कॉंग्रेस दिग्भ्रमित है। कॉंग्रेस के नेताओं को कहीं भी कुछ समझ नहीं आ रहा है। कोरोना महामारी के आरंभ ही से कॉंग्रेस के आला नेताओं के ब्यान आते रहे हैं जिनहे वह(कॉंग्रेस कार्यकर्ता) अपनी पार्टी लाइन या यूं कहें कि वह एक आदेश मान कर उसके प्रचार प्रसार की अंधी दौड़ में कूद पड़ते हैं। भारत में जैसे जैसे कोरोना से लड़ाई तेज़ होती गयी वहीं कॉंग्रेस की जुबानी जंग भी तेज़ हो गयी। कल तक विदेशी दावा निर्माताओं से दवा अथवा टीका न खरीदने का इल्ज़ाम लगाने वाली कॉंग्रेस स्वदेशी दवाई पर हतप्रभ थी। जब भारत में टिककरण आरंभ हो गया तब कॉंग्रेस के इल्ज़ाम बदल गए। और अब ब्राज़ील में दवाई भेजे जाने को लेकर आक्षेप लगाए जा रहे हैं। कांग्रेस ने मुफ्त वैक्सीन के सवाल पर केंद्र सरकार को घेरा है। कांग्रेस ने कहा है कि मोदी सरकार को ये बताना चाहिए कि देश में कितने लोगों को फ्री में टीका दिया जाएगा। इतना ही नहीं कांग्रेस ने बाजार में उपलब्ध होने वाले टीके की कीमत पर भी सवाल उठाए।
चंडीगढ़/नयी दिल्ली:
कांग्रेस ने ब्राजील (Brazil) को कोरोना की वैक्सीन (Covid-19 Vaccine) बेचे जाने को लेकर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि जब देशवासियों को अब तक कोरोना की वैक्सीन नहीं लगी है तो फिर ब्राजील को वैक्सीन निर्यात क्यों किया जा रहा है। बता दें कि सरकार ने ब्राजील को कोरोना की 20 लाख डोज़ भेजने का फैसला किया है। पिछले हफ्ते ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो (Jair Bolsonaro) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) को चिट्ठी लिखकर भारत बायोटेक- एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन की 20 लाख डोज तत्काल देने का अनुरोध किया था।
सुरजेवाला ने कहा, ‘अभी भारत की जनता को ही वैक्सीन पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाई है तो इसका निर्यात क्यों किया जा रहा है। सवाल ये है भारत की पूरी जनसंख्या को टीका लगाए जाने से पहले वैक्सीन के निर्यात की अनुमति क्यों दी गई? सरकार को ‘सभी के लिए कोरोना वैक्सीन’ मोदी सरकार की नीति होनी चाहिए।’
बता दें कि अमेरिका के बाद ब्राजील में कोरोना के सबसे ज्यादा केस सामने आए हैं। ब्राजील में कोरोना से अबतक 2 लाख से लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि इस बीमारी की चपेट में 80 लाख से लोग आ चुके हैं। राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो ने पत्र लिखकर नरेंद्र मोदी से कहा है कि ब्राजील पर टीकाकरण कार्यक्रम की शुरुआत करने का दबाव बढ़ता जा रहा है।
मुफ्त वैक्सीन पर सवाल
कांग्रेस ने मुफ्त वैक्सीन के सवाल पर केंद्र सरकार को घेरा है। कांग्रेस ने कहा है कि मोदी सरकार को ये बताना चाहिए कि देश में कितने लोगों को फ्री में टीका दिया जाएगा। इतना ही नहीं कांग्रेस ने बाजार में उपलब्ध होने वाले टीके की कीमत पर भी सवाल उठाए। रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘हमने 2011 में देश को पोलियो मुक्त बनाया है। आज से पहले टीकाकरण कभी प्रचार का माध्यम नहीं बना। टीकाकरण आपदा का अवसर नहीं हो सकता है।’
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2021/01/congress-jpg.jpg451800Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2021-01-17 15:22:562021-01-17 15:24:25क्या कोरोना वैक्सीन को लेकर कॉंग्रेस भ्रमित है?
देश में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार थमने का नाम नहीं ले रहे. अब पंजाब के होशियारपुर जिले से एक मासूम बच्ची के साथ बलात्कार के बाद हत्या का मामला सामने आया है. जानकारी के मुताबिक, होशियारपुर के टांडा स्थित एक गांव में छह साल की एक बच्ची के साथ कथित तौर पर रेप किया गया, उसकी हत्या की गई और फिर शव को आग लगा दिया गया. बच्ची का आधजला शव बरामद हुआ है. पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.
होसियारपुर/चंडीगढ़:
पंजाब के होशियारपुर जिले के जलालपुर गाँव में 6 साल की बच्ची के साथ दो लोगों ने बलात्कार किया और उसे जिंदा जला दिया। पुलिस को बच्ची की अधजली लाश टांडा के जलालपुर गाँव स्थित एक घर में मिली।
आरोपित और उसके दादा को 6 साल की मासूम के साथ बलात्कार करने और उसकी हत्या करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। 15 वर्षीय आरोपित गुरप्रीत सिंह और उसके दादा सुरजीत सिंह को हत्या, बलात्कार और आईपीसी की अन्य संबंधित धाराओं और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम के आरोपों में गिरफ्तार किया गया है।
मृतक पीड़िता एक प्रवासी मजदूर की बच्ची थी। ये परिवार इसी गाँव में रह रहा था। मृतक बच्ची के पिता ने आरोप लगाए हैं कि गुरप्रीत कथित तौर पर उनकी लड़की को अपने घर ले गया जहाँ उसने उसका बलात्कार किया।
बताया जा रहा है कि आरोपित गुरप्रीत और उसके दादा सुरजीत, दोनों ने मिलकर बच्ची की हत्या कर दी और फिर उसकी लाश को जला दिया। पुलिस की तरफ से जानकारी दी गई है कि बच्ची की अधजली लाश आरोपितों के घर से बरामद हुई है।
मृतका के पिता के अनुसार, बच्ची का बलात्कार करने के बाद, गुरप्रीत और सुरजीत दोनों ने कथित तौर पर उसकी हत्या कर दी और उसके शरीर को आग लगा दी।
Extremely sad and shocking incident of rape & murder of 6 year old in Hoshiarpur. Though Police have arrested the accused, have directed DGP to ensure proper investigation & that challan is presented speedily. Call for fast trial & exemplary punishment to the guilty by the Court.
