देखिए केंद्र की बीजेपी सरकार नहीं चाहती है कि दिल्ली सरकार अच्छा काम करे : केजरीवाल


अरविंद केजरीवाल ने मीडिया के सामने कहा है कि भारत के इतिहास में पहली बार एलजी साहब ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानने से इनकार कर दिया है


दिल्ली, जुलाई 6:

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर से केंद्र सरकार पर हमला बोला है. अरविंद केजरीवाल ने एलजी के बहाने ही सही केंद्र पर निशाना साधा है. केजरीवाल ने शुक्रवार को दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल से मुलाकात की. एलजी से मुलाकात के बाद अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में एलजी के साथ मुलाकात का पूरा ब्यौरा दिया.

अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि गुरुवार को मैंने एलजी साहब को एक पत्र लिखा था. इस पत्र में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बारे में बताया गया था. पत्र में लिखा था कि अब हर फाइल एलजी साहब को भेजने की जरूरत नहीं है. दिल्ली सरकार के द्वारा लिए गए हर फैसले की जानाकारी एलजी साहब को जरूर बता दिया जाएगा. इस पर एलजी साहब तैयार हो गए हैं. हालांकि एलजी साहब सर्विसेज को लेकर अभी भी तैयार नहीं हुए हैं.

अरविंद केजरीवाल ने मीडिया के सामने कहा है कि भारत के इतिहास में पहली बार एलजी साहब सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानने से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने जजमेंट में कह था कि तीन विषय छोड़ कर बाकी सभी मसलों पर फैसले लेने का अधिकार दिल्ली सरकार के पास है.

अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि दिल्ली में बिजली-पानी की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी चुनी हुई सरकार के पास है, लेकिन इन चीजों को लागू करने का अधिकार केंद्र के पास है? केंद्र सरकार अफसर तैनात करेगी और हम लोग काम करवाएंगे? देखिए केंद्र की बीजेपी सरकार नहीं चाहती है कि दिल्ली सरकार अच्छा काम करे.

जितनी फाइलें अटकी पड़ी थी उन पर काम शुरू

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अभी तक जितनी भी फाइलें अटकी पड़ी थी उस पर हमलोगों ने काम करना शुरू कर दिया है. शुक्रवार को दो-तीन महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं. हमारी सरकार चाहती है कि दिल्ली में घर-घर राशन पहुंचे. यह मामला कई महीनों से एलजी साहब के कारण अटका हुआ था आज ही मैंने ऑर्डर जारी कर दिया है.

दूसरा, दिल्ली के स्कूल-कॉलेजों और अन्य जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने का प्रपोजल भी अटका पड़ा था, जिसे मंगलवार तक पास कर दिया जाएगा. दिल्ली सरकार की महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट सिग्नेचर ब्रिज के आखिरी इन्सटॉलमेंट को भी आज पास कर दिया गया है. यह ब्रिज इसी साल अक्टूबर महीने तक बन कर तैयार हो जाएगा.

सर्विसेज के मुद्दे को लेकर दिल्ली सरकार और एलजी के बीच टकरार अभी कायम रहेगा. बता दें कि बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि चुनी हुई सरकार लोकतंत्र में काफी अहम है. इसलिए कैबिनेट के पास फैसले लेने का अधिकार है.

सुप्रीम कोर्ट का फैसला दिल्ली सरकार के हक में नहीं

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से कहा था कि एलजी के पास कोई स्वतंत्र अधिकार नहीं है. पीठ ने साफ कहा था कि हर मामले पर एलजी की सहमति की जरूरत नहीं है. इसके बावजूद कैबिनट के फैसले की जानकारी एलजी को देनी होगी.

कुलमिलाकर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद भी दिल्ली सरकार और एलजी के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस फैसले के कानूनी पहलुओं पर लगातार प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. गुरुवार को केंद्रीय मंत्री और सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने वकील अरुण जेटली ने भी इस फैसले पर अपनी राय रखी थी.

अरुण जेटली ने साफ कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला दिल्ली सरकार के हक में नहीं गया है. दिल्ली सरकार के पास पुलिस का अधिकार नहीं है ऐसे में वह पूर्व में हुए अपराध के लिए जांच एजेंसी गठित नहीं कर सकती.

