जब आपको आंख मारने और संसद बाधित करने से फुरसत मिल जाए तो तथ्यों पर गौर कर लें: शाह


शाह ने कहा कि अच्छा होता कि कांग्रेस ने जिस तरह बाबा साहेब आंबेडकर, बाबू जगजीवन राम और सीताराम केसरी के साथ व्यवहार किया है राहुल गांधी उस पर बोलते


 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ‘दलित विरोधी’ मानसिकता के होने का आरोप लगाने के लिए राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि कांग्रेस प्रमुख को जब आंख मारने से फुरसत मिल जाए तब वो जरा तथ्यों पर गौर कर लें. उन्होंने आरोप लगाया कि दलितों का अपमान करने की विपक्षी दल की परंपरा रही है.


Amit Shah

PM @narendramodi’s legacy- strongest amendments to SC/ ST Act, OBC Commission, Panchteerth and more.

Congress legacy- insult Dalit leaders, Dalit pride, oppose Mandal and block OBC Commission.


सिलसिलेवार ट्वीट में शाह ने कहा कि संशोधित बिल के जरिए एससी/एसटी कानून को मजबूत करना और ओबीसी आयोग की स्थापना प्रधानमंत्री की विरासत में है जबकि दलित नेताओं का अपमान करना, मंडल आयोग की रिपोर्ट का विरोध करना और ओबीसी संस्था को मजबूत बनाने में बाधा डालना कांग्रेस की परंपरा रही है.

कांग्रेस और राहुल गांधी पर शाह ने यह हमला ऐसे वक्त किया है जब कांग्रेस अध्यक्ष ने जंतर-मंतर पर आयोजित प्रदर्शन में दलितों के प्रति सरकार की नीति को लेकर मोदी की आलोचना की.


Amit Shah

NDA Government, through a Cabinet decision and in Parliament ensured the strongest amendment to the Act. 
Why are you protesting that?

@ANI

Protest over SC/ST atrocities bill: CPM’s Sitaram Yechury and Congress President Rahul Gandhi join the protest at Jantar Mantar. #Delhi

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एक के बाद एक ट्वीट में शाह ने गांधी पर हमला करते हुए कहा कि जब आपको आंख मारने और संसद बाधित करने से फुरसत मिल जाए तो तथ्यों पर गौर कर लें. उन्होंने जोर दिया कि एनडीए सरकार ने अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार रोकथाम) कानून को संशोधित कर इसे मजबूत किया है.

शाह सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान मोदी से गले लगने के बाद लोकसभा में गांधी के आंख मारने का हवाला दे रहे थे. उन्होंने लिखा कि सरकार ने संशोधित बिल के जरिए एससी/एसटी कानून को मजबूत किया है, फिर आप प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं.

राहुल गांधी ने कहा कि आज जहां भी बीजेपी की सरकार है, वहां पर दलितों पर हमला हो रहा है. गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री की मानसिकता दलित विरोधी है.


Amit Shah

@AmitShah

Congress way of treating Dalits is patronising and condescending. For years Congress insulted Dalit aspirations.


शाह ने कहा कि अच्छा होता कि कांग्रेस ने जिस तरह बाबा साहेब आंबेडकर, बाबू जगजीवन राम और सीताराम केसरी के साथ व्यवहार किया है राहुल गांधी उस पर बोलते. कांग्रेस ने लगातार दलितों के साथ अत्याचार किया है.

अवसरवादिता राजनीति नहीं, कांग्रेस की केजरीवाल को सीख


कांग्रेस प्रवक्ता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने आम आदमी पार्टी द्वारा उपसभापति के चुनाव से दूर रहने पर तीखा हमला किया और उन्हें खरी खरी सुना दी.


