दिल्ली दंगों में भड़काऊ भाषण देने में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण, सीपीएम नेता वृंदा करात, कविता कृष्णन, कवलप्रीत कौर और गौहर रजा जांच के घेरे में

इस साल फरवरी में राजधानी दिल्ली के कई इलाकों में दंगे हुए थे। जिसकी जांच के दायरे में अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्वी केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद भी आ गए हैं। दंगा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार एक आरोपी ने मजिस्ट्रेट के सामने खुर्शीद का नाम लिया है। खुर्शीद के अलावा सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण, सीपीएम नेता वृंदा करात, कविता कृष्णन, कवलप्रीत कौर और गौहर रजा का भी जिक्र उसके बयान में है।

नयी दिल्ली(ब्यूरो):

दिल्ली दंगों के मामले में पुलिस द्वारा दायर की गई चार्जशीट में कई बड़े नेताओं का नाम सामने आया है। इसमें कॉन्ग्रेस नेता सलमान खुर्शीद, सीपीआई – एमएल पोलित ब्यूरो की सदस्य कविता कृष्णन, छात्र नेता कवलप्रीत कौर, वैज्ञानिक गौहर रज़ा और प्रशांत भूषण का नाम शामिल है। दिल्ली पुलिस ने बेहद स्पष्ट तौर पर इन लोगों को दंगों का षड्यंत्र रचने का आरोपित बताया है।

दिल्ली दंगों के मामले में आरोपित खालिद सैफी और पूर्व कॉन्ग्रेस पार्षद इशरत जहाँ द्वारा दिए गए बयान के आधार पर खुर्शीद को आरोपित बनाया गया है। सैफी ने 30 मार्च को दिए गए अपने बयान में कहा था, “प्रदर्शन लंबे समय तक जारी रखने के लिए मैंने और इशरत ने कई लोगों को बुलाया था जिसमें एक व्यक्ति सलमान खुर्शीद भी थे। इन सभी को वहाँ पर भड़काऊ भाषण देने के लिए बुलाया गया था। जितने भी लोग धरने पर बैठे रहते थे वह सिर्फ और सिर्फ भड़काऊ भाषणों के लिए बैठते थे। इन भाषणों की मदद से ही वह अपने मज़हब को आधार बना कर प्रदर्शन जारी रखने वाले थे।”

सुरक्षा में रखे गए एक चश्मदीद ने भी इस मुद्दे पर बयान दिया था (जिसे सीआरपीसी की धारा 164 के आधार पर तैयार किया गया था)। उसने भी अपने बयान में सलमान खुर्शीद का ज़िक्र किया था और उनके द्वारा दिए भड़काऊ भाषणों के बारे में भी बताया। 

सलमान खुर्शीद ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा, “अगर आप सब कुछ समेटने जाएँगे तो पूरी चार्जशीट लगभग 17 हज़ार पन्नों की है। एक चार्जशीट विश्वसनीय और प्रभावशाली होनी चाहिए क्योंकि वह किसी अपराध का पुख्ता सबूत होती है। अगर कोई ऐसा कहता है कि 12 लोगों ने आकर भड़काऊ भाषण दिया तो ऐसा संभव नहीं है कि सभी ने एक तरह के भड़काऊ भाषण दिए। उकसावा और लामबंदी हमारे देश में आपराधिक गतिविधि नहीं है।”   

वहीं वैज्ञानिक रज़ा का नाम खुरेजी क्षेत्र के नज़दीक मुस्लिम भीड़ को भड़काने के आरोप में सामने आया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, चश्मदीद ने बताया, “रज़ा ने कई अन्य लोगों के साथ मिल कर सीएए और एनआरसी को लेकर कई आपत्तिजनक बातें कहीं। इसके अलावा उन्होंने वर्तमान सरकार को लेकर भी कई गलत बातें कहीं और मुस्लिमों को जम कर भड़काया।”

इन आरोपों पर रज़ा ने कहा था, “मैं आज भी अपने बयान पर कायम हूँ, मैंने सीएए के विरोध में कुछ भी गलत नहीं कहा। मैं हमेशा इसका विरोध करता रहूँगा क्योंकि यह संविधान पर हमला है। मैंने हमेशा हिंसा का विरोध किया है इसलिए भड़काने का आरोप पूरी तरह बेबुनियाद है।” 

इनके अलावा सैफी और इशरत के बयान पर प्रशांत भूषण का नाम भी सामने आया था। प्रशांत भूषण पर भी आरोप लगाया गया था कि उन्होंने खुरेजी क्षेत्र में भड़काऊ भाषण दिया था। इस पर प्रशांत भूषण ने कहा था, “मैं कई जगहों पर गया था और विरोध प्रदर्शन का समर्थन किया था। लेकिन मैंने इस तरह का कोई भाषण नहीं दिया था जो लोगों में हिंसा की भावना को बढ़ावा देता हो। हाँ मैंने सरकार के विरोध में बहुत कुछ कहा था और उससे वह भड़क गए तो इसके लिए कुछ नहीं किया जा सकता।” 

25 मई को दिए गए बयान में सैफी ने कवलप्रीत कौर का नाम भी लिया था। उसने यह भी बताया कि वह काफी समय से कौर के संपर्क में था। बयान के मुताबिक़ कौर ने कई लोगों के साथ मिल कर योजना बनाई थी कि वह ट्विटर पर भड़काऊ बातें साझा करेंगे जिससे मुस्लिम समुदाय की भावनाएँ आहत हों और वह सरकार के विरुद्ध सड़कों पर उतरें। 

दिल्ली दंगों के कुल 15 आरोपितों में शादाब अहमद ने 27 मई को एक बयान दिया था। उस बयान में कुल 38 लोगों का नाम मौजूद था। इन नामों में मुख्य रूप से कृष्णन, कौर, उमर खालिद के पिता एसक्यूआर इलियास शामिल थे जिन्होंने चाँद बाग़ में भड़काऊ भाषण दिए थे। ख़बरों के मुताबिक़ इसके पहले सीपीआई के जनरल सेक्रेटी सीताराम येचुरी, स्वराज्य इंडिया के मुखिया योगेंद्र यादव, जयती घोष, प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद और फिल्म निर्माता राहुल रॉय जैसे लोगों का नाम भी दिल्ली पुलिस की पूरक चार्जशीट में शामिल है। 

दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता अनिल मित्तल ने इस संबंध में बयान जारी करते हुए कई अहम बातें कहीं। उन्होंने कहा, “एक व्यक्ति को सिर्फ गवाही के आधार पर आरोपित नहीं बना दिया जाता है। हमारे पास लगाए गए आरोपों के अतिरिक्त तमाम ऐसे सबूत हैं जिनके आधार पर हम अपनी कार्रवाई आगे बढ़ा रहे हैं।” 

फ़िरोज़ शाह गंधी – भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी सरकार के वित्त मंत्री पर पड़े थे भारी

1958 की बात है. लोकसभा का सत्र चल रहा था. इसी दौरान ट्रेजरी बेंच पर बैठे एक सांसद के बोलने की बारी आई. वह जो कहने वाला था उससे नैतिकता के ऊंचे आदर्शों का दावा करने वाली जवाहर लाल नेहरू सरकार हिलने वाली थी.

