नई दिल्लीः कर्नाटक से बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या ने सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले पांच वर्षों में देश की राजनीति बदली और सियासत के ‘फैमिली बिजनेस’ होने की आम धारणा को खत्म कर दिया जिस वजह से अब आम परिवारों के युवा भी राजनीति में आने के सपने देख सकते हैं.
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए सूर्या ने कहा, ‘‘ मोदी सरकार में नए भारत की बुनियाद रखी गई है और अर्थव्यवस्था साफ-सुथरी और पारदर्शी हो गई है.’’ उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में आजादी के बाद पहली बार देश के लोगों को हिंदू संस्कृति पर गौरव का अहसास हुआ.
बेंगलुरू-दक्षिण से निर्वाचित सूर्या ने सदन में पहली बार अपनी रखते हुए कहा कि मोदी के कारण ही उनके जैसा मध्य वर्ग का युवा लोकतंत्र के मंदिर में पहुंच सका है. मोदी ने राजनीति बदल दी और उस पूरी धारणा को खत्म कर दिया कि राजनीति ‘फैमिली बिजनेस’ है.
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में जीएसटी को सफलतापूर्वक लागू किया गया और अर्थव्यवस्था को पारदर्शी बनाया गया.सूर्या ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर विपक्ष ने अपने आचरण में बदलाव नहीं किया तो अगली बार सदन में सभी 543 सदस्य बीजेपी के होंगे.बीजेपी के दिलीप घोष ने पश्चिम बंगाल में कानून-व्यवस्था का मुद्दा उठाया और आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री पश्चिम बंगाल को पश्चिमी बांग्लादेश बनाना चाहती हैं. उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में ‘कट मनी’ का चलन है और राज्य की जनता को ऐसे शासन से मुक्ति दिलाने की जरूरत है. उन्होंने कर्नाटक की वर्तमान कांग्रेस..जेडीएस सरकार पर भी निशाना साधा .
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/06/tejaswi.jpg6741199Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-06-26 00:52:472019-06-26 00:52:51मोदी सरकार में आजादी के बाद पहली बार देश के लोगों को हिंदू संस्कृति पर गौरव का अहसास हुआ : तेजस्वी सूर्या
काश्मीर के बाद बंगाल आतनवादियों की शरणासथली बंता जा रहा है। बांग्लादेश के रास्ते बंगाल त पहुँचना ओर संरक्षण प्राप्त करना शेष सीमावर्ती राज्यों की अपेक्षा आधिक सरल ओर सुविधाजनक है। पुलिस को इनके पास से कई डिजीटल डॉक्यूमेंट्स मिले है जिसमें वीडियो और ऑडियो फाइलों के साथ साथ जिहादी बुकलेट्स भी मिली हैं.
कोलकाताः पश्चिम एसटीएफ ने कोलकाता के सियालदाह रेलवे स्टेशन से आईएसआईएस के 4 संदिग्धों को गिरफ्तार किया है. इनमें से 3 बांग्लादेश के नागरिक है और जिस भारतीय को इस मामले में पकड़ा है वह इन तीनों को छिपाने का काम करता था. इन चारों संदिग्धों का उद्देश्य आतंकी संगठन आईएसआईएस के लिए भर्ती करना और पैसा इकट्ठा करना था. ये लोग आतंक के अपने एजेंडे को फैलाने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते थे. पुलिस को इनके पास से कई डिजीटल डॉक्यूमेंट्स मिले है जिसमें वीडियो और ऑडियो फाइलों के साथ साथ जिहादी बुकलेट्स भी मिली हैं.
ऐसा बताया जा रहा है कि उनके संगठन का मुख्य उद्देश्य भारत और बांग्लादेश में लोकतांत्रिक सरकार को उखाड़ और एक खिलाफत के तहत शरिया कानून स्थापित करना था. कोलकाता पुलिस द्वारा जारी बयान के मुताबिक सोमवार (24 जून) को एसटीएफ ने पुख्ता जानकारी के आधार पर एसटीएफ ने दो बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया जो कि Neo-JBM (जमात-उल-मुजाहिद्दीन बांग्लादेश) इस्लामिक स्टेट के सदस्य हैं. यह गिरफ्तारी सियालदाह रेलवे स्टेशन की पार्किंग से हुई है. इनके पास से कई विवादित समाग्री मिली है.
