनी का भारत में एक पता होना चाहिए।
हर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के पास यूजर्स वेरिफिकेशन की व्यवस्था होनी चाहिए।
सोशल मीडिया के लिए नियम आज से ही लागू हो जाएंगे। सिग्निफिकेंड सोशल मीडिया इंटरमीडियरी को तीन महीने का वक्त मिलेगा।
लाल किले पर हिंसा का किया जिक्र
सभी सोशल मीडिया का स्वागत है लेकिन बड़े आदर से कहूंगा कि डबल स्टैंडर्ड्स नहीं होने चाहिए। अगर कैपिटल हिल में कांग्रेस पर हमला होता है तो सोशल मीडिया पुलिस कार्यवाही का समर्थन करता है लेकिन लाल किले पर आक्रामक हमला होता है तो आप डबल स्टैंडर्ड दिखाते हैं, ये किसी लिहाज से स्वीकार्य नहीं है।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि ‘सरकार ने समझा कि मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए एक लेवल-प्लेइंग फील्ड होना चाहिए इसलिए कुछ नियमों का पालन करना पड़ेगा। लोगों की मांग भी बहुत थी।’
ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के लिए क्या हैं गाइडलाइंस?
OTT और डिजिटल न्यूज मीडिया को अपने बारे में विस्तृत जानकारी देनी होगी। रजिस्ट्रेशन अनिवार्य नहीं है।
दोनों को ग्रीवांस रीड्रेसल सिस्टम लागू करना होगा। अगर गलती पाई गई तो खुद से रेगुलेट करना होगा।
OTT प्लेटफॉर्म्स को सेल्फ रेगुलेशन बॉडी बनानी होगी जिसे सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज या कोई नामी हस्ती हेड करेगी।
सेंसर बोर्ड की तरह OTT पर भी उम्र के हिसाब से सर्टिफिकेशन की व्यवस्था हो। एथिक्स कोड टीवी, सिनेमा जैसा ही रहेगा।
डिजिटल मीडिया पोर्टल्स को अफवाह और झूठ फैलाने का कोई अधिकार नहीं है।
दूसरी तरफ, इंटरनेट ऐंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) ने केंद्र सरकार से ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को रेगुलेट करने से पहले स्टेकहोल्डर्स से बातचीत करने की अपील की है। पूरी दुनिया में नेटफ्लिक्स, प्राइम और हॉटस्टार (डिज्नी प्लस) सहित कम से कम 40 ओटीटी प्लेटफॉर्म हैं।
SC तक जा चुका है मामला
केंद्र सरकार ने पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि वह ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को रेगुलेट करने के क्या कदम उठाने पर विचार कर रही है। पिछले साल अक्टूबर में, सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न ओटीटी/स्ट्रीमिंग और डिजिटल मीडिया प्लेटफार्मों पर कंटेंट की निगरानी और प्रबंधन के लिए एक उचित संस्थान की स्थापना के लिए जनहित याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा था।
संसद में भी गूंज चुका है मुद्दा
बीजेपी के कई सांसदों ने 12 फरवरी को लोकसभा में वेब सीरीज को सेंसरशिप के दायरे में लाने की मांग की थी। बीजेपी सांसदो का कहना था कि मोबाइल पर वेब सीरीज के माध्यम से हिंसा, गालियां परोसी जा रही हैं। धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई जा रही है। इसके लिए सेंसरशिप की व्यवस्था की जाए।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2021/02/OTT-Guidelines.jpg400700Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2021-02-25 13:59:312021-02-25 14:12:40OTT और सोशल मीडिया के लिए बेहद सख्त हुए नियम, नई गाइडलाइंस जारी
प्रचंड ने कहा, ‘‘हमने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस बात से अवगत कराया है कि ओली के कदम से लोकतंत्र का क्षरण हुआ है और हम भारत, चीन सहित यूरोपीय संघ तथा अमेरिका से देश के संघीय ढांचे और लंबे संघर्ष के बाद हासिल किये गये लोकतंत्र के प्रति समर्थन मांग रहे हैं.’’ भारत ने संसद भंग करने और नये चुनाव कराने के ओली के फैसले को नेपाल का आंतरिक मामला बताते हुए कहा है कि इस बारे में पड़ोसी देश को ही अपनी लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के मुताबिक फैसला करना होगा.
नयी दिल्ली(ब्यूरो):
नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ के नेतृत्व वाले गुट ने केपी ओली के संसद भंग करने के कदम के खिलाफ भारत और चीन से समर्थन की मांग की है. प्रचंड ने मंगलवार को कहा कि उनकी पार्टी ने संसद भंग करने के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के “असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक” कदम के खिलाफ भारत और चीन सहित अंतरराष्ट्रीय समुदाय से समर्थन की अपील की है.