चंडीगढ़(ब्यूरो):

सांसद ने बोलना शुरू किया. उसने आरोप लगाया कि भारतीय जीवन बीमा निगम यानी एलआईसी ने कुछ ऐसी कंपनियों के बाजार से कहीं ज्यादा कीमत पर करीब सवा करोड़ रु के शेयर खरीदे हैं जिनकी हालत पतली है. ये कंपनियां कलकत्ता के एक कारोबारी हरिदास मूंदड़ा की थीं. सत्ताधारी पार्टी के ही सांसद की तरफ से हुए इस हमले से विपक्ष और आलोचकों को मानो मनमांगी मुराद मिल गई थी.

इससे सकते में आए तत्कालीन वित्तमंत्री टीटी कृष्णमचारी ने पहले तो इससे सीधे इनकार किया. लेकिन यह सांसद अपनी बात पर अड़ा था. आखिर हाईकोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अगुआई में एक जांच आयोग बना. आरोप सच साबित हुए. कृष्णमचारी को इस्तीफा देना पड़ा. यह नेहरू सरकार की साफ-सुधरी छवि पर एक बड़ी चोट थी. इस राजनेता का नाम था फीरोज गांधी. विडंबना यह थी कि फीरोज जवाहर लाल नेहरू के दामाद थे.

लेकिन ऐसा काम उन्होंने पहली बार नहीं किया था. जो फीरोज गांधी को जानते थे उनके लिए यह बात अजूबा भी नहीं थी. भारत के सबसे ताकतवर परिवार के इस दामाद को नेहरू की नीतियों के प्रति अपने विरोध के लिए ही जाना जाता था.

फीरोज जहांगीर गंधी (गांधी नहीं) का जन्म 12 सितंबर 1912 को मुंबई (तब बंबई) के एक पारसी परिवार में हुआ था. मुंबई के कई पारसियों की तरह यह परिवार भी गुजरात से यहां आया था. पेशे से मरीन इंजीनियर उनके पिता जहांगीर फरदून भरुच से ताल्लुक रखते थे जबकि उनकी मां रतिमाई सूरत से थीं.

फीरोज के जन्म के कुछ समय बाद ही पहला विश्व युद्ध छिड़ गया. इसके चलते उनके पिता को लंबे समय तक समुद्री यात्राएं करनी पड़तीं. इस वजह से उन्होंने परिवार को इलाहाबाद भेज दिया जहां उनकी बहन शिरीन रहती थीं. शिरीन शहर के एक अस्पताल में सर्जन थीं. इस तरह फीरोज का बचपन इलाहाबाद में ही बीता.

इंदिरा गांधी से मुलाकात

1930 में शहर में कांग्रेस का एक धरना था. कमला नेहरू और इंदिरा गांधी सहित कांग्रेस की कई महिला कार्यकर्ताएं इसमें हिस्सा ले रही थीं. संयोग से यह उसी कॉलेज के बाहर हो रहा था जहां से फीरोज ग्रेजुएशन कर रहे थे. बताते हैं कि तेज धूप में कमला नेहरू बेहोश हो गईं और इस दौरान फीरोज ने उनकी मदद की. आजादी के लिए लड़ने वाले लोगों का जज्बा देखकर अगले ही दिन उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और आजादी के आंदोलन में शामिल हो गए. उसी साल फीरोज गांधी को जेल की सजा हुई और उन्होंने फैजाबाद जेल में 19 महीने गुजारे. तब इलाहाबाद जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष लाल बहादुर शास्त्री भी इसी जेल में थे. बताते हैं कि इसी दौरान उन्होंने अपना नाम बदलकर फीरोज गंधी से फीरोज गांधी रख लिया था. जेल से छूटने के बाद फीरोज तब के यूनाइटेड प्रोविंस (उत्तर प्रदेश) में किसानों के अधिकारों के लिए चल रहे आंदोलन में शामिल हुए. इसमें उन्होंने जवाहर लाल नेहरू के साथ करीब से काम किया. इस दौरान उन्हें फिर दो बार जेल हुई.

फीरोज ने 1933 में पहली बार इंदिरा के सामने शादी करने का प्रस्ताव रखा था. लेकिन इंदिरा और उनकी मां कमला नेहरू ने इससे इनकार कर दिया. तब इंदिरा सिर्फ 16 साल की थीं और इस इनकार के पीछे उनकी मां का यही तर्क था. बाद के वर्षों में फीरोज की नेहरू परिवार से करीबी बढ़ती गई. खासकर कमला नेहरू से. टीबी के चलते जब कमला नेहरू को नैनीताल के पास भोवाली सैनटोरियम में रखा गया तो इस दौरान फीरोज ही उनके साथ रहे. यह 1934 की बात है. बाद में हालत बिगड़ने पर जब उन्हें यूरोप भेजा गया तो भी फीरोज उनके साथ थे. 28 फरवरी 1936 को जब कमला नेहरू ने दम तोड़ा तो फीरोज उनके सिरहाने ही बैठे थे.

शादी

इसके बाद फीरोज और इंदिरा की घनिष्ठता बढ़ती गई. मार्च 1942 में उन्होंने शादी कर ली. बताते हैं कि जवाहर लाल नेहरू इस शादी के खिलाफ थे और उन्होंने महात्मा गांधी से कहा था कि वे इंदिरा को समझाएं. अगस्त 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान इस दंपत्ति को जेल में भेज दिया गया. तब उनकी शादी को छह महीने भी नहीं हुए थे. फीरोज एक साल तक इलाहाबाद की नैनी सेंट्रल जेल में रहे.

इसके बाद के पांच साल इस दंपत्ति के लिए पारिवारिक व्यस्तताओं के साल रहे. फीरोज और इंदिरा के दो बच्चे हुए. 1944 में राजीव का जन्म हुआ और 1946 में संजय का. आजादी के बाद फीरोज और इंदिरा बच्चों के साथ इलाहाबाद चले गए. फीरोज द नेशनल हेराल्ड के प्रबंध निदेशक बन गए. यह अखबार उनके ससुर जवाहर लाल नेहरू ने ही शुरू किया था.

