सरयू किनारे आरएसएस करेगी कौमी एकता का आयोजन पढ़ी जाएगी कुरान


आरएसएस की इकाई राष्ट्रीय मुस्लिम मंच की ओर से कराए जाने वाले इस कार्यक्रम में आम मुसलमान और मौलवी ‘भाईचारे’ का संदेश देते हुए कुरान की आयतें पढ़ेंगे


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की मुस्लिम इकाई राष्ट्रीय मुस्लिम मंच की ओर से 12 जुलाई को अयोध्या में सरयू नदी के किनारे मुस्लिमों के लिए खास आयोजन किया जाएगा. इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में आम मुसलमान और मौलवी ‘भाईचारे’ का संदेश देते हुए कुरान की आयतें पढ़ेंगे.

मंच के संरक्षक इंद्रेश कुमार ने इस कार्यक्रम के आयोजन की पुष्टि की. राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के सह-संयोजक मुरारी दास ने बताया कि गुरुवार 12 जुलाई को सरयू नदी के किनारे करीब ‘1500 मुस्लिम भाई’ जुटेंगे. वो सरयू नदी के जल से वजू (मुस्लिम रीति-रिवाज) करेंगे और कुरान की आयतें पढ़ेंगे.

स्क्रोल की खबर के अनुसार कुरान की आयतें नूह अली सलाम दरगाह पर पढ़ी जाएंगी. राष्ट्रीय मुस्लिम मंच का कहना है कि यह अपने आप में अनोखा आयोजन होगा जब बड़ी संख्या में मुस्लिम सरयू पर तिलावत-ए-कुरान (कुरान की आयतें पढ़ना) करेंगे. वहीं दूसरी तरफ वैदिक मंत्र उच्चारण और सरयू आरती भी होगी.

अयोध्या में सूफी संतों के काफी संख्या में मकबरे हैं, मौलाना यहां भी जाएंगे. मुरारी दास ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य दुनिया को यह संदेश देना है कि अयोध्या हिंदू और मुसलमान भाईचारे का प्रतीक स्थल है. साथ ही यह दोनों मिलकर भारत को एक तरक्की पसंद, तालीम पसंद और कौमी एकता कायम रखने वाला राष्ट्र बनाने में योगदान करेंगे.

राष्ट्रीय मुस्लिम मंच की इस कवायद को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के पक्ष में माहौल बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है.

धारा 377 अब सर्वोच्च न्यायालय ही तय करे : केंद्र


सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी सोलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी में रखने का यह मुद्दा कोर्ट के विवेक पर छोड़ते हैं


समलैंगिकता (होमो सेक्सुएलिटी) अपराध है या नहीं, सुप्रीम कोर्ट में इस पर सुनवाई में आज यानी बुधवार को केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे अटार्नी सॉलिसीटर जनरल (एएसजी) तुषार मेहता ने कहा कि समलैंगिकता संबंधी धारा 377 की संवैधानिकता के मसले को हम कोर्ट के विवेक पर छोड़ते हैं.

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा, ‘जब आपने यह हमारे ऊपर छोड़ा है कि धारा 377 अपराध है या नहीं, इसका फैसला हम करें तो अब हम यह तय करेंगे.’

उन्होंने कहा कि मुद्दा यह है कि दो व्यस्कों द्वारा सहमति से बनाए गए समलैंगिक संबंध अपराध है या नहीं. समहति से बनाया गया अप्राकृतिक संबंध अपराध नहीं होना चाहिए. हम बहस सुनने के बाद इस पर फैसला देंगे.

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील मेनका गुरुस्वामी ने लिखित में कहा, एलजीबीटी समुदाय भी कोर्ट, सरकार और देश से सुरक्षा हासिल करने का अधिकार रखता है. धारा 377 ऐसे लोगों के समान नागरिक अधिकारों का हनन है.

बता दें कि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट के 5 सदस्यों की संविधान पीठ मंगलवार से इस मामले में सुनवाई कर रहा है. सुनवाई के दौरान कहा पीठ ने कहा कि वो केवल भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 की संवैधानिक वैधता पर विचार करेगी जो समान लिंग के 2 वयस्कों के बीच आपसी सहमति से यौन संबंधों को अपराध घोषित करती है.

सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2013 में दिल्ली हाईकोर्ट के 2 जुलाई, 2009 के फैसले को बदलते हुए 2 वयस्कों के बीच आपसी सहमति से बनाए गए रिलेशनशिप को अपराध की श्रेणी में डाल दिया था.

