बृजभूषण सिंह और रेसलर्स के बीच विवाद की इनसाइड स्टोरी

मई 2023 में भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद के चुनाव होने थे जिसमें दीपेंद्र हुड्डा अपने आप को इस चुनाव में भारतीय कुश्ती संघ अध्यक्ष भक्ति गीत के लिए अशोक दिखे क्योंकि नियम के मुताबिक कोई भी अध्यक्ष 3 कार्यकाल से अधिक कार्यकाल तक भारतीय कुश्ती संघ का अध्यक्ष नहीं रह सकता इसके कारण बृजभूषण सिंह उस  चुनाव को लड़ने की स्थिति में नहीं थे लेकर ब्रज भूषण सिंह ने एक चाल चल दी जिसके तहत इस पद के लिए उन्होंने अपने बेटे का नाम आगे कर दिया जिसकी वजह से दीपेंद्र होता एक बार फिर कुर्सी खिसकती नजर आई लेकिन सरकार ने मई 2023 में प्रस्तावित चुनाव को एक अस्थाई कमेटी का गठन कर डाल दिया इसके इसके बाद राजनीतिक द्वन्द शुरु हुआ और भारतीय पहलवानों को मोहरा बनाकर राजनीतिक षड्यंत्र का खेल शुरू हुआ क्योंकि 2024 में लोकसभा के चुनाव होने हैं

आरोप सही साबित हुए तो फांसी लगा लूंगा : बृजभूषण सिंह

शक्ति/पाठक, डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, चंडीगढ़ – 06 मई :

आजकल एक बार फिर दिल्ली के जंतर मंतर पर वैसी ही चहल-पहल नजर आ रही है जैसे कि कभी दिल्ली के चारों बॉर्डर पर किसान आंदोलन के समय हुआ करती थी पिछले कुछ दिनों पहले ट्रक दिल्ली के चारों तरफ के बॉर्डर राजनीतिक पर्यटन स्थल बने हुए थे उसी प्रकार इन दिनों जंतर मंतर एक राजनीतिक पर्यटन का केंद्र बना हुआ है इस केंद्र का मुख्य आकर्षण वैसे तो भारतीय पहलवान बजरंग पुनिया विनेश फोगाट और साक्षी मलिक है लेकिन इन्हें पर्यटक उपकरण बनाने वाले जिनको राजनीतिक गिद्ध की संज्ञा दी जा सकती है।  

उन्होंने बनाया है हो सकता है कि भारतीय पहलवानों की कुछ समस्याएं नहीं होंगी लेकिन उनका राजनीतिक दुरुपयोग कर देश के राजनीतिक गीत जंतर मंतर के आसपास इस तरह मंडरा रहे हैं जैसे देश की बहुत बड़ी समस्या का समाधान जंतर-मंतर से ही होगा विवाद भारतीय पहलवानों और भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृज भूषण सिंह के बीच का है लेकिन इसके कई पहलू हैं जिनके विस्तार से जानना आवश्यक है।

 घटनाक्रम 2011 से जब भारतीय कुश्ती संघ का चुनाव जम्मू-कश्मीर के दुषयंत शर्मा जीते हैं धन्यवाद नहीं से शुरू होता है हरियाणा कुश्ती संघ व कांग्रेसी नेता दीपेंद्र हुड्डा को यह बात हजम‌ न होने पर विवाद दिल्ली उच्च न्यायालय तक जाता है और न्यायालय के आदेश पर बनाया जाता है जिसमें दीपेंद्र हुड्डा राष्ट्रीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बनना चाहते थे लेकिन उस समय समाजवादी पार्टी मैं थे तथा मुलायम सिंह यादव ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर दीपेंद्र हुड्डा को चुनाव नहीं लड़ने दिया और ब्रज भूषण सिंह राष्ट्रीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बने बृजभूषण समाजवादी पार्टी के सांसद थे तथा केंद्र में समाजवादी पार्टी समर्थित कांग्रेस की सरकार थी उसके कारण दीपेंद्र हुड्डा को अपना नामांकन वापस लेना पड़ा और बृजभूषण सिंह भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बने उसके बाद लगातार तीनों कार्यकाल 2012 2015 और 2019 में जीते रहे वर्ष 2014 में वापस भाजपा में आ गए क्योंकि घर भूषण सिंह राम मंदिर आंदोलन से जुड़े हुए थे पूर्व में भी भाजपा के सभी सदस्य थे 2014 के बाद ब्रज भूषण सिंह को भाजपा के सत्ता पर काबिज होने के बाद सत्ता का समर्थन मिलता रहा तस्वीर दीपेंद्र हुड्डा हरियाणा कुश्ती संघ के अध्यक्ष बनते रहे ब्रज भूषण सिंह का कार्यकाल भारतीय कुश्ती संघ में सबसे सफलतम कार्यकाल कहा जाता है क्योंकि इन्हीं के कार्यकाल में ओलंपिक गेम राष्ट्रमंडल खेल इत्यादि में भारतीय खिलाड़ी पदक प्राप्त करते रहे।

पहलवानों के प्रदर्शन ने लिया राजनीतिक रंग

भारतीय खेलों में खिलाड़ियों के चयन को लेकर पहले भी विवाद होते रहे हैं सन 2016 में ऐसा ही व्यवहार सुशील कुमार और नरसिंह यादव के बीच रहा जोकि न्यायालय तक गया इस विवाद को भी हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बीच का विवाद बना लिया गया था क्योंकि सुशील कुमार हरियाणा के से और नरसिंह यादव उत्तर प्रदेश के थे कमोवेश यही स्थिति आज है आज विवाद प्रदेशों पर जातिगत हो गया है और हाल में चल रहे विवाद को जातिगत देते हुए जाट राजपूत के बीच का विवाद बना दिया।

विवाद तब बढ़ गया जब WFI ने नवंबर 2021 में नए नियमों के साथ कहां की सभी खिलाड़ियों को नेशनल खेलना और ट्रायल देना जरूरी है चाहे वह ओलंपिक और इंटरनेशनल टूर्नामेंट में मेंडल ही क्यों ना कि जीते हो तथा सभी राज्यों के लिए एक कोटा भी नहीं धारित कर दिया इसके कारण राष्ट्रीय कुश्ती संघ और हरियाणा कुश्ती संघ मैं टकराव होने लगा हरियाणा कुश्ती संघ के विरोध के बावजूद राष्ट्रीय कुश्ती संघ ने नियमों में कोई शिथिलता नहीं दी इसके कारण विवाद को बढ़ते हुए देखकर हरियाणा कुश्ती संघ को भंग कर दीपेंद्र हुड्डा को हरियाणा कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद से हटा दिया तथा रोहतास इनको अध्यक्ष बना लिया नए नियमों के विरोध में बजरंग पूनिया नीलेश होगा और साक्षी मलिक जैसे पहलवानों ने गुजरात में आयोजित नेशनल के और नई दिल्ली में हुए ट्रायल्स में हिस्सा नहीं लिया दिसंबर 2022 में wi-fi ने घोषणा की जिन खिलाड़ियों ने सिलेक्शन ट्रायल में हिस्सा लिया है केवल उन्हें ही एशियाई गेम में हिस्सा लेने की अनुमति मिलेगी जिसके बाद बजरंग पूनिया विनेश फोगाट साक्षी मलिक का एशियन गेम में जाना मुश्किल हो गय

हाली का जो विवाद जंतर मंतर पर प्रदर्शित हो रहा है उसकी शुरुआत इस निर्णय के बाद जनवरी 2023 मैं पहलवानों ने अध्यक्ष बृजभूषण उनके खिलाफ यौन शोषण के आरोप लगाकर जंतर मंतर पर धरना दिया पहले उन्होंने ब्रजभूषण सिंह की कार्यशैली पर आरोप लगाए जिसका प्रभाव पड़ता ना देख आरोपों को यौन उत्पीड़न की तरफ मोड़ दिया विवाद बढता देख  केंद्र सरकार ने आवश्यक कदम उठाते हुए एक कमेटी का गठन किया जो कि इन आरोपों की जांच करेगी के पश्चात कोई कार्यवाही की जाती है उसके बाद पहलवानों ने अपना अपना धरना खत्म कर दिया।

