चुनाव से पहले झारखंड में कांग्रेस को एक बड़ा झटका

चुनाव से पहले झारखंड में कांग्रेस को एक बड़ा झटका मिला है। राज्‍य के पूर्व मुख्‍यमंत्री मधु कोड़ा की पत्‍नी व पश्चिम सिंहभूम जिले की सांसद गीता कोड़ा ने पार्टी से इस्‍तीफा दे दिया है। आज कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गई हैं। बताया जा रहा है कि बीते कुछ दिनों से वो गठबंधन से नाराज चल रही थीं।

डेमोक्रेटिक फ्रंट संवाददाता, रांची। 

झारखंड में चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका मिला है। राज्‍य के पूर्व मुख्‍यमंत्री मधु कोड़ा की पत्‍नी व पश्चिम सिंहभूम जिले की सांसद गीता कोड़ा ने पार्टी से इस्‍तीफा दे दिया है। वह अब भाजपा संग जुड़ गई हैं। झारखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने उन्‍हें पार्टी में शामिल कराया। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, वह राज्‍य में कांग्रेस पार्टी द्वारा किए गए गठबंधन से खुश नहीं हैं। 

गीता कोड़ा 2019 में कांग्रेस के लिए झारखंड से एकमात्र सांसद थीं। जनवरी 2022 में गृहमंत्री अमित शाह के झारखंड दौरे के बाद से ही उनके बीजेपी में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही थीं। हालांकि उन्होंने इन अटकलों पर अक्सर विराम लगाया। लेकिन 26 फरवरी 2024 को उन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी का दामन थाम लिया। बाबूलाल मरांडी ने कहा कि कोड़ा दंपति का भाजपा से पुराना लगाव रहा है। वह कतिपय परिस्थितियों से भाजपा से अलग हुए थे, लेकिन अब एक बार फिर पुराने घर में आ गए हैं। गीता कोड़ा ने कहा कि मैं आज बीजेपी में शामिल हो गई। कांग्रेस ने तुष्टिकरण की राजनीति करके देश को संकट में डाल दिया है। पार्टी कहती है कि वह सभी को साथ लेकर चलेगी, लेकिन वह केवल अपने परिवार को साथ लेकर चलती है।

गीता कोड़ा 2019 में कांग्रेस के लिए झारखंड से एकमात्र सांसद थीं। जनवरी 2022 में गृहमंत्री अमित शाह के झारखंड दौरे के बाद से ही उनके बीजेपी में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही थीं। हालांकि उन्होंने इन अटकलों पर अक्सर विराम लगाया। लेकिन 26 फरवरी 2024 को उन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी का दामन थाम लिया। बाबूलाल मरांडी ने कहा कि कोड़ा दंपति का भाजपा से पुराना लगाव रहा है। वह कतिपय परिस्थितियों से भाजपा से अलग हुए थे, लेकिन अब एक बार फिर पुराने घर में आ गए हैं। गीता कोड़ा ने कहा कि मैं आज बीजेपी में शामिल हो गई। कांग्रेस ने तुष्टिकरण की राजनीति करके देश को संकट में डाल दिया है। पार्टी कहती है कि वह सभी को साथ लेकर चलेगी, लेकिन वह केवल अपने परिवार को साथ लेकर चलती है।

झारखंड के DGP और मुख्य सचिव CM आवास पहुंचे, हेमंत सोरेन हो सकते हैं गिरफ्तार

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के रांची स्थित आवास के बाहर हलचल काफी बढ़ गई है। सीएम आवास की ओर आने-जाने वाले ट्रैफिक को दूसरी ओर डायवर्ट कर दिया गया है। वहीं हेमंत सोरेन से पिछले 6 घंटों से पूछताछ चल रही है।जमीन घोटाला मामले में पिछले 6 घंटे से ईडी की टीम मुख्यमंत्री से पूछताछ कर रही है। झारखंड में बढ़ती सियासी हलचल के बीच राजभवन से विधायकों को मिलने का समय दिया गया है। थोड़ी देर में राज्यपाल से झामुमो के विधायक मुलाकात करेंगे।

  1. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से ईडी की पूछताछ जारी
  2. हेमंत सोरेन कल अचानक से अंडरग्राउंड हो गए थे, जिसके बाद उनकी तलाशी शुरू हो गई थी

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ – 31 जनवरी :

कथित जमीन घोटाला मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से पूछताछ करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम मुख्यमंत्री आवास पहुंच गई है। सीएम आवास पर विधायक भी मौजूद हैं. वहीं रांची में सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था की गई है। जगह-जगह फोर्स की तैनाती भी की गई है। ईडी के समन पर हेमंत सोरेन ने खुद ही ईडी के जवाब में आज दोपहर का समय दिया था। हाल ही में हेमंत सोरेन अचानक से गायब भी हो गए थे, जिसके बाद ईडी उनकी तलाश में जुट गई थी। हालांकि सोमवार की देर रात को हेमंत सोरेन फिर रांची पहुंच गए।

वहीं हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी की अटकलों के साथ-साथ उनकी पत्नी कल्पना सोरेन को सीएम बनाए जाने की भी संभावना जताई जा रही है, जिसके लिए बैठकों का दौर जारी है। हेमंत सोरेन अब से कुछ देर में रांची स्थित ईडी के दफ्तर पहुंचेंगे।

इससे पहले मुख्यमंत्री सोरेन 30 जनवरी को 40 घंटे बाद दिल्ली से अचानक रांची पहुंचे। मुख्यमंत्री सोरेन ने दिल्ली से रांची तक सड़क मार्ग के जरिए 12 किलोमीटर से ज्यादा की यात्रा की। यहां उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा के सीनियर लीडर्स और विधायकों से मुलाकात की। इस बैठक में मुख्यमंत्री सोरेन की बीवी कल्पना सोरेन की भी मौजूदगी रही। ऐसे में अटकलें लगाई जा रही है कि हेमंत सोरेन की बीवी को सीएम की बागडोर सौंपी जाएगी। 

