कोरोना के बजाय श्रेय लेने को लड़ रहे केजरीवाल और संसाधनों की कमी की दुहाई दे रहे कैप्टन
एक राष्ट्रिय दैनिक की मानें तो पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने पिछले साल से लगभाग 30 करोड़ की लागत के 290 वेंटिलेटर एक गोदाम में पड़े हैं। लेकिन कागजों और मीडिया के लिए वह अपने राज्य और नागरिकों के प्रति इतने चिंतित हैं कि उन्होने आज ही केंद्र से वैक्सीन और कम पड़ती ओक्सेजेन के लिए पंजाब में नए यूनिट लगाने कि गुहार लगाई है। वहीं दूसरी ओर धरना प्रेमी दिल्ली के मुख्यमंत्री और दूसरे नेता इस घड़ी में भी विशुद्ध राजनीति कर रहे हैं। दिल्ली कि जनता को भ्रमित करते रहने का कोई मौका नहीं चूकते। मुख्यमंत्री केजरीवाल तो अपनी हर नाकामयाबी का ठीकरा केंद्र के सर फोड़ते पाये जाते हैं तो उप मुख्यमंत्री केंद्र के प्रयासों और पहल पर अपनी मोहर लगाने से नहीं चूकते।
नयी दिल्ली/ चंडीगढ़ :
देश में कोरोना संक्रमण ने अब तक के सभी रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए हैं। पिछले 24 घंटों में 2.74 लाख से ज्यादा नए मरीज मिले हैं और 1619 से अधिक लोगों की जिंदगी इस संक्रमण ने छीन ली है। एक तरफ राज्यों में बेड, वेंटिलेटर, रेमडेसिविर और ऑक्सीजन की किल्लत बताई जा रही है, वहीं कुछ राज्यों में संसाधन बर्बाद हो रहे।
कॉन्ग्रेस शासित पंजाब में 250 वेंटिलेटर एक साल से गोदाम में पड़े हैं। एक राष्ट्रिय दैनिक की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल 20 मार्च को केंद्र सरकार ने राज्य में लगभग 30 करोड़ रुपए की लागत से 290 वेंटिलेटर भेजे थे। लेकिन राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने एक साल बाद भी इसका इस्तेमाल नहीं किया है। उसे गोदाम में बंद कर धूल जमने के लिए रखा गया है। इन वेंटिलेटर को मेडिकल कॉलेजों या अन्य कोविड सेंटर में भेजा जाना था, जहाँ पर L-3 केयर प्रदान किया जाता है। L-3 केयर उन मरीजों को दी जाती है जिन्हें दो या दो से अधिक ऑर्गन सपोर्ट या मैकेनिकल वेंटिलेशन की आवश्यकता होती है। बताया गया कि मेडिकल कॉलेजों या कोविड सेंटरों से माँग इसलिए नहीं की गई, क्योंकि वेंटिलेटर पर मरीजों की देखभाल करने वाले कुशल मैन पावर की कमी थी।
एक दैनिक की रिपोर्ट में कहा गया कि यह पहला मौका नहीं था जब राज्य के अस्पताल वेंटिलेटर का उपयोग करने में विफल रहे। पाँच साल पहले, 10 वेंटिलेटर सिविल अस्पताल, लुधियाना भेजे गए थे, लेकिन पाँच साल तक उनका इस्तेमाल नहीं किया गया। बाद में विवाद होने और महामारी के बढ़ने पर एक स्थानीय निजी अस्पताल को वेंटिलेटर सौंपा गया।
वहीं दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने दिल्ली कैंट में DRDO द्वारा छतरपुर में सरदार पटेल कोविड केयर सेंटर और कोविड केंद्र के लिए क्रेडिट लेने की कोशिश की। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ‘व्यवस्थाओं की समीक्षा’ के बहाने केंद्र में फोटो सेशन के लिए गए।
उप मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर दावा किया कि मंगलवार शाम तक यहाँ 500 बिस्तरों पर इलाज शुरू हो जाएगा। उन्होंने बताया कि इस केयर सेंटर को 5000 बिस्तरों वाले अस्पताल के रूप में विकसित किया जाएगा। यहाँ ऑक्सीजन और आइसोलेशन की सुविधा उपलब्ध रहेगी।
सत्येंद्र जैन ने भी इसी तरह का ट्वीट करते हुए लिखा, “माननीय उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के साथ DRDO के मेक शिफ्ट अस्पताल का दौरा किया। यह सोमवार से चालू हो जाएगा। 250 आईसीयू बेड कल से चालू हो जाएँगे और अगले कुछ दिनों में 250 और जोड़े जाएँगे।”
