हरियाणा की बेटियों रिद्धिमा और विधिका कौशिक ने रचा इतिहास

सुशील पण्डित
राजनैतिक विश्लेषक
  •  हरियाणा का गौरव बनकर उभरी रिद्धिमा और विधिका कौशिक

सुशील पण्डित, डेमोक्रेटिक फ्रंट, यमुनानगर – 08 सितम्बर :

एक समय था जब कहा जाता था कि पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब,खेलोगे कूदोगे बनोगे ख़राब। परंतु जैसे जैसे समय बदला और समय के साथ साथ धारणाएँ भी बदल गई, वर्त्तमान परिदृश्य में खेल जीवन में आगे बढ़ने का ऐसा सशक्त माध्यम बन चुका है जिसके बल पर मनुष्य बड़ी से बड़ी चुनौती को स्वीकार करके जीवन के हर क्षेत्र में नित नए आयाम स्थापित करने में सक्षम हो रहा हैं। देश की आज़ादी के पश्चात यदि पुरुष और महिला खिलाड़ियों द्वारा खेलों के माध्यम से हासिल की सफ़लता का आंकलन किया जाए तो निश्चित रूप से महिलाएं समाज और राष्ट्र की उन्नति में अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। लड़कियों द्वारा जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करके देश का परचम लहराया जा रहा है। खेल किसी भी मनुष्य के जीवन के लिए उतना ही महत्व रखते हैं जितना कि एक सफल इंसान बनने में शिक्षा व अन्य संसाधनों का है। यदि यह कहा जाए कि खेल के माध्यम से मनुष्य का चौमुखी विकास हो सकता है तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी यह एक ज्ञात तथ्य है कि स्वस्थ व सफल जीवन शैली के लिए खेल अभिन्न हिस्सा है। हालांकि छोटी उम्र से खेल खेलने के बहुत सारे लाभ है खेल जहाँ स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देता है वहीं आत्म सम्मान की दृष्टि से खेल का हमारे जीवन में बहुत अधिक महत्व माना जाता है।

वर्तमान की तेज तर्रार और अत्यधिक प्रतिस्पर्धा से भरपूर जीवन में खेलों का अत्यधिक महत्व रहता है सामान्य तौर पर युवाओं के जीवन में खेल की भूमिका महत्वपूर्ण होती है परंतु खेल में भागीदारी सुनिश्चित करना विशेष रूप से लड़कियों और महिलाओं के लिए महत्व रखता है। भारत में आज भी बहुत से ऐसे क्षेत्र है जहां लड़कियों के लिए शिक्षा आभाव तथा कम उम्र में विवाह तथा स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने की अक्षमता तथा लिंगानुपात की दृष्टि से लड़कियों और महिलाओं को समान अवसर से वंचित रहना पड़ता है। इन परिस्थितियों में खेल एक उल्लेखनीय भूमिका निभा रहा है। दरअसल खेल महिला खिलाड़ियों को नित नए अवसर प्रदान करता है तथा जीवन की चुनोतियों को स्वीकार करने का कौशल विकसित करने में सहायक सिद्ध होता है। यदि बात वर्तमान परिदृश्य में खेलों की जाए तो आज देश की बच्चियों खेलों में बेहतर प्रदर्शन करके न केवल स्वयं का अपितु पूरे देश का नाम विश्व के पटल पर रोशन करने में लगी है। इसी का जीवंत उदाहरण बनकर उभरी है, हरियाणा के फरीदाबाद की दो सगी बहने विधिका कौशिक व रिद्धिमा कौशिक। बचपन से ही किक बॉक्सिंग खेल में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रही विधिका कौशिक और रिद्धिमा कौशिक किक बॉक्सिंग का खेल रूचि से प्रारंभ होकर वर्तमान में ओलंपिक पदक का लक्ष्य बन चुका है। इन दोनों बहनों ने खंड स्तर से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी एक अलग पहचान बनाई है। उम्र में छोटी और प्रतिभा की दृष्टि से बड़ी हरियाणा की दोनों बेटियों की खेल शैली, एक मंजे हुए खिलाड़ी के भांति दिखाई देती है। हाल ही में दिल्ली में आयोजित हुई अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में विधिका और रिद्धिमा कौशिक ने स्वर्ण पदक हासिल करके अपने माता-पिता व प्रदेश का नाम रोशन किया है। गौरतलब है कि इस प्रतियोगिता में पूरे विश्व के बेहतर खिलाड़ियों ने भाग लिया था जिसमें इन दोनों बच्चियों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करके स्वर्ण पदक हासिल करके देश में एक अपनी अलग पहचान बनाने का काम किया है।

शुरुआती दौर से ही हरियाणा का खेलो के क्षेत्र में अपना अलग स्थान रहा है। दरअसल माँ और माटी का स्वभाव समान होता है। जिस प्रकार हरियाणा की माटी खिलाड़ियों सर्वांगीण विकास करने के लिए सदैव ततपर रहती है उसी प्रकार रिद्धिमा और विधिका की माँ रितु कौशिक भी बेटियों को बुलंदियों पर देखने के लिए समर्पण भाव से अपनी बच्चियों को बेहतर परवरिश देने में उद्घत रहती हैं। भारत के खेल इतिहास पर यदि बात करें तो हरियाणा प्रदेश के खिलाड़ियों ने देश का नाम विश्व पटल पर चमकाने के काम किया है। इसी प्रकार किक बॉक्सिंग में भी देश की बेटियां अपनी अलग पहचान बना रही है।अभी हाल ही में भारत के झारखंड राज्य में हुई राष्ट्रीय किक बाक्सिंग प्रतियोगता में दो सगी बहनों विधिका कौशिक व रिद्धिमा कौशिक स्वर्ण पदक जीत कर न केवल परिवार का अपितु देश व प्रदेश का नाम रोशन किया है। विधिका ने 28 किलोग्राम भार वर्ग और रिद्धिमा ने अंडर-12 आयु वर्ग मनवाया प्रतिभा का लोहा मनवाया। निश्चित तौर पर आज के समय और परिस्थितियों के अनुसार जो खेलेगा वही आगे बढ़ सकता है, फिर वह जीवन हो या खेल का मैदान। हरियाणा के जिला फरीदाबाद की दो सगी बहनों ने छोटी उम्र में ही बड़ा काम करके एक नया कीर्तिमान स्थापित करने का सराहनीय कार्य किया है। दरअसल बच्चे को परिवार की ओर से दिए गए अच्छे  संस्कार व शिक्षा जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। झारखंड के राचीं में 23 से 27 अगस्त के बीच आयोजित हुई राष्ट्रीय किक बाक्सिंग प्रतियोगिता-2023 चिल्ड्रन कैडेटस एंड जूनियर में फरीदाबाद जिले की विधिका और रिद्धिमा ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। झारखंड अमेतरा स्पोर्ट्स किक बाक्सिंग एसोसिएशन की ओर से आयोजित प्रतियोगता में देशभर के किक बाक्सिंग खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था। 28 किलोग्राम भार वर्ग के किक लीग इवेंट में विधिका कौशिक ने स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया। जबकि 47 किलोग्राम भार वर्ग के लीग कांटेस्ट में रिद्धिमा कौशिक ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए सोने का पदक हासिल करके माता पिता व प्रदेश का नाम रोशन किया है। खेल के क्षेत्र में खिलाड़ी का परिश्रम और कोच की निष्ठा दोनों ही महत्व रखती है। जिस प्रकार शिक्षक के बिना शिक्षा अधूरी है उसी प्रकार कोच के बिना खेलों में सफलतापूर्वक आगे बढ़ना कठिन है। इन बच्चियों की  कोच संतोष थापा कहना है कि विधिका कौशिक ने किक लाइक में तमिलनाडु की टीम को हराकर गोल्ड मेडल जीता है। रिद्धिमा कौशिक ने किक बाक्सिंग में गुजरात को हराकर गोल्ड मेडल जीता है। थापा ने बताया कि इससे पहले दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित अंतरराष्ट्रीय किक बाक्सिंग प्रतियोगिता में भी गोल्ड मेडल जीत कर नाम रोशन कर चुकी हैं।

