राष्ट्रीय मुस्लिम एकता मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष इंद्रेश कुमार ने बड़ा बयान दिया है. इंद्रेश कुमार ने कहा है कि क्या हमारे ग्रंथों में भारत का टूटना ही लिखा है? भारत का विस्तार भी हो सकता है. क्या आप लाहौर तक जाना नहीं चाहते हैं? राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार ने सीएए के साथ खालिस्तानी समर्थकों को भी नसीहत दी है। इंद्रेश का कहना है कि खालसा पंथ की स्थापना धर्म की रक्षा के लिए की थी, उस समय कौन धर्म था यह सबको पता है। अभी हमें जो कमी खलती है, वह ननकाना साहिब और करतारपुर साहिब की है, ऐसे में इन्हें भी देश में जोड़ने के लिए प्रयास करना चाहिए।
चंडीगढ़ :
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक और राष्ट्रीय मुस्लिम एकता मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष इंद्रेश कुमार ने बड़ा बयान दिया है. इंद्रेश कुमार ने कहा है कि क्या हमारे ग्रंथों में भारत का टूटना ही लिखा है? भारत का विस्तार भी हो सकता है. क्या आप लाहौर तक जाना नहीं चाहते हैं? कुमार ने क्रिश्चियन देशों और मुस्लिम देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के खिलाफ भी अल्पसंख्यकों पर जुल्म बंद करने को लेकर नारे लगवाए. कुमार ने कहा कि क्या ऐसी मानवता को सेल्यूट करेंगे? इंद्रेश कुमार शनिवार को चंडीगढ़ में एक इंजीनियरिंग कॉलेज के 50 साल पूरे होने के मौके पर बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई के 50 सालों के मौके पर चंडीगढ़ आया हूं. लगता है कि 60 साल पूरे होने के मौके पर यह कार्यक्रम लाहौर में होगा.
‘क्या आप लाहौर तक जाना नहीं चाहते हैं?’
आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार ने कहा कि भारत जब जम्मू-कश्मीर की बात करता है तो पीओके (POK) भी उसका हिस्सा होता है और लेह-लद्दाख भी. ऐसा करके हमने पाकिस्तान और चीन से पूरी तरह से पंगा ले रखा है. ये हिस्से अब उनसे वापस भी लेने होंगे. इंद्रेश कुमार ने खालिस्तान की मांगने वालों को भी जमकर लताड़ लगाई. कुमार ने कहा कि अगर खालिस्तान बनाना है तो सिखों के कई पवित्र स्थल पाकिस्तान में हैं. खालिस्तान बिना गुरु की नगरी लाहौर के नहीं बन सकता और खालिस्तान बनानों वालों को पाकिस्तान से लाहौर और ननकाना साहिब भी लेना होगा.
सारा हिन्दुस्तान खालिस्तान है और सारा खालिस्तान हिंदुस्तान है. हिंदुस्तान को छोटा करने में क्यूं लगे हो. हम ही हिंदुस्तान का नाम बदलकर खालिस्तान रख लेंगे. देश को बड़ा करो. इस देश के वैसे भी की नाम है एक खालिस्तान और रख लेंगे. राजनीति के चक्कर में देश को बांटने की बात मत करो. CAA का विरोध करने वाले देश विरोधी और देशद्रोही हैं.’
CAA के समर्थन में नारे लगवाए
इंद्रेश कुमार ने कार्यक्रम में CAA के समर्थन में नारे लगवाए. इंद्रेश कुमार ने कहा कि अगर किसी स्कूल कॉलेज में रजिस्टर होता है और वहां पर सब पढ़ने वालों का आंकड़ा होता है. वोटर लिस्ट में होता है तो देश के नागरिकों का रजिस्टर क्यों नहीं बनना चाहिए. बापू ने घोषणा की थी कि भारत का विभाजन मेरी चिता पर होगा. कांग्रेस के नेताओं ने रावी का पानी हाथ में लेकर सौगंध भी खाई, लेकिन अंग्रेजों ने जिन्ना और नेहरू के प्रधानमंत्री के मोह को देखते हुए धर्म के नाम पर देश का बंटवारा करवा दिया. कांग्रेस ने देश को आजादी नहीं दिलवाई बल्कि देश का विभाजन करवा दिया अब कोई कहता है कि कांग्रेस ने देश को आजादी दिलवाई मुझे उसकी बौद्धिक क्षमता पर संदेह है.कुमार ने कहा कि देश विभाजन के वक्त ही CAA का जन्म हुआ था. बापू ने उसी वक्त कहा था कि विभाजन के बाद पाकिस्तान में हमारे अल्पसंख्यक हिंदू और सिख सुरक्षित नहीं है और उन्हें भारत को नागरिकता दे देनी चाहिए. अगर अब कोई CAA का विरोध कर रहा है तो वो बापू की इस बात का विरोध कर रहा है.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/02/1552827379RSS.jpg4961055Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-02-16 15:42:492020-02-16 15:43:41इंजीनियरिंग की पढ़ाई के 50 सालों के मौके पर चंडीगढ़ आया हूं, क्या 60 साल पूरे होने के मौके पर यह कार्यक्रम लाहौर में होगा?: इंद्रेश कुमार
भारत में अवैध घुसपैठिए से किसको फायदा हो रहा है, ये घुसपैठिए किसके वोट बैंक बने हुए हैं। अभी हाल में पश्चिम बंगाल में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने दावा किया कि बंगाल में तकरीबन 50 लाख मुस्लिम घुसपैठिए हैं, जिनकी पहचान की जानी है और उन्हें देश से बाहर किया जाएगा। बीजेपी नेता के दावे में अगर सच्चाई है तो पश्चिम बंगाल में मौजूद 50 घुसपैठियों का नाम अगर मतदाता सूची से हटा दिया गया तो सबसे अधिक नुकसान किसी का होगा तो वो पार्टी होगी टीएमसी को होगा, जो एनआरसी का सबसे अधिक विरोध कर रही है और एनआरसी के लिए मरने और मारने पर उतारू हैं।
नयी दिल्ली
असम एनआरसी के बाद पूरे भारत में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) बनाने की कवायद भले ही अभी पाइपलाइन में हो और इसका विरोध शुरू हो गया है, लेकिन क्या आपको मालूम है कि भारत के सरहद से सटे लगभग सभी पड़ोसी मुल्क मसलन पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका जैसे देशों में नागरिकता रजिस्टर कानून है।
पाकिस्तान में नागरिकता रजिस्टर को CNIC, अफगानिस्तान में E-Tazkira,बांग्लादेश में NID, नेपाल में राष्ट्रीय पहचानपत्र और श्रीलंका में NIC के नाम से जाना जाता है। सवाल है कि आखिर भारत में ही क्यों राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC)कानून बनाने को लेकर बवाल हो रहा है। यह इसलिए भी लाजिमी है, क्योंकि आजादी के 73वें वर्ष में भी भारत के नागरिकों को रजिस्टर करने की कवायद क्यों नहीं शुरू की गई। क्या भारत धर्मशाला है, जहां किसी भी देश का नागरिक मुंह उठाए बॉर्डर पार करके दाखिल हो जाता है या दाखिल कराया जा रहा है।
भारत में अवैध घुसपैठिए से किसको फायदा हो रहा है, ये घुसपैठिए किसके वोट बैंक बने हुए हैं। अभी हाल में पश्चिम बंगाल में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने दावा किया कि बंगाल में तकरीबन 50 लाख मुस्लिम घुसपैठिए हैं, जिनकी पहचान की जानी है और उन्हें देश से बाहर किया जाएगा। बीजेपी नेता के दावे में अगर सच्चाई है तो पश्चिम बंगाल में मौजूद 50 घुसपैठियों का नाम अगर मतदाता सूची से हटा दिया गया तो सबसे अधिक नुकसान किसी का होगा तो वो पार्टी होगी टीएमसी को होगा, जो एनआरसी का सबसे अधिक विरोध कर रही है और एनआरसी के लिए मरने और मारने पर उतारू हैं।
बीजेपी नेता के मुताबिक अगर पश्चिम बंगाल से 50 लाख घुसैपठियों को नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया तो टीएमसी प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के वोट प्रदेश में कम हो जाएगा और आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कम से कम 200 सीटें मिलेंगी और टीएमसी 50 सीटों पर सिमट जाएगी। बीजेपी नेता दावा राजनीतिक भी हो सकता है, लेकिन आंकड़ों पर गौर करेंगे तो पाएंगे कि उनका दावा सही पाया गया है और असम के बाद पश्चिम बंगाल दूसरा ऐसा प्रदेश है, जहां सर्वाधिक संख्या में अवैध घुसपैठिए डेरा जमाया हुआ है, जिन्हें पहले पश्चिम बंगाल की वामपंथी सरकारों ने वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया।
