एनडीए एकजुट है : अनंत कुमार


केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार ने इस तरह की सभी अटकलों को खारिज करते हुए साफ कर दिया है कि शिवसेना अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ में वोट करेगी।

शिव सेना ने अभी तक कोई आधिकारिक ब्यान नहीं दिया है।


 

 

मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर शुक्रवार को संसद में चर्चा होनी है. लेकिन इससे पहले फिर से एक बार खबरे सामने आने लग गई हैं कि एनडीए में शामिल और महाराष्ट्र में बीजेपी के साथ गठबंधन की सरकार चला रही शिवसेना बीजेपी के खिलाफ वोट कर सकती है. हालांकि केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार ने इस तरह की सभी अटकलों को खारिज करते हुए साफ कर दिया है कि शिवसेना अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ में वोट करेगी.

उन्होंने कहा कि पूरा एनडीए एकटुज है. सोनिया गांधी के आंकड़े कमजोर हैं. आपको बता दें कि इस समय एनडीए के पास 535 लोकसभा सदस्यों में से 313 सदस्य हैं. जिसमें की 274 सांसद तो खुद बीजेपी के पास हैं, जो कि टेस्ट पास करने के 268 के आंकड़े से काफी ज्यादा है. वहीं शिवसेना से जुड़े सूत्रों ने समाचार एजेंसी एएनआई को संकेत दिए हैं कि अविश्वास प्रस्ताव पर शिवसेना सरकार का समर्थन कर सकती है. सूत्र ने कहा कि शिवसेना या तो संसद में निष्पक्ष रहेगी फिर सरकार का साथ देगी. अंतिम फैसला कल लिया जाएगा.

इससे पहले संसद के मानसून सत्र के पहले ही दिन बुधवार को लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सरकार के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव नोटिस को चर्चा और मतविभाजन के लिए स्वीकार कर लिया. अब इस पर शुक्रवार को चर्चा होगी. कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी ने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं के सवाल के जवाब में कहा था कि किसने कहा कि हमारे पास संख्या नहीं है.’ वहीं पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने संवाददाताओं से कहा था, ‘हम खुश हैं कि लोकसभा अध्यक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस को स्वीकार कर लिया है.

रानी का वंश, जी रहा भुला दिये जाने का दंश

युवराज, उनकी परिषद ओर सिपाह सालार


एक परिवार के चलते कितने ही राजवंशों को भुला चुका है देश।

स्वतन्त्रता संग्राम के गद्दार आज भी सत्ता का सुख भोग रहे हैं।


झांसी के अंतिम संघर्ष में महारानी की पीठ पर बंधा उनका बेटा दामोदर राव (असली नाम आनंद राव) सबको याद है. रानी की चिता जल जाने के बाद उस बेटे का क्या हुआ?
वो कोई कहानी का किरदार भर नहीं था, 1857 के विद्रोह की सबसे महत्वपूर्ण कहानी को जीने वाला राजकुमार था जिसने उसी गुलाम भारत में जिंदगी काटी, जहां उसे भुला कर उसकी मां के नाम की कसमें खाई जा रही थी.

अंग्रेजों ने दामोदर राव को कभी झांसी का वारिस नहीं माना था, सो उसे सरकारी दस्तावेजों में कोई जगह नहीं मिली थी. ज्यादातर हिंदुस्तानियों ने सुभद्रा कुमारी चौहान के कुछ सही, कुछ गलत आलंकारिक वर्णन को ही इतिहास मानकर इतिश्री कर ली.

1959 में छपी वाई एन केलकर की मराठी किताब ‘इतिहासाच्य सहली’ (इतिहास की सैर) में दामोदर राव का इकलौता वर्णन छपा.

महारानी की मृत्यु के बाद दामोदार राव ने एक तरह से अभिशप्त जीवन जिया. उनकी इस बदहाली के जिम्मेदार सिर्फ फिरंगी ही नहीं हिंदुस्तान के लोग भी बराबरी से थे.

आइये, दामोदर की कहानी दामोदर की जुबानी सुनते हैं –

15 नवंबर 1849 को नेवलकर राजपरिवार की एक शाखा में मैं पैदा हुआ. ज्योतिषी ने बताया कि मेरी कुंडली में राज योग है और मैं राजा बनूंगा. ये बात मेरी जिंदगी में सबसे दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से सच हुई. तीन साल की उम्र में महाराज ने मुझे गोद ले लिया. गोद लेने की औपचारिक स्वीकृति आने से पहले ही पिताजी नहीं रहे.

