प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी उर्फ़ क्रूर बादशाह औरन्ग्ज़ेब : सुरजेवाला


एक बादशाह के नाम पर सड़क को ले कर लड़ाई लड़ने वाली कांग्रेस के प्रवक्ता ने आज माना कि औरंगजेब भारतीय इतिहास के क्रूर तानाशाहों में से एक है.( तानाशाह चुने नहीं जाते, थोपे जाते हैं)


आपातकाल के 43 साल पूरे होने के मौके पर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस आमने-सामने है. पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस पर हमला बोला, तो अब कांग्रेस की ओर से भी पलटवार किया गया है. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना औरंगजेब से की. उन्होंने कहा कि दिल्ली सल्तनत के औरंगजेब से भी क्रूर तानाशाह नरेंद्र मोदी ने देश को आपातकाल का पाठ पढ़ाया, लेकिन आज उन्होंने ही पूरे प्रजातंत्र को बंधक बना लिया है.

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि इंदिरा गांधी ने व्यापक लड़ाई लड़ी थी. पीएम मोदी आपातकाल की याद दिलाकर देश को भटका रहे हैं, क्या इंदिरा गांधी को कोसने से किसान को मुनाफा मिल सकता है. क्या आपातकाल की दुहाई देकर अच्छे दिन आएंगे.

सुरजेवाला बोले कि औरंगजेब ने तो सिर्फ पिता को बंधक बनाया था, लेकिन आज के औरंगजेब ने पार्टी सहित पूरे प्रजातंत्र को बंधक बना लिया है.

उन्होंने कहा कि मोदी जी बूढ़ी माँ उदाहरण दे रहे थे, लेकिन वही बूढ़ी मां आज नोट बदलने के लिए लाइन में खड़ी है. आज सवाल पूछने पर हर व्यक्ति को देशद्रोही करार दिया जाता है, लालकृष्ण आडवाणी जी को जबरन मार्गदर्शक मंडल में भेज दिया जाता है.

कांग्रेस नेता ने कहा कि इंदिरा गांधी ने भूमि सुधार पर काम कर वंचितों को अधिकार दिलाने पर काम किया, इन पर जनसंघ के अधिकार था. मोदी जी आज भी सूदखोरों, चंद बड़े लोगों को फायदा पहुंचा रहे हैं. उन्होंने कहा कि 100 दिन में 80 लाख करोड़ रुपए नहीं आए, हर साल 2 करोड़ लोगों को रोजगार नहीं मिला. पिछले 49 महीने से देश में दलितों पर अत्याचार हो रहा है.

उन्होंने कहा कि इतिहास के पन्नों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है. देश में आज सर्वोच्च न्यायालय के जजों को जनता के सामने न्याय मांगने पर मजबूर होना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि मोदी जी, इतिहास बनने वाले हैं.

आपको बता दें कि इससे पहले अरुण जेटली ने आपातकाल के मुद्दे पर निशाना साधते हुए पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तुलना जर्मन तानाशाह हिटलर से की थी.

राहुल ने स्वीकार किया थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन द्वारा हुए सर्वे को, शर्म की बात है

 


विडंबन यह है की विपक्ष के नेता को विदेशी सर्वे बताते हैं की उनके देश में महिलाओं की क्या स्थिति है. और इससे पाहिले उन्हें इस बात की बनक तक नहीं होती. उनकी पार्टी के कार्यकर्ता इतने फूहड़ हैं की वह अपने मालिक को भारत की यथा स्थिति से अवगत नहीं करवाते, यदि ऐसा होता तो अब तक राहुल गांधी कितनी ही अबलाओं की जिंदगी सुधार चुके होते. 

यह शर्म की बात है.


नई दिल्लीः

भारत को महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित देश बताये जाने वाल सर्वे  को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी  ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. राहुल गांधी ने अपने ताजा ट्वीट में कहा है कि भारत महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा और बलात्कार के मामले में अफगानिस्तान, सऊदी अरब और सीरिया से भी आगे हो गया है.


