पंजाब के किसान प्रदर्शनकारियों से मिलने को अमित शाह ने संभाली कमान

अमित शाह ने कहा कि पंजाब की सीमा से लेकर दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर रोड पर अलग-अलग किसान यूनियन की अपील पर आज जो किसान भाई अपना आंदोलन कर रहे हैं, उन सभी से मैं अपील करना चाहता हूं कि भारत सरकार आपसे चर्चा के लिए तैयार है. गृह मंत्री ने ये भी कहा कि अगर किसान 3 दिसंबर से पहले बात करना चाहते हैं तो सरकार इसके लिए भी तैयार है. 

चंडीगढ़/ नयी दिल्ली :

केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे और पंजाब-हरियाणा से दिल्ली की ओर मार्च कर रहे किसानों से गृह मंत्री अमित शाह ने अपील की है। गृह मंत्री ने कहा, “मैं प्रदर्शनकारी किसानों से अपील करता हूँ कि भारत सरकार बातचीत करने के लिए तैयार है। कृषि मंत्री ने उन्हें 3 दिसंबर को चर्चा के लिए आमंत्रित किया है। सरकार किसानों की हर समस्या और माँग पर विचार करने के लिए तैयार है।”

अमित शाह ने ANI से बातचीत में कहा, “कृपया शांतिपूर्ण तरीके से अपने आंदोलन को जारी रखें। हम आपसे जरूर बात करेंगे। सरकार आपसे हमेशा बात करने के लिए तैयार है। एक बार जब आप अपना आंदोलन उस मैदान पर स्थानांतरित कर देंगे, तो भारत सरकार आपसे अगले दिन बात करने के लिए तैयार है। यदि किसान संघ 3 दिसंबर से पहले चर्चा करना चाहते हैं, तो मैं आप सभी को आश्वस्त करना चाहता हूँ कि जैसे ही आप अपना विरोध प्रदर्शन मैदान पर स्थानांतरित कर देंगे, हमारी सरकार अगले दिन आपकी चिंताओं को दूर करने के लिए वार्ता करेगी।”

उन्होंने आगे कहा, “मैं सभी से अपील करना चाहता हूँ कि दिल्ली पुलिस आपकी मदद करने के लिए तैयार है और आप बुराड़ी के मैदान में अपना विरोध-प्रदर्शन जारी रख सकते हैं। दिल्ली पुलिस एक बड़े मैदान में आप सभी को स्थानांतरित करने के लिए तैयार है। आपको शौचालय की सुविधा प्रदान की जाएगी, पीने का पानी, एम्बुलेंस आपको प्रदान किया जाएगा। किसानों से अनुरोध है कि वो राष्ट्रीय राजमार्गों पर न बैठें। कई स्थानों पर, किसान इस ठंड में अपने ट्रैक्टरों और ट्रोलियों के साथ रह रहे हैं।”

गृह मंत्री ने कहा कि अगर किसान चाहते हैं कि भारत सरकार जल्द बात करे, 3 दिसंबर से पहले बात करे, तो मेरा आपको आश्वासन है कि जैसी ही आप निर्धारित स्थान पर स्थानांतरित हो जाते हैं, उसके दूसरे ही दिन भारत सरकार आपकी समस्याओं और माँगों पर बातचीत के लिए तैयार है।

बता दें कि किसान सरकार से कृषि कानूनों को वापस लेने की माँग कर रहे हैं। वे सड़क पर उतरे हैं। पंजाब की सीमा से लेकर दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर उनका आंदोलन जारी है। किसानों की माँग है कि उन्हें जंतर मंतर पर प्रदर्शन करने की इजाजत दी जाए। लेकिन सरकार उन्हें दिल्ली के बुराड़ी स्थित निरंकारी ग्राउंड पर प्रदर्शन करने की इजाजत दी है। किसान इस पर राजी नहीं हैं। वे सिंधु बॉर्डर पर डटे हैं। इस प्रदर्शन में खालिस्तान समर्थक, पीएफआई और कॉन्ग्रेस के लिंक सामने आए हैं।

सेक्टर -1 कॉलेज ने बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट पर किया व्याख्यान का आयोजन

कोविड -19 के चलते अपशिष्ट प्रबंधन है समय की मांग: डॉ मिश्रा

पंचकूला, नवंबर 28,2020:

गवर्नमेंट स्नातकोत्तर कॉलेज, सेक्टर-1 के वनस्पति विज्ञान विभाग ने कोविड-19 के दौरान बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट पर एक व्याख्यान का आयोजन किया। कॉलेज की प्राचार्या, डॉ अर्चना मिश्रा ने कार्यक्रम का औपचारिक आरंभ किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि वेस्ट मैनेजमेंट समय की जरूरत है। बतौर पर्यावरणविद् उन्होंने कोविड -19 के कठोर परिणामों के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कोविड की समस्या ने प्रयोग करने के बाद फेंकी जाने वाली पी पी ई किट और वन टाइम यूज प्लास्टिक के कारण होने वाले अपशिष्ट उत्पादन को एक पर्यावरणीय मुद्दे में बदल दिया है।

गवर्नमेंट कॉलेज, गुरुग्राम से डॉ मानसी ने अपने व्याख्यान में खतरनाक और गैर खतरनाक कचरे के बारे में बताया। उन्होंने मुख्य रूप से कोविड समर्पित अस्पतालों, अलगाव केंद्रों और अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं से उत्पन्न जैव कचरे के बारे में चिंता जताई। डॉ मानसी ने कोविड -19 महामारी के दौरान बायोमेडिकल कचरे को निपटाने की आवश्यकता और कठिनाई पर जोर दिया। उन्होंने खतरनाक चिकित्सा अपशिष्ट के पर्यावरण में फैलने से पहले निवारण पर जोर दिया। उन्होंने अपशिष्ट प्रबंधन के लिए अपनाए जाने वाली विभिन्न युक्तियों के बारे में बताया। डॉ मानसी ने विद्यार्थियों को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों के बारे में जागरूक किया और कम से कम मेडिकल वेस्ट का उत्पादन करने के लिए डिस्पोजेबल मेडिकल सामान के उपयोग को कम करने के तरीके भी बताए।

आयोजन के दौरान डॉ नीलम मंडल, डॉ ऋचा सेतिया, डॉ भूपिंदर कौर, डॉ नीरज और विनय कुमार उपस्थित थे। व्याख्यान के दौरान 80 से अधिक छात्रों ने ऑनलाइन माध्यम से भाग लिया और विषय के संदर्भ में अपने विचार रखे।

जब इंदिरा ठोक दी तो मोदी की छाती भी ठोक देंगे: प्रदर्शनकारी किसान

क्या सत्ता की चाह में कांग्रेस इतना गिर गई है कि वो पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या करने वाले खालिस्तान समर्थकों के साथ खड़ी हो गई है। कांग्रेस की ऐसी क्या मजबूरी है कि वो खालिस्तान समर्थकों का समर्थन ले रही है। किसान आंदोलन में शामिल ज्यादातर प्रदर्शकारी खालिस्तान समर्थक नारे लगा रहे हैं और भिंडरावाले का पोस्टर-बैनर लेकर चल रहे हैं। प्रदर्शनकारी अपने साथ डंडे लाठी लेकर चल रहे हैं। रास्ते में उत्पात मचा रहे हैं। तोड़फोड़ कर रहे हैं। आंदोलनरत किसानों के ऐसे वीडियो भी वायरल हो रहे हैं जिसमें वे कह रहे हैं कि हमारे शहीद उधम सिंह कनाडा की धरती पर जाकर उन्हें ठोक सकते हैं तो दिल्ली कुछ भी नहीं है हमारे लिए। जब इंदिरा ठोक दी तो मोदी की छाती भी ठोक देंगे।