वहीं, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ED अधिकारियों पर SC/ST Act के तहत मुकदमा दर्ज करावाई है। उन्होंने अपनी शिकायत में कहा है, “ED के अधिकारियों ने 30 जनवरी को दिल्ली में मौजूद दफ्तर छापेमारी की थी. इससे मुझे और मेरे पूरे समुदाय को परेशान करने और बदनाम करने की कोशिश की गई है।”

सीएम ने आगे कहा, “27 और 28 जनवरी को मैं दिल्ली के दौरे पर था. इस दौरान मैं  दिल्ली में मौजूद 5/1 शांति निकेतन, जिसे झारखंड राज्य के जरिए निवास और दफ्तर यूज के लिए लीज पर लिया गया है, मैं उसमें रुका था। मुझे पता चला कि इन अधिकारियों ने मेरे आधिकारिक दफ्तर पर तलाशी ली थी। ये छापेमारी मुझे सूचना दिए बिना की गई थी।”

हरियाणा बेरोजगारी में नंबर वन, युवा अपनी जमीन बेचकर विदेशों की तरफ पलायन को मजबूर : चित्रा सरवारा

कोशिक खान, डेमोक्रेटिक फ्रंट, छछरौली – 18 दिसम्बर  :

आम आदमी पार्टी(आआपा) की 10 दिवसीय प्रदेश स्तरीय बदलाव यात्रा के चौथे दिन आआपा प्रदेश उपाध्यक्ष चित्रा सरवारा ने प्रेसवार्ता कर बेरोजगारी के मुद्दे पर हरियाणा सरकार को घेरा है। इस दौरान उनके अंबाला लोकसभा अध्यक्ष आदर्शपाल सिंह मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी की बदलाव यात्रा एक मुहिम है, इसके जरिए आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के विजन को प्रदेश के हर घर तक पहुंचाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता भाजपा सरकार से संतुष्ट नहीं है, इसलिए जनता बदलाव के लिए तैयार है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में हरियाणा बहुत बुरी स्थिति से गुजर रहा है। हरियाणा बेरोजगारी में नंबर वन है, 33% युवा काम नहीं कर रहा या पढ़ ही नहीं रहा, हर तीन में से एक युवा दिशाहिन है और युवा अपनी जमीन को बेचकर विदेशों की तरफ पलायन करने को मजबूर हैं। इसके अलावा डोंकी की रास्ते अपनी जान को जोखिम में डाल रहे हैं। जिसकी जिम्मेदार हरियाणा सरकार है।

उन्होंने कहा हाल ही में हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को फटकार लगाई है कि आंकड़ों को खेल खेलना बंद करें और बताएं कि हरियाणा में रोजगार के लिए क्या किया जा रहा है। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि करीब 2 लाख सरकारी पद खाली पड़े हैं। लेकिन लोगों को रोजगार नहीं दे रही। भाजपा सरकार के राज में लगातार पेपर लीक हो रहे हैं, पिछले 10 सालों में न जाने कितने युवाओं के मौके चले गए, परीक्षा देकर रिजल्ट का इंतजार कर रहे हैं और आज उनकी क्वालीफिकेशन की उम्र ही निकल गई है।

उन्होंने कहा कि हरियाणा में 71,000 पद शिक्षा विभाग में खाली पड़े हैं, प्रारंभिक शिक्षा विभाग में 42,000 और माध्यमिक शिक्षा विभाग में 29,000 पद खाली पड़े हैं। इसके अलावा पुलिस विभाग में 21500, परिवहन विभाग में 10000, पशुपालन विभाग में 5500, सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग विभाग में 5000, अग्निशमन विभाग में 3320 और चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान में 3000 पद रिक्त पड़े हैं। हरियाणा सरकार युवाओं को रोजगार देने में नाकाम साबित हुई है। वहीं पंजाब की आम आदमी पार्टी की सरकार ने मात्र डेढ़ साल में 37000 युवाओं को नौकरी दे दी है।

उन्होंने कहा दुर्भाग्यपुर्ण बात यह है कि खट्टर सरकार प्रदेश के 10,000 युवाओं को रोजगार देने के लिए इजराइल भेजने का ऑफर दे रही है। जिसके लिए सरकार ने विज्ञापन निकाला है, जोकि हरियाणा सरकार की विफलता का प्रतीक है। हरियाणा सरकार प्रदेश के युवाओं को युद्ध में झोंकना चाहती है। इजराइल और हमास में युद्ध जारी है और खट्टर सरकार को वहां रोजगार के अवसर नजर आ रहे हैं। इससे साबित होता है कि प्रदेश सरकार को हरियाणा के युवाओं के भविष्य और जीवन की कोई फिक्र नहीं है। 

वहीं, अंबाला लोकसभा अध्यक्ष आदर्शपाल सिंह ने कहा कि बेरोजगारी की कारण हरियाणा का युवा नशा और अपराध की तरफ जा रहा है। महिलाओं की सबसे असुरक्षित वाली सूची में हरियाणा दूसरे नंबर पर है, रेप के मामलों में हरियाणा पूरे देश में दूसरे नंबर पर है, हत्याओं की बात करें तो दूसरे नंबर पर है, किडनैपिंग में नंबर तीन पर है और यूपी भी हरियाणा से पीछे है। उन्होंने कहा कि हरियाणा से बरोजगारी, भ्रष्टाचार और अपराध को खत्म करने की लिए बदलाव जरुरी है। हरियाणा में 2024 में बदलाव सुनिश्चि है, जिसके लिए प्रदेश की जनता तैयार है।

