नागों के इन अष्टकुलों की नागपंचमी पर होती है पूजा

भारत में पाई जाने वाली नाग जातियों और नाग के बारे में बहुत ज्यादा विरोधाभास नहीं है। भारत में आज नाग, सपेरा या कालबेलियों की जाति निवास करती है। यह भी सभी कश्यप ऋषि की संतानें हैं। नाग और सर्प में भेद है। आओ जानते हैं नागों के अष्टकुल के बारे में जिनकी होती है नागपंचमी पर पूजा।

कश्यप ऋषि की पत्नी कद्रू से उन्हें 8 पुत्र मिले जिनके नाम क्रमश: इस प्रकार हैं-

 1.अनंत (शेष), 2.वासुकि, 3.तक्षक, 4.कर्कोटक, 5.पद्म, 6.महापद्म, 7.शंख और 8.कुलिक। इन्हें ही नागों का प्रमुख अष्टकुल कहा जाता है।

  • अनंत (शेषनाग) : भगवान विष्णु के सेवक शेषनाग के सहस्र फन पर धरती टिकी हुई है. ब्रह्मा के वरदान से ये पाताल लोक के राजा हैं. रामायण काल में लक्ष्मण शेषनाग के अवतार थे और महाभारत काल में बलराम शेषनाग के अंश थे.
  • वासुकि : भगवान शिव के सेवक वासुकि हैं. समुद्र मंथन के दौरान मंदराचल पर्वत को मथनी तथा वासुकि को ही रस्सी बनाया गया था. महाभारत काल में उन्होंने विष से भीम को बचाया था.
  • पद्म : पद्म नागों का गोमती नदी के पास के नेमिश नामक क्षेत्र पर शासन था. बाद में ये मणिपुर में बस गए थे. कहते हैं असम में नागवंशी इन्हीं के वंशज हैं.
  • महापद्म : विष्णुपुराण में सर्प के विभिन्न कुलों में महाद्म का नाम सामने आया है.
  • तक्षक नाग : तक्षक नाग का वर्णन महाभारत में मिलता है. तक्षक पाताल में निवास करने वाले आठ नागों में से एक हैं. यह माता कद्रू के गर्भ से उत्पन्न हुआ था तथा इसके पिता कश्यप ऋषि थे. तक्षक ‘कोशवश’ वर्ग का था. यह काद्रवेय नाग है. माना जाता है कि तक्षक  का राज तक्षशिला में था.
  • कुलिक : कुलिक नाग जाति में ब्राह्मण कुल की मानी जाती है. कुलिक नाग का संबंध ब्रह्मा जी से भी माना जाता है.
  • कर्कट नाग : कर्कट शिव के एक गण हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, सर्पों की मां कद्रू ने जब नागों को सर्प यज्ञ में भस्म होने का श्राप दिया तब भयभीत होकर कंबल नाग ब्रह्माजी के लोक में, शंखचूड़ मणिपुर राज्य में, कालिया नाग यमुना में, धृतराष्ट्र नाग प्रयाग में, एलापत्र ब्रह्मलोक में और अन्य कुरुक्षेत्र में तप करने चले गए.
  • शंख: नागों के आठ कुलों में शंख एक हैं. शंख नाग जातियों में सबसे बुद्धिमान है.

कुछ पुराणों के अनुसार नागों के अष्टकुल क्रमश: इस प्रकार हैं:-

वासुकी, तक्षक, कुलक, कर्कोटक, पद्म, शंख, चूड़, महापद्म और धनंजय।

कुछ पुराणों अनुसार नागों के प्रमुख पांच कुल थे-

अनंत, वासुकी, तक्षक, कर्कोटक और पिंगला।

शेषनाग ने भगवान विष्णु तो उनके छोटे भाई वासुकी ने शिवजी का सेवक बनना स्वीकार किया था।

उल्लेखनीय है कि नाग और सर्प में फर्क है। सभी नाग कद्रू के पुत्र थे जबकि सर्प क्रोधवशा के। कश्यप की क्रोधवशा नामक रानी ने सांप या सर्प, बिच्छु आदि विषैले जन्तु पैदा किए।

भारत में उपरोक्त आठों के कुल का ही क्रमश: विस्तार हुआ जिनमें निम्न नागवंशी रहे हैं- नल, कवर्धा, फणि-नाग, भोगिन, सदाचंद्र, धनधर्मा, भूतनंदि, शिशुनंदि या यशनंदि तनक, तुश्त, ऐरावत, धृतराष्ट्र, अहि, मणिभद्र, अलापत्र, कम्बल, अंशतर, धनंजय, कालिया, सौंफू, दौद्धिया, काली, तखतू, धूमल, फाहल, काना, गुलिका, सरकोटा इत्यादी नाम के नाग वंश हैं।

अग्निपुराण में 80 प्रकार के नाग कुलों का वर्णन है, जिसमें वासुकी, तक्षक, पद्म, महापद्म प्रसिद्ध हैं। नागों का पृथक नागलोक पुराणों में बताया गया है। अनादिकाल से ही नागों का अस्तित्व देवी-देवताओं के साथ वर्णित है। जैन, बौद्ध देवताओं के सिर पर भी शेष छत्र होता है। असम, नागालैंड, मणिपुर, केरल और आंध्रप्रदेश में नागा जातियों का वर्चस्व रहा है। अथर्ववेद में कुछ नागों के नामों का उल्लेख मिलता है। ये नाग हैं श्वित्र, स्वज, पृदाक, कल्माष, ग्रीव और तिरिचराजी नागों में चित कोबरा (पृश्चि), काला फणियर (करैत), घास के रंग का (उपतृण्य), पीला (ब्रम), असिता रंगरहित (अलीक), दासी, दुहित, असति, तगात, अमोक और तवस्तु आदि।

