पत्रकारो के खिलाफ झूठी शिकायते देने पर एमआर भारत पूरी पर जालन्धर पुलिस ने 182 का मामला किया दर्ज

नमस्कार दोस्तों, आज सब पत्रकार भाइयो और बहनो के लिए ख़ुशी का दिन है, आप मेसे ज्यादा तर लोग ये बात जानते ही होंगे की पंजाब राज्य के जालंधर शहर में पिछले मार्च के माह से लेके अब तक जालंधर का रहने वाला एक व्यक्ति जिसका नाम भरत पूरी है जो अपने आप को वकील कहता है पर पेशे से मेडिकल रीप्रेंसेंटेटिवे है ने जालंधर के कुछ पत्रकारों के खिलाफ पुलिस में झूठी शिकायते और अदालत में झूठे दस्तवेजो के आधार पर कुछ फर्जी केस लगा रखे थे और लगातार पत्रकारिता को दबाने की कोशिश कर रहा था।

जालंधर के ज्यादा तर पत्रकारों ने इसके भय से अपनी कलम और जुबान बंद कर ली थी पर इस लड़ाई में अमृतसर शहर की एक पत्रकार संस्था जिसका नाम शहीद भगत सिंह प्रेस एस्सोसिएशन है के चेयरमैन अमरिंदर सिंह जी और और पंजाब प्रधान रणजीत सिंह मसोन ने दमदार मोर्चा शुरू से लेके आज तक संभाले रखा जिसका नतीजा ये हुआ की आरोपी भरत पूरी पर झूठी शिकायते देने और पत्रकारों को तंग परेशान करने के लिए जालंधर के थाना नंबर-6 में IPC 182 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है जिस मामले में 16/12/2019 को भरत पूरी को कोर्ट के सामने पेश होने के हुकम भी मानयोग अदालत की तरफ से जारी कर दिए गए है।

जानिए क्या बोले इस लड़ाई के सबसे बड़े नायक अमरिंदर सिंह:-

जब अमरिंदर, को इस कामयाबी के लिए बधाई देने के लिए फ़ोन किया तो अमरिंदर सिंह ने कहा की इस कामयाबी के असली हक़दार पत्रकार राजीव धामी और जालंधर पुलिस प्रशाशन के साथ पूरे पंजाब का पत्रकार भाई चारा और वो राजनीतिक और समाज सेवी संगठन है जिन्होंने इस लड़ाई में हर पल हमारा साथ दिया, साथ ही अमरिंदर सिंह ने पंजाब से बाहर देश के अन्य राज्यों में काम कर रहे पत्रकार संगठनो का भी दिल से धन्यवाद किया, अमरिंदर सिंह ने कहा की अभी ये लड़ाई ख़त्म नहीं हुई है जब तक भरत पूरी को जेल नहीं भिजवा दिया जाता तब तक चैन से नहीं बैठा जा सकता, अमरिंदर सिंह ने कहा की भरत पूरी ने जालंधर में बहुत सारे गरीब लोगो से वकालत की डिग्री की धौंस देके पैसे ऐंठे है बहुत सारे लोगो की प्रॉपर्टी पर कब्ज़े किये है इन सब पीड़ितों को इन्साफ दिलवाया जायेगा।

इससे आगे बढ़ते हुए अमरिंदर सिंह ने कहा की भरत पूरी जिस गेस्ट हाउस को गैरकानूनी ढंग से चला रहा उस गेस्ट हाउस में 2018 में हुए मोगा कुरीओर बोम काण्ड का मुख आरोपी 8 से 10 छुपा था और इसी गेस्ट हाउस में बोम और साजिश दोनों तैयार किये गए थे, इस मामले में मोगा पुलिस से जो चूक हुई है उसको ठीक करते हुए मामले की जांच दुबारा खुलवाई जाएगी और अगर भरत पूरी की मामले में कोई भी मिली भुगत मिली तो इसको सख्त सजा दिलवाये बिना चैन से नहीं बैठा जायेगा, साथ ही कहा की जिस ईमारत में भरत पूरी गैरकानूनी गेस्ट हाउस चला रहा है उस पर पत्रकार राजीव धामी ने जो जांच पड़ताल की है को आधार बना के बनती कार्रवाई करवाई जाएगी, बातचीत के अंत में अमरिंदर सिंह ने सहयोग के लिए पंजाब के पुलिस प्रमुख श्री दिनकर गुप्ता, जालंधर के पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत सिंह भुल्लर, जालंधर DCP बालकर सिंह, ACP मॉडल टाउन श्री धर्मपाल, थाना रामा एमडी के तत्कालीन SHO सरदार सुखजीत सिंह, थाना नंबर 6 के वर्तमान SHO का दिल से धन्यवाद किया।

इस कामयाबी पर क्या बोली राजनीतिक और समाज सेवी संस्थाए:

पठानकोट से समाज सुधारक श्री सम्राट खोसला ने कहा की ये मामला इतना छोटा है नहीं जितना लगता है जरा सोचिये की जब लोकतंत्र में किसी को कही से भी इन्साफ नहीं मिलता तो वो कहा जाता है साफ़ है हर किसी को पत्रकारों से ही उम्मीद दिखती है जब उन पत्रकारों पे ऐसे हमले होने लगे तो लोकतंत्र का क्या होगा ये सोच के भी डर लगता है, श्री सम्राट ने कहा की इस मामले में जो भी दोषी पाया जाता है उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

जब शिव सेना समाजवादी के चर्चित नेता श्री नरिंदर थापर से बात की:-

तो इस मामले पर बेहद सख्त दिखे और उन्होंने कहा की इस मामले में आरोपी भरत पूरी की गहराई से जांच होनी चाहिए और सख्त से सख्त सजा भरत पूरी को मिलनी चाहिए, श्री नरिंदर थापर ने भरत पूरी को बार कौंसिल की तरफ से दी गई सजा पर असंतुष्टि जाहिर की और बार कौंसिल से मांगी की की भरत पूरी के खिलाफ सख्त से सख्त सजा सुनाई जाये जो दूसरो के लिए सबक बने, साथ ही श्री नरिंदर थापर ने साफ़ किया की एक व्यक्ति जो भरत पूरी को बचाने के लिए अपनी पार्टी के लेटर हेड पे पत्रकारों के खिलाफ झूठी शिकायत और मांग पत्र दे रहा है उसके साथ कोई भी हिन्दू सं…

नागरिकता संशोधन अधिनियम किसी का विरोधी नहीं तो विरोध क्यों : विहिप

विश्व हिन्दू परिषद अंतर्राष्ट्रीय महामंत्री #श्री मिलिंदजी_परांडे

नई दिल्ली. दिसंबर 15, 2019.