  • अब प्रश्न यह उठता है कि रानी जी को कौन कहे कि आगा ढांके.
  • राहुल से हम पूछना चाहते हैं कि क्या पंजाब, कर्णाटक पुद्दुचेरी भारत में नहीं आते? और यदि आते हैं तो क्या वहां की सरकारों को क्लीन चिट दी गयी है?
  • दूसरी बात जब भारत की तरक्की की खबरे यह सर्वे रिपोर्ट्स दिखाती हैं तब राहुल कहते हैं कियह सर्वे मोदी ने खरीदा है, तो क्यों न यह मान लिया जाए की या सर्वे विपक्ष और खासकर राहुल की पार्टी ने खरीदा हो.
  • तीसरे इस सर्वे के जारी होने की तारीख को लेकर कुछ संशय उठते हैं, यह रिपोर्ट ठीक उसी दिन आते हैं जब भाजपा 26, जून को प्रजातंत्र पर एक काला दिवस के रोप में याद करती है और राष्ट्र भर में आपातकाल की भयावहता को याद करती और करवाती है.

बता दें कि हाल ही में थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन द्वारा थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन द्वारा हुए सर्वेहुए सर्वे में महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीडन और उन्हें सेक्स वर्कर के धंधे में जबरन धकेलने के कारण भारत को सबसे असुरक्षित देश  माना गया है. वहीं इस सर्वे में अफगानिस्तान, सीरिया और अमेरिका को दूसरे, तीसरे और चौथे स्थान पर रखा गया है. 26 जून को वैश्विक विशेषज्ञों द्वारा किये गए सर्वे में भारत को महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित देश बताया गया है.

राहुल गाँधी ने अपने ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट से लिखा, ‘जिस समय हमारे प्रधानमंत्री अपने गार्डन में योगा वीडियो बनाने में व्यस्त थे, भारत ने महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा और बलात्कार के मामले में अफगानिस्तान, सऊदी अरब और सीरिया को पीछे छोड़ दिया, हमारे देश के लिए कितने शर्म की बात है! ‘

 

Rahul Gandhi

@RahulGandhi

India the most dangerous country for women, survey shows

India is the most dangerous country in the world to be a woman because of the high risk of sexual violence and slave labor, a new survey of experts shows.


थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन के एक सर्वे के मुताबिक भारत में महिलाओं के प्रति अत्याचार और उन्हें जबरन वैश्यावृत्ति में धकेलने के मामले सबसे ज्यादा सामने आए हैं. सर्वे में पश्चिम देशों में केवल अमेरिका का ही नाम है. सर्वे के मुताबिक पिछले कुछ दिनों में अमेरिका में महिलाओं के प्रति हिंसा की गतिविधियां बढ़ी हैं.

महिलाओं की असुरक्षा को लेकर पहले स्थान पर भारत
वहीं इससे पहले 2011 में हुए सर्वे में अफगानिस्तान, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कांगो , पाकिस्तान, भारत और सोमालिया महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित देश बताए गए थे. 2011 में हुए सर्वे में भारत को भारत को चौथे स्थान में रखा गया था. लेकिन, इस साल सारे देशों को पीछे छोड़ भारत को महिलाओं की असुरक्षा की दृष्टि से पहला स्थान दिया गया है. जिससे साफ पता चलता है कि भारत महिलाओं के लिए दिनों दिन कितना खतरनाक होता जा रहा है.

महिलाओं के प्रति अत्याचार में 2007 से 2016 के बीच 83 प्रतिशत वृद्धि
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक भारत में हर घंटे बलात्कार के चार मामले दर्ज होते हैं. 2007 से 2016 के बीच देश में महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामलों में 83 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. सर्वे में विशेषज्ञों से पूछा गया था कि सयुंक्त राष्ट्र के 193 सदस्यों में से ऐसे कौन से पांच सदस्य राष्ट्र हैं जो महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं. जिसके जबाव में भारत, अफगानिस्तान, सीरिया-अमेरिका, सोमालिया और सऊदी अरब को रखा गया.

सऊदी अरब में महिलाओं के संरक्षण का पूरा अधिकार पुरुषों के हाथ
थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन द्वारा हुए सर्वे में विशेषज्ञों को मानव तस्करी, यौन उत्पीड़न, सेक्स स्लेवरी, और घरेलू हिंसा में भी भारत को सबसे खतरनाक देश बताया गया. वहीं सऊदी अरब में महिलाओं के संरक्षण का पूरा अधिकार पुरुषों के हाथ सौंप दिया जाता है. जिसे विशेषज्ञों ने मौलिक अधिकारों के खिलाफ बताया है. इस लिस्ट में अमेरिका इकलौता ऐसा पश्चिमी देश है जिसे इस लिस्ट में रखा गया है.