सियालदाह से गिरफ्तार किए गए संदिग्धों के नाम मोहम्मद जियाउर रहमान और ममनूर रशीद हैं. दोनों ही बांग्लादेश के रहने वाले हैं. इनसे हुई पूछताछ के आधार पर मंगलवार को एसटीएफ ने हावड़ा से दो अन्य संदिग्धों को गिरफ्तार किया.
इन संदिग्धों के नाम मोहम्मद शाहीन आलम और रूबिउल इस्लाम है. शाहीन आलम बांग्लादेश का नागरिक है जबकि रूबिउल इस्लाम पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले का रहने वाला है.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/06/840762-bengal-isis-collage.jpg7201280Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-06-25 16:41:412019-06-25 16:41:47एसटीएफ़ ने बंगाल में 4 ISIS संदिघ्द पकड़े
25 जून 1975 की आधी रात को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी यानी आपातकाल लगाने की घोषणा की थी. आज़ाद भारत में इमरजेंसी के 21 महीनों के दौरान संवैधानिक अधिकारों को कुचल कर मनमाने ढंग से सत्ता चलाई गई. 25 जून 1975 को Doctor भीम राव अंबेडकर के लिखे संविधान की कीमत…एक साधारण किताब जैसी हो गई थी. इस तारीख़ को गांधीवाद की माला जपने वाली कांग्रेस ने महात्मा गांधी के आदर्शों और उसूलों की हत्या कर दी थी. देश एक ऐसे अंधेरे में डूब गया था, जहां सरकार के विरोध का मतलब था जेल. ये वो दौर था जब अपने अधिकारों को मांगने के लिए भी जनता के पास कोई रास्ता नहीं बचा था, क्योंकि अखबारों में वही छपता था, जो सरकार चाहती थी. रेडियो में वही समाचार सुनाई देते थे, जो सरकार के आदेश पर लिखे जाते थे.
25 जून को इमरजेंसी के 44 वर्ष पूरे हो जाएंगे. भारत में कम से कम दो पीढ़ियां ऐसी हैं, जो इमरजेंसी के बाद पैदा हुईं. और उनमें से सबसे युवा पीढ़ी को तो शायद इमरजेंसी के बारे में पता ही नहीं होगा. इसलिए, हम DNA में इमरजेंसी का विश्लेषण करने वाली एक सीरीज़ शुरू कर रहे हैं. जिसमें हम हर रोज़ आपको इमरजेंसी की अनुसनी कहानियां बताएंगे…ताकि हमारे हर उम्र के दर्शक इसके बारे में अच्छी तरह समझ सकें.
इमरजेंसी क्यों लगाई गई? इसके पीछे इंदिरा गांधी की मंशा क्या थी? इमरजेंसी को लगाने से पहले देश में किस तरह का माहौल था? इसकी जानकारी हम आपको आगे देंगे, लेकिन उससे पहले आपको ये बताते हैं कि आखिर इमरजेंसी होती क्या है? भारतीय संविधान में तीन तरह की इमरजेंसी का ज़िक्र है…
संविधान के Article 352 के तहत National emergency का प्रावधान है. इसे तब लगाया जाता है, जब देश की सुरक्षा को बाहरी आक्रमण से ख़तरा हो. संविधान के Article 356 के तहत State Emergency का प्रावधान है. इसे तब लगाया जाता है, जब राज्य में संवैधानिक मशीनरी फेल हो गई हो. इस इमरजेंसी को राष्ट्रपति शासन या President Rule भी कहा जाता है. और संविधान के Article 360 के तहत Financial emergency का प्रावधान है. इसे तब लगाया जाता है, जब देश की वित्तीय स्थिरता को ख़तरा हो.
