भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त मिस लिंडी कैमरन आज सचखंड श्री हरमंदिर साहिब में नतमस्तक होने पहुंचीं। इस बीच उन्होंने सचखंड श्री हरमंदिर साहिब में गुरबाणी कीर्तन सवरण किया। वह लंगर श्री गुरु रामदास जी भी गए, जहां उन्होंने लंगर सेवा की। श्री दरबार साहिब के सूचना केंद्र में शिरोमणि कमेटी के महासचिव भाई राजिंदर सिंह मेहता ने उन्हें सचखंड श्री हरमंदिर साहिब का स्वर्ण मॉडल और पुस्तकें देकर सम्मानित किया। ब्रिटिश उच्चायुक्त ने यात्रा पुस्तिका में अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए उल्लेख किया है कि “श्री हरमंदिर साहिब सिख धर्म का केंद्रीय तीर्थ है जहां आज लाखों तीर्थयात्रियों में से एक को माथा टेकना अच्छा लगा। यह एक सुन्दर एवं मनमोहक पूजा स्थल है। उन्होंने सम्मान के लिए आयोजकों को भी धन्यवाद दिया। इस अवसर पर शिरोमणि कमेटी के उप सचिव जसविंदर सिंह जस्सी, सूचना अधिकारी अमृतपाल सिंह और रणधीर सिंह आदि मौजूद थे.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2024/10/IMG-20241009-WA0153.jpg9161183Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2024-10-09 13:08:352024-10-09 13:08:40मिस लिंडी कैमरन सचखंड श्री हरमंदिर साहिब में हुई नतमस्तक
आबू धाबी में इंटरनेशनल इंडियन फिल्म एकेडमी अवॉर्ड्स कराया गया। यहां फिल्म विकास परिषद के उपाध्यक्ष डॉ. गिरीश मित्तल जैतो को सम्मानित अतिथि के तौर पर बुलाया गया।डॉ. गिरीश मित्तल के अलावा इस अवार्ड शो में शाहरुख खान,रानी मुखर्जी,विधु विनोद चोपड़ा,अनिल कपूर,बॉबी देओल,जयंतीलाल गड़ा,भारतीय फिल्मी अभिनेत्री हेमा मालिनी,करण जौहर,रेखा, अनन्या पांडे,कृति सैनॉन और जाह्नवी कपूर और विक्की कौशल, हनी सिंह ,विवेक ओबेरॉय के आदि हस्तियां मौजूद रही। डॉ.गिरीश मित्तल ने बताया की आईफा अवॉर्ड्स नाइट में जहां रेखा, अनन्या पांडे और जाह्नवी कपूर समेत सितारों ने अपने डांस से महफिल में चार-चांद लगाई तो वहीं शाह रुख खान, करण जौहर और विक्की कौशल ने होस्ट बनकर लोगों को एंटरटेन किया।इंटरनेशनल इंडियन फिल्म एकेडमी अवॉर्ड्स भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के प्रतिष्ठित अवॉर्ड समारोहों में से एक है। हर साल की तरह इस साल भी फिल्मी दुनिया के कई नामी सितारों को अपने उम्दा काम के लिए सम्मानित किया गया।28 सितंबर को आयोजित आईफा के दूसरे दिन बेस्ट एक्टर का खिताब शाह रुख खान ने अपने नाम किया था। उन्हें ब्लॉकबस्टर फिल्म जवान के लिए सम्मानित किया। उन्हें एआर रहमान और फिल्ममेकर मणि रत्नम द्वारा अवॉर्ड दिया गया। मंच पर आते ही अभिनेता ने पहले मणि रत्नम के पैर छुए और फिर अवॉर्ड रिसीव किया। यहां इंटरनेशनल इंडियन फिल्म एकेडमी अवॉर्ड्स यानी आईफा (IIFA 2024) में महफिल जमाने में सितारों ने कोई कमी नहीं छोड़ी।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2024/10/IMG-20241007-WA0093.jpg593595Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2024-10-07 12:03:282024-10-07 12:03:31डॉ.गिरीश मित्तल जैतो सम्मानित अतिथि में शामिल
पेरिस ओलंपिक 2024 के उद्घाटन समारोह में धूम मचाने वालीयहपरफॉर्मेंस अब एलांते में 5 अक्टूबरको
