भाजपा के नेताओं का अगर गला भी खराब हो जाता है तो वे नेहरू को जिम्मेदार ठहराने लगते हैं: मनीष

मनीष ने यह भी आरोप लगाया कि कश्मीर की मौजूदा हालात के लिए बीजेपी जिम्मेदार है

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के जरिए पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को कश्मीर समस्या का जनक कहे जाने पर कांग्रेस ने पलटवार किया है. साथ ही दावा किया कि सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं का अगर गला भी खराब हो जाता है तो वे नेहरू को जिम्मेदार ठहराने लगते हैं.

पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि कश्मीर की मौजूदा हालात के लिए बीजेपी जिम्मेदार है. जिसने पीडीपी के साथ अवसरवादी गठबंधन किया था. कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा, ‘अगर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का गला खराब हो जाता है या गले में खराश भी शुरू होती है तो उसके लिए पंडित नेहरू जिम्मेदार हो जाते हैं.’ उन्होंने दावा किया, ‘अगर कश्मीर की परिस्थिति खराब हुई है तो उसके लिए बीजेपी पूरी तरह से जिम्मेदार है. जो अवसरवाद का गठबंधन इन्होंने पीडीपी के साथ बनाया था, उसने जम्मू-कश्मीर को इस मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है.’

तिवारी ने कहा, ‘जब 2015 में चुनाव हुए थे तब 64 प्रतिशत लोगों ने वोट डाले थे. जब श्रीनगर में लोकसभा का उपचुनाव हुआ तब सात प्रतिशत लोगों ने वोट डाले. ये जो बड़े तुर्रम खान बनते हैं, जो सरकार में बैठे हैं, वो अनंतनाग की लोकसभा सीट का उपचुनाव आज तक नहीं करवा पाए हैं. ऐसे में अगर जम्मू-कश्मीर के हालात बिगड़े हैं तो उसके लिए सीधा-सीधा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी, उनकी सरकार और पीडीपी के साथ अवसरवादी गठबंधन जिम्मेदार है.’’ दरअसल, अमित शाह ने पुलवामा आतंकी हमले की पृष्ठभूमि में बृहस्पतिवार को एक जनसभा में दावा किया था कि पाकिस्तान जिस कश्मीर के कारण आतंकवादी घटनाएं करवा रहा है उस समस्या के जनक जवाहर लाल नेहरू हैं. अगर उस समय सरदार पटेल देश के प्रधानमंत्री होते तो आज ये समस्या ही नहीं होती.

PS note:
मनीष तिवारी की मानें तो 2014 से पहले घाटी के हालात बहुत ही सर्वांगीण विकास की ओर जा रहे थे, और कभी घाटी में कोई बड़ी वारदात नहीं हुई। मनीष को तो यह भी याद नहीं होगा कि काशमीर कि इकलौती पहचान काश्मीरी पंडित हैं, जो अब घाटी में नहीं, बल्कि अपने ही देश में रेफूजी हैं। और मनीष कि मानें तो यह सब 2014 के बाद हुआ है।

मनीष भूलते हैं कि विभाजन के समय पर ही कश्मीर मुद्दे का समाधान कर पाने में नेहरू की असफलता की देश भारी कीमत चुका रहा है और नेहरू की इस भूल की उपेक्षा नहीं की जा सकती। गौर करने वाली बात यह है कि गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल सभी दूसरी राजशाही वाली सियासतों का भारत संघ में एकीकरण करने में सफल रहे। जब उनमें से किसी ने दुविधा दिखाई या पाकिस्तान में शामिल होने की इच्छा जाहिर की, तो पटेल ने उन्हें उनकी जगह दिखा दी। उदाहरण के लिए, हैदराबाद के निजाम के सशस्त्र विद्रोह को कुचल दिया गया।

 जम्मू-कश्मीर राजशाही वाला एकमात्र ऐसा राज्य था, जिसे भारत से जोड़े जाने की प्रक्रिया सीधे प्रधानमंत्री नेहरू की देखरेख में हो रही थी। कश्मीर को पाने के लिए भारत के खिलाफ पाकिस्तान की 1947 की पहली जंग ने भी नेहरू सरकार को इस बात का बेहतरीन मौका दिया था कि वह न केवल हमला करने वालों को खदेड़ देती, बल्कि पाकिस्तान के साथ हमेशा के लिए कश्मीर मुद्दे को सुलझा देती।

‘ये दुख की बात है, संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि तमाम देश आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ खड़े है, वहीं यहां कुछ दल देश के साथ नहीं हैं.’ संबित

नई दिल्ली: पुलवामा आतंकी हमले के मुद्दे पर कांग्रेस पर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए बीजेपी ने शुक्रवार को कहा कि कुछ दल देश के साथ नहीं हैं और उनके ट्वीट पाकिस्तानी चैनल में दिखाए जा रहे हैं.

बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने से कहा कि कल ट्वीट करके हमारी सरकार की तरफ से ये जानकारी दी गई कि भारत का पानी पाकिस्तान में नहीं जाएगा, वो पानी भारत में डाइवर्ट होगा. उन्होंने कहा कि जो कभी नहीं हुआ, उसे कल स्पष्ट किया गया . इस कदम के बाद भारत की वाहवाही हो रही है. लेकिन सरकार की इस कार्रवाई से कुछ लोग परेशान हैं.

बीजेपी ने साधा कांग्रेस पर निशाना 
बीजेपी प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि उसके बाद मनीष तिवारी और शशि थरूर ने ट्वीट करके हिन्दुस्तान के विरोध में बात की है. उनके बयान पाकिस्तान के चैनल में दिख रहे हैं.

उन्होंने दावा किया कि पुलवामा हमले के बाद एक कांग्रेस प्रायोजित लेख छपता है जो हमारे जवानों की जाति विवेचना करता है. उन्होंने सवाल किया कि क्या सेना की कोई जाति होती है? 

पात्रा ने कहा, ‘ये दुख की बात है. संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि तमाम देश आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ खड़े है. वहीं यहां कुछ दल देश के साथ नहीं हैं . ’ उन्होंने जोर दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिप्लोमेसी के कारण ही आज विश्व के कई देश भारत के साथ खड़े हैं. कांग्रेस पर निशाना साधते हुए बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि आपने अगर 70 सालों में विश्व को गले लगा लिया होता तो आज ऐसी नौबत नहीं आती .

पात्रा ने कहा कि अभी कुछ देर पहले पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भारत में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले ये हमला कैसे हुआ? वो तो दुश्मन देश है, लेकिन हमारे ही देश में ममता बनर्जी सहित कुछ नेताओं ने भी इस तरह की बातें कही हैं जो वाकई दुःखद है .

‘देश के कुछ दुश्मन देश के अंदर हैं’ 
उन्होंने कहा कि हम पाकिस्तान से पहले भी लड़े हैं, उसे नाकों चने चबाये हैं. मगर देश के कुछ दुश्मन देश के अंदर हैं, जिनके दिए साक्ष्यों को पाकिस्तान इस्तेमाल कर रहा है .

पुलवामा आतंकी हमले के बाद सरकार की कार्रवाई का जिक्र करते हुए संबित पात्रा ने कहा कि जो कायराना हमला पाकिस्तान ने करवाया था, उसके बाद भारत सरकार ने सभी अलगाववादी नेताओं के सुरक्षा चक्र को खत्म किया. 

उन्होंने जोर दिया कि जो बहुत सालों में नहीं हुआ था, वो हमने एक झटके में किया. इससे देश में कई सारे लोग परेशान हैं . कुछ लोगों को ये बात हजम नहीं हो रही है .बीजेपी प्रवक्ता ने जोर दिया कि जब संयुक्त राष्ट्र समेत तमाम देश आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ खड़े है, वहीं इस मुद्दे पर देश में एक स्वर निकलना चाहिए .

द्देश आपके झूठे प्रचार से आजिज़ आ चुका है राहुल जी: बीजेपी

नई दिल्लीः पुलवामा आतंकी हमले वाले दिन प्रधानमंत्री पर फिल्म की शूटिंग में व्यस्त रहने के राहुल गांधी के आरोपों पर पलटवार करते हुए बीजेपी ने शुक्रवार को कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष उस दिन सुबह के समय का फोटो जारी करके देश को गुमराह करना बंद करें, देश आपके फेक न्यूज से तंग आ चुका है.  राहुल गांधी के ट्वीट के बाद बीजेपी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर कहा, ‘‘ राहुल जी, भारत आपके फेक न्यूज से तंग आ चुका है . उस दिन सुबह के समय की फोटो निर्लज्जता से जारी करके देश को गुमराह करना बंद करें .’’ 