1952 में जब भारत में पहली बार आम चुनाव हुए तो फीरोज गांधी उत्तर प्रदेश के रायबरेली से सांसद चुने गए. तब तक इंदिरा दिल्ली आ गई थीं और इस दंपत्ति के बीच मनमुटाव की चर्चाएं भी होने लगी थीं. हालांकि इंदिरा ने रायबरेली आकर पति के चुनाव प्रचार की कमान संभाली थी.

अपनी ही सरकार के खिलाफ आवाज

जल्द ही फीरोज अपनी ही सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाली एक असरदार शख्सियत बन गए. 1955 में उनके चलते ही उद्योगपति राम किशन डालमिया के भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ. यह भ्रष्टाचार एक जीवन बीमा कंपनी के जरिये किया था. इसके चलते डालमिया को कई महीने जेल में रहना पड़ा. इसका एक नतीजा यह भी हुआ कि अगले ही साल 245 जीवन बीमा कंपनियों का राष्ट्रीयकरण करके एक नई कंपनी बना दी गई. इसे आज हम एलआईसी के नाम से जानते हैं.

यानी एक तरह से फीरोज गांधी को राष्ट्रीयकरण की प्रक्रिया शुरू होने के पीछे की वजह भी कहा जा सकता है. उन्होंने टाटा इंजीनियरिंग एंड लोकोमोटिव (टेल्को) के राष्ट्रीयकरण की भी मांग की थी. उनका तर्क था कि यह कंपनी सरकार को जापानियों से दोगुनी कीमत पर माल दे रही है. इसके चलते उनका अपना पारसी समुदाय भी उनके खिलाफ हो गया था. लेकिन उन्होंने इसकी परवाह नहीं की. यही वजह थी कि उनकी प्रतिष्ठा हर पार्टी और वर्ग में थी.

1957 में फीरोज गांधी रायबरेली से दोबारा चुने गए. 1958 में उन्होंने नेहरू सरकार को वह झटका दिया जिसका जिक्र लेख की शुरुआत में हो चुका है.

लोकप्रिय राजनेता होने के बावजूद फीरोज गांधी अपने आखिरी दिनों में अकेले पड़ गए थे. उनके दोनों बेटे राजीव और संजय गांधी अपनी मां के साथ प्रधानमंत्री निवास में ही रहते थे. आठ सितंबर 1960 को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया.

चीन के लिए जासूसी करने के आरोप में दस्तावेज़ों सहित भारतीय स्वतंत्र पत्रकार अपने दो साथियों सहित गिरफ्तार

नई दिल्ली: 

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने जासूसों को पकड़ा है। स्पेशल सेल ने चीन की महिला और उसके एक नेपाली साथी को गिरफ्तार किया है। ये चीन को खुफिया जानकारी पहुंचाते थे। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने एक फ्रीलांस जर्नलिस्ट राजीव शर्मा से पूछताछ की। शर्मा पर चाइनीज इंटेलिजेंस को सीक्रेट डिफेंस पेपर्स शेयर करने का आरोप है। आरोपी राजीव शर्मा दिल्ली के पीतमपुरा का रहने वाला है। स्पेशल सेल ने इसे ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट केस के तहत गिरफ्तार किया है।

ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट या आधिकारिक गुप्त अधिनियम, 1923 भारत में अंग्रेजों द्वारा बनाया गया जासूसी निरोधक कानून है. … इस अधिनियम के तहत किसी ऑफिस की किसी भी प्रकार की डिटेल, उसका नक्शा, स्केच या पासवर्ड किसी विदेश एजेंट से शेयर करना अपराध की श्रेणी में आता है।यदि कोई व्यक्ति ऊपर दिए आरोपों के लिए दोषी करार दिया जाता है तो उसे 3 साल तक की सजा होगी लेकिन यदि अपराध का सम्बन्ध रक्षा कार्यों, सेना शस्त्रागार, नौसेना, सैन्य या वायुसेना प्रतिष्ठान या स्टेशन, सुरंगों, कारखाना, डॉकयार्ड, शिविर, जहाज, गुप्त आधिकारिक कोड से सम्बन्धित हो तो उसे 14 साल की सजा दिए जाने का प्रावधान है।

नयी द्ल्लि (ब्यूरो):

स्वतंत्र पत्रकार राजीव शर्मा की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली पुलिस ने इस मामले में एक चीनी महिला और उसके नेपाली सहयोगी को भी गिरफ्तार किया है। शर्मा पर सुरक्षा संबंधी दस्तावेजों को चीन की खुफिया एजेंसी के साथ साझा करने का आरोप है।

शर्मा को रक्षा सम्बन्धी गोपनीय दस्तावेज़ों के साथ ‘ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट’ के तहत गिरफ्तार किया गया था। वहीं चीनी महिला और उसके नेपाली सहयोगी को शर्मा को शेल कंपनियों के जरिए पैसा देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार चीनी खुफिया विभाग ने पत्रकार को मोटी रकम के एवज में संवेदनशील जानकारी देने का काम सौंपा था। शर्मा के पास से बड़ी की संख्या में मोबाइल फोन, लैपटॉप और अन्य सामग्री बरामद की गई है।

दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के डीसीपी संजीव कुमार यादव ने बताया कि 14 सितंबर को शर्मा को गिरफ्तार कर 6 दिन की रिमांड पर लिया गया था। 22 सितंबर को पटियाला हाउस कोर्ट में उसकी जमानत याचिका पर सुनवाई होनी है। यादव ने बताया कि शर्मा के साथ-साथ चीनी महिला और उसके नेपाली सहयोगी से पूछताछ जारी है।

राजीव शर्मा दिल्ली के पीतमपुरा का रहने वाला है। वह यूनाइटेड न्यूज़ ऑफ़ इंडिया, द ट्रिब्यून, फ्री प्रेस जर्नल समेत कई समाचार समूहों में बतौर पत्रकार काम कर चुका है। पिछले 2 दशकों से वह बतौर पत्रकार रक्षा क्षेत्र और विदेशी मामलों से जुड़ी ख़बरें करता था। पत्रकार आदित्य राज कौल के अनुसार राजीव शर्मा चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स (समाचार पत्र) के लिए स्तम्भ भी लिखा करता था। चीनी समाचार पत्र के लिए स्तम्भ लिखने का सिलसिला पिछले कई सालों से जारी था।

