परमजीत सिंह बने समता पार्टी के चंडीगढ़ प्रदेश अध्यक्ष

डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़, 18 जुलाई :

समता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय मंडल ने परमजीत सिंह को चण्डीगढ़ में पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष मनोनीत किया है। इस नियुक्ति से पार्टी को यहाँ अपनी पकड़ मजबूत करने की उम्मीद है।

परमजीत सिंह इससे पहले शिवसेना (उद्धव ) के प्रदेश अध्यक्ष के पद पर कार्यरत थे और उन्होंने अपने नेतृत्व में पार्टी को एक नई दिशा देने का प्रयास किया था। समता पार्टी में शामिल होकर और चंडीगढ़ प्रदेश अध्यक्ष का पदभार संभालते हुए, उन्होंने पार्टी हाईकमान का धन्यवाद व्यक्त किया और पूरी निष्ठा एवं समर्पण के साथ कार्य करने का वादा किया।

पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें इस नई जिम्मेदारी के लिए बधाई दी और उनके नेतृत्व में पार्टी के उज्ज्वल भविष्य की कामना की।  बधाई देने वालों में नूर हसन, विश्वजीत शाही, संजीव भारद्वाज, महावीर सिंह, निर्मल झा और तरुणेश देवलेकर प्रमुख रूप से शामिल थे। सभी ने उम्मीद जताई कि परमजीत सिंह के नेतृत्व में समता पार्टी चण्डीगढ़ में एक मजबूत और प्रभावी संगठन के रूप में उभरेगी। 

चुनाव से पहले झारखंड में कांग्रेस को एक बड़ा झटका

चुनाव से पहले झारखंड में कांग्रेस को एक बड़ा झटका मिला है। राज्‍य के पूर्व मुख्‍यमंत्री मधु कोड़ा की पत्‍नी व पश्चिम सिंहभूम जिले की सांसद गीता कोड़ा ने पार्टी से इस्‍तीफा दे दिया है। आज कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गई हैं। बताया जा रहा है कि बीते कुछ दिनों से वो गठबंधन से नाराज चल रही थीं।

डेमोक्रेटिक फ्रंट संवाददाता, रांची। 

झारखंड में चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका मिला है। राज्‍य के पूर्व मुख्‍यमंत्री मधु कोड़ा की पत्‍नी व पश्चिम सिंहभूम जिले की सांसद गीता कोड़ा ने पार्टी से इस्‍तीफा दे दिया है। वह अब भाजपा संग जुड़ गई हैं। झारखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने उन्‍हें पार्टी में शामिल कराया। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, वह राज्‍य में कांग्रेस पार्टी द्वारा किए गए गठबंधन से खुश नहीं हैं। 

गीता कोड़ा 2019 में कांग्रेस के लिए झारखंड से एकमात्र सांसद थीं। जनवरी 2022 में गृहमंत्री अमित शाह के झारखंड दौरे के बाद से ही उनके बीजेपी में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही थीं। हालांकि उन्होंने इन अटकलों पर अक्सर विराम लगाया। लेकिन 26 फरवरी 2024 को उन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी का दामन थाम लिया। बाबूलाल मरांडी ने कहा कि कोड़ा दंपति का भाजपा से पुराना लगाव रहा है। वह कतिपय परिस्थितियों से भाजपा से अलग हुए थे, लेकिन अब एक बार फिर पुराने घर में आ गए हैं। गीता कोड़ा ने कहा कि मैं आज बीजेपी में शामिल हो गई। कांग्रेस ने तुष्टिकरण की राजनीति करके देश को संकट में डाल दिया है। पार्टी कहती है कि वह सभी को साथ लेकर चलेगी, लेकिन वह केवल अपने परिवार को साथ लेकर चलती है।

गीता कोड़ा 2019 में कांग्रेस के लिए झारखंड से एकमात्र सांसद थीं। जनवरी 2022 में गृहमंत्री अमित शाह के झारखंड दौरे के बाद से ही उनके बीजेपी में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही थीं। हालांकि उन्होंने इन अटकलों पर अक्सर विराम लगाया। लेकिन 26 फरवरी 2024 को उन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी का दामन थाम लिया। बाबूलाल मरांडी ने कहा कि कोड़ा दंपति का भाजपा से पुराना लगाव रहा है। वह कतिपय परिस्थितियों से भाजपा से अलग हुए थे, लेकिन अब एक बार फिर पुराने घर में आ गए हैं। गीता कोड़ा ने कहा कि मैं आज बीजेपी में शामिल हो गई। कांग्रेस ने तुष्टिकरण की राजनीति करके देश को संकट में डाल दिया है। पार्टी कहती है कि वह सभी को साथ लेकर चलेगी, लेकिन वह केवल अपने परिवार को साथ लेकर चलती है।