भारत में National emergency यानी राष्ट्रीय आपातकाल तीन बार लगाया गया. पहली बार 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान, दूसरी बार 1971 में पाकिस्तान से युद्ध के दौरान. और तीसरी बार 1975 में इंदिरा गांधी के शासनकाल में. 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आंतरिक गड़बड़ियों की आशंका को आधार बनाकर आपातकाल लगा दिया था. इसे एक तानाशाही फैसला कहा जाता है, क्योंकि देश में इमरजेंसी लगाने के आदेश पर कैबिनेट की मंज़ूरी के बिना ही राष्ट्रपति के हस्ताक्षर ले लिए गए थे. अगली ही सुबह विपक्ष के सभी बड़े नेताओं को जेल के अंदर डाल दिया गया था. देश में जो भी सरकार की आलोचना कर रहा था उसे गिरफ्तार कर लिया गया था.
आपातकाल में Maintenance of Internal Security Act यानी मीसा के तहत किसी को भी अनिश्चितकाल के लिए गिरफ़्तार कर लिया जाता था और उसे अपील करने का भी अधिकार नहीं था. इंदिरा गांधी ने देश के नागरिकों के सभी मूलभूत संवैधानिक अधिकार छीन लिए थे. लोकतंत्र में जनता ही भगवान है. लेकिन इंदिरा गांधी ने खुद को लोकतंत्र का भगवान समझ लिया था. इसलिए अपनी तानाशाही को बचाये रखने लिए उन्होंने इमरजेंसी लगा दी. इसकी वजह समझनी भी ज़रूरी है.
1971 का चुनाव जीतने के बाद अगले 3 वर्षों में इंदिरा गांधी की लोकप्रियता कम होने लगी. सरकारी नीतियों से देश की अर्थव्यवस्था बदहाल हो गई. भ्रष्टाचार और महंगाई ने लोगों की ज़िंदगी मुश्किल कर दी थी. महंगाई से परेशान सरकारी कर्मचारी वेतन बढ़ाने की मांग कर रहे थे और छात्र भी हालात से परेशान होकर आंदोलन करने लगे. उस वक्त तमिलनाडु को छोड़कर देश के हर राज्य में कांग्रेस की सरकार थी. लोगों का गुस्सा कांग्रेस सरकारों के प्रति बढ़ता जा रहा था. इसी बीच छात्र संगठनों ने भी आंदोलन तेज़ कर दिया था.
विपक्ष के सभी नेता एकजुट होकर इंदिरा गांधी के इस्तीफे की मांग करने लगे. इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ देश भर में हड़ताल, प्रदर्शन, अनशन और आंदोलनों का दौर शुरू हो गया. 1974 में जार्ज फर्नांडिस के साथ करीब 17 लाख रेलवे कर्मचारी 20 दिनों तक हड़ताल पर चले गये. फर्नांडिस उस समय सोशलिस्ट पार्टी के चेयरमैन और ऑल इंडिया रेलवे मैंस फेडरेशन के अध्यक्ष थे. 1974 में इंदिरा गांधी की सरकार ने हड़ताल को गैरक़ानूनी क़रार देते हुए हज़ारों कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया.
इस फैसले के बाद कर्मचारी और मज़दूर इंदिरा गांधी से नाराज़ हो गए. लेकिन इमरजेंसी लगाने की आख़िरी वजह बना 12 जून 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट को ऐतिहासिक फैसला, जिसमें रायबरेली से इंदिरा गांधी के निर्वाचन को रद्द कर दिया था…और उन्हें भ्रष्ट तरीकों से चुनाव लड़ने का दोषी ठहरा दिया था. आज आपको इस ऐतिहासिक घटनाक्रम के बारे में भी जानना चाहिए. जिसकी कहानी 1971 से शुरू होती है. वर्ष 1971 के लोकसभा चुनावों में इंदिरा गांधी, रायबरेली से लोकसभा चुनाव जीती थीं.
लेकिन इंदिरा गांधी की इस जीत को उनके विपक्षी उम्मीदवार राजनारायण ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दे दी. राज नारायण संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार थे. वो अपनी जीत को लेकर इतने आश्वस्त थे कि नतीजे घोषित होने से पहले ही उनके समर्थकों ने विजय जुलूस निकाल दिया था.