दोनों बहनों का लगन व मेहनत से स्वर्ण प्राप्त करना जहाँ परिवार के लिए गर्व का विषय बना है वंही फरीदाबाद लौटने पर शहरवासियों ने ढोल-नगाड़ों के साथ विधिका और रिद्धिमा का जोरदार स्वागत करके इन बेटियों की उपलब्धि के महत्व को दोगुना करने का काम किया है। अक्सर कहा जाता है कि बेटियां माँ की अपेक्षा पिता की अधिक लाडली होती है और यह देखा भी गया है कदाचित पिता के भाव को समझने में बेटी अधिक सक्षम होती है। अपनी दोनों बेटियों पर गर्व की अनुभूति करते हुए विधिका और रिद्धिमा के पिता सुरेंद्र कुमार कौशिक का कहना है कि बेटियों की इस उपलब्धियों पर उन्हें गर्व है। दोनों बेटियों ने पूरे प्रदेश का नाम रोशन किया है। कौशिक का कहना है कि एक समय था जब लड़के और लड़की में अंतर माना जाता था, सामाजिक कुरीतियों व संकीर्ण मानसिकता के कारण उतपन्न होने वाली इस प्रकार की सोच समाज और परिवार के लिए किसी अभिशाप से कम नही होती। उन्होंने कहा कि खेलों से बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है। प्रखर समाजसेवी डीआर शर्मा ने बताया कि अभिभावकों को बेटियों को आगे बढ़ाने के लिए शिक्षा के साथ साथ खेलों में  भाग लेने  के लिए प्रेरित करना चाहिए। शर्मा का कहना है कि प्रदेश की बेटियां पढ़ाई के साथ खेलों में भी नाम रोशन कर समाज के लिए नई प्रेरणा बन रही हैं। निश्चित रूप से भारत की खेल नीति बेहतर होने के कारण आज खिलाड़ियों को अनेकों अवसर मिल रहे हैं वहीं यदि प्रदेश स्तर की बात की जाए तो मौजूदा सरकार के द्वारा खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से लाभान्वित किया जाना भी खेलों को बढ़ावा देने में सहायक सिद्ध हो रहा है। इस बारे में जब इन बच्चियों के पिता सुरेंद्र कौशिक से बात हुई तो उन्होंने बताया कि बच्चों की पहचान पिता के नाम से होना सामान्य बात होती है परंतु बच्चों के नाम से माता पिता की अलग पहचान बनना गर्व की बात है। 

सत्ता की आपदा और विपक्ष का अवसर बन सकता है अविश्वास प्रस्ताव

सुशील पण्डित, डेमोक्रेटिक फ्रंट, यमुनानगर – 10 अगस्त :

विपक्षी दलों या यूं कहें इंडिया द्वारा सत्ता पक्ष के खिलाफ प्रस्तुत किए गए अविश्वास प्रस्ताव को लेकर लगातार तीन दिनों से संसद में बहस जारी है। विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष की ओर से केंद्र सरकार को घेरने का काम किया जा रहा है। इस अविश्वास प्रस्ताव में जहाँ विपक्ष के नेता राहुल गांधी भाजपा सरकार पर आरोपों की झड़ी लगा रहे हैं वंही सत्ताधारियों द्वारा स्वंम को बचाने और विपक्ष को 2014 से पहले का भारत दिखाया जा रहा है। अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्षी सदस्यों के साथ साथ जनता की भी खासी रूचि दिखाई दे रही है। भविष्य में 2024 के चुनाव को देखते हुए विपक्षी दलों द्वारा इंडिया के बैनर तले सत्तापक्ष को घेरने का प्रयास किया जा रहा है वंही विपक्ष की ओर से प्रस्तुत किए गए अविश्वास प्रस्ताव के दौरान राहुल गांधी के मुद्दों से परिपूर्ण भाषण ने भाजपा को चुप्पी साधने के लिए मजबूर कर दिया।

भाटिया ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव का प्रभाव और परिणाम मौजूदा सरकार के प्रतिकूल हो सकता है। विपक्ष द्वारा प्रस्तुत अविश्वास प्रस्ताव का आधार मणिपुर की हिंसा तो है ही साथ ही अन्य ज्वंलत समस्याओं को भुनाने का काम विपक्षी पार्टियों द्वारा किया जा रहा है। मणिपुर हिंसा का जल्द समाधान जहां सत्ता पक्ष की नैतिक जिम्मेदारी बनती है वहीं भविष्य के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती भी है जिसका कुप्रभाव आगामी लोकसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में सात प्रदेशों को सेवेन सिस्टर्स के समान माना जाता था तथा यदि मणिपुर की बात करें तो मणिपुर भारत के सुंदर और शांत राज्यों में से एक था जिसका उदाहरण दिया जाता था परंतु लंबे समय से चली आ रही हिंसा के चलते मणिपुर का वास्तविक स्वरूप मूल रूप से विपरीत हो चुका है। वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए सत्ता पक्ष की यह नैतिक व राजनीतिक जिम्मेदारी बनती है कि इस मुद्दे का समाधान जल्द से जल्द किया जाए।

अविश्वास प्रस्ताव के दौरान विपक्षी दलों के नेताओं द्वारा सत्ता पक्ष को अहंकारी बताया गया है वहीं राहुल गांधी ने रामायण का उदाहरण देते हुए भाजपा सरकार को रावण की संज्ञा देकर यह स्पष्ट कर दिया है कि कहीं ना कहीं सत्ता पक्ष अहंकार के वशीभूत होकर देश में हो रहे दंगों, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, एवं अन्य समस्याओं का समाधान करने में विफल रहा है। गौतम ने कहा कि राहुल गांधी द्वारा संसद में कई गई बहस ने एनडीए सरकार को एक बार फिर सोचने पर विवश कर दिया है कि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था से कदाचित खिलवाड़ तो नहीं हुआ है। देश की राजनीति में अविश्वास प्रस्ताव का प्रस्तुत किया जाना,देश की वर्तमान प्रजातांत्रिक व्यवस्था की प्रतिकूलता एवं विपरीत परिस्थितियों पर निर्भर करता है।

