Akali Rally: Badal plays emotional card, offers to sacrifice life for peace in Punjab

Father-son duo termed Congress as enemy of the Sikhs

Faridkot, Sept 16, 2018:

As expected Shiromani Akali Dal (SAD) patron and former Chief Minister Parkash Singh Badal played an emotional card to retrieve lost political ground in the wake of accusations of inaction to bring those behind sacrilege and firing incidents to book during the tenure of his party rule in the state.

Cornered especially after Justice (retd) Ranjit Singh Commission report and debate on it on the floor of Vidhan Sabha, Badal said he and his son Sukhbir Badal were ready to sacrifice their lives for maintaining peace and harmony in the state.

The beleaguered Akali leadership had every reason to feel elated on seeing an impressive gathering of people at the Jabar Virodhi (anti-oppression) rally. All speakers launched a verbal offensive against the ruling Congress.

In his address, Badal recalled once again the excesses against Punjab beginning from the Partition, Operation Blue Star and 1984 Sikh massacre. He accused Congress and radicals of attemptng to disturb peace in the state and grab control of Gurdwaras and other Sikh institutions.

At the same time, he advised his son and SAD president Sukhbir Badal and his brother-in-law Bikram Majithia to refrain from speaking against Justice (retd) Ranjit Singh Commission report as this only helped the ruling Congress to take political mileage.

Other speakers including SAD president Sukhbir Badal, general secretary Bikram Majithia, Manjinder Sirsa targeted Congress minister Navjot Sidhu, Punjab Congress president and Gurdaspur MP Sunil Jakhar and radical Sikh leader Daduwal. Majithia threatened to send Sidhu to jail. They claimed that big turnout at the rally was a befitting reply to the power-drunk ruling Congress.

SFJ has threatened to stop Indian media organisations from overseas coverage

Chandigarh, Sept 16, 2018: Sikhs For Justice (SFJ) has threatened to stop Indian media organisations from overseas coverage citing their alleged propaganda of labelling Referendum 2020 campaigners as terrorists.

Using a new Twitter handle, its leader Gurpatwant Pannun tweeted that Punjabi TV Channel PTC News and news agency ANI would not be allowed to cover programmes in the US, UK and Canada.

Twitter had earlier blocked Pannun’s account.

TV Channel PTC is associated with Badals of Akali Dal.

आज का पंचांग

🌷🌷🌷पंचांग🌷🌷🌷
16 सितम्बर 2018, रविवार

विक्रम संवत – 2075
अयन – दक्षिणायन
गोलार्ध – उत्तर
ऋतु – शरद
मास – भाद्रपद
पक्ष – शुक्ल
तिथि – सप्तमी
नक्षत्र – ज्येष्ठा
योग – प्रीति
करण – वणिज

राहुकाल :-
4:30 PM – 6:00 PM

🌞सूर्योदय – 06:11 (चण्डीगढ)
🌞सूर्यास्त – 18:23 (चण्डीगढ)
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🚩व्रत -🚩
मुक्ताभरण।
🚩उत्सव -🚩
संतान सप्तमी।
🚩पर्व -🚩
फांग लब्सोल।
🚩दिवस -🚩
अन्तराष्ट्रीय लाल पांडा दिवस
प्रजारक दिवस।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
चोघड़िया मुहूर्त- एक दिन में सात प्रकार के चोघड़िया मुहूर्त आते हैं, जिनमें से तीन शुभ और तीन अशुभ व एक तटस्थ माने जाते हैं। इनकी गुजरात में अधिक मान्यता है। नए कार्य शुभ चोघड़िया मुहूर्त में प्रारंभ करने चाहिएः-
दिन का चौघड़िया (दिल्ली)
चौघड़िया प्रारंभ अंत विवरण
लाभ 09:11 10:43 शुभ
अमृत 10:43 12:16 शुभ
शुभ 13:48 15:20 शुभ
रात्रि का चौघड़िया (दिल्ली)
चौघड़िया प्रारंभ अंत विवरण
शुभ 18:25 19:53 शुभ
अमृत 19:53 21:21 शुभ
लाभ 01:43 03:11 शुभ
शुभ 04:39 06:07 शुभ

दाधीच जयंती पर विशेष : देवताओं द्वारा दधीचि की अस्थियाँ मांगना तथा उस अस्थि से निर्मित वज्र द्वारा वृत्रासुर का वध