नाज फाउंडेशन समेत कई लोगों द्वारा दायर याचिकाओं में 2013 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है. सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी में कहा था कि ऐसे लोग जो अपनी मर्जी से जिंदगी जीना चाहते हैं, उन्हें कभी भी डर की स्थिति में नहीं रहना चाहिए. स्वभाव का कोई तय पैमाना नहीं है. उम्र के साथ नैतिकता बदलती है.

दिल्ली हाईकोर्ट ने दो वयस्कों के बीच समलैंगिकता को वैध करार दिया था. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि 149 वर्षीय कानून ने इसे अपराध बना दिया था, जो मौलिक अधिकारों का उल्लंघन था.

भाजपा से आआपा में गए कनुभाई कलसरिया ने थामा कांग्रेस का हाथ


कनुभाई कलसरिया को गुजरात के किसान नेता के रूप में जाना जाता है. उन्होंने 2008-09 में तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के एक फैसले का विरोध भी किया था


पूर्व बीजेपी विधायक और आम आदमी पार्टी के नेता कनुभाई कलसरिया ने बुधवार को कांग्रेस जॉइन कर ली है. उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की. इसके बाद उन्होंने कांग्रेस के साथ जाने का फैसला किया.

राहुल गांधी 16-17 जुलाई को सौराष्ट्र के भावनगर और अमरेली जिले जाने की उम्मीद है. यहां वह किसानों से मुलाकात करेंगे.

इससे पहले ही उनके कांग्रेस के साथ जाने की उम्मीद जताई जा रही थी. उन्होंने खुलेतौर पर कहा था कि उनकी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष से बातचीत हो रही है और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात के बाद ही कुछ फैसला करेंगे, लेकिन अब उन्होंने फैसला कर लिया है और कांग्रेस का हाथ थाम लिया है.

कलसरिया को गुजरात के एक बड़े किसान नेता के रूप में जाना जाता है. कलसरिया ने 1998, 2002 और 2007 विधानसभा चुनाव में मधुवा सीट से बीजेपी की टिकट पर जीत दर्ज की थी. इसके बाद उनहोंने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध किया था. उनका विरोध नरेंद्र मोदी द्वारा मधुवा के निकट एक सीमेंट प्लांट को मंजूरी देना था.

उनका कहना था कि यह प्लांट जल निकायों को ऊपर बनाया जा रहा है. कलसरिया का आरोप था कि इससे स्थानीय पर्यावरण और ग्राउंड वॉटर को नुकसान होगा.

जम्मू कश्मीर की विधान सभा भंग हो : ओमर


पिछले कुछ वक्त से लगातार खबरें आ रही हैं कि बीजेपी जम्मू-कश्मीर में पीडीपी के बागी विधायकों की मदद से सरकार का गठन कर सकती है

निर्मल सिंह ओर मोदी की गुप्त बैठक के बाद इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी जल्द ही राज्य में नई सरकार का गठन कर सकती है.


नेशनल कांफ्रेंस ने बुधवार को कहा कि जम्मू कश्मीर विधानसभा को भंग कर दिया जाना चाहिए ताकि राज्य में ‘अनिश्चितता और अटकलों’ पर विराम लग सके. पार्टी के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने नेशनल कांफ्रेस विधायक दल की बैठक में कहा, ‘हमने राज्य विधानसभा को भंग करने की मांग की थी और करते रहेंगे. नेशनल कांफ्रेंस का मानना है कि अनिश्चितता और अटकलों के मौजूदा दौर को खत्म करने के लिए यह जरूरी है क्योंकि इससे लोगों के बीच अविश्वास की भावना बढ़ रही है.’

उन्होंने कहा कि राज्य की वर्तमान स्थिति चुनाव करवाने के लिए उपयुक्त नहीं है. राज्यपाल के प्रशासन को लोकतांत्रिक प्रक्रिया (चुनाव के संदर्भ में) संचालित करने से पहले लोगों के बीच सुरक्षा की भावना प्रबल करने और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए हर संभव कदम उठाने चाहिए. उमर अब्दुल्ला ने कहा कि पीडीपी-भाजपा गठबंधन ने राज्य को बर्बर स्थिति में छोड़ दिया और लोगों विशेषकर युवाओं में अलग थलग होने की भावना पैदा कर दी है.