चंडीगढ़/नयी दिल्ली:

केंद्र सरकार द्वारा 3 कृषि सुधार विधेयक कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन-कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 पारित किए जाने के बाद से किसानों का प्रदर्शन जारी है। इन विधेयकों को लेकर आने का उद्देश्य यह था कि मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी सोच ‘एक भारत, एक कृषि बाज़ार’ को साकार किया जा सके। इस क़ानून का उद्देश्य एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमेटी (APMC) के एकछत्र राज को ख़त्म किया जा सके। 

विधेयक का उद्देश्य बिचौलियों को हटाना, किसानों का सशक्तिकरण और उनकी आय बढ़ाना था लेकिन पंजाब के किसान इससे खुश नहीं थे। जैसे ही यह विधेयक पारित हुआ उसके बाद आम आदमी पार्टी, कॉन्ग्रेस और तमाम वामपंथियों ने इसके संबंध में दुष्प्रचार करना शुरू कर दिया। जैसे ही विधेयक जुड़े दुष्प्रचार का दायरा बढ़ा उसके बाद ही पंजाब और हरियाणा के अनेक क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। 

लगभग दो दर्जन से अधिक किसान संगठनों ने इस विधेयक का विरोध करना शुरू कर दिया जिसमें भारतीय किसान यूनियन (BKU), ऑल इंडिया फार्मर यूनियन (AIFU), ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोआर्डिनेशन कमेटी (AIKSCC) और ऑल इंडिया किसान महासंघ शामिल थे। इन सभी संगठनों ने 18 राजनीतिक दलों के विरोध के बावजूद संसद में पारित किए गए इस विधेयक का विरोध करने के लिए 25 सितंबर को ‘भारत बंद’ का ऐलान किया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ पंजाब और हरियाणा के लगभग 31 किसान संगठन पहले ही इसका विरोध कर रहे थे और बाद में राजनीतिक दलों ने उनके साथ मिल कर बंद का आह्वान किया। 

क्या कैप्टन अमरिंदर सिंह के किसान SFJ से प्रेरित हैं?

इस विरोध का सबसे ज्यादा प्रभाव देखने को मिला पंजाब में जहाँ के किसानों ने पूरा जोर लगा कर सीमा पार की और दिल्ली पहुँचे। इस विरोध प्रदर्शन के दौरान कई मौकों पर हिंसा भी नज़र आई और खालिस्तान के समर्थन में नारे भी लगाए गए। हरियाणा और पंजाब बॉर्डर के आस-पास विरोध प्रदर्शन के दौरान खालिस्तान समर्थक और भारत विरोधी नारे लगाए जाने के बाद सिख फॉर जस्टिस (SFJ) की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं। इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि पंजाब के किसानों को मोदी सरकार के विरुद्ध भड़काने में इनका हाथ भी हो सकता है।          

जैसे इंदिरा गाँधी को ठोका वैसे ही नरेंद्र मोदी को भी ठोक देंगे

तमाम जानकारियों के सामने आने बाद SFJ की संदिग्ध भूमिका को लेकर जाँच शुरू हो चुकी है। साथ ही इस बात की संभावना जताई जा रही है कि किसान आंदोलन पर खालिस्तान समर्थक ताकतों ने कब्ज़ा कर लिया है। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान प्रायोजित SFJ पहले इस बात का ऐलान कर चुका है कि वह खालिस्तान का समर्थन करने वाले पंजाब और हरियाणा के किसानों को 1 मिलियन डॉलर की आर्थिक मदद करेगा। 23 सितंबर को सामने आई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ SFJ ने क़र्ज़ लेने वाले किसानों के बीच 1 मिलियन डॉलर बाँटने का ऐलान करके किसानों के विरोध प्रदर्शन का फायदा उठाने का प्रयास किया था। 

SFJ ने कहा था, “कोई भी किसान चाहे वह किसी भी धर्म का क्यों हो, 1 से 8 अक्टूबर के बीच खालिस्तान जनमत संग्रह के लिए 25 मतों का पंजीयन करा सकता है। इसके बदले में उसे 5 हज़ार रुपए का आर्थिक सहयोग मिलेगा जिससे वह अपना क़र्ज़ चुका सकता है।” यह जानकारी खुफ़िया एजेंसियों को मिले इनपुट पर आधारित है। केंद्र सरकार के कृषि सुधार विधेयकों को किसानों की ज़मीन छीनने का औपनिवेशिक एजेंडा बताते हुए SFJ के जनरल काउंसल गुरपटवंत सिंह पन्नू ने किसानों को मोदी सरकार के विरुद्ध भड़काने का प्रयास किया था। उसका यहाँ तक कहना था कि मोदी सरकार पंजाब और हरियाणा के किसानों को लाचार करना चाहती है। SFJ ने इसमें हरियाणा के किसानों को भी शामिल किया था क्योंकि वह हरियाणा को भी खालिस्तान का हिस्सा मानते हैं। 

SFJ का डोर टू डोर अभियान, सिखों को खालिस्तान आंदोलन का हिस्सा बनने का लालच

इस साल के सितंबर महीने में SFJ ने डोर टू डोर अभियान का ऐलान किया था जिसमें वह अपने अलगाववादी एजेंडे ‘जनमत संग्रह 2020’ (Referendum 2010) का समर्थन करने वालों का पंजीयन करा रहे थे। इस घोषणा के बाद खुफ़िया और आतंकवाद विरोधी एजेंसियों ने प्रदेश की लॉ एनफोर्समेंट एजेंसियों को सूचित कर दिया था। लेकिन पंजाब की कॉन्ग्रेस सरकार इतने गंभीर मुद्दे पर बिलकुल भी सक्रिय नहीं नज़र आई। 

जब SFJ खालिस्तान समर्थकों को इकट्ठा नहीं कर पाया तब वह नई योजना लेकर आया जिसके तहत उसने कनाडा और रूस के पोर्टल के मदद से जनमत संग्रह 2020 के लिए एक हज़ार एम्बेसडर नियुक्त करने का ऐलान किया। इन एम्बेसडर को SFJ की ओर से 7500 रुपए की मासिक आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। SFJ ने 21 सितंबर को लगभग 30 दिनों के भीतर पंजाब के 12000 गाँवों को कवर करने की योजना बनाई थी। 

इसके पहले खालिस्तान समर्थक संगठन ने पंजाब के किसानों को 3500 रुपए का लालच देकर जनमत संग्रह का समर्थन कराने का प्रयास किया था। संगठन का कहना था कि जो किसान अपना क़र्ज़ नहीं लौटा पा रहे हैं, SFJ उनकी हर महीने आर्थिक सहायता करेगा। एनआईए के सुझाव के बाद गृह मंत्रालय ने इसके विरुद्ध जाँच के आदेश दिए थे। गृह मंत्रालय ने SFJ को गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के दायरे में पाया था और इसके तमाम नेताओं को आतंकवादी घोषित किया गया था। 