 विश्व हिन्दू परिषद् (विहिप) ने नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के विरुद्ध भड़के हिंसक प्रदर्शनों को छद्म-धर्म निरपेक्षतावादियों द्वारा निहित स्वार्थों से प्रेरित एक देश-विरोधी निंदनीय कृत्य बताया है. विहिप के अंतर्राष्ट्रीय महा-मंत्री श्री मिलिंद परांडे ने आज कहा कि विदेशी घुसपैठियों को देश से बाहर निकालने तथा पाकिस्तान, बांग्लादेश तथा अफ़गानिस्तान के धार्मिक उत्पीडन के शिकार शरणार्थियों को भारत में शरण देने से किसी भी भारतीय को कोई हानि नहीं है. इसके बावजूद कुछ छद्म-धर्म निरपेक्षतावादियों तथा निहित स्वार्थी राजनैतिक दलों द्वारा अल्पसंख्यक तुष्टीकरण की नीति के अंतर्गत जनता को भड़का कर जो हिंसक प्रदर्शन कराए जा रहे हैं वे सर्वथा निंदनीय व खतरनाक हैं. उन्होंने राज्य सरकारों से अपील की कि वे सभी अराजक तत्वों के विरुद्ध कठोरतम कार्यवाही कर जान-माल व राष्ट्रीय संपत्ति के नुकसान के साथ किसी भी प्रकार की हिंसा को अविलम्ब रोकें.    

  उन्होंने कहा कि विरोध प्रदर्शन के नाम पर किसी को भी रेलवे स्टेशन, बसों, सरकारी सम्पत्ति, मीडिया या सुरक्षा बालों पर हमला करने की छूट नहीं दी जा सकती. यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ राज्यों की सरकारें देश की संसद व राष्ट्रपति द्वारा अधिकृत नागरिकता संशोधन अधिनियम का विरोध कर इन हिंसक प्रदर्शनों में केवल मूक दर्शक बनी हुई हैं जबकि, संवैधानिक रूप से सभी को इस अधिनियम का पालन करने हेतु आगे आना चाहिए.

  विहिप महामंत्री श्री परांडे ने यह भी कहा कि घुसपैठियों तथा शरणार्थियों के अंतर को ठीक से समझने की आवश्यकता है. जहां एक ओर वसुधैव कुटुम्बकम की नीति के तहत पीड़ित शरणागत की रक्षा करना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है, वहीँ दूसरी ओर बांग्लादेशी व रोहिंग्या घुसपैठिये देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन कर भारतीय मुसलमानों की भी छवि खराब करते हैं अत: राजनैतिक दलों सहित सभी भारतीयों को इन्हें बाहर का रास्ता दिखाने में सरकारों की मदद करनी चाहिए.   

  विश्व हिन्दू परिषद ने राज्य सरकारों तथा पुलिस प्रशासन से राष्ट्रीय सम्पत्ति के साथ जान-माल की कठोरता से रक्षा करने तथा देश भर में शांति एवं सुव्यवस्था बनाये रखने की अपील भी की है.

उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या संबंधी सभी पुनर्विचार याचिकाएं रद्द कीं

नई दिल्‍ली:

अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सभी पुनर्विचार याचिकाएं खारिज कर दी हैं. चीफ़ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस संजीव खन्ना ने इस पर फैसला सुनाया. 5 जजों ने विचार के बाद यह पाया है कि याचिकाएं खुली अदालत में सुनवाई के लायक नहीं हैं. इनमें कोई ऐसी बात नहीं कही गई है जिनका जवाब 9 नवंबर के फैसले में नहीं दिया गया.

शीर्ष अदालत ने नौ नवंबर को सुनाए गए अपने फैसले में विवादित जमीन को राम मंदिर निर्माण के लिए देने की बात कही थी. इसके साथ ही अदालत ने मुस्लिम पक्षकारों को अयोध्या में किसी अन्य स्थान पर मस्जिद निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन देने का निर्देश जारी किया था. सुप्रीम कोर्ट के चैंबर में सुनवाई दोपहर 1:40 बजे शुरू हुई थी. शीर्ष अदालत में नौ नवंबर के फैसले के संबंध में कुल 18 पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गई हैं. इसमें से अधिकतर याचिकाएं फैसले से अंसतुष्ट मुस्लिम पक्षकारों की हैं.

निर्मोही अखाड़ा ने भी SC में पुनर्विचार याचिका दायर की

अयोध्या मामले में निर्मोही अखाड़ा ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि निर्मोही अखाड़ा के शैबियत राइट्स, कब्जे और लिमिटेशन के बारे मे फैसले के निष्कर्ष सही नही है, फैसले पर कोर्ट पुनर्विचार करे. मालूम हो कि तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशों की पीठ ने सर्वसम्मति से पूरी 2.77 एकड़ विवादित जमीन राम लला को दे दी. शीर्ष कोर्ट ने केंद्र को यूपी सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में मस्जिद के निर्माण के लिए 5 एकड़ का भूखंड आवंटित करने का भी निर्देश दिया.

पुनर्विचार याचिका में कहा गया है, ‘1857 के बाद से मूर्तियां बाहरी प्रांगण में थीं. यह आपराधिक अतिक्रमण के जरिए 22-23 दिसंबर 1949 को यहां जबरन रखे जाने के अलावा कभी अंदरूनी भाग में नहीं थीं. अदालत ने स्वीकार किया कि मूर्तियों को अवैध रूप से आंतरिक प्रांगण में रखा गया था और फिर भी मुस्लिम पक्ष के खिलाफ आदेश दिया गया.’

पुनर्विचार याचिका में कहा गया, ‘यह स्वीकार करते हुए कि स्वामित्व के उद्देश्य से अंग्रेजों द्वारा बनाई गई रेलिंग असंगत है और यह मान लेना पूरी तरह से गलत है कि हिंदू कब्जे या स्वामित्व के लिए दावा कर सकते हैं.’ पुनर्विचार याचिका ने मामले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) रिपोर्ट की सीमा को भी उजागर किया. याचिका में कहा गया, ‘एएसआई का निष्कर्ष था कि यह साबित नहीं किया जा सकता है कि एक मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई. संभावनाओं के आधार पर कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है कि 1528-1856 के बीच मुसलमान वहां नमाज नहीं पढ़ते थे, क्योंकि इस दौरान यह स्थल मुगलों व बाद में नवाबों के शासन के अधीन था.’

पहली पुनर्विचार याचिका 2 दिसंबर को मौलाना सैयद अशद रशीदी द्वारा दायर की गई. रशीदी मूल वादी एम सिद्दीक और उत्तर प्रदेश जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष हैं.