129/000 वोट से नीतीश सरकार बहुमत परीक्षण में पास

बिहार में आज सियासत का सुपर मंडे है। बिहार विधानसभा में नीतीश कुमार ने विश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया है। वहीं स्पीकर अवध बिहारी चौधरी अपने ऊपर लगे अविश्वास प्रस्ताव में हार गए। नीतीश कुमार ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि हम इनको इज्जत दिए और हमें पता चला ये लोग कमा रहे हैं।  बीजेपी ने ऐसा कभी नहीं किया. ये विधायकों को एक साथ रखे।  सबको कितना लाख रुपया दे रहे थे, हम सबकी जांच कराएंगे। नीतीश कुमार ने कांग्रेस विधायकों को सलाह देते हुए कहा कि आपको कोई दिक्क़त हो तो हमारे पास आइयेगा। इससे पहले माले विधायक महबूब आलम ने सीएम नीतीश की तुलना गिरगिट से कर दी। इसके पक्ष में 125 वोट पड़े जबकि विपक्ष में 112 वोट डले। इस दौरान तेजस्वी यादव को विधानसभा में रामायण भी याद आई। उन्होंने नीतीश की तुलना राजा दशरथ और खुद की श्रीराम से की। हालांकि तेजस्वी यादव के ही एक विधायक चंद्रशेखर यादव ने रामचरितमानस पर ही सवाल उठाए थे। हालांकि अपनी बात कहकर तेजस्वी विधायकों समेत विधानसभा से वॉकआउट कर गए। 

  • विश्वास मत के पक्ष में 129 वोट, विपक्ष का बहिष्कार
  • ध्वनिमत से विश्वासमत पारित, विपक्ष का वॉक आउट
  • नीतीश कुमार बोले- अगर नहीं सुनना हैं, तो सीधे वोटिंग करा दिया जाए
  • क्या मोदीजी गारंटी लेंगे कि नीतीश कुमार जी आगे नहीं पलटेंगे : तेजस्वी यादव

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ – 12 फरवरी :

बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विश्वासमत हासिल कर लिया है। उन्होंने राजद का दामन छोड़ कर हाल ही में भाजपा का हाथ थामा था, जिसके बाद उन्हें 9वीं बार राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेनी पड़ी थी। इसके बाद नई गठबंधन सरकार को विश्वासमत हासिल करना था। राजद के विधायकों चेतन आनंद और नीलम देवी ने जदयू-भाजपा गठबंधन को वोट दिया। सत्ताधारी गठबंधन में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम माँझी की HAM भी शामिल है।

नीतीश कुमार ने सोमवार विश्वास मत हासिल कर लिया। विश्वास मत पर चर्चा के दौरान नीतीश कुमार ने आरजेडी के साथ ही साथ कांग्रेस को भी निशाने पर लिया। नीतीश कुमार ने बिना नाम लिए राहुल गांधी की ओर भी इशारा किया और यह बताया कि वह पुरानी जगह क्यों लौट आए। विधानसभा में बोलते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि हम इतने दिन तक मेहनत किए उसका कुछ हुआ। सबको एकजुट करने की कोशिए, मेहनत किए उसका कुछ हुआ। नीतीश कुमार ने कहा कि अंत में हमको पता चला कि इनकी पार्टी भी कांग्रेस भी इधर से उधर कर रही है। उनको डर लग रहा था और उधर साथ थे। उन्होंने कहा कि तब हमको पता चल गया कि कुछ होने वाला नहीं है। इसके बाद हम पुरानी जगह आ गए हैं और सब दिन के लिए आ गए हैं।

129 विधायकों ने जहाँ नीतीश कुमार के पक्ष में मतदान किया, वहीं विपक्षी दलों ने सदन के वॉकआउट का रास्ता चुना। इस तरह अब नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बने रहेंगे। उससे पहले मुख्यमंत्री ने सदन में संबोधन देते हुए कहा कि को 2015 में ‘7 निश्चय’ लेकर आए थे, जो पूरा का पूरा उनका आईडिया ही था। उन्होंने कहा कि जब वो सत्ता में आए तब उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम का झगड़ा बंद कराया। उन्होंने 2005 से पहले के इतिहास का बात करते हुए कहा कि उस समय के मामलों में भी कार्रवाई उनके सत्ता में आने के बाद ही शुरू हुई।

नीतीश कुमार ने कहा कि हम बिहार के विकास के लिए, लोगों के हित में काम करते रहेंगे। उन्होंने तेजस्वी यादव के आवास में राजद विधायकों को रखे जाने के संबंध में कहा कि पैसा कहाँ से आया, इसकी जाँच करवाई जाएगी। नीतीश कुमार ने कहा कि अब वो अपनी पुरानी जगह वापस आ गए हैं। फ्लोर टेस्ट से पहले स्पीकर अवध बिहारी चौधरी को हटाने के लिए मतदान हुआ। उप-मुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने भी जिक्र किया कि कैसे लालू परिवार ने जमीन लेकर नौकरियाँ दी।

नीतीश कुमार ने राजद के एक अन्य विधायक प्रह्लाद यादव को भी तोड़ दिया। वो भी आनंद मोहन के बेटे चेतन और अनंत सिंह की पत्नी नीलम के साथ सत्ताधारी पक्ष वाली बेंच पर बैठे नज़र आए। जहाँ चेतन आनंद राजपूत समाज से आते हैं, अनंत सिंह भूमिहार बिरादरी और प्रह्लाद यादव बिहार के बहुसंख्यक OBC यादव समाज से आते हैं जो राजद समीकरण का वोट बैंक रहा है। चेतन आनंद ने फेसबुक पर लिखा भी, ‘ठाकुर के कुएँ में पानी बहुत है, सबको पिलाना है।” बता दें कि राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने संसद में ‘ठाकुर का कुआँ’ कविता पढ़ कर विवाद पैदा कर दिया था।