इस तरह चल रहा है योगी का आपरेशन क्लीन

चंडीगढ़ (ब्यूरो):

ऑपरेशन क्लीन हर दिन औंधे मुँह गिर रहा है क्योंकि ऐसा पड़ता है उत्तर प्रदेश पुलिस से काम लेना मुख्यमंत्री योगी के बस में नहीं। बरसों से दबंगों का साथ देते देते यूपी पुलिस को कानून व्यवस्था को ताक पर रख कर काम करने की आदत हो गई है। अरे अरे विकास दुबे की बात न करो वो किस्सा अलग है दबंग पुलिस नेताओं के रिश्तों का किस्सा।

शिकायतों पर काम होने की बजाए प्रदेश में आरोपियों को बच निकलने या शिकायतकर्ता को आड़े हाथों लेने का पूरा मौका देती है। गाज़ियाबाद के पत्रकार विक्रम जोशी की सरे आम हत्या वो भी तब जबकि हत्यारों की छेड़छाड़ के मामले में स्थानीय थाने में शिकायत दी जा चुकी थी। समय पर काम नहीं करती पुलिस और संरक्षण देती है बदमाशों को।

राधाकृष्ण मंदिर के पुजारी पागल दास

मथुरा के नगला ब्राह्मण गाँव के राधाकृष्ण मंदिर के पुजारी पागल दास को मुस्लिम समुदाय के दबंग युवकों द्वारा लाउडस्पीकर न चलाने की चेतावनी दी और ऐसा न करने पर जान से मार देने और बोरी में सील कर के फेंक देने की धमकी दी गई । जिसके बाद घटना के विरोध में और मामले का समाधान ढूँढने के लिए उनके साथ भारी तादाद में कार्यकर्ताओं की भीड़ गाँव में पहुँची और मंदिर पर बैठक की। इसी बीच प्रशासन की गाड़ी आ गई और उन्होंने वहीं उनकी रिपोर्ट भी लिखी। रिपोर्ट में बाबा के साथ हुई बदसलूकी का उल्लेख किया गया और आरोपितों में गाँव में रहने वाले बनी पुत्र असगर, इरफान, अंसार, आजाद, इब्राहिम, मो रफीक आदि मुस्लिम समुदाय के दबंगों का नाम लिखवाया।

मामले की गंभीरता को देखते हुए मीडिया ने जब पुलिस की कार्रवाई जानने की कोशिश की। पुलिस का कहना है कि मामले में एफआईआर हो गई है। एक गिरफ्तार हो गया। हालाँकि, जब गिरफ्तार युवक का नाम पूछना चाहा तो पुलिस ने हमसे बाद में संपर्क करने को कहा और उसके बाद उनसे संपर्क नहीं हो पाया। गाँव वालों का कहना है कि पुलिस ने इस मामले में हिंदू पक्ष के किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया। दबंगों की ओर से अभी गिरफ्तारी नहीं हुई है।

लैब असिस्टेंट संजीत यादब की बहन

कानपुर लैब असिस्टेंट संजीत यादब का बदमाशों ने अपहरण कर लिया और उसे छोड़ने के बदले में तीस लाख रुपये मांगे। फिरौती के लिए परिवार ने गहने बेच कर पैसे का इंतज़ाम किया एरिया पुलिस प्रभारी रणजीतसिंह और उसके साथियों के हाथ संजीत यादब के अपहरणकर्ताओं तक फिरौती पहुंचाने के लिए दिए जिससे कि संजीत को छुड़वाया जा सके लेकिन फिरौती की रकम बदमाशों के पास न पहुंचने की वजह से संजीत की हत्या कर दी गई। परिवार ने स्थानीय पुलिस पर आरोप लगाया कि केवल पुलिस ही जानती है पैसे कहां गए।

इस मामले में भी मुख्यमंत्री कह रहे हैं दबंगों को बख्शा नहीं जाएगा लेकिन पुलिस की भूमिका को जाँचने के कोई आदेश नहीं दिए गए। यह तो मात्र दो तीन घटनाएँ हैं ऐसी कई घटनाएँ तो मीडिया इत्यादि के संज्ञान में भी नहीं आती।

लव जिहाद : माँ -बेटी का कत्ल कर घर ही में दफनाने वाला ‘अमित गुर्जर’ निकला ‘शमशाद’

शमशाद उर्फ अमित गुर्जर ने गाजियाबाद की रहने वाली एक शादीशुदा महिला को खुद को हिंदू बताकर अपने चंगुल में फंसाया। पिछले कई सालों से महिला अपनी बेटी को लेकर प्रेमी के साथ रह रही थी। इसके बाद शमशाद दोनों की हत्या करके फरार हो गया। अब पुलिस के साथ मुठभेड़ में वह घायल हो गया है।

नई दिल्ली(ब्यूरो):

यूपी के मेरठ में मां-बेटी की हत्या कर शव को घर के अंदर दफनाने का सनसनीखेज मामला सामना आया है. गायब होने के बाद सहेली ने मुकदमा दर्ज कराया था. आरोप शमशाद नाम के व्यक्ति पर है. इसपर नाम बदलकर शादी का आरोप है.