कांग्रेस अध्यक्ष पर निशाना साधते हुए बीजेपी के ट्विटर हैंडल पर कहा गया है कि ऐसा लगता है कि आपको पहले पता चल गया होगा, लेकिन भारत के लोगों को शाम में ही जानकारी मिली. बीजेपी ने कहा कि अगली बार इससे बेहतर स्टंट करें जहां जवानों की शहादत नहीं जुड़ी हुई हो.

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पुलवामा आतंकी हमले वाले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक चैनल के लिए फिल्म की शूटिंग करने संबंधी खबरों को लेकर शुक्रवार को उन पर हमला बोला और आरोप लगाया कि जब शहीदों के घर ‘दर्द का दरिया’ उमड़ा था तो ‘प्राइम टाइम मिनिस्टर’ हंसते हुए दरिया में शूटिंग कर रहे थे. 

शहीदों के घर ‘दर्द का दरिया’ उमड़ा था और ‘प्राइम टाइम मिनिस्टर’ दरिया में शूटिंग कर रहे थे: राहुल
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पुलवामा आतंकी हमले वाले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक चैनल के लिए फिल्म की शूटिंग करने संबंधी खबरों को लेकर शुक्रवार को उन पर हमला बोला और आरोप लगाया कि जब शहीदों के घर ‘दर्द का दरिया’ उमड़ा था तो ‘प्राइम टाइम मिनिस्टर’ हंसते हुए दरिया में शूटिंग कर रहे थे.

गांधी ने प्रधानमंत्री की शूटिंग से जुड़ी तस्वीर ट्विटर पर शेयर करते हुए कहा, ‘‘पुलवामा में 40 जवानों की शहादत की खबर के तीन घंटे बाद भी ‘प्राइम टाइम मिनिस्टर’ फिल्म शूटिंग करते रहे. देश के दिल व शहीदों के घरों में दर्द का दरिया उमड़ा था और वे हंसते हुए दरिया में फोटोशूट पर थे.’’ 

इससे पहले बृहस्पतिवार को कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि जब देश इस जघन्य हमले के कारण सदमे में था तो उस वक्त मोदी कार्बेट पार्क में एक चैनल के लिए फिल्म की शूटिंग और नौकायन कर रहे थे. उन्होंने यह भी दावा किया कि प्रधानमंत्री अपनी सत्ता बचाने के लिए जवानों की शहादत और ‘राजधर्म’ भूल गए. सुरजेवाला ने कहा, ‘‘हमला 14 फरवरी दिन में करीब तीन बजे हुए और प्रधानमंत्री करीब सात बजे तक शूटिंग और चाय नाश्ते में व्यस्त थे. प्रधानमंत्री के इस आचरण को लेकर गंभीर सवाल खड़े होते हैं.’’ 

उधर, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि देश की सुरक्षा पर प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता को लेकर आरोप लगाने का देश की जनता पर कोई असर नहीं होने वाला है. गौरतलब है कि गत 14 फरवरी को हुए पुलवामा आत्मघाती आतंकी हमले में सीआरपीएफ के कम से कम 40 जवान शहीद हो गए थे.

Panel discussion on “Human Rights and National Security Concerns in India at PU

Chandigarh February 22, 2019

        Keeping in view the recent heartbreaking Pulwama Attacks in the state of Jammu & Kashmir, Centre for Human Rights and Duties in collaboration with Department of Defence and National Security Studiesorganised a panel discussion on the topic – “Human Rights and National Security Concerns in India: Emerging Challenges.” The panel consisted of Hon’ble Justice Jasbir Singh as the Chief Guest along with Prof. SurinderShukla, Col. Jaibans Singh, Sh. C. S. Talwar and Mr. VipulAttri as the student representative.

        Panelists were welcomed by Prof. Jaskaran Singh Waraich, Chairperson, Department of Defence and National Security Studies and were handed over planters. A one minute silence was then observed in the memory of the victims of Pulwama Attack.