केपी ओली ने प्रचंड के साथ सत्ता को लेकर रस्साकशी के बीच एक आश्चर्यजनक कदम उठाते हुए पिछले साल 20 दिसंबर को प्रतिनिधि सभा भंग कर दी थी, जिसके बाद नेपाल में राजनीतिक संकट गहरा गया. 275 सदस्यीय सदन को भंग करने के उनके कदम का पार्टी के प्रचंड के नेतृत्व वाले धड़े ने विरोध किया था. प्रचंड सत्तारूढ़ पार्टी NCP के सह-अध्यक्ष भी हैं.
प्रचंड ने काठमांडू में अंतरराष्ट्रीय मीडिया के एक समूह से बातचीत में कहा, ‘‘यदि हमें संघीय ढांचे एवं लोकतंत्र को मजबूत करना है तो प्रतिनिधि सभा को बहाल करना होगा और शांति प्रक्रिया को तार्किक निष्कर्ष तक ले जाना होगा.’’ उन्होंने बुधवार को काठमांडू में होने वाली अपने धड़े की एक विशाल विरोध रैली से पहले कहा, ‘‘मेरा मानना है कि उच्च्तम न्यायालय प्रतिनिधि सभा भंग करने के प्रधानमंत्री ओली के असंवैधानिक एवं अलोकतांत्रिक कदम को स्वीकृति नहीं देगा. ’’
प्रचंड ने चेतावनी दी कि यदि सदन को बहाल नहीं किया गया तो देश एक गंभीर राजनीतिक संकट में चला जाएगा. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने पड़ोसी देशों भारत और चीन सहित अंतरराष्ट्रीय समुदाय से ओली के इस असंवैधानिक एवं अलोकतांत्रिक कदम के खिलाफ उनके (प्रचंड नीत धड़े के) जारी संघर्ष को समर्थन देने की अपील की है.
प्रचंड ने कहा , ‘‘हमने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस बात से अवगत कराया है कि ओली के कदम से लोकतंत्र का क्षरण हुआ है और हम भारत, चीन सहित यूरोपीय संघ तथा अमेरिका से देश के संघीय ढांचे और लंबे संघर्ष के बाद हासिल किए गए लोकतंत्र के प्रति समर्थन मांग रहे हैं.’’
भारत ने संसद भंग करने और नए चुनाव कराने के ओली के फैसले को नेपाल का आंतरिक मामला बताते हुए कहा है कि इस बारे में पड़ोसी देश को ही अपनी लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के मुताबिक फैसला करना होगा. हालांकि, चीन ने सत्तारूढ़ पार्टी को विभाजित होने से रोकने की अपनी कोशिश के तहत पिछले साल दिसंबर में चार सदस्यीय एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भेजा था, जिसने एनसीपी के कई शीर्ष नेताओं के साथ अलग-अलग बैठकें की थीं.
यह पूछे जाने पर कि क्या ओली(68) ने किसी दूसरे देश के प्रभाव में आकर संसद भंग करने का फैसला किया था, प्रचंड ने कहा, ‘‘हमें अपने आंतरिक मामलों में विदेशी तत्वों को शामिल नहीं करने की जरूरत है क्योंकि इस तरह की चीजें बाहरी माहौल के बजाय आंतरिक स्थिति से कहीं अधिक निर्धारित होंगी. ’’ केपी ओली, चीन के प्रति झुकाव रखने को लेकर जाने जाते हैं.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2021/02/581552-nepal.jpg400700Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2021-02-09 16:01:012021-02-09 16:01:25लोकतन्त्र बचाने को चीन की शरण में नेपाल के प्रचंड, भारत से भी लगाई गुहार
डिफेंस रिसर्च एंड डिवेलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) ने आकाश-एनजी (नेक्स्ट जेनरेशन) मिसाइल का सोमवार को सफल परीक्षण किया। इंडियन एयरफोर्स के लिए तैयार किए गए अगली पीढ़ी के इस मिसाइल ने टारगेट को सफलतापूर्वक ध्वस्त किया। ओडिशा के इंडिग्रेटेड टेस्ट रेंज से एक सैन्य वाहन से इसे लॉन्च किया गया।
DRDO ने कहा कि आकाश-एनजी एक नई पीढ़ी का सरफेस-टू-एयर मिसाइल है जिसका उपयोग भारतीय वायुसेना द्वारा हवाई खतरों को रोकने के उद्देश्य से किया जाता है। मिसाइल ने अपने लक्ष्य को ढूंढ निकाला और सटीकता के साथ उसे ध्वस्त कर दिया। मिसाइल का परीक्षण सभी मानकों पर सफल रहा।
आकाश मिसाइल का वजन 720 किलोग्राम है और इसकी लंबाई 19 फीट है। यह 60 किलोग्राम के भार वाले हथियारों को ले जाने में सक्षम है। इसकी मारक क्षमता 40 से 60 किलोमीटर तक की है। यह मिसाइल 4321 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भरती है। यानी एक सेकेंड में 1.20 किलोमीटर। दुश्मन जब तक इसको रोकने का प्रयास करेगा तब तक यह उसे मार कर नेस्तनाबूद कर देगी। इसको एंटी मिसाइल के तौर पर भी उपयोग में लाया जा सकता है।