मेरठ पुलिस ने ब्रह्मपुरी इलाके में एक मुठभेड़ में शमशाद को गिरफ्तार कर लिया है. अभियुक्त शमशाद पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा 25000/- रुपये के इनाम की घोषणा की गई थी. अभियुक्त की पत्नी को भी साक्ष्य छुपाने/मिटाने का दोषी पाते हुए वांछित बनाया गया है, जिसकी गिरफ्तारी के लिए प्रयास किए जा रहे हैं.

देर रात थाना ब्राह्मपुरी के नूर नगर के मोड़ पर शमशाद के साथ पुलिस की मुठभेड़ में दुर्दांत हत्यारा बदमाश घायल हो गया। पुलिस ने उसको अस्पताल में भर्ती कराया। शमशाद के पास से एक बाइक,एक पिस्टल और कारतूस बरामद हुई हैं।

यह था पूरा मामला

बुधवार को मेरठ के थाना परतापुर के भूड बराल में रहने वाले शमशाद के घर से प्रिया और उसकी बेटी कशिश के शव शमशाद के घर से बरामद हुए थे। इन दोनों को शमशाद ने मार कर अपने ही घर में गाड़ दिया था। इसकी सूचना प्रिया की दोस्त चंचल ने पुलिस थाने में दी थी, जिसके बाद इस जघन्य हत्याकांड का खुलासा हुआ। शमशाद उर्फ अमित गुर्जर ने अपना नाम धर्म बदलकर 4 साल पहले गाजियाबाद निवासी प्रिया से फेसबुक के माध्यम से दोस्ती की और अपने प्रेम जाल में फंसाया और उसको लेकर थाना परतापुर के भूड बराल इलाके में रहने लगा।

आरोप है कि जब प्रिया को इस बात का पता चला कि उसका पति नाम और धर्म बदलकर उसको धोखा दे रहा है तो उसने इस बात की शिकायत अपनी दोस्त चंचल से की और अपनी जान को खतरा बताया। लॉकडाउन से पहले जब चंचल से उसकी बात होना बंद हो गयी, तो चंचल ने शमशाद को भी कॉल किया लेकिन शमशाद ने उससे बात नहीं कराई।उसके बाद चंचल ने थाना परतापुर में तहरीर दी जिसमें प्रिया के गुमशुदा होने की बात कही गई।

पुलिस ढिलाई बरतती रही

हैरान करने वाली बात तो यह है कि पुलिस ने मामले में शिकायत के बाद भी ढिलाई बरतते हुए कोई भी कार्रवाई नहीं की। बुधवार को एक स्थानीय नेता के इंवॉल्वमेंट के बाद पुलिस हरकत में आई और शमशाद के घर पर गहनता से तलाशी ली। तलाशी में प्रिया और उसकी बेटी की डेड बॉडी शमशाद के घर में ही गड्ढे में पाई गई। जिसको पुलिस ने पोस्टमॉर्टम और डीएनए जांच के लिए भेज दिया। तभी से आरोपी शमशाद फरार था। देर रात थाना ब्रह्मपुरी के नूर नगर के मोड़ पर पुलिस की जिस बदमाश से मुठभेड़ हुई वह आरोपी शमशाद निकला।

आज लोक गीत मान कर गाये जाते हैं शिव कुमार बटालावी के गीत

कोरल ‘पुरनूर’ चंडीगढ़ – 23 जुलाई:

जन्मदिवस पर विशेष: पंजाबी के विद्यापति ‘शिव कुमार बटालवि’

शिव बटालवि

अमृता के ‘बिरह के सुल्तान’ लोक संस्कृति के पुरोधा भी हैं

शिव के गीत भारत पाकिस्तान में घर घर गली गली महफिल महफिल इस क़दर मशहूर हैं सभी आम – ओ – खास उनको लोक गीत ही समझकर गाते सुनते हैं लट्ठे दी चादर , ईक मेरी अख कासनी, जुगनी, म्धानियाँ हाय ओह … आदि  जैसे गीत हमारी संस्कृति का हिस्सा  ही नहीं बल्कि पंजाबी को द्निया में अहम स्थान दिलाने के श्रेय के भी अधिकारी है शिव पंजाब का विद्यापति है।

‘इक कुड़ी जिहदा नाम मोहब्बत गुम है’ उनकी शाहकार रचना  में भावनाओं का उभार, करुणा, जुदाई और प्रेमी के दर्द का बखूबी चित्रण है।

शिव कुमार बटालवी के गीतों में ‘बिरह की पीड़ा’ इस कदर थी कि उस दौर की प्रसिद्ध कवयित्री अमृता प्रीतम ने उन्हें ‘बिरह का सुल्तान’ नाम दे दिया। शिव कुमार बटालवी यानी पंजाब का वह शायर जिसके गीत हिंदी में न आकर भी वह बहुत लोकप्रिय हो गया। उसने जो गीत अपनी गुम हुई महबूबा के लिए बतौर इश्तहार लिखा था वो जब फ़िल्मों तक पहुंचा तो मानो हर कोई उसकी महबूबा को ढूंढ़ते हुए गा रहा था