        Justice Jasbir Singh, President, State Consumer Disputes Redressal Commission, UT Chandigarh talked about the uselessness of the marches and talks, selfies and worded to showcase our concerns for our army-men. He emphasised on the idea that we shall have to start from ourselves when we talk about change.


        Col. JaibansSingh, stated that various International Human Rights organisations while condemning the Pulwama Attacks also mentioned the few instances of violence against Kashmiris in various other parts of India. While they completely ignored the facts that a lot of citizens came to the rescue of these Kashmiris as well. Some of these organisations are deliberately engaging perception management with the intent to undermine the image of India in the international community. Calls for protest and Bandhs by separatists is also an act of Human rights’ abuse against common citizens whose normal lives are disrupted as well as that of the functioning of educational and healthcare institutions.

Col. Jaibans, Prof. SurinderShukla, Department of Political Science started with Pulwama Attacks and quoted that such attacks do not only result in loss of lives but a loss of trust. She also shared that she feels that the kind of protection which is needed by our soldiers isn’t being clearly given and this should be Indian citizens’ common concern. She pointed out that collaborationbetween military and various think tanks can result as a significant solution to the chaos.


        Sh. C. S. Talwar, IAS, said that in the current scenario, various pseudo human rights activists who have been working deliberatively to undermine national security is a serious threat. While talking about the ethos of the Indian Army, he mentioned the Chief of Army Staff’s commandments for operating in a Counter Insurgency/ Counter Terrorist environment and stated the Indian Armies a highly disciplined force which has always worked towards upholding Human Rights.

        Mr. VipulAttri, Joint Secretary, PUCSC emphasised with Dr. Ambedkar’s ‘Rights can’t be absolute’ and deliberated to why restrictions are necessary. He then talked about the initiation of Social Contract and then ended with Mahatma Gandhi’s ideology.
        Dr. Namita Gupta, Chairperson, Centre for Human Rights and Duties delivered a vote of thanks. This panel discussion was also attended by various faculty members, serving military officers, research scholars, and students of the University.

Prof. R.K. Singla assumes charge of Dean Research, PU

Chandigarh February 22, 2019

        Prof. R.K. Singla, Chairperson, Department of Computer Science and Application, Panjab University, Chandigarh has been appointed as Dean Research, here today. He is Doctorate from Panjab University and has experience of more than 14 years in teaching, research and administration. He is a resource person for Refresher Courses in Computer Science and Information Technology of UGC. He is also member of Editorial Board of various Journals and has to his credit 263 citations. He has contributed various articles in magazines and newspapers. He also has presented various papers in conferences.

                He has been instrumental in development of integrated software system for function areas of PU and preparing specifications, purchasing equipments, installing and implementing Campus Wide Network. He has successfully guided many research scholars for Ph.D in Computer Science and Applications.

करे जैश भरे जेयूडी(जमात-उद-दावा)

पुलवामा हमले की जैश की स्वीकरोकती के पश्चात पकिस्तान ने जेयूडी(जमात-उद-दावा) को बैन करने का निशच्य लिया है यह फैसला राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (एनएससी) की बैठक में लिया गया जिसकी अध्यक्षता पीएम इमरान खान ने की

नई दिल्ली: पुलवामा हमले के बाद भारत के सख्ती ने रंग दिखा दिया है. पाकिस्तान ने 2008 मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के संगठन जमात-उद-दावा और उसके चैरिटी विंग फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन पर प्रतिबंध लगा दिया है. जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में हुए आतंकवादी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों के शहीद होने के बाद पाकिस्तान पर कार्रवाई करने को लेकर लगातार अंतरराष्ट्रीय दबाव बन रहा था. 

पीटीआई के मुताबिक गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि प्रधानमंत्री इमरान खान की अध्यक्षता में उनके कार्यालय में गुरुवार को हुई राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक में इन संगठनों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया गया.

प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, ‘गैरकानूनी करार दिए गए संगठनों के खिलाफ कार्रवाई तेज करने का फैसला बैठक में लिया गया.’ उन्होंने कहा, ‘यह तय किया गया कि गृह मंत्रालय द्वारा जमात-उद-दावा और फलह-ए-इंसानियत फाउंडेशन को गैरकानूनी घोषित किया जाए.’  इससे पहले गृह मंत्रालय ने दोनों संगठनों को निगरानी सूची में रखा था.

