बिहार में शाम होते होते लालटेन जल उठी

आज बिहार चुनावों की गणना शुरू हुई तो रुझान महागठबंधन के पक्ष में आ रहे थे जो घंटे भर बाद एनडीए की ओर झुक गए। एनडीए खेमे में खुशी की लहर दौड़ गयी तो आरजेडी के मृत्युंजय तिवार ने कहा की लालटेन शाम ही में जलती है, ठीक वैसा ही अब दिखने भी लगा है, अब अचानक ही से रुझान महागठबंधन के पक्ष में जाने लगे हैं। यह निर्णायक पल हैं जो रुझानों को नतीजों में बदलने की कुव्वत रखते हैं।

पटना/नई दिल्‍ली: 

बिहार विधान सभा चुनाव में सत्‍तापक्ष और विपक्ष के बीच कांटे की टक्‍कर चल रही है. रुझानों के मुताबिक सत्‍तारूढ़ एनडीए भले ही बहुमत के लिए जरूरी 122 सीटों के आंकड़े के आस-पास दिख रहा है लेकिन एक वक्‍त में काफी पिछड़ रहे महागठबंधन ने शाम होते-होते एक बार फिर रफ्तार पकड़ी है. इस वक्‍त के रुझान के मुताबिक एनडीए 121 और आरजेडी के नेतृत्‍व वाला महागठबंधन 113 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. यदि दलगत स्थिति की बात की जाए तो सबसे बड़े दल के लिए बीजेपी और राजद के बीच कांटे की टक्‍कर दिख रही है. इस वक्‍त के रुझानों के मुताबिक बीजेपी 71 सीटों पर आगे है, वहीं राजद 74 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. यानी इस वक्‍त तेजस्‍वी यादव की पार्टी आरजेडी सबसे बड़े दल के रूप में उभरती हुई दिख रही है.

बदलते समीकरण
मतगणना के रुझानों में भाजपा 71 सीटों पर आगे चल रही है और उसे एक सीट पर जीत हासिल हुई है. जबकि उसकी सहयोगी जदयू 42 सीटों पर आगे चल रही है और एक सीट पर जीत मिली है. मतगणना में हम पार्टी तीन सीट और वीआईपी पार्टी 5 सीटों पर बढ़त बनाये हुए है.

जो बायडेन की मदद से अनुच्छेद-370 को वापस लायेंगे: युवा कॉंग्रेस नेता जहाँ जेब सिरवाल

कॉंग्रेस की सबसे बड़ी परेशानि उन मुद्दों को लेकर है जिन मुद्दों क मोदी सरकार ने सहज ही निपटा दिया है। पूर्व प्रधानमंत्री नहरु का दिया हुआ काश्मीर विवाद भी उनही में से एक है। कॉंग्रेस को आज भी भारत में काश्मीर को ले कर ‘दो विधान दो निशान दो परधान चाहिए’, वह धारा 370 के हटाये जाने के विरोध में है। इस पार्टी के नये पुराने सभी नेता भारतीय संसद मे पारित हुए मोदी सरकार के किसी भी प्रस्ताव को असंवैधानिक मानती है। धारा 370 पर कॉंग्रेस आज भी यदा कदा बयान देते रहते हैं। ताज़ा मामला जहाँ जेब सिरवाल का है जो युवा कॉंग्रेस नेता हैं ओर उन्हे जो बायडेन से बहुत उम्मीद है। ज़ेब सिरवाल को यकीन है कि नव निर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति काश्मीर में एक बार फिर धारा 370 बहाल करवाने में मदद करेंगे।

जम्मू/ चंडीगढ़:

जम्मू कश्मीर की स्थानीय पार्टियों का भारत-विरोधी रुख तो जगजाहिर है, लेकिन अब कॉन्ग्रेस पार्टी भी फ़ारूक़ अब्दुल्लाह और महबूबा मुफ़्ती जैसे नेताओं के सुर में सुर मिला रही है। कम से कम जम्मू कश्मीर में कॉन्ग्रेस नेताओं के बयान देख कर तो यही लगता है। ताज़ा मामला है जहाँ जेब सिरवाल का, जो प्रदेश में कॉन्ग्रेस के चर्चित नेताओं में से एक हैं। वो अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति जो बायडेन की मदद से अनुच्छेद-370 को वापस लाने का दावा कर रहे हैं।

अमेरिका में ‘डेमोक्रेटिक पार्टी’ के जो बायडेन और ने वहाँ के पदस्थ राष्ट्रपति व ‘रिपब्लिकन पार्टी’ के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प को हरा दिया है और कमला हैरिस उनकी डिप्टी के रूप में चुनी गई हैं। कॉन्ग्रेस नेता जहाँजेब सिरवाल ने भी इन दोनों नेताओं को जीत की बधाई दी लेकिन इस दौरान वो अपना भारत-विरोधी रवैया उजागर करना नहीं भूले। कॉन्ग्रेस के युवा नेता ने इसे व्यक्तिगत जीत न होकर एक ‘विचारधारा की जीत’ करार दिया।

उन्होंने इसे लोकतंत्र की जीत बताते हुए कहा कि जहाँ तक भारत और जम्मू-कश्मीर की बात है, उनकी जीत से यहाँ सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और इतना तो साफ है उनकी जीत से इस्लामोफोबिया में कमी आएगी। बता दें कि ये कट्टरपंथी नेता इस्लामी आतंकवाद के खिलाफ आवाज़ उठाने को भी ‘इस्लामोफोबिया’ कहते हैं। कमोबेश पूरी दुनिया में इस्लामी कट्टरपंथियों का लगभग यही रुख है और वो आतंकवाद की निंदा तक नहीं करते।