शर्मिष्ठा मुखर्जी  ने आज अरविंद केजरीवाल पर तीखा हमला किया. उन्होंने कहा कि राज्यसभा के उप-सभापति चुनावों का ‘बहिष्कार’ कर आम आदमी पार्टी ने सिर्फ भाजपा की मदद ही की है. 2015 में सत्ता में आने के बाद से ही अरविंद केजरीवाल का केंद्र और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के साथ झगड़ा रहा है. लेकिन आज के मतदान से आम आदमी पार्टी के तीन सांसदों ने बहिष्कार कर न सिर्फ विपक्ष के आंकड़ों को कम कर दिया बल्कि बहुमत की संख्या को कम करके करके सरकार की मदद भी की. पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने ट्वीट किया- “आम आदमी पार्टी कहती है, ‘राजनीति अहंकार पर नहीं चलती है. बिल्कुल! यही कारण है कि अरविंद केजरीवाल ने भाजपा की मदद करते हुए राज्यसभा में मतदान से दूर रहने का फैसला किया.”

 

आआपा ने विपक्ष के उम्मीदवार बीके हरिप्रसाद को सशर्त समर्थन दिया था. वे चाहते थे कि राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल को फोन करें और उनसे मदद मांगे. जब राहुल गांधी ने फोन नहीं किया तो पार्टी ने घोषणा की कि वह चुनाव से बाहर रहेगी. कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए पार्टी नेता संजय सिंह ने कहा, ‘अगर राहुल गांधी नरेंद्र मोदी को गले लगा सकते हैं, तो वह अरविंद केजरीवाल से उनके पार्टी के उम्मीदवार के समर्थन के लिए क्यों नहीं पूछ सकते हैं.’

कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि तीन वरिष्ठ नेताओं – गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा और अहमद पटेल – ने फोन किया था. लेकिन केजरीवाल राहुल गांधी से फोन कॉल चाहते थे.

शर्मिष्ठा मुखर्जी ने ट्वीट किया:

आखिर राहुल गांधी को ऐसे इंसान से समर्थन की मांग क्यों करनी चाहिए जिसने खुलेआम 2019 के चुनावों में बीजेपी के समर्थन की घोषणा की है. अगर उनकी मांग पूरी हो जाए तो 2019 के चुनावों में वो बीजेपी का समर्थन करेंगे. राजनीति विचारधाराओं की लड़ाई है. ये अवसरवादी लोगों के लिए एक हाथ दे एक हाथ दे के तर्ज पर नहीं की जाती.


Sharmistha Mukherjee

Rupashree Nanda

@rupashreenanda

AAP will not vote for Congress candidate unless Cong Pres @RahulGandhi reaches out to CM @ArvindKejriwal; @RahulGandhi can hug PM @narendramodi,why can’t he call @ArvindKejriwal ? Politics does not run on ego says @AamAadmiParty #RSVP ellections


जून में दिल्ली विधानसभा में केजरीवाल ने घोषणा की थी कि अगर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया तो वह 2019 में बीजेपी के लिए प्रचार करने के लिए तैयार हैं. शर्मिष्ठा मुखर्जी अपने ट्वीट में इसी घोषणा का जिक्र कर रही थीं. कांग्रेस और आआपा के बीच के तनावपूर्ण संबंध 2011 से ही चले आ रहे हैं. जब आआपा का गठन नहीं हुआ था और केजरीवाल और उनके करीबी अन्ना हजारे के सहयोगी थे. अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का नेतृत्व किया था. यह आंदोलन 2014 के चुनावों में कांग्रेस की हार का एक बड़ा कारण बना था.

2013 में आआपा ने दिल्ली में कांग्रेस के समर्थन के साथ सरकार बनाई. लेकिन 49 दिनों के बाद ही अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस पर भाजपा के साथ सहयोग करने और जन लोकपाल विधेयक को रोकने का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया.

नवनिर्वाचित उपसभापति के सम्मान में नायडू द्वारा दिये गए भोज का बहिष्कार करेगी कांग्रेस


दूसरी तरफ कांग्रेस ने वेंकैया नायडू की तरफ से आयोजित ब्रेकफास्ट का बहिष्कार करने का फैसला किया है


मॉनसून सत्र का आखिरी दिन गुरुवार 10 अगस्त को है. बीजेपी ने अपने राज्य सभा सांसदों के लिए तीन लाइन का एक व्हीप जारी किया है ताकि वे सब सदन में मौजूद रहें.