अधिकारियों के अनुसार, जेयूडी के नेटवर्क में 300 मदरसे औरस्कूल, अस्पताल, एक प्रकाशन और एम्बुलेंस सेवा शामिल हैं. दोनों समूहों के पास करीब 50,000 स्वयंसेवक और सैकड़ों की संख्या में वेतनभोगी कर्मचारी हैं.

एनएससी बैठक से पहले इमरान और बाजवा ने की एक बैठक
‘भाषा’ के मुताबिक जियो टीवी ने सूत्रों के हवाले से अपनी रिपोर्ट में बताया कि एनएससी की बैठक से पहले प्रधानमंत्री खान और सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने बैठक की जिसमें उन्होंने क्षेत्र की सुरक्षा स्थिति पर विचार-विमर्श किया.

सूत्रों के हवाले से चैनल ने बताया कि इसके बाद एनएससी बैठक के दौरान पुलवामा हमले और इसके बाद उपजी स्थिति पर चर्चा की गई. इस बैठक में सेना प्रमुख जनरल बाजवा, सेवाओं के प्रमुख, खुफिया एजेंसियों के प्रमुखों, सुरक्षा अधिकारियों और वित्त, रक्षा, विदेश मामलों तथा गृह विभाग के लिए संघीय तथा राज्य मंत्रियों ने भाग लिया.

कांग्रेस आतंकवादियों का मनोबल बनाए रखना चाहती है: रविशंकर प्रसाद

 रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘‘मैं कांग्रेस से कहना चाहूंगा कि कृपया सेना का मनोबल तोड़ने का काम न करें. 

राहुल की रहस्यमयी छुट्टियाँ और उनके पर्यटन स्थल को आज तक न खोज पाने वाली कांग्रेस ने पुलवामा हमले के बाद की प्रधानमंत्री की अय्याशीयों का ब्योरा देते हुए सुरजेवाला ने प्रधानमंत्री को केएचपीपीबी कोसा

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कांग्रेस के आरोप पर भाजपा ने गुरुवार को पलटवार करते हुए कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत मांगने वाली, सेना प्रमुख पर घटिया आरोप लगाने वाली कांग्रेस पार्टी से और क्या उम्मीद की जा सकती है. पार्टी ने जोर दिया कि देश नरेंद्र मोदी के साहस पर, उनके निर्णय क्षमता पर और उनके नेतृत्व पर विश्वास करता है, देश उनके हाथों में सुरक्षित है और रहेगा. केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने संवाददाताओं से कहा कि पुलवामा हमले के बाद जब पूरी दुनिया भारत के साथ खड़ी है, सभी देशवासी एक है, उस समय कांग्रेस देशवासियों और सेना का मनोबल तोड़ने का काम कर रही है.

उन्होंने कहा कि हर परिस्थिति में देश चलना चाहिए, आतंकियों तक ये संदेश नहीं जाना चाहिए कि उनके आगे देश झुक गया या रुक गया. लेकिन कांग्रेस चाहती है कि आतंकियों तक ये संदेश जाए कि देश रुक गया है . प्रसाद ने कहा, ‘‘मैं कांग्रेस से कहना चाहूंगा कि कृपया सेना का मनोबल तोड़ने का काम न करें.

कांग्रेस की सोच और हमारी सोच में बुनियादी अंतर है.’’ गौरतलब है कि कांग्रेस ने पुलवामा आतंकी हमले को लेकर गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला और आरोप लगाया कि जब देश इस जघन्य हमले के कारण सदमे में था तो उस वक्त मोदी कार्बेट पार्क में एक चैनल के लिए फिल्म की शूटिंग कर रहे थे.

सुरजेवाला ने पुलवामा के बहाने प्रधान मंत्री पर किया तीखा हमला

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि जिस वक्त देश शहीदों के शव के टुकड़े चुन रहा था. उस वक्त पीएम मोदी अपने नाम के नारे लगवा रहे थे.

जिन में मिली बहुत बुरी हार के बाद राजनाइटिक परिदृश्य से गायब हुए रणदीप सुरजेवाला को पुलवामा अटैक के बाद एक बार फिर से अखबारी सुर्खियों में आने का मौका मिल गया है। कांग्रेस ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके भारतीय जनता पार्टी पर पुलवामा हमले को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाया है. कांग्रेस ने कहा कि ‘पीएम मोदी और अमित शाह बस इसका राजनीतिक फायदा उठा रहे हैं. उन्होंने राष्ट्रीय शोक की घोषणा भी नहीं की.’