हाल ही में राजीव शर्मा ने ग्लोबल टाइम्स के लिए एक लेख भारत-चीन तनाव पर लेख लिखा था। इसके अलावा वह क्विंट और डेली ओ जैसे वामपंथी समाचार समूहों के लिए भी लिखता है। उसका अपना यूट्यूब चैनल भी है जिसका नाम है ‘राजीव किष्किन्धा’। इस चैनल को लगभग 11900 लोगों ने सब्सक्राइब किया है।

राजीव ने पिछले साल दावा किया था कि उन्हें कनाडा की एजेंसी ने इजरायल के स्पायवेयर पेगासस के जरिए उनके फोन की निगरानी किए जाने को लेकर सतर्क किया था। गिरफ्तारी के बाद उसके ट्विटर एकाउंट जिस पर 5300 फॉलोवर्स थे, उसे बंद कर दिया गया है।

इससे पहले चीनी जासूस चार्ली पेंग पकड़ा गया था। वह भारत में रहकर हवाला रैकेट चला रहा था और एक जासूसी नेटवर्क का भी हिस्‍सा था। उसने अन्‍य चीनी नागरिकों के साथ मिलकर चीनी शेल कंपनियों के नाम से बैंक खाते खोले और करीब 1000 करोड़ रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग की थी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पूछताछ में पेंग ने खुलासा किया था कि चीनी खुफिया एजेंसियों ने उसके जरिए दिल्‍ली में निर्वासन में रह रहे तिब्‍बतियों को घूस देने की कोशिश की।

चीनी एजेंसियों के निशाने पर मजनू का टीला में रहने वाले लामा और भिक्षु थे। पेंग ने सीधे पैसा नहीं दिया लेकिन अपने ऑफिस स्‍टाफ के जरिए रकम भिजवाता रहा। जिन लोगों को पैसा दिया गया, उनकी पहचान अभी नहीं हो सकी है। पेंग का दावा है कि उसके स्‍टाफ ने जिन पैकेट्स में पैसे दिए, उनमें 2 से 3 लाख रुपए थे। 2014 के बाद से पेंग ने दिल्‍ली और हिमाचल प्रदेश में दलाई लामा की टीम में भी घुसपैठ करने की कोशिश की थी।

दिल्ली पुलिस इन आरोपियों की गिरफ्तारी से जुड़ी और जानकारी प्रेस कॉन्फ्रेंस में साझा करेगी.

आआपा सांसद संजय सिंह के खिलाफ देशद्रोह की प्राथमिकी दर्ज़

सर्वे में यह सवाल पूछा गया था कि क्या योगी सरकार में सिर्फ ठाकुर समाज के लोगों के काम हो रहे हैं? हां या न में जवाब देना था. आम आदमी पार्टी के अनुसार, 63 फीसदी ने ‘हां’ में जबकि सिर्फ 28 फीसदी लोगों ने ‘न’ में जवाब दिया है. ये ध्यान देने वाली बात है कि सर्वे में यह नहीं पूछा गया था कि योगी सरकार जातिवादी है या नहीं, बल्कि सवाल ये था कि क्या योगी सरकार में ठाकुर समाज के लोगों के ही काम हो रहे हैं?

लखनऊ, उप्र (ब्यूरो):

उत्तर प्रदेश  में जातिगत आधार सर्वे कराने को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं. उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर में राजद्रोह की धारा जोड़ने के बाद लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली पुलिस ने उन्हें 20 सितंबर (रविवार) को 11 बजे हाजिर होने का नोटिस भेजा है.

दरअसल, जाति के आधार पर लोगों को की गई फोन कॉल्स को लेकर हजरतगंज कोतवाली में संजय सिंह पर एफआईआर दर्ज की गई थी. लखनऊ पुलिस के अनुसार, गुरुवार को आआपा सांसद संजय सिंह के नई दिल्ली के नार्थ एवेन्यू स्थित आवास के पते पर नोटिस सर्व करा दिया गया है. अगर वे उपस्थित नहीं होते हैं तो पुलिस दंडात्मक कार्रवाई करेगी.

जातिगत सर्वे का है मामला

पिछले दिनों लखनऊ समेत कई जिलों में लोगों को फोन कॉल करके जातिगत सर्वे कराया गया था, जिससे हड़कंप मच गया था. बाद में संजय सिंह ने अपनी पार्टी की तरफ से सर्वे कराने की जिम्मेदारी ली थी. शासन के आदेश पर संजय सिंह के खिलाफ हजरतगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई गई थी. अब इसी मामले में गुरुवार को राजद्रोह की धारा के साथ 41ए जोड़कर समन जारी किया गया है, जिसमें पुलिस ने संजय सिंह को 20 सितंबर को पेशी पर बुलाया है.

पिछले दिनों जारी किए थे आंकड़े

बता दें पिछले दिनों यूपी प्रभारी संजय सिंह ने जातिगत सर्वे के नतीजे जारी किए थे. उन्होंने बताया कि 68 हजार लोगों को फोन करके ये सर्वे किया गया था. सर्वे के नतीजों में यह दावा किया गया है कि 63 फीसदी लोगों ने यह माना है कि योगी सरकार जातिवादी है, जबकि 28 फीसदी लोग ऐसा नहीं मानते हैं. 9 फीसदी लोग ऐसे हैं, जिन्होंने अपनी कोई राय जाहिर नहीं की है.

पुलिस के दबाव में बंद हुआ सर्वे

आम आदमी पार्टी के दिल्ली के तिमारपुर से विधायक दिलीप पांडेय ने बताया था कि सर्वे अब बन्द किया जा चुका है, क्योंकि यूपी पुलिस ने एजेंसी के लोगों की धर पकड़ शुरू कर दी है. उन्होंने बताया कि यूपी के लगभग हर हिस्से में लोगों को फोन किये गये हैं, जिससे कोई भी क्षेत्र छूटे नहीं. उन्होंने कहा कि यदि पुलिस ने इसे रोका न होता तो वे इसे और भी बड़े स्केल पर करना चाह रहे थे.

9वीं से 12वीं कक्षा के लिए नया ऐडमिक कैलेंडर लांच

जल्द ही एचआरडी मंत्री 11वीं और 12वीं कक्षा के लिए एकेडमिक कैलेंडर रिलीज कर सकते हैं. ये कैलेंडर दिव्यांग बच्चों सहित हर वर्ग के बच्चों को आवश्यकताओं को ध्यान में रखेगा. कैलेंडर में ऑडियो बुक, रेडियो प्रोग्राम और वीडियो प्रोग्राम के लिंक भी होंगे.

