आल इंडिया मुशायरा अमिट यादें छोड़ कर  हुआ समाप्त

जिला लेखक मंच होशियारपुर द्वारा आयोजित आल इंडिया मुशायरा अमिट यादें छोड़ कर  हुआ समाप्त !

तरसेम दीवाना, डेमोक्रेटिक फ्रंट, हुशियारपुर, 24      सितंबर :

जिला लेखक मंच होशियारपुर द्वारा ऑल इंडिया मुशायरा का आयोजन किया गया, जिसमें जिला लेखक मंच के संयोजक रघवीर सिंह टेरकियाना की ओर से शायरों, फनकारोँ एवं कलाकारों की उपस्थिति इस बार का प्रो. मोहन सिंह औजला पुरस्कार-2024 ललित चौबे आर्टिस्ट दिल्ली को प्रदान किया गया। इस अखिल भारतीय मुशायरे में भारत के विभिन्न प्रांतों और पंजाब के विभिन्न दिशाओं से आए शायरों ने हिंदी, पंजाबी और उर्दू में अपनी कविताएं, ग़ज़लें और गीत सुनाकर कई घंटों तक माहौल को खुशनुमा बनाए रखा।अपने-अपने कलाम पेश करने में शामिल हुए- मुहम्मद फियाज़ फारूकी, प्रो. असरार नसीमी बरेली (यूपी), डा. संदेश त्यागी (राजस्थान), डा. जावेद राही (जम्मू-कश्मीर), डा. अरुण शाहेरिया (श्री गंगानगर), डा. अंतर नीरव स्वामी (जम्मू), नरेश निसार (हिमाचल प्रदेश), एजाज़ फारूकी (इलाहाबाद), चमन लाल शर्मा (चंडीगढ़), अकील ज़िया दरियाबाद बाराबंकी (यूपी), जाहिद अबरोल ऊना, (हिमाचल प्रदेश), मंसूर आसमानी मुरादाबाद (यूपी), डॉ। नफ़्स अम्बालवी (हरियाणा), डा. जनमीत (कौलपुर), अजायब सिंह हुंदल (अमृतसर), जतिंदर पन्नू (जालंधर), प्रो. अजीत लंगेरी (माहिलपुर), जगसीर जीदा (बठिंडा), ज़मीर अली ज़मीर (मालेरकोटला), हरसिमरत कौर (लुधियाना), डॉ. मुहम्मद रफ़ी (मलेरकोटला), परमजीत सिंह विरक (पटियाला), गुरदयाल रोशन (लुधियाना), अमरजीत कौर अमर (पंजाब)मंच के संयोजक रघवीर सिंह टेरकियाना ने मंच सचिव की भूमिका अपने काव्यात्मक अंदाज में बड़े ही अनूठे अंदाज में निभाई और हर कवि की कविता पर दर्शकों ने भी तालियां बजाकर उत्साह बढ़ाया। सिर्फ उर्दू वालों को ही नहीं, हिंदी और पंजाबी वालों को भी बल्ले-बल्ले हो गई।मंच के संयोजक टेरकियाना ने कहा कि हर साल की तरह यह हमारा 12वां मुशायरा है और ऐसे कार्यक्रम आगे भी जारी रहेंगे। उन्होंने वादा किया कि आने वाले समय में मुशायरे को वैश्विक स्तर पर ले जाने के लिए विदेशों से भी शायरों को आमंत्रित किया जाएगा। सचमुच, इस घटना ने लोगों के मन पर अमिट छाप छोड़ी और कवियों की अच्छी कविताएँ लंबे समय तक लोगों के बीच प्रसारित होती रहेंगी।इस कार्यक्रम में जिला लेखक मंच के सक्रिय सदस्यों के अलावा प्रमुख हस्तियों ने भी भाग लिया – जिनमें मशहूर गायक तरसेम दीवाना,डा. ए.बी. भल्ला, पी.जी.आई. (चंडीगढ़), शैलजा भल्ला (पंचकूला), लेफ्टिनेंट जनरल जे.एस. ढिल्लो, क्रांति पाल (हस्तलेखन विशेषज्ञ), प्रो. अजीत सिंह जबल, रविंदर शेरगिल वकील, प्रिं. जसपास सिंह, पलविंदर पल्लव वकील, प्रो. जसवं गौतम नगर, प्रिं. अमरजीत टाटरा, लखवीर सिंह सरपंच मीरपुर, मास्टर मुकेश मुकेरिया, संदीप सोहल वकील, नरेंद्र नेशनल एथलीट, हरदयाल अरनियाला, महेंद्र पाल मुंछी, डा. मुझैल सिंह गढ़दीवाला, रिपुदमन भाटिया वकील, गायक देव हरियाणवी, मनप्रीत रैहसी आईटी ब्रेन्स, कुलविंदर चीमा, दलजिंदर यूनाइटेड वर्क्स, जसविंदर सैफ़, राजेश इनकम टैक्स वकील, पूजा कलेर एडवोकेट, अमरजीत नडालो, पवन अरोड़ा, पी.के. शर्मा वकील दसूहा, डा. हरजिंदर ओबराय, कुलविंदर सिंह जंडा, तरमेस सैनी एडवोकेट दसूहा, हरीश तिवारी एडवोकेट जालंधर, राजीव बजाज ट्रेडर्स, भगवान सिंह हरसीपिंड, महेंद्र लाल स्टेनो, इंजी. नरेन्द्र सिंह, राष्ट्रीय अवार्डी कलाकार रूपन मठारू विभिन्न प्रान्तों से आये कवियों ने पंजाबियों के प्रेम की प्रशंसा की।  