रंजन गोगोई होंगे नये प्रधान न्यायाधीश : सूत्र


दूर-दूर तक संभावना नहीं लगती है. पूर्व न्यायाधीश जे चेलमेश्वर के नेतृत्व में 12 जनवरी को बुलाए गए अप्रत्याशित संवाददाता सम्मेलन में न्यायमूर्ति गोगोई के हिस्सा लेने के बाद से इस बात की अटकलें लगाई जाने लगीं कि अगला प्रधान न्यायाधीश कौन होगा.


नई दिल्लीः

विधि विशेषज्ञों ने कहा है कि प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा स्थापित मानदंडों को ताक पर रखकर सर्वाधिक वरिष्ठ न्यायाधीश रंजन गोगोई के नाम की सिफारिश अपने उत्तराधिकारी के तौर पर नहीं करेंगे इस बात की वस्तुत : दूर-दूर तक संभावना नहीं लगती है. पूर्व न्यायाधीश जे चेलमेश्वर के नेतृत्व में 12 जनवरी को बुलाए गए अप्रत्याशित संवाददाता सम्मेलन में न्यायमूर्ति गोगोई के हिस्सा लेने के बाद से इस बात की अटकलें लगाई जाने लगीं कि अगला प्रधान न्यायाधीश कौन होगा.

विधि विशेषज्ञों की राय का महत्व है क्योंकि विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद के हाल के बयान से चर्चा फिर से शुरू हो गई है. प्रसाद ने कहा था कि न्यायमूर्ति मिश्रा के उत्तराधिकारी के चयन में सरकार की कोई भूमिका नहीं है. प्रधान न्यायाधीश मिश्रा का कार्यकाल दो अक्तूबर को समाप्त हो रहा है.

संविधान विशेषज्ञ और वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने न्यायमूर्ति गोगोई के बेदाग न्यायिक रिकॉर्ड का उल्लेख करते हुए कहा कि अगर सीजेआई पद के लिये उनके नाम की सिफारिश नहीं की जाती है तो यह उन्हें उनकी वरिष्ठता की अनदेखी किये जाने सरीखा होगा , जैसा 1970 के दशक में हुआ था. उन्होंने कहा कि इस तरह के कदम से न्यायपालिका की स्वतंत्रता से समझौता होगा , जो सीजेआई कभी नहीं चाहेंगे. वरिष्ठ अधिवक्ता और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने कहा कि यद्यपि न्यायमूर्ति गोगोई की वरिष्ठता की अनदेखी किया जाना संभव नहीं है , लेकिन अगर ऐसा होता है तो सभी तीन सर्वाधिक वरिष्ठ न्यायाधीशों (न्यायमूर्ति गोगोई , न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ) को इस्तीफा देना होगा.

सिंह ने कहा , ‘‘ यह परिदृश्य (सीजेआई का न्यायमूर्ति गोगोई के नाम की सिफारिश अपने उत्तराधिकारी के तौर पर नहीं करना) संभव नहीं है और ऐसा नहीं होगा. ’’ यह पूछे जाने पर कि अगर सीजेआई सर्वाधिक वरिष्ठ न्यायाधीश के नाम की सिफारिश अपने उत्तराधिकारी के तौर पर नहीं करके अगर स्थापित परंपराओं का पालन नहीं करते हैं तो क्या होगा , इसपर उन्होंने कहा , ‘‘ एक समस्या होगी और उस स्थिति में न्यायमूर्ति ए के सीकरी जिनके सीजेआई से अच्छे संबंध हैं , उनके नाम की सिफारिश की जा सकती है. ’’

उन्होंने कहा , ‘‘ उस स्थिति में तीन सर्वाधिक वरिष्ठ न्यायाधीशों (न्यायमूर्ति गोगोई , न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ) को इस्तीफा देना होगा , जिसकी संभावना काफी कम है. ’’ धवन ने विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद के हाल के स्पष्ट बयान का उल्लेख किया , जिसमें उन्होंने कहा था कि मौजूदा सीजेआई के उत्तराधिकारी का चयन करने में सरकार की कोई भूमिका नहीं है और इस तरह से दरकिनार किये जाने की बहुत मामूली संभावना है.