इस अवसर पर जिला अध्यक्ष गगनदीप सिंह,लक्ष्मण विनायक,योगेंद्र चौहान,राहुल भान,रणधीर चौधरी मौजूद रहै

समुदाय विशेष को खुश करने के लिए हिंदू त्योहार का हो रहा दमन : बीजेपी विधायक मनीष जायसवाल

झारखंड विधानसभा के बजट सत्र का 14वां दिन हजारीबाग की रामनवमी में लगाए गए प्रतिबंधों को लेकर विपक्ष के हंगामे के साथ शुरू हुआ। सदन की कार्रवाई शुरू होने से पहले सदन के बाहर भाजपा के विधायकों ने जमकर हंगामा किया। विधायकों ने हजारीबाग की रामनवमी को विश्व प्रसिद्ध बताते हुए वहां लगाए जा रहे प्रतिबंधों पर हंगामा करते हुए कहा यह सरकार गूंगी-बहरी सरकार है जो तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है। इसके बाद सदन की कार्रवाई शुरू हुई। सदन के भीतर भाजपा के विधायकों ने जय श्री राम के नारे लगाए। इसके बाद सदन 12 बजे तक स्थगित कर दिया गया। 12 बजे के बाद सदन शुरू हुआ। इसके बाद भी भाजपा विधायक हजारीबाग रामनवमी पर निर्णय लेने की मांग कर रहे हैं। सदन दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।

रामनवमी को लेकर सदन के बाहर विपक्ष का हंगामा - Dainik Bhaskar

डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, झारखंड ब्यूरो – 21 मार्च :

झारखंड विधानसभा मंगलवार (21 मार्च 2023) को जय श्रीराम के नारों से गूँज उठा। बीजेपी विधायक मनीष जायसवाल ने सदन में अपना कुर्ता फाड़ लिया। बनियान पर लिखा ‘जय श्रीराम’ दिखाया। वे हजारीबाग में रामनवमी जुलूस को लेकर लगाई गई पाबंदियों का विरोध कर रहे थे। जायसवाल हजारीबाग सदर की सीट से विधायक हैं।

विधानसभा में भाजपा विधायक ने हेमंत सरकार को घेरते हुए कई तीखे सवाल किए। उन्होंने कहा कि रामनवमी को लेकर हजारीबाग में कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं। डीजे पर रोक लगा दी गई। फैसले के खिलाफ आवाज उठाने वाले 5 हजार लोगों पर धारा 107 के तहत मुकदमा कर दिया गया है। क्या इस राज्य में हिंदू होना अपराध है? क्या हम तालिबान में रहते हैं?

हजारीबाग के विधायक मनीष जायसवाल ने कहा कि ये गूंगी बहरी सरकार है और केवल वोट बैंक का राजनीति कर रही है। दो चीजें स्पष्ट हैं पहला कि ये राम के नाम पर कांग्रेस का वोट साफ करने की कोशिश कर रही है। दूसरा एक समुदाय विशेष को खुश करने के लिए हिंदू त्योहार का दमन कर रही है। सरस्वती पूजा में भी ऐसा हुआ था। अब रामनवमी में भी ऐसा किया जा रहा है। कल हजारीबाग डीसी ने प्रेस कांफ्रेंस किया, जहां उन्होंने कहा कि लाउडस्पीकर अलाउड है। ताशा अलाउड है। ढ़ोल-बाजे अलाउड हैं। आप गाना भी बजा सकते हैं। लेकिन चलंत डीजे नहीं बजा सकते हैं। जब आपने गाना बजाने की अनुमति दे दी है तब आपको डीजे बजाने देने से क्या चिढ़ है। कहीं न कहीं यह दूसरे समुदाय को खुश करने की कोशिश है। ये हिंदुओं की आस्था से खिलवाड़ कर रहे हैं।

हजारीबाग की जनता रामनवमी को लेकर काफी संवेदनशील है। हजारीबाग के लोगों के अंदर आग सी सुलग रही है। चूंकि आपने हिंदुओं की भावना के साथ खेलने का काम किया है। जब तक सदन चल रहा है तब तक हम लोकतांत्रिक तरीके से रास्ता निकालने का प्रयास करेंगे।

विधायकों ने हजारीबाग में आयोजित होने वाले हैं विश्व प्रसिद्ध रामनवमी की शोभायात्रा के दौरान डीजे नहीं बजाने और वृहद स्तर पर पर जुलूस न निकालने के सरकार के आदेश को अविलंब रद्द करने की बात कही। इस पर विधायक रणधीर सिंह ने कहा कि भगवान श्री राम के ऊपर राजनीति नहीं होनी चाहिए। जब से झारखंड में जेएमएम कांग्रेस और राजद के गठबंधन वाली सरकार आई है तब से हर वर्ष हजारीबाग में आयोजित होने वाले रामनवमी के जुलूस पर अलग-अलग तरह से प्रतिबंध लगाकर हिंदुओं को दबाने का प्रयास किया जा रहा है, जो भारतीय जनता पार्टी कभी उन्हें नहीं देगी।

जैन मुनि ने आमरण अनशन में त्यागे अपने प्राण, सम्मेद शिखर को टूरिस्ट प्लेस बनाने के थे खिलाफ

            झारखंड में जैन तीर्थ सम्मेद शिखर को टूरिस्ट प्लेस बनाए जाने का विरोध कर रहे जैन मुनि सुज्ञेयसागर महाराज ने मंगलवार को प्राण त्याग दिए। वे झारखंड सरकार के फैसले के खिलाफ पिछले 10 दिन से आमरण अनशन कर रहे थे। सुज्ञेयासागर 72 साल के थे। झारखंड सरकार के फैसले के बाद सुज्ञेयसागर सांगानेर में 25 दिसंबर से अनशन कर रहे थे।