ममता बनर्जी अब भारत में अवैध रूप से घुसे घुसपैठियों का पालन-पोषण वोट बैंक के तौर पर कर रही हैं। वर्ष 2005 में जब पश्चिम बंगला में वामपंथी सरकार थी जब ममता बनर्जी ने कहा था कि पश्चिम बंगाल में घुसपैठ आपदा बन गया है और वोटर लिस्ट में बांग्लादेशी नागरिक भी शामिल हो गए हैं। दिवंगत अरुण जेटली ने ममता बनर्जी के उस बयान को री-ट्वीट भी किया, जिसमें उन्होंने लिखा, ‘4 अगस्त 2005 को ममता बनर्जी ने लोकसभा में कहा था कि बंगाल में घुसपैठ आपदा बन गया है, लेकिन वर्तमान में पश्चिम बंगाल में वही घुसपैठिए ममता बनर्जी को जान से प्यारे हो गए है।
क्योंकि उनके एकमुश्त वोट से प्रदेश में टीएमसी लगातार तीन बार प्रदेश में सत्ता का सुख भोग रही है। शायद यही वजह है कि एनआरसी को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सबसे अधिक मुखर है, क्योंकि एनआरसी लागू हुआ तो कथित 50 लाख घुसपैठिए को बाहर कर दिया जाएगा। गौरतलब है असम इकलौता राज्य है जहां नेशनल सिटीजन रजिस्टर लागू किया गया। सरकार की यह कवायद असम में अवैध रूप से रह रहे अवैध घुसपैठिए का बाहर निकालने के लिए किया था। एक अनुमान के मुताबिक असम में करीब 50 लाख बांग्लादेशी गैरकानूनी तरीके से रह रहे हैं। यह किसी भी राष्ट्र में गैरकानूनी तरीके से रह रहे किसी एक देश के प्रवासियों की सबसे बड़ी संख्या थी।
दिलचस्प बात यह है कि असम में कुल सात बार एनआरसी जारी करने की कोशिशें हुईं, लेकिन राजनीतिक कारणों से यह नहीं हो सका। याद कीजिए, असम में सबसे अधिक बार कांग्रेस सत्ता में रही है और वर्ष 2016 विधानसभा चुनाव में बीजेपी पहली बार असम की सत्ता में काबिज हुई है। दरअसल, 80 के दशक में असम में अवैध घुसपैठिओं को असम से बाहर करने के लिए छात्रों ने आंदोलन किया था। इसके बाद असम गण परिषद और तत्कालीन राजीव गांधी सरकार के बीच समझौता हुआ। समझौते में कहा गया कि 1971 तक जो भी बांग्लादेशी असम में घुसे, उन्हें नागरिकता दी जाएगी और बाकी को निर्वासित किया जाएगा।
लेकिन इसे अमल में नहीं लाया जा सका और वर्ष 2013 में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। अंत में अदालती आदेश के बाद असम एनआरसी की लिस्ट जारी की गई। असम की राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर सूची में कुल तीन करोड़ से अधिक लोग शामिल होने के योग्य पाए गए जबकि 50 लाख लोग अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाए, जिनमें हिंदू और मुस्लिम दोनों शामिल हैं। सवाल सीधा है कि जब देश में अवैध घुसपैठिए की पहचान होनी जरूरी है तो एनआरसी का विरोध क्यूं हो रहा है, इसका सीधा मतलब राजनीतिक है, जिन्हें राजनीतिक पार्टियों से सत्ता तक पहुंचने के लिए सीढ़ी बनाकर वर्षों से इस्तेमाल करती आ रही है। शायद यही कारण है कि भारत में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर जैसे कानून की कवायद को कम तवज्जो दिया गया।
असम में एनआरसी सुप्रीम कोर्ट की दखल के बाद संपन्न कराया जा सका और जब एनआरसी जारी हुआ तो 50 लाख लोग नागरिकता साबित करने में असमर्थ पाए गए। जरूरी नहीं है कि जो नागरिकता साबित नहीं कर पाए है वो सभी घुसपैठिए हो, यही कारण है कि असम एनआरसी के परिपेच्छ में पूरे देश में एनआरसी लागू करने का विरोध हो रहा है। लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि भारत में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर नहीं होना चाहिए। भारत में अभी एनआरसी पाइपलाइन का हिस्सा है, जिसकी अभी ड्राफ्टिंग होनी है। फिलहाल सीएए के विरोध को देखते हुए मोदी सरकार ने एनआरसी को पीछे ढकेल दिया है।
पूरे देश में एनआरसी के प्रतिबद्ध केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कह चुके हैं कि 2024 तक देश के सभी घुसपैठियों को बाहर कर दिया जाएगा। संभवतः गृहमंत्री शाह पूरे देश में एनआरसी लागू करने की ओर इशारा कर रहे थे। यह इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि देश के विकास के लिए बनाए जाने वाल पैमाने के लिए यह जानना जरूरी है कि भारत में नागरिकों की संख्या कितनी है। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में, वहां के सभी वयस्क नागरिकों को 18 वर्ष की आयु तक पहुंचने पर एक यूनिक संख्या के साथ कम्प्यूटरीकृत राष्ट्रीय पहचान पत्र (CNIC) के लिए पंजीकरण करना होता है। यह पाकिस्तान के नागरिक के रूप में किसी व्यक्ति की पहचान को प्रमाणित करने के लिए एक पहचान दस्तावेज के रूप में कार्य करता है।
इसी तरह पड़ोसी मुल्क अफगानिस्तान में भी इलेक्ट्रॉनिक अफगान पहचान पत्र (e-Tazkira) वहां के सभी नागरिकों के लिए जारी एक राष्ट्रीय पहचान दस्तावेज है, जो अफगानी नागरिकों की पहचान, निवास और नागरिकता का प्रमाण है। वहीं, पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश, जहां से भारत में अवैध घुसपैठिए के आने की अधिक आशंका है, वहां के नागरिकों के लिए बांग्लादेश सरकार ने राष्ट्रीय पहचान पत्र (NID) कार्ड है, जो प्रत्येक बांग्लादेशी नागरिक को 18 वर्ष की आयु में जारी करने के लिए एक अनिवार्य पहचान दस्तावेज है।
सरकार बांग्लादेश के सभी वयस्क नागरिकों को स्मार्ट एनआईडी कार्ड नि: शुल्क प्रदान करती है। जबकि पड़ोसी मुल्क नेपाल का राष्ट्रीय पहचान पत्र एक संघीय स्तर का पहचान पत्र है, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति के लिए विशिष्ट पहचान संख्या है जो कि नेपाल के नागरिकों द्वारा उनके बायोमेट्रिक और जनसांख्यिकीय डेटा के आधार पर प्राप्त किया जा सकता है।
पड़ोसी मुल्क श्रीलंका में भी नेशनल आइडेंटिटी कार्ड (NIC) श्रीलंका में उपयोग होने वाला पहचान दस्तावेज है। यह सभी श्रीलंकाई नागरिकों के लिए अनिवार्य है, जो 16 वर्ष की आयु के हैं और अपने एनआईसी के लिए वृद्ध हैं, लेकिन एक भारत ही है, जो धर्मशाला की तरह खुला हुआ है और कोई भी कहीं से आकर यहां बस जाता है और राजनीतिक पार्टियों ने सत्ता के लिए उनका वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करती हैं। भारत में सर्वाधिक घुसपैठियों की संख्या असम, पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड में बताया जाता है।
भारत सरकार के बॉर्डर मैनेजमेंट टास्क फोर्स की वर्ष 2000 की रिपोर्ट के अनुसार 1.5 करोड़ बांग्लादेशी घुसपैठ कर चुके हैं और लगभग तीन लाख प्रतिवर्ष घुसपैठ कर रहे हैं। हाल के अनुमान के मुताबिक देश में 4 करोड़ घुसपैठिये मौजूद हैं। पश्चिम बंगाल में वामपंथियों की सरकार ने वोटबैंक की राजनीति को साधने के लिए घुसपैठ की समस्या को विकराल रूप देने का काम किया। कहा जाता है कि तीन दशकों तक राज्य की राजनीति को चलाने वालों ने अपनी व्यक्तिगत राजनीतिक महत्वाकांक्षा के कारण देश और राज्य को बारूद की ढेर पर बैठने को मजबूर कर दिया। उसके बाद राज्य की सत्ता में वापसी करने वाली ममता बनर्जी बांग्लादेशी घुसपैठियों के दम पर मुस्लिम वोटबैंक की सबसे बड़ी धुरंधर बन गईं।
भारत में नागरिकता से जुड़ा कानून क्या कहता है?