दधीच वैदिक ऋषि थे। इनके जन्म के संबंध में अनेक कथाएँ हैं। यास्क के मतानुसार ये अथर्व के पुत्र हैं। पुराणों में इनकी माता का नाम ‘शांति’ मिलता है। इनकी तपस्या के संबंध में भी अनेक कथाएँ प्रचलित हैं। इन्हीं की हड्डियों से बने वज्र द्वारा इंद्र ने वृत्रासुर का संहार किया था। कुछ लोग आधुनिक मिश्रिखतीर्थ (सीतापुर) को इनकी तपोभूमि बताते हैं। इनका प्राचीन नाम ‘दध्यंच’ कहा जाता है।

दधीचि कुल ब्राह्मण पिता अथर्वा विवाह गभस्तिनी संतान पिप्पलाद विशेष दधीचि द्वारा देह त्याग देने के बाद देवताओं ने उनकी पत्नी के सती होने से पूर्व उनके गर्भ को पीपल को सौंप दिया था, जिस कारण बालक का नाम ‘पिप्पलाद’ हुआ था।

यास्क के मतानुसार दधीचि की माता ‘चित्ति’ और पिता ‘अथर्वा’ थे, इसीलिए इनका नाम ‘दधीचि’ हुआ था। किसी पुराण के अनुसार यह कर्दम ऋषि की कन्या ‘शांति’ के गर्भ से उत्पन्न अथर्वा के पुत्र थे। दधीचि प्राचीन काल के परम तपस्वी और ख्यातिप्राप्त महर्षि थे। उनकी पत्नी का नाम ‘गभस्तिनी’ था। महर्षि दधीचि वेद शास्त्रों आदि के पूर्ण ज्ञाता और स्वभाव के बड़े ही दयालु थे। अहंकार तो उन्हें छू तक नहीं पाया था। वे सदा दूसरों का हित करना अपना परम धर्म समझते थे। उनके व्यवहार से उस वन के पशु-पक्षी तक संतुष्ट थे, जहाँ वे रहते थे। गंगा के तट पर ही उनका आश्रम था। जो भी अतिथि महर्षि दधीचि के आश्रम पर आता, स्वयं महर्षि तथा उनकी पत्नी अतिथि की पूर्ण श्रद्धा भाव से सेवा करते थे। यूँ तो ‘भारतीय इतिहास’ में कई दानी हुए हैं, किंतु मानव कल्याण के लिए अपनी अस्थियों का दान करने वाले मात्र महर्षि दधीचि ही थे। देवताओं के मुख से यह जानकर की मात्र दधीचि की अस्थियों से निर्मित वज्र द्वारा ही असुरों का संहार किया जा सकता है, महर्षि दधीचि ने अपना शरीर त्याग कर अस्थियों का दान कर दिया।

परिचय लोक कल्याण के लिये आत्म-त्याग करने वालों में महर्षि दधीचि का नाम बड़े ही आदर के साथ लिया जाता है। यास्क के मतानुसार दधीचि की माता ‘चित्ति’ और पिता ‘अथर्वा’ थे, इसीलिए इनका नाम ‘दधीचि’ हुआ था। किसी पुराण के अनुसार यह कर्दम ऋषि की कन्या ‘शांति’ के गर्भ से उत्पन्न अथर्वा के पुत्र थे। अन्य पुराणानुसार यह शुक्राचार्य के पुत्र थे। महर्षि दधीचि तपस्या और पवित्रता की प्रतिमूर्ति थे। भगवान शिव के प्रति अटूट भक्ति और वैराग्य में इनकी जन्म से ही निष्ठा थी।

कथा कहा जाता है कि एक बार इन्द्रलोक पर ‘वृत्रासुर’ नामक राक्षस ने अधिकार कर लिया तथा इन्द्र सहित देवताओं को देवलोक से निकाल दिया। सभी देवता अपनी व्यथा लेकर ब्रह्मा, विष्णु व महेश के पास गए, लेकिन कोई भी उनकी समस्या का निदान न कर सका। बाद में ब्रह्मा जी ने देवताओं को एक उपाय बताया कि पृथ्वी लोक में ‘दधीचि’ नाम के एक महर्षि रहते हैं। यदि वे अपनी अस्थियों का दान कर दें तो उन अस्थियों से एक वज्र बनाया जाये। उस वज्र से वृत्रासुर मारा जा सकता है, क्योंकि वृत्रासुर को किसी भी अस्त्र-शस्त्र से नहीं मारा जा सकता। महर्षि दधीचि की अस्थियों में ही वह ब्रह्म तेज़ है, जिससे वृत्रासुर राक्षस मारा जा सकता है। इसके अतिरिक्त और कोई दूसरा उपाय नहीं है।

