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दोनों विश्वविद्यालय मिलकर अनुसंधान, नवाचार तथा प्रशिक्षण गतिविधियों पर काम करेंगे कोरल ‘पुरनूर’, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/फरीदाबाद – 24 नवंबर : इंजीनियरिंग, विज्ञान तथा अन्य संबद्ध उभरते क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास, नवाचार तथा प्रशिक्षण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से फरीदाबाद के जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए ने पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। यहां आयोजित एक कार्यक्रम में जे.सी. बोस विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुशील कुमार तोमर और पंजाब विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राज कुमार की उपस्थिति में समझौते पर हस्ताक्षर किये गए। इस अवसर पर जे.सी. बोस विश्वविद्यालय से डीन इंस्टीट्यूशन्स प्रो. संदीप ग्रोवर, निदेशक (आर एंड डी) प्रो. नरेश चैहान, कुलसचिव डॉ. एस. के. गर्ग, डाॅ. के. एस. आर्य सहित विभिन्न शिक्षण विभागों के अध्यक्ष भी उपस्थित थे। कुलपति प्रो. तोमर ने अकादमिक समझौते पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इस समझौता से विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यों, शोधकर्ताओं और छात्रों को पंजाब विश्वविद्यालय की सहभागिता में शोध परियोजनाओं पर काम करने के लिए अवसर मिलेगा, जिससे दोनों विश्वविद्यालयों को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि इस तरह की अकादमिक सहभागिता के माध्यम से विश्वविद्यालय का उद्देश्य अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देना है ताकि शोधकर्ताओं के लिए उभरते क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान करने के ज्यादा से ज्यादा अवसर सृजित हो। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रो. राज कुमार ने उद्योग एवं अकादमिक संपर्क को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि जे.सी. बोस विश्वविद्यालय औद्योगिक केंद्र में स्थित है। यह उद्योग से जुड़ी अनुसंधान परियोजनाओं को आसानी से हासिल कर सकता है, जिससे दोनों विश्वविद्यालय को ऐसी परियोजनाओं पर मिलकर काम करने का अवसर मिलेगा और उद्योग को समाधान प्रदान करने के लिए दोनों परस्पर विशेषज्ञता को साझा कर सकते हैं। प्रो. राज कुमार ने जे.सी. विश्वविद्यालय के खिलाड़ियों को प्रशिक्षण के लिए पंजाब विश्वविद्यालय में खेल सुविधाएं उपलब्ध करवाने की पेशकश की। उन्होंने कहा कि पंजाब विश्वविद्यालय खेलों में अग्रणी है और यहां विश्व स्तरीय खेल सुविधाएं हैं। जे.सी. बोस विश्वविद्यालय के खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने के लिए पंजाब विश्वविद्यालय तैयार है। इससे पहले कुलपति प्रो. तोमर ने पीयू के कुलपति प्रो. राज कुमार का पुष्प गुच्छ एवं चित्र भेंट कर स्वागत किया। पीयू के कुलपति प्रो. राज कुमार ने भी प्रो. तोमर को पंजाब विश्वविद्यालय की ओर से स्मारक चिह्न भेंट किया। इस अवसर पर पंजाब विश्वविद्यालय से सेंट्रल इंस्ट्रूमेंटेशन लेबोरेटरी के निदेशक प्रो. गंगा राम चैधरी, यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी से प्रो. कृष्ण कुमार सलूजा और डॉ. नरेश कुमार ने जे.सी. बोस विश्वविद्यालय के अधिकारियों के साथ बैठक की तथा अनुसंधान एवं परस्पर सहयोग के क्षेत्रों पर चर्चा की। समझौते के उद्देश्यों को पूरा करने दोनों विश्वविद्यालयों द्वारा समन्वयकों की नियुक्ति भी की गई है जोकि सहयोगी गतिविधियों के विकास और संचालन को देखेंगे। विश्वविद्यालय के समन्वयक वार्षिक आधार पर सहयोगी गतिविधियों की समीक्षा करेंगे और रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।
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कोरल‘पुरनूर’, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ : पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ के उर्दू विभाग में शायर अल्लामा इकबाल व देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती विश्व उर्दू दिवस व राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाई गई। उर्दू विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में अल्लामा इकबाल और मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के जन्मदिन को अंतर्राष्ट्रीय उर्दू दिवस और राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया गया। जिसकी अध्यक्षता प्रोफेसर रेहाना परवीन ने की।गुल पेशी के साथ डॉ. ज़रीन, शमीम चौधरी और रिजवाना ने उनका स्वागत किया। कार्यक्रम की शुरुआत इकबाल की कविता “सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा ” से हुई। तत्पश्चात विभाग के विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों ने अल्लामा इकबाल एवं मौलाना अबुल कलाम आजाद की कृतियों के संबंध में अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये, जिसमें विभाग के शोधार्थी मुहम्मद सुल्तान ने इकबाल के काव्य विचारों के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। विभाग की शोधार्थी शमीम चौधरी ने अबुल कलाम आजाद के जीवन और सेवाओं पर अपना पेपर प्रस्तुत किया। इसके अलावा मनीज़ पनेसर, बशीर, इंदरजीत कौर, अरविन्दर कौर, राम व हरमंदर कौर ने इकबाल की कविताएं सुनाकर दर्शकों का मनोरंजन किया।इस बीच फारसी विभाग के शिक्षक डॉ. जुल्फिकार अली ने इकबाल की फ़ारसी शायरी पर बातचीत की । प्रोफेसर रेहाना परवीन ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कविता पाठ और उसकी बारीकियां समझाईं और छात्रों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। इस कार्यक्रम में मंच की जिम्मेदारी विभाग के शोधार्थी मुहम्मद शरीफ ने निभाई थी। बैठक के अंत में विभाग के अध्यक्ष डॉ. अली अब्बास ने अपने समापन भाषण में मौलाना अबुल कलाम आजाद पर तर्कपूर्ण चर्चा की,जिसमें उन्होंने मौलाना के पत्रों के संग्रह “गुबार ए खातिर” पर चर्चा की और उनकी दूरदर्शिता और समझ के साथ-साथ उनकी देशभक्ति और हिंद-पाक बँटवारे के दूरगामी आशंकाओं को समझाया। डॉ. अब्बास ने आगे कहा कि मौलाना आजाद जहां अंग्रेजों के खिलाफ थे, वहीं वे राष्ट्रीय सद्भाव और हिंदू-मुस्लिम एकता के भी प्रबल समर्थक थे। उन्होंने अपने समाचार पत्रों के माध्यम से राष्ट्रीय और देशभक्ति की भावनाओं को जगाने का प्रयास किया। मौलाना अबुल कलाम स्वतंत्र राजनीतिक मोर्चे में भी सक्रिय थे। उन्होंने ‘असहयोग आंदोलन’, ‘भारत छोड़ो’ और ‘खिलाफह आंदोलन’ में भी भाग लिया। महात्मा गांधी के साथ उनके बहुत अच्छे संबंध थे । वे गांधीजी के अहिंसा के रास्ते से बहुत प्रभावित थे। इन विचारों को व्यक्त करते हुए डॉ. अली ने आगे कहा कि अबुल कलाम आजाद को गांधीजी के नेतृत्व पर पूरा भरोसा था। उन्होंने गांधी के विचारों को बढ़ावा देने के लिए पूरे देश का दौरा भी किया। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में उर्दू विभाग व अन्य विभागों के छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।
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