मां साहेब (महारानी लक्ष्मीबाई) ने कलकत्ता में लॉर्ड डलहॉजी को संदेश भेजा कि मुझे वारिस मान लिया जाए. मगर ऐसा नहीं हुआ.

डलहॉजी ने आदेश दिया कि झांसी को ब्रिटिश राज में मिला लिया जाएगा. मां साहेब को 5,000 सालाना पेंशन दी जाएगी. इसके साथ ही महाराज की सारी सम्पत्ति भी मां साहेब के पास रहेगी. मां साहेब के बाद मेरा पूरा हक उनके खजाने पर होगा मगर मुझे झांसी का राज नहीं मिलेगा.

इसके अलावा अंग्रेजों के खजाने में पिताजी के सात लाख रुपए भी जमा थे. फिरंगियों ने कहा कि मेरे बालिग होने पर वो पैसा मुझे दे दिया जाएगा.

मां साहेब को ग्वालियर की लड़ाई में शहादत मिली. मेरे सेवकों (रामचंद्र राव देशमुख और काशी बाई) और बाकी लोगों ने बाद में मुझे बताया कि मां ने मुझे पूरी लड़ाई में अपनी पीठ पर बैठा रखा था. मुझे खुद ये ठीक से याद नहीं. इस लड़ाई के बाद हमारे कुल 60 विश्वासपात्र ही जिंदा बच पाए थे.

नन्हें खान रिसालेदार, गनपत राव, रघुनाथ सिंह और रामचंद्र राव देशमुख ने मेरी जिम्मेदारी उठाई. 22 घोड़े और 60 ऊंटों के साथ बुंदेलखंड के चंदेरी की तरफ चल पड़े. हमारे पास खाने, पकाने और रहने के लिए कुछ नहीं था. किसी भी गांव में हमें शरण नहीं मिली. मई-जून की गर्मी में हम पेड़ों तले खुले आसमान के नीचे रात बिताते रहे. शुक्र था कि जंगल के फलों के चलते कभी भूखे सोने की नौबत नहीं आई.

असल दिक्कत बारिश शुरू होने के साथ शुरू हुई. घने जंगल में तेज मानसून में रहना असंभव हो गया. किसी तरह एक गांव के मुखिया ने हमें खाना देने की बात मान ली. रघुनाथ राव की सलाह पर हम 10-10 की टुकड़ियों में बंटकर रहने लगे.

मुखिया ने एक महीने के राशन और ब्रिटिश सेना को खबर न करने की कीमत 500 रुपए, 9 घोड़े और चार ऊंट तय की. हम जिस जगह पर रहे वो किसी झरने के पास थी और खूबसूरत थी.

देखते-देखते दो साल निकल गए. ग्वालियर छोड़ते समय हमारे पास 60,000 रुपए थे, जो अब पूरी तरह खत्म हो गए थे. मेरी तबियत इतनी खराब हो गई कि सबको लगा कि मैं नहीं बचूंगा. मेरे लोग मुखिया से गिड़गिड़ाए कि वो किसी वैद्य का इंतजाम करें.

मेरा इलाज तो हो गया मगर हमें बिना पैसे के वहां रहने नहीं दिया गया. मेरे लोगों ने मुखिया को 200 रुपए दिए और जानवर वापस मांगे. उसने हमें सिर्फ 3 घोड़े वापस दिए. वहां से चलने के बाद हम 24 लोग साथ हो गए.

ग्वालियर के शिप्री में गांव वालों ने हमें बागी के तौर पर पहचान लिया. वहां तीन दिन उन्होंने हमें बंद रखा, फिर सिपाहियों के साथ झालरपाटन के पॉलिटिकल एजेंट के पास भेज दिया. मेरे लोगों ने मुझे पैदल नहीं चलने दिया. वो एक-एक कर मुझे अपनी पीठ पर बैठाते रहे.

हमारे ज्यादातर लोगों को पागलखाने में डाल दिया गया. मां साहेब के रिसालेदार नन्हें खान ने पॉलिटिकल एजेंट से बात की.

