डब्ल्यूएचओ के प्रमुख Tedros Adhanom Ghebreyesus ने कहा कि वह महीनों से नस्लवादी टिप्पणियों और मौत की धमकियों का शिकार थे।
लेकिन राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने कहा कि ताइवान ने किसी भी तरह के भेदभाव का विरोध किया, और डॉ। टेड्रोस को द्वीप पर जाने के लिए आमंत्रित किया।
ताइवान ने कहा कि कोरोनोवायरस फैलने के बाद इसे महत्वपूर्ण जानकारी तक पहुंच से वंचित कर दिया गया। WHO इसे खारिज करता है।
चीन की आपत्तियों के कारण ताइवान को WHO, संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी की सदस्यता से बाहर रखा गया है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ताइवान को एक टूटता प्रांत मानती है और आवश्यकता पड़ने पर बल द्वारा उसे लेने के अधिकार का दावा करती है।
WHO की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भी आलोचना की गई है, जिन्होंने एजेंसी को अमेरिकी धन वापस लेने की धमकी दी है।
क्या कहा जा रहा है?
डॉ. टेड्रोस ने कहा कि वह पिछले दो से तीन महीनों से नस्लवादी टिप्पणियों के शिकार थे।
“मुझे काला या नीग्रो नाम देना,” उन्होंने कहा। “मुझे काले होने पर गर्व है, या नीग्रो होने पर गर्व है।”
कोरोनोवायरस लड़ाई के दिल में इथियोपिया
कोरोनावायरस: अमेरिका में चीजें गलत हो गई हैं – और सही हो गई हैं इसके बाद उन्होंने कहा कि उन्हें जान से मारने की धमकी मिली है, “मैं कोई ध्याननहीं देता।”
डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा कि दुरुपयोग ताइवान से हुआ था, “और विदेश मंत्रालय ने खुद को इससे अलग नहीं किया”।
लेकिन सुश्री त्साई ने कहा कि ताइवान भेदभाव का विरोध कर रहा था।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने उनके हवाले से कहा, “वर्षों से, हमें अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से बाहर रखा गया है, और हम किसी और से बेहतर जानते हैं कि यह किसके खिलाफ भेदभाव और अलग-थलग करने जैसा है।”
“यदि महानिदेशक टेड्रोस चीन के दबाव का सामना कर सकते हैं और ताइवान में खुद के लिए कोविद -19 से लड़ने के ताइवान के प्रयासों को देखने के लिए आते हैं, तो वह यह देख पाएंगे कि ताइवान के लोग अनुचित उपचार के सच्चे शिकार हैं।”
ताइवान के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता जोआन ओउ ने कहा कि टिप्पणियां “गैर जिम्मेदाराना” थीं और आरोप “काल्पनिक” थे। समाचार एजेंसी एएफपी ने बताया कि मंत्रालय ने कहा कि वह “बदनामी” के लिए माफी मांग रहा है।
संवाददाताओं का कहना है कि ताइवान वायरस को रोकने के अपने उपायों पर गर्व कर रहा है, जिसमें अभी तक केवल 380 मामले और पांच मौतें हैं।
पिछले महीने, डब्ल्यूएचओ ने कहा कि यह ताइवान में वायरस की प्रगति की निगरानी कर रहा था और इसके प्रयासों से सबक सीख रहा था।
अमेरिका के साथ विवाद के बारे में क्या?
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने ट्रम्प से जंग जारी रखी है, जो डब्ल्यूएचओ पर “बहुत चीन-केंद्रित” होने का आरोप लगाते हैं और फंडिंग समाप्त की धमकी देते है।
बुधवार को बोलते हुए, महानिदेशक टेड्रोस एडहोम घेबियस ने डब्ल्यूएचओ के काम का बचाव किया और कोविद -19 के राजनीतिकरण को समाप्त करने का आह्वान किया।
यह बीमारी पहली बार पिछले दिसंबर में चीनी शहर वुहान में सामने आई थी, जिसमें 11 सप्ताह का लॉकडाउन खत्म हुआ था। डब्ल्यूएचओ प्रमुख के एक सलाहकार ने पहले कहा था कि चीन के साथ उनके करीबियों (WHO) की ज़िम्मेदारी इस बीमारी को शुरुआती दौर में समझने की बनती थी जिसमें वह नाकामयाब रहे थे।
टेड्रोस का मानना है कि डब्ल्यूएचओ पर ट्रम्प के हमले अपने स्वयं के प्रशासन की महामारी से निपटने की असमर्थता के संदर्भ में आते हैं, विशेष रूप से अमेरिकी परीक्षण के साथ शुरुआती समस्याएं।
डब्ल्यूएचओ ने जनवरी में एक कोरोनोवायरस परीक्षण को मंजूरी दी थी – लेकिन अमेरिका ने इसका उपयोग करने के बजाय अपने स्वयं के परीक्षण का विकास करने का फैसला किया। हालांकि, फरवरी में, जब परीक्षण किटों को हटा दिया गया, तो उनमें से कुछ ने ठीक से काम नहीं किया, और अनिर्णायक परिणामों का नेतृत्व किया।
सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि देरी ने वायरस को अमेरिका के भीतर फैलने में सक्षम बना दिया।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने पहले डब्ल्यूएचओ की रक्षा के लिए अपनी आवाज उठाई थी। उन्होंने प्रकोप को “अभूतपूर्व” बताया और कहा कि यह कैसे संभाला जाए इसका कोई भी आकलन भविष्य के लिए एक मुद्दा होना चाहिए।
डॉ॰ टेड्रोस को अफ्रीकी संघ से भी समर्थन मिला है, वर्तमान अध्यक्ष और दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने “एकजुटता, उद्देश्य की एकता और बेहतर समन्वय सुनिश्चित करने के लिए आह्वान किया है कि हम इस असामान्य दुश्मन को दूर करने में सक्षम हैं”।
“हमें दोषारोपण के प्रलोभन से बचना चाहिए,” उन्होंने कहा।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/04/https___s3-ap-northeast-1.amazonaws.com_psh-ex-ftnikkei-3937bb4_images_9_8_3_4_24744389-1-eng-GB_skipping-to-Xi.jpg10121800Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-04-10 11:14:392020-04-10 11:22:08क्या WHO चीन के निर्देशों की पालना करता है???
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तो लगातार WHO की खिंचाई कर रहे हैं. पहले उन्होंने WHO की फंडिंग रोकने की धमकी दी, फिर ये कहा कि WHO को अपनी प्राथमिकताएं तय करनी होंगी. ये बात बिल्कुल सही है, क्योंकि कोरोना वायरस से लड़ाई में WHO ने लगातार गलत फैसले लिए. और ये ऐसे फैसले थे, जिनकी वजह से चीन का बचाव हो रहा था.
चंडीगढ़, 10 अप्रैल :
कोरोना वायरस को लेकर पूरी दुनिया का गुस्सा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) पर निकल रहा है क्योंकि WHO एक वैश्विक संगठन के रूप में पूरी तरह से फेल हुआ है. आरोप यही लग रहे हैं कि WHO सिर्फ चीन की बात सुनता है. इसलिए दूसरे देशों ने भी तय कर लिया कि वो WHO की बात नहीं सुनेंगे. भारत का ही उदाहरण लीजिए. 30 जनवरी को WHO के महानिदेशक ने कहा था कि WHO चीन पर यात्रा प्रतिबंध लगाने की सिफारिश नहीं करेगा. इसके तीन दिन बाद ही भारत ने अपने नागरिकों को चीन की यात्रा ना करने की सलाह दी थी.
