राष्टीय गणित दिवस पर फिल्म दिखाकर छात्राओं को बताई गई महान गणितज्ञ रामानुजन की योग्यता

सुशील पंडित, डेमोक्रेटिक फ्रंट, यमुनानगर – 22 दिसंबर  :

            डीएवी ग़र्ल्स काॅलेज के गणित एवं सांख्यिकी विभाग की ओर से राष्टीय गणित दिवस मनाया गया। काॅलेज की वाइस प्रिंसिपल डाॅ विनीत व गणित विभाग की अध्यक्ष संगीता गोयल ने संयुक्त रूप से कार्यक्रम की अध्यक्षता की।

            इस अवसर पर विद्यार्थियों को रामानुजन  के जीवन पर आधारित फिल्म दिखाई गई। संगीता गोयल ने बताया कि गणित के क्षेत्र में रामनुजन के योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने वर्ष 2012 में महान गणितज्ञ रामानुजन के जन्मदिन को गणित दिवस के रूप में घोषित किया था।  रामानुजन का जन्म 1887 में तमिलनाड़ु में हुआ।

            इन्होंने महज 12 साल की कम आयु में ही त्रिकोणमिति में महारथ हासिल कर ली और कई प्रमेय विकसित किए। इंफाइनट सीरीज, फ्रैक्शन, नंबर थ्योरी और मैथमेटिकल एनालिसिस में भी श्रीनिवास रामानुजन का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

            रामानुजन को गणित सिद्धांतों पर काम करने के कारण ‘लंदन मैथमेटिक्स सोसाइटी’ में चुना गया। वर्ष 2015 में रामानुजन जैसे महान गणितज्ञ पर द मैन हू न्यू इनफिनिटी फिल्म बनी। जिसमें श्रीनिवास रामानुजन की भूमिका में ब्रिटिश-इंडियन एक्टर देव पाटिल नजर आए थे।

            रामानुजन का निधन महज 33 वर्ष की आयु में ही टीबी की बीमारी के कारण हो गया।  लेकिन इतने कम उम्र में भी वे अपने कार्यों से देश-विदेश तक लोहा मनवा चुके थे।

            कार्यक्रम के सफल आयोजन में विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर कनिका गोयल, सुनामिका, अनु, नेहा व निधि ने सहयोग दिया।  

‘काशी तमिल संगमम्’ में आयोजित 8 दिवसीय खेल शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे खिलाड़ी

रघुनंदन पराशर, डेमोक्रेटिक फ्रंट, जैतो – 05 दिसंबर :

            केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि परंपरा,संस्कृति, सभ्यता और धार्मिक तीर्थयात्रा के साथ-साथ खेल एक ऐसा अन्य क्षेत्र है जिसे ‘काशी तमिल संगमम्’ में प्रतिभागियों की समग्र जुड़ाव योजना में शामिल किया गया है।

            भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) द्वारा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में 8 से 15 दिसम्बर 2022 तक 8 दिवसीय ‘स्पोर्ट्स समिट’ का आयोजन किया गया है।

            खिलाड़ियों को ‘महामना की बगिया’, बी.एच.यू. में आयोजित खेल शिखर सम्मेलन में भाग लेने के दौरान भव्य ‘काशी तमिल संगमम्’ देखने का अवसर भी मिलेगा। इसमें आयोजन नीचे दिए गए कार्यक्रम के अनुसार खेल की आठ श्रेणियों का किया जाएगा।पुरुषों और महिलाओं दोनों की टीम, उत्तर और दक्षिण भारत से बनाई गई है जो ‘काशी तमिल संगमम्- खेल शिखर सम्मेलन’ में हिस्सा लेंगी।’काशी तमिल संगमम्’ – खेल शिखर सम्मेलन का कार्यक्रम 8-15 दिसम्बर 2022 तक होगा जिसके अनुसार 

8 दिसम्बर हॉकी मैच

हॉकी स्टेडियम,बी.एच.यू. में होगा जबकि 9 दिसम्बर को फुटबॉल मैच

  • फुटबॉल स्टेडियम, बीएचयू,10 दिसम्बर को 
  • क्रिकेट मैच आईआईटी क्रिकेट स्टेडियम, बीएचयू,11 दिसम्बर को 
  • टेबल टेनिस व बैडमिंटन मैच एमपी हॉल, बीएचयू ,12 दिसम्बर को वॉलीबॉल मैच
  • बीएचयू स्पोर्ट्स ग्राउंड, बीएचयू ,13 दिसम्बर को खो-खो मैच बीएचयू स्पोर्ट्स ग्राउंड, बीएचयू ,
  • 14 दिसम्बर को कबड्डी मैच बीएचयू स्पोर्ट्स ग्राउंड, बीएचयू में होगा।

छत्‍तीसगढ़ में सनातन धर्म के देवी-देवताओं का कांग्रेस नेता की उपस्थिती में अपमान

            आम आदमी पार्टी के बाद अब कॉंग्रेस के राज में दिलाई गई हिंदू विरोधी शपथ, वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें एक कार्यक्रम में हिंदू विरोधी शपथ दिलवाई जा रही है। यह वायरल वीडियो छत्‍तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले का बताया जा रहा है। इस वीडियो में हिंदू देवी-देवताओं को नहीं मानने की शपथ दिलाई जा रही है। वीडियो में एक व्यक्ति वहाँ मौजूद लोगों को शपथ दिलाते हुए कह रहा है, “मैं गौरी,गणपति इत्यादि हिन्दू धर्म के किसी भी देवी-देवताओं को नहीं मानूँगा और ना ही कभी उनकी पूजा करूँगा। मैं इस बात पर कभी विश्वास नहीं करूँगा कि ईश्वर ने कभी अवतार लिया है।” इस दौरान शपथ दोहराने वाले लोगों में महापौर देशमुख भी दिख रहीं हैं।