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने ट्विटर पर इस घटना पर दुख और दुख व्यक्त किया है। अमरिंदर सिंह ने कहा कि दोषियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और उन्होंने डीजीपी को निर्देश दिया कि वे सुनिश्चित करें कि उचित जाँच के साथ कार्रवाई की जाए। साथ ही, उन्होंने अदालतों से निवेदन किया कि वे तत्परता से मामले की सुनवाई करें और दोषी को कठोर सजा दें।
अनुसूचित जाति आयोग ने लिया स्वत संज्ञान
रिपोर्ट्स के अनुसार, पंजाब राज्य अनुसूचित जाति आयोग की अध्यक्ष तेजिंदर कौर ने इस घटना का स्वत: संज्ञान लिया और होशियारपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) से 26 अक्टूबर तक एक विस्तृत रिपोर्ट माँगी है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/10/5580National_Child_Safety_Commission_sought_the_report_from_the_SSP_hoshiarpur_in_3_days.jpg337600Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-10-23 15:25:122020-10-23 15:27:43होशियारपुर के जलालपुर गाँव में 6 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म और जला कर हत्या के दोनों आरोपी गिरफ्तार
कृषि कानून को लेकर पंजाब समेत विभिन्न जगहों पर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियां कृषि कानून को ‘किसान विरोधी’ करार देते हुए सरकार की आलोचना कर रही हैं. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सोमवार को ट्रैक्टर जलाकर विरोध प्रदर्शित किया गया. विरोध प्रदर्शन करने वाले पंजाब यूथ कांग्रेस के बताए जा रहे हैं. पीएम मोदी ने इस घटना को लेकर किसी पार्टी का नाम लिए बिना विपक्ष पर निशाना साधते हुए किसानों को अपमानित करने का आरोप लगाया. पीएम मोदी ने कहा, “आज जब केंद्र सरकार, किसानों को उनके अधिकार दे रही है, तो भी ये लोग विरोध पर उतर आए हैं. ये लोग चाहते हैं कि देश का किसान खुले बाजार में अपनी उपज नहीं बेच पाए. जिन सामानों की, उपकरणों की किसान पूजा करता है, उन्हें आग लगाकर ये लोग अब किसानों को अपमानित कर रहे हैं.” पीएम मोदी ने कहा कि पिछले महीने ही अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमिपूजन किया गया है। ये लोग पहले सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर का विरोध कर रहे थे, फिर भूमिपूजन का विरोध करने लगे। उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से कृषि कानूनों के अजीबोगरीब विरोध के परिप्रेक्ष्य में कहा कि हर बदलती हुई तारीख के साथ विरोध के लिए विरोध करने वाले ये लोग अप्रासंगिक होते जा रहे हैं।
सरकार ने चारों दिशाओं में एक साथ काम आगे बढ़ाया : PM
ये लोग अपने जांबाजों से ही सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांग रहे थे : मोदी
आज तक इनका कोई बड़ा नेता स्टैच्यू ऑफ यूनिटी नहीं गया : प्रधानमंत्री
चंडीगढ़ – 29 सितंबर:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड में नमामि गंगे प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन करने के बाद अपने सम्बोधन में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि क़ानूनों को लेकर कॉन्ग्रेस को आईना दिखाया और जनता को समझाया कि कैसे वो हर उस चीज का विरोध करते हैं, जिसे जनता की भलाई के लिए लाया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दौरान राम मंदिर और योग दिवस को भी याद किया, जिसका कॉन्ग्रेस ने विरोध किया था।
पीएम मोदी ने कहा कि भारत की पहल पर जब पूरी दुनिया अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मना रही थी, तो भारत में ही बैठे ये लोग उसका विरोध कर रहे थे। उन्होंने याद दिलाया कि जब सरदार पटेल की सबसे ऊँची प्रतिमा का अनावरण हो रहा था, तब भी ये लोग इसका विरोध कर रहे थे। पीएम नरेंद्र मोदी ने बताया कि आज तक इनका कोई बड़ा नेता स्टैच्यू ऑफ यूनिटी नहीं गया है। सरदार वल्लभभाई पटेल कॉन्ग्रेस के ही नेता थे।
कॉन्ग्रेस पार्टी अक्सर योग दिवस का मजाक बनाती रही है। जिस चीज ने दुनिया भर में भारत को नई पहचान दी, पार्टी उसका विरोध करती है। राहुल गाँधी ने सेना की ‘डॉग यूनिट’ के एक कार्यक्रम की तस्वीर शेयर कर के इसे ‘न्यू इंडिया’ बताते हुए न सिर्फ योग का बल्कि सेना का भी मजाक उड़ाया था। तभी पूर्व-सांसद और अभिनेता परेश रावल ने कहा था कि ये कुत्ते राहुल गाँधी से ज़्यादा समझदार हैं। सेना के डॉग्स के योगासन का मजाक बनाने वाले राहुल गाँधी की खूब किरकिरी हुई थी।
पिछले महीने ही अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमिपूजन किया गया है।
ये लोग पहले सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर का विरोध कर रहे थे फिर भूमिपूजन का विरोध करने लगे।
हर बदलती हुई तारीख के साथ विरोध के लिए विरोध करने वाले ये लोग अप्रासंगिक होते जा रहे हैं: पीएम pic.twitter.com/sB87OXq8iy
इसी तरह कॉन्ग्रेस ने अपनी ही पार्टी के नेता सरदार वल्लभभाई पटेल की ‘स्टेचू ऑफ यूनिटी’ का विरोध किया, जिसके कारण न सिर्फ भारत का मान बढ़ा बल्कि केवडिया और उसके आसपास के क्षेत्रों में विकास के साथ-साथ रोजगार के नए अवसर आए। कॉन्ग्रेस पार्टी ने इस स्टेचू के निर्माण को ‘चुनावी नौटंकी’ और ‘राजद्रोह’ करार दिया था। राहुल गाँधी ने दावा कर दिया था कि सरदार पटेल के बनाए सभी संस्थाओं को मोदी सरकार बर्बाद कर रही है।
पीएम मोदी ने मंगलवार (सितम्बर 29, 2020) को कहा कि पिछले महीने ही अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमिपूजन किया गया है। ये लोग पहले सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर का विरोध कर रहे थे, फिर भूमिपूजन का विरोध करने लगे। उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से कृषि कानूनों के अजीबोगरीब विरोध के परिप्रेक्ष्य में कहा कि हर बदलती हुई तारीख के साथ विरोध के लिए विरोध करने वाले ये लोग अप्रासंगिक होते जा रहे हैं।
कॉन्ग्रेस पार्टी कृषि कानूनों के विरोध के लिए एक ट्रैक्टर को 20 सितम्बर को अम्बाला में जला रही है तो फिर 28 सितम्बर को उसी ट्रैक्टर को दिल्ली के इंडिया गेट के पास राजपथ पर जला कर सुर्खियाँ बटोर रही है। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह धरना दे रहे हैं। सोनिया गाँधी राज्यों को क़ानून बना कर केंद्र के क़ानूनों को बाईपास करने के ‘फर्जी’ निर्देश दे रही है। जबकि अधिकतर किसानों ने भ्रम और झूठ फैलाए जाने के बावजूद इन क़ानूनों का स्वागत किया है।
आज जब केंद्र सरकार किसानों को उनके अधिकार दे रही है, तो भी ये लोग विरोध पर उतर आए हैं।
ये लोग चाहते हैं कि देश का किसान खुले बाजार में अपनी उपज नहीं बेच पाए।
राम मंदिर मुद्दे की याद दिलाना भी आज के परिप्रेक्ष्य में सही है क्योंकि इसी कॉन्ग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने 2009 में सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट देकर कहा था कि भगवान श्रीराम का कोई अस्तित्व नहीं है। वरिष्ठ कॉन्ग्रेस नेता और अधिवक्ता कपिल सिब्बल तो राम मंदिर की सुनवाई टालने के लिए सारे प्रयास करते रहे। वहीं दिसंबर 2017 में पीएम नरेंद्र मोदी ने उनसे पूछा था कि कॉन्ग्रेस बाबरी मस्जिद चाहती है या राम मंदिर?
इसी कॉन्ग्रेस ने जब राम मंदिर के शिलान्यास के बाद जनता के मूड को भाँपा तो वो राम मंदिर के खिलाफ टिप्पणी करने से बचने लगी। कोई पार्टी नेता इसके लिए राजीव गाँधी को क्रेडिट देने लगा। प्रियंका गाँधी बयान जारी कर के इसका समर्थन करने लगीं। छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल रामायण कॉरिडोर बनाने लगे। कमलनाथ हनुमान चालीसा पढ़ने लगे। तभी तो आज पीएम ने कहा – ये विरोध के लिए विरोध करते हैं।
प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि चार साल पहले का यही तो वो समय था, जब देश के जाँबाजों ने सर्जिकल स्ट्राइक करते हुए आतंक के अड्डों को तबाह कर दिया था। लेकिन ये लोग अपने जाँबाजों से ही सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत माँग रहे थे। सर्जिकल स्ट्राइक का भी विरोध करके, ये लोग देश के सामने अपनी मंशा, साफ कर चुके हैं। देखा जाए तो एक तरह से सारे विपक्षी दलों ने सर्जिकल स्ट्राइक का विरोध किया था।
नवम्बर 2016 में मोदी सरकार ने भारतीय सेना को सर्जिकल स्ट्राइक के लिए हरी झंडी दिखा कर इतिहास को बदल दिया। पहली बार भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले इलाक़े में घुस कर आतंकियों को मारा लेकिन राहुल गाँधी इसे ‘खून की दलाली’ बताते हुए कहते रहे कि सरकार ‘सैनिकों के खून’ के पीछे छिप रही है। कॉन्ग्रेस पार्टी के लोग सबूत माँगने में लगे थे। कइयों ने तो पाकिस्तान वाला सुर अलापना शुरू कर दिया था।
पीएम मोदी ने कहा कि देश ने देखा है कि कैसे डिजिटल भारत अभियान ने, जनधन बैंक खातों ने लोगों की कितनी मदद की है। जब यही काम हमारी सरकार ने शुरू किए थे, तो ये लोग इनका विरोध कर रहे थे। देश के गरीब का बैंक खाता खुल जाए, वो भी डिजिटल लेन-देन करे, इसका इन लोगों ने हमेशा विरोध किया। उन्होंने कहा कि आज जब केंद्र सरकार, किसानों को उनके अधिकार दे रही है, तो भी ये लोग विरोध पर उतर आए हैं।
बकौल पीएम मोदी, ये लोग चाहते हैं कि देश का किसान खुले बाजार में अपनी उपज नहीं बेच पाए। जिन सामानों की, उपकरणों की किसान पूजा करता है, उन्हें आग लगाकर ये लोग अब किसानों को अपमानित कर रहे हैं। बता दें कि किसानों को सरकार के साथ-साथ प्राइवेट कंपनियों को अपनी उपज बेचने के लिए मिली आज़ादी का विरोध समझ से परे है। इसके लिए सीएए विरोध जैसा माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है।
अमित शाह बता चुके हैं कि जिस पार्टी ने अपनी सरकार रहते अनाजों की खरीद में भी अक्षमता दिखाई लेकिन मोदी सरकार ने इस मामले में रिकॉर्ड बनाया, इसके बावजूद वो किसानों को भ्रमित करने में लगे हुए हैं। एमएसपी के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है, उलटा उसे बढ़ाया गया है। बावजूद इसके किसानों को भाजपा के खिलाफ ऐसे ही भड़काया जा रहा है, जैसे लॉकडाउन में मजदूरों को भड़काया गया था।
पीएम मोदी ने ये भी याद दिलाया कि भारतीय वायुसेना के पास राफेल विमान आये और उसकी ताकत बढ़ी, ये उसका भी विरोध करते रहे। उन्होंने कहा कि वायुसेना कहती रही कि हमें आधुनिक लड़ाकू विमान चाहिए, लेकिन ये लोग उनकी बात को अनसुना करते रहे। हमारी सरकार ने सीधे फ्रांस सरकार से राफेल लड़ाकू विमान का समझौता कर लिया तो, इन्हें फिर दिक्कत हुई। आज अम्बाला से लद्दाख तक वायुसेना का परचम लहरा रहा है।
राफेल मुद्दे पर ज्यादा कुछ याद दिलाने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि पूरा 2019 का लोकसभा चुनाव ही इसी पर लड़ा गया था। जहाँ एक तरफ कॉन्ग्रेस पोषित मीडिया संस्थानों द्वारा एक के बाद एक झूठ फैलाया जा रहा था, वहीं दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट और कैग से क्लीन-चिट मिलने के बावजूद राफेल को लेकर झूठ फैलाया गया। वही कॉन्ग्रेस अब राफेल का नाम नहीं लेती क्योंकि जब 5 राफेल की पहली खेप भारत आए तो जनता के उत्साह ने सब साफ़ कर दिया। 2019 का लोकसभा चुनाव हारे, सो अलग।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/09/pmji.jpg170296Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-09-29 17:35:362020-09-29 17:58:54प्रधान मंत्री को गुस्सा क्यों आता है??