कथाकार सौमित्र बैनर्जी ने छात्रों को बताई कहानी कहने की कला

एसडी कॉलेज के रीडर्सक्लब में आयोजित किया ऑथर स्पॉटलाइट सीरीज़ का दूसरा संस्करण

डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़,  23 सितंबर:

सेक्टर-32 स्थित गोस्वामी गणेश दत्त सनातन धर्म कॉलेज के रीडर्स क्लब ने अपने ऑथर स्पॉटलाइट सीरीज़ के दूसरे संस्करण का आयोजन किया जिसमें कथाकार सौमित्र बैनर्जी मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए। इस कार्यक्रम ने छात्रों और शिक्षकों को आकर्षित किया, जिससे विचारों के आदान-प्रदान और कहानी कहने की कला की खोज के लिए एक समृद्ध मंच तैयार हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत बलप्रीत द्वारा दिए गए स्वागत भाषण से हुई जिसमें उन्होंने लेखक सौमित्र बैनर्जी का परिचय देने के साथ उनके प्रभावशाली वैश्विक अनुभव और उनकी कहानी कहने की क्षमता पर प्रकाश डाला। उद्घाटन भाषण में डीन आर्ट्स डॉ. आशुतोष शर्मा ने रीडर्स क्लब की सराहना की और सांस्कृतिक समझ तथा व्यक्तिगत विकास को आकार देने में कहानी कहने की शक्ति पर जोर दिया।

इसके बाद सौमित्र बैनर्जी ने मुख्य भाषण दिया। पेशेवर परामर्श और कॉर्पोरेट नेतृत्व में दो दशकों से अधिक के अनुभव से लाभ उठाते हुए, बैनर्जी ने अपनी अंतर्दृष्टि साझा करते हुए बतया कि “लोगों के कहानीकार” का एक व्यक्तित्व होता है , जो लोगों की कहानियों को सुनता है , समझता है  और लोगों तक पहुँचाता है। उन्होंने विशेष रूप से भारत के उभरते सामाजिक-राजनीतिक और सांस्कृतिक परिदृश्य के संदर्भ में कहानियों की परिवर्तनकारी शक्ति को उजागर किया । बैनर्जी ने भारत में माइग्रेशन के महत्व पर भी प्रकाश डाला तथा देश के विभिन्न क्षेत्रों के तीन परिवारों की कहानियां सुनाईं।। उन्होंने भारत को एक साथ बांधने में माइग्रेशन की भूमिका पर जोर दिया और श्रोताओं को जाति, पंथ और धर्म के विभाजन से ऊपर उठने के लिए प्रोत्साहित किया।

“लिमिनल टाइड्स” नामक किताब पर आधारित गतिविधि में,  बैनर्जी ने छात्रों से कई प्रश्न पूछे, और सबसे व्यावहारिक प्रतिक्रियाओं के लिए सात पुरस्कार प्रदान किए। उन्होंने भारत के विभाजन के बारे में अपनी पुस्तक के कथानक को भी विस्तार से बताया और कोलोनियल पीरियड में गहरी अंतर्दृष्टि प्राप्त करने के लिए प्रमुख कार्यों की सलाह दी। प्रश्नोत्तर सत्र के दौरान, उपस्थित छात्रों व अध्यापकों ने ज्ञानवर्धक ने प्रश्न पूछे, जिससे बैनर्जी जी को अपने कहानी कहने के अनुभवों का विस्तार करने का मौका मिला। भारत के विभिन्न हिस्सों के लोगों के साथ बातचीत के उनके किस्सों ने दर्शकों को भारतीय समाज के बारे में गहरी जानकारी दी। कार्यक्रम का समापन संयोजक डॉ. गुरप्रीत सिंह के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिन्होंने सौमित्र बैनर्जी को उनके समृद्ध योगदान के लिए और इस आयोजन को सफल बनाने वाले सभी लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया।

शहीद रामचन्द्र विद्यार्थी के पर लिखे गए  उपन्यास का विमोचन

  • ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के सबसे कम उम्र के शहीद रामचन्द्र विद्यार्थी के पर लिखे गए  उपन्यास का विमोचन आज ( 10 अगस्त)
  • दिल्ली हिंदी अकादमी की गवर्निंग बॉडी के सदस्य , सुप्रसिद्ध कथाकार व उपन्यासकार भगवान दास मोरवाल मुख्य अतिथि रहेंगे 

डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़, 09अगस्त :

 चंडीगढ़  प्रेस क्लब में 10 अगस्त 11.30 बजे से  सन् 1942 के ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन के सबसे कम उम्र के शहीद रामचन्द्र विद्यार्थी के जीवन पर आधारित व डॉ. कंवल किशोर प्रजापति द्वारा लिखित उपन्यास का विमोचन किया जाएगा।

इस विमोचन के अवसर पर शहीद के सगे छोटे भाई रामबड़ाई , उनके भाई के पौत्र संजय प्रजापति, उपन्यास के लेखक डॉ. कंवल किशोर प्रजापति सहित मशहूर उपन्यासकार भगवानदास मोरवाल, पूर्व आईएएस आर.एस. वर्मा, बीपीएचओ के मुखिया सत्यनारायण प्रजापति, प्रसिद्ध समाजसेवी व उच्च न्यायालय के वकील शौकीन वर्मा, लोकीराम प्रजापति, बीपीएचओ यूटी प्रमुख बलजीत प्रजापति, हरियाणा प्रमुख नरेश प्रजापति व अन्य गणमान्य हस्तियाँ उपस्थित रहेंगी।

खोटे सिक्के अब बाज़ार चलाने लगे हैं… डॉ. अनीश गर्ग

डेमोक्रेटिक फ्रंट, चण्डीगढ़- 04 मार्च    :