पिछले कुछ वक्त से लगातार खबरें आ रही हैं कि बीजेपी जम्मू-कश्मीर में पीडीपी के बागी विधायकों की मदद से सरकार का गठन कर सकती है. सूत्रों के मुताबिक बुधवार को जम्मू-कश्मीर के पूर्व उप-मुख्यमंत्री और वरिष्ठ बीजेपी नेता निर्मल सिंह ने दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी से गुप्त बैठक की.  इस बैठक के बाद इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी जल्द ही राज्य में नई सरकार का गठन कर सकती है.

मोदी निर्मल सिंह की मुलाक़ात वादी मे क्या गुल खिलाएगी??


जम्मू कश्मीर के पूर्व डिप्टी सीएम और सीनियर बीजेपी नेता निर्मल सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ गुप्त बैठक की, इस बैठक के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि राज्य में बीजेपी जल्द ही सरकार का बना सकती है


जम्मू कश्मीर में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने सरकार बनाने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं. प्रधानमंत्री ऑफिस के सूत्रों ने न्यूज 18 को जानकारी दी कि बुधवार शाम चार बजे जम्मू कश्मीर के पूर्व डिप्टी सीएम और सीनियर बीजेपी नेता निर्मल सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ गुप्त बैठक की. इस बैठक के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि राज्य में बीजेपी जल्द ही सरकार का गठन कर सकती है.

सूत्रों ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के साथ बैठक से पहले निर्मल सिंह ने जम्मू-कश्मीर के बीजेपी प्रभारी राम माधव के साथ एक लंबी मुलाकात की थी. गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से लगातार खबरें आ रही हैं कि बीजेपी जम्मू-कश्मीर में पीडीपी के बागी विधायकों की मदद से सरकार बनाकर राज्य में हिन्दू मुख्यमंत्री की नियुक्ति करना चाहती है.

हालांकि आधिकारिक रूप से कोई भी इस बात को नहीं मान रहा है, लेकिन बीजेपी और पीडीपी दोनों के सूत्रों कह रहे हैं कि अगस्त में अमरनाथ यात्रा की समाप्ति के बाद जम्मू कश्मीर की राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल सकता है. बुधवार को हुई मोदी और निर्मल सिंह की बैठक भी इसी ओर इशारा कर रही है.

बता दें कि इस साल जून में बीजेपी ने खुद को महबूबा मुफ्ती की गठबंधन वाली सरकार से अलग कर लिया था. इसके बाद अन्य पार्टियों ने राज्यपाल शासन का समर्थन किया था. लेकिन शुरू से ही कयास लग रहे हैं कि बीजेपी अन्य पार्टियों के विधायकों को तोड़कर सरकार बनाने की कोशिश कर सकती है.

महबूबा से नाराज हैं पीडीपी के विधायक

पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व के खिलाफ खुले तौर पर विद्रोह करने वाले पीडीपी विधायक आबिद अंसारी ने न्यूज 18 को बताया कि पीडीपी के बागी विधायक बीजेपी के समर्थन को लेकर गंभीरता से विचार करेंगे. महबूबा मुफ्ती पर हमला बोलते हुए अंसारी ने कहा था कि या तो पार्टी टूट जाएगी या फिर लीडरशिप में बदलाव आएगा.

अंसारी ने कहा, ‘सवाल पर्याप्त नंबर का है. इस वक्त करीब एक दर्जन विधायक मेरे साथ हैं. अगर महबूबा पार्टी को बचाना चाहती हैं तो उन्हें किसी जिम्मेदार नेता को पार्टी की कमान सौंप देनी चाहिए. अन्यथा हम अलग रास्ता तय करेंगे.’

क्या बागी विधायकों ने बीजेपी को समर्थन देने पर विचार किया होगा? इस सवाल के जवाब में अंसारी कहते हैं, ‘क्यों नहीं? अगर हमारे पास संख्या है तो मुझे नहीं लगता कि हमारे पास सरकार नहीं बनाने का कोई कारण है, वह भी तब जब अगले चुनाव में दो साल का वक्त बाकी है.’ वहीं पीडीपी के एक सूत्र ने बताया कि महबूबा ने बागी विधायकों की मांग को खारिज कर दिया है.

पीडीपी नेता ने कहा, ‘हमने बागी विधायकों से बात करने की कोशिश की. महबूबा ने उनसे माफी भी मांगी. अब मुझे नहीं पता कि इससे ज्यादा क्या किया जा सकता है. इतिहास हमें बताता है कि नई दिल्ली जो चाहती है वह कर सकती है. लेकिन अगर वह इन कुटिल साधनों के माध्यम से सरकार का गठन कर भी लेते हैं तो भी जनता का सामना कैसे करेंगे, मुझे समझ में नहीं आता. संवाद के माध्यम से शांति का एजेंडा बीच में ही छोड़ दिया गया. यह सत्ता की कैसी भूख है.’

