मुख्यधारा से गुम होता गुमथला

सारिका तिवारी, पंचकुला

लोकसभा चुनावों का बहिष्कार करने के लिए गांव गुमथला भले ही मीडिया और जनता में चर्चा का विषय बना है परन्तु आज दो दिन बाद भी अभी तके भी किसी अधिकारी या राजनेता ने यहाँ का दौरा करने की ज़रूरत नहीं समझी। इसे प्रशासन और राजनेताओं की लापरवाही कहा जाए या निष्ठुरता।

कालका क्षेत्र में पड़ता गाँव गुमथला न केवल मौलिक सुविधाओं से वंचित है बल्कि हालत यह है कि आनेजाने के लिए रास्ता ही नहीं है। गांव की दयनीय स्थिति का सबसे ज़्यादा असर बच्चों पर पड़ रहा है। लगभग 5 वर्ष पहले यहाँ का प्राथमिक स्कूल बंद कर दिया गया । सरकारी नीति के अनुसार जिन स्कूलों में बच्चों की संख्या कम है उन स्कूलों को बंद कर दिया गया और दूसरे स्कूलों के साथ मिला दिया गया। यह गाँव भी इसी स्थिति का शिकार हो गया सुविधा के नाम पर उपलब्ध एक मात्र स्कूल भी इनसे छीन लिया गया।

गाँव का एकमात्र स्कूल जिसे बंद हुए पाँच साल हो गए

अब यहाँ से बच्चे पंचकूला या अमरावती पढ़ने जाते हैं। चूंकि स्कूल या सार्वजनिक यातायात की सुविधा के साधन न होने के कारण अभिभावकों को ही बच्चों को स्कूल पहुंचाना और लिवाना पड़ता है। जिस दिन बारिश हो जाये उस दिन तो कहीं भी आना जाना मुश्किल हो जाता है। परीक्षा के दिनों में अगर बारिश हो जाये तो बच्चों की साल भर की मेहनत पर पानी भी फिर सकता है।
गांव निवासी शाम लाल ने बताया कि सड़क तक का रास्ता तय करने के लिए या तो गांववासियो को चार किलोमीटर पथरीली ज़मीन पर से आना जाना पड़ता है या फिर नदी पर बनाये अस्थायी पुल का सहारा लेना पड़ता है। जब demokraticfront.com की टीम ने उस पुल का जायज़ा लिया तो पाया कि यह रास्ता खतरनाक ही नहीं जानलेवा भी साबित हो सकता है खासकर बच्चों के लिए। नदी के बीच से होकर गुजरना किसी भी अनचाही घटना को अंजाम दे सकता है। लेकिन प्रशासन आँखों पर पट्टी बांधे हुए है।

नदी पर गाँव वालों द्वारा निर्मित अस्थाई पुल

घग्घर नदी के तट पर स्थित 250 के करीब आबादी वाले इस गाँव मे 35 से 40 घर हैं और 135 के करीब मतदाता हैं। गांव वालों के अनुसार विधायिका लतिका शर्मा पांच साल में केवल एक बार आईं लेकिन सांसद रत्न लाल कटारिया ने तो कभी सुध भी नहीं ली। विधायक और सांसद चाहे किसी भी दल का आया यह गांव सबके लिए सौतेला ही है

“हठी हम्मीर” आज बलिदान दिवस

सिंह सुवन, सत्पुरुष वचन, कदली फलै इक बार,
तिरिया तेल हमीर हठ, चढ़ै ना दूजी बार ।।

अर्थात सिंह एक ही बार संतान को जन्म देता है. सज्जन लोग बात को एक ही बार कहते हैं । केला एक ही बार फलता है. स्त्री को एक ही बार तेल एवं उबटन लगाया जाता है अर्थात उसका विवाह एक ही बार होता है. ऐसे ही राव हमीर का हठ है. वह जो ठानते हैं, उस पर दोबारा विचार नहीं करते।

ये वो मेवाड़ी शासक है जिन्होंने अल्लाउद्दीन खिलजी को तीन बार हराया था ,और अपनी कैद में भी रखा था । इनके नाम के आगे आज भी हठी जोड़ा जाता है , आइये जानते है इस मेवाड़ी शासक के बारे में और उसके हठ, तथा ऐतिहासिक युद्धो के बारे में ।

राव हम्मीर देव चौहान रणथम्भौर “रणतभँवर के शासक थे। ये पृथ्वीराज चौहाण के वंशज थे। इनके पिता का नाम जैत्रसिंह था। ये इतिहास में ‘‘हठी हम्मीर के नाम से प्रसिद्ध हुए हैं। जब हम्मीर वि॰सं॰ १३३९ (ई.स. १२८२) में रणथम्भौर (रणतभँवर) के शासक बने तब रणथम्भौर के इतिहास का एक नया अध्याय प्रारम्भ होता है।हम्मीर देव रणथम्भौर के चौहाण वंश का सर्वाधिक शक्तिशाली एवं महत्वपूर्ण शासक थे। इन्होने अपने बाहुबल से विशाल साम्राज्य स्थापित कर लिया था।

राव हमीर का जन्म सात जुलाई, 1272 को चौहानवंशी राव जैत्रसिंह के तीसरे पुत्र के रूप में अरावली पर्वतमालाओं के मध्य बने रणथम्भौर दुर्ग में हुआ था। बालक हमीर इतना वीर था कि तलवार के एक ही वार से मदमस्त हाथी का सिर काट देता था. उसके मुक्के के प्रहार से बिलबिला कर ऊंट धरती पर लेट जाता था। इस वीरता से प्रभावित होकर राजा जैत्रसिंह ने अपने जीवनकाल में ही 16 दिसम्बर, 1282 को उनका राज्याभिषेक कर दिया। राव हमीर ने अपने शौर्य एवं पराक्रम से चौहान वंश की रणथम्भौर तक सिमटी सीमाओं को कोटा, बूंदी, मालवा तथा ढूंढाढ तक विस्तृत किया। हमीर ने अपने जीवन में 17 युद्ध लड़े, जिसमें से 16 में उन्हें सफलता मिली। 17वां युद्ध उनके विजय अभियान का अंग नहीं था।