संस्कार भारती एवं बृहस्पति कला केंद्र, चण्डीगढ़ के संयुक्त तत्वाधान में मासिक साहित्य सरिता का आयोजन टैगोर थियेटर में हुआ। संस्कार भारती के मार्गदर्शक प्रो. सौभाग्यवर्धन ने बताया कि इस काव्य गोष्ठी में ट्राई सिटी के नामी कवियों और शायरों ने भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवियत्री संतोष गर्ग ने की। 

कार्यक्रम के संचालक एवं संस्कार भारती के विधा प्रमुख डॉ. अनीश गर्ग ने वर्तमान दौर के चलन पर तंज कसते हुए कहा, “खोटे सिक्के अब बाज़ार चलाने लगे हैं…लोग पानी से आग जलाने लगे हैं”, शायर भट्टी ने कहा, “बेशक उसका नाम अभी नवाबों नहीं आता। मिलती है रात जब अँधेरे से जानने उजाले के रहस्य कि जलने के उस विस्तार को क्यों अब तक भस्म हो जाना चाहिए था”, वरिष्ठ कवि विजय कपूर ने कुछ यूं कहा, “नींद पूरी नहीं होती जब तक ख्वाबों में नहीं आता”, अरुणा डोगरा ने पढ़ा, “बोझिल मन है तन थका, क्या पतझड़ ऋतुराज…वृद्ध अवस्था में सखी, कौन सुने आवाज़”,  दलजीत कौर ने कहा,” बसंत आया तो है…डाली पर फूल मुस्काया तो है वीरान पेड़ पर हरी कोंपल फूटी तो है”, बबिता कपूर ने कहा,”सोचने के लिए कुछ ऐसा होना चाहिए…कि छोटी सी खोपड़ी में कुटिल शिराएं सोच में पड़ जाएं”। संतोष गर्ग ने सभी आमंत्रित कवियों की कविताओं की समीक्षा की और अपनी पंक्तियां साझा की, “सब थक जाते हैं पर मैं नहीं थकती…सबको खिलाए बिना सबको सुलाए बिना मैं सो नहीं सकती”। 

इस कार्यक्रम में मनोज सिंह, यश कांसल, गौतम शर्मा, सर्वजीत सिंह लहरी, विमल छिब्बर विशेष तौर पर उपस्थित रहे। संस्था के अध्यक्ष यशपाल कुमार ने आए हुए सभी कवियों एवं श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापित किया।

पूरी दुनिया के लिए ऊर्जा और आविष्कार का केन्द्र रहेगा श्री राम मंदिर

सीताराम केसरी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चित्तौड्ग, 23जनवरी

पांच सौ वर्षो की उस आस्तिक लड़ाई के बाद व करोड़ो भारतवासियों व दुनिया के सनातन प्रेमियों के लिए इस दिन से बड़ा शायद ही कोई दिन होगा। अपनी मूलता से भटके लोग भी जो शायद पश्चिम का विचार रखते है उन्होंने भी इस मौके पर अपने मन के उद्गार सबके सामने प्रस्तुत किये। मंदिर में जब प्राण प्रतिष्ठा चल रही थी तब सम्पूर्ण सृष्टि पर एक स्पंदन सा गुंजायमान हो रहा था। मानो देव व दानव सब उस अवसर पर विजय का शंखनाद कर रहे हो। मंदिर बन जाने के बाद हम सभी सनातन प्रेमियों के लिए उस आस्तिकत्व भाव को पुनः उन मनिषियो व मनो तक ले जानी है जो आज भी उस पल के अनभिज्ञ है।

हम हमारे स्व के जागरण के लिए प्रतेक भारतवासी के मन को निश्चिल प्रेम व सहयोग के भाव मे समावेशित करना है जिससे आने वाली पीढ़ी को ये ज्ञात हो कि प्राण प्रतिष्ठा के बाद का भारत का मन हम सब एक है के भाव से भरा और “में से हम” तक की यात्रा को पूरा किया। तब जाकर ही हमारे आराध्य प्रभु श्रीराम जी के कार्य को हम पूर्णता की और ले जाऐंगे और हम सब अपने भाव को
समाजोपयोगी कर पायेंगे।

दुनिया में “वासुदेव कुटुम्बकम” के भाव को पोषित करती भारत माता के लिए ये दिन आज उन सभी कालजयी रातों पर विजय का प्रतीक है जिसके कारण अनेक मां भारती के पुत्रों ने अपने आपको समाहित कर दिया और एकटक घर पर प्रतिक्षा कर रही मां ,पिता ,भाई ,बहन ,पत्नी तथा बेटे को भी रोने से यह कहकर रोक दिया कि जिस काम के लिए हम जन्मे है वहीं तो किया है फिर उसपर वियोग व विरह व कलह क्यों करना।और आज वो समय उस पल का साक्षी है कि हर किसी की आंखो में प्रभु श्री राम जी की उस देवीय मूर्ति के दर्शन कर आंखो से अश्रु धारा बह निकली और सम्पूर्ण राष्ट्र का वातावरण राममय हो गया है। केवल एक ही अपेक्षा उस राष्ट्र पुरोधा कि हमसे है कि हम सब समवैचारिक लोग एक दूसरे का सहयोग करते हुए सम्पूर्ण राष्ट्र को रामराज बनाने व विकसित करने की और अग्रसर हो और हमारी नैतिकता में भी रामराज जैसा भाव आये जिससे हम अपने इस राष्ट्र को परम् वैभव पर ले जा सके।

“राम काज किन्हें बिनु”
“मोहि कहां विश्राम”

विदेशी भाषा की आंधी में मातृभाषा के दीप जलाएंगे…

कवियों ने मनाया हिंदी दिवस

डेमोक्रेटिक फ्रंट, चण्डीगढ़- 15सितम्बर :

