Panchkula. Former IAS officer Vivek Atre today released a book of English poems composed by Prisha Sharma, a 12 year old girl from Panchkula. Prisha’s book was released in a simple program in the premises of JP Toddler School, Sector 10. Addressing on this occasion, Atre said,I am amazed and astounded by the special talent that young Prisha has for writing and the poetic word. All of 12 years of age, she is a surprising package of creativity and verve. Her parents are obviously extremely supportive of her creative art as all parents should be, but only rare ones are.The mettle of her poetry lies in the simplicity of her language and the directness of her message. Poems such as “The Things I love” and “My wonderful Life” are reflective of her perceptive and grateful mind, well beyond her years.My best wishes to Prisha for her poetic tryst with destiny. May many young poets and writers take heart from her example and surge ahead in the literary world The need for young people to read more and write more has never been more pressing. I am sure that Prisha and rare gems of her ilk will be torchbearers of the written world in the years to come.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2022/05/IMG-20220519-WA0070-1.jpg1156867Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2022-05-19 12:57:532022-05-19 12:57:56Vivek Atre releases book of English poems written by 12 year old Prisha
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी व्यक्ति के बारे में जानने के लिए उसकी राशि ही काफी होती है। राशि से उस या अमूक व्यक्ति के स्वभाव और भविष्य के बारे में जानना आसान हो जाता है। इतना ही नहीं, ग्रह दशा कोअपने विचारों को सकारात्मक रखें, क्योंकि आपको ‘डर’ नाम के दानव का सामना करना पड़ सकता है। नहीं तो आप निष्क्रिय होकर इसका शिकार हो सकते हैं। आपका कोई पुराना मित्र आज कारोबार में मुनाफा कमाने के लिए आपको सलाह दे सकता है, अगर इस सलाह पर आप अमल करते हैं तो आपको धन लाभ जरुर होगा। घरेलू मामलों पर तुरंत ध्यान देने की ज़रूरत है। आपकी ओर से की गयी लापरावाही महंगी साबित हो सकती है। आपके प्रिय/जीवनसाथी का फ़ोन आपका दिन बना देगा।
मेष/aries
16 मई 2022:
आज आपकी सेहत पूरी तरह अच्छी रहेगी। अपने धन का संचय कैसे करना है यह हुनर आज आप सीख सकते हैं और इस हुनर को सीख कर आप अपना धन बचा सकते हैं। बच्चे और परिवार दिन का केंद्र-बिंदु रहेंगे। समय, कामकाज, पैसा, यार-दोस्त, नाते-रिश्ते सब एक ओर और आपका प्यार एक तरफ़, दोनों आपस में खोए हुए – कुछ ऐसा मिज़ाज रहेगा आपका आज। कार्यक्षेत्र में आपके प्रतिद्वन्द्वियों को अपने ग़लत कामों का फल मिलेगा। दिन को कैसे अच्छा बनाया जाए इसके लिए आपको अपने लिए भी समय निकालना सीखना होगा। जीवनसाथी के साथ यह एक बढ़िया दिन गुज़रने वाला है।
अपनीव्यक्तिगत समस्या के निश्चित समाधान हेतु समय निर्धारित कर ज्योतिषाचार्य से संपर्क करे, दूरभाष : 8194959327
वृष/Taurus
16 मई 2022:
शारीरिक बीमारी के सही होनी की काफ़ी संभावनाएँ हैं और इसके चलते आप शीघ्र ही खेल-कूद में हिस्सा ले सकते हैं। जिन लोगों नेे अतीत में अपना धन निवेश किया था आज उस धन से लाभ होने की संभावना बन रही है। दिन के दूसरे हिस्से में कुछ दिलचस्प और रोमांचक काम करने के लिए बढ़िया वक़्त है। प्यार बहार की तरह है; फूलों, रोशनी और तितलियों से भरा हुआ। आज आपका रोमानी पहलू उभरकर आएगा। कार्यक्षेत्र में किसी विशेष व्यक्ति से आपकी मिलाक़ात हो सकती है। यात्रा करना फ़ायदेमंद लेकिन महंगा साबित होगा। एक बढ़िया जीवनसाथी के साथ जीवन वाक़ई अद्भुत लगता है और आज आप इस बात का अनुभव कर सकते हैं।
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मिथुन/Gemini
16 मई 2022:
नफ़रत की भावना महंगी पड़ सकती है। यह न केवल आपकी सहन-शक्ति घटाती है, बल्कि आपके विवेक को भी ज़ंग लगा देती है और रिश्तों में हमेशा के लिए दरार डाल देती है। जो लोग अपने करीबियों या रिश्तेदारों के साथ मिलकर बिजनेस कर रहे हैं उन्हें आज बहुत सोच समझकर कदम रखने की जरुरत है नहीं तो आर्थिक नुक्सान हो सकता है। आपसी संवाद और सहयोग आपके और आपके जीवनसाथी के बीच रिश्ते को मज़बूत बनाएगा। आज का दिन रोमांस से भरपूर होने की पूरी संभावना है। नई परियोजनाओं और कामों को अमली जामा पहनाने के लिए बेहतरीन दिन है। आज घर के लोगों के साथ बातचीत करते दौरान आपके मुंह से कोई ऐसी बात निकल सकती है जिससे घर के लोग नाराज हो सकते हैं। इसके बाद घर के लोगों को मनाने में आपका काफी समय जा सकता है। अपने जीवनसाथी के चलते आप महसूस करेंगे कि स्वर्ग धरती पर ही है।
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कर्क/Cancer
16 मई 2022:
प्रभावशाली लोगों का सहयोग आपके उत्साह को दोगुना कर देगा। आज अगर आप दूसरों की बात मानकर निवेश करेंगे, तो आर्थिक नुक़सान तक़रीबन पक्का है। लोगों के साथ ठीक तरह से पेश आएँ, ख़ास तौर पर उनके साथ जो आपसे प्यार करते हैं और आपका ख़याल रखते हैं। दूसरों को ख़ुशियाँ देकर और पुरानी ग़लतियों को भुलाकर आप जीवन को सार्थक बनाएंगे। आपको पता लग सकता है कि आपके बॉस आपसे इतने रूखेपन से क्यों बात करते हैं। वजह जानकर आपको वाक़ई तसल्ली होगी। जब आपको लगता है कि आपके पास घर वालों या अपने दोस्तों के लिए टाइम नहीं है तो आपका मन खराब हो जाता है। आज भी आपकी मन स्थिति ऐसी ही रह सकती है। आपका जीवनसाथी आपकी कमज़ोरियों को सहलाएगा और आपको सुखद अनुभूति देगा।
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सिंह/Leo
16 मई 2022:
झगड़ालू स्वभाव को क़ाबू में रखें, नहीं तो रिश्तों में कभी न मिटने वाली खटास पैदा हो सकती है। इससे बचने के लिए अपने नज़रिए में खुलापन अपनाएँ और पूर्वाग्रहों को छोड़ें। अपने धन का संचय कैसे करना है यह हुनर आज आप सीख सकते हैं और इस हुनर को सीख कर आप अपना धन बचा सकते हैं। आपसी संवाद और सहयोग आपके और आपके जीवनसाथी के बीच रिश्ते को मज़बूत बनाएगा। आज अपने ख़ूबसूरत कामों को दिखाने के लिए आपका प्रेम पूरी तरह खिलेगा। नयी योजनाओं को शुरू करने के लिए बढ़िया दिन है। शाम के वक्त आज आप किसी करीबी के घर वक्त बिताने जा सकते हैं लेकिन इस दौरान आपको उनकी कोई बात बुरी लग सकती है और आप तय समय से पहले वापस लौट सकते हैं। यह शादीशुदा ज़िन्दगी के सबसे ख़ास दिनों में से एक है। आपको प्रेम की गहराई का अनुभव करेंगे।
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कन्या/Virgo
16 मई 2022:
दूसरों के साथ ख़ुशी बांटने से सेहत और खिलेगी। अगर आप अपनी रचनात्मक प्रतिभा को सही तरीक़े से इस्तेमाल करें तो वह काफ़ी फ़ायदेमंद साबित होगी। घरेलू काम थका देने वाला होगा और इसलिए मानसिक तनाव की वजह भी बन सकता है। आप साथ में कहीं घूमने-फिरने जाकर अपने प्रेम-जीवन में नयी ऊर्जा का संचार कर सकते हैं। सहकर्मियों के साथ काम करते वक़्त युक्ति और चतुरता की ज़रूरत होगी। वक्त सेे हर काम को पूरा करना ठीक होता है अगर आप ऐसा करते हैं तो आप अपने लिए भी वक्त निकाल पाते हैं। अगर आप हर काम को कल पर टालते हैं तो अपने लिए आप कभी समय नहीं निकाल पाएंगे। जो यह समझते हैं कि शादी सिर्फ़ सेक्स के लिए होती है, वे ग़लत हैं। क्योंकि आज आपको सच्चे प्यार का एहसास होगा।