खालिस्तानी तत्वों का प्रदर्शन पर कब्जा 

इसके अलावा किसान आंदोलन का एक और हैरान करने वाला पहलू सामने आया था। कथित तौर पर ऐसी तमाम तस्वीरें और वीडियो सामने आए जिसमें प्रदर्शन के दौरान खालिस्तान के समर्थन की बात सामने आ रही थी। इसी तरह का एक वीडियो सामने आया था जिसमें एक तथाकथित किसान द्वारा स्पष्ट तौर पर यह कहते हुए सुना जा सकता है कि जैसे इंदिरा गाँधी को ठोका वैसे ही नरेंद्र मोदी को भी ठोक देंगे।

हैदराबाद को भाग्यनगर बनाने के लिए आया हूं, ओवैसी के गढ़ में गरजे योगी

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कुछ लोग पूछ रहे थे कि क्या हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर किया जाएगा?  मैंने कहा- क्यों नहीं, बीजेपी के सत्ता में आने के बाद जब फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या हो गया, इलाहाबाद का नाम प्रयागराज हो गया तो फिर हैदराबाद का नाम भाग्यनगर क्यों नहीं हो सकता है.” उन्होंने आगे कहा कि ”मैं जानता हूं कि यहां कि सरकार एक तरफ जनता के साथ लूट खसोट कर रही है तो वहीं, AIMIM के बहकावे में आकर बीजेपी कार्यकर्ताओं  का उत्पीड़न कर रही है.” उन्होंने कहा कि इन लोगों के खिलाफ नई लड़ाई लड़ने के लिए आप लोगों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए भगवान श्री राम की धरती से मैं स्वंय यहां आया हूं.”

हैदराबाद/दिल्ली:

बिहार विधानसभा में शानदार प्रदर्शन के बाद भारतीय जनता पार्टी की निगाह अब तेलंगाना तथा पश्चिम बंगाल पर भी है। इसके लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मोर्चे पर हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ शनिवार को तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में निकाय चुनाव (ग्रेटर हैदराबाद म्युनिसिपिल कॉर्पोरेशन) में मलकजगिरी इलाके में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों के पक्ष में सभा के साथ एक रोड शो किया। 

एक दर्जन राज्यों में चुनाव प्रचार कर चुके योगी

विधानसभा की तैयारी में बीजेपी:

हैदराबाद निकाय चुनाव में चार प्रमुख पार्टियां हिस्सा ले रही हैं, टीआरएस, कांग्रेस,AIMIM और बीजेपी, मगर असली जंग बीजेपी और AIMIM के बीच ही दिख रही है. अब सवाल उठता है कि बिहार में AIMIM एऩडीए गठबंधन का स्पीकर चुनने में सहयोग देती है तो फिर यहां तल्खी क्यों हैं? दरअसल, बीजेपी को लगता है कि कर्नाटक के बाद तेलंगाना ही वो राज्य है, जहां वो अपनी पैठ बना सकती है.यहां कांग्रेस कमजोर है, चंद्रबाबू नायडू से लोग खफा हैं, टीआरएस मजबूत जरूर है,लेकिन अगर बीजेपी ओवैसी को उन्हीं के गढ़ में मात देने में सफल होती है तो विधानसभा चुनावों के लिए उसकी ताकत और बढ़ेगी. ऐसे में माना जा रहा है कि निकाय चुनावों में बीजेपी का दम असल में विधानसभा चुनावों की आगामी तैयारी है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के तेलंगाना के रोड शो में शनिवार (नवंबर 28, 2020) को भारी भीड़ उमड़ी। सीएम योगी आदित्यनाथ हैदराबाद में एक दिसंबर को होने वाले निकाय चुनाव (ग्रेटर हैदराबाद म्युनिसिपिल कॉर्पोरेशन) भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों के पक्ष में रोड शो तथा जनसभा करने के लिए हैदराबाद में हैं। 

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज शाम को हैदराबाद के मलकजगिरी क्षेत्र में एक रोड शो किया। इस दौरान ‘जय श्री राम’ के नारे लगे और साथ ही सुपरहिट फिल्म बाहुबली का गाना ‘जियो रे बाहुबली’ भी रोड शो में बजता दिखा। सीएम योगी के रोड शो के में- ‘आया आया शेर आया…. राम लक्ष्मण जानकी, जय बोलो हनुमान की’, योगी-योगी, जय श्री राम, भारत माता की जय और वंदे मातरम के भी गगनभेदी नारे लगाए गए।

रोड शो के बाद जनसभा को संबोधित करते हुए सीएम योगी ने कहा, “पीएम नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में गृह मंत्री अमित शाह ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करते हुए हैदराबाद और तेलंगाना के लोगों को जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने की पूरी आजादी दी।”

CM योगी ने कहा, “बिहार में, AIMIM के एक नव-निर्वाचित विधायक ने शपथ ग्रहण के दौरान ‘हिंदुस्तान’ शब्द का उच्चारण करने से इनकार कर दिया। वे हिंदुस्तान में रहेंगे, लेकिन जब हिंदुस्तान के नाम पर शपथ लेने की बात आती है, तो वे संकोच करते हैं। यह AIMIM का असली चेहरा दिखाता है।”

ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव के लिए मतदान एक दिसंबर को होगा। सीएम योगी ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम के 150 वार्डों के लिए होने वाले चुनावों में प्रचार किया। सीएम योगी आदित्यनाथ के हैदराबाद में चुनाव प्रचार को एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी को सीधी चुनौती देने के रूप में देखा जा रहा है।

मुख्य मुकाबला BJP-TRS में, कांग्रेस तीसरी पार्टी

ओवैसी ने यहाँ पर चुनाव में 51 प्रत्याशी उतारे हैं। हैदराबाद नगर निगम चुनाव में भी असदुद्दीन ओवैसी ने पुराने हैदराबाद के इलाके की सीटों पर अपनी पार्टी के प्रत्याशी उतारे हैं, जिनमें से पाँच टिकट हिंदुओं को दिए गए हैं। ओवैसी के 10 फीसदी प्रत्याशी हिंदू समुदाय के हैं। ओवैसी की पार्टी के हिंदू समुदाय के प्रत्याशी उन सीटों पर हैं, जहाँ पर हिंदू-मुस्लिम आबादी करीब-करीब बराबर यानी 50-50 फीसदी है और यहाँ विधानसभा सीट पर भी ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के विधायकों का कब्जा है।

गौरतलब है कि सीएम योगी के रोड शो से पहले ओवैसी ने कहा था कि अगर बीजेपी सर्जिकल स्ट्राइक करेगी तो एक दिसंबर को वोटर्स डेमोक्रेटिक स्ट्राइक करेंगे। ओवैसी ने किसानों के मुद्दे पर भी केंद्र की मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया था दिल्ली में किसानों के प्रदर्शन का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि किसानों के ऊपर ठंड में पानी डाला गया, यह सरकार हर मोर्चे पर फेल है।

गुडग़ांव में चंडीगढ़ पुलिस के इंस्पेक्टर की वकील बेटी ऋतु शर्मा की हत्या

  बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, सिर्फ कहने भर को ही है। बेटियां बचती कहां हैं? कहां तक बचाएं? हर शहर , हर गली कूचे में हैवान घूम रहे हैं। मेरी बहन के साथ तो एक बार ही रेप हुआ,लेकिन पिछले चार महीने से मेरे साथ हर रोज रेप हो रहा है। इतना कहते ही बिलख पड़ा पीड़ित बहन का लाचार भाई। आज उसने बहन के जन्मदिन पर हवन और शांति पाठ कराया, वह भी संंकट मोचन को साक्षी मानते हुए उनकी विशाल मूर्ती के सामने।