आज अखिल भारतीय कवि परिषद् की स्थानीय ईकाई की ओर से हिंदी दिवस पर कवि गोष्ठी  का आयोजन किया गया जिसमें शहर के नामी कवियों ने भाग लिया। कार्यक्रम सेंट जोसेफ स्कूल, से. 44 में आयोजित हुए इस कार्यक्रम में स्कूल के डायरेक्टर सुखदीप सिंह और प्रिंसिपल मोनिका चावला ने मुख्य अतिथि प्रेम विज एवं डॉ. अनीश गर्ग का स्वागत किया।

मंच संचालिका राशि श्रीवास्तव ने सरस्वती वंदना के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

वरिष्ठ कवि डॉ. अनीश गर्ग ने अपने चिर-परिचित अंदाज में कहा कि निश्चय ही उल्लास से हम हिंदी दिवस मनायेंगे…विदेशी भाषा की आंधी में साहित्य धरा पर मातृभाषा के दीप जलाएंगे…,

प्रेम विज ने व्यंग्यात्मक कविता पेश करते हुए कहा कि हैड आफिस से अंग्रेजी में आया फरमान..धूमधाम से मनाया जाए हिंदी दिवस,

डॉ. विनोद शर्मा ने फ़रमाया कि हिंदी मिटाती दिल से दूरी, करती पूरी अभिलाषा अधूरी…,

डेज़ी बेदी ने पढ़ा कि हिंदी बोली आज तुम औपचारिकता को निभा लो, लिखो हिंदी भाषा में आज कविताओं को सजा लो,

प्राचार्या मोनिका चावला ने भी अपनी कविता के माध्यम से कहा कि जैसी भी है ज़िंदगी…अपनी ही है ज़िंदगी…।

इनके अलावा प्रतिष्ठित कवियों मुरारी लाल अरोड़ा, डॉ. संगीता शर्मा कुंद्रा, हेमा शर्मा, अनीता गरेजा, रजनी बजाज ने भी अपनी खूबसूरत हिंदी की कविताएं प्रस्तुत की। स्कूल के डायरेक्टर ने सभी कवियों का आभार व्यक्त करते हुए अखिल भारतीय कवि मंच को कवि गोष्ठियों के लिए स्कूल का ऑडिटोरियम निशुल्क उपलब्ध कराने की घोषणा की।

 हरियाणा की बेटियों रिद्धिमा और विधिका कौशिक ने रचा इतिहास

सुशील पण्डित
राजनैतिक विश्लेषक
  •  हरियाणा का गौरव बनकर उभरी रिद्धिमा और विधिका कौशिक

सुशील पण्डित, डेमोक्रेटिक फ्रंट, यमुनानगर – 08 सितम्बर :

एक समय था जब कहा जाता था कि पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब,खेलोगे कूदोगे बनोगे ख़राब। परंतु जैसे जैसे समय बदला और समय के साथ साथ धारणाएँ भी बदल गई, वर्त्तमान परिदृश्य में खेल जीवन में आगे बढ़ने का ऐसा सशक्त माध्यम बन चुका है जिसके बल पर मनुष्य बड़ी से बड़ी चुनौती को स्वीकार करके जीवन के हर क्षेत्र में नित नए आयाम स्थापित करने में सक्षम हो रहा हैं। देश की आज़ादी के पश्चात यदि पुरुष और महिला खिलाड़ियों द्वारा खेलों के माध्यम से हासिल की सफ़लता का आंकलन किया जाए तो निश्चित रूप से महिलाएं समाज और राष्ट्र की उन्नति में अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। लड़कियों द्वारा जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करके देश का परचम लहराया जा रहा है। खेल किसी भी मनुष्य के जीवन के लिए उतना ही महत्व रखते हैं जितना कि एक सफल इंसान बनने में शिक्षा व अन्य संसाधनों का है। यदि यह कहा जाए कि खेल के माध्यम से मनुष्य का चौमुखी विकास हो सकता है तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी यह एक ज्ञात तथ्य है कि स्वस्थ व सफल जीवन शैली के लिए खेल अभिन्न हिस्सा है। हालांकि छोटी उम्र से खेल खेलने के बहुत सारे लाभ है खेल जहाँ स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देता है वहीं आत्म सम्मान की दृष्टि से खेल का हमारे जीवन में बहुत अधिक महत्व माना जाता है।

वर्तमान की तेज तर्रार और अत्यधिक प्रतिस्पर्धा से भरपूर जीवन में खेलों का अत्यधिक महत्व रहता है सामान्य तौर पर युवाओं के जीवन में खेल की भूमिका महत्वपूर्ण होती है परंतु खेल में भागीदारी सुनिश्चित करना विशेष रूप से लड़कियों और महिलाओं के लिए महत्व रखता है। भारत में आज भी बहुत से ऐसे क्षेत्र है जहां लड़कियों के लिए शिक्षा आभाव तथा कम उम्र में विवाह तथा स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने की अक्षमता तथा लिंगानुपात की दृष्टि से लड़कियों और महिलाओं को समान अवसर से वंचित रहना पड़ता है। इन परिस्थितियों में खेल एक उल्लेखनीय भूमिका निभा रहा है। दरअसल खेल महिला खिलाड़ियों को नित नए अवसर प्रदान करता है तथा जीवन की चुनोतियों को स्वीकार करने का कौशल विकसित करने में सहायक सिद्ध होता है। यदि बात वर्तमान परिदृश्य में खेलों की जाए तो आज देश की बच्चियों खेलों में बेहतर प्रदर्शन करके न केवल स्वयं का अपितु पूरे देश का नाम विश्व के पटल पर रोशन करने में लगी है। इसी का जीवंत उदाहरण बनकर उभरी है, हरियाणा के फरीदाबाद की दो सगी बहने विधिका कौशिक व रिद्धिमा कौशिक। बचपन से ही किक बॉक्सिंग खेल में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रही विधिका कौशिक और रिद्धिमा कौशिक किक बॉक्सिंग का खेल रूचि से प्रारंभ होकर वर्तमान में ओलंपिक पदक का लक्ष्य बन चुका है। इन दोनों बहनों ने खंड स्तर से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी एक अलग पहचान बनाई है। उम्र में छोटी और प्रतिभा की दृष्टि से बड़ी हरियाणा की दोनों बेटियों की खेल शैली, एक मंजे हुए खिलाड़ी के भांति दिखाई देती है। हाल ही में दिल्ली में आयोजित हुई अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में विधिका और रिद्धिमा कौशिक ने स्वर्ण पदक हासिल करके अपने माता-पिता व प्रदेश का नाम रोशन किया है। गौरतलब है कि इस प्रतियोगिता में पूरे विश्व के बेहतर खिलाड़ियों ने भाग लिया था जिसमें इन दोनों बच्चियों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करके स्वर्ण पदक हासिल करके देश में एक अपनी अलग पहचान बनाने का काम किया है।