कॉंग्रेस कृषि बिलों को लेकर आर पार की लड़ाई को उतर चुकी है। देश में जहां भी भाजपा की सरकारें हैं वहाँ तो प्रदर्शन हो ही रहे हैं कॉंग्रेस अपनी पार्टी द्वारा शासित प्रदेशों में भी हर प्रकार से धरणे प्रदर्शन कर रही है यह, कवायद उप्चुनावों तक ही रहती है या फिर आगे भी जाएगी यह देखना होगा। दूसरी ओर ऐसा लगता है कि भाजपा ने अपने हाथों ही से किसान बिल ला कर सत्ता की चाबी कॉंग्रेस के हाथ में दे दी। अब उपचुनावों के नतीजे ही भाजपा के आगे की राह तय करेंगे जो कि आसान नहीं जान पड़ती। सनद रहे कि देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को कृषि और किसानों से जुड़े बिलों को मंजूरी दे दी है। मगर, विपक्ष अब भी कृषि विधेयकों को वापस लेने की मांग पर डटा हुआ हैं। इस बीच कांग्रेस ने कांगेस शासित प्रदेशों में कृषि संबंधी कानूनों को अप्रभावी बनाने के लिए एक रणनीति पर विचार किया है। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कांग्रेस शासित राज्यों की सरकारों से कहा है कि वे अपने यहां अनुच्छेद 254(2) के तहत बिल पास करने पर विचार करें जो केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि विधेयकों को निष्क्रिय करता हो।
चंडीगढ़ (ब्यूरो):
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी शासित राज्यों को इस कानून को निष्प्रभावी बनाने के लिए कानूनी उपाय ढूंढने के लिए कहा है। वहीं केरल से कांग्रेस के एक सांसद ने नये किसान कानून के तमाम प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुये सोमवार को उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की है। कांग्रेस के तमाम बड़े नेता इसे लेकर केंद्र पर निशाना साध रहे हैं।
देश के अलग अलग हिस्सों में कृषि कानूनों के खिलाफ कांग्रेस कार्यकर्ता जहां प्रदर्शन कर रहे हैं वहीं पार्टी के बड़े नेता मुखर हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इसे किसानों के लिए मौत का फरमान बताया है। वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ऐलान किया कि हम केंद्र सरकार के नए कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। कृषि एक राज्य का विषय है। कृषि बिल हमें बिना पूछे पारित कर दिया गया है। यह पूरी तरह असंवैधानिक है।
उधर, कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने भी मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि कृषि कानून को लेकर जब आप अपनी मंत्री को नहीं समझा पाए तो किसानों को क्या समझाएंगे। सचिन पायलट ने सवालिया लहजे में कहा, इस कानून की मांग किसने की थी? या तो किसान कहते कि हमारी ये मांग है तो आप उसकी मांग को पूरा करते। जब आप अकाली दल की कैबिनेट मंत्री को समझा नहीं पाए। आप किसानों को क्या समझा पाएंगे।
‘कृषि कानूनों को निष्प्रभावी बनाने के लिए खोजें उपाय’
एक तरफ जहां विरोध प्रदर्शन जारी है वहीं कानूनी तोड़ ढूंढने की कवायद भी जारी है। सोनिया गांधी ने कांग्रेस शासित प्रदेशों की सरकारों से कहा कि वे केंद्र सरकार के ‘कृषि विरोधी’ कानून को निष्प्रभावी करने के लिए अपने यहां कानून पारित करने की संभावना पर विचार करें। पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से जारी बयान के अनुसार, सोनिया ने कांग्रेस शासित प्रदेशों को नसीहत दी है कि वे संविधान के अनुच्छेद 254 (ए) के तहत कानून पारित करने के संदर्भ में गौर करें।
वेणुगोपाल ने कहा कि यह अनुच्छेद इन ‘कृषि विरोधी एवं राज्यों के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप करने वाले’ केंद्रीय कानूनों को निष्प्रभावी करने के लिए राज्य विधानसभाओं को कानून पारित करने का हक देता है।
वेणुगोपाल ने दावा किया, ‘‘राज्य के इस कदम से कृषि संबंधी तीन कानूनों के अस्वीकार्य एवं किसान विरोधी प्रावधानों को दरकिनार किया जा सकेगा। इन प्रावधानों में न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी को समाप्त करने और कृषि उपज विपणन समितियों (एपीएमसी) को बाधित करने का प्रावधान शामिल है। उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस शासित प्रदेशों की ओर से कानून पास करने के बाद वहां किसानों को उस घोर अन्याय से मुक्ति मिलेगी जो मोदी सरकार और बीजेपी ने उनके साथ किया है।” गौरतलब है कि वर्तमान में पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पुडुचेरी में कांग्रेस की सरकारें हैं। जबकि महाराष्ट्र और झारखंड में वह गठबंधन सरकार का हिस्सा है।
केरल से कांग्रेस के सांसद ने नये किसान कानून को न्यायालय में दी चुनौती
वहीं केरल से कांग्रेस के सांसद ने नये किसान कानून के तमाम प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुये सोमवार को उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की। त्रिशूर संसदीय क्षेत्र से सांसद टीएन प्रथपन ने याचिका में आरोप लगाया है कि कृषक (सशक् तिकरण व संरक्षण) कीमत आश् वासन और कृषि सेवा पर करार , कानून, 2020, संविधान के अनुच्छेद 14 (समता) 15 (भेदभाव निषेध) और अनुच्छेद 21 (जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार) का उल्लंघन करता है।
याचिका में इस कानून को निरस्त करने का अनुरोध करते हुये कहा गया है कि यह असंवैधानिक, गैरकानूनी और शून्य है। इस कानून को रविवार को ही राष्ट्रपति ने अपनी संस्तुति प्रदान की है। प्रतापन ने अधिवक्ता जेम्स पी थॉमस के माध्यम से दायर याचिका में कहा है कि भारतीय कृषि का स्वरूप टुकड़ों वाला है जिसमें छोटी छोटी जोत वाले किसान है। यही नहीं, भारतीय कृषि की कुछ अपनी अंतर्निहित कमजोरियां हैं जिन पर किसी का वश नहीं है। इन कमजोरियों में भारतीय खेती का मौसम पर निर्भर रहना, उत्पादन को लेकर अनिश्चित्ता और बाजार की अस्थिरता है। इन समस्याओं की वजह से खेती निवेश और उपज के प्रबंधन दोनों ही मामलों में बहुत ही जोखिम भरी है। याचिका में कहा गया है कि भारतीय किसान की खेती मौसम पर निर्भर रहती है और वह अपनी आमदनी बढ़ाने के लिये अपनी उपज के मुद्रीकरण के बारे में नहीं सोच सकता है। इसमें कहा गया है कि इसकी बजाये, कृषि उपज विपणन समिति प्रणाली को सुदृढ़ करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य के प्रबंधन को प्रभावी तरीके से लागू किया जाना चाहिए।