इन्द्र का संकोच

देवराज इन्द्र महर्षि दधीचि के पास जाना नहीं चाहते थे, क्योंकि इन्द्र ने एक बार दधीचि का अपमान किया था, जिसके कारण वे दधीचि के पास जाने से कतरा रहे थे। माना जाता है कि ब्रह्म विद्या का ज्ञान पूरे विश्व में केवल महर्षि दधीचि को ही था। महर्षि मात्र विशिष्ट व्यक्ति को ही इस विद्या का ज्ञान देना चाहते थे, लेकिन इन्द्र ब्रह्म विद्या प्राप्त करने के परम इच्छुक थे। दधीचि की दृष्टि में इन्द्र इस विद्या के पात्र नहीं थे। इसलिए उन्होंने इन्द्र को इस विद्या को देने से मना कर दिया। दधीचि के इंकार करने पर इन्द्र ने उन्हें किसी अन्य को भी यह विद्या देने को मना कर दिया और कहा कि- “यदि आपने ऐसा किया तो मैं आपका सिर धड़ से अलग कर दूँगा”। महर्षि ने कहा कि- “यदि उन्हें कोई योग्य व्यक्ति मिलेगा तो वे अवश्य ही ब्रह्म विद्या उसे प्रदान करेंगे।” कुछ समय बाद इन्द्रलोक से ही अश्विनीकुमार महर्षि दधीचि के पास ब्रह्म विद्या लेने पहुँचे। दधीचि को अश्विनीकुमार ब्रह्म विद्या पाने के योग्य लगे। उन्होंने अश्विनीकुमारों को इन्द्र द्वारा कही गई बातें बताईं। तब अश्विनीकुमारों ने महर्षि दधीचि के अश्व का सिर लगाकर ब्रह्म विद्या प्राप्त कर ली। इन्द्र को जब यह जानकारी मिली तो वह पृथ्वी लोक में आये और अपनी घोषणा के अनुसार महर्षि दधीचि का सिर धड़ से अलग कर दिया। अश्विनीकुमारों ने महर्षि के असली सिर को फिर से लगा दिया। इन्द्र ने अश्विनीकुमारों को इन्द्रलोक से निकाल दिया। यही कारण था कि अब इन्द्र महर्षि दधीचि के पास उनकी अस्थियों का दान माँगने के लिए आना नहीं चाहते थे। वे इस कार्य के लिए बड़ा ही संकोच महसूस कर रहे थे।

दधीचि द्वारा अस्थियों का दान

देवलोक पर वृत्रासुर राक्षस के अत्याचार दिन-प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे थे। वह देवताओं को भांति-भांति से परेशान कर रहा था। अन्ततः देवराज इन्द्र को इन्द्रलोक की रक्षा व देवताओं की भलाई के लिए और अपने सिंहासन को बचाने के लिए देवताओं सहित महर्षि दधीचि की शरण में जाना ही पड़ा। महर्षि दधीचि ने इन्द्र को पूरा सम्मान दिया तथा आश्रम आने का कारण पूछा। इन्द्र ने महर्षि को अपनी व्यथा सुनाई तो दधीचि ने कहा कि- “मैं देवलोक की रक्षा के लिए क्या कर सकता हूँ।” देवताओं ने उन्हें ब्रह्मा, विष्णु व महेश की कहीं हुई बातें बताईं तथा उनकी अस्थियों का दान माँगा। महर्षि दधीचि ने बिना किसी हिचकिचाहट के अपनी अस्थियों का दान देना स्वीकार कर लिया। उन्होंने समाधी लगाई और अपनी देह त्याग दी। उस समय उनकी पत्नी आश्रम में नहीं थी। अब देवताओं के समक्ष ये समस्या आई कि महर्षि दधीचि के शरीर के माँस को कौन उतारे। इस कार्य के ध्यान में आते ही सभी देवता सहम गए। तब इन्द्र ने कामधेनु गाय को बुलाया और उसे महर्षि के शरीर से मांस उतारने को कहा। कामधेनु ने अपनी जीभ से चाट-चाटकर महर्षि के शरीर का माँस उतार दिया। अब केवल अस्थियों का पिंजर रह गया था।