झारखंड के DGP और मुख्य सचिव CM आवास पहुंचे, हेमंत सोरेन हो सकते हैं गिरफ्तार

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के रांची स्थित आवास के बाहर हलचल काफी बढ़ गई है। सीएम आवास की ओर आने-जाने वाले ट्रैफिक को दूसरी ओर डायवर्ट कर दिया गया है। वहीं हेमंत सोरेन से पिछले 6 घंटों से पूछताछ चल रही है।जमीन घोटाला मामले में पिछले 6 घंटे से ईडी की टीम मुख्यमंत्री से पूछताछ कर रही है। झारखंड में बढ़ती सियासी हलचल के बीच राजभवन से विधायकों को मिलने का समय दिया गया है। थोड़ी देर में राज्यपाल से झामुमो के विधायक मुलाकात करेंगे।

  1. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से ईडी की पूछताछ जारी
  2. हेमंत सोरेन कल अचानक से अंडरग्राउंड हो गए थे, जिसके बाद उनकी तलाशी शुरू हो गई थी

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ – 31 जनवरी :

कथित जमीन घोटाला मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से पूछताछ करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम मुख्यमंत्री आवास पहुंच गई है। सीएम आवास पर विधायक भी मौजूद हैं. वहीं रांची में सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था की गई है। जगह-जगह फोर्स की तैनाती भी की गई है। ईडी के समन पर हेमंत सोरेन ने खुद ही ईडी के जवाब में आज दोपहर का समय दिया था। हाल ही में हेमंत सोरेन अचानक से गायब भी हो गए थे, जिसके बाद ईडी उनकी तलाश में जुट गई थी। हालांकि सोमवार की देर रात को हेमंत सोरेन फिर रांची पहुंच गए।

वहीं हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी की अटकलों के साथ-साथ उनकी पत्नी कल्पना सोरेन को सीएम बनाए जाने की भी संभावना जताई जा रही है, जिसके लिए बैठकों का दौर जारी है। हेमंत सोरेन अब से कुछ देर में रांची स्थित ईडी के दफ्तर पहुंचेंगे।

इससे पहले मुख्यमंत्री सोरेन 30 जनवरी को 40 घंटे बाद दिल्ली से अचानक रांची पहुंचे। मुख्यमंत्री सोरेन ने दिल्ली से रांची तक सड़क मार्ग के जरिए 12 किलोमीटर से ज्यादा की यात्रा की। यहां उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा के सीनियर लीडर्स और विधायकों से मुलाकात की। इस बैठक में मुख्यमंत्री सोरेन की बीवी कल्पना सोरेन की भी मौजूदगी रही। ऐसे में अटकलें लगाई जा रही है कि हेमंत सोरेन की बीवी को सीएम की बागडोर सौंपी जाएगी। 

वहीं, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ED अधिकारियों पर SC/ST Act के तहत मुकदमा दर्ज करावाई है। उन्होंने अपनी शिकायत में कहा है, “ED के अधिकारियों ने 30 जनवरी को दिल्ली में मौजूद दफ्तर छापेमारी की थी. इससे मुझे और मेरे पूरे समुदाय को परेशान करने और बदनाम करने की कोशिश की गई है।”

सीएम ने आगे कहा, “27 और 28 जनवरी को मैं दिल्ली के दौरे पर था. इस दौरान मैं  दिल्ली में मौजूद 5/1 शांति निकेतन, जिसे झारखंड राज्य के जरिए निवास और दफ्तर यूज के लिए लीज पर लिया गया है, मैं उसमें रुका था। मुझे पता चला कि इन अधिकारियों ने मेरे आधिकारिक दफ्तर पर तलाशी ली थी। ये छापेमारी मुझे सूचना दिए बिना की गई थी।”

बज रही खतरे की घंटी

  • बज रही खतरे की घंटी
  • भारतीय परिवारों की बचत घटी
  • घर और गाड़ियों के लिए जमकर ले रहे कर्ज

पीयूष पयोधि, डेमोक्रेटिक फ्रंट, बिहार : 01 जनवरी   :

पीयूष पयोधि

भारत को बचत का देश कहा जाता रहा है. बचत की इसी आदत के चलते भारत ने 2008 की ग्लोबल आर्थिक मंदी जैसी विकराल समस्याओं को भी आसानी से झेल लिया था. मगर, अब हैरान करने वाले आंकड़े सामने आए हैं. भारतीय परिवारों की बचत लगातार घट रही है. मगर, उनके पास घरों और गाड़ियों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. हालांकि, अर्थशास्त्रियों के अनुसार अभी भी भारतीय परिवारों की कर्ज चुकाने की क्षमता दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से ज्यादा है।

पिछले दो साल में भारतीय परिवारों की शुद्ध बचत का आंकड़ा लगभग 4 फीसदी कम हुआ है. वित्त वर्ष 2022-23 में यह जीडीपी का 5.1 फीसदी रहा है. जबकि 2020-21 में यही आंकड़ा 11.5 फीसदी था. फिलहाल यह लंबे समय से चले आ रहे औसत आंकड़े 7 से 7.5 फीसदी से काफी नीचे जा चुका है. भारत के लोग अब रियल एस्टेट और गाड़ियां खरीदने पर ज्यादा पैसा खर्च कर रहे हैं. इसके चलते उन पर कर्ज बढ़ा है. फिर भी भारतीयों की कर्ज चुकाने की क्षमता अभी दुनिया के बड़े देशों से ज्यादा है।