#DRDO 🇮🇳 conducted successful maiden launch of Akash-NG (New Generation) Missile from Integrated Test Range off the coast of Odisha.#Akash_NG is a new generation Surface-to-Air Missile meant for use by #IndianAirForce with an aim of intercepting high manoeuvring aerial threats. pic.twitter.com/Z49KBHrpTQ
पिछले दिनों आकाश मिसाइल की खरीद में दक्षिण एशिया के नौ देशों एवं अफ्रीकी मित्र देशों ने रुचि दिखाई। कुछ मित्र देशों ने आकाश मिसाइल के अतिरिक्त तटीय निगरानी प्रणाली, रडार तथा एयर प्लेटफॉर्म को भी खरीदने में अपना रुझान दिखाया है।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित आकाश मिसाइल की तकनीक एवं विकास 96 प्रतिशत स्वदेशी है। भारत ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि भारत आकाश मिसाइल केवल उन्हीं देशों को बेचेगा जिनसे उसके बेहतर एवं मैत्रीपूर्ण संबंध हैं।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2021/01/D8EberlVUAEwMUy.jpg721719Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2021-01-25 12:31:112021-01-25 12:37:33आकाश-एनजी मिसाइल का सफल परीक्षण
LAC पर चल रहे भारत और चीन के विवाद के बीच एक बार फिर सिक्किम में दोनों पक्षों में झड़प हुई है। कहा जा रहा है कि तीन दिन पहले चीन ने भारत की सीमा में घुस कर यथास्थिति को बदलने का प्रयास किया, लेकिन तभी भारतीय सैनिकों ने उन्हें रोका और खदेड़ कर वापस उनके क्षेत्र में भेज दिया। इस दौरान ही झड़प भी हुई, जिसमें 20 चीनी सैनिक घायल हुए। वहीं भारत के भी 4 जवानों को चोटें आईं।
मीडिया खबरों के अनुसार, सिक्किम के नाकुला में यह झड़प हुई थी, जिसके कारण वहाँ हालात तनावपूर्ण हैं लेकिन स्थिति अब काबू में हैं। कहा जा रहा है कि झड़प के दौरान हथियारों का इस्तेमाल नहीं हुआ, मगर दोनों देशों के सैनिकों को चोटें आई हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भारतीय क्षेत्र के साथ सभी प्वाइंट पर मौसम की स्थिति खराब होने के बावजूद कड़ी चौकसी बरती जा रही है।
It's clarified that there was a minor face-off between Indian Army & Chinese PLA troops at Naku La, Sikkim on 20th January. It was resolved by local commanders as per established protocols: Indian Army https://t.co/nFLWUNb2kx
गौरतलब है कि भारत-चीन सैनिकों के बीच इस झड़प के बाद पूर्वी लद्दाख के मोल्डो में भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच बैठक हुई। करीब 15 घंटे चली इस बैठक का निष्कर्ष अभी सामने नहीं आया है। लेकिन इसके जरिए तनाव को कम करने की अपील की गई। इसके अलावा यह भी खबर है कि चीनी सेना ने पूर्वी लद्दाख से अपने 10,000 सैनिकों को वापस बुला लिया है। हालाँकि कुछ सेना की तैनाती अब भी है इसलिए भारतीय जवान भी पीछे नहीं हुए हैं।
यहाँ बता दें कि साल 2017 में डोकलाम विवाद के बाद लद्दाख में पिछले साल भारत और चीनी सैनिक एक-दूसरे के सामने आए थे। 15 जून 2020 को गलवान घाटी पर हुई भिड़ंत के दौरान 20 भारतीय जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे। वहीं 43 चीनी सैनिकों के भी मारे जाने की खबर सामने आई थी, लेकिन चीन ने मरने वाले सैनिकों की संख्या का खुलासा नहीं किया था।
Over 20 Chinese PLA soldiers injured during the Naku La clash near Sikkim border. 4 injured on Indian side. Indian Army patrol had challenged the Chinese patrol which led to the brawl. India has taken up the matter militarily & diplomatically with Beijing. Official word awaited.