जाने-माने पत्रकार सिंह भुल्लर नहीं रहे

जाने-माने पत्रकार शिंगारा सिंह भुल्लर अब नहीं रहे। आज शाम उन्होंने यहां अंतिम सांस ली । वह 74 वर्ष के थे । वह अपने पीछे अपनी पत्नी दो पुत्रियां और एक पुत्र छोड़ गए हैं।

शिंगारा सिंह भुल्लर पंजाबी ट्रिब्यून के संपादक भी रहे और साहित्य में भी उनका अहम स्थान है ।इसके अतिरिक्त वह देश विदेश एक अप्रवासी समाचार पत्र के सम्पादक भी रहे ।
प्रकाश सिंह बादल ने इस विख्यात पत्रकार की मृत्यु पर शोक व्यक्त किया है उन्होंने कहा उनके जाने से पत्रकार साहित्य जगत को क्षति पहुंची है

125/105 नागरिक संशोधन बिल पास

नई दिल्ली(ब्यूरो):

नागरिकता संशोधन बिल 2019 (Citizenship Amendment Bill 2019) लोकसभा में पास होने के बाद बुधवार को राज्यसभा में प्रस्तुत किया गया है. बिल पर चर्चा के दौरान विपक्षी नेताओं ने इसपर कई तरह के सवाल उठाए. बिल पर वोटिंग से पहले गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) विपक्ष की ओर से उठाए गए सारे सवालों का जवाब दे रहे थे. अमित शाह (Amit Shah) ने कहा कि अगर देश का बंटवारा नहीं होता तो यह बिल कभी भी नहीं लाना पड़ता. देश के बंटवारे के बाद जो परिस्थितियां आईं, उनके समाधान के लिए मैं ये बिल आज लाया हूं. पिछली सरकारें समाधान लाईं होती तो भी ये बिल न लाना होता.

उन्होंने कहा कि नेहरू-लियाकत समझौते के तहत दोनों पक्षों ने स्वीकृति दी कि अल्पसंख्यक समाज के लोगों को बहुसंख्यकों की तरह समानता दी जाएगी, उनके व्यवसाय, अभिव्यक्ति और पूजा करने की आजादी भी सुनिश्चित की जाएगी, ये वादा अल्पसंख्यकों के साथ किया गया. लेकिन वहां लोगों को चुनाव लड़ने से भी रोका गया, उनकी संख्या लगातार कम होती रही. और यहां राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, चीफ जस्टिस जैसे कई उच्च पदों पर अल्पसंख्यक रहे. यहां अल्पसंख्यकों का संरक्षण हुआ है.

पढ़ें अमित शाह की कही गई मुख्य बातें-:

– मैं पहली बार नागरिकता के अंदर संशोधन लेकर नहीं आया हूं, कई बार हुआ है. जब श्रीलंका के लोगों को नागरिकता दी तो उस समय बांग्लादेशियों को क्यों नहीं दी? जब युगांड़ा से लोगों को नागरिकता दी तो बांग्लादेश और पाकिस्तान के लोगों को क्यों नहीं दी?
– आज नरेन्द्र मोदी जी जो बिल लाए हैं, उसमें निर्भीक होकर शरणार्थी कहेंगे कि हाँ हम शरणार्थी हैं, हमें नागरिकता दीजिए और सरकार नागरिकता देगी.
जिन्होंने जख्म दिए वो ही आज पूछते हैं कि ये जख्म क्यों लगे.
– जब इंदिरा जी ने 1971 में बांग्लादेश के शरणार्थियों को स्वीकारा, तब श्रीलंका के शरणार्थियों को क्यों नहीं स्वीकारा. समस्याओं को उचित समय पर ही सुलझाया जाता है. इसे राजनीतिक रंग नहीं देना चाहिए.
– अनुच्छेद 14 में जो समानता का अधिकार है वो ऐसे कानून बनाने से नहीं रोकता जो reasonable classification के आधार पर है.
– यहां reasonable classification आज है. हम एक धर्म को ही नहीं ले रहे हैं, हम तीनों देशों के सभी अल्पसंख्यकों को ले रहे हैं और उन्हें ले रहे हैं जो धर्म के आधार पर प्रताड़ित है.
– दो साथी संसद को डरा रहे हैं कि संसद के दायरे में सुप्रीम कोर्ट आ जाएगी. कोर्ट ओपन है. कोई भी व्यक्ति कोर्ट में जा सकता है. हमें इससे डरना नहीं चाहिए. हमारा काम अपने विवेक से कानून बनाना है, जो हमने किया है और ये कानून कोर्ट में भी सही पाया जाएगा.
– कांग्रेस पार्टी अजीब प्रकार की पार्टी है. सत्ता में होती है तो अलग-अलग भूमिका में अलग-अलग सिद्धांत होते हैं. हम तो 1950 से कहते हैं कि अनुच्छेद 370 नहीं होना चाहिए.
– कपिल सिब्बल साहब कह रहे थे कि मुसलमान हमसे डरते हैं, हम तो नहीं कहते कि डरना चाहिए. डर होना ही नहीं चाहिए. देश के गृह मंत्री पर सबका भरोसा होना चाहिए. ये बिल भारत में रहने वाले किसी भी मुसलमान भाई-बहनों को नुकसान पहुंचाने वाला नहीं है.
– कांग्रेस के एक संकल्प को मैं पढ़ता हूं- ‘कांग्रेस पार्टी पाकिस्तान के उन सभी गैर मुस्लिमों को पूर्ण सुरक्षा देने के लिए बाध्य है जो उनकी उनके जीवन और सम्मान की रक्षा के लिए सीमा के उस पार से भारत आए हैं, या आने वाले हैं.’ आज आप अपने ही संकल्प को नहीं मान रहे हैं.
– डॉ. मनमोहन सिंह ने भी पहले इसी सदन में कहा था कि वहां के अल्पसंख्यकों को बांग्लादेश जैसे देशों में उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है. अलग उनको हालात मजबूर करते हैं तो हमारा नैतिक दायित्व है कि उन अभागे लोगों को नागरिकता दी जाए.
– पहले भी निश्चित समस्या के समाधान के लिए भारत सरकार ने नागरिकता के मामले पर निर्णय लिया है. इस बार भी तीन देशों में धार्मिक प्रताड़ना के शिकार लोगों के लिए ही तीन देशों को शामिल किया गया है. इसमें किसी के साथ भी भेदभाव नहीं किया गया है.
– शिवसेना ने कल लोकसभा में इस बिल का समर्थन किया था. महाराष्ट्र की जनता जानना चाहती है कि रात में ही ऐसे क्या हुआ कि उन्होंने आज अपना स्टैंड बदल दिया?
– इतिहास तय करेगा कि 70 साल से लोगों को भगवान के भरोसे छोड़ दिया था. इसको न्याय नरेन्द्र मोदी जी ने दिया, इतिहास इसको स्वर्ण अक्षरों से लिखेगा.
– लाखों-करोड़ों लोग नर्क की यातना में जी रहे थे. क्योंकि वोट बैंक के लालच के अंदर आंखे अंधी हुई थी, कान बहरे हुए थे, उनकी चीखें नहीं सुनाई पड़ती थी. नरेन्द्र मोदी जी ने केवल और केवल पीड़ितों को न्याय करने के लिए ये बिल लेकर आए हैं.
– इस बिल में मुसलमानों का कोई अधिकार नहीं जाता. ये नागरिकता देने का बिल है, नागरिकता लेने का बिल नहीं है. मैं सबसे कहना चाहता हूं कि भ्रामक प्रचार में मत आइए. इस बिल का भारत के मुसलमानों की नागरिकता से कोई संबंध नहीं है.
– मुझे idea of India समझाने का प्रयास करते हैं. मेरी तो सात पुश्ते यहां जन्मी हैं, मैं विदेश से नहीं आया हूं. हम तो इसी देश में जन्में हैं, यहीं मरेंगे.
– कांग्रेस के नेताओं के बयान और पाकिस्तान के नेताओं के बयान कई बार घुल-मिल जाते हैं. कल ही पाकिस्तान के पीएम ने जो बयान दिया और आज जो इस सदन में बयान दिए गए हैं, वो एक समान हैं.
– एयर स्ट्राइक के लिए जो पाकिस्तान ने बयान दिए वो और कांग्रेस के नेताओं के बयान एक समान हैं. सर्जिकल स्ट्राइक के समय जो बयान पाकिस्तान के नेताओं और कांग्रेस के नेताओं ने दिए वो एक समान हैं.
– मैं जो बिल लेकर आया हूं वो किसी की भावना को आहत करने के लिए नहीं है. किसी भी धर्म समुदाय के लोगों को दुखी करने के लिए नहीं है.
– 2013-14 में कांग्रेस सरकार के अंतिम बजट में अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए 3,500 करोड़ रुपये थे. नरेन्द्र मोदी जी की सरकार में 2019-20 में 4,700 करोड़ रुपये दिए गए. हमारे देश का राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति जैसे उच्च पदों पर अल्पसंख्यक आसीन हो सकता है