सत्ता पक्ष का एक के बाद एक विभिन्न मुद्दों पर घेराव करना और विपक्षी दलों का अपेक्षा से अधिक हावी होते दिखाई देना,अविश्वास प्रस्ताव की प्रासंगिकता को सिद्ध करने के लिए पर्याप्त हो सकता है  देश के जनता की अपेक्षाएं मौजूदा सरकार से जुड़ी होते हैं परंतु कहीं ना कहीं जनता की अपेक्षाओं को उपेक्षाओं में परिवर्तित करने का कार्य सत्ता पक्ष के द्वारा किया जा रहा है जो लोकतांत्रिक व्यवस्था और राजधर्म के प्रतिकूल है। 2024 के चुनाव से पहले भाजपा को अविश्वास प्रस्ताव के प्रभाव को समाप्त करना पड़ेगा तथा विपक्ष की ओर से उठाए गए सवालों का जवाब धरातल पर देना होगा क्योंकि भाजपा के लिए अविश्वास प्रस्ताव से अधिक पीड़ादायक हो सकता है जनता की अपेक्षाओं पर खरा न उतरना। यदि केंद्र सरकार देश के ज्वलंत मुद्दों पर गंभीरता से कार्य करने का प्रयास करें तो कदाचित जनता का रुझान भाजपा सरकार की ओर पुनः हो सकता है अन्यथा विपक्षी दलों द्वारा किया गया इंडिया गठन सफल होने की कगार पर दिखाई दे रहा है और  परिणाम 2024 के चुनाव में भली भांति देखा जा सकता है। कदाचित यह अविश्वास प्रस्ताव विपक्षी दलों की निजी महत्वकांक्षा और सत्ता में वापसी एक पथरीला मार्ग हो सकता है परन्तु लोकतांत्रिक प्रक्रिया के अनुसार यह सत्ताधारियों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।

अविश्वास प्रस्ताव के दौरान विपक्षी दलों के नेताओं द्वारा सत्ता पक्ष पर आरोप लगाना तथा देश की वर्तमान परिस्थितियों को यदि हम समानांतर दृष्टि से देखें तो कहीं ना कहीं यह अविश्वास प्रस्ताव राजनीति की एक स्वभाविक प्रक्रिया हो सकती है जो केंद्र सरकार के लिए क्रिया की प्रतिक्रिया सिद्ध हो सकती है।

हरियाणा कांग्रेस को हमेशा से कमज़ोर करते हैं महत्वकांक्षी नेता

सरिका तिवरि, डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, पंचकुला – 05  जुलाई :

सारिका तिवारी

हरियाणा कांग्रेस में आंतरिक गुटबाजी कोई नई बात नहीं । भले ही पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा हों या कुमारी शैलजा , रणदीप सिंह सुरजेवाला या फिर किरण चौधरी ; सभी अपने अपने समर्थकों के साथ हरियाणा की राजनीति में स्वयं को आगामी मुख्यमत्री के रूप में दिखाने की होड़ में लगे हुए हैं । जबकि समय की मांग है कि कांग्रेस एकजुटता का परिचय दे।

कर्नाटक विधानसभा चुनावों के बाद सुरजेवाला का कद बढ़ा है । रोड शो में समर्थक रणदीप सुरजेवाला को मुख्यमंत्री बनाए जाने पर जोर दे रहे थे।

आगामी 30 जुलाई को शैलजा अपने गढ़ सिरसा में शक्ति प्रदर्शन करेंगी।

समय समय पर शैलजा हुड्डा को आड़े हाथों लेती रहती हैं आज फतेहाबाद के बड़पोल गांव में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति रैली में योजनाओं की घोषणा कैसे कर सकता है जबकि मेनिफेस्टो जारी करना पार्टी का काम है।

हरियाणा के नए प्रभारी दीपक बाबरिया ने पिछले दिनों बैठक में सब को एकजुट हो जाने के आदेश दिए ।
उस समय भी कुमारी शैलजा ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा की शिकायत करते हुए कहा कि प्रदेश भर में वह अन्य नेताओं के इलाके में जाकर बैठकें और समारोह कर रहे हैं।

इसी से पता लगता है कि भले ही नेता एक मंच पर आए परंतु फिर भी कांग्रेस की अंतर कलह पटल पर दिखाई दे रही है।

इतना ही नहीं उस बैठक में हुड्डा और शैलजा के समर्थकों ने अपने अपने नेता के पक्ष में नारे भी लगाए। लेकिन कूटनीति का सहारा लेते हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कुमारी शैलजा के पक्ष में नारे लगाए जिसमें सभी कार्यकर्ताओं ने हुड्डा का साथ दिया ।

अनुभवी हुड्डा समय की नजाकत को पहचानते हैं क्योंकि राजनीति में दोस्ती हों या दुश्मनी कुछ भी स्थाई नहीं होता। वैसे भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा कुमारी शैलजा को हमेशा से ही अपनी बहन कहते हैं । यह बात अलग है ही समय से पहले ही शैलजा को अध्यक्ष पद से हटा कर उनकी जगह हुड्डा खेमे के उदय भान को प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया।

हाल ही में कुमारी शैलजा ,रणदीप सिंह सुरजेवाला और किरण चौधरी ने एक मंच पर से सत्ताधारी भाजपा और जजपा की नीतियों की कड़ी भर्त्सना की । भले ही ये नेता आंतरिक तौर पर इकट्ठे नहीं है लेकिन फिर भी एक मंच पर आकर इन्होंने कांग्रेस की एकजुटता का परिचय देने की नाकाम कोशिश की , क्योंकि भूपेंद्र सिंह हुड्डा या उनकी ओर से कोई भी प्रतिनिधि प्रेस वार्ता में मौजूद नहीं था।

कुल मिला कर अगर कांग्रेस एकजुट होती है तभी सत्तारूढ़ गठबंधन को चुनौती देने का साहस कर पाएगी।

परिदृश्य: अजीब देश की सजीव कहानी

सौरभ त्रिपाठी, डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, पंचकुला – 28 अप्रैल :

सौरभ त्रिपाठी

“विभीषिका”अर्थ व अनर्थ दोनो में विचित्र है। यदि यह अनर्थ के साथ वातावरण में फैल जाए तो जीवन कैसा होगा, सोचिए मत।

अमृतकाल के आनंद युग में मगन जनता अमृतवर्षा में नाच रही है। नृत्य की भाव विभोरता में नगनत्व में बदल रही है। महान देश के महान देवता की कृपा अनवरत बरस रही है। अमृत वर्षा में स्वर्ण व रजत बूँदे देश की धरती को पड़पड़ा कर पीट रही है। शेयर सूचिकांग जैसा इंद्रधनुष क्षितिज में टिमटिमा रहा है। विकासवादी हवा नथुनों को रगड़ रही है। चुनाव, लोकतंत्र ईवीएम, अम्बानी-अदानी,  मीडिया-अदालत,  ईडी – सीबीआईं जैसी आवाज़ें बादलों की तरह उमड़ घुमड़ रहे है। मेंढकों का एक ख़ास झुंड आकस्मिक अमृत वर्षा से नाराज़ होकर उछल -कूद मचा रहे है। अमृतवर्षा के स्पर्श से सभी गिरगिट मगरमच्छ जैसे दिख रहे है। चार पायदानो पर टिके लोकतंत्र के खंडहर के चारों तरफ़ गहरी खामोशी है । लोकतंत्र की इमारत पर वज्रपात जैसा हुआ है।