भारत में फ्रेंच इंस्टीट्यूट ने, भारत में एलायंस फ्रांसेस नेटवर्क के सहयोग से, आज एक असाधारणएरियल स्पेक्टेकल (हवाई शो) के आगमन की घोषणा की जो चंडीगढ़ में दर्शकों को मंत्रमुग्ध करना सुनिश्चित करता है। अपने कलाबाजी और ध्यान संबंधी परफॉर्मेंस के लिए प्रसिद्ध प्रशंसित फ्रांसीसी कंपनी ग्रेटे सिएल, रोज़ेओ पेश करने के लिए तैयार है, एक ऐसी परफॉर्मेंस जिसने पेरिस ओलंपिक गेम्स 2024 के उद्घाटन समारोह में धूम मचा दी थी।
यह परफॉर्मेंस 5 अक्टूबर, शनिवार को शाम 5 बजे और 8 बजे नेक्सस एलांते मॉल में आयोजित किया जाएगा। जिसमें दर्शकों का प्रवेश निःशुल्क है।
भारत में फ्रांस के राजदूत महामहिम थिएरी माथोऊ ने कहा कि ‘रोज़ियो’ और अन्य रोमांचक सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ, एलायंस फ्रांसेस नेटवर्क हमारे दोनों देशों के बीच कलात्मक आदान-प्रदान को मज़बूत कर रहा है। यह इन्नोवेटिवे प्रोडक्शन हमारे आर्टिस्टिक कम्युनिटीज को जोड़ने वाले एक जीवंत बंधन के रूप में कार्य करता है, और यह भारतीय दर्शकों को फ्रांस के समकालीन कला परिदृश्य की सर्वश्रेष्ठ पहुँच प्रदान करने की हमारी प्रतिबद्धता का उदाहरण है ।
स्टीफ़न गिरार्ड और केमिली ब्यूमियर द्वारा निर्मित रोज़ेओ, पॉलीन फ़्रेम्यू की रचनाओं और ऐनी जोनाथन की कॉस्ट्यूम के साथ, एक यूनिक लिविंग इंस्टॉलेशन के रूप में खड़ा है जो दर्शकों को अनुभव को देखने और उसमें खो जाने के लिए उत्साहित करेगा। आकाश की पृष्ठभूमि में स्थापित, यह शो कुछ क्षणों के लिए चिंतन करने तथा कलाकारों की काव्यात्मक और नाजुक गतिविधियों से जुड़ने के लिए बनाया गया है। मेटल पोल (6 मीटर ऊंचाई) पर धीरे-धीरे टिकी हुई लहराती आकृतियाँ, कैमरग्यू रीड बेड को याद दिलाती हैं जहां कंपनी मूल रूप से स्थित है, वहां ऐसे चल रही है मानो अदृश्य हवा के झोंके का मार्गदर्शन कर हो रही हो।
लाइव म्यूज़िशियन और इलेक्ट्रॉनिक और फ़ील्ड रिकॉर्डिंग की विशेषता वाले साउंडस्केप के साथ, 42 मिनट का प्रदर्शन एक चिंतनशील माहौल बनाता है जहाँ कला और प्रकृति आपस में जुड़ते हैं। रोज़ेओ का प्रीमियर 2023 में हुआ और तब से इसे अपनी स्वप्निल कोरियोग्राफी के लिए अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिली है। कलात्मक निर्देशक थॉमस जॉली द्वारा क्यूरेट किए गए उद्घाटन शो के हिस्से के रूप में उनके ओलंपिक प्रदर्शन के बाद, कंपनी ने समुदायों को मंत्रमुग्ध करने वाली प्रस्तुतियों के साथ जोड़ने के लिए अपनी प्रतिष्ठा को मजबूत किया है जो एक स्थायी प्रभाव छोड़ते हैं।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2024/10/The-French-Artists.jpg20382184Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2024-10-04 12:20:392024-10-04 12:20:42रोज़ेओ: ग्रैटे सिएल द्वारा एक मंत्रमुग्ध कर देने वाला एरियल स्पेक्टेकल
दुबई दुनिया भर में अपने फ्यूचरिस्टिक स्काइलाइन और भव्य जीवनशैली के लिए जाना जाता है, लेकिन यह उन लोगों के लिए इतिहास और संस्कृति की समृद्ध और विविधतापूर्ण टेपेस्ट्री भी प्रदान करता है, जो कि एक्स्प्लोर करने के लिए उत्सुक रहते हैं। अपने कई सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थलों के माध्यम से अमीरात के गौरवशाली अतीत में गोता लगाएं। प्राचीन व्यापारिक बंदरगाहों से लेकर वाइब्रेंट पारंपरिक बाज़ारों तक, दुबई की आकर्षक विरासत में खुद को खो डालने के इच्छुक किसी भी व्यक्ति के लिए यहां कुछ बेहद आकर्षण मौजूद हैं।