16 मार्च को WHO के महानिदेशक ने कहा कि कोरोना से लड़ने का मंत्र है- Test, Test और Test, लेकिन 22 मार्च को भारत ने साफ कर दिया कि बिना देखे सुने Testing नहीं होगी. कोरोना से लड़ने का एक ही मंत्र है- Isolation, Isolation और isolation.
WHO ने कोरोना मरीजों के इलाज के लिए गाइडलाइंस में कहां कि वो किसी विशेष दवा की सिफारिश नहीं करता, क्योंकि किसी कारगर दवा के सबूत नहीं है. लेकिन भारत ने प्रयोग के तौर पर दो antivirus का इस्तेमाल करने को कहा और इसके बाद इसकी जगह पर hydroxy-chloroquine और antibiotic azithromycin का इस्तेमाल करना शुरू किया. इन दोनों दवाओं का प्रयोग किस तरह से सफल रहा, इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आज दुनिया के बड़े-बड़े देश भारत से hydroxy-chloroquine मांग रहे हैं.
Hydroxy-chloroquine दवा के निर्यात की मंजूरी देने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बार-बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद कर रहे हैं. ट्रंप ने Tweet करके कहा कि इस मदद को वो कभी भुला नहीं पाएंगे. ट्रंप ने लिखा कि चुनौतीपूर्ण वक्त में दोस्तों के बीच करीबी सहयोग की ज़रूरत होती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व से ना सिर्फ भारत बल्कि पूरी मानवता की सेवा हो रही है. इस पर प्रधानमंत्री मोदी ने भी जवाब दिया और कहा कि मानवता की सेवा के लिए भारत कुछ भी करेगा. ब्राज़ील के राष्ट्रपति ने तो अपने राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत का शुक्रिया कहा है.
अमेरिका भी कर रहा खिंचाई
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तो लगातार WHO की खिंचाई कर रहे हैं. पहले उन्होंने WHO की फंडिंग रोकने की धमकी दी, फिर ये कहा कि WHO को अपनी प्राथमिकताएं तय करनी होंगी. ये बात बिल्कुल सही है, क्योंकि कोरोना वायरस से लड़ाई में WHO ने लगातार गलत फैसले लिए. और ये ऐसे फैसले थे, जिनकी वजह से चीन का बचाव हो रहा था.
चीन में कोरोना संक्रमण के शुरुआती मामले दिसंबर में ही आ गए थे, लेकिन WHO ने कोई जांच नहीं की. 14 जनवरी को WHO ने यहां तक कह दिया कि इस वायरस का इंसान से इंसान में संक्रमण होने का कोई सबूत नहीं है.
24 जनवरी को WHO ने इस वायरस पर ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा तो की लेकिन यात्राओं पर तुरंत प्रतिबंध लगाने की कोई सिफारिश नहीं की. सिर्फ यही नहीं WHO कह रहा था कि यात्रा प्रतिबंध लगाना सही नहीं है. 27 जनवरी को वायरस 13 देशों में फैल चुका था, लेकिन WHO का पूरा फोकस चीन पर ही था. इस वक्त तक भी WHO कोरोना वायरस को महामारी मानने से इनकार करता रहा.
27 जनवरी को ही Wuhan के मेयर ने एक इंटरव्यू में ये बात स्वीकार की थी कि कोरोना से जुड़ी अहम जानकारियों को बताने में देरी नहीं करनी चाहिए. जानकारियां जल्दी-जल्दी दी जानी चाहिए. ये वो वक्त था जब WHO के महानिदेशक खुद चीन के दौरे पर गए थे और वहां जाकर कोरोना वायरस से लड़ाई में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की तारीफ कर रहे थे.
30 जनवरी को WHO ने इसे ग्लोबल इमरजेंसी घोषित किया. लेकिन WHO को इस वक्त भी ध्यान नहीं आया कि इसे महामारी घोषित करना चाहिए. आखिरकार 11 मार्च को इसे महामारी घोषित किया गया.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/04/tedrosarticleimage-1160x1216-1.jpg12161160Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-04-10 10:42:082020-04-10 10:42:29क्या WHO एक वैश्विक संगठन के रूप में पूरी तरह से असफल रहा है
मल्टीनेशनल कंपनियां अपनी सप्लाई चेन का रिस्क कम करने के लिए भी चीन के बजाय भारत जैसे ठिकानों की ओर रूख कर सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में मेक इन इंडिया को लॉन्च करते वक्त ग्लोबल कंपनियों से कहा था, ‘आइए, भारत में सामान बनाइए। आप इसे कहीं भी बेचिए लेकिन बनाइए हमारे यहां।’ अगर उनका यह ख्वाब पूरा होता है तो देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर और ग्रोथ को तो पंख लगेंगे ही, इससे जॉबलेस ग्रोथ की शिकायत भी दूर हो सकती है।
दुनिया के तमाम देशों में कोरोना वायरस के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने कहा कि सात औद्योगिक शक्तियों के समूह के विदेश मंत्रियों ने इस बात पर सहमति व्यक्त कि चीन कोरोना वायरस महामारी के बारे में एक ‘‘गलत सूचना’’ अभियान चला रहा है। जी-7 में कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूके, यूएस जैसे सात देश और यूरोपियन यूनियन शामिल हैं। कोरोना से लड़ने के लिए इन्होंने जो प्रण लिए हैं, उसमें चीन का कहीं ज़िक्र तक नहीं है और चीन को पूरी तरह नकार दिया गया है। इसके उत्तर में चीन ने भी जी-7 के इन कदमों को निराशाजनक बताया है।
चंडीगढ़ :
दुनिया में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या दस लाख के पार कर गई, 51 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। 780 करोड़ की आबादी वाली दुनिया में ये आंकड़ा कितना बड़ा है। दुनिया की एक तिहाई आबादी लाकडाउन में है। लेकिन जहां से ये महामारी शुरू हुई वो देश रिकवरी मोड में है, काम धंधा शुरू हो गया है और वायरस का केंद्र रहे वुहान और इसका जंगली जानवरों और जीव-जंतुओं वाला हन्नान सी-फूड मार्केट भी खुल गया। ऐसे में बहुत सारे सवाल हैं, जैसे कि कोरोना ने चीन का मैन्युफैक्चरिंग किंग वाला तमगा छीन लिया और अब लोग चीनी सामान से किनारा करने लगेंगे? क्या चीन ने कोरोना तैयार किया है? क्या यूरोप और अमेरिका की इकोनामी को ढहाने के लिए चीन ने कोरोना को हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया है? भारत के लोगों के पास कैसे कोरोना से लड़ने के लिए है यूनिक ताकत इसकी भी बात करेंगे। साथ ही हम देश दुनिया में चीन के मेक ओवर वाली खबरों और मीडिया में चलाए जा रहे एजेंडे को भी एक्सपोज करेंगे।
मेड इन चाइना वायरस
एक देश की नासमझी कैसे इस वक्त पूरी दुनिया भुगत रही है, ये कोरोना वायरस के संकट ने बता दिया है। आपने मेड इन चाइना प्रोडक्ट्स के बारे में बहुत सुना होगा और इसका इस्तेमाल भी किया होगा। मेड इन चाइना वायरस के बारे में अब पहली बार आपको पता चल रहा है। कोरोना वायरस को मेड इन चाइना वायरस या चीनी वायरस कहने पर चीन को बुरा जरूर लग जाता है। लेकिन सच्चाई यही है कि दुनिया में जो ये संकट बना है वो मेड इन चाना वायरस की वजह से ही है।
चीन के बड़े झूठ
· चीन ने हफ्तों तक इस वायरस की अनदेखी की। · फिर वायरस के बारे में बताने वालों का मुंह बंद किया। · चीन ने कोरोना संक्रमित मरीजों के टेस्ट सैंपल नष्ट कर दिए। · दुनिया को वास्तविक हालात के बारे में लगातार झूठ बोला। · कोरोना वायरस का पहला केस चीन में 17 नवंबर को ही आ गया था। लेकिन चीन के अधिकारियों ने दिसंबर के अंत तक इस मामले को छुपाए रखा। · पहली बार चेतावनी देने वाले 29 वर्षीय डॉक्टर ली बेनिलियांग के आवाज को दबा दिया। बाद में बेनिलियांग की कोरोना से मौत हो गई।
चीन ने जानबूझकर कोरोना तो नहीं फैलाया?