डेमोक्रेटिक फ्रंट संवाददाता, पटना :

 

            कॉन्ग्रेस शासित छत्तीसगढ़ से एक वीडियो सामने आया है। इस वीडियो में हिंदू विरोधी शपथ दिलवाई जा रही है। वीडियो राजनांदगांव का है। इस दौरान कॉन्ग्रेस की महापौर हेमा सुदेश देशमुख भी मौजूद थीं।

राहुल गांधी के कर्नाटक दौरे के बाद कांग्रेसी नेता के बयानों पर बीजेपी ने कहा था कि रिजिल मकुट्टी के साथ राहुल गांधी के दिखने से साफ हो गया है कि कांग्रेस अपनी हिंदू विरोधी नफरत को छिपाने की कोशिश भी नहीं कर रही है।  दरअसल, सतीश जारकीहोली को अंध विश्वास की खुलकर मुख़ालफ़त करने वाला नेता माना जाता है और उन्होंने  ‘मानव बंधुत्व वेदिके’ नाम से अंध-विश्वास विरोधी संगठन भी बना रखा है। हाल ही में एक सभा में दिए भाषण में उन्होंने कहा कि हिंदू एक फारसी शब्द है और इसका अर्थ भयानक होता है। हिंदू शब्द भारत का है ही नहीं ये तो फारस से आया है। उनके मुताबिक हिन्दू का अर्थ बहुत विचित्र है। कहीं का धर्म लाकर आप चर्चा कर रहे हैं। हम पर हिन्दू शब्द थोपा जा रहा है। ईरान और इराक से आया है, हिन्दू शब्द। हिंदू शब्द कहां से आया? यह फ़ारसी है। भारत का क्या संबंध है? यह आपका कैसे हो गया हिंदू? इस पर बहस होनी चाहिए। यह शब्द आपका नहीं है। अगर आपको इसका मतलब समझ में आएगा, तो आपको शर्म आ जाएगी।

            वीडियो राजनांदगांव के वार्ड मोहरा में आयोजित राज्यस्तरीय बौद्ध सम्मेलन का है। यह वीडियो 7 नवंबर 2022 का है। वीडियो में आप देख सकते हैं कि लोगों को हिंदू देवी-देवताओं को नहीं मानने की शपथ दिलाई जा रही है।

            वीडियो में एक व्यक्ति वहाँ मौजूद लोगों को शपथ दिलाते हुए कह रहा है, “मैं गौरी,गणपति इत्यादि हिन्दू धर्म के किसी भी देवी-देवताओं को नहीं मानूँगा और ना ही कभी उनकी पूजा करूँगा। मैं इस बात पर कभी विश्वास नहीं करूँगा कि ईश्वर ने कभी अवतार लिया है।” इस दौरान शपथ दोहराने वाले लोगों में महापौर देशमुख भी दिख रहीं हैं।

            जनजातीय मामलों की केन्द्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह ने यह वीडियो ट्वीट करते हुए कहा है, कॉन्ग्रेस राज में हिंदू विरोध चरम पर है। यहाँ हिंदू आस्था पर खुलेआम प्रहार किया जा रहा है और कॉन्ग्रेस की राजनांदगांव महापौर हिंदू धर्म के विरूद्ध शपथ ले रही हैं। कोई सनातन विरोधी कार्यक्रम हो और कॉन्ग्रेस से उसके तार ना जुड़े ऐसा हो सकता है क्या?”

            छत्तीसगढ़ भाजपा प्रवक्ता नीलू शर्मा ने भी इस आयोजन पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने पत्रकारों को बताया, “एक तरफ भूपेश बघेल की सरकार छतीसगढ़ में राम गमन पथ निर्माण की बात करती है। दूसरी और कॉन्ग्रेस नेता हिंदू विरोधी कार्यक्रमों में शिकरत करते हैं। कॉन्ग्रेस महापौर की ऐसे कार्यक्रम में मौजूदगी दुर्भाग्यजनक है।”

            गौरतलब है कि कुछ दिन पहले इसी तरह का कार्यक्रम दिल्ली में भी हुआ था। 5 अक्टूबर 2022 को आयोजित इस कार्यक्रम में करीब 10 हजार लोगों को हिंदू विरोधी शपथ दिलाई गई थी। इसका आयोजन बौद्ध सोसाइटी ऑफ इंडिया द्वारा नई दिल्ली के झंडेवालान स्थित डॉ. बीआर अंबेडकर भवन में किया गया था।

            इस कार्यक्रम में केजरीवाल सरकार के तत्कालीन मंत्री राजेंद्र पाल गौतम भी शामिल हुए थे। गौतम ने इसकी कुछ तस्वीरें ट्विटर पर साझा करते हुए कहा था, आज मिशन जय भीम के तत्वाधान में अशोका विजयदशमी पर डॉ. अंबेडकर भवन रानी झाँसी रोड पर 10000 से ज्यादा बुद्धिजीवियों ने तथागत गौतम बुद्ध के धाम में घर वापसी कर जाति विहीन और छुआछूत मुक्त भारत बनाने की शपथ ली। नमो बुद्धाय, जय भीम!