शुरुआती दौर से ही हरियाणा का खेलो के क्षेत्र में अपना अलग स्थान रहा है। दरअसल माँ और माटी का स्वभाव समान होता है। जिस प्रकार हरियाणा की माटी खिलाड़ियों सर्वांगीण विकास करने के लिए सदैव ततपर रहती है उसी प्रकार रिद्धिमा और विधिका की माँ रितु कौशिक भी बेटियों को बुलंदियों पर देखने के लिए समर्पण भाव से अपनी बच्चियों को बेहतर परवरिश देने में उद्घत रहती हैं। भारत के खेल इतिहास पर यदि बात करें तो हरियाणा प्रदेश के खिलाड़ियों ने देश का नाम विश्व पटल पर चमकाने के काम किया है। इसी प्रकार किक बॉक्सिंग में भी देश की बेटियां अपनी अलग पहचान बना रही है।अभी हाल ही में भारत के झारखंड राज्य में हुई राष्ट्रीय किक बाक्सिंग प्रतियोगता में दो सगी बहनों विधिका कौशिक व रिद्धिमा कौशिक स्वर्ण पदक जीत कर न केवल परिवार का अपितु देश व प्रदेश का नाम रोशन किया है। विधिका ने 28 किलोग्राम भार वर्ग और रिद्धिमा ने अंडर-12 आयु वर्ग मनवाया प्रतिभा का लोहा मनवाया। निश्चित तौर पर आज के समय और परिस्थितियों के अनुसार जो खेलेगा वही आगे बढ़ सकता है, फिर वह जीवन हो या खेल का मैदान। हरियाणा के जिला फरीदाबाद की दो सगी बहनों ने छोटी उम्र में ही बड़ा काम करके एक नया कीर्तिमान स्थापित करने का सराहनीय कार्य किया है। दरअसल बच्चे को परिवार की ओर से दिए गए अच्छे  संस्कार व शिक्षा जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। झारखंड के राचीं में 23 से 27 अगस्त के बीच आयोजित हुई राष्ट्रीय किक बाक्सिंग प्रतियोगिता-2023 चिल्ड्रन कैडेटस एंड जूनियर में फरीदाबाद जिले की विधिका और रिद्धिमा ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। झारखंड अमेतरा स्पोर्ट्स किक बाक्सिंग एसोसिएशन की ओर से आयोजित प्रतियोगता में देशभर के किक बाक्सिंग खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था। 28 किलोग्राम भार वर्ग के किक लीग इवेंट में विधिका कौशिक ने स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया। जबकि 47 किलोग्राम भार वर्ग के लीग कांटेस्ट में रिद्धिमा कौशिक ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए सोने का पदक हासिल करके माता पिता व प्रदेश का नाम रोशन किया है। खेल के क्षेत्र में खिलाड़ी का परिश्रम और कोच की निष्ठा दोनों ही महत्व रखती है। जिस प्रकार शिक्षक के बिना शिक्षा अधूरी है उसी प्रकार कोच के बिना खेलों में सफलतापूर्वक आगे बढ़ना कठिन है। इन बच्चियों की  कोच संतोष थापा कहना है कि विधिका कौशिक ने किक लाइक में तमिलनाडु की टीम को हराकर गोल्ड मेडल जीता है। रिद्धिमा कौशिक ने किक बाक्सिंग में गुजरात को हराकर गोल्ड मेडल जीता है। थापा ने बताया कि इससे पहले दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित अंतरराष्ट्रीय किक बाक्सिंग प्रतियोगिता में भी गोल्ड मेडल जीत कर नाम रोशन कर चुकी हैं।