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तुला/Libra
16मई 2022:
आज का दिन ऐसे काम करने के लिए बेहतरीन है, जिन्हें करके आप ख़ुद के बारे में अच्छा महसूस करते हैं। व्यापारियों को आज व्यापार में घाटा हो सकता है और अपने व्यापार को बेहतर बनाने के लिए आपको पैसा खर्च करना पड़ सकता है। कुछ लोग जितना कर सकते हैं, उससे कई ज़्यादा करने का वादा कर देते हैं। ऐसे लोगों को भूल जाएँ जो सिर्फ़ गाल बजाना जानते हैं और कोई परिणाम नहीं देते। प्यार-मोहब्बत की नज़रिए से बेहतरीन दिन है। प्यार का मज़ा चखते रहें। आज के दिन कार्यालय का माहौल बढ़िया बना रहेगा। जो लोग घर सेे बाहर रहते हैं आज वो अपने सारे काम पूरे करके शाम के समय किसी पार्क या एकांत जगह पर समय बिताना पसंद करेंगे। आज आपको रंग ज़्यादा चटख नज़र आएंगे, क्योंकि फ़िजाओं में प्यार का ख़ुमार चढ़ रहा है।
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वृश्चिक/Scorpio
16 मई 2022:
आज आपके पास अपनी सेहत और लुक्स से जुड़ी चीज़ों को सुधारने के लिए पर्याप्त समय होगा। आर्थिक रुप से आज आप काफी मजबूत नजर आएंगे, ग्रह नक्षत्रों की चाल से आज आपके लिए धन कमाने के कई मौके बनेंगे. माता-पिता के साथ अपनी ख़ुशियाँ साझा करें। उन्हें महसूस करने दें कि आपके लिए उनकी कितनी अहमियत है, इससे उनका अकेलेपन का एहसास अपने आप ख़त्म हो जाएगा। हमारी ज़िंदगी का क्या फ़ायदा, अगर हम एक-दूसरे का जीवन आसान न बना सकें। कोई अच्छी ख़बर या जीवनसाथी/प्रिय से मिला कोई संदेश आपके उत्साह को दोगुना कर देगा। आप लम्बे समय से दफ़्तर में किसी से बात करना चाह रहे थे। आज ऐसा होना मुमकिन है। आपका व्यक्तित्व और लोगों से थोड़ा अलग है आप अकेले वक्त बिताना पसंद करते हैं। आज आपको अपने लिए वक्त तो मिलेगा लेकिन ऑफिस की कोई समस्या आपको सताती रहेगी। अगर आप अपने जीवनसाथी से स्नेह की आशा रखते हैं, तो यह दिन आपकी आशाओं को पूरा कर सकता है।
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धनु/Sagittarius
16 मई 2022:
अपनी क्षमताओं को पहचानें, क्योंकि आपके अन्दर ताक़त की नहीं बल्कि इच्छा-शक्ति की कमी है। ऐसा लगता है आप जानते हैं कि लोग आपसे क्या चाहते हैं- लेकिन आज अपने ख़र्चों को बहुत ज़्यादा बढ़ाने से बचें। पारिवारिक परेशानियों को हल करने में आपका बच्चों जैसा मासूम बर्ताव अहम किरदार अदा करेगा। आपका प्रिय आज रोमांटिक मूड में होगा। किसी लघु या मध्यावधि पाठ्यक्रम में दाखिला लेकर अपनी तकनीकी क्षमताओं में निखार लाएँ। अपने काम से आराम लेकर आज आप कुछ समय अपने जीवनसाथी के साथ बिता सकते हैं। आपका जीवनसाथी बिना जाने कुछ ऐसा ख़ास काम कर सकता है, जिसे आप कभी भुला नहीं पाएंगे।
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मकर/Capricorn
16मई 2022:
शारीरिक बीमारी के सही होनी की काफ़ी संभावनाएँ हैं और इसके चलते आप शीघ्र ही खेल-कूद में हिस्सा ले सकते हैं। आपका पैसा तभी आपके काम आएगा जब आप उसको संचित करेंगे यह बात भली भांति जान लें नहीं तो आपको आने वाले समय में पछताना पड़ेगा। मुसीबत के वक़्त परिवार से आपको मदद और सलाह हासिल होगी। आप दूसरों के तजुर्बों से कुछ सबक़ सीख सकते हैं। यह आपके आत्मविश्वास की मज़बूती के लिए बहुत ज़रूरी है। प्यार-मोहब्बत के मामले में दबाव बनाने की कोशिश न करें। बिना गहराई से समझे-बूझे किसी व्यावसायिक/क़ानूनी दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर न करें। आपकी संप्रेषण अर्थात कम्यूनिकेशन की क्षमता प्रभावशाली साबित होगी। जीवनसाथी के ख़राब स्वास्थ्य की वजह से आपका कामकाज प्रभावित हो सकता है।
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कुम्भ/Aquarius
16 मई 2022:
कुछ तनाव और मतभेद आपको चिड़चिड़ा और बेचैन बना सकते हैं। आर्थिक तंगी से बचने के लिए अपने तयशुदा बजट से दूर न जाएँ। परिवार के सदस्यों की ज़रूरतों को तरजीह दें। उनके सुख-दुःख के भागीदार बनें, ताकि उन्हें महसूस हो कि आप वाक़ई उनका ख़याल रखते हैं। थोड़े बहुत टकराव के बावजूद भी आज आपका प्रेम जीवन अच्छा रहेगा और आप अपने संगी को खुश रखने में कामयाब होंगे। साझीदार से संवाद क़ायम करना बहुत कठिन सिद्ध होगा। आपका आकर्षक और चुम्बकीय व्यक्तित्व सभी के दिलों को अपनी तरफ़ खींचेगा। आज आप अपने जीवनसाथी से काफ़ी आत्मीय बातचीत कर सकते हैं।
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मीन/Pisces
16 मई 2022:
हृदय-रोगियों के लिए कॉफ़ी छोड़ने का सही समय है। अब इसका ज़रा भी इस्तेमाल दिल पर अतिरिक्त दबाव डालेगा। आज के दिन धन हानि होने की संभावना है इसलिए लेन-देन से जुड़े मामलों में जितना आप सतर्क रहेंगे उतना ही आपके लिए अच्छा रहेगा। आपकी परेशानी आपके लिए ख़ासी बड़ी हो सकती है, लेकिन आस-पास के लोग आपके दर्द को नहीं समझेंगे। शायद उन्हें लगता हो कि इससे उन्हें कोई लेना-देना नहीं है। दोस्ती में प्रगाढ़ता के चलते रोमांस का फूल खिल सकता है। अहम लोगों से बातचीत करते वक़्त अपने आँख-कान खुले रखिए, हो सकता है आपके हाथ कोई क़ीमती बात या विचार लग जाए। दिल के करीबी लोगों के साथ आपका वक्त बिताने का मन करेगा लेकिन आप ऐसा कर पाने में सक्षम नहीं हो पाएंगे। शादिशुदा ज़िन्दगी के तमाम मुश्किल दिनों के बाद आप और आपका हमदम फिर प्यार की गर्माहट महसूस कर सकते हैं।
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https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2022/02/bhagwan_shiv_3.jpg547835Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2022-05-16 03:29:122022-05-16 03:31:18राशिफल, 16 मई 2022
मोहन दास कर्मचंद गांधी ने कभी भी दिल से भगत सिंह की फांसी को रद्द करवाने का प्रयास नहीं किया। 18 फरवरी 1931 को उन्होंने खुद अपने एक लेख में ये माना था कि कांग्रेस वर्किंग कमिटी (CWC) कभी नहीं चाहती थी कि जब गांधी और वायसराय लॉर्ड इरविन के बीच समझौते के लिए बातचीत शुरू हो तो इसमें भगत सिंह की फांसी को रद्द करवाने की शर्त जोड़ी जाए। महात्मा गांधी ने ये जानते हुए भी उस समय भगत सिंह का खुल कर साथ नहीं दिया कि अंग्रेजी सरकार ने उनके खिलाफ एकतरफा मुकदमा चलाया था। वायसराय लॉर्ड इरविन ये भी कहा था कि “अगर गांधी इस पर उन्हें विचार करने के लिए कहते हैं, तो वो इस पर सोचेंगे।”
डेमोक्रेटिक फ्रंट :
सारिका तिवारी,
23 मार्च 1931 को महान क्रान्तिकारी भगत सिंह, सुखदेव थापर और शिवराम हरि राजगुरु को ब्रिटिश सरकार द्वारा लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी की सजा दी गई थी। भगत सिंह कहते थे कि बम और पिस्तौल से क्रान्ति नहीं आती, क्रान्ति की तलवार विचारों की सान पर तेज़ होती है। वो भारत को अंग्रेजों की बेड़ियों से आजाद देखना चाहते थे लेकिन आजादी से 16 साल 4 महीने और 23 दिन पहले ही उन्हें फांसी दे दी गई और उन्होंने भी हंसते हुए अपनी शहादत को गले लगा लिया। इसी सिलसिले में ये जानना भी जरूरी है कि भगत सिंह, महात्मा गांधी की आंखों में चुभने क्यों लगे थे?