नागरिकता अधिनियम, 1955 में साफ तौर पर कहा गया है कि 26 जनवरी, 1950 या इसके बाद से लेकर 1 जुलाई, 1987 तक भारत में जन्म लेने वाला कोई व्यक्ति जन्म के आधार पर देश का नागरिक है। 1 जुलाई, 1987 को या इसके बाद, लेकिन नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2003 की शुरुआत से पहले जन्म लेने वाला और उसके माता-पिता में से कोई एक उसके जन्म के समय भारत का नागरिक हो, वह भारत का नागरिक होगा। नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2003 के लागू होने के बाद जन्म लेने वाला कोई व्यक्ति जिसके माता-पिता में से दोनों उसके जन्म के समय भारत के नागरिक हों, देश का नागरिक होगा। इस मामले में असम सिर्फ अपवाद था। 1985 के असम समझौते के मुताबिक, 24 मार्च, 1971 तक राज्य में आने वाले विदेशियों को भारत का नागरिक मानने का प्रावधान था। इस परिप्रेक्ष्य से देखने पर सिर्फ असम ऐसा राज्य था, जहां 24 मार्च, 1974 तक आए विदेशियों को भारत का नागरिक बनाने का प्रावधान था।
क्या है एनआरसी और क्या है इसका मकसद?
एनआरसी या नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन बिल का मकसद अवैध रूप से भारत में अवैध रूप से बसे घुसपैठियों को बाहर निकालना है। बता दें कि एनआरसी अभी केवल असम में ही पूरा हुआ है। जबकि देश के गृह मंत्री अमित शाह ये साफ कर चुके हैं कि एनआरसी को पूरे भारत में लागू किया जाएगा। सरकार यह स्पष्ट कर चुकी है कि एनआरसी का भारत के किसी धर्म के नागरिकों से कोई लेना देना नहीं है इसका मकसद केवल भारत से अवैध घुसपैठियों को बाहर निकालना है।
एनआरसी में शामिल होने के लिए क्या जरूरी है? एनआरसी के तहत भारत का नागरिक साबित करने के लिए किसी व्यक्ति को यह साबित करना होगा कि उसके पूर्वज 24 मार्च 1971 से पहले भारत आ गए थे। बता दें कि अवैध बांग्लादेशियों को निकालने के लिए इससे पहले असम में लागू किया गया है। अगले संसद सत्र में इसे पूरे देश में लागू करने का बिल लाया जा सकता है। पूरे भारत में लागू करने के लिए इसके लिए अलग जरूरतें और मसौदा होगा।
एनआरसी के लिए किन दस्तावेजों की जरूरत है?
भारत का वैध नागरिक साबित होने के लिए एक व्यक्ति के पास रिफ्यूजी रजिस्ट्रेशन, आधार कार्ड, जन्म का सर्टिफिकेट, एलआईसी पॉलिसी, सिटिजनशिप सर्टिफिकेट, पासपोर्ट, सरकार के द्वारा जारी किया लाइसेंस या सर्टिफिकेट में से कोई एक होना चाहिए। चूंकि सरकार पूरे देश में जो एनआरसी लाने की बात कर रही है, लेकिन उसके प्रावधान अभी तय नहीं हुए हैं। यह एनआरसी लाने में अभी सरकार को लंबी दूरी तय करनी पडे़गी। उसे एनआरसी का मसौदा तैयार कर संसद के दोनों सदनों से पारित करवाना होगा। फिर राष्ट्रपति के दस्तखत के बाद एनआरसी ऐक्ट अस्तित्व में आएगा। हालांकि, असम की एनआरसी लिस्ट में उन्हें ही जगह दी गई जिन्होंने साबित कर दिया कि वो या उनके पूर्वज 24 मार्च 1971 से पहले भारत आकर बस गए थे।
क्या NRC सिर्फ मुस्लिमों के लिए ही होगा?
किसी भी धर्म को मानने वाले भारतीय नागरिक को CAA या NRC से परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है। एनआरसी का किसी धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। यह भारत के सभी नागरिकों के लिए होगा। यह नागरिकों का केवल एक रजिस्टर है, जिसमें देश के हर नागरिक को अपना नाम दर्ज कराना होगा।
क्या धार्मिक आधार पर लोगों को बाहर रखा जाएगा?
यह बिल्कुल भ्रामक बात है और गलत है। NRC किसी धर्म के बारे में बिल्कुल भी नहीं है। जब NRC लागू किया जाएगा, वह न तो धर्म के आधार पर लागू किया जाएगा और न ही उसे धर्म के आधार पर लागू किया जा सकता है। किसी को भी सिर्फ इस आधार पर बाहर नहीं किया जा सकता कि वह किसी विशेष धर्म को मानने वाला है।
NRC में शामिल न होने वाले लोगों का क्या होगा?
अगर कोई व्यक्ति एनआरसी में शामिल नहीं होता है तो उसे डिटेंशन सेंटर में ले जाया जाएगा जैसा कि असम में किया गया है। इसके बाद सरकार उन देशों से संपर्क करेगी जहां के वो नागरिक हैं। अगर सरकार द्वारा उपलब्ध कराए साक्ष्यों को दूसरे देशों की सरकार मान लेती है तो ऐसे अवैध प्रवासियों को वापस उनके देश भेज दिया जाएगा।
आभार, Shivom Gupta
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/01/nrcn-1578736214-1579523229.jpg338600Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-01-22 02:49:502020-01-22 02:49:53जब छोटे-छोटे पड़ोसी मुल्कों में हैं नागरिकता रजिस्टर कानून! भारत में ही NRC का विरोध क्यों?