दुबई के दिल में बसा, अल फहीदी ऐतिहासिक जिला इतिहास का एक आकर्षक एन्क्लेव है। आगंतुक इसकी संकरी गलियों के भूलभुलैया में घूम सकते हैं, जो पारंपरिक हवा के टावरों और आकर्षक आंगनों से सजी हैं। यह जिला एक जीवित संग्रहालय है, जो पुराने दुबई का सार संरक्षित करता है जबकि विभिन्न गैलरी के माध्यम से वाइब्रेंट लोकल आर्ट दृश्य को प्रदर्शित करता है, जिसमें अमीराती और अंतर्राष्ट्रीय कलाकार दोनों शामिल हैं।
दुबई म्यूजियम में समय में पीछे जाएं, जो ऐतिहासिक अल फहीदी किले में स्थित है। आकर्षक प्रदर्शनियों के माध्यम से अमीरात की आकर्षक विरासत का अन्वेषण करें जिसमें कलाकृतियां, इंटरैक्टिव डिस्प्ले और अद्भुत डायोरामा शामिल हैं। दुबई के एक मामूली मछली पकड़ने वाले गांव से लेकर एक व्यस्त वैश्विक शहर तक के विकास के बारे में जानें।
दुबई के सबसे प्रतिष्ठित स्थलों में से एक, जुमेराह मस्जिद उन लोगों को अवश्य देखना चाहिए जो इस्लामी संस्कृति को समझने में रुचि रखते हैं।
गैरमुसलमानों के लिए खुली, यह शानदार मस्जिद मार्गदर्शित पर्यटन प्रदान करती है जो इस्लाम की धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता में गहराई से जाती है। विज़िटर्स इसकी जटिल वास्तुकला, जिसमें विस्तृत नक्काशी और एक शानदार गुंबद शामिल है, की प्रशंसा कर सकते हैं और अमीराती परंपराओं के प्रति गहरी समझ प्राप्त कर सकते हैं।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2024/06/Al-Fanar-Restaurant-and-Cafeg-scaled.jpg17062560Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2024-06-26 12:19:212024-06-26 12:21:49दुबई के इतिहास में डूबे: शीर्ष विरासत और सांस्कृतिक स्थल
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में इक्वाडोर, यूनाइटेड किंगडम, कुवैत, न्यूजीलैंड, गिनी, फिजी और चीन के राजदूतों व उच्चायुक्तों से परिचय पत्र स्वीकार किए।
रघुनंदन पराशर, डेमोक्रेटिक फ्रंट, जैतो, 31 मई :
राष्ट्रपति सचिवालय ने शुक्रवार को कहा कि श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में इक्वाडोर, यूनाइटेड किंगडम, कुवैत, न्यूजीलैंड, गिनी, फिजी और चीन के राजदूतों/उच्चायुक्तों से परिचय पत्र स्वीकार किए। परिचय पत्र प्रस्तुत करने वाले राजनयिक थे जिनमें महामहिम श्री फर्नांडो जेवियर बुचेली वर्गास, इक्वाडोर गणराज्य के राजदूत,महामहिम श्रीमती लिंडी एलिजाबेथ कैमरून, यूनाइटेड किंगडम की उच्चायुक्त,महामहिम श्री मेशल मुस्तफा जे अलशेमाली, कुवैत राज्य के राजदूत,महामहिम श्री पैट्रिक जॉन राटा, न्यूजीलैंड के उच्चायुक्त,महामहिम श्री अलासेन कोंटे, गिनी गणराज्य के राजदूत,
महामहिम श्री. श्री जगन्नाथ सामी, फिजी गणराज्य के उच्चायुक्त व माननीय श्री जू फेइहोंग, पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के राजदूत शामिल हैं।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2024/05/credentials_232-1.jpg427640Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2024-05-31 15:26:582024-05-31 15:43:487 देशों के राजनयिकों ने राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को अपने परिचय पत्र प्रस्तुत किए