महात्मा गांधी का हुआ था विरोध
भगत सिंह की फांसी से सिर्फ 18 दिन पहले ही महात्मा गांधी ने 5 मार्च 1931 को भारत के तत्कालीन Viceroy Lord Irwin के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसे इतिहास में Gandhi-Irwin Pact कहा गया। इस समझौते के बाद महात्मा गांधी का जमकर विरोध हुआ, क्योंकि उन पर यह आरोप लगा कि उन्होंने Lord Irwin के साथ इस समझौते में भगत सिंह की फांसी को रद्द कराने के लिए कोई दबाव नहीं बनाया। जबकि वो ऐसा कर सकते थे।
महात्मा गांधी ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ वर्ष 1930 में जो सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू किया था, वो कुछ ही महीनों बाद काफी मजबूत हो गया था। इस आन्दोलन के दौरान ही महात्मा गांधी ने 390 किलोमीटर की दांडी यात्रा निकाली थी और उन्हें 4 मई 1930 को गिरफ्तार कर लिया गया था।
25 जनवरी 1931 को जब महात्मा गांधी को बिना शर्त जेल से रिहा किया गया, तब वो ये बात अच्छी तरह समझ गए थे कि अंग्रेजी सरकार किसी भी कीमत पर उनका आंदोलन समाप्त कराना चाहती है। और इसके लिए वो उनकी सारी शर्तें भी मान लेगी। और फिर 5 मार्च 1931 को ऐसा ही हुआ।
समझौते के दौरान नहीं हुई चर्चा
वायसराय लॉर्ड इरविन ने गांधी-इरविन पैक्ट के तहत नमक कानून और आंदोलन के दौरान गिरफ्तार हुए नेताओं को रिहा करने पर अपनी सहमति दी तो महात्मा गांधी अपना आंदोलन वापस लेने को राजी हो गए। लेकिन इस समझौते में यानी इस दौरान भगत सिंह की फांसी का कहीं कोई जिक्र नहीं हुआ। 1996 में आई किताब The Trial of Bhagat Singh में वकील और लेखक A.G. Noorani लिखते हैं कि महात्मा गांधी ने अपने पूरे मन से भगत सिंह की फांसी के फैसले को टालने की कोशिश नहीं की। वो चाहते तो ब्रिटिश सरकार पर बने दबाव का इस्तेमाल करके तत्कालीन वायसराय को इसके लिए राजी कर सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. 1930 और 1931 का साल भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में काफी अहम साबित हुआ।
‘वो भगत सिंह का दौर था‘
ये वो समय था, जब देश में लोगों की ज़ुबान पर महात्मा गांधी का नहीं बल्कि शहीद भगत सिंह का नाम था। लोगों को ऐसा लगने लगा था कि महात्मा गांधी देश को अंग्रेजों से आजाद तो कराना चाहते हैं लेकिन इसके लिए वो अंग्रेजों के बुरे भी नहीं बनना चाहते। जबकि भगत सिंह का मकसद बिल्कुल साफ था। वो अंग्रेजों को किसी भी कीमत पर देश से भगाना चाहते थे। और बड़ी संख्या में लोगों का प्यार और समर्थन भी उन्हें मिल रहा था।
23 March को जब लाहौर सेंट्रल जेल में भगत सिंह को फांसी की सजा दी गई, तब इससे कुछ ही घंटे पहले महात्मा गांधी ने लॉर्ड इरविन (Lord Irwin) को एक चिट्ठी लिखी थी इसमें उन्होंने लिखा था कि ब्रिटिश सरकार को फांसी की सजा को कम सजा में बदलने पर विचार करना चाहिए। उन्होंने लिखा था कि इस पर ज्यादातर लोगों का मत सही हो या गलत लेकिन लोग फांसी की सजा को कम सजा में बदलवाना चाहते हैं। उन्होंने ये लिखा था कि अगर भगत सिंह और दूसरे क्रान्तिकारियों को फांसी की सजा दी गई तो देश में आंतरिक अशांति फैल सकती है। लेकिन उन्होंने इस चिट्ठी में कहीं ये नहीं लिखा कि भगत सिंह को फांसी की सजा देना गलत होगा। उन्हें बस इस बात का डर था कि लोग इसके खिलाफ हैं और अगर ये सजा दी गई तो हिंसा जैसा माहौल बन सकता है। महात्मा गांधी इस चिट्ठी में बताया कि वायसराय लॉर्ड इरविन ने पिछली बैठक में अपने फैसले को बदलने से मना कर दिया था। लेकिन उन्होंने ये भी कहा था कि अगर गांधी इस पर उन्हें विचार करने के लिए कहते हैं, तो वो इस पर सोचेंगे।
कांग्रेस वर्किंग कमेटी क्या चाहती थी?