इसी तरह कॉन्ग्रेस के युवा नेता जहाँजेब सिरवाल ने कहा कि जो बायडेन के पुराने बयानों से ऐसा प्रतीत होता है कि वो भारत सरकार पर दबाव बनाएँगे और सरकार अनुच्छेद-370 और 35-ए को फिर से वापस लाएगी और इन्हें लागू करेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र की मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अलोकतांत्रिक तरीके से अनुच्छेद-370 को हटाया था और इसे वापस लाने से ‘इस्लामोफोबिया’ में कमी आएगी।

इससे पहले जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्लाह ने ‘लाइन ऑफ एक्चुअल कण्ट्रोल (LAC)’ पर चीन के आक्रामक रवैये के लिए भारत सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने के फैसले को जिम्मेदार बताया था। ‘नेशनल कॉन्फ्रेंस’ के अध्यक्ष ने कहा था कि चीन ने कभी भी अनुच्छेद 370 को लेकर भारत सरकार के फैसले को स्वीकार नहीं किया है। साथ ही उन्होंने उम्मीद भी जताई थी कि चीन की मदद से फिर से अनुच्छेद 370 को वापस लाया जा सकेगा।

उन्हीं के नक्शेकदम और चलते हुए जम्मू कश्मीर की एक अन्य पूर्व-मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने कहा था कि जब तक उनका झंडा (जम्मू कश्मीर का पुराना झंडा) वापस नहीं मिल जाता, तब तक वह दूसरा झंडा (तिरंगा) नहीं उठाएँगी। मुफ्ती ने कहा था कि उनका झंडा ‘डाकुओं’ ने ले लिया है। उन्होंने कहा था कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को बहाल करने तक उनका संघर्ष खत्म नहीं होगा और वो कश्मीर को पुराना दर्जा दिलवाने के लिए जमीन आसमान एक कर देंगी।

आज अर्णब तो कल आप हम भी हो सकते हैं

सारिका तिवारी, चंडीगढ़:

महाराष्ट्र पुलिस-प्रशासन ने जिस प्रकार अर्णब गोस्वामी को एक पुराने एवं लगभग बंद पड़े मामले में जिस तरह से गिरफ़्तार किया, जो कि सरासर गैरकानूनी है ऐसा कानूनविद कहते हैं क्योंकि केस फ़ाइल दोबारा खोलने के लिए न्यायालय से अनुमति लेना आवश्यक है आप जानते ही हैं कि जब अप्रैल 2020 मे यह मामला बंद किया गया उसके बाद पीड़ितों के परिवार जनों ने खिन भी इसके विरुद्ध गुहार नहीं लगाई, अतः सरकार की नीयत साफ नहीं यह तो स्पष्ट है ओर उसकी मंशा एवं कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े होना भी स्वाभाविक है। उससे भी ज्यादा सवाल उन कथित बुद्धिजीवियों पर खड़े हो रहे हैं, जो बात – बात पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का ढिंढोरा पीटते रहते हैं, लेकिन अर्णब की गिरफ़्तारी पर मुंह सिले हैं।

पालघर में दो सन्तों की निर्मम हत्या के पश्चात महाराष्ट्र सरकार की सबसे ताकतवर शख्सियत सोनिया गांधी उर्फ अंटोनिओ माइनो से कुछ कड़े प्रश्न पूछने पर महाराष्ट्र सरकार की नज़रों में चढ़े अर्णब गोस्वामी सुशांत राजपूत की अप्राकृतक मृत्यु को ज़ोरशोर से उठाने के कारण सवालों के घेरे में आए मुंबई के आभिजात्य वर्ग की नज़रों में भी चढ़ गए। बार बार चेताने पर भी अर्णब ने मुद्दों को नहीं छोड़ा जिनसे महाराष्ट्र सरकार और उसके कृपापात्रों को निरंतर जांच के घेरे में आने से महाराष्ट्र सरकार तिलमिला उठी और अर्णब के विरोध में अलग अलग तरह से उन्हे प्रताड़ित करती रही।

लोकतंत्र में मीडिया को चौथा स्तंभ माना जाता है। नागरिक अधिकारों की रक्षा करने एवं लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूती प्रदान करने में विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका के साथ-साथ मीडिया की विशेष भूमिका होती है। उसका उत्तरदायित्व निष्पक्षता से सूचना पहुंचाने के साथ-साथ जन सरोकार से जुड़े मुद्दे उठाना, जनजागृति लाना, जनता और सरकार के बीच संवाद का सेतु स्थापित करना और जनमत बनाना भी होता है। सरोकारधर्मिता मीडिया की सबसे बड़ी विशेषता रही है। यह भी सत्य है कि सरोकारधर्मिता की आड़ में कुछ चैनल-पत्रकार अपना एजेंडा भी चलाते रहे हैं। हाल के वर्षों में टीआरपी एवं मुनाफ़े की गलाकाट प्रतिस्पर्द्धा ने मीडिया को अनेक बार कठघरे में खड़ा किया है। उसका स्तर गिराया है। उसकी साख़ एवं विश्वसनीयता को संदिग्ध बनाया है। निःसंदेह कुछ चैनल-पत्रकार पत्रकारिता के उच्च नैतिक मानदंडों एवं मर्यादाओं का उल्लंघन करते रहे हैं। जनसंचार के सबसे सशक्त माध्यम से जुड़े होने के कारण उन्हें जो सेलेब्रिटी हैसियत मिलती है, उसे वे सहेज-संभालकर नहीं रख पाते और कई बार सीमाओं का अतिक्रमण कर जाते हैं।