इंसाफ के लिए हवन:बहन के जन्मदिन पर बिलख पड़ा युवक; बोला, उससे तो एक दिन रेप हुआ, चार महीने से हमारा रोज हाे रहा

  • योजनाबद्घ तरीके से की हत्या को बनाया खुदकुशी की घटना-ऋतु की जांघ और पेट पर चोट के निशान, रेप भी हुआ लेकिन पुलिस जांच में कई लापरवाही
  • 10 अगस्त 2020 को हत्या लेकिन पुलिस के कब्जे में मौजूद मोबाइल से 22 अगस्त 2020 को हटाई गई डिस्पले पिक्चर (डीपी)
  • पुलिस और फॉरेंसिक टीम द्वारा घटनास्थल से उठाए फिंगर प्रिंट्स समेत अन्य साक्ष्यों की नहीं दी गई जानकारी
  • ऋतु के कमरे के सामने वाले फ्लैट में सीसीटीवी कैमरे लगे मिले लेकिन वारदात के दिन की फुटेज डिलीट
  • हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने दिया न्याय का भरोसा

चंडीगढ़:

चंडीगढ़ पुलिस के सेवानिवृत इंस्पेक्टर विष्णु दत्त की बेटी एवं एडवोकेट ऋतु शर्मा(28) की हत्या को गुरुग्राम पुलिस खुदकुशी की घटना दिखाने के प्रयास में जुटी है। ऋतु की हत्या 10 अगस्त 2020 को गुरुग्राम के सेक्टर-38, मकान नंबर-1198 की पहली मंजिल पर की गई। उसका शव कमरे के साथ बने बाथरूम में फव्वारे से बंधी चुन्नी के फंदे से लटका मिला बताया गया। लेकिन ऋतु की जांघ और पेट पर चोट के निशान मौजूद थे। पुलिसकर्मियों ने शुरूआती बातचीत में उससे रेप होने का भी शक जताया था।

पुलिस के कब्जे में मौजूद मोबाइल से 12वें दिन किन कारणों से हटाई गई डीपी10 अगस्त 2020 की इस वारदात के बाद पुलिस ने ऋतु के मोबाइल को कब्जे में लिया। लेकिन 22 अगस्त 2020 को मोबाइल की जांच से पूर्व ही उसकी डिस्पले पिक्चर (डीपी) को हटा दिया गया।

मौके से उठाए फिंगर प्रिंट्स व अन्य साक्ष्यों की नहीं दी जानकारीबहन को न्याय दिलाने के लिए ऋतु के बड़े भाई चंडीगढ़ के सेक्टर-46 स्थित सरकारी स्कूल के काउंसलर, अजय शर्मा लगातार गुरुग्राम थाना पुलिस समेत अन्य अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन स्थानीय पुलिस और फॉरेंसिक टीम द्वारा उन्हें अब तक यह नहीं बताया जा रहा कि पुलिस द्वारा घटनास्थल से फिंगर प्रिंट्स उठाए भी गए या नहीं। साथ ही मौके से अन्य किस किस प्रकार के साक्ष्य जुटाए गए, इस संबंध में भी कोई जानकारी नहीं दी गई है। पुलिस मामले में लगातार लापरवाही करती आ रही है।

सामने के मकान में सीसीटीवी कैमरे लेकिन फुटेज मिली डिलीटगुरुग्राम के जिस मकान में ऋतु रहती थी, उसके सामने के मकान में सीसीटीवी कैमरे लगे मिले। वहां लगा एक कैमरा ऋतु के घर के प्रवेश द्वार के हिस्से को सर्विलांस करता है। लेकिन पुलिस द्वारा उस कैमरे में कैद हत्या के दिन की फुटेज को हासिल नहीं किया गया। क्या पुलिस द्वारा सामान्य प्रक्रिया में की जा रही ऐसी लापरवाही पर किसी उच्चाधिकारी द्वारा कोई दाण्डिक प्रक्रिया का प्रावधान नहीं है।

एसआइटी ने लटकाई मामले की जांचइंसाफ की गुहार लगाने पर उच्चाधिकारियों ने 30 अक्तुबर को बताया कि मामले की जांच के लिए एसीपी अमन यादव के नेतृत्व में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम, एसआइटी गठित की गई है। लेकिन एसआइटी द्वारा अब तक ऋतु के किसी भी पारिवारिक सदस्य के बयान तक दर्ज नहीं किए गए हैं। इसके अलावा एसआइटी अपने स्तर पर भी किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुंची है। इस संबंध में एसीपी अमन यादव को कई बार फोन किए गए और मामले की जांच के संबंध में पूछना चाहा। लेकिन वह पहले व्यस्त होने की बात कहते रहे और अब उनके द्वारा फोन कॉल के जवाब देने भी बंद किए जा चुके हैं। यहां तक की वह व्हाट्स एप पर भेजे गए संदेशों का भी कोई जवाब नहीं दे रहे हैं। यह कैसी एसआइटी है, जो जांच के बजाय मामले को भूलकर बैठी है।

चंडीगढ़ आकर ऋतु का लेपटॉप ले गई गुरुग्राम पुलिसगुरुग्राम के सदर थाने का कांस्टेबल सुमित कुमार 03 नवंबर 2020 को ऋतु के पिता सेवानिवृत इंस्पेक्टर, विष्णु दत्त के चंडीगढ़, सेक्टर-20, मकान नंबर-2452 में सादे कपड़ो में पहुंचा। कांस्टेबल सुमित मामले में सबुत हासिल करने का हवाला देकर घर से ऋतु को लेपटॉप ले गया। अब वह लेपटॉप कहां है, इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी जा रही है।

घर आकर धमका गए कुछ अनजान लोग

इस मामले में 10 अक्तुबर और 18 अक्तुबर को कुछ अनजान लोगों द्वारा ऋतु के चंडीगढ़ के सेक्टर-20 निवासी परिजनों को उनके घर पहुंचकर धमकाया गया। इस संबंध में परिवार द्वारा चंडीगढ़ के सेक्टर-19 स्थित पुलिस थाना समेत सेक्टर-9 स्थित पब्लिक विंडो पर भी शिकायत दी गई है। लेकिन इस संबंध में चंडीगढ़ पुलिस द्वारा भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इस कारण ऋतु का परिवार जान को खतरा महसुस कर रहा है और मामले की पैरवी के संबंध में गुरुग्राम जाने से भी डरा हुआ है।

पुलिस फाइलें, पंचकूला – 28 नवंबर

28 नवम्बर 2020

राजीव कालौनी पचंकूला में हुई चाकू से मारने बारे हुई वारदात के मामलें मे पुलिस ने आरोपियो को किया गिरप्तार