लेकिन जब परिणाम घोषित हुआ तो राज नारायण चुनाव हार गए. नतीजा आने के बाद राज नारायण ने इसके ख़िलाफ़ कोर्ट में अर्ज़ी दी. उन्होंने ये अपील की थी कि, इंदिरा गांधी ने चुनाव जीतने के लिए सरकारी मशीनरी और संसाधनों का दुरुपयोग किया है, इसलिए ये चुनाव निरस्त कर दिया जाए. इंदिरा गांधी पर ये आरोप थे कि उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय के एक सीनियर अधिकारी यशपाल कपूर को अपना चुनावी एजेंट बनाया था, जबकि वो एक सरकारी कर्मचारी थे.
इसके अलावा उन्होंने ने भारतीय वायु सेना के विमानों का दुरुपयोग किया और रायबरेली के कलेक्टर और पुलिस अधिकारियों को अपने चुनाव के लिए इस्तेमाल किया. इंदिरा गांधी पर ये आरोप भी था कि चुनाव जीतने के लिए वोटरों को कंबल और शराब भी बंटवाई गई थी. यानी आप आज के विश्लेषण से ये भी जान सकते हैं कि चुनाव जीतने के लिए शराब और दूसरे सामान बांटने का फॉर्मूला इंदिरा गांधी ने 1970 के दशक में ही खोज लिया था. मुक़दमे की सुनवाई के दौरान इंदिरा गांधी पर सरकारी मशीनरी का गलत इस्तेमाल करने वाले आरोप सही साबित हुए.
इसी आधार पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी के खिलाफ एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया और उनके चुनाव को रद्द कर दिया. इस फैसले में अगले 6 वर्षों तक इंदिरा गांधी को लोकसभा या विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य ठहरा दिया गया.
ये इंदिरा गांधी के लिए बहुत बड़ा झटका था… उन्होंने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. 25 जून 1975 को सुप्रीम कोर्ट के Vacation Judge वी आर कृष्णा अय्यर ने अपने फैसले में कहा कि इंदिरा गांधी को संसद में वोट का अधिकार नहीं है…पर वो अगले 6 महीने के लिए प्रधानमंत्री बनी रह सकती हैं.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद विपक्ष ने इंदिरा गांधी पर राजनीतिक हमले तेज़ कर दिए. 25 जून 1975 को ही दिल्ली के रामलीला मैदान में देश के वरिष्ठ राजनेता जयप्रकाश नारायण की रैली हुई और उस रैली में एक नारा दिया गया था- “सिंहासन खाली करो कि जनता आती है”…..आपने भी ये नारा ज़रूर सुना होगा. लेकिन ये सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की एक कविता थी.
कहा जाता है कि जयप्रकाश नारायण की रैली को रोकने के लिए भी इंदिरा गांधी ने कई कोशिशें की. दिल्ली की रामलीला मैदान में रैली करने के लिए जयप्रकाश नारायण को Flight से कलकत्ता से दिल्ली आना था लेकिन इंदिरा गांधी ने इस फ्लाइट को कैंसिल करवा दिया. इसके बावजूद वो दिल्ली पहुंच गये. इस रैली में करीब तीन लाख लोगों की संख्या देखकर इंदिरा गांधी घबरा गईं. इसके बाद उन्होंने तुरंत इमरजेंसी लगाने का फैसला ले लिया.
वक़्त बदलने देर नहीं लगती. वर्ष 1971 में इंदिरा गांधी ने लोकसभा को भंग कर के मध्यावधि चुनाव कराए थे. वो भारी बहुमत से चुनकर सत्ता में आई थीं. 1971 में कांग्रेस ने लोकसभा की 352 सीटें जीती थीं. इसके बाद दिसंबर 1971 में पाकिस्तान को दो टुकड़ों में बांटकर इंदिरा गांधी अपनी राजनीति के शिखर पर पहुंच गई थीं. लेकिन, सत्ता से चिपके रहने के इंदिरा गांधी के लालच ने देश को इस अंधकार में झोंक दिया. इलाहाबाद हाई कोर्ट के फ़ैसले के बाद इंदिरा गांधी इस्तीफ़ा देकर किसी और को प्रधानमंत्री बना सकती थीं और ये लड़ाई क़ानूनी तरीक़े से लड़कर दोबारा सत्ता हासिल कर सकती थीं. लेकिन, उन्होंने गांधी परिवार से बाहर के किसी सदस्य को प्रधानमंत्री बनाने के विकल्प पर काम नहीं किया और उसका नतीजा इमरजेंसी के तौर पर देश ने भुगता.