मई 2023 में भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद के चुनाव होने थे जिसमें दीपेंद्र हुड्डा अपने आप को इस चुनाव में भारतीय कुश्ती संघ अध्यक्ष भक्ति गीत के लिए अशोक दिखे क्योंकि नियम के मुताबिक कोई भी अध्यक्ष 3 कार्यकाल से अधिक कार्यकाल तक भारतीय कुश्ती संघ का अध्यक्ष नहीं रह सकता इसके कारण बृजभूषण सिंह उस  चुनाव को लड़ने की स्थिति में नहीं थे लेकर ब्रज भूषण सिंह ने एक चाल चल दी जिसके तहत इस पद के लिए उन्होंने अपने बेटे का नाम आगे कर दिया जिसकी वजह से दीपेंद्र होता एक बार फिर कुर्सी खिसकती नजर आई लेकिन सरकार ने मई 2023 में प्रस्तावित चुनाव को एक अस्थाई कमेटी का गठन कर डाल दिया इसके इसके बाद राजनीतिक द्वन्द शुरु हुआ और भारतीय पहलवानों को मोहरा बनाकर राजनीतिक षड्यंत्र का खेल शुरू हुआ क्योंकि 2024 में लोकसभा के चुनाव होने हैं लता राजस्थान और हरियाणा में विधानसभा के चुनाव होना है यूपी राजस्थान और हरियाणा में जाट जाति की संख्या बहुलता में है तथा जगत चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जातिगत समीकरणों को तोड़ते हुए हिंदुत्व का आधार बनाकर सभी जातियों के वोट लिए और सत्ता पर काबिज हुए क्योंकि विपक्षी दल 2024 में भी मोदी पर पार पाने में अपने आप को असहाय महसूस कर रहे हैं जिसके कारण भारतीय पहलवानों को मोहरा बनाकर जाट राजपूत का विवाद खड़ा कर जातियों में विभाजित कर वोट बटोरने की फिराक में है जिसके कारण जंतर मंतर पर चलने वाले धरने पर राजनीतिक पर्यटन देखा जा सकता है जिसमें सबसे आगे कांग्रेसी नेता प्रियंका गांधी दिखाई देती है जो कि नारा देती है लड़की हूं लड सकती हूं जंतर मंतर पर राजनीतिक पर्यटन करने के लिए सबसे आगे रहे लेकिन अपनी ही पार्टी की युवा शाखा के अध्यक्ष पर अपनी ही पार्टी की कार्यकर्ता द्वारा लगाए गए यौन शोषण के आरोपों पर चुप रहती है दूसरी तरफ कुछ किसान नेता जिन्होंने मासूम किसानों के साथ खेल कर नए कानूनों को वापस करवा दिया तथा किसान आज पहले जैसी स्थिति में आ गए हैं  ये किसान नेता उन मासूम किसानो को जो अपनी फसल का उचित दाम न मिलने के कारण फसल को रोड पर फेंक रहे हैउनको यह समझाने मे असमर्थ है कि किसान बिल वापिस हसंस्था ने से उन्हे क्या फायदा हुआ  किसान नेता अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने में मशगूल है वह भी जंतर मंतर पर राजनीतिक पर्यटन का प्रदर्शन करने आ रहे हैं आजकल दिल्ली के जंतर मंतर पर राजनीतिक गिध्दो को अपनी पंख फडफडाते हुए देखा जा सकता है यह राजनीतिक गिध्द आगामी चुनावों के लिए जातिगत आधार पर समाज को छोड़कर अपना वोट बैंक बोलना चाह रहे हैं और उसका लाभ चुनावों में उठाने की उम्मीद लगाए बैठे हैं

अतीक के बेटे असद का झांसी में एनकाउंटर

असद मारपीट करने में काफी कुख्यात था। उससे बड़ी उम्र के लड़के आपस के विवाद उसके सामने लेकर जाते तो वह मामलों को सुलझाता था। बड़ी-बड़ी महंगी गाड़ियों से असद स्कूल पहुंचता तो उसे लड़के घेर लेते। कुछ साल पहले स्कूल के स्पोर्ट्स डे पर रस्साकशी प्रतियोगिता में एक टीम को असद लीड कर रहा था। उसकी टीम हार गई। वह हार से इतना बौखला गया कि जीतने वाली टीम के लड़कों को वह पीटने लगा। जब अध्यापकों ने उसे रोकने की कोशिश की तो उसने अध्यापकों पर हाथ उठा दिया था। उस दिन स्कूल का मैदान अभिभावकों से भरा था। लोगों में काफी आक्रोश भी था लेकिन, अतीक का नाम सामने आने के बाद सब शांत हो गए थे। यहां तक स्कूल के प्रधानाचार्य ने भी मामला दबाने की काफी कोशिश की। किसी ने भी थाने में शिकायत नहीं दर्ज कराई थी। उस समय सोशल मीडिया पर मामले को दबाने के लिए प्रधानाचार्य को काफी खरी खोटी सुनाई गई थी।

डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, उत्तर प्रदेश ब्यूरो 13 अप्रैल :

उमेशपाल हत्‍या कांड में पहले बेटे असद के एनकाउंटर की खबर सुनकर अदालत में फूट-फूटकर रोने लगा यूपी का माफ‍िया डॉन अतीक अहमद. इसके बाद जब उसे न्‍याय‍िक ह‍िरासत में भेज द‍िया गया तो अतीक अहमद ने पहले बार अपने बेटे की मौत पर पहली बार चुप्‍पी तोड़ते हुए कहा क‍ि यह सब मेरी वजह से हुआ है। उसने वहां पूछा भी क‍ि कहां दफनाया जाएगा। हालांक‍ि कोर्ट ने उमेश पाल मर्डर केस में अतीक और उसके भाई अशरफ की चार द‍िन की पुल‍िस कस्‍डटी पर भेजने का भी आदेश द‍िया है. इतना ही नहीं अतीक ने जेल प्रशासन से अपने बेटे अली से मिलने की इच्‍छा जाह‍िर की थी, ज‍िसे जेल प्रशासन ने खा‍र‍िज कर द‍िया है। इसके बाद अतीक जेल की बैरक में फर्श पर बैठ के रोने लगा।

प्रशांत कुमार एडीजी लॉ एंड ऑर्डर ने बताया- इनपुट थे कि रास्ते में काफिले पर हमला करके अतीक को छुड़ाने की प्लानिंग की जा रही है। इसे देखते हुए स्पेशल फोर्सेस लगाई गई थीं।

STF की कार्रवाई के दौरान अतीक की प्रयागराज कोर्ट में पेशी चल रही थी। बेटे के एनकाउंटर की खबर सुनकर वो रोने लगा। गला सूखा तो पानी मांगा और सिर पकड़कर बैठ गया।

24 फरवरी को उमेश पाल के मर्डर के बाद से ही असद और गुलाम मोहम्मद फरार थे। STF 48 दिन से लगातार इन्हें ट्रेस कर रही थी और झांसी में इनकी लोकेशन मिलने पर मार गिराया। एनकाउंटर को डिप्टी एसपी नवेंदु और डिप्टी एसपी विमल ने लीड किया।

STF के DIG अनंत देव तिवारी ने बताया कि उमेश पाल हत्याकांड के मुख्य शूटर असद और गुलाम ने पुलिस टीम को देखते ही बाइक से भागने की कोशिश की। STF टीम के पीछा करने पर विदेशी अत्याधुनिक हथियारों से फायरिंग कर दी। जवाबी फायरिंग में उनकी बाइक गिर गई। जिस पर दोनों ने भागते हुए पुलिस को निशाना बनाया। पुलिस ने भी जवाबी फायर किया। करीब 30 मिनट चली इस मुठभेड़ में 49 राउंड फायरिंग हुई।

माफिया अतीक के बेटे असद का शव। उसके हाथ में अत्याधुनिक विदेशी पिस्टल भी है।
माफिया अतीक के बेटे असद का शव। उसके हाथ में अत्याधुनिक विदेशी पिस्टल भी है।
  • उमेश पाल की मां बोलीं- मेरे बेटे को सरेआम गोली मार दी। आज की कार्रवाई से हम लोगों को थोड़ी सी शांति मिली है। मेरे बेटे के हत्यारे मारे गए। ये जो 2 एनकाउंटर हुए हैं, उन्हें पाप की सजा मिली। देर है अंधेर नहीं है। योगीजी को धन्यवाद।
  • अमिताभ यश (ADG, यूपी STF)– हमें जानकारी थी कि इनके पास विदेशी हथियार हैं। हम तैयार थे। जिस तरह इस गैंग ने उमेश पाल और उनके दोनों गनर्स को मारा था, इन आरोपियों को पकड़ना आसान नहीं था। दोनों के पास ब्रिटिश बुलडॉग रिवॉल्वर और वाल्थर पिस्टल मिली है। ये हथियार रेयर हैं। सामान्यत: मिलते नहीं हैं।
  • अखिलेश यादव (सपा प्रमुख)– भाजपाई कोर्ट में विश्वास नहीं रखते। ये फेक एनकाउंटर है। इसकी गहनता से जांच होनी चाहिए।
  • असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM प्रमुख)- हरियाणा में जुनैद और नासिर के मारने वालों को भी गोली मरोगे क्या बीजेपी वालों, नहीं करोगे क्योंकि मजहब के नाम पर एनकाउंटर करते हो तुम। ये संविधान का एनकाउंटर है, अगर एनकाउंटर ही करना है है तो अदालतों पर ताला लगा दीजिए।
  • मायावती (बसपा प्रमुख)- अतीक अहमद के बेटे और एक अन्य की आज पुलिस मुठभेड़ में हुई हत्या पर अनेक प्रकार की चर्चाएं गर्म हैं। लोगों को लगता है कि विकास दुबे कांड के दोहराए जाने की उनकी आशंका सच साबित हुई है। इसकी उच्च स्तरीय जांच जरूरी है।