उन्होंने कहा , ‘‘ एकमात्र बात जो सीजेआई मिश्रा को पसंद नहीं आई होगी वह है 12 जनवरी को चार न्यायाधीशों का संवाददाता सम्मेलन करना. अगर ऐसा है तो एक न्यायाधीश सेवानिवृत्त हो चुके हैं. न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ भी उस संवाददाता सम्मेलन का हिस्सा थे. अगर सीजेआई के करीबी न्यायमूर्ति ए के सीकरी को नियुक्त करने की कोई चाल नहीं हो तो न्यायमूर्ति गोगोई को नियुक्त नहीं किये जाने का कोई कारण नहीं है. ’’

न्यायमूर्ति गोगोई को सीजेआई नहीं बनाने के कदम के परिणाम के बारे में पूछे जाने पर धवन ने कहा , ‘‘ इसके विचित्र परिणाम होंगे. यह 1970 के दशक में न्यायाधीशों की वरिष्ठता की अनदेखी किये जाने की स्थिति की ओर ले जाएगा. इस तरह से वरिष्ठता की अनदेखी न्यायपालिका की स्वतंत्रता को प्रभावित करेगी. मुझे उम्मीद है कि सीजेआई इस तरह से वरिष्ठता की अनदेखी का जरिया नहीं बनेंगे. ’’

1970 के दशक में तत्कालीन केंद्र सरकार ने वरिष्ठता की अनदेखी करते हुए 1973 में न्यायमूर्ति ए एन रे को प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किया था. इसके बाद न्यायमूर्ति जे एम शेलत , न्यायमूर्ति के एस हेगड़े और न्यायमूर्ति ए एन ग्रोवर ने इस्तीफा दे दिया था.  बाद में वरिष्ठता क्रम में ऊपर न्यायमूर्ति एच आर खन्ना की अनदेखी करते हुए न्यायमूर्ति एम एच बेग की सीजेआई के तौर पर नियुक्ति की गई थी. इसके बाद खन्ना ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.

बीते 28 दिनों में पेट्रोल हुआ 3.03 और डीजल 3.12 रूपये सस्ता

 

नई दिल्ली :

पेट्रोल-डीजल के दामों में 28वें दिन भी कटौती की गई. मंगलवार को भी पेट्रोल-डीजल के रेट में आम आदमी को राहत दी गई. तेल कंपनियों ने देश के चार महानगरों में पेट्रोल पर 14 से 18 पैसे प्रति लीटर तक की कटौती हुई. वहीं, डीजल में 10 से 12 पैसे की कटौती की गई. लगातार 28 वें दिन पेट्रोल और डीजल की कीमत में कटौती से आम आदमी को धीरे-धीरे राहत मिल रही है. हालांकि यह राहत नाकाफी है. पिछले 28 दिन में चेन्नई में पेट्रोल 3.03 रुपये और मुंबई में 3.12 रुपये सस्ता हुआ है.

कर्नाटक चुनाव परिणाम के बाद 30 मई से पेट्रोल-डीजल के दाम में कटौती शुरू हुई थी. हालांकि, बीच में कई दिन पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई परिवर्तन नहीं हुआ. लेकिन, 28वें दिन तक पेट्रोल करीब 3 रुपये तक सस्ता हो गया है. राजधानी दिल्ली में पेट्रोल की कीमत में मंगलवार को 14 से 18 पैसे की कौति की गई. वहीं, डीजल पर भी 10 से 12 पैसे कम हुए. दिल्ली में मंगलवार को पेट्रोल 75.55 रुपये प्रति लीटर और डीजल 67.38 रुपये प्रति लीटर हैं.

26 जून को दिल्ली और कोलकाता में 14 पैसे, मुंबई में 18 पैसे और चेन्नई में 15 पैसे प्रति लीटर की कटौती की गई. इसी तरह डीजल के रेट में दिल्ली, चेन्नई और कोलकाता में 10 पैसे प्रति लीटर और मुंबई में 12 पैसे प्रति लीटर की कटौती की गई. अभी भी मुंबई में पेट्रोल 83.12 प्रति लीटर और डीजल 71.52 रुपये प्रति लीटर के स्तर पर बिक रहा है.

4 महानगरों में पेट्रोल की कीमत

29 मई 26 जून
दिल्ली 78.43 रुपये 75.55 रुपये
कोलकाता 81.06 रुपये 78.23 रुपये
मुंबई 86.24 रुपये 83.12 रुपये
चेन्नई 81.43 रुपये 78.40 रुपये

28 दिन में 3 रुपये तक सस्ता हुआ पेट्रोल
30 मई के बाद से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में तेल कंपनियां कटौती हो रही है. पिछले 28 दिन में पेट्रोल तीन रुपये तक सस्ता हुआ है. वहीं, डीजल में 2 रुपये से ज्यादा की गिरावट आई है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की गिरती कीमतों का फायदा मिला है. इससे पहले में क्रूड की कीमतों में उछाल से पिछले महीने पेट्रोल की कीमतें 80 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच गई थीं. कच्चे तेल की कीमतों में 6 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा कमी आ चुकी है.