ऐसे में एक बार फिर से अरविंद केजरीवाल की सरकार सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में लग गई है. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के जिस फैसले के बाद यह अंदाजा लगाया जा रहा था कि दिल्ली सरकार और एलजी के बीच का विवाद थम गया है वह विवाद अब अगले कुछ दिनों तक और बरकरार रह सकता है.

राजनीतिक गतिरोध अरविंद केजरीवाल ओर प्रधानमंत्री के बीच है: शिवसेना

 

शिवसेना ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र को दिल्ली में आप सरकार के साथ सहयोग करना चाहिए और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को काम करने की इजाजत देनी चाहिए.

दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल (एलजी) के बीच शक्तियों के बंटवारे के विषय पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आम आदमी पार्टी के पक्ष में आने के बाद शिवसेना का यह बयान आया है.

शिवसेना ने कहा कि एलजी और आप सरकार के बीच तकरार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यदि चाहते तो उप राज्यपाल को नियंत्रित कर सकते थे.

शीर्ष न्ययालय ने दो दिन पहले एक ऐतिहासिक फैसले में कहा कि एलजी निर्वाचित सरकार की सलाह पर काम करने के लिए बाध्य हैं और वह बाधक नहीं बन सकते हैं.

शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘ सामना ’ में प्रकाशित एक संपादकीय में लिखा है , ‘… कम से कम अब एलजी और दिल्ली सरकार के बीच गतिरोध खत्म हो जाना चाहिए तथा केजरीवाल को मुख्यमंत्री के तौर पर अपना काम करने देना चाहिए.’

पार्टी ने कहा कि राजनीतिक गतिरोध केजरीवाल और एलजी अनिल बैजल के बीच नहीं था , बल्कि दिल्ली के मुख्यमंत्री ओर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच था.

शिवसेना ने कहा कि यदि मोदी चाहते तो वह केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त एलजी को नियंत्रित कर सकते थे. लेकिन यह काम सुप्रीम कोर्ट को करना पड़ा.

शिवसेना ने कहा कि उसे संदेह है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली सरकार के फैसलों में एलजी की दखलअंदाजी खत्म हो जाएगी.

संपादकीय में कहा गया है कि मोदी लहर के बावजूद आप सरकार 2015 में प्रचंड जनादेश के साथ सत्ता में आई थी और भाजपा को दिल्ली विधानसभा चुनाव में मात्र तीन सीट मिली थी.

इसमें कहा गया है कि केजरीवाल की कार्य शैली पर विचारों का मतभेद हो सकता है लेकिन लोगों के जनादेश का सम्मान किया जाना चाहिए. केंद्र को केजरीवाल सरकार के साथ अवश्य ही सहयोग करना चाहिए.

सामना में कहा गया है कि एलजी ने अपने संवैधानिक पद को ध्यान में नहीं रखा. इसने प्रशासन और राजभवन की प्रतिष्ठा कम की.

शिवसेना ने कहा कि यदि केंद्र को लगता है कि केजरीवाल काम नहीं कर रहे या वह भ्रष्ट हैं तो उसे दिल्ली सरकार को बर्खास्त कर देना चाहिए, लेकिन उसे कामकाज नहीं करने देना अनुचित है.

पार्टी ने कहा कि दिल्ली सरकार को क्लर्क या चपरासी तक नियुक्त करने का अधिकार नहीं है, वह नीतिगत फैसले नहीं कर सकती, आईएएस अधिकारियों की बैठक नहीं बुला सकती और उन्हें निर्देश नहीं दे सकती.

इसने कहा कि यह एक निर्वाचित सरकार का गला घोंटने जैसा है. इसलिए, केजरीवाल सरकार ने विरोध किया और आप मंत्री राजभवन में धरना पर बैठे.

संपादकीय में कहा गया है कि एलजी आवास में धरना पर बैठे आप मंत्रियों की तस्वीर आपातकाल के दौर से भी अधिक बदतर स्थिति को दिखाती है.


कोई हैरानी नहीं जब शिव सेना के संपादक ऐसा कहते हैं। जिस दौर की यह बात करते हैं यह उस दौर मे इन्दिरा जी के थोपे हुए आपत्काल मे उनके साथ थे।

SC ruling out power tussle still in

Notwithstanding the Supreme Court ruling on the Delhi government’s powers vis-a-vis the Lieutenant Governor, the tussle over powers to transfer or post officers has become a fresh bone of contention.