गभस्तिनी की जिद

महर्षि दधीचि ने तो अपनी देह देवताओ की भलाई के लिए त्याग दी, लेकिन जब उनकी पत्नी ‘गभस्तिनी’ वापस आश्रम में आई तो अपने पति की देह को देखकर विलाप करने लगी तथा सती होने की जिद करने लगी। तब देवताओ ने उन्हें बहुत मना किया, क्योंकि वह गर्भवती थी। देवताओं ने उन्हें अपने वंश के लिए सती न होने की सलाह दी। लेकिन गभस्तिनी नहीं मानी। तब सभी ने उन्हें अपने गर्भ को देवताओं को सौंपने का निवेदन किया। इस पर गभस्तिनी राजी हो गई और अपना गर्भ देवताओं को सौंपकर स्वयं सती हो गई। देवताओं ने गभस्तिनी के गर्भ को बचाने के लिए पीपल को उसका लालन-पालन करने का दायित्व सौंपा। कुछ समय बाद वह गर्भ पलकर शिशु हुआ तो पीपल द्वारा पालन पोषण करने के कारण उसका नाम ‘पिप्पलाद’ रखा गया। इसी कारण दधीचि के वंशज ‘दाधीच’ कहलाते हैं। ।

बीजेपी जानबूझकर पूर्व प्रधानमंत्री नेहरु को निशाने पर ले रही है: कांग्रेस

 

कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी पर पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की स्मृतियों को हटाने की कोशिश करने का आरोप लगाया है. कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी जानबूझकर पूर्व प्रधानमंत्री को निशाने पर ले रही है.

इलाहाबाद में सौंदर्यीकरण संबंधी कार्यों के लिए पंडित जवाहरलाल नेहरू की प्रतिमा को अस्थायी रूप से हटाए जाने को लेकर कांग्रेस ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधा और कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री को इस देश से आत्मा से कभी नहीं हटाया जा सकता. इलाहाबाद की डेवलपमेंट अथॉरिटी ने बताया कि नेहरू की प्रतिमा को वहां से हटाकर उसी रोड पर स्थित एक पार्क में लगाया गया है.

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया, ‘मोदी जी राजनीतिक बदला लेने के लिए अंधे हो चुके हैं वो और योगी आदित्यनाथ पंडित नेहरू की उस हर स्मृति को मिटाना चाहते हैं, जो स्वाधीनता संग्राम और आजाद भारत के निर्माण से जुड़ी है.’

उन्होंने कहा, ‘पूरा देश जानता है कि इलाहाबाद स्वाधीनता संग्राम का सबसे बड़ा प्रतीक है. इलाहाबाद पंडित नेहरू की कर्मस्थली है और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के स्वाधीनता संग्राम की कर्मस्थली है. यह शहर सिर्फ पंडित नेहरू ही नहीं, बल्कि सरदार वल्लभ भाई पटेल हों, महात्मा गांधी, चंद्रशेखर आजाद और कई दूसरे महापुरुषों से भी जुड़ा है.’

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘पंडित नेहरू से जुड़ी याददाश्त को धूमिल करने का षड्यंत्र मोदी जी और योगी जी की जोड़ी कर रही है. उनको यह समझ लेना चाहिए कि वे मूर्ति हटाने से इस देश की आत्मा से पंडित नेहरू जी को कभी नहीं हटा पाएंगे.’

उन्होंने कहा, ‘मोदी जी और योगी यह जान लीजिए कि इस देश की जनता आपसे बड़ी है और आपको सजा देगी.’

पार्टी नेता अजय माकन ने भी इस मुद्दे पर मोदी को घेरा. उन्होंने कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि नेहरू की मूर्ति हटाई जा रही है. नेहरू बस एक कांग्रेसी नेता नहीं थे वो देश के पहले प्रधानमंत्री थे और सभी राजनीतिक पार्टियों और नागरिकों को उनका सम्मान करना चाहिए

अपनी अपनी लड़ाई में उलझे भाजपा कांग्रेस चुनावों कि तैयारी में


बीजेपी की हालत रादस्थान में पतली है. अमित शाह की नजर वहीं टिकी हुई है. उधर कांग्रेस भी अपनी स्थिति मजबूत बना रही है 


राजस्थान में इस बार अभी तक बारिश चल रही है और बारिश के मौसम की खास मिठाई है घेवर. जयपुर समेत प्रदेश के ज्यादातर शहरों में मिठाई की दुकानों पर आपको घेवर के पहाड़ बने दिख जाएंगे और ताजा गर्म बनते हुए घेवर भी. शहर के हर रास्ते में घेवर की महक आपको ललचाती है, कहीं मलाई घेवर, कहीं मावा घेवर और कहीं केसर घेवर.