वे 1967 में वे साहित्य अकादमी पुरस्कार पाने वाले सबसे कम उम्र के साहित्यकार बन गये। साहित्य अकादमी (भारत की साहित्य अकादमी) ने यह सम्मान पूरण भगत की प्राचीन कथा पर आधारित उनके महाकाव्य नाटिका ‘लूणा’ (1965) के लिए दिया, जिसे आधुनिक पंजाबी साहित्य की एक महान कृति माना जाता है और जिसने आधुनिक पंजाबी किस्सा गोई की एक नई शैली की स्थापना की।

        शिव कुमार का जन्म 23 जुलाई 1936 को गांव बड़ा पिंड लोहटिया, शकरगढ़ तहसील (अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में) राजस्व विभाग के ग्राम तहसीलदार पंडित कृष्ण गोपाल और गृहिणी शांति देवी के घर में हुआ। भारत के विभाजन के बाद उनका परिवार गुरदासपुर जिले के बटाला चला आया, जहां उनके पिता ने पटवारी के रूप में अपना काम जारी रखा और बाल शिव ने प्राथमिक शिक्षा पाई। लाहौर में पंजाबी भाषा की क़िताबें छापने वाले प्रकाशक ‘सुचेत क़िताब घर’ ने 1992 में शिव कुमार बटालवी की चुनिंदा शायरी की एक क़िताब ‘सरींह दे फूल’ छापी.

5 फ़रवरी 1967 को उनका विवाह गुरदासपुर जिले के किरी मांग्याल की ब्राह्मण कन्या अरुणा से हुआ  और बाद में दंपती को दो बच्चे मेहरबां (1968) और पूजा (1969) हुए। 1968 में चंडीगढ़ चले गये, जहां वे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में जन संपर्क अधिकरी बने, वहीं अरुणा बटालवी पुंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला के पुस्तकालयमें कार्यरत रहीं। आज शिव कुमार बटालवी का परिवार केनेडा में रहता है।

ग्रामीण क्षेत्रों मे रहने वाले किसानों ओर बाकी लोगों के संपर्क में आए ओर उन्हीं की बातें अपने लेखन में ढाली उनको जानने वाले लोग उनकी जीवन शैली और दिनचर्या के बारे में बताते हैं के वो राँझे की सी जिंदगी जीते थे वह ऐसे कवि थे जो कि अपनी रचना को स्वयं लयबद्ध करते थे।

        बटालवी की नज्मों को सबसे पहले नुसरत फतेह अली खान ने अपनी आवाज दी. नुसरत ने उनकी कविता ‘मायें नी मायें मेरे गीतां दे नैणां विच’ को गाया था. इसके बाद तो जगजीत सिंह – चित्रा सिंह, रबी शेरगिल, हंस राज हंस, दीदार सिंह परदेसी और सुरिंदर कौर जैसे कई गायकों ने बटालवी की कविताएं गाईं. उस शायर के लिखे हुए गीत – अज्ज दिन चढ्या, इक कुड़ी जिद्दा नां मुहब्बत, मधानियां, लट्ठे दी चादर, अक्ख काशनी आदि आज भी न केवल लोगों की जुबां पर हैं बल्कि बॉलीवुड भी इन्हें समय समय पर अपनी फिल्मों को हिट करने के लिए यूज़ करता आ रहा है. नुसरत फतेह अली, महेंद्र कपूर, जगजीत सिंह, नेहा भसीन, गुरुदास मान, आबिदा, हंस राज हंस….

     “असां ते जोबन रुत्ते मरना…” यानी “मुझे यौवन में मरना है, क्यूंकि जो यौवन में मरता है वो फूल या तारा बनता है, यौवन में तो कोई किस्मत वाला ही मरता है” कहने वाले शायर की ख़्वाहिश ऊपर वाले ने पूरी भी कर दी. मात्र छत्तीस वर्ष की उम्र में शराब, सिगरेट और टूटे हुए दिल के चलते 7 मई 1973 को वो चल बसे. लेकिन, जाने से पहले शिव ‘लूणा’ जैसा महाकाव्य लिख गये, जिसके लिए उन्हें सबसे कम उम्र में साहित्य अकादमी का पुरूस्कार दिया गया. मात्र इकतीस वर्ष की उम्र में. ‘लूणा’ को पंजाबी साहित्य में ‘मास्टरपीस’ का दर्ज़ा प्राप्त है और जगह जगह इसका नाट्य-मंचन होता आया है.

शिव को राजनीतिक चुनोतियों का भी सामना करना पड़ा  उन्होने पंजाबी ओर हिन्दी को हिन्दू – सिक्ख में बँटते भी देखा ओर इस बात का पुरजोर विरोध भी किया, अपनी मातृभाषा को इस तरह बँटते देखना असहनीय था।  लोगों के दोहरे व्यवहार और नकलीपन की वजह से उन्होंने कवि सम्मेलनों में जाना बंद कर दिया था. एक मित्र के बार-बार आग्रह करने पर वे 1970 में बम्बई के एक कवि सम्मलेन में शामिल हुए थे. मंच पर पहुँचने के बाद जब उन्होंने बोला तो पूरे हॉल में सन्नाटा छा गया. उन्होंने बोला कि आज हर व्यक्ति खुद को कवि समझने लगा है, गली में बैठा कोई भी आदमी कवितायें लिख रहा है. इतना बोलने के बाद उन्होंने अपनी सबसे प्रसिद्ध रचना ‘इक कुड़ी जिदा नाम मोहब्बत है, गुम है’ सुनाई. इस पूरे पाठ के दौरान हॉल में सन्नाटा बना रहा. सच कहा जाए तो शिव कुमार कभी दुःख से बाहर निकल ही नहीं पाए. उन्हें हर समय कुछ न कुछ काटता ही रहा.