जैन तीर्थ सम्मेद शिखर को बचाने के लिए मुनि ने त्यागे प्राण, दस दिन से आमरण  अनशन पर थे |
  • जैन मुनि सुज्ञेयसागर महाराज ने त्याग दिए प्राण
  • सांगानेर में 25 दिसंबर से आमरण अनशन कर रहे थे
  • सम्मेद शिखर को टूरिस्ट प्लेस घोषित करने के विरोध में जैन समुदाय उतरा सड़कों पर

अजय सिंगला, डेमोक्रेटिक फ्रंट, सम्मेद शिखर/चंडीगढ़ :

                        झारखंड में स्थापित जैन तीर्थ सम्मेद शिखर को टूरिस्ट प्लेस बनाए जाने के खिलाफ 10 दिन से आमरण अनशन कर रहे जैन मुनि सुज्ञेयसागर महाराज ने मंगलवार को प्राण त्याग दिए। जैन मुनि सुज्ञेयसागर महाराज झारखंड सरकार के निर्णय के विरोध में अनशन पर बैठे हुए थे। 72 साल के जैन मुनि ने बीते 10 दिनों में न कुछ खाया न पिया अंत में उनकी आत्मा ने देह का त्याग कर दिया।

उनके देह त्यागने के बाद सांगानेर के संघीजी मंदिर से जैन समुदाय के लोगों ने उनकी अंतिम यात्रा निकाली। इस दौरान आचार्य सुनील सागर सहित काफी संख्या में जैन समुदाय के लोग मौजूद रहे। बता दें कि जैन मुनि को जयपुर के सांगानेर में ही समाधि दी गई है। दरअसल, गत दिनों झारखंड सरकार द्वारा गिरिडीह जनपद में स्थित पारसनाथ पहाड़ी को पर्यटन स्थल घोषित किया गया था। इसके बाद से प्रदेश सरकार के इस निर्णय के खिलाफ देशभर में चौतरफा जैन समाज के लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। गौरतलब है कि पारसनाथ पहाड़ी जैन धर्म के लोगों में सर्वाेच्च तीर्थ सम्मेद शिखर के तौर पर मानी जाती है।

सम्मेद शिखर को टूरिस्ट प्लेस बनाने के खिलाफ थे, 10 दिन से जारी था आमरण अनशन  | Jharkhand Sammed Shikhar Ji Protest; Sugyeyasagar Maharaj Samadhi Maran  In Jaipur | Rajasthan News - Dainik Bhaskar

अखिल भारतीय जैन बैंकर्स फोरम अध्यक्ष भागचन्द्र जैन के मुताबिक मुनीश्री सुज्ञेय सागर ने सम्मेद शिखर को बचाने के लिए बलिदान दिया है। वहीं जैन मुनि सुनील सागर के मुताबिक सम्मेद शिखर जैन धर्म की शान है। मुनि सुज्ञेय सागर महाराज ने इसके लिए अपने प्राण त्याग दिए। वे सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित करने के बाद इसके विरोध में लगातार उपवास पर थे। इसके बाद अब मुनि समर्थ सागर ने भी अन्न का त्याग कर तीर्थ को बचाने के लिए पहल की है।

                        गौरतलब है कि झारखंड के गिरिडीह जिले में स्थित जैन तीर्थ सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल घोषित करने के बाद देश में जैन समाज के लोग चौतरफा विरोध कर रहे हैं। लगातार कई प्रदेशों में विरोध के स्वर मुखर हो रहे हैं। सूरत, जयपुर, मुंबई, अहमदाबाद और दिल्ली में जैन समुदाय के लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। जैन समाज के लोगों ने इंडिया गेट पर अपना विरोध जताने के बाद मामले को लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ज्ञापन भी सौंपा है।

उत्तराखंड जन कल्याण समिति के प्रथम रक्तदान शिविर में 96 यूनिट रक्त एकत्र 

डेमोक्रेटिक फ्रंट संवाददाता, मोहाली  :

            उत्तराखंड जन कल्याण समिति, मोहाली द्वारा प्रथम रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया जिसमें 96 यूनिट रक्त एकत्र हुआ। इस अवसर पर सभी नवनिर्वाचित पदाधिकारियों ने शपथ भी ग्रहण की। सभा के प्रधान दीपक सिंह परिहार ने बताया कि उनकी संस्था समय-समय पर धार्मिक एवं जन कल्याण के लिए अनेकों कार्य करती रहती है।

            इस अवसर पर पंजाब भाजपा की कार्यकारिणी के सदस्य संजीव वशिष्ट, मोहाली भाजपा के उपाध्यक्ष उमाकांत तिवारी, चण्डीगढ़ की पूर्व सीनियर डिप्टी मेयर हीरा नेगी, जसविंदर सिंह, अनिल कुमार,  मंडल  प्रधान मोहाली, बी वी बहुगुणा, कुंदन लाल उनियाल, बचन सिंह नगरकोटी, मनोज रावत,  पूरन सिंह रावत, दलीप सिंह रावत एवं ट्राइसिटी में उत्तराखंड की अनेक सभाओं एवं उत्तराखंड कीर्तन मंडली, मोहाली के पदाधिकारी शामिल हुए।  

लेसी सिंह को मंत्री पद से नहीं हटाया गया तो दे देंगे इस्तीफा : बीमा भारती

बीमा भारती ने लेसी सिंह को मंत्री बनाए जाने पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि लेसी सिंह मर्डर करवाती है। फिर भी उसे मंत्री बनाया गया है। बीमा भारती ने आगे कहा कि लेसी सिंह पार्टी विरोधी गतिविधियों के साथ भ्रष्टाचार में लिप्त है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लेसी सिंह को मंत्री पद से नहीं हटाए तो मैं विधायक पद से इस्तीफा दूंगी।  बता दें कि बीमा भारती रुपौली की विधायक हैं। उन्होंने कहा लेसी सिंह अपने स्वार्थ के लिए पूर्णिया इलाके मेंमर्डर करवा देती है।