बचत के घटने से मुश्किल समय में भारतीय परिवार दिक्कत में फंस सकते हैं. फिर भी वह अपने ऊपर तेजी से कर्ज बढ़ाते जा रहे हैं. उनकी वित्तीय देनदारियां वित्त वर्ष 2022-23 में जीडीपी के 5.8 फीसदी पर पहुंच गई हैं. वित्त वर्ष 2021-22 में यही आंकड़ा 3.8 फीसदी था. हालांकि, रिजर्व बैंक के हालिया विश्लेषण के अनुसार, बचत घटने का आंकड़ा फिलहाल स्थिर है. इस बारे में चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि भारतीय परिवार अपनी बचत का इस्तेमाल प्रॉपर्टी और वाहन बनाने में कर रहे हैं।

DGP से की तिवारी ने मांग की पिछले साल की तरह इस साल पुलिस छठ व्रतियों के साथ न करे ज्यादती

चंडीगढ़

पूर्वांचल विकास महासंघ ट्राईसिटी चंडीगढ़ के अध्यक्ष शशी  शंकर तिवारी ने चंडीगढ पुलिस महानिदेशक श्री प्रवीण कुमार रंजन से मांग की है की चंडीगढ शहर में तकरीबन लाखो की संख्या में महिला एवम पुरुष चंडीगढ में छठ व्रत को करते है ।

जिसमें बहुत ही विधि विधान से पूजा पाठ होती है ,लोग छठ घाट पर रात्रि में विश्राम भी करते है क्योंकि सुबह 4 बजे से ही लोगो को फिर सूर्य भगवान को अर्घ देने के लिए पानी में खड़ा रहना पड़ता है।

जो दूर दराज से आए छठ व्रतियों को फिर शाम को जाकर सुबह 4 बजे आना मुश्किल होता है ।

जिस कारण काफी संख्या में महिला पुरुष सेक्टर 42 छठ घाट झील के पास ही सो जाते है ।

जो पिछले साल  छठ में कुछ पुलिस अफसरों द्वारा सेक्टर 42 लेक पर छठ व्रतियों को रात में इसलिए लाठी चार्ज किया गया था  क्योंकि छठ घाट सेक्टर 42 में सो रहे थे , और उनसे कहा गया था की आप लोग

अभी खाली करके चले जाओ ।

जिसका काफी स्तर पर विरोध हुआ था। और DGP साहब के भी संज्ञान में लाया गया था।

शशि शंकर तिवारी ने DGP से आग्रह किया की , इस साल पहले ही सभी अफसरों को आगाह करदे की पिछले साल जैसे छठ व्रतियों के साथ कोई जयादती न हो और वैसे भी  DGP साहब बिहार के रहने वाले है छठ महापर्व के विषय में उन्हें विधिवत रूप से सब जानकारी है।

छठ व्रत से सबके मनोरथ पूर्ण होते हैं : परमहंस द्विवेदी

रंजना शुक्ला, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़  –  09नवम्बर  :

 छठ पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाने वाला महापर्व है जो भारत में मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में धूमधाम से मनाया जाता है।  

 इसे और भी कई अन्य नामों जैसे डाला छठ, सूर्योपासना व्रत, षष्ठी व्रत और सूर्य व्रत के नाम से जाना जाता है । इसे प्रसिद्धि मिली डाला छठ से। अगर आस्था का पर्याय कहें छठ पूजन तो गलत नही होगा, प्रमाण के लिये एक बार बिहार में गुज़ार कर तो देखे आप को उत्तर मिल जाएगा। पूरे उत्तर भारत मे या कहें तो पूरे भारत वर्ष में शारदीय नवरात्र से शुरू हो कर छठ पूजन की समाप्ति तक लगभग एक माह तक त्यौहार और पर्व का माहौल छाया रहता है। यह समय हम सभी के लिए अत्यंत खुशी लेकर आता है। क्योंकि आज के इस भागम भाग की ज़िंदगी मे ये तीज और त्यौहार ही तो है, जो एक दूसरे को जोड़े हुए है। आज हम इन्ही त्यौहारों में अति महत्वपूर्ण त्यौहार महापर्व छठ की बात करेंगे।

यह छठ पर्व उत्तर भारत से लेकर मध्य भारत तक और मॉरीशस सहित तमाम अन्य देशों में भी  मनाया जा रहा है। इसे अंतरराष्ट्रीय पर्व कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। यह ऐसा पर्व है, जो नहाय खाय से शुरू हो कर खरना, डूबते सूर्य को अर्घ्य दे कर पुनः एक बार उगते सूर्य को अर्घ्य दे कर समाप्त होने वाला अत्यंत ही कठिन निर्जला व्रत है। यह अपने भव्यता और एकता के लिए सुविख्यात है। यह एक मात्र ऐसा पर्व है जिसमे डूबते सूरज को जल दिया जाता है, अर्थात अर्घ्य दिया जाता है।

ततपश्चात दूसरे दिन ही उगते सूरज भगवान को अर्घ्य दे कर इस महापर्व की समाप्ति की जाती है। यह अर्घ्य व्रती महिलाएं नदी, तालाब में कमर तक पानी मे जाकर देती है सूर्य देवता का स्मरण करके। व्रती महिलाएं, पुरुष और बच्चे छठ के प्रसाद के साथ व्रत का पारण करते हैं।

छठ क्यो मनाते हैं? 

