नितीश ने बीजेपी और जेडीयू के 17-17 सीटों पर लड़ने का फॉर्मूला दिया है


मोदी मैजिक उतार पर है

बिग ब्रदर की भूमिका न मिले तो भी जुड़वां की भूमिका मे आना चाहते हैं नितीश

जेडीयू की दिल्ली में हुई बैठक में तय किया गया कि पार्टी की तरफ से नीतीश कुमार जो भी फैसला लेंगे पार्टी नेताओं को वह मान्य होगा


बिहार :

जुलाई 8, 2018॰

बिहार में जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और बीजेपी के बीच गठबंधन को लेकर चल रही अटकलों पर विराम लग गया है. जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पार्टी नेताओं के सामने स्पष्ट किया कि दोनों दलों के बीच गठबंधन बरकरार रहेगा.

वहीं पार्टी ने अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर दोनों दलों (बीजेपी और जेडीयू) के 17-17 सीटों पर लड़ने का फॉर्मूला दिया है.

दिल्ली स्थित बिहार भवन में पार्टी के महासचिव और सचिव समेत तमाम वरिष्ठ नेताओं के साथ हुई बैठक में तय किया गया कि जेडीयू की तरफ से नीतीश कुमार जो भी फैसला लेंगे पार्टी नेताओं को वह मान्य होगा.

इस बैठक में शामिल अधिकांश नेता नीतीश के इस प्रस्ताव से सहमत थे कि बिहार में बीजेपी के साथ गठबंधन बरकरार रहना चाहिए. हालांकि इस दौरान यह भी तय किया गया कि बिहार के बाहर भी पार्टी अपना विस्तार जारी रखेगी.

जेडीयू के एक वरिष्ठ नेता ने न्यूज़18 को बताया कि इस बैठक में शीट शेयरिंग को लेकर भी चर्चा हुई और तय किया किया गया बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से जेडीयू कम से कम 17-18 सीटों पर चुनाव लड़ेगी.

इस दौरान पार्टी के नेताओं ने सीटों की दावेदारी पर मंत्रणा भी की. पार्टी के ही एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, जेडीयू और बीजेपी के 17-17 सीटों पर लड़ने, जबकि एलजेपी और आरएलएसपी के लिए 6 सीटें छोड़ने की बात कही गई.

‘बिहार में BJP से गठबंधन जारी रहेगा, नीतीश कुमार NDA के नेता होंगे’

जेडीयू के एक नेता ने कहा कि हम फिर से कह रहे हैं कि बिहार में बीजेपी के साथ हमारा गठबंधन जारी रहेगा और नीतीश कुमार एनडीए के नेता होंगे.

नीतीश ने पार्टी की बैठक के दौरान इस बात का भी जिक्र किया कि वो तमाम आलोचनाओं के बीच किस तरह से सरकार चला रहे हैं. नीतीश ने कहा कि जब वो आरजेडी के साथ सरकार में थे तो उनपर तरह-तरह के कमेंट किए जाते थे, लेकिन बीजेपी के साथ उनकी सरकार में ऐसा कुछ भी नहीं है.

बैठक के दौरान नीतीश ने इस बात का भी जिक्र किया कि मोदी लहर में बीजेपी ने भले ही 22 सीटें जीती हों, लेकिन ऐसे वक्त में जब हमने अपने 17 साल पुराने दोस्त से एक बार फिर से हाथ मिलाया है, हर किसी को बलिदान के लिए तैयार रहने की जरूरत है.

बता दें कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह 12 जुलाई को पटना दौरे पर आ रहे हैं. ऐसे में जेडीयू की इस बैठक के बाद नीतीश कुमार की अमित शाह के साथ होने वाली मुलाकात को अहम माना जा रहा है.

चंचल की रसोई से

श्रीमती चंचल पाठक Homemaker


 छाछ रबडी (जौ का दलिया)

 छाछ रबडी (जौ का दलिया)

व्यंजन सामग्री:
1 मध्यम आकार की कटौरी- जौ का दलिया
3 गिलास पानी
स्वादनुसार नमक
मीठा बनाना चाहें तो
1 कटोरी चीनी या शक्कर

जौ का दलिया बनाने के लिए पहले एक भगौने में तीन गिलास पानी लें और आँच पर रख दें। उबाल आने पर उसमें जौ का दलिया गर्म पानी में डाल दे उसमें थोड़ा सा नमक डाल दे अब गैस को धीमा कर दे दलिया डालते समय इस बात का ध्यान रखे एक हाथ से दलिया डाले दुसरे हाथ से चम्मच से उसे चलाते रहे नहीं तो उसमें गंठे पड़ जाएगी आंच धीमी करके बर्तन को प्लेट से आधा ढक दे बीच बीच में चलाते रहे कुछ देर बाद दलिये मे जो जौ के दाने हैं उसे दबाकर देखें पक गया हो तो थोड़ा उसे और चलाए ताकि पानी और दलिया अलग न हो बिल्कुल एकसार हो जाना चाहिए अब उसे आँच से उतार दे बिल्कुल ठण्डा हो जाए तब उसमें छाछ डाल कर खाए कुछ लोग इसे मिठा खाना भी पसंद करते हैं इसलिए इसमें चीनी या शक्कर भी मिला कर खाया जा सकता है। ये खाने में बहुत ही स्वादिष्ट और पौष्टिक होता हैं। राजस्थान में यह व्यंजन सुबह के नाश्ते में खाया जाता है। घर की महिलाए अधिकांश रात को बना कर रख देती हैं सुबह तक ये बिल्कुल ठण्डा हो जाता हैं और फिर इसमें ठण्डी छाछ मिलाकर खाते है।