बीजेपी को चाहिए 19 विधायक

जम्मू कश्मीर विधानसभा में 87 सीटें हैं, जिसका मतलब यह होता है कि यहां सरकार के गठन के लिए किसी भी दल को 44 सीटों की आवश्यकता होगी. राज्य में बीजेपी के पास इस वक्त 25 विधायक हैं, इसलिए उसे सरकार बनाने के लिए 19 और विधायकों की जरूरत है. सज्जाद लोन की पार्टी पीपल्स कॉन्फ्रेंस बीजेपी को सपोर्ट कर रही है इसलिए पार्टी को दो विधायकों को समर्थन यहां से मिल जाएगा, लेकिन इसके बावजूद उसे 17 विधायक जुटाने होंगे.

पीडीपी विधायकों के अलावा कोई भी दल बीजेपी के समर्थन के लिए तैयार नहीं है, ऐसे में अगर बीजेपी जम्मू कश्मीर में सरकार बनाना चाहती है तो उसे पीडीपी के कम से कम 17 विधायकों के बागी होने की जरूरत होगी, हालांकि जैसे-जैसे दिन बीत रहे हैं लग रहा है कि ऐसा संभव हो जाएगा.

मैं आदिवासी समाज को पिछले चार साल का हिसाब देने आया हूं. मोदी सरकार से हिसाब मांगना आपका हक है: अमित शाह


कांग्रेस पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि अनुसूचित जनजाति को कांग्रेस ने बिजली से वंचित रखा, जबकि हम हर आदिवासी के घर में बिजली देंगे


भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने अपने एक दिवसीय रांची दौरे में आदिवासी बुद्धिजीवियों के साथ बातचीत की. राजधानी के कार्निवल ग्राउंड में आयोजित जनजातीय समाज के साथ संवाद कार्यक्रम में बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि विपक्ष ने आदिवासी समाज में भ्रम फैलाया है, जिसे हम दूर करने आए हैं. उन्होंने कहा कि मैं आदिवासी समाज को पिछले चार साल का हिसाब देने आया हूं. मोदी सरकार से हिसाब मांगना आपका हक है.

राज्य की रघुवर सरकार की तारीफ करते हुए शाह ने कहा कि केंद्र ने गैस दिया, तो राज्य सरकार ने चूल्हा दे दिया. कांग्रेस पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि अनुसूचित जनजाति को कांग्रेस ने बिजली से वंचित रखा, जबकि हम हर आदिवासी के घर में बिजली देंगे. आदिवासी समाज की भावना को भड़काना आसान है. कांग्रेस ने यही किया है, विकास नहीं.

बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि आदिवासी समाज को भी सम्मान के साथ जीने का अधिकार है. एससी-एसटी एक्ट में बदलाव से यह एक्ट और मजबूत हुआ है. उन्होंने कहा कि अब तक हर सम्मान कांग्रेस को मिलता था, लेकिन हमने गरीबों को दिया. शाह ने कहा कि हमने हिसाब दे दिया अब जेएमएम और कांग्रेस से हिसाब मांगें. जब उन्होंने मौजूद लोगों से पूछा कि वे मोदी को फिर से पीएम बनाएंगे, तो लोगों ने हां में जवाब दिया.

सीएम रघुवर दास ने कहा कि आदिवासी समाज अब जाग गया है. अब वो विकास चाहता है और उनका विकास हमारा लक्ष्य है. उन्होंने लोकसभा चुनाव में सभी 14 सीटों पर जीत दिलाने की लोगों से अपील की.

30 Police officers including SSPs transferred in Punjab 

Chandigarh, July 11, 2018: 30 Police officers including SSPs transferred in Punjab

The list is as under :

 

 

 

 

 

Coach Arothe resigns after players’ revolt


Indian women’s cricket team coach Arothe resigned as head coach on Tuesday (10th July) over the alleged differences with some of the senior players, who had protested against his training methods.

This is the second time during the Supreme Court appointed Committee of Administration (CoA) tenure that a national coach has stepped down after players’ revolt. Last year, Indian men’s cricket team head coach Anil Kumble resigned after his much-publicised differences with captain Virat Kohli.

“The BCCI on Tuesday accepted India women’s team coach Tushar Arothe’s resignation. Arothe cited personal reasons behind his resignation and thanked the BCCI for giving him an opportunity to work with the Indian women’s cricket team,” the BCCI said in a media release.