जयपुर के एक मशहूर कैटरर्स ने अभी घेवर को लेकर एशिया बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया है. ज्ञानजी कैटरर्स ने इस रिकार्ड के लिए 120 किलो वज़न और 6 मीटर व्यास का घेवर बनाया है. वैसे तो रिकॉर्ड बनाने के लिए सिर्फ 20 किलो का घेवर बनाकर भी काम चल सकता था, लेकिन उन्होंने 120 किलो का घेवर बना कर ऐसा रिकॉर्ड बनाया है जिसे तोड़ने में लगता है फिलहाल वक्त लगेगा.

 

जिन लोगों ने कभी घेवर बनते देखा होगा, वे जानते हैं कि घेवर बनाने का काम आसान नहीं होता. उसमें मैदा को खास तौर से तैयार किया जाता है, उसके बाद छोटी सी कटोरी से एक ही रफ्तार से घोल को कढ़ाई में डाल कर घेवर बनता है. इसमें बनाने वाले का अनुभव, हाथ की रफ्तार और बिना रुके काम करना शामिल होता है, इसमें से किसी में भी चूक हुई तो फिर मामला गड़बड़ है.

घेवर बनाने और राजनीति करने में ज्यादा फर्क नहीं

घेवर बनाने की रेसिपी का जिक्र इसलिए किया क्योंकि राजनीति में वो बेहद कारगर साबित हो सकता है. प्रदेश के चुनावों में भी वो ही जीत हासिल कर सकता है जो पार्टी घेवर बनाने वाले कारीगर की तरह से हो, अनुभवी, रफ्तार के साथ बिना रुके काम करने वाली.

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट अपनी पार्टी के लिए पिछले चार साल से संगठन को मजबूत बनाने और चुनावी तैयारी में लगे हैं. पायलट के साथ अनुभवी दिग्गज अशोक गहलोत भी हैं और दूसरे अनुभवी नेता सी पी जोशी हैं. कांग्रेस इन तीनों नेताओं को साथ दिखाने की कोशिश में भी लगी है. आजकल कांग्रेस रैलियों के लिए बस यात्रा कर रही है. इन बसों में नेता साथ-साथ जाते हैं. पिछले दिनों एक फोटो जारी की गई इसमें सचिन पायलट और अशोक गहलोत बस की सीट पर साथ-साथ बैठे हैं और पीछे की सीट पर सी पी जोशी हैं. तीनों के चेहरे से मुस्कराहट गायब थी. फिर दूसरी फोटो जारी की गई जिसमें तीनों के चेहरे पर मुस्कराहट थी.

 

जोशी साल 2008 के विधानसभा चुनाव में बस की पिछली सीट पर ही बैठे रह गए थे और अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बन गए. इस बार ये डर पायलट को भी है कि कहीं फिर से बाजी अशोक गहलोत के हाथ ना लग जाए. हालांकि, दिल्ली में बैठे पार्टी आलाकमान ने गहलोत को निर्देश दिया कि उनकी जरूरत केंद्रीय राजनीति में है.

पायलट और गहलोत में से ड्राइवर कौन?

करौली की रैली में बस के अटकने के बाद पायलट मोटरसाइकिल पर अशोक गहलोत को पीछे बिठाकर ले गए, यह फोटो भी जारी हुई. इस फोटो का बहुत से लोग अलग-अलग मायने निकाल रहे हैं कि क्या पायलट ने गहलोत को बैकसीट पर बिठा दिया है या फिर पायलट ही ड्राइवर बनेंगे, गहलोत की गाड़ी को सीएम आवास तक पहुंचाने के लिए. कांग्रेस ने इस बार के लिए 200 सीटों वाली विधानसभा में अपने लिए 135 सीटों का लक्ष्य रखा है. हालांकि, अभी उसके सिर्फ 21 विधायक हैं और 2008 में भी 96 विधायक चुनकर आए थे जब जोड़-तोड़कर सरकार बनाई थी. पिछले लोकसभा चुनाव में यहां कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी, यदि इस बार प्रदेश में सरकार बनती हैं तो उसका फायदा आम चुनावों में भी होगा.