To give a boost to the youth and bring out the best from the young talent, a renowned company Quest Rempli Films and Actor Yograj Singh have formed a working group to develop High Standard for New Talent in Punjabi Film/Music Industry. It is designed to take the relationship between a social media celebrity and their audience beyond videos and encourage a more interactive experience.
If you’re looking to sharpen your teeth with like-minded talents, there’s no better way .The Goal of this working group is to simplify development for newcomers and create good content for Movies/Music industry. Under the Mentorship of Yograj Singh, Company Directors namely Neena Bundhel and Amitoj Garg will take an open -source approach for the development and implementation of a new, unified connectivity working protocol in Film/Music Industry. With the same positive belief Punjabi Film Industry’s Music Director Sukhpal Sukh is on Board as “Music Head” with Quest Rempli Films.This platform will be welcoming all upcoming singers, writers, and artists from across the world to participate in and contribute to the perfect standard. Aiming High with all marketing strategies this working team is packed with all necessary platforms like talent hunt, artist workshops, film and music production unit, TRU Digital Unit.
“We are committed to final delivering a curated catalogue where every service offers young mind a new innovative experience that pushed the boundaries of what a film can be “, said Neena Bundhel.
“Quest Rempli Films and Music are great new addition to industry. We are really excited and we are sure that we will be able to give a platform where the true talent have the best chance to win” said Amitoj Garg.
They have already assigned two artist in company namely Pinky Paras (USA) and Gul Hassan (NEWZEALAND).Quest Rempli Films ‘s in 2020 upcoming music attractions of Sukhpal Sukh’s is Gurlej Aktar & Baljit Sandhu’s ONLINE CHARCHE , New talents are J-Raj ” Bilando” and Gavvy – B “Tareef”. Untitled Movie Projects are in pipeline for later part of the year. QRF Group will live with the dreams of all participants and help them to reach their goals with great motivation and professional approach.So you want to know how to become an actor? Well, you’ve come to the right place! If one thing is for certain in this business, however, it’s that there is more than one road to success.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/01/IMG_20200106_113410.jpg23044608Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-01-06 15:45:202020-01-06 15:46:00Impressive Podium For Talent
Baghdad: The New York Times Jan 03, 2020 12:48:32 IST
In July 2018, after President Donald Trump warned Iran’s president not to threaten the United States, a rejoinder came not from the Iranian leader but from a military figure perhaps even more powerful.
“It is beneath the dignity of our president to respond to you,” Major General Qassem Soleimani declared in a speech in western Iran. “I, as a soldier, respond to you.”
On Friday, Soleimani was reported killed in an airstrike in Baghdad.
The general, a once-shadowy figure who enjoyed celebrity-like status among the hard-line conservatives in Iran, was a figure of intense interest to people inside and outside the country.
It is not just that he was in charge of Iranian intelligence gathering and covert military operations, and regarded as one of its most cunning and autonomous military figures. He was also believed to be very close to the country’s supreme leader, Ayatollah Ali Khamenei — and seen as a potential future leader of Iran.
That Soleimani was in Iraq when he was killed at age 62, at Baghdad International Airport, was not surprising.
He was in charge of the Quds Force of Iran’s Revolutionary Guard, a special forces unit that undertakes Iranian missions in other countries. He had been named to lead it in the late 1990s.
In that role, Soleimani was believed to be the chief strategist behind Iran’s military ventures and influence in Syria, Iraq and elsewhere in the region and beyond. He was considered the most effective military intelligence official in the region.
A senior Iraqi intelligence official once told US officials in Baghdad that Soleimani had described himself as the “sole authority for Iranian actions in Iraq.”
In his speech denouncing Trump, he was even less discreet — and openly mocking.
“We are near you, where you can’t even imagine,” he said. “We are ready. We are the man of this arena.”
Well before the speech, US officials had learned to see Soleimani as a formidable adversary.
After the 2003 US-led invasion of Iraq that toppled Saddam Hussein, the United States accused Soleimani of plotting attacks on US soldiers.
The general worked to expand Iran’s influence in Iraq, tying down the US military. The Iranian government was determined to retain its influence in the region and felt threatened by the expanding US military presence on its western and eastern flanks.
And in 2011, the Treasury Department placed him on a sanctions blacklist, accusing him of complicity in what US officials called a plot to kill the Saudi ambassador to Washington.
But at times, the adversary looked more like ally, however tenuous the relationship. US officials cooperated with the Iranian general in Iraq to reverse gains made by the Islamic State — a mutual enemy.
At the height of the Iraq War, as the Quds Force under Soleimani armed and trained Shiite militias in Iraq, the general was stoking violence and then mediating the conflict so he could make himself indispensable and keep the Iraqis off balance, former US officials have said.
According to a June 2008 cable written by Ryan Crocker, then the US ambassador to Baghdad, Soleimani played a role in brokering a cease-fire that enabled the battered Shiite militias in the Sadr City neighborhood of Baghdad, which Iran was supporting, to withdraw.
In 2015, Soleimani was in the northern Iraqi city of Tikrit, commanding Iraqi Shiite militias that were trying to recapture it from ISIS fighters. U.S. warplanes belatedly joined that campaign.
Soleimani also caught the imagination of ordinary Iranians. He came to prominence during Iran’s bloody eight-year war with Iraq. As a Revolutionary Guards’ commander, he gained a reputation for leading reconnaissance missions behind Iraqi lines.
“For Qasem Soleimani, the Iran-Iraq war never really ended,” Crocker once said in an interview. “No human being could have come through such a World War I-style conflict and not have been forever affected. His strategic goal was an outright victory over Iraq, and if that was not possible, to create and influence a weak
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/01/PRC_115830612.jpg506964Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-01-03 12:43:512020-01-03 12:43:54On Friday, Soleimani was reported killed in an airstrike in Baghdad.
नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ जारी विरोध प्रदर्शनों के बीच एक बड़े मुस्लिम संगठन ने कांग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी पर बहुत बड़ा हमला बोला है। उत्तर प्रदेश के शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने इस विवाद में राहुल गांधी के रोल की सख्त मुखालफत की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि राहुल गांधी कांग्रेस को एक मुस्लिम पार्टी बनाकर देश में खतरनाक राजनीति कर रहे हैं और उन्हें ऐसा ही करना है तो पाकिस्तान में पार्टी की जमीन तैयार करनी चाहिए, जहां उनके परिवार के चहेतों की संख्या बहुत ही ज्यादा है। उन्होंने यहां तक कहा है कि अगर राहुल गांधी चाहें तो पाकिस्तान में इमरान खान को हटाकर प्रधानमंत्री जरूर बन सकते हैं।
नई दिल्ली(ब्यूरो):-
यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधने के लिए एक वीडियो मैसेज जारी किया है……इस वीडियो में वह कह रहे हैं, “राहुल जी जिस तरह से हिंदुस्तान में कांग्रेस को एक मुस्लिम पार्टी बनाकर जातिवाद पर राजनीति कर रहे हैं, वह हिंदुस्तान के लिए बेहद खतरनाक है। राहुल जी हिंदुस्तान पर रहम खाएं, इस्लाम कुबूल कर पाकिस्तान में कांग्रेस पार्टी के लिए सियासी जमीन तैयार करें। गांधी परिवार के चाहने वालों की पाकिस्तान में तादाद बहुत ज्यादा है। पाकिस्तान में अगर कांग्रेस पार्टी सियासत करेगी तो इमरान खान को हराकर पूर्ण बहुमत वाली सरकार राहुल गांधी वहां जरूर बना लेंगे, राहुल गांधी जी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बन सकते हैं…”
एनआरसी लागू करने की मांग कर चुके हैं रिजवी
जहां तक वसीम रिजवी का सवाल है तो यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से सीएए के साथ-साथ एनआरसी लागू करने की भी खुली वकालत कर चुके हैं। रिजवी ने पिछले हफ्ते साफ किया था कि भारतीय मुसलमानों को नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स से कोई खतरा नहीं है, खतरा सिर्फ घुसपैठियों को है जो अपने निजी फायदे या भारत को नुकसान पहुंचाने के इरादे से भारत आते हैं। इतना ही नहीं इस मुद्दे पर उन्होंने स्पष्ट तौर पर विपक्षी दलों पर वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था- “घुसपैठिये टीएमसी और एसपी के वोट बैंक हैं। कांग्रेस बांग्लादेशी, पाकिस्तानी और अफगानिस्तानी घुसपैठियों की मतदाता पहचान पत्र बना रही है। अगर एनआरसी लागू हो जाएगा तो इनका असली चेहरा सबके सामने आ जाएगा।” शिया बोर्ड के चीफ ने जोर देकर दो टूक कहा था कि सिर्फ भारतीय मुलमान ही हिंदुस्तानी हैं और बाकी जो भी हैं वे घुसपैठिये हैं और उन्हें देश छोड़ देना चाहिए।
एनआरसी की आशंका में विरोध
गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देशभर में विरोध का दौर जारी है, अलबत्ता अब हिंसा की खबरें नहीं मिल रही हैं। इस दौरान एनपीआर की प्रक्रिया शुरू होने से विपक्षी पार्टियां आरोप लगा रही हैं कि एनपीआर के जरिए असल में मोदी सरकार नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स का ही काम करना चाहती है। जबकि, सरकार की ओर से साफ किया जा चुका है की एनआरसी पर अभी कोई आधिकारिक फैसला नहीं लिया गया है और न ही इसका एनपीआर से कोई लेना-देना है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/12/xrahul-1577698134.jpg.pagespeed.ic_.Uuf_61Xnh6.jpg338600Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-12-30 18:45:192019-12-30 18:47:49राहुल के परिवार के चहेतों की संख्या पाकिस्तान में बहुत है, उन्हे वहीं राजनीति करनी चाहिए: वसीम रिज़वी
CHANDIGARH – Dr. VK Raju, an eminent ophthalmologist based in Morgantown, West Virginia, USA held a meeting with Chandigarh Ophthalmological Society here on December 28 to discuss ways and means to prevent avoidable blindness among Children in the States of Punjab and Haryana,
The President of Chandigarh Ophthalmological Society Dr.Suresh Kumar Gupta in his welcome address to Dr. Raju described him as a crusader for prevention of childhood blindness who has for forty years relentlessly worked across the world, particularly in India and saved thousands from going blind.
Dr. Gupta briefly described the enormous work Dr. Raju has done. Dr. Raju began the work of the Eye Foundation of America (EFA) in 1977 by offering eye camps. The West Virginia Ophthalmology Foundation was subsequently created in 1982 and became the EFA in 1992. The realization of vision Dr. Raju, the EFA, has a reach that currently extends to 30 plus developing countries and the USA. The EFA has served approximately 3 million patients and performed 300,000 plus vision-saving surgeries, with 30,000 plus surgeries performed on children alone.
Dr. Raju received standing ovation from around 60 members of Society present. Dr. Gupta offered the Society’s cooperation and partnership in any project that Dr. Raju had in mind.
Dr. Raju gave a presentation on childhood blindness and dwelt on the work the Eye Foundation of America had done in the last forty years.He spoke feelingly about the tragedy of childhood blindness. Combating childhood is my passion. It is a small world and it is getting smaller and smaller. Our Foundation- the Eye Foundation of America works in over 25 countries to combat childhood blindness.
“Since its inception, the EFA has facilitated 600 plus physician exchanges and trained 200 plus ophthalmologists, equipping these medical practitioners with the tools to join the global fight against blindness. The EFA not only trains medical practitioners to join the global fight against blindness through exchange programs, but also provides workshops and training opportunities for medical students and physicians. His charisma and vision inspire the EFA trainees return to their native countries to prevent and/or alleviate blindness in the field. For example, India and Ghana are actively engaged in avoidable blindness elimination projects with cooperation from their governments. In 2016 in India, 4,889 vision and 374 retinopathy of prematurity screenings were conducted, 779 eyeglasses were distributed, and 162 pediatric surgeries were performed. In Ghana in 2016, the Avoidable Blindness Elimination Project and the World Sight Day Kids Funfair screened 9,763 people, including 7,453 children, and detected ophthalmologic diseases in more than 1,000 individuals who consequently received treatment, which included 157 surgeries. More than 20,000 children received vision screenings in Ghana schools, eyeglasses and follow-up care were provided when necessary”, Dr. Raju said.
The EFA mission is to eliminate avoidable blindness under the guiding principles of service, teaching, and research. This is accomplished through eye camps and masonry hospitals in developing countries, training of medical personnel to serve the needy, and educating the population at large on preventative eye care and healthy lifestyle choices. Dr. Raju quotes his mentor in London as saying there are 3 solutions for any problem. The first is education, the second is education, and the third is education. With this education, patients are empowered to take charge of their lives and their own health and prevent further deleterious consequences of their poor lifestyle choices, while sharing this knowledge with their friends and families.
When education and preventative measures are insufficient, medical and surgical interventions are performed. With the aim of permanently providing world-class state-of-the art services to populations with poor access to health care, the EFA helped to build 2 hospitals in rural India, namely the Srikiran Eye Institute and the Goutami Eye Institute. The Goutami Institute has a wing dedicated to exclusively to children, and the EFA has future plans to build a service and research eye hospital in India where no child will be denied treatment and children from around the world can come to receive services. Dr. Raju and the EFA are also committed to finding new cures for age-old eye disease in children.
For long we at the Eye Foundation of America studiedchildhood blindness in Punjab and Haryana. We found the two states and the neighboring Himachal have a high incidence of childhood blindness. Th already alarming figures are expected to double by 2015. Obviously, these States need attention with regard to providing facilities and services to prevent blindness among children.
Dr. Raju appealed to the members of Chandigarh Ophthalmological Society to extend a hand of cooperation to the Eye Foundation of America to combat the serious situation of childhood blindness in the region.
Thanking Dr. Gupta and the Chandigarh OphthalmologicalSociety. Dr. Raju said he was overwhelmed by the concern the medical fraternity felt on the issue and appreciated the members for their offer of cooperation in his projects.
Dr, Raju also thanked the veteran journalist Prabhjot Singh, Mr. Vineet Joshi and Mr. Devinder Sharma for making his meeting possible with the ChandīgarhOphthalmological Society and the media.
He said he will be happy to meet with Punjab, Haryana and Himachal State government officials to work with them on the project.
Earlier in the day he met with themedia at local JM Marriott and spoke extensively about his projects and work. He took questions and repeatedly appealed to media persons to highlight the tragedy of childhood blindnesswhich leaves individuals dependent on others for life. He was appreciative of the vibrant Chandigarh press.
About Dr. VK Raju
Dr. Raju was born in Rajahmundry, Andhra Pradesh, India. He earned his medical degree from Andhra University and completed an ophthalmology residency and fellowship at the Royal Eye Group of Hospitals in London, England. He is board certified in ophthalmology and is a Fellow of the Royal College of Surgeons and the American College of Surgeons. He has resided in Morgantown, WV since 1976, where he is currently a Clinical Professor of Ophthalmology at West Virginia University, the Section Chief of the Ophthalmology Department at Monongalia General Hospital, runs a private practice at the Monongalia Eye Clinic, and is the Founder and Medical Director of the EFA, a registered non-profit organization.