स्वतंत्रता-पूर्व से लेकर स्वातन्त्रयोत्तर काल तक भारतवर्ष में पत्रकारिता की बड़ी समृद्ध विरासत एवं परंपरा रही है। उच्च नैतिक मर्यादाओं एवं नियम-अनुशासन का पालन करते हुए भी पत्रकारिता जगत ने जब-जब आवश्यकता पड़ी, लोकतंत्र एवं लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखी। सत्य पर पहरे बिठाने की निरंकुश सत्ता द्वारा जब-जब कोशिशें हुईं, मीडिया ने उसे नाकाम करने में सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आपातकाल के काले दौर में तमाम प्रताड़नाएं झेलकर भी उसने अपनी स्वतंत्र एवं निर्भीक आवाज़ को कमज़ोर नहीं पड़ने दिया। लोकतंत्र को बंधक बनाने का वह प्रयास विफल ही मीडिया के सहयोग के बल पर हुआ। पत्रकारिता के गिरते स्तर पर बढ़-चढ़कर बातें करते हुए हमें मीडिया की इन उपलब्धियों और योगदान को कभी नहीं भुलाना चाहिए|

अर्णब का दोष केवल इतना है कि, जो संबंध परदे के पीछे निभाए जाते रहे, उसे अर्णब ने बिना किसी लाग-लपेट के परदे के सामने ला भर दिया। उन्होंने आम लोगों की भाषा में जनभावनाओं को बेबाक़ी से स्वर दे दिया। जिसे समर्थकों ने राष्ट्रीय तो विरोधियों ने एजेंडा आधारित पत्रकारिता का नाम दिया। पर सवाल यह है कि केवल अर्णब ही सत्ता के आसान शिकार और कोपभाजन क्यों ?

महाराष्ट्र पुलिस-प्रशासन ने जिस प्रकार अर्णब गोस्वामी को एक पुराने एवं लगभग बंद पड़े मामले में जिस तरह से आनन-फ़ानन में गिरफ़्तार किया, वह उसकी मंशा एवं कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है। पुराने मामले में किसी को ख़ुदकुशी के लिए उकसाने के आरोप में अर्णब को गिरफ्तार करने की महाराष्ट्र सरकार एवं मुंबई पुलिस की नीयत जनता ख़ूब समझती है।

पुलिस इस केस की क्लोजर रिपोर्ट भी दाख़िल कर चुकी है। अब अचानक पुलिस को ऐसा कौन-सा सबूत मिल गया कि वह अर्णब को गिरफ़्तार करने पहुँच गई। और वह भी इतने बड़े लाव-लश्कर, एनकाउंटर स्पेशलिस्ट और हथियारों से लैस! कमाल की बात यह कि उसने कोर्ट से अर्णब को पुलिस रिमांड में रखने की इजाज़त भी मांगी।

ज्ञात हो कि अर्णब गोस्वामी का कोई आपराधिक अतीत नहीं है। न वे कोई सजायाफ्ता मुज़रिम या आतंकी हैं। बल्कि वे मुख्य धारा के बड़े पत्रकार हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अपने चैनल पर विभिन्न मुददृों पर प्रश्न पूछा जाना इन महत्वाकांक्षी, वंशवादी नेताओं को नागवार गुजरा है ? क्या सत्ता के अहंकार के कारण वे अर्णब को घेरने और उनकी आवाज उठाने—दबाने की कोशिश कर रहे हैं ?

यदि अर्णब ने कुछ ग़लत भी किया है तो न्यायिक प्रक्रिया के अंतर्गत पारदर्शी तरीके से कार्रवाई होनी चाहिए, न कि जोर-जबरदस्ती से ? यदि निष्पक्षता पत्रकारिता का धर्म है तो कार्यपालिका एवं सरकार का तो यह परम धर्म होना चाहिए। उसे तो अपनी नीतियों एवं निर्णयों के प्रति विशेष सतर्क एवं सजग रहना चाहिए। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर स्वविवेक का नियंत्रण तो ठीक है, परंतु उस पर सरकारी पहरे बिठाना, उसे डरा-धमकाकर चुप कराना संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों का सीधा हनन है। जब देश ने आपातकाल थोपने वालों को जड़-मूल समेत उखाड़ फेंका तो वंशवादी बेलें क्या बला हैं ? जो इस मौके पर चुप हैं, समय उनके भी अपराध लिख रहा है। आज अर्णब की तो कल हमारी या किसी और की बारी है|

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की नीतियों से प्रभावित होकर काफी संख्या में साथियों ने बीजेपी छोड़कर समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण की

राहुल भारद्वाज सहारनपुर:

सहारनपुर जनक नगर तकिए में समाजवादी पार्टी व्यापार सभा के प्रदेश अध्यक्ष पूर्व मंत्री विधायक सहारनपुर जनाब संजय गर्ग जी के नेतृत्व में विभिन्न क्षेत्रों के साथियों ने बीजेपी छोड़कर समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण की इस अवसर पर नगर विधायक श्री संजय गर्ग जी एससी एसटी प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष श्री आकाश खटीक जी महानगर अध्यक्ष आजम शाह ने श्री डाo राजेश कनौजिया जी श्री सुशील नरैया जी श्री बंटी तोमर जी श्री  बॉबी मोंगा जी श्री पहलाद कुमार जी श्री सोनू कुमार जी श्री नीटू कुमार जी श्री संदीप तोमर जी श्री मनीष जी श्री दिनेश कनौजिया जी श्री तनुज चौधरी जी श्री राजपाल जी श्री आनंद कुमार जी श्री विक्की जी श्री आशु मोंगा जी श्री सरदार जंगी चावला जी श्री नवीन गुप्ता जी वे अन्य तमाम साथियों को माला पहनाकर सभी का स्वागत किया।