चीन ने जानबूझकर कोरोना तो नहीं फैलाया, ताकी पूरी दुनिया इससे परेशान हो जाए और फिर चीन अपनी फैक्ट्रियों में कोरोना से बचने की चीजें बनाए और दुनिया पर कब्जा कर ले। ऐसी कई थ्योरी चल रही हैं।
चीन और उसके जैविक हथियार
चीन पूरी दुनिया में अपने खतरनाक वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए जाना जाता है और इसलिए कोरोना वायरस को जैविक हथियार के तौर पर लैब में निर्मित करने की आशंकाओं से इनकार नहीं किया जा सकता। इजरायल के एक जैविक हथियार विश्लेषक डैनी सोहम से बातचीत के आधार पर वॉशिंगटन पोस्ट ने एक हैरान करने वाला दावा किया था। वॉशिंगटन पोस्ट में दावा किया, ‘वुहान शहर में जैविक हथियार तैयार करने की गोपनीय परियोजना है। जहां इजरायली सेना के पूर्व खुफिया अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल डैनी सोहम ने चीन के जैविक हथियार को लेकर काफी काम किया है। दावा है कि चीन के जैविक हथियार का केंद्र है वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी। जहां मारक विषाणुओं पर काफी काम होता है। ये तमाम प्रयोगशाला जनसंहार के हथियार विकसित करने का काम करती है। यह लैब नवंबर 2018 में शुरू हुई थी और इसे बेहद गोपनीय श्रेणी में रखा गया था।
कोरोना का वुहान कनेक्शन
इन दिनों सोशल मीडिया पर एक सात मिनट का वीडियो काफी वायरल हो रहा है जिसमें, चीन के वायरॉलजिस्ट पहाड़ों पर जंगली चमगादड़ पकड़ते दिख रहे हैं। वुहान जहां से कोरोना वायरस के फैलने की बात हो रही है वहां के डिसीज कंट्रोल अथॉरिटी के रिसर्चर तियान जुनहुआ को इस वीडियो में देखा जा सकता है। तियान हुवेई प्रांत की कई गुफाओं में जाते दिखते हैं और उड़ने वाले जानवरों को पकड़ते दिख रहे हैं। इस डॉक्युमेंट्री ने उन अटकलों को हवा दी है जिसमें कहा गया था कि यह वायरस मानवजनित है। ये वीडियो चाइना साइंस कम्युनिकेशन वेबसाइट द्वारा प्रॉड्यूस किया गया है।
भारतीयों में है यूनिक ताकत
इस वक्त दुनिया के साथ-साथ भारत भी कोरोना से लड़ने में लगा है। लेकिन विश्व और मानवता के लिए सबसे बड़े संकट काल के महाभारत में भारत के लोगों के पास युद्ध की काबिलियत बेहद ज्यादा है। यह बात हम नहीं कह रहे, बल्कि राहत पहुंचाने वाला यह तथ्य वैज्ञानिकों के ताजा शोध में उजागर हुआ है। शोधकर्ताओं का दावा है कि भारतीयों में एक विशिष्ट और विरला माइक्रो आरएनए मौजूद है। यह वंशानुगत आरएनए (राइबो न्यूक्लिक एसिड) अन्य देशों के लोगों में नहीं पाया जाता है। इसमें कोरोना वायरस की तीव्रता को मंद करने की ताकत है। दिलचस्प बात यह कि मौजूदा कोरोना वायरस भी आरएनए वायरस है।
किसने की है खोज
अब चूंकि इस खोज ने सारी दुनिया को हैरत में डाल दिया तो आखिर इसकी खोज किसने की ये सवाल उठना मौजूं है। दरअसल, इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियिरंग एंड बायो टेक्नोलॉजी दिल्ली की टीम की ओर से कोरोना सार्स-टू पर यह शोध किया गया। इसमें डॉ. दिनेश गुप्ता के नेतृत्व में चार एक्सपर्ट ने पांच देशों के कोरोना मरीजों पर स्टडी की। 21 मार्च को ऑनलाइन जनरल में प्रकाशित रिसर्च पेपर संकट की इस घड़ी में भारतीयों के लिए उम्मीद जगा रहा है। केजीएमयू की डॉ. शीतल वर्मा के अनुसार इटली, चीन, भारत, अमेरिका और नेपाल के लोगों पर ये रिसर्च किया। एचएसए-एमआइआर-27-बी नामक यह माइक्रो आरएनए अन्य देशों के मरीजों में नहीं मिला। शोध में पता चला कि भारतीयों में मौजूद ये विशेष माइक्रो आरएनए उस वायरस को म्यूटेंट कर देता है जिससे वायरस की क्षमता दूसरे देशों के लोगों की अपेक्षा कम हो जाती है।
दुनिया ने माना चीन को दोषी
दुनिया के तमाम देशों में कोरोना वायरस के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने कहा कि सात औद्योगिक शक्तियों के समूह के विदेश मंत्रियों ने इस बात पर सहमति व्यक्त कि चीन कोरोना वायरस महामारी के बारे में एक ‘‘गलत सूचना’’ अभियान चला रहा है। जी-7 में कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूके, यूएस जैसे सात देश और यूरोपियन यूनियन शामिल हैं। कोरोना से लड़ने के लिए इन्होंने जो प्रण लिए हैं, उसमें चीन का कहीं ज़िक्र तक नहीं है और चीन को पूरी तरह नकार दिया गया है। इसके उत्तर में चीन ने भी जी-7 के इन कदमों को निराशाजनक बताया है।
बर्बाद हुई चीन की अर्थव्यवस्था
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बेल्ट एंड रोड एनिशिएटिव प्रॉजेक्ट ( BRI ) को दुनिया के बड़े हिस्से में वर्चस्व के रूप में देखा जा रहा था। लेकिन कोरोना वायरस ने इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को जमीन पर ला दिया है। इस खर्चीले प्रॉजेक्ट के मंद पडऩे से चीन के अरबों डॉलर डूबने को जोखिम पैदा हो गया है। कोरोना वायरस के संक्रमण से चीन की अर्थव्यवस्था अब पस्त नजर आने लगी है। इस बात की पुष्टि चीन के मैन्युफैक्चरिंग आंकड़े करते हैं। दरअसल, फरवरी में चीन में मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियां रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गईं। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक चीन का खरीद प्रबंध सूचकांक (पीएमआई) फरवरी में गिरकर 35.7 पर आ गया। इस सूचकांक का 50 से नीचे रहना यह बताता है कि कारखाना उत्पादन घट रहा है।
कोरोना वायरस और इसको लेकर बोले गए झूठ की वजह से संदेहास्पद चीन से दुनिया की दूरी की ओर बढ़ते कदमों के बीच भारत के पास मैन्युफैक्चरिंग ताकत बनने का मौका है। जापान और चीन पहले यह करिश्मा कर चुके हैं। अब इसको दोहराने की बारी एशिया की तीसरी बड़ी इकॉनमी भारत की है।
मेक इन इंडिया
मल्टीनेशनल कंपनियां अपनी सप्लाई चेन का रिस्क कम करने के लिए भी चीन के बजाय भारत जैसे ठिकानों की ओर रूख कर सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में मेक इन इंडिया को लॉन्च करते वक्त ग्लोबल कंपनियों से कहा था, ‘आइए, भारत में सामान बनाइए। आप इसे कहीं भी बेचिए लेकिन बनाइए हमारे यहां।’ अगर उनका यह ख्वाब पूरा होता है तो देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर और ग्रोथ को तो पंख लगेंगे ही, इससे जॉबलेस ग्रोथ की शिकायत भी दूर हो सकती है।
महामारी फैलाने के बाद इमेज मेकओवर प्लान
पिछले छह सालों में चीन ने दुनिया के मीडिया को इन्फ्लूयेंस करने में 6 बिलियन डालर खर्च किए हैं, जिसके तहत तमाम मीडिया संस्थानों में मीडिया के शेयर्स खरीदें गए हैं और संस्थानों को विज्ञापन दी है और कुछ पत्रकारों को पैसे दिए ताकि वो चीन के नेरेटिव को आगे बढ़ाते रहे।