नयी दिल्ली(ब्यूरो):

शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने 9वीं से 12वीं कक्षा के छात्रों के लिए वैकल्पिक कैलेंडर लॉन्च कर दिया है. इस कैलेंडर में हफ्तेवार आठ हफ्ते का शेड्यूल दिया गया है. 

केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने मंगलवार को 8 हफ्ते का वैकल्पिक एकेडमिक कैलेंडर जारी किया है. इस कैलेंडर को सीनियर सेकेंडरी स्टूडेंट्स के लिए एनसीईआरटी (NCERT) द्वारा बनाया गया है. 

केद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने सभी टीचर्स से अपील की है कि वे घर पर सुरक्षित रहें और अपने छात्रों को घर से सीखने में मदद करें. शिक्षा मंत्री ने कहा कि इसके लिए वे अपने मोबाइल फोन, एसएमएस, टेलीविजन, रेडियो और तमाम सोशल मीडिया टूल्स का इस्तेमाल करें. 

एनसीईआरटी का सिलेबस फॉलो करने वाले 9वीं से 12वीं के बीच के सभी छात्रों के लिए ये कैलेंडर लागू होगा. इस कैलेंडर का उद्देश्य घर से पढ़ाई करने वाले छात्रों को टेक्नोलॉजी और सोशल मीडिया का प्रयोग करके शिक्षा देना है. शिक्षा मंत्रालय की ओर से ये अल्टरनेटिव कैलेंडर साझा किया गया है.

शुभ हो प्रभात..

मेरी मातृभाषा है ———हिन्दी
पुष्प की अभिलाषा है हिन्दी
घोर निराशा में हो गर प्राणी
जीने की आशा है ——– हिन्दी !!

बच्चन की मधुशाला है हिन्दी
मीरा का गोपाला है —— हिन्दी
है — प्रसाद की कामायनी
अमृत रस प्याला है —- – हिन्दी !!

रैदास का चंदन –पानी है —हिन्दी
महादेवी के गीतों की रवानी है हिन्दी
है — द्विवेदी का अद्भुत आलाप
प्रेमचंद की अनुपम कहानी है हिन्दी !!

गुप्त की भारत भारती —हिन्दी
मिश्र की त्रिकालसंध्या आरती हिन्दी
बहता प्रसाद का यूँ झरना
युगवाणी पंत की पुकारती हिन्दी !!

सुभद्रा के बिखरे मोती हिन्दी
दिनकर की रसवंती बोती हिन्दी
नवीन की उर्मिला के गले में
तुलसी के पद ——पिरोती हिन्दी !!

एक अनुपम वरदान है हिन्दी
साहित़्य की जान है — हिन्दी
यह सुमन है बड़ा निराला
परिंदा की उड़ान है हिन्दी ।

from ravi bharti’s wall

दिल्ली दंगो के साजिशकर्ता की ‘यूएपीए’ के तहत गिरफ्तारी

दिल्ली हिंसा मामले में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने JNU के पूर्व छात्र उमर खालिद से 11 घंटे लंबी पूछताछ की। लंबी पूछताछ के बाद खालिद को गिरफ्तार किया गया। देश-विरोधी गतिविधियों में शामिल होने वालों के खिलाफ कानून और सख्त हो गया है। इस तरह की हरकतों को अंजाम देने वालों को अब यूं ही नहीं छोड़ा जाएगा। इसके लिए ऐसे लोगों पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया जा रहा है। कई बार इसका विरोध भी हुआ है, लेकिन देश की अखंडता से खिलवाड़ करने वालों के साथ अब कोई मुरौवत नहीं होगी। खालिद की गिरफ्तारी और उसपर यूएपीए के तहत मामला दर्ज करना इस बात का द्योतक है कि देश के खिलाफ एक शब्द भी अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।  

नयी दिल्ली(ब्यूरो) :

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद को गिरफ्तार कर लिया है। उमर खालिद को दिल्ली में हुए हिन्दू-विरोधी दंगों के मामले में यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया गया है। शनिवार (सितम्बर 12, 2020) को ही दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद को समन दिया था और उन्हें लोधी कॉलनी स्थित स्पेशल सेल के ऑफिस में हाजिरी देकर जाँच में सहयोग करने को कहा गया था। इससे पहले जुलाई 31 को भी उनसे पूछताछ हो चुकी है।

उसी दिन उमर खालिद का मोबाइल फोन भी सीज कर लिया गया था। रविवार को वो दोपहर 1 बजे पूछताछ के लिए पहुँचे, जिसके बाद शाम को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। अब उन्हें सोमवार को दिल्ली की एक अदालत के समक्ष पेश किया जाएगा। आने वाले कुछ ही दिनों में दिल्ली पुलिस उनके खिलाफ चार्जशीट भी दायर करेगी। क्राइम ब्रांच के नारकोटिक्स यूनिट में तैनात सब-इंस्पेक्टर अरविन्द कुमार को मुखबिर से मिली सूचना के बाद मार्च 6 को उमर खालिद के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।

मुखबिर ने पुलिस के सामने खुलासा किया था कि दिल्ली में हुआ हिन्दू-विरोधी दंगा पूर्व नियोजित साजिश के तहत हुआ था और इसमें उसके साथ दानिश सहित 2 अन्य साथी शामिल थे। ये सभी अलग-अलग संगठनों का हिस्सा थे। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दिल्ली दौरे के समय अंतरराष्ट्रीय मीडिया के सामने भारत में मुसलमानों के प्रताड़ित होने का नैरेटिव बनाने के लिए उमर खालिद ने दो अलग-अलग जगहों पर भड़काऊ भाषण भी दिया था।

क्या है यूएपीए (UAPA) अधिनियम ? 

1967 में बने यूएपीए यानी गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम में अगस्त 2019 में संसोधन किया गया। यूएपीए बेहद सख्त कानून है। इसे देश की अखंडता और संप्रभुता को खतरा पहुंचाने वाली गतिविधियों से रोकने के लिए बनाया गया है। 1967 में इकस कानून के बनने के बाद से इसमें कई बार संसोधन किया गया।  

8 जुलाई को लोकसभा में पेश

यह विधेयक सरकार को यह अधिकार भी देता है कि इसके आधार पर किसी को भी व्यक्तिगत तौर पर आतंकवादी घोषित कर सकती है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 8 जुलाई को यूएपीए बिल लोकसभा में पेश किया था। यूएपीए बिल के तहत केंद्र सरकार किसी भी संगठन को आतंकी संगठन घोषित कर सकती है अगर निम्न 4 में से किसी एक में उसे शामिल पाया जाता है-