मेवाड़ राज्य उसकी उत्तपत्ति से ही शौर्य और वीरता का प्रतीक रहा है। मेवाड़ की शौर्य धरा पर अनेक वीर हुए। इसी क्रम में मेवाड़ के राजा विक्रमसिंह के बाद उसका पुत्र रणसिंह(कर्ण सिंह) राजा हुआ। जिसके बाद दो शाखाएँ हुई एक रावल शाखा तथा दूसरी राणा शाखा । जिसमे से रावल शाखा वाले मेवाड़ के स्वामी बने और राणा शाखा वाले सिसोदे के जागीरदार रहे। राणा शाखा वाले सिसोदे ग्राम में रहने के कारण सिसोदिया कहलाये।

रावल शाखा में कर्णसिंह के बाद उसका ज्येष्ठ पुत्र क्षेमसिंह मेवाड़ के राजा हुआ। जिसके बाद इस वंश का रावल रतनसिंह तक मेवाड़ पर राज्य रहा। रावल वंश की समाप्ति अल्लाउद्दीन खिलजी के विस्. 1360 (ई.स. 1303) में रावल रतनसिंह सिंह से चित्तौड़ छीनने पर हुई। राणा शाखा के राहप के वंशज ओर सिसोदा के राणा हम्मीर ने चित्तौड़ के प्रथम शाके में रावल रतनसिंह के मारे जाने के कुछ वर्षों पश्चात चित्तौड़ अपना अधिकार जमाया और मेवाड़ के स्वामी हुआ। राणा हम्मीर ने मेवाड़ पर सिसोदिया की राणा शाखा का राज्य विस्. 1383 (ईस. 1326) के आसपास स्थापित कर महाराणा का पद धारण किया। इस प्रकार सिसोदे कि राणा शाखा में माहप ओर राहप से राणा अजयसिंह तक के सब वंशज सिसोदे के सामन्त रहे। चित्तौड़ का गया हुआ राज्य अजयसिंह के भतीजे (अरिसिंह का पुत्र) राणा हम्मीर ने छुड़ा लिया था और मेवाड़ पर सिसोदियों की राणा शाखा का राज्य स्थिर किया। तब से लेकर भारत के स्वतंत्रता के पश्चात मेवाड़ राज्य के भारतीय संघ में विलय होने तक मेवाड़ पर सोसोदियो की राणा शाखा का राज्य चला आता है।

हम्मीर के नेतृत्व में रणथम्भौर के चौहानों ने अपनी शक्ति को काफी सुदृढ़ बना लिया और राजस्थान के विस्तृत भूभाग पर अपना शासन स्थापित कर लिया था। अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली के निकट चौहानों की बढ़ती हुई शक्ति को नहीं देखना चाहता था, इसलिए संघर्ष होना अवश्यंभावी था।

अलाउद्दीन की सेना ने सर्वप्रथम छाणगढ़ पर आक्रमण किया। उनका यहाँ आसानी से अधिकार हो गया। छाणगढ़ पर मुगलों ने अधिकार कर लिया है, यह समाचार सुनकर हम्मीर ने रणथम्भौर से सेना भेजी। चौहान सेना ने मुगल सैनिकों को परास्त कर दिया। मुगल सेना पराजित होकर भाग गई, चौहानों ने उनका लूटा हुआ धन व अस्त्र-शस्त्र लूट लिए। वि॰सं॰ १३५८ (ई.स. १३०१) में अलाउद्दीन खिलजी ने दुबारा चौहानों पर आक्रमण किया। छाणगढ़ में दोनों सेनाओं में भयंकर युद्ध हुआ। इस युद्ध में हम्मीर स्वयं नहीं गया था। वीर चौहानों ने वीरतापूर्वक युद्ध किया लेकिन विशाल मुगल सेना के सामने कब तक टिकते। अन्त में सुल्तान का छाणगढ़ पर अधिकार हो गया।

तत्पश्चात् मुगल सेना रणथम्भौर की तरफ बढ़ने लगी। तुर्की सेनानायकों ने हमीर देव के पास सूचना भिजवायी, कि हमें हमारे विद्रोहियों को सौंप दो, जिनको आपने शरण दे रखी है। हमारी सेना वापिस दिल्ली लौट जाएगी। लेकिन हम्मीर अपने वचन पर दृढ़ थे। मुगल सेना का घेरा बहुत दिनों तक चलता रहा। लेकिन उनका रणथम्भौर पर अधिकार नहीं हो सका।

अलाउद्दीन ने राव हम्मीर के पास दुबारा दूत भेजा की हमें विद्रोही सैनिकों को सौंप दो, हमारी सेना वापस दिल्ली लौट जाएगी। हम्मीर हठ पूर्वक अपने वचन पर दृढ था। बहुत दिनों तक मुगल सेना का घेरा चलता रहा और चौहान सेना मुकाबला करती रही। अलाउद्दीन को रणथम्भीर पर अधिकार करना मुश्किल लग रहा था। उसने छल-कपट का सहारा लिया। हम्मीर के पास संधि का प्रस्ताव भेजा जिसको पाकर हम्मीर ने अपने आदमी सुल्तान के पास भेजे। उन आदमियों में एक सुर्जन कोठ्यारी (रसद आदि की व्यवस्था करने वाला) व कुछ सेना नायक थे। अलाउद्दीन ने उनको लोभ लालच देकर अपनी तरफ मिलाने का प्रयास किया। इनमें से गुप्त रूप से कुछ लोग सुल्तान की तरफ हो गए।