      ओह! विहंगम दृश्य “उड़ी छत-धंसी फ़र्श -फटी दिवार ,लोकतंत्र का खंडहर और स्तब्ध लोग। पक्ष और विपक्ष गुत्थम- गुत्था हो रहे है ।बहस और संवाद चिल्लाहट व धक्कामुक्की में बदल रही है ।एक तरफ़ पाक चल रहा है ,दूसरी तरफ़ पाक जल रहा है। पुलवामा से गलवान तक जवान खोजे जा रहे है ।स्वास्थ्य, शिक्षा, महंगाई, ग़रीबी, न्याय, बेरोज़गारी जैसे शब्द लुप्त हो गए, सार्वजनिक संस्थान भी निजी महल हो गए। कोविड मृतकों के आत्मशांति के लिए चिकित्सालय कब बनेंगे, वर्तमान पीढ़ी का भविष्य कैसे सुरक्षित होगा? रूसी क्रूड आयल सस्ता होने पर भी डीज़ल पेट्रोल गैस सिलेंडर क्यों गर्मा रहे है।

चुनावी बांड किस दल को कितना और क्यू मिलते है, ये सवाल पूछेगा कौन, ईडी-सीबीआई का ख़ौफ़ जो है। अयोध्या -मथुरा, काशी के वासी भी मौन है। साफ़ सुथरे आवरण में लिपटे ब्यूरोक्रेसी आज़ादी या ग़ुलामी की बहस में उलझी है। प्रशाशक और सेवक के परिभाषा अभी तक नही गढ़ी गयी। इसलिए ब्यूरोक्रेसी ने सोचना व समझना छोड़ दिया है। ब्यूरोक्रेट अब टेक्नोक्रेट बनकर रह गया है। आर्टिफ़िशियल एजेंसी पर रीसर्च करने को उतावला है।

प्रोजेक्ट, इन्वेस्टमेंट, प्रमोशन और मलाईदार पद के दायरे में सिमटा इन महामानवो का क़बीला सिर्फ़ स्वामियों के संकेत को समझता है। संवेदनायुक्त ब्यूरोक्रेड्स हारते हुए भी लड़ कर थोड़ा विश्वास बनाए हुए विभागीय जाँच के फंदे में लटकते दिखाई देते है।

न्याय के मंदिर अंधेरे में कभी कभी ही चमकते है। न्यायदेवताओं की विवेकदृष्टि भविष्य को ध्यान में रखकर फ़ैसले देने लगी है । न्याय की खोज, न्याय में भरोसा, न्याय की पारदर्शिता में अन्याय नाम की ऋंखला गहरी पैठ बना रखी है । गली – दर -गली, सड़क – दर – सड़क, न्याय होता दिख रहा है।

कभी ग़ोलीयो से ,कभी तलवारों से ,कभी गाड़ी पलटने से  , कभी बुलडोज़र से ।परेशान लोग कहाँ जाये ,किसके सामने हाथ फैलाए ,किससे न्याय की उम्मीद रखे ।इसलिए गहरी चुप्पी ओढ़ लेते है । हमारे शांति व अहिंसा का यही सारांश है । न्यायप्रिय देवता भी गवाहों एवं साक्ष्यों के परिवर्तन से सहमा हुआ है । स्वतंत्र कहलाने वाली मीडिया की स्वतंत्रता स्वयं संदेहात्मक है । अपनी रुचि या मजबूरी के प्रभाव से सारे सच को ढकने या सारे झूठ को खोलने का बेहतरीन अभ्यास आज के दौर में दिखायी दे रहा है । देश के लोगों के भाग्य अब स्वयं उसके  कर्म में है ।

सहयोग करने वाली सत्ताए लालच के समुद्र में डूब रही है। प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का सत्ता के प्रति दीवानगी इस हद तक है कि नोट में भी चिप लगा देती है। सार्थक बहसें हिंदू – मुस्लिम तक सीमित है। समाज का आईना बनने का दम्भ भरने वाली मीडिया आईने  में  स्वयं का चेहरा नही देख पा रही है।

लालच की पत्रकारिता किसी देश की ग़ुलाम बनाने के लिए पर्याप्त है। यही तो विभीषिका है। जहाँ नागरिक ही ग़ुलाम बन जाता है। यह किसी देश का परिदृश्य नही, वैश्विक विनाश लीला है जहाँ सच, न्याय, ईमानदारी रोज़ झूठ, अन्याय, और बेईमानी के हाथों शर्मिंदा  होते है। दर्द से उभरती चीखे मधुर संगीत बन जाती है। अन्याय से निकली कराह में मंदिरो की घंटिया सुनायी पड़ती है।

पंचांग 09 मार्च 2023

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी व्यक्ति के बारे में जानने के लिए उसकी राशि ही काफी होती है। राशि से उस या अमूक व्यक्ति के स्वभाव और भविष्य के बारे में जानना आसान हो जाता है। इतना ही नहीं, ग्रह दशा को अपने विचारों को सकारात्मक रखें, क्योंकि आपको ‘डर’ नाम के दानव का सामना करना पड़ सकता है। नहीं तो आप निष्क्रिय होकर इसका शिकार हो सकते हैं। आपका कोई पुराना मित्र आज कारोबार में मुनाफा कमाने के लिए आपको सलाह दे सकता है, अगर इस सलाह पर आप अमल करते हैं तो आपको धन लाभ जरुर होगा। घरेलू मामलों पर तुरंत ध्यान देने की ज़रूरत है। आपकी ओर से की गयी लापरावाही महंगी साबित हो सकती है। आपके प्रिय/जीवनसाथी का फ़ोन आपका दिन बना देगा।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 09 मार्च 2023 :

नोटः आज श्री गणेश चतुर्थी व्रत है।

विक्रमी संवत्ः 2079

 शक संवत्ः 1944

 मासः फाल्गुन

 पक्षः कृष्ण पक्ष

 तिथिः चतुर्थी की वृद्धि है, (जो शुक्रवार को प्रातः काल 07.59 तक) है

वारः गुरूवार

विशेषः आज दक्षिण दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर गुरूवार को दही पूरी खाकर और माथे में पीला चंदन केसर के साथ लगाये और इन्हीं वस्तुओं का दान योग्य ब्रह्मण को देकर यात्रा करें।

 नक्षत्रः उत्तराफाल्गुनी रात्रि 10.27 तक है

 योगः सुकृत सांय काल 04.45 तक

 करणः बव

 राहु कालः दोपहर 1.30 से 3.00 बजे तक

 सूर्य राशिः मकर चंद्र राशिः कन्या

र्योदयः 07.08 सूर्यास्तः 06.03 बजे।

panchang

पंचांग 12 दिसम्बर 2022

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य कराना चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क, 12 दिसम्बर 22 :

विक्रमी संवत्ः 2079, 

 तिथिः चतुर्थी,

शक संवत्ः 1944,

 मासः पौष,

 पक्षः कृष्ण पक्ष,

सांयः 06.49 तक है,

 वारः सोमवार।

विशेषः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर सोमवार को दर्पण देखकर, दही,शंख, मोती, चावल, दूध का दान देकर यात्रा करें।