एक साक्षात्कार के दौरान शिव ने कहा आदमी, जो है, वो एक धीमी मौत मर रहा है. और ऐसा हर इंटेलेक्चुअल के साथ हो रहा है, होगा.”

पत्रकार विक्रम जोशी के हत्यारों को फाँसी की सजा दे सरकार : विमल शर्मा

राहुल भारद्वाज सहारनपुर :

मीडिया एसोसिएशन उ.प्र. के पदाधिकारियों ने घटना की कड़ी शब्दो मे की निंदा।

स्व॰ विक्रम जोशी

सहारनपुर चिलकाना पठेड़ लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पर हमला करने वालो को फाँसी की सजा की मांग करते हुए मीडिया एसोसिएशन  चिलकाना पठेड़ इकाई के अध्यक्ष विमल शर्मा ने कहा की  प्रदेश के अंदर रोजाना पत्रकारों के ऊपर हमले हो रहे और उनकी जाने जा रही है इसका जिम्मेदार केवल शाशन  प्रशासन है । प्रदेश में आये दिन बढ़ती हुई घटनाओं को लेकर पत्रकार भी अपने आप को सुरक्षित महसूस नही कर पा रहा है ओर प्रदेश में जंगलराज कायम हो रहा है।

गाजियाबाद में पुलिस की नाक के नीचे  पत्रकार विक्रम जोशी की गोली मारकर हत्या कर देना गुंडो के द्वारा शाशन प्रशासन को खुली चुनोती देना है जो कि बहुत ही निंदनीय है ओर मीडिया एसोसिएशन इसकी कड़े शब्दों में निंदा करता है । यदि ऐसे ही  पत्रकारो के ऊपर हमले होते रहेंगे  तो मीडिया एसोसिएशन रजि. के राष्ट्रीय अध्यक्ष व वरिष्ठ पत्रकार राकेश कश्यप के नेतृत्व में सभी मंडल स्तर  से लेकर जिला  स्तर   तक व तहसील स्तर  से लेकर  नगर स्तर के पदाधिकारी व सभी पत्रकार धरने पर बैठने को मजबूर होंगे।

सहारनपुर बेहट पुलिस एवं बदमाशो के बीच देर रात जबरदस्त मुठभेड़

सहारनपुर बेहट पुलिस एवम बदमाशो के बीच देर रात जबरदस्त मुठभैड,एक बदमाश पुलिस की गोली से हुआ घायल बदमाश पर है 17 मुकदमे दर्ज।

राहुल भारद्वाज सहारनपुर

सहारनपुर कल रात्रि क़रीब 01:30 बजे मुखबिर की सूचना पर सर्विलांस टीम मोटर साइकल सवार 02 बदमाशों का पीछा कर रही थी।सर्विलांस टीम की सूचना पर थाना  बेहट पुलिस द्वारा बदमाशों की चौकी लंढोरा पर घेराबंदी की गई, जिसमें मोटरसाइकिल सवार बदमाश पुलिस पार्टी पर फायरिंग करते हुए पथोड़ी रोड की तरफ भाग निकले निकले।

सर्विलांस टीम एवं थाना बेहट पुलिस द्वारा पथोड़ी  रोड स्थित जंगल में बदमाशों की घेराबंदी की गई, जिसमें बदमाशों द्वारा पुलिस पार्टी पर जान से मारने की नियत से फायरिंग की गई, आत्म रक्षार्थ जवाबी फायरिंग में 01 बदमाश शुभम पुत्र सतपाल निवासी ग्राम सालियर थाना तीतरों सहारनपुर गोली लगने से घायल होकर गिरफ्तार हुआ। जिसको उपचार हेतु जिला अस्पताल सहारनपुर में भर्ती कराया गया। इसके साथी बदमाश की तलाश हेतु कॉम्बिंग की जा रही है।

पत्रकार विक्रम जोशी के हत्यारे गिरफ्तार

गाजियाबाद के विजयनगर थाना क्षेत्र की माता कॉलोनी में सोमवार देर रात स्कूटी सवार अपराधियों ने पत्रकार को गोली मार दी. सिर में गोली लगने से गंभीर रूप से घायल हुए पत्रकार को यशोदा अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनका इलाज चल रहा है. इस मामले में मंगलवार सुबह गाजियाबाद पुलिस ने पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है, वहीं चौकी इंचार्ज राघवेंद्र सस्पेंड कर दिए गए हैं.

गौरतलब है कि बीती रात सूचना पर एसएसपी कलानिधि नैथानी समेत जिले के तमाम अधिकारी मौके पर पहुंच गए. परिजनों का आरोप है कि पत्रकार की रिश्तेदारी में एक लड़की से छेड़छाड़ की शिकायत करने पर आरोपियों ने घटना को अंजाम दिया है. पुलिस का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है.