Kejriwal, who met L-G Anil Baijal on Friday, claimed the power comes under the state’s services department and hence lies with the Government of Delhi. However, in a press briefing after the meeting, Kejriwal told reporters that the L-G has refused to acknowledge the fact and said that Delhi being a Union Territory makes its powers subservient to the Central government.

“L-G saheb agreed that it is not necessary to send files to him for approval every time, but he is not ready to cooperate in the services case,” Kejriwal said.

Kejriwal said that the L-G claimed that since the Supreme Court did not scrap the home ministry’s 2016 notification, which makes Baijal the authority on matters relating to transfers and appointments. “I tried to point it out to him that from SC’s ruling, which limits L-G’s powers to Land, Police, and Public Order, the notification gets defunct automatically. Since services don’t fall under the purview of any of the above, the power should lie with the Delhi government,” Kejriwal said.

“But L-G wants that Delhi government remains answerable for the work done by these officers, while he wants to appoint them himself,” he added.

“L-G sought advice from that MHA which told him that services should not be given to Delhi government. It is the first time in the history of India that the Central government has openly refused to obey the SC’s order…,” Kejriwal told reporters.

This would lead to anarchy in the country, he said. The chief minister said that since the parties in power at the Centre and state were political opponents, a conflict would surely arise as the Centre would want AAP to lose next elections.

He said, “If a common man fails to comply with Supreme Court’s decision, he could still understand. But I fail to understand why the Centre itself is bent on committing contempt of court.”

Meanwhile, Baijal also tweeted that he met Kejriwal and assured him of his continued support.

Hours after the Supreme Court’s landmark judgment earlier this week, the Delhi government introduced  a new system for transfer and postings of bureaucrats, making the chief minister the approving authority.

However, the services department refused to comply, saying the Supreme Court did not abolish the notification issued in 2016 which made the MHA the authority for transfers and postings.

The Supreme Court in its landmark judgement on Wednesday had said the L-G is bound by the elected government’s advice and cannot be an “obstructionist”.

Earlier on Thursday, the chief minister requested all stakeholders to implement the court order on distribution of powers between the Delhi government and the L-G and said the verdict had clearly demarcated the areas of power sharing.

Echoing the views of the chief minister, his deputy Manish Sisodia tweeted, “I want to appeal to all the stakeholders to implement the order and work together for the development of Delhi. Sought time to meet Hon’ble L-G to seek his support and cooperation in the implementation of the order of Hon’ble SC and in the development of Delhi.”

He said the chief secretary had written to him, saying the services department would not follow the orders. “If they are not going to abide by it and the transfer files will still be seen by the L-G then it will amount to contempt of the Constitution Bench,” Sisodia told reporters.

Pakistan court sentences Nawaz Sharif to 10 years in jail in Avenfield case, daughter Maryam gets 7 years

Islamabad July 6:(courtesy GEO News)

An anti-graft court in Pakistan sentenced former Pakistan prime minister Nawaz Sharif to 10 years in jail and fine with £8 million in a corruption case involving the purchase of four luxury apartments in London’s Avenfield House. Sharif’s daughter Maryam was sentenced to seven years and fined £2 million in the case.

The case also involves Sharif’s son-in-law Captain (retired) Safdar, who was sentenced to one year in jail. Sharif’s two sons — Hasan and Hussain — who are also co-accused in the case have already been declared absconders in the case following their now show in the hearings.

The verdict, which has already been postponed once, comes ahead of the general elections in Pakistan on 25 July and will impact the poll prospects of the Pakistan Muslim League, Nawaz (PML-N), which is facing stiff competition from Imran Khan’s Pakistan Tehreek-e-Insaaf॰

With the trial court sentencing Maryam to jail, she stands disqualified for the general elections. Maryam has registered as a PML-N candidate for the upcoming polls from NA-127 (Lahore) seat.

The former Pakistan prime minister, however, continues to deny any wrongdoing and accused the military and courts conspiring to oust him and using legal cases and intimidation to help Khan’s PTI party, accusations denied by Khan, the army, and the judiciary.

Sharif, 67, resigned in July after the Supreme Court disqualified him from holding office over an undeclared source of income, but the veteran leader maintains his grip on the ruling Pakistan Muslim League-Nawaz (PML-N) party.