  1. आतंक से जुड़े किसी भी मामले में उसकी सहभागिता या किसी तरह का कोई कमिटमेंट पाया जाता है।
  2. आतंकवाद की तैयार।
  3. आतंकवाद को बढ़ावा देने की गतिविधि।
  4. आतंकी गतिविधियों में किसी अन्य तरह की संलिप्तता।

यूएपीए में नए बदलाव के तहत एनआईए के पास असीमित अधिकार आ जाएंगे। वह आतंकी गतिविधियों में शक के आधार पर लोगों को उठा सकेगी, साथ ही संगठनों को आतंकी संगठन घोषित कर उन पर कार्रवाई कर सकती है।  जांच के लिए एनआईए को पहले संबंधित राज्य की पुलिस से अनुमति लेना पड़ती थी, लेकिन अब इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी।

हालाँकि, उमर खालिद के वकील त्रिदीप पाइस ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए बताया कि उनके क्लाइंट के खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह गलत, मनगढ़ंत और दबाव के कारण दर्ज किए गए हैं। सितम्बर 4 को किए गए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उमर खालिद ने कहा था कि देश में दो किस्म का क़ानून चल रहा है- एक सत्ताधारी पार्टी के समर्थकों के लिए और दूसरा आम लोगों के लिए, जिनके खिलाफ झूठे सबूत बनाए जाते हैं।

ताहिर हुसैन ने पूछताछ के दौरान बताया था कि उसने 8 जनवरी को ही सीएए विरोधी प्रदर्शन स्थल शाहीनबाग में खालिद सैफी (India Against Hate Group) और उमर खालिद (JNU) के साथ मिलकर इस दंगे की योजना बना ली थी। उसने कबूला था कि वो और भी कई सीएए विरोधी प्रदर्शन के आयोजकों से संपर्क में था। इस कबूलनामे में उमर खालिद का नाम आने के साथ ही दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी थी।

एक हिस्सा भी इस आदमी का इस्पात अगर मेरी रीढ़ में हो ….. पिता को पुत्र की श्रद्धांजलि

कहते हैं कि जब पुत्र को पिता के नाप का जूता आने लगे तो उन्हें मित्र हो जाना चाहिए। इस बहुश्रुत पारंपरिक बुद्धिमत्ता में बहुत बड़ा मनोवैज्ञानिक सत्य छुपा है। बढ़ते हुए पुत्र और पिता के बीच एक भय का रिश्ता होता है। इस भय का मतलब डर नहीं होता। इस भय में पिता की ओर से अनुशासन और पुत्र की ओर से सम्मान होता है। लाख प्यार-मुहब्बत के बावजूद यह हल्की सी औपचारिकता पिता और पुत्र के बीच में होती है जो अक्सर मां और पुत्र के बीच नहीं होती। इसका मतलब यह नहीं होता कि पुत्र अपने पिता को कम चाहता है। हां यह जरूर है कि बचपन में वह पिता को उस तरह समझ नहीं पाता। जैसे-जैसे पुत्र बड़ा होता है वह पिता को ज्यादा-ज्यादा समझने लगता है क्योंकि पिता के जूतों में उसके पैर आने लगते हैं। यानी एक पुरुष दूसरे पुरुष की जगह अपने को रखकर सोचने की स्थिति में आ जाता है।

राजविरेन्द्र वसिष्ठ, चंडीगढ़ :

आज सहसा ही इवान तुर्गनेव रूसी साहित्यकार के नॉवल ‘पिता और पुत्र’ की याद आ गयी। याद आया की किस प्रकार हर पिता अपने पुत्र में अपने ख्वाबों की पूर्ति के ख्वाब सँजोता है, वह किस प्रकार पाने अनुभवों को अपने पुत्र से सांझा करना चाहता है ‘मौन रह कर’। अपने बेटे की हर उठान पर खुद से घबराता पिता कि कहीं उसे (बेटे को) उसी की नज़र न लग जाये, एस सोच मन ही मन खुश होता है पर ऊपर से कठोर बना रहता है। ‘

मेरे मित्र विवेक वत्स को पित्र शोक हुआ है । मैं उन्हे कभी मिल नहीं पाया । मैंने उन्हे जाना विवेक के शब्दों से। उसकी वाणी से। जब भी वह अपने पिता की बात करता तो उसकी वाणी का ओज सहसा ही प्रेरित करता कि ऊनहे मिलूँ। पर दैवयोग। उनकी बात करते करते विवेक की आँखों में गर्व दिखता था। सच में कई बार ईर्ष्या होती उनका प्यार अनुभव कर । विवेक मूझे हमेशा कहता कि तू बजारोव/ बगारोफ (‘पिता और पुत्र’ का एक पात्र) न बन। तू है नहीं, 3 साल पहले अपने पिता को खोने के बाद मैंने समझी।

आज जब विवेक के पिता का समाचार मिला तो सब कुछ जो वह अपने पिता के बारे में बोलता था वह सब दिमाग में घूम गया। उसने जो शब्द आज अपने पिता के लिए कहे वह मेरे हृदय में हमेशा अंकित रहेंगे।

मैं आज अपने मित्र के दु:ख में द्खि हूँ, पर वहाँ मैं नि:शब्द हूँ जिसे अपने पिता पर इतना गर्व हो उसे सांत्वना – मेरे बस की नहीं। जिन शब्दों में उसने पाने पिता को याद किया उन्हे शब्द्श: प्रस्तुत कर रहा हूँ: दिवंगत आत्मा को यही हमारी श्रद्धांजलि होगी।

सीधी पीठ, छह फ़ीट क़द, सिर थोड़ा आगे झुका कर चलना, बैल जैसी ताक़त और वैसे ही आँख में आँख डाल कर सींग मारने की आदत.
डूंगर कालेज जैसे नामी college से law करने के बावजूद बीस साल प्राइमरी स्कूल के बच्चों को पढ़ाया, क्यूँकि इस से उनकी आत्मा को शांति मिलती है.
पहला केस, खुद का लड़ा emergency में, क्यूँकि सत्ता को भी सींग मारने थे.

गंगोत्री, जमनोत्री और केदारनाथ का सफ़र पैदल, बग़ैर एक फूटी कौड़ी के जेब में, भूखे और कई दिन नंगे पैर भी.

शैव मत पर किताब लिख कर राहुल संस्कृत्ययन जैसे बौद्ध से उसकी भूमिका लिखवा कर सब शैव मठों से लड़ाई मोल ली.

Cancer care and nursing पर चार किताबें लिखीं इस वकील ने जो मशहूर था तो “गुरुजी” के नाम से.

बेटी की विदाई की कविता गाता था तो सब की हिचकियाँ बंध जाती थीं. और हज़ारों की भीड़ को, अतिशयोक्ति नहीं सचमुच, हज़ारों की भीड़ को चार चार घंटे अपने भाषणों से बांध के रखता था.

