Sunday, December 15

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 04 मई 2024

नोटः आज वारूथिनी एकादशी व्रत और श्री वल्लभाचार्य जयंती है।

‘वराह’ अवतार

वारूथिनी एकादशी व्रत : वरूथिनी एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है। वहीं वरुथिनी एकादशी का व्रत अन्नदान, कन्यादान दोनों श्रेष्ठ दानों का फल मिलता है। वहीं आपको बता दें कि इस एकादशी पर भगवान विष्णु के ‘वराह’ अवतार की पूजा- अर्चना की जाती है।

श्री वल्लभाचार्य जयंती

श्री वल्लभाचार्य जयंती : भगवान कृष्ण और उन्होंने बृज में वैष्णववाद के कृष्ण केंद्रित पुष्टि संप्रदाय की भी स्थापना की। विशाखा मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि यानी 4 मई 2024 को वल्लभाचार्य जयंती मनाई जाने वाली है । यह वल्लभाचार्य जी की 545वीं जयंती होगी। वल्लभाचार्य का जन्म 1479 ई।

विक्रमी संवत्ः 2081, 

शक संवत्ः 1946, 

मासः वैशाख 

पक्षः कृष्ण, 

तिथिः  एकादशी रात्रि काल 08.39 तक है, 

वारः शनिवार। 

नोटः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। शनिवार को देशी घी, गुड़, सरसों का तेल का दानदेकर यात्रा करें।

नक्षत्रः पूर्वाभाद्रपद रात्रि काल 10.07 तक हैं, 

योगः ऐन्द्र प्रातः काल 11.03 तक, 

करणः बव, 

सूर्य राशिः  मेष, चन्द्र राशिः  कुम्भ, 

राहु कालः प्रातः 9.00 बजे से प्रातः 10.30 तक, 

सूर्योदयः 05.42, सूर्यास्तः 06.55 बजे।