The latest pre-election polls have shown PTI gaining ground over PML-N. Khan, a former cricket captain of Pakistan, has portrayed the legal cases as a long-overdue corruption crackdown on the PML-N, which he has labelled a graft-ridden “mafia”.

Sharif has a history of differences with the military, which has ruled the nuclear-armed country for almost half of its history, and ousted him from power in 1999 in a bloodless coup.

Earlier this week, on Tuesday, the accountability court judge, Mohammad Bashir, had reserved his verdict and said that it will be announced on Friday. The court asked all accused to be present in the court for the hearing on Friday.

Nawaz, Maryam’s plea rejected

Sharif has been in London since last month to take care of his ailing wife Kulsoom Nawaz who is undergoing treatment for throat cancer.

In a press conference in London earlier this week, Sharif had said he would return to Pakistan irrespective of whether the verdict finds him guilty or not, as soon as his wife’s conditions improve. “Whether it comes in my favour, or, God forbid, it comes against me, I will go back,” he said, according to Reuters.

Nawaz and Maryam had filed a petition on Thursday, urging the anti-graft court to defer the verdict by seven days so they may be present in court when it is announced. Pakistan laws require the presence of the accused at the time of announcing the verdict. The court had then reserved its order on the plea till Friday.

According to GeoTV, on Friday, Maryam’s counsel Amzed Parvez submitted Begum Kulsoom Nawaz’s medical report and argued that the law stipulates the presence of the accused when the verdict is read out. The prosecution, however, opposed any delay at such a late stage of the trial.

After hearing the arguments on Friday from both sides on whether or not to defer the announcement of the verdict in the Avenfield graft case, the trial court was adjourned for an hour. Later, it dismissed Sharifs’ plea and set 12.30 pm as the time to announce the verdict on the Avenfield case. The trial court judgment was extended five times on Friday. After initially pushing it to 12.30 pm from the scheduled 11 am, the deadline was extended three more times to 2.30 pm, then to 3 pm and later to 3.30 pm before it was read at 4 pm.

Tight security in Islamabad

The Islamabad administration had reportedly imposed Section 144 in the capital to discourage mass gathering of supporters from various political parties.

Strict security arrangements, including paramilitary personnel, was placed at the Federal Judicial Complex, where the court is located, GeoTV said. The roads leading to the complex were also closed to traffic on Friday.

What were the charges against the Sharif family?

The charges include ownership of four posh London flats that resurfaced in Panama Papers. Sharif denied the ownership of the flats but said they were owned by his son Hussain Nawaz in 2006. However, the Sharif family admitted that they were residing in the flats since 1993.

In a statement before the court, it was submitted that the flats were owned by a Qatari consortium, which later transferred the ownership to the Sharif family in 2006. The accountability court has heard the case for nine and a half months.

Sharif’s sons, Hasan and Hussain,

The Sharifs have denied any corruption and wrongdoing. The former prime minister has described the corruption charges against him and his family as being politically motivated.

The trial against the Sharif family commenced on 14 September, 2017. Nawaz and his sons, Hussain and Hasan, are accused in all three cases while his daughter Maryam and son-in-law Safdar are accused in the Avenfield case only.

Findings of Joint Investigation Team

According to the Joint Investigation Team’s report submitted in the Panamagate case, the Sharifs had given contradictory statements about their London flats and found that the flats actually belonged to them since 1993, Pakistani media reported.

The JIT observed that either Hassan or Hussain or both had lied to hide some facts and hence they could not be given the benefit of doubt, the reports said.

महिला कांग्रेस की ओर से प्रोजेक्ट शक्ति नंबर का शुभारंभ

पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं राज्यसभा सांसद कुमारी शैलजा

 

 

हरियाणा प्रदेश महिला कांग्रेस की ओर से प्रोजेक्ट शक्ति नंबर का शुभारंभ।

इस “शक्ति” प्रोजेक्ट की लॉन्चिंग पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं राज्यसभा सांसद कुमारी शैलजा ने की।

हरियाणा प्रदेश महिला कांग्रेस की अध्यक्षा सुमित्रा चौहान और आयोजक रंजीता मेहता भी रही उपस्तिथ।

इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य महिलाओं को सीधा अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राहुल गांधी एवं अन्य वरिष्ठ नेताओं से सीधे कनेक्ट करवाना है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं राज्यसभा सांसद कुमारी शैलजा ने कहा—-