महात्मा गांधी ने कभी भी दिल से भगत सिंह की फांसी को रद्द करवाने का प्रयास नहीं किया। 18 फरवरी 1931 को उन्होंने खुद अपने एक लेख में ये माना था कि कांग्रेस वर्किंग कमिटी (CWC) कभी नहीं चाहती थी कि जब गांधी और वायसराय लॉर्ड इरविन के बीच समझौते के लिए बातचीत शुरू हो तो इसमें भगत सिंह की फांसी को रद्द करवाने की शर्त जोड़ी जाए। महात्मा गांधी ने ये जानते हुए भी उस समय भगत सिंह का खुल कर साथ नहीं दिया कि अंग्रेजी सरकार ने उनके खिलाफ एकतरफा मुकदमा चलाया था।
अंग्रेजों की पुख्ता साजिश और दिखावा
भगत सिंह को फांसी की सजा ब्रिटिश पुलिस अफसर John Saunders की हत्या के लिए हुई थी। लेकिन इस मामले में अंग्रेजी सरकार मुकदमा शुरू होने से पहले ही भगत सिंह के खिलाफ अपना फैसला सुना चुकी थी। इसके लिए तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने 1 मई 1930 को एक अध्यादेश पास किया था। जिसके तहत हाई कोर्ट के तीन जजों का स्पेशल Tribunal बनाया गया जिसका मकसद था भगत सिंह को जल्दी से जल्दी फांसी की सजा देना। बड़ी बात ये थी कि इन तीनों जजों के फैसले को भारत की ऊपरी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती थी। अपील के लिए सिर्फ एक विकल्प दिया गया था जो काफी मुश्किल था। इसमें इंग्लैंड की Privy Council में ही इस फैसले को चुनौती देने की छूट थी। यानी ये विकल्प पूरी तरह दिखावटी था।
‘महात्मा गांधी सब जानते थे फिर भी चुप रहे‘
इसके अलावा जब भगत सिंह के खिलाफ हत्या का मुकदमा चलाया जा रहा था। तब उनके वकील राम कपूर ने अदालत से 457 गवाहों से सवाल पूछने की इजाजत मांगी थी। लेकिन उन्हें सिर्फ पांच लोगों से ही सवाल पूछने की मंजूरी मिली। यानी भगत सिंह के खिलाफ एकतरफा मुकदमा चला और ब्रिटिश सरकार ने न्याय के सिद्धांत का भी गला घोंट दिया। और इस तरह 7 अक्टूबर 1930 को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी की सजा सुना दी गई। लेकिन इससे भी ज्यादा हैरानी की बात ये है कि महात्मा गांधी ये सारी बातें जानते थे. उन्हें पता था कि अंग्रेजी सरकार भगत सिंह को मौत की सजा देने के लिए बेकरार है। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कभी भगत सिंह की फांसी रद्द करवाने के लिए कोई आन्दोलन, कोई हड़ताल नहीं की।
महात्मा गांधी को दिखाए गए थे काले झंडे
और ये बात उस समय के भारत के लोगों को काफी चुभ रही थी। और यही वजह है कि इस फांसी के तीन दिन बाद जब 26 मार्च 1931 को कराची में कांग्रेस का अधिवेशन शुरू हुआ, उस समय महात्मा गांधी के फैसले से नाराज लोगों ने उन्हें काले झंडे दिखाने शुरू कर दिए। माना जाता है कि महात्मा गांधी इस विरोध से बचने के लिए ट्रेन में भगत सिंह के पिता को अपने साथ ले गए थे। और उन्होंने इस अधिवेशन के दौरान एक प्रस्ताव में भगत सिंह के भी कुछ विचारों को शामिल करने पर अपनी सहमति दी थी, जिससे उनके खिलाफ नाराजगी कम हो सके।
साभार’डीएनए”
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2022/03/69561-gbzbustuzh-1506553506.jpg6301200Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2022-03-23 08:21:542022-03-23 08:38:09गांधी और ‘CWC’ की आँख की किरकरी थे ‘शहीद भगत सिंह’
भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी अगले सप्ताह से शुरू हो सकती है। पेट्रोल-डीजल की भारी कीमतों का असर पूरी अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। पर रोजमर्रा की वस्तुओं पर इसका प्रभाव तत्काल पड़ता है जैसे सब्जियां, दालें, मसाले, दूध-मक्खन, ब्रेड आदि। तेल के दामों की मार कितनी तीखी होगी, यह चुनाव के नतीजों पर भी निर्भर करेगा। यूक्रेन-रूस युद्ध के चलते कच्चे तेल की कीमतें पिछले सात सालों के उच्च स्तर पर पहुंच गई है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, नयी दिल्ल:
पेट्रोल और डीजल की कीमतें फिर सताना शुरू करेंगी। क्योंकि कच्चे तेल का दाम रिकॉर्ड स्तर पर चल रहा है और विधानसभा चुनाव भी खत्म होने वाले हैं। ऐसे में कीमतों में बढ़ोतरी अगले सप्ताह फिर से शुरू होने की आशंका है। यह बढ़ोतरी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल कीमतों में 100 डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी से पैदा हुए 9 रुपये प्रति लीटर के अंतर को पाटने के लिए होगी। कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें 2014 के बाद पहली बार 110 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर हैं।
मोदीसरकार का यह शगल बन चुका है कि विधानसभा चुनावों से पहले पेट्रोल-डीजल के दामों में घट-बढ़ को रोक दो। यह हैरानी की बात है कि पिछले सवा तीन महीने से पेट्रोल डीजल के दाम स्थिर हैं जबकि इनके दाम रोजाना सुबह छह बजे तेल विपणन वितरक कंपनियां तय करती हैं। पेट्रोल-डीजल के डी-कंट्रोल के बाद से मोदी सरकार को यह हक नहीं कि दैनिक स्तर पर पेट्रोल- डीजल के दामों को प्रभावित कर सके। वह केवल पेट्रोल-डीजल पर करों को घटा-बढ़ाकर इनके दामों को प्रभावित कर सकती है। 2017 से सरकार ने करों में लगातार वृद्धि की है। इस अवधि में दो ऐसे अवसर आए जब पेट्रोल-डीजल पर करों में कटौती की गई है।
अब तय है कि 7 मार्च को विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद पेट्रोल-डीजल की भारी कीमत वृद्धि से तगड़ा झटका लगने वाला है। इसे रोकने के लिए मोदी सरकार करों में कटौती कर कोई राहत देगी, इसकी उम्मीद बेमानी है क्योंकि मोदी सरकार ने कोविड काल में भी पेट्रोल-डीजल में करों में भारी वृद्धि में शर्म महसूस नहीं हुई।
जब से मोदी सरकार केन्द्र पर काबिज हुई है, पेट्रोल- डीजल के करों में 250 से 800 फीसदी की वृद्धि हो चुकी है। इसकी पृष्ठभूमि जान लेना जरूरी है, तभी आपको मोदी सरकार के कसाई सरीखे व्यवहार का एहसास हो पाएगा। अंतरराष्ट्रीय बाजार में जब-तब कच्चे तेल के दाम कम हुए, मोदी सरकार नेबड़ी बेरहमी से अपनी झोली भरने में कसर नहीं छोड़ी और किस्म-किस्म के करों के जरिये जनता पर नया बोझ थोपती चली गई। 2013 में यूपीए सरकार के समयअंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 113 डॉलर प्रति बैरल हो गए थे और तब पेट्रोल की बाजार कीमत थी 65 रुपये प्रति लीटर के करीब। फरवरी, 2016 में इसके दाम लगातार गिरके 31 डालर प्रति बैरल तक पहुंच गए लेकिन पेट्रोल की कीमत थी करीब 62 रुपये प्रति लीटर।
कोविड काल के भयावह दृश्यों को कौन भूल सकता है। करोड़ों की संख्या में प्रवासी मजदूर पैदल चलकर अपने गांवों तक जाने को मजबूर थे। लाखों परिवारों नेअपने प्रियजनों को खो दिया था। तालाबंदी के दौरान करोड़ों लोग अपनी जीविका से हाथ धो बैठे थे। ऐसी स्थिति में अन्य देशों की तरह मोदी सरकार को भी पीड़ित लोगों की नकद सहायता का व्यापक बंदोबस्त करना चाहिए था। पर किया उल्टा। मार्च 2020 से मार्च 1, 2021 की अवधि में पेट्रोल पर 12.92 और डीजल पर 15.97 रुपये प्रति लीटर के शुल्क बढ़ा दिए। ऐसा ‘राक्षसी’ कृत्य तो कोविड के दौरान किसी भी देश ने नहीं किया होगा।