उन्होंने मिस्टर फ्लिंक से कहा कि झांसी रानी साहिबा का बच्चा अभी 9-10 साल का है. रानी साहिबा के बाद उसे जंगलों में जानवरों जैसी जिंदगी काटनी पड़ रही है. बच्चे से तो सरकार को कोई नुक्सान नहीं. इसे छोड़ दीजिए पूरा मुल्क आपको दुआएं देगा.

फ्लिंक एक दयालु आदमी थे, उन्होंने सरकार से हमारी पैरवी की. वहां से हम अपने विश्वस्तों के साथ इंदौर के कर्नल सर रिचर्ड शेक्सपियर से मिलने निकल गए. हमारे पास अब कोई पैसा बाकी नहीं था.

सफर का खर्च और खाने के जुगाड़ के लिए मां साहेब के 32 तोले के दो तोड़े हमें देने पड़े. मां साहेब से जुड़ी वही एक आखिरी चीज हमारे पास थी.

इसके बाद 5 मई 1860 को दामोदर राव को इंदौर में 10,000 सालाना की पेंशन अंग्रेजों ने बांध दी. उन्हें सिर्फ सात लोगों को अपने साथ रखने की इजाजत मिली. ब्रिटिश सरकार ने सात लाख रुपए लौटाने से भी इंकार कर दिया.

दामोदर राव के असली पिता की दूसरी पत्नी ने उनको बड़ा किया. 1879 में उनके एक लड़का लक्ष्मण राव हुआ.दामोदर राव के दिन बहुत गरीबी और गुमनामी में बीते। इसके बाद भी अंग्रेज उन पर कड़ी निगरानी रखते थे। दामोदर राव के साथ उनके बेटे लक्ष्मणराव को भी इंदौर से बाहर जाने की इजाजत नहीं थी।


इनके परिवार वाले आज भी इंदौर में ‘झांसीवाले’ सरनेम के साथ रहते हैं. रानी के एक सौतेला भाई चिंतामनराव तांबे भी था. तांबे परिवार इस समय पूना में रहता है. झाँसी के रानी के वंशज इंदौर के अलावा देश के कुछ अन्य भागों में रहते हैं। वे अपने नाम के साथ झाँसीवाले लिखा करते हैं। जब दामोदर राव नेवालकर 5 मई 1860 को इंदौर पहुँचे थे तब इंदौर में रहते हुए उनकी चाची जो दामोदर राव की असली माँ थी। बड़े होने पर दामोदर राव का विवाह करवा देती है लेकिन कुछ ही समय बाद दामोदर राव की पहली पत्नी का देहांत हो जाता है। दामोदर राव की दूसरी शादी से लक्ष्मण राव का जन्म हुआ। दामोदर राव का उदासीन तथा कठिनाई भरा जीवन 28 मई 1906 को इंदौर में समाप्त हो गया। अगली पीढ़ी में लक्ष्मण राव के बेटे कृष्ण राव और चंद्रकांत राव हुए। कृष्ण राव के दो पुत्र मनोहर राव, अरूण राव तथा चंद्रकांत के तीन पुत्र अक्षय चंद्रकांत राव, अतुल चंद्रकांत राव और शांति प्रमोद चंद्रकांत राव हुए।

दामोदर राव चित्रकार थे उन्होंने अपनी माँ के याद में उनके कई चित्र बनाये हैं जो झाँसी परिवार की अमूल्य धरोहर हैं। लक्ष्मण राव तथा कृष्ण राव इंदौर न्यायालय में टाईपिस्ट का कार्य करते थे।
अरूण राव मध्यप्रदेश विद्युत मंडल से बतौर जूनियर इंजीनियर 2002 में सेवानिवृत्त हुए हैं। उनका बेटा योगेश राव सॅाफ्टवेयर इंजीनियर है। वंशजों में प्रपौत्र अरुणराव झाँसीवाला, उनकी धर्मपत्नी वैशाली, बेटे योगेश व बहू प्रीति धन्वंतरिनगर इंदौर में रह रहे हैं।

कांग्रेस के चाटुकारों ने तो सिर्फ नेहरू परिवार की ही गाथा गाई है इन लोगों को तो भुला ही दिया गया है जिन्होंने असली लड़ाई लड़ी थी अंग्रेजो के खिलाफ आइए इस को आगे पीछे बढ़ाएं और लोगों को सच्चाई से अवगत कराए

Indian rights watchdog sounds alarm over farmer suicides


India’s rights watchdog has expressed concern over the suicide of hundreds of farmers in the western state of Maharashtra in recent months, calling for an official response. Despite state aid, Indian agriculture is in a dire state due to drought, failed crops, poor infrastructure and low prices for produce, but Maharashtra is particularly badly hit.