Dr. Raju began the work of the EFA in 1977 by offering eye camps. The West Virginia Ophthalmology Foundation was subsequently created in 1982 and became the EFA in 1992. The realization of vision Dr. Raju, the EFA, has a reach that currently extends to 30 plus developing countries and the USA. The EFA has served approximately 3 million patients and performed 300,000 plus vision-saving surgeries, with 30,000 plus surgeries performed on children alone.
Awards/Recognition Received
State
Dr. Raju has received many honors and awards, including 26 distinguished awards and 17 gold medals. West Virginia adopted home state of Dr. Raju, he was awarded the Lions Club International, Jarrett Award and the WVU International Service Award in 1995. Morgantown Rotary International presented Dr. Raju with an award for community service in 2000. He also received the Martin Luther King Jr. Achievement Award from WVU in 2008.
National
The American Academy of Ophthalmology has awarded Dr. Raju 4 times for his teaching and research contributions, including the Outstanding Humanitarian Award in 2002. Dr. Raju received this honor because of the more than 1 million dollars of his own money that went into building hospitals in India, teaching, and providing services to needy patients. At the same meeting in which Dr. Raju was presented with this award, he also received a Lifetime Achievement Award from The Association of Asian Indians in Ophthalmology. That same year, Dr. Raju received the Free to Achieve Award from the Maryland chapter of the American Association of Physicians of Indian Origin for his philanthropy. The AAPI also awarded Dr. Raju with their prestigious Distinguished Community Service Award in 2007 for his service, patient care, teaching, research, and professional and community involvement. In 2011, he received a Senior Achievement Award from the AAO. He has received awards from Lions International and Rotary International. For his humanitarian work, the American Medical Association Foundation acknowledged him with the prestigious Dr. Nathan Davis International Award for Excellence in Medicine in 2013. For the past 2 years, Dr. Raju has expanded his humanitarian efforts in African countries by joining the Carter Center Ambassador Program. President Barack Obama presented Dr. Raju with the 2016 President Lifetime Achievement Award. In 2017, Dr. Raju was inducted into the University of Toledo Global Medical Missions Hall of Fame Class of 2017. He was recently recognized with Lifetime Achievement Award by the North American Telugu Society in 2019.
International
Dr. Raju received first international award in 1970, when he received 2 separate awards for service for the blind by Lions, India and Jaycees, Vijayawada, India. He received several gold medals, including the AP, India Gold Medal for Contributions to Advance Ophthalmology in 2001, the Dr. Hardia Gold Medal for Best Paper on Refractive Surgery from the All Indian Ophthalmology Society in 2002, Gold Medal from the President at the All Indian Ophthalmology Society Meeting in Cochin in 2012, the Rameshwar Sharma, MD Gold Medal Oration from the Indian Academy of Medical Sciences, Rajasthan Chapter, in 2012, the Gold Medal Oration at the Vijayawada Academy of Ophthalmology in 2014, and the Gold Medal Award from the International Academy for Advances in Ophthalmology, Bombay Ophthalmologists Association, in 2014. He received the Vaidya Ratna in 2002, as well as an achievement award from the House of Lords, London, and the Mahatma Gandhi Pravasi Samman Award for Achievement in Medicine in 2014. He was also recognized as one of the Leading Physicians of the World by the International Association of Ophthalmologists in 2014. Dr. Raju was an invited guest of honor at GITAM University and the All Indian Ophthalmology Society Meeting in 2012.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/12/1-Dr.-VK-Raju-at-Chandigarh.jpg10241776Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-12-28 12:20:042019-12-28 12:20:07Indian American Ophthalmologist to offer expertise to prevent avoidable Childhood Blindness
1 जनवरी को शिव सेना समाजवादी रेफरेंडम 2020 का जालंधर में पुतला फुक कर करेगी अंतिम संस्कार:- सुनील कुमार (बंटी) व राजिंदर सिंह
शिव सेना समाजवादी रेफरेंडम 2020 को जड़ से उखाड़ कर फेक देगी:- जरनैल सिंह व सुनील अहीर
शिव सेना समाजवादी की एक विशेष बैठक राष्ट्रीय प्रधान कमलेश भारद्वाज जी वा नेशनल चेयरमैन हनी भारद्वाज जी दिशा निर्देश अनुसार जिला प्रधान राजिंदर सिंह वा युवा जिला प्रधान सुनील अहीर की अगुवाई जिला प्रधान राजिंदर के ऑफिस में होई। जिसमे विशेष तौर पर युवा चेयरमैन पंजाब जरनैल सिंह वा युवा प्रभारी पंजाब सुनील कुमार (बंटी) , पंजाब प्रवक्ता दीपक भंडारी , युवा जिला चेयरमैन खुशवंत सिंह (विकी) विशेष तौर पर पहुंचे।
इस बैठक में युवा चेयरमैन पंजाब जरनैल सिंह , युवा प्रभारी पंजाब सुनील कुमार (बंटी) वा युवा जिला प्रधान सुनील अहीर , जिला प्रधान राजिंदर , पंजाब प्रवक्ता दीपक भंडारी ने अपने बयान में कहा कि रेफरेंडम 2020 के समर्थक अपनी आतकी गतिविधियों के लिए पूरी तरह से सक्रिय है और रेफरेंडम 2020 चंद दिन रह गए है लेकिन रेफरेंडम 2020 के समर्थक सोशल मीडिया दोयारा रेफरेंडम 2020 का प्रचार जोरो से कर रहे है लेकिन प्रशासन की तरफ से इन सोशल मीडिया पर रेफरेंडम 2020 के प्रचार पर अभी तक प्रबंधी नहीं लगाई गई जिस विरोध में शिव सेना समाजवादी 1 जनवरी दिन बुधवार को समय 1-बजे कंपनी बाघ चौक जालंधर में रेफरेंडम 2020 का पुतला फूक कर अतिम संस्कार किया जाए और शिव सेना समाजवादी रेफरेंडम 2020 को जड़ से उखाड़ कर फेंक देगी ।
इस मौके मॉफिन डोगरा , विकी , वीर सभरवाल , सनी पंडित , राहुल , सोनू , साहिल , मिंटू , बावा , दीपक आदि शिव सैनिक थे
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/12/Shiv-Sena-Hind.jpg4921040Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-12-25 08:50:432019-12-25 08:50:461 जनवरी को रेफेरेंडम 2020 का होगा अंतिम संस्कार: सुनील कुमार & रजिन्दर सिंह
एनआरसी और सीएए का विरोध कर रहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को कलकत्ता हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार के सीएए और एनआरसी लागू नहीं करने के विज्ञापनों पर रोक लगा दी है. बता दें ममता बनर्जी ने टीवी चैनलों नागरिकता कानून नहीं लागू करने का विज्ञापन दिया था.
बता दें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने सीएए और एनआरसी की मुखर विरोधी रही हैं. सोमवार (16 दिसंबर) को सीएए व एनआरसी के खिलाफ मध्य कोलकाता इलाके से चले एक लंबे जुलूस का नेतृत्व किया. जुलूस में हजारों लोगों ने भाग लिया.
ममता ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर की गतिविधि व नए नागरिकता कानून (सीएए) के राज्य में क्रियान्वयन को अनुमति नहीं देने को लेकर लोगों को संकल्प दिलाया.