2014-2015 में पेट्रोल, डीजल और प्राकृतिक गैस से मोदी सरकार को 74,158 करोड़ रुपये का कर-राजस्व मिला जो मार्च, 2020 से जनवरी, 2021 के दरम्यान बढ़कर 2.95 लाख करोड़ रुपये हो गया, यानी तीन गुना से अधिक। यह जानकारी खुद केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने लोकसभा को दी! 2014-15 में पेट्रोल और डीजल पर शुल्क 9.48 और 3.54 रुपये थे जो जनवरी, 21 तक बढ़कर क्रमश: 32.90 और 31.80 रुपये हो गए।
सबसे ज्यादा टैक्स भारत में
दुनिया भर में पेट्रोल-डीजल पर सबसे ज्यादा टैक्स भारत में है जहां प्रति व्यक्ति आय बहुत कम है। प्रति व्यक्ति आय की 2017 की 190 देशों की सूची में भारत 122वें पायदान पर है। पर देश में मोदी सरकार की निर्मम पेट्रोल-डीजल नीति ने कृषि की कमर ही तोड़ कर रख दी। इनके अत्यधिक महंगे होने से मांग लगातार कमजोर बनी हुई है। इससे पर्याप्त नया निवेश नहीं हो पा रहा है और रोजगार के अवसर घटते जा रहे हैं। 2014 में पेट्रोल-डीजल के बीच कीमत अंतर 24 रुपये था जो अब घटकर 8.74 रुपये रह गया है। जून, 2020 में देश में पहली बार डीजल पेट्रोल से महंगा हो गया। जैसे-जैसे डीजल के दामों में बेतहाशा वृद्धि हुई, पेट्रोल-डीजल की कीमत का अंतर कम होता गया। इससे खेती और किसानों के हालात बिगड़ते चले गए।
गिरने वाली है गाज
मोदी सरकार का परम विश्वास है कि चुनावों से पहले पेट्रोल-डीजल के दाम स्थिर रहेंगे, तो उसे लोगों को भरमाकर वोट लेने में सहूलियत रहेगी। पिछले साल मार्च-अप्रैल में प. बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी के विधानसभा चुनावों के पहले भी पेट्रोल-डीजल के दाम मोदी सरकार ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए स्थिर करा दिए थे। और अब जैसे ही उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर के विधानसभा चुनावों की सुगबुगाहट शुरू हुई तो फिर पेट्रोल-डीजल के दामों को स्थिर करा दिया गया। देश में पिछले सवा तीन महीनों से पेट्रोल-डीजल के दाम स्थिर बने हुए हैं जिसका लाभ चुनावों में बीजेपी उठाना चाहती है। चुनावों की खातिर मोदी सरकार ने पेट्रोल-डीजल के करों में 3 नवंबर को 5 और 10 रुपये की कटौती की थी। तब से इनके दाम स्थिर बने हुए हैं।
अब 10 मार्च को चुनाव नतीजों के बाद पेट्रोल-डीजल के दामों में भारी कीमत वृद्धि की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बहुत बढ़ गए हैं। 30 नवंबर, 2021 को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 75 डॉलर प्रति बैरल थी जो आजकल 92-93 डॉलर है, यानी 17-18 डॉलर की बढ़ोतरी।
यूक्रेन समस्या और अमेरिकी केंद्रीय बैंक की सख्त मौद्रिक नीति की संभावना की तलवार का कच्चे तेल की कीमतों पर लगातार दबाव बना हुआ है। मोदी सरकार के पेट्रोल-डीजल की निर्मम नीति को देखते हुए प्रधानमंत्री से किसी राहत की उम्मीद करना बेकार है।
आवश्यक वस्तुओं पर पड़ेगा प्रभाव
पाकिस्तान में हाल ही में पेट्रोल-डीजल के दामों में करीब 12 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की गई। इससे हाहाकार मच गया और इमरान सरकार को भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। जब भी पेट्रोल- डीजल के दामों में भारी वृद्धि होती है, महंगाई के एक नए चक्र को जन्म मिलता है। भारतीय रुपये में भी आकलन करें तो कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में तकरीबन 8-10 रुपये प्रति लीटर का इजाफा हो चुका है। भारत में जनता पर कितनी तीखी मार होगी, यह इस बात पर निर्भर करता है कि पेट्रोल-डीजल की कीमत वृद्धि टुकड़ों में होगी या एक साथ।
पेट्रोल-डीजल की भारी कीमत वृद्धि का असर पूरी अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। पर रोजमर्रा की वस्तुओं पर इसका प्रभाव तत्काल पड़ता है जैसे सब्जियां, दालें, मसाले, दूध-मक्खन, ब्रेड आदि। विर्निमित वस्तुओं पर प्रभाव पड़ने में थोड़ा समय लगता है। आवाजाही और उत्पादन लागत बढ़ने से इसका असर चैतरफा होता है। पेट्रोल-डीजल की कीमत वृद्धि की मार कितनी तीखी होगी, यह विधानसभा के नतीजों पर भी निर्भर करेगा।
साभार : राजेश रपरिया
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2022/03/petrol_diesel_rate_patrika_5377644_835x547-m.png547835Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2022-03-02 12:36:242022-03-02 12:36:49Petrol-Diesel के लिए जेब ढीली करने को हो जाइए तैयार
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
नोटः आज फाल्गुन अमावस है।
विक्रमी संवत्ः 2078,
शक संवत्ः 1943,
मासः फाल्गुऩ,
पक्षः कृष्ण पक्ष,
तिथिः अमावस रात्रि 11.05 तक है,
वारः बुधवार।
विशेषः आज उत्तर दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर बुधवार को राई का दान, लाल सरसों का दान देकर यात्रा करें।
नक्षत्रः शतभिषा 26.37 तक है,
योगः शिव प्रातः काल 08.20 तक,
करणः चतुष्पद,
सूर्य राशिः कुम्भ चंद्र राशिः कुम्भ,
राहु कालः दोपहर 12.00 बजे से 1.30 बजे तक,
सूर्योदयः 06.49, सूर्यास्तः 06.17 बजे।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2022/02/panchang-Wednesday-final.jpg7201280Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2022-03-02 00:53:542022-03-02 00:55:03पंचांग 02 मार्च 2022
वर्ष 1870 में सक्स-कोबर्ग के राजकुमार अल्फ्रेड एवं गोथा प्रयागराज (तब, इलाहाबाद) के दौरे पर आए थे। इस दौरे के स्मरण चिन्ह के रूप में 133 एकड़ भूमि पर इस पार्क का निर्माण किया गया जो शहर के अंग्रेजी क्वार्टर, सिविल लाइन्स के केंद्र में स्थित है। वर्ष 1931 में इसी पार्क में क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी चन्द्र शेखर आज़ाद को अंग्रेज़ों द्वारा एक भयंकर गोलीबारी में वीरगति प्राप्त हुई। आज़ाद की मृत्यु 27 फ़रवरी 1931 में 24 साल की उम्र में हो गई।
मैं भगतसिंह का साधक, मृत्यु साधना करता हूँ | मैं आज़ाद का अनुयायी, राष्ट्र आराधना करता हूँ |
: राष्ट्रीय चिंतक मोहन नारायण
स्वतन्त्रता संग्राम के इतिहास डेस्क : डेमोक्रेटिक फ्रंट
राष्ट्रिय स्वतन्त्रता के ध्येय को जीने वाले स्वाधीनता संग्राम के अनेकों क्रांतिकारियों में से कुछ योद्धा बहुत ही विरले हुए। जिनकी बहादुरी और स्वतंत्रता प्राप्ति की प्रबल महात्वाकांक्षा ने उन्हें जनमानस की स्मृति में चिरस्थायी कर दिया। उनके शौर्य की कहानियों को दोहराए बिना राष्ट्र की स्वाधीनता का इतिहास बया ही नहीं किया जा सकता है। जब भी हम देश के क्रांतिकारियों, आजादी के संघर्षों को याद करते है तो हमारे अंतर्मन में एक खुले बदन, जनेऊधारी, हाथ में पिस्तौल लेकर मूछों पर ताव देते बलिष्ठ युवा की छवि उभर कर आ जाती है। मां भारती के इस सपूत का नाम था चंद्रशेखर आजाद. जिनकी आज पुण्यतिथि है।