प्राप्त जानकारी के अनुसार दिनाक 28.11.2020 को शिकायतकर्ता शिवशंकर पुत्र श्री रामसुन्दर यादव वासी मौली जागरा कम्पलैक्स चण्डीगढ कि शिकायतकर्ता का छोटा भाई रविशंकर उम्र 30 साल जो की राजीव कालोनी मे मीट की दुकान पर काम करता था अभी अविवाहित था कि हमे कुछ लडको ने घर पर आकर सुचना दी कि मेरे भाई रविशंकर को किसी ने चाकू मार दिया है और वह घायल अवस्था मे राजीव कलोनी की गली मे पडा था जिसको पुलिस उठाकर सै0 6 सरकारी हस्पताल ले गई जिस पर मै अपने पिता श्यामसुन्दर के साथ GH SEC 6 पंचकुला पहुंचा जहा पर पता चला कि मेरे भाई की चाकू लगने से मौत हो गई और एमरजैसी मे अब भी उसकी पीठ मे चाकू घुसा हुआ था उसके बाद हम फिर मौका पर आए औऱ आस पडौस मे पता किया जो मालूम हुआ कि दीपु वासी राजीव कलोनी सै0 17 पंचकुला की सुधीर S/O हरिचन्द वासी राजीव कलोनी के साथ किसी बात पर रजिंश थी उसने समय करीब 10.15/10.30 बजे रात चाकू से जान से मारने की नीयत से मेरे भाई रविशंकर के उपर वार किया औऱ इसी झगडा मे दीपु वासी राजीव कलोनी को भी गम्भीर चोटे आई है जो जिस बारे थाना सैक्टर 14 पचंकूला मे शिकायत प्राप्त होने पर अभियोग न 0 299 दिनांक 28 – 11 – 2020 धारा 307 , 302 IPC थाना सै 0 14 पंचकुला दर्ज रजिस्टर किया अभियोग में कार्यावाही करते हुए आरोपीयो को गिरप्तार कर लिया गया जो गिरफ्तार किये गये आरोपियों की पहचान सुधीर S/O हरिचन्द वासी राजीव कलोनी के रुप में हुई जो आरोपियो को कल दिनाक 29.11.2020 को माननीय पेश अदालत किया जायेगा ।

क्राईम ब्रांच पचंकूला ने बाईक चोरो गिरफ्तार करके एक को रिमाण्ड पर लिया व एक को भेजा जेल

                           प्राप्त जानकारी के पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बतलाया कि पुलिस उपायुक्त पचंकूला ने चोरी की वारदातो पर लगाम देने के लिए सख्ताई करतेहु हुए जिला पचंकूला के सभी थाना व पुलिस चौकी व क्राईम ब्रांच शाखाओ को निर्देश चोरी की वारदातो पर अकुंश लगाने के लिए जल्द से जल्द कार्यवाही करने हेतु निर्देश दिये गये है जिन निर्देशो की पालना करते हुए क्राईम ब्राचं सैक्टर 26 पचंकूला ने कार्यवाही करते हुए । आरोपी को बाईक चोरी करने के आरोप में आरोपीयो को गिरप्तार किया गया । जो गिरप्तार किये गये आरोपीयो की पहचान राजीव पुत्र बाबू मयूर वासी हरु नगँला जिला बदायु उतर प्रदेश के जिसको माननीय पेश अदालत दो दिन का पुलिस रिमाण्ड प्राप्त किया गया तथा दुसरे आरोपी गुरप्रीत पुत्र जोगिन्द्र सिह वासी नाडा साहिब पचंकूला के गिरफ्तार करके माननीय पेश अदालात न्यायिक हिरासत भेजा गया

                        प्राप्त जानकारी के अनुसार दिनाक 19.11.2020 को शिकायतकर्ता विकास कुमार वासी सैक्टर 26 पचंकूला ने पुलिस थाना चण्डीमन्दिर मे शिकायत दर्ज करवाई कि वह एच.डी.एफ.सी बैकं में कार्यक्रत है जब वह दिनाक 17.11.2020 को शाम 7.00 बजे घर आया तो अपने घर के सामने मोटरसाईकिल अपाछे टी.वी.एस . घर के बाहर खडी कर दी जो शिकायतकर्ता ने सुबह उठकर देखा तो उसकी बाईक वह पर नही थी जिस बारे आनलाईल शिकायत प्राप्त होने पर पुलिस थाना चण्डीमन्दिर में शिकायत प्राप्त होने पर अभियोग दर्ज करके धारा 379 भा.द.स के तहत कार्यवाही की गई । जिस अभियोग की जांच क्राईम ब्राचं सैक्टर 26 पचंकूला के द्वारा अमल मे लाई गई । जिस अभियोग में क्राईम ब्रांच सैक्टर 26 ने ततपर्ता से कार्यवाही करते हुए आरोपी को गिरफ्तार करके माननीय पेश अदालत कार्यवाही की गई ।

डिटैक्टिव स्टाफ पचंकूला ने उदघोषित अपराधियो के खिलाफ चलाये गये अभियान  के तहत उदघोषित अपराधी को किया काबू ।

                           प्राप्त जानकारी के पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बतलाया कि पुलिस उपायुक्त पचंकूला ने लम्बित अभियोग में लम्बित अपराधियो को जल्द से जल्द पकडने हेतु अभियान चलाया गया है जिस अभियान की पालना करते हुए डिटैक्टिव स्टाफ पचंकूला की टीम ने मुस्तैदी से कार्यवाही करते हुए दिनाक 27.11.2020 को उदघोषित अपराधी को गिरफ्तार किया गया । गिरप्तार किये गये आरोपी की पहचान जरनैल सिह पुत्र सुरेन्द्र सिह वी चावला कालौनी नालागढ रोड पिन्जौर पचंकूला के रुप में हुई ।

                        प्राप्त जानकारी के अनुसार दिनांक 27.11.2020 को  डिटैक्टिव स्टाफ पचंकूला की टीम को मुखबर खास ने सूचना दी की । उपरोक्त उदघोषित अपराधी जो हिमशिखा कालौनी पिन्जौर पंचकूला में देखा है तभी डिटैक्टिव स्टाफ पचंकूला की टीम नें मौका पर पहुँच कर मुखबर खास ने ईशारा करके बतलाया कि जो सरदार व्यक्ति हल्के जामनी रंग की पगडी पहने गोल मार्किट के सिडियाँ के पास खडा है। वह जरनैल सिहँ है जिस व्यकित को काबू करके पुछताछ की गई जिसने अपना नाम जरनैल सिहँ पुत्र श्री सुरेन्द्र सिहँ वासी चावला कॉलोनी नालागढ रोड पिंजौर थाना पिंजौर जिला पंचकुला बतलाया । जिसने माननीय अदालत श्रीमति दिक्षा दास रंगा SDJM कालका की अदालत मे हाजिर ना होकर माननीय अदालत के आदेशो की अवहेलना करके जुर्म जेर धारा 174A IPC का किया है । जिसके खिलाफ थाना पिन्जौर अभियोग दर्ज किया जाकर अभियोग में आगामी तफतीश हेतु कार्यवाही करते हुए । डिटैक्टिव स्टाफ पचंकूला ने कार्यवाही करते हुए आरोपी को गिरफ्तार करके कार्यवाही की गई ।

डिटैक्टिव स्टाफ पचंकूला की टीम ने नशीला पदार्थ गांजा 224 ग्राम सहित आरोपी को किया काबू ।

                           प्राप्त जानकारी के पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बतलाया कि पुलिस उपायुक्त पचंकूला ने नशे के तशकरो पर लगाम देते हुए तथा नशे की रोकथाम हेतु जागरुक बारे अभियान चलाय हुआ है जिस अभियान के डिटैक्टिव स्टाफ पचंकूला की टीम नें कार्यवाही करते हुए अवैध नशीला पदार्थ के जुर्म में आरोपी को गिरफ्तार किया गया । जो गिरप्तार किये गये आरोपी की पहचान ललित कुमार पुत्र रोहताश कुमार वासी गाँव मौली जाँगरा चण्डीगढ के रुप में हुई ।