भारत मे मुख्य रूप से दो प्रकार के छठ का वर्णन है। पहला चैती छठ और दूसरा कार्तिक छठ है।

कार्तिक शुक्ल पक्ष के चतुर्थी को नहाय – खाय, पंचमी को खरना, षष्ठी को निर्जला व्रत के साथ सन्ध्या अर्घ्य और सप्तमी को उषा काल मे सूर्य देवता को अर्घ्य दे कर समाप्त कर प्रसाद से पारण किया जाता है।

हिन्दू मान्यता में सूर्य को यश, समृद्धि, प्रसिद्धि का देवता माना गया हैं इसलिए सर्वउद्देश्य, कार्यसिद्धि, पुत्र के तेजस्वी और दीर्घायु और अन्य शुभ फल प्राप्ति के उद्देश्य से यह व्रत किया जाता है।

सूर्य की उपासना करके ही मातायें सूर्य के समान तेज़ और यशस्वी पुत्र की कामना भी करती है, इसलिये इस पर्व को सर्वश्रेष्ठ पर्व और सर्वसिद्धि कामना वाला व्रत कहते है। पुत्र कामना पर बल इसलिये दिया जाता है कि हिन्दू मान्यता के अनुसार पुत्र ही आगे चल कर परिवार की सभी ज़िम्मेदारी को गृह मुखिया के रूप निभाता है।

ऐसा नही की यह व्रत केवल महिलाएं ही रखती है, पुरुष भी तथा बच्चे भी इस व्रत को रखते है। केवल ध्यान देना इस बात का होता है कि 36 घण्टे तक चलने वाले इस व्रत में साफ सफाई और पवित्रता का खास ध्यान रखा जाता है।

छठ पर्व का इतिहास

छठ पर्व का इतिहास देखें तो, इस पूजा में सूर्य उपासना के साथ छठी मैया का भी आहवान किया जाता है। यह पर्व भारत का सबसे पुराना त्यौहार है, जो वैदिक काल से चला आ रहा है। इस पर्व का उल्लेख तो महाभारत में भी मिलता है। अंग नरेश कर्ण सूर्यपुत्र थे और सूर्यभक्त भी थे, प्रतिदिन सूर्य भगवान की उपासना करते हुए कमर तक जल में खड़े होकर अर्घ्य दे कर पूजा को सम्पन्न करते थे। द्रोपदी ने भी पांडव के साथ इस पर्व पर सूरज भगवान की आराधना की थी।

कब मनाया जाता है?

हिंदी पंचांग की मान्यता के अनुसार कार्तिक अमावस्या को दीपावली मनाते है, तो ठीक दीवाली के 6 दिन बाद कार्तिक शुक्लपक्ष षष्ठी को छठ मनाया जाता है।

कैसे मनाते छठ पर्व?

इस त्योहार की तैयारी बिहार में या जहाँ भी मनाया जाता है वहाँ कई दिन पूर्व से शुरू हो जाती है जैसे कि..

सभी के लिए नया कपड़ा खरीदना, विभिन्न प्रकार के फल की खरीदारी, घर मे मीठी पूड़ी जिसे स्थानीय भाषा मे ठेकुआ भी कहते है जो प्रमुख रूप से सम्मलित किया जाता है। ठेकुआ को गेहूं के आटे के साथ चीनी या गुढ़ का प्रयोग करके बनाते है। इस पर्व में सब कुछ नया होता है। इस पूजन में सूप का बहुत ही महत्व है। चूंकि डाला छठ में किसी भी मूर्ति की पूजा नही किया जाता है बल्कि सूर्य देवता और छठी मैया का आह्वान किया जाता है। इस पूजा में नदी या तालाब के किनारे मिट्टी की वेदी बना कर इस पर ही पूजन की शुरुआत होती है।

आस्था के इस महापर्व ” डाला छठ ” को कोटि कोटि नमन।

पितरों के प्रति श्रद्धा का अनुष्ठान

पितरों के प्रति श्रद्धा का अनुष्ठान

धार्मि​क मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष में किए गए इन कार्यों से पितरों को शांति मिलने के साथ ही वंशजों का पितृ दोष दूर होता है। यही नहीं पितरों का आर्शीवाद भी प्राप्त होता है। पितृ पक्ष में वंशजों के लिए अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म करने का विधान है।

श्राद्ध पक्ष हमारी श्रद्धा का पक्ष

अश्वनी कुमार तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, पटना – 28   सितम्बर :

श्राद्ध करने की 6 बड़े फायदे होते हैं !

तुलसी से पिण्डार्चन किए जाने पर पितरगण प्रलयपर्यन्त तृप्त रहते हैं। तुलसी की गंध से प्रसन्न होकर गरुड़ पर आरुढ़ होकर विष्णुलोक चले जाते हैं।

 पितर प्रसन्न तो सभी देवता प्रसन्न !