            इस कार्यक्रम में गौतम समेत कई लोग एक शपथ लेते भी दिखे थे। इसमें कहा गया था, मैं हिंदू धर्म के देवी देवताओं ब्रह्मा, विष्णु, महेश, श्रीराम और श्रीकृष्ण को भगवान नहीं मानूँगा, न ही उनकी पूजा करूँगा। मुझे राम और कृष्ण में कोई विश्वास नहीं होगा, जिन्हें भगवान का अवतार माना जाता है। इस दौरान यह भी कहते हुए सुना गया, मैं इस बात को नहीं मानता और न ही मानूँगा कि भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार थे। मैं इसे केवल पागलपन और झूठा प्रचार मानता हूँ। मैं श्राद्ध नहीं करूँगा और न ही पिंडदान करूँगा। इसके बाद गौतम को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

पीएफआई और RSS बराबर, इसपर भी लगाओ बैन : कांग्रेस सांसद कोडिकुन्निल

                        उर्दू अखबार ‘इंकलाब’ ने एक जुलाई 2018 को रिपोर्ट छापी थी जिसमें बताया गया था कि राहुल गांधी ने मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ मुलाकात के दौरान कहा था कि कांग्रेस मुसलमानों की पार्टी है इस रिपोर्ट को पार्टी के कुछ नेताओं द्वारा खारिज करने पर उसी अखबार में कांग्रेस के अल्पसंख्यक मोर्चे के प्रमुख नदीम जावेद का इंटरव्यू छपा है, जिसमें कांग्रेस नेता ने एक तरह से यह पुष्टि की है कि राहुल गांधी ने कांग्रेस को मुसलमानों की पार्टी बताया था। साथ ही कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह भी 2018 में RSS के खिलाफ विवादित बयान दे चुके हैं। झाबुआ में दिग्विजय सिंह ने कहा था कि अभी तक जितने भी हिंदू आतंकी सामने आए हैं, सब RSS से जुड़े रहे हैं। उन्होंने कहा था कि संघ के खिलाफ जांच की जाए और फिर कार्रवाई होनी चाहिए। आज कॉंग्रेस की सनातन धर्मी लोगों के प्रति नफरत फिर सामने आई जब केरल से कांग्रेस सांसद और लोकसभा में मुख्य सचेतक कोडिकुन्निल सुरेश आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है और कहा है कि पीएफआई पर बैन लगाना कोई उपाय नहीं है।  

  • भारत सरकार ने पीएफआई को पांच साल के लिए बैन कर दिया
  • पीएफआई पर बैन को लेकर कांग्रेस सांसद ने उठाया सवाल
  • कांग्रेस सांसद सुरेश ने कहा कि आरएसएस पर भी बैन लगना चाहिए

राजविरेन्द्र वसिष्ठ, डेमोक्रेटिक फ्रंट चंडीगढ़/ नयी दिल्ली

            समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, मल्लपुरम में कांग्रेस सांसद कोडिकुन्निल ने कहा. “हम आरएसएस पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग करते हैं।  पीएफआई पर बैन कोई उपाय नहीं है। आरएसएस भी पूरे देश में हिंदू साम्प्रदायिकता फैला रहा है। आरएसएस और पीएफआई दोनों समान हैं, इसलिए सरकार को दोनों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। केवल पीएफआई पर ही बैन क्यों?”

            गौरतलब है कि पीएफआई के अलावा, आतंकवाद रोधी कानून ‘यूएपीए’ के तहत ‘रिहैब इंडिया फाउंडेशन’ (आरआईएफ), ‘कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया’ (सीएफ), ‘ऑल इंडिया इमाम काउंसिल’ (एआईआईसी), ‘नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन’ (एनसीएचआरओ), ‘नेशनल विमेंस फ्रंट’, ‘जूनियर फ्रंट’, ‘एम्पावर इंडिया फाउंडेशन’ और ‘रिहैब फाउंडेशन’(केरल) को भी प्रतिबंधित किया गया है।

            कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह भी 2018 में RSS के खिलाफ विवादित बयान दे चुके हैं। झाबुआ में दिग्विजय सिंह ने कहा था कि अभी तक जितने भी हिंदू आतंकी सामने आए हैं, सब RSS से जुड़े रहे हैं। उन्होंने कहा था कि संघ के खिलाफ जांच की जाए और फिर कार्रवाई होनी चाहिए।


            PFI पर बैन लगने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री गिरिराज सिंह ने ट्वीट किया है। सिंह ने अपने ट्वीट में लिखा- बाय बाय PFI। वहीं असम के CM हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा- मैं भारत सरकार की ओर से PFI पर प्रतिबंध लगाने के फैसले का स्वागत करता हूं। सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए दृढ़ है कि भारत के खिलाफ विभाजनकारी या विघटनकारी डिजाइन से सख्ती से निपटा जाएगा।

           12 सितंबर को कांग्रेस ने अपने ट्विटर अकाउंट से खाकी की एक निक्कर की तस्वीर शेयर की। इसमें लिखा- देश को नफरत से मुक्त कराने में 145 दिन बाकी हैं। हालांकि, संघ ने भी इसका तुरंत विरोध किया और संगठन के सह सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य ने कहा था कि इनके बाप-दादा ने संघ का बहुत तिरस्कार किया, लेकिन संघ रुका नहीं। 

           भारत में आजादी के बाद 3 बार बैन लग चुका है। पहली बार 1948 में गांधी जी की हत्या के बाद बैन लगा था। यह प्रतिबंध करीब 2 सालों तक लगा रहा। संघ पर दूसरा प्रतिबंध 1975 में लागू आंतरिक आपातकाल के समय लगा। आपातकाल खत्म होने के बाद बैन हटा लिया गया।

वहीं तीसरी बार RSS पर 1992 में बाबरी विध्वंस के वक्त बैन लगाया गया। यह बैन करीब 6 महीने के लिए लगाया गया था।