The state government there said last weekend that 639 farmers committed suicide between March and May, an average of seven every day. In recent years the state has seen several protests by farmers turning violent.

The National Human Rights Commission (NHRC) has told the federal and state governments to report back in a month over the crisis and to spell out what government welfare schemes are available.

Prime Minister Narendra Modi, likely to seek re-election next year, has promised to double the income of farmers by 2022 and launched a $1.3-billion insurance scheme to protect millions of them. But Maharashtra Revenue Minister Chandrakant Patil told the state assembly on Saturday that only 174 farmers had been given compensation, with 122 cases rejected and 329 under review.

Opponents of the government say more than 13,000 farmers have killed themselves Maharashtra since Modi’s BJP came to power in 2014 both in Maharashtra and at federal level.

भाजपा की ‘साइबर सेना’ 2019 के संग्राम के लिए तैयार


बीजेपी के उपलब्धियों के बखान और विपक्ष के हमलों का जवाब देने के लिए बनाई गई है साइबर सेना


अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में सोशल मीडिया पर विपक्ष के हमले का जवाब देने के लिए बीजेपी ने किलेबंदी की है. इसके लिए पार्टी ने साइबर सेना का गठन किया है. यह सेना हर मतदान केंद्र पर उन पांच लोगों की टीम होगी जो लोगों के सामने बीजेपी की उपलब्धियों की तस्वीर पेश करेगी.

बीजेपी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आज के दौर में सोशल मीडिया का प्रभाव किसी से छिपा नहीं है. आने वाले चुनाव में काफी संख्या में युवा पहली बार वोट डालेंगे. देश के दूरदराज के क्षेत्रों में भी लोग सोशल मीडिया से जुड़े हैं.

उन्होंने कहा, ‘ऐसे में पार्टी दूरदराज के क्षेत्रों में आईटी के जरिए जन-जन तक सरकार के कार्यों की सही तस्वीर पेश करेगी.’ बीजेपी की साइबर सेना विपक्षी दलों के आरोपों का जबाव देने के लिए खास तौर पर काम कर रही है. इसके लिए अलग-अलग मुद्दों पर डाटा बैंक तैयार किया जा रहा है. ताकि, आरोपों का जवाब तथ्य और आंकड़ों के साथ दिया जा सके.

कैसे काम करेगी ‘साइबर सेना’

पार्टी की सोशल मीडिया टीम तीन स्तरों पर काम कर रही है. एक समूह प्रिंट मीडिया पर ध्यान देगा और बीजेपी के खिलाफ प्रचार पर नजर रखेगा. एक दल बीजेपी के खिलाफ दुष्प्रचार का मुकाबला करने के लिए जवाबी रिपोर्ट तैयार करेगा.

बीजेपी के खिलाफ किसी भी तरीके के दुष्प्रचार को रोकने के लिए साइबर सेना में हर मतदान केंद्र पर पांच लोगों को चुना जाएगा. इन लोगों को पार्टी की उपलब्धियों से जुड़ी रिपोर्ट और डेटा वाले मैसेज भेजे जाएंगे. इन पांच लोगों को हर दिन बीजेपी का बुलेटिन भेजा जाएगा. ये लोग स्मार्ट फोन से लैस होंगे और सोशल मीडिया पर सक्रिय होंगे.

साइबर सेना बड़े नेताओं के रुख का प्रचार सोशल मीडिया के माध्यम से करेगी. इसके लिए पार्टी सोशल मीडिया पर काम करने के लिए बड़ी टीम तैयार कर रही है. इस सिलसिले में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह अपनी देशव्यापी यात्रा के दौरान हर प्रदेश में पार्टी के आईटी सेल के लोगों और कार्यकर्ताओं से मिल रहे हैं.

कुछ समय पहले अमित शाह 300 ऐसे कार्यकर्ताओं से मिले थे जिन्हें सोशल मीडिया पर 10 हजार से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं. उन्होंने कार्यकर्ताओं को केंद्र सरकार की तरफ जनता के हित में उठाए गए कदमों की सूचना फैलाने की सलाह दी गई.