4 महानगरों में डीजल की कीमत

29 मई 26 जून
दिल्ली 69.31 रुपये 67.38 रुपये
कोलकाता 71.86 रुपये 69.93 रुपये
मुंबई 73.79 रुपये 71.52 रुपये
चेन्नई 73.18 रुपये 71.12 रुपये

 

हरियाणा में आम आदमी पार्टी द्वारा मुख्यमंत्री का चेहरा है नवीन जयहिंद

 

गुरुग्राम। 

आम आदमी पार्टी ने आज भाजपा पर जमकर हमला बोला। आप नेता ने कहा गुरुग्राम की दुर्दशा के लिए सभी पार्टियां जिम्मेदार हैं। सभी ने मिलकर गुरुग्राम को लूटा है। साइबर सिटी आज सफाई के मामले में टॉप टेन में होनी चाहिए थी। इस मौके पर सांसद राव इंद्रजीत और राव नरबीर पर भी जमकर हमला बोला।

आम आदमी पार्टी की ओर से आयोजित प्रेसवार्ता में प्रदेश के मीडिया प्रभारी सुधीर यादव ने कहा कि आम आदमी पार्टी हरियाणा की 90 विधानसभा और 10 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। हरियाणा में आम आदमी पार्टी के पंडित नवीन जयहिंद मुख्यमंत्री के उम्मीदवार होंगे।
उन्होंने कहा कि नवीन जयहिंद के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी हरियाणा के चुनाव मैदान में उतरेगी। यादव ने कहा नवीन जयहिंद जितना पढ़ा लिखा किसी पार्टी के पास उम्मीदवार नहीं है।

हरियाणा से कई लोकसभा सांसदों का टिकट कटना तय है : रामबिलास शर्मा

 

हरियाणा से कई लोकसभा सांसदों का टिकट कटना तय है। इस पर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ बैठक में मंथन हो चुका है। शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा ने इसकी पुष्टि करते हुए साफ कर दिया कि लोकसभा चुनाव में कुछ सीटों पर नए चेहरे होंगे। 2019 मेंं होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी है।  भाजपा की इस रणनीति के तहत लोकसभा के कई वर्तमान सांसदों का टिकट कटना तय है। दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ हुई कोर ग्रुप की बैठक में इस पर व्यापक मंथन हो चुका है।

खुद हरियाणा के शिक्षा मंत्री रामविलास शर्मा ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव में कई सीटों पर नए चेहरे होंगे। गौरतलब है कि हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी के कुल 7 सांसद हैं जिनमें से 2 केंद्रीय मंत्री भी हैं। ऐसे में इन 7 सांसदों में से कुछ सांसदों के टिकट कटने तय हैं। उनकी जगह पर पार्टी नए चेहरों पर दांव खेलेगी। हरियाणा के शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षकों से उनकी संपत्ति का ब्यौरा मांगे जाने पर भी हाय तौबा मची हुई है। इसकी वजह है वह प्रोफॉर्मा जिसमें शिक्षकों से उल जुलूल बातें पूछी गई हैं।

दरअसल यह प्रोफॉर्मा हरियाणा के गठन के बाद से बदला ही नहीं गया है। इसमें कई ऐसे सवाल पूछे गए हैं जो कतई व्यवहारिक नहीं हैं। इसपर हरियाणा के शिक्षा मंत्री रामविलास शर्मा ने कहा कि सरकारी अधिकारियों की जानकारी इकट्ठी करना रूटीन की बात है। अब तमाम चीजों को डिजिटलाईज किया जा रहा है, लेकिन यदि शिक्षकों और अधिकारियों से कोई बेहूदा सवाल पूछा गया है तो इस चिट्ठी का अध्ययन करके उसे निरस्त कर दिया जाएगा गौरतलब है कि इस प्रोफार्मा में शिक्षकों से यह भी पूछा गया था कि उनके पास कितने घोड़े हैं। इसी तरह से सालों पहले चलन से बाहर हो चुके रेडियो ग्राम समेत कई अन्य चीजों की भी जानकारियां इसमें मांगी गई हैं।

AAP will contest all 230 Assembly seats in MP: Gopal Rai


AAP will contest all 230 assembly seats in Madhya Pradesh but CM candidate will be announced at will


Bhopal:

The Aam Aadmi Party (AAP) on Tuesday released its first list of 20 candidates for the Madhya Pradesh Assembly elections, which are yet to be announced. No other party has announced its candidates yet.