चीन की इमेज बिल्डिंग का प्लान
चीन का कोरोना वायरस से कोई लेना-देना नहीं।
दुनिया के सामने दिखाना कि पूरी दुनिया में हाहाकार मचाने वाली इस बीमारी को चीन ने कैसे कितनी आसानी से काबू में कर लिया।
खुद को सुपर पावर लीडर दर्शाना और सेवियर, महानायक की भूमिका में दिखाना।
दुनिया के तमाम देशों और भारत में भी चीन ने पिछले कुछ वर्षों में 6 बिलियन डालर खर्च किए हैं। कैनबरा में स्थित एक स्वतंत्र गैर-लाभकारी अनुसंधान संगठन, चीन नीति केंद्र के निदेशक, एडम नी ने चीन के प्रोपोगेंडा यूनिट और नैरेटिव कैंपेन को लेकर बड़ा खुलाया किया है। उन्होंने बताया कि कैसे चीन ने शुरुआत में वायरस को लेकर जानकारी छुपाई। चीन की काम्यूनिस्ट पार्टी अब वायरस के बारे में अपने खुद के प्रोपोगेंडा को प्लांट करने में लगा है और इस वायरस पर काबू पाने की अपनी उपल्ब्धियों को गिनाने के साथ वायरस की उत्पत्ति यूएस में होने जैसे नैरेटिव सेट करने की कोशिश में है।
तो आपको भी देश-दुनिया में चीन के हालात पर काबू पाने की हीरो वाली कहानी या फिर अन्य देशों को मदद पहुंचाने वाले मसीहा टाइप की खबरें देखने को मिले तो आप आसानी से इसे आइडेंटिफाई कर सकते हैं कि इसे प्लांट किया गया है और चीन को सुपर पावर और शक्तिशाली मुल्क होने के तौर पर उभारने और उसकी करतूतों पर पर्दा डालने के इरादे से पैसों के दम पर दिखाया गया एजेंडा मात्र है। तो खबरें पढ़े और देखें लेकिन किसी एजेंडा का शिकार होने से बचें। कुल मिलाकर, अनिश्चितता से भरे इस समय में आपको यही कह सकते हैं कि थोड़ा रूकिए। जिन बातों की आप कहीं से भी पुष्टि नहीं कर सकते हैं, इसे शेयर करने से पहले ठहरिए। तब तक रूकिए, जब तक कि आपके भरोसेमंद माध्यम के जरिए सच आपके हाथों के क्लिक तक न पहुंच जाए।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/04/012720opvidvirus3_960x540.jpg540960Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-04-09 13:10:322020-04-09 13:17:25क्या भारत अब विश्व का मैन्युफैक्चरिंग हब बनेगा?
अमेरिका में कोरोना वायरस का खतरा लगातार गहराता जा रहा है। हर दिन मौत के आंकड़ों में इजाफा हो रहा है और यह संख्या 12 हजार पार कर गई है। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO पर चीन केंद्रित होने का आरोप लगाकर फंडिंग रोकने की धमकी दी है। राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि वे WHO की फंड रोकने जा रहे हैं।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन को अमेरिका से बड़ी मात्रा में धन प्राप्त होता है, उन्होंने मेरे द्वारा लगाये गये यात्रा प्रतिबंध की आलोचना की और असहमती जताई। वे बहुत सारी चीजों के बारे में गलत थे। वे बहुत चीन-केंद्रित लगते हैं। हम डब्ल्यूएचओ पर खर्च होने वाली रकम पर रोक लगाने जा रहे हैं।
राष्ट्रपति ट्रंप ने व्हाइट हाउस में कोरोना वायरस पर डेली ब्रीफिंग के दौरान कहा कि हम डब्ल्यूएचओ पर बहुत ही शक्तिशाली रोक लगाने जा रहे हैं और हम इसे देखने वाले हैं। हालांकि, बाद में उन्होंने मीडिया के सवाल के जवाब में अपनी ही बात का एक तरह से खंडन कर दिया और कहा कि, ‘नहीं, मैंने ऐसा नहीं कहा। मैंने कहा कि मैं इसे देखता हूं।’
ट्रंप ने व्हाइट हाउस में कोरोना वायरस पर डेली ब्रीफिंग के दौरान ये बातें कही. उन्होंने कहा, ‘हम डब्ल्यूएचओ पर बहुत ही शक्तिशाली रोक लगाने जा रहे हैं और हम इसे देखने वाले हैं.अगर यह काम करता है तो बहुत अच्छी बात होती, लेकिन जब वे हर कदम को गलत कहते हैं तो यह अच्छा नहीं है.’ बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन का मुख्यालय स्विटजरलैंड के जिनेवा में स्थित है और उसे अमेरिका मोटी फंडिंग करता है.
ट्रंप ने कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए चीन से आने वाले विमानों पर रोक लगाने का जिक्र भी किया. उन्होंने पूछा कि WHO ने इस तरह की दोषपूर्ण सिफारिश क्यों की है? उन्होंने कहा कि सौभाग्य से मैंने चीन से अपनी सीमाएं जल्द खोलने की उनकी सलाह को खारिज कर दिया.
इससे पहले भी मार्च में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) पर कोरोनो वायरस संकट को लेकर चीन का पक्ष लेने का आरोप लगाया था। ट्रंप ने उस वक्त दावा किया था कि वैश्विक स्वास्थ्य एजेंसी के इस रवैये को लेकर कई लोग नाराज हैं और महसूस कर रहे हैं कि ‘यह बिल्कुल ठीक नहीं है।’
उन्होंने कहा, ‘हम उन्हें 5.8 करोड़ डॉलर से अधिक की धनराशि देते हैं. इतने वर्षों में उन्हें जो पैसा दिया गया है उसके मुकाबले 5.8 करोड़ डॉलर छोटा-सा हिस्सा हैं. कई बार उन्हें इससे कहीं ज्यादा मिलता है.’
अमेरिका में कोरोना से मौत पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का खतरा बढ़ता जा रहा है। अमेरिका में कोरोना वायरस का हर दिन एक नया तांडव देखने को मिल रहा है। अमेरिका में पिछले 24 घंटों में कोरोना वायरस कोविड-19 महामारी से करीब 2000 लोगों की मौत हुई है। यह जानकारी जॉन होपकिंस यूनिवर्सिटी ने दी है। इस तरह से अमेरिका में कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ से मरने वालों की संख्या बढ़कर 12021 हो गई है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/05/trump_reuters_051319091743.jpg555600Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-04-08 04:51:182020-04-08 04:52:15डबल्यूएचओ का चीन के प्रति नरम रुख अपनाने पर ट्रम्प नाराज़ दी अनुदान रोकने की धमकी
पूरे विश्व में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 13 लाख 34 हजार 9 हुई
24 घंटे में कोरोना ने 4 हजार से ज्यादा लोगों की जान ली, संख्या पहुंची 74 हजार 90
कोरोना वायरस से पीड़ित ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की हालत बिगड़ी
55 वर्षीय बोरिस जॉनसन सेंट थॉमस अस्पताल के आईसीयू में भर्ती
विदेश मंत्री डोमिनिक राब ने अस्थायी तौर पर कार्यभार संभाला
10 डाउनिंग स्ट्रीट के प्रवक्ता ने जॉनसन के आईसीयू में भर्ती होने की पुष्टि की
लंदन:
कोरोना वायरस से संक्रमित ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की हालत बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल के आईसीयू में ट्रांसफर कर दिया गया. डाउनिंग स्ट्रीट ने सोमवार को यह जानकारी दी.
