PSA जिसके तहत महबूबा – ओमर को गिरफ़्तार किया गया

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला को पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया है. इस एक्ट के तहत गिरफ्तार किए जाने की वजह से उन्हें बिना सुनवाई का मौका दिए अगले दो साल तक हिरासत में रखा जा सकता है. 49 वर्षीय उमर और 60 वर्षीय महबूबा को पिछले साल पांच अगस्त से एहतियातन हिरासत में रखा गया है, जब केंद्र ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाने की घोषणा की थी.

रज्विरेंद्र वशिष्ठ:

Ravirendra-Vashisht
रविरेन्द्र वशिष्ठ
संपादक

 पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के खिलाफ जन सुरक्षा कानून के (Public Safety Act) तहत मामले दर्ज किए जाने के लिए नेशनल कांफ्रेंस नेता की पार्टी की आंतरिक बैठकों की कार्यवाहियों और सोशल मीडिया पर उनके प्रभाव तथा पीडीपी प्रमुख के “अलगाववादी समर्थक” रुख का अधिकारियों ने जिक्र किया है.

49 वर्षीय उमर और 60 वर्षीय महबूबा को पिछले साल पांच अगस्त से एहतियातन हिरासत में रखा गया है, जब केंद्र ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाने और इस पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्र शासित क्षेत्रों– लद्दाख एवं जम्मू कश्मीर– में बांटने की घोषणा की थी. उनके एहतियातन हिरासत की मियाद खत्म होने से महज कुछ ही घंटे पहले उनके खिलाफ छह फरवरी की रात पीएसए (PSA) के तहत मामला दर्ज किया गया.

क्या है पीएसए (Public Safety Act)

पब्लिक सेफ्टी एक्ट, पीएसए को वर्ष 1978 में लागू किया गया था. उस समय फारूख अब्दुल्ला के पिता शेख अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री थे. इस एक्ट को लागू करने का मकसद ऐसे लोगों को हिरासत में लेना है जो किसी प्रकार से राज्य की सुरक्षा या सार्वजनिक व्यवस्था को प्रभावित कर सकते हैं. यह एक ‘प्रिवेंटिव एक्ट’ यानि ‘सुरक्षात्मक कानून’ है न कि ‘प्यूनिटेटिव’ अर्थात ‘दंडात्मक कानून.’

पीएसए लगभग नेशनल सिक्योरिटी एक्ट की तरह ही है, जिसका उपयोग भारत के कई राज्यों में ‘खतरा उत्पन्न करने वाले व्यक्ति’ को हिरासत में लेने के लिए किया जाता है. किसी भी व्यक्ति को पीएसए एक्ट के तहत तभी गिरफ्तार किया जा सकता है जब इसकी इजाजत जिलाधिकारी दे या फिर डिविजनल कमिश्नर. पुलिस द्वारा किसी तरह का आरोप लगाए जाने या फिर कोई कानून तोड़ने पर इस धारा के तहत गिरफ्तारी नहीं होती है.

 पीएसए के तहत किसी भी व्यक्ति को बिना किसी आरोप के गिरफ्तार किया जा सकता है. यदि कोई व्यक्ति पुलिस हिरासत में है या कोर्ट से जमानत मिलने पर तुरंत उसकी रिहाई हुई है, उस स्थिति में भी उसे पीएसए के तहत हिरासत में लिया जा सकता है. यह हिरासत दो वर्ष तक की हो सकती है.

यदि किसी व्यक्ति को पुलिस हिरासत में लिया जाता है तो बंदी प्रत्यक्षीकरण कानून के तहत उसे 24 घंटे के अंदर कोर्ट में मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना होता है. लेकिन पीएसए के तहत हिरासत में लिए जाने पर ऐसा नहीं होता है. हिरासत में लिए गए व्यक्ति के पास जमानत के लिए कोर्ट जाने का कोई अधिकार नहीं होता है और न ही कोई वकील उसका बचाव कर सकता है.

6 महीने से आगे बढ़ाई जा सकती है हिरासत
नियमों के अनुसार एहतियातन हिरासत को छह महीने से आगे तभी बढ़ाया जा सकता है जब 180 दिन की अवधि पूरा होने से दो सप्ताह पहले गठित कोई सलाहकार बोर्ड इस बारे में सिफारिश करे. हालांकि, इस संबंध में ऐसे किसी बोर्ड का गठन नहीं हुआ और कश्मीर प्रशासन के पास दो ही विकल्प थे या तो उन्हें रिहा किया जाए या पीएसए लगाया जाए.

उमर के खिलाफ तीन पृष्ठ के डॉजियर में जुलाई में नेशनल कांफ्रेंस की आंतरिक बैठक में कही गई उनकी कुछ बातों का जिक्र है जिसमें उन्होंने कथित रूप से कहा था कि सहयोग जुटाने जरूरत है ताकि केंद्र सरकार राज्य के विशेष दर्जे को हटाने की अपनी योजना को पूरा नहीं कर पाए.

सोशल मीडिया की सक्रियता पर भी उठे सवाल
पुलिस ने यह भी कहा कि उमर सोशल मीडिया पर बहुत सक्रिय थे और यह मंच युवाओं को संगठित करने की क्षमता रखता है. उमर केंद्र में मंत्री भी रह चुके हैं. संचार माध्यमों पर पांच अगस्त से प्रतिबंध लागू हैं. बाद में धीरे-धीरे इनमें ढील दी गई. कुछ जगहों पर इंटरनेट काम कर रहे हैं. विशेष निर्देशों के साथ मोबाइल पर 2जी इंटरनेट की सुविधा शुरू हो गई है ताकि सोशल मीडिया साइटों का उपयोग नहीं हो.

हालांकि, पुलिस ने डॉजियर में उमर के किसी सोशल मीडिया पोस्ट का विशेष तौर पर जिक्र नहीं किया है.

शाहीन बाग में विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई बच्चे की मौत पर सर्वोच्च नयायालय का संग्यान

दिल्ली के शाहीन बाग में पिछले करीब 50 दिनों से नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है. इस बीच प्रदर्शन में एक चार महीने की बच्चे की मौत मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है. सोमवार को कोर्ट इस मामले में सुनवाई करेगा.