The list was announced in the presence of AAP leader and Delhi minister Gopal Rai.

The party is going to field its Madhya Pradesh vice-president Amit Bhatnagar from Bijawar, Rewa Zone secretary Jitendra Chourasia from Amar Patan, former IPS officer Mahesh Prasad Choudhary from Gotegaon, national level sprinter Krishnapal Singh Baghel from Sehore, AAP’s Mandsaur Lok Sabha constituency in-charge Navin Agrawal from Neemuch and state spokesperson Parinita Raje alias Beti Raja from Sewda.

Ashok Shah will be fielded from Bicchia, Gopal Singh Thakur from Niwadi, Dilip Mishra from Gwalior South, Kuleep Batham from Gwalior-15, Zuber Khan from Bhopal North, Ram Vishal Vishwakarma from Sidhi, Chandramohan Guru from Patharia, Awdhesh Singh from Chitrangi, Animesh Pande from Chhindwara, Shailesh Choube from Kasrawad, Hiralal Panche from Lanjhi, Mukesh Akhande from Ghoda Dongri, Jagdish Singh from Bada Malhara and Ramdin Ahirwar from Jatara.

Speaking to reporters, Rai said people of the state, fed up with both BJP and Congress, now trust the AAP.

The party will release its second list on 6 July in Gwalior, MP AAP president Alok Agrawal said.

Delhi chief minister Arvind Kejriwal will address a public meeting in Indore on 15 July, he said.

The party will contest all 230 Assembly seats in Madhya Pradesh, he added.

Overseas NGOs are on their work as usual


No one disagrees that every act of violence against women is a matter of great shame for all 1.2 billion Indians. But to be labelled the world’s most dangerous country for women ahead of Pakistan, Somalia, Afghanistan and Syria — according to a study by the Thomson Reuters Foundation — and all the other countries in the United Nations is a load of crock.


The unrealistic data provided by these overseas or so called International NGOs which actually work as the agent of the bigger fishes and their hagemoney.

One does not know the measures used or the size of the survey but in many other nations women cannot even breathe without permission. So let’s not get too enamoured by our affection for self-flagellation.

We have this predilection to wallow in western assessments, which is why the BBC has so often taken the mickey out of us with their cruel documentaries. Remember the one it did on the Taj hotel?

Of course we have problems: Our population and our gender prejudice are well recognised and on the front burner for resolution. A work in progress. If you go by the numbers, we’d probably be way up there as a nation fighting for women’s empowerment to make it a given and not a concession.

Millennials see no difference between men and women. We are moving rapidly into mass education where even those from disadvantaged financial backgrounds are making their mark. Girls top the mark lists and good on them. Women in India are in every field of endeavour and their collective voice gets more articulate and vociferous by the day. So be it.

Surveys like this are grossly hurtful, far too casual and slippery in their conclusions. Despite our aberrations and horror stories that hit us in the solar plexus now and then, it is a safe bet that 95 percent of Indian men respect their women, take care of their families and are good providers (as much as possible). For every issue over dowry and violence there are a thousand husbands who get up in the morning and go to work to ensure there is food on the table for their wives and daughters. A hundred thousand sons work in the Gulf to send remittances home to ailing mothers and to get sisters wedded.

Women are rising in politics, media, business, the armed forces, and farming. Our most firebrand politicians are women. Even in rural areas, the quota system is giving women an assertiveness and empowerment per se is no longer just a label but a national movement. In sports, in executive ladder, in science, in the arts, in cinema and theatre, women are on top right across the board.

There are a lot more consequences for those who engage in the unspeakable. The open house on what women can do in India and are doing and reaching for newer heights of achievement makes this dubious first rank border on the absurd. Especially when you compare the situation to their lives in restrictive societies. Of course, we are far from perfect but we are working on it and our women are held in a lot higher esteem then we give ourselves credit for because we don’t hide our flaws.

Show me a country where there is no violence. Show me a country where women are pushing upwards as powerfully as in India. One can fling a hundred statistics about the lot of women in India improving in the six parameters used in the survey: Violence, human trafficking, cultural conditions, healthcare, gender bias and sexual assault. And they would be valid. What’s the point in being defensive?