इतने बड़े जूतों वाला ये आदमी, मेरे पिता, कल सुबह की चाय के बाद चले गए.
एक लम्बी भरपूर ज़िंदगी.
एक हिस्सा भी इस आदमी का इस्पात अगर मेरी रीढ़ में हो …..

यदि भारतीय सेनाएँ वापिस नहीं गईं तो चीनी सेना सर्दी भर वहीं डटी रहेगी: ग्लोबल टाइम्स

  • चीन के ग्‍लोबल टाइम्‍स के संपादक हू शिजिन भारतीय सेना को ठंड की धमकी देकर बुरी तरह से ट्रोल हो गए
  • हू शिजिन ने कहा कि यदि भारतीय पैंगोंग झील के दक्षिण तट से नहीं हटते हैं तो चीनी सेना मुकाबला करती रहेगी
  • उन्‍होंने यह भी कहा कि भारतीय सैनिकों का संचालन तंत्र बहुत खराब है, कई भारतीय सैनिक तो ठंड से मर जाएंगे

भारत-चीन के बीच जारी सीमा विवाद को लेकर चीन के सरकारी मीडिया ने एक बार फिर गीदड़ भभकी दिखाते हुए भारत को धमकी दी है। ग्लोबल टाइम्स के ताजा लेख में भारत-चीन मुद्दे पर लिखा गया है कि यदि भारत शांति चाहता है तो भारत और चीन को 7 नवंबर 1959 की एलएसी को लागू करना चाहिए यदि भारत युद्ध चाहता है तो फिर चीन इसके लिए भी तैयार है देखते हैं कि कौन सा देश दूसरे देश को मात देता है

चीन के सरकारी प्रोपेगैंडा अखबार ग्‍लोबल टाइम्‍स के संपादक हू शिजिन भारतीय सेना को ठंड की धमकी देकर बुरी तरह से ट्रोल हो गए। दरअसल, हू शिजिन ने कहा कि यदि भारतीय सैनिक पैंगोंग झील के दक्षिण तट से नहीं हटते हैं तो चीनी सेना पूरे ठंड के मौसम तक उनके साथ मुकाबला करती रहेगी। उन्‍होंने यह भी कहा कि भारतीय सैनिकों का संचालन तंत्र बहुत खराब है। कई भारतीय सैनिक या तो ठंड से मर जाएंगे या फिर से कोरोना वायरस से।

ग्‍लोबल टाइम्‍स के एडिटर ने ट्वीट कर कहा कि यदि युद्ध होता है तो भारतीय सेना को तेजी से हराया जा सकेगा। इस धमकी के बाद हू शिजिन ट्विटर पर बुरी तरह से ट्रोल हो गए। मोहसिन शेख ने सियाचिन का उदाहरण चीनी संपादक को करारा जवाब दिया। उन्‍होंने लिखा, ‘भारतीय सैनिक दुनिया के सबसे ठंडे और ऊंचे युद्धक्षेत्र में 24 घंटे और सातों दिन डटे रहते हैं। हमारी भारतीय सेना पहाड़ी क्षेत्रों में युद्ध में महारत रखती है। आप केवल अपने सैनिकों के प्रैक्टिस करने के फर्जी टिकटॉक वीडियो दिखाओ। आपने 40-42 साल पहले अंतिम युद्ध वियतनाम में लड़ा था।’

विशाल गुर्जर ने लिखा, ‘भारतीय सेना स‍ियाचिन में माइनस 50 डिग्री पर 10 हजार से लेकर 18 हजार फुट की ऊंचाई पर 24 घंटे पहरा देती है। भारतीय सेना यह पैंगोंग में भी दोहरा सकती है। और हां यह तुम्‍हारा पबजी नहीं है।’ वहीं एक अन्‍य यूजर शाश्‍वत ने सैटलाइट तस्‍वीरों की मदद से कहा कि चीनी सैनिकों के लिए लद्दाख में टिकना बहुत मुश्किल होने जा रहा है। स्‍पांगुर सो झील तक चीन के आने का एकमात्र रास्‍ता नागरी कुंशा से आता है जो 262 किलोमीटर दूर है। चीनी सप्‍लाइ लाइन को 50 किमी सड़क से सफर करना होगा। चीनी सैनिक दो दिन भी टिक नहीं पाएंगे और उनकी सप्‍लाइ लाइन रेकिंग ला पोस्‍ट की जद में है।’

लद्दाख की ठंड से चीन की हेकड़ी गुम

बता दें कि लद्दाख में तेजी से बढ़ती ठंड से चीनी सेना की हेकड़ी ढीली हो गई है, वहीं भारतीय फौज दुनिया की सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन के अपने अनुभवों से हालात के मुताबिक खुद को ढाल रही है। चीनी सेना ठंड के मौसम में कभी भी इतनी ऊंचाई पर स्थित ऑपरेशनल पोस्ट पर आज के पहले तैनात नहीं रही है। ऐसे में न केवल उसके सैनिकों की स्थिति खराब होने लगी है, बल्कि उसे कब्जाया इलाका खोने का भी डर सताने लगा है। इसीलिए चीनी रणनीतिकार बौखलाए हुए हैं और ग्‍लोबल टाइम्‍स के जरिए धमकी दिलवा रहे हैं।

‘भारत भूल गया कि वो क्या था’

ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, ‘‘चीन ने हमेशा से भारत के सम्मान की फिक्र की है। अब भारत की राष्ट्रवादी ताकतें इस सम्मान का फायदा उठाना चाहती हैं। वे भूल गए हैं कि वो (भारत) क्या हैं? आज के माहौल में हर चीज सामने रखने की जरूरत है।’’

‘‘हमारी तिब्बत मिलिट्री कमांड भारत से तनाव को देखते हुए पीएलए के सपोर्ट के लिए ड्रोन की मदद ले रही है। इससे साबित होता है कि पीएलए किसी भी चुनौती के लिए तैयार है।’’

राहुल का मोदी सरकार पर निशाना

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘चीन ने हमारी जमीन पर कब्जा कर लिया है। भारत सरकार इसे वापस लेने की कोई योजना बना रही है या फिर इसे ‘भगवान की मर्जी’ मानकर छोड़ देंगे?’’