स्वामी के बयानों से कॉंग्रेस हुई विचलित

नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन बिल 2019 (Citizenship Amendment Bill 2019) पर राज्यसभा में चर्चा के दौरान कांग्रेस के सांसद जबरदस्त विरोध जाहिर करते दिखे. तभी चर्चा बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी बिल को लेकर अपनी बात कहनी शुरू की. कांग्रेसी सांसदों के शोर-शराबे के बीच स्वामी ने पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉक्टर मनमोहन सिंह का 16 साल पुराना बयान दोहराया. स्वामी ने 2003 में दिए मनमोहन सिंह के बयान को दोहराते हुए कहा, ‘मनमोहन सिंह ने कहा था कि बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के लिए हमें उदार होना चाहिए. बीजेपी सरकार ने मनमोहन सिंह की कही बातों को मूर्त रूप दिया है. आर्टिकल-14 नागरिकता संशोधन विधेयक को रोक नहीं सकता है. मुझे लगता है कि कांग्रेस ने ठीक से संविधान का अध्ययन नहीं किया है.’ 

नागरिकता संशोधन बिल 2019 पर चर्चा पूरी हो जाने के बाद वोटिंग कराई जाएगी. दोनों पक्षों के सांसद बिल को लेकर अपनी-अपनी बात रख रहे हैं.

CAB का मकसद पूर्वोत्तर में ‘जातीय सफाया’ : राहुल

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को नागरिकता(संशोधन) विधेयक, 2019 को ‘नरेंद्र मोदी-अमित शाह सरकार द्वारा पूर्वोत्तर में जातीय सफाया करने का प्रयास बताया’ और कहा कि यह लोगों पर ‘आपराधिक हमला’ है. राहुल ने ट्वीट किया, ‘सीएबी मोदी-शाह सरकार द्वारा पूर्वोत्तर में जातीय सफाये का प्रयास है. यह पूर्वोत्तर पर, वहा के लोगों के जीवन के तौर-तरीके और भारत के विचार पर एक आपराधिक हमला है. मैं पूर्वोत्तर के लोगों के साथ खड़ा हूं और उनकी सेवा में तत्पर हूं.’

जद (यू) राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक के समर्थन में

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) ने बुधवार को राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 का समर्थन करने का निर्णय लिया है. जद (यू) के सदस्य रामचंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी विधेयक का समर्थन करती है. उन्होंने कहा, ‘मैं इस विधेयक का समर्थन कर रहा हूं. मैं वास्तव में इस विधेयक के बारे में सदन में चर्चा को लेकर आश्चर्यचकित हूं.’ उन्होंने दावा किया कि विधेयक स्पष्ट है कि जिन लोगों को धर्म के कारण सताया गया है, उन्हें नागरिकता के अधिकार दिए जाएंगे और उनकी रक्षा की जाएगी.

उन्होंने कहा, “जो भी भारत के नागरिक हैं, उनके समान अधिकार हैं. भारत की अपनी संस्कृति है. उन्होंने कहा कि लोग अनावश्यक रूप से इस पर शोरगुल मचा रहे हैं.

उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत के तीन राष्ट्रपति अल्पसंख्यक समुदाय से रहे हैं. सिंह ने कहा, ‘लेकिन हम सभी जानते हैं कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ क्या हो रहा है.’ अपनी पार्टी के बारे में सिंह ने कहा, ‘हम भाईचारे का समर्थन करते हैं. इस देश में अगर धर्म के नाम पर कुछ भी होता है तो हम कभी पीछे नहीं रहेंगे. हम सभी भारतीय हैं.’

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पेश किया. विधेयक पेश करते हुए उन्होंने कहा कि विधेयक भारत के तीन पड़ोसी देशों-पाकिस्तान, अफगानिस्तान व बांग्लादेश में बेहद गंभीर हालात में रह रहे अल्पसंख्यक लोगों के लिए यह उम्मीद की किरण है. इसके साथ ही यह ऐसे लोग जो भारत आए लेकिन उन्हें नागरिकता नहीं मिली, उनके लिए यह उम्मीद की किरण है. विधेयक को सोमवार को लोकसभा में मंजूरी दी गई.