दोनों बहनों का लगन व मेहनत से स्वर्ण प्राप्त करना जहाँ परिवार के लिए गर्व का विषय बना है वंही फरीदाबाद लौटने पर शहरवासियों ने ढोल-नगाड़ों के साथ विधिका और रिद्धिमा का जोरदार स्वागत करके इन बेटियों की उपलब्धि के महत्व को दोगुना करने का काम किया है। अक्सर कहा जाता है कि बेटियां माँ की अपेक्षा पिता की अधिक लाडली होती है और यह देखा भी गया है कदाचित पिता के भाव को समझने में बेटी अधिक सक्षम होती है। अपनी दोनों बेटियों पर गर्व की अनुभूति करते हुए विधिका और रिद्धिमा के पिता सुरेंद्र कुमार कौशिक का कहना है कि बेटियों की इस उपलब्धियों पर उन्हें गर्व है। दोनों बेटियों ने पूरे प्रदेश का नाम रोशन किया है। कौशिक का कहना है कि एक समय था जब लड़के और लड़की में अंतर माना जाता था, सामाजिक कुरीतियों व संकीर्ण मानसिकता के कारण उतपन्न होने वाली इस प्रकार की सोच समाज और परिवार के लिए किसी अभिशाप से कम नही होती। उन्होंने कहा कि खेलों से बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है। प्रखर समाजसेवी डीआर शर्मा ने बताया कि अभिभावकों को बेटियों को आगे बढ़ाने के लिए शिक्षा के साथ साथ खेलों में  भाग लेने  के लिए प्रेरित करना चाहिए। शर्मा का कहना है कि प्रदेश की बेटियां पढ़ाई के साथ खेलों में भी नाम रोशन कर समाज के लिए नई प्रेरणा बन रही हैं। निश्चित रूप से भारत की खेल नीति बेहतर होने के कारण आज खिलाड़ियों को अनेकों अवसर मिल रहे हैं वहीं यदि प्रदेश स्तर की बात की जाए तो मौजूदा सरकार के द्वारा खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से लाभान्वित किया जाना भी खेलों को बढ़ावा देने में सहायक सिद्ध हो रहा है। इस बारे में जब इन बच्चियों के पिता सुरेंद्र कौशिक से बात हुई तो उन्होंने बताया कि बच्चों की पहचान पिता के नाम से होना सामान्य बात होती है परंतु बच्चों के नाम से माता पिता की अलग पहचान बनना गर्व की बात है। 

सत्ता की आपदा और विपक्ष का अवसर बन सकता है अविश्वास प्रस्ताव

सुशील पण्डित, डेमोक्रेटिक फ्रंट, यमुनानगर – 10 अगस्त :

विपक्षी दलों या यूं कहें इंडिया द्वारा सत्ता पक्ष के खिलाफ प्रस्तुत किए गए अविश्वास प्रस्ताव को लेकर लगातार तीन दिनों से संसद में बहस जारी है। विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष की ओर से केंद्र सरकार को घेरने का काम किया जा रहा है। इस अविश्वास प्रस्ताव में जहाँ विपक्ष के नेता राहुल गांधी भाजपा सरकार पर आरोपों की झड़ी लगा रहे हैं वंही सत्ताधारियों द्वारा स्वंम को बचाने और विपक्ष को 2014 से पहले का भारत दिखाया जा रहा है। अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्षी सदस्यों के साथ साथ जनता की भी खासी रूचि दिखाई दे रही है। भविष्य में 2024 के चुनाव को देखते हुए विपक्षी दलों द्वारा इंडिया के बैनर तले सत्तापक्ष को घेरने का प्रयास किया जा रहा है वंही विपक्ष की ओर से प्रस्तुत किए गए अविश्वास प्रस्ताव के दौरान राहुल गांधी के मुद्दों से परिपूर्ण भाषण ने भाजपा को चुप्पी साधने के लिए मजबूर कर दिया।

भाटिया ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव का प्रभाव और परिणाम मौजूदा सरकार के प्रतिकूल हो सकता है। विपक्ष द्वारा प्रस्तुत अविश्वास प्रस्ताव का आधार मणिपुर की हिंसा तो है ही साथ ही अन्य ज्वंलत समस्याओं को भुनाने का काम विपक्षी पार्टियों द्वारा किया जा रहा है। मणिपुर हिंसा का जल्द समाधान जहां सत्ता पक्ष की नैतिक जिम्मेदारी बनती है वहीं भविष्य के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती भी है जिसका कुप्रभाव आगामी लोकसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में सात प्रदेशों को सेवेन सिस्टर्स के समान माना जाता था तथा यदि मणिपुर की बात करें तो मणिपुर भारत के सुंदर और शांत राज्यों में से एक था जिसका उदाहरण दिया जाता था परंतु लंबे समय से चली आ रही हिंसा के चलते मणिपुर का वास्तविक स्वरूप मूल रूप से विपरीत हो चुका है। वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए सत्ता पक्ष की यह नैतिक व राजनीतिक जिम्मेदारी बनती है कि इस मुद्दे का समाधान जल्द से जल्द किया जाए।

अविश्वास प्रस्ताव के दौरान विपक्षी दलों के नेताओं द्वारा सत्ता पक्ष को अहंकारी बताया गया है वहीं राहुल गांधी ने रामायण का उदाहरण देते हुए भाजपा सरकार को रावण की संज्ञा देकर यह स्पष्ट कर दिया है कि कहीं ना कहीं सत्ता पक्ष अहंकार के वशीभूत होकर देश में हो रहे दंगों, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, एवं अन्य समस्याओं का समाधान करने में विफल रहा है। गौतम ने कहा कि राहुल गांधी द्वारा संसद में कई गई बहस ने एनडीए सरकार को एक बार फिर सोचने पर विवश कर दिया है कि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था से कदाचित खिलवाड़ तो नहीं हुआ है। देश की राजनीति में अविश्वास प्रस्ताव का प्रस्तुत किया जाना,देश की वर्तमान प्रजातांत्रिक व्यवस्था की प्रतिकूलता एवं विपरीत परिस्थितियों पर निर्भर करता है।