रावी नदी पर शाहपुर कंडी बैराज बनने से अब जल पाकिस्तान की ओर नहीं बहेगा। इस बांध के जरिए जम्मू–कश्मीर के सांबा और कठुआ जिलों को सिंचाई के लिए पानी मिलेगा। इसके अलावा बिजली भी बनाई जा सकेगी। पंजाब की 5 बड़ी नदियों में से एक रावी का जल अब पूरी तरह से भारत में ही इस्तेमाल हो सकेगा।
भारत ने पाकिस्तान की ओर जाने वाले रावी नदी के पानी को रोक दिया है। 45 साल से पूरा होने का इंतजार कर रहे बांध का निर्माण कर रावी नदी से पाकिस्तान की ओर जाने वाले पानी को रोका है। वर्ल्ड बैंक की देखरेख में 1960 में हुई ‘सिंधु जल संधि’ के तहत रावी के पानी पर भारत का विशेष अधिकार है। पंजाब के पठानकोट जिले में स्थित शाहपुर कंडी बैराज जम्मू-कश्मीर और पंजाब के बीच विवाद के कारण रुका हुआ था, लेकिन इसके कारण बीते कई वर्षों से भारत के पानी का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान में जा रहा था। इसका सबसे ज्यादा फायदा जम्मू के कठुआ और सांबा जिले में मौजूद 32,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि को लाभ होगा।
जम्मू-कश्मीर ने यह पानी लेने के लिए करीब 60 किलोमीटर लंबी रावी-तवी नहर का निर्माण भी वर्ष 1996 में कर लिया था। वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में नई सरकार बनने के बाद केंद्रीय राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने इस मुद्दे को लगातार उठाया और केंद्र ने इस परियोजना के लिए केंद्रीय सहायता उपलब्ध कराई।
पाकिस्तान जा रहे पानी को रोकने के लिए रावी नदी पर शाहपुर कंडी बांध बनाया जा रहा था। वर्षों से बन रहे इस बांध निर्माण का काम अब पूरा हो चुका है। बांध में जल भंडारण की क्षमता 4.23 ट्रिलियन घन मीटर फुट है। वहीं, बिजली निर्माण के लिए पावर हाउस तैयार किए जा रहे हैं। रणजीत सागर बांध से छोड़े गए पानी का उपयोग इस परियोजना के लिए बिजली पैदा करने के लिए किया जाना है।
दरअसल, सिंधु जल बंटवारे के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे। संधि के अनुसार, भारत को तीन पूर्वी नदियों यानी रावी, ब्यास और सतलुज के जल के उपयोग का पूर्ण अधिकार मिला। सरकार के अनुसार, रावी नदी का कुछ पानी माधोपुर हेडवर्क्स के जरिए पाकिस्तान में बर्बाद हो रहा था। पानी की ऐसी बर्बादी कम करने के लिए शाहपुर कंडी बांध परियोजना की कल्पना की गई।
अब शाहपुर कंडी बांध की कहानी समझने के लिए 1979 में हुए समझौते को जानना होगा। दरअसल, जनवरी 1979 में पंजाब और जम्मू-कश्मीर के बीच एक द्विपक्षीय समझौता हुआ था। समझौते के अनुसार, रणजीत सागर बांध और शाहपुर कंडी बांध का निर्माण पंजाब सरकार द्वारा किया जाना था। रणजीत सागर बांध अगस्त 2000 में चालू किया गया था। शाहपुर कंडी बांध परियोजना को रावी नदी पर रणजीत सागर बांध के आठ किमी अप स्ट्रीम पर बनाया जाना था।
योजना आयोग ने नवंबर 2001 के दौरान परियोजना को अनुमोदित किया। परियोजना के सिंचाई घटक के वित्तपोषण के लिए इसे त्वरित सिंचाई लाभ योजना (एआईबीपी) के तहत शामिल किया गया।
शाहपुर कंडी बांध राष्ट्रीय परियोजना की 2285.81 करोड़ रुपये की संशोधित लागत को अगस्त 2009 में अनुमोदित किया गया। वहीं 2009-10 से 2010-11 की अवधि के दौरान 26.04 करोड़ रुपये केंद्रीय सहायता के रूप में जारी किए गए। हालांकि, पंजाब और जम्मू-कश्मीर में कुछ मुद्दों के कारण काम में ज्यादा प्रगति नहीं हो सकी।