‘नागरिकता संशोधन बिल’ पर राज्य सभा में भाजपा का ‘एसिड टेस्ट’

सारिका तिवारी, चंडीगढ़ – 11 दिसंबर:

Sarika Tiwari Editor, demokratikfront.com

लोकसभा से नागरिकता संशोधन बिल पास होने के बाद बुधवार को बिल राज्यसभा में पेश होगा. राज्यसभा में इस वक़्त 240 सांसदों की संख्या है, क्योंकि राज्यसभा में 5 सीटें खाली पड़ी हुई हैं. इस हिसाब से 121 सांसदों के समर्थन के बाद ही ये बिल राज्यसभा में पास हो सकता है. बीजेपी के पास इस वक़्त राज्यसभा में 83 सांसद हैं यानि कि बीजेपी को 38 अन्य सांसदों की आवश्यकता पड़ेगी.

नागरिकता संशोधन विधेयक को सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी बुधवार को राज्य सभा में दो बजे पेश कर सकती है.

इससे पहले सरकार ने इस विधेयक को लोकसभा में आसानी से पास करवा लिया. लोकसभा में बीजेपी के पास खुद अकेले दम पर बहुमत है. इस विधेयक पर वोटिंग के दौरान बीजेपी के 303 लोकसभा सदस्यों समेत कुल 311 सासंदों का समर्थन हासिल हुआ. अब राज्यसभा में इस विधेयक को रखा जाना है. जहां से पास होने की स्थिति में ही यह क़ानून की शक्ल लेगा. बीजेपी ने 10 और 11 दिसंबर को अपनी पार्टी के राज्यसभा सांसदों के लिए व्हिप जारी किया है.

साभार ANI

लेकिन सत्ताधारी पार्टी के लिए राज्यसभा की डगर लोकसभा जितनी आसान नहीं है.

क्या है राज्यसभा का गणित?

राज्यसभा में कुल 245 सांसद होते हैं. हालांकि वर्तमान सांसदों की संख्या 240 है.

राज्यसभा में इस वक़्त 240 सांसदों की संख्या है, क्योंकि राज्यसभा में 5 सीटें खाली पड़ी हुई हैं. इस हिसाब से 121 सांसदों के समर्थन के बाद ही ये बिल राज्यसभा में पास हो सकता है. बीजेपी के पास इस वक़्त राज्यसभा में 83 सांसद हैं यानि कि बीजेपी को 38 अन्य सांसदों की आवश्यकता पड़ेगी. लेकिन बीजेपी के लिए चिंता की बात इसलिए नहीं नज़र आ रही है क्योंकि बीजेपी के सहयोगी दलों के साथ साथ कुछ अन्य दल नागरिकता संशोधन बिल पर सरकार के साथ नज़र आ रहे हैं. AIADMK(11), JDU (6), SAD (3), निर्दलीय व अन्य समेत 13 सांसदों का समर्थन बीजेपी को राज्यसभा में मिल सकता है. इस तरह बिल के समर्थन में 116 सांसद नज़र आ रहे हैं. 

इन पार्टियों के अलावा सरकार के साथ बीजेडी (7), YSRCP (2), TDP (2) सांसदों के साथ नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन कर सकती हैं. कुल मिलाकर 127 सांसदों के साथ यह बिल पास कराने में सरकार सफल हो सकती है. 

शिवसेना ने लोकसभा में इस बिल का समर्थन किया था लेकिन राज्यसभा में शिवसेना के 3 सांसद क्या इस बिल का समर्थन करेंगे या नहीं, इस पर सस्पेंस बरक़रार है. 

वहीं अगर विपक्ष की रणनीति पर नज़र डालें तो वह इस मुद्दे पर एकजुटता दिखाने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस के राज्यसभा में 46 सांसद है और वह इस बिल के ख़िलाफ़ ज़्यादा से ज़्यादा मतदान कराना चाहती है. मंगलवार को कांग्रेस नेताओं ने संसद भवन में अन्य विपक्षी दलों के साथ बातचीत भी की है. नागरिकता संशोधन बिल पर राज्यसभा में डीएमके (5), RJD (4), NCP (4), KC(M)-1, PMK(1), IUML(1), MDMK (1), व अन्य 1 सांसद ख़िलाफ़ वोट करेंगे. यानि इस तरह से यूपीए का आँकड़ा 64 सांसदों का पहुँचता है. 

लेकिन यूपीए के साथ साथ कई अन्य विपक्षी दल भी इस बिल के ख़िलाफ़ राज्यसभा में वोट करेंगे, जिसे लेकर समाजवादी पार्टी समेत कई दलों ने अपने सांसदों को व्हिप भी जारी किया है. TMC(13), Samajwadi Party (9), CPM(5), BSP (4), AAP (3), PDP (2), CPI (1), JDS (1), TRS (6) जैसे राजनीतिक दलों के सांसद इस बिल के ख़िलाफ़ हैं. यूपीए के अतिरिक्त कई विपक्षी दलों के 44 सांसद भी इस बिल के ख़िलाफ़ वोट कर सकते हैं.

नागरिकता संशोधन विधेयक के प्रस्तावित संशोधनों के ख़िलाफ़ राज्यसभा में विपक्ष दो सूत्रीय रणनीति पर काम करेगा.

लोकसभा में यह पास हो चुका है लेकिन इस मामले के जानकारों के मुताबिक अगर यह विधेयक राज्यसभा में पास भी हो गया तो विपक्ष इसकी समीक्षा प्रवर समिति (सेलेक्ट कमेटी) से करवाने के लिए दबाव डालेगा. कांग्रेस, डीएमके और वाम दलों ने इसे लेकर अपने अपने मसौदे तैयार किए हैं. ये पार्टी इस बात पर तर्क करेंगी कि चूंकि यह विधेयक भारत की नागरिकता क़ानूनों की नींव में भारी बदलाव करेगा लिहाजा इसे समीक्षा के लिए एक सेलेक्ट कमेटी को भेजना चाहिए.

क्या होती है सेलेक्ट कमेटी?

संसद के अंदर अलग-अलग मंत्रालयों की स्थायी समिति होती है, जिसे स्टैंडिंग कमेटी कहते हैं. इससे अलग जब कुछ मुद्दों पर अलग से कमेटी बनाने की ज़रूरत होती है तो उसे सेलेक्ट कमेटी कहते हैं. इसका गठन स्पीकर या सदन के चेयरपर्सन करते हैं. इस कमेटी में हर पार्टी के लोग शामिल होते हैं और कोई मंत्री इसका सदस्य नहीं होता है. काम पूरा होने के बाद इस कमेटी को भंग कर दिया जाता है.

क्या है नागरिकता संशोधन विधेयक?

नागरिकता संशोधन विधेयक (Citizenship Amendment Bill) को संक्षेप में CAB भी कहा जाता है और यह बिल शुरू से ही विवाद में रहा है.

इस विधेयक में बांग्लादेश, अफ़गानिस्तान और पाकिस्तान के छह अल्पसंख्यक समुदायों (हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई और सिख) से ताल्लुक़ रखने वाले लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव है. मौजूदा क़ानून के मुताबिक़ किसी भी व्यक्ति को भारतीय नागरिकता लेने के लिए कम से कम 11 साल भारत में रहना अनिवार्य है. लेकिन इस विधेयक में पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों के लिए यह समयावधि 11 से घटाकर छह साल कर दी गई है.