दुर्ग का धेरा बहुत दिनों से चल रहा था, जिससे दूर्ग में रसद आदि की कमी हो गई। दुर्ग वालों ने अब अन्तिम निर्णायक युद्ध का विचार किया। राजपूतों ने केशरिया वस्त्र धारण करके शाका किया। राजपूत सेना ने दुर्ग के दरवाजे खोल दिए। भीषण युद्ध करना प्रारम्भ किया। दोनों पक्षों में आमने-सामने का युद्ध था। एक ओर संख्या बल में बहुत कम राजपूत थे तो दूसरी ओर सुल्तान की कई गुणा बडी सेना, जिनके पास पर्येति युद्धादि सामग्री एवं रसद थी। अंत में राजपूतों की सेना वजयी रही।

बादशाह खिलजी को राणा ने हराने के बाद तीन माह तक जेल में बंद रखा । तीन माह पश्चात उससे अजमेर रणथम्भौर, नागौर शुआ और शिवपुर को मुक्त कराके उन्हें अपने लिए प्राप्त कर और एक सौ हाथी व पचास लाख रूपये लेकर जेल से छोड़ दिया।

राणा ने अपने जीवन काल में मारवाड़ जयपुर, बूंदी, ग्वालियर, चंदेरी  रायसीन, सीकरी, कालपी तथा आबू के राजाओं को भी अपने अधीन कर पुन: एक शक्तिशाली मेवाड़ की स्थापना की।

सिद्धू की वाणी को जबरन विराम मिला

नई दिल्ली:

मोदी को गालियां बकते बकते वह कब पंजाब के मुख्यमंत्री को भी अपने शब्द बाणों से घायल कर गए यह बहुत बोलने वाले मियां बीवी को पता ही नहीं चला।
कांग्रेस के स्टार प्रचारक नवजोत सिद्धू की पत्नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू ने कहा है कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को प्रदेश की सभी 13 सीट पर जीत का विश्वास है फिर प्रदेश में सिद्धू के चुनाव प्रचार की क्या जरूरत है। डॉ. सिद्धू शनिवार को पूर्वी विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस उम्मीदवार गुरजीत सिंह औजला के चुनाव प्रचार के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहीं थीं।
अब हालात यह हैं की उन्हे अपने ध्वनि यंत्र अथवा वोकल कॉर्ड वजह से छुट्टी लेनी पड़ रही है। वैसे भी सभी ने सुनील जाखड़ को भविष्य का मुख्य मंत्री मान लिया है ऐसे में सिद्धू की वाणी को विराम लगना बनता है।

लोकसभा चुनाव 2019 के 6 चरणों का मतदान हो चुका है. 19 मई को सातवें चरण का मतदान होना बाकी है. इसी बीच कांग्रेस को एक झटका लगा है. कांग्रेस नेता और पंजाब सरकार में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू का गला खराब हो गया है. लोकसभा चुनाव के दौरान सिद्धू अपने विवादास्‍पद बयानों, तुकबंदी और जुमलों से चुनाव माहौल को गरम बनाए हुए थे. अचानक गला खराब हो जाने से कांग्रेस और सिद्धू दोनों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. 19 मई को  पंजाब की 13 लोकसभा सीटों पर भी वोटिंग होनी है. पंजाब में जीत के लिए सभी राजनैतिक पार्टियां इन दिनों जमकर प्रचार कर रही हैं.

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Navjot Singh Sidhu’s office: Navjot Singh Sidhu put on steroid medication and injections due to continuous speech damaging his vocal cords. At the moment Mr. Sidhu is under the medication & in process of a quick recovery to return-back to campaigning at the earliest. (file pic)3872:32 PM – May 13, 2019513 people are talking about thisTwitter Ads info and privacy

कांग्रेस के नेता नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) भी अपनी पार्टी को जीत दिलाने के लिए ताबड़तोड़ प्रचार कर रहे थे. अचानक नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) को लेकर अब एक खबर आ रही है कि रैलियों में भाषण दे देकर उनका गला खराब हो गया है और वो इसका इलाज करा रहे हैं.नवजोत सिंह सिद्धू के कार्यालय से जारी बयान में कहा गया कि, लगातार प्रचार की वजह से सिद्धू का गला खराब हो गया है. जिसके बाद डॉक्टर उनका इलाज कर रहे हैं. जारी बयान में कहा गया है कि ‘वह जल्द ही चुनाव प्रचार के लिए वापस आएंगे.

अमर सिंह की नवजोत को नसीहत:
पीएम नरेंद्र मोदी(PM Modi) पर कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू(Navjot Singh Sidhu) के लगातार तीखे हमलों ने राज्यसभा सांसद अमर सिंह(Amar Singh) को बेचैन कर दिया है.उन्होंने नवजोत सिंह सिद्धू पर करारा हमला बोला है. नरेंद्र मोदी पर तीखे बयानों को लेकर सिद्ध को संबोधित करते हुए अमर सिंह ने कहा है कि अगर आसमान पर थूकोगे तो थूक चेहरे पर ही गिरेगा. देश के निर्वाचित प्रधानमंत्री को अपशब्द बोलना शोभा नहीं देता. अपने ट्विटर हैंडल से पोस्ट किए वीडियो में अमर सिंह ने कहा है कि राजनीति में विवाद स्वाभाविक है. नरेंद्र मोदी का भी गुजरात में शंकर सिंह बाघेला और केशुभाई पटेल से विवाद हो चुका, मगर उन नेताओं के बारे में नरेंद्र मोदी ने कभी गलत बातें नहीं कहीं. खुद का केस बताते हुए अमर सिंह ने कहा कि उन्हें समाजवादी पार्टी से दो-दो बार निकाला गया, मगर आपको तो नहीं निकाला गया. सिर्फ बीजेपी ने अरुण जेटली के लिए टिकट काटा. बावजूद इसके आपकी पीड़ा को समझते हुए बीजेपी ने राज्यसभा भेजा. आपने इसे स्वीकार भी किया. फिर कांग्रेस में जाने के लिए आपने राज्यसभा से इस्तीफा भी दे दिया.यह आपका अधिकार भी है. मैं आपको जेंटलमैन समझता रहा. मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियां स्वीकार्य नहीं हैं. 