द्विपक्षीय और भारत सरकार के स्तर पर कई बैठकें आयोजित की गईं। अंततः 8 सितंबर 2018 को नई दिल्ली में पंजाब और जम्मू-कश्मीर राज्यों के बीच एक समझौता हुआ। इसके बाद दिसंबर 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रावी नदी पर पंजाब में शाहपुरकंडी बांध परियोजना के कार्यान्वयन को मंजूरी दे दी। इसके साथ ही परियोजना के लिए 2018-19 से 2022-23 तक पांच वर्षों में 485.38 करोड़ रुपये की (सिंचाई घटक के लिए) केंद्रीय सहायता देने का निर्णय लिया गया।
रावी नदी पर बना शाहपुरकंडी बांध 55.5 मीटर ऊंचा है। इसके साथ दो पावर हाउस भी बन रहे हैं। यह परियोजना एक चालू बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना है जिसमें पंजाब और जम्मू-कश्मीर में सिंचाई और बिजली उत्पादन शामिल है। परियोजना से 37,173 हेक्टेयर (पंजाब में 5000 और जम्मू-कश्मीर में 32173) की सिंचाई क्षमता निर्धारित की गई है। यह रणजीत सागर बांध परियोजना के लिए एक संतुलन जलाशय के रूप में भी कार्य करेगा।
अभी तक रावी नदी का कुछ पानी माधोपुर हेडवर्क्स से पाकिस्तान की ओर बह जाता था जबकि पंजाब और जम्मू-कश्मीर में उपयोग के लिए इसकी आवश्यकता है। परियोजना के कार्यान्वयन से पानी की ऐसी बर्बादी कम होगी।
परियोजना पूरी होने से पंजाब में 5,000 हेक्टेयर और जम्मू-कश्मीर में 32,173 हेक्टेयर की अतिरिक्त सिंचाई क्षमता पैदा होगी। इसके अलावा पंजाब में 1.18 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई के लिए छोड़े जाने वाले पानी को इस परियोजना के जरिए प्रबंधित किया जाएगा। क्षेत्र में सिंचाई को लाभ होगा। परियोजना पूरी होने से पंजाब 206 मेगावाट जल विद्युत उत्पादन भी कर सकेगा।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2024/02/2024_2image_16_14_082064769hfgh.jpg420640Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2024-02-26 15:01:462024-02-26 16:11:28पाकिस्तान नहीं जाएगा रावी नदी का पानी
कतर की अपीलीय कोर्ट ने दाहरा ग्लोबल केस में भारत के 8 पूर्व नौसैनिकों की मौत की सजा पर रोक लगा दी है. इससे भारत के लिए बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है. गुरुवार को कतर की अपीलीय कोर्ट में सुनवाई के बाद यह फैसला बाहर आया है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने सतर्क प्रतिक्रिया देते हुए फैसले का स्वागत किया है. साथ ही मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए फैसले पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है.
कतर (Qatar) में कथित जासूसी के आरोप में फांसी की सजा पाए नेवी के 8 पूर्व कर्मियों (Former Indian Navy Personnel) को बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने फांसी की सजा को रोक दिया है. मौत की सजा के खिलाफ भारत की तरफ से अपील दाखिल की गयी थी. कतर की अदालत ने 26 अक्टूबर को नौसेना के 8 पूर्व अधिकारियों को फांसी की सजा सुनाई थी. मौत की सज़ा को कारवास में बदलने के बाद इस बात की उम्मीद भी बढ़ गई है कि 2015 के समझौते के मुताबिक़ 8 भारतीयों को भारत में सज़ा पूरा करने का विकल्प भी मिल जाए.