इसके लिए नागरिकता अधिनियम, 1955 में कुछ संशोधन किए जाएंगे ताकि लोगों को नागरिकता देने के लिए उनकी क़ानूनी मदद की जा सके. मौजूदा क़ानून के तहत भारत में अवैध तरीक़े से दाख़िल होने वाले लोगों को नागरिकता नहीं मिल सकती है और उन्हें वापस उनके देश भेजने या हिरासत में रखने के प्रावधान है.

नागरिकता संशोधन बिल आज दोपहर 2 बजे राज्य सभा में पेश होगा

नागरिकता संशोधन बिल पर राज्यसभा में समर्थन को लेकर शिवसेना ने सस्पेंस बढ़ा दिया है. शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा है कि राज्यसभा में कल आएगा, लोकसभा में जो हुआ वो भूल जाइए. बता दें कि शिवसेना ने लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन किया है.

नई दिल्ली(ब्यूरो):

नागरिकता संशोधन बिल 2019 (CAB) लोकसभा से पारित होने के बाद बुधवार (11 दिसंबर) को राज्यसभा में दोपहर 2 बजे पेश किया जाएगा. विपक्ष ने इस बिल का विरोध तेज कर दिया है. कांग्रेस ने अपनी सभी जिला इकाइयों को देशभर में प्रदर्शन करने को कहा है तो वहीं सरकार राज्यसभा में इस बिल को पास कराने के लिए प्रतिबद्ध दिख रही है. सरकार की तरफ से राज्यसभा के लिए पूरा होमवर्क किया गया है और तमाम पार्टियों से समर्थन लेकर संख्या बल जुटाने की कोशिश हो रही है. 

यूएस की संस्था ने किया बिल का विरोध

लोकसभा में पास हुए इस बिल का अमेरिका (यूएस) के इंटरनेशनल कमीशन ऑन रिलीजन फ्रीडम ने भी विरोध किया है. कमीशन ने तो यहां तक कहा है कि लोकसभा के बाद यदि सरकार इस को राज्यसभा में पास कराती है तो यूएस को इस मामले में विरोध करना चाहिए. इसको नागरिकता अधिकारों का उल्लंघन बताया है, लेकिन यूएस के इस कमीशन की तरफ से की गई टिप्पणी को भारतीय विदेश मंत्रालय ने सिरे से खारिज कर दिया है.

भारतीय विदेश मंत्रालय ने साफ कहा है की यूएस के इंटरनेशनल कमीशन ऑन रिलीजन फ्रीडम की यह टिप्पणी गैर जिम्मेदाराना और अस्वीकार्य है कमीशन का नजरिया भारत को लेकर खास मानसिकता से ग्रसित है.

भारत सरकार ने कहा आतंरिक मामलों में कोई दखल ना दे

भारत ने यह बिल अपने देश में जो दूसरे देश से पीड़ित लोग पलायन करके आये हैं, उनको नागरिकता देने के लिए भारत सरकार लाई है एक तरह से इस बिल का स्वागत किया जाना चाहिए, लेकिन यूएस कमीशन विरोध कर रहा है. वैसे भी भारत के आंतरिक मामलों में दखल भी है जिसको भारतीय विदेश मंत्रालय ख़ारिज करता है भारतीय विदेश मंत्रालय ने कमीशन की इस टिप्पणी को सिरे से खारिज कर दिया है. लोकसभा में सरकार ने 311 का संख्या बल जुटाकर इस बिल को भारी बहुमत से पारित करा लिया था और विपक्ष में महज 80 वोट पड़े. लोकसभा में शिवसेना जेडीयू बीजेपी जैसी पार्टियों ने सरकार के समर्थन में वोट किया था लेकिन अब राज्यसभा में शिवसेना के तेवर बदल गए हैं

दोपहर 2:00 बजे राज्यसभा में आएगा बिल

लेकिन सरकार की तरफ से दूसरी पार्टियों से बात की जा रही है और सरकार का अपना कैलकुलेशन है कि वह राज्यसभा में इस बिल को आसानी से पास करा लेगी वाईएसआर कांग्रेस के साथ ही एआईएडीएमके ने भी इस बिल का राज्यसभा में समर्थन करने का ऐलान किया है दोपहर 2:00 बजे बुधवार को राज्यसभा में यह बिल पेश होगा और इस बिल की बहस के लिए 6 घंटे का वक्त सभापति की तरफ से रखा गया है विपक्ष के तमाम विरोध के बावजूद सरकार इस पर अडिग है कि वह राज्यसभा में इस बिल को पास कराएगी गृह मंत्री अमित शाह की तरफ से विपक्ष के तमाम सवालों का लोकसभा में जवाब दिया गया था.

नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों की तरफ से जो चिंता जताई गई थी उसको भी एड्रेस किया गया सरकार का साफ तौर पर कहना है कि यह बिल  किसी धर्म के खिलाफ नहीं है ना ही धार्मिक आधार पर है इस बिल का मकसद सिर्फ और सिर्फ पाकिस्तान बांग्लादेश और अफगानिस्तान में जो अल्पसंख्यक सताए गए हैं वहां पर माइनोरटी में है खासतौर से हिंदू जो दशकों से पीड़ित रहे हैं वह विस्थापन करके आये  हैं और कई वर्षों से रह रहे हैं उनको नागरिकता प्रदान करना ही इस बिल का मकसद है.

सरकार को दूसरे दलों से समर्थन की उम्मीद

राज्यसभा में NDA के पास 106 का आंकड़ा है और दूसरे सहयोगी पार्टी के सहारे बहुमत का आकड़ा जुटाने का भरोसा है. किस पार्टी का सरकार को समर्थन मिलता है और कौन विरोध करती है इसकी तस्वीर बुधवार को साफ होगी लेकिन मोदी सरकार को पूरा भरोसा है लोकसभा की तरह ही राज्यसभा में बहुमत से इस बिल को पास कराने लेगी.

शिवसेना के बदले सुर, AIADMK ने किया सपोर्ट

लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन करने वाली शिवसेना के सुर अब बदलते दिख रहे हैं. विधेयक के राज्यसभा में पेश होने से पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा है कि इसपर पर्याप्त चर्चा होनी चाहिए. नागरिकता संशोधन बिल पर राज्यसभा में समर्थन को लेकर शिवसेना ने सस्पेंस बढ़ा दिया है. शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा है कि राज्यसभा में कल आएगा, लोकसभा में जो हुआ वो भूल जाइए. बता दें कि शिवसेना ने लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन किया है. हालांकि AIADMK ने घोषणा की है कि वह नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन करेगी.

