चोरी और सीना जोरी : चीन का एक और कारनामा

कोरोना वाइरस हो या फिर व्यापारिक धोखा सबमें चीन माहिर है। चोरी और सीना जोरी चीन का पुराना व्यापार मंत्र है अपनी इसी आदतों से चीन ने कई व्यापारिक प्रतिष्ठानों को अरबों का चूना लगाया है। सी से लेकर हवाई जहाज़ तक कि चीन के पास प्रतिलिपि है। बड़ी बात यह है कि अपने चोरी के डिज़ाइन किए हुये उत्पाद यह धड़ल्ले से वैश्विक बाज़ार में बेच लेता है। और आपस में व्यापारिक हितों से बंधे होने के बावजूद मित्र राष्ट्र चोरी के उत्पादों में रुची दिखते हैं और अपने बाज़ार इन उत्पादों के लिए खोल देते हैं। मेरे विचार से बेशर्मी अथवा उद्दंडता वाली भावना का जनक भी चीन ही रहा होगा।

नई दिल्ली(ब्यूरो): 

दूसरे देशों के उत्पादों के डिजाइन चुराना चीन (China) के लिए कोई नई बात नहीं है. नकल करने में वैसे भी चीन का नाम हमेशा से ही अव्वल रहा है. एक बार फिर चीन ने भारतीय कार का डिजाइन चुराया है. Tata Motors की एक कार का डिजाइन चीनी कार निर्माता कंपनी ने चुराया है. बताते चलें कि ये दूसरी बार टाटा का डिजाइन चुराने का मामला सामने आया है.

Tata Nixon का डिजाइन चोरी
चीन की कार निर्माता कंपनी Fengsheng ने Maple 30X नाम से एक कार बाजार में उतारा है. इसका डिजाइन हूबहू Tata Nexon SUV से मेल खाता है. इसकी फ्रंट ग्रिल भी Nexon के प्री-फेसलिफ्ट वर्जन वाली दी है. इसके बोनट लिड की बात करें तो इसमें Nexon EV वाला ही बोनट देखने को मिल रहा है. इसमें साफ देखने को लगता है कि चीन की कंपनी ने गाड़ी बनाते वक्त दिमाग और रचनात्मकता का इस्तेमाल ही नहीं किया है. चीन में Tata Nexon SUV के समान डिजाइन वाली गाड़ी इलेक्ट्रिक वेरिएंट में मौजूद है जिसकी कीमत RMB 68,800 (करीब 7.5 लाख रुपये) है.

पहले भी हुआ है टाटा का डिजाइन चोरी
जानकारों का कहना है कि चीनी कंपनियां कार बनाना तो जानती हैं लेकिन डिजाइन के मामले में हमेशा से ही चोरी का सहारा लेती रही हैं. कुछ समय पहले एक चीनी कंपनी को टाटा मोटर्स की लग्जरी कार मेकर जगुआर लैंड रोवर (Jaguar Land Rover) का डिजाइन चुराने के आरोप में भारी जुर्माना भरना पड़ा था. आरोप था कि चीन की लोक कंपनी जियांगलिंग मोटर्स (Jiangling Motors Corp) ने इस कार के कई फीचर्स पूरी तरह कॉपी कर लिए हैं. 

बताते चलें कि चीनी कंपनियों पर हमेशा ही डिजाइन चोरी के आरोप लगते रहे हैं. चीनी कंपनियां अन्य देशों को पॉपुलर डिजाइन चुराकर कार तैयार करती हैं और अन्य देशों में बेचती हैं. कई मोटर साइकिलों के डिजाइन भी चीनी कंपनियों ने चुराए हैं. 

भारत एफ़डीआई पर सख्त

नई दिल्ली(ब्यूरो): 

वाणिज्य मंत्रालय ने शनिवार को नया नोटिफिकेशन जारी किया है. इस नोटिफिकेशन के अनुसार भारत के साथ लैंड बॉडर्र शेयर करने वाले देशों का एफडीआई (FDI) बिना सरकार की सहमति के नहीं आ सकता. इसके अनुसार अगर कोई व्यक्ति दूसरे देश में है और वो भारत में इंवेस्ट करना चाहता है तो उसके लिए भी सरकार से अप्रूवल लेना अनिवार्य होगा.

जानकारों के मुताबिक चाइना की एग्रेसिव इंवेस्टमेंट पॉलिस के तहत इंडियन कंपनी के शेयर खरीदने में ज्यादा तेजी दिखाने के मद्देनजर ये फैसला किया गया है. हाल ही में चाइना ने HDFC बैंक में अपना शेयर 1% से ज्यादा बढ़ाया था. माना जा रहा था कि चाइना और भी ऐसी कंपनियों में निवेश कर सकता है जिसमें उसे फायदा नजर आ रहा है. ऐसे समय में जब कोविड-19 से देश जूझ रहा है तो ये आशंका जताई जा रही थी कि अगर चाइना अपनी खरीद की ये रणनीति बनाएं रखता है तो कंपनियों में कंट्रोल हासिल करके भारतीय बाजारों के डायनामिक्स को प्रभावित कर सकता है.

ऐसे में देसी कंपनियों के हित प्रभावित हो सकते हैं और छोटे कारोबारियों पर बहुत बुरी चोट पहुंच सकती है. हाल ही में HDFC बैंक में चाइना के बैंक का शेयर बढ़ने के साथ ही सरकार के कान खड़े हो गए थे. 

देश में कोई गैर रहवासी (NRI) जब निवेश करता तो उसके लिए विदेशी प्रत्यक्ष नियम (FDI policy) के हिसाब से वह निवेश कर सकता है. सरकार ने इसके तहत अलग-अलग सेक्टर्स में अलग-अलग प्रतिशत तक निवेश की अनुमति दी है. कुछ सेक्टर में ऑटोमेटिक रूट से निवेश की अनुमति होती है यानि इसके लिए सरकार की परमिशन की जरूरत नहीं होती. वहीं कुछ सेक्टर में सरकार के अप्रूवल की जरूरत होती है.

कुछ सेक्टर में ऐसा भी है कि 49% तक निवेश की ऑटोमेटिक रूट से अनुमति है. जैसे इंश्योरेंस के लिए, वहीं कुछ सेक्टर जैसे ऑटोमोबाइल में 100% ऑटोमेटिक रूट से निवेश की अनुमति है. वहीं डिफेंस, स्पेस जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों के सेक्टर्स में कड़ी पाबंदी के साथ-साथ सरकार की अनुमति के बिना निवेश नहीं होता. वर्तमान में सरकार ने जो बदलाव किया है उसमें चीन पाकिस्तान बांग्लादेश  की कंपनियों का निवेश भी आ जाता है.