एक खबर के मुताबिक कांग्रेस के स्टार प्रचारक माने जाने वाले सिद्धू ने लोकसभा चुनाव के दौरान 28 दिनों में 80 राजनैतिक रैलियों को संबोधित किया है. लगातार रैलियों में बोलने की वजह से उनका गला खराब हो गया . जिसके बाद डॉक्टर उन्हें स्टेरॉयड की दवा और इंजेक्शन दे रहे हैं.

सिद्धू को 14 मई को बिहार और 15 मई को बिलासपुर में रैली करनी थी. जो अब शायद स्थगित करनी करनी पड़े. 16 मई और 17 मई को वह एमपी में भी रैली करने वाले थे. गला खराब होने के बाद सिद्धू और कांग्रेस के लिए यह झटके के रूप में देखा जा रहा है.

हिंदू विरोध से जीत के दिवास्वप्न दखने वाले एक और नेता कमल हस्सन

कई राष्ट्रिय पुरसकारों से सम्मानित एक दिग्गज अभिनेता कमाल हस्सन ने एक मंच से अपने सालों से अर्जित ज्ञान को बघारा। विस्मय है कि इतने सूझवान नेता को हत्या और आतंक में भेद करने लायक सामर्थ्य नहीं है। यह उनकी राजनैतिक विवशता थी क्योंकि वह मुस्लिम बहुल इलाके में चुनावी रेल कर रहे थे ओर सामने गांधी कि प्रतिमा भी थी। बाद में उन्होने इसी बात का बहुत भोथरा स्पष्टीकरण देने का भी प्रयास किया जिससे उनकी मनो:स्थिति का पता चलता है। मक्कल नीधि मैयम (एमएनएम) के संस्थापक कमल हासन ने यह कहकर नया विवाद खड़ा कर दिया है कि आजाद भारत का पहला ‘‘आतंकवादी हिन्दू’’ था. वह महात्मा गांधी की हत्या करने वाले, नाथूराम गोडसे के संदर्भ में बात कर रहे थे. हस्सन मोदी विरोध कि राजनीति करने मैदान में उतरे हैं और उन्हे लगता है मोदि विरोध ही उनकी चुनावी वैतरणी पार लगायेगा।

सनद रहे नाथुराम गोडसे ने महात्मा गांधी कि हत्या कि थी, नाथुराम को इतिहास एक हत्यारे के रूप में जानता है न कि एक आतंकी के रूप में आज कमल हस्सन स्वयं को इतिहास आरों ओर अदालतों से अधिक श्रेष्ठ जताने कि चेष्टा कर रहे हैं। वह यह बताते दिख रहे हैं कि उस समय के लोगों को हत्या ओर आतंक के बीच ठीक उसी तरह फर्क नहीं पता था जैसे आज काँग्रेस को हत्या ओर शहादत के बीच फर्क नहीं मालूम

अरवाकुरिचि (तमिलनाडु): मक्कल नीधि मैयम (एमएनएम) के संस्थापक कमल हासन ने यह कहकर नया विवाद खड़ा कर दिया है कि आजाद भारत का पहला ‘‘आतंकवादी हिन्दू’’ था. वह महात्मा गांधी की हत्या करने वाले, नाथूराम गोडसे के संदर्भ में बात कर रहे थे. रविवार की रात एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए हासन ने कहा कि वह एक ऐसे स्वाभिमानी भारतीय हैं जो समानता वाला भारत चाहते हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘मैं ऐसा इसलिए नहीं बोल रहा हूं कि यह मुसलमान बहुल इलाका है, बल्कि मैं यह बात गांधी की प्रतिमा के सामने बोल रहा हूं. आजाद भारत का पहला आतंकवादी हिन्दू था और उसका नाम नाथूराम गोडसे है. वहीं से इसकी (आतंकवाद) शुरुआत हुई.’’ महात्मा गांधी की 1948 में हुई हत्या का हवाला देते हुए हासन ने कहा कि वह उस हत्या का जवाब खोजने आये हैं.

Kamal Haasan during campaigning in Aravakurichi assembly constituency, Tamil Nadu, yesterday: “I am not saying this because many Muslims are here. I’m saying this in front of Mahatma Gandhi’s statue. First terrorist in independent India is a Hindu, his name is Nathuram Godse.” pic.twitter.com/LSDaNfOVK01,70210:13 AM – May 13, 2019Twitter Ads info and privacy1,697 people are talking about this

कमल हासन इससे पहले भी दक्षिणपंथी चरमपंथ पर निशाना साध चुके हैं. करीब डेढ़ साल पहले इस संबंध में उन्‍होंने एक विवादित लेख भी इस विषय पर लिखा था. उसमें उन्‍होंने लिखा था कि दक्षिणपंथी समूहों ने हिंसा का दामन इसलिये थामा क्योंकि उनकी पुरानी ”रणनीति” ने काम करना बंद कर दिया है. हसन ने तमिल पत्रिका ‘आनंद विकटन’ के अंक में अपने स्तंभ में आरोप लगाया था कि दक्षिणपंथी संगठनों ने अपने रुख में बदलाव किया है, हालांकि उन्होंने इसमें किसी का नाम नहीं लिया है.