  • बहादुरी पुरस्कार से सम्मानित छात्रा सदावर्ते ने लिखी थी SC को चिट्ठी
  • सोमवार को SC में शाहीन बाग से जुड़ी 2 याचिकाओं पर होगी सुनवाई

नयी दिल्ली(ब्यूरो):

जेन ने सीजेआई बोबडे को भेजे पत्र में लिखा था कि जनवरी 30, 2020 को शाहीन बाग़ में एक बच्ची की मौत पर संज्ञान लेते हुए ऐसे विरोध प्रदर्शनों में बच्चों को शामिल किए जाने पर रोक लगाई जाए। इस मामले में संज्ञान लेने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा।

शाहीन बाग़ में एक नन्हे बच्चे की हुई मौत से जहाँ मीडिया के एक बड़े वर्ग ने मुँह मोड़ लिया, एक 12 साल की बच्ची ने वो कर दिखाया जो बड़े-बड़े समाजिक कार्यकर्ता नहीं कर पाए। या हम ये भी कह सकते हैं कि कथित एक्टिविस्ट्स ने उसे दिखाने की जहमत ही नहीं उठाई। जेन सदावर्ते नामक 12 वर्षीय बच्ची को देश के मुख्य न्यायाधीश बोबडे को पत्र लिख कर इस मामले को संज्ञान में लेने की अपील की थी। अब सीजेआई ने इस मामले को संज्ञान में लिया है।

जेन ने सीजेआई बोबडे को भेजे पत्र में लिखा था कि जनवरी 30, 2020 को शाहीन बाग़ में एक बच्ची की मौत पर संज्ञान लेते हुए ऐसे विरोध प्रदर्शनों में बच्चों को शामिल किए जाने पर रोक लगाई जाए। इस मामले में संज्ञान लेने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा।

जेन सदावर्ते का कहना है कि बच्चों को सीएए के ख़िलाफ़ चल रहे विरोध प्रदर्शन में लेकर जाना सही नहीं है क्योंकि उन बच्चों को पता ही नहीं होता कि उन्हें कहाँ और किसलिए लाया गया है। उसने कहा कि बुजुर्गों को तो नहीं लेकिन बच्चों को कहा जा सकता है कि वहाँ न जाएँ। जेन सदावर्ते ने कहा कि देश के ‘यंग सिटिज़न्स’ की ‘राइट टू लाइफ’ का हनन हो रहा है। सदावर्ते ने कुछ माह की बच्ची की मौत पर दुःख जताया।

बता दें कि कुछ महीने पहले जन्मी उस बच्ची को लेकर उसकी अम्मी जामिया नगर और शाहीन बाग़ और के सीएए विरोधी प्रदर्शनों में जाती थीं। भीषण ठण्ड में भी उस बच्ची और ऐसे कई बच्चे-बच्चियों को उनके परिजन विरोध प्रदर्शन में लेकर सिर्फ़ इसीलिए जाते थे ताकि मीडिया अटेंशन मिले, खासकर इंटरनेशनल मीडिया का।

बच्ची की मौत के बाद उसकी अम्मी ने कहा कि उसने सीएए के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन में अपनी बच्ची को कुर्बान कर दिया। जबकि अन्य प्रोटेस्टरों का कहना था कि वो अल्लाह की बच्ची थी और उसे अल्लाह ने ले लिया। ऐसे कई बयान दिए गए, जिससे पता चलता है कि बच्ची मरी नहीं, उसकी ‘हत्या’ की गई।

जहाँ तक जेन गुणरत्न सदावर्ते की बात है, उसने 2018 में 10 साल की उम्र में 17 लोगों की भीषण आग से जान बचाई थी, जिसके बाद उसे बहादुरी का अवॉर्ड दिया गया था। उसे ‘नेशनल ब्रेवरी अवॉर्ड’ मिला था। मुंबई के क्रिस्टल टॉवर में लगी आग के दौरान उसने ये कारनामा किया था।

ज्ञानवापि मस्जिद के मामले में स्टे बरक़रार रखने की मांग कोर्ट ने ख़ारिज कर दी

  • अयोध्या केस पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शुरू हो गई है ज्ञानवापी मस्जिद केस की सुनवाई
  • वाराणसी की सीनियर डिविजन-फास्‍ट ट्रैक कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के बाद सुरक्षित रखा फैसला
  • इस केस में एक पक्ष का दावा है ज्ञानवापी मस्जिद ज्‍योतिर्लिंग विश्‍वेश्‍वर मंदिर का एक अंश है

वाराणसी की फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में स्वयंभू भगवान विश्वनाथ और यूपी सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के बीच मुकदमा चल रहा है। इस मामले में अंजुमन इंतेजामिया बनारस भी वक़्फ़ बोर्ड के साथ है। मुस्लिम पक्ष की माँग थी कि इस मामले में स्टे बरक़रार रहे लेकिन कोर्ट ने उनकी माँग ख़ारिज कर दी है। अब ज्ञानवापी मस्‍जि‍द के पुरातत्‍वि‍क सर्वेक्षण की वादी पक्ष की माँग पर अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी। प्रतिवादियों की याचिका ख़ारिज होने के बाद लोगों में उम्मीद बँधी है कि अब इस मामले में तेज़ी से सुनवाई होगी।

इस मामले में भगवान विश्वेश्वर पक्ष की ओर से वरिष्ठ वकील राजेंद्र प्रताप पांडेय पैरवी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अंजुमन इंतेजामि‍या बनारस और यूपी सुन्‍नी सेंट्रल चाहता था कि इस कार्यवाही को स्थगित कर दी जाए और आगे कोई सुनवाई न हो। कोर्ट द्वारा उनकी माँगें ख़ारिज किए जाने के बाद अब इस मामले में कार्यवाही चलेगी। नवम्बर 2019 में सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर के पक्ष में फ़ैसला आने के बाद अब लोगों के भीतर उम्मीद जगी है कि मथुरा व काशी विवाद में भी हिन्दुओं को न्याय मिलेगा।

काशी विश्वनाथ व ज्ञानवापी मस्जिद का मामला हाईकोर्ट और सेशन कोर्ट, दोनों में ही चल रहा था। बाद में हाईकोर्ट ने कहा कि मुकदमा एक ही कोर्ट में चलेगा और सेशन कोर्ट में जारी रहेगा। वादी पक्ष की तरफ से पूरे ज्ञानवापी परिसर के एएसआई द्वारा भौतिक सर्वे कराने के लिए आवेदन दिया गया था, जिस पर मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति जताई थी। उसका कहना था कि हाईकोर्ट के 1998 में दिए गए आदेश के अनुसार इस मामले में स्टे लगा हुआ है।

सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कहा- सिविल जज को केस की सुनवाई का अधिकार नहीं

आपत्तियों पर मंगलवार को कोर्ट में सुनवाई होने पर अंजुमन इंतजामिया के वकील एखलाक अहमद और वक्‍फ बोर्ड के वकील तौहीद खां ने हाईकोर्ट में प्रकरण से संबंधित याचिका हाई कोर्ट में लंबित और स्‍टे होने की जानकारी दी। कहा कि ऐसी स्थिति में इस कोर्ट (सिविल जज) को मुकदमे की सुनवाई का अधिकार नहीं है। सुनवाई स्‍थगित की जानी चाहिए।

वादमित्र विजय शंकर रस्‍तोगी ने विपक्षियों के कथन का विरोध किया। उनका कहना था कि हाई कोर्ट का स्‍थगन आदेश समाप्‍त होने पर ही यहां सुनवाई शुरू हुई है। पक्षों की लंबी बहस सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया। बताते चलें कि इस मामले में भगवान विश्‍वेश्‍वर के पक्षकारों की ओर से कहा गया था कि ज्ञानवापी मस्जिद ज्‍योतिर्लिंग विश्‍वेश्‍वर मंदिर का अंश है। वहां हिंदू आस्‍थावानों को पूजा-पाठ, राग-भोग, दर्शन आदि के साथ निर्माण, मरम्‍मत और पुनरोद्धार का अधिकार प्राप्‍त है। इस मुकदमे में वर्ष 1998 में हाई कोर्ट के स्‍टे से सुनवाई स्‍थगित हो गई थी, जो अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुपालन में फिर से शुरू हुई है।

क्या है ज्ञानवापी विवाद?