           RSS की स्थापना साल 1925 में केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी। संघ में सर संघचालक सबसे प्रमुख होता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक एक करोड़ से ज्यादा प्रशिक्षित सदस्य हैं। संघ परिवार में 80 से ज्यादा समविचारी या आनुषांगिक संगठन हैं। दुनिया के करीब 40 देशों में संघ सक्रिय है।

           मौजूदा समय में संघ की 56 हजार 569 दैनिक शाखाएं लगती हैं. करीब 13 हजार 847 साप्ताहिक मंडली और 9 हजार मासिक शाखाएं भी हैं। संघ में सर कार्यवाह पद के लिए चुनाव होता है। संचालन की पूरी जिम्मेदारी उन्हीं पर होती है।

वहीं PFI के खिलाफ हुई इस कार्रवाई को लेकर SDPI  ने कहा है कि केंद्र सरकार जांच एजेंसियों को गलत तरीके से इस्तेमाल कर रही है और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है।  

एक तरफ जहां पीएफआई के खिलाफ इस कार्रवाई पर संगठन से सहानुभूति रखने वाला पक्ष केंद्र सरकार पर आरोप लगा रहा है तो दूसरी ओर भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों समेत बीजेपी के दिग्गज नेताओं ने इस कदम का स्वागत किया है।  PFI पर बैन को लेकर उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, “देश गृह मंत्री अमित शाह के फैसले की सराहना कर रहा है, हम उनका धन्यवाद करते हैं और इस निर्णय का स्वागत करते हैं इसका विरोध करने वालों भारत स्वीकार नहीं करेगा और सख्त जवाब देगा।”

                पीएफआई को लेकर सांप्रदायिक हिंसा के आरोप लगते रहे हैं. ऐसे में संभावनाएं है कि बैन जैसी बड़ी कार्रवाई के बाद पीएफआई के कार्यकर्ता सामाजिक माहौल खराब करने की कोशिश कर सकते हैं जिसके चलते पूरे देश में सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद की गई है. दिल्ली से लेकर तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक जैसे राज्यों में सुरक्षा एजेंसियां चप्पे-चप्पे पर तैनात हैं।  

                आपको बता दें कि पिछले कुछ दिनों में केंद्रीय जांच एजेंसियों ने उनके खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए छापेमारी की थी जिसमें संगठन के खिलाफ अहम सबूत मिले थे और विदेशी फंडिंग तक की बातें सामने आईं थीं। इसके चलते मंगलवार देर रात मोदी सरकार ने इस संगठन को बैन करने का ऐलान कर दिया जो कि संगठन के लिए एक बड़ा झटका है।

Krishnakumar Kunnath, 53, popularly known as KK, died

Krishnakumar Kunnath, 53, popularly known as KK, died while performing a concert on Nazrul Manch, Kolkata on 31st May 2022. He was a popular Indian playback singer. He was regarded as one of the most versatile singers of his generation.

Koral ‘Prnoor’, Demokretic Front, Kolkata/ Chandigarh :

Singer KK, who gave Indian music lovers many hits over the last three decades has died at 53. He gave a performance at Nazrul Mancha on Tuesday and later went to his hotel where he fell ill. He was brought to a hospital where he was declared dead.

KK was feeling unwell after reaching his hotel, following a performance at a concert in the evening where he sang for almost an hour, officials said.

He was taken to a private hospital in south Kolkata where doctors declared him brought dead, they said. “It’s unfortunate that we could not treat him,” a senior official of the hospital said.

Minister Arup Biswas said about KK’s death, “Singer Anupam Roy called me up and said he is hearing something bad from the hospital. Then I contacted the hospital. They said he was brought dead. Then I rushed to the hospital.”

KK released his first album, Pal in 1999. The singer-composer, whose real name was Krishnakumar Kunnath then focussed more on Bollywood than on his independent music, giving hits such as Tadap Tadap (Hum Dil De Chuke Sanam, 1999), Dus Bahane (Dus, 2005), and Tune Maari Entriyaan (Gunday, 2014). 

He was born in Delhi and was also known for his electric live shows. His Instagram page had been sharing updates from his concert in Kolkata as recently as eight hours ago.

Singer Harshdeep Kaur expressed shock at his death. “Just can’t believe that our beloved #KK is no more. This really can’t be true. The voice of love has gone. This is heartbreaking.” Actor Akshay Kumar wrote, “Extremely sad and shocked to know of the sad demise of KK. What a loss! Om Shanti.”

Filmmaker Srijit Mukerji wrote on Facebook, “In a state of total shock. Just met him last month for the first time and it seemed that we had known each other for years. The chatter wouldn’t just stop. And I was so moved to see the love he had for Gulzar saab. He said he stepped into the film world with Chhor aaye hum and sang it to him as a tribute. Farewell, my newest friend. Will miss you. I wish we could have had more sessions on music and food and cinema.”

राज्यसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने जारी की उम्मीदवारों की सूची

बीते दिनों उदयपुर में कांग्रेस के चिंतन शिविर में तमाम फैसले किए गए थे। इनमें से युवाओं पर दांव लगाना भी एक अहम फैसला था। यह अलग बात बात है कि राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस अपने ही लिए तमाम फैसले लागू नहीं कर सकेगी। इसकी एक बड़ी वजह यही है कि कांग्रेस पार्टी के पास राज्यसभा सीट कम और दावेदार कहीं ज्यादा हैं। इसके साथ ही पार्टी को एकजुट रखने के लिए आलाकमान पर कई वरिष्ठ नेताओं को राज्यसभा भेजने का भी दबाव है। ऐसे में पार्टी के लिए युवा नेताओं को राज्यसभा भेजना आसान नहीं होगा। दूसरी तरफ जिन राज्यों में कांग्रेस ने सहयोगी दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई है, वह भी राज्यसभा चुनाव को लेकर आंखे तरेर रहे हैं।