इंदिरा गांधी की इमरजेंसी वाली तानाशाही के पीछे एक पूरी टीम काम कर ही थी. इसमें दो तरह के लोग थे. एक वो जो इमरजेंसी को लागू करने की संवैधानिक रणनीति तैयार कर रहे थे. आप इन्हें इमरजेंसी के स्क्रिप्ट राइटर भी कह सकते हैं. इनमें पहला नाम है सिद्धार्थ शंकर रे– जो उस वक्त पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री थे. माना जाता है इमरजेंसी का आइडिया सिद्धार्थ शंकर रे ने ही इंदिरा गांधी को दिया था. सिद्धार्थ शंकर रे एक मशहूर वक़ील थे और संविधान के जानकार माने जाते थे. इमरजेंसी लगाने से पहले इंदिरा गांधी ने सिद्धार्थ शंकर रे को कोलकाता से दिल्ली बुलाया था.
इसके बाद 25 जून को रात 11 बजे इंदिरा गांधी और सिद्धार्थ शंकर रे राष्ट्रपति भवन गए. जहां इन दोनों ने इमरजेंसी की घोषणा पर तत्कालीन राष्ट्रपति फख़रुद्दीन अली अहमद के हस्ताक्षर कराए. इस तरह, सिद्धार्थ शंकर रे ने संविधान की अपनी जानकारी का इस्तेमाल देश को आपातकाल के अंधकार में झोंकने के लिए किया.
इमरजेंसी के दूसरे बड़े किरदार का नाम है- तत्कालीन राष्ट्रपति फख़रुद्दीन अली अहमद. राष्ट्रपति पद के लिए फख़रुद्धीन अली अहमद के नाम को इंदिरा गांधी ने ही आगे बढ़ाया था. शायद यही वजह थी कि फखरुद्दीन अली अहमद ने विरोध का एक भी शब्द कहे बिना …संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत आपातकाल की घोषणा पर हस्ताक्षर कर दिए.
आधी रात को इमरजेंसी के पेपर पर राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद के हस्ताक्षर पर एक कार्टून भी बना था, जो पूरी दुनिया में चर्चित हो गया. इसमें फख़रुद्दीन अली अहमद अपने बाथटब में लेटे हुए इमरजेंसी के पेपर पर साइन कर रहे हैं और ये कह रहे हैं कि बाक़ी के कागज़ों पर साइन लेने के लिए थोड़ा इंतज़ार करें. इस कार्टून से आप इंदिरा गांधी की सत्ता की शक्ति और तानाशाही का अंदाज़ा लगा सकते हैं.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/06/emergency-ss-25-06-15.jpg338666Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-06-25 16:02:192019-06-25 16:02:22आपातकाल कब – क्यूँ और कैसे ?