उल्लेखनीय है कि AAP का आधिकारिक हैंडल, सिसोदिया या जैन, किसी ने भी ये जिक्र नहीं किया कि ITBP सेंटर और DRDO सेंटर को केंद्र सरकार के समर्थन से बनाया गया है। सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी उनके ट्वीट को रीट्वीट किया, लेकिन उन्होंने भी समर्थन के लिए केंद्र का शुक्रिया अदा नहीं किया।
यह पहली बार नहीं है जब आआपा ने दिल्ली सरकार द्वारा कोविड मामलों में वृद्धि को नियंत्रित करने में विफल रहने के बाद केंद्र सरकार द्वारा की गई पहल का श्रेय लिया। पिछले साल, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली सरकार के अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद, सरदार पटेल कोविड सेंटर की स्थापना भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के सहयोग से की थी। सेटअप हो जाने के बाद, आआपा ने केंद्र के लिए श्रेय लेने की कोशिश की। आआपा के संजय सिंह ने दावा किया कि बीजेपी ने सरदार पटेल की मूर्ति का निर्माण किया, जबकि दिल्ली सरकार ने कोविड सेंटर का निर्माण किया।
ऑक्सीजन की कमी पर केजरीवाल का केंद्र पर आरोप
दिल्ली के सीएम केजरीवाल बार-बार कह रहे हैं कि दिल्ली में अब ऑक्सीजन, बेड में कमी आ रही है। इसी कड़ी में केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है कि दिल्ली को मिलने वाला ऑक्सीजन का कोटा अन्य राज्यों को भेजा जा रहा है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया, “दिल्ली में ऑक्सीजन की बहुत कमी हो गई है। बढ़ते केसों को देखते हुए दिल्ली में सामान्य से अधिक सप्लाई की जरूरत है। लेकिन सप्लाई बढ़ाने की बजाय हमारी आपूर्ति घटा दी गई है। दिल्ली का कोटा दूसरे राज्यों को डायवर्ट कर दिया गया है। दिल्ली में ऑक्सीजन इमर्जेंसी बन गया है।”
अरविंद केजरीवाल ने केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को चिट्ठी भी लिखी है। जिसमें उन्होंने कहा है, “केंद्र सरकार ने दिल्ली के हिस्से की मेडिकल ऑक्सीजन को जो दूसरे राज्यों को डायवर्ट किया है उसको वापिस रीस्टोर किया जाए। इसके अलावा रोजाना 700 मेट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई बढ़ाई जाए।”
उन्होंने आगे मंत्री से अनुरोध किया, “एनसीटी में COVID-19 स्थिति को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए दिल्ली में M/s INOX द्वारा ऑक्सीजन की 140MT की आपूर्ति की 140MT की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सभी संबंधितों को उचित निर्देश दें।”
एक साप्ताहिक की रिपोर्ट के मुताबिक वाणिज्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आरोपों को खारिज किया और इसे ‘खुल्लम खुला झूठ’ करार दिया। आधिकारिक आँंकड़ों के अनुसार, दिल्ली के अस्पतालों को 16 अप्रैल को 254 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन रिसीव की गई। 17 अप्रैल को यह मात्रा 2.4 गुना बढ़ गई और अस्पतालों को 612 मीट्रिक टन प्राप्त हुए। हालाँकि, दिल्ली से दैनिक माँग 197 मीट्रिक टन थी। दिल्ली के लिए गोयल गैस, लिंडे, आईनॉक्स और एयर लिक्विड पर कुल स्टॉक 311 मीट्रिक टन है। रिपोर्ट में कहा गया कि राष्ट्रीय राजधानी में मेडिकल ऑक्सीजन का कुल स्टॉक 700 मीट्रिक टन है।
केजरीवाल की केंद्र से अपील
दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामले और ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार (अप्रैल 18, 2021) की सुबह पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से फोन पर बात की और दोपहर में पीएम मोदी को भी पत्र लिखकर दिल्ली में केंद्र के अस्पतालों में 10 में से 7 हजार हजार बेड्स कोविड के लिए रिजर्व करने और ऑक्सीजन की सप्लाई करने की माँग की थी।