दूसरी तरफ कांग्रेस आक्रामक मूड में है. वेंकैया नायडू ने राज्य सभा के नए सदस्य और डिप्टी चेयरमैन हरिवंश के चयन पर शुक्रवार को ब्रेकफास्ट का आयोजन किया है. सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस इस ब्रेकफास्ट का बहिष्कार करने वाली है.

राज्यसभा के उपाध्यक्ष चुने गए हरिवंश 

जेडीयू के राज्यसभा सदस्य हरिवंश को गुरुवार को राज्यसभा के उपसभापति पद के लिए चुना गया. उन्हें विपक्ष की ओर से कांग्रेस के उम्मीदवार बी के हरिप्रसाद को मिले 105 मतों के मुकाबले 125 मत मिले.

सदन की कार्यवाही शुरू होने पर सभापति एम वैंकेया नायडू ने सदन पटल पर जरूरी दस्तावेज रखवाने के बाद उपसभापति पद की चुनाव प्रक्रिया शुरू करवाई. हरिवंश के पक्ष में 125 और हरिप्रसाद के पक्ष में 105 वोट पड़े. वोटिंग में दो सदस्यों ने हिस्सा नहीं लिया. सदन में कुल 232 सदस्य मौजूद थे.

युवा हल्का प्रधान सौरव गर्ग कांग्रेस से निलंबित 


—जिला पंचकूला प्रभारियों एवं जिला अध्यक्ष से की बदसूलकी 

—युवा कांग्रेस की नीतियों के विरोध में कर रहे थे काम 


पंचकूला 9 अगस्त।
भारतीय युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव एवं हरियाणा प्रभारी जगदीप कंबोज गोल्डी ने युवा कांग्रेस के हल्का प्रधान सौरव गर्ग को तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिया है। यह तुरंत कार्रवाई हरियाणा प्रदेश युवा कांग्रेस के सचिव एवं पंचकूला युवा कांग्रेस प्रभारी हरमनदीप सिंह विर्क, परमजीत सिंह राणा एवं जिला युवा अध्यक्ष मुकेश सिरसवाल की सिफारिश पर की गई है। सौरव गर्ग पिछले लंबे से पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त था और जिला अध्यक्ष के आदेशों की उल्लंघना कर रहा था। हाइकमान ने भी इस बारे में सौरव गर्ग को निर्देश दिये थे, लेकिन इसके बावजूद वह पार्टी विरोधी गतिविधियां करता रहा। वीरवार को युवा कांग्रेस की एक बैठक बुलाई गई थी, जिसमें जिला प्रभारी हरमनदीप सिंह विर्क, परमजीत सिंह राणा बतौर अतिथि पहुंचे थे। इस बैठक में जिला प्रभारी युवा कांग्रेस की आगामी नीतियों के बारे में बताने लगे, तो सौरव गर्ग ने प्रोटोकॉल तोड़ते हुये प्रभारी के साथ बैठ गया और स्वयं ही बैठक शुरु करने की कोशिश करने लगा। जब वरिष्ट युवा नेताओं ने कहा कि इस बैठक को विर्क और राणा संबोधित करने वाले हैं, तो गर्ग ने कहा कि यह बैठक मैं ही शुरु करुंगा। प्रभारी के रोकने पर सौरव गर्ग ने बदसलूकी करनी शुरु कर दी। इसी बीच सौरव गर्ग के भाई अमन गर्ग जोकि युवा कांग्रेस का सदस्य भी नहीं है, वह आ गया और पहले जिला अध्यक्ष मुकेश सिरसवाल से बदसलूकी की और जब प्रभारी ने अमन गर्ग को रोकने की कोशिश की, तो उससे भी बदसलूकी करने लगा। इसके बाद अमन गर्ग को बैठक से बाहर जाने के लिए कहा, तो वह नहीं गया। जिसके चलते बैठक सथगित कर दी गई। जिला प्रभारी हरमनदीप सिंह विर्क एवं परमजीत सिंह राणा पूरी जानकारी हाइकमान को दी, जिसके बाद हरियाणा प्रभारी जगदीप कंबोज गोल्डी ने तुरंत प्रभाव से सौरव गर्ग को निलंबित करने का आदेश दे दियां
वहीं  पंचकूला जिला अध्यक्ष मुकेश सिरसवाल ने युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वह कांग्रेस को मजबूत करने एवं राहुल गांधी जी को देश का प्रधानमंत्री बनाने के लिए काम करें और जो लोग पार्टी विरोधी गतिविधियां करते हैं, उनका बहिष्कार करें। ताकि कांग्रेस पार्टी पंचकूला सहित पूरे देश में झंडे गाड़ सके। हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनाने की जिम्मेदारी युवा साथियों की है।