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/नयी दिल्ली :

कांग्रेस ने आगामी राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। 10 नामों की जो सूची जारी की गई है, उसमें छत्तीसगढ़ से राजीव शुक्ला और रंजीत रंजन का नाम है। वहीं, हरियाणा से अजय माकन, कर्नाटक से जयराम रमेश, मध्य प्रदेश से विवेक तन्खा, महाराष्ट्र से इमरान प्रतापगढ़ी, राजस्थान से रणदीप सुरजेवाला, मुकुल वासनिक, प्रमोद तिवारी का नाम है। तमिलनाडु से पी चिदंबरम के नाम का ऐलान हुआ है।

10 उम्मीदवारों की सूची में कांग्रेस पार्टी ने अजय माकन को हरियाणा से, जयराम रमेश को कर्नाटक से, पी चिदंबरम को तमिलनाडु से, प्रमोद तिवारी, रणदीप सुरजेवाला और मुकुल वासनिक को राजस्थान, विवेक तन्खा को मध्य प्रदेश से उम्मीदवार बनाया है। वहीं, इमरान प्रतापगढ़ी को महाराष्ट्र से और राजीव शुक्ला को छत्तीसगढ़ से उम्मीदवार घोषित किया है।

बीजेपी ने आगामी राज्यसभा चुनाव के लिए 16 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की है। इनमें केंद्रीय मंत्रियों पीयूष गोयल और निर्मला सीतारमण को महाराष्ट्र और कर्नाटक से उम्मीदवार बनाया गया है। इन 16 उम्मीदवारों में से छह उत्तर प्रदेश से हैं।

बंगाल में अब मुख्य मंत्री होंगी विश्वविद्यालयों की कुलपति

बंगाल में सीएम ममता और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच विवाद नया नहीं है। कई मुद्दों पर दोनों के बीच तनातनी की स्थिति बनी हुई है। ममता राज्यपाल पर सीधे केंद्र के आदेश थोपने का आरोप लगाती हैं। वहीं, राज्यपाल कहते हैं कि वह जो भी कार्य करते हैं वह संविधान के मुताबिक होता है। चाहे बात विधानसभा का सत्र बुलाने की हो या किसी नए विधायक को शपथ दिलाने की, बंगाल में तकरीबन हर मामले पर सियासी विवाद पैदा हो जाता है। चुनाव बाद राज्य में में हुई हिंसा को लेकर भी सीएम और राज्यपाल में टकराव हुआ था। 

नई दिल्ली:

पश्चिम बंगाल में सरकार और राज्यपाल के बीच विवाद जगजाहिर है, लेकिन अब राज्य सरकार और गवर्नर के बीच विवाद और बढ़ता जा रहा है। अब ममता बनर्जी सरकार ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ के खिलाफ एक और दांव चल दिया है। राज्य सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए मुख्यमंत्री को राज्यपाल की जगह विश्वविद्यालय का कुलपति बनाए जाने का निर्णय लिया है। प्रदेश के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने गुरुवार को यह जानकारी दी।

विधानसभा में पेश किया जाएगा बिल

शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने कहा कि कैबिनेट की बैठक में फैसला लिया गया है कि राज्य सरकार द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों में कुलपति अब गर्वनर न होकर मुख्यमंत्री होंगी। उन्होंने जल्द ही विधानसभा में कानून में बदलाव करके इसे लागू कर दिया जाएगा। आपको बता दें कि इससे पहले राज्य सरकार द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों में कुलपति राज्यपाल होते थे और वही विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति करते थे.

ममता बनर्जी की सरकार का कहना था कि कुलपति की नियुक्तियों के लिए राज्यपाल के पास नाम भेजे जाते हैं लेकिन मंजुरी नहीं मिलती है। अब विधानसभा में एक नया बिल लाया जाएगा। इसके बाद कानून में संशोधन किया जाएगा। इसी तरह का फैसला तमिलनाडु की सरकार ने भी लिया था। तमिलनाडु में विधानसभा में बिल पेश करके राज्यपाल से कुलपतियों की नियुक्ति का अधिकार छीन लिया गया था।

तमिलनाडु के सीएम ने उदाहरण दिया था कि पीएम मोदी के गृह राज्य गुजरात में भी कुलपतियों की नियुक्ति राज्यपाल नहीं बल्कि राज्य सरकार करती है। उन्होंने कहा था कि कर्नाटक सहित अन्य कई राज्यों में भी ऐसा ही होता है। 

कपिल सिब्बल हाथ छोड़ कर हुए साइकल सवार, अब रजाया सभा जाने की तैयारी

सीबीआई ने कार्ति चिदंबरम सहित 5 के खिलाफ दर्ज किया केस, 263 चीनी नागरिकों को वीजा के लिए 50 लाख रिश्वत लेने का आरोप

अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में सीबीआई ने आरोप लगाया है कि कार्ति चिदंबरम को संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल के दौरान एक ‘पॉवर प्रोजेक्ट’ के वास्ते चीन के 250 नागरिकों को वीजा दिलवाने के लिए 50 लाख रुपये की रिश्वत मिली थी। उन्होंने बताया कि कार्ति चिदंबरम के खिलाफ यह जांच, आईएनएक्स मीडिया मामले की जांच के दौरान कुछ संबंधित सुराग मिलने पर शुरू की गई। एक प्राईवेट कंपनी पंजाब के मनसा में 1980 मेगावॉट का थर्मल पावर प्लांट लगा रही थी। इसका जिम्मा चीन की एक कंपनी को दिया गया था। आरोप है कि यह प्रोजेक्ट लेट हो रहा था। आरोप है कि काम को तेजी से कराने के लिए चीनी प्रोफेशनल्स को मनसा लाया गया। इनके लिए वीजा का इंतजाम चेन्नई के एक शख्स ने अपने कुछ साथियों की मदद से किया। इसमें नियमों की अनदेखी हुई। कुल 263 प्रोजेक्ट वीजा जारी किए गए। इतना ही नहीं होम मिनिस्ट्री को इस प्राईवेट कंपनी ने एक लेटर लिखा और इन तमाम वीजा होल्डर्स को फिर से वीजा जारी करने की गुजारिश की। इसकी मंजूरी भी एक महीने में मिल गई। आरोप है कि चेन्नई के एक व्यक्ति ने अपने सहयोगियों की मदद से 50 लाख रुपए रिश्वत मांगी।

कार्ति चिदंबरम(file Photo)

सारिका तिवारी, देओक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/नई दिल्ली :  

सीबीआई ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे और सांसद कार्ति चिदंबरम और 4 अन्य लोगों के खिलाफ चीनी कंपनियों में कार्यरत चीनी नागरिकों को अवैध वीजा दिलवाने के मामले में केस दर्ज किया है। ये लोग चीनी कंपनियों में कार्यरत चीनी नागरिकों से घूस लेकर गृह मंत्रालय द्वारा निर्धारित सीमा से ज्यादा लोगों को प्रोजेक्ट वीजा उपलब्ध कराते थे। वह भी उस समय जब कार्ति चिदंबरम के पिता केंद्र में मंत्री थे। यानी पिता के पद का इस्तेमाल करते हुए कार्ति चिदंबरम ने चीन नागरिकों से कथित तौर पर 50 लाख रुपये घूस लेकर वीजा उपलब्ध कराया। पिता के पद का इस्तेमाल करते हुए कार्ति चिदंबरम ने चीन नागरिकों से कथित तौर पर 50 लाख रुपये घूस लेकर वीजा उपलब्ध कराया। अधिकारियों ने बताया कि प्राथमिकी दर्ज करने के बाद आज सुबह सीबीआई के दल ने दिल्ली और चेन्नई में चिदंबरम पिता-पुत्र के आवास समेत देश के कई शहरों में 10 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। यह छापे चेन्नई और मुंबई में कई स्थानों पर तथा कोप्पल (कर्नाटक), झारसुगुड़ा (ओडिशा), मनसा (पंजाब) और दिल्ली में मारे गए।

कार्ति ने सीबीआई छापों के तुरंत बाद इस बारे में विस्तृत जानकारी दिए बिना ट्वीट किया, ‘‘ अब तो मैं गिनती भी भूल गया हूं कि कितनी बार ऐसा हुआ है? शायद यह एक रिकॉर्ड होगा। ” बाद में उन्होंने और ट्वीट कर कहा कि उनके कार्यालय ने उन्हें छापों के बारे में जानकारी दी है। उन्होंने कहा, “मेरे कार्यालय ने अभी ‘रिकॉर्ड’ के बारे में अद्यतन जानकारी दी है, 2015 में दो बार, 2017 में एक बार, 2018 में दो बार और आज, छह!”


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने हिंदी और अंग्रेजी में किए गए अपने ट्वीट में कहा कि सीबीआई के एक दल ने चेन्नई स्थित उनके निवास और दिल्ली में आधिकारिक आवास पर छापेमारी की। उन्होंने कहा, ‘‘ सीबीआई के दल ने मुझे एक प्राथमिकी दिखाई, जिसमें मेरा नाम आरोपी के तौर पर दर्ज नहीं था। छापेमारी में कुछ नहीं मिला और कुछ भी जब्त नहीं किया गया।” उन्होंने कहा, ‘‘ मैं इस बात की ओर ध्यान जरूर दिलाना चाहूंगा कि छापेमारी का समय दिलचस्प है।” हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि छापेमारी के “समय” से उनका क्या आशय है। उन्होंने बताया कि कार्ति चिदंबरम के खिलाफ यह जांच, आईएनएक्स मीडिया मामले की पड़ताल के दौरान कुछ संबंधित सुराग मिलने पर शुरू की गई।

अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में सीबीआई ने आरोप लगाया है कि कार्ति चिदंबरम को संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल के दौरान ‘तलवंडी साबो बिजली परियोजना’ के लिए जुलाई-अगस्त 2011 में चीन के 263 नागरिकों को वीजा दिलवाने के लिए 50 लाख रुपये की रिश्वत मिली थी। उस समय पी चिदंबरम केंद्रीय गृह मंत्री थे। तलवंडी साबो पावर लिमिटेड के प्रवक्ता ने कहा, “पंजाब में हमारे प्रतिष्ठान की तलाशी सीबीआई की व्यापक जांच का हिस्सा है। हम अधिकारियों को पूरा सहयोग दे रहे हैं और उचित प्रक्रिया का पालन कर रहे हैं। हमें और कोई टिप्पणी नहीं करनी है।”


अधिकारियों ने बताया कि प्राथमिकी में कार्ति के अलावा उनके करीबी सहयोगी एस भास्कररमन, तलवंडी साबो बिजली परियोजना के प्रतिनिधि विकास मखारिया (जिसने कथित तौर पर रिश्वत दी) , कंपनी तलवंडी साबो पावर लिमिटेड, मुंबई स्थित बेल टूल्स लिमिटेड (जिसके मार्फत कथित तौर पर रिश्वत पहुंचाई गई) और अन्य अज्ञात के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। सीबीआई को भास्कररमन के कंप्यूटर की हार्ड ड्राइव से 50 लाख रुपये के संदिग्ध लेन-देन के कुछ दस्तावेज मिले थे, जिसके आधार पर एजेंसी ने प्रारंभिक जांच दर्ज की थी। प्रारंभिक जांच के निष्कर्षों में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए प्रथम दृष्टया पर्याप्त सामग्री उपलब्ध थी।