यह प्रोजेक्ट पूरे हरियाणा में शुरू किए जाएंगे और महिला कांग्रेस कार्यकर्ता सीधे राहुल गांधी से बात कर सकेंगे।

कहा चुनाव नजदीक आ रहे है और कांग्रेस की सरकार बनेगी।

कांग्रेस ने गुटबाजी पर बोलते हुए कहा हम सब एक है ,कांग्रेस के सभी काम कर रहे है।

पूर्व विधायक धरमसिंह छोक्कर के वाइरल वीडियो पर बोले उन्हें नही इसकी कोई जानकारी,टिप्पणी करने से बचती नजर आयी कुमारी शैलजा।

पत्नी की अत्महत्या से दुखी पति ने भी वही राह ली

रेणु और विजयकांंत

पंचकूला, जुलाई 6।

सेक्टर-16 निवासी महिला ने ट्रेन के आगे कूदकर खुदकशी कर ली। पति को जब घटना के बारे में पता चला तो वह भी अपनी सुधबुध खो बैठा और उसने भी ट्रेन के आगे कूदकर खुदकशी कर ली। दोनों की खुदकशी की सूचना के बाद परिवार में मातम छा गया। पति-पत्नी के शव को पोस्टमार्टम के लिए नागरिक अस्पताल के शवगृह में रखवा दिया गया है।

बताया जा रहा है कि पति-पत्नी विजयकांत व रेणु सेक्टर 16 में रहते थे। पड़ोसियों के मुताबिक उनका आपस में कोई विवाद नहीं था। इसके बावजूद उनकी आत्महत्या का कदम चौकाने वाला है। घर से कोई सुसाइड नोट भी बरामद नहीं हुआ है। जीआरपी चंडीगढ़ पुलिस मामले की जांच कर रही है।

विजयकांंत और रेणु के बीच प्रेम विवाह हुआ था। गत सायं से रेणु घर से गायब थी। पति उसे ढूंढ रहा था। इसी बीच जीआरपी थाने ने विजयकांत को बुलाया और फोटो दिखाई। यह फोटो विजयकांत की पत्नी रेणु की थी। रेणु ने ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या की थी। इसके बाद विजयकांत वहां से गया और वह भी ट्रेन के आगे कूद गया। रेणु और विजयकांंत के दो बच्चे हैं।

दिव्यांग श्रेणियों की संख्या सात से बढ़ाकर 21 की गई है : कृष्ण कुमार

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री श्री कृष्ण कुमार बेदी

 

चण्डीगढ़, 6 जुलाई

हरियाणा के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री श्री कृष्ण कुमार बेदी ने कहा है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की दिव्यांगों के संवेदनशीलता के प्रति ही दिव्यांग अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत दिव्यांग श्रेणियों की संख्या सात से बढ़ाकर 21 की गई है। हरियाणा में शीघ्र की दिव्यांग नियम, 2017 के क्रियान्वयन के लिए राज्य स्तरीय सलाहकार बोर्ड का गठन किया जाएगा।

श्री बेदी आज हरियाणा सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग तथा पंजाब विश्वविद्यालय चण्डीगढ़ के सामाजिक कार्य विभाग के सहयोग से विश्वविद्यालय के गोल्डन जुबली कॉन्फ्रेंस हॉल में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।
श्री बेदी ने दिव्यंागजनों को प्रोत्साहित करने के लिए सर्वश्रेष्ठ दिव्यांग कर्मचारी, स्व रोजगार चलाने वाले दिव्यांगो के नियोक्ता एवं दिव्यांग व्यक्तियों के प्लैसमेंट अधिकारी व एजेंसी, व्यक्ति संस्था, सृजनशील दिव्यांग एवं खिलाड़ी को प्रतिवर्ष दी जा रही 10 हजार से 50 हजार रुपये की पुरस्कार राशि में बढ़ोतरी करने के निर्देश में उपस्थित अधिकारियोंं को दिए। उन्होंने बताया कि दिव्यांग दोस्ताना वैबसाइट डिजाइन करने के लिए हरियाणा में 69 विभागों की पहचान की गई जिनमें 30 विभागें ने अपनी वैबसाईट शुरू की जा चुकी है।