विजय शंकर रस्‍तोगी ने कोर्ट में दी गई अर्जी में कहा है कि कथित विवादित ज्ञानवापी परिसर में स्‍वयंभू विश्‍वेश्‍वरनाथ का शिवलिंग आज भी स्‍थापित है। मंदिर परिसर के हिस्‍सों पर मुसलमानों ने कब्जा करके मस्जिद बना दिया। 15 अगस्‍त 1947 को भी विवादित परिसर का धार्मिक स्‍वरूप मंदिर का ही था। इस मामले में केवल एक भवन ही नहीं, बल्कि बड़ा परिसर विवादित है। लंबे इतिहास के दौरान पूरे परिसर में समय-समय पर हुए परिवर्तन के साक्ष्‍य एकत्रित करने और धार्मिक स्‍वरूप तय करने के लिए भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) से सर्वेक्षण कराया जाना जरूरी है। रस्तोगी ने भवन की बाहरी और अंदरूनी दीवारों, गुंबदों, तहखाने आदि के सबंध में एएसआई की निरीक्षण रिपोर्ट मंगाने की अपील की है।

“द स्टोरी ऑफ़ शॉप कीपर या डॉक्टर” : क्या है बस्ती बावा खेल की FIR NO.98/2016 का राज़ ?

जालंधर (अनिल वर्मा):

दोस्तों आम तोर पर हमें अगर कोई दिक्कत व परेशानी अति है तो सबसे से पहले सबकी जुबां पर होता है की पुलिस के पास जाओ ! परन्तु अगर यही रक्षक पुलिस आम व्यक्ति की भक्षक बन जाये और अगर किसी इंसान को अपनी वर्दी और पद का गलत इस्तेमाल करकर किसी पर झूठी FIR दर्ज करवा दे तो क्या बीतेगी उस व्यक्ति/इंसान पर ?

आज की हमारी कहानी जालंधर के 120 फूटी रोड पर रहने वाले मनीष मेहता की है जो पेशे से एक दुकानदार है और मनीष मेहता के अनुसार साल 2016 में थाना 5 में हेड कांस्टेबल(HC) तेनात था और अब जालंधर पुलिस में बतौर ASI तैनात है, जोकि उक्त ASI अभी जालंधर में तेनात डीसीपी अमरीक सिंह पोवार का रीडर है, मनीष मेहता के मुताबिक उक्त ASI ने उन्हें साल 2016 में जब वह थाना 5 में हेड कांस्टेबल (HC) तेनात था और अपनी वर्दी का गतल इस्तेमाल करते हुए उन पर थाना बस्ती बावा खेल में एक FIR दर्ज करवाई जिसमे उक्त शातिर ASI ने मनीष मेहता को एक डॉक्टर बताया और IPC धारा 354-A, POCSO 7,8 एक्ट के तेहत मामला रातो रात दर्ज करवा दिया| वही पीड़ित मनीष मेहता का कहना है की वह न तो डोक्टर है, न कभी डॉक्टर थे, फिर भी उक्त ASI द्वारा अपनी वर्दी व पद का गलत इस्तेमाल करते हुए उनपर झूठी FIR दर्ज करवाई गई|

अगली खबर में हम इस किस्से के और भी कई राज़ खोलेंगे जिससे कही न कही ये सही में लगता है की कुछ पुलिस वाले अपनी वर्दी का गलत इस्तेमाल करते है और फिर चन्द इसे पुलिस वालो की वजह से आम जनता में पुलिस की छवि कही न कही ख़राब होती है जिस करण से आम लोग सभी पुलिस वालो को एक जेसा ही समझ बैठते है, मनीष मेहता की मने तो यही लगता है पुलिस की नोकरी हासिल कर कोई कुछ भी कर सकती है जिसे चाहे किसी भी केस में फसा दे जिसे चाहे किसी भी केस से बहार निकल दे|

पीड़ित मनीष मेहता की माने तो इस पर कई सवाल खड़े होते है और आम तौर पर हमें कई लोग ये कहते व सुनते मिल जाते है की पुलिस कुछ भी कर सकती है अब ये कहा तक सही है! आने वाले समय के एपिसोड “द स्टोरी ऑफ़ शॉप कीपर या डॉक्टर” उजागर होंगे|

कोंग्रेस के एक नेता मुझे डंडे से पिटवाएंगे इधर मैं सूर्य नमस्कार की गिनती बढ़ा दूँगा: प्रधान मंत्री मोदी

बजट सत्र के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर लोकसभा में एक घंटे 40 मिनट तक बोला। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। पीएम ने अपने संबोधन के दौरान नागरिकता कानून, अनुच्छेद 370, राम मंदिर समेत कई मुद्दों पर बेबाकी से राय जाहिर की। वहीं कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियों ने इस दौरान संसद में हंगामा भी किया लेकिन पीएम मोदी ने अपना संबोधन जारी रखा। उन्होंने राहुल गांधी के बुधवार को दिए गए भाषण पर भी तीखे व्यंग किए। इसके बाद लोकसभा से राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाया गया धन्यवाद प्रस्ताव पारित हो गया।

नई दिल्‍ली(ब्यूरो): 

राहुल गांधी ने बुधवार को एक चुनावी रैली में कहा था कि देश के युवा छह महीने बाद पीएम नरेंद्र मोदी को डंडे से पीटेंगे. इस पर पीएम मोदी ने लोकसभा में गुरुवार को अपने भाषण में तंज कसते हुए कहा कि वह इससे निपटने के लिए अपने ‘सूर्य नमस्‍कार’ करने की संख्‍या को बढ़ा देंगे ताकि वह इस तरह के वार को सह सकें. लोकसभा में राष्‍ट्रपति के अभिभाषण पर धन्‍यवाद प्रस्‍ताव के दौरान पीएम मोदी ने अपने भाषण में ये बात कही. इस दौरान राहुल गांधी ने कुछ कहने की कोशिश की लेकिन सदन के शोरगुल की वजह से सुना नहीं जा सका. इस पर पीएम मोदी ने हल्‍के-फुल्‍के अंदाज में कहा, ‘मैं पिछले 30-40 मिनट से बोल रहा हूं लेकिन वहां तक करंट अब पहुंचा है…कुछ ट्यूबलाइटें इसी तरह चलती हैं.’

दरअसल पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि छह महीने के भीतर मुझे डंडे से पीटा जाएगा. जाहिर है कि ये एक मुश्किल बात है. हालांकि इससे निपटने की तैयारी के लिए छह महीने का समय चाहिए. इस लिहाज से छह महीने का समय चाहिए.

इस संदर्भ में अपने योगाभ्‍यास का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि मैं अपने ‘सूर्य नमस्‍कार’ करने की संख्‍या को बढ़ाऊंगा. ऐसा करके मैंने पिछले 20 वर्षों में खुद को गालियों से प्रूफ किया है. ऐसे ही मैं सूर्य नमस्‍कार कर खुद को इतना मजबूत कर लूंगा ताकि डंडे की मार सहने के लिए अपनी पीठ को मजबूत कर सकूं. हालांकि मैं इनका आभारी हूं कि मुझे छह महीने पहले बता दिया ताकि मैं अपनी तैयारियां कर सकूं.