जौ और छाछ दोनों ही शरीर के लिए पौष्टिक व लाभ कारी व ठण्डक देने वाली है इसलिए इसे सिर्फ गर्मियों में ही खाया जाता है।

 


जोधपुरी मिर्ची वड़ा

 

जोधपुरी मिर्ची बड़ा नाश्ते में सर्व करने वाली स्पाइसी रेसिपी है। मिर्ची वड़ा में मिर्ची के अंदर मसालेदार आलू भरे कर फिर इसे बेसन के घोल में लपेटकर फ़्राई किया जाता है। इसे गरम गरम चाय के साथ परोस कर टेस्ट करे।

जोधपुरी मिर्ची वड़ा

”आवश्यक सामग्री”
– 8 मोटी और लम्बी हरी मिर्च
”भरावन के लिए”
– 4 उबले और मैश किए हुए आलू
– 1 छोटा चम्मच अदरक का पेस्ट
– ½ चम्मच हरी मिर्च का पेस्ट
– ½ चम्मच लाल मिर्च पाउडर
– ½ छोटा चाट मसाला
– 1 चम्मच धनिया पाउडर
– ½ छोटा चम्मच गरम मसाला
– ½ चम्मच राई
– 1 चुटकी हींग
– 1 चम्मच अमचूर पाउडर
– 1 बड़ा चम्मच तेल
– स्वादानुसार नमक

बेसन से कवर करने के लिए

– 100 ग्राम बेसन
– 1 चुटकी खाने का सोडा
– 2 हरी मिर्च कटी हुई
– ½ चम्मच लालमिर्च पाउडर
– स्वादानुसार नमक
– आवश्यकतानुसार तेल

सर्व करने के लिए
– इमली की मीठी चटनी
– टोमैटो सॉस

जोधपुरी मिर्ची वड़ा बनाने का तरीका
”भरावन के लिए”
– एक पैन में गरम तेल में राई और हींग का तड़का लगाएँ।

– अब इसमें अदरक और हरी मिर्च का पेस्ट डालकर भून लें।

– इसमें मैश की हुई उबली आलू, नमक, लाल मिर्च पाउडर, गरम मसाला, चाट मसाला, अमचूर पाउडर और धनिया पाउडर को डालकर सभी सामग्री को आपस में कलछी से मिक्स कर लें।

– इसे एक प्लेट में निकाल कर ठंडा कर लें।

– मिर्ची में भरने के लिए भरावन की सामग्री तैयार है।

मिर्ची वड़ा बनाने के लिए
– हरी मिर्च को किसी साफ़ कपड़े से पोछ लें।

– मिर्ची को पकड़कर चाकू की सहायता से लम्बाई में चीरा लगाएँ और सारे बीज निकाल लें।

– अब इन 8 मिर्ची में नमक लगाकर 15 मिनट के लिए रख दें।

– फिर इन्हें सूखे कपड़े से पोछकर हाथों से धीरे धीरे मिर्ची के अंदर भरावन की सामग्री को भर दें।

– इसी तरह से सारी मिर्ची को भरकर एक प्लेट में रख लें।

घोल बनाने के लिए एक बर्तन में बेसन, नमक, खाने का सोडा, लालमिर्च पाउडर और हरी मिर्च को डालें।

– अब इसमें एक कप पानी डालकर मीडियम का घोल तैयार कर लें।

– भरी हुई मिर्च को इस घोल में डिप करके गर्म तेल में मध्यम आँच पर तल लें।

– जब ये अच्छे से गोल्डन फ़्राई हो जाएँ तब एक प्लेट में टिशु पेपर बिछाकर सारे मिर्ची वड़ा निकाल लें।

– गरम गरम जोधपुरी मिर्ची वड़ा को इमली की मीठी चटनी या टोमैटो सॉस के साथ नाश्ते में सर्व करें।

 



राजस्थानी दही पापड़ की सब्जी

राजस्थानी दही पापड़ की सब्जी

 

 

सामग्री:

स्किम्ड दूध की दही-1 1/2 कप
बिकानेरी मूंग पापड़-2
बेसन- 3/4 बड़ा चम्मच
नमक स्वादानुसार
हल्दी का पाउडर-1/2 छोटा चम्मच
लाल मिर्च पाउडर-3/4 छोटा चम्मच
तेल1 1/2 बड़े चम्मच
जीरा-1 छोटा चम्मच
हींग-1/2 छोटा चम्मच
सूखी लाल मिर्च -टुकडे किए हुए-2
धनिया पाउडर-1 1/2 छोटे चम्मच
अदरक कटा हुआ-1 छोटा चम्मच
बूंदी-1/4 कप
गरम मसाला पाउडर-1/2 छोटा चम्मच,
ताजा हरा धनिया कटा हुआ-1 बड़ा चम्मच।

विधि

दही में बेसन, नमक, हल्दी व लाल मिर्च पाउडर डालें और मिलाएं। दो कप पानी डालकर मिला लें और इस घोल को छान लें। अलग रखें।