बीजेपी ने समाज के हर तबके और हर उम्र के लोगों के बीच अपने आधार को मजबूत बनाने के लिए शक्ति केंद्रों की स्थापना की है. इन शक्ति केंद्रों के प्रमुखों के ज़िम्मे पांच से सात बूथ हैं.

पार्टी सोशल मीडिया प्लेटफार्म के जरिए सरकार की योजनाओं के बारे में भी जानकारी दे रही है. बीजेपी ने नमो एप से बूथ स्तर तक पार्टी कार्यकर्ताओं को जोड़ने की पहल की है. कॉलेजों और अलग-अलग शैक्षिक संस्थानों में अभियान चलाकर इससे युवाओं को जोड़ने की ‘सेल्फी विद कैम्पस’ योजना बनाई गई है. कई प्रदेशों में ‘चलो पंचायत’ कार्यक्रम भी शुरू किया गया है.

बॉम्बे हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज अभय एम थिप्से के कांग्रेस में शामिल


 

महाराष्ट्र के एक रिटायर्ड जज के कांग्रेस में शामिल होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जजों के उस पैनल से हटा दिया जिसे महाराष्ट्र सरकार और स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक के बीच के विवाद को सुलझाने की जिम्मेदारी दी गई थी.

प्रदेश सरकार द्वारा बॉम्बे हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज अभय एम थिप्से के कांग्रेस में शामिल होने की जानकारी मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला लिया है.

थिप्से को महाराष्ट्र सरकार और स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक के बीच राजकोषीय विवाद की मध्यस्थता करने के लिए मनोनीत किया गया था लेकिन बीते जून को देश में ‘बढ़ते फासीवाद और असहिष्णुता’ से लड़ने के लिए उन्होंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली. यहां तक की थिप्से के स्वागत में राहुल गांधी ने एक फॉर्मल पार्टी का आयोजन भी करवाया था.

अब जब इस बात की खबर जजों के बेंच को लगी तो उन्होंने स्टेट कॉउंसल से कई सवाल जवाब किए और उस लेटर की मांग की जिसमें थिप्से के कांग्रेस ज्वाइन करने की बात लिखी हो. जजों को वो लेटर हैंडओवर की गई जिसमें लिखा था कि जस्टिस अभय एम थिप्से ने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली है. ऐसे में उनकी जगह हम पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस एस.जे.वसीफदार को बेंच में शामिल कर रहे हैं. लेटर मिलने के बाद जजों ने मुस्कुराते हुए इसे बहुत विरले ही होने वाली घटना करार दिया.

ICICI will submitt 1000 NPAs of Kochhar’s tenure


ICICI Bank will submit details on NPA accounts to the B.N. Srikrishna panel, as part of a probe into alleged wrongdoings by the bank’s top executives, including CEO Chanda Kochhar


Mumbai:

ICICI Bank Ltd is preparing to submit details of at least 1,000 loan accounts that turned sour since April 2010 to an independent panel, as part of a board-instituted probe into alleged wrongdoings by the lender’s top executives, including its off-duty CEO Chanda Kochhar, two people aware of the development said.

The panel, headed by former Supreme Court judge B.N. Srikrishna, has started investigating, among other issues, three of the most serious allegations made by a whistleblower—impropriety in lending decisions; conflict of interest in loans made to business groups; and that Kochhar favoured certain borrowers.

“Since 26 June, ICICI Bank’s central risk management department has started gathering details of non-retail loan accounts that turned NPAs (non-performing assets) since fiscal 2010, which are suspected to involve potential breach of banking norms or code-of-conduct by the bank and its top management or key vertical heads,” said one of the two people on condition of anonymity.

Mint has also reviewed copies of the communication between the bank’s risk management department and loan departments, which indicate that the loan divisions have been asked to furnish details of loans that have turned bad since 2010.

The findings of the Srikrishna panel will decide the fate of Kochhar, who is now on indefinite leave pending the completion of the investigation. Kochhar, who became the bank’s CEO on 1 May 2009, will have to resign if the panel finds that the whistleblower’s allegations are true.