इस घटना के तार जुड़े है, 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में हुए भीषण नरसंहार से जिसके बाद से ही देश भर के युवाओं में राष्ट्रचेतना का तेजी से प्रसार हुआ। बाद में जिसे सन 1920 में गांधीजी ने असहयोग आन्दोलन का रुप दिया। इस समय चन्द्रशेखर भी बतौर छात्र सडकों पर उतर आये। महज 15 साल की उम्र के चंद्रशेखर को आन्दोलन में भाग लेने वाले क्रांतिकारियों के साथ गिरफ्तार किया गया। मामले में जब कोर्ट में जज के सामने इन्हें पेश किया गया तब कोई नहीं जानता था कि यहां भारत का इतिहास गढ़ा जाने वाला है जो सदियों के लिए इस देश की अमर बलिदानी परंपरा में एक उदाहरण जोड़ देगी। जज को दिए सवालों के जवाब ने चंद्रशेखर के जीवन को नई दिशा दी. उन्होंने जज के पूछने पर अपना नाम आजाद, पिता का नाम स्वतंत्रता, घर का पता जेल बताया। जिससे अंग्रेज जज तिलमिला उठा और उसने उन्हें 15 कोड़ों की सजा सुना दी। कच्ची उम्र के इस बालक के नंगे बदन पर पड़ता हर एक बेत (कोड़ा) चमड़ी उधेड़ कर ले आता। लेकिन इसके मुंह से बुलंद आवाज के साथ सिर्फ भारत माता की जय… वंदे मातरम के नारे ही सुनाई देते। वहां मौजूद लोगों ने आजाद की इस सहनशीलता और राष्ट्रभक्ति को देख दांतों तले उंगलियां दबा ली।
आजादी की लड़ाई को नई दिशा देने वाले इस विरले योद्धा का जन्म झाबुआ जिले के भाबरा गांव (वर्तमान के अलीराजपूर जिले के चन्द्रशेखर आजाद नगर) में 23 जुलाई सन् 1906 को पण्डित सीताराम तिवारी के यहां हुआ था। इस वीर बालक को अपनी कोख से जन्म देने वाली और अपने रक्त व दूध से सींचने वाली वीरमाता थी जगरानी देवी। चंद्रशेखर ने अपना बचपन आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में गुजारा था। जहां वे भील बालकों के साथ खूब धनुष-बाण चलाया करते थे, जिसके कारण उनका निशाना अचूक हो गया था। उनका यह कौशल आगे चलकर भारत की स्वाधीनता के संघर्ष में खूब काम आया।
अपने क्रांतिकारी जीवन की शुरुआत तो आजाद ने अहिंसा के आंदोलन से की थी लेकिन उन्होंने अंग्रेजों के बढ़ते अत्याचारों और अपमान को अधिक समय तक नहीं सहा और मां भारती को परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त कराने के लिए सशस्त्र क्रान्ति का मार्ग चुन लिया। आजाद के साथ क्रांतिकारी तो कई थे लेकिन राम प्रसाद बिस्मिल से उनकी खूब बनी। इनकी जोड़ी ने अंग्रेजों की जड़ें हिला कर रख दी।
एक समय तक देश के सभी युवा गांधीजी के नेतृत्व में आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे लेकिन फरवरी सन् 1922 में ऐतिहासिक चौरी-चौरा घटना ने सशस्त्र क्रांति की चिंगारी को हवा दे दी। उस समय में ब्रिटिश भारत के संयुक्त प्रांत उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के चौरी चौरा शहर में गांधीजी के असहयोग आंदोलन में प्रदर्शनकारियों का पुलिस से संघर्ष हुआ। भीड़ पर काबू करने के लिए पुलिस ने गोलियां चलाईं जिसके बाद हालात तेजी से बिगड़े और भीड़ ने 22 पुलिसकर्मियों को थाने में बंद कर आग के हवाले कर दिया. इस घटना में हुई 3 नागरिकों और 22 पुलिसकर्मियों की मौत से आहत महात्मा गांधी ने तुरंत ही प्रभावी रुप से चल रहे असहयोग आंदोलन को रोक दिया। जिससे युवा क्रांतिकारियों के दल में भारी रोष उठा और उन्होंने अपना मार्ग गांधी से अलग कर लिया।
इसके बाद ही चंद्रशेखर आजाद हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन से जुड़े और उसके सक्रिय सदस्य बने। इसी दौरान उन्होंने राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में 9 अगस्त 1925 को काकोरी लूट को अंजाम दिया और फरार हो गए। ब्रिटिश सरकार ने इसमें हिंदुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के कुल 40 क्रान्तिकारियों के विरुद्ध सशस्त्र युद्ध छेड़ने, सरकारी खजाना लूटने व यात्रियों की हत्या करने का मुकदमा चलाया जिसमें राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी, पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खाँ तथा ठाकुर रोशन सिंह को फांसी दे दी गई और अन्य को कठोर कारावास के लिए कालापानी भेज दिया गया।
अपने साथियों के बलिदान के बाद आजाद ने उत्तर भारत के सभी क्रांतिकारी दलों को एकजुट करके हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी (HSRA) का गठन किया। जिसमें उनके साथी भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव, जयदेव कपूर समेत कई क्रांतिकारी थे. जिन्होंने साथ मिलकर उग्र दल के नेता लाला लाजपतराय की हत्या का बदला अंग्रेजी अफसर सॉण्डर्स का वध करके लिया। आजाद कभी नहीं चाहते थे कि भगतसिंह खुद दिल्ली पहुँच कर असेम्बली बम काण्ड की घटना को अंजाम दे क्योंकि वो जानते थे कि इसके बाद एक बार फिर संगठन बिखर जायेगा लेकिन भगत नहीं माने और इस घटना को अंजाम दिया गया।
जिसने ब्रिटिश सरकार की रातों की नींद हराम कर दी लेकिन हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी (HSRA) बिखर गया। आजाद ने असेम्बली बम कांड के मुकदमे में गिरफ्तार हुए अपने साथियों को छुड़ाने के लिए भरसक प्रयास किए, वे इस संदर्भ में पंडित गणेश शंकर विद्यार्थी और पंडित जवाहरलाल नेहरू से भी मिले लेकिन बात नहीं बनी। उन्होंने वीरांगना दुर्गा भाभी (क्रांतिकारी भगवती चरण वोहरा की धर्मपत्नी) को भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव की फांसी रुकवाने के लिए गांधीजी के पास भी भेजा लेकिन गांधीजी ने भी उन्हें निराश कर दिया और उनके तीन और साथी आजादी के लिए फांसी पर झूल गए।
इन सारी घटनाओं के बावजूद चंद्रशेखर आजाद अंग्रेजों की नजरों से अब तक बचे हुए थे। वो अपने निशानेबाजी की कला के साथ वेश बदलने की कला में भी माहिर थे। जिसने अंग्रेजों के लिए उन्हें पकड़ने की चुनौती को और बढ़ा दिया था, कहा जाता है कि आजाद को सिर्फ पहचानने के लिए उस समय अंग्रेजी हुकूमत ने 700 लोगों को भर्ती कर रखा था बावजूद उसके वो कभी सफल नहीं हो पाए। लेकिन उन्हीं के संगठन हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी (HSRA) के सेंट्रल कमेटी मेम्बर वीरभद्र तिवारी आखिर में अंग्रेजो के मुखबिर बन गए और वो दिन आया जब मां भारती के इस लाल को इलाहाबाद के अलफ्रेड पार्क (वर्तमान में प्रयागराज के चंद्रशेखर आजाद पार्क) में घेर लिया गया।
ये दिन था 27 फरवरी 1931 का, आजाद अपने साथी क्रांतिकारी सुखदेव राज से मिलने पहुंचे थे। वे दोनों पार्क में घूम ही रहे थे कि तभी अंग्रेज अफसर नॉट बावर अपने दल-बल के साथ वहां पर आ धमका जिसके बाद दोनों ओर से धुंआधार गोलीबारी शुरू हो गई। अचानक हुए इस घटनाक्रम में आजाद को एक गोली जांघ पर और एक गोली कंधे पर लग चुकी थीं। बावजूद इसके उनके हाव भाव सामान्य बने हुए थे। वे अपने साथी सुखदेव के साथ एक जामुन के पेड़ के पीछे जा छिपे और स्थिति को हाथ से निकलता देख अपने साथी सुखदेव को वहां से सुरक्षित निकाल दिया। इस दौरान आजाद ने 3 गोरे पुलिसवालों को भी ढेर कर दिया लेकिन अब उनके शरीर में लगी गोलियां अपना असर दिखाने लगी थीं।
वहीं नॉट बावर अपने सिपाहियों के साथ अंधाधुंध गोलियां बरसा रहा था, आखिरकार आजाद की पिस्तौल खाली होने को आ गई! अब पास की गोलियां भी खत्म हो चुकी थीं लिहाजा इस वीर योद्धा ने अपनी पिस्तौल में बची अंतिम गोली को स्वयं की नियति में ही लिखने का साहसिक फैसला कर लिया। आजाद के मूर्छाते नेत्रों में अब भी उनका ध्येय ‘आजाद थे, आजाद है और आजाद रहेंगे!’ स्पष्ट था। अब पार्क में सन्नाटा पसर गया नॉट बावर के तरफ से भी फायरिंग थम गई थीं आजाद हर्षित मन से जीवन की अंतिम घड़ियों में अपने देश की माटी और उसकी आबोहवा को महसूस कर रहे है और यकायक उनकी पिस्तौल आखिर बार गरजी और ये वो क्षण था जब उन्होंने उस पिस्तौल में बची अंतिम गोली को अपनी कनपटी पर दाग लिया था।