नॉन स्टिक कढ़ाई में तेल गरम करें। जीरा, हींग व सूखी लाल मिर्च के टुकड़े डालें और भूनें।

धनिया पाउडर डालकर एक मिनट भून लें। अदरक मिला दें और एक मिनट भून लें।

दही का घोल डालक र मिलालें और नमक चख लें। कलछी चलाते रहें और एक उबाल आने पर आंच धीमी करें।

दो मिनट पकाएं। बहुत गाढ़ा लगे तो पानी डालें। नॉनस्टिक तवे पर पापड़ सेक लें।

दो इंच के टुकड़े बना लें। उबलती दही में पापड़ और बूंदी मिला दें।

दो-तीन मिनट उबलने दें। गरम मसाला पाउडर डालें और मिलाएं।

आंच से हटा दें और हरे धनिये से सजाकर गरमागरम परोसें।

विधायक अमन अरोड़ा ने गुरुवार को मोहाली मे करवाया डोप टेस्ट

 

 

मोहाली। पंजाब के आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक अमन अरोड़ा ने गुरुवार को मोहाली के एक सरकारी अस्पताल में मादक पदार्थ सेवन का परीक्षण (डोप टेस्ट) कराया। यह घटनाक्रम पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह द्वारा सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए डोप टेस्ट अनिवार्य करने के आदेश के एक दिन बाद सामने आया है। इन कर्मचारियों में पुलिस कर्मी भी शामिल हैं।

कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने इस कदम का स्वागत किया।

तिवारी ने ट्वीट किया, “पंजाब सरकार द्वारा सरकारी कर्मचारियों के भर्ती/पदोन्नति के लिए प्रस्तावित डोप टेस्ट एक स्वागत योग्य कदम है। इसे राज्य के सभी सांसदों व विधायकों के लिए भी अनिवार्य किया जाना चाहिए।”

उन्होंने कहा, “यह न सिर्फ एक उदाहरण स्थापित करेगा, बल्कि सरकारी सेवकों के दो वर्गो के बीच अनुचित वर्गीकरण को भी हटा देगा।”

पंजाब में मादक पदार्थो की लत बुरी तरह से फैली हुई है, खासकर युवा व ग्रामीण आबादी इससे प्रभावित है।

सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा, “मुख्यमंत्री ने भर्ती और पदोन्नति के साथ-साथ कुछ कर्मचारियों के उनकी ड्यूटी की प्रकृति के अनुसार वार्षिक चिकित्सा जांच के सभी मामलों में मादक पदार्थो की जांच करने का आदेश दिया है।”

उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार के विभिन्न विभागों में पदोन्नति के साथ-साथ सभी भर्ती में डोप टेस्ट को अनिवार्य किया जाएगा।

पंजाब में विपक्षी पार्टियां कांग्रेस सरकार पर मादक पदार्थो के खतरे को खत्म करने के लिए कुछ नहीं करने को लेकर सवाल खड़ा करती रही हैं।

मुकेश अंबानी का कार्यकाल 5 साल ओर बढ़ा


बाजार पूंजीकरण के आधार पर देश की दूसरी बड़ी निजी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के शेयरधारकों ने मुकेश अंबानी को अगले पांच वर्ष के लिए फिर से अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक (सीएमडी) नियुक्त करने को मंजूरी प्रदान कर दी है।


मुंबई

61 वर्षीय अंबानी वर्ष 1977 से कंपनी के निदेशक मंडल है और जुलाई 2002 में उनके पिता धीरूभाई अंबानी के निधन के बाद अध्यक्ष बनाया गया था। गत पांच जुलाई को कंपनी की 41वीं वार्षिक आम बैठक में अंबानी को कंपनी का पांच वर्ष के लिए पुन: अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव किया था। उनकी नई नियुक्ति 19 अप्रेल 2019 से प्रभावी होगी।

कंपनी ने शेयर बाजार को सूचित किया है कि उसके 616.45 करोड़ शेयरधारकों में से 50818 करोड़ शेयरधारकों ने अंबानी को पुन: अध्यक्ष बनाने के पक्ष में मतदान किया है। कुल मत में से 98.5 फीसदी ने अंबानी के पक्ष में एवं 1.48 प्रतिशत ने विरोध में पड़े थे।

प्रस्ताव के अनुसार अंबानी को वार्षिक 4.17 करोड़ वेतन मिलेगा और 59 लाख रुपए पूर्वनिर्धारित व्यय और भत्ते मिलेगा। इसमें सेवानिवृत्ति लाभ शामिल नहीं है।

कंपनी के शुद्ध लाभ के आधार पर वह बोनस के हकदार भी होंगे और पत्नी एवं सेवादारों के साथ कारोबारी यात्राओं का पूरा व्यय और कंपनी के कामकाज के लिए कारों का उपयोग, आवास पर संचार से संबंधित सभी व्यय रिलायंस करेगी। अंबानी और उनके परिवार की सुरक्षा पर होने वाला व्यय भी कंपनी ही भरेगी।

‘संविधान बचाओ, लोकतंत्र बचाओ, देश बचाओ’ राष्ट्रीय अधिवेशन का आयोजन 15 जुलाई को

भरतपुर।

जयपुर के बिड़ला सभागार में ‘संविधान बचाओ, लोकतंत्र बचाओ, देश बचाओ’ राष्ट्रीय अधिवेशन का आयोजन 15 जुलाई को किया जाएगा।