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी इस हफ्ते जयपुर में थे. शाह ने कांग्रेस पर हमला बोला कि कांग्रेस आलाकमान अभी तक सीएम उम्मीदवार तय नहीं कर पाया है तो पायलट ने जवाब दिया कि शाह तो अपनी पसंद का प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष भी नहीं बनवा पाए. इस साल होने वाले राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को सबसे मुश्किल मुकाबला राजस्थान में लग रहा है, इसलिए अमित शाह राजस्थान पर फोकस किए हुए हैं. उन्होंने वसुंधरा सरकार को अंगद का पांव कहा है, जिसे कोई हिला नहीं सकता, लेकिन संगठन और सरकार के भीतर परिवार में जो महाभारत चल रहा है, उससे अमित शाह अनजान नहीं हैं.

अनुभवी राजनेता के तौर पर सीएम वसुंधरा राजे ने चुनावी मौसम में घोषणाओं की भरपूर बारिश कर दी है. पेट्रोल और डीजल की कीमत से वैट कम कर दिया है. सरकारी कर्मचारियों का डीए बढ़ा दिया है. एक करोड़ बीपीएल लोगों को मुफ्त में मोबाइल बांटे जा रहे हैं. राजे की हरसंभव कोशिश है कि वो राजस्थान के चुनावी इतिहास का रिकॉर्ड तोड़कर इस बार दोबारा सरकार बना लें, वरना वहां हर बार सरकार बदल जाती है. बीजेपी अध्यक्ष शाह की चिंता राजस्थान के विधानसभा चुनावों के साथ-साथ उसके बाद होने वाले आम चुनावों की है यदि सरकार फिर से नहीं बनी तो आम चुनाव में पिछली बार की तरह सभी 25 संसदीय सीटों पर बीजेपी का कब्जा होना मुश्किल होगा.

फर्जी वोटरों की परेशानी अलग से

एक और मुश्किल है इन चुनावों में अभी जयपुर के जिला निर्वाचन अधिकारी ने किसी संस्था के माध्यम से सर्वेक्षण कराया, तो पता चला है कि अकेले जयपुर शहर में एक लाख 13 हजार फर्जी वोटर हैं, हर विधानसभा सीट पर तीन से 13 हजार तक फर्जी वोटर. ये फर्जी वोट चुनावी नतीजों को बदलने में अहम भूमिका अदा कर सकते हैं, खासतौर से विधानसभा चुनावों में, क्योंकि इनमें जीत का अंतर ज्यादा नहीं होता.

राजस्थान सरकार और कांग्रेस में भी ज्यादातर नेता छात्र राजनीति से आए हैं. अशोक गहलोत खुद एनएसयूआई के अध्यक्ष रह चुके हैं. विश्वविद्यालयों और कालेज छात्रसंघ के बहुत से नेता राजनीति में सक्रिय हैं, लेकिन हाल में हुए इन छात्र संगठनों के चुनावों में विद्यार्थी परिषद और एनएसयूआई के मुकाबले में निर्दलीय उम्मीदवारों ने ज्यादा जीत हासिल की है. ये नतीजे दोनों पार्टियों के लिए चिंता का सबब हो सकते हैं.

चुनावों में एक और अहम चीज होती है चुनावी खर्च के लिए जरूरी पैसा. बीजेपी को तो फिलहाल कोई दिक्कत नहीं दिखती, लेकिन कांग्रेस को इसके लिए मशक्कत करनी पड़ रही है. राजस्थान में आमतौर पर कहा जाता है कि मकान बनाने और बेटी के ब्याह में पैसा तय बजट से ज्यादा ही खर्च होता है, ये बात अब चुनावों के लिए भी कही जा सकती है.

 

Topper’S Gang Rape: Police detained two

 

Chandigarh, Sep 15, 2018:

The Haryana Police on Saturday detained two persons for questioning in the gangrape of a 19-year-old board examination topper in Mahendragarh district.

Special Investigating Team (SIT) chief Nazneen Bhasin told media in Rewari that the rape of the young woman had been confirmed in the medical examination.

However, the three accused in the gang-rape case continued to evade the police, 85 hours after the incident.

The accused include a serving Armyman Pankaj, and two other youth, Manish and Nishu. All belong to Kanina village.

The police said it had detained a local medical practitioner, who was called by the accused youth when the condition of the rape victim deteriorated on Wednesday (September 12) after she had been sexually assaulted.

Police officials said that the medical practitioner gave the victim first aid after he was threatened by the accused.