 श्राद्ध से बढ़कर और कोई कल्याणकारी कार्य नहीं है और वंशवृद्धि के लिए पितरों की आराधना ही एकमात्र उपाय है…

 आयु: पुत्रान् यश: स्वर्ग कीर्तिं पुष्टिं बलं श्रियम्।

पशुन् सौख्यं धनं धान्यं प्राप्नुयात् पितृपूजनात्।। (यमस्मृति, श्राद्धप्रकाश)

 यमराजजी का कहना है कि

  • श्राद्ध-कर्म से मनुष्य की आयु बढ़ती है।
  • पितरगण मनुष्य को पुत्र प्रदान कर वंश का विस्तार करते हैं।
  • परिवार में धन-धान्य का अंबार लगा देते हैं।
  • श्राद्ध-कर्म मनुष्य के शरीर में बल-पौरुष की वृद्धि करता है और यश व पुष्टि प्रदान करता है।
  • पितरगण स्वास्थ्य, बल, श्रेय, धन-धान्य आदि सभी सुख, स्वर्ग व मोक्ष प्रदान करते हैं।
  • श्रद्धापूर्वक श्राद्ध करने वाले के परिवार में कोई क्लेश नहीं रहता वरन् वह समस्त जगत को तृप्त कर देता है।

 श्राद्ध कर्म क्यों ?

पूर्वजों द्वारा पितर श्रेणी धारण कर लेने की अवस्था में उनकी शांति तथा तृप्ति के लिए श्राद्ध-कर्मों का विधान है। ब्रह्म पुराण ने श्राद्ध की परिभाषा यह दी है – ‘जो कुछ उचित काल, पात्र एवं स्थान के अनुसार विधि द्वारा पितरों को लक्ष्य करके श्रद्धापूर्वक ब्राह्मणों को दिया जाता है, वह श्राद्ध कहलाता है।’

मिताक्षरा (याज्ञ. 1/217) ने श्राद्ध को इस तरह परिभाषित किया है – ‘पितरों का उद्देश्य करके (उनके कल्याण के लिए) श्रद्धापूर्वक किसी वस्तु का अथवा उनसे सम्बंधित किसी द्रव्य का त्याग श्राद्ध है।’

तीन पूर्व पुरुषों के पिण्डदान का सिद्धांत यह बताता है कि तीनों पूर्वजों की आत्माएं पचास अथवा सौ वर्षों के उपरान्त भी वायु में संतरण करते हुए चावल के पिण्डों की सुगंधि अथवा सारतत्व वायव्य शरीर द्वारा ग्रहण करने में समर्थ होती हैं। याज्ञवल्क्य स्मृति (1/269), मार्कण्डेय पुराण (29/38), मत्स्य पुराण (19/11-12) एवं अग्नि पुराण (163/41-42) में उल्लेख है कि पितामह (पितर) श्राद्ध में दिए गए पिण्डों से स्वयं संतुष्ट होकर अपने वंशजों को जीवन, संतति, संपत्ति, विद्या, स्वर्ग, मोक्ष आदि सभी सुख तथा राज्य देते हैं।

मत्स्य पुराण (19/3-9) में एक प्रश्न के उत्तर में कहा गया है कि पिता, पितामह एवं प्रपितामह, वैदिक उक्तियों के अनुसार क्रमशः वस्तुओं, रुद्रों एवं आदित्यों के समान रूप माने गए हैं। वे नाम एवं गोत्र, उच्चरित मन्त्र एवं श्रद्धा से अर्पित आहुतियों को समस्त पितरों के पास ले जाते हैं। यदि किसी के पिता (अपने सत्कर्मों के कारण) देवता हो गए हैं, तो श्राद्ध में दिया गया भोजन अमृत हो जाता है और वह उनके देवत्व की स्थिति में उनका अनुसरण करता है। यदि वे दैत्य हो गए हैं, तो वह उनके पास भांति-भांति आनन्दों के रूप में पहुंचता है। यदि वे पशु हो गए हैं, तो वह उनके लिए घास रूप में उपस्थित हो जाता है और यदि वे सर्प हो गए हैं, तो श्राद्ध-भोजन वायु बन कर उनकी सेवा करता है।

डॉ. पाण्डुरंग वामन काणे ने ‘धर्मशास्त्र का इतिहास’ (पृष्ठ 1199) में पुनर्जन्म एवं कर्म-विपाक सिद्धांत के आधार पर श्राद्ध-कर्म को अनुपयोगी बताने वालों को ग़लत ठहराते हुए लिखा है – ‘प्रतीत होता है कि (श्राद्ध द्वारा) पूर्वज-पूजा प्राचीन प्रथा है तथा पुनर्जन्म एवं कर्म-विपाक के सिद्धांत अपेक्षाकृत पश्चात्कालीन हैं और हिन्दू धर्म ने, जो व्यापक है (अर्थात सभी को स्वयं में समेट लेता है) पुनर्जन्म आदि के सिद्धांत ग्रहण करते हुए भी श्राद्धों की परम्परा को ज्यों का त्यों रख लिया है। एक प्रकार से श्राद्ध-संस्था अति उत्तम है। इससे व्यक्ति अपने उन पूर्वजों का स्मरण कर लेता है, जो जीवितावस्था में अपने प्रिय थे।’