‘बमतुल बुखारा’
मां भारती ने अपने लाल को खो दिया था लेकिन उसका ख़ौफ अंग्रेजों में इस कदर हावी था कि गोरे सिपाही उसके मृत शरीर के पास तक आने से कतरा रहे थे और लगातार उन पर गोलियां बरसाए जा रहे थे। आखिर में चंद्रशेखर आजाद की इस बहादुरी से नॉट बावर इतना प्रभावित हो चुका था कि उसने खुद टोपी उतार कर आजाद को सलामी दी और उनकी पिस्तौल को (जिसे आजाद ‘बमतुल बुखारा’ कहते थे) अपने साथ अपने देश ले गया था, जिसे आजादी के बाद वापस भारत लाया गया।
व्साभार नागेश्वर पवार
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2022/02/download-3.jpg194259Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2022-02-27 17:28:272022-02-27 17:29:10 चन्द्रशेखर आजाद ने अंग्रेजों से लड़ने के लिए अहिंसा छोड़, सशस्त्र क्रान्ति का मार्ग चुना
इस बार के पंजाब विधानसभा के चुनावी मैदान में उतरे सभी राजनीतिक दलों में मुख्यमंत्री पद के चेहरों की चर्चा अब तेज़ हो गई है। इसका कारण आम आदमी पार्टी है जिसने भगवंत मान को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर दिया है। उधर अकाली दल-बहुजन समाज पार्टी गठबंधन के लिए मुख्यमंत्री पद का चेहरा सुखबीर सिंह बादल हैं। इस बात का एलान राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और सुखबीर सिंह बादल के पिता प्रकाश सिंह बादल ने किया है। किसान आंदोलन के बाद बनी किसानों की नई पार्टी संयुक्त समाज मोर्चा ने बलबीर सिंह राजेवाल को अपना नेता चुना है।
राजविरेन्द्र वसिष्ठ, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ :
इस बार सत्तारूढ़ कांग्रेस में इस पद के लिए मुख्य मुक़ाबला मौजूदा मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बीच है। हालांकि चरणजीत सिंह चन्नी के पक्ष में हालात अधिक अनुकूल दिख रहे हैं।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी गुरुवार, 27 जनवरी को पंजाब आ रहे हैं। वे यहाँ पंजाब विधानसभा चुनाव के प्रचार के सिलसिले में पूरे दिन रहने वाले हैं। हालांकि उनकी इस यात्रा से जुड़ा बड़ा सवाल ये है कि क्या वे पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित करेंगे। समझते हैं, इस लिहाज से क्या संभावनाएं बन रही हैं।
इस सिलसिले में यह गौर करने लायक है कि पंजाब के कांग्रेस कार्यकर्ता मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी के मसले पर स्पष्टता के हामी हैं। वे 2017 का उदाहरण देते हैं, जब कांग्रेस ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को स्पष्ट रूप से मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित किया था। इसके बाद कैप्टन ने आम आदमी पार्टी को ‘बाहरी’ बताया। साथ ही, खुद को ‘पंजाब का पुत्तर’ और बड़े अंतर से चुनाव जिताकर पार्टी को सत्ता में ले आए। इसलिए पार्टी कार्यकर्ताओं की अपेक्षा है कि इस बार भी मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित किया जाना चाहिए। हालांकि इस अपेक्षा के पूरा होने में पेंच है।
कांग्रेस के लिए इस बार दिक्कत ये है कि उसके पास 2017 की तरह अब कैप्टन अमरिंदर सिंह जैसा कोई सर्वमान्य नेता नहीं है। पार्टी अभी स्पष्ट रूप से दो हिस्सों में बंटी दिख रही है। एक हिस्सा मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की तरफ झुका हुआ है। जबकि दूसरा- प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की ओर। ये दोनों नेता मुख्यमंत्री पद के मसले पर अपनी दावेदारी भी जता चुके हैं। यह कहते हुए कि मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित करने से कांग्रेस को पंजाब विधानसभा चुनाव में फायदा होगा। इन दो के बीच तीसरे नेता हिंदू समुदाय से ताल्लुक रखने वाले सुनील जाखड़ हैं, जिन्होंने नवजोत सिंह सिद्धू के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ा था।
जानकारों की मानें तो पार्टी अभी बार-बार सामूहिक नेतृत्व की बात कर रही है। राहुल गांधी इसी रुख को मजबूती दे सकते हैं। इसमें अपेक्षा ये है कि जाट समुदाय के नवजोत सिंह सिद्धू, दलित-सिख चरणजीत सिंह चन्नी और हिंदू नेता सुनील जाखड़ को बराबरी से साध कर रखा जाए। ताकि चुनाव में कोई नुकसान न हो और पार्टी की सत्ता में पहले वापसी सुनिश्चित की जाए।
इसके बाद आपसी सहमति बनाकर मुख्यमंत्री पद के लिए किसी नेता का चुनाव कर लिया जाएगा। संभवत: इसीलिए राहुल की यात्रा से ठीक पहले उनका कार्यक्रम जारी करते हुए पंजाब सरकार ने भी यही संकेत दिया है। जैसा कि समाचार एजेंसी एएनआई की खबर से पता चलता है। इस बार 2017 से अलग है परिस्थिति
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2022/01/do-CMa.jpg9001200Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2022-01-27 04:35:462022-01-27 04:36:16पंजाब में मुख्य मंत्री पद के लिए छ: चेहरे हैं जिसमें कॉंग्रेस के दो
“लोकतंत्र में सरकार लोगों की, लोगों के लिए और लोगों के द्वारा” होती है कहें तो यह मात्र एक जुमला है जो कि उस समय लोकप्रिय नेता द्वारा छोड़ा गया। जुमलों का बाज़ार आज भी गर्म है।
तुम हमें वोट दो; हम तुम्हें … लैपटॉप देंगे ……सायकिल देंगे…स्कूटी देंगे …..मुफ्त की बिजली देंगे …… लोन माफ कर देंगे ..कर्जा डकार जाना, माफ कर देंगे … ये देंगे .. वो देंगे … वगैरह, वगैरह।
क्या ये खुल्लम खुल्ला रिश्वत नहीं?
काला धन वापिस लाएंगे, भ्र्ष्टाचार मुक्त भारत बनाएंगे।
एक दक्षिण भारतीय फिल्म टेलीविजन पर प्रसारित हो रही थी जिसमे पैराशूट उम्मीदवार को अपने द्वारा किए गए कामों की फरहिस्त देने की ज़रूरत नहीं न उसे आम जनता के बीच जाने की ही कोई ज़रूरत नेता जी जब भी दिखाई देते हैं गाड़ी में बैठते हुए या उतरते समय या कोई फरियादी सामने आ जाए तो हज़ार रदो हज़ार रुपये से उसकी मदद करते। उचित समय यानि चुनावी दिनों में पाँच सौ के एक या दो दो नोट, एक बोतल, बीस किलो आटा, दस किलो चावल और स्वादानुसार कुछ मीठी बातें। पिछले दो चुनावों के दौरान देखा गया उम्मीदवारों ने घर घर अपनी तस्वीर वाले प्रेशर कुकर, दीवार घड़ियां, सिलाई करने वाले लोगों को अपनी फोटो छपी मशीनें, रेहड़ी फड़ी वालों को अपनी तस्वीरों वाली छतरियां बाँटी गईं। हम अब भी उम्मीद करते हैं कि इन सब प्रलोभनों से चुनाव निष्पक्ष होंगे।
वोट के लिए क्या आप कुछ भी प्रलोभन दे सकते हैं? ये जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा है लेकिन आम जनता इस ओर सोचती ही नहीं।
मध्यमवर्ग खुश हो जाता है डी ए की किश्त से। वो नहीं समझ रहा कि वह भर भर कर टैक्स चुका रहा है, महंगा पेट्रोल खरीद रहा है , महंगाई की मार झेल रहा है डिफाल्टर की कर्जमाफी… फोकट की स्कूटी…हराम की बिजली…हराम का घर…दो रुपये किलो गेंहू…एक रुपया किलो चावल…चार से छह रुपये किलो दाल…
गरीब हैं, थोकिया वोट बैंक हैं, इसलिए फोकट खाना, घर, बिजली, कर्जा माफी दिए जा रहे हैं, बाकी लोग किस बात की सजा भोगें ?