बता दें कि 55 साल के बोरिस जॉनसन को लंदन के सेंट थॉमस अस्पताल के आईसीयू में भर्ती किया गया. इसके बाद यूनाइटेड किंगडम के विदेश मंत्री डोमिनिक राब ने अस्थायी तौर पर कार्यभार संभाल लिया है. 10 डाउनिंग स्ट्रीट के प्रवक्ता ने कहा, “आज दोपहर प्रधानमंत्री की हालत बिगड़ गई जिसके बाद डॉक्टरों की सलाह पर उन्हें अस्पताल के आईसीयू में भर्ती किया गया है.”
पीएम मोदी ने की बोरिस जॉनसन के जल्दी स्वस्थ होने की कामना की
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने COVID-19 के कारण अस्पताल में भर्ती यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के जल्दी स्वस्थ होने की सोमवार को कामना की.
मोदी ने ट्वीट किया, “प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन, उम्मीद है कि आपको जल्द अस्पताल से छुट्टी मिलेगी और आप पहले की तरह स्वस्थ हो जाएंगे.”
बता दें कि जॉनसन ने ट्वीट किया था कि चिकित्सक की सलाह पर वह कुछ टेस्ट कराने अस्पताल गए थे क्योंकि उनमें कोरोना वायरस संक्रमण के लक्षण दिखाई दे रहे थे. उन्होंने कहा, ‘मैं ठीक हूं और अपनी टीम के संपर्क में हूं. हम इस वायरस से लड़ने और सबको सुरक्षित रखने के लिए मिल कर काम कर रहे हैं.’
ब्रिटेन में मरने वालों का आंकड़ा 5000 के पार
ब्रिटेन में कोरोना वायरस के कारण संक्रमित हुए लोगों में से अब तक पांच हजार से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. सोमवार को जारी आधिकारिक आंकड़े में इस बीमारी से 439 और लोगों की मौत की बात कही गई है.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक ट्वीट में कहा, ‘पांच अप्रैल को शाम पांच बजे तक ब्रिटेन में कोरोना वायरस से संक्रमण के बाद अस्पताल में भर्ती कराए गए मरीजों में से 5,373 लोगों की मौत हो चुकी है.’
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/04/Boris-Johnson.jpg583875Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-04-07 02:33:442020-04-07 02:34:02ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन सेंट थॉमस अस्पताल के आईसीयू में भर्ती
मोदी के राष्ट्रव्यापी आव्हान ” जो जहां है वहीं रहे” के पश्चात, शाहीन बाग और मोदी शाह विरोध की राजनीति की बदौलत दिल्ली के मुख्य मंत्री बने केजरीवाल लाखों मजदूरों को पूर्वी दिल्ली के बार्डर पर बसों में लाद कर छोड़ देते हैं वहीं तबलिगी जमात में बिना स्वास्थ्य जांच के 3400 लोगों को रहने देते हैं। जिनमें से कई कोरोना वाइरस से न केवल संक्रमित मिलते हैं अपितु काइयों की तो मौत का कारण भी यही संक्रामण है। सूत्रों की मानें तो मुख्य मंत्री को तबलिगी जमात की गतिविधियों की पल पल की खबर थी, लेकिन इस जमात के प्रति केजरीवाल के मोह ने एक भयंकर स्थिति उत्पन्न करवा दी है। जहां राष्ट्र एकजुट हो कर इस महामारी से लगभग जीत ही चुका था वहीं अब इस कृत्य ने हमें और भी गहन संकट में दाल दिया है।
कोई धर्म कानून तोड़ने की बात नहीं करता. कोई धर्म देश को धोखा देने के लिए नहीं कहता. कोई धर्म झूठ बोलने के लिए नहीं कहता. लेकिन भारत को कोरोना वायरस के नए खतरे की तरफ धकेलने वाले तबलीगी जमात ने धर्म के नाम पर यही सब किया है. तबलीगी जमात के निजामुद्दीन मरकज से 1548 लोग निकाले गए हैं. इन सभी लोगों को डीटीसी की बसों से दिल्ली के अलग अलग अस्पतालों और क्वारंटाइन सेंटर में ले जाया गया है.
तबलीगी जमात से जुड़े 24 लोग कोरोना पॉजिटिव हैं. दिल्ली में 714 लोग कोरोना के शुरुआती लक्षणों की वजह से अस्पतालों में भर्ती हैं, इनमें 441 लोग तबलीगी जमात के हैं. यानी तबलीगी जमात ने दिल्ली को कोरोना वायरस का हॉटस्पॉट बना दिया. इस जमात से जुड़े करीब 8 लोगों की, देश के अलग अलग हिस्सों में मौत हो चुकी है. अब तक देश भर में जमात से जुड़े 84 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. इनमें दिल्ली के 24, तेलंगाना के 15 और तमिलनाडु के 45 लोग हैं.
तबलीगी जमात से जुड़े हज़ारों लोग देश के अलग अलग हिस्सों में गए हैं. इनकी पहचान करना, इनके संपर्क में आए लोगों की पहचान करना, इन्हें अलग करना . ये बहुत कठिन चुनौती है. तबलीगी जमात के विदेशी और घरेलू प्रचारक, इस जमात के कार्यकर्ता सिर्फ दिल्ली में ही नहीं, लखनऊ, पटना, रांची जैसे शहरों में भी मिले. कई जगहों पर इन्होंने खुद को छुपाया और इन्हें पकड़ने के लिए पुलिस को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. निजामुद्दीन मरकज की सफाई ये है कि पहले जनता कर्फ्यू लगा फिर लॉकडाउन का ऐलान हो गया इसलिए ये लोग यहीं फंसे रह गए. यहां ये बताना ज़रूरी है कि पुलिस के मुताबिक आयोजकों को दो दो बार नोटिस दिया गया था. देश में लगातार सोशल डिस्टेंसिंग की बात हो रही थी. प्रधानमंत्री खुद लगातार ये कह रहे थे कि लोगों को घरों में ही रहना चाहिए. सबको भीड़ से दूर रहना चाहिए. देश ही नहीं पूरी दुनिया में यही बात हो रही थी लेकिन धर्म का चश्मा लगाए इन लोगों को कुछ दिखाई और सुनाई नहीं पड़ा.
21 मार्च को तबलीगी जमात के निजामुद्दीन मरकज में 1746 लोग लोग मौजूद थे. इनमें 216 विदेशी और 1530 भारतीय थे. इसके अलावा तबलीगी जमात के 824 विदेशी प्रचारक देश के अलग अलग हिस्सों में प्रचार के लिए गए थे . इनमें उत्तर प्रदेश में 132, तमिलनाडु में 125, महाराष्ट्र में 115, हरियाणा में 115, तेलंगाना में 82, पश्चिम बंगाल में 70, कर्नाटक में 50, मध्य प्रदेश में 49, झारखंड में 38, आंध्र प्रदेश में 24, राजस्थान में 13 और ओडीशा में 11 विदेशी प्रचारक तबलीगी जमात की गतिविधियों में शामिल थे .