कमाल हसन के इस वक्तव्य का विवेक ओबेरॉय ने खुल कर विरोध जताया है।

समर्थन वापिस लेने की चुनौती पर बिफरीं मायावती

अलवर बलात्कार मामले में प्रधान मंत्री मोदी ने मायावती को चुनौती दी की यदि वह सच में दलित हितैषी हैं तो राजस्थान में कांग्रेस को जो समर्थन दीं हुयी हैं उसे वापिस लेलें। इस चुनौतीको मायावती ने अपने आप पर ओर अपनी दलित प्रेम की नीतियों पर प्रत्यक्ष चोट माना और बौखलाहट में मायावती ने कहा, ‘पीएम मोदी ने कल जो यहां नकली दलित प्रेम दिखाने की ड्रामेबाजी की है, उससे चुनाव में कुछ हासिल होने वाला नहीं है. अभी सहारनपुर कांड को लोग भूले नहीं हैं. हैदराबाद में रोहित वेमुला के साथ क्या हुआ और गुजरात में दलितों के साथ जितने उत्पीड़न क मामले सामने आए, वह किसी से छिपा हुआ नहीं है. उत्तर प्रदेश में भी हर रोज दलित उत्पीड़न हो रहा है इस पर चुप्पी साधे हुए हैं.’ मायावती इतना बौखला गईं की उनके छद्म कांग्रेस विरोध का पर्दाफाश हो गया अब वह कुच्छ भी कहेंगी, जिसका आने वाले चुनावों पर पूरा पूरा असर होगा।

लखनऊ: अलवर गैंगरेप (Alwar Gangrape) मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra modi) की ओर से आए बयान पर बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने उन्हें आड़े हाथों लिया है. सोमवार को मायावती ने कहा, ‘पीएम मोदी ने कल जो यहां नकली दलित प्रेम दिखाने की ड्रामेबाजी की है, उससे चुनाव में कुछ हासिल होने वाला नहीं है. अभी सहारनपुर कांड को लोग भूले नहीं हैं. हैदराबाद में रोहित वेमुला के साथ क्या हुआ और गुजरात में दलितों के साथ जितने उत्पीड़न क मामले सामने आए, वह किसी से छिपा हुआ नहीं है. उत्तर प्रदेश में भी हर रोज दलित उत्पीड़न हो रहा है इस पर चुप्पी साधे हुए हैं.’

‘यूपी में दलित उत्पीड़न पर चुप क्यों हैं पीएम?’
बीएसपी सुप्रीमो ने कहा कि जिन बीजेपी शासित राज्यों में दलित उत्पीड़न हुए वहां मुख्यमंत्रियों से इस्तीफे क्यों नहीं लिए गए. इन सब मामलों में नैतिक जिम्मेवारी लेते हुए कभी भी इस्तीफे की पेश नहीं की गई. अलवर में हुई दलित उत्पीड़न की घटना को लेकर पीएम मोदी चुप थे, लेकिन मेरे बोलने के बाद अब चुनाव में घृणित लाभ लेने की कोशिश का रहे हैं. 

‘पीएम मोदी गरीब होने का नाटक कर रहे हैं’
उन्होंने कहा कि ये क्या बात करेंगे, ये अपनी ख़राब हुई राजनीतिक स्थिति को देखते हुए आये दिन अपना जाती बदल रहे हैं. अब अपनी जाती गरीब बता रहे हैं. गरीब की कभी चिंता नहीं की और 15 लाख रुपए अकाउंट में डालने की बात को जुमलेबाजी कहके पल्ला झाड़ रहे हैं. नोटबांडी करके गरीबों को परेशान किया. पीएम मोदी न तो गरीब हैं न फ़कीर हैं. गरीब होने का नाटक कर रहे हैं, ताकि इन्हें वोट मिल सके. 

‘जन्मजात अति पिछड़ी जाति से नहीं हैं पीएम मोदी’
मायावती ने कहा कि पीएम मोदी अपने को अति पिछड़ी जाती का बताते हैं. वास्तव में ये जन्मजात पिछड़ी जाती के नहीं हैं. इन्होंने गुजरात में अपने शासन में अपनी जाती को पिछड़े वर्ग में शामिल करा लिया है, क्योंकि अगर ये दलित होते तो दलितों के बंगले इनको अखरते नहीं. इन्हें अखरता है कि दलित बंगले में कैसे रह रहा है. वैसे अब इनके कुछ ही दिन बचे हैं. अपनी मन मर्यादा टाक पर रख दी है.

‘मैं झांसे में नहीं आई तो तीखे हमले करने लगे पीएम मोदी’
बीएसपी सुप्रीमो ने कहा कि इस बार बीजेपी और पीएम मोदी को केंद्र की सत्ता से बहार रखना होगा. इन्होंने गठबंधन तोड़ने की कोशिश की और मुझे आदरणीय बहन मायावती जी पुकारे और जब मैंने मुहतोड़ जवाब दिया तो अब बुआ-बबुआ पर उतर आये. जो संस्कारी लोग हैं वो पूरे सम्मान के साथ मुझे बहनजी पुकारते हैं और मेरे माता पिता भी मुझे बहनजी बुलाते हैं और अखिलेश जी मुझे बहन जी ही बुलाते हैं. लोगों को मोदी जी के दोहरे चरित्र से सावधान रहना चाहिए.

कांग्रेस शासित प्रदेश में दलितों को “न्याय” नहीं

बलात्कार पर राजनीति कोइ अच्छी बात नहीं लेकिन अशोक गहलोत ने चुनावों तक मामला दर्ज़ ही न होने देने की चाल चल कर राजनीति को हवा दे दी। हर जगह अवार्ड वापीसी गैंग, दलित प्रेमी नेताओं को ढूंढा जाने लगा। च्ंकि यह मामला राजस्थान का था जहां कांग्रेस की सरकार है कोई भी सामने नहीं आया, यहाँ तक कि आतिशी कि झूठी शियायात पर हायतौबा मचाने वाला महिला कमीशन अथवा ह्यूमन राइट्स अमिशन को भी कांग्रेस सरकार में दलित मनुष्य नहीं लगे। आ जब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने मायावती जो हमेशा केएचडी को दलितों का झंडाबरदार मानतीं हैं से ने दलित प्रेम ए बारे मेन पूछा तो यह सभी खोये हुए लोग बरसाती मेंढ़कों कि तरह निकलने लग पड़े।

देवरिया/कुशीनगर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि बसपा अध्यक्ष मायावती को अगर अलवर में हुए सामूहिक बलात्कार काण्ड से वाकई पीड़ा हो रही है, तो वह राजस्थान सरकार से समर्थन वापस लें. पीएम मोदी ने देवरिया और कुशीनगर में हुए चुनावी रैलियों में कहा कि राजस्थान की सरकार बसपा के सहयोग से चल रही है. वहां की कांग्रेस सरकार दलित बेटी से सामूहिक बलात्कार का मामला दबाने में लगी है. बहनजी (बसपा प्रमुख मायावती) राजस्थान में आपके समर्थन से सरकार चल रही है. वहां दलित बेटी से बलात्कार हुआ है. आपने उस सरकार से समर्थन वापस क्यों नहीं लिया? घड़ियाली आंसू बहा रही हो.’ 