कार्टून सांझा करने पर नौसेना अधिकारी से की शिव सेना के गुंडों ने की मारपीट

आज तो हद ही हो गयी जब मीडिया में चल रही खबरों के अनुसार शिव सेना के गुंडों ने एक पूर्व नोसेना के अधिकारी के साथ मार पीट की। उनकी गलती रौंगटे खड़े कर देने वाली है। एक कार्टूनिस्ट के बेटे के कार्टून को व्हाट्साप पर सांझा किया था। पुराने कार्टूनिस्ट बाबा साहब के बेटे उद्धव ठाकरे का। जिस महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे ‘जी’ को ‘तू’ कहने पर कंगना रानौत पर एफ़आईआर हो सकती है, कंगना के समर्थन में पोस्ट डालने वाले को पकड़ने के लिए महाराष्ट्र पुलिस कोलकता तक जा सकती है उस महाराष्ट्र में खास कर म्ंबा देवी की नाक के नीचे मुंबई में कोई उद्धव का कार्टून…. । पिटाई तो होनी ही थी, हुई।

चंडीगढ़ :

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का व्यंग्यात्मक कार्टून ह्वाट्सएप के जरिए साझा करने से नाराज शिवसेना के दो शाखा प्रमुखों ने अपने पांच-छह समर्थकों के साथ सेवानिवृत्त नौसेना अधिकारी पर उनके घर में घुसकर हमला कर दिया। भाजपा विधायक अतुल भातखलकर का आरोप है कि उनके विधानसभा क्षेत्र में स्थित ठाकुर कांप्लेक्स रहने वाले मदन शर्मा पर शिवसैनिकों ने हमला किया और उनकी जान लेने की कोशिश की। शर्मा की आंख पर गंभीर चोट लगी है। साथ ही उनके पेट और पीठ पर भी काफी चोट आई है।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का कार्टून सोशल मीडिया में फॉरवर्ड करने पर मुंबई में शिवसेना कार्यकर्ताओं ने सेवानिवृत्त नेवी ऑफिसर मदन शर्मा पर हमला बोला। इस बात की जानकारी भाजपा विधायक अतुल भटखल्कर ने शुक्रवार (सितंबर 11, 2020) को घटना का वीडियो साझा करते हुए दी। भाजपा नेता ने बताया कि शिवसेना के 6-7 ‘गुंडों’ ने पूर्व नेवी अधिकारी मदन शर्मा पर हमला किया।

कांदिवली से भाजपा विधायक ने टाइम्स नाऊ से बात करते हुए कहा कि स्थानीय ‘शाखा प्रमुख’ ने पूर्व नेवी अधिकारी को संपर्क किया और उन्हें उनकी बिल्डिंग से नीचे आने को बोला। जैसे ही वो अपनी बिल्डिंग से नीचे उतरे, करीब 8 लोगों ने उन्हें सिर्फ़ इसलिए मारना शुरू कर दिया क्योंकि उन्होंने कथित तौर पर उद्धव ठाकरे का कार्टून व्हॉट्सएप पर फॉरवर्ड किया था।

इस हमले में पूर्व नेवी अधिकारी की आँख बुरी तरह जख्मी हो गई। उसमें पड़ा लाल निशान तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है। भाजपा विधायक ने कहा, “मैं महाराष्ट्र सीएम, जो शिवसेना के प्रमुख हैं, उनसे कहना चाहता हूँ कि महाराष्ट्र के नागरिक उनकी गुंडागर्दी से डरते नहीं हैं और किसी कीमत पर वह शांत नहीं रहेंगे।”

टाइम्स नाऊ की रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व नेवी अधिकारी की बेटी ने उनसे बात करते हुए बताया कि उनके पिता को व्हॉट्सएप पर एक मैसेज मिला था जिसे उन्होंने आगे फॉरवर्ड कर दिया। इसके बाद से ही उन्हें कई फोन आने लगे और कॉल पर नीचे बुलाया जाने लगा। पूर्व अधिकारी की बेटी के मुताबिक, जब उनके पिता उतर कर नीचे गए तो उन पर हमला हुआ।

पीड़ित पूर्व नौसेना अधिकारी ने भी मीडिया को बताया कि उन्हें मैसेज फॉरवर्ड करने के बाद से ही कॉल आ रहे थे और बार-बार उनसे नीचे उतर कर आने को कहा जा रहा था। उनके मुताबिक, जैसे ही वो नीचे उतरे, लोगों ने उन्हें मारना शुरू कर दिया। उन्होंने यह भी दावा किया कि बाद में पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने आई थी। मगर वह अपने घर से बाहर ही नहीं निकले। उन्होंने कहा कि अब इस मामले में उनकी मदद भाजपा विधायक अतुल भटखल्कर और रानी द्विवेदी कर रहे हैं। वरना वो जेल में होते।

रिपब्लिक टीवी की खबर के अनुसार, पूर्व अधिकारी का इलाज इस समय शताब्दी अस्पातल में चल रहा है। महाअघाड़ी सरकार के रवैए से नाराज होकर और असंतुष्टि जताते हुए पूर्व नेवी अधिकारी कहते हैं कि राज्य में में राष्ट्रपति शासन लागू हो जाना चाहिए।

बता दें कि इस मामले के संबंध में पूर्व अधिकारी की बेटी ने संत नगर पुलिस थाने में अपनी शिकायत दर्ज करवाई है (कुछ रिपोर्ट्स में कांदिवली थाना बताया जा रहा है)। उन्होंने उद्धव ठाकरे पर गुंडों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है। इसके अलावा यह भी कहा है कि इतना सब के बावजूद पुलिस उनके पिता को गिरफ्तार करना चाहती है।

उल्लेखनीय है कि यह मामला सोशल मीडिया पर आने के बाद एक बार फिर से शिवसेना पर ऊँगलियाँ उठनी शुरू हो गई है। देवांग दवे ने लिखा, “सेवानिवृत्त नेवी अधिकारी मदन शर्मा को पीटना, जिन्होंने देश की रक्षा में सालों साल सीमा पर गुजारे, सिर्फ़ शिवसेना की मानसिकता का परिचायक है।”

वहीं, प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस घटना को बेहद दुखद और हैरान करने वाला बताया है। उन्होंने लिखा, “बेहद दुखद और हैरान करने वाली घटना। सेवानिवृत्त नेवी अधिकारी को बस इसलिए गुंडों ने पीटा क्योंकि उन्हें व्हॉट्सएप पर मैसेज फॉरवर्ड किया था। उद्धव ठाकरे कृपया ये गुंडाराज रोक दो। हम इन गुंडों के ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई की माँग करते हैं।”

गौरतलब है कि आज शिवसैनिकों ने उद्धव ठाकरे का कार्टून फॉरवर्ड करने के नाम पर पूर्व नेवी अधिकारी को पीटा है। लेकिन उद्धव के पिता और शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे खुद कार्टूनिस्ट थे।