तबलीगी जमात के करीब 2100 भारतीय प्रचारक भी देश के अलग अलग हिस्से में प्रचार करने के लिए गए थे. अलग अलग राज्यों में इन 2100 लोगों की पहचान कर ली गई है. लेकिन सबसे बड़ी चुनौती ये पता लगाना है कि इन लोगों ने पूरे देश में घूम-घूम कर कितने लोगों के लिए खतरा पैदा कर दिया है?
पाबंदियों के बावजूद कार्यक्रम में शामिल हुए लोग
पाबंदियों के बावजूद तबलीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल हुए लोगों ने सिर्फ देश की राजधानी दिल्ली को ही संकट में नहीं डाला है, बल्कि यहां से सैंकड़ों की संख्या में लोग देश के दूसरे हिस्सों में भी पहुंचे और अब उन इलाको में भी इस महामारी के तेज़ी से फैलने का खतरा है. निजामुद्दीन से निकल कर हजारों लोग कैसे देश के अलग अलग हिस्सों में फैल गए ये आपको मैप के जरिए समझना चाहिए.
सबसे बड़ा आंकड़ा तमिलनाडु का है जहां मरकज से लौटने वालों की सख्या 501 है लेकिन ये भी कहा जा रहा है कि तमिलनाडु के 1500 से ज्यादा लोगों ने तबलीगी जमात के कार्यक्रम में हिस्सा लिया था. तमिलनाडु में निजामुद्दीन से लौटे 45 लोगों में कोरोना वायरस की पुष्टि हो चुकी है .
कार्यक्रम से तेलंगाना पहुंचे 15 लोगों में भी संक्रमण की पुष्टि
इस कार्यक्रम से तेलंगाना पहुंचे 15 लोगों में भी संक्रमण की पुष्टि हो गई है . इसके अलावा निजामुद्दीन से असम पहुंचे लोगों की संख्या करीब 216 है, जबकि उत्तर प्रदेश में ये संख्या 156 है . इसके अलावा महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार और हैदाराबाद जैसे इलाकों में भी बड़ी संख्या में ऐसे लोग पिछले दिनों पहुंचे हैं, जिन्होंने निजामुद्दीन के कार्यक्रम में हिस्सा लिया था. बाकी के जो राज्य इससे प्रभावित हुए हैं उन्हें आप मैप पर इस समय देख सकते हैं. लेकिन तबलीगी जमात की वजह से इस महामारी के फैलने का खतरा सिर्फ भारत में ही नहीं है, बल्कि दुनिया के कई देश इससे प्रभावित हो चुके हैं.
माना जाता है कि इसकी शुरुआत पाकिस्तान से हुई थी जहां इसी महीने लाहौर में तबलीगी जमात का एक बड़ा कार्यक्रम हुआ था . इस कार्यक्रम में 80 देशों से आए धर्म प्रचारक शामिल हुए थे और इसमें लाखों लोगों ने हिस्सा लिया था. सूत्रों के मुताबिक इसमें भारत से गए कुछ प्रचारक भी शामिल थे.
इस संस्था ने इस साल फरवरी में मलेशिया में भी एक कार्यक्रम का आयोजन किया था, जिसकी वजह से वहां भी कोरोना के नए मामले तेज़ी बढ़ने लगे थे . पाकिस्तान और मलेशिया के अलावा किर्गिस्तान, गाज़ा, ब्रुनेई और थाइलैंड में भी इस वायरस के तेज़ी से फैलने की बड़ी वजह जमात के कार्यक्रमों को ही माना जा रहा है. कुल मिलाकर निजामुद्दीन इस मामले में भारत का लाहौर साबित हो रहा है और ये इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में अच्छा संकेत नहीं है.
पूरा देश जहां लॉकडाउन की लक्ष्मण रेखा का पालन कर रहा है. अपने अपने घरों में रहकर देश को उस स्टेज में जाने से बचा रहे हैं, जिसमें सामुदायिक संक्रमण होने लगता है और महामारी को रोकना मुश्किल हो जाता है. ऐसे वक्त में इस तरह के लोग अगर धर्म के नाम पर और धर्म के प्रचार के नाम पर भारत को एक बड़े खतरे की तरफ धकेलने में लगे हैं तो ऐसे लोगों पर सवाल उठाने ही चाहिए लेकिन जब ऐसे लोगों पर सवाल उठाए जाते हैं तो एक खास गैंग सवाल उठाने वालों पर ही आरोप लगाने लगता है कि कोरोना के नाम पर ध्रुवीकरण किया जा रहा है. हिंदू-मुसलमान किया जा रहा है. हम ये मानते हैं कि देश के मुसलमान भी कोरोना के खिलाफ लड़ाई में देश के साथ खड़ा है. लेकिन ये मुट्ठी भर लोगों में धार्मिक कट्टरता की ऐसी पट्टी बंधी है जो पट्टी ये लोग उतारना नहीं चाहते, जबकि ये देश का संकटकाल है. पूरी दुनिया पर खतरा है.
कल जब निजामुद्दीन में हज़ारों लोग नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए पकडे गए तब एक खास समुदाय और एक वर्ग मीडिया से नाराज़ हो गया. आपने भी गौर किया होगा आज दिन पर सोशल मीडिया पर Media Virus हैशटैग भी ट्रेंड कर रहा था और ये लोग कह रहे हैं कि मीडिया ने एक वायरस को भी धर्म से जोड़ दिया और ये ठीक नहीं है . यही लोग जब टीवी पर दोबारा से दिखाई जा रही. रामायण का विरोध करते हैं तब क्या ये लोग धर्म निरपेक्षता की मिसाल पेश कर रहे होते हैं ? नहीं, बिल्कुल नहीं. बल्कि सच तो ये है कि ये लोग खुद हर चीज़ को धर्म के चश्मे से देखते हैं और धर्म की आड़ में कानून, नियमों और संविधान की धज्जियां उड़ाना चाहते हैं. क्योंकि इनके मन लॉकडाउन में है जिस पर वैचारिक ताला लटका है.
तबलीगी जमात के लोगों में भारतीय और विदेशी दोनों होते हैं, जो देश भर में पूरे साल प्रचार करते हैं. अलग अलग देशों से तबलीगी जमात के लोग भारत आते हैं और निजामुद्दीन के अपने हेडक्वॉर्टर में रिपोर्ट करते हैं. राज्यों में इनकी धर्म प्रचार की गतिविधियां और कार्यक्रम आयोजित करने के लिए राज्य स्तर और ज़िला स्तर पर लोग होते हैं. निजामुद्दीन मरकज को लेकर एक बड़ा सवाल दिल्ली पुलिस पर भी है क्योंकि तबलीगी जमात का हेडक्वार्टर, निजामुद्दीन पुलिस स्टेशन से सिर्फ 18 मीटर दूर है. इसकी दीवार पुलिस स्टेशन से लगी हुई है. इसलिए सवाल उठ रहा है कि क्या ये दिल्ली पुलिस की लापरवाही है? या फिर इस कार्यक्रम को रोकने की पुलिस की हिम्मत ही नहीं हुई ? पुलिस के मुताबिक उन्होंने कई बार आयोजकों से कहा लेकिन वो माने नहीं.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/04/Ijtimah.jpg600800Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-04-01 04:47:152020-04-01 04:47:41केजरीवाल की तुष्टीकरण नीति बनाम स्वास्थय संकट
China’s hapless soccer team might not have qualified for the World Cup, but when it comes to playing the game of global politics, its leaders have shown considerably more finesse.
SCENE 1 : The curtain opens: China becomes ill, enters a “crisis” and paralyzes its trade. The curtain closes.
SCENE II. The curtain opens: The Chinese currency is devalued. They do not do anything. The curtain closes.