The police has also detained and is questioning a local farmer, Dayanand. It was the room in the agricultural fields owned by the farmer that the accused allegedly gangraped the victim.

The Haryana Police has drawn flak for not being able to arrest any of the accused even after three days of the incident.

State Director General of Police (DGP) B.S. Sandhu said on Saturday that the accused would be arrested soon.

“One of the accused, Pankaj Fauji, is with the Army and is supposed to report for duty. We have sent teams to nab him,” Sandhu told media.

Pankaj is with an Army unit posted at Kota in neighbouring Rajasthan. He got married last year.

Though the victim initially told the police that she was allegedly gang-raped by three men, her father claimed that she had seen eight to 10 men around her when she regained consciousness following the gangrape on Wednesday near Kanina village, around 350 km from here.

The victim, who has identified her attackers, and her parents had said earlier that the police were not taking action in the matter and were dealing with it casually.

The accused, who belong to the same village as the victim and knew her, allegedly kidnapped the victim from Kanina bus stand while she was on her way for coaching classes.

She said they gave her water to drink which was laced with a sedative. They then took turns raping her in a room adjoining agricultural fields till she fell unconscious.

They later dumped her at a bus stop near the village. One accused, Manish, even called up the victim’s father and told him to pick her from the bus stand.

The victim, a second year student in a college, topped the board examination and was felicitated by the government.

“The truth has won. Congress falsehood has been rejected”: Sukhbir

 

Chandigarh, September 15, 2018:

Shiromani Akali Dal (SAD) president Sukhbir Singh Badal today said the Punjab and Haryana high court had upheld the highest values of democracy by snuffing out Congress attempts to use repressive means as well as the bogey of violence to muzzle the voice of democracy by arbitrarily denying permission for the party’s Pol Khol rally at Faridkot.

Stating that the Congress did not realize the ghastly mistake even when it had been snubbed by the court once and filed a review petition, Mr Sukhbir Badal  said the fate of the review petition should be a lesson to the Congress party that no government could infringe upon the fundamental rights of its citizens to protest in a peaceful manner. “The truth has won. Congress falsehood has been rejected”.

Stating that the high court had rightly upheld the SAD’s right to democratic protest, the SAD President condemned the Congress party for playing into the hands of radical elements and raising the bogey of violence to deny permission for the rally. “The truth is that it is the Congress party which is instigating violence by actively encouraging radical elements to create a flash point. The SAD believes in peace and our workers will raise their voice against the ‘jabar’ (repression) let loose by the Congress in a peaceful manner. In case radical forces sitting in Bargari tried to instigate violence  the responsibility for the same will be that of the Congress party and chief minister Capt Amarinder Singh”.

Mr Badal said the fact of the matter was that the Congress party had become jittery after the huge response to the last few rallies conducted by the SAD. “Pradesh Congress president Sunil Jakhar claimed that people would not let allow Akalis to enter villages. Our party received a rousing welcome at Jakhar’s native village Panjkosi in Abohar and our Pol Khol rally at Abohar received an unprecedented response. All this unnerved the Congress party and it is because of this that the party then decided to use Emergency like measures like resorting to arbitrary bans to check the rising popularity of the SAD. We thank the high court for defeating these nefarious designs. The people of Punjab will also give a befitting reply to the Congress government tomorrow”.

The SAD president also warned the government that it should not play with fire by colluding with radical elements to showdown the SAD. “Peace has been won in Punjab after a very difficult struggle. The Congress is endangering this peace and also communal harmony in the State by giving a boost to radical forces. The SAD will stoutly fight this conspiracy tooth and nail along with the people of Punjab who don’t want the State to be pushed back into the dark era of terrorism”, he added

खट्टर सरकार से नकारा ओर निक्कमी सरकार आज तक नही हुई:नवीन जयहिंद

 

 

रेवाड़ी:

रेवाड़ी में आम आदमी पार्टी प्रदेशाध्यक्ष नवीन जयहिंद व हरियाणा अहीरवाल क्षेत्र के सह-प्रभारी ,दिल्ली विधायक अजेश यादव पीड़िता के परिवार से मिले व उनकी इस लड़ाई में हर सम्भव सहायता का आश्वासन दिया। जयहिंद ने कहा कि आम आदमी पार्टी पूरे प्रदेश में सरकार के पुतले फूंकेगी व महिलाओं के खिलाफ हो रहे रोज अपराध पर प्रदर्शन करेंगी। आम आदमी पार्टी पूरी तरह से पीड़िता के साथ है। उसकी इस लड़ाई में हर प्रकार से सहायता करेगी।