India’s economy is elephant that’s starting to run: IMF

Commuters ride an escalator from Japnath metro station as vehicles are sitting in traffic are reflected in a window in New Delhi. India is on track to hold its position as one of the world’s fastest-growing economies as reforms start to pay off, according to the International Monetary Fund


After a shock cash ban in late 2016 and a disruptive nationwide sales tax last year, India’s economy is once again gaining momentum.


India is on track to hold its position as one of the world’s fastest-growing economies as reforms start to pay off, according to the International Monetary Fund.

The $2.6 trillion economy was described by Ranil Salgado, the IMF’s mission chief for India, as an elephant starting to run, with growth forecast at 7.3 percent in the fiscal year through March 2019 and 7.5 percent in the year after that. The nation accounts for about 15 percent of global growth, according to the Washington-based fund.

Key risks flagged by the IMF in its annual Article IV assessment of the economy include higher oil prices, tightening global financial conditions and tax revenue shortfalls. Authorities should take advantage of stronger growth to bring down debt levels, simplify the consumption tax system and continue to gradually tighten monetary policy, it said.

After a shock cash ban in late 2016 and a disruptive nationwide sales tax last year, India’s economy is once again gaining momentum. Growth reached the fastest pace in seven quarters in January through March, and high frequency indicators from purchasing managers’ surveys to auto sales data show the economy is likely to grow above 7 percent.

The government is due to release gross domestic product data on August 31 for the three months ended June. A high growth rate may not necessarily resonate with voters in elections next year as they continue to face issues such as unemployment and farm distress.

There are other risks. The rupee has plunged 7 percent against the dollar this year, the worst performer among major Asian currencies, threatening the inflation outlook. The Reserve Bank of India delivered its second straight interest rate hike last week as policy makers seek to maintain economic stability against a global backdrop of trade tensions and high oil prices.

Continuing structural reforms would be key to high growth, Salgado said in a conference call. Further rationalization of the goods and services tax would give maximum benefits, and labour reforms would be an incentive for companies to expand, he added.

Other key points from the report:

Recovery is underway led by an investment pickup External vulnerabilities remain contained, but have risen India’s export market share remains low; need to boost competitiveness There’s need for maintaining exchange rate flexibility FX intervention should be two-way and limited to disorderly market conditions Government debt and budget deficit key macroeconomic challenges Need labor, land and product market reforms for jobs growth More needs to be done to ensure health of state-run lenders.

The “Chhatra Aakrosh Rally” from Mandi House to Parliament Street by NSUI

New Delhi 8th August 2018:

“NSUI organized a national protest in Delhi today against the anti-student and anti-youth policies of the BJP Government. The “Chhatra Aakrosh Rally” from Mandi House to Parliament Street under the leadership of National President Fairoz Khan saw thousands of NSUI workers express the disappointment of crores of young people across the country” said National Media Co-ordinator Deepanshu Bansal. The national protest was followed by Vidhan Sabha/CM House Gherao in states across the country and had representation from all the states, including distant states from the NE and South. NSUI proceeded with the protest in a peaceful manner but the police force brutally attacked the students who were present there to raise their voices. Many NSUI activists including the National President Fairoz Khan and other National Office Bearers including Delhi In-charge Mr. Anushesh Sharma got injured in the protest said National Secretary Saimoon faruqi.
NSUI workers were protesting the defrauding of students and youth by the Modi Government. Young people are being systematically denied quality and affordable education with repeated fee hikes and appointment of mediocre RSS VCs and faculty. At the same time, young graduates are finding themselves excluded from productive participation in the economy due to lack of jobs. There is hatred and violence and mob justice across the country instigated by RSS and its affiliates.
NSUI representing the voice of the idealistic and free youth is committed to raising its voice against injustice everywhere. We are educated youth, we are the Future of India and will also play a constructive role in national politics. NSUI National President Fairoz Khan said, “The NSUI having raised its voice against this failed government will now launch a national campaign to draft the youth agenda for the Future of India.”

Legal notice to Majithia for “defaming” Zee News editor, seeks Rs 100 Cr as damages


Zee Media sends legal notice to Majihtia for defaming its editor, seeks Rs 100 crore as damages


Zee Media Corporation Limited (ZMCL) has sent a legal notice to Shiromani Akali Dal (SAD) leader Bikram Singh Majithia for his alleged defamatory allegation against TV channel’s Punjab, Haryana and Himachal editor Dinesh Sharma.

In the legal notice sent on behalf of the ZMCL, Supreme Court lawyer Petal Chandhok asked Majithia to tender an unconditional written apology and publicly withdraw the false allegation against his client.

While talking to mediapersons at Hoshiarpur on August 2, Majithia had reportedly alleged that Sharma had demanded Rs 20 crore from him before 2017 Punjab assembly elections for favourable reportage. However, Sharma had denied having made such an offer.

The ZMCL counsel has also sought an assurance from Majithia that he will not repeat such defamatory act in future, failing which they will seek Rs 100 crore on account of damages suffered by his client.

Killers of the cops will find their way behind bars: DGP Sandhu

 

Chandigarh, August 9, 2018:

Haryana Director General of Police, B.S. Sandhu said that those who were involved in the killing of Sub Inspector, Narender Kumar premises will not be spared. They will soon be put behind bars.

He was interacting with media persons after attending the last rites of  Narendra Kumar, who laid down his in the line of duty at Rohtak, in Karnal today. Cremation of Narendra Kumar was done with full state honour.

DGP Sandhu said that financial assistance of Rs 60 lakh would be given to the next-of-kin of deceased, of which Rs30 lakh would be given by the bank as per agreement and an equal amount of assistance will be given by the State government.

“Apart from this, Police will also send a proposal to the government regarding offering a job under special ex-gratia scheme to the son of deceased employee,” he added.

Sandhu said that police is making all efforts and culprits would be arrested soon. We will also try that the accused will be given severe punishment through the fast track court.

He said that Narender would be long remembered for his bravery and services to the Police department.

Earlier, DGP B. S. Sandhu paid floral tributes to Sub-Inspector Narendra Kumar.

On this occasion, BJP District President Jagmohan Anand paid tributes to the martyr on behalf of the Chief Minister. Karnal IG Navdeep Singh Virk and Karnal SP Surendra Singh Bhoria, Nilokhedi MLA Bhagwandas Kabirpanthi and Executive Vice President of Swachh Bharat Mission Subhash Chandra also paid floral tributes to Sub-Inspector Narendra Kumar.

Punjab government to seek review of SC order on DGPs’ appointment


The government feels the implementation of the said directions of the apex court would lead to political interference in state matters. 

Punjab Police Act 2007 to be amended to set up State Police Commission for appointment of DGP


Chandigarh, August 9, 2018:

The Punjab Government has decided to seek a review of the Supreme Court order of July 3, 2018, directing states to choose and appoint their Director General of Police (DGP) from a panel to be constituted by the UPSC based on the concerned state government’s proposals.

The government feels the implementation of the said directions of the apex court would lead to political interference in state matters.

Chief Minister Captain Amarinder Singh has accepted the opinion of State Advocate General Atul Nanda that the directions amounted to infringement, by the Centre, of the state’s powers, since Law & Order was a state subject as per the provisions of the Indian Constitution.