उन्होंने कहा कि आपके (मायावती) साथ गेस्ट हाउस कांड पर पूरे देश को पीड़ा हुई थी. आज अलवर कांड पर आपको पीड़ा क्यों नहीं हो रही है. अगर हो रही है तो बयानबाजी करने की बजाय राजस्थान सरकार से समर्थन वापस लीजिये.’ मोदी ने रैली में मौजूद लोगों से पूछा ‘आतंकवादियों को घर में घुसकर मारा गया. आपको गर्व हुआ कि नहीं हुआ. माथा ऊंचा हुआ कि नहीं हुआ. सीना चौड़ा हुआ कि नहीं हुआ. ये चुनाव देश में एक बुलंद सरकार देने का चुनाव है. 21वीं सदी में भारत का विश्व में क्या स्थान हो, उसके लिये यह चुनाव है. यही कारण है कि देश आज राष्ट्र के हितों को सर्वोपरि रखने वाली सरकार केन्द्र में चाहता है.’ 

पीएम मोदी ने कहा कि आतंक से निपटना सपा, बसपा के बस की बात ही नहीं है और बाजार में प्रधानमंत्री के जितने चेहरे घूम रहे हैं. उनमें हिम्मत के साथ सीना तानकर आतंकवाद के खिलाफ कौन लड़ सकता है. सपा, बसपा और कांग्रेस वाले ऐसे लोग हैं, जो गली के गुंडे तक पर लगाम नहीं लगा पाते, ये आतंकवाद पर कैसे लगाम लगाएंगे.

पीएम ने कहा कि मैं अति पिछड़ी जाति में पैदा हुआ लेकिन देश को दुनिया में सबसे आगे ले जाने के लिये जी-जान से जुटा हुआ हूं. जो लोग मोदी की जाति जानना चाहते हैं, वे कान खोलकर सुन लें. मोदी की एक ही जाति है गरीब. ये लोग मोदी का नहीं, बल्कि गरीबी की जाति का सर्टिफिकेट मांग रहे हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि सपा, बसपा के लोगों ने गरीबों को लूट कर बड़े—बड़े महल खड़े कर लिये लेकिन मैंने कभी जोड़-तोड़ करके अमीर बनने का सपना नहीं देखा और ना ही अपने परिवार वालों को दिखाया है. जब 20-25 साल बाद मेरा शरीर कमजोर हो जाएगा तब मुझे रहने के लिये किराये का कमरा ढूंढना पड़ेगा.

उन्होंने सपा और बसपा के बीच नाराजगी पनपने का दावा करते हुए कहा कि बहनजी सपा के कार्यकर्ताओं से नाराज हैं इसलिए उनको माइक पर सलाह देती हैं कि बसपा वालों से सपा को सीखने की जरूरत है. स्वार्थ का साथ ज्यादा नहीं चलता है. मैं सोचता हूं कि 23 मई को बहनजी के समर्थकों का क्या होगा, तब उनकी दोस्ती चूर-चूर हो जाएगी. तब बबुआ के कार्यकर्ता बुआ के कार्यकर्ताओं से ऐसी दुश्मनी निकालेंगे कि बहनजी भी कुछ नहीं कर पाएंगी.’ मोदी ने कहा कि विपक्षी दल लोकसभा चुनाव में चारों खाने चित हो जाएंगे क्योंकि लोगों ने एक मजबूत और ईमानदार सरकार बनाने की ठान ली है.

प्रियंका वाड्रा द्वारा अपमानित नीलम मिश्रा ने दल बल सहित छोड़ी कांग्रेस

एक होती है नूरा कुश्ती इस कुश्ती में दो भिड़ने वाले पहलवान आपस ही में तय कर लेते हैं की कोई भी चित्त नहीं होगा या फिर कौन चित्त होगा। हम नूरा कुश्ती पहले भी समाजवादी परिवार में होती देख चुके हैं। अब गठबंधन और कांग्रेस में भी नूरा कुश्ती ही चल रही है। अभी हाल ही में बदोही में भी यही कुश्ती एक बार फिर दोहराई गयी, जहां जिले की कांग्रेस अध्यक्ष नीलम मिश्रा ने कांग्रेस छोड़ दी ओर गठबंधन के उम्मीदवार के हित में जुट गयी। इसे कहते हैं तेल गिरा तो कड़ाही में। एक ओर बात जो सामने आ रही है वह है नामदारों का अपने कार्यर्ताओं के प्रति रवैया। अभी सैम पित्रोदा के दिल्ली में सिक्ख कत्लेआम पर दिये गए ब्यान “हुआ तो हुआ” थमा नहीं की प्रियंका वादरा आ महिलाओं के लिए दिया गया यह बयान। जानते हैं पूरा मामला

भदोही: लोकसभा चुनाव 2019  के छठवें चरण में रविवार को सात राज्यों की 59 सीटों पर मतदान हुआ. इस दौरान उत्तर प्रदेश के भदोही जिले की कांग्रेस अध्यक्ष नीलम मिश्रा ने पूर्वी यूपी की प्रभारी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा पर गंभीर आरोप लगाते हुए पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. नीलम मिश्रा ने आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस ने भदोही से एक बाहरी व्यक्ति को प्रत्याशी बनाया है. इस बारे में जब हमने प्रियंका गांधी से बात की तो उन्होंने कई अपमानजनक बातें कहीं.  