जिला कांग्रेस कमेटी विधि, मानवाधिकार व आरटीआई विभाग की नवीन कार्यकारिणी की भरतपुर में हुई पहली बैठक में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव सुशील शर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय अधिवेशन में केन्द्रीय नेता कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, कु. शैलजा, अशोक गहलोत तथा सचिन पायलट, अविनाश पाण्डे, विवेक तनखा, सी.पी. जोशी भाग लेंगे। इस अधिवेशन में राजस्थान के 5,000 लोग जो विधि, मानवाधिकार एवं आरटीआई विभाग से संबंधित हैं, भाग लेंगे, जिसमें वर्तमान सरकार द्वारा संवैधानिक संस्थाओं के दुरुपयोग करने और संवैधानिक ढांचे को तहस-नहस करने इत्यादि समस्त विषयों पर चर्चा होगी। साथ ही अधिवेशन में वकीलों के कल्याण की योजना, वकीलों की पार्टी तथा आने वाले चुनावों में भागीदारी पर भी चर्चा होगी। इसके अलावा वकीलों की कल्याणकारी योजनाओं को आगामी चुनाव घोषणा पत्र में शामिल कराकर उन्हें लागू कराया जाएगा।

नितीश अगला कदम क्या लेंगे? बहुत असमंजस ;


इसमें कोई दो राय नहीं कि इस समय नीतीश बिहार की राजनीति में सबसे स्वीकार्य नेता हैं इसके बावजूद अपने सहयोगी दल के रवैए से वो असहज महसूस कर रहे हैं


बात उस समय की है जब नीतीश कुमार दसवीं की परीक्षा दे रहे थे और मैथ्स (गणित) का पेपर चल रहा था. तय समय पूरा हो जाने के कारण परीक्षक ने उनकी कापी छीन ली ओर उस गणित के पेपर मे नितीश कुमार 100 मे 98 अंक ही पा सके। उन्हें इस बात का हमेशा मलाल रहा कि वो 100 अंक हासिल नहीं कर सके.

राजनीति की दुनिया में नीतीश कुमार ने कई मौकों पर ऐसे फैसले लिए जो लोगों को चौंकाने वाले रहे, लेकिन शायद नीतीश को किसी फैसले का मलाल नहीं रहा. आज नीतीश कुमार फिर राजनीति के अपने पेपर में उस मुकाम पर खड़े हैं जिसका तय समय पूरा होना वाला है लेकिन समय के इस पड़ाव पर वो अपने खुद के परीक्षक हैं और कॉपी अपने पास रखनी है या किसी को देनी है, उन्हें खुद तय करना है.

यह समय बिहार की राजनीति, उनकी पार्टी और खुद नीतीश कुमार के लिए काफी निर्णायक होने वाला है. बिहार एनडीए में घमासान मचा हुआ है. लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान और मोल भाव का दौर चालू है. बीजेपी के नेता तरह-तरह के बयान देकर उनपर दबाव बनाने का काम शुरू कर चुके हैं. राजनीतिक हलके में चर्चा हो रही है कि अगर बीजेपी से बात नहीं बनी तो वो फिर कुछ चौंकाने वाला निर्णय ले सकते हैं. नीतीश भी अपने अदांज में एक बार फिर दबाव की राजनीति कर कर रहे हैं.

उनकी पार्टी जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हो रही है. इस बैठक में नीतीश के अध्यक्षीय भाषण पर सबकी निगाहें हैं. इस भाषण से तय हो जाएगा कि बिहार में क्या होने वाला है. इस भाषण का इंतजार बीजेपी के साथ-साथ बिहार की पार्टियों को भी है. बिहार में आरजेडी अभी मजबूत स्थिति में है. नीतीश इस बात को बखूबी जानते हैं. आगे उनका निर्णय जो भी वो इस हकीकत को ध्यान में जरूर रखेंगे.

तमाम अटकलों और चर्चाओं के बीच सबसे बड़ी बात यह है कि नीतीश आज भी बिहार की राजनीति के सबसे बड़े खिलाड़ी और चेहरा हैं. इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता. उनका कद आज भी राज्य के तमाम नेताओं में सबसे बड़ा है. बदलते हुए हालात में अपनी प्रासंगिता को बनाए रखने के लिए नीतीश कुमार कड़े राजनीतिक फैसले लेने के लिए जाने जाते हैं.

शराबबंदी का साहसिक फैसला

नीतीश कुमार ने जब 2015 बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महिलाओं के एक समूह को संबोधित करते हुए कहा था कि अगर इस बार हमारी सरकार बनी तो राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू करूंगा. उस समय नीतीश बीजेपी का दामन छोड़ आरजेडी के साथ हो लिए थे. लेकिन इस फैसले पर उन्हें अपने सहयोगी आरजेडी का साथ नहीं मिला. नीतीश कुमार चुनाव जीत कर आए और उन्होंने अपने वादे को पूरा किया और राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू हो गई.