आपातकाल के दंश को झेल चुके राष्ट्र की आज की युवा पीढ़ी को तो भान भी नहीं की आपातकाल था क्या और उस समय देश की जनता को किन हालातों से गुजरना पड़ा?आज के दौर की आपातकाल से तुलना करने वाले काँग्रेस और विपक्ष के प्रबुद्ध नेताओं को यदि उस दौर की 48 घंटे की भी झलकी दे दी जाये तो वह इस मुद्दे को अपनी प्रताड़नाओं को संयुक्त राष्ट्र तक ले जाएँ। और चुनावों की मांग तक कर डालें। किसी को कष्ट दे कर खुश होना और स्वयं वह वेदना झेलना इन दोनों में अंतर है। आज जब विपक्ष आपातकाल की बात करता है तो मात्र इसीलिए कि वह यव पीढ़ी को बरग्ला सके और विधवाविलाप कर सके। आपातकाल को याद करना बहुत ज़रूरी है। भारतीय लोकतन्त्र के पटल पर वह वो काला अध्याय है जिसकी कभी पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए।
नई दिल्ली: प्रसार भारती के प्रमुख ए सूर्य प्रकाश ने सोमवार को कहा कि देश में लोकतंत्र को सुरक्षित करने के लिये आपातकाल के “खलनायकों’’ का पता लगा कर सजा देना जरूरी है. “आपातकाल : भारतीय लोकतंत्र की स्याह घड़ी” पर चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि भारत आपातकाल के दौरान कई महीनों तक “फासीवादी शासन’’ के तहत आ गया था. सूर्य प्रकाश ने कहा, “आपातकाल के खलनायकों ने हमारे संविधान और लोकतांत्रिक जीवन शैली को तबाह किया. मेरे विचार से हमें उनका पता लगाना चाहिए. नाजीवादी 60-70 सालों के बाद अब भी मौजूद हैं. हमें उन्हें यूं ही नहीं छोड़ देना चाहिए.”
उन्होंने नवीन चावला की ओर इशारा करते हुए कहा, “हमें उनका पता लगा कर उन्हें सजा देनी चाहिए. डॉ. मनमोहन सिंह को इस बात का जवाब देना चाहिए कि शाह आयोग द्वारा तानाशाह बताए गए व्यक्ति को चुनाव आयुक्त क्यों बनाया गया. किसके निर्देश पर उन्होंने यह किया.” प्रकाश ने कहा, “अगर हम अपने लोकतंत्र को सुरक्षित रखना चाहते हैं तो आपातकाल के खलनायकों एवं उनके आकाओं को सबक सिखाना होगा.” उन्होंने श्रोताओं में से एक के विचार का भी समर्थन किया जिसने आपातकाल के पीड़ितों के नाम एक स्मारक बनाए जाने की राय दी.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/06/GettyImages-486385034-770x433.jpg433770Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-06-25 15:01:442019-06-25 15:10:12आपातकाल के “खलनायकों’’ का पता लगा कर सजा देना जरूरी है : ए सूर्य प्रकाश
With the ongoing admission process
in Panjab University, Chandigarh, the last date of which is 3rd
July, 2019, an overwhelming response in terms of applications received for
various courses has been observed. It is also apprehended that after the
declaration of results for various PG Courses, the number of applications will
increase further. The details of courses are given as under:-
Department
Program
Total
Application
EVENING
STUDIES-MULTI DISCIPILINARY RESEARCH CENTER
B.Com(Evening
Studies-Multi Disciplinary Research Center)
953
EVENING
STUDIES-MULTI DISCIPILINARY RESEARCH CENTER
B.A.
(Evening Studies – Multi Disciplinary Research Center)
861
DEPARTMENT
OF ECONOMICS
B.A.
(Hons.) Economics
701
INSTITUTE
OF EDUCATION TECHNOLOGY AND VOCATIONAL EDUCATION
B.A.
B.ED
579
INSTITUTE
OF SOCIAL SCIENCES EDUCATION AND RESEARCH
B.A.
(Hons.) Five Year Integrated Program
491
DEPARTMENT
OF POLITICAL SCIENCE
M.A.(Political
Science) (Department of Political Science, PU)
433
DEPARTMENT
OF PSYCHOLOGY
M.A.
(Psychology)
407
DEPARTMENT
OF SOCIOLOGY
M.A.