सत्ता पक्ष का एक के बाद एक विभिन्न मुद्दों पर घेराव करना और विपक्षी दलों का अपेक्षा से अधिक हावी होते दिखाई देना,अविश्वास प्रस्ताव की प्रासंगिकता को सिद्ध करने के लिए पर्याप्त हो सकता है  देश के जनता की अपेक्षाएं मौजूदा सरकार से जुड़ी होते हैं परंतु कहीं ना कहीं जनता की अपेक्षाओं को उपेक्षाओं में परिवर्तित करने का कार्य सत्ता पक्ष के द्वारा किया जा रहा है जो लोकतांत्रिक व्यवस्था और राजधर्म के प्रतिकूल है। 2024 के चुनाव से पहले भाजपा को अविश्वास प्रस्ताव के प्रभाव को समाप्त करना पड़ेगा तथा विपक्ष की ओर से उठाए गए सवालों का जवाब धरातल पर देना होगा क्योंकि भाजपा के लिए अविश्वास प्रस्ताव से अधिक पीड़ादायक हो सकता है जनता की अपेक्षाओं पर खरा न उतरना। यदि केंद्र सरकार देश के ज्वलंत मुद्दों पर गंभीरता से कार्य करने का प्रयास करें तो कदाचित जनता का रुझान भाजपा सरकार की ओर पुनः हो सकता है अन्यथा विपक्षी दलों द्वारा किया गया इंडिया गठन सफल होने की कगार पर दिखाई दे रहा है और  परिणाम 2024 के चुनाव में भली भांति देखा जा सकता है। कदाचित यह अविश्वास प्रस्ताव विपक्षी दलों की निजी महत्वकांक्षा और सत्ता में वापसी एक पथरीला मार्ग हो सकता है परन्तु लोकतांत्रिक प्रक्रिया के अनुसार यह सत्ताधारियों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।

अविश्वास प्रस्ताव के दौरान विपक्षी दलों के नेताओं द्वारा सत्ता पक्ष पर आरोप लगाना तथा देश की वर्तमान परिस्थितियों को यदि हम समानांतर दृष्टि से देखें तो कहीं ना कहीं यह अविश्वास प्रस्ताव राजनीति की एक स्वभाविक प्रक्रिया हो सकती है जो केंद्र सरकार के लिए क्रिया की प्रतिक्रिया सिद्ध हो सकती है।

हरियाणा कांग्रेस को हमेशा से कमज़ोर करते हैं महत्वकांक्षी नेता

सरिका तिवरि, डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, पंचकुला – 05  जुलाई :

सारिका तिवारी

हरियाणा कांग्रेस में आंतरिक गुटबाजी कोई नई बात नहीं । भले ही पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा हों या कुमारी शैलजा , रणदीप सिंह सुरजेवाला या फिर किरण चौधरी ; सभी अपने अपने समर्थकों के साथ हरियाणा की राजनीति में स्वयं को आगामी मुख्यमत्री के रूप में दिखाने की होड़ में लगे हुए हैं । जबकि समय की मांग है कि कांग्रेस एकजुटता का परिचय दे।

कर्नाटक विधानसभा चुनावों के बाद सुरजेवाला का कद बढ़ा है । रोड शो में समर्थक रणदीप सुरजेवाला को मुख्यमंत्री बनाए जाने पर जोर दे रहे थे।

आगामी 30 जुलाई को शैलजा अपने गढ़ सिरसा में शक्ति प्रदर्शन करेंगी।

समय समय पर शैलजा हुड्डा को आड़े हाथों लेती रहती हैं आज फतेहाबाद के बड़पोल गांव में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति रैली में योजनाओं की घोषणा कैसे कर सकता है जबकि मेनिफेस्टो जारी करना पार्टी का काम है।

हरियाणा के नए प्रभारी दीपक बाबरिया ने पिछले दिनों बैठक में सब को एकजुट हो जाने के आदेश दिए ।
उस समय भी कुमारी शैलजा ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा की शिकायत करते हुए कहा कि प्रदेश भर में वह अन्य नेताओं के इलाके में जाकर बैठकें और समारोह कर रहे हैं।

इसी से पता लगता है कि भले ही नेता एक मंच पर आए परंतु फिर भी कांग्रेस की अंतर कलह पटल पर दिखाई दे रही है।

इतना ही नहीं उस बैठक में हुड्डा और शैलजा के समर्थकों ने अपने अपने नेता के पक्ष में नारे भी लगाए। लेकिन कूटनीति का सहारा लेते हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कुमारी शैलजा के पक्ष में नारे लगाए जिसमें सभी कार्यकर्ताओं ने हुड्डा का साथ दिया ।

अनुभवी हुड्डा समय की नजाकत को पहचानते हैं क्योंकि राजनीति में दोस्ती हों या दुश्मनी कुछ भी स्थाई नहीं होता। वैसे भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा कुमारी शैलजा को हमेशा से ही अपनी बहन कहते हैं । यह बात अलग है ही समय से पहले ही शैलजा को अध्यक्ष पद से हटा कर उनकी जगह हुड्डा खेमे के उदय भान को प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया।

हाल ही में कुमारी शैलजा ,रणदीप सिंह सुरजेवाला और किरण चौधरी ने एक मंच पर से सत्ताधारी भाजपा और जजपा की नीतियों की कड़ी भर्त्सना की । भले ही ये नेता आंतरिक तौर पर इकट्ठे नहीं है लेकिन फिर भी एक मंच पर आकर इन्होंने कांग्रेस की एकजुटता का परिचय देने की नाकाम कोशिश की , क्योंकि भूपेंद्र सिंह हुड्डा या उनकी ओर से कोई भी प्रतिनिधि प्रेस वार्ता में मौजूद नहीं था।

कुल मिला कर अगर कांग्रेस एकजुट होती है तभी सत्तारूढ़ गठबंधन को चुनौती देने का साहस कर पाएगी।

परिदृश्य: अजीब देश की सजीव कहानी

सौरभ त्रिपाठी, डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, पंचकुला – 28 अप्रैल :

सौरभ त्रिपाठी

“विभीषिका”अर्थ व अनर्थ दोनो में विचित्र है। यदि यह अनर्थ के साथ वातावरण में फैल जाए तो जीवन कैसा होगा, सोचिए मत।

