‘वेस्ट टु कम्पोस्ट’ टैक्नोलॉजी अब मात्र 4 घंटों में पायें खाद
चंडीगढ़, 6 जून, 2018:
उत्तर भारत के शहरी क्षेत्रों में नगर निगमों द्वारा कचरे के प्रबंधन में आने वाली समस्याएं अब बीते कल की बात बनने जा रही हैं। पुणे की भोर इंजीनियरिंग कंपनी के इंजीनियरों के नये आविष्कार से कचरे को तेजी से कम्पोस्ट में बदलने वाली टैक्नोलॉजी का होटल जे डब्ल्यू मैरियट, चंडीगढ़ में अनावरण किया गया। सर्वजीत सिंह, असिस्टेंट कमिश्नर, नगर निगम मोहाली ने भोर इंजीनियरिंग के एमडी अरविंद राजपूत और रेनेविक मोहाली की एमडी, अमनप्रीत कौर मंगत व डायरेक्टर परमप्रीत कौर की उपस्थिति में विभिन्न क्षमताओं की इलेक्ट्रॉनिक मशीनों वाली टैक्नोलॉजी का अनावरण किया। बाद में नई तकनीक के बारे में मीडिया को भी जानकारी दी गयी। प्रौद्योगिकी को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर चंडीगढ़ में लाया गया है। मशीनों का उपयोग करके कचरे से कम्पोस्ट कैसे तैयार किया जाता है, इसका एक डिमोंस्ट्रेशन भी किया गया।
‘यह प्रौद्योगिकी नासिक नगर पालिका, पुणे नगर निगम, हैदराबाद नगर निगम और महाराष्ट्र विधान मंडल जैसे सरकारी संगठनों में पहले से ही उपयोग में है। प्रौद्योगिकी भारत सरकार की जीईएम योजना के तहत सूचीबद्ध है और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को साकार करने में मदद कर रही है,’ अरविंद राजपूत, एमडी, भोर इंजीनियरिंग, पुणे ने कहा।
उल्लेखनीय है कि विजन इकोलोजिका, टैकनेक्स्ट, पेसिफिक लेबोरेट्रीज, अल-फुट्टेइम एक्सोवा, जो इस टैक्नीक के वैज्ञानिक मानकों के लिए एनालिटिकल डेटा उपलब्ध कराने वाले प्रसिद्ध संगठन हैं, ने अपनी रिपोर्ट में प्रमाणित किया है कि यह प्रौद्योगिकी इकोलॉजिक रूप से उपयुक्त है और इसका सी:एन अनुपात 20 से कम है। साथ ही यह अन्य मानकों पर भी खरी उतरती है।
‘मशीनों की क्षमता दो डिवीजनों में 2 किग्रा से लेकर 1000 किग्रा तक में वर्गीकृत है, जो कचरे को क्रमश: 4 से 20 घंटे के अंदर कंपोस्ट में परिवर्तित कर देती हैं। खाद गंध रहित, मीथेन गैस मुक्त और पर्यावरण के अनुकूल होती है,’ अमनप्रीत कौर मंगत, एमडी, रेनेविक मोहाली ने कहा।
यह मशीन घरों, होटलों, स्कूलों, अस्पतालों, खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों से निकले जैविक कचरे को 4 घंटे में विघटित कर सकती है। प्रौद्योगिकी की इको फ्रेंडली और यूजर फ्रेंडली विशेषताओं को देखते हुए ही मोहाली नगर निगम ने निर्माताओं को मशीन के ऑर्डर दिये हैं।
‘यह इलेक्ट्रॉनिक मशीन अपशिष्ट प्रबंधन के खतरनाक मुद्दे से निपटने के लिए एक हथियार है और अब हमारा फोकस कचरा प्रबंधन की समस्या को दूर करने में मदद के लिए उत्तर भारत, मुख्य रूप से चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर क्षेत्र पर रहेगा,’अरविंद राजपूत ने बताया।
‘भारत में हर रोज 1,00,000 मीट्रिक टन कचरा पैदा होता है और अगर हम इस क्षेत्र को देखते हैं तो हरियाणा के गुरुग्राम और फरीदाबाद में रोजाना 1600 टन कचरा पैदा होता है। साफ-सफाई को जमीनी स्तर से जोडऩे की जरूरत है। अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी वाली इन मशीनों से नगर निगमों काबोझ कम होगा और घरेलू कचरे को निपटाने में भी ये मशीनें बहुत कारगर साबित होंगी,’ रेनेविक मोहाली की डायरेक्टर,परमप्रीत कौर ने कहा।
सरकारी कार्यालयों, आवास समितियों, कॉलेजों और ट्राइसिटी के अस्पतालो से जो बायो डिग्रेडिबल कचरा निकलता है, उसके निपटान के लिए इस ब्रांड न्यू समाधान को अपनाये जाने की धीरे धीरे शुरुआत हो रही है।
‘ये मशीनें कृषि क्षेत्र के लिए वरदान हैं। कम्पोस्ट को कृषि क्षेत्र में खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, जहां यह रासायनिक उर्वरकों का स्थान ले सकता है और स्वस्थ भोजन के उत्पादन के लिए अच्छा साबित हो सकता है। साथ ही अपशिष्ट फसलों को भी खाद में परिवर्तित किया जा सकता है और इस्तेमाल किया जा सकता है। खाद के रूप में प्रयोग होने से बेकार फसलों को जलाना नहीं पड़ेगा जिससे प्रदूषण नहीं होगा। न केवल यह, हमारे पास एक मशीन ऐसी भी है जो कचरे को पानी में परिवर्तित कर सकती है, जिसका उपयोग सिंचाई और अन्य कृषि प्रयोजनों के लिए किया जा सकता है,’ अमनप्रीत कौर ने कहा।
यह प्रौद्योगिकी शहरी भारत के कचरा प्रबंधन के संकट का समाधान हो सकती है। इसे न केवल पूरे भारत में नगर पालिकाओं द्वारा अपनाया गया है, बल्कि आवास समितियों को भी इससे फायदा हुआ है। ऐसा लगता है कि पीएम मोदी की स्वच्छ भारत दृष्टि को आखिरकार ऐसी तकनीक मिली है जो बेहद कारगर है।