एडीजी लॉ एंड ऑर्डर बोले- सरकार माफियाओं को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध
उत्तर प्रदेश के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने कहा- सरकार की अपराध और अपराधियों, माफियाओं को खत्म करने की जो प्रतिबद्धता है, वो आप जानते हैं। सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रही है। 12.30 से 1.00 बजे के बीच सूचना के आधार पर कुछ लोगों को रोका गया तो दोनों तरफ से गोलियां चलीं। उस ऑपरेशन में एसटीएफ ने असद और गुलाम पर फायरिंग की। ये घायल हुए और बाद में दम तोड़ दिया।

मां शाइस्ता परवीन के साथ असद का फाइल फोटो।
अतीक ने पत्नी से कहा था- बेटे ने शेरों वाला काम किया है

उमेश पाल मर्डर में असद का नाम और CCTV फुटेज सामने आने के बाद शाइस्ता ने अतीक अहमद से नाराजगी जाहिर की थी। रोते हुए कहा था कि असद अभी बच्चा है। उसे इस मामले में नहीं लाना चाहिए था। यह सुनने के बाद माफिया डॉन अतीक अहमद नाराज हो गया था।

उसने शाइस्ता परवीन को डांटकर कहा था- असद शेर का बच्चा है। उसने शेरों वाला काम किया है। आज उसकी वजह से ही मैं 18 साल बाद चैन की नींद सोया हूं। उमेश के चलते मेरी नींद हराम हो गई थी। अब तुम बेवजह बात करके मेरा मूड न खराब करो। सब मैनेज हो जाएगा।

4 फरवरी को प्रयागराज में हुए उमेश पाल हत्याकांड में यूपी पुलिस अब तक 4 शूटर्स का एनकाउंटर कर चुकी है। पहला एनकाउंटर प्रयागराज में ही 27 फरवरी को अरबाज का हुआ था। अरबाज उस क्रेटा कार को चला रहा था, जिससे बदमाश उमेश पाल के घर तक पहुंचे थे। इसमें असद भी था।

वहीं, दूसरा एनकाउंटर 6 मार्च को हुआ था। इसमें उमेश पर पहली गोली चलाने वाले विजय चौधरी उर्फ उस्मान को मुठभेड़ में मार गिराया था। इसके अलावा, असद और गुलाम का गुरुवार को एनकाउंटर हुआ। यानी, अब तक इस मामले में 4 एनकाउंटर हो चुके हैं। अतीक के परिवार की मदद करने वाले 3 आरोपियों और करीबियों के घर पर बुलडोजर भी चल चुका है।

शहीदी दिवस पर वाटर कूलर किया जनता को समर्पित

  सुशील पंडित, डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, यमुनानगर – 23 मार्च :

शहीदी दिवस के मौके पर स्वतंत्रता संग्राम की अलख जगाने वाले तथा 1857 में अंग्रेजो के खिलाफ विद्रोह करने वाले स्वतंत्रता सेनानी अमर शहीद मंगल पांडे की वंशज शिक्षाविद कविता त्यागी द्वारा भगवान परशुराम समुदायिक केंद्र में लगाए गए वाटर कूलर को जनता को समर्पित किया गया।

इस मौके पर उनके साथ किरण त्यागी, प्रियंका त्यागी, पूजा त्यागी, सुधा, अरुण त्यागी, अजय त्यागी, नरेश बाबा जी, विक्रम त्यागी बिट्टू, संजीव चौहान तथा वीरेंद्र त्यागी मुख्य रूप से उपस्थित रहे।

इस मौके पर कविता त्यागी ने कहा कि अमर शहीद मंगल पांडे की शहादत को सदा ही याद रखा जाएगा और वह सदा ही युवाओं के प्रेरणा स्रोत रहेंगे। इस मौके पर उन्होंने शहीद भगत सिंह, सुखदेव एवं राजगुरु को याद करते हुए कहा कि ऐसे ही शहीदों की शहादत की बदौलत आज हम आजाद देश की हवा में सांस ले रहे हैं।

उनका कहना था कि गर्मी के इस मौसम को देखते हुए जबकि हर किसी को शीतल जल की आवश्यकता होती है, ऐसे में भगवान परशुराम समुदायिक केंद्र में लगा यह वाटर कूलर आम जनमानस की प्यास बुझाने का काम करेगा जो कि एक पुण्य का कार्य है। उन्होंने इस मौके पर युवाओं से आह्वान किया कि वे अमर शहीदों द्वारा बताए गए रास्ते पर चलते हुए देश को उन्नति की राह पर अग्रसर करने का प्रयास करें और देश से भ्रष्टाचार को समाप्त करें।

राहुल गांधी ने किया था ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ नारे का समर्थन : स्मृति ईरानी

स्मृति ईरानी ने कहा कि राहुल गांधी ने एक ऐसे देश में जाकर विदेशी ताकतों का आह्वान किया जिसका इतिहास रहा है भारत को गुलाम बनाने का। उन्होंने कहा कि भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं की धज्जियां उड़ाते हुए राहुल गांधी ने ये खेद व्यक्त किया कि…क्यों विदेशी ताकतें आकर भारत पर धावा नहीं बोलती? स्मृति ईरानी ने कहा कि राहुल गांधी ने विदेशी धरती पर देश को बदनाम किया। राहुल गांधी ने SC और EC जैसी संस्थाओं का अपमान किया। क्या भारत को अपमानित करना लोकतंत्र है? क्या सदन के अध्यक्ष का अपमान लोकतंत्र है? भारत राहुल गांधी से माफी की मांग करता है।

स्मृति ईरानी ने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने विदेश में देश की गरिमा को चोट पहुंचाई है.

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, चंडीगढ़/नई दिल्ली – 15 मार्च :

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने बुधवार को कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और वर्तमान में वायनाड से सांसद राहुल गांधी पर उनके लंदन में दिए गए बयान को लेकर निशाना साधा. उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस नेता ने एक ऐसे देश में जाकर विदेशी ताकतों का आह्वान किया जिसका इतिहास रहा है भारत को गुलाम बनाने का। केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, ‘भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं की धज्जियां उड़ाते हुए राहुल गांधी ने ये खेद व्यक्त किया कि… क्यों विदेशी ताकतें आकर भारत पर धावा नहीं बोलती? उनका प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए द्वेष, अब भारत के प्रति द्वेष में तब्दील हो चुका है। ’

स्मृति ईरानी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘राहुल गांधी विदेश की धरती पर जाकर ‘बोलने की आजादी’ नहीं होने की बात करते हैं. उनका आरोप है कि उन्हें भारत के विश्वविद्यालय में बोलने की आजादी नहीं है।  मैं राहुल गांधी से पूछना चाहती हूं कि अगर ऐसा है, तो 2016 में दिल्ली में जब एक विश्वविद्यालय में ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ का नारा लग रहा था तब आपने वहां जाकर इसका समर्थन किया, वो क्या था?”

स्मृति ईरानी ने कहा कि राहुल गाँधी विदेश जाकर देश में बोलने की आजादी नहीं होने की बात करते हैं। वे कहते हैं भारत के विश्वविद्यालयों में बोलने की आजादी नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा नहीं है तो साल 2016 में दिल्ली के एक विश्वविद्यालय में ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ के नारे लगाए गए थे और आपने भी वहाँ जाकर नारे लगाने वालों का समर्थन किया था, वह क्या था?