एजेंसी का आरोप है कि पंजाब के मनसा स्थित तलवंडी साबो बिजली परियोजना के तहत 1980 मेगावाट का ताप बिजली संयंत्र स्थापित किया जाना था जिसके लिए चीन की एक कम्पनी के साथ अनुबंध किया गया था, लेकिन उसका काम तय समय से पीछे चल रहा था। सीबीआई प्रवक्ता आर सी जोशी ने एक बयान में कहा कि परियोजना निर्धारित समय से पीछे चल रही थी और कंपनी पर जुर्माना लगने की तलवार लटक रही थी।

जोशी ने कहा, “देरी के लिए दंडात्मक कार्रवाई से बचने के लिए, उक्त निजी कंपनी (तलवंडी साबो) जिला मानसा (पंजाब) में अपनी साइट के लिए अधिक से अधिक चीनी व्यक्तियों और पेशेवरों को लाने की कोशिश कर रही थी और उन्हें गृह मंत्रालय द्वारा निर्धारित अधिकतम सीमा से अधिक परियोजना वीजा की आवश्यकता थी।” अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने आरोप लगाया है कि बिजली कंपनी के प्रतिनिधि मखारिया ने कार्ति से अपने करीबी सहयोगी भास्कररमन के जरिए संपर्क किया।

जोशी ने कहा, “उन्होंने उक्त चीनी कंपनी के अधिकारियों को आवंटित 263 प्रोजेक्ट वीजा के पुन: उपयोग की अनुमति देकर सीलिंग (कंपनी के संयंत्र के लिए अनुमेय परियोजना वीजा की अधिकतम संख्या) के उद्देश्य को विफल करने के लिए ‘पिछले दरवाजे’ का रास्ता तैयार किया।” अधिकारियों ने कहा कि मखारिया ने कथित तौर पर गृह मंत्रालय को एक पत्र सौंपा जिसमें इस कंपनी को आवंटित परियोजना वीजा के पुन: उपयोग के लिए मंजूरी मांगी गई थी, जिसे एक महीने के भीतर मंजूरी दे दी गई थी और कंपनी को अनुमति जारी कर दी गई थी। जोशी ने कहा, “चेन्नई स्थित निजी व्यक्ति (कार्ति) ने अपने करीबी सहयोगी/फ्रंट मैन (भास्कररमन) के माध्यम से कथित तौर पर 50 लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी, जिसका भुगतान मनसा स्थित उक्त निजी कंपनी (तलवंडी साबो) ने किया था।”

तमिलनाडु में अध्यापक पर ईसाई धर्म के प्रचार का आरोप, हिंदू देवी-देवताओं को बताता था ‘शैतान’

तमिलनाडु के कांचीपुरम में सरकारी स्कूलों में छात्रों को शौचालय की सफाई करते हुए देखा गया था। इससे जुड़ा वीडियो वायरल होने पर काफी हंगामा मचा था। इन छात्राओं को कैंपस में कथित रूप से टॉयलेट की सफाई करते हुए देखा गया। इसके बाद कांचीपुरम के डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर ने घटना का संज्ञान लेते हुए जिले के शिक्षा अधिकारी को जांच करने का आदेश दिया।

कन्याकूमारी: 

तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले के सरकारी स्कूल में एक शिक्षक पर हिंदू धर्म को नीचा दिखाने और ईसाई धर्म का प्रचार करने के आरोप के बाद उसे निलंबित कर दिया गया. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि जिले में कन्नतुविलई स्थित एक स्कूल की छठी कक्षा की छात्रा ने ये आरोप लगाये थे.

बुधवार को सोशल मीडिया पर स्कूल प्रशासन और पुलिसकर्मियों के सामने आरोप लगाने वाली छात्रा का एक वीडियो क्लिप वायरल हो गया। प्राथमिक जांच के बाद शिक्षक को निलंबित कर दिया गया है। वह छात्रों को सिलाई और कटिंग सिखाता है।

छात्र के अनुसार, शिक्षक ने एक कहानी सुनाते हुए हिंदू-देवताओं को शैतान के रूप में चित्रित किया और ईसा मसीह की महिमा की और छात्रों को बाइबिल पढ़ने के लिए प्रेरित किया। जब छात्रों ने उत्तर दिया कि वे हिंदू हैं और इसके बजाय भगवद गीता पढ़ना चाहते हैं, तो शिक्षक ने कहा कि गीता खराब है और बाइबिल में अच्छे विचार हैं इसलिए उन्हें बाइबल पढ़नी चाहिए।

छात्र ने कहा कि ईसाईयत का ऐसा प्रचार कक्षाओं के दौरान किया जाता था। लंच ब्रेक के बाद, छात्रों को भी घुटने टेकने और ईसाई धर्म के लिए प्रार्थना करने के लिए कहा गया। इस बात की जानकारी बच्चों ने अपने माता-पिता को दी तो उन्होंने स्कूल प्रशासन से मामला उठाया।

ऐसा नहीं है कि यह पहली बार हुआ है। हाल ही में बेंगलुरु के एक निजी स्कूल में पढ़ने वाली एक विद्यार्थी ने अपनी गणित की शिक्षिका के विषय में यह कहते हुए आरोप लगाया था कि कैसे उन्होंने उसे “मनी” अध्याय में अल्लाह की पूजा करने के लिए कहा। बच्ची ने कहा कि “हर कोई कन्फ्यूज्ड था और उन्हें गलत जबाव आ रहे थे, तो अगले दिन मैडम ने हमसे अल्लाह की इबादत करने के लिए कहा। हमारे हाथों को कटोरे के आकर में मोड़ने के लिए कहा और मैं और मेरे कुछ दोस्त हिन्दू थे, हमने मैडम से मना किया कि हम हिन्दू हैं, और हम अल्लाह की इबादत नहीं कर सकते। पर मैडम ने कहा कि अल्लाह की इबादत करनी चाहिए और अल्लाह एक अच्छे भगवान हैं!”