बता दें कि हाल ही में संपन्न मानसून सत्र में संसद ने कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को मंजूरी दी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को इन विधेयकों को स्वीकृति प्रदान कर दी, जिसके बाद ये कानून बन गए।
सरकार का दावा है कि नये कानून में कृषि करारों पर राष्ट्रीय फ्रेमवर्क का प्रावधान किया गया है। इसके माध्यम से कृषि उत् पादों की बिक्री, फार्म सेवाओं, कृषि का कारोबार करने वाली फर्म, प्रोसेसर्स, थोक विक्रेताओं, बड़े खुदरा विक्रेताओं और निर्यातकों के साथ किसानों को जुड़ने के लिए सशक्त करता है। यही नहीं, यह कानून करार करने वाले किसानों को गुणवत्ता वाले बीज की आपूर्ति सुनिश्चित करना, तकनीकी सहायता और फसल स्वास्थ्य की निगरानी, ऋण की सुविधा और फसल बीमा की सुविधा सुनिश्चित करता है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/08/rahul-sonia-1559914215.jpg474712Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-09-29 02:10:082020-09-29 02:11:30कॉंग्रेस शासित प्रदेश केंद्र के कृषि बिलों को निष्क्रिय करने हेतु अपने बिल लाएँ : सोनिया गांधी
आज तो हद ही हो गयी जब मीडिया में चल रही खबरों के अनुसार शिव सेना के गुंडों ने एक पूर्व नोसेना के अधिकारी के साथ मार पीट की। उनकी गलती रौंगटे खड़े कर देने वाली है। एक कार्टूनिस्ट के बेटे के कार्टून को व्हाट्साप पर सांझा किया था। पुराने कार्टूनिस्ट बाबा साहब के बेटे उद्धव ठाकरे का। जिस महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे ‘जी’ को ‘तू’ कहने पर कंगना रानौत पर एफ़आईआर हो सकती है, कंगना के समर्थन में पोस्ट डालने वाले को पकड़ने के लिए महाराष्ट्र पुलिस कोलकता तक जा सकती है उस महाराष्ट्र में खास कर म्ंबा देवी की नाक के नीचे मुंबई में कोई उद्धव का कार्टून…. । पिटाई तो होनी ही थी, हुई।
चंडीगढ़ :
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का व्यंग्यात्मक कार्टून ह्वाट्सएप के जरिए साझा करने से नाराज शिवसेना के दो शाखा प्रमुखों ने अपने पांच-छह समर्थकों के साथ सेवानिवृत्त नौसेना अधिकारी पर उनके घर में घुसकर हमला कर दिया। भाजपा विधायक अतुल भातखलकर का आरोप है कि उनके विधानसभा क्षेत्र में स्थित ठाकुर कांप्लेक्स रहने वाले मदन शर्मा पर शिवसैनिकों ने हमला किया और उनकी जान लेने की कोशिश की। शर्मा की आंख पर गंभीर चोट लगी है। साथ ही उनके पेट और पीठ पर भी काफी चोट आई है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का कार्टून सोशल मीडिया में फॉरवर्ड करने पर मुंबई में शिवसेना कार्यकर्ताओं ने सेवानिवृत्त नेवी ऑफिसर मदन शर्मा पर हमला बोला। इस बात की जानकारी भाजपा विधायक अतुल भटखल्कर ने शुक्रवार (सितंबर 11, 2020) को घटना का वीडियो साझा करते हुए दी। भाजपा नेता ने बताया कि शिवसेना के 6-7 ‘गुंडों’ ने पूर्व नेवी अधिकारी मदन शर्मा पर हमला किया।
कांदिवली से भाजपा विधायक ने टाइम्स नाऊ से बात करते हुए कहा कि स्थानीय ‘शाखा प्रमुख’ ने पूर्व नेवी अधिकारी को संपर्क किया और उन्हें उनकी बिल्डिंग से नीचे आने को बोला। जैसे ही वो अपनी बिल्डिंग से नीचे उतरे, करीब 8 लोगों ने उन्हें सिर्फ़ इसलिए मारना शुरू कर दिया क्योंकि उन्होंने कथित तौर पर उद्धव ठाकरे का कार्टून व्हॉट्सएप पर फॉरवर्ड किया था।
Listen in: BJP MLA @BhatkhalkarA claims that ‘Shiv Sena workers have allegedly attacked a retired military official for forwarding a WhatsApp message’.
इस हमले में पूर्व नेवी अधिकारी की आँख बुरी तरह जख्मी हो गई। उसमें पड़ा लाल निशान तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है। भाजपा विधायक ने कहा, “मैं महाराष्ट्र सीएम, जो शिवसेना के प्रमुख हैं, उनसे कहना चाहता हूँ कि महाराष्ट्र के नागरिक उनकी गुंडागर्दी से डरते नहीं हैं और किसी कीमत पर वह शांत नहीं रहेंगे।”
टाइम्स नाऊ की रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व नेवी अधिकारी की बेटी ने उनसे बात करते हुए बताया कि उनके पिता को व्हॉट्सएप पर एक मैसेज मिला था जिसे उन्होंने आगे फॉरवर्ड कर दिया। इसके बाद से ही उन्हें कई फोन आने लगे और कॉल पर नीचे बुलाया जाने लगा। पूर्व अधिकारी की बेटी के मुताबिक, जब उनके पिता उतर कर नीचे गए तो उन पर हमला हुआ।
अभिनेत्री कंगना राणावत के कार्यालय की तोड़फोड़ करके अपनी मर्दानगी दिखाने वाले सत्ताधारी शिवसेना ने अब सत्ता के मद में एक बुजुर्ग भूतपूर्व नौसेना अधिकारी मदन शर्मा को मारपीट करते हुए उनकी आंख को जबरदस्त चोट पहुंचाई है। मुख्यमंत्री घरबैठे तानाशाही चला रहे है। pic.twitter.com/qF2NVcIN55
पीड़ित पूर्व नौसेना अधिकारी ने भी मीडिया को बताया कि उन्हें मैसेज फॉरवर्ड करने के बाद से ही कॉल आ रहे थे और बार-बार उनसे नीचे उतर कर आने को कहा जा रहा था। उनके मुताबिक, जैसे ही वो नीचे उतरे, लोगों ने उन्हें मारना शुरू कर दिया। उन्होंने यह भी दावा किया कि बाद में पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने आई थी। मगर वह अपने घर से बाहर ही नहीं निकले। उन्होंने कहा कि अब इस मामले में उनकी मदद भाजपा विधायक अतुल भटखल्कर और रानी द्विवेदी कर रहे हैं। वरना वो जेल में होते।
रिपब्लिक टीवी की खबर के अनुसार, पूर्व अधिकारी का इलाज इस समय शताब्दी अस्पातल में चल रहा है। महाअघाड़ी सरकार के रवैए से नाराज होकर और असंतुष्टि जताते हुए पूर्व नेवी अधिकारी कहते हैं कि राज्य में में राष्ट्रपति शासन लागू हो जाना चाहिए।
बता दें कि इस मामले के संबंध में पूर्व अधिकारी की बेटी ने संत नगर पुलिस थाने में अपनी शिकायत दर्ज करवाई है (कुछ रिपोर्ट्स में कांदिवली थाना बताया जा रहा है)। उन्होंने उद्धव ठाकरे पर गुंडों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है। इसके अलावा यह भी कहा है कि इतना सब के बावजूद पुलिस उनके पिता को गिरफ्तार करना चाहती है।
उल्लेखनीय है कि यह मामला सोशल मीडिया पर आने के बाद एक बार फिर से शिवसेना पर ऊँगलियाँ उठनी शुरू हो गई है। देवांग दवे ने लिखा, “सेवानिवृत्त नेवी अधिकारी मदन शर्मा को पीटना, जिन्होंने देश की रक्षा में सालों साल सीमा पर गुजारे, सिर्फ़ शिवसेना की मानसिकता का परिचायक है।”
Beating of Madan Sharma, a retired naval officer who has spent years of his life defending country's maritime borders by #Shivsena Goons in Mumbai, is reflection of party's mentality.