संकल्प में कहा गया था, “हम सभी नागरिक हैं. हमारा आदर्श सभी धर्मो में सौहार्द है. हम किसी को बंगाल नहीं छोड़ने देंगे. हम शांति के साथ व चिंता मुक्त होकर रहेंगे. हम बंगाल में एनआरसी व सीएए को अनुमति नहीं देंगे. हमें शांति बनाए रखना है.”
इस मौके पर ममता ने कहा था, “एकजुट भारत के लिए बंगाल एकजुट खड़ा है. हम एनआरसी, सीएए नहीं चाहते, हम शांति चाहते हैं. यही हमारा नारा है. लोकतांत्रिक व शांतिपूर्ण आंदोलन से देशभर के लोगों द्वारा विरोध दर्ज कराने के लिए हम इसमें शामिल हैं.”
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/12/d2c393d3f9efc143ef28aaa6c1ba5443.jpg300500Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-12-23 17:21:542019-12-23 17:23:30कोलकाता उच्च न्यायालय ने TMC के CAA / NRC विरोधी विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगा दिया
बेशक कानून इजाजत नहीं देता कि किसी लालच या दबाव से धर्म रूपांतरण करवाया जाए परंतु अभी भी इस तरह के धर्म परिवर्तन हमारे आसपास करवाई जा रही है भारत में 15वीं शताब्दी से लेकर आज तक समय-समय पर धर्मपरिवर्तन का खेल खेला जा रहा है। भले ही भारत में धर्म परिवर्तन विरोधी कानून बन गया हो लेकिन अभी भी यह सब जारी है, लेकिन नए ढंग में। इन दिनों शहर की पेरीफेरी या सब अर्बन क्षेत्रों में बड़े-बड़े होर्डिंग दिखाई दे रहे हैं जिसमें प्रेयर के नाम पर लोगों को अपने शिविरों में बुलाया जाता है और इस दावे के साथ कि उनकी प्रार्थना मात्र से उनकी समस्याएं लोगों की समस्याएं खत्म हो जाएंगी ।
इन स्थानों पर मिनिस्टरी के नाम से चलाए जा रहे संस्थानों में इविल स्पिरिट जैसे शब्द आम सुनाई देते हैं। ये मिनिस्ट्री मिशनरी से प्रेरित यह मिनिस्ट्री स्पष्ट रूप से स्वतंत्र चर्च चलाती हैं या तो किसी गैर सरकारी संस्थान के माध्यम से कार्यरत हैं। इस दौर में इंटरनेट और सोशल मीडिया इनके प्रचार-प्रसार का माध्यम बना हुआ है कम खर्च और ज्यादा आमदनी। प्रचार प्रसार में सहायक सोशल मीडिया पर पॉजिटिव या इन ऑर्गेनिक कॉमेंट्स मुसीबत में फंसे और भोले भाले कम पढ़े लिखे लोगों को अपनी और आकर्षित करते हैं, और धीरे-धीरे ये लोग मिनिस्टरीज में धन भी जमा करवाते रहते हैं । वेबसाइट्स और कॉल सेन्टर के माध्यम से सब लोग यहाँ सम्पर्क करते हैं और डिजिटल और हाई टेक तरीके से उनकी जानकारी हासिल की जाती है।
प्रभावी व्याख्यान और बुरी आत्माओं की बात करके आमतौर पर लोगों को वर्गलाया जाता है और उनकी संवेदना और मजबूरी का फायदा उठाया जाता है। अब आप सोच रहे होंगे कि यह तो मात्र समस्याओं से निजात दिलाने का प्रलोभन हुआ परिवर्तन जैसी बात कहां है आप सही सोच रहे हैं आमतौर पर इन मिनिस्ट्री इसमें कोई भी धर्म परिवर्तन के लिए नहीं आता और ना ही एक ही बार में किसी समस्या का समाधान हो जाता है।
इन सुनियोजित ढंग से चलने वाली मिनिस्ट्री 2 या 3 महीने तक चर्च की सर्विस में संबंधित व्यक्तियों को बुलाती हैं और एक निश्चित शुल्क भी वसूला जाता है। इन्हीं दो-तीन महीनों में इनकी एक खेप डिटेक्टिव एजेंट की तरह व्यक्ति विशेष कि कार्यकलापों उसके रहन-सहन उसकी जान पहचान के बारे में पता लगाती रहती है और सॉफ्ट टारगेट आईडेंटिफाई करती हैं। सॉफ्ट टारगेट वे लोग है जो या तो आर्थिक तंगी में हैं या अपने समाज से असंतुष्ट उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित किया जाता है । दूसरी श्रेणी में उन को जोड़ा जाता है जो किसी ना किसी तरह भावनात्मक तौर पर उतने दृढ़ नहीं होते और बातों को मानकर अपने जीवन को वैसा बनाने का प्रयत्न करते हैं और नव आगंतुकों कि कॉन्सेल्लिंग के लिए तैयार किए जाते हैं । हमने ऐसी ही दो चर्च का दौरा किया जहां हमने पाया के हमें दृढ़ निश्चय देखते ही उन्होंने पहली बार तो हमसे बातचीत करने वाली महिला की जगह दूसरी महिला जो कि थोड़ी और प्रभावी व्यक्तित्व की महिला को भेजा। वह हमसे बात करती रही लेकिन हम पर प्रभाव ना पड़ते देख उन्होंने हमें पूरी तरह से टालने की कोशिश की और कहा कि अगर हमें उनके किसी वरिष्ठ अधिकारी से बात करनी है तो हमें लगातार सर्विस में आना होगा और होने वाले प्रेयर मीटिंग में सेवा करनी होगी, उसके बाद हमारे और चरित्र को देखने के बाद ही निर्णय लिया जाएगा कि हमारी मुलाकात मिनिस्टरी के मुखिया से हो सकती है कि नहीं।
इन मिनिस्ट्री द्वारा धर्म परिवर्तन चोरी छिपे प्रायोजित किया जाता है लेकिन अब सार्वजनिक तौर पर नाम नहीं बदला जाता ।इन मिनिस्ट्री इसमें प्रीचिंग की बकायदा ट्रेनिंग या प्रशिक्षण होता है और बहुत ही सुनियोजित ढंग से लोगों को उनकी कमजोरियों के तले मानसिक तौर पर और ज्यादा दबाकर फिर उबरने में मदद की जाती है जिससे कि व्यक्ति को लगता है कि किसी सुपरनैचुरल शक्ति ने उसका पीछा आत्मा से छुड़ाया है।
ऐसी विभिन्न संस्थाओं द्वारा अपनाए जाने वाले हथकंडों के बारे में जानने के लिए हम जल्द ही मिलेंगे।
क्रमश:
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/12/dharmparivartan.png350700Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-12-19 17:42:442019-12-19 17:42:46भारत में 15वीं शताब्दी से लेकर आज तक समय-समय पर धर्मपरिवर्तन का खेल खेला जा रहा है
पाकिस्तान के प्रधान मंत्री ने कल भारतीय लोक सभा में पारित नागरिक संशोधन बिल को पाकिस्तान के आंतरिक मामलों में दखल बताया।
पाकिस्तान के प्रधान मंत्री ने इसे कई द्विपक्षीय मसौदों का उल्लंघन बताया। बस यह नहीं बताया की किस प्रकार मसौदों का उल्लंघन पाकिस्तान और बांग्लादेश ने किया। आज़ादी और धार्मिक आधार पर हुए बटवारे के 1947 में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी 23 प्रतिशत थी। 2011 में 23 प्रतिशत से कम होकर 3.7 प्रतिशत हो गयी. बांग्लादेश में 1947 में अल्पसंख्यकों की आबादी 22 प्रतिशत थी जो 2011 में कम होकर 7.8 प्रतिशत हो गयी’। परंतु पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को तब के समझौते और मुसलमान देशों द्वारा उनका उल्लंघन याद नहीं आता।
कल से जब से पाकिस्तान की तरफ से भारतीय नागरिकता संशोधन बिल की भर्त्सना की गयी है तभी से शिव सेना भी इसी दुविधा में है की क्या करे। आज के संजय राओत के बयान से तो यही लगता है की कल लोक सभा में जो हुआ सो हुआ अब दोबारा यह गलती नहीं होगी, आखिर कुर्सी जो बचानी है,
नई दिल्ली(ब्यूरो):
लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 (CAB) का समर्थन करने वाली शिवसेना ने इस विधेयक का राज्यसभा में शर्तें पूरी होने के बाद ही सहमति का ऐलान किया है. दरअसल, लोकसभा में इस बिल की समर्थक पार्टियों पर ट्वीट कर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हमला किया था. इसके बाद राज्यसभा में महज तीन सांसदों वाली पार्टी शिवसेना के सुर बदल गए हैं. लोकसभा में नागरिक संशोधन बिल का समर्थन कर शिवसेना ने कांग्रेस की नाराजगी मोल ले ली है.
महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की सरकार को कांग्रेस का समर्थन हासिल है. ठाकरे सरकार एनसीपी और कांग्रेस की समर्थन की बैसाखी सहारे प्रदेश में सरकार चला रही है. शायद यही वजह है कि CAB का लोकसभा में समर्थन करने वाली शिवसेना अब राज्यसभा में इस बिल के विरोध मे सुर उठाने की तैयारी में है. महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे की दलील है कि बिल में खामियों को दूर किए बिना राज्यसभा में बिल का विरोध करेंगे. दरअसल, शिवसेना को पता है कि लोकसभा में भाजपा का बहुमत है और वहां विरोध करने का कोई मतलब नहीं है.
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘नागरिकता संशोधन बिल में शिवसेना के सुझावों को बिल में जोड़ा जाए, अन्यथा राज्य सभा में इस बिल को हम समर्थन नहीं करेंगे. केंद्र सरकार दूसरे अहम मुद्दों से ध्यान भटकाने मे लगी है. इस बिल को लेकर सरकार राजनीति साध रही है. सरकार देश के लोगों का ध्यान भटकाने में लगी है. मंहगाई, प्याज की कीमत जैसे मुद्दों को दरकिनार किया गया है.’
नागरिकता संशोधन बिल के समर्थन पर मुख्यमंत्री
उद्धव ठाकरे ने कहा कि बीजेपी के इस भ्रम को खत्म करना चाहिए कि जो वह करें और कहे वहीं देशहित है बाकी सब देशद्रोही. महाराष्ट्र में एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार चला रही शिवसेना ने लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल के पक्ष में वोट कर सबको हैरान कर दिया है. शायद हिंदुत्व मुद्दे पर शिवसेना का ये पैँतरा पार्टी की सियासी मजबूरी है. लिहाजा लोकसभा में इस बिल को लेकर सहयोगी कांग्रेस और एनसीपी के कदम से शिवसेना सदन मे ताल से ताल नहीं मिला पाई. सवाल है कि क्या शिवसेना का बिल को लेकर पैँतरा असर सूबे की उद्धव ठाकरे की महा विकास अघाड़ी सरकार पर भी असर पड़ेगा.
नागरिता संशोधन बिल को लेकर शिवसेना के मुखपत्र सामना में सवाल उठाने वाली शिवसेना ने लोकसभा में बिल के पक्ष में वोट दिया. अब जब सवाल उठने लगा है तो पार्टी प्रमुख और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे कह रहे हैं कि अगर हमारे सवालों के जवाब नहीं मिलेंगे तो राज्यसभा में उनकी पार्टी वोट नहीं करेगी.
राहुल के ट्वीट से बदले शिवसेना के सुर
राहुल गांधी ने शिवसेना का नाम लिए बिना ट्वीट कर बिल का समर्थन करने वालों को घेरा है. इसके बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे सांसत में पड़ गए हैं. राहुल गांधी ने ट्वीट किया, CAB का समर्थन करने वाले राष्ट्र की बुनियाद पर प्रहार करने की कोशिश की है.’ कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा है कि अब राज्यसभा में शिवसेना अलग स्टैंड लेगी.
उधर बीजेपी, शिवसेना पर तंज कस रही है. महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री सुधीर मुंगंटीवार ने कहा कि शिवसेना सत्ता सुंदरी प्रेम में पड़ी हुई है. इस बीच ऑल इंडिया उलेमा काउंसिल के बैनर तले मुस्लिम उलेमाओं ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मिलकर अपनी नाराजगी जताई. राज्यसभा में बिल के विरोध में वोट करने की मांग की है.
ऑल इंडिया उलेमा काउंसिल के सेक्रेटरी जनरल महमूद दरियाबाद ने कहा, ‘हमने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मुलाकात की और निवेदन किया कि राज्य सभा में इस बिल का विरोध करें.’
उद्धव की सरकार में नहीं है ‘ऑल इज वेल’
दरअसल, शिवसेना ने लोकसभा में नागरिक संशोधन विधेयक का समर्थन कर धीरे से यह बताने की कोशिश की है कि वह अभी भी हिंदुत्व नहीं भूली तो राज्यसभा में इस बिल का समर्थन कर महाविकास आघाड़ी के नए दोस्तों को नाराज नहीं करना चाहती. राज्य में सरकार बनाये 13 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अभीतक 6 मंत्रियों के विभाग नहीं बांटे गए हैं. साफ है कि सरकार में सबकुछ ठीक नहीं, उधर कांग्रेस का कहना है कि शिवसेना अलग राजनीतिक दल है तो इस बिल को लेकर उसके विचार अलग हो सकते हैं.
शिवसेना राज्यसभा में अगर नागरिक संशोधन विधेयक का विरोध करती है तो भाजपा को इस बिल को राज्यसभा में पास कराने के लिए मुश्किल हो सकती है, लेकिन नागरिक संशोधन विधेयक को लेकर शिवसेना 2 डगर पर पांव रखती नज़र आ रही है जो उसके राजनीतिक भविष्य के लिए किसी खतरे से कम नहीं है.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/12/congress-rahul-gandhi-imran-khan.jpg385696Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-12-11 12:09:122019-12-11 12:09:15इमरान खान और राहुल के ट्वीट से बदले शिवसेना के सुर
We may request cookies to be set on your device. We use cookies to let us know when you visit our websites, how you interact with us, to enrich your user experience, and to customize your relationship with our website.
Click on the different category headings to find out more. You can also change some of your preferences. Note that blocking some types of cookies may impact your experience on our websites and the services we are able to offer.
Essential Website Cookies
These cookies are strictly necessary to provide you with services available through our website and to use some of its features.
Because these cookies are strictly necessary to deliver the website, you cannot refuse them without impacting how our site functions. You can block or delete them by changing your browser settings and force blocking all cookies on this website.
Google Analytics Cookies
These cookies collect information that is used either in aggregate form to help us understand how our website is being used or how effective our marketing campaigns are, or to help us customize our website and application for you in order to enhance your experience.
If you do not want that we track your visist to our site you can disable tracking in your browser here:
Other external services
We also use different external services like Google Webfonts, Google Maps and external Video providers. Since these providers may collect personal data like your IP address we allow you to block them here. Please be aware that this might heavily reduce the functionality and appearance of our site. Changes will take effect once you reload the page.
Google Webfont Settings:
Google Map Settings:
Vimeo and Youtube video embeds:
Google ReCaptcha cookies:
Privacy Policy
You can read about our cookies and privacy settings in detail on our Privacy Policy Page.