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि जिस वक्त देश शहीदों के शव के टुकड़े चुन रहा था. उस वक्त पीएम मोदी अपने नाम के नारे लगवा रहे थे और अमित शाह रैली में कांग्रेस पर हमला कर रहे थे.

सुरजेवाला ने कहा, ‘जब देश दोपहर में हुए पुलवामा अटैक पर शहीदों की जान जाने पर रो रहा था, तब पीएम मोदी शाम तक जिम कॉर्बेट पार्क में शाम तक फोटो शूट कराते रहे. पूरी दुनिया में कोई ऐसा पीएम है क्या? मेरे पास इस आचरण के लिए कोई शब्द नहीं बचे हैं.’

सुरजेवाला ने कहा कि हमले के बाद मोदी और शाह ने राष्ट्रीय शोक की भी घोषणा नहीं की, ताकि उनकी रैलियां और राजनीतिक कार्यक्रम रुक न जाएं.

कांग्रेस ने पीएम मोदी के दक्षिण कोरिया के दौरे पर भी सवाल उठाए. साथ ही सुरजेवाला ने ये भी कहा कि पीएम मोदी शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए उनके परिवार वालों को इंतजार करवा रहे थे.

सुरजेवाला ने कश्मीर में बढ़ी अस्थिरता पर तो सवाल उठाया ही, पुलवामा अटैक पर सरकार के सामने सवाल रखे. उन्होंने कहा कि आतंकियों को इतनी बड़ी मात्रा में आरडीएक्स और रॉकेट लॉन्चर कैसे मिले? उन्होंने सवाल किया कि जब सीआरपीएफ जवानों की तैनाती में देरी हुई थी, तो उन्हें एयरलिफ्ट क्यों नहीं किया गया? जैश-ए-मुहम्मद की ओर से चलाए गए धमकी भरे वीडियो को नजरअंदाज क्यों किया गया?

‘हाल के सालों में राजनीतिक अस्थिरता और शासन की कमी की वजह से राज्य बेहद मुश्किल दौर से गुजर रहा है इसलिए लोग हमारी तरफ उम्मीद से देख रहे हैं.’फारूक

नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर के ताजा हालातों पर बयान दिया है. उन्होंने बुधवार को कहा कि जम्मू कश्मीर राजनीतिक अस्थिरता और शासन के अभाव में अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है और लोग पार्टी की तरफ उम्मीद से देख रहे हैं.

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता ने बुधवार को पार्टी में शामिल होने वाले राज्य के पूर्व मुख्य सचिव बी आर कुंडल को जम्मू-पुंछ लोकसभा क्षेत्र से पार्टी उम्मीदवार बनाने का भी ऐलान किया.

फारूक ने कहा, ‘हाल के सालों में राजनीतिक अस्थिरता और शासन की कमी की वजह से राज्य बेहद मुश्किल दौर से गुजर रहा है इसलिए लोग हमारी तरफ उम्मीद से देख रहे हैं.’

उन्होंने कहा कि पार्टी लोगों की राजनीतिक आकांक्षाओं को पूरा करने की कोशिश करेगी और उनमें सुरक्षा का भाव फिर से पैदा करेगी जिसकी अभी बेहद जरूरत है. अब्दुल्ला ने उम्मीद जताई कि प्रदेश के वरिष्ठ नौकरशाह के तौर पर कुंडल के अनुभव को देखते हुए आने वाले चुनावों में उन्हें लोगों का खूब समर्थन मिलेगा.

उन्होंने कहा कि प्रदेश के तीनों क्षेत्रों में काम कर चुके कुंडल ने सार्वजनिक सेवा में खासा प्रभाव छोड़ा था.

For Pakistan, it’s time to stop the bluster and inject some sober reality into statements.

If it wasn’t such a dangerous situation, the statements coming thick and fast from Pakistan would be hilarious and perplexing. Pakistan prime minister Imran Khan is his speech aimed mostly at the international community and his domestic audience — leaning forward at each word and gesture — prof-erred advice to India on Kashmir, and promised to take immediate action if India provided ‘actionable’ intelligence on the involvement of Pakistan in the Pulwama attacks.