श्री बेदी ने इस कार्यशाला के आयोजन की पहल करने के लिए विभाग के प्रधान सचिव श्रीमती नीरजा शेखर व निदेेशक श्रीमती गौरी प्राशर जोशी तथा सहयोग के लिए विश्वविद्यालय के समाजिक कार्य विभाग की चैयरयपर्सन श्रीमती मोनिका मुंजाल व अन्य संकाय सदस्यों का आभार व्यक्त किया।

उन्होंने बताया की हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल दिव्यांगजनों के प्रति संवेदनशील है और उन्हीं के प्रयासों के फलस्वरूप करनाल में मूक, बधिर व नेत्रहीन व्यक्त्यिों के लिए महाविद्यालय स्तर के एक संस्थान केन्द्र सरकार के माध्यम से खोली जा रही है जिसके लिए हरियाणा सरकार जमीन उपलब्ध करवाएगी जो पानीपत में अंध विद्यालय का दर्जा बढ़ाएंगे।

विभिन्न विभागों ,गैर सरकारी संगठनो, विशिष्टï दिव्यांगजनों व अन्य स्टेक हाल्र्डस का कार्यशाला में भाग लेने के लिए मंत्री ने कहा कि दिनभर चलने वाले इस चिंतन मंथन शिविर से निश्चित रूप से दिव्यांगजनों के शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक एव आर्थिक सामनता के सुझाव उभरकर आएंगे जो दिव्यांगजन अधिनियम,2016 के कार्यान्वयन में राज्य सरकार के लिए नियम बनाने में कारगर व महत्वपूर्ण सिद्घ होंगे।

श्री बेदी ने हरियाणा में दिव्यांगजनों के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं व कार्यक्रमों की जानकारी पर भी विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के वर्ष 2018-19 के कुल 6077 करोड़ रुपये के आवंटन बजट में दिव्यांगजनों के कल्याण हेतु 412.67 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में दिव्यांगजनों की कुल संख्या 5,46,374 है। जिनमें 1,37,314 मूक एवं बधिर, 82,702 दृष्टिïबाधित, 1,16,026 अस्थिबाधित, 30,070 मन्दबुद्घि, 16191 मानसिक रूप से बीमार, 47250 बहुदिव्यांगता व अन्य दिव्यंगता की संख्या 1,16,821 है।

श्री बेदी ने बताया कि हरियाणा में दिव्यांग व्यक्तियों के लिए चलाई जा रही पें’शन योजना के तहत 1,54000 पात्र व्यक्तियों को लाभ दिया जा रहा है। नवम्बर,2017 से इन्हें 18 हजार रुपये मासिक पेेशन दी जा रही है जबकि नवम्बर, 2018 सेें इसमें 200 रुपये की वृद्घि कर 2000 रुपये मासिक किया जाएगा। चालू वित्त वर्ष के दौरान इसके लिए 356.28 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

No Excuses Wear A Helmet

UT administrator has issued notification exempting only turbaned Sikh women two-wheeler riders.


Chandigarh administrator VP Singh Badnore issued the notification exempting only turbaned Sikh women two-wheeler riders


Chandigarh July 06,

Helmets have been made mandatory for women two-wheeler riders barring those who wear a turban.

Punjab governor and Chandigarh administrator VP Singh Badnore on Friday issued a notification that exempts only turbaned Sikh women from wearing a helmet while riding two-wheelers in Chandigarh. The order comes into immediate effect.

The decision had been pending since May when the Chandigarh administration had received 14 suggestions, of which seven were in favour of exempting only Sikh women, while the rest were against it. Senior UT officers sent their recommendations to the administrator for a decision.

On April 21, following the directions of the Punjab and Haryana high court, the Chandigarh administration had proposed that all women, except those who were Sikh and wore turbans, will have to wear helmets.

Proposing amendment in Rule 193 of the Chandigarh Motor Vehicle Rules, 1990, the UT had invited objections and suggestions from people within 30 days, from the date of publication of the draft notification in the extraordinary gazette.

The Chandigarh administration had proposed the amendment considering the safety of women, including that of Sikh women who did not wear a turban, particularly in view of the fatalities occurring in road accidents.

In his objection, Hardeep Singh Buterla, president of the Shiromani Akali Dal (SAD), said, “Women wearing helmet is totally against Sikhism. Amending the Chandigarh Motor Vehicle Rules, 1990, will hurt sentiments of Sikhs. We will not allow this to happen.”