The disciples of those who did not dare to leave the house are now showing strength to elderly pic.twitter.com/zlZdv2RKu4
वहीं, प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस घटना को बेहद दुखद और हैरान करने वाला बताया है। उन्होंने लिखा, “बेहद दुखद और हैरान करने वाली घटना। सेवानिवृत्त नेवी अधिकारी को बस इसलिए गुंडों ने पीटा क्योंकि उन्हें व्हॉट्सएप पर मैसेज फॉरवर्ड किया था। उद्धव ठाकरे कृपया ये गुंडाराज रोक दो। हम इन गुंडों के ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई की माँग करते हैं।”
Extremely sad & shocking incident. Retired Naval Officer got beaten up by goons because of just a whatsapp forward. Pls stop this GundaRaj Hon Uddhav Thackeray ji. We demand strong action and punishment to these goons. https://t.co/g4fQ5xfPYzpic.twitter.com/p1vdP2P0m8
गौरतलब है कि आज शिवसैनिकों ने उद्धव ठाकरे का कार्टून फॉरवर्ड करने के नाम पर पूर्व नेवी अधिकारी को पीटा है। लेकिन उद्धव के पिता और शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे खुद कार्टूनिस्ट थे।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/09/sena.jpg359640Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-09-11 17:56:132020-09-11 17:56:36कार्टून सांझा करने पर नौसेना अधिकारी से की शिव सेना के गुंडों ने की मारपीट
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी कांग्रेस अब नए सिरे से संगठन को चार्ज करने में जुट गई है। पार्टी के उभरते शक्ति केंद्रों से तालमेल बिठाने में नाकाम कांग्रेस नेताओं को नई संरचना से बाहर कर पार्टी नेतृत्व ने साफ संकेत दे दिए हैं कि जो संघर्ष के लिए तैयार नहीं हैं उन्हें चिठ़ठी लेखक ही बनकर रहना होगा। उत्तर प्रदेश कांग्रेस के बड़े धड़े को लगता है कि दिल्ली में सोनिया-राहुल के पास इतना समय ही नहीं है कि वह यूपी कांग्रेस का विवाद सुलझा पाएं। कई नेता यह आरोप भी लगा रहे हैं कि प्रदेश का नेतृत्व प्रियंका वाड्रा के हाथों में आने के बाद से पार्टी में बातचीत के दरवाजे बंद हो गए हैं। दरअसल, जब से प्रियंका वाड्रा ने उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी के रूप में कमान संभाली है, तब से कांग्रेस के पुराने और सोनिया-राहुल के वफादार नेताओं को साइड लाइन किए जाने का खेल चल रहा है।
उप्र(ब्यूरो):
पार्टी के प्रति समर्थित आम कांग्रेसी दुखी और हाशिये पर नजर आ रहा है।
दिल्ली से लेकर उत्तर प्रदेश तक कांग्रेस में जारी कलह-कलेश थमने का नाम नहीं ले रहा है। कांग्रेस में नये-पुराने नेताओं के बीच अंतर्कलह मची है तो सोनिया और राहुल गांधी के समर्थक भी ‘टकराव’ की मुद्रा में हैं। सोनिया पुराने नेताओं की वफादारी की कायल हैं तो राहुल गांधी को युवा पीढ़ी के नेताओं पर ज्यादा भरोसा है। गांधी परिवार की खींचतान में बड़े-बड़े कांग्रेसी नेता गुटबाजी में लगे हैं तो पार्टी के प्रति समर्थित आम कांग्रेसी दुखी और हाशिये पर नजर आ रहा है। दिल्ली में जहां सोनिया-राहुल गांधी के बीच का सियासी मनमुटाव कांग्रेस के लिए मुसीबत का सबब बना हुआ है तो वहीं उत्तर प्रदेश में प्रदेश प्रभारी प्रियंका वाड्रा पर आरोप लग रहे हैं कि वह यूपी कांग्रेस को ‘बर्बाद’ करने में लगी हैं।
गत दिनों कांग्रेस के 23 दिग्गज नेताओं द्वारा सोनिया गांधी को पार्टी की दिशा-दशा सुधारने के लिए पत्र लिखने के बाद उनके साथ दिल्ली में जैसा दुर्व्यवहार हुआ, वह किसी से छिपा नहीं है, लेकिन हद तो तब हो गई जब इन नेताओं के खिलाफ कांग्रेस की राज्य इकाइयों में भी विद्रोह की चिंगारी को जबर्दस्ती सुलगा दिया गया। इसी के चलते सोनिया को पत्र लिखने वालों में से एक उत्तर प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री जितिन प्रसाद को प्रदेश कांग्रेस की राज्य और जिला इकाइयों द्वारा बार-बार अपमानित किया गया। जितिन प्रसाद को अपमानित कराए जाने के पीछे प्रियंका वाड्रा का नाम सामने आ रहा है। सोनिया को लिखे पत्र की आड़ लेकर यूपी कांग्रेस में यहां के भी पुराने नेताओं के खिलाफ विरोध की चिंगारी पनपने लगी है। इस चिंगारी को प्रियंका द्वारा खूब हवा दी जा रही है। वर्ना जितिन प्रसाद सहित कुछ और पुराने दिग्गज कांग्रेसियों को अपमानित करने का सिलसिला ऐसे ही नहीं चलता रहता। कांग्रेस में पत्र प्रकरण धमाके के बाद उत्तर प्रदेश कांग्रेस में काफी दिनों से चल रही बदलाव की बयार ने और भी स्पीड पकड़ ली है। यह बदलाव संगठन में चेहरों के साथ ही पार्टी के तौर-तरीकों में भी देखने को मिल रहा है, जिन पुराने कांग्रेसियों को यह बदलाव रास नहीं आ रहे हैं, उन्होंने पार्टी से दूरी बना ली है।
प्रियंका के आने के बाद संगठन में ऐसे नेताओं को आगे किया जा रहा है, जिनकी सियासी जमीन ही नहीं है।
दरअसल, जब से प्रियंका वाड्रा ने उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी के रूप में कमान संभाली है, तब से कांग्रेस के पुराने और सोनिया-राहुल के वफादार नेताओं को साइड लाइन किए जाने का खेल चल रहा है। सबसे पहले प्रियंका ने पार्टी के प्रदेश नेतृत्व में बदलाव किया। उसके बाद प्रदेश से लेकर जिला संगठन इकाइयों में भी अपनी पसंद के लोग रखना शुरू कर दिया। यूपी कांग्रेस में सभी महत्वपूर्ण पदों पर प्रियंका की विचारधारा के लोगों को तरजीह देने का आरोप लम्बे समय से लग रहा है। कहा यह भी जा रहा है कि प्रियंका के आने के बाद संगठन में ऐसे नेताओं को आगे किया जा रहा है, जिनकी सियासी जमीन ही नहीं है। इसीलिए कांग्रेस का जनाधार खिसकता जा रहा है।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के बड़े धड़े को लगता है कि दिल्ली में सोनिया-राहुल के पास इतना समय ही नहीं है कि वह यूपी कांग्रेस का विवाद सुलझा पाएं। प्रदेश कांग्रेस के कई नेता यह आरोप भी लगा रहे हैं कि प्रदेश का नेतृत्व प्रियंका के हाथों में आने के बाद से पार्टी में बातचीत के दरवाजे बंद हो गए हैं। मौजूदा संगठन से किसी भी तरह की शिकायत पर शीर्ष नेतृत्व को न तो बताया जा सकता है और न ही उन्हें भरोसे में लेकर स्थितियों के बदलाव की उम्मीद की जा सकती है, जो नेता गांधी परिवार की विचारधारा से हटकर पार्टी हित में कुछ बोल देता है तो उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। यूपी में एक एक बाद एक नेताओं के खिलाफ लगातार हो रहीं कार्रवाइयां भी इसी का हिस्सा हैं। पहले पार्टी से दस वरिष्ठ नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया गया।
इसी तरह से रायबरेली सदर के पूर्व विधायक दिवंगत अखिलेश सिंह की विधायक पुत्री अदिति सिंह के प्रकरण में भी उनकी बात सुने बिना लखनऊ से लोगों को उनके आवास पर प्रदर्शन के लिए भेज दिया गया। जितिन प्रसाद के मामले में भी प्रियंका और पूर्व सांसद जफर अली नकवी के इशारे पर उनके खिलाफ नारेबाजी हुई। उत्तर प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद को लखीमपुर खीरी में विरोध का सामना करना पड़ा। सोनिया गांधी को पत्र लिखने वाले नेताओं में जितिन प्रसाद का भी नाम था। इसी के बाद उनके खिलाफ पार्टी में जहर उगला जाने लगा। हद तो तब हो गई जब कांग्रेस की लखीमपुर जिला इकाई ने जितिन प्रसाद को पार्टी से निष्कासित करने का प्रस्ताव पास कर दिया। इतना बड़ा कदम जिला इकाई बिना हाईकमान के इशारे से कर ही नहीं सकती थी। प्रस्ताव पर जिलाध्यक्ष प्रहलाद पटेल और लखीमपुर खीरी के अन्य पदाधिकारियों ने हस्ताक्षर किए थे। उन्होंने जितिन प्रसाद सहित सोनिया गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठाने वाली चिट्ठी पर जिन नेताओं के हस्ताक्षर हैं सभी के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए इन नेताओं को पार्टी से बाहर निकालने को कहा गया था।
धीरज गुर्जर और प्रियंका गांधी जो भी करवा दें ठीक है
जितिन प्रसाद को पार्टी से बाहर किए जाने के लखीमपुर-खीरी की जिला के प्रस्ताव को ज्यदा गंभीरता से नहीं लिया जाता, यदि एक ऐसा ऑडियो वायरल न होता, जिसमें जिलाध्यक्ष प्रहलाद पटेल कांग्रेस के एक कार्यकर्ता से बात कर रहे हैं, वह कह रहे हैं कि उनको ऐसी कार्रवाई करने के लिए मजबूर किया गया था। वायरल ऑडियो में वह किसी कार्यकर्ता से कहते सुने जाते हैं, ‘धीरज गुर्जर और प्रियंका गांधी जो भी करवा दें ठीक है। धीरज गुर्जर ने प्रस्ताव भेजा…। हमने कहा कि हम हस्ताक्षर नहीं कर पाएंगे…। कुछ लाइन इसमें से हटाई जाएं, लेकिन ऊपर से तलवार लटकी थी। हम भी क्या करते…। इस तरह की गंदगी कांग्रेस में रहेगी तो कांग्रेस कहां खड़ी हो पाएगी।’
अब कांग्रेस में पूर्व पीएम वीपी सिंह सरीखे नेताओं की जयंती मनाई जाने लगी है
खैर, वायरल ऑडियो की अभी पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन उत्तर प्रदेश में पिछले 31 साल से सत्ता से बाहर कांग्रेस इस तरह से सत्ता में वापसी की उम्मीद करेगी तो यह बेईमानी होगी। खासकर प्रियंका को सबको साथ लेकर चलना होगा और यह भी ध्यान रखना होगा कि कांग्रेस अपनी विचारधारा से नहीं भटके। आश्चर्य होता है कि अब कांग्रेस में पूर्व पीएम वीपी सिंह सरीखे नेताओं की जयंती मनाई जाने लगी है, जिन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत राजीव गांधी की छवि को धूमिल करके ही सत्ता हासिल की थी। राजीव गांधी के समय खरीदी गईं बोफोर्स तोप में, घोटाले का आरोप लगाकर वीपी सिंह ने राजीव की छवि को काफी नुकसान पहुंचाया था। इसके बाद वर्षों तक भारतीय जनता पार्टी भी इसे भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा सियासी मुद्दा बनाए रखने में कामयाब रही थी। इसीलिए वीपी सिंह की जयंती मनाए जाने को लेकर कांग्रेस के भीतर ही एक वर्ग में नाराजगी पनपने लगी। नाराज नेताओं का आरोप है कि कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने के लिए जो खुद पार्टी छोड़कर अलग हुआ, उसकी जयंती पार्टी दफ्तर में कांग्रेस नेता कैसे मना सकते हैं?