                       प्राप्त जानकारी के अनुसार दिनांक 27.11.2020 को  डिटैक्टिव स्टाफ चण्डीमन्दिर पंचकुला की टीम चोरियो के सम्बन्ध में गश्त वा पडताल करते हुए सैक्टर 15,16,17 पचंकूला से बैल फैक्ट्री से बुडनपुर वाली सडक से गांव बुडनपुर की तरफ से मेन स़डक  पर सैक्टर 16 पंचकुला की तरफ मौजूद थे तभी सैक्टर 16 पचंकूला की तरफ एक नौजवान लडके को पैदल आता दिखाई जो की पुलिस की गाडी को देखकर वापिस तेज मुडकर तेज कदमो से वापिस गांव बुडनपुर की तरफ जाने लगा । जिस पर शक की बुनाह पर साथी मुलाजमान की सहायता से गाडी से नीचे उतकर नौजवान लडके को संदेहजनक होने पर काबू किया । उसका नाम पता पुछा गया जिस पर उसने अपना नाम ललित कुमार पुत्र रोहताश कुमार वासी मौली पिंड थाना मौली जागरा यू.टी. चण्डीगढ बतलाया तभी ललित कुमार ने अपने दाहिने हाथ मे लिए कैरी बैग बां रग सफेद को फेकने की कोशिश की जिसको को काबू करके कैरी बैग को काबू करके खोलकर चैक किया । कैरी बैग बारंग सफेद मे हरे रंग का सुखा हुआ पदार्थ मिला जो कैरी बैग से मिले पदार्थ को सूंघने व अनुभव के आधार पर नशीला पदार्थ गांजा मालूम हुआ जिसको नशीला पदार्थ गांजा रखने बारे कोई लाईसैंस  व परमिट पेश करने बारे कहा जो कोई लाइसैंस व परमिट पेश न कर सका । जिसका  इलैक्ट्रानिक वजन करने पर वजन 224 ग्राम हुआ । जो आरोपी के खिलाफ धारा 20-61-85 एन.डी.पी.एस एक्ट के तहत अभियोग दर्ज करके आरोपी को गिरफ्तार करके कार्यवाही की गई ।

चाचा भतीजे की लड़ाई में आम आदमी क्यो पीसे? : चंद्रमोहन

— पूर्व डिप्टी सीएम ने कहा,बिना किसी विलम्ब के रद्द करें जिला पंचकूला के विनियमन एक्ट की अधिसूचना
— जिला पंचकूला के साथ सौतेला व्यवहार असहनीय : पूर्व डिप्टी सीएम चंद्रमोहन

पंचकुला:

चाचा भतीजे की लड़ाई में आम आदमी क्यो पिस रहा है,यह कहना पूर्व उप मुख्यमंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता चंद्रमोहन का है। दरअसल, राज्य सरकार के नगर व ग्राम आयोजना विभाग द्वारा 25 नवम्बर 2020 को एक अधिसूचना जारी की गई जिसमें हरियाणा नगरीय क्षेत्र और विकास अधिनियम 1975 की धारा 7 क को लागू किया गया है। चंद्रमोहन ने कहा कि इस अधिसूचना को जारी करने से इलाके के 212 गांवो को शामिल कर दिया है जिससे अब छोटे प्लाटों को रजिस्ट्री नही हो सकेगी तो वही अब आम व गरीब आदमी अपना आइशियाना भी नही बना सकेगा। पूर्व डिप्टी सीएम चंद्रमोहन का कहना है कि अब चाचा भतीजा की लड़ाई में इलाकावासियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

चंद्रमोहन बिश्नोई ने कहा कि इस एक्ट के अनुसार जहां अब 1 एकड़ से कम की कोई क्रय,विक्रय,पट्टा अथवा उपहार सम्बंधित दस्तावेजो के पंजीकरण नही होगा तो वही कोई छोटे प्लाट की रजिस्ट्री भी नही होगी।ऐसा होने से अब लोगो के लिए दिक्कत खड़ी हो गई है।भाजपा-जजपा सरकार को जनता से कोई सरोकार नहीं है।हरियाणा के जिला पंचकूला में ही विनियमन एक्ट 1975 की धारा 7 क को भी लागू किया गया है जिससे यह साफ तौर पर जाहिर होता है कि भाजपा जजपा सरकार को कालका की जनता से कोई सरोकार नहीं है।

पूर्व डिप्टी सीएम चंद्रमोहन का कहना है कि ऐसे कानून के लागू होने से आम आदमी को तो नुकसान होगा ही वही हजारो लोगो के रोजगार पर भी आंच आएगी।जिला पंचकूला के साथ सौतेला व्यवहार बिल्कुल असहनीय है।राज्य सरकार तुरन्त इस अधिसूचना को रद्द करे अन्यथा कांग्रेस जन आंदोलन के माध्यम से आवाज बुलंद करेगी।

पांच में से एक भारतीय युवक रीढ़ की समस्या से पीडि़त : डा. अनिल ढींगरा

दिन में लगातार 2 घंटे एक ही पोजीशन में बैठना रीढ़ की हड्डी के लिए खतरनाक : डा. राजीव गर्ग
हे-होल स्पाइन सर्जरी 97-98 प्रतिशत कामयाब

पंचकूला, 28 नवंबर:

रीढ़ की हड्डी की समस्याएं तथा बिना चीर फाड़ के आप्रेशन की तकनीकों संबंधी जागरूकता पैदा करने के लिए पारस अस्पताल पंचकूला के डाक्टरों की टीम ने पत्रकारों को संबोधित किया। इसमें अस्पताल के न्यूरो सर्जरी विभाग के एसोसिएट डायरेक्टर डा. अनिल ढींगरा तथा कंसलटेंट डा. राजीव गर्ग शामिल थे।
डा. अनिल ढींगरा ने पत्रकारों के साथ बातचीत करते हुए 20-30 वर्ष की उम्र वर्ग का देश का हर पांचवा नौजवान रीढ़ की हड्डी की समस्या से पीडि़त हैं। यह समस्या पहले बुजुर्गों में देखी जाती थी। उन्होंने बताया कि बीते समय दौरान नौजवानों में रीढ़ की हड्डी की समस्याओं में 60 प्रतिशत इजाफा हुआ है। उन्होंने बताया कि नौजवानों की जीवन शैली में बदलाव, अधिक वजन, विटामिन डी, बी-12, कैल्शियम तथा प्रोटीन की कमी नौजवानों में इस समस्या का मुख्य कारण है।

डा. ढींगरा ने बताया कि लंबा समय लगातार एक ही पोजीशन में बैठने तथा गलत पोजीशन में बैठने से भी रीढ़ की हड्डी पर दबाव पड़ता है, जिससे पीठ तथा गर्दन में बहुत जयादा दर्द होता है। उन्होंने बताया कि रीढ़ की हड्डी की समस्याएं बढऩे से भारत में रीढ़ की सर्जरी की नवीनतम तकनीकें इजाद हुई हैं। डा. ढींगरा ने बताया कि किसी समय आप्रेशन से तीन महीनों के लिए बिस्तर पर आराम (बैड रेस्ट) के लिए कहा जाता था, जो अब प्रगती करके एक दिन के आराम तक पहुंच गई है। उन्होंने बताया कि ऐसी की-होल (छोटा सुराख) सर्जरी तकनीक से ही संभव हुआ है। उन्होंने कहा कि जो मरीज दवाईयों या फिजियोथैरेपी आदि से ठीक नहीं होते तथा जिनके हाथों-पैरों में कमजोरी तथा सुन्नापन महसूस होता है, उनके लिए ऐसी सर्जरी की सिफारिश की जाती है, जिसमें चीर-फाड़ नहीं करनी पड़ती।