मंत्री लेसी सिंह (फाइल)

सारिका तिवारी/पटना(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/पटना :

बिहार में सत्ता परिवर्तन के बाद बनी महागठबंधन सरकार की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं. पहले बीजेपी ने मंत्रिमंडल में आपराधिक छवि के लोगों को शामिल करने का आरोप लगाया, और अब जनता दल युनाइटेड (जेडीयू) की विधायक ने ही अपनी सरकार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। रुपौली से जेडीयू की विधायक बीमा भारती की नाराजगी लेसी सिंह से है। उनका आरोप है कि मंत्रिमंडल विस्तार में आपराधिक छवि और पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने वाले को मंत्री बनाया गया है।

बिहार सरकार की खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री लेसी सिंह से बीमा भारती की नाराजगी का आलम यह है कि वो उनके खिलाफ खुलकर मैदान में आ गई हैं। उन्होंने लेसी सिंह पर हत्या सहित अन्य अपराधिक मामलों में शामिल होने का आरोप लगाते हुए कहा कि सीएम नीतीश कुमार को अविलंब उन्हें अपने मंत्रिमंडल से बर्खास्त करना चाहिए।  बीमा भारती ने कहा कि लेसी सिंह पर लगाए आरोपों का खुलासा खुद उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने किया था जब वो विपक्ष में थे। उन्होंने तब कहा था कि लेसी सिंह हत्या के मामले में आरोपित हैं, लेकिन अब उनको महागठबंधन सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल कराया गया है।

पहली बार लेसी सिंह साल 2014 में उद्योग विभाग की मंत्री बनीं। इसके बाद 9 फरवरी 2021 को खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग की मंत्री बनीं। इस बार भी खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग का ही मंत्री बनाया गया है।  

लेसी सिंह का जन्म 5 जनवरी साल 1974 को कटिहार जिले के मनिहारी में हुआ था। वर्तमान में लेसी सिंह पूर्णिया में रहती हैं। इनके पिता का नाम गंगाशरण सिंह है। लेसी सिंह ने 12वीं तक की पढ़ाई की है। साल 1990 में उनकी शादी मधुसुदन सिंह उर्फ बूटन सिंह से हो गई। इनके तीन बेटे और एक बेटी भी है।

साल 1995 में लेशी सिंह ने पति बूटन सिंह के साथ मिलकर अपनी राजनीतिक जीवन की शुरूआत की। उनके चुनाव प्रचार में उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर साथ देती थीं।

लेसी सिंह पहली बार 27 फरवरी 2000 को जार्ज फर्नांडीस और नीतीश कुमार के नेतृत्व में गठित समता पार्टी के सीट से चुनाव जीतकर विधायक बनी। लेसी सिंह कोशी-पूर्णिया प्रमंडल में पहली ऐसी उम्मीदवार थी जो समता पार्टी से चुनाव जीत विधानसभा पहुंची।

विधायक बनने के दो महीनों के भीतर 19 अप्रैल 2000 को पति बूटन सिंह की हत्या हो गई। इसके बाद विपत्ति को झेलते हुए उन्होंने समाजसेवा जारी रखी। साल 2001 में पूर्णिया में समता पार्टी की जिला अध्यक्ष रहीं। साथ ही विधानसभा में समता पार्टी की उपसचेतक भी रहीं। फरवरी 2005 में समता पार्टी में जदयू के विलय के बाद नवंबर 2005 में जदयू से दोबारा चुनाव जीतीं।

साल 2006 में जनता दल यूनाइटेड महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व मिला। इनके अच्छे कार्य को देखते हुए 2 नवंबर 2007 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य महिला आयोग बिहार की अध्यक्ष बनाया।

नीतीश कुमार की नेतृत्व में जनता दल यूनाइटेड के टिकट से लेसी सिंह लगातार चुनाव जीता। साल 2010 में 45 हजार वोट, साल 2015 में 30921 और 2020 विधानसभा चुनाव में 33594 वोट से जीतकर धमदाहा विधानसभा से विधायक निर्वाचित हुईं।

लेसी सिंह हमेशा लोगों की सेवा में उपलब्ध रहती हैं। इसके अलावा वे जनता की सुख-दुख में शामिल रहीं। लोगों के साथ उनका सीधा संपर्क रहता है। पटना से पूर्णिया आने पर घर पर लोगों से मिलकर समस्याओं का निपटारा करती हैं।  

नीतीश सरकार के क़ानून मंत्री कार्तिकेय सिंह पर रविशंकर प्रसाद का निशाना, कहा ‘कार्तिकेय को बर्खास्त और सख्त कार्रवाई की जाए’

पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, “नीतीश कुमार जी आपके कानून मंत्री कोर्ट की प्रक्रिया से मजाक कर रहे हैं उनका एंटीसिपेटरी बेल पटना हाई कोर्ट ने फरवरी 2017 में खारिज कर सरेंडर करने के लिए कहा था। पीड़ित ने साफ तौर पर कहा कि उनके अपहरण में कार्तिकेय सिंह की बड़ी भूमिका थी। ये अपहरण का गंभीर केस है जिसमें कार्तिकेय सिंह सरेंडर नहीं करते हैं। इसमें आजीवन कारावास या कम से कम दस साल की सजा का प्रावधान है।” कार्तिकेय सिंह के मंत्री के तौर पर शपथ लेते ही सोशल मीडिया समेत तमाम जगहों पर ऐसी ख़बरें चलने लगीं कि उनके ख़िलाफ़ वारंट जारी किया जा चुका है। कोर्ट की नज़रों में वो फ़रार हैं, और फ़रार होते हुए उन्होंने बतौर विधि मंत्री शपथ ले ली। प्राप्त जानकारी के अनुसार, उन पर पटना ज़िले के बिहटा थाने में अपहरण का मामला दर्ज है। मामला आईपीसी की 363, 365, 364 और 34 धाराओं के तहत दर्ज है।