(Sociology)
326
DEPARTMENT
OF FRENCH AND FRANCOPHONE STUDIES
Certificate
In French
294
DEPARTMENT
OF PUBLIC ADMINISTRATION
M.A.
in Public Administration
237
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/07/punjab-university.jpg712957Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-06-25 14:21:312019-06-25 14:21:34Admission Update
It is for the information of
the general public and students of Panjab University Teaching
Departments/Colleges in particular that result of the following examination has
been declared:-
B.Sc.(Bio-Tech.) (Hons.), 6th Sem., May
2019
M.Sc.(H.S.) in Computer Science, 2nd
Sem., May 2019
M.Sc.(H.S.) in Computer Science, 4th
Sem., May 2019
B.E.(Chemical), 8th Sem., May 2019
B.E.Chemical + MBA, 10th Sem., May 2019
M.Sc TYC (Microbial Bio-Tech.), 4th
Sem., May 2019
The
students are advised to see their result in their respective
Departments/Colleges/University website.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/07/Panjab_university_admission.jpg350700Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-06-25 14:16:362019-06-25 14:16:39PU Results
In order to facilitate the students
to fill the online Admission Forms and upload their documents for various
courses available in the portal http://onlineadmissions.puchd.ac.in,
help
desks have been established in the following departments. Chairpersons provided
desk-top/computer along with scanner/internet facility and deputed a technical
person for the said purpose.
a.
University Institute of Engg. & Technology
b. University Institute of Pharmaceutical Sciences.
c. University Business School
d. Department of Zoology
e. Department of Biotechnology
f. University School of Open Learning
(Library)
g. Dept.of Evening Studies
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/panjab_university.jpg246500Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-06-25 14:14:182019-06-25 14:14:20PU On-line Admissions open
The research paper of Dr. Suman
Lata, Library Assistant at Department of English and Cultural Studies, Panjab
University was selected for Best Paper Award in an International Conference on
Qualitative and Quantitative Methods in Libraries organised by International
Research Conference (IRC) held on 4-5 June, 2019 at New York, USA.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/06/Press-note-1-photo-1.jpg1280961Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-06-25 14:04:012019-06-25 14:04:04PU Doctor awarded Best Paper Award
One case U/S 68-1(B) Punjab Police Act 2007 & 510 IPC have been registered in PS-Indst. Area, Chandigarh against one person who was arrested while consuming liquor at public place on 24.06.2019.
This drive will be continuing in future, the general public is requested for not breaking the law.
Action against obstructing public way
A case FIR No.94 U/S 283 IPC has been registered in PS-Manimajra, Chandigarh against one person namely Binda R/o # 1717/B, village- Dhanas, Chandigarh who was arrested, while he was running Rehri/Fari at public place near SCF No. 269, main road motor market, Manimajra and obstructing public way. Later he was bailed out. Investigation of the case is in progress.
Burglary
Sukhpal Singh R/o # 3482, Sector- 37/D, Chandigarh (working as manager) reported that unknown person stolen away complainant’s cash Rs. 2,37,000/- from SCO No. 215, Sector- 37/D, Chandigarh (More retail limited) after breaking locks and also some cash from SCO No. 168, Sector- 37/C, Chandigarh (Bata Showroom) on night intervening 23/24.06.2019. A case FIR No. 182, U/S 380, 457 IPC has been registered in PS-39, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.
Missing/Abduction
Raju Chaudhary R/o village- Mitjapur, Distt.- Chapra (Bihar) reported that her daughter age about 15 years have been missing from # 164, Sector- 18, Chandigarh since 23.06.2019. A case FIR No. 85, U/S 363 IPC has been registered in PS-19, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.
MV Theft
Vaibhav Sharma R/o # 1698, New Indira Colony, Manimajra, Chandigarh reported that unknown person stolen away complainant’s motor cycle No. CH-01AZ-1924 from parking, near gate No. 2, Punjab University, Sector- 14, Chandigarh from 14.06.2019 to 17.06.2019. A case FIR No. 117, U/S 379 IPC has been registered in PS- 11 Chandigarh. Investigation of the case is in progress.
