विजय माल्या की बढ़ीं मुश्किलें, फ्रांस में 14.34 करोड़ की संपत्ति ज़ब्त
केंद्र सरकार विजय माल्या को प्रत्यर्पित कराने की कोशिश में भी जुटी हुई है. विजय माल्या का प्रत्यर्पण अनुरोध काफी पहले ब्रिटेन भेजा गया था. यूके की वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट (Westminster Magistrates’ Court) ने 10 दिसंबर, 2018 को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपी विजय माल्या के प्रत्यर्पण का आदेश दिया था. फैसले में कोर्ट ने लिखा था कि आरोपी माल्या के खिलाफ दर्ज मामलों में उसके शामिल होने के पुख्ता सबूत हैं. इसके बाद उसने ब्रिटेन के हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक का रुख किया लेकिन उसे वहां से भी राहत नहीं मिली.
नयी दिल्ली:
किंगफिशर एयरलाइंस लिमिटेड के मालिक और भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या पर प्रवर्तन निदेशालय ने बड़ी कार्रवाई की है. शुक्रवार को ईडी ने फ्रांस में विजय माल्या की 1.6 मिलियन यूरो की प्रॉपर्टी को जब्त किया है. विजय माल्या पर कार्रवाई करने के बाद ईडी ने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया, ‘ईडी के आग्रह पर विजय माल्या की 32 अवेन्यू फोच (FOCH), फ्रांस की संपत्ति को फ्रेंच अथॉरिटी ने जब्त किया है.’
फ्रांस में जब्त की गई प्रापर्टी की कीमत 1.6 मिलियन यूरो (करीब 14.34 करोड़ रुपये) आंकी गई है. जांच में यह बात सामने आई है कि किंगफिशर एयरलाइंस लिमिटेड के बैंक खाते से विदेश में बड़ी रकम निकाली गई.
उल्लेखनीय है कि भारतीय कारोबारी विजय माल्या नौ हजार करोड़ रुपये से अधिक के बैंक कर्ज धोखाधड़ी मामले में आरोपी है. इस वक्त वो ब्रिटेन में रह रहा है. माल्या के प्रत्यर्पण के लिए भारत ने कुछ माह पहले यूनाइटेड किंगडम (UK) सरकार से आग्रह किया था. भारत सरकार ने कहा था कि वह विजय माल्या के जल्द प्रत्यर्पण को लेकर ब्रिटिश सरकार के संपर्क में है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार ने मांगी थी रिपोर्ट
बीते मई महीने में माल्या ब्रिटेन के सुप्रीम कोर्ट में मनी लांड्रिंग एवं हजारों करोड़ की धांधली के मामले में भारत में प्रत्यर्पण के खिलाफ अपनी अपील हार गया था. उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने केंद्र से कहा था कि वह ब्रिटेन में भगोड़ा कारोबारी विजय माल्या को भारत को प्रत्यर्पित किए जाने सबंधी कार्रवाई पर छह सप्ताह के भीतर स्थिति रिपोर्ट दायर करे. न्यायमूर्ति यूयू ललित की अध्यक्षता वाली उच्चतम न्यायालय की पीठ ने कहा था कि भगोड़े कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण के बाद मामले की सुनवाई यूनाइटेड किंगडम में उसके खिलाफ “गुप्त कार्यवाही” के कारण नहीं हो रही थी. 31 अगस्त को पुनर्विचार याचिका खारिज होने और सजा की पुष्टि होने के बाद माल्या अपने खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट में पेश होने वाला था.