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि लंदन में विदेशी संस्था के सामने राहुल गाँधी ने झूठ बोला। देश के संसद का अपमान किया। उन्हें सदन से भागना नहीं चाहिए बल्कि सदन में आकर देश से माफी माँगनी चाहिए। बता दें कॉन्ग्रेस सांसद राहुल गाँधी बुधवार (15 मार्च 2023) को विदेश से दिल्ली लौट आए हैं।

इसके पहले राहुल गाँधी ने कैम्ब्रिज में अपने संबोधन के दौरान अपने ही देश पर कीचड़ उछाला था। उन्होंने आरोप लगाया था कि संसद में विपक्षी नेताओं को बोलने नहीं दिया जाता। उनकी माइक बंद कर दी जाती है। राहुल ने आरोप लगाया था कि भारत में सिखों और मुस्लिमों को दोयम दर्जे का नागरिक बना दिया गया है। राहुल के इन बयानों के बाद से ही भाजपा उनपर हमलावर है

गहलोत के मंत्री के बेटे ने राहुल गांधी को बताया ‘पागल’ और ‘वो इटली को मातृभूमि मानते हैं’

राजस्थान के पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह के बेटे अनिरुद्ध ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर विदेशी जमीन पर देश का अपमान करने का आरोप लगाया और राज्य में पार्टी की सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि उसे जनता की समस्याओं से सरोकार नहीं है। उन्होंने ट्वीट किया राहुल गांधी (gone Bonkers’) बौखला गए हैं। जो दूसरे देश की संसद में अपने देश का अपमान करते हैं। शायद वह इटली को अपनी मातृभूमि मानते हैं। विश्वेंद्र सिंह सबसे प्रसिद्ध कांग्रेस विधायकों में से एक थे, जिन्होंने 2020 में गहलोत प्रशासन के खिलाफ पायलट के साथ विद्रोह किया था। वो उस समय भी पर्यटन मंत्री थे, लेकिन पायलट के समर्थन में एक विरोध प्रदर्शन आयोजित करने की कोशिश करने के लिए कांग्रेस नेतृत्व ने उन्हें हटा दिया था। बाद में, कांग्रेस नेतृत्व द्वारा कुछ बागियों को शांत करने में कामयाब होने के बाद उन्हें मंत्री के रूप में बहाल कर दिया गया।

'वो इटली को मातृभूमि मानते हैं'...गहलोत के मंत्री के बेटे ने राहुल गांधी को बताया सिरफिरा
मंत्री विश्वेंद्र सिंह के साथ उनके बेटे अनिरुद्ध सिंह

राजवीरेंद्र वशिष्ठ, डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, चंडीगढ़ :
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की यूनाइटेड किंगडम में भारत के खिलाफ टिप्पणी के लिए राजस्थान के मंत्री विश्वेंद्र सिंह के बेटे ने आलोचना की। राजस्थान के पर्यटन मंत्री के बेटे, अनिरुद्ध, जिन्हें कांग्रेस नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट का करीबी माना जाता है, ने कहा कि..

राहुल गांधी बौने हो गए हैं। दूसरे देश की संसद में अपने देश का अपमान कौन करता है? या शायद वह इटली को अपनी मातृभूमि मानते हैं।

राहुल गांधी के ब्रिटेन में दिए गए उस बयान जिसमें उन्होंने कहा था कि भाजपा हमेशा के लिए सत्ता में नहीं रहने वाली पर प्रतिक्रिया देते हुए अनिरुद्ध ने ट्वीट किया कि “क्या वे भारत में ये सब बकवास नहीं बोल सकते हैं? या वह आनुवंशिक रूप से यूरोपीय मिट्टी को पसंद करते हैं?”

अनिरुद्ध कांग्रेस नेता सचिन पायलट के करीबी हैं क्योंकि उन्होंने ट्विटर पर दिए गए परिचय में स्वयं को सचिन पायलट के विचारों को मानने वाला बताया है। उनके पिता विश्वेंद्र ने भी 2020 में राजनीतिक संकट के दौरान पायलट के साथ अशोक गहलोत की सरकार के खिलाफ बगावत की थी। उस समय मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस के भीतर एक गुट उनकी निर्वाचित सरकार को गिराने की कोशिश कर रहा है।

कॉन्ग्रेस पार्टी के ऑफिशियल हैंडल से राहुल गाँधी की एक तस्वीर शेयर की गई थी। इस तस्वीर पर कटाक्ष करते हुए अनिरुद्ध ने लिखा – “हाँ, राहुल मानते हैं कि वे एक इटालियन हैं।”

लंदन में आयोजित एक अन्य कार्यक्रम में राहुल गाँधी ने कहा था कि बीजेपी हमेशा सत्ता में नहीं रहने वाली। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अनिरुद्ध ने लिखा कि क्या यह सब बकवास भारत में नहीं किया जा सकता था या राहुल गाँधी अनुवांशिक रूप से यूरोपीय मिट्टी को पसंद करते हैं?

यह पहली बार नहीं है जब कॉन्ग्रेस नेता और मंत्री विश्वेन्द्र सिंह के बेटे अनिरुद्ध सिंह के ट्वीट से विवाद खड़ा हो गया हो और कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं ने इसकी आलोचना की हो। इसके पहले भी अनिरुद्ध के ट्वीट ने भरतपुर इलाके में बड़ा विवाद खड़ा किया था। अनिरुद्ध ने दिसंबर 2022 में ब्रिटिश शासन की 1935 में प्रकाशित किताब ‘द इंडियन स्टेट्स’ का उल्लेख करते हुए लिखा था कि भरतपुर रियासत के सिनसिनवार जाट जादौन राजपूतों के वंशज हैं।

अनिरुद्ध सिंह की इस बात को लेकर बहुत हंगामा हुआ। जाट महासभा की बैठक में इस बात को खारिज कर दिया गया था। जाट महासभा ने सिनसिनवार जाटों को श्री कृष्ण का वंशज बताते हुए यदुवंशी जाट क्षत्रिय करार दिया था।

बताया जाता है कि अनिरुद्ध और उनके पिता विश्वेन्द्र सिंह के संबंध भी अच्छे नहीं हैं। मई 2021 में अनिरुद्ध ने अपने पिता पर शराब का सेवन करने और माता के प्रति हिंसक होने का आरोप लगाया था। इस दौरान उन्होंने दावा किया था कि 6 हफ्तों से वे अपने पिता के संपर्क में नहीं हैं। अनिरुद्ध ने खुद को मदद करने वाले अपने दोस्तों के कारोबार को नष्ट करने का आरोप भी अपने पिता पर लगाया था। अनिरुद्ध खुद को सचिन पायलट का समर्थक मानते हैं।

अनिरुद्ध ने पुलवामा हमले के शहीद जवानों के परिवार के साथ राज्य की कांग्रेस सरकार के व्यवहार पर भी टिप्पणी की। शहीदों के परिजन अनुकंपा के आधार पर सरकारी नौकरी, शहीद की मूर्ति स्थापित करने सहित अन्य मांगों को लेकर भाजपा सांसद किरोड़ी लाल मीणा के साथ धरने दे रहे हैं।

उन्होंने कहा कि यह हमेशा के लिए जारी रहेगा। कांग्रेस पार्टी को ऐसे मामलों की परवाह नहीं है – उन्हें लगता है कि ये मामले उनके इतालवी संचालकों को परेशान करने के लिए बहुत तुच्छ हैं! विश्वेंद्र सिंह ने अपने बेटे अनिरुद्ध की टिप्पणी पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

तुलसीदासजी ने क्यों लिखा, ढोल गंवार शूद्र पशु नारी

तुलसीदासजी रामायण में लिखते हैं कि “ढोल गंवार शूद्र पसु नारी, सकल ताडऩा के अधिकारी…।” इस कथन को लेकर बहुत से लोगों ने तुलसीदासजी पर शुद्रों और नारियों के प्रति भेदभाव और असम्मान की भावना रखने का आरोप लगाया। कहा कि वे तो शुद्रों और नारियों को डांटने- फटकराने और प्रताडि़त करने का पक्ष लेते हैं। पर वास्तव में  देखें तो तुलसीदास जी नहीं बल्कि इस चौपाई का अपने हिसाब से मतलब निकालने वाले लोग गलत है। दरअसल ताडऩा का अर्थ किसी को देखते रहना, सीख, शिक्षा या संरक्षण देने के अर्थ में भी लिया जाता है। और संतों की व्याख्या के अनुसार तुलसीदास जी यहां यही कहना चाहते हैं कि ढोल, गंवार, शुद्र और नारी को शिक्षा व सीख देने के साथ उनके कार्यों को देखते रहना चाहिए। वरना दोष उनका नहीं, बल्कि उनके संरक्षकों का होगा। जैसे शादी के बाद यदि बहु कोई गलत काम करती है तो उलाहना आज भी उसकी मां को ही दिया जाता है कि उसने अच्छी सीख नहीं दी। इसी तरह ढोल ठीक नहीं बजेगा तो दोष ढोल वादक का होगा। गवांर गवांरुपन दिखाए तो दोष उसके शिक्षक का होगा और शुद्र यानी सेवक सलीका नहीं रखे और पशु भी ठीक नहीं है तो दोष उनके मालिकों का ही माना जाएगा कि उनकी सीख में कोई कमी है। इसलिए तुलसीदासजी की चौपाई का अर्थ यही निकालना चाहिए कि वे ढोल, गवांर, सेवक, पशु व नारी को शिक्षा और संरक्षण पाने का अधिकारी मानते हैं। ना कि प्रताडऩा का।

ढोल, गंवार, शूद्र, पशु, नारी सकल ताड़ना के अधिकारी' चौपाई का सही अर्थ क्या  है? - Quora

पीयूष पयोधी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, बिहार :

ढोल गंवार शूद्र पशु नारी

मुझे आज तक यह समझ नहीं आया कि कोटि विध बध लागहिं जाहू/ आएँ सरन तजउ नहि ताहू – “जिसे करोड़ों ब्राह्मणों की हत्या लगी हो, शरण में आने पर मैं उसे भी नहीं त्यागता जैसे कथनों के आधार पर अब तक किसी ने तुलसी को ब्राह्मण विरोधी क्यों नही बताया?