कार्तिकेय सिंह
कार्तिकेय सिंह
  • नीतीश के मंत्री कार्तिकेय सिंह पर दर्ज हैं कई मामले
  • बाहुबली नेता अनंत सिंह के करीबी माने जाते हैं कार्तिकेय सिंह
  • बीजेपी ने कार्तिकेय सिंह समेत कई मंत्रियों को लेकर नीतीश को घेरा

सारिका तिवारी/पटना(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/पटना :

  बिहार में नीतीश सरकार के कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह शपथ लेते ही विवादों में घिरे हुए है और उन्हें बर्खास्त किए जाने की मांग की जा रही हैं। दरअसल कार्तिकेय सिंह के वारंट को लेकर बवाल मचा हुआ है। इस बीच नेताओं का बयानबाजी का दौर जारी है। अब भारतीय जनता पार्टी के नेता व केंद्रीय मंत्री का बयान सामने आया है।

भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि नीतीश कुमार RJD के सामने झुक गए है वो RJD से समझौता कर रहे है। ये एक बड़ा सवाल है की आखिर पांच साल पहले का आदेश हैं तो कार्तिकेय सिंह ने अभी तक सरेंडर क्यों नहीं किया। दरअसल नीतीश कुमार कानून प्रक्रिया से खिलवाड़ कर रहे है। मामले को लेकर जांच होनी चाहिए और न्यायिक प्रक्रिया से खिलवाड़ करने पर कार्यवाही होनी चाहिए। साथ ही कार्तिकेय सिंह को उनके पद से बर्खास्त करने की मांग की।

कार्तिकेय सिंह के मंत्री के तौर पर शपथ लेते ही सोशल मीडिया समेत तमाम जगहों पर ऐसी ख़बरें चलने लगीं कि उनके ख़िलाफ़ वारंट जारी किया जा चुका है। कोर्ट की नज़रों में वो फ़रार हैं, और फ़रार होते हुए उन्होंने बतौर विधि मंत्री शपथ ले ली। प्राप्त जानकारी के अनुसार, उन पर पटना ज़िले के बिहटा थाने में अपहरण का मामला दर्ज है। मामला आईपीसी की 363, 365, 364 और 34 धाराओं के तहत दर्ज है।

आईपीसी की 363 : भारतीय दंड संहिता की धारा 363 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति भारत से या किसी क़ानूनी अभिभावक की संरक्षता से किसी का अपहरण करता है तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, और साथ ही वह आर्थिक दंड के लिए भी उत्तरदायी होगा। सजा – सात वर्ष कारावास + आर्थिक दंड।

आईपीसी की 364 : भारतीय दंड संहिता की धारा 364 के अनुसार, जो भी कोई किसी व्यक्ति की हत्या करने के लिए उसका व्यपहरण या अपहरण करे या उस व्यक्ति को ऐसे व्यवस्थित करे कि उसे अपनी हत्या होने का ख़तरा हो जाए, तो उसे आजीवन कारावास या किसी एक अवधि के लिए कठिन कारावास जिसे दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है से दण्डित किया जाएगा और साथ ही वह आर्थिक दण्ड के लिए भी उत्तरदायी होगा।

आईपीसी की 365 : भारतीय दंड संहिता की धारा 365 के अनुसार, जो भी कोई किसी व्यक्ति का गुप्त और अनुचित रूप से सीमित / क़ैद करने के आशय से व्यपहरण या अपहरण करेगा, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है से दण्डित किया जाएगा और साथ ही वह आर्थिक दण्ड के लिए भी उत्तरदायी होगा।

आईपीसी की 34 : भारतीय दंड संहिता की धारा  34 के अनुसार, जब कई लोग समान इरादे से कोई आपराधिक कृत्य करते हैं तो उनमें से प्रत्येक इस कृत्य के लिए उसी तरह जवाबदेह होगा, जैसे उसने अकेले इस काम को अंजाम दिया हो।

हालांकि RJD कार्तिकेय सिंह पर लगे अपराधिक मामले को झूठा करार दे रही है। बिहार में क़ानून मंत्री कार्तिकेय सिंह को लेकर जारी वारंट पर RJD प्रमुख लालू यादव ने कहा है ऐसा कोई मामला नहीं है ,सुशील मोदी झूठ बोल रहे है।

दरअसल नीतीश सरकार के कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। नीतीश सरकार में एक दिन पहले जिस कानून मंत्री ने शपथ ली थी उन पर अपरहण का केस दर्ज है। ताज्जुब की बात ये है की कल उन्हें अपहरण के केस में दानापुर कोर्ट में सरेंडर करना था लेकिन वो दूसरी तरफ कानून मंत्री की शपथ लेने राजभवन पहुंचे हुए थे। नए कानून मंत्री के लिए अपरहण मामले में गैरजमानती वारंट जारी है।कार्तिकेय सिंह को न तो बिहार की पुलिस पकड़ पाई है न ही कोर्ट में उनकी पेशी हुई है।

कार्तिकेय सिंह पर क्या मामला है?