Fact is, such skewed surveys — from the West — always have ulterior motives. They detract from the efforts of millions who eschew violence. Because they are so superficial in the parameters used they actually harm efforts to move upwards and forward because they indict with a certain insouciance and arrogance and are patronising.

While we must not shut our eyes to reality and keep on fighting the good fight, we must keep in mind that the Thomson’s survey is not gospel.

पुलिस के लापरवाही से आयुष के शव का पोस्टमार्टम में देरी हुई : अविनाश सिंह शर्मा

आज दसवें दिन सेक्टर 16 अस्पताल में पड़े आयुष के शव का पोस्टमार्टम तीन डाक्टरों के टीम के द्वारा किया गया बता दें कि आयुष के परिवार और चंडीगढ़ की आवाज के चेयरमैन अविनाश सिंह शर्मा     एवं महामंत्री कमल किशोर शर्मा अपने साथियों के साथ सुबह 9: 00बजे सेक्टर  16 के हॉस्पिटल की मोर्चरी पर पहुंचकर सेक्टर-19 के पुलिस को टेलीफोनिक सूचना एवं SMS के द्वारा सूचना देकर जल्द आने का आग्रह किया पर यह सेक्टर – 19 चंडीगढ़ पुलिस की बदमाशी कहे या जयादती यह करीब 12:10 PM बजे दिन में अस्पताल पहुंचे जिसके कारण अस्पताल में डॉक्टरों की टीम के द्वारा पोस्टमार्टम के बाद शव को शाम को तकरीबन 5:25PM बजे शाम को शव मिला शव को लेकर अविनाश शर्मा महामंत्री कमल किशोर शर्मा आयुष के पूरे परिवार मित्रगण सेक्टर 25 के श्मशान ग्राउंड में आयुष को दफनाने का काम किया एवं उसके आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना भी की चंडीगढ़ पुलिस की ज्यादती रहे जो FIR नवमी दिन किए गए वह पहले दिन भी किए जा सकते थे ।नगर निगम अधिकारियों एवं मेयर को बचाने के लिए बिना नाम दरज एफ आई आर (FIR) तैयार किया गया यह लड़ाई आगे भी चलेगी जब तक दोषियों का नाम FIR में शामिल नहीं किया जाएगा इसके लिए पंजाब हरियाणा उच्च न्यायालय से लेकर सर्वोच्च न्यायालय भारत तक गुहार लगानी होगी तो चंडीगढ़ की आवाज गुहार लगाकर गरीब परिवार गरीब मां ममता को इंसाफ दिलवाने का काम करेगा आज पूरे दिन उसकी पोस्टमार्टम और संस्कार में व्यस्त रहने के कारण जो 25 जून को सेक्टर 19 के चंडीगढ़ पुलिस अविनाश शर्मा के सेक्टर 45 आवास पर आकर किए  गुंडागर्दी एवं झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी दिए । जिसकी सीसीटीवी CCTV फुटेज भी है और डीएसपी DSP को फोन पर बताया गया तो उन्होंने कहा आप अपना काम कर रहे हो हम भी अपना काम कर रहे हैं जब उन्होंने कहा मेरे दरवाजा पीटने का मतलब क्या है उन्होंने कहा आप अपना काम कर रहे हो हम अपना काम कर रहे हैं। अविनाश सिंह शर्मा ने डीएसपी सतीश कुमार को कहा कि आपका क्या काम है हमारे दरवाजे को पिटवाना तो सतीश कुमार ने कॉल काट दिया था आज तो आयुष के पोस्टमार्टम और संस्कार में पूरे दिन व्यस्त रहने के कारण वरीय अधिकारियों को शिकायत का वक्त नहीं किया कल वरीय पुलिस अधिकारी से डीएसपी सतीश कुमार सेक्टर 19 के पुलिस अधिकारियों के खिलाफ शिकायत कर कार्रवाई की मांग की जाएगी अगर कार्रवाई नहीं हुई तो पंजाब हरियाणा उच्च न्यायालय चंडीगढ़ की शरण में जाकर गुहार लगाने का काम करेंगे |

कुछ सैनिक कभी रिटायर नहीं होते

85 वर्ष के डॉ.(कर्नल).राजिंदरसिंह (एमबीबीएस, डीपीएम, एमडी- साइकाइट्री)  ने  अपने  जीवन के  62 साल नशे और मनोचिकित्सक रोगियों का इलाज करने में बीता दी और आज भी वह इस मुहीम में अग्रसर  है