डा. राजीव गर्ग ने इस मौके संबोधन करते हुए कहा कि हमारी रीढ़ की हड्डी, छोटे छोटे मनकों से बनी होती है, जिनमें छोटी-छोटी डिस्कें होती हैं, जो किसी भी तरह के झटके को सहन करने का काम करती है। दुरूस्त पोजीशन में ना बैठने तथा रीढ़ की हड्डी पर लगातार दबाव पडऩे से यह डिस्कें खुशक रहने लग जाती हैं, जिस कारण डिस्क में दरारें आने तथा सुखमना नाड़ी (स्पाइनल कोर्ड) पर दबाव पड़ता है। इससे टांगों तथा कमर में बहुत तेज दर्द होता है। डा. गर्ग ने बताया कि हम अपनी जीवन शैली बदलकर इस समस्या से बच सकते हैं।

पारस अस्पताल के फैसलिटी डायरेक्टर आशीष चड्ढा ने बताया कि इस अस्पताल में रीढ़ की हड्डी के इलाज के लिए सभी आधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि अस्पताल के पास हर तरह की न्यूरो सर्जरी के लिए सभी आध्ुानिक सामान तथा मशीनें मौजूद हैं।

Police Files, Chandigarh – 28 November

‘Purnoor’ Korel, CHANDIGARH – 28.11.2020

One arrested for possessing illicit liquor

Chandigarh Police arrested Surinder Kant R/o # 4945/2, Sector-38/West, Chandigarh and recovered 36 bottles of country made liquor from his possession from Govt. Tube-Well near park, Sector-38/West, Chandigarh on 27.11.2020. A case FIR No. 167, U/S 61-1-14 Excise Act has been registered in PS-Maloya, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

One arrested for consuming liquor

Chandigarh Police arrested Jatinder Kumar of Distt. Mohali, while he was consuming liquor at a public place from parking area near Thakur Chat, Sector 40-C, Chandigarh on 27.11.2020. A case FIR No. 371, U/S 68-1(B) Punjab Police Act 2007 & 510 IPC has been registered in PS-39, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

Snatching

A girl resident of Mohali reported that one unknown person occupant of Activa Scooter snatched away complainant’s purse containing 2 mobile phones near Shyam fashion Mall, Sector34, Chandigarh on 27.11.2020. A case FIR No. 228, U/S 379A, 356 IPC has been registered in PS-34, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

Criminal Breach of trust

A case FIR No. 218, U/S 406 IPC has been registered in PS-31, Chandigarh on the complaint of Ravi R/o # 17, Gali No. 4, Shanti Nagar, Manimajra, Chandigarh who alleged that Rahul resident not known who taken away his motorcycle No. PB11BU3099 for test drive from KTM Service Centre, Phase-2, Ind. Area on 27.11.2020 and did not come back. Investigation of the case is in progress.

MV theft

Ishwar Singh R/o # 2081/3, Pipli Wala town, Manimajra, Chandigarh reported that unknown person who stole away complainant Alto car No. HR20T4711 from parking of Shanti nagar, MM, on 25.11.2020. A case FIR No. 179, U/S 379 IPC has been registered in PS-MM, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

एक राष्ट्र एक चुनाव, पक्ष – विपक्ष

2018 में विधि आयोग की बैठक में भाजपा और कांग्रेस ने इससे दूरी बनाए रखी. कॉंग्रेस का विरोध तो जग जाहिर है लेकिन भाजपा की इस मुद्दे पर चुप्पी समझ से परे है. 2018 में ऐसा क्या था कि प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता वाली भाजपा तटस्थ रही और आज मोदी इसका हर जगह इसका प्रचार प्रसार कर रहे हैं? 1999 में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान विधि आयोग ने इस मसले पर एक रिपोर्ट सौंपी। आयोग ने अपनी सिफारिशों में कहा कि अगर किसी सरकार के खिलाफ विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लेकर आता है तो उसी समय उसे दूसरी वैकल्पिक सरकार के पक्ष में विश्वास प्रस्ताव भी देना सुनिश्चित किया जाए। 2018 में विधि आयोग ने इस मसले पर एक सर्वदलीय बैठक भी बुलाई जिसमें कुछ राजनीतिक दलों ने इस प्रणाली का समर्थन किया तो कुछ ने विरोध। कुछ राजनीतिक दलों का इस विषय पर तटस्थ रुख रहा। भारत में चुनाव को ‘लोकतंत्र का उत्सव’ कहा जाता है, तो क्या पांच साल में एक बार ही जनता को उत्सव मनाने का मौका मिले या देश में हर वक्त कहीं न कहीं उत्सव का माहौल बना रहे? जानिए, क्यों यह चर्चा का विषय है.

सारिका तिवारी, चंडीगढ़:

हर कुछ महीनों के बाद देश के किसी न किसी हिस्से में चुनाव हो रहे होते हैं. यह भी चुनावी तथ्य है कि देश में पिछले करीब तीन दशकों में एक साल भी ऐसा नहीं बीता, जब चुनाव आयोग ने किसी न किसी राज्य में कोई चुनाव न करवाया हो. इस तरह के तमाम तथ्यों के हवाले से एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘एक देश एक चुनाव’ की बात छेड़ी है. अव्वल तो यह आइडिया होता क्या है? इस सवाल के बाद बहस यह है कि जो लोग इस आइडिया का समर्थन करते हैं तो क्यों और जो नहीं करते, उनके तर्क क्या हैं.

जानकार तो यहां तक कहते हैं ​कि भारत का लोकतंत्र चुनावी राजनीति बनकर रह गया है. लोकसभा से लेकर विधानसभा और नगरीय निकाय से लेकर पंचायत चुनाव… कोई न कोई भोंपू बजता ही रहता है और रैलियां होती ही रहती हैं. सरकारों का भी ज़्यादातर समय चुनाव के चलते अपनी पार्टी या संगठन के हित में ही खर्च होता है. इन तमाम बातों और पीएम मोदी के बयान के मद्देनज़र इस विषय के कई पहलू टटोलते हुए जानते हैं कि इस पर चर्चा क्यों ज़रूरी है.

क्या है ‘एक देश एक चुनाव’ का आइडिया?

इस नारे या जुमले का वास्तविक अर्थ यह है कि संसद, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनाव एक साथ, एक ही समय पर हों. और सरल शब्दों में ऐसे समझा जा सकता है कि वोटर यानी लोग एक ही दिन में सरकार या प्रशासन के तीनों स्तरों के लिए वोटिंग करेंगे. अब चूंकि विधानसभा और संसद के चुनाव केंद्रीय चुनाव आयोग संपन्न करवाता है और स्थानीय निकाय चुनाव राज्य चुनाव आयोग, तो इस ‘एक चुनाव’ के आइडिया में समझा जाता है कि तकनीकी रूप से संसद और विधानसभा चुनाव एक साथ संपन्न करवाए जा सकते हैं.