CAB 2019, 311/80 मतों से लोक सभा में पारित

केंद्र सरकार ने सोमवार को लोकसभा में (संशोधन) विधेयक 2019 पेश किया. विधेयक पर करीब 8 घंटे बहस चली. सोमवार रात करीब ग्यारह बजे गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्षी नेताओं की ओर से उठाए गए सवालों का जवाब दिया.
हमारी अल्पसंख्यकों की व्याख्या गलत नहीं है. ये पूरा विधेयक उन तीन देशों के अल्पसंख्यकों के लिए है. बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में जब इस्लाम राज धर्म है तो वहां मुस्लिम लोग अल्पसंख्यक नहीं होते हैं.
– मैं जनता को कहना चाहता हूं कि कांग्रेस ऐसी बिन साम्प्रदायिक पार्टी है, जिसकी केरल में मुस्लिम लीग सहयोगी है और महाराष्ट्र में शिवसेना सहयोगी है.

नई दिल्ली(ब्यूरो): 

केंद्र सरकार ने सोमवार को लोकसभा में (संशोधन) विधेयक 2019 पेश किया. विधेयक पर करीब 8 घंटे बहस चली. सोमवार रात करीब ग्यारह बजे गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्षी नेताओं की ओर से उठाए गए सवालों का जवाब दिया. इसके बाद सोमवार रात 11:35 बजे लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने कहा गृहमंत्री की ओर से सारे बिदुओं को स्पष्ट किया जा चुका है, इसके बाद नहीं लगता है कि किसी को कोई कन्फ्यूजन रह गया होगा. इसके बाद लोकसभा स्पीकर ने बिल पर वोटिंग कराया. लोकसभा स्पीकर ने बारी-बारी से विपक्षी नेताओं की ओर से जताई गई आपत्तियों पर मौखिक वोटिंग कराकर उसे क्लियर कराया.

अमित शाह ने कहा कि मैंने पहले ही कहा कि ये बिल लाखों- करोड़ों शरणार्थियों को यातनापूर्ण जीवन से मुक्ति दिलाने का जरिया बनने जा रहा है. इस बिल के माध्यम से उन शरणार्थियों को नागरिकता देने का काम होगा.

उन्होंने कहा कि कई सदस्यों ने आर्टिकल-14 का हवाला देते हुए इसे असंवैधानिक करार दिया. मैं कहना चाहता हूं कि किसी भी तरह से ये बिल गैर संवैधानिक नहीं है. न ही ये आर्टिकल-14 का उल्लंघन करता है.

बहस के दौरान अंतिम दौर में अमित शाह की कही गई बातों के मुख्य अंश-:
– गृहमंत्री अमित शाह ने कहा- इस देश का विभाजन धर्म के आधार पर न होता तो मुझे बिल लाने की जरूरत ही नहीं होती. सदन को ये स्वीकार करना होगा कि धर्म के आधार पर विभाजन हुआ है. जिस हिस्से में ज्यादा मुस्लिम रहते थे वो पाकिस्तान बना और दूसरा हिस्सा भारत बना.

– नेहरू-लियाकत समझौते में भारत और पाकिस्तान ने अपने अल्पसंख्यकों का ध्यान रखने का करार किया लेकिन, पाकिस्तान ने इस करार का पूरा पालन नहीं किया.

– 3 देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के संविधान में इस्लाम को राज्य धर्म बताया है. वहां अल्पसंख्यकों को न्याय मिलने की संभावना लगभग खत्म हो जाती है. 1947 में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी 23% थी. 2011 में ये 3.7% पर आ गई.

– बांग्लादेश में 1947 में अल्पसंख्यकों की आबादी 22% थी जो 2011 में 7.8 % हो गई. आखिर कहां गए ये लोग. जो लोग विरोध करते हैं उन्हें में पूछना चाहता हूं कि अल्पसंख्यकों का क्या दोष है कि वो इस तरह क्षीण किए गये?

– 1951 में भारत में मुस्लिम 9.8 प्रतिशत थे. आज 14.23 प्रतिशत हैं, हमने किसी के साथ भेदभाव नहीं किया. आगे भी किसी के साथ धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा.

– ये कानून किसी एक धर्म के लोगों के लिए नहीं लाया गया है. ये सभी प्रताड़ित अल्पसंख्यकों के संरक्षण के लिए है. इसलिए इसमें आर्टिकल-14 का उल्लंघन नहीं होता.

– ये बिल आर्टिकल-14, आर्टिकल-21 और आर्टिकल-25 किसी का उल्लंघन नहीं करता है. ये संविधान के हिसाब से पूरी तरह ठीक है.

– किसी भी व्यक्ति को अपने परिवार की बहन-बेटी को या अपने धर्म को बचाने के लिए यहां आना पड़े और हम अपनाए नहीं, ये गलती हम नहीं कर सकते. हम उन्हें जरूर स्वीकारेंगे, नागरिकता देंगे और पूरे विश्व के सामने उन्हें सम्मान भी देंगे.

– भारत ने किसी भी रिफ्यूजी पॉलिसी को स्वीकार नहीं किया है. पारसी भी प्रताड़ित होकर ईरान से भारत आए थे.

– पीओके भी हमारा है, उसके नागरिक भी हमारे हैं और आज भी हम जम्मू कश्मीर की विधानसभा में 24 सीट इनके लिए आरक्षित रखते हैं.

– जब भी नागरिकता के बारे में कोई Intervention हुआ, वो किसी न किसी Specific problem को solve करने के लिए हुआ. यूगांडा से जब लोग आए थे, तो केवल वहां से आए लोगों को ही नागरिकता दी गई, अन्य किसी देश से आए लोगों को नागरिकता नहीं दी गई थी.

– हमारी अल्पसंख्यकों की व्याख्या गलत नहीं है. ये पूरा विधेयक उन तीन देशों के अल्पसंख्यकों के लिए है. बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में जब इस्लाम राज धर्म है तो वहां मुस्लिम लोग अल्पसंख्यक नहीं होते हैं.

– रोहिंग्याओं को कभी स्वीकार नहीं किया जाएगा. ये मैं आज फिर कह रहा हूं.

– अभिषेक बनर्जी ने आज अपने वक्तव्य में टैगोर, विवेकानंद और बंकिम बाबू का नाम लिया. लेकिन बंकिम बाबू के समय ऐसे बंगाल की कल्पना थी क्या कि दुर्गा पूजा के लिए कोर्ट में जाना पड़े?