According to an official spokesperson, a decision has been taken under the aegis of the Chief Minister to file an application in the apex court for modifications of its directions in its order dated July 3, after amending the Punjab Police Act 2007 to enable the constitution of a state police commission for appointment of DGP. The suggested procedure would be in line with the recommendations of the SC in Prakash Singh & Ors. v. Union of India & Ors., (2006) 8 SCC 1 (Prakash Singh’s case), according to the government.

In Prakash Singh’s case, the court had issued directions concerning police reforms in the various States. This included a direction to select the DGP of the state “from amongst the three senior-most officers of the Department who have been empaneled for promotion to that rank by the Union Public Service Commission (UPSC) on the basis of their length of service, very good record and range of experience for heading the police force.”

In its July 3, 2018 orders, the SC has directed states that “when they anticipate vacancy in the post of DG, they shall send their proposals to the Union Public Service Commission well in time i.e. atleast 3 months prior to the date of retirement of the incumbent on the post. The UPSC shall then prepare the panel as per the directions of in the judgment reported in (2006) 8 SCC 1, out which the State shall pick its DG.”

The apex court has further directed “that any legislation/rule framed by any of the States or the Central Government running counter to the direction shall remain in abeyance to the aforesaid extent.” It has, however, granted liberty to the states to approach the court for modification of the above direction in the event they are aggrieved by it.

The Chief Minister had sought the AG’s opinion in the matter and asked him to suggest the way forward for the state government. The matter assumes significance in view of the fact that the incumbent DGP, Suresh Arora, is due to retire on September 30, 2018.

In his opinion, Nanda has pointed out that the directions in Prakash Singh’s case were passed by the Supreme Court “in light of the absence of any legislation then occupying the field at that time”. He further notes that the State of Punjab had enacted the Punjab Police Act, 2007 on 5.02.2008, and Section 6 of the Act dealt with the selection and term of office of the DGP “but does not provide for selection of DGPs from the panel as prepared by the UPSC.”

In the grounds made out by him for seeking review of the SC decision, Nanda says a reading of Prakash Singh’s case judgement makes it evident that the directions therein were to stay in force only till the respective State legislations were enacted.

Further, he points out that Police is a subject-matter covered under Entry 2, List II of the Seventh Schedule of the Constitution and thus is under the exclusive legislative domain of the State Government. After the enactment of the Punjab Police Act, 2007, the selection and appointment of the DGP would take place as per the provisions therein, and this would continue until the Act or any provision is specifically struck down by the Court in exercise of its powers of judicial review, having found the provision/Act to be unconstitutional, he says.

The AG goes on to cite various judgements to argue that the directions issued in Prakash Singh’s case were meant to operate only till such time as they were replaced by a suitable legislation (in this case the 2007 Act).

He further points out that the state legislations had been kept in abeyance in the order of July 3, which was passed without hearing any of the States on the provisions of the various State enactments. In fact, the Supreme Court overlooked the fact that the prayer of the Union of India in the application for directions did not concern the issue of empanelment by the UPSC at all and was only restricted to the term of the DGP, in the opinion of the AG.

In fact, he said one has to appreciate that a writ petition of 2013, dealing with the constitutional validity of the state enactments, was still pending before the court, which did not take it up for hearing or consider it before passing its order.

Finding the SC order to be an infringement of the legislative and executive powers of the state, as well as the Parliament, Nanda has said that the SC order “grossly restricts and interferes with the ability of the State to appoint a candidate as DGP who is responsible for administering, controlling and supervising the police service to ensure its efficiency, effectiveness, responsiveness and accountability in the State.”

According to him, the Constitution has limited the functions of the UPSC to the extent of “consultation” on matters of “suitability of candidates for such appointments, promotions or transfers” – it does not empower the UPSC to determine the suitable candidates as is contemplated SC decision. And powers exercised by the SC under Articles 32 and 142, as done in the instant case, are required to be consistent with the provisions of the Constitution, he adds.