Chanda Kochhar, chief executive officer and managing director of ICICI Bank Ltd., speaks at the World Economic Forum’s India Economic Summit in New Delhi, India, on Monday, Nov. 9, 2009. The conference, entitled “India’s Next Generation of Growth” brings together leaders from both the public and private sectors for three days in the nation’s capital. Photographer: Pankaj Nangia/Bloomberg *** Local Caption *** Chanda Kochhar

The bank allegedly delayed impairment in 31 loan accounts between fiscal 2008 and March 2016 to save on provisioning costs and inflate profits by a total of $1.3 billion in a span of eight years, Mint reportedon 25 June, citing the whistle blower’s complaint. The bank also delayed provisioning by a quarter to as long as five years for 31 loan accounts worth at least $3 billion, according to the complaint.

ICICI Bank denied that the lender’s risk management department has sought details of the loan accounts.

“The risk management department of the bank has not sought details of loan accounts, as mentioned in your e-mail. We would like to inform you that this does not fall under the scope of the Justice Srikrishna enquiry,” said an ICICI Bank spokesperson.

ICICI Bank on 29 May decided to institute a probe by an independent panel to verify the charges made by the whistleblower. The Srikrishna panel’s investigation runs parallel to probes by government authorities into an alleged nexus between Videocon Group and Kochhar’s husband Deepak Kochhar.

The whistleblower has also alleged that ICICI Bank’s top executives, including CEO Kochhar and executive director Vijay Chandok, wilfully breached rules to avoid classifying the loans as bad.

“The Srikrishna committee will verify the whistleblower charges by comparing the disclosures made by the bank, its board, audit committee, compliance division and so on,” the second person said, also requesting anonymity.

In response to a query, ICICI Bank admitted that in certain accounts, transactions were observed that may have delayed the classification of the account as non-performing under Indian GAAP (generally accepted accounting principles) in earlier years.

The panel’s probe will also examine the whistleblower’s allegations that top executives wilfully breached rules.

“There have been several meetings held at the bank by the senior management to discuss the modus operandi of trying to save certain loan assets in other countries by funding a group company in India. The bank’s discussions in such cases indicate the involvement of Chanda Kochhar in negotiations with the client,” reads the whistleblower’s letter.

Following the whistleblower’s complaint, RBI began a second probe into the dealings of the bank during Kochhar’s tenure. The RBI probe began on 25 March with a list of at least 26 of the 31 loan accounts named in the whistleblower’s complaints. However, following ICICI Bank’s response to its first set of queries on 11 April, the banking regulator decided to expand its probe to 55 of ICICI Bank’s borrowers. ICICI Bank said, “RBI in the normal course of its supervisory activities seeks information from the bank from time to time.”

The 55 loan accounts being probed by RBI include Essar Global Ltd, Essar Power Ltd, Assam Oil Co. Ltd, Bhushan Steel Ltd, Essar Steel India Ltd, Videocon Oil Ventures Ltd, Shree Renuka Sugars Ltd, ABG Shipyard Ltd, IVRCL Ltd, Bhushan Power and Steel Ltd, Bhushan Energy Ltd and Gammon India Ltd.

On 18 June, ICICI Bank appointed ICICI Prudential Life Insurance chief executive Sandeep Bakhshi as whole-time director and chief operating officer.

मोहन भागवत के साथ मंच साझा करेंगे रतन टाटा

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संघ के एक पदाधिकारी ने बताया कि टाटा और भागवत नाना पालकर स्मृति समिति द्वारा 24 अगस्त को आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होंगे


आरएसएस ने मंगलवार को कहा कि उद्योगपति रतन टाटा अगले महीने मुंबई में होने वाले एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ मंच साझा करेंगे. इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी पिछले महीने नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक कार्यक्रम का हिस्सा बन चुके हैं. कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति का हिस्सा लेना चर्चा का विषय बन गया था.

संघ के एक पदाधिकारी ने बताया कि टाटा और भागवत नाना पालकर स्मृति समिति द्वारा 24 अगस्त को आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होंगे. इस एनजीओ का नाम संघ प्रचारक नाना पालकर के नाम पर रखा गया है. इस समिति का परिसर मुंबई के टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के पास है और यह अस्पताल के कैंसर मरीजों की मदद करती है.