नीतीश के इस फैसले पर बीजेपी ने भी खुली रजामंदी नहीं जताई थी. हालांकि नीतीश पर इसका कोई असर नहीं पड़ा. उन्होंने 10 करोड़ आबादी वाले राज्य में पूर्ण शराबबंदी कर ही दी. मीडिया में तमाम खबरें चलीं कि शराबबंदी से राज्य के राजस्व पर न जाने कितने करोड़ का असर पड़ेगा, लेकिन इसी मीडिया से किसी ने यह जानने की कोशिश क्यों नहीं की कि राज्य की एक बड़ी जनसंख्या पर इसका असर क्या हुआ और न जाने कितने घर टूटने से बच गए.

आरजेडी के साथ जाना और फिर साथ छोड़ देना

नीतीश कुमार ने जब बीजेपी से नाता तोड़ा था तब नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय फलक पर चमकने के लिए पूरी तरह तैयार हो चुके थे. ऐसा नहीं था कि नीतीश यह नहीं जानते थे कि जिस बीजेपी नेतृत्व (अटल-आडवाणी) में विश्वास जता कर उन्होंने इस पार्टी का दामन थामा था, अब वह वैसी नहीं रही. लेकिन राजनीतिक भविष्य का अंदाजा उन्हें लग गया था. उन्हें समझ आ गया था कि बिहार जैसे राज्य में खुद को प्रासंगिक बनाए रखने के लिए बीजेपी का साथ छोड़ने का समय आ गया है.4

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जिस लालू का विरोध कर नीतीश ने सत्ता हासिल की थी उसी लालू से गले मिल चुनाव जीतना और फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर अपना नाम लिखवाना. यह नीतीश के राजनीतिक जीवन का सबसे कठीन फैसला था. लालू के साथ गए भी तो वहां भी चेहरा खुद बने रहे. आरजेडी ने 2015 विधानसभा चुनाव में जेडीयू से ज्यादा सीटें हासिल की थी लेकिन लालू और उनकी पार्टी ने चेहरा के तौर पर नीतीश को ही चुना था.

महागठबंधन में आरजेडी और कांग्रेस नीतीश के मुख्य सहयोगी थे. सरकार बनी तो लालू के छोटे बेटे तेजस्वी यादव को उपमुख्यमंत्री का पद मिला. नीतीश की राजनीति और काम करने के तरीके को समझने वाले लोग कहने लगे थे कि यह साथ लंबा नहीं चलेगा, लेकिन नीतीश ने कभी भी ऐसा कुछ नहीं कहा. वो बीजेपी के सहयोगी से बीजेपी के कट्टर विरोधी बन गए. मौका मिलने पर संघ मुक्त भारत के निर्माण की कल्पना भी की.

सरकार बनने के बाद प्रशासनिक स्तर पर नीतीश का वो जोर नहीं दिखा जो बीजेपी के साथ सरकार में रहने पर 10 साल तक था. राज्य में अराजकता बढ़ने लगी. हत्या, अपहरण और अपराध का दौर फिर से अपने पुराने रूप में लौटने को तैयार दिखने लगा. यह सब तो ठीक था, लेकिन जिस प्रकार से लालू परिवार पर एक-एक कर भ्रष्टाचार के आरोप लगते गए और रोज नए-नए घोटालों में लालू परिवार के सदस्यों का नाम आने लगा, इससे नीतीश असहज हो गए.

हद तो तब हो गई तब बिहार के उपमुख्यमंत्री रहे तेजस्वी यादव का नाम भी ऐसे ही मामलों में आने लगा. नीतीश ने दूसरे तरफ से सफाई की उम्मीद की. उन्होंने सोचा की जनता के बीच जाकर बिहार के युवा नेता तेजस्वी सफाई देंगे, लेकिन लालू के नेतृत्व में ताकत का प्रदर्शन का खेल चलने लगा और सफाई तो दूर कोई बयान तक नहीं दिया गया.

नीतीश मजबूर हुए और राजनीति के शतरंज में बिना शह दिए सरकार के सबसे बड़े सहयोगी को मात दे दी और बीजेपी का दामन थाम लिया. नीतीश के इस फैसले की मीडिया में जमकर आलोचना हुई. मीडिया से लेकर विरोधी पार्टी के नेताओं ने उन्हें पलटूराम तक कह दिया. नीतीश को क्या लालू और उनके परिवार के भ्रष्टाचार को एंडोर्स करना चाहिए था, शायद इसका जवाब किसी के पास न हो. यह सिर्फ बातें नहीं हैं सीबीआई से लेकर ईडी तक मामला पहुंचा हुआ है. जब स्थिति ऐसी हो तो फैसले पर विचार हर कोई करता है. नीतीश ने भी वही किया.

बिहार में किसी भी पार्टी के पास नीतीश के कद का नेता नहीं

इतनी बातें कहने के बाद और राजनीतिक हालात पर चर्चा करने के पश्चात एक बात कहना बेहद जरूरी सा जान पड़ता है. फिलहाल नीतीश की सहयोगी वह पार्टी है जिसका दामन उन्होंने दो दशक से भी ज्यादा समय पहले थामा था. वह पार्टी कोई और नहीं बल्कि आज केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी ही है. बीजेपी को यह हर हाल में समझ लेना चाहिए कि नीतीश कुमार कोई जीतन राम मांझी, रमई राम, राम विलास पासवान और सुशील कुमार मोदी नहीं हैं.