  • पत्रकार विक्रम जोशी पर हमले के आरोपी गिरफ्तार
  • अन्य आरोपियों की तलाश में पुलिस की छापेमारी
  • पीडिता ने बताया- कैसे आरोपी करते रहे थे परेशान

नयी दिल्ली(ब्यूरो) :

यूपी के गाजियाबाद में पत्रकार विक्रम जोशी पर हुए जानलेवा हमले के बाद पीड़ित लड़की ने आजतक से बातचीत करते हुए बताया कि कैसे आरोपी उसे परेशान करते थे. घर के बाहर जाने पर उसके साथ अक्सर छेड़छाड़ होती थी. उस पर फब्तियां कसी जाती थीं. इस मामले को लेकर पुलिस से भी शिकायत की गई थी, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की थी.

पहली बार पीड़ित लड़की सामने आई और उसने आजतक से कहा कि उसके साथ पहले भी कई बार छेड़छाड़ हुई थी. घर से बाहर आने जाने पर आरोपी फब्तियां कसते थे. उसने बताया कि पुलिस को शिकायत दी थी, पर कुछ नहीं हुआ.

जब पत्रकार विक्रम जोशी पर हमला किया गया. उनके साथ उनकी दो बेटियां भी बाइक पर सवार थीं. उनकी बड़ी बेटी 8 साल की है, जबकि छोटी बेटी 5 साल की है. बड़ी बेटी ने आजतक की टीम को बताया “पापा बाइक चला रहे थे, बीच में छोटी बेटी बैठी थी. मैं पीछे थी. जैसे ही हम सड़क पर पहुंचे, कुछ लोग आए और गाड़ी गिरा दी. पापा को मारने लगे. एक ने गोली मार दी.”

उस घटना से सहमी बच्ची के मुताबिक, “कोई मदद को नहीं आया. एक आदमी आया उसने बोला कि उठो, लेकिन पापा नहीं उठे. खून निकल रहा था. फिर घर वाले आए और उन्हें हॉस्पिटल ले गए.” दरअसल, इसी दौरान विक्रम की छोटी बेटी रोते हुए वहां से भाग निकली और गली में स्थित अपने घर जाकर घर वालों को बताया कि उसके पापा को मार रहे हैं. फिर सभी लोग भाग कर आए और विक्रम को हॉस्पिटल ले गए.

उधर, गाजियाबाद पुलिस ने पत्रकार विक्रम जोशी पर जानलेवा हमले के मामले में कार्रवाई तेज कर दी है. अभी तक 9 आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं. बाकी आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस कप्तान कलानिधि नैथानी ने 6 टीम बनाई हैं. इसी मामले में प्रताप विहार के चौकी इंचार्ज को निलंबित किया गया है. पुलिस ने आईपीसी की धारा 307, 34, 506 के तहत मुकदमा दर्ज किया है. पुलिस ने तीन में से दो नामजद आरोपियों रवि और छोटू को गिरफ्तार किया है. बाद में इनके सात अन्य साथी भी गिरफ्तार किए गए हैं.

पकड़े गए आरोपियों में रवि, छोटू के अलावा मोहित, दलवीर, आकाश, योगेंद्र, अभिषेक हलका, अभिषेक मोटा और शाकिर शामिल हैं. पुलिस को एक नामजद आरोपी आकाश बिहारी की तलाश है. उसकी तलाश में कई जगह दबिश दी जा रही है. लापरवाही बरतने के आरोप में प्रताप विहार चौकी इंचार्ज राघवेंद्र को सस्पेंड किया जा चुका है. पूरे केस की जांच सीओ प्रथम को सौंपी गई है.

बताते चलें कि पत्रकार विक्रम जोशी ने कुछ दिन पहले भी थाना विजय नगर में एक तहरीर दी थी, जिसमें उन्होंने बताया था कि कुछ लड़के उनकी भांजी के साथ छेड़खानी करते हैं. उन्होंने कई बार इसका विरोध भी किया था, जिसका नतीजा सोमवार की शाम विक्रम जोशी को भुगतना पड़ा. जब वे अपनी बेटियों के साथ बाइक पर सवार होकर कहीं जा रहे थे, तभी इन बदमाशों ने उन पर हमला कर दिया और उन्हें गोली मार दी. इस घटना से पत्रकार जगत में भी रोष है.

मध्य प्रदेश के राज्यपाल और लखनऊ से पूर्व सांसद लालजी टंडन नहीं रहे, वह 85 वर्ष के थे

मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का मंगलवार सुबह निधन हो गया। 85 वर्षीय लालजी टंडन काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। राजनीति में सभासद से संसद और राजभवन तक सफर तय करने वाले लालजी टंडन के जीवन पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का काफी असर रहा।

उत्तर प्रदेश में 3 दिन का शोक

नई दिल्ली: 

मध्य प्रदेश के राज्यपाल और लखनऊ से पूर्व सांसद लालजी टंडन का निधन हो गया,  लखनऊ के मेदांता में उनका इलाज चल रहा था। वह 85 साल के थे। उनके बेटे और कैबिनेट मंत्री आशुतोष टण्डन ने लालजी टंडन के निधन की जानकारी ट्वीटर के माध्यम से दी। आशुतोष टंडन ने ट्वीटर पर लिखा बाबू जी नहीं रहे। बता दें कि लालजी टण्डन पिछले काफी वक्त से गंभीर रूप से बीमार चल रहे थे। लखनऊ के मेदांता में वह 14 जून से भर्ती थे। ज्यादातर समय वह वेंटिलेटर पर ही रहते थे।