साल 2014 में राजीव रंजन नाम के एक व्यक्ति का अपहरण किया गया था। इस मामले में दर्ज एफआईआर में अपहरण के आरोपियों में कार्तिकेय सिंह का नाम भी शामिल है। केस अदालत में लंबित है। इसी सिलसिले में उन्हें वॉरंट जारी किया गया था।  

वहीं मीडिया में कोर्ट का वो आदेश भी सामने आया है जिसके मुताबिक कार्तिकेय सिंह को 1 सितंबर तक गिरफ्तारी से राहत दी गई है। 12 अगस्त 2022 के इस आदेश में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने 1 सितंबर तक कार्तिकेय सिंह की गिरफ्तारी पर रोक लगाई है जिस पर अब सवाल उठ रहे हैं।  

बिहार में फिर चाचा – भतीजा की सरकार

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यपाल फागू चौहान को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। उन्होंने 160 विधायकों के समर्थन के साथ नई सरकार बनाने का दावा भी पेश किया। शाम करीब 4:00 बजे नितीश, फागु चौहान से मिलने पहुंचे और अपना इस्तीफा सौंप दिया। नीतीश कुमार महागठबंधन के साथ फिर बिहार में सरकार बनाने जा रहे हैं। बिहार के राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपने के बाद जनता दल यू नेता नीतीश कुमार ने कहा कि हमारे सभी सांसदों और विधायकों के बीच इस बात पर आम सहमति पर है हमें एनडीए छोड़ देना चाहिए। राजभवन से बाहर आते हुए मीडिया कर्मियों से नीतीश कुमार ने कहा कि वह अब एनडीए गठबंधन से बाहर आ चुके हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी के सभी सांसद और विधायक चाहते थे कि एनडीए गठबंधन छोड़ दिया जाए। उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. फैसला पार्टी का है। उन्होंने बताया कि आरजेडी के साथ नई सरकार बनाएंगे इस दौरान नीतीश कुमार ने बताया कि राज्यपाल ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। बिहार में पिछले 3 दिनों से जारी राजनैतिक उठापटक का दौर आखिरी दौर में पहुंच गया है।

प्रधानमंत्री बनने का एक ख्वाब ओर एक (झठा) वादा नितीश को मोदी से दूर कर गया। 2024 की इंतज़ार सबको करनी पड़ेगी और देखना पड़ेगा की यहाँ का फदनवीस कौन ? – राजनैतिक विश्लेषक

  • जब नीतीश राजभवन से सीधे राबड़ी देवी के आवास पर पहुंचे, तो तेजस्वी यादव उन्हें रिसीव करने बाहर तक आए। राबड़ी के घर राजद, कांग्रेस और माले के विधायक मौजूद हैं।
  • पटना में भाजपा ने इमरजेंसी मीटिंग बुलाई है। मीटिंग में भाजपा कोटे के सभी मंत्रियों और संगठन के नेताओं को भी बुलाया गया है। पार्टी हाईकमान भी इनसे चर्चा कर सकता है।
  • RJD विधायक दल के नेता तेजस्वी यादव ने 115 विधायकों के समर्थन की चिट्ठी नीतीश कुमार को सौंपी है। इसमें नीतीश की अगुआई में सरकार बनाने की बात कही गई है।
  • सूत्रों के मुताबिक नई सरकार के गठन से पहले तेजस्वी ने गृह मंत्रालय मांगा है, जो अब तक नीतीश के पास था। पिछली सरकार में तेजस्वी यादव के पास पथ निर्माण विभाग था।

सारिका तिवारी(राजनैतिक विश्लेषक) डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/पटना :

बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। राजभवन से बाहर निकलने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि हम एनडीए में थे और अब एनडीए के मुख्यमंत्री पद से मैंने इस्तीफा दे दिया है। एनडीए से अलग होने के बाद नीतीश कुमार ने महागठबंधन के साथ सरकार बनाने का फैसला लिया है और इस फैसले के बाद वो राज्यपाल को इस्तीफा देने राजभवन पहुंचे।  नीतीश कुमार ने सीएम के पद से इस्तीफा देने के साथ ही विधायकों का समर्थन – पत्र भी गवर्नर को सौंप दिया। इससे पहले मंगलवार को महागठबंधन की बैठक में नीतीश कुमार को समर्थन दिए जाने के बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि सीएम नीतीश कुमार एनडीए(नरेंद्र मोदी) से अलग होंगे।

पार्टी के विधायकों और सांसदों की बैठक के बाद जेडीयू ने एनडीए से अलग होने का फैसला लिया, हांलाकि इसका औपचारिक ऐलान होना अभी भी शेष है। इस घटना के बाद नीतीश कुमार राज्यपाल फागू चौहान को इस्तीफा देने पहुंचे। कहा जा रहा था कि किसी भी वक्त नीतीश कुमार अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप सकते हैं लेकिन अंततः राज्यपाल ने मिलने के लिए उन्हें शाम करीब 4 बजे का वक्त दिया। नीतीश कुमार राजभवन अकेल ही इस्तीफा देने पहुंचे। उनके इस्तीफा सौंपने के साथ ही बिहार में नई सरकार के गठन का रास्ता भी साफ हो गया है।

इस बीच बड़ी खबर यह है कि महागठबंधन की नई नीतीश सरकार में दो उपमुख्‍यमंत्री रहेंगे। इनमें आरजेडी से तेजस्‍वी यादव का नाम तय है। सूत्रों के मुताबिक JDU की मीटिंग में नीतीश कुमार ने कहा कि भाजपा हमेशा हमें कमजोर करने की कोशिश की। भाजपा ने मुझे अपमानित किया। 2013 से लेकर अब तक भाजपा ने सिर्फ धोखा ही दिया।

उपेंद्र कुशवाहा, JDU नेता- नए स्वरूप में नए गठबंधन के नेतृत्व की जवाबदेही के लिए नीतीश कुमार को बधाई। आप आगे बढ़िए। देश आपका इंतजार कर कर रहा है।रोहिणी आचार्य, लालू यादव की बेटी- राजतिलक की करो तैयारी, आ रहे हैं लालटेनधारी।