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अगर बीजेपी को यह लगता है कि नीतीश कुमार कमजोर हो गए हैं तो उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि कुछ समय पहले ही आरजेडी के साथ जाने के बाद और फिर आरजेडी का दामन छोड़ के बीजेपी में आने के बाद भी नीतीश ही बिहार के मुख्यमंत्री बने हुए हैं. अगर इन विपरित परिस्थितियों में एक सर्वमान्य नेता के तौर पर नीतीश कुमार किसी भी पार्टी में जाकर राज्य के मुखिया रह सकते हैं तो बीजेपी को अपनी सोच पर काम करना होगा और नीतीश के स्तर का नेता बिहार में तैयार करना होगा, जो एक दो साल में संभव नहीं है. वर्तमान में जिस तरह से बीजेपी की कार्यशैली चल रही है आने वाले कुछ सालों में भी यह पार्टी शायद ही इस कद का नेता दे पाए.

बीजेपी के चाणक्य भी जानते हैं नीतीश की स्थिति

बीजेपी के ‘चाणक्य’ अमित शाह को यह जरूर आभास होगा कि हालात 2014 जैसे नहीं हैं, ऐसे में नीतीश कुमार जैसे सर्वमान्य चेहरे को खोने की कीमत भी वो बखूबी लगा लिए होंगे. बिहार की सत्ता संभालने के बाद जो तमाम काम नीतीश कुमार ने किए उनमें से कई को केंद्र की सरकार ने भी आदर्श माना. विपरित परिस्थितियों और बदले हुए नेतृत्व को यह जरूर पता को होगा कि नीतीश की एक ‘सात निश्चय योजना’ बिहार की दशा बदल रही है.

तमाम कार्य और राज्य को उन्नति की दिशा में लगातार अग्रसर करने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की एक बात पर लोगों ने बहुत कम गौर किया और वो था/है की नीतीश ने कभी भ्रष्टाचार से समझौता और धर्म की राजनीति करने वालों से कभी कोई उम्मीद नहीं रखी और न ही ऐसे लोगों को कोई मौका दिया.

भाजपा द्वारा पीडीपी को तोडऩे का प्रयास ‘भारतीय लोकतंत्र में कश्मीरियों के विश्वास को समाप्त’ कर देगा : महबूबा मुफ्ती

 

नई दिल्ली। जम्मू एवं कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने चेतावनी देते हुए कहा है कि राज्य में भाजपा द्वारा पीडीपी को तोडऩे का प्रयास ‘भारतीय लोकतंत्र में कश्मीरियों के विश्वास को समाप्त’ कर देगा। पीडीपी प्रमुख ने इंडिया टीवी को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘अगर दिल्ली हस्तक्षेप करती है, हमारी पार्टी को तोड़ती है और सज्जाद लोन या किसी को भी मुख्यमंत्री बनाती है तो इससे कश्मीरियों का भारतीय लोकतंत्र में विश्वास समाप्त हो जाएगा। दिल्ली द्वारा किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप को गंभीरता से लिया जाएगा।’’

हालांकि भाजपा महासचिव राम माधव ने जम्मू एवं कश्मीर में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के असंतुष्ट विधायकों के साथ गठबंधन कर सरकार बनाने की किसी भी संभावना से इंकार कर दिया। यहां 19 जून से राज्यपाल शासन लागू है। माधव ने ट्वीट किया, ‘‘हम राज्य में शांति, सुशासन और विकास के हित में राज्यपाल शासन लागू रहने देने के पक्ष में हैं।’’

माधव का यह बयान ऐसे समय आया है, जब कयास लगाए जा रहे थे कि भाजपा और इसके सहयोगी, पूर्व अलगाववादी सज्जाद लोन का पीपुल्स कांफ्रेंस पीडीपी में एक राजनीतिक नियंत्रण स्थापित कर इसके बागी विधायकों का समर्थन हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं। पीडीपी के कम से कम पांच विधायकों ने सार्वजनिक तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के खिलाफ बयान दिया था।

87 सदस्यीय जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा में सत्ता हासिल करने के लिए जरूरी सदस्यों के जादुई आंकड़े किसी भी पार्टी के पास नहीं हैं। सदन में, पीडीपी के पास 28 विधायक हैं, भाजपा के पास 25 विधायक हैं और इसे पीपुल्स कांफ्रेंस के दो विधायकों और लद्दाख के एक विधायक का समर्थन प्राप्त है। यहां सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी को 44 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी।

अपने साक्षात्कार में, मुफ्ती ने इन रपटों को आधारहीन बताया, जिसमें उनके पार्टी के कांग्रेस के साथ गठबंधन करने की कोशिश की बात कही गई है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर ऐसा होता तो मैं इस्तीफा क्यों देती? जब हमारी सरकार गिरी, राज्यपाल ने मुझसे पूछा कि क्या मैं अन्य विकल्पों की ओर देख रही हूं और मैंने उनसे कहा कि मैं एक घंटे में उन्हें अपना इस्तीफा सौंपूंगी।’’ महबूबा ने कहा, ‘‘पीडीपी दो वर्ष पहले कांग्रेस के साथ सरकार बना सकती थी। लेकिन हमने ऐसा नहीं किया और एक महान उद्देश्य के लिए भाजपा के साथ सरकार बनाई, जिसका सपना मेरे पिता ने देखा था।’’