A lady resident of Distt.- Mohali, Punjab reported that unknown person stolen away complainant’s activa scooter No. PB-11AU-0495 from Secrecy Branch, Punjab University, Sector- 14, Chandigarh on 21.06.2019. A case FIR No. 118, U/S 379 IPC has been registered in PS- 11 Chandigarh. Investigation of the case is in progress.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/12/Chandigarh-Police-Coaching-in-Chandigarh.jpg319889Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-06-25 14:01:132019-06-25 14:01:16Police Files Chandigarh
यकीन मानिए यदि दिल्ली को सम्पूर्ण राज्य का दर्जा मिल जाता है तो दिल्ली का जल बोर्ड बहुत ही तीव्रता से अपने काम करने लगेगा। आज यदि दिल्लीवासियों को पानी ठीक से नहीं मिल रहा है तो इसके पीछे केंद्र की मोदी सरकार है। मोदी सरकार के कारण दिल्ली में सीसीटीवी कैमरा नहीं लगे और इसी कारण जल बोर्ड पर मुख्यमंत्री नज़र नहीं रख पा रहे, जल बोर्ड को सुचारु रूप से काम करवाने के लिए मुख्यमंत्री ने महिलाओं को मेट्रो में मुफ्त यात्रा की सुविधा प्रदान की, छात्रों को 100 प्रतिशत वजीफा और फीस माफी भी की। लेकिन यह जल बोर्ड काम ही नहीं कर रहा। मुख्य मंत्री ने तो पानी भी लगभग मुफ्त कर दिया था, बस यह दिल्ली के नाशुक्रे लोग जो चीज़ मुफ्त कर दी वह और भी ज़्यादा चाहिए। भाई दिल्ली में औरतों के लिए मेट्रो का सफर मुफ्त है, भीषण गर्मी की दोपहर वह मेट्रो में बिताएँ, वातानुकूलित मेट्रो में। बस वह करें जिससे मुख्य मंत्री को न काम करना पड़े न जवाब देने पड़ें।
नई दिल्ली: शहर के निवासियों को चौबीसों घंटे पाइपलाइन के जरिए जलपूर्ति करने का दिल्ली सरकार का सपना अभी दूर की कौड़ी नजर आ रहा है. इस महत्वाकांक्षी परियोजना को लेकर शुरू की गई पायलट परियोजना की स्थिति देखें तो ऐसा लगता है कि दशकों के बाद भी यह सपना कहीं सिर्फ सपना ही ना बना रह जाए.
दिल्ली जल बोर्ड ने 2009 में सभी को चौबीसों घंटे पानी देने का विचार बनाया और जनवरी 2013 में सुएज कंपनी के साथ मिलकर एक पायलट परियोजना शुरू की. इस परियोजना का लक्ष्य दिसंबर 2014 तक मालवीय नगर के 50,000 और वसंत विहार के 8,000 कनेक्शनों को चौबीसों घंटे पानी मुहैया कराना था.
परियोजना के प्रमुख और वरिष्ठ अभियंता वीरेन्द्र कुमार के अनुसार, परियोजना शुरू होने के करीब साढ़े छह साल बाद भी अभी तक मालवीय नगर के नवजीवन विहार और गीतांजली एन्क्लेव में करीब 800 और वसंत विहार के करीब 450 कनेक्शनों को ही चौबीसों घंटे पानी मिल पा रहा है.
कुमार का दावा है कि जमीन के मालिकाना हक वाली तमाम एजेंसियों, नगर निकायों, डीडीए और वन विभाग, से मंजूरी मिलने में देरी भी परियोजना की लेट-लतीफी के लिए जिम्मेदार है.
सिर्फ इतना ही नहीं, यह पायलट परियोजना इसलिए भी पूरी नहीं हो पा रही है क्योंकि जल बोर्ड के पास चौबीसों घंटे जलापूर्ति के लायक पानी नहीं है.
औसतन दिल्ली में प्रत्येक कनेक्शन को दिन में चार घंटे जलापूर्ति होती है. दिल्ली जलबोर्ड एक दिन में 93.5 करोड़ गैलन पानी की आपूर्ति करता है जबकि मांग 114 करोड़ गैलन पानी की है.
अब देखना यह है की अब जल बोर्ड के खिलाफ एलजी के घर जा कर मोदी के खिलाफ धारणा दिया जाएगा। बहुत ज़रूरी है भाई
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/06/DJB.jpg400598Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-06-25 03:18:352019-06-25 03:20:13दिल्ली जल बोर्ड आखिर कब काम करेगा
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