CAA
CAA के मुद्दे पर बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि जिस तरह से बयान दिए गए हैं, सही नहीं हैं. विपक्ष ने शाहीन बाग का मुद्दा उठा दिया. पं. बंगाल के पीड़ित लोग यहां बैठे हैं. अगर यहां कच्‍चा-चिट्ठा खोल दिया जाएगा तो तकलीफ होगी. कुछ लोग कह रहे हैं कि सीएए लाने की इतनी जल्दी क्या है. देश के टुकड़े करने की बात की जा रही है. काल्पनिक भय पैदा करने की पूरी कोशिश की जा रही है. देश के टुकड़े-2 करने वालों के बगल में खड़े होकर फोटो खिंचवाते हैं. पाकिस्तान ने भारतीय मुसलमानों को भड़काने में कोई कसर नहीं छोड़ी. कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि सत्ता के सिंहासन से जिन लोगों को उतार कर घर भेज दिया…अफसोस वो लोग ये काम कर रहे हैं. कांग्रेस की नजर में मुस्लिम सिर्फ मुस्लिम हैं जबकि सरकार की नजर में हर मुस्लिम भारतीय है. “काल्पनिक भय पैदा करने के लिए पूरी शक्ति लगा दी गई है. वो लोग बोल रहे हैं जो देश के टुकड़े-टुकड़े करने वालों की बात करने वालों के साथ फोटो खिंचवाते हैं. पाकिस्तान यही बोलता आया है. पाकिस्तान की बात बढ़ नहीं पा रही है. देश ने देख लिया है कि दल के लिए कौन है और देश के लिए कौन है. पीएम बनने की इच्छा किसी की भी हो सकती है लेकिन हिंदुस्तान पर लकीर खींच कर देश का बंटवारा कर दिया गया.

एक शायर ने कहा था-
ख़ूब पर्दा है, कि चिलमन से लगे बैठे हैं.
साफ़ छुपते भी नहीं, सामने आते भी नहीं!!
ये पब्लिक सब जानती है. समझती है

उन्‍होंने कहा कि CAA से किसी को कोई नुकसान होने वाला नहीं है. भारत के अल्‍पसंख्‍यकों को किसी तरह का नुकसान नहीं होने वाला है. मैं कांग्रेस के लोगों से पूछना चाहता हूं कि राजनीति के नाम पर रोटियां सेंकते रहते हैं लेकिन क्‍या इनको 84 के दंगे याद हैं? सिखों के गलों में टायर बांध कर जला दिया गया था… आरोपियों को जेल तक नहीं भेजा था. जिन पर आरोप लगे हैं, उनको आप सीएम बना देते हो. क्या अल्‍पसंख्‍यकों के लिए आपके दो तराजू होंगे?

नेहरू-लियाकत समझौता
पाकिस्तान में अभी भी अल्पसंख्यकों के ऊपर दुराचार हो रहे हैं. ननकाना साहिब में क्या हुआ? 1950 में नेहरू-लियाकत समझौता हुआ. धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव नहीं होगा. ये समझौता हुआ था. पाकिस्तान में अभी भी अल्पसंख्यकों के ऊपर दुराचार हो रहे हैं. ननकाना साहिब में क्या हुआ? नेहरु जैसे इतने बड़े सेक्युलर, विचारक ने सारे नागरिक का शब्द क्यों इस्तेमाल नहीं किया? कुछ तो कारण होगा तभी तो नहीं किया?

कश्‍मीर
19 जनवरी, 1990 को कश्‍मीर की पहचान दफना दी गई. कश्‍मीरी पंडितों के कश्‍मीर से पलायन के संदर्भ में पीएम मोदी ने ये बात कही. हमने कश्मीर की अवाम पर भरोसा किया.

इससे पहले जब पीएम मोदी के भाषण की शुरुआत हुई तो सत्‍ता पक्ष की तरफ से जय श्री राम के नारे लगे. महात्मा गांधी अमर रहें के नारे लगे. इस पर भाषण की शुरुआत में पीएम मोदी ने कहा कि आपके लिए गांधी जी ट्रेलर हो सकते हैं… हमारे लिए गांधी जी जिंदगी हैं. उन्‍होंने कहा कि राष्ट्रपति ने न्यू इंडिया का विजन अपने अभिभाषण में प्रस्तुत किया है.  21वीं सदी के तीसरे दशक का माननीय राष्ट्रपति का वक्तव्य हम सभी को दिशा व प्रेरणा देने वाला और देश के लोगों में विश्वास पैदा करने वाला है. सभी ने अपने विचार प्रस्तुत किए हैं … लेकिन स्वर उठा कि सरकार के कामों की इतनी जल्दी क्या है? एक स्वर ये उठा है कि सरकार को सारे कामों की जल्दी क्यों है? हम सारे काम एक साथ क्यों कर रहे हैं? सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ने अपनी कविता में लिखा है कि-

लीक पर वे चलें, जिनके चरण दुर्बल और हारे हैं,
हमें तो जो हमारी यात्रा से बने, ऐसे अनिर्मित पथ ही प्यारे हैं

पीएम मोदी की अहम बातें:

– लोगों ने सिर्फ सरकार बदली है… ऐसा नहीं है… सरोकार भी बदला है

– अगर हम उसी तरीके से चलते…उसी रास्ते पर चलते… तो 70 साल बाद भी इस देश से आर्टिकल 370 नहीं हटता…

– आपके तरीके से चलते तो मुस्लिम बहिनों को तीन तलाक की तलवार आज भी डराती रहती

– नाबालिग से रेप की सजा में फांसी का कानून नहीं बनता

– राम जन्मभूमि आज भी विवादों में रहती

– करतारपुर साहिब कॉरीडोर कभी नहीं बन पाता

– भारत-बांग्लादेश सीमा विवाद कभी नहीं सुलझता

– जब मैं अधीर जी को देखता हूं तो किरण रिजीजू को बधाई देता हूं. फिट इंडिया का प्रचार-प्रसार अधीर जी अच्छे से करते हैं. भाषण भी करते हैं, साथ में जिम भी करते हैं

– हम नई लकीर बनाकर लीग से हट कर चलना चाहते हैं

– 70 साल बाद भी देश लंबे इंतेजार के लिए अब तैयार नहीं है. स्पीड और स्केल भी बढ़े…हमारी कोशिश है. सेंसेटिविटी भी हो और सोल्यूशन भी होना चाहिए

– हमने जिस तेज गति से काम किया है…वो देश की जनता ने 5 साल में देखा. ये इस सरकार की तेजी ही रही कि पिछले पांच साल में 37 करोड़ लोगों के बैंक अकाउंट खुले. 11 करोड़ लोगों को घरों में टॉयलेट की सुविधा मिली. 13 करोड़ लोगों को गैस कनेक्‍शन मिले. दो करोड़ लोगों को घर मिले.