“आपातकाल 2.0 में आपका हार्दिक स्वागत है।”, तेजिंदर पल सिंह बग्गा

रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी की मुंबई पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारी का मुद्दा देशभर में गरमा गया है। अर्नब की गिरफ्तारी के बाद देशभर में इस पर राजनीति भी तेज हो गई है। भारतीय जनता पार्टी समेत तकरीबन सभी राजनीतिक दलों ने अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी को तानाशाही और फांसीवादी कृत्य बताया है, साथ ही महाराष्ट्र सरकार की आलोचना की है। दिल्ली में लोगों को आपातकाल फिर से डराने लगा है। इसे लेकर जगह-जगह पोस्टर लगाए गए हैं। जिसमें लिखा गया है- दिल्ली के कुछ इलाकों में लगाए गए पोस्टर में आपातकाल 2.0  में आपका हार्दिक स्वागत है। यह पोस्टर भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता तजिंदर पाल सिंह बग्गा की ओर से लगाया है। इस पोस्टर में नीचे की ओर लिखा है- ‘issued by: Tajinder Pal Singh Bagga’।

नयी दिल्ली(ब्यूरो):

भाजपा नेता तजिंदर पाल सिंह बग्गा ने बुधवार (नवंबर 04, 2020) को मुंबई पुलिस द्वारा रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी के विरोध में दिल्ली स्थित महाराष्ट्र सदन के बाहर ’आपातकाल 2.0’ के पोस्टर चिपकाए। इन पोस्टर्स में लिखा है- “आपातकाल 2.0 में आपका हार्दिक स्वागत है।”

एक पुराने बंद मामले की फ़ाइल अदालत की सहमति के बिना खोलकर अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी के बाद, महाराष्ट्र की उद्धव सरकार और महाराष्ट्र पुलिस को लगातार आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। सोशल मीडिया से लेकर देशभर में इस अलोकतांत्रिक कार्रवाई का विरोध स्पष्ट रूप से नज़र आ रहा है। इसी कड़ी में देश की राजधानी दिल्ली में ‘आपातकाल 2.0’ के पोस्टर्स लगाए गए हैं।

इन पोस्टर्स में साफ़ तौर पर देखा जा सकता है कि उद्धार ठाकरे की तुलना इंदिरा गाँधी से की जा रही है। पोस्टर में एक तरफ उद्धव ठाकरे की तस्वीर लगी है और दूसरी तरफ इंदिरा गाँधी की और नीचे लिखा हुआ है – ‘आपातकाल 2.0।’ यानी, महाराष्ट्र की उद्धव सरकार द्वारा अर्णब गोस्वामी पर की गई कार्रवाई इंदिरा गाँधी के आपातकाल के दौर की याद दिलाती है।

जिस तरह कॉन्ग्रेस के शासन वाली इंदिरा सरकार में पत्रकारों को अत्याचार और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा था। ठीक वैसा ही शिवसेना – कॉन्ग्रेस और एनसीपी की गठबंधन सरकार में भी हो रहा है। 

यह पोस्टर कॉन्ग्रेस मुख्यालय समेत राजधानी दिल्ली के तमाम क्षेत्रों में लगाया जा चुका है। दिल्ली की सड़कों पर चस्पा किए गए इन पोस्टर्स में लिखा है, ‘आपातकाल 2.0 में आपका हार्दिक स्वागत है।’

इन पोस्टर्स का उद्देश्य यह दिखाना है कि महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार की यह अलोकतांत्रिक कार्रवाई आपातकाल के भयावह दौर की यादें ताज़ा करती है। इस घटनाक्रम में वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन का कहना है, “महाराष्ट्र में सत्ता और शक्ति का दुरुपयोग किया जा रहा है। राज्यपाल को प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा देना चाहिए।” 

गौरतलब है कि मुंबई पुलिस ने रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्णब गोस्वामी को 14 दिन की पुलिस हिरासत में रखने के लिए मुंबई की अदालत में याचिका दायर की थी जिसे अदालत ने खारिज कर दिया था। अदालत ने कहा कि हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत नहीं है। साथ ही, अर्णब को जल्द ही जमानत मिलने की भी सम्भावना है, जिसका आशय है कि शायद उन्हें न्यायिक हिरासत में भी न रहना पड़े।

मुंबई पुलिस ने अर्णब गोस्वामी को बीते दिन (4 नवंबर 2020) एक पुराने ‘बंद मामले’ में गिरफ्तार किया था। आधी रात में चली सुनवाई के बाद अलीबाग न्यायालय ने रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्णब गोस्वामी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। इसका मतलब यह है कि इस दौरान मुंबई पुलिस उनसे पूछताछ नहीं कर पाएगी। अदालत में महाराष्ट्र पुलिस द्वारा दायर की गई माँग याचिका खारिज किए जाने के बाद अर्नब ने अदालत से निकलते हुए कहा था, “मुंबई पुलिस हार चुकी है।” 

कांग्रेसी विधायक आरिफ मसूद पर कसा शिकंजा

शरारती तत्वों के खिलाफ योगी मॉडल अब दूसरी सरकारों को भी भा गया है. देश/समाज विरोधी तत्व अब अधिक दिनों तक कानून की खिल्ली नहीं उड़ा पाएंगे, मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के इकबाल मैदान में फ्रांस के राष्ट्रपति के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले कॉन्ग्रेस विधायक आरिफ मसूद के खिलाफ बीजेपी की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने शिकंजा कस दिया है. आरिफ मसूद के खिलाफ जहाँ मामला दर्ज किया गया है, वहीं स्‍थानीय प्रशासन ने गुरुवार को सुबह मसूद के इंदिरा प्रियदर्शनी कॉलेज के करीब अतिक्रमण कर बनाए चार अवैध निर्माण को ढहा दिया है. प्रशासन द्वारा करीब तीन घंटे चले इस अतिक्रमण में बुलडोजर से अलग-अलग जगह स्थित सीढ़ी, बाथरूम आदि तोड़े गए हैं. 2005 से निर्माण को गिराने पर रोक लगी थी.