किसी ने जैसे उस एक कथन को शास्त्र से निकालना चाहा, वैसे इस एक कथन को क्यों नहीं निकलवाना चाहा।

पहला कथन तो समुद्र जैसे जड़ पात्र के द्वारा तुलसी ने कहलवाया हैइन्ह कइ नाथ सहज जड़ करनी। वह भी ऐसे जड़ के जो गहरी आत्म-ग्लानि में ग्रस्त है।

पर ‘कोटि बिप्र बध’ वाला उद्गार साक्षात ‘प्रभु’ के मुखारविंद से कहते हुए बतलाया है।

संवेदना का यह कौन सा ध्रुवांत है जिसके तहत एक का ‘ताड़न’ भी सहन योग्य नहीं दूसरे का ‘वध’ भी आपत्ति के लायक  नहीं लगता।

संवेदना की यह कौन-सी सरहद है जहां ‘एक’ और ‘कोटि’ का भी फर्क समाप्त हो जाता है।

कोटि बिप्र बध तो एक तरह का जेनोसाइड हुआ!

यदि वह एक कोटि( श्रेणी) है तो यह कोटि भी कोटि है। संख्या नहीं, वर्ग। संवेदना के ये कौन से कोष्ठक हैं? करुणा के ये कौन से कारागार हैं?

क्या इनकी पूर्ति यह कहकर हो सकती है कि अन्यत्र ‘द्विज-पद-प्रेम’ की बात कहकर इसका परिहार किया है? तो यह परिहार गुह निषाद केवट शबरी आदि से क्यों नहीं संभव हुआ?

क्या तुलसी को यह आशंका रामचरितमानस समय लिखते समय बहुत पहले से नहीं थी?कि ‘पैहहिं सुख सुनि सुजन सब खल करिहहिं उपहास’- इस रचना को सुनकर सज्जन सभी सुख पावेंगे और दुष्ट सब हंसी उड़ावेंगे।

संवेदना का स्वस्तिक एक गतिमय स्वस्तिक है। उसकी गति चक्रानुगमन करती है और वही विष्णु का सुदर्शन चक्र हो जाता है।

यदि ईश्वर की करुणा जातिभेद करती होती तो ईश्वर भी करुणा का कोटा निर्धारित कर रहा होता। ‘कोटि’ से कोटे तक पहुंचने में वक्त कितना लगता है।

लेकिन तुलसी वर्ग-भेद का लक्ष्य लेकर नहीं चल रहे। उनके रामराज में जो बात सबसे ज्यादा ध्यान देने योग्य है, वह है ‘सब’ शब्द का उपयोग। ‘सब नर करहिं परस्पर प्रीती।’ ‘सब सुन्दर सब बिरुज सरीरा।’ सब निर्दंभ धर्मरत पुनी/नर अरु नारि चतुर सब गुनी’ / सब गुनग्य पंडित सब ग्यानी/सब कृतग्य नहिं कपट सयानी।’ यदि तुलसी की निष्पत्ति किसी पूंजीवादी, किसी वर्ग-वैषम्यवादी, किसी सर्वहारा की तानाशाही वाले समाज की होती तो वे ‘सब’ की यह रट नहीं लगा रहे होते। वे ‘सब उदार सब पर उपकारी’ भी नहीं कह रहे होते।

विप्रों ने इस करोड़ों विप्रों के वध वाली पंक्ति पर आक्षेप नहीं किया तो इसलिए कि उन्हें किसी महाकाव्य को कैसे पढ़ा जाता है, इसका पता था और है।

जिन्हें यह कला नहीं मालूम और पढ़ाई लिखाई की गहराई से जिनका दूर दूर तक वास्ता नहीं, उनकी ही व्यभिचारिणी बुद्धि के तमाशे चलते रहे हैं।

कुछ लोगों ने इस पंक्ति की व्याख्या यों की है कि वह व्याख्या नहीं, सफ़ाई अधिक लगती है। ज़रूरत टीका की है लेकिन दिए स्पष्टीकरण जा रहे हैं। मसलन एक बंधु यह कहते हैं कि तुलसी के समय हिंदी में अंग्रेज़ी का हाइफन नहीं होता था।

इस कारण तुलसी के जिन शब्दों को 5 वर्ग समझा जाता है- ढोल, गंवार, शूद्र, पशु, नारी वे वस्तुतः तीन वर्ग हैं : एक ढोल, दूसरा गंवार-शूद्र और तीसरा पशु-नारी ये तीनों प्रताड़ना, दंड, पिटाई के योग्य हैं। हर शूद्र पिटाई के लायक नहीं है। पहले एक विशेषण उसे क्वालिफाई करता है हर नारी भी पिटाई के लायक नहीं है। पहले एक विशेषण उसे भी क्वालिफाई करता है। गंवार-शूद्र और पशु-नारी पृथक- पृथक संज्ञाएं नहीं हैं। उनके बीच विशेषण- विशेष्य संबंध है।

यह व्याख्या इन पंक्तियों की कर्कशता को कम करने की और उन्हें सहय बनाने की कोशिश है। एक तरह की नैरोकास्टिंग। लेकिन यह उचित नहीं है, औचित्यीकृत है।

एक पल को इसे मान भी लिया जाए कि बात गंवार-शूद्र के बारे में कही जा रही है तो उससे समाधान जितना नहीं होता, सवाल उतने ज्यादा उठते हैं। प्रतिप्रश्न ये है कि यदि गंवार शूद्र ताड़ना के काबिल हैं तो गंवार ब्राह्मण क्यों नहीं? मनु तो अपमान को ब्राह्मण का पथ्य कहते थे। स्मृतियों में तो यहाँ तक कहा गया कि अर्चित और पूजित ब्राह्मण दुही जाती हुई गाय के समान खिन्न हो जाता है। गंवार ब्राह्मण को तो शास्त्रों में पंक्तिदूषक ब्राह्मण या अपांक्तेय ब्राह्मण के रूप में वर्णित किया गया है। वेदव्यास ने महाभारत के वनपर्व में ‘चतुर्वेदोऽपि दुर्वृत्तः स शूद्रादतिरिच्यते’ क्यों कहा था? देवी भागवत में ‘यस्त्वाचार विहीनोऽत्र वर्तते द्विजसत्तमः’ को बहिष्कार योग्य क्यों कहा गया? गंवार-शूद्र ही क्यों, गंवार वैश्य और गंवार- क्षत्रिय को भी ताड़ना मिलनी चाहिए। बात तो आचरण की है।

वाल्मीकि ने यही तो कहा था : कुलीनमकुलीन वा वीरं पुरुषमानिनम् / चारित्र्यमेव व्याख्याति शुचि वा यदि वाशुचिम– मनुष्य का चरित्र ही यह बतलाता है कि वह कुलीन है या अकुलीन, वीर है या कायर, अथवा पवित्र है या अपवित्र तो गंवार शूद्र को किसी विशेष ताड़ना का हिस्सा बनाना कवि तुलसीदास का अभिप्रेत नहीं हो सकता था।

यही बात पशु-नारी के संदर्भ में है। क्या तुलसी उत्तरपूर्वी कंबोडिया के जंगलों में अभी जनवरी 2007 में पाई गई उस स्त्री के बारे में बात कर रहे थे जो 6 साल की उम्र में जंगलों में खो गई, 19 साल जंगलों में जानवरों के बीच रही और जब पुलिस ने उसे बरामद किया तो वह पूर्णतः जानवरों जैसी हरकतें कर रही थी ? क्या वे ‘वाइल्ड वोल्फ वूमन’ (जंगली भेड़िया – स्त्रियों) के बारे में प्रतिक्रिया दे रहे थे ? क्या तुलसी अरस्तू की तरह स्त्री को ‘आत्म विहीन’ प्राणी मान रहे थे ? क्या नारी की ‘एनीमलिटी’ पुरुष के पशुत्व से विशेष बदतर है ? तुलसी पशु-पुरुष को प्रताड़ना योग्य क्यों नहीं मानते ? क्या तुलसी ‘पशु-नारी’ के रूप में किन्हीं ‘गुरिल्ला नारियों’ को ताड़ना योग्य बता रहे थे?