प्रधानमंत्री मोदी के पाकिस्तान के साथ शांति की कोशिश और उसके जवाब में पाकिस्तान की ओर से पठानकोट और उरी जैसी घटनाएं अंजाम देने के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह नहीं कहती हूं कि मोदीजी ने प्रयास नहीं किया, लेकिन इसमें निरंतरता होनी चाहिए। हमने मोदीजी को श्रीनगर आने का निमंत्रण दिया, जहां उन्होंने विशाल जनसभा को संबोधित किया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘घाटी के लोगों को बहुत उम्मीदें थी, लेकिन वे निराश होकर अपने घर गए।’’

समस्याओं का सामना करने के लिए मोदी के 56 इंच के सीने के दावे को याद करते हुए मुफ्ती ने कहा, ‘‘उन्हें जम्मू एवं कश्मीर के लोगों को अपने 56 इंच के सीने में से कम से कम एक इंच भी देना चाहिए था। भारत का विचार, जम्मू एवं कश्मीर के विचार के बिना अधूरा है।’’

Two juveniles sentenced to three years’ imprisonment each for killing a youth


The victim was the only son of his parents. His father Tej Pal works in the Postgraduate Institute of Medical Education and Research’s sanitation department.

 


Chandigarh

July 7, 2018

Two juveniles, who stabbed to death an 18-year-old man at Sector 25 market in August 2016, were sentenced to three years’ imprisonment each by the juvenile court of Chandigarh on Saturday. The court also slapped a fine of Rs 600 each on the convicts. The accused were arrested after a CCTV footage of the incident went viral. The two have been sentenced to imprisonment under sections 302 (murder), 147 (rioting) and 148 (rioting, armed with deadly weapon) of the Indian Penal Code.

The juveniles were granted bail after furnishing bonds in the court on Saturday.

The victim was the only son of his parents. His father Tej Pal works in the Postgraduate Institute of Medical Education and Research’s sanitation department. The incident occurred in August 2016 when the victim, Vikas, was at the Sector 25 market along with two friends. When he was about to leave, a youth started beating him up. Though he tried to run away, a group of youths caught him within seconds and pounced on him with sharp weapons. When Vikas fell on the ground, he was repeatedly stabbed in the neck, back and head. A passer-by intervened but the attackers managed to flee, leaving the victim bleeding. The victim was rushed to Government Multi-Specialty Hospital (GMSH) Sector 16, Chandigarh, where he succumbed to injuries. Police then registered a case under Section 302 of the IPC at Sector 11 PS in Chandigarh.

During investigation, nine persons, including Kuldeep, Vishal, Vikas alias Polcia and Raju and five juveniles, were arrested initially. Later, when the juvenile court declared three of the five juveniles as major, only two juveniles were tried in the juvenile court while the other seven were tried in the Chandigarh district court.

According to police, the accused were arrested after the police received vital clues about the incident from the CCTV footage. The accused were apprehended from the jungle area of Sector 25. They were all residents of Sector 25, Chandigarh. Police had learnt that there was an old enmity of the victim with the accused youths which led to the murder. The victim was involved in a brawl with the accused earlier as well, following which they planned to assault him. Vikas had entered into a brawl with the other group following which a cross-case was also registered against him at Sector 11 PS following which Vikas had returned home from jail just 15 days before his murder.

During the trial, the counsel for defence, Rohit Mahajan, argued in court that the juveniles had been falsely implicated in the case as one of them was the brother of an accused Kuldip because of which the juvenile was also held by the police among the nine arrested. It was also argued that the victim was a history-sheeter and several criminal cases were pending against him in the juvenile court.

After hearing the arguments and going by evidence, the court held the duo guilty and sentenced them to imprisonment for three years. Mahajan said they would appeal against the order in the sessions court.

Traffic chaos following closure of the railway crossing 126


Local residents said after the closure of the railway crossing, rush on the internal roads in Modern Housing Complex towards Kalagram light point, which links to Madhya Marg, has increased.


Chandigarh

June 7, 2018

Commuters through Madhya Marg are having a tough time due to traffic chaos following closure of the railway crossing 126 at Manimajra here due to an ongoing construction work of a Railway Under Bridge (RUB), even as the authorities are claiming to reopen it in the next 10-15 days.

Local residents said after the closure of the railway crossing, rush on the internal roads in Modern Housing Complex towards Kalagram light point, which links to Madhya Marg, has increased. “Earlier, commuters from Manimajra and Panchkula preferred the railway crossing, but as it has been barricaded from both the sides, people have no option, but to use the Madhya Marg,” said a local resident.

Though the RUB work had started in February, the road through the railway crossing had been closed on June 25 for shifting the underground pipelines of sewage, rainwater and drinking water.

In the peak hours, the stretch between Railway and Housing Board light points on Madhya Marg becomes more chaotic.

Sub-divisional Engineer (SDE) with the Chandigarh Municipal Corporation (MC), Joginder Kumar, however, said two-wheeler riders are allowed to use the crossing.

Even though the two-wheeler riders are passing through the railway crossing, Randhir Singh, a resident of Modern Housing Complex, said four-wheelers cannot. “We have to use Kala Gram light point to reach Madhya Marg. The crossing was considered to be an alternative route, widely being used by emergency vehicles, including ambulances,” said the Panjab University employee.

The SDE said the railway crossing will reopen within 10 days. “The work of shifting all the pipelines are in last stage. The road, which was dug for shifting the pipelines, will be reconstructed. “

The work of shifting the three underground pipelines is being done by a private contractor, Pawan Kumar, under the supervision of public health department of Chandigarh Municipal Corporation (MC).