उल्लेखनीय है कि पिछले साल जून में LAC पर हुई हिंसा 1975 के बाद पहली ऐसी हिंसा थी जिसमें सैनिकों ने जान गॅंवाई। चीन ने भारतीय सेना पर हमला करने के लिए लाठी-ंडंडे, रॉड, हॉकी, ड्रैगन पंच, कंटीली तारों वाले हथियार आदि का इस्तेमाल किया था।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2021/01/5-चीनी-सैनिक-ढेर-11-घायल.jpg344640Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2021-01-25 09:43:282021-01-25 09:47:05LAC पर भारत और चीनी सैनिकों की झड़प
नरेंद्र चंचल की मां कैलाशवती भी भजन गाया करती थीं। मां के भजन सुनते- सुनते उनकी रुचि भक्ति संगीत में बढ़ी. नरेंद्र चंचल की पहली गुरु उनकी मां ही थीं , इसके बाद चंचल ने प्रेम त्रिखा से संगीत सीखा, फिर वह भजन गाने लगे। नरेंद्र चंचल ने अपनी गायकी से बॉलीवुड में एक खास पहचान बनाई थी. उनकी गायकी का सफर राज कपूर के समय ही शुरू हुआ था। फिल्म ‘बॉबी’ में उनके द्वारा गाया गाना ‘बेशक मंदिर मस्जिद तोड़ो’ काफी मशहूर हुआ था. इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में गाने गाए, लेकिन उन्हें पहचान मिली फिल्म ‘आशा’, में गाए माता के भजन ‘चलो बुलावा आया है’ से जिसने रातोरात उन्हें मशहूर बना दिया। हाल ही में नरेंद्र चंचल ने कोरोनावायरस महामारी को लेकर गाना गाया था जो काफी वायरल भी हुआ था।
मुंबई/ चंडीगढ़:
प्रसिद्ध भजन गायक नरेंद्र चंचल का निधन हो गया है| 80 वर्ष की आयु में उन्होने अपनी अंतिम सांस ली है| बताया जाता है कि नरेंद्र चंचल काफी समय से अस्वस्थ चल रहे थे और आज उन्होने इस दुनिया को अलविदा कह दिया| वहीँ नरेंद्र चंचल के निधन से भजन भूमि और धार्मिक क्षेत्र और भजन गायकों के साथ-साथ उनके भजनों का रसपान करने वालों में शोक की लहर दौड़ गई है| चंचल की आवाज बेहद अलग थी और वह अपनी गायकी में एक अलग और उम्दा स्थान रखते थे|
उनके निधन की खबर सामने आते ही इंडस्ट्री में शोक की लहर है। सभी उन्हें श्रद्धांजली दे रहे हैं। उनके निधन पर देश के प्रधानमंत्री ने भी शोक व्यक्त किया है।
लोकप्रिय भजन गायक नरेंद्र चंचल जी के निधन के समाचार से अत्यंत दुख हुआ है। उन्होंने भजन गायन की दुनिया में अपनी ओजपूर्ण आवाज से विशिष्ट पहचान बनाई। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम् शांति!
मशहूर सिंगर दलेर मेहंदी ने ट्वीट कर उनके निधन पर शोक जताया साथ ही उन्हें श्रद्धांजली भी अर्पित की।
Deeply saddened to learn that iconic and most loved #NarendraChanchal ji has left us for the heavenly abode. In prayers for his soul to rest in peace. Heartfelt condolences to his family and legions of fans. 🙏 pic.twitter.com/zXEBN07MbM
उनके अलावा हरभजन सिंह ने भी नरेंद्र चंचल के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
Deeply saddened to learn that iconic and most loved #NarendraChanchal ji has left us for the heavenly abode. In prayers for his soul to rest in peace. Heartfelt condolences to his family 🙏🙏
बतादें कि, नरेंद्र चंचल का जन्म 16 अक्टूबर, 1940 को अमृतसर के नामक मंडी में एक धार्मिक पंजाबी परिवार में हुआ था। 22 जनवरी, 2021 को उनका निधन हो गया। वह एक धार्मिक माहौल में बड़े हुए, जिसने उन्हें भजन और आरती गाने के लिए प्रेरित किया। नरेंद्र चंचल ने हिंदी फिल्मों में भजन दिए जो कि सुपर से सुपरहिट रहे| नरेंद्र चंचल का ”चलो बुलावा आया है माता ने बुलाया है’ गाना बेहद सुपरहिट रहा और भक्तों के बेहद करीब| नरेंद्र चंचल के शो भी होते थे जहाँ उनके मुख से भजन सुनने के लिए लोगों का ताँता लग जाता था| चंचल एक भक्त और भगवान के मिलन का एक समा बांध देते थे| बेहतरीन भजनों के लिए नरेंद्र चंचलको हमेशा याद किया जायेगा|
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2021/01/navbharat-times-1.jpg405540Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2021-01-22 10:33:432021-01-22 10:36:10माँ भगवती के लाडले भजन गायक 'नरेंद्र चंचल' नहीं रहे, वह 80 वर्ष के थे