Nanda has also suggested the various amendments to be made to the Punjab Police Act, 2007 to pave the way for setting up the state police commission.

How will Khalistan survive even if it becomes a reality, asks Kumedan

Pritam Singh Kumedan, Expert on Inter-State Disputes and River Waters ( File Photo )

 

Questions raised over feasibility of the State of Khalistan in context of London Conclave of Referendum 2020

By Pritm Singh Kumedan

As  per  reports  in  Newspapers,  a  U.S.A.  based  Organisation, ‘Sikhs  for  Justice’  in  holding  a  “Referendum-2020”  in  London  on  12th  August, 2018,  with  the  object  of  achieving  Khalistan  and  in  the  foot-steps  of  Pakistan  seceding  from  India.

It  is  the  duty  of  this  Organisation  and  all  other  protagonists  of  Khalistan  to  tell  Sikhs  all  over  the  World  and  also  others,  beforehand and  just  now-  about  the  difficulties  and  hardships  Khalistan  and  its  people  are  likely  to  face  and  undergo,  after  getting  a  Sovereign  State of  Khalistan  and  how  those  difficulties  and  problems  these  Khalistanis  will  solve.

Suppose  India  decides  overnight  “Khalistan  Granted  with  Immediate  Effect”  and  also  simultaneously  tells  Khalistanis  that  now  onwards,  India  will  not  have  any  relations  with  Khalistan and  that  India  will  not  be  even  on  speaking  terms  with  Khalistan- all  relations  cut  off.  Khalistan  becomes  a  land-locked  country  like  Nepal  with  only  access  to  outside  world  through  Pakistan.  India  cuts  off  all  communication  including  road,  rail,  telephone,  even  airspace.  Borders  sealed-  Visa system  introduced.

Likely  Difficulties  and  Problems.

The  very  first  thing  the  two  governments  of  India  and  Khalistan  will  have  to  decide  will  be:

  1. Territorial  Division:  Hindu  majority  Districts  and  Tehsils  go  to  India- Jalandhar,  Hoshiarpur,  Nawanshahar,  Pathankot  and  Fazilka  Districts  and  Anandpur  and  Nangal  Tehsils  go  to  India.  Rest  of  Punjab  goes  to  Khalistan.  Canal  Headworks  and  Hydel  Power  Projects  situated  in  these  territories  go  to  India.  Ropar  and  Harike  Headworks  remain  in  Khalistan.  No  Hydel  Power  House  remains  in  Khalistan.
  • Mode  of  Partition:  It  can  be  on  the  pattern  of  Pakistan  when  One  Million  people  were  killed  on  both  sides,  lakhs  of  women  kidnapped  and  raped,  immense  property  and  other  losses.  The choice  lies  with  Khalistanis.
  • However even  if  Peaceful  Transition  is  to  be  envisaged,  can  anyone  guarantee  that  it  will  not  be  a  violent  separation  and  parting of  ways and  in  spite  of  best  efforts  of  both  Governments  it  turns  violent  and  out  of  Government  Control.
  •  Exchange  of  Population:  Choice  with  Khalistanis.  If  there  is to  be  exchange  of  population  as  in  the  case  of  Pakistan-  50  lakh,  mostly  well-off  Sikhs  may  have  to  migrate  to  India  leaving  immeasurable  property and  assets in  India-  Equal  number  of  Hindus,  mostly  working class  Harijan  Hindus  and  labourers  go  to  India  and  occupy  houses  in  India  left  over  by  wealthy  Sikhs,  as  happened  in  1947  Partition.

Although  many  other  things,  problems  and  difficulties  are  required  to  be  said  here,  but  leaving  aside  hundreds  of  those  difficulties  and  problems,  we  jump  to  division  of  Assets  and  Liabilities  and  other  such  important  problems.

India  relieves  all  Sikhs  from  Central  Services,  including  Army,  Airforce,  Central  Police  forces  and  al  such  other  services  and  tell  them  to  go  to  Khalistan.  Khalistan  get  about  1% share in  all  military  store  including  Airforce  and  in  many  other  things.  Only  one  airport  of  Halwara  remain  in  Khalistan.