आरोप है कि शुक्रवार को यहां हुई चुनावी सभा के बाद उन्होंने प्रियंका से शिकायत की थी कि भदोही से पार्टी के प्रत्याशी रमाकांत यादव लगातार जिला कांग्रेस कमेटी की उपेक्षा कर रहे हैं। यहां तक कि रैली में पार्टी पदाधिकारियों को घुसने तक नहीं दिया जा रहा है। 

इसपर प्रियंका गांधी ने कथित रुप से नीलम मिश्रा क सबके सामने डांटना शुरु कर दिया और कहा कि ‘अगर आप लोग अपमानित महसूस कर रहे हैं तो करते रहिए’। 

नीलम मिश्रा ने बताया कि उन्होंने कांग्रेस पार्टी से शनिवार को इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने कहा कि भदोही से रमाकांत यादव को उम्मीदवार बनाया गया है. वह बाहरी व्यक्ति हैं और हाल ही में बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए हैं. उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए बहुत बड़ा झटका था. नीलम ने दावा किया कि इस बारे में एक बैठक के दौरान हमने प्रियंका गांधी से बात करने की कोशिश भी की थी. लेकिन, प्रियंका गांधी नाराज हो गईं और हमारे लिए कई अपमानजनक बातें कहीं.   

बताते चलें कि रमाकांत यादव को चुनाव आयोग का नोटिस भी मिल चुका है. चुनाव आयोग ने अपने आपराधिक रिकॉर्ड के बारे में जनता को बताने के लिए कहा था, जिसके लिए उम्मीदवारों को छोटे या बड़े अखबारों में इसे प्रकाशित करवाना था, लेकिन कांग्रेस उम्मीदवार रमाकांत यादव ने इसकी अनदेखी की थी. मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला निर्वाचन आयोग ने यादव को नोटिस भेजा था

पंचकूला जिला में सांय 6 बजे तक हुआ लगभग 69 प्रतिशत मतदान, जिला में लोकसभा चुनाव शांति पूवर्क सम्पन्न

-उपायुक्त ने जिला वासियों का सहयोग के लिये अभार व्यक्त किया पंचकूला,

पुरनूर, 12 मई :

उपायुक्त एवं जिला निर्वाचन अधिकारी डाॅ. बलकार सिंह ने बताया कि प्रराम्भिक जानकारी के मुताबिक सांय 6 बजे तक जिला में लगभग 69 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया है। उन्होंने बताया कि 01 कालका विधानसभा क्षेत्र में इस अवधि तक लगभग 73 प्रतिशत तथा 02 पंचकूला विधानसभा क्षेत्र में लगभग 65 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि मतदान के अंतिम आंकडे पीठासीन अधिकारियों की डायरी उपलब्ध होने के बाद ही मिल पायेंगे।

उन्होंने बताया कि जिला में मतदान प्रक्रिया शांति पूर्वक सम्पन्न हुई और मतदान को शांति पूर्वक सम्पन्न करवाने के लिये उन्होंने मतदाताओं का अभार व्यक्त किया। आज प्रातः काल से ही शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में मतदान केंद्रों पर मतदान के लिये लंबी लाईने लगनी आरम्भ हो गई थी। उन्होंने बताया कि सभी मतदान केंद्रों पर मतदाताओं के लिये आवश्यक सुविधाए उपलब्ध करवाने के साथ-साथ दिव्यांग व अधिक आयु के मतदाताओं के लिये व्हील चेयर की सुविधा भी उपलब्ध करवाई गई थी।

उन्होंने बताया कि सभी मतदान केंद्रो पर सुरक्षा के भी पुख्ता प्रबंध किये गये थे। उन्होंने बताया कि कालका विधानसभा क्षेत्र की ई.वी.एम को सैक्टर 14 स्थित राजकीय महिला महाविद्यालय तथा पंचकूला विधानसभा क्षेत्र की ई.वी.एम सैक्टर 1 स्थित राजकीय महाविद्यालय के स्ट्रांग रूम में कड़ी सुरक्षा और सी.सी.टी कैमरो की निगरानी में रहेगी। उन्होंने बताया कि मतगणना 23 मई को इन दोनों स्थानों पर ही की जायेगी। उपायुक्त व पुलिस उपायुक्त ने शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में मतदान केंद्रों का दौरा करके मतदान प्रक्रिया का जायजा लिया और चुनाव डयूटी पर तैनात स्टाफ और मतदाताओं से भी मतदान के बारे में जानकारी प्राप्त की। उन्होंने रामगढ़, बूडनपुर, अभयपुर, सैक्टर 19 तथा जिला के अन्य अतिसवेंदनशील श्रेणी के मतदान केंद्रो का विशेष निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि मतदान प्रक्रिया प्रातः 7 बजे आरम्भ की गई थी। आरम्भ में कुछेक मतदान केंद्रों पर ई.वी.एम मामूली दिक्कते आई थी जो विशेषज्ञो द्वारा जल्द ठीक कर दी गई थी।

आज पहली बार वोट डालने वाले लोगों की संख्या भी बहुत थी। मोरनी से वंदना ओर सेक्टर 18 के अभिषेक से हमारी मुलाक़ात हुई।

First time voter vandna morni pkl
abhishek wadhva first time voter

उन्होंने बताया कि प्रातः 7 बजे से 9 बजे तक कालका विधानसभा क्षेत्र में  7.5 प्रतिशत व पंचकूला विधानसभा क्षेत्र में 7 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था। इसी प्रकार प्रातः 9 बजे से 11 बजे तक कालका में 14.6 व पंचकूला में 11.8 तथा 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक कालका विधानसभा क्षेत्र में 26 प्रतिशत और पंचकूला विधानसभा क्षेत्र में 27.7 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। उन्होंने बताया कि बाद दोपहर 3 बजे तक कालका में 54.8 और पंचकूला विधानसभा क्षेत्र में 40.4 प्रतिशत मतदान हुआ। इसी प्रकार 5 बजे तक कालका विधानसभा क्षेत्र में 63.9 और पंचकूला विधानसभा क्षेत्र में 52.8 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। उन्होंने बताया कि सांय 6 बजे कालका विधानसभा क्षेत्र में लगभग 73 प्रतिशत तथा पंचकूला विधानसभा क्षेत्र में लगभग 65 प्रतिशत मतदान की सूचना है।