भोपाल/नयी दिल्ली:

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का आयोजन करने वाले कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की गई है. भोपाल नगर निगम ने इंदिरा प्रियदर्शनी कॉलेज में कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद के चार अवैध निर्माण को तोड़ दिया है. कुछ दिन पहले ही विधायक के खिलाफ केस भी दर्ज किया गया था.

बताया जा रहा है कि भोपाल नगर निगम ने गुरुवार को खानू गांव स्थित बड़े तालाब के कैचमेंट एरिया में निर्मित बिल्डिंगों पर कार्रवाई शुरू कर दी. यहां विधायक आरिफ मसूद का इंदिरा प्रियदर्शनी कॉलेज भी बना हुआ है. 50 मीटर के दायरे में यानी कैचमेंट एरिया में आने के कारण कांग्रेस विधायक के चार अवैध निर्माण को जमींदोज कर दिया.

कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने कहा कि यह असंवैधानिक है. हमने अपने धर्म के खिलाफ फ्रांसीसी राष्ट्रपति की टिप्पणी का शांतिपूर्ण तरीके से विरोध किया था. यह हमारा संवैधानिक अधिकार है. यह बदले की कार्रवाई है. 2005 से निर्माण को गिराने पर रोक लगी थी, हम मामले को उचित मंच पर ले जाएंगे. मैं अपने छात्रों को बताना चाहता हूं कि कक्षाएं बंद नहीं होंगी.

इससे पहले भोपाल मध्य विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. आरिफ मसूद ने 29 अक्टूबर को फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के खिलाफ भोपाल के इकबाल मैदान में एक बड़े प्रदर्शन की अगुवाई की थी, जिसमें हजारों लोगों की भीड़ इकट्ठा हुई थी.

कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद की संपत्ति पर प्रशासन का बुलडोजर चलने के बाद सियासी तूफान खड़ा हो गया है. कांग्रेस ने इसे दबाव की राजनीति बताते हुए सरकार और प्रशासन पर सवाल खड़े किए हैं. पूर्व मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक पीसी शर्मा ने आजतक से बात करते हुए कहा कि सरकार जानबूझकर यह कार्रवाई कर रही है जो गलत है. पीसी शर्मा ने कैमरे पर लाल गुलाब का फूल दिखाते हुए प्रशासन को गेट वेल सून कहा है और कहा है कि सरकार को इस फूल की तरह अच्छा बनना चाहिए.

इकबाल मैदान में प्रदर्शन के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग और मास्किंग के सभी नियम दरकिनार करते हुए लोगों ने काफी देर तक फ्रांस के खिलाफ प्रदर्शन किया था. इसके बाद आरिफ मसूद समेत 200 लोगों पर एफआईआर दर्ज कर ली गई थी. इसी मामले में आरिफ के खिलाफ धारा 153 के तहत धार्मिक भावनाओं को आहत करने का एक और मामला दर्ज किया गया.

गौरतलब है कि भोपाल में हुए प्रदर्शन के बाद से ही मध्यप्रदेश में सियासी बवाल मचा हुआ था. प्रदर्शन के अगले ही दिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने साफ कर दिया था इस मामले में सख्त कार्रवाई की जाएगी.

करतारपुर साहिब का प्रबंधन पीएसपीजीसी से ले कर आईएसआई की ईटीपीबी को सौंपा

भारत ने करतारपुर साहिब गुरुद्वारा का प्रबंध एवं देखरेख का काम एक गैर सिख संस्था को सौंपे जाने के पाकिस्तान के फैसले का कड़ा विरोध करते हुए आज पाकिस्तान सरकार का आह्वान किया कि वह सिखों की भावनाओं के विरुद्ध इस मनमाने फैसले को वापस ले. बयान में कहा गया, ”पाकिस्तान का यह एकतरफा निर्णय निंदनीय है और करतारपुर साहिब कॉरीडोर खोले जाने की भावना और सिख समुदाय के धार्मिक ख्यालों के विरुद्ध है. ऐसे कदम पाकिस्तानी सरकार और धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों एवं कल्याण के लंबे चौड़े दावों की असलियत उजागर करते ह.’

  • पाकिस्‍तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी देख रही थी करतारपुर साहिब का मैनेजमेंट
  • पाकिस्‍तान ने प्रॉजेक्‍ट मैनेजमेंट यूनिट बनाकर PSGPC से छीन लिया यह अधिकार
  • अब एक ट्रस्‍ट प्रॉपर्टी बोर्ड के हाथों में है करतारपुर साहिब गुरुद्वारे का प्रबंधन
  • विदेश मंत्रालय ने किया कड़ा विरोध, कहा- फैसला सिखो की भावनाओं के खिलाफ

नई दिल्‍ली

भारत ने सिखो के सबसे महत्‍वपूर्ण धर्मस्‍थल, करतारपुर साहिब गुरुद्वारे का प्रबंधन एक गैर-सिख संस्‍था को सौंपने का कड़ा विरोध किया है. पाकिस्‍तान ने इस इवैक्‍यूई ट्रस्‍ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ETPB) को गुरुद्वारे का मैनेजमेंट सौंपा है. अबतक इसका प्रबंधन पाकिस्‍तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी (PSGPC) के पास था. विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस कदम से पाकिस्‍तान के धार्मिक अल्‍पसंख्‍यकों के हितों की रक्षा के ‘बड़े-बड़े दावों की पोल खुल’ गई है. भारत ने पाकिस्‍तान से कहा है कि वह अपना यह फैसला वापस ले क्‍योंकि पवित्र करतारपुर साहिब के मामलों को संभालने का जिम्‍मा सिख अल्‍पसंख्‍यक समुदाय का है.