स्त्रीवादी लेखिका एलिजाबेथ स्पेलमेन ने ‘सोमाटोफोबिया’ नामक एक मानसिक व्याधि की चर्चा की है जिसमें स्त्री को पशु से समीकृत किया जाता है। क्या तुलसी इस सोमाटोफोबिया के शिकार थे? क्या ‘पशु- नारी’ शब्द अपने आप में ही पशु और मनुष्य के बीच में किसी द्वैत के होने का परिचायक नहीं है? शैव दर्शन में पशुपति की संकल्पना ‘पशु’ की व्याख्या किस तरह से करती है ? क्या अंग्रेजी में स्त्रियों को ‘कैटी’ (Catty ), श्रू (Shrew), काउ (cow), बिच (bitch), डम बन्नी (Dumb bunny), ओल्ड क्रौ (old crow), विक्सन (vixen) कहने वाले अभिधान इसी ‘ पशु-नारी’ के बारे में हैं? जोरू के गुलाम के लिए अंग्रेजी में जो ‘हेन्पेक्ड’ शब्द चलता है वह स्त्री को ‘मुर्गी’ मानता है। ये तो नकारात्मक अर्थों वाले शब्द हैं लेकिन ‘फॉक्सी’ जैसे स्त्री-विश्लेषण भी स्त्री की पशु-पहचान को ही उभारते हैं।

तो तुलसीदास किसी सैक्सुअल हैरासमेंट के समर्थक थे? क्या तुलसीदास भारत में पशु और मनुष्य के बीच सांस्कृतिक रिश्तेदारी से अनभिज्ञ थे? पशु नारी हमेशा ही नकारात्मक हो, यह भी कैसे मान लिया जाए? मेरी वेब का उपन्यास ‘गोन टू अर्थ’ (1917) पढ़िए जिसमें उसने हेज़ेल नामक एक ऐसे स्त्री पात्र की रचना की है जिसमें जंगली निर्दोषिता और ऊर्जस्विता है, जो अपने आसपास के सामाजिक विश्व को जैसे ‘बिलांग’ ही नहीं करती, क्या वह ‘पशु-नारी’ ताड़ना योग्य लगती है ? हेज़ेल पशुओं की मूक वेदना को समझती है और एक छोटी लोमड़ी को बचाने की कोशिश में प्राण भी दे देती है। क्या तुलसी जैसा संवेदनशील कवि ऐसी प्रकृत सहज नारी की प्रताड़ना के बारे में कभी सोच भी सकेगा? जब ‘बैटमैन’, स्पाइडर मैन, एनीमल मैन आदि के रूप में आधुनिक कॉमिक हीरो लोकप्रिय हो रहे हैं तो पशु-नारी में ऐसी क्या कमी है कि आधुनिक व्याख्याकार उसे प्रताड़नीय समझ रहे हैं ?

 क्रमशः….

(सहयोग : अश्विनी कुमार तिवारी)

पिता के वचनों  एवं कुल की रीति बनाए रखने के लिए भगवान राम जी ने किया  वन गमन 

श्री सनातन धर्म मंदिर सेक्टर 22बी चंडीगढ़ 34 वां वार्षिक उत्सव श्री राम कथा संगीतमय कथा व्यास- परम श्रद्धेय परम भागवत श्री गोविंद कृष्ण जी शास्त्री बनारस काशी (उत्तर प्रदेश)

डेमोक्रेटिक फ्रंट संवाददाता, चण्डीगढ़  – 03 फरवरी :

                        श्री सनातन धर्म मंदिर सैक्टर 22बी चंडीगढ़ में जो संगीतमय श्री राम कथा चल रही है आज तिथि 3 फरवरी 2023 दिनांक शुक्रवार को परम श्रद्धेय कथा व्यास श्री गोविंद कृष्ण शास्त्री जी ने कथा का वर्णन करते हुए भगवान श्री रामचंद्र जी के वन गमन का प्रसंग सुनाया और कहा कि श्री राम जी ने मर्यादा के पालन हेतु राज्य का भी त्याग कर दिया। पिता के बचनों को एवं अपने कुल की रीती को बनाए रखने के लिए श्री राम जी ने वन गमन किया। आज के समय में यह एक समाज के लिए उच्च आदर्श है कि हमें अपने माता-पिता बड़े बुजुर्गों का सम्मान कैसे करना चाहिए। वन में जाकर श्री राम जी केवट, जटायु,शबरी, सुग्रीव, एवं हनुमान से मिले । यहां भगवान ने यह आदर्श स्थापित किया कि संसार में सब जीव बराबर है सबके साथ प्रेम एवं मानवता का व्यवहार ही सर्वोपरि है। जाती -पाती कुल धर्म उन सब से ऊपर उठकर के हमें केवल मानव धर्म का ही एवं भाईचारे का पालन करना चाहिए। यही प्रभु श्री राम जी के जीवन से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए।

                        सभा की ओर से महामंत्री ने बतलाया कि सभी भक्तजनों को करबद्ध आग्रह किया जाता है कि कल 4 फरवरी 2023 शनिवार को कथा नियमानुसार दोपहर 3:00 से 5:30 बजे होगी पर 5 फरवरी 2023 रविवार माघ-पूर्णिमा को कथा का समय दिन में 10:30 बजे से 1:30 बजे तक ही होगा और उसके बाद प्रभु श्री राम जी की असीम कृपा से सभा की ओर से भक्तजनों के लिए अटूट भंडारा के व्यवस्था है। सभी प्रभु प्रेमी अब दो दिन की शेष अमृतमयी दिव्य कथा का आनंद लूटे और प्रभु प्रसाद ग्रहण कर अनुग्रहित करें।

“मजबूरी में गौ-मांस खाने वालों की भी हो सकती है घर वापसी”, होसबोले बोले- विश्व गुरु बनकर भारत करेगा दुनिया का नेतृत्व

                   राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि भारत में 600 से अधिक जनजातियां कहती थीं कि हम अलग हैं और भारत विरोधी ताकतों ने उन्हें उकसाने का काम किया था। इस पर गोलवलकर गुरुजी ने कहा कि वह हिंदू हैं। ऐसे में हम अगर वसुधैव कुटुंबकम की दिशा में अगर काम कर रहे हैं तो उनके लिए दरवाजे बंद नहीं कर सकते। दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि यहां तक कि जिन लोगों ने मजबूरी में गोमांस खाया है, हम उन्हें इस वजह से छोड़ नहीं सकते। हम उनके लिए दरवाजे बंद नहीं करा सकते। यहां तक कि उनकी हम अभी भी घर वापसी करा सकते हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के निंबाराम और सह-कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले।
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के निंबाराम और सह-कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले

कोरल’पुरनूर’ डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/ जयपुर – 02 फरवरी :

                        राजस्थान के जयपुर में इन दिनों संघ का कार्यक्रम चल रहा है, इसमें शिरकत करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाहक दत्तात्रेय होसबोले भी पहुंचे हुए हैं। यहां उन्होंने कहा कि भारत में गौ-मांस खाने वालों की भी घर वापसी हो सकती है, क्योंकि भारत में रहने वाला हर व्यक्ति जन्म से हिंदू है।

                        होसबोले ने कहा कि संघ न तो दक्षिणपंथी है और न ही वामपंथी है, बल्कि वह राष्ट्रवादी है। उन्होंने कहा कि लोग अपने मत एवं संप्रदाय का पालन करते हुए संघ के कार्य कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘संघ कठोर नहीं है, बल्कि लचीला है।” उन्होंने कहा कि संघ को समझने के लिए दिमाग नहीं दिल चाहिए। उन्होंने अगली पीढ़ी के कल्याण के लिए पर्यावरण की रक्षा करने पर बल दिया। होसबाले ने कहा कि देश में लोकतंत्र की स्थापना में आरएसएस की अहम भूमिका रही है।

                        उन्होंने कहा, ‘भारत में 600 से अधिक जनजातियां कहती थीं कि हम अलग हैं। हम हिंदू नहीं हैं। भारत विरोधी ताकतों ने उन्हें उकसाने का काम किया था। इस पर गोलवलकर जी ने कहा कि वे हिंदू हैं। उनके लिए दरवाजे बंद नहीं हैं, क्योंकि हम वसुधैव कुटुम्बकम् की अवधारणा पर काम करते हैं। किसी ने मजबूरी में गौ मांस ही क्यों न खाया हो, किसी कारण से वे चले गए तो दरवाजा बंद नहीं कर सकते हैं। आज भी उसकी घर वापसी हो सकती है।’