लालजी टंडन की गिनती भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेताओं में रही। मध्य प्रदेश से पहले वह बिहार के राज्यपाल की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। लालजी, अटल बिहारी बाजपेयी के करीबियों में माने जाते थे। लालजी टंडन खुद कहा करते थे कि अटल बिहारी वाजपेयी ने राजनीति में उनके साथी, भाई और पिता तीनों की भूमिका अदा की है. अटल के साथ उनका करीब 5 दशकों का साथ रहा। इतना लंबा साथ अटल का शायद ही किसी और राजनेता के साथ रहा हो। यही वजह रही कि अटल बिहारी वाजपेयी के बाद उनकी राजनीतिक विरासत को लखनऊ में टंडन ने ही संभाला था और सांसद चुने गए थे।

बचपन से ही संघ के साये में

लालजी टंडन का जन्म 12 अप्रैल 1935 में हुआ था। अपने शुरुआती जीवन में ही लालजी टंडन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए थे। उन्होंने स्नातक तक पढ़ाई की. इसके बाद 1958 में लालजी का कृष्णा टंडन के साथ विवाह हुआ। उनके बेटे गोपाल जी टंडन इस समय उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में मंत्री हैं। संघ से जुड़ने के दौरान ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से उनकी मुलाकात हुई। लालजी शुरू से ही अटल बिहारी वाजपेयी के काफी करीब रहे।

जेपी आंदोलन में हुए शामिल

लालजी टंडन का राजनीतिक सफर साल 1960 में शुरू हुआ। उन्होंने इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ जेपी आंदोलन में भी बढ़-चढकर हिस्सा लिया था। इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। टंडन दो बार पार्षद चुने गए और दो बार विधान परिषद के सदस्य रहे। 1978 से 1984 तक और 1990 से 1996 तक लालजी टंडन दो बार उत्तर प्रदेश विधानपरिषद के सदस्य रहे। इस दौरान 1991-92 की उत्तर प्रदेश की कल्याण सिंह सरकार में मंत्री बने।

यूपी की राजनीति में प्रयोग

लालजी टंडन को उत्तर प्रदेश की राजनीति में कई अहम प्रयोगों के लिए भी जाना जाता है। 90 के दशक में प्रदेश में बीजेपी और बसपा की गठबंधन सरकार बनाने में भी उनका अहम योगदान माना जाता है। इसके बाद लालजी 1996 से 2009 तक लगातार तीन बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। बसपा सुप्रीमो मायावती उन्हें अपने बड़े भाई की तरह मानती थीं और राखी भी बांधा करती थीं। 1997 में वह प्रदेश के नगर विकास मंत्री रहे।

संभाली अटल की विरासत

साल 2009 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के राजनीति से दूर होने के बाद लखनऊ लोकसभा सीट खाली हो गई। इसके बाद भाजपा ने लालजी टंडन को ही यह सीट सौंपी। लोकसभा चुनाव में लालजी टंडन ने लखनऊ लोकसभा सीट से आसानी से जीत हासिल की और संसद पहुंचे। लालजी टंडन को साल 2018 में बिहार के राज्यपाल की जिम्मेदारी सौंपी गई थी और फिर कुछ दिनों के बाद मध्यप्रेदश का राज्यपाल बनाया गया था।

The Quick brown fox नहीं यह है एक वर्णमाला का सम्पूर्ण वाक्य ‘क:खगीघाङ्चिच्छौजाझाञ्ज्ञोटौठीडढण:।’

अजय नारायण शर्मा ‘अज्ञानी’, चंडीगढ़:

संस्कृत भाषा का कोई सानी नहीं है। यह अत्यंत वैज्ञानिक व विलक्षण भाषा है जो अनंत संभावनाएं संजोए है।

अंग्रेजी में
A QUICK BROWN FOX JUMPS OVER THE LAZY DOG
यह एक प्रसिद्ध वाक्य है। अंग्रेजी वर्णमाला के सभी अक्षर इसमें समाहित हैं। किन्तु इसमें कुछ कमियाँ भी हैं, या यों कहिए कि कुछ विलक्षण कलकारियाँ किसी अंग्रेजी वाक्य से हो ही नहीं सकतीं। इस पंक्ति में :-

1) अंग्रेजी अक्षर 26 हैं और यहां जबरन 33 का उपयोग करना पड़ा है। चार O हैं और A,E,U,R दो-दो हैं।
2) अक्षरों का ABCD.. यह स्थापित क्रम नहीं दिख रहा। सब अस्तव्यस्त है।

अब संस्कृत में चमत्कार देखिये!

क:खगीघाङ्चिच्छौजाझाञ्ज्ञोटौठीडढण:।
तथोदधीन पफर्बाभीर्मयोSरिल्वाशिषां सह।।

अर्थात्– पक्षियों का प्रेम, शुद्ध बुद्धि का, दूसरे का बल अपहरण करने में पारंगत, शत्रु-संहारकों में अग्रणी, मन से निश्चल तथा निडर और महासागर का सर्जन करनहार कौन? राजा मय कि जिसको शत्रुओं के भी आशीर्वाद मिले हैं।

आप देख सकते हैं कि संस्कृत वर्णमाला के सभी 33 व्यंजन इस पद्य में आ जाते हैं। इतना ही नहीं, उनका क्रम भी यथायोग्य है।

एक ही अक्षर का अद्भुत अर्थ विस्तार।
माघ कवि ने शिशुपालवधम् महाकाव्य में केवल “भ” और “र”, दो ही अक्षरों से एक श्लोक बनाया है-