इसी तरह से हिन्दू-देवी-देवताओं के लिए अनाप-शनाप टिप्पणी के चलते विवादित रहे पेरियार और फिलस्तीनी मुक्ति संगठन के प्रमुख रह चुके यासिर अराफात की जयंती भी हाल ही में पार्टी कार्यालय में मनाई गई। इस तरह के आयोजनों पर प्रदेश कांग्रेस के पुराने नेताओं ने तमाम तरह के सवाल खड़े किए हैं। उनका आरोप है कि प्रदेश संगठन में जो नए चेहरे शामिल किए गए हैं, उनकी वामपंथी विचारधारा को पार्टी पर थोपा जा रहा है। इसी तरह से हाल ही में सर्वसमाज के आंदोलनों में कांग्रेसियों द्वारा गले में नीला पटका डालकर आंदोलन करने को भी पार्टी के पुराने नेता पचा नहीं पाए थे। तब लखनऊ में हुए प्रदर्शन के बाद पार्टी के कई नेताओं ने इस पर सवाल खड़े किए थे। नाराज नेताओं का तर्क था कि कोई भी पार्टी झंडे और पोस्टरों से पहचानी जाती हैं। अब ऐसे में नीला पटका पहन कर आंदोलन करने से लोगों के बीच आखिर क्या संदेश दिया जा रहा है।
बहरहाल, सोनिया को वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं के पत्र लिखे जाने के ‘धमाके’ के बाद उत्तर प्रदेश में पार्टी पूरी तरह से दो खेमों के बंटी नजर आ रही है। राज्य में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का एक खेमा है जो संगठन को मजबूत करने की बात कर रहा है तो दूसरा खेमा जिसकी पहचान गांधी परिवार के लिए कठपुतली के रूप में काम करने वाली है, वह संगठन को मजबूत करने की बात करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग पर अड़ा है। इसीलिए कुछ गांधी परिवार के समर्थक नेता जितिन के खिलाफ जहर उगल रहे हैं तो पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष निर्मल खत्री ने गुलाम नबी आजाद पर गंभीर आरोप लगाया है कि जब-जब वह यूपी कांग्रेस के प्रभारी बने तब-तब कांग्रेस का बंटाधार हो गया। यूपी के ही एक और नेता सलमान खुर्शीद भी सोनिया को पत्र लिखने वालों के खिलाफ बयानबाजी करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। इसी तरह से उत्तर प्रदेश कांग्रेस नेता और पूर्व विधान परिषद सदस्य नसीब पठान ने वरिष्ठ पार्टी नेता गुलाम नबी आजाद को पार्टी से बाहर निकाल देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि गुलाम को पार्टी से आजाद कर दो। नसीब ने कहा कि पार्टी ने आजाद को बहुत कुछ दिया, किंतु उन्होंने वफादारी नहीं की।
लब्बोलुआब यह है कि आज की तारीख में राष्ट्रीय कांग्रेस की तरह ही उत्तर प्रदेश कांग्रेस भी साफ तौर पर दो खेमों में बंटी साफ नजर आ रही है। दोनों खेमों के नेता अपने हिसाब से बयानबाजी कर रहे हैं, जिससे पार्टी को सबसे अधिक नुकसान हो रहा है। लेकिन पार्टी के भीतर बारीकी से झांका जाए तो पार्टी में एक धड़ा ऐसा भी नजर आता है जो किसी तरह की गुटबाजी में विश्वास नहीं रखता है और पार्टी के मौजूदा हालात से काफी दुखी है। इस धड़े के नेताओं की मानें तो पार्टी को युवा आगाज की जितनी जरूरत है, उतनी ही आवश्यकता इस बात की है कि पार्टी के दिग्गज नेताओं के अनुभव का पूरा फायदा उठाया जाए।
साभार – अजय कुमार
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/09/images-1.jpg173292Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-09-07 05:22:252020-09-07 05:22:49प्रदेश प्रभारी प्रियंका वाड्रा पर आरोप लग रहे हैं कि वह यूपी कांग्रेस को ‘बर्बाद’ करने में लगी हैं
कोविड-19 महामारी के बीच संसद का मानसून सत्र 14 सितंबर से शुरू हो रहा है और इस बार सदन की बैठक के लिए कई बदलाव भी किए गए हैं। सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आठ सितंबर को पार्टी के रणनीति समूह की बैठक बुलाई है। विपक्षी नेता चाहते हैं कि समान सोच वाले दलों को संसद में सरकार को घेरने के लिए एक दूसरे के साथ मिलकर तालमेल से काम करना चाहिए। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी, शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे और झामुमो के हेमंत सोरेन जेईई/नीट और जीएसटी मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों की हालिया बैठक के दौरान यह विचार व्यक्त कर चुके हैं।
नयी दिल्ली(ब्यूरो):
विपक्षी दल संसद में सरकार को कोरोना से निपटने, अर्थव्यवस्था और राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति, चीन के साथ सीमा पर गतिरोध जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर एक साथ मिलकर घेरने पर विचार कर रहे हैं। सूत्रों ने इस बारे में बताया है।
14 सितंबर से शुरू हो रहा है मानसून सत्र
उन्होंने बताया कि विभिन्न विपक्षी दलों के नेताओं द्वारा संसद के दोनों सदनों में सरकार के खिलाफ एक साथ मोर्चा खोलने के लिए इस सप्ताह बैठक कर एक संयुक्त रणनीति बनाने की संभावना है। कोविड-19 महामारी के बीच संसद का मानसून सत्र 14 सितंबर से शुरू हो रहा है। इस बार सदन की बैठक के लिए कई बदलाव भी किए गए हैं। सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आठ सितंबर को पार्टी के रणनीति समूह की बैठक बुलाई है।
विपक्षी नेता चाहते हैं कि समान सोच वाले दलों को संसद में सरकार को घेरने के लिए एक-दूसरे के साथ मिलकर तालमेल से काम करना चाहिए। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी, शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे और झामुमो के हेमंत सोरेन जेईई/नीट और जीएसटी मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों की हालिया बैठक के दौरान यह विचार व्यक्त कर चुके हैं।
एक बार बैठक कर चुकी है कांग्रेस
कांग्रेस की रणनीति बनाने वाला समूह एक बार बैठक कर चुका है और इस दौरान सत्र में उठाए जाने वाले मुद्दों पर चर्चा की गई। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को संप्रग के सहयोगियों और समान सोच वाले दलों से संपर्क करने को कहा गया है ताकि संसद के बाहर और भीतर सरकार के खिलाफ एकजुटता दिखायी जाए।
तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने पूर्व में कहा था कि समान सोच वाले विपक्षी दल संसद में एक साथ काम करेंगे और जनता के मुद्दों को उठाएंगे। उन्होंने कहा था कि संसद में ऐसे दलों के बीच आपसी तालमेल होगा। सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने रविवार को कहा कि विपक्ष की संयुक्त रणनीति के लिए विचार-विमर्श चल रहा है।
विपक्षी नेताओं की जल्द ही बैठक होगी
सीपीआई नेता डी राजा ने भी कहा कि इस संबंध में विपक्षी नेताओं की जल्द ही बैठक होगी। पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर बढ़े तनाव के संबंध में विपक्ष इस पर सरकार से जवाब की मांग करेगा। देश में कोविड-19 के बढ़ रहे मामलों को लेकर भी चर्चा होने की संभावना है। फेसबुक को लेकर भी संसद में गर्मागर्म बहस हो सकती है।
नीट समेत कई अन्य परीक्षाएं कराने का मुद्दा भी उठाया जा सकता है। विपक्ष ने आरोप लगाया है कि कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच परीक्षाएं आयोजित कर सरकार ने छात्रों के जीवन को खतरे में डाला है। कांग्रेस हालिया समय में सरकार द्वारा जारी अध्यादेश का भी विरोध कर सकती है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/09/images.jpg159318Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-09-06 16:03:482020-09-06 16:19:07हंगामेदार होगा इस बार का मानसून सत्र, क्या एकजुट विपक्ष चलने देगा संसद?