पीएम मोदी की खास रुचि

जनवरी, 2017 में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक देश एक चुनाव के संभाव्यता अध्ययन कराए जाने की बात कही. तीन महीने बाद नीति आयोग के साथ राज्य के मुख्यमंत्रियों की बैठक में भी इसकी आवश्यक्ता को दोहराया. इससे पहले दिसंबर 2015 में राज्यसभा के सदस्य ईएम सुदर्शन नचियप्पन की अध्यक्षता में गठित संसदीय समिति ने भी इस चुनाव प्रणाली को लागू किए जाने पर जोर दिया था. 2018 में विधि आयोग की बैठक में भाजपा और कांग्रेस ने इससे दूरी बनाए रखी. चार दलों (अन्नाद्रमुक, शिअद, सपा, टीआरएस) ने समर्थन किया. नौ राजनीतिक दलों (तृणमूल, आप, द्रमुक, तेदेपा, सीपीआइ, सीपीएम, जेडीएस, गोवा फारवर्ड पार्टी और फारवर्ड ब्लाक) ने विरोध किया. नीति आयोग द्वारा एक देश एक चुनाव विषय पर तैयार किए गए एक नोट में कहा गया है कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को 2021 तक दो चरणों में कराया जा सकता है. अक्टूबर 2017 में तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने कहा था कि एक साथ चुनाव कराने के लिए आयोग तैयार है, लेकिन  निर्णय राजनीतिक स्तर पर लिया जाना है.

क्या है इस आइडिया पर बहस?

कुछ विद्वान और जानकार इस विचार से सहमत हैं तो कुछ असहमत. दोनों के अपने-अपने तर्क हैं. पहले इन तर्कों के मुताबिक इस तरह की व्यवस्था से जो फायदे मुमकिन दिखते हैं, उनकी चर्चा करते हैं.

कई देशों में है यह प्रणाली

स्वीडन इसका रोल मॉडल रहा है. यहां राष्ट्रीय और प्रांतीय के साथ स्थानीय निकायों के चुनाव तय तिथि पर कराए जाते हैं जो हर चार साल बाद सितंबर के दूसरे रविवार को होते हैं. इंडोनेशिया में इस बार के चुनाव इसी प्रणाली के तहत कराए गए. दक्षिण अफ्रीका में राष्ट्रीय और प्रांतीय चुनाव हर पांच साल पर एक साथ करा  जाते हैं जबकि नगर निकायों के चुनाव दो साल बाद होते हैं.

पक्ष में दलीलें

1. राजकोष को फायदा और बचत : ज़ाहिर है कि बार बार चुनाव नहीं होंगे, तो खर्चा कम होगा और सरकार के कोष में काफी बचत होगी. और यह बचत मामूली नहीं बल्कि बहुत बड़ी होगी. इसके साथ ही, यह लोगों और सरकारी मशीनरी के समय व संसाधनों की बड़ी बचत भी होगी.  एक अध्ययन के मुताबिक 2019 के लोकसभा चुनाव पर करीब साठ हजार करोड़ रुपये खर्च हुए. इसमें पार्टियों और उम्मीदवारों के खर्च भी शामिल हैं. एक साथ एक चुनाव से समय के साथ धन की बचत हो सकती है। सरकारें चुनाव जीतने की जगह प्रशासन पर अपना ध्यान केंद्रित कर पाएंगी.

2. विकास कार्य में तेज़ी : चूंकि हर स्तर के चुनाव के वक्त चुनावी क्षेत्र में आचार संहिता लागू होती है, जिसके तहत विकास कार्य रुक जाते हैं. इस संहिता के हटने के बाद विकास कार्य व्यावहारिक रूप से प्रभावित होते हैं क्योंकि चुनाव के बाद व्यवस्था में काफी बदलाव हो जाते हैं, तो फैसले नए सिरे से होते हैं.

3. काले धन पर लगाम : संसदीय, सीबीआई और चुनाव आयोग की कई रिपोर्ट्स में कहा जा चुका है कि चुनाव के दौरान बेलगाम काले धन को खपाया जाता है. अगर देश में बार बार चुनाव होते हैं, तो एक तरह से समानांतर अर्थव्यवस्था चलती रहती है.

4. सुचारू प्रशासन : एक चुनाव होने से सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल एक ही बार होगा लिहाज़ा कहा जाता है कि स्कूल, कॉलेज और ​अन्य विभागों के सरकारी कर्मचारियों का समय और काम बार बार प्रभावित नहीं होगा, जिससे सारी संस्थाएं बेहतर ढंग से काम कर सकेंगी.

5. सुधार की उम्मीद : चूंकि एक ही बार चुनाव होगा, तो सरकारों को धर्म, जाति जैसे मुद्दों को बार बार नहीं उठाना पड़ेगा, जनता को लुभाने के लिए स्कीमों के हथकंडे नहीं होंगे, बजट में राजनीतिक समीकरणों को ज़्यादा तवज्जो नहीं देना होगी, यानी एक बेहतर नीति के तहत व्यवस्था चल सकती है.

ऐसे और भी तर्क हैं कि एक बार में ही सभी चुनाव होंगे तो वोटर ज़्यादा संख्या में वोट करने के लिए निकलेंगे और लोकतंत्र और मज़बूत होगा. बहरहाल, अब आपको ये बताते हैं कि इस आइडिया के विरोध में क्या प्रमुख तर्क दिए जाते हैं.

1. क्षेत्रीय पार्टियां होंगी खारिज : चूंकि भारत बहुदलीय लोकतंत्र है इसलिए राजनीति में भागीदारी करने की स्वतंत्रता के तहत क्षेत्रीय पार्टियों का अपना महत्व रहा है. चूंकि क्षेत्रीय पार्टियां क्षेत्रीय मुद्दों को तरजीह देती हैं इसलिए ‘एक चुनाव’ के आइडिया से छोटी क्षेत्रीय पार्टियों के सामने अस्तित्व का संकट खड़ा हो जाएगा क्योंकि इस व्यवस्था में बड़ी पार्टियां धन के बल पर मंच और संसाधन छीन लेंगी.

2. स्थानीय मुद्दे पिछड़ेंगे : चूंकि लोकसभा और विधानसभा चुनाव अलग मुद्दों पर होते हैं इसलिए दोनों एक साथ होंगे तो विविधता और विभिन्न स्थितियों वाले देश में स्थानीय मुद्दे हाशिये पर चले जाएंगे. ‘एक चुनाव’ के आइडिया में तस्वीर दूर से तो अच्छी दिख सकती है, लेकिन पास से देखने पर उसमें कई कमियां दिखेंगी. इन छोटे छोटे डिटेल्स को नज़रअंदाज़ करना मुनासिब नहीं होगा.

3. चुनाव नतीजों में देर : ऐसे समय में जबकि तमाम पार्टियां चुनाव पत्रों के माध्यम से चुनाव करवाए जाने की मांग करती हैं, अगर एक बार में सभी चुनाव करवाए गए तो अच्छा खास समय चुनाव के नतीजे आने में लग जाएगा. इस समस्या से निपटने के लिए क्या विकल्प होंगे इसके लिए अलग से नीतियां बनाना होंगी.

4. संवैधानिक समस्या : देश के लोकतांत्रिक ढांचे के तहत य​ह आइडिया सुनने में भले ही आकर्षक लगे, लेकिन इसमें तकनीकी समस्याएं काफी हैं. मान लीजिए कि देश में केंद्र और राज्य के चुनाव एक साथ हुए, लेकिन यह निश्चित नहीं है कि सभी सरकारें पूर्ण बहुमत से बन जाएं. तो ऐसे में क्या होगा? ऐसे में चुनाव के बाद अनैतिक रूप से गठबंधन बनेंगे और बहुत संभावना है कि इस तरह की सरकारें 5 साल चल ही न पाएं. फिर क्या अलग से चुनाव नहीं होंगे?

यही नहीं, इस विचार को अमल में लाने के लिए संविधान के कम से कम छह अनुच्छेदों और कुछ कानूनों में संशोधन किए जाने की ज़रूरत पेश आएगी.