दुनिया के सामने आया पाकिस्तान का असली रूप

बता दें कि पिछले साल नवंबर में करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन करते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान खुद को दुनिया का सबसे दरियादिल शख्स साबित करने पर तुले थे. लेकिन महज 1 साल में ही उनकी दरियादिली की हकीकत दुनिया देख रही है.

सिखों के पवित्र स्थल पर ISI का कंट्रोल !

जानकारी के मुताबिक करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के रख रखाव का काम पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति से छीन कर Project Management Unit को सौंपा गया है. इस यूनिट में कुल 9 लोग शामिल हैं और यह पाकिस्तान के Evacuee Trust Property Board यानी ETPB से जुड़ी है. खास बात है कि गुरुद्वारे के रख रखाव के लिए बनाए गई इस यूनिट में एक भी सिख सदस्य नहीं है.

मो. तारिक खान को यूनिट का अध्यक्ष बनाया गया

जानकारी के मुताबिक Project Management Unit का सीईओ मो. तारिक खान को बनाया गया है. पाकिस्तान सरकार की ओर से जारी किए गए नए आदेश में प्रोजेक्ट बिजनेस प्लान का भी जिक्र है. यानी कि इमरान खान सरकार अब गुरुद्वारे से भी पैसा कमाने की जुगत कर रही है. ETPB को पूरे तरीके से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई कंट्रोल करती है.

पाकिस्तान के हृदय परिवर्तन की पोल खुली
करतारपुर गुरुद्वारे का प्रबंधन सिख समुदाय से छीन कर मुस्लिम कमेटी को देने के फैसले से सिखों के लिए पाकिस्तान के ह्रदय परिवर्तन की भी पोल खुल गई. इस गुरुद्वारे में देश-दुनिया के लाखों सिखों की आस्था बसती है. उस आस्था का पाकिस्तान के दिल में कितना सम्मान है, वो फैसले ने साफ कर दिया है. क्योंकि गुरुद्वारे के रख रखाव के लिए बनाए गए नए संस्थान में एक भी सिख सदस्य नहीं है.

नए प्रबंधन बोर्ड का आईएसआई के साथ कितना गहरा संबंध है, इसका अंदाज इससे लगाया जा सकता है कि इसका पहला अध्यक्ष आईएसआई चीफ जावेद नासिर था. अब करतारपुर बॉडी को मोहम्मद तारिक खान हेड कर रहे हैं.

पंजाब में अलगाववादी भावना भड़काने की साजिश!

दरअसल हुकूमत में आने के कुछ ही हफ्ते बाद जब पाक पीएम इमरान ने अचानक करतारपुर कॉरिडोर को खोलने की बात कही थी तभी से भारत के कई सुरक्षा विशेषज्ञों ने पड़ोसी देश की इस दरियादिली को लेकर शंका जाहिर की थी. करतारपुर साहिब का प्रबंधन सिख समुदाय से छीन कर ISI से ताल्लुक रखने वाले संगठन को देने के फैसले ने इस शंका को मजबूत कर दिया है. सवाल है कि करतारपुर कॉरिडोर को खोलने के पीछे पाकिस्तान का असली मकसद पंजाब में अलगाववादी भावनाओं को भड़काना तो नहीं है.

करतारपुर पर पाकिस्तान की ‘काली सोच’ बेनकाब?   

पाकिस्तान के बड़बोले रेल मंत्री शेख रशीद ने पिछले साल करतारपुर साहिब के उद्घाटन के बाद कहा था कि,’इंडियन मीडिया ने जिस तरह फजलुर्रहमान के धरने को कवरेज दी है. जिस तरह से इंडिया की मीडिया ने जनरल कमर जावेद बाजवा दिखाया, एक ऐसे सिपहलालार को जिसने करतारपुर कोरिडार का ऐसा ज़ख्म लगाया कि सारी जिंदगी हिन्दुस्तान याद रखेगा. सिखों के अंदर पाकिस्तान के लिए एक नए जज्बात प्यार मोहब्बत और खुशदिली की फिजा पैदा की गई.”

पाकिस्तान की आतंकी सोच का पक्का इलाज कब? 

दरअसल पाकिस्तानी हुक्मरान और उनकी फौज के दिमाग में हर समय भारत विरोधी साजिशें लगातार चलती रहती हैं. पाकिस्तान अब इस गलियारे से जरिए खालिस्तानी कट्टरपंथियों का इस्तेमाल पंजाब में शांति और सद्भाव का माहौल बिगाड़ने के लिए करेगा. उसके गंदे इरादे जाहिर हो चुके हैं.

भारत ने फैसले को वापस लेने की मांग की

पाकिस्तान के इस फैसले की भारत सरकार ने निंदा की है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि,’ भारत करतारपुर गुरुद्वारे पर लिए गए पाकिस्तान के फैसले की निंदा करता है. इस फैसले से सिख समुदाय के लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं. पाकिस्तान का असली चेहरा एक बार सामने आ गया है. जहां वो अल्पसंख्यकों के हितों की बात करता हैं, करतारपुर का प्रबंधन सिख समुदाय से लेना एक गलत फैसला है. हमारी मांग हैं कि पाकिस्तान करतारपुर साहिब के लिए इस फैसले को फौरन वापस ले.’