संघ के पदाधिकारी ने बताया कि टाटा इस परिसर का दौरा कर चुके हैं और वह एनजीओ के कार्य से अवगत हैं. टाटा ट्रस्ट के प्रवक्ता ने टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा कि अगर ऐसा होता है तो यह उनका निजी मामला होगा.

इससे पहले रतन टाटा अपने 79 वें जन्मदिन पर 29 दिसंबर 2016 को नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक मुख्यालय गए थे. उनके प्रवक्ता ने इसे शिष्टाचार भेंट बताया था.

समिति के सचिवों में एक ने कहा कि 24 अगस्त को हमारे संस्थापक पालकर के शताब्दी वर्ष और हमारे संगठन के गोल्डन जुबली वर्ष के अवसर पर पधारने के लिए हमने टाटा से संपर्क किया. लेकिन उन्होंने ना तो स्वीकार किया और न ही अस्वीकार किया. इसलिए हम आशावान हैं. एनजीओ अधिकारी ने बताया कि मध्य मुंबई के माटुंगा में यशवंत नाट्यमंदिर में कार्यक्रम का आयोजन होगा.

एनजीओ ने बताया कि 160 वर्ष से ज्यादा पुराना टाटा ट्रस्ट नाना पालकर स्मृति समिति का समर्थक रहा है और शुरुआत में डायलिसिस उपकरण और अन्य उपकरण खरीदने में उसे मदद दी थी.

बुलेट ट्रेन मामला अब गोदरेज अड़ा


गौरतलब है कि किसान और आदिवासी पहले ही इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं


केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन परियोजना के सामने एक नई चुनौती पैदा हो गई है. परियोजना के लिए विकरोली में प्रस्तावित अपनी प्राइम लोकेशन के अधिग्रहण के खिलाफ गोदरेज ग्रुप ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

समूह ने परियोजना का मार्ग बदलने की बात कही है ताकि उसकी कंपनी गोदरेज कंस्ट्रक्शन की लगभग 8.6 एकड़ जमीन उससे बाहर आ सके. बता दें कि मुंबई और अहमदाबाद के बीच बन रहे 508.17 किलोमीटर लंबे रेल ट्रेक का 21 किलोमीटर हिस्सा अंडरग्राउंड होगा. अंडरग्राउंड ट्रैक का एक पॉइंट विकरोली में है. गोदरेज ग्रुप की तरफ से पिछले महीने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसपर 31 जुलाई को एक जज की बेंच द्वारा सुनवाई की जा सकती है.

गौरतलब है कि किसान और आदिवासी पहले ही इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं. गुजरात के चार किसानों ने भूमि अधिग्रहण से संबंधित मामले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की हुई है. बता दें कि पिछले साल सितंबर में प्रधानमंत्री मोदी ने जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे से साथ अहमदाबाद में बुलेट ट्रेन परियोजना की आधारशिला रखी ती.

देश की पहली बुलेट ट्रेन करीब 350 किलोमीटर की रफ्तार से चलेगी और अहमदाबाद से मुंबई की दूरी को तीन घंटे में तय करेगी. अपने सफर के दौरान ट्रेन 12 स्टेशन पर रुकेगी जिसमें से चार महाराष्ट्र में हैं.

मुकेश अंबानी का कार्यकाल 5 साल ओर बढ़ा


बाजार पूंजीकरण के आधार पर देश की दूसरी बड़ी निजी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के शेयरधारकों ने मुकेश अंबानी को अगले पांच वर्ष के लिए फिर से अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक (सीएमडी) नियुक्त करने को मंजूरी प्रदान कर दी है।


मुंबई

61 वर्षीय अंबानी वर्ष 1977 से कंपनी के निदेशक मंडल है और जुलाई 2002 में उनके पिता धीरूभाई अंबानी के निधन के बाद अध्यक्ष बनाया गया था। गत पांच जुलाई को कंपनी की 41वीं वार्षिक आम बैठक में अंबानी को कंपनी का पांच वर्ष के लिए पुन: अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव किया था। उनकी नई नियुक्ति 19 अप्रेल 2019 से प्रभावी होगी।

कंपनी ने शेयर बाजार को सूचित किया है कि उसके 616.45 करोड़ शेयरधारकों में से 50818 करोड़ शेयरधारकों ने अंबानी को पुन: अध्यक्ष बनाने के पक्ष में मतदान किया है। कुल मत में से 98.5 फीसदी ने अंबानी के पक्ष में एवं 1.48 प्रतिशत ने विरोध में पड़े थे।