                        होसबोले ने कहा, ‘भारत हिंदू राष्ट्र है, क्योंकि इस देश को बनाने वाले हिंदू हैं। कुछ लोग कहते हैं कि वेद पुराण में हिंदू नहीं हैं, लेकिन वेद पुराण में ऐसा भी नहीं कि इन्हें स्वीकार नहीं किया जाए। उन्होंने कहा कि सत्य और उपयोगी बातों को स्वीकार करना चाहिए। डॉ. हेडगेवार इस व्याख्या में नहीं पड़े कि हिंदू कौन हैं। भारत भूमि को पितृ भूमि मानने वाले हिंदू हैं, जिनके पूर्वज हिंदू हैं, वे लोग हिंदू हैं। जो स्वयं को हिंदू माने, वो हिंदू है। जिन्हें हम हिंदू कहते हैं, वो हिंदू हैं।’

होसबोले के स्पीच की बड़ी बातें, कहा- संघ सभी मतों और संप्रदाय को एक मानता है

  • संघ न तो दक्षिणपंथी है, और न ही वामपंथी: संघ न तो दक्षिणपंथी है, और न ही वामपंथी है। बल्कि राष्ट्रवादी है। संघ भारत के सभी मतों और संप्रदायों को एक मानता है। ऐसे में सभी के सामूहिक प्रयास से ही भारत विश्व गुरु बनकर दुनिया का नेतृत्व करेगा। संघ ने हर दर्द को सहा और कहा, एन्जॉय द पेन।
  • राष्ट्र जीवन के केंद्र बिंदु पर संघ है: आज राष्ट्र जीवन के केंद्र बिंदु पर संघ है। संघ व्यक्ति निर्माण और समाज निर्माण के कार्य करता रहेगा। समाज के लोगों को जोड़कर समाज के लिए काम करेगा। आज संघ के एक लाख सेवा कार्य चलते हैं। संघ एक जीवन पद्धति और कार्य पद्धति है। संघ एक जीवन शैली है और संघ आज एक आंदोलन बन गया है। हिंदुत्व के सतत विकास के आविष्कार का नाम RSS है।
  • संघ को समझने के लिए दिमाग नहीं दिल चाहिए: संघ को समझने के लिए दिमाग नहीं, दिल चाहिए। केवल दिमाग से काम नहीं चलेगा, क्योंकि दिल और दिमाग बनाना ही संघ का काम है। यही वजह है कि आज संघ का प्रभाव भारत के राष्ट्रीय जीवन में है। देश में लोकतंत्र की स्थापना में RSS की भूमिका रही। ये बात विदेशी पत्रकारों ने लिखी थी।’
  • संघ छपता है तो अखबार बिकता: तमिलनाडु में मतांतरण के विरुद्ध हिंदू जागरण का शंखनाद हुआ था। जब पत्रकार संघ के कहने से खबर तक नहीं छापते थे, लेकिन आज संघ छपता है तो अखबार बिकता है। देश में संघ के सैकड़ों लोगों की हत्याएं हुईं, पर कार्यकर्ता डरे नहीं हैं। संघ सिर्फ राष्ट्र हित में काम करने वाला है और हम नेशनलिस्ट हैं।

                        इस कार्यक्रम में राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अध्यक्ष डॉ. महेश चन्द्र शर्मा, अशोक परनामी और प्रतिपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया भी मौजूद थे।

उप्र के नोएडा में ओमेगा सेकी मोबिलिटी की नई अत्याधुनिक डीलरशिप शुरू

उत्तर प्रदेश में कंपनी की 5 डीलरशिप, वित्त वर्ष 24-25 तक 100 डीलरशिप खोलने की योजना 

डेमोक्रेटिक फ्रंट संवाददाता, नोएडा –  27 जनवरी

                        एंग्लियन ओमेगा ग्रुप की कंपनी, ओमेगा सेकी मोबिलिटी ने आज नोएडा में अपनी पहली अत्याधुनिक डीलरशिप का उद्घाटन किया। नोएडा में कदम बढ़ाते हुए कंपनी ने नई डीलरशिप आरएन मोबिलिटी का काम-काज शुरू किया, जो एच 125ए, एच ब्लॉक, सेक्टर 63, नोएडा में है। वर्तमान में ओमेगा सेकी मोबिलिटी की उत्तर प्रदेश में 5 डीलरशिप हैं और वित्त वर्ष 24-25 तक 100 डीलरशिप खोलने की योजना है। आरएन मोबिलिटी के निदेशक श्री मनोज गर्ग, श्री दिवेश जिंदल और श्री संजीव जिंदल इस मौके पर मौजूद थे।

                        नई डीलरशिप ओएसएम के ग्राहकों को अभूतपूर्व अनुभव देगी। यह एक ही जगह बिक्री और सभी ग्राहक सेवाएं प्रदान करेगी। यह नेक्स्ट-जेन डीलरशिप कंपनी का रिटेल नेटवर्क बढ़ाते हुए ओएसएम को नई ऊंचाई देगी। नोएडा डीलरशिप में कंपनी अपने सात इलेक्ट्रिक कमर्शियल वाहनों का पूरा पोर्टफोलियो पेश करेगी, जिसमें शामिल हैं – रेज$, रेज$ रैपिड, रेज$ रैपिड प्रो, रेज$ फ्रॉस्ट, रेज$ स्वैप, और रेज$ गारबेज टिपर तथा पैसेंजर वाहन स्ट्रीम। 

ओमेगा सेकी प्राइवेट लिमिटेड का परिचय

ओमेगा सेकी प्राइवेट लिमिटेड एंग्लियन ओमेगा व्यवसाय समूह की सदस्य है, जो मुख्य रूप से भारत और विदेशों में भी ऑटोमोटिव और इंजीनियरिंग उद्योगों के लिए स्टील पार्ट्स का निर्माण करता है। इस समूह ने पिछले पांच वर्षों में मोटर वाहन, इन्फ्रास्ट्रक्चर और उच्च प्रौद्योगिकी डिजाइन एवं विकास की कई परियोजनाओं के साथ भारी निवेश करते हुए तेजी से विस्तार किया है। इलेक्ट्रिक वाहन का कारोबार समूह की कम्पनी ओमेगा सेकी प्राइवेट लिमिटेड संभालती है। कम्पनी ने खुद के शोध-विकास केंद्र में अपने तिपहिया वाहनों का स्वदेशी डिजाइन विकसित किया है। ओमेगा सेकी के रेज$ ब्रांड वाहन भारत की कई प्रमुख ई-कॉमर्स और लॉजिस्टिक्स कम्पनियां इस्तेमाल करती हैं।

                        डीलरशिप के उद्घाटन पर ओमेगा सेकी मोबिलिटी के चेयरमैन, श्री उदय नारंग ने कहा, ”नोएडा में हमारी सबसे बड़ी डीलरशिप्स में से एक के उद्घाटन पर हम बहुत प्रसन्न हैं। शोरूम आधुनिक है। इसके प्रत्येक एलिमेंट में ब्रांड ओएसएम की विशेषताएं दिखती हैं और यह निरंतर प्रगतिशील होने का अभूतपूर्व अनुभव देगा। नोएडा में ओएसएम की नई डीलरशिप में कदम रखने के साथ ग्राहकों को हर दृष्टि से खुशी देने की हमारी इच्छा है। हम ग्राहकों को बिक्री बाद हर संभव सहायता देने पर पूरा ध्यान देते हैं और इस तरह उत्तर प्रदेश के बाजार में पहुंच बढ़ा रहे हैं।”

                        आरएन मोबिलिटी के डायरेक्टर श्री मनोज गर्ग, श्री दिवेश जिंदल और श्री संजीव जिंदल ने कहा, ”ओमेगा सेकी मोबिलिटी से पार्टनरशिप करने और नोएडा में ओएसएम वाहनों की बड़ी रेंज़ पेश करने पर हमें गर्व है। उत्तर प्रदेश के बाजार में इलेक्ट्रिक थ्री व्हीलर कमर्शियल और पैसेंजर दोनों सेगमेंट तेजी से बढ़ रहे हैं। मुख्य रूप से इलेक्ट्रिक वाहन के आकर्षक लाभ के प्रति बढ़ती जागरूकता के चलते इस सेगमेंट में बढ़ोतरी हुई है और ओएसएम वाहनों की हमारी नई डीलरशिप शहर में ईवी की बढ़ती मांग को पूरा करेगी और ईवी वाहन को लेकर उत्साहित लोगों को यह वाहन स्वामी होने का शानदार अनुभव देगी।”