A traffic police inspector, too, confirmed a communication from the public health department of the MC, suggesting that the railway crossing will reopen within a fortnight. He, however, said that it seemed to take more time.

Meanwhile, the work was halted for over three hours on Saturday following a complaint that the private contractor was stealing electricity from a nearby tube well for welding.

Senior officers, including SDE Joginder Kumar, went to the spot. Kumar said they found the complaint to be valid. “We have told the contractor to use his generator. Pawan said that the generator had developed a technical snag, so he had to take electricity from the nearby MC tube well in emergency. We are planning to take action against him,” said Kumar.

Later, contractor Kumar start using his generator for the welding work. A JE-rank officer, present on the spot, said, after the completion of the work of shifting the pipelines, the union territory administration will take care of rest of the work. “Railway authorities will take over in the last phase. It will take around seven months to complete the RUB,” said the officer.

The railway ministry had given a go ahead for the RUB back in 2013, however, the foundation stone was laid only in April 2017. The RUB will be of low height, 10 feet, under which CTU buses cannot pass. Its width will be 36 feet.

JEE, NEET to be conducted online, twice a year


The engineering and medical entrance exams JEE and NEET would now be conduced online and twice a year by the newly formed National Testing Agency(NTA), HRD Minister Prakash Javdekar said today.

The Joint Entrance Examination (JEE) Main and National Eligibility cum Entrance Examination (NEET) will be held by newly formed examination conducting agency, NTA, Javdekar told reporters.

The NTA would conduct its first exam NET, that was till now conducted by the CBSE, in December, he added.

JEE (Mains) would be conducted twice a year, in January and April. NEET (UG) would be conducted in February and May, the minister said.

The NTA would also conduct National Eligibility cum Entrance Test Common Management Admission Test (CMAT) and Graduate Pharmacy Aptitude Test(GPAT), Javadekar said.

CMAT and GPAT would be conducted in January next year.

The students can appear both the times in National Eligibility cum Entrance Test (NEET) and JEE (Mains) and the best of the two scores would be taken in account for admission, the minister said. NEET is conducted for admissions to medical institutions across the country.

“This will give more chances to students thereby giving adequate opportunity to bring out his/her best and reduce stress which develops due to a single exam being conducted on one day in the year. However, sitting in both the tests will not be compulsory,” he said.

The two tests — JEE (Mains) and NEET — would be equated using psychometric methods, standardisation techniques and best of the equated scores would be used for the admissions.

The minister said that the exams would be more secure and at par with international norms. There would be no issues of leakage and it would be more student friendly, open, scientific and leak-proof, he stressed.

“The examinations for all candidates will be conducted in computer-based mode only. These examinations will use highly secured IT software and and encryption to ensure delivery of tests just in time. This will ensure no leakages and other malpractices,” he told reporters.

Javadekar assured that the syllabus, the pattern of the question paper would remain the same and there would no increase in the examination fees. The exams would be held in the existing number of languages.

“All the tests would be set in a scientific manner with the test items developed jointly by the subject matter experts and psychometricians.

“Before developing the question papers, the item writers for the exams will be given on the functioning of the previous years’ items so that they are able to make test items which are more valid and reliable,” he said.

All the tests would be conducted in multiple sittings and a candidate would have an option of choosing from the dates. Scores of different candidates in multiple sittings would also be equated using standardisation techniques.

NTA would establish a network of test practice centres for students from rural areas so that everyone would have an opportunity to practice before the exam.

Schools/engineering colleges with computer centres would be identified and kept open on Saturday/Sunday starting from third week of August and any student can use the facility free of charge, he added.

The time table of the exams to be conducted by the NTA would be uploaded on the ministry’s website.

The IITs would continue to conduct Joint Entrance Examination-Advanced exam, he said.

The online submission of application forms for NET would start from September 1 and would be on till September 30.

The examinations would be held between December 2 to December 12 in two shifts per day on Saturdays and Sundays. The results would be declared in the last week of January 2019.

The online submission of application forms for JEE (Mains) would start from September 1 and be on till September 30.

The examinations would be held between January 6, 2019 to January 20, 2019 in eight different sittings and candidates can choose any one. The results would be declared in the first week of February 2019.

The online submission of application forms for the second phase of JEE (Mains) would start from second week of February 2019.

The examinations would be held between April 7, 2019 to April 21, 2019 in eight different sittings and candidates can choose any one. The results would be declared in the first week of May 2019.

The online submission of application forms for NEET (UG) would start from October 1 and be on till October 31. The examinations would be held between February 3, 2019 to January 17, 2019 in eight different sittings and candidates can choose any one. The results will be declared in the first week of March 2019.

The online submission of application forms for second phase of NEET (UG) would start from second week of March next year. The examinations would be held between May 12, 2019 to May 26, 2019 in eight different sittings and candidates can choose any one. The results would be declared in the first week of June.

The online submission of application forms for CMAT and GPAT would start from October 22 till December 15. The examinations would be held on January 27 next year and the results would be declared in the first week of February.

The Union Cabinet had approved setting up of the NTA to conduct entrance examinations for higher educational institutions.

So far, The Central Board of Secondary Education(CBSE) conducted NEET on behalf of the Medical ouncil Of India and the Health Ministry and NET on behalf of the University Grants Commission(UGC).