अमृतकाल के आनंद युग में मगन जनता अमृतवर्षा में नाच रही है। नृत्य की भाव विभोरता में नगनत्व में बदल रही है। महान देश के महान देवता की कृपा अनवरत बरस रही है। अमृत वर्षा में स्वर्ण व रजत बूँदे देश की धरती को पड़पड़ा कर पीट रही है। शेयर सूचिकांग जैसा इंद्रधनुष क्षितिज में टिमटिमा रहा है। विकासवादी हवा नथुनों को रगड़ रही है। चुनाव, लोकतंत्र ईवीएम, अम्बानी-अदानी,  मीडिया-अदालत,  ईडी – सीबीआईं जैसी आवाज़ें बादलों की तरह उमड़ घुमड़ रहे है। मेंढकों का एक ख़ास झुंड आकस्मिक अमृत वर्षा से नाराज़ होकर उछल -कूद मचा रहे है। अमृतवर्षा के स्पर्श से सभी गिरगिट मगरमच्छ जैसे दिख रहे है। चार पायदानो पर टिके लोकतंत्र के खंडहर के चारों तरफ़ गहरी खामोशी है । लोकतंत्र की इमारत पर वज्रपात जैसा हुआ है।

      ओह! विहंगम दृश्य “उड़ी छत-धंसी फ़र्श -फटी दिवार ,लोकतंत्र का खंडहर और स्तब्ध लोग। पक्ष और विपक्ष गुत्थम- गुत्था हो रहे है ।बहस और संवाद चिल्लाहट व धक्कामुक्की में बदल रही है ।एक तरफ़ पाक चल रहा है ,दूसरी तरफ़ पाक जल रहा है। पुलवामा से गलवान तक जवान खोजे जा रहे है ।स्वास्थ्य, शिक्षा, महंगाई, ग़रीबी, न्याय, बेरोज़गारी जैसे शब्द लुप्त हो गए, सार्वजनिक संस्थान भी निजी महल हो गए। कोविड मृतकों के आत्मशांति के लिए चिकित्सालय कब बनेंगे, वर्तमान पीढ़ी का भविष्य कैसे सुरक्षित होगा? रूसी क्रूड आयल सस्ता होने पर भी डीज़ल पेट्रोल गैस सिलेंडर क्यों गर्मा रहे है।

चुनावी बांड किस दल को कितना और क्यू मिलते है, ये सवाल पूछेगा कौन, ईडी-सीबीआई का ख़ौफ़ जो है। अयोध्या -मथुरा, काशी के वासी भी मौन है। साफ़ सुथरे आवरण में लिपटे ब्यूरोक्रेसी आज़ादी या ग़ुलामी की बहस में उलझी है। प्रशाशक और सेवक के परिभाषा अभी तक नही गढ़ी गयी। इसलिए ब्यूरोक्रेसी ने सोचना व समझना छोड़ दिया है। ब्यूरोक्रेट अब टेक्नोक्रेट बनकर रह गया है। आर्टिफ़िशियल एजेंसी पर रीसर्च करने को उतावला है।

प्रोजेक्ट, इन्वेस्टमेंट, प्रमोशन और मलाईदार पद के दायरे में सिमटा इन महामानवो का क़बीला सिर्फ़ स्वामियों के संकेत को समझता है। संवेदनायुक्त ब्यूरोक्रेड्स हारते हुए भी लड़ कर थोड़ा विश्वास बनाए हुए विभागीय जाँच के फंदे में लटकते दिखाई देते है।

न्याय के मंदिर अंधेरे में कभी कभी ही चमकते है। न्यायदेवताओं की विवेकदृष्टि भविष्य को ध्यान में रखकर फ़ैसले देने लगी है । न्याय की खोज, न्याय में भरोसा, न्याय की पारदर्शिता में अन्याय नाम की ऋंखला गहरी पैठ बना रखी है । गली – दर -गली, सड़क – दर – सड़क, न्याय होता दिख रहा है।

कभी ग़ोलीयो से ,कभी तलवारों से ,कभी गाड़ी पलटने से  , कभी बुलडोज़र से ।परेशान लोग कहाँ जाये ,किसके सामने हाथ फैलाए ,किससे न्याय की उम्मीद रखे ।इसलिए गहरी चुप्पी ओढ़ लेते है । हमारे शांति व अहिंसा का यही सारांश है । न्यायप्रिय देवता भी गवाहों एवं साक्ष्यों के परिवर्तन से सहमा हुआ है । स्वतंत्र कहलाने वाली मीडिया की स्वतंत्रता स्वयं संदेहात्मक है । अपनी रुचि या मजबूरी के प्रभाव से सारे सच को ढकने या सारे झूठ को खोलने का बेहतरीन अभ्यास आज के दौर में दिखायी दे रहा है । देश के लोगों के भाग्य अब स्वयं उसके  कर्म में है ।

सहयोग करने वाली सत्ताए लालच के समुद्र में डूब रही है। प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का सत्ता के प्रति दीवानगी इस हद तक है कि नोट में भी चिप लगा देती है। सार्थक बहसें हिंदू – मुस्लिम तक सीमित है। समाज का आईना बनने का दम्भ भरने वाली मीडिया आईने  में  स्वयं का चेहरा नही देख पा रही है।

लालच की पत्रकारिता किसी देश की ग़ुलाम बनाने के लिए पर्याप्त है। यही तो विभीषिका है। जहाँ नागरिक ही ग़ुलाम बन जाता है। यह किसी देश का परिदृश्य नही, वैश्विक विनाश लीला है जहाँ सच, न्याय, ईमानदारी रोज़ झूठ, अन्याय, और बेईमानी के हाथों शर्मिंदा  होते है। दर्द से उभरती चीखे मधुर संगीत बन जाती है। अन्याय से निकली कराह में मंदिरो की घंटिया सुनायी पड़ती है।