                        ओमेगा सेकी मोबिलिटी भारत में अपनी प्रोडक्ट रेंज़ और उत्पादन केंद्रों का तेजी से विस्तार कर रही है। कंपनी पहला ओईएम है जिसके प्रोडक्ट पोर्टफोलियो में दो, तीन और चार पहिया वाहन मौजूद हैं। दिल्ली एनसीआर और पुणे में ओएसम के बड़े उत्पादन केंद्र हैं और अब चेन्नई में विस्तार का लक्ष्य है। कंपनी अपने ब्रांड ऊनोएक्सप्रेस के तहत लास्ट माइल सेवा देती है। ओएसएम अपने 1200 से अधिक वाहनों के साथ भारत की सबसे बड़ी फ्लीट परिचालन कंपनियों में एक है।

                        ओमेगा सेकी मोबिलिटी ऑटोमोबाइल और सोसाइटी को आपस में जोड़ कर रखने का दृष्टिकोण अपनाते हुए, परिवहन का एक टिकाऊ साधन देने में विश्वास रखती है। यह ब्रांड मुख्य रूप से पर्यावरण अनुकूल, सुरक्षित परिवहन का स्वच्छ इकोसिस्टम और भीड़ मुक्त परिवहन व्यवस्था बनाने पर ध्यान देता है। ओएसएम भारत के अग्रणी स्वच्छ ऊर्जा इन्क्यूबेटरों में से एक है और टिकाऊपन के मानक पर भारतीय सफलता की मिसाल है। इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण कंपनी का लक्ष्य तीव्र भावी परिवहन व्यवस्था बनाने के लिए डेटा आधारित, स्मार्ट इंजीनियरिंग का लाभ लेना है। इस प्रयास के केंद्र में स्वच्छ ऊर्जा होगी।

                        एंग्लियन ओमेगा समूह की वित्तीय सहायक कंपनी को एंग्लियन फिनवेस्ट नाम दिया गया है। यह ओएसएम वाहनों पर ऋण की आकर्षक स्कीम देगी। अन्य प्रमुख फाइनेंस कंपनी के साथ भी ओएसएम का करार है। रेंटल या फाइनेंस ऑफर के लिए ग्राहक नोएडा के डीलर से संपर्क कर सकते हैं।

रामचरितमानस विवाद पर बदली-बदली दिख रही बिहार की राजनीति

                        पत्रकारों से बात करते हुए जगदानंद सिंह ने एक बार फिर से चंद्रशेखर के बयान का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि सभी समाजवादी आपके साथ हैं। उन्होंने राममनोहर लोहिया के हवाले से कहा कि रामचरितमानस में हीरा-मोती भी है और कूड़ा-कचरा भी है, इसलिए हम कूड़ा साफ करेंगे और हीरा-मोती को रखेंगे। इसके पहले उन्होंने चंद्रशेखर के विवादित बयान का समर्थन करते हुए कहा था कि पूरी राजद उनके साथ खड़ी है। जगदानंद सिंह ने कहा था कि ‘राष्ट्रीय जनता दल’ कमंडल के आगे कभी मंडल को हारने नहीं देगा। लेकिन जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने साफ कहा है कि जदयू के लिए सभी धर्म एक समान है और वह राजद के राम या रामचरितमानस पर दिए बयान के साथ नहीं है। जदयू के संसदीय बोर्ड अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि राजद के इस स्टैंड का फायदा भाजपा को मिलेगा।

जगदानंद सिंह, चंद्रशेखर यादव
रामचरितमानस पर राजद में दो फाड़, प्रदेश अध्यक्ष ने फिर किया अपमान
  • शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के रामचरितमानस पर राजद में भी एकमत नहीं
  • जगदानंद सिंह ने किया समर्थन तो शिवानंद तिवारी विरोध में खड़े हुए
  • जदयू और राजद के बीच भी रामचरितानस विवाद पर अलग-अलग सुर

डेमोक्रेटिक फ्रंट, पटना ब्यूरो – 14 जनवरी :

                        बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के रामचरितमानस  पर दिए गए ‘ज्ञान’ ने देश में बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। चंद्रशेखर के विवादित बयान से लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल बुरी तरह फंस गई है। विरोधी दलों के अलावा बिहार की सत्ता में सहयोगी पार्टी जनता दल युनाइटेड भी चंद्रशेखर के बयान की निंदा कर रही है। इतना ही नहीं, अब राजद के अंदर भी शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर  को लेकर दो फाड़ हो गई है। कुछ नेता चंद्रशेखर के साथ खड़े हो गए हैं तो कुछ वरिष्ठ नेताओं ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में अब राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने भी चंद्रशेखर के बयान पर आपत्ति जताई है।

                        रिपब्लिक भारत से खास बातचीत में राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा कि ‘चंद्रशेखर ने जो कुछ कहा है, उससे हम सहमति नहीं रखते हैं। हमने उन्होंने कहा भी कि आपको वहां रामचरितमानस पर बोलने की क्या जरूरत थी। आप जिस वैचारिक धरातल तक खड़े हैं, उससे आप अलग होना चाह रहे हैं। राजद हो या जदयू हो, इन दोनों की एक ही वैचारिक धारा है।’

                        इसी बीच चंद्रशेखर को जगदानंद सिंह के समर्थन पर भी शिवानंद तिवारी ने करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा, ‘मैं जगदानंद सिंह के बयान से असहमत हूं कि पार्टी चंद्रशेखर के बयान के साथ खड़ी है। प्रदेश अध्यक्ष ऐसा फैसला कैसे ले सकते हैं। मैं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हूं। मैं इस पर तेजस्वी यादव से बात करूंगा कि चंद्रशेखर द्वारा दिया गया बयान पार्टी के हित में नहीं है। मैं उस बैठक का हिस्सा नहीं था, जिसमें रामचरित मानस पर चंद्रशेखर के बयान का समर्थन करने का फैसला लिया गया था।’ शिवानंद तिवारी ने आगे कहा, 

“जगदानंद सिंह ने शायद यह बयान इसलिए दिया है क्योंकि वह अपने बेटे को नीतीश कैबिनेट से बाहर किए जाने से नाराज हैं।”, शिवानंद तिवारी

                        उल्लेखनीय है कि बीते दिन बिहार आरजेडी के अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने चंद्रशेखर के विवादित बयान का समर्थन करते हुए कहा था कि पूरी राजद उनके साथ खड़ी है। जगदानंद सिंह ने कहा था कि ‘राष्ट्रीय जनता दल कमंडल के आगे कभी मंडल को हारने नहीं देगा, जो हमारी सामजिक न्याय और समाजवाद की धारा है, जो डॉ. राममनोहर लोहिया से सीख हमको मिली है, उसके लिए कर्पूरी ठाकुर मृत्यु तक लड़ते रहे।’ उन्होंने आगे कहा था, 

जो राह समाजवादियों ने हमें बताई है उस पर आज भी चलने का ये (चंद्रशेखर) काम कर रहे हैं। मैं इस विषय पर ज्यादा नहीं कहना चाहता पर एक बात जरूर कहूंगा कि चंद्रशेखर आप आश्वस्त रहिए, पूरी राष्ट्रीय जनता दल आपके साथ और कमंडलवादियों के खिलाफ आपके साथ खड़ी है।

                        दरअसल, बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर हाल ही में एक कार्यक्रम में पहुंचे थे, जहां उन्होंने रामचरितमानस पर विवादित बयान दिया था। चंद्रशेखर ने रामचरितमानस को ‘नफरती ग्रंथ’ बताया था। इसके बाद रिपब्लिक भारत से खास बातचीत में भी शिक्षामंत्री चंद्रशेखर ने अपने बयान को दोहराया। उन्होंने कहा, ‘उस ग्रंथ में नफरत का अंश है। मैं सीधी बात कहता हूं कि रामचरितमानस हो या मनुस्मृति हो इसमे जातियों के लेकर जो विषमता दिखाई गई है उसे हटाना चाहिए।’

                   इस मामले के तूल पकड़ने के बावजूद चंद्रशेखर गलती मानने की बजाय अपने बयान पर आज भी कायम हैं। ऐसे में उनको विपक्ष की आलोचना के साथ अपने सहयोगी दलों, यहां तक की अपनी ही पार्टी के नेताओं का विरोध झेलना पड़ रहा है। चंद्रशेखर के विवादित बयान से महागठबंधन सरकार में साथी कांग्रेस और जेडीयू किनारा कर गए हैं।