श्रीगणेश : हमारे पारिवारिक देव

  • श्री गणेश कवि स्वरूप  हैं। अपने अंतःकरण में उनकी  स्थापना के बिना, सर्जनशीलता बिल्कुल असंभव!
  • यदि आप सोचते हैं कि आप दुनिया के सामने कुछ रचनात्मक परिणाम प्रस्तुत कर सकते हैं, तो आप श्री गणेश के आशीर्वाद के ऋणी हैं। उनके बिना मूलाधार स्थित रहते हुए, यह असंभव है।
  • यहां तक कि वेद व्यास को महाभारत लिखने के लिए श्री गणेश की मदद लेनी पड़ी थी।
  • श्री गणेश = मूलाधार = मरुतो  के गणपति = संतान से लेकर कविता तक सभी रचनात्मकता कर्मों के लिए मूल आधार ।

अश्वनी कुमार तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, पटना – 25 सितम्बर :

मैं 100 साल पुरानी कुछ किताबें पढ़ रहा था। इन सभी में एक बात समान थी, मंगलाचरण। आरंभिक भाग सभी देवताओं, विशेषकर माँ सरस्वती और भगवान गणेश को समर्पित है।

निःस्वार्थ सार्वभौमिक यज्ञ को समर्पित आपके सभी रचनात्मक कार्यों की सफलता के लिए, श्री गणेश स्तुति करना महत्वपूर्ण है।

श्रीगणेश : हमारे पारिवारिक देव

भारतीय परिवारों में श्रीगणेश इतने घुल मिल गए हैं कि अब विश्वास ही नहीं होता कि स्मृतियों और पुराणकारों ने कभी उन्हें विघ्नेश लिखा, निवृत्ति के लिए विनायक स्नान की विधियां लिखीं। वे मंगल मूर्ति होकर हमारे हृदय और मन के सिंहासन पर विराजित हैं। उनका यह अद्भुत प्रभाव है कि वे प्रथम पूज्य है! श्रीगणेश ही आद्य मंगल के सूचक हैं…! कला में सबसे पहला अंकन उनका!

मित्रवर श्री राजदीप ने भगवान गणेश के हजारों स्वरूपों का संग्रह किया है। उनका साथ उदयपुर और राज्य सहित देश के अनेक चित्रकारों और कलाकारों ने भी दिया है। उदयपुर में उनकी लगाई प्रदर्शनी “श्रीगणेश दर्शन” को मैं देश की अनोखी प्रदर्शनी अनेक कारणों से मानता हूं। इसके समापन पर मुझे भारत में गणेशजी की व्याप्ति और विश्वास पर अपनी बात कहने का अवसर मिला! लगा कि गणेश की महिमा में इतना कहा जा सकता है कि अनेक शोध प्रबंध बन जाए!  राजदीप जी का यह सहस्र संग्रह कोटि संग्रह बने।

कहना न होगा कि एक जन्म में इतना बड़ा संग्रह कैसे खड़ा हो सकता है! उन्हें गणेश प्रिय हैं और गणेश को वे…!

गणेश पुराण – एक पठनीय उपपुराण

गणेश मंगलमूर्ति देवता हैं। हालांकि पूर्व काल में उनको विघ्‍नेश भी कहा जाता था। बौधायन ने उनके कई नामों का जिक्र किया है जो तर्पणादि पूजा के लिए स्‍मरणीय बताए गए हैं। धीरे-धीरे गणेश भारतीय जन जीवन में अति ही महत्‍वपूर्ण हो गए कि देवालयो में तक द्वार के शीर्ष देव बने। हर ग्रंथ की रचना में उनको प्रथम स्‍मरणीय माना जाने लगा।

गणेश को लेकर कई स्‍तोत्रों की रचना हुई, आथर्वशीर्ष पाठ तैयार हुए। गणेश गायत्री बनी। पुराण तक रचा गया। उप पुराणों में गणेश पुराण का स्‍थान खास माना गया है। क्‍या महाराष्‍ट्र, गुजरात और मध्‍यप्रदेश, राजस्‍थान अन्‍यत्र भी गणेश के प्रति अतिशय आस्‍था देखने को मिलती है। विदेशों में भी गणेश की पूजा होती आई है, बौद्ध धर्मानुयायी भी उनकी पूजा करते हैं। गणेश पुराण का अपना अलग ही रचना विधान है। इस पुराण के प्रथम उपासनाखंड में गणेशजी के आविर्भाव, उनके स्‍वरूप, उनके नाना अवतारों और उनकी उपासना से देवों, मुनियों और भक्‍तों के मनोरथ सिद्धि का वर्णन है। द्वितीय क्रीडाखंड में गणेशजी के नाना अवतारों, उनकी बाल लीलाओं तथा आसुरी शक्तियों के दमन तथा नाना चमत्‍कारों का वर्णन है…।