जबकि होना ये चाहिये कि टैक्स से सर्वजनहिताय काम हों, देश के विकास का काम हों,सड़कें, पुल दुरुस्त हों,रोजगारोन्मुखी कल कारखानें हों, विकास की खेती लहलहाती हो, तो सबको टैक्स चुकाना अच्छा लगता.. ।
लेकिन राजनीतिक दल देश के एक बहुत बड़े भाग को शाश्वत गरीब ही बनाए रखना चाहते हैं। उसके लिए रोजगार सृजन के अनूकूल परिस्थिति बनाने की बजाए तथाकथित सोशल वेलफेयर की खैराती योजनाओं के माध्यम से अपना अक्षुण्ण वोट बैंक स्थापित कर रहे हो।
कर्मशील देश के बाशिन्दों को तुरंत कानून लाकर कुछ भी फ्री देने पर बंदिश लगाई जाए ताकि देश के नागरिक निकम्मे व निठल्ले न बने।
जनता को सिर्फ न्याय,शिक्षा व चिकित्सा के अलावा और कुछ भी मुफ्त में नहीं मिलनी चाहिए। तभी देश का विकास संभव है । जनसंख्या कंटरोल बिल का क्या बना इस पर भी जनता को पूछना चाहिए। सोचने की शक्ति को पथभ्रष्ट करने की हर सम्भव कोशिश की जाती है भले ही सत्तासीन दल हो या फिर विपक्ष। चाहे टी वी के डिबेट शो हों या सोशल मीडिया दोनो ही असल मुद्दों से भटकाव के कामों में इस्तेमाल हो रहे हैं जाँचेंगे तो इसके पीछे भी राजनीतिक षड्यंत्र और बड़ा आर्थिक झोल दिखेगा। डिजिटल इंडिया के नाम पर हाथ हाथ मे स्मार्ट फोन और प्रोग्राम्ड सोच और आसान बनती दलों की पावर शेयरिंग की सुरंग रूपी डगर ।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2022/01/WhatsApp-Image-2022-01-06-at-8.33.23-AM-1.jpeg456673Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2022-01-06 03:09:192022-01-06 03:13:25शाश्वत गरीब ही चुनावी उत्सव रौनक
अक्सर आप लोगों ने देखा सुना होगा कि बड़े-बुजुर्ग समय समय पर अपने घर के बच्चों को जीवन से जुड़े अपने कई तरह के अनुभव साझा करते रहते हैं। बल्कि देखा सुुना ही क्या इन बातों को अपने बड़े बुजुर्गों से प्राप्त भी किया होगा। तो वहीं कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो अपने जीवन में अपने बड़ों का न तो सथ न ही उनका अपने सिर पर हाथ पाते हैं। जिसके कारण जीवन के कई महत्वपूर्ण दौरों से अकेले ही गुजर कर उन्हें पार करना पड़ता है। परंतु आपको बतां दें चाहे हमारे बीच हमारे बड़े बुजुर्ग हो न हो परंतु उनकी बातें आज भी जीवित मानी जाती है। अब यकीनन पूछेंगे कि कैसे को आपको बता दें हिंदू व ज्योतिष शास्त्र के की ग्रातथों में न केवल हमारे देवी-देवताओं के बारे में वर्णन मिलता है, बल्कि इसमें ऐसी बहुत से जानकारी वर्णित है जो खासतौर पर आज कल के बच्चों व बड़ों के लिए जाननी अति आवश्यत है। तो आइए जानके हैं क्या हैं सबसे खास बातें-
सर्वोत्तम दिन- आज।
सबसे उपयुक्त समय- अभी।
सबसे बड़ी आवश्यकता- सामान्य ज्ञान।
सबसे विश्वसनीय मित्र- अपना हाथ।
सबसे बड़ा पाप- भय।
सबसे बड़ी भूल- समय का अपव्यय।
सबसे बड़ी बाधा- अधिक बोलना।
सबसे बुरी भावना- ईष्र्या।
सबसे बड़ा दरिद्र- उत्साहहीन।
सबसे बड़ा भाग्यशाली- कार्यरत। इन्हें बचा कर रखने का करें प्रयास
देश का सम्मान, स्वाभिमान, संस्कृति, संस्कार, माता-पिता एवं गुरु का स मान, पर्यावरण, पेड़-पौधे, वन, सागर, पहाड़, जल, ऑक्सीजन, खनिज, धातु, जमीन से निकलने वाले तेल, धन, नदियां, पशु-पक्षियों की लुप्त होती प्रजातियां, धर्म ग्रंथ तथा धर्म शिक्षाएं, लोक गीत, लोक नृत्य एवं लोक गाथाएं, साहित्य, अच्छे विचार, अच्छी यादें, आप पर किए गए उपकार, माता-पिता तथा गुरु से मिली शिक्षाएं, मर्यादा।
इनसे बचने का हरसंभव प्रयास करें झगड़ा, झूठ, व्यर्थ की बहस, चिंता, हिंसा, गंदगी, प्रदूषण, ईष्र्या, क्रोध, लोभ, मोह, धोखा, वहम, अंधविश्वास आलस्य, फास्टफूड, फ्राईड फूड, फ्रोजन फूड, अप्राकृतिक खाद्य एवं पेय पदार्थ, भड़कीला पहनावा, खट्टा-मीठा एवं चटपटा, अभद्र भाषा, अपमान, नशा, निंदा, कुसंगति, उतावलापन।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2021/12/dada-dadi-bachche.jpg354886Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2021-12-25 02:14:222021-12-25 02:14:43शास्त्र ज्ञान : ऐसी बाते जो बच्चे-बूढ़े हर किसी के लिए जाननी है जरूरी
There is only one Gurdwara in Chandigarh where langar is not served but still there is uninterrupted service of langar. One has to wait for two months to offer langar service at Gurdwara Nanaksar located in Sector-28.
There are no Golaks. There is no need to ask, whoever has to do seva should come and do seva according to devotion.
Baba Gurdev Singh says that sangats are waiting for their turn to serve. In the Gurdwara, langar is served at all three times. People bring langar from their homes. If one wants to set up a langar, he has to wait for at least two months. Some serve in the morning, some in the afternoon and some at night. It is continuous recipe of Akhand Path all the time. Kirtan is performed every day from 7 am to 9 pm and from 5 pm to 9 pm. The Diwan prostrates on the day of the new moon every month.
All sorts of arrangements were made for the needy even during the Corona period.
Gurdwara Nanaksar was built on the day of Diwali. Baba Gurdev Singh, head of Nanaksar Gurdwara in Chandigarh, says that it has been more than 50 years since the construction of this Gurdwara. Spread over an area of 2.5 acres, the Gurdwara also has a library and offers free dental treatment.
The annual fair is held in March every year. This annual festival lasts for seven days. It attracts a large number of people from all over the world. During this time a huge bloody camp was set up.
Although many arrangements have been made as a precautionary measure due to Corona, the service continues.
What is left after the sangat’s langar is sent to PGI in addition to the hospitals in Sector-16 and 32, so that people can also take prasad there. This has been going on for years.
The headquarters is near Ludhiana
It is headquartered at Nanaksar Clare, near Ludhiana. Amritpan is done twice a year. Gurdwara Nanaksar has 30 to 35 persons including ragi pathis and sevadars. Apart from Chandigarh, Haryana, Dehradun and abroad, there are more than 100 Nanaksar shrines in USA, Canada, Australia, New Zealand and England.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2021/11/nanaksar.jpg375500Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2021-11-30 05:20:052021-11-30 05:20:44Devotees Attribute to Guru Nanak’s Teachings in Letter and Spirit
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