On the other hand, RK Garg, president, Second Innings Association, said, “Wearing helmets is mandated for all those riding two-wheelers, but the state government is competent to make relaxation for some categories of two-wheeler riders. In view the high fatality rate of two-wheeler riders, including women, it is the need of the hour that for saving precious lives of all two-wheeler riders, wearing headgear may be made compulsory, as in case of accidents it is not the religion but the life that is the most important.”

After re-evaluation, another Ludhiana girl is class 12 state topper in sports category at PSEB


Damanpreet Kaur of Teja Singh Sutantar Memorial Senior Secondary School was ranked 19 in merit list of sports students. After re-evaluation, her marks have been revised from 429/450 to 450/450.


In a shocker from Punjab School Education Board (PSEB), a Ludhiana girl who applied for re-evaluation in two subjects is now the state topper in class 12 exams (sports category), results of which were announced on April 23. Damanpreet Kaur of Teja Singh Sutantar Memorial Senior Secondary School was ranked 19 in the merit list of sports students. After re-evaluation, her marks have been revised from 429/450 to 450/450.Thus she is the third student now scoring 100 per cent marks in the sports category. Earlier Prachi Gaur and Pushwinder Kaur, both from Ludhiana scored 100 per cent in humanities and topped the state in the sports category.

Damanpreet Kaur had filed revaluation for sociology and Punjabi subjects but she has been given full marks in all subjects. She had earlier scored 92/100 in sociology, 68/75 in Punjabi, 74/75 in English, 98/100 in History and 97/100 in Physical education.

A softball player, she said, “I filed revaluation for Sociology and Punjabi as I was not satisfied with the marks. I was confident of securing a state rank. However, the result was a disappointment for me. Now the fresh marks prove that there was a goof up earlier.”

This year, a total of 3,18,834 students had registered for the plus-two exam and about 80,000 had to re-appear in both the classes.

CJI’s role cannot be interpreted to include the Collegium

Chief Justice of India Dipak Misra. The SC upheld the CJI’s role as ‘Master of Roster’ and disposed of a petition filed by senior advocate Shanti Bhushan. (Express Photo/File)


The Supreme Court upheld the Chief Justice of India’s role as “Master of Roster”. Justices Sikri and Bhushan delivered two separate but concurring judgements upholding the prerogative of the CJI in the allocation of cases.


The Supreme Court Friday upheld the Chief Justice of India’s role as “Master of Roster”. A two-judge bench, comprising Justices A K Sikri and Ashok Bhushan, stated that the CJI’s role cannot be interpreted to include the Collegium when it comes to the allocation for cases as it will make day-to-day functioning difficult.

Disposing of the petition filed by senior advocate Shanti Bhushan, Justice A K Sikri said, “Erosion of respect for the Judiciary in public minds is the greatest threat to the independence of the institution.”

Justices Sikri and Bhushan delivered two separate but concurring judgements upholding the prerogative of the CJI in allocating cases.

Reacting to the verdict, advocate Prashant Bhushan, who represented Shanti Bhushan in court, tweeted, “Sad that SC today ruled that CJI can unilaterally decide allocation of cases. 4 judges pointed out in PC that CJI was abusing his powers in allotting sensitive cases like Loya’s, medical college scam etc. Unfortunate that SC has not insulated itself from abuse of CJI’s powers.”

In his petition, Shanti Bhushan had questioned the CJI as the ‘Master of Roster’ and wanted either the Collegium or a full court to decide the allocation of cases.

Attorney General K K Venugopal, in response to the plea, had argued that the role “requires decision on several aspects and that is not something that five (the Collegium) or all of them (judges) can sit and thrash it out”. He also told the court that “this is not like the appointment of judges… where the judges (of the Collegium) are not personally involved (they decide on the files of others). Here, they are personally involved, and each may want to hear cases of a particular jurisdiction”.

To this, Prashant Bhushan countered that it was safer to have a collective decision as the CJI, too, could want to hear cases of a particular jurisdiction.

In January this year, four senior-most judges — Justices J Chelameswar (since retired), Ranjan Gogoi, Madan B Lokur and Kurian Joseph — of the Supreme Court, in an unprecedented press conference, said that the situation in the apex court was “not in order” and many “less than desirable” things had taken place.