गणेशपुराण का अाज तक हिंदी अनुवाद नहीं था। यह संस्‍कृत में ही मिलता था, इस कारण पठन-पाठन से दूर ही रहा। पहली बार चौखंबा संस्‍कृत सीरिज ऑफिस, वाराणसी ने यह काम किया और पूर्वार्द्ध व उत्‍तरार्द्ध दो खंडों में यह विशालकाय पुराण प्रकाशित किया है। प्रकाशित होते ही यह मेरे हाथों तक पहुंचा, प्रकाशक को इस उपलब्धिमूलक कार्य के लिए बधाई। दोनों ही खंड पुराण अध्‍येताओं और पाठकों के लिए उपयोगी लग रहे हैं। मेरे लिए तो उपलब्धि इस अर्थ में है कि पुराणों के संग्राहक होने से एक महत्‍वपूर्ण पुराण मिल गया।

साभार : श्रीकृष्ण जुगनू

संसद में I.N.D.I.A. अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है 

जब अंग्रेज भारत में आए उस समय हमारे देश को हिन्दुस्तान कहा जाता था। हालांकि ये शब्द बोलने में उन्हें परेशानी होती थी।जब अंग्रेजों को पता चला कि भारत की सभ्यता सिंधु घाटी है जिसे ‘Indus Valley’ वैली भी कहा जाता है, इस शब्द को लैटिन भाषा में INDIA कहा जाता है तो अंग्रेजों ने भारत को ‘INDIA’ कहना शुरू कर दिया।

मणिपुर के मुद्दे पर संसद में संसद में बढ़ता जा रहा है गतिरोध, केंद्र के  खिलाफ विपक्ष ला सकता है अविश्वास प्रस्ताव – Johar LIVE
  1. मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है विपक्ष
  2. लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे सकता विपक्ष
  3. ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल दलों की बैठक में लिया गया फैसला

सारिका तीवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/नयी दिल्ली – 25 जुलाई :

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार (25 जुलाई, 2023) को भाजपा के संसदीय दल को संबोधित करने के दौरान विपक्ष के नए गठबंधन पर भी जम कर हमला बोला। बता दें कि विपक्ष ने यूपीए को अलविदा कहते हुए अपने गठबंधन का नाम ‘I.N.D.I.A’ रखा है, जिसे ‘इंडिया’ कह कर प्रचारित किया गया। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने याद दिलाया है कि आतंकी संगठन ‘इंडियन मुजाहिदीन’ और आक्रांता अंग्रेजों की ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ के नाम में भी तो इंडिया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (I.N.D.I.A.) पर निशाना साधे जाने के बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने उन पर पलटवार किया है। राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री इस गठबंधन को लेकर कुछ भी कहें, लेकिन हम ‘I.N.D.I.A’ है, जो मणिपुर को मरहम लगाने और हर महिला तथा बच्चे के आंसू पोंछने में मदद करेगा। कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि यह विपक्षी गठबंधन मणिपुर में भारत की अवधारणा का पुनर्निर्माण करेगा।

दरअसल प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को विपक्षी गठबंधन ‘I.N.D.I.A.’ को देश का अब तक का सबसे ‘दिशाहीन’ गठबंधन करार दिया और ईस्ट इंडिया कंपनी तथा इंडियन मुजाहिदीन जैसे नामों का हवाला देते हुए कहा कि केवल देश के नाम के इस्तेमाल से लोगों को गुमराह नहीं किया जा  सकता।

भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन ‘I.N.D.I.A.’ में शामिल कुछ विपक्षी दल लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस ला सकते हैं। मंगलवार सुबह ‘I.N.D.I.A.’ के घटक दलों की बैठक में नोटिस सौंपने के प्रस्ताव पर चर्चा की गई।

दरअसल, संसदीय प्रणाली में नियम 198 के तहत यह व्यवस्था दी गई है कोई भी सांसद सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस लोकसभा अध्यक्ष के दे सकता है। ठीक ऐसी ही व्यवस्था राज्यों में मामले में विधानसभा में की गई है। केंद्र या राज्य सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पास होने का मतलब है कि अब मंत्री परिषद ने सदन में अपना विश्वास खो दिया है। सदन में बहुमत उसके पक्ष में नहीं है। ऐसी स्थिति में सरकार गिर जाती है। प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री समेत पूरी कैबिनेट को इस्तीफा देना पड़ता है। 

सूत्रों ने कहा कि संघर्षग्रस्त मणिपुर की स्थिति पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को संसद में बोलने के लिए मजबूर करने के विभिन्न विकल्पों पर विचार करने के बाद यह निर्णय लिया गया कि सरकार को इस मुद्दे पर चर्चा शुरू करने के लिए मजबूर करने का यह एक प्रभावी तरीका होगा। सूत्रों ने कहा कि मणिपुर पर सरकार को घेरने की विपक्ष की रणनीति राज्यसभा में भी जारी रहेगी। 

बता दें, 20 जुलाई से शुरू हुए संसद के मानसून सत्र के पहले मणिपुर का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाया जा रहा है। इस वीडियो के सामने आने के बाद संसद के दोनों सदनों (लोकसभा  और राज्यसभा) में विपक्षी दलों ने जमकर हंगामा किया।

विपक्ष पीएम मोदी से मणिपुर पर सदन में जवाब देने की मांग पर अड़ा है, जबकि सरकार का कहना है कि वह मणिपुर पर चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन विपक्ष चर्चा नहीं करने दे रहा है। सत्र का तीन दिन हंगामे की भेंट चढ़ गया।