पंजाब के इस रुझारू शक्श ने नशे को रोकने के लिए कई उत्साही कदम उठाए हैं।

एक पैसा चार्ज किए बिना, वह पंजाब, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ में ‘नशा-मुक्ति इलाज’ में समर्पित दो एन.जी.ओ में महत्वपूर्ण योगदान देते है। सेना में, कर्नल राजिंदर ने मनोचिकित्सा में वरिष्ठ सलाहकार के रूप में कार्य किया।

1991 में, अपनी पत्नी के साथ मिलकर, उन्होंने गुरुद्वारा श्री गुरु तेग बहादुर, सेक्टर 34, चंडीगढ़ में उन रोगियों के लिए एक धर्मार्थ डिस्पेंसरी खोली जो की बड़े और निजी अस्पतालों में चिकित्सा उपचार नहीं करा  सकते और जिन्हे तत्काल देखभाल की आवश्यकता होती है।

वह कहते है: सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद मरीज़ों की सेवा करने की उनकी प्रेरणा उन्हें उनकी पत्नी, सावित्री कौर से मिली I गरीब लोगों के इलाज के लिए उनकी पत्नी,  ने मुफ्त इलाज डिस्पेंसरी शुरू की।ये था एक महिला का निस्संदेह, व्यक्तिगत प्रयास जो आज 31 सलाहकारों की एक टीम के साथ हरदिन 100 से अधिक मरीजों को मुफ्त में इलाज प्रदान करता है जब तक वे स्वस्थ रहीं, मरीजों की सेवा करने में व्यस्त रही।

आज, डॉ राजिंदर सिंह खुद गुरुद्वारा साहिब में उन रोगियों का इलाज करते है, जो नशे व् मानसिक रोग से  ग्रस्त  है

डॉ राजिंदर सिंह ‘कलगीधर ट्रस्ट’ के साथ एक स्वयं सेवक के रूप में भी कार्य करते है जो दो ड्रग-डी-एडिक्शन और मनोचिकित्सा केंद्र चलाते है, एक सिर्मौर, हिमाचल प्रदेश में और दूसरा पंजाब के संगरूर डिस्ट्रिक्ट, चीमा में। 2004 से वह दोनों केंद्रों में निदेशक के रूप में स्वयं सेवा कर रहे हैं और अब तक हज़ारों मरीजों का इलाज कर चुके है

नशे की लत के लिए अपनी व्यक्तिगत भावनाओं को साझा करते हुए उन्होंने कहा: जब मैं समाज या परिवार द्वारा रोगियों से भेदभाव देखता हूं तो मुझे बहुत दुःख महसूस होता   है। समाज को यह समझने की जरूरत है कि किसी अन्य बीमारी की तरह, ड्रग एडिक्शन भी एक बीमारी है और वह भी मानसिक।और इस का इलाज संभव है। परिवार के साथ –साथ समाज को रोगियों के प्रति सहानुभूति दिखानी चाहिये।

अधिक से अधिक मरीजों के इलाज के अपने मिशन को आगे बढ़ाने के लिए,वह समझते है कि उन्हें खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से फिट रखना है।तभी डॉ राजिंदर सिंह नियमित रूप से योग का अभ्यास करते हैं, और वह खुद को बहुत भाग्यशाली मानते है कि उन्हें नशे रोगियों के इलाज की सेवा करने का मौका मिला है

डॉ राजिंदर सिंह सामाजिक कारणों के लिए भी एक फाइटर हैं। उन्होंने शराब की दुकान को अपने सेंटर से दूर शिफ्ट करने के लिए सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ी, जो कि उनके चीमा, संगरूर में अपने व्यसन केंद्र के बाहर खोला गया था।

इस शराब की दूकान को गांव से बाहर निकालने के लिए उन्हें लगभग एक साल का समय लगा।यहां तक ​​कि केंद्रीय और राज्य मंत्रालय ने भी अपनी याचिका पर कोई ध्यान नहीं दिया।वह कहते है कि अपने गुरुओं के आशीर्वाद के साथ, उन्होंने मामला जीता।

वह गांव, चीमा, के आस-पास के अवैध गैर-व्यसन केंद्रों के खिलाफ लड़ने में भी सक्षम रहे

एक फाइटर, एक सामाजिक कार्यकर्ता, , उम्र में बूढ़ा लेकिन दिल में युवा, डॉ राजिंदर सिंह राज्य और राष्ट्र के लिए एक प्रेरणा है।