पशुपति कुमार पारस, केंद्रीय मंत्री- RJD और JDU की सरकार पहले भी बनी थी लेकिन चल नहीं पाई। फिर ये लोग मिलकर सरकार बना रहे हैं। ये बिहार के विकास के लिए शुभ संकेत नहीं है। हमारी पार्टी NDA के साथ थी और आगे भी रहेगी।

नीतीश कुमार 2013 में भाजपा और 2017 में राजद से गठबंधन तोड़ चुके हैं। दोनों ही बार उन्होंने सरकार बनाई थी और सूबे के मुख्यमंत्री बने थे।

पिछले वर्ष बजट सत्र में विधानसभा में हुए भारी हंगामे और विपक्षी विधायकों की ओर से स्पीकर विजय कुमार सिन्हा के साथ किए गए दुर्व्यवहार मसले पर विधानसभा की आचार समिति की सिफारिश के आधार पर 14 विधायकों की सदस्यता पर तलवार लटकी हुई है। राज्य में जारी सियासी गतिविधि के बीच इस मसले पर भी फैसले लिए जाने की आशंका जताई जा रही है।

दरअसल, आचार समिति की सिफारिश अभी स्पीकर के स्तर पर विचाराधीन है। उस रिपोर्ट में क्या कार्रवाई की अनुशंसा की गई है यह सदन में पेश होने पर ही पता चलेगा, पर सूत्रों की मानें तो 14 आरोपी विधायकों की सदस्यता जाने का खतरा बरकरार है।

6 राज्यों में सीबीआई से जांच के लिए 221 सहमति अनुरोध लंबित, 30,912 करोड़ रुपये शामिल: डॉ जितेंद्र सिंह

पंजाब सहित 9 राज्यों ने सीबीआई को जांच के लिए अनुमति देने से मना कर दिया। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि पंजाब ,पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, मिजोरम ,केरल, झारखंड, महाराष्ट्र और मेघालय ने अपने राज्यों में सीबीआई को जांच करने की अनुमति ना देने का निर्णय लिया है। राज्यों में आपराधिक मामलों जांच करने के लिए केंद्र को सीबीआई जांच के लिए संबंधित राज्य से अनुमति लेना अनिवार्य है। आपको बता दें कि इन सभी 9 राज्यों में गैर भाजपा सरकारें हैं। हालांकि यदि जांच आदेश उच्चत्तम या उच्च न्यायालय जारी किए जाते हैं स्थिति में केंद्र राज्यों से अनुमति लेने के लिए बाध्य नहीं है।

फ़ाइल फोटो

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/नयी दिल्ली :

केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को बताया कि छह राज्यों द्वारा सहमति ना दिए जाने के कारण केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की जांच की मांग करने वाले 221 अनुरोध लंबित हैं, जिनमें सर्वाधिक 168 अनुरोध महाराष्ट्र से हैं और इनमें सन्निहित राशि 29,000 करोड़ रुपये हैं।राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मत्रालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने दी।उन्होंने कहा कि सीबीआई जांच की मांग करने वाले कुल अनुरोधों में 30, 912,.28 करोड़ रुपये के मामले हैं। इनमें 27 अनुरोध पश्चिम बंगाल से हैं जिनमें 1,193.80 करोड़ रुपये के मामले हैं।

उन्होंने कहा कि सीबीआई जांच की मांग करने वाले कुल अनुरोधों में 30, 912,.28 करोड़ रुपये के मामले हैं। इनमें 27 अनुरोध पश्चिम बंगाल से हैं जिनमें 1,193.80 करोड़ रुपये के मामले हैं, नौ अनुरोध पंजाब से हैं और इनमें 255.32 करोड़ रुपये के मामले हैं।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इसी प्रकार सात अनुरोध छत्तीसगढ़ से हैं, जिनमें 80.35 करोड़ रुपये और चार राजस्थान से हैं, जिनमें 12.06 करोड़ रुपये की राशि सन्निहित हैं। सिंह ने बताया कि 30 जून 2022 की स्थिति के अनुसार सबसे अधिक 168 अनुरोध महाराष्ट्र से हैं, जिनमें 29,040.18 करोड़ रुपये की राशि शामिल है।

महाराष्ट्र में भी, इस साल जून तक विपक्षी सरकार थी। अब वहां भाजपा गठबंधन की सरकार है। केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने गुरुवार को राज्यसभा में भाजपा सदस्य सुशील कुमार मोदी के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि राज्य सरकार की सहमति के अभाव में सीबीआइ द्वारा जांच के लिए लंबित मामलों की कुल संख्या इस वर्ष 30 जून तक 221 है। इनमें 40 मामले एक वर्ष से अधिक समय से लंबित हैं। 48 मामले ऐसे हैं जो छह महीने से एक वर्ष के बीच की अवधि के हैं। इसके अलावा 133 मामले छह महीने से कम समय से लंबित हैं।

इन मामलों में शामिल कुल राशि 30,912 करोड़ रुपये है।मंत्री द्वारा दिए गए जवाब के अनुसार, महाराष्ट्र में कुल 168 मामले लंबित हैं। इनमें से 39 एक वर्ष से अधिक, 38 छह माह से एक वर्ष और 91 छह माह से कम समय से लंबित हैं। बंगाल में 27 लंबित मामले हैं। इनमें से एक मामला एक वर्ष से लंबित है। एक मामला छह महीने से एक वर्ष के बीच का है जबकि 25 केस छह महीने से कम समय से लंबित हैं।महाराष्ट्र और बंगाल में लंबित मामलों में शामिल राशि क्रमश: 29,040 करोड़ और 1,194 करोड़ रुपये है। पंजाब, राजस्थान, झारखंड और छत्तीसगढ़ में कुल मिलाकर 26 मामले लंबित हैं, जिनमें कुल राशि 678 करोड़ रुपये है।