However, a senior BCCI official told press that Arothe was forced to resign after some senior players, with reasonable influence, wanted his immediate ouster.

“It was almost final after the last meeting of CoA with the senior players. BCCI acting secretary Amitabh Chaudhary, GM (Cricket Operations) Saba Karim and CEO Rahul Johri were also present. There has been adverse reports about his coaching methods from players, selectors and even the team manager,” a senior BCCI official, privy to the development told PTI on the condition of anonymity.

When the official was asked whether a couple of senior players had a major role in Arothe’s ouster, he said: “Yes, they were against him.”

CoA member Diana Edulji, a former India captain, is currently calling the shots as far as women’s cricket is concerned.

While BCCI didn’t divulge names, it has been learnt that ODI captain Mithali Raj and Twenty20 captain Harmanpreet Kaur did not have good things to say about Arothe’s coaching methods when the BCCI bigwigs sought their feedback.

Arothe, who was a Baroda stalwart with an experience of 114 first-class games, had guided the team to the 50-over World Cup final in England last year.

The Indian team also won ODI and T20 series in South Africa in February this year but things went downhill since then.

India had a dismal T20 tri-series against England and Australia and then lost the ODI series against the Southern Stars.

However, it was twin defeat against minnows Bangladesh in the Asia Cup including one in the final, that became the last straw.

One of the major reason of discontent was Arothe’s training methods. While the coach was keen on having two practice sessions of two and half hours each in morning and afternoon, some of the seniors in their mid-30s were finding it difficult to cope with the strenuous schedule.

It was because of their protest that the Indian team’s camp from June 15 to 25 was cancelled as BCCI was getting ready to show Arothe the door.

“We will again put up an advertisement and interview process will be followed,” said the official.

Rajnath Singh Assured AAP Chief over LG Tussle


Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal met Home Minister Rajnath Singh to discuss the new impasse between the Delhi government and the Lieutenant Governor over the number of subjects on which the L-G’s approval is to be required.


Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal met Home Minister Rajnath Singh to discuss the new impasse between the Delhi government and the Lieutenant Governor over the number of subjects on which the L-G’s approval is to be required.

Speaking to reporters after the meeting with the Home Minister, Kejriwal said, “We told him that L-G and the Centre are interpreting the order in a strange manner. They say that we will obey half the order.”

The Aam Aadmi Party (AAP) chief said that while the Supreme Court order clearly states that the concurrence of the L-G is not required for decisions taken in subjects other than Police, Land and Law-Order, the L-G is not obeying this order.

“They say that when Division Bench issues its judgment, we will obey. How can you say that you will obey half of the judgment of the Constitution Bench and half of the Division Bench? In this way they will even hold up the SC like they did the Delhi govt,” said Kejriwal.

The CM added that the Home Minister heard the concerns of the Delhi government and assured that he will discuss the matter with his officers.

On 4 July, the Supreme Court ruled that position of the Lieutenant-Governor of Delhi was not that of a Governor but an administrator only “in a limited sense”.

Two days later, the CM alleged that the Ministry of Home Affairs has told Baijal to ignore the prt of the Supreme Court order which limits the L-G’s power to just three areas.

“MHA has advised LG to ignore that part of SC order, which restricts LG’s powers to only 3 subjects. V dangerous that central govt advising LG not to follow Hon’ble SC’s orders,” alleged Kejriwal on Twitter on 6 July.

“Have sought time from Sh Rajnath Singh ji to urge him to follow Hon’ble SC’s orders,” he added.

The new telecom policy may attract an investment of $100 billion in the digital communications sector

 

The Telecom Commission on Wednesday approved the new telecom policy and the recommendations on net neutrality, according to sources.

The new telecom policy aimed at attracting an investment of $100 billion in the digital communications sector is likely to be in place by July 2018, Communications Minister Manoj Sinha had said on June 12.

The government on May 1 had released the draft National Telecom Policy 2018 to reform the licencing and regulatory regime and promote the ease of doing business.

The draft National Digital Communications Policy focuses on provisioning of broadband for all, creating four million additional jobs and enhancing the contribution of the sector to 8 per cent of India’s GDP from around 6 per cent in 2017.

It also plans to propel India to the Top 50 nations in the ICT Development Index of International Telecommunication Union from 134 in 2017, enhancing the country’s contribution to global value chains and ensuring digital sovereignty.

The Telecom Commission also approved the recommendations made by the Telecom Regulatory Authority of India on the country’s position on net neutrality.

The sector regulator had backed the principles of a free and open Internet and prohibited discriminatory treatment of content.