 नक्षत्रः पुष्य,

रात्रि कालः 11.36 तक है,

 योगः ऐन्द्र प्रातः काल 06.06 तक,

 करणः बालव,

 सूर्य राशिः वृश्चिक,

 चंद्र राशिः कर्क,

 राहु कालः प्रातः 7.30 से प्रातः 9.00 बजे तक,

 सूर्योदयः 07.08, सूर्यास्तः 05.21 बजे। 

स्मार्ट फ़ोन क्या आपको सही में स्मार्ट बनाता है जानते है स्मार्ट फ़ोन की लत से कैसे बचे डॉ सुमित्रा अग्रवाल जी से 

सब अपनेपन के लिए तरसते है और फ़ोन से हर समय जूड़े होते है पर अपने प्रियजन से दूर होते है। साथ की खोज में साथी से ही दूर हो जाते है। इसका अत्यधिक इस्तेमाल किया जाए तो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में इसका बड़ा असर होता है।

कैसे अपने स्मार्टफोन की लत को तोड़ें

डॉ सुमित्रा अग्रवाल, डेमोक्रेटिक फ्रंट, कोलकाता – 06 दिसंबर :

            वर्तमान समय में अत्यधिक लोगो के पास स्मार्टफोन है । बड़े हो या छोटे हो सब उम्र के लोग स्मार्टफोन का भरपूर इस्तेमाल करते है । स्मार्ट एडवांस टेक्नोलॉजी ने हमारी ज़िंदगी बहुत आसान बना दी है । हम कोई भी काम आसानी से घर बैठे  कर सकते है ।ऐसे में स्मार्ट फोन के फायदे भी है और नुकसान भी है ।

स्मार्ट फ़ोन से जुड़ी खट्टी मीठी बातें –

            सब अपनेपन के लिए तरसते है और फ़ोन से हर समय जूड़े होते है पर अपने प्रियजन से दूर होते है।  साथ की खोज में साथी से ही दूर हो जाते है।  इसका अत्यधिक इस्तेमाल किया जाए तो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में इसका बड़ा असर होता है ।

कब होती है इस लत की सुरुवात 

            माता पिता छोटे छोटे बच्चो के  हाथो में मोबाइल दे देते है । जिसने अभी चलना सीखा भी नहीं होता है  वो फ़ोन चलना जरूर सिख जाता है। फोन की यही लत खतनाक साबित हो सकती है।  इससे मातापिता को सावधान हो जाना चाहिए क्यों की बच्चो के  हाथो में स्मार्ट फोन पकड़ाना एक कोकीन जैसी नशीली और जहरीली चीज के बराबर है।

            हाल ही में शोध से यह पता चली है की अत्यधिक स्मार्ट फोन के इस्तेमाल से बच्चे पढ़ने में कमजोर हो रहे है ।बच्चों की प्रतिरोधक  छमता कम होती नजर आ  रही है और बच्चों की एकाग्रहता की शक्ति भी कम होने लगी  है, जिससे बच्चों की रचनात्मक प्रतिभाएं  भी कम  हो रही है  ।

मोबाइल फोन की लत के लक्षण और इससे निपटने के तरीके रुझान और स्वास्थ्य

किन लक्षणों से जाने की स्मार्ट फ़ोन की लत लग गयी है –

इन लक्षणों से करे एडिक्शन की पहचान 

  •  बार बार फोन चेक करने की आदत 
  •    फोन में लंबे व्यक्त तक बाते करना 
  •   बार बार व्हाट्स एप मैसेजेस को चेक करना 
  • पूरी रात फोन में लगे रहना 
  •   रात को मैसेजेस चेक करने की आदत 
  •   कोई दूसरा इंसान आप का फोन मांगे, तो आप को गुस्सा आना 
  • सोते व्यक्त फोन का इस्तेमाल करना 
  •   पढ़ने के व्यक्त फोन का इस्तेमाल करना 
  • • फोन इस्तेमाल की टाइमिंग कंट्रोल ना करना 
  • • गाड़ी चलाते व्यक्त फोन का इस्तेमाल करना 
  • • चालू रास्ते में फोन का इस्तेमाल करना                                                                                                                          

कैसे करे इस लत का समाधान –

ऐसे पाए एडिक्शन से छुटकारा

  • रात को फोन अपने पास ना रखे 
  • • नोटिफिकेशन  और अन्य एप्प को अपने फोन में प्रतिबंध करिये।  
  • • कम से कम एप्प  का इस्तेमाल करे 
  • •  सुबह उठते समय और रात के समय फोन का इस्तेमाल बहुत जरुरी  होने पर ही करे।
  • • अपने आप को व्यस्त रखे 
  • •  क्रिएटिव चीजे करे
  • • नई  प्रतिभा को सीख सकते है ,जिसमें रुचि हो 
  • •  ज्यादातर समय अपने परिजनों के साथ बिताए 
  • •  कम से कम फ़ोन का इस्तेमाल करे 
  • पुराने दोस्तों से मिले 

छोटी पर मोटी बातें 

            आज के दौर में सभी उम्र  के लोग स्मार्ट फोन का हद से ज्यादा इस्तेमाल करते है । स्मार्ट फोन की आदत से छोटे बच्चे को दूर रखे। युवाओ को जागरूक रहना चाहिए।युवाओ को अपना ध्यान अपने करियर में लगाना चाहिए जिससे उसकी जिंदगी निखरे ।स्मार्ट फोन की एडिक्शन से कई बच्चों की जिंदगी खतरे में आती है । माता पिता को जागरूक होना चाहिए , बच्चों को कम से कम फ़ोन देना चाहिए ।

            पुराने मित्र से मिलने की बात ही अलग होती है, पुरानी यादें  ताजा होती है और संबंध भी अच्छे बनते है। स्मार्ट फोन के एडिक्शन से कई लोगो की जिंदगी आसानी से बचाई जा सकती है। बस लोगों के अंदर की  जागरूकता को बढ़ाना होगा ।जब लोग खुद ही समझ जायेंगे की कब फ़ोन का इस्तेमाल करना है और कब नहीं करना है तब कोई भी तकलीफ नहीं रहेगी।

फोन का इस्तेमाल करे , लेकिन एक नियमित समय तक ही करे इससे ज्यादा ना करे।

Rashifal

राशिफल, 02 नवम्बर 2022

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी व्यक्ति के बारे में जानने के लिए उसकी राशि ही काफी होती है। राशि से उस या अमूक व्यक्ति के स्वभाव और भविष्य के बारे में जानना आसान हो जाता है। इतना ही नहीं, ग्रह दशा को अपने विचारों को सकारात्मक रखें, क्योंकि आपको ‘डर’ नाम के दानव का सामना करना पड़ सकता है। नहीं तो आप निष्क्रिय होकर इसका शिकार हो सकते हैं। आपका कोई पुराना मित्र आज कारोबार में मुनाफा कमाने के लिए आपको सलाह दे सकता है, अगर इस सलाह पर आप अमल करते हैं तो आपको धन लाभ जरुर होगा। घरेलू मामलों पर तुरंत ध्यान देने की ज़रूरत है। आपकी ओर से की गयी लापरावाही महंगी साबित हो सकती है। आपके प्रिय/जीवनसाथी का फ़ोन आपका दिन बना देगा।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – 02 नवम्बर 22 :

aries
मेष/aries

02 नवम्बर 2022 :

अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए व्यक्तिगत संबंधों का इस्तेमाल करना आपके जीवनसाथी को नाराज़ कर सकता है। अटके हुए मामले और घने होंगे व ख़र्चे आपके दिमाग़ पर छा जाएंगे। रिश्तेदारों और दोस्तों से अचानक उपहार मिलेगा। आपका प्यार न सिर्फ़ परवान चढ़ेगा, बल्कि नई ऊँचाइयों को भी छूएगा। दिन की शुरुआत प्रिय की मुस्कान से होगी और रात उसके सपनों में ढलेगी। आज का दिन समझ-बूझ के क़दम उठाने का है, इसलिए तब तक अपने विचार व्यक्त न करें जब तक आप उनकी सफलता के लिए आश्वस्त न हों। कई कामों को छोड़कर आप आज अपने पसंदीदा कामों को करने का मन बनाएंगे लेकिन काम की अधिकता के कारण आप ऐसा नहीं कर पाएँगे। आज आप महसूस करेंगे कि शादी का बंधन वाक़ई स्वर्ग में बनाया जाता है।

अपनी व्यक्तिगत समस्या के निश्चित समाधान हेतु समय निर्धारित कर ज्योतिषाचार्या से संपर्क करे, दूरभाष : 8194959327

वृष/Taurus

02 नवम्बर 2022 :

हँसमुख रिश्तेदारों का साथ आपके तनाव को कम करेगा और आपको ज़रूरी आराम देगा। आप ख़ुशनसीब हैं कि आपके ऐसे सगे-संबंधी हैं। आज इस राशि के कुछ बेरोजगार लोगों को नौकरी मिल सकती है जिससे उनकी आर्थिक स्थिति सुधरेगी। ऐसे मुद्दों पर बात करने से बचें, जिनको लेकर प्रियजनों से वाद-विवाद होने की संभावना है। आपको अपनी हार से कुछ सबक़ सीखने की ज़रूरत है, क्योंकि आज अपने दिल की बात ज़ाहिर करने से नुक़सान भी हो सकता है। किसी नयी परियोजना पर काम करने से पहले अच्छी तरह सोच-विचार लें। आज किसी सहकर्मी के साथ आप शाम का वक्त बिता सकते हैं हालांकि अंत में आपको महसूस होगा कि आपने उनके साथ समय बर्बाद किया है और कुछ नहीं। जीवनसाथी की ओर से जानबूझ कर भावनात्मक चोट मिल सकती है, जिसके चलते आप उदास हो सकते हैं।

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मिथुन/Gemini

02 नवम्बर 2022 :

दिन फ़ायदेमन्द साबित होगा और आप किसी पुरानी बीमारी में काफ़ी आराम महसूस करेंगे। आपके पिता की कोई सलाह आज कार्यक्षेत्र में आपको धन लाभ करा सकती है. लोगों और उनके इरादों के बारे में जल्दबाज़ी में फ़ैसला न लें। हो सकता है कि वे दबाव में हों और उन्हें आपकी सहानुभूति व विश्वास की ज़रूरत हो। रोमांस के लिहाज़ से बहुत अच्छा दिन नहीं है, क्योंकि आप आज सच्चा प्यार ढूंढने में विफल हो सकते हैं। कार्यक्षेत्र में आपके कामकाज की सराहना होगी। आज का दिन फ़ायदेमंद साबित होगा, क्योंकि ऐसा लगता है कि चीज़ें आपके पक्ष में जाएंगी और आप हर काम में अव्वल रहेंगे। ग़लतफ़हमी के लम्बे दौर के बाद इस शाम आपको जीवनसाथी के प्यार का तोहफ़ा नसीब होगा।

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कर्क/Cancer

02 नवम्बर 2022 :

गर्भवती महिलाओं को चलते-फिरते समय ख़ास ख़याल रखने की ज़रूरत है। अगर संभव हो तो ऐसे लोगों से दूर रहें जो धूम्रपान करते हैं, क्योंकि इससे पैदा होने वाले शिशु को नुक़सान हो सकता है। जीवनसाथी की खराब तबीयत के कारण आज आपका धन खर्च हो सकता है लेकिन आपको इसको लेकर चिंता करने की जरुरत नहीं है क्योंकि धन इसीलिये बचाया जाता है कि बुरे समय में वो आपके काम आ सके। अपना कुछ समय दूसरों को देने के लिए अच्छा दिन है। ज़रा संभल कर, क्योंकि आपका प्रिय रूमानी तौर पर आपको मक्खन लगा सकता है – मैं तुम्हारे बग़ैर इस दुनिया में नहीं रह सकता/सकती। सहकर्मियों और वरिष्ठों से मिला सहयोग आपके उत्साह में इज़ाफ़ा करेगा। आज सोच-समझकर क़दम बढ़ाने की ज़रूरत है- जहाँ दिल की बजाय दिमाग़ का ज़्यादा इस्तेमाल करना चाहिए। आपको महसूस होगा कि शादी के वक़्त किए गए सारे वादे सच्चे हैं। आपका जीवनसाथी ही आपका हमदम है।

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Leo
सिंह/Leo

02 नवम्बर 2022 :

सेहत से जुड़े कार्यक्रमों को फिर से शुरू करने के लिए अच्छा दिन है। आज बिना किसी की मदद के ही आप धन कमा पाने में सक्षम होंगे। आज के दिन बिना कुछ ख़ास किए आप आसानी से लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने में क़ामयाब रहेंगे। आपके प्रिय का डांवाडोल मिज़ाज आपको परेशान कर सकता है। आज आपके पास अपनी धनार्जन की क्षमता को बढ़ाने के लिए ताक़त और समझ दोनों ही होंगे। जो भी आपसे मिले, उसके साथ विनम्र और सुखद व्यवहार करें। बहुत कम लोग ही आपके इस आकर्षण का राज़ जान पाएंगे। लोगों की दख़लअन्दाज़ी वैवाहिक जीवन में परेशानी खड़ी कर सकती है।

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कन्या/Virgo

02 नवम्बर 2022 :

आप जो शारीरिक बदलाव आज करेंगे, वे निश्चित तौर पर आपके रूप-रंग को आकर्षक बनाएगा। जमीन या किसी प्रॉपर्टी में निवेश करना आज आपके लिए घातक हो सकता है जितना हो सके इन चीजों में निवेश करने से बचें। घरेलू मामलों पर तुरंत ध्यान देने की ज़रूरत है। आपकी ओर से की गयी लापरावाही महंगी साबित हो सकती है। किसी से अचानक हुई रुमानी मुलाक़ात आपका दिन बना देगी। दफ़्तर में अपनी ग़लती स्वीकार करना आपके पक्ष में जाएगा। लेकिन आपको इसे सुधारने के लिए विश्लेषण की ज़रूरत है। आपकी वजह से जिसे नुक़सान हुआ हो, उससे माफ़ी मांगने की ज़रूरत है। याद रखिए कि हर कोई ग़लती करता है, लेकिन केवल बेवकूफ़ ही उन्हें दोहराते हैं। अगर आप अपने घर से बाहर रहकर अध्ययन या नौकरी करते हैं तो आज के दिन आप खाली समय में अपने घर वालों से बात कर सकते हैं। घर की किसी खबर को सुनकर आप भावुक भी हो सकते हैं। काफ़ी वक़्त बाद आप और आपका जीवनसाथी एक शान्त दिन साथ बिता सकते हैं, जब कोई लड़ाई-झगड़ा न हो – सिर्फ़ प्यार हो।