– नॉर्थ ईस्ट में पिछले पांच वर्ष में जो दिल्ली उन्हें दूर लगती थी, आज दिल्ली उनके दरवाजे पर जाकर खड़ी हो गई है

– इस बार के बोडो समझौते में सभी आर्म्‍स ग्रुप साथ आए हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात इसमें लिखा है कि इसके बाद बोडो की कोई मांग बाकी नहीं रही है. आज नई सुबह भी आई है, नया सवेरा भी आया है, नया उजाला भी आया है. विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि वो प्रकाश, जब आप अपने चश्मे बदलोगे तब दिखाई देगा. एक बार ट्रेन में कुछ लोग जा रहे थे. एक संत बोला कि देखो पटरी से कैसी आवाज आ रही है, निर्जीव पटरी भी कह रही है कि प्रभु कर दे बेड़ा पार. तब दूसरा संत कहता है कि नहीं मुझे तो सुनाई दे रहा है प्रभु तेरी लीला अपार. पास बैठे मौलवी ने कहा कि मुझे सुनाई दे रहा है कि अल्लाह तेरी रहमत. साथ बैठा पहलवान कहता है कि मुझे सुनाई दे रहा है कि खा रबड़ी, कर कसरत. इस पर संसद में ठहाके लगने लगे. फिर मोदी बोले कि जैसी मन की रचना होती है वैसा ही सुनाई देता है.

– हमारे आने से पहले कृषि मंत्रालय का बजट 27 हजार करोड़ रुपये था, अब इसे करीब पांच गुना बढ़ाकर लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये तक हमने पहुंचाया है. पीएम फसल बीमा योजना से किसानों में एक विश्वास पैदा हुआ है. इस योजना के अंतर्गत किसानों से करीब 13 हजार करोड़ रूपये का प्रीमियम आया. लेकिन प्राकृतिक आपदा के कारण किसानों को जो नुकसान हुआ, उसके लिए किसानों को करीब 56 हजार करोड़ इस बीमा योजना से प्राप्त हुए.

– किसानों की आय बढ़े, ये हमारी प्राथमिकता है. Input cost कम हो ये हमारी प्राथमिकता है. हमारे देश में पहले 7 लाख टन दाल और तिलहन की खरीद हुई. जबकि हमारे कार्यकाल में 100 लाख टन दाल और तिलहन की खरीद हुई. विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि मैं आपकी बातों को आलोचना नहीं मानता हूं. मार्गदर्शक-प्रेरणा मानता हूं क्योंकि आपको भी पता है कि करेगा तो यही करेगा. (मुस्कराते हुए)
– विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि सदन में भी पहले करप्शन पर ही बहस होती थी. संसाधनों की बंदरबाट पर चर्चा होती थी. हे भगवान, क्या करके रख दिया था. एक काम ना करेंगे…ना होने देंगे…आपकी बेरोजगारी हटने नहीं देंगे.

15 सदस्यों वाली ‘श्री रामजन्मभूमि तीर्थक्षेत्र’ की घोषणा हुई

नयी दिल्ली(ब्यूरो):

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर ट्रस्ट बनाने का एलान किया। जिसके बाद गृहमंत्री अमित शाह ने बताया कि इस ट्रस्ट में 15 ट्रस्टी होंगे जिसमें एक दलित समाज का सदस्य होगा। इसके चार घंटे बाद ट्रस्ट से जुड़े 15 सदस्यों के बारे में जानकारी सामने आई। अयोध्या विवाद में हिंदू पक्ष के मुख्य वकील रहे 92 वर्षीय के परासरन को राम मंदिर ट्रस्ट में ट्रस्टी बनाया गया है। परासरन के अलावा इस ट्रस्ट में एक शंकराचार्य समेत पांच सदस्य धर्मगुरु ट्रस्ट में शामिल हैं। साथ ही अयोध्या के पूर्व शाही परिवार के राजा विमलेंद्र प्रताप मिश्रा, अयोध्या के ही होम्योपैथी डॉक्टर अनिल मिश्रा और कलेक्टर को ट्रस्टी बनाया गया है। 

पहले जानकारी सामने आई थी कि चार शंकराचार्यों को इस ट्रस्ट में शामिल किया जाएगा, लेकिन सरकार ने ट्रस्ट में सिर्फ प्रयागराज के ज्योतिष पीठाधीश्वर स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज को शामिल किया गया है। इसके अलावा ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़े को भी स्थान दिया गया है, लेकिन अखाड़े के महंत दिनेंद्र दास को ट्रस्ट की मीटिंग में वोटिंग का अधिकार नहीं होगा। 

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य

के परासरन
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील के. परासरन ट्रस्ट के अध्यक्ष होंगे। उन्होंने रामलला विराजमान की ओर से अयोध्या मामले में लंबे समय तक पैरवी की। 92 वर्षीय परासन ने सुप्रीम कोर्ट में खड़े होकर बहस की जबकि उन्हें कुर्सी पर बैठने अनुमति दी गई थी। वह रामसेतु समुद्रम परियोजना पर भी मुकदमा लड़ चुके हैं। उन्हें पद्म भूषण और पद्म विभूषण जैसे पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। सबरीमाला मामले में भगवान अयप्पा के वकील रहे परासरन को भारतीय इतिहास, वेद पुराण और धर्म के साथ ही संविधान का व्यापक ज्ञान है। राम मंदिर मामले के दौरान उन्होंने स्कंध पुराण के श्लोकों का जिक्र करके राम मंदिर का अस्तित्व साबित करने की कोशिश की।

डॉ. अनिल कुमार मिश्र
पेशे से होम्योपैथी डॉक्टर अनिल कुमार मिश्र फैजाबाद की लक्ष्मणपुरी कॉलोनी में रहते हैं। आंबेडकर नगर जिले के पहतीपुर के पतौना गांव के मूल निवासी अनिल राम मंदिर आंदोलन के दौरान विनय कटियार के साथ जुड़े थे। बाद में वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी जुड़े। मौजूदा वक्त में वह संघ के अवध प्रांत के प्रांत कार्यवाह हैं। वह उत्तर प्रदेश होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड के रजिस्ट्रार पद पर भी कार्यरत हैं।

विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र
अयोध्या राज परिवार के वंशज विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र को भी ट्रस्ट में शामिल किया गया है। रामायण मेला संरक्षक समिति के सदस्य और समाजसेवी मिश्र ने 2009 में बसपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा था।

कामेश्वर चौपाल
दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाले कामेश्वर चौपाल को भी जगह दी गई है। 1989 के राम मंदिर आंदोलन के समय हुए शिलान्यास में कामेश्वर ने ही राम मंदिर की पहली ईंट रखी थी। संघ ने उन्हें पहले कारसेवक का दर्जा दिया है। वह 1991 में रामविलास पासवान के खिलाफ चुनाव भी लड़ चुके हैं।

महंत दिनेंद्र दास
राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद में पक्षकार रहे निर्मोही अखाड़ा की अयोध्या बैठक के प्रमुख महंत दिनेंद्र दास को भी ट्रस्ट में जगह मिली है। सूत्रों के मुताबिक, दास बैठक में हिस्सा तो लेंगे लेकिन उन्हें मतदान का हक नहीं होगा।

जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज
बद्रीनाथ स्थित ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य। इनके शंकराचार्य बनाए जाने को लेकर विवाद भी हुआ था। ज्योतिष मठ की शंकराचार्य की पदवी को लेकर द्वारका पीठ के शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती ने हाईकोर्ट में मामला दाखिल किया था।