-मैं इतना कहना चाहता हूं कि माइनॉरिटी में कोई डर की भावना नहीं है, अगर है तो भी मैं अपने सभी अल्पसंख्यक भाई बहनों को विश्वास दिलाता हूं कि मोदी जी के प्रधानमंत्री रहते हुए इस देश में किसी भी धर्म के नागरिक को डरने की जरूरत नहीं है.

– अभिषेक बनर्जी ने कहा कि एनआरसी और सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल ट्रैप है. लेकिन इसमें कोई ट्रैप नहीं है. उन लोगों को ये ट्रैप जरूर लग सकता है जो वोटबैंक के लिए घुसपैठियों का संरक्षण करते हैं. लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे.

– मैं बंगाल के सभी सांसदों से कहना चाहता हूं कि लाखों लोगों को जो नागरिकता मिलने वाली है वो सारे बंगाली शरणार्थी है, क्या आप नहीं चाहते कि बंगाली हिन्दू, बौद्ध, सिख और ईसाई शरणार्थियों को नागरिकता मिले ?

– कुछ लोग बिल के खिलाफ माहौल बना रहे हैं. लेकिन किसी को भी डरने की जरूरत नहीं है. शरणार्थियों के पास राशन कार्ड है या नहीं, ये बिल सबको नागरिकता देगा. आपको किसी के बहकावे में आने की जरूरत नहीं है.

– मैं इस सदन को फिर से आश्वस्त करना चाहता हूं कि जब हम NRC लेकर आएंगे, एक भी घुसपैठिया इस देश के अंदर बच नहीं पायेगा.

– मैं जनता को कहना चाहता हूं कि कांग्रेस ऐसी बिन साम्प्रदायिक पार्टी है, जिसकी केरल में मुस्लिम लीग सहयोगी है और महाराष्ट्र में शिवसेना सहयोगी है.

– मैं पूरी गंभीरता के साथ देश की जनता को विश्वास दिलाता हूं कि जब तक नरेन्द्र मोदी जी प्रधानमंत्री हैं तब तक भारत का संविधान ही हमारा धर्म है.

– 2014 की एक रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में 1 हजार लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया. UNHRC की रिपोर्ट के अनुसार अब दूसरे धर्मों के मात्र 20 धार्मिक स्थान ही पाकिस्तान में बचे हैं.

– बंगबंधु शेख मुजीब उर्र रहमान की हत्या के बाद बांलादेश में जो अत्याचार का दौर चालू हुआ, उसने वहां की धार्मिक लघुमतियों की रीड की हड्डी ही तोड़ दी, भोला में एक सुनियोजित हमले में 200 अल्पसंख्यक महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया.

– इन देशों में ढेर सारे मंदिर तोड़े गए.अफगानिस्तान में 1992 तक करीब 2 लाख हिंदू और सिख थे और 2018 तक वो सिर्फ 500 रह गए. पूरे देश ने देखा था कि धार्मिक स्थलों को तोड़ा गया. भगवान बुद्ध की भव्य प्रतिमा को तोप के गोले दागकर तोड़ा गया. ऐसे में कहां जाते ये अल्पसंख्यक.

– मैं फिर से इस सदन के माध्यम से पूरे देश के सामने स्पष्ट करना चाहता हूं कि घुसपैठिये और शरणार्थी में मौलिक अंतर हैं.

– जो धार्मिक प्रताड़ना के आधार पर अपने परिवार की सुरक्षा के लिए, अपने धर्म की रक्षा के लिए यहां आता है, वो शरणार्थी है और जो बिना परमिशन के घुस कर आता है वो घुसपैठिया है.

– वोट बैंक के लालच में अगर आंख अंधी और कान बहरे हो गए हैं तो उन्हें खोल लीजिए. करोड़ों लोगों के साथ अन्याय हुआ है. जो नर्क की यातना झेल रहे हैं, जिन्हें सुविधाएं नहीं मिल रही, उन लोगों की यातनाओं से मुक्ति के लिए मोदी जी ये बिल लाए हैं.

– नेहरू-लियाकत समझौते की गलती को आज मोदी जी ने सुधारने का काम किया है.

नागरिकता (संशोधन)विधेयक 2019 आज होगा पेश

केंद्र सरकार ने सोमवार को लोकसभा में विवादास्पद नागरिकता (संशोधन)विधेयक 2019 (Citizenship Amendment Bill 2019) पेश किया. विपक्षी दलों ने इसे बुनियादी तौर पर असंवैधानिक बताया और भारतीय संविधान के अनुच्छेद-14 का उल्लंघन करार देते हुए विधेयक पर कड़ी आपत्ति जताई.

नई दिल्लीब्यूरो): 

केंद्र सरकार ने सोमवार को लोकसभा में विवादास्पद नागरिकता (संशोधन)विधेयक 2019 (Citizenship Amendment Bill 2019) पेश किया. विपक्षी दलों ने इसे बुनियादी तौर पर असंवैधानिक बताया और भारतीय संविधान के अनुच्छेद-14 का उल्लंघन करार देते हुए विधेयक पर कड़ी आपत्ति जताई. विधेयक की वैधानिकता पर एक घंटे की बहस हुई, जिसमें जांचा-परखा गया कि विधेयक पर चर्चा हो सकती है या नहीं. निचले सदन में इसके पक्ष में 293, जबकि विपक्ष में कुल 82 मत पड़े. विधेयक के बारे में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्षी नेताओं के आरोपों को खारिज कर दिया. 

उन्होंने कहा, ‘मैं विश्वास दिलाता हूं कि विधेयक भारतीय संविधान के किसी भी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं करता है और किसी भी नागरिक को उनके अधिकारों से वंचित नहीं किया जाएगा.’ शाह ने कहा, ‘प्रत्येक नागरिक को उचित वर्गीकरण के आधार पर विधेयक में जगह दी गई है.’

नागरिकता (संशोधन)विधेयक 2019 (Citizenship Amendment Bill 2019) की बहस के बीच हम आपको बता रहे हैं कि भारत में दूसरे देशों से आए लोगों के लिए कितने शरणार्थी कैंप चल रहे हैं. इस सूची में सबसे पहला नाम पाकिस्तान (Pakistan) का है. पाकिस्तान (Pakistan) के सबसे ज्यादा शरणार्थी भारत में रह रहे हैं. हालांकि श्रीलंका से आए काफी शरणार्थी भी भारत में रह रह हैं. 

– भारत में 62,000 शरणार्थी श्रीलंका के हैं.

– 1 लाख शरणार्थी तिब्बत के रहते हैं. 

– म्यांमार के 36,000 शरणार्थी हैं.

– अन्य देश के करीब 2 लाख शरणार्थी रहते हैं.

– पाकिस्तान (Pakistan)ी हिंदू शरणार्थियों के लिए 400 कैंप देश में हैं.

– श्रीलंका और अन्य देश के शरणार्थियों के लिए 110 कैंप हैं.