भूरिभिर्भारिभिर्भीभीराभूभारैरभिरेभिरे।
भेरीरेभिभिरभ्राभैरूभीरूभिरिभैरिभा:।।

अर्थात् धरा को भी वजन लगे ऐसे वजनदार, वाद्य यंत्र जैसी आवाज निकालने वाले और मेघ जैसे काले निडर हाथी ने अपने दुश्मन हाथी पर हमला किया।

किरातार्जुनीयम् काव्य संग्रह में केवल “न” व्यंजन से अद्भुत श्लोक बनाया है और गजब का कौशल प्रयोग करके भारवि नामक महाकवि ने कहा है –

न नोननुन्नो नुन्नोनो नाना नाना नना ननु।
नुन्नोSनुन्नो ननुन्नेनो नानेना नन्नुनन्नुनुत्।।

अर्थ- जो मनुष्य युद्ध में अपने से दुर्बल मनुष्य के हाथों घायल हुआ है वह सच्चा मनुष्य नहीं है। ऐसे ही अपने से दुर्बल को घायल करता है वो भी मनुष्य नहीं है। घायल मनुष्य का स्वामी यदि घायल न हुआ हो तो ऐसे मनुष्य को घायल नहीं कहते और घायल मनुष्य को घायल करें वो भी मनुष्य नहीं है।

अब हम एक ऐसा उदहारण देखेंगे जिसमे महायमक अलंकार का प्रयोग किया गया है। इस श्लोक में चार पद हैं, बिलकुल एक जैसे, किन्तु सबके अर्थ अलग-अलग –

विकाशमीयुर्जगतीशमार्गणा विकाशमीयुर्जगतीशमार्गणाः।
विकाशमीयुर्जगतीशमार्गणा विकाशमीयुर्जगतीशमार्गणाः।।

अर्थात् – अर्जुन के असंख्य बाण सर्वत्र व्याप्त हो गए जिनसे शंकर के बाण खण्डित कर दिए गए। इस प्रकार अर्जुन के रण कौशल को देखकर दानवों को मारने वाले शंकर के गण आश्चर्य में पड़ गए। शंकर और तपस्वी अर्जुन के युद्ध को देखने के लिए शंकर के भक्त आकाश में आ पहुँचे।

संस्कृत की विशेषता है कि संधि की सहायता से इसमें कितने भी लम्बे शब्द बनाये जा सकते हैं। ऐसा ही एक शब्द इस चित्र में है, जिसमें योजक की सहायता से अलग अलग शब्दों को जोड़कर 431 अक्षरों का एक ही शब्द बनाया गया है। यह न केवल संस्कृत अपितु किसी भी साहित्य का सबसे लम्बा शब्द है। (चित्र संलग्न है…)

संस्कृत में यह श्लोक पाई (π) का मान दशमलव के 31 स्थानों तक शुद्ध कर देता है।

गोपीभाग्यमधुव्रात-श्रुग्ङिशोदधिसन्धिग।
खलजीवितखाताव गलहालारसंधर।।

pi=3.1415926535897932384626433832792

श्रृंखला समाप्त करने से पहले भगवन श्री कृष्णा की महिमा का गान करने वाला एक श्लोक प्रस्तुत है जिसकी रचना भी एक ही अक्षर से की गयी है।

दाददो दुद्ददुद्दादी दाददो दूददीददोः।
दुद्दादं दददे दुद्दे दादाददददोऽददः॥

यहाँ पर मैंने बहुत ही काम उदाहरण लिए हैं, किन्तु ऐसे और इनसे भी कहीं प्रभावशाली उल्लेख संस्कृत साहित्य में असंख्य बार आते हैं। कभी इस बहस में न पड़ें कि संस्कृत अमुक भाषा जैसा कर सकती है कि नहीं, बस यह जान लें, जो संस्कृत कर सकती है, वह कहीं और नहीं हो सकता।

थाना कुतुबशेर पुलिस को मिली बड़ी कामयाबी, ए॰टी॰एम॰ कार्ड बदलकर ठगी करने वाला एक गिरफ्तार, दो फरार

राहुल भारद्वाज, सहारनपुर:

सहारनपुर खबर।

सहारनपुर आज थाना कुतुबशेर पुलिस ने एक बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए ए.टी.एम. कार्ड बदलकर ठगी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ कर एक अभियुक्त को तो मोके से गिरफ्तार कर लिया, जबकि इसके दो साथी पुलिस की आंखों में धूल झोंक कर भागने में सफल हो गये।

थाना कुतुबशेर के उप निरीक्षक विकास कुमार यादव एवम सहन्सरपाल मय पुलिस की टीम के चैकिंग कर रहे थे,अचानक आई,सी,आई,बैंक के पास पुलिस ने जेसे ही यहां से गुजर रहे तीन अभियुक्तों को रूकने का इशारा किया तो पुलिस ने रिंकू पुञ प्रेम सिंह निवासी मौहल्ला ञिवेनी स्कूल के पास कलानोर रोहतक को पकड़ लिया,जबकि इसके दो साथी पुलिस की आंखों में धूल झोंक कर फरार हो गये। इसके कब्जे से तीन अवैध ए,टी,एम,कार्ड तथा एक वीवो कम्पनी का मोबाइल बरामद कर,रिंकू को जेल भेज दिया हे।तथा इसके साथियों की तलाश तेज कर दी हे।