जयहिंद ने कहा कि हर साल प्रदेश में महिलाओ के खिलाफ अपराध बढ़ रहा है। प्रदेश में महिलाओं पर अपराध बड़ी तेजी से बढ़ रहे है और खट्टर के कार्यकाल में महिलाओं पर 40,000 से ज्यादा अपराध होना सरकार के निकम्मेपन व गैर जिम्मेदार रवैए को दर्शाता है और इन आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश में बहु-बेटियाँ कितनी सुरक्षित है।

जयहिंद ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा कि खट्टर साहब ने कहा था महिलाओं की तरफ कोई उंगली तक नहीं उठा सकता लेकिन ये बात सिर्फ उनके भाषण तक रह गई अपराधियों का  एक नाखुन तक नही उखाड़ पाए खट्टर ,अपराधी खुले घूम रहे है। प्रशासन एफआईआर तक नही लिखती , परिवार वाले पुलिस स्टेशन के चक्कर काटते है। यहाँ तक की मेडिकल सुविधा तक उपलब्ध नहीं कराते है। भाजपा का बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अब बेटी उठाओ-बेटी मरवाओ बन चुका है ।प्रदेश में खट्टर सरकार  न तो बेटी पढ़ा रही है न ही बेटी को बचा पढ़ी है। ऐसे करेंगे महिलाओं की सुरक्षा। इससे नकारा ओर निक्कमी सरकार आज तक नही हुई। मुख्यमंत्री को इस्तीफा देदेना चाहिए।

आम आदमी पार्टी पूरे प्रदेश सरकार के इस रवैये के खिलाफ प्रदर्शन करेगी..

आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली विधायक अजेश यादव को अहीरवाल क्षेत्र की जिम्मेदारी दी गई । रेवाड़ी में पीड़िता के परिवार से नवीन जयहिंद के साथ मिलने पहुँचे व परिवार को हर प्रकार से मदद देने की बात कही व हरियाणा की खट्टर सरकार को हर मोर्चे पर फेल बताया

र सैणीयां आज दर्जनों साथियों समेत अकाली दल को छोड़ कांग्रेस में शामिल

डेराबस्सी:

जिला परिषद और ब्लॉक समिति चुनाव प्रचार दौरान अकाली दल को उस समय बड़ा झटका लगा जब जिला परिषद मोहाली के पूर्व चेयरमैन और अकाली दल के मौजूदा जिले के वरिष्ठ उपप्रधान सतनाम सिंह रामपुर सैणीयां आज दर्जनों साथियों समेत अकाली दल को छोड़ कांग्रेस के राज्य जनरल सेक्रेटरी दीपेंद्र सिंह ढिल्लों की अगुवाई में कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। सतनाम सिंह ने कहा कि जिस दिन से उन्हे पता लगा है कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की बेअदबी के मामले में अकाली दल का चेहरा नंगा हो जाने के बाद वह उस पार्टी में घुटन महसूस कर रहे थे। सभी अकाली दल से नफरत करने लगे हैं।

सतनाम सिंह और उनके साथियों का कांग्रेस में स्वागत करते दीपेंद्र सिंह ढिल्लों ने कहा कि जिस दिन से अकाली दल का पंथ विरोधी चेहरा बेनकाब हुआ है उस दिन से लोग अकाली दल से नफरत करने लगे हैं। राज्य में अकाली दल अब खाली दल पार्टी बनकर रह गई है। इस मौके श्याम सिंह राजो माजरा, सरदार सिंह, जगजीवन सिंह खेड़ीजट्टां, सतविंदर सिंह, केवल सिंह, बलविंदर सिंह, वरिंदर सिंह, हरनाम सिंह, हरभजन सिंह, जरनैल सिंह, धर्मेंद्र सिंह, सरवन सिंह, लाल सिंह, रामपाल सिंह, गुरविंदर सिंह, अजय कुमार, विपिन कुमार, अमरजीत सिंह, जगदीश सिंह, रविंद्र, सुखविंदर, करनैल सिंह, पवन कुमार, रामसरूल, बनारसी दास समेत कई अन्य कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए। इस मौके ब्लॉक कांग्रेस के प्रधान हरभजन सिंह, अमृतपाल सिंह, रविंदर रवि के अलावा कई अन्य भी उपस्थित थे।