प्रचार के आखिरी दिन नीतीश कुमार का बड़ा ऐलान,” ये मेरा आखिरी चुनाव है, अंत भला तो सब भला”

बिहार विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण का मतदान 7 नवंबर को होना है. जबकि सभी राजनीतिक दल मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए जमकर प्रचार कर रहे हैं. इस बीच, बिहार के मुख्‍यमंत्री और जेडीयू के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष नीतीश कुमार ने धमदाहा में रैली के दौरान राजनीति से संन्‍यास का ऐलान कर दिया है. उन्‍होंने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव 2020 मेरा अंतिम चुनाव होगा. आपको बता दें कि विधानसभा चुनाव के आखिरी चरण के मतदान के लिए चुनाव प्रचार का आज आखिरी दिन है.

पटना/दिल्ली(ब्यूरो):

बिहार में विधानसभा चुनाव प्रचार के आखिरी दिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ा ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि ये उनका आखिरी चुनाव है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्णिया में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि जान लीजिए आज चुनाव का आखिरी दिन है. और परसों चुनाव है. यह मेरा अंतिम चुनाव है. अंत भला तो सब भला.

बता दें कि नीतीश कुमार ने साल 1977 में अपना पहला चुनाव लड़ा था. उन्होंने नालंदा के हरनौत से चुनाव लड़ा. यहां से नीतीश कुमार चार बार चुनाव लड़े. जिसमें उन्हें 1977 और 1980 में हार मिली, जबकि 1985 और 1995 के चुनाव में वो विजयी हुए.

This is my last election, says Bihar CM and JD(U) Chief Nitish Kumar during an election rally in Purnia#BiharElections2020 pic.twitter.com/vLSL4uQd4v— ANI (@ANI) November 5, 2020

नीतीश कुमार ने साल 2004 में अपना आखिरी चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्हें नालंदा से जीत हासिल हुई थी. उसके बाद से नीतीश कुमार ने कोई चुनाव नहीं लड़ा. नीतीश कुमार ने साल 1972 में बिहार इंजीनियरिंग कॉलेज से पढ़ाई की. उन्होंने कुछ समय तक बिहार स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड में नौकरी भी की. लेकिन जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया जैसे नेताओं के संपर्क में आने के बाद नीतीश कुमार राजनीति के हो लिए. 

16 साल से नहीं लड़ा चुनाव

नीतीश कुमार 6 बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे हैं. साल 2004 के बाद उन्होंने कभी चुनाव नहीं लड़ा. नालंदा से सांसद रहे नीतीश कुमार नवंबर 2005 में NDA के प्रदेश में सत्ता में आने पर मुख्यमंत्री बने थे. उन्होंने सांसद पद से इस्तीफा देकर बिहार विधान परिषद की सदस्यता ग्रहण की थी. नीतीश कुमार पिछले 15 साल से सत्ता पर काबिज हैं. वह जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के एक कद्दावर नेता के रूप में जाने जाते हैं. 

उद्धव ठाकरे, बालासाहेब ठाकरे का नालायक बेटा तक : हिमंत बिस्वा सरमा

असम के मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा बोले- मैंने सुना था कि मुंबई पुलिस कमिश्नर एक मजबूत अधिकारी थे लेकिन अर्नब गोस्वामी को गिरफ्तार करने के लिए उन्हें एके -47 के साथ पुलिस भेजनी पड़ी, इसका मतलब है कि वह पूरे भारत में सबसे कायर अधिकारी हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने अपने दिवंगत पिता, महाराष्ट्र और देश को बदनाम किया है। महाराष्ट्र सरकार को अर्नब गोस्वामी को तुरंत रिहा करना चाहिए और उन्हें सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए। असम के लोग बारीकी से देख रहे हैं। सीएम को लोकतंत्र की आवाज सुननी चाहिए और एक साधारण पत्रकार को परेशान नहीं करना चाहिए। अर्नब ने मुंबई पुलिस पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। वहीं शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि महाराष्ट्र में कानून का पालन किया जाता है। हालांंकि अमित शाह और प्रकाश जावेडकर समेत कई केंद्रीय मंत्रियों ने पुलिसिया कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं।

असम/नयी दिल्ली (ब्यूरो):

रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी की बुधवार (अक्टूबर 04, 2020) सुबह मुंबई पुलिस द्वारा जबरन गिरफ्तारी करने के बाद, बहुत से लोग उनके समर्थन में आए हैं। वहीं असम के शिक्षा और वित्त मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने उद्धव सरकार को जमकर लताड़ा है। हिमंत बिस्वा सरमा ने उद्धव ठाकरे को बालासाहेब ठाकरे का नालायक बेटा तक कहा।

सरमा ने कहा कि उद्धव ने राष्ट्र के विश्वास के साथ विश्वासघात किया है। उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बाला साहेब ठाकरे का नालायक बेटा करार दिया और कहा कि ठाकरे ने अपने दिवंगत पिता, महाराष्ट्र और देश को बदनाम किया है।

सरमा ने मुंबई के पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वह पूरे भारत में सबसे कायर अधिकारी हैं। उन्होंने कहा- “मैंने सुना था कि मुंबई पुलिस कमिश्नर एक मजबूत अधिकारी थे लेकिन अर्णब गोस्वामी को गिरफ्तार करने के लिए उन्हें एके-47 के साथ पुलिस भेजनी पड़ी, इसका मतलब है कि वह पूरे भारत में सबसे कायर अधिकारी हैं।”

हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि महाराष्‍ट्र सरकार को फौरन अर्णब गोस्‍वामी को रिहा करना चाहिए और सार्वजनिक रूप से माफी माँगनी चाहिए। असम के लोग उनकी करतूत को बारीकी से देख रहे हैं। सीएम को लोकतंत्र की आवाज सुननी चाहिए और एक साधारण पत्रकार को परेशान नहीं करना चाहिए।