SCENE III. The curtain opens:: Due to the lack of trade of companies from Europe and the USA that are based in China, their shares fall 40% of their value.
SCENE IV. The curtain opens:: The world is ill, China buys 30% of the shares of companies in Europe and the US at a very low price. The curtain closes.
SCENE V. The curtain opens: China has controlled the disease and owns companies in Europe and the US. And he decides that these companies stay in China and earn $ 20,000Billions. The curtain closes. How is the play called?
SCENE VI: Checkmate!
ReAmazing but true
Two videos have passed between yesterday and
today that convinced me of something I suspected, but had no basis. It was just my speculation. Now I am convinced that the corona virus was
purposely propagated by the Chinese themselves.
At first they were too prepared. Three weeks after the start of the roll, 14
days and a 12,000-bed hospitals were already under construction. And they really built them in two weeks. Awesome.
Yesterday they announced that they had stopped
the epidemic. They appear in videos
celebrating, they announce that they even have a vaccine. How could they create it so quickly without
having all the genetic information? Well
if you are the owner of the formula it is not difficult at all.
And today I just saw a video that explains how
Den Xiao Ping gave the west a half stick.
Due to the coronavirus, the actions of Western companies in China fell
dramatically. China I just hope, when
they went down enough they bought them.
Now the companies,
Created by the USA and Europe in China with
all the technology put in by these exchanges and their capital they passed into
the hands of China, which is now rising with all that technological potential
and will be able to set prices at will to sell everything they need to the
West. How are you?
None of this could have happened by
chance. China who cared that a few old
men died? Fewer old-age pensions to pay,
but the loot has been huge. And right
now the West is financially defeated, in crisis and stunned by the
disease. And without knowing what to do.
Masterfully diabolic. It had to be the communists.
Adding to this,
they are now the single largest owners of US treasury with 1.18 trillion
holding surpassing Japan.
An instrument
that has seen the most rally
One ☝ prospective & Analogy….
How come Russia
& North Korea are totally free of Covid- 19? Because they are staunch ally
of China. Not a single case reported from this 2 countries. On the other hand
South Korea / United Kingdom / Italy / Spain and Asia are severely hit. How
come Wuhan is suddenly free from the deadly virus? China will say that their
drastic initial measures they took was very stern and Wuhan
was locked down to contain the spread to other areas. Why Beijing was not
hit? Why only Wuhan? Kind of interesting
to ponder upon.. right? Well ..Wuhan is open for business now. America and all
the above mentioned countries are devastated financially. Soon American economy
will collapse as planned by China.
China knows it CANNOT defeat America
militarily as USA is at present THE MOST POWERFUL country in the world. So use the virus…to
cripple the economy and paralyse the nation and its Defense capabilities. I’m
sure Nancy Pelosi got a part in this. . to topple Trump. Lately President Trump
was always telling of how GREAT American economy was improving in all fronts. The only way to
destroy his vision of making AMERICA GREAT AGAIN is to create an economic havoc.
Nancy Pelosi was unable to bring down Trump thru impeachment. ….so work along
with China to destroy Trump by releasing a virus. Wuhan’s epidemic was a showcase. At the peak of the virus epidemic. ..China’s President Xi Jinxing…just
wore a simple RM1 facemask to visit those effected areas. As President he should be covered from head
to toe…..but it was not the case. He
was already injected to resist any harm from the virus….that means a cure was already in place before the virus was
released. Some may ask….Bill Gates already predicted the outbreak in
2015…so the Chinese agenda cannot be true. The answer is. ..YES…Bill Gates
did predict. .but that prediction is based on a genuine virus outbreak. Now China is also telling that the virus was
predicted well in advance. ….so that its agenda would play along well to
match that prediction. China’s vision is
to control the World economy by buying up stocks now from countries facing the
brink of severe ECONOMIC COLLAPSE. Later China will announce that their Medical Researchers have found a cure to destroy the virus.
Now China have other countries stocks in their arsenal and these countries will soon be slave to their new master….. CHINA
[responsivevoice_button voice=”UK English Female” buttontext=”Listen to Post”]
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/03/5e3991015bc79c52dc72fe92.jpg7331100Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-03-26 11:04:542020-03-27 19:03:55Well Played CHINA……..
WHO ने की भारत की तारीफ करते हुए कहा कि- कोरोना को रोकना अब आपके हाथ में है और भारत ने साइलेंट किलर कही जाने वाली 2 गंभीर बीमारियों (स्मॉल पॉक्स और पोलियो) के उन्मूलन में दुनिया की अगुवाई की। भारत में जबरदस्त क्षमता है, भारत सार्वजनिक स्वास्थ्य स्तर पर अपनी आक्रामक कार्रवाई जारी रखे।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के माइक्ल रियान ने कहा कि भारत में कोरोना वायरस से लड़ने की ताकत है बल्कि इसे समाप्त करने की भी क्षमता है, क्योंकि इस देश में पोलियो और चेचक जैसी बीमारियों को पूर्णतया देश से समाप्त कर दिया है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन द्वारा की गई इस सराहना से यह संकेत तो मिलते ही हैं कि अपने स्तर पर विश्व गुरु बन रहा है साथ ही संयुक्त राष्ट्र में भारत का महत्व दिनोंदिन बढ़ता देख ऐसा जान पड़ता है कि सिक्योरिटी काउंसिल मैं अपनी जगह बनाने में भारत शीघ्र ही कामयाब हो जाएगा।
देखा जाए तो भारत को अपने आप को साबित करने के लिए अधिक परिश्रम करने की जरूरत नहीं, क्योंकि वैश्विक स्तर पर चीन स्वयं के कुकर्मों से स्वयं को उलटी राह की ओर ले जा रहा है। भले ही मामला अर्थव्यवस्था का हो या जैविक युद्ध का, इनको लेकर चीन की रणनीति प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष और दोनों रूप से । चीन की छवि उस शरारती बच्चे की तरह है कि जो अपने मर्जी करने के लिए कैसी भी शरारत कर सकता है, दूसरे को ज्यादा नुकसान पहुंचाने के लिए अपने आपको भी आग से खिलवाड़ करने देता है।
मौजूदा हालात में चीन ही कोरोना वायरस का जनक माना जा रहा है अपनी बड़ी आबादी का नुकसान तो चीन ने किया ही बल्कि विश्व के लगभग सभी देशों को भी इसमें लपेट लिया। दुनिया के विकसित देश इलाज ढूंढने अब तो चाहत में है, इधर भारत भी बाकी देशों की तरह लॉक डाउन हो चुका है इसे अर्थशास्त्री चीन के द्वारा व्यवस्था पर परोक्ष आक्रमण मान रहे हैं। ऐसी स्थिति में यदि संयुक्त राष्ट्र सदस्य अपने विवेक से काम करें तो चीन की तुलना किसी और को स्थाई सदस्य बनाया जाना चाहिए। चीन को उसकी करतूतों के चलते इस श्रेणी से बाहर कर देना चाहिए। जबकि आज गवाह है कि भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू मैं पता नहीं किन खास कारणों से स्थाई सदस्यता स्वयं ना ग्रहण करके चीन की झोली में डाल दी। प्रणाम परिणाम स्वरूप भारत सक्षम होते हुए भी आज तक संयुक्त राष्ट्र में स्थायी सीट के लिए प्रयासरत है जिसमे चीन ही अड़ंगा अड़ाता आ रहा है, यह बहुत ही द्र्भाग्यपूर्ण है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/03/an-army-of-900000-women-is-fighting-the-coronavir-2-2694-1584721334-0_dblbig.jpg415625Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-03-24 15:29:522020-03-24 15:30:18कोरोना वाइरस से लड़ने कि क्षमता है भारत के पास: विश्व स्वास्थ्य संगठन
हंता वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं जाता है लेकिन यदि कोई व्यक्ति चूहों के मल, पेशाब आदि को छूने के बाद अपनी आंख, नाक और मुंह को छूता है तो उसके हंता वायरस से संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है.