According to Khan, this was a “Naya” Pakistan that would act differently. To most watchers, however, it seemed remarkably like the same old Pakistan, protesting too much and doing precious little. Yes, the Pakistan prime minister is considerably better looking than that poor Nawaz Sharif, now showing his age as he battles multiple cases. But that’s about all.

File picture of Imran Khan
File picture of Imran Khan.

To an ignorant observer, Imran’s speech would have seemed to be entirely sincere, especially when he asked what Pakistan had to gain from an attack at a time when it was seeking financial assistance from one and all. The observer, however uninformed, would only have to type in “Jaish-e-Mohammed” into a search engine to get all the details of the outfit’s huge buildings and campuses in Bahawalpur in the province of Punjab.

Thereafter if interested, he or she could also access an interesting input. Recent reports amply demonstrate Jaish-e-Mohammed chief’s threats against Kashmir, and Pulwama specifically, during a rally on 5 February in Peshawar barely nine days before the attack. That is the date when Pakistan marks “Kashmir Solidarity Day” when extremist and terror groups show their muscle at rallies where every kind of threat against India, and its leaders are publicly made. Really, Prime Minister Khan, it’s simply far too easy to see.

In the same taped broadcast, Khan also chose to warn India that Pakistan would retaliate against any attack, which is something that would be expected from the prime minister of a country that is in danger. However, the curious part is that he chose to make these statements five days after the Pulwama attack, and well after Prime Minister Narendra Modi’s own warning of a suitable retaliation. Khan’s stated position is that he was busy with the Saudi prince, which is somewhat plausible since he was engaged in driving the royal around. But no head of a country is likely to react so slowly to a threat of war unless he was either waiting for some commitment/information from some source or, else he’s been told to make such a statement by the powers that stand at his elbow. Reports pointing to 35 cuts and editing in the video only fuelled this speculation.

Since then others in his entourage, probably fired by his public indignation have been up in arms. The Pakistan foreign minister pre-empted his chief by calling for proof (16 February) of Jaishe-Mohammed’s hand in the attack, probably reading from a statement that lies in triplicate in a file related to the 26/11 Mumbai Attacks. Former Pakistan cricket captain Shahid Afridi backed Khan to the hilt, but clearly far more upset at the cancellation of the forthcoming matches of the Pakistan Super League.

A far more extreme position came from Pakistan Ambassador to Afghanistan Zahid Nasrullah Khan who chose to issue a statement that peace talks between the US and the Taliban would be affected if India resorted to violence. This created a hum on social media and seemed to expose Pakistan’s game of blackmail and efforts to drag the US into the whole. The statement was, however, less undiplomatic than it seemed. Next week, the US representative is to meet with Taliban leaders at Qatar. The Pakistan ambassador was making a threat that he could easily deliver on. In the event, the US didn’t rise to the bait. The US National Security Advisor supported India’s right to self-defence, as did Secretary of State Mike Pompeo.

The situation then went from strange to stranger as other Pakistani officials weighed in. Sheik Rashid, a politician who changes parties like he changes his clothes, waxed eloquent declaring, “If anyone tries to look at Pakistan with evil in their minds, their eyes will be gouged out…. Neither will birds chirp nor will bells ring at the temples after that.” With that, there seemed little more to say. Memes and ribaldry prevailed on social media, bringing the whole situation to the level of a circus, and a very poor one at that.

The outcry seemed to be an exercise in one-upmanship. In the middle of all this melee, the usually loquacious Director General ISPR ( Inter-Services Public Relations) Major General Asif Ghafoor was unexpectedly silent. So did the military brass. It would have seemed a dignified silence, but for this barrage of statements from persons like Rashid who are practically unofficial spokespersons for the establishment. In all this, there is one clear danger. In India, it is the prime minister who outlined the position of the government and gave the decision making to the Indian Armed Forces on how to implement his directive. That is how a democratic country works, despite the apparent noise and flurry of public hyperventilating. In Pakistan, it is still unclear, and thereby there is always a risk of misinterpretation of signals and a possible unintended escalation. It’s time to stop the bluster and inject some sober reality into statements. This is all getting too much like reality TV. Except that this is about war and loss of lives, and somewhere, someone may blunder.