जगतगुरु माधवाचार्य स्वामी विश्व प्रसन्नतीर्थ जी महाराज  
कर्नाटक के उडुपी स्थित पेजावर मठ के 33वें पीठाधीश्वर हैं। दिसंबर 2019 में पेजावर मठ के पीठाधीश्वर स्वामी विश्वेशतीर्थ के निधन के बाद उन्होंने यह पदवी संभाली।

युगपुरुष परमानंद जी महाराज
अखंड आश्रम हरिद्वार के प्रमुख परमानंद जी महाराज भी ट्रस्ट में शामिल किए गए हैं। उनकी वेदांत पर 150 से अधिक किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। वर्ष 2000 में संयुक्त राष्ट्र में आध्यात्मिक नेताओं के शिखर सम्मेलन को भी संबोधित किया था।

स्वामी गोविंद देव गिरि जी महाराज
महाराष्ट्र के अहमद नगर में 1950 में जन्मे स्वामी गोविंद देव गिरि जी महाराज रामायण, श्रीमद् भागवत गीता, महाभारत और अन्य पौराणिक ग्रंथों का देश विदेश में प्रवचन करते हैं। वह राज्य के विख्यात आध्यात्मिक गुरु पांडुरंग शास्त्री अठावले के शिष्य हैं

ये भी होंगे ट्रस्ट में

  • बोर्ड ऑफ ट्रस्टी द्वारा नामित दो सदस्य, दोनों हिंदू धर्म से होंगे।
  • केंद्र सरकार द्वारा नामित एक हिंदू धर्म का प्रतिनिधि जो केंद्र के अंतर्गत आईएएस अधिकारी होगा। यह संयुक्त सचिव के पद से नीचे का व्यक्ति नहीं होगा। यह एक पदेन सदस्य होगा।
  • राज्य सरकार द्वारा नामित एक हिंदू धर्म का प्रतिनिधि जो यूपी सरकार के अंतर्गत आईएएस अधिकारी होगा। यह व्यक्ति राज्य सरकार के सचिव के पद से नीचे नहीं होगा। यह भी पदेन सदस्य होगा।
  • अयोध्या के जिलाधिकारी पदेन ट्रस्टी होंगे। वह हिंदू धर्म को मानने वाले होंगे। अगर किसी कारण से मौजूदा कलेक्टर हिंदू धर्म के नहीं हैं, तो अयोध्या के एडिशनल कलेक्टर (हिंदू धर्म) पदेन सदस्य होंगे।
  • राम मंदिर विकास और प्रशासन से जुड़े मामलों के चेयरमैन की नियुक्ति ट्रस्टियों का बोर्ड करेगा। उनका हिंदू होना जरूरी है।

30 साल पहले एक दलित ने रखी थी रामजन्म भूमि शिलान्यास की पहली ईंट

30 साल पहले केंद्र की तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी सरकार की अनुमति के बाद 9 नवंबर 1989 को प्रस्तावित राममंदिर की नींव पड़ी थी। शिलान्यास के लिए पहली ईंट विश्व हिंदू परिषद के तत्कालीन संयुक्त सचिव कामेश्वर चौपाल ने रखी थी। चौपाल का नाता बिहार से है और वे दलित समुदाय से आते हैं।

रौनाही में मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन देगी योगी सरकार

पीएम के एलान के कुछ देर बाद ही यूपी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल बैठक हुई। प्रदेश के कैबिनेट मंत्री और प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने बताया कि अयोध्या मुख्यालय से 18 किमी दूर ग्राम धानीपुर, तहसील सोहावल रौनाही थाने के 200 मीटर के पीछे पांच एकड़ जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को देने के लिए मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी। यह जमीन लखनऊ-अयोध्या हाईवे पर अयोध्या से करीब 22 किमी पहले है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड को यह जमीन पांच एकड़ जमीन मस्जिद बनाने के लिए दी जा रही है। अब बोर्ड के ऊपर है कि वह इस जमीन का क्या करता है।

सुन्नी वक्फ मुस्लिमों का नुमाइंदा नहीं: मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

हम अयोध्या में मस्जिद के बदले कोई और जमीन नहीं लेंगे। सुन्नी वक्फ बोर्ड मुसलमानों का नुमाइंदा नहीं है। वह सरकार की संस्था है। बोर्ड अगर जमीन लेता है तो इसे मुसलमानों का फैसला नहीं माना जाना चाहिए। –मौलाना यासीन उस्मानी, आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ कार्यकारिणी सदस्य

शियाओं को जमीन मिलती तो एक और राममंदिर निर्माण: शिया वक्फ बोर्ड

राममंदिर के लिए ट्रस्ट बनाकर हुकूमत ने अपनी जिम्मेदारी पूरी की है और हिंदुओं को उनका हक राम मंदिर अयोध्या में मिला है। शियाओं को मिलने वाली जमीन आज सुन्नियों को मिल रही है। अगर यह जमीन शिया वक्फ बोर्ड को मिलती तो वहां शिया वक्फ बोर्ड एक और राम मंदिर का निर्माण कराता। -वसीम रिजवी, शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष

संत समाज खुश, कहा-नृत्य गोपाल दास हो सकते हैं ट्रस्ट के अध्यक्ष

राम जन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य डॉ. राम विलास वेदांती ने ट्रस्ट के एलान के लिए पीएम नरेंद्र मोदी का स्वागत करते हुए कहा कि रामनवमी पर पीएम मोदी इसका शिलान्यास करेंगे। वेदांती ने कहा कि महंत नृत्यगोपाल दास नए ट्रस्ट के अध्यक्ष हो सकते हैं। वेदांती ने कहा कि मंदिर का आकार व परिसर बड़ा होगा और मंदिर विशाल बनेगा। वहीं, निर्मोही अखाड़ा के महंत दिनेंद्र दास ने कहा कि ट्रस्ट का एलान हो गया है। सब संतुष्ट हैं कोई विवाद नहीं। राम का काम है। मंदिर निर्माण भी सब चाहते हैं, इस पर सब एक हैं। प्रभु राम के काम में विरोध का सवाल ही नहीं।

ट्रस्ट में दलित को स्थाई सदस्य बनाने को बताया ऐतिहासिक

अखिल भारतीय संत समिति ने अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार द्वारा  श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के गठन का स्वागत किया है। समिति के महामंत्री स्वामी जीतेंद्रनंद सरस्वती ने इस ट्रस्ट में दलित बिरादरी के एक व्यक्ति को स्थाई सदस्य के तौर पर शामिल करने के फैसले की सराहना की है। उन्होंने कहा कि ट्रस्ट के निर्माण के साथ ही राम मंदिर निर्माण की अब सारी बाधा दूर हो गई है।

महामंत्री ने कहा कि दलित समाज को न्यास में स्थायी प्रतिनिधित्व देना अत्यंत सराहनीय क़दम है हम इसकी भूरि-भूरि प्रशंसा करते हैं। ईश्वर के दरबार में कोई भेद नहीं है और इस घोषणा से हिन्दू समाज के मध्य सौहार्द और प्रगाढ़ होगा। मंदिर निर्माण के लिए जिस प्रस्तावित नक्शे को हृदय से लगा कर देशवासियों ने कारसेवा की, करोड़ों लोगों ने सवा-सवा रुपये की दक्षिणा दी और करोड़ों गाँवों से एक-एक ईंट अयोध्या भेजी गई, उसी नक्शे के आधार पर भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर अयोध्या में बनाना चाहिए।विज्ञापन