महाराष्ट्र के पालघर में अप्रैल में हुई दो साधुओं सहित तीन लोगों की हत्या की जांच करने वाली एक स्वतंत्र फैक्ट फाइंडिंग टीम ने कई चौंकाने वाले दावे किए हैं। साधुओं की हत्या के पीछे गहरी साजिश और नक्सल कनेक्शन की तरफ इशारा किया है। रिटायर्ड जज, पुलिस अफसर और वकीलों को लेकर बनी इस कमेटी ने इस बड़ी साजिश के पदार्फाश के लिए पॉलघर मॉब लिंचिंग की जांच सीबीआई और एनआईए से कराने की सिफारिश की है। टीम ने कहा है कि पुलिस कर्मी चाहते तो घटना को रोक सकते थे, लेकिन उन्होंने हिंसा की साजिश में शामिल होने का रास्ता चुना। कमेटी ने शनिवार को एक ऑनलाइन कार्यक्रम के दौरान रिपोर्ट के चौंकाने वाले अंश पेश किए।
पुणे (महाराष्ट्र ब्यूरो):
महाराष्ट्र के पालघर में हुई साधुओं की हत्या के मामले में एक फैक्ट-फाइंडिंग पैनल के सदस्य संतोष जनाठे का दावा है कि एक एनसीपी नेता को उस भीड़ के बीच देखा गया था, जो पालघर में साधुओं की लिंचिंग की घटना में शामिल थे। फैक्ट फाइंडिंग टीम ने जिस NCP नेता को इस भीड़ हिंसा के बीच पाया है, उसका नाम काशीनाथ चौधरी है।
काशीनाथ चौधरी शरद पवार की ‘नेशनलिस्ट कॉन्ग्रेस पार्टी’ का जिला सदस्य है। उन पर आरोप लगे हैं कि साधुओं की लिंचिंग कर उनकी निर्मम हत्या करने वाली भीड़ में वामपंथी पार्टी सीपीएम के पंचायत सदस्य व उसके साथ विष्णु पातरा, सुभाष भावर और धर्मा भावर भी शामिल थे।
इस भीड़ में एनसीपी और सीपीएम नेताओं की मौजूदगी कई सवाल खड़े करती है। एनसीपी महाराष्ट्र की सत्ताधारी पार्टी है और शिवसेना के साथ गठबंधन में मिल कर सरकार चला रही है।
फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। मसलन, झारखंड में नक्सल नेतृत्व वाले पत्थलगढ़ी आंदोलन की तर्ज पर पालघर में भी मुहिम चल रही है। कम्युनिस्ट कार्यकर्ता आदिवासियों को केंद्र और राज्य के कानूनों का पालन न करने के लिए भड़काने में जुटे हैं। आदिवासियों को अपने कानून का पालन करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। आदिवासियों को भ्रमित किया जा रहा है कि उनके पास सौ साल पुराना आदिवासी संविधान है। उन्हें सरकारी कानूनों का पालन करने की जगह आदिवासी संविधान का पालन करना चाहिए। कमेटी ने इस दावे के समर्थन में कुछ कम्युनिस्ट नेताओं के बयान और वीडियो भी जारी किए हैं।
फैक्ट फाइंडिंग समिति पहले भी इस निष्कर्ष पर पहुँच चुकी है कि क्षेत्र में काम करने वाले वामपंथी संगठन आदिवासियों के मन में सरकार और हिंदू धर्म गुरुओं, साधुओं और सन्यासियों के खिलाफ नफरत पैदा कर रहे हैं।
कमेटी ने करीब डेढ़ सौ पेज की जांच रिपोर्ट में कहा है, “झारखंड में नक्सल नेतृत्व वाले पत्थलगढ़ी आंदोलन की तर्ज पर पालघर में काम करने वाले वामपंथी संगठन संवैधानिक ढांचे और गतिविधियों के प्रति घृणा को बढ़ावा देने में लिप्त हैं। कम्युनिस्ट संगठन आदिवासी बाहुल्य गांवों की पूर्ण स्वायत्तता का दावा करते हुए संसद या राज्य के कानून का पालन न करने की घोषणा किए हैं। वामपंथी संगठनों की ओर से आदिवासियों में झूठ फैलाया जाता है कि आदिवासी हिंदू नहीं हैं।”
उनकी जाँच से यह निष्कर्ष निकला था कि कैथोलिक बिशप कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया, काश्तकारी संगठन, भूमिसेना, आदिवासी एकता परिषद, सीपीएम जैसे संगठनों के बढ़ते प्रभाव के साथ क्षेत्र में बढ़ती हिंसा, साधुओं की हत्या के रूप में सामने आई थी।
फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने कहा, “क्षेत्र में देश विरोधी गतिविधियां चल रहीं हैं। स्थानीय संगठन आदिवासियों के दिमाग में सरकार और साधुओं के खिलाफ नफरत पैदा कर रहे हैं। काश्तकारी संगठन, आदिवासी एकता परिषद, भूमि सेना और अन्य कई संगठन इसके लिए जिम्मेदार हैं। गांव में पत्थलगढ़ी आंदोलन की तरह संकल्प पारित करने के पीछे आदिवासी एकता परिषद के सदस्य का शामिल होना गहरी साजिश की तरफ इशारा करता है।”
इसके साथ ही इस केस को अभी तक भी सीबीआई के पास नहीं दिया गया है। बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र सरकार ने इस केस में अपनी क्षेत्रीय गौरव को आगे रखा है और वह इसलिए भी नहीं चाहती कि यह केस सीबीआई के पास ट्रांसफर हो क्योंकि सीबीआई गृह मंत्रालय के दायरे में आती है। महाराष्ट्र सरकार की इस केस को लेकर बरती गई उदासीनता पर सुप्रीम कोर्ट पहले ही उन्हें फटकार लगा चुकी है।
सनद रहे कि महाराष्ट्र स्थित पालघर के गढ़चिंचले गाँव में गत 16 अप्रैल को दो साधुओं और उनके वाहन चालक की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। बाद में यह कहा गया कि वह बच्चों की चोरी होने के संदेह में पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। जबकि, ये दोनों साधु ड्राइवर के साथ अपने गुरुभाई के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए सूरत जा रहे थे।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/09/93886931_2801462929952787_7872536562347540480_n.jpg937720Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-09-04 15:27:072020-09-04 17:21:58पालघर साधुओं कि हत्या : फैक्ट फाइंडिंग टीम ने कई चौंकाने वाले दावे किए
जिन 23 असंतुष्ट नेताओं ने अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिख कर पार्टी में बड़े बदलाव की मांग की थी वो अब निशाने पर आ गए हैं. दरअसल गुरुवार को कांग्रेस ने संसद से जुड़े विषयों पर पार्टी की रणनीति तय करने के लिए 10 सदस्यीय समिति बनाई. इसमें दोनों सदनों के पांच-पांच सदस्यों को शामिल गया है. इस समिति से चिट्ठी लिखने वाले 23 नेताओं को नजरअंदाज कर दिया गया है.
नयी दिल्ली (ब्यूरो):
कांग्रेस पार्टी में घमासान लगातार जारी है. जिन 23 नेताओं ने पार्टी में बड़े बदलाव की मांग को लेकर अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी, वो अब भी लगातार जुबानी हमला कर रहे हैं. अब इनमें से एक नेता ने कहा है कि पिछले दो लोकसभा चुनावों में करारी हार के बाद राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी को आगे भी जीत की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए. उन्होंने एक बार फिर से कहा कि पार्टी में बड़े पैमाने पर बदलाव की जरूरत है.
क्या 2024 में मिलेगी जीत?
एनडीटीवी से बातचीत करते हुए चिट्ठी लिखने वाले एक नेता ने नाम न बता की शर्त पर कहा, ‘ हमलोग इस हालत में नहीं है कि ये कह सके कि 2024 के चुनाव में राहुल गांधी के नेतृत्व में हमें 400 सीटों पर जीत मिलेगी. हमें इस बात का एहसास होना चाहिए कि 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को जरूरत के मुताबिक सीटें नहीं मिल पाई हैं.’ बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष बनीं.
‘पार्टी में बड़े बदलाव की जरूरत’
इस नेता ने भी कहा कि चिट्ठी लिखने वालों में से ज्यादातर का कहना है कि वो लंबे वक्त से राजनीति में हैं और वो पार्टी के लिए काम करना चाहते हैं. उन्होंने ये भी कहा कि वे सब सोनिया गांधी का सम्मान करते हैं. लेकिन पार्टी में बड़े बदलाव की जरूरत है. उन्होंन कहा, ‘नागपुर से लेकर शिमला तक पार्टी के सिर्फ 16 सांसद हैं, जिनमें से भी 8 अकेले पंजाब से हैं. हमें मान लेना चाहिए कि हम भारत में हैं और वास्तविकता कुछ और है. अगर कोई बैठक होती है तो मैं इस मुद्दे पर अपने विचार जरूर रखूंगा.’