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Libra
तुला/Libra

02 नवम्बर 2022 :

आपको काफ़ी समय से चल रही बीमारी से छुटकारा मिल सकता है। आज के दिन आपको धन लाभ होने की पूरी संभावना है लेकिन इसके साथ ही आपको दान-पुण्य भी करना चाहिए क्योंकि इससे आपको मानसिक शांति मिलेगी। जिन लोगों से आपकी मुलाक़ात कभी-कभी ही होती है, उनसे बातचीत और संपर्क करने के लिए अच्छा दिन है। सैर-सपाटे पर जाने का कार्यक्रम बन सकता है, जो आपकी ऊर्जा और उत्साह को तरोताज़ा कर देगा। यह उन उम्दा दिनों में से एक दिन है जब कार्यक्षेत्र में आप अच्छा महसूस करेंगे। आज आपके सहकर्मी आपके काम की तारीफ करेंगे और आपका बॉस भी आपके काम से खुश होगा। कारोबारी भी आज कारोबार में मुनाफा कमा सकते हैं। इस राशि के छात्र-छात्राएं आज अपने कीमती समय का दुरुपयोग कर सकते हैं। आप मोबाइल या टीवी पर आवश्यकता से अधिक समय जाया कर सकते हैं। आज का दिन उन्माद में घिर जाने का है; क्योंकि आप अपने जीवनसाथी के साथ प्रेम के चरम का अनुभव करेंगे।

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वृश्चिक/Scorpio

02 नवम्बर 2022 :

आज आप उम्मीदों की जादुई दुनिया में हैं। आज आप आसानी से पैसे इकट्ठा कर सकते हैं- लोगों को दिए पुराने कर्ज़ वापिस मिल सकते हैं- या फिर किसी नयी परियोजना पर लगाने के लिए धन अर्जित कर सकते हैं। परिवार के सदस्यों के साथ कुछ आराम के पल बिताएँ। दूसरों की दख़लअन्दाज़ी गतिरोध पैदा कर सकती है। कामकाज में आपको काफ़ी फ़ायदा हो सकता है। अगर आप शादीशुदा हैं और आपके बच्चे भी हैं तो वो आज आपसे शिकायत कर सकते हैं क्योंकि आप उनको पर्याप्त समय नहीं दे पाते। आपका जीवनसाथी रोज़ाना की ज़रूरतों को पूरा करने से अपने हाथ पीछे खींच सकता है, जिसके चलते आपका मन उदास होने की संभावना है।

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धनु/Sagittarius

02 नवम्बर 2022 :

भीड़भाड़ भरे इलाक़ों में यात्रा करते समय रक्तचाप के रोगियों को अतिरिक्त सावधान रहने की आवश्यकता है। जिन लोगों की अब तक तनख्वाह नहीं आयी है आज वो पैसों के लिए बहुत परेशान रह सकते हैं और अपने किसी दोस्त से उधार मांग सकते हैं। जिनसे आप प्यार करते हैं, उनसे आज सारी ग़लतफ़हमी दूर हो सकती है। कोई पौधा लगाएँ। आज आराम के लिए बहुत कम समय है- क्योंकि पहले के टाले हुए काम आपको व्यस्त रखेंगे। घर से बाहर निकलकर आज आप खुली हवाओं में टहलना पसंद करेंगे। आज आपका मन शांत होगा जिसका फायदा आपको पूरे दिन मिलेगा। ज़्यादा ख़र्चे की वजह से जीवनसाथी से खट-पट हो सकती है।

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मकर/Capricorn

02 नवम्बर 2022 :

आज के दिन किए गए दान-पुण्य के काम आपको मानसिक शान्ति और सुकून देंगे। आप अच्छा पैसा बना सकते हैं, बशर्ते आप पारंपरिक तौर पर निवेश करें। अचानक मिली कोई अच्छी ख़बर आपका उत्साह बढ़ा देगी। परिवार के लोगों के साथ इसे बांटना आपको उल्लास से भर देगा। अपने प्रिय के साथ आज अच्छी तरह बर्ताव करें। दूसरे आपसे काफ़ी ज़्यादा समय की मांग कर सकते हैं। उनसे किसी भी तरह का वादा करने से पहले यह देख लें कि आपका काम उससे प्रभावित न हो और साथ ही वे आपकी उदारता और सुहृदयता का ग़लत फ़ायदा न उठाएँ। आज के दिन में आप बहुत व्यस्त रहेंगे लेकिन शाम के वक्त अपने मनपसंद कामों को करने के लिए भी आपके पास पर्याप्त समय होगा। अपने जीवनसाथी की वजह से आपको मानसिक अशान्ति का सामना करना पड़ सकता है।

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कुम्भ/Aquarius

02 नवम्बर 2022 :

आपका आकर्षक बर्ताव दूसरों का ध्यान आपकी तरफ़ खींचेगा। पैसा अचानक आपके पास अएगा, जो अपके ख़र्चों और बिल आदि को सम्हाल लेगा। शाम को रसोई के लिए ज़रूरी चीज़ों की ख़रीदारी आपको व्यस्त रखेगी। एकतरफ़ा लगाव आपके लिए सिर्फ दिल तोड़ने का काम करेगा। जो लोग अब तक बेरोजगार हैं उन्हें अच्छी जॉब पाने के लिए आज और अधिक मेहनत करने की जरुरत है। मेहनत करके ही आप सही परिणाम पा पाएंगे। आज टीवी या मोबाइल पर कोई मूवी देखने में आप इतना व्यस्त हो सकते हैं कि आप जरुरी कामों को करना भी भूल जाएंगे। रिश्तेदारों का दख़ल शादीशुदा ज़िन्दगी में परेशानी पैदा कर सकता है।

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मीन/Pisces

02 नवम्बर 2022 :

आपका सबसे बड़ा सपना हक़ीक़त में बदल सकता है। लेकिन अपने उत्साह को क़ाबू में रखें, क्योंकि ज़्यादा ख़ुशी भी परेशानी का सबब बन सकती है। आकस्मिक मुनाफ़े या सट्टेबाज़ी के ज़रिए आर्थिक हालात सुदृढ़ होंगे। आपके आकर्षण और व्यक्तित्व के ज़रिए आपको कुछ नए दोस्त मिलेंगे। रोमांस रोमांचक होगा- इसलिए उससे संपर्क करें जिससे आप प्रेम करते हैं और दिन का भरपूर लुत्फ़ लें। जब तक आपको तसल्ली न हो जाए कि सारा काम पूरा हो चुका है, दस्तावेज़ अपने वरिष्ठ को न दें। जीवन का आनंद लेने के लिए आपको अपने दोस्तों को भी समय देना चाहिए। अगर आप समाज से कटकर रहेंगे तो आवश्यकता पड़ने पर आपके साथ भी कोई नहीं होगा। मुमकिन है कि आज आपका जीवनसाथी ख़ूबसूरत शब्दों में यह बताए कि आप उनके लिए कितने क़ीमती हैं।