हालंकि स्कूल ने इस मामले में उस बच्ची को ही कठघरे में खड़ा कर दिया। स्कूल की ओर से जारी किए गए वक्तव्य में कहा गया कि उन्होंने जांच करा ली है, पर उन्हें ऐसा कुछ भी प्रमाण नहीं मिला है, जिससे यह पता चले कि कोर्स से इतर कुछ पढ़ाया गया था। और उन्होंने बच्ची के अभिभावकों के खिलाफ ही पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है।

देखा जाए तो स्कूलों में हिन्दू देवी देवताओं का अपमान करना और हिन्दू पर्वों का उपहास उडाना बहुत ही आम है, बहुत ही सामान्य बात है। कई घटनाएं सामने आई हैं, जिनसे ऐसा प्रतीत हुआ है कि बच्चे जिन स्कूलों में पढने जाते हैं, वही उन्हें हिन्दू धर्म का अपमान करने की प्रेरणा देता है। हमने देखा था कि कैसे हरियाणा में दो स्कूलों में प्रभु श्री राम का अपमान करते हुए रामायण का मंचन किया गया था। इस पर हंगामा हुआ था और बाद में अंतत: स्कूल प्रबंधन को क्षमा मांगनी पड़ी थी।

हाल में दिसंबर में ही मध्यप्रदेश में विदिशा जिले के गंज बासौदा में सैंट जोसेफ स्कूल में 8 बच्चों के धर्मांतरण को लेकर हंगामा किय था।

मिशनरी स्कूल्स हों या निजी या सरकारी, ऐसा प्रतीत होता है जैसे एक पैटर्न है हिन्दुओं और हिन्दू धर्म को अपमानित करने के साथ साथ अब्र्हामिक रिलिजन को बढावा देने का। जहाँ एक ओर अल्पसंख्यकों के मजहबी प्रतीकों को उनकी आस्था का विषय मानकर उन्हें प्रयोग करने की छूट के लिए आन्दोलन होते हैं, तो वहीं हिन्दुओं के बच्चों के हाथों से “धर्मनिरपेक्षता” के नाम पर कलावा और जनेऊ हटाए जाने के समाचार आते रहते हैं।

18 फरवरी 2021 को त्रिची में पेरूमल पालयम में सरकारी हाई स्कूल से ऐसा ही मामला सामने आया था, जब एक गणित के शिक्षक शंमुगम ने, जो खुद को पेरियर का अनुयायी बताते थे, उन्होंने भी बच्चों के माथे से तिलक, भभूत हटाने के साथ साथ उनके हाथों पर बंधे कलावा को भी कैंची से काटा था, लड़कियों की चूड़ियाँ तोड़ी थीं और उन्हें हटाने के बहाने से लड़कियों को गलत तरीके से छुआ था।

अभिभावकों ने इस सम्बन्ध में शिकायत दर्ज कराई थी, और पुलिस की जांच में बच्चों की शिकायत सच पाई गयी थी।

इससे पहले वर्ष 2018 में तमिलनाडु के एक स्कूल में दो लड़कियों को भभूत, चंदन और फूल पहनने पर दण्डित किया गया था। जब अभिभावकों ने क्रोधित होकर प्रदर्शन किया था, तो उनसे कहा गया था कि वह ट्रांसफर सर्टिफिकेट ले सकते हैं।

सितम्बर में शाहजहाँपुर से भी ऐसा ही एक मामला सामने आया था जिसमें एक निजी स्कूल पर बच्चों के हाथों से राखी एवं कलावा जबरन हटाया गया था। जब विश्व हिन्दू परिषद के लोगों ने इसका विरोध किया था तो स्कूल की प्रिंसिपल ने कहा था कि उन्होंने राखी और कलावा कोविड प्रोटोकॉल के चलते हटाया है। इसमें इतना शोर मचाने की जरूरत नहीं है।

वर्ष 2018 में गुजरात से भी माउंट कैरमल हाई स्कूल में भी बच्चों के हाथों से कैंची से राखी काट दी गयी थी। क्रोधित अभिभावकों ने इस सम्बन्ध में शिकायत दर्ज की थी। जब यह मामला सरकार के समक्ष गया था तो शिक्षा मंत्री ने स्कूल को नोटिस जारी करते हुए इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया था।

वर्ष 2015 में भी सैंट मेरी कान्वेंट स्कूल कानपुर में बच्चियों को राखी और मेहंदी पहनकर आने के लिए दंडित किया गया था, यह भी आरोप लगा था स्कूल पर कि लडकियों को उन्होंने मेहंदी जबरन छुटाने के लिए कहा, जिसके कारण उनके हाथों से खून आने लगा था!

यह अत्यंत दुःख एवं क्षोभ का विषय है कि धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हिन्दू विद्यार्थियों को और हिन्दुओं की परम्पराओं को ही अपमानित किया जाता है। कभी पेरियर के अनुयाइयों द्वारा, कभी मिशनरी द्वारा तो कभी अल्लाह की इबादत करने वालों के द्वारा और वहीं हिजाब को मजहबी अधिकार और पहचान का माध्यम बताया जाता है!