महाराष्ट्र सरकार की आलोचना करते हुए, असम के मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इसे ‘राजनीति से प्रेरित’ कदम बताते हुए इसकी कड़ी निंदा की और कहा कि ऐसा लगता है जैसे ‘महाराष्ट्र में आपातकाल के दिन वापस आ गए हैं।’

सनद रहे कि:

गौरतलब है कि इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी ‘रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क’ के संस्थापक अर्णब गोस्वामी की गिरफ़्तारी की निंदा की थी। उन्होंने कहा कि ‘रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क’ और अर्णब गोस्वामी के खिलाफ सत्ता की शक्ति का दुरूपयोग करना व्यक्तिगत अधिकारों का हनन है। अमित शाह ने गोस्वामी पर कार्रवाई को लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पर हमला करार दिया।

इसी कड़ी में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस मामले पर ‘लेफ्ट-लिबरल’ लोगों की चुप्पी पर सवाल उठाया। उद्धव सरकार की आलोचना करते और कॉन्ग्रेस को घेरते हुए उन्होंने पूछा,”महाराष्ट्र सरकार आपातकाल को वापस लाने की कोशिश कर रही है।”

उन्होंने उल्लेख किया कि “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में काफी समय से अपशब्द कहे जाते रहे हैं लेकिन बीजेपी ने दूर-दूर तक भी वो नहीं किया जो कॉन्ग्रेस ने किया है।”

वहीं कंगना रनौत ने महाराष्ट्र की सरकार को ‘सोनिया सेना’ करार देते हुए कहा कि उनसे पहले तो कितने ही बलिदानियों के गले काटे गए और उन्हें लटका दिया गया, सिर्फ फ्री स्पीच के लिए। उन्होंने कहा, “एक आवाज़ बंद करेंगे तो कई आवाज़ें उठ जाएँगी। कितनी आवाजों को बंद करेंगे आप?”

कंगना ने पूछा कि आपको कोई पेंगुइन, पप्पू सेना या सोनिया सेना कहता है तो गुस्सा क्यों आता है? उन्होंने कहा कि आप ये सब हो, तभी कोई कहता है। बता दें कि मुंबई पुलिस ने अर्नब गोस्‍वामी को एक इंटीरियर डिजाइनर की आत्महत्या से जुड़े दो साल पुराने मामले में गिरफ्तार किया है।

पिनाका एमके- I का हुआ सफल परीक्षण

देश की सैन्य क्षमता को बढ़ाने के लिए ओडिशा (Odisha) के चांदीपुर में पिनाका एमके- I रॉकेट (Pinaka Mk-I rockets) के एडवांस वर्जन का सफल परीक्षण किया गया है। इस रॉकेट की दिशा-निर्देशन प्रणाली की मारक क्षमता बढ़ाई गई है। जानकारी के अनुसार यह परीक्षण प्रूफ एंड एक्सपेरीमेंट एस्टैब्लिशमेंट से किया गया है।

नयी दिल्ली (ब्यूरो) :

भारत को फिर से एक बार बड़ी सफलता हासिल हुई है। आज यानी बुधवार को ओडिशा के चांदीपुर में पिनाका एमके- I रॉकेट (Pinaka Mk-I rockets) के उन्नत संस्करण का सफल परीक्षण कर लिया है। ऐसे में दिशा-निर्देशन प्रणाली वाले इस रॉकेट (गाइडेड) की मारक क्षमता बढ़ाई गई है। बता दें, यह परीक्षण प्रूफ एंड एक्सपेरीमेंट एस्टैब्लिशमेंट से किया गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, श्रृंखला में कुल 6 रॉकेट लॉन्च किए गए थे और सभी परीक्षण पूर्ण मिशन उद्देश्यों को पूरा करने में सक्षम थे।

एक अधिकारी ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि सभी उड़ान लेखों को टेलीमेट्री, रडार और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम जैसे रेंज इंस्ट्रूमेंट्स द्वारा ट्रैक किया गया. उन्होंने बताया कि पिनाका एमके- I वर्तमान मे मौजूद पिनाका का लेटेस्ट वर्जन है. सूत्रों के अनुसार पहले पिनाका में दिशानिर्देशन प्रणाली नहीं थी, उसे अब अपग्रेड कर दिशानिर्देशन प्रणाली से लैस किया गया है. इस सिलसिले में हैदराबाद रिसर्च सेंटर इमारत (आरसीआई) ने नौवहन, दिशानिर्देशन एवं नियंत्रण किट विकसित किया था.

All the flight articles were tracked by range instruments such as telemetry, radar & Electro-Optical Tracking Systems which confirmed the flight performance.Enhanced version of the Pinaka rocket would replace the existing Pinaka Mk-I rockets which are currently under production. https://t.co/w8hTzwFjSN— ANI (@ANI) November 4, 2020

मारक क्षमता और सटीकता बढ़ाई गईसूत्रों के अनुसार पहले के पिनाका में गाइड करने की तकनीक नहीं थी, उसे अब अपग्रेड कर गाइडिंग प्रणाली से लैस कर दिया गया है. इस सिलसिले में हैदराबाद रिसर्च सेंटर इमारत (आरसीआई) ने नौवहन, दिशानिर्देशन एवं नियंत्रण किट भी विकसित की थी. देखें VIDEO…

#WATCH: An advanced version of the DRDO-developed Pinaka today successfully flight tested from Integrated Test Range, Chandipur off the coast of Odisha. A total of 6 rockets were launched in series and all the tests met complete mission objectives. pic.twitter.com/CoBfx1y8As— ANI (@ANI) November 4, 2020

बताते चले कि इसे आरसीआई रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के अंतर्गत विकसित किया गया है. वहीं, डीआरडीओ के सूत्र के अनुसार इस रॉकेट में बड़ा बदलाव किया गया है जिससे पिनाका की मारक क्षमता और सटीकता बढ़ गयी है.