प्रस्ताव के अनुसार अंबानी को वार्षिक 4.17 करोड़ वेतन मिलेगा और 59 लाख रुपए पूर्वनिर्धारित व्यय और भत्ते मिलेगा। इसमें सेवानिवृत्ति लाभ शामिल नहीं है।

कंपनी के शुद्ध लाभ के आधार पर वह बोनस के हकदार भी होंगे और पत्नी एवं सेवादारों के साथ कारोबारी यात्राओं का पूरा व्यय और कंपनी के कामकाज के लिए कारों का उपयोग, आवास पर संचार से संबंधित सभी व्यय रिलायंस करेगी। अंबानी और उनके परिवार की सुरक्षा पर होने वाला व्यय भी कंपनी ही भरेगी।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में महिलाओं के जाने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि महिलाओं के लिए राष्ट्रीय सेविका समिति है: सुमित्रा महाजन


सुमित्रा महाजन ने कहा ‘जब मैं अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठती हूं तो मैं सोचती हूं कि सभी दलों की अपनी राजनीति है. उनकी अपनी समस्याएं हैं और अपने नेता हैं जिन्होंने सांसदों को कुछ करने का निर्देश दिया होता है. मैं सदैव उन्हें समझने का प्रयास करती हूं.’


लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने शुक्रवार को कहा कि वह मातृभाव से सदन चलाने का प्रयास करती हैं.

लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का नाम लिए बिना बताया कि उन्होंने देश के एक बड़े नेता को पत्र लिखकर उनके बयान का जवाब दिया था कि, ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में महिलाओं के जाने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि महिलाओं के लिए राष्ट्रीय सेविका समिति है.’

उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की महिला शाखा राष्ट्र सेविका समिति की संस्थापक लक्ष्मीबाई केलकर की जयंती पर एक कार्यक्रम में समिति के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि जिस तरह मां सार्वजनिक रूप के बजाय बंद कमरे में अपने बच्चों को डांटती है, उसी तरह उनके काम में बेहतर संतुलन कायम करने की जरूरत होती है.

उन्होंने कहा, ‘जब मैं अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठती हूं तो मैं सोचती हूं कि सभी दलों की अपनी राजनीति है. उनकी अपनी समस्याएं हैं और अपने नेता हैं जिन्होंने सांसदों को कुछ करने का निर्देश दिया होता है. मैं सदैव उन्हें समझने का प्रयास करती हूं.’

महाजन ने कहा, ‘मेरा प्रयास सदैव सदन को सुचारू रूप से चलाना होता है. यदि वे उसके बाद भी नहीं समझते हैं तो तब मैं सदन स्थगित कर देती हूं, उन्हें अपने केबिन में बुलाती हूं और उन्हें समझाती हूं. मैं उन्हें सलाह भी दे सकती हूं. अतएव यह मेरे मातृत्व को दर्शाता है. मैं अपना गुस्सा नहीं दिखाती हूं. यह समाज में संतुलन बनाने का भी एक उदाहरण है.’

उनकी टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब संसद का मॉनसून सत्र 18 जुलाई को शुरू होने वाला है. उसकी करीब 18 बैठकें होंगी.

उन्होंने कहा, ‘मैं इस राष्ट्रीय सेविका समिति की सेविका हूं. चूंकि मैं लोकसभा अध्यक्ष हूं और मैं किसी सार्वजनिक मंच पर कुछ नहीं कह सकती. मैं जानती हूं कि लक्ष्मीबाई केलकर ने संघ से ही प्रेरणा लेकर राष्ट्र सेविका समिति की स्थापना की थी.’

महाजन ने संघ की इस महिला शाखा के बारे में जानकारी देते हुए गांधी को एक पत्र और समिति के इतिहास की एक पुस्तक भेजी है.

राहुल गांधी ने पिछले साल 10 अक्टूबर को गुजरात के वडोदरा में विद्यार्थियों की एक सभा में कहा था, ‘आरएसएस में कितनी महिलाएं हैं ? ….. क्या आपने कोई महिला शाखा में शॉर्ट पहनी देखी है ? मैंने नहीं देखी.’