‘श्री राम जनमभूमि तीर्थक्षेत्र’ ट्रस्ट के गठन की तैयारियां शुरू

प्रधानमंत्री ने संसद में कहा, “आज सुबह हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को ध्यान में रखते हुए इस दिशा में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं. मेरी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार श्रीराम जन्मस्थली पर भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर के निर्माण के लिए और इससे संबंधित अन्य विषयों के लिए एक वृहद योजना तैयार की है.” “सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार एक स्वायत्त ट्रस्ट ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ के गठन का प्रस्ताव पारित किया गया है. ये ट्रस्ट अयोध्या में भगवान श्रीराम की जन्मस्थली पर भव्य और दिव्य श्रीराम मंदिर के निर्माण और उससे संबंधित विषयों पर निर्णय लेने के लिए पूर्ण रूप से स्वतंत्र होगा.”

नई दिल्ली:

राम मंदिर बनाने के लिए ट्रस्ट के गठन का प्रस्ताव लोकसभा में पारित होने के बाद अब भारत सरकार ने उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण से संबंधित नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए संसद में श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का ऐलान किया. पीएम ने कहा कि यह ट्रस्ट मंदिर निर्माण से जुड़े हर फैसले लेने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र है.

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में 15 सदस्य होंगे, जिनमें एक दलित और एक महिला सदस्य को भी जगह दी जाएगी. ट्रस्ट में शामिल किए जाने वालों में जो नाम प्रमुखता से लिए जा रहे हैं, उनमें रामजन्मभूमि न्यास से लेकर विश्व हिंदू परिषद से जुड़े हुए लोगों की चर्चाएं हैं.

कैबिनेट ने राम मंदिर ट्रस्ट बनाने को मंजूरी दे दी है. बुधवार को लोकसभा में संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरकार ने अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए योजना तैयार कर ली है. उन्होंने कहा कि माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार कैबिनेट की बैठक में इस दिशा में महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है. पीएम ने कहा कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए सरकार ने योजना तैयार कर ली है. राम मंदिर ट्रस्ट का नाम ‘श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ होगा. पीएम ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ जमीन देने के लिए राज्य सरकार ने मंजूरी दे दी है. 

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को अयोध्या मामले पर फैसला सुनाते हुए सरकार को राम मंदिर ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया था. कोर्ट ने ट्रस्ट के गठन के लिए नौ फरवरी तक की तारीख तय की थी. मंदिर निर्माण की पूरी रुपरेखा तैयार करने और उसे क्रियान्वित करने की जिम्मेदारी ट्रस्ट की होगी.

श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र की घोषणा के समय को लेकर ओवैसी की तीखी प्रतिक्रिया

राम मंदिर के लिए ट्रस्ट की घोषणा के समय पर एआईएमआईएम अध्यक्ष असुद्दीन ओवैसी ने सवाल उठाए हैं. ओवैसी ने कहा कि मुस्लिम समुदाय 5 एकड़ ज़मीन देने के प्रस्ताव की घोषणा को खारिज करता है और सुन्नी वक्फ बोर्ड को भी ऐसा ही करना चाहिये. इस समय ट्रस्ट की घोषणा करना आचार संहिता का उल्लंघन है. 

नई दिल्ली(ब्यूरो): 

अयोध्या में अब सब कुछ मंगल ही मंगल है. पहले सुप्रीम कोर्ट के फैसले और आज लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के ऐलान के साथ ही शुभ मुहूर्त की शुरुआत हो चुकी है. अब देश को इंतजार है श्रीराम के उस भव्य मंदिर का जिसकी कल्पना लोग सदियों से कर रहे थे. वहीं,  राम मंदिर के लिए ट्रस्ट की घोषणा के समय पर एआईएमआईएम अध्यक्ष असुद्दीन ओवैसी ने सवाल उठाए हैं. ओवैसी ने कहा कि मुस्लिम समुदाय 5 एकड़ ज़मीन देने के प्रस्ताव की घोषणा को खारिज करता है और सुन्नी वक्फ बोर्ड को भी ऐसा ही करना चाहिये. इस समय ट्रस्ट की घोषणा करना आचार संहिता का उल्लंघन है. 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के 88 दिन बाद ट्रस्ट का ऐलान

अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के 88 दिन बाद मोदी सरकार ने राम मंदिर बनाने के लिए ट्रस्ट का ऐलान कर दिया है. ट्रस्ट में 15 सदस्य होंगे. आज कैबिनेट के फैसले के फौरन बाद प्रधानामंत्री नरेंद्र मोदी संसद पहुंचे. लोकसभा में उन्होंने प्रश्नकाल से पहले ट्रस्ट बनाए जाने का ऐलान किया. उन्होंने कहा कि ट्रस्ट का नाम ‘श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र’ होगा. इसी के साथ केंद्र सरकार ने अपने कब्जे की 67.703 एकड़ जमीन भी ट्रस्ट को सौंप दी है. यह पूरा इलाका मंदिर क्षेत्र होगा. ये ट्रस्ट अयोध्या में भगवान श्रीराम की जन्मस्थली पर भव्य और दिव्य श्रीराम मंदिर के निर्माण और उससे संबंधित विषयों का निर्णय लेने के लिए पूर्ण रूप से स्वतंत्र होगा. 

ऐसे काम करेगा ट्रस्ट

सबसे पहले ट्रस्टी बोर्ड बनाया जाएगा जिसमें 10 से 15 लोग रखे जाते हैं. ट्रस्ट के मुख्य उद्देश्य के साथ-साथ रूल्स एंड रेगुलेशन तय किए जाएंगे. इसके बाद मैनेजमेंट कमेटी या फिर मैनेजमेंट बोर्ड बनाया जाएगा. इसे कहीं-कहीं गवर्निंग बॉडी भी कहा जाता है. बोर्ड मेंबर पर हर तरह के फैसले लेने का अधिकार होगा. फिर ट्रस्टी की ओर से चयनित बोर्ड में से कुछ लोगों को लीगल एंटिटी बनाया जाएगा. 

इस ट्रस्ट में एक निश्च‍ित तरीके से जनता से पैसा लिया जाएगा. पूरी धनराशि एक बैंक खाते में जमा होगी. खाता एक पैन नंबर से खोला जाएगा है. यानि जिसका पैन नंबर होगा उसी की जवाबदेही होगी. खाते के लिए पैन नंबर देने वाले शख्स का चयन भी बोर्ड ही करेगा. साथ ही ट्रस्टी जिसे लीगल एंटिटी यानी कानूनी अधिकार देगा उस ही पर ज्यादा जिम्मेदारी होगी.