ग्लोबल टाइम्स के हवाले से बड़ी खबर
चीन में एक और वायरस ने दी दस्तक, चीन में हंता वायरस ने दी दस्तक, हंता वायरस से एक शख्स की मौत, 32 लोग हंता वायरस के संदिग्ध
दुनियाभर में कोरोना वायरस से ख़ौफ़ के बीच हंता वायरस ने भी लोगों की चिंताएं बढ़ा दी हैं. चीन में हंता वायरस की वजह से 23 मार्च को एक शख्स की मौत की ख़बर है.
ग्लोबल टाइम्स की ख़बर के मुताबिक़, हंता वायरस से संक्रमित शख्स जिस बस में सवार था, उसमें सवार 32 लोगों की जांच की गई है.
इस ख़बर के सामने आते ही ट्विटर पर #HantaVirus टॉप ट्रेंड करने लगा.लोग कोरोना से जारी जंग के बीच हंता को लेकर अपनी प्रतिक्रियाएं और डर ज़ाहिर कर रहे हैं.
इसके शुरुआती लक्षण में इंसानों को ठंडी लगने के साथ बुखार आता है. इसके बाद मांसपेशियों में दर्द होने लगता है. एक दो दिन बाद सूखी खांसी आती है. सर में दर्द होता है. उलटियां होती हैं. सांस लेने में दिक्कत होने लगती है. यह ज्यादातर चीन के ग्रामीण इलाकों में होता है. इसकी वजह से कई बार पर्वतारोहियों और कैंपिंग करने वाले पर्यटकों को दिक्कत हो चुकी है. हालांकि, यह कोरोना वायरस की तरह घातक नहीं है.
हंता वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं जाता है लेकिन यदि कोई व्यक्ति चूहों के मल, पेशाब आदि को छूने के बाद अपनी आंख, नाक और मुंह को छूता है तो उसके हंता वायरस से संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है.
सीडीसी के मुताबिक हंता वायरस जानलेवा है. चीन में हंता वायरस का मामला ऐसे समय आया है जब पूरी दुनिया वुहान से निकले कोरोना वायरस की महामारी से जूझ रही है. कोरोना वायरस अब तक पूरी दुनिया में फैल चुका है.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/03/rtr1n1m_032420034644.jpg555750Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-03-24 12:16:512020-03-24 12:25:31‘हंता’ चीन में उत्पन्न एक और वाइरस
सबसे बड़ा सवाल यह है मोदी-ट्रंप की दोस्ती का के डंका पर कांग्रेस को ‘शंका’ क्यों है? बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा का कहना है कि भारत का कद पूरे विश्व में बढ़ रहा है तो कांग्रेस पार्टी दुखी क्यों है? ये सवाल आज हम आपसे कांग्रेस पूछना चाहते हैं कि जब भी मौसम में खुशहाली होती है भारत खुश होता है तो कांग्रेस पार्टी दुखी क्यों होती है ये हम पूछना चाहते हैं.
नई दिल्ली:
24 फरवरी को अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप अपनी पत्नी मेलानिया ट्रंप के साथ भारत आ रहे हैं. दो दिनों के इस दौरे में ट्रंप दिल्ली और अहमादाबाद जाएंगे. ट्रंप के आगरा में ताजमहल जाने का भी कार्यक्रम है. प्रियंका गांधी वाड्रा ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के दौरे पर स्वागत में अहमदाबाद में एक समिति के जरिये 100 करोड़ रुपये खर्च पर सवाल उठाए हैं. प्रियंका ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप के आगमन पर 100 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं. लेकिन ये पैसा एक समिति के जरिए खर्च हो रहा है. बीजेपी ने जोरदार पलटवार किया है. बीजेपी ने पलटवार करते हुए पूछा कि भारत का कद बढ़ रहा है तो कांग्रेस खुश क्यों नहीं है?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि मोदी-ट्रंप की दोस्ती से कांग्रेस दुखी क्यों है? देश के मान पर कांग्रेस की ‘अपमान’ वाली सियासत क्यों? कांग्रेस को दोस्ती की डील में भी ‘घोटाला’ दिखता है? ट्रंप के दौरे पर कांग्रेस-पाकिस्तान की एक सोच? मोदी-ट्रंप की दोस्ती का डंका, कांग्रेस को क्यों ‘शंका’? आतंक पर अमेरिका के संदेश से पाकिस्तान ‘बेचैन’?
बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा का कहना है कि भारत का कद पूरे विश्व में बढ़ रहा है तो कांग्रेस पार्टी दुखी क्यों है? ये सवाल आज हम आपसे कांग्रेस पूछना चाहते हैं कि जब भी मौसम में खुशहाली होती है भारत खुश होता है तो कांग्रेस पार्टी दुखी क्यों होती है ये हम पूछना चाहते हैं.
कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने भी ट्रंप के दौरे पर सवाल उठाए हैं. अल्वी ने कहा, “अहमदाबाद में 1 मिनट में 50 लाख रुपए खर्च हो रहे हैं जो मीडिया में भी आ रहा है, सबको मालूम है. आप 50 लाख 1 मिनट का खर्च कर रहे हैं, ट्रंप के आने पर आपको क्या मिलेगा?”
पात्रा ने कहा, “इतना पैसा कैसे खर्च हो गया इस डांस पर? इतने पैसे कैसे खर्च होंगे? ये कैसे बेतुके सवाल हैं. मुझे तो कभी-कभी शक होता है कि कांग्रेस पार्टी जो स्टेडियम बना है, उस पैसे की कैलकुलेशन करके पूछेगी कि ये पैसा आपने ट्रंप के लिए खर्च किया है.”
ट्रंप के दौरे पर कांग्रेस-पाकिस्तान की एक सोच जैसी दिखाई देती है. कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा, “‘ये समिति कौन सी है? कब बनी है? इसका रजिस्ट्रेशन कब हुआ? इसके पास इतना पैसा कहां से आया? वास्तविकता ये है कि सब पैसा सरकार का है. भारत की सरकार और गुजरात की सरकार का.”
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/02/download-10.jpg194259Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-02-22 14:10:562020-02-22 14:16:32मोदी-ट्रंप की दोस्ती का के डंका पर कांग्रेस को ‘शंका’ क्यों है? : संबित पात्रा
We may request cookies to be set on your device. We use cookies to let us know when you visit our websites, how you interact with us, to enrich your user experience, and to customize your relationship with our website.
Click on the different category headings to find out more. You can also change some of your preferences. Note that blocking some types of cookies may impact your experience on our websites and the services we are able to offer.
Essential Website Cookies
These cookies are strictly necessary to provide you with services available through our website and to use some of its features.
Because these cookies are strictly necessary to deliver the website, you cannot refuse them without impacting how our site functions. You can block or delete them by changing your browser settings and force blocking all cookies on this website.
Google Analytics Cookies
These cookies collect information that is used either in aggregate form to help us understand how our website is being used or how effective our marketing campaigns are, or to help us customize our website and application for you in order to enhance your experience.
If you do not want that we track your visist to our site you can disable tracking in your browser here:
Other external services
We also use different external services like Google Webfonts, Google Maps and external Video providers. Since these providers may collect personal data like your IP address we allow you to block them here. Please be aware that this might heavily reduce the functionality and appearance of our site. Changes will take effect once you reload the page.
Google Webfont Settings:
Google Map Settings:
Vimeo and Youtube video embeds:
Google ReCaptcha cookies:
Privacy Policy
You can read about our cookies and privacy settings in detail on our Privacy Policy Page.