असंतुष्ट नेताओं सोनिया का कड़ा संदेश
बता दें कि जिन 23 असंतुष्ट नेताओं ने अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिख कर पार्टी में बड़े बदलाव की मांग की थी वो अब निशाने पर आ गए हैं. दरअसल गुरुवार को कांग्रेस ने संसद से जुड़े विषयों पर पार्टी की रणनीति तय करने के लिए 10 सदस्यीय समिति बनाई. इसमें दोनों सदनों के पांच-पांच सदस्यों को शामिल गया है. इस समिति से चिट्ठी लिखने वाले 23 नेताओं को नजरअंदाज कर दिया गया है.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/08/668960-rahul-3.jpg7201280Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-08-29 03:31:222020-08-29 03:34:46राहुल के नेतृत्व में कॉंग्रेस 2024 का चुनाव नहीं जीत सकती: कॉंग्रेस नेता
नाग पंचमी का त्योहार आज 25 जुलाई को मनाया जा रहा है. आज लोग सांपों/नाग देवताओं की पूजा करेंगे और नाग देवता को दूध पिलाएंगे. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, नाग पंचमी के दिन नागदेव की पूजा करने से कुंडली के राहु और केतु से संबंधित दोष दूर होते हैं. जिन जातकों की कुंडली में सांप का भय और सर्पदंश का योग होता है वो नाग पंचमी के दिन कालसर्प योग की पूजा करेंगे. आज कई महिलाएं सांप को भाई मानकर उनकी पूजा करती हैं और भाई से अपने परिवार की रक्षा का आशीर्वाद मांगती हैं. आइए नाग पंचमी के मौके पर पढ़ते हैं नाग पंचमी कथा …
नाग पंचमी कथा:
नाग पंचमी की पौराणिक कथा के अनुसार, बहुत समय पहले की बात है जब प्राचीन नगर में एक सेठजी के सात पुत्र थे. सातों के विवाह हो चुके थे. सबसे छोटे पुत्र की पत्नी श्रेष्ठ चरित्र की विदूषी और सुशील थी, परंतु उसके भाई नहीं था.
एक दिन बड़ी बहू ने घर लीपने को पीली मिट्टी लाने के लिए सभी बहुओं को साथ चलने को कहा तो सभी धलिया और खुरपी लेकर मिट्टी खोदने लगी. तभी वहां एक सर्प निकला, जिसे बड़ी बहू खुरपी से मारने लगी. यह देखकर छोटी बहू ने उसे रोकते हुए कहा- ‘मत मारो इसे? यह बेचारा निरपराध है.’
यह सुनकर बड़ी बहू ने उसे नहीं मारा तब सर्प एक ओर जा बैठा. तब छोटी बहू ने उससे कहा-‘हम अभी लौट कर आती हैं तुम यहां से जाना मत. यह कहकर वह सबके साथ मिट्टी लेकर घर चली गई और वहां कामकाज में फंसकर सर्प से जो वादा किया था उसे भूल गई.
उसे दूसरे दिन वह बात याद आई तो सब को साथ लेकर वहां पहुंची और सर्प को उस स्थान पर बैठा देखकर बोली- सर्प भैया नमस्कार! सर्प ने कहा- ‘तू भैया कह चुकी है, इसलिए तुझे छोड़ देता हूं, नहीं तो झूठी बात कहने के कारण तुझे अभी डस लेता. वह बोली- भैया मुझसे भूल हो गई, उसकी क्षमा मांगती हूँ, तब सर्प बोला- अच्छा, तू आज से मेरी बहन हुई और मैं तेरा भाई हुआ. तुझे जो मांगना हो, मांग ले. वह बोली- भैया! मेरा कोई नहीं है, अच्छा हुआ जो तू मेरा भाई बन गया.
कुछ दिन व्यतीत होने पर वह सर्प मनुष्य का रूप रखकर उसके घर आया और बोला कि ‘मेरी बहन को भेज दो.’ सबने कहा कि ‘इसके तो कोई भाई नहीं था, तो वह बोला- मैं दूर के रिश्ते में इसका भाई हूं, बचपन में ही बाहर चला गया था. उसके विश्वास दिलाने पर घर के लोगों ने छोटी को उसके साथ भेज दिया. उसने मार्ग में बताया कि ‘मैं वहीं सर्प हूं, इसलिए तू डरना नहीं और जहां चलने में कठिनाई हो वहां मेरी पूंछ पकड़ लेना. उसने कहे अनुसार ही किया और इस प्रकार वह उसके घर पहुंच गई. वहां के धन-ऐश्वर्य को देखकर वह चकित हो गई.
एक दिन सर्प की माता ने उससे कहा- ‘देश परंतु सर्प के समझाने पर शांत हो गई. तब सर्प ने कहा कि बहिन को अब उसके घर भेज देना चाहिए. तब सर्प और उसके पिता ने उसे बहुत सा सोना, चांदी, जवाहरात, वस्त्र-भूषण आदि देकर उसके घर पहुंचा दिया.
इतना ढेर सारा धन देखकर बड़ी बहू ने ईर्ष्या से कहा- भाई तो बड़ा धनवान है, तुझे तो उससे और भी धन लाना चाहिए. सर्प ने यह वचन सुना तो सब वस्तुएं सोने की लाकर दे दीं. यह देखकर बड़ी बहू ने कहा- ‘इन्हें झाड़ने की झाड़ू भी सोने की होनी चाहिए’. तब सर्प ने झाडू भी सोने की लाकर रख दी.
सर्प ने छोटी बहू को हीरा-मणियों का एक अद्भुत हार दिया था. उसकी प्रशंसा उस देश की रानी ने भी सुनी और वह राजा से बोली कि- सेठ की छोटी बहू का हार यहां आना चाहिए.’ राजा ने मंत्री को हुक्म दिया कि उससे वह हार लेकर शीघ्र उपस्थित हो मंत्री ने सेठजी से जाकर कहा कि ‘महारानीजी छोटी बहू का हार पहनेंगी, वह उससे लेकर मुझे दे दो’. सेठजी ने डर के कारण छोटी बहू से हार मंगाकर दे दिया.
छोटी बहू को यह बात बहुत बुरी लगी, उसने अपने सर्प भाई को याद किया और आने पर प्रार्थना की- भैया ! रानी ने हार छीन लिया है, तुम कुछ ऐसा करो कि जब वह हार उसके गले में रहे, तब तक के लिए सर्प बन जाए और जब वह मुझे लौटा दे तब हीरों और मणियों का हो जाए. सर्प ने ठीक वैसा ही किया. जैसे ही रानी ने हार पहना, वैसे ही वह सर्प बन गया. यह देखकर रानी चीख पड़ी और रोने लगी.
यह देख कर राजा ने सेठ के पास खबर भेजी कि छोटी बहू को तुरंत भेजो. सेठजी डर गए कि राजा न जाने क्या करेगा? वे स्वयं छोटी बहू को साथ लेकर उपस्थित हुए. राजा ने छोटी बहू से पूछा- तुने क्या जादू किया है, मैं तुझे दंड दूंगा. छोटी बहू बोली- राजन ! धृष्टता क्षमा कीजिए, यह हार ही ऐसा है कि मेरे गले में हीरों और मणियों का रहता है और दूसरे के गले में सर्प बन जाता है. यह सुनकर राजा ने वह सर्प बना हार उसे देकर कहा- अभी पहनकर दिखाओ. छोटी बहू ने जैसे ही उसे पहना वैसे ही हीरों-मणियों का हो गया.
यह देखकर राजा को उसकी बात का विश्वास हो गया और उसने प्रसन्न होकर उसे बहुत सी मुद्राएं भी पुरस्कार में दीं. छोटी वह अपने हार और इन सहित घर लौट आई. उसके धन को देखकर बड़ी बहू ने ईर्ष्या के कारण उसके पति को सिखाया कि छोटी बहू के पास कहीं से धन आया है. यह सुनकर उसके पति ने अपनी पत्नी को बुलाकर कहा- ठीक-ठीक बता कि यह धन तुझे कौन देता है? तब वह सर्प को याद करने लगी.
तब उसी समय सर्प ने प्रकट होकर कहा- यदि मेरी धर्म बहन के आचरण पर संदेह प्रकट करेगा तो मैं उसे खा लूंगा. यह सुनकर छोटी बहू का पति बहुत प्रसन्न हुआ और उसने सर्प देवता का बड़ा सत्कार किया. उसी दिन से नागपंचमी का त्योहार मनाया जाता है और स्त्रियां सर्प को भाई मानकर उसकी पूजा करती हैं.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/07/23_07_2020-nag-panchami-2020_20543879.jpg540650Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-07-25 03:47:542020-07-25 03:48:26नाग पंचमी 2020