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 संपूर्ण क्रांति के जनक जयप्रकाश नारायण को नमन – करणीदानसिंह राजपूत

करणीदानसिंह राजपूत, डेमोक्रेटिक फ्रंट, सूरतगढ़ – 08 अक्तूबर :

करणीदानसिंह

            जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर 1902 को हुआ और 8 अक्टूबर 1979 को लंबी बीमारी के बाद पटना में उनका निधन हो गया।

जेपी को उस दिन पूरे देश ने नम आंखों से अंतिम विदाई दी थी।अब तो हालात बहुत बदल गए हैं। जेपी को याद तो करते हैं, लेकिन महज रस्म आदायगी होती है।चुनाव के दौरान या जयंती, पुण्यतिथि और आपातकाल की बरसी पर ही इस बड़े नेता को याद किया जाता है।

            जयप्रकाश नारायण के आह्वान पर ही तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के विरुद्ध देश जागा था और सब कुछ छोड़कर लोग आंदोलन में चल पड़े थे। लाखों लोग परिवार लोकतंत्र की रक्षा करने संविधान को बचाने के लिए आंदोलन में कूदे। बहुत कुछ बरबाद हो गया। आज वे लोकतंत्र सेनानी 70,75,80,90,95,साल की उम्र में हैं। अनेक लोकतंत्र सेनानी संसार से विदा हो गये,जिनकी विधवाएं हैं परिवार है और वृद्धावस्था की पीड़ाएं हैं। जयप्रकाश नारायण को कौन याद करे! जब लोकतंत्र सेनानियों की आवाज ही सुनाई नहीं हो रही।

            आज नरेन्द्र मोदी की सरकार भी हजारों पत्रों के बाद भी सुन नहीं रही। एक भी पत्र का उत्तर नहीं दिया। क्या लोकतंत्र सेनानियों के पत्रों का उत्तर नहीं देना भी महानता है? मोदी सरकार पत्रों का उत्तर नहीं दे लेकिन भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी.नड्डा भी नहीं देते उत्तर।

            लेकिन देश में एक ऐसी जमात बन गई है जो खुद मूक हो गई है जिसके मुंह से आवाज नहीं निकल रही। लुहले भी हो गए हैं कि लिखने को हाथ ही नहीं हैं। यह कैसी मानसिकता हो गई है।?

            सत्ता और सत्ताधारी बहरे होते हैं। उनको सुनाने के लिए विद्रोह के ढोल नगाड़े बजाने पड़ते हैं।

यह ध्वज मैं फहराता रहूंगा। लोकतंत्र सेनानियों की आवाज उठाता रहूंगा  –  करणीदानसिंह राजपूत

असफलता सफलता के स्तंभ हैं

डेमोक्रेटिक फ्रंट, श्री मुक्तसर साहिब :

जसविंदर पाल शर्मा

            थोड़ी सी भी असफलता कोई मायने नहीं रखती। वास्तव में सफलता की राह असफलताओं से घिरी होती है। प्रत्येक असफलता के साथ व्यक्ति सफलता के निकट आता जाता है और प्रत्येक पतन के साथ व्यक्ति ऊँचा उठता जाता है। असफलताओं के बारे में बात करना विरोधाभासी और विरोधाभासी लग सकता है और सफलता के साथ-साथ गिरता है और उच्चतर होता है। लेकिन यह एकदम सच है। प्रत्येक असफलता व्यक्ति को सफलता के करीब ले आती है क्योंकि प्रत्येक असफलता के भीतर सफलता का एक पाठ छिपा होता है।

            बच्चे का पहला कदम देखें। वह एक कदम आगे बढ़ता है लेकिन फिर दूसरे पर गिर जाता है और ठोकर खा जाता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि बच्चा कभी भी चलना नहीं सीखेगा क्योंकि वह शुरुआत में ही लड़खड़ा गया था। बल्कि उसकी ठोकर यह सुनिश्चित करती है कि वह जल्द ही न केवल चलना बल्कि दौड़ना भी सीख जाएगा। आकाश में एक पक्षी को देखो, वह कैसे फड़फड़ाता है, फड़फड़ाता है और विफल हो जाता है। इसके पंख कांपते हैं क्योंकि यह उड़ने का पहला प्रयास करता है। यह कोशिश करता है और विफल रहता है। लेकिन हार नहीं मानता। और अंत में एक और प्रयास के साथ, यह अपने पंख फैलाता है और उस अनंत नीला नीले आकाश में चला जाता है जो इसके छोटे से महत्वपूर्ण प्रयासों की सराहना करता प्रतीत होता है।

            दीवार पर चढ़ने की कोशिश करने वाली चींटी की कहानी अक्सर कही जाती है। यह कुछ इंच रेंगता है और गिरता है। लेकिन फिर कोशिश करता है। दरअसल, चींटी दीवार की चोटी तक पहुंचने की कोशिश में असीमित कोशिश करती रहती है। देखने वाला ऊब जाता है, थक जाता है और दिल हार जाता है। लेकिन चींटी नहीं करती। यह तब तक कोशिश करता रहता है जब तक कि यह शीर्ष पर न पहुंच जाए।

            इतिहास भी ऐसे उदाहरणों से भरा पड़ा है जहां असफलताओं की एक श्रृंखला से गुजरने के बाद ही सफलता मिली। किसी भी महान व्यक्तित्व के जीवन की कहानी को देखने के लिए यह देखना होगा कि चांदी की थाली में सफलता कभी नहीं मिलती है। वास्तव में सफलता का स्वाद चखने से पहले कई बार प्रयास करना पड़ता है।

            महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, वल्लभभाई पटेल सहित भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को असंख्य बार असफलताओं का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लक्ष्य को सबसे ऊपर रखा और इसलिए, भारत स्वतंत्र हुआ। महान वैज्ञानिक थॉमस एल्वा एडिसन बिजली के बल्ब का आविष्कार करने से पहले 10,000 बार असफल हुए। स्टीव जॉब्स को उसी कंपनी से बाहर कर दिया गया था जिसे उन्होंने शुरू किया था। लेकिन वह एक शुरुआत की तरह फिर से शुरू करने की संभावना से उत्साहित था।

            हालाँकि, आज के समय में, हम पाते हैं कि एक टोपी की बूंद पर लोगों का दिल टूट रहा है। परीक्षा के फोबिया और साथियों के दबाव के शिकार हो जाते हैं छात्र। हर किसी को अपने आप से बहुत उम्मीदें होती हैं, जो पूरी न होने पर उन्हें अवसाद और यहां तक ​​कि आत्महत्या तक ले जाती है। यह महसूस करना महत्वपूर्ण है कि असफलता दुनिया का अंत नहीं है। उठने और चमकने के भरपूर अवसर होंगे।