पूर्व चेयरमैन विजय बंसल ने भी डाला वोट,परिवार सहित किया मतदान

  • कांग्रेस छात्र संगठन में राष्ट्रीय संयोजक दीपांशु बंसल ने किया पहली बार मतदान
  • कहा देश का विकास व युवाओ को रोजगार के लिए कांग्रेस को चुन रहे लोग-कांग्रेस बनाएगी केंद्र में सरकार

पिंजोर:

पूर्व चेयरमैन हरियाणा सरकार व हरियाणा किसान कांग्रेस के प्रदेशउपाध्यक्ष विजय बंसल ने पिंजोर में लोकसभा के छठे चरण के चुनावों में अम्बाला संसदीय क्षेत्र के सांसद के चयन के लिए मतदान किया।विजय बंसल ने अपने परिवार सहित मतदान किया जिस दौरान कांग्रेस छात्र संगठन में राष्ट्रीय संयोजक दीपांशु बंसल ने पहली बार मतदान का प्रयोग किया और विजय बंसल के बड़े सुपुत्र सजल बंसल ने भी पहली बार मतदाता के रूप में मतदान किया।विजय बंसल ने विभिन्न बूथो का दौरा भी किया और कहा कि मतदाताओं के रुझान से साफ जाहिर है कि कांग्रेस की जीत निश्चित है और कुमारी सैलजा भारी मतों से 23 मई को विजयी होने वाली है।दीपांशु बंसल ने कहा कि पहली बार मतदाता के तौर पर उन्होंने देश के बेहतर विकास के लिए,युवाओ को रोजगार देने के लिए,छात्रो के लिए बेहतर शिक्षा सुविधाओ के लिए,महिलाओं की सुरक्षा के लिए और देश को नई दिशा व राह देने के लिए अपनी जिंदगी का पहला वोट कांग्रेस को दिया।इसके साथ ही सजल बंसल ने भी देश के बेहतर विकास के लिए पहली बार के मतदाता के रूप में मतदान किया।इस दौरान विजय बंसल का समस्त परिवार व समर्थक मौजूद रहे।

मूलभूत सुविधाओं के लिए पीढ़ियों से तरस रहे गुमथला गाँव ने चुनावों का बहिष्कार किया

नेताओं, अधिकारियों यहाँ तक कि नाड्ढा साहेब गुरुद्वारे को जा रही मुख्य सड़क के भी ध्यान से गुम हो चुके जिंदा गाँव का नाम है ‘गुमथला’

आज जहां राष्ट्र लोकतन्त्र के उत्सव में रंगा हुआ है वहीं हरियाणा प्रांत के अंबाला सांसदिया क्षेत्र के नगर पंचकुला के गाँव गुमथला में लोगों ने इस उत्सव में भाग लेने से मना कर दिया।

आज जब demokraticfront.com ने इस गाँव क दौरा किया तो पाया कि मुख्य सड़क से 3 से 4 किलोमीटर दूर बसे इस गाँव में कोई पक्की सड़क नहीं जाती। वहाँ पहुँचने के लिए एक सूखी नदी भी पार करनी पड़ती है जहां से गाँव मुश्किल से 1 या सवा किलोमीटर दूर है। गाँव पहुँचने पर हमें वहाँ टाइलों से बनी सड़क दिखाई पड़ी। एक प्राइमरी स्कूल, आंगनबाड़ी के दो कमरे बस सरकार ने यही दो चीज़ें मुहैया करवा रखीं हैं। बिजली कि तारें तो पड़ी हुई हैं लेकिन बिजली कभी कभार ही आती है। और ट्रांसफार्मर के नाम पर लकड़ी का फट्टा जिस पर तारें खुले में ही जोड़ रक्खीं हैं।

गाँव वालों से बात करते हुए हमने पाया कि गाँव तो बहुत पुराना है, शायद हरियाणा बनाने से पहले का, कितनी सरकारें आयीं कितने चुनाव भुगत लिए लें गाँव कि दुर्दशा बाद से बदतर होती गयी है।
demokraticfront.com टीम ने जब गाँव वालों से पूछा तो उन्होने अपने सभी ज़ख़म खोल कर रख दिये। महिलाओं कि तो हालत ओर भी बुरी थी। गाँव में कोई भी चिकित्सीय केंद्र नहीं है, यहाँ तक कि आशा वर्कर भी साल में शायद ही कभी आती हो।

गाँव के लोगों ने बताया कि कम आबादी और कम बच्चों का हवाला दे कर सरकार ने तकरीबन 6 साल पहले प्राइमरी स्कूल भी बंद कर दिया जो कि अब चुनावों अथवा कभी कभार आने वाले सरकारी लोगों के लिए खोला जाता है। बच्चे पंचकुला के नामचीन विद्यालयों में पढ़ने जाते हैं लेकिन उन विद्यालयों कि भी मजबूरी है कि सड़क कि सुविधा न होने के कारण वह बच्चों को लेने नहीं आ पाते। बच्चों को स्कूल अपने साधनों से ही जाना पड़ता है। ओर बरसातों में तो बच्चों कि तो क्या बड़ों तक कि छुट्टी हो जाती है। पहले भी इस नदी को पार करने के दौरान दो बच्चों कि मौत हो चुकी है।

स्वत: अर्जित सुविधाओं से लैस गाँव यूं तो सम्पन्न दिखता है परंतु सरकार कि तरफ से पीढ़ियों से कि जा रही अनदेखी से दुखी लोगों ने पहले भी कई बार चुनावों का बाहिष्कार किया है, लेकिन आज तक किसी नेता, अथवा अधिकारी के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी।

अंत में चुनाव अधिकारी से बातचीत हुई जिसमें वह बेबस से अपने कर्तव्य का निर्वहन करते दिखाई पड़े