1.Electricity:

HYDEL–  Bhakra,  Pong,  Dehar  Joginder  Nagar  already  in  India-  With  territorial  changes,  Thein  Dam,  Anandpur  Sahib,  Hydel  Channel,  Kotla, Ganguwal,  Mukerian  go  to  India.

2.THERMAL– All  Thermal  Power  Stations  remain  in  Khalistan. But  India  stops  coal  supply.  Imports  of  coal  not  possible.  All  Thermal  plants  in  Khalistan  shut  due  to  non-availability  of  Coal.

Result:  No  electricity  to  run  Tubewells,  all  Tubewells  in  Khalistan  inoperative;  no  Electricity  for  homes-  no  fans,  no  air conditioners,  no  fridges,  no  electricity  to  run  factories.  All  manufacturing  stops  in  Khalistan-  no  lights  to  celebrate  Khalistan.

 

Industry:  No  Electricity,  no  diesel  to  run  factories,  all  manufacturing  stops,  Factories  shutdown,  Labourers  go  home.  Sugar  mills  stop  working.  Sugarcane  rots  in  fields.  Lots  of  gur  for  producing  illicit  liquor.  Ludhiana  Cycle  Industry,  Hosiery  industry  shut  down.  No  import  of  raw  materials  and  no  export  of  stocks  already  accumulated.

Transport:  India  sends  back  all trucks,  Sikh  transport  owners  truck  drivers  to  India.  Lakhs  of  Trucks  on  roads-  No  Parking  space   place  available.  No  diesel  to  run  trucks-  No  diesel  to  run  buses,  no  petrol  to  run  cars,  scooters  etc.  All  road  transportation  comes  to  stand  still. No  vehicles  to  go  to  offices  even.  People  sit  idle  at  home,  no  electricity  for  televisions,  fans,  other  household  work.

Irrigation:  No  water  available  for  irrigation.  Crops  already  sown  go  dry.  No  new  crop  sowing as  no  water,  no  tractors,  no  tubewells,  no  diesel.  India  stops  canal  water  supply  from  Madhopur  Headworks,  Nangal,   Pong  etc.  as  we  did  with  Pakistan  on  1.4.1948.  by  shutting  U.B.D.C.  and  Dipalper  Canals.

Foodgrains:  Punjab  takes  pride  in  supplying  foodgrains  to  rest  of India.  Punjab  annually  contributes  about  3  crores  tons  of  Wheat and  Paddy  to  the  Central  Pool.  India  refuses  to  buy.  No  buyers  now.  Next year  no  problem  of  selling  foodgrains  as  not  a  grain  will  grow  in  Khlaistan.

Water  Supply:   system  in  Urban  and  Rural  areas  collapses  as  in  absence  of  electricity all  tubewells  stop  working.  Wells  and  Handpumps  all  over  Punjab already  unfunctional  as  water-tables  have  gone  down.  Canals  are  dry.                 No  drinking  water  all  over  Punjab.  Only  source  of  water  supply  all  over  Punjab  is  tubewell  water  and   due  to  water  table  having  gone  down  all  over  the  State,  not  a  single  well  or  Hand-Pump  in  the  State  is  functional.

Relations  with  Pakistan:  Only  country  having  good  relations  with  Khalistan  is  Pakistan,  on  whose  help  Khalistan  shall  have  to  rely.  Pakistan  already  facing  difficulties  of  its  own  on  every  front  refuses  to  help. Not  able  to  render  any  help  to  Khalistan.

Request  to  Sikhs  for  Justice.

Please  tell  solution  to  even  one  difficulty  or  otherwise  stop  holding  this  show and  ask  for  forgiveness  from  our  Gurus  as  we  pray  daily

“Ab  Kee  Bar  Baksh  Bande  Ko”  and  say  never  again.

And  after  going  back  to  USA  tell  the  whole  world  as  Saint  Kabir  says  in  Gurbani

     “Kabir  na  ham  Kia  na  karenge  na  Kar  Sake  Sarir”  in  future.