जब सदन जय श्री राम के नारों से गूंज उठा

आज सदन उस समय जय ‘श्री राम’ के नारों से गूंज उठा जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ की घोषणा की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में बुधवार को अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए ट्रस्ट के गठन का ऐलान किया. उन्होंने कहा कि कैबिनेट की मीटिंग में यह फैसला लिया गया है कि राम जन्म भूमि के लिए ट्रस्ट बनाया गया है. जिसका नाम ‘श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र” होगा. पीएम मोदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह ट्रस्ट बनाया गया है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मुस्लिम पक्ष को मस्जिद के लिए राज्य सरकार अलग से जमीन देगी. ट्रस्ट की घोषणा के साथ ही लोकसभा में जय श्री राम के नारे लगे.

नई दिल्ली: 

राम मंदिर बनाने के लिए ट्रस्ट के गठन का प्रस्ताव लोकसभा में पारित हो गया है. कैबिनेट ने राम मंदिर ट्रस्ट बनाने को मंजूरी दे दी है. बुधवार को लोकसभा में संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरकार ने अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए योजना तैयार कर ली है. उन्होंने कहा कि माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार कैबिनेट की बैठक में इस दिशा में महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है. पीएम ने कहा कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए सरकार ने योजना तैयार कर ली है. राम मंदिर ट्रस्ट का नाम ‘श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ होगा. पीएम ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ जमीन देने के लिए राज्य सरकार ने मंजूरी दे दी है. 

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को अयोध्या मामले पर फैसला सुनाते हुए सरकार को राम मंदिर ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया था. कोर्ट ने ट्रस्ट के गठन के लिए नौ फरवरी तक की तारीख तय की थी. मंदिर निर्माण की पूरी रुपरेखा तैयार करने और उसे क्रियान्वित करने की जिम्मेदारी ट्रस्ट की होगी.

इससे पहले मंगलवार को अयोध्या में बाबरी मस्जिद पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा था कि वह चाहते हैं की अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार जल्द से जल्द ट्रस्ट का निर्माण करें. जिससे राम मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो सके. उन्होंने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार से मांग की थी कि सुप्रीम कोर्ट ने जो मस्जिद के लिए 5 एकड़ भूमि दी है उस भूमि को जल्द से जल्द चिन्हित किया जाए. जिससे वहां पर मस्जिद का निर्माण किया जा सके.

यही नहीं उनका यह भी कहना है की अयोध्या के विकास के लिए राम मंदिर निर्माण जल्द से जल्द शुरू हो क्योंकि हिंदू समाज के लोग भी अब यह सवाल कर रहे हैं कि 9 फरवरी को 3 महीना सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का बीत जाएगा और अभी तक राम मंदिर निर्माण शुरू नहीं हो सका है. ऐसे में भगवान श्री राम कब तक टेंट में रहेंगे यह सवाल बाबरी पक्षकार इकबाल अंसारी ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार से पूछा था.

कमलनाथ सरकार अब मंदिरों की ज़मीनें बिल्डरों को बेचेगी

बीजेपी ने मध्य प्रदेश सरकार के इस प्रस्ताव को हिंदू विरोधी बताया है. उसका कहना है कांग्रेस सिर्फ एक धर्म को निशाना बना रही है. हिंदुओं को दबाकर कांग्रेस तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है। आने वाले समय में मंदिर अपने खुले स्थानों पर गो – शाला अथवा या गुरुकुल इत्यादि स्थापित कर धर्म और गोवंश के महत्व को बढ़ावा दें इस लायक बनें उनकी, ज़मीनें बेच दी जाएँ और पैसे सरकार के खाते में जाएँ। यदि एस होना अतिआवश्यक है तो फिर यह गाज मंदिरों पर ही क्यों गिरे?

नयी दिल्ली:

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में मंदिरों की जमीन बिल्डर्स को देने की तैयारी है. सरकार ने इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर रखा है. पांच फरवरी को होने वाली कैबिनेट बैठक (Cabinet Meet) में इस पर मुहर लगना भर बाकी है. बिल्डर्स इस पर मकान-दुकान कुछ भी बना सकते हैं. जमीन बेचने पर जो पैसा मिलेगा वो मंदिर, जिला प्रशासन और सरकारी खजाने में जाएगा.

दरअसल कमलनाथ सरकार (Kamalnath Government) ने प्रदेश के मंदिरों की जमीन बिल्डरों को देने का प्रस्ताव तैयार किया है. सरकार इस प्रस्ताव को पांच फरवरी को होने वाली कैबिनेट की बैठक में लेकर आएगी. बिल्डर्स इस जमीन पर निर्माण कार्य कर उसे बेच सकते हैं. इससे जो पैसा मिलेगा वो मंदिर, जिला और राज्य सरकार के देवस्थान कोष में जाएगा. इसके पीछे सरकार की मंशा है कि ऐसा करने से मंदिरों की प्राइम लोकेशन वाली बेशकीमती जमीन को अतिक्रमण और कब्जे से बचाया जा सकेगा.

ऐसा है सरकार का प्रस्ताव

आध्यात्म विभाग के मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि सरकार के अधीन आने वाले मंदिरों की खाली जमीन व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए निजी व्यक्तियों को बेचने का प्रस्ताव लाया जा रहा है. इसकी शुरुआत भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर के साथ दूसरे बड़े शहरों के मंदिरों से होगी. जिस व्यक्ति को जमीन दी जाएगी, वो उस पर निर्माण कार्य कर बेच सकेगा. इससे मिलने वाला पैसा तीन हिस्सों में बांटा जाएगा. 20 फीसदी मंदिर, 30 फीसदी जिला स्तर और 50 फीसदी राज्य स्तर के देवस्थान कोष में जमा होगा. सरकार केवल जमीन देगी. उस पर मकान-दुकान या बिल्डिंग बिल्डर अपने खर्च पर बनवाएगा. बिल्डर अपनी मर्जी के मुताबिक उस जमीन पर फ्लैट, डुप्लेक्स, दुकान, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स सहित दूसरा कर्मिशियल निर्माण कर सकता है.

स्ताव की वजह

इस प्रस्ताव के पीछे तर्क दिया जा रहा है कि मंदिरों की खाली जमीन पर कब्जा हो जाता है. प्रशासन कार्रवाई कर इन कब्जों को बार-बार हटाती है, लेकिन इन पर फिर कब्जा जमा लिया जाता है. साथ ही मंदिरों की खाली पड़ी जमीन का कोई उपयोग नहीं हो पाता है. प्रशासन के पास अमला नहीं होने की वजह से मंदिरों की मॉनिटरिंग में दिक्कत आती है. ऐसे में सरकार का मानना है कि इस प्रस्ताव को हरी झंडी मिलने से मंदिरों का विस्तार के साथ विकास भी होगा.

बीजेपी ने कहा- ये हिंदू विरोधी

बीजेपी ने सरकार के इस प्रस्ताव को हिंदू विरोधी बताया है. उसका कहना है कांग्रेस सिर्फ एक धर्म को निशाना बना रही है. कांग्रेस हिंदुओं को दबाकर तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है. मंदिर में कोई अवैध कब्जा नहीं होता है. सरकार अगर मंदिरों को बड़े-बड़े बिल्डर्स को देने की कोशिश करेगी तो बीजेपी इसका विरोध करेगी. ये निर्णय पूरी तरह बड़े बिल्डर्स को संरक्षण देने का है. कांग्रेस सरकार हर तरह के हिंदू विरोधी फैसले कर रही है.