कतर में भारत के 8 पूर्व नौसेना अधिकारियों को 30 अगस्त 2022 को दोहा से गिरफ्तार किया गया था। इन्हें गिरफ्तार करने का कारण कतर की सरकार ने आज तक नहीं बताया। हालाँकि, मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि इन पूर्व सैनिकोें पर इजरायल के लिए जासूसी करने का आरोप लगाया गया है। ये सभी पूर्व अधिकारी कतर की राजधानी दोहा की अल दाहरा नाम की एक प्राइवेट कंपनी में काम कर रहे थे।
जिन अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया है, उनमें शामिल हैं- कमांडर पूर्णेन्द्रु तिवारी, कमांडर नवतेज सिंह गिल, कमांडर वीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ और कैप्टन गोपाकुमार हैं। ये सभी पिछले 5 साल से दाहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजी एंड कंसल्टेंसी में काम कर रहे थे।
यह कंपनी कतर की नौसेना को ट्रेनिंग और कंसल्टेंसी देने का काम करती है। इस कंपनी को ओमानी एयरफोर्स के रिटायर्ड स्क्वाड्रन लीडर खमीस अल अजमी ने स्थापित किया था और वे इस कंपनी के सीईओ थे। इस मामले में खमीस को भी गिरफ्तार किया गया था, लेकिन कतर की सरकार ने उन्हें 18 नवंबर 2022 को ही रिहा कर दिया था।
इन सभी लोगों पर कतर के सबमरीन प्रोजेक्ट की जानकारी इजरायल को देने का आरोप लगाया था। कतर कोर्ट ने इन्हें 26 अक्टूबर 2023 को मौत की सजा सुना दी थी। इन सारी जानकारियों के बीच एक सवाल जो खड़ा होता है कि कतर की कोर्ट ने उन लोगों को कैसे बरी कर दिया, जिन्हें अब तक देश का दुश्मन समझ कर सीधे फाँसी पर लटकाने की कार्रवाई चल रही थी?
भारत पर इन पूर्व अधिकारियों को बचाने का दबाव था। ऐसे में भारत सरकार कानूनी तौर पर इसे चुनौती दे रही थी। इसके साथ ही भारत डिप्लोमैटिक चैनल से भी बातचीत कर रहा था। नवंबर में जब इन लोगों को मौत की सजा सुनाई गई थी, तब तक इस बात की कोई जानकारी नहीं मिल पाई थी कि इन 8 लोगों के साथ क्या कुछ हो रहा है। फाँसी की सजा के बाद मामला दुनिया की नजर में आया।
भारत सरकार ने इन बंधकों के लिए कतर से कान्सुलर एक्सेस की माँग की। जिनेवा कन्वेंशन के मुताबिक, ऐसे मामलों में कांसुलर एक्सेस (राजनयिक पहुँच) देना उस देश के लिए जरूरी हो जाता है, जहाँ दूसरे देश के नागरिक गिरफ्तार किए जाते हैं। भारत ने नवंबर माह में कांसुलर एक्सेस हासिल कर लिया और केस के बारे में पूरी जानकारी हासिल की।
राजनयिक चैनल से भारत सरकार सक्रिय थी ही, कानूनी पहलुओं पर भी विचार हो रहा था। भारत सरकार के सहयोग से इन पूर्व अधिकारियों ने कतर के उच्च न्यायालय में अपील दायर की। अपील स्वीकार होने के बाद सरकार कानूनी प्रक्रिया में लग गई। इधर, भारत कतर पर राजनयिक दबाव भी बढ़ाता जा रहा था।
इस बीच, दिसंबर माह के शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दुबई में कतर के अमीर से मुलाकात हुई। पीएम मोदी COPE28 की बैठक में भाग लेने दुबई गए थे। इस मुलाकात के चार सप्ताह के भीतर ही फाँसी की सजा पलट गई। सुनवाई के समय कोर्ट में में भारत के राजदूत का मौजूद होना बताता है कि पीएम मोदी इस मामले को लेकर कितनी गंभीर थी।
भारत के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में बताया है कि सभी 8 पूर्व नौसैनिकों की फाँसी की सजा टल गई है। विदेश मंत्रालय ने बताया, “हम दहरा ग्लोबल मामले में अगले कदम पर निर्णय लेने के लिए कानूनी टीम के साथ-साथ परिवार के सदस्यों के साथ निकट संपर्क में हैं। कतर में हमारे राजदूत और अन्य अधिकारी परिवार के सदस्यों के साथ अपीलीय अदालत में उपस्थित थे। हम मामले की शुरुआत से ही उनके साथ खड़े रहे हैं।”
विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में आगे कहा, “हम सभी को (कतर की अदालत में बंद 8 पूर्व नौसैनिकों को) कांसुलर और कानूनी सहायता देना जारी रखेंगे। हम इस मामले को कतर के अधिकारियों के समक्ष भी उठाना जारी रखेंगे। इस मामले की गोपनीय और संवेदनशील प्रकृति के कारण इस समय कोई और टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।”
विदेश मामलों के विशेषज्ञ रोबिंदर सचदेव ने एएनआई से बातचीत में कहा, “कतर की अदालत का फैसला वास्तव में पीड़ित परिवारों के लिए बड़ी राहत है। हालाँकि कितनी सजा हुई है, इस बात की जानकारी मिलने तक इंतजार करना होगा। लेकिन, हमें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में जो भी सजा होगी, वह सजा शायद कम भी की जा सकती है।”
सचदेव ने आगे कहा, “मुझे कोई संदेह नहीं है कि इसमें कूटनीति ने बड़ा काम किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में कतर के अमीर से मिले थे और उन्होंने जरूर ये मुद्दा कतर के अमीर के सामने उठाया होगा।” बता दें कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पीएम मोदी के निर्देश के बाद इस मामले में हर कूटनीतिक दाँव-पेंच का इस्तेमाल किया।
वाइस एडमिरल अनिल चावला (सेवानिवृत्त) ने कहा, “यह खबर (फाँसी की सजा रुकने की) पूरे देश के साथ-साथ नौसैनिक समुदाय के लिए एक बड़ी राहत के रूप में आई है। हम मृत्युदंड को कम करने के लिए कतर के अमीर के आभारी हैं और साथ ही भारत सरकार विशेष रूप से प्रधानमंत्री मोदी के व्यक्तिगत हस्तक्षेप के लिए भी आभारी हैं। हमें उम्मीद है कि अधिकारियों को जल्द से जल्द रिहा कर भारत वापस भेजा जाएगा।”
कतर में आठ पूर्व नौसैनिक अधिकारियों को फाँसी के फंदे से बचाना हो, यूक्रेन युद्ध को रुकवाकर हजारों लोगों को सुरक्षित बाहर निकालना हो या फिर गाजा-इजरायल से भारतीयों को वापस लाना हो, सूडान से भारतीयों को सुरक्षित भारत लाना हो या फिर मानव तस्करी के आरोप में फ्रांस में रोके गए 303 भारतीयों में से 280 को भारत वापस लाना हो… ये भारत सरकार की बढ़ती ताकत का प्रतीक है।
आज पूरा विश्व भारत की ओर देख रहा है। हर समस्या का समाधान पाने के लिए दुनिया भारत की ओर देखती है। रूस-यूक्रेन युद्ध को रुकवाने की गुहार हो, वैक्सीन पाने की लालसा हो या हमास-इजरायल युद्ध… हर तरफ से भारत से हस्तक्षेप की गुजारिश की जाती है।
ऐसा इसलिए, क्योंकि देश की कमान उस नरेंद्र मोदी के हाथों में है, जो राष्ट्र प्रथम की अवधारणा के दम पर भारत का मस्तक पूरी दुनिया में ऊँचा उठाए हुए हैं। तभी तो रूस हो या अमेरिका, सभी भारत के साथ सहयोग की भावना लेकर चलते हैं। यही तो आज का भारत है, जो दूसरों की दिखाई राह पर चलने की जगह खुद के बनाए रास्ते पर निडरता से आगे बढ़ रहा है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2023/12/quatar.jpg392696Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2023-12-28 16:44:172023-12-28 16:44:38कतर में 8 भारतीयों की मौत की सजा पर रोक भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत
संयुक्त सैन्य अभ्यास सूर्य किरण के 17वें संस्करण में भाग लेने के लिए 334 कर्मियों वाली नेपाल सेना की टुकड़ी भारत पहुंची। यह अभ्यास आज से 7 दिसंबर 2023 तक उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में आयोजित किया जाएगा। यह एक वार्षिक कार्यक्रम है और दोनों देशों में वैकल्पिक रूप से आयोजित किया जाता है। 354 कर्मियों वाली भारतीय सेना की टुकड़ी का नेतृत्व कुमाऊं रेजिमेंट की एक बटालियन द्वारा किया जा रहा है। नेपाल सेना की टुकड़ी का प्रतिनिधित्व तारा दल बटालियन द्वारा किया जाता है।अभ्यास का उद्देश्य जंगल युद्ध, पहाड़ी इलाकों में आतंकवाद विरोधी अभियानों और शांति स्थापना अभियानों पर संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत मानवीय सहायता और आपदा राहत में अंतर-संचालनीयता को बढ़ाना है। यह अभ्यास ड्रोन और काउंटर ड्रोन उपायों,चिकित्सा प्रशिक्षण,विमानन पहलुओं और पर्यावरण संरक्षण के रोजगार पर केंद्रित होगा। इन गतिविधियों के माध्यम से सैनिक अपनी परिचालन क्षमताओं को बढ़ाएंगे, अपने युद्ध कौशल को निखारेंगे और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में अपने समन्वय को मजबूत करेंगे।
यह अभ्यास भारत और नेपाल के सैनिकों को विचारों और अनुभवों के आदान-प्रदान के लिए एक मंच प्रदान करेगा; सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करें और एक-दूसरे की परिचालन प्रक्रियाओं की गहरी समझ को बढ़ावा दें।अभ्यास सूर्य किरण भारत और नेपाल के बीच मौजूद दोस्ती, विश्वास,आम सांस्कृतिक संबंधों के मजबूत बंधन का प्रतीक है।यह व्यापक रक्षा सहयोग के प्रति दोनों देशों की अटूट प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करते हुए एक उत्पादक और फलदायी जुड़ाव के लिए मंच तैयार करता है।इस अभ्यास का उद्देश्य साझा सुरक्षा उद्देश्यों को प्राप्त करना और दो मित्रवत पड़ोसियों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देना है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2023/11/IMG-20231124-WA0083.jpg1125903Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2023-11-24 12:00:222023-11-24 12:01:48भारत-नेपाल संयुक्त सैन्य अभ्यास सूर्य किरण पिथौरागढ़ में शुरू
जस्टिन ट्रूडो से किसी बात की उम्मीद रखना बेकार है क्योंकि वह इस मसले पर अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। जस्टिन के पिता पियरे ट्रूडो भी देश के प्रधानमंत्री रहे हैं। उन्होंने उस खालिस्तानी आतंकी को भारत प्रत्यर्पित करने से इनकार कर दिया था जो एयर इंडिया पर सन् 1985 में हुए हमले का मास्टरमाइंड था। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार को हाउस ऑफ कॉमन्स में दिया। उन्होंने संसद को बताया कि भारत सरकार के एजेंट 18 जून को खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में शामिल हो सकते हैं। खालिस्तानी पिछले 45 साल से कनाडा में पनप रहे हैं लेकिन इसके बाद भी यहां की सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठे रहती है।
विमान में बम ब्लास्ट, 329 मौतें
जस्टिन ट्रूडो के पिता ने खालिस्तानी आतंकियों को दी थी पनाह, अब बेटा दोहरा रहा वही गलतियाँ
कनाडा में सिखों के बसने का सिलसिला 20वीं सदी के पहले दशक में शुरू हुआ
ब्रिटिश कोलंबिया से गुजरते हुए ब्रिटिश सैनिक वहां की उपजाऊ भूमि देखकर आकर्षित हुए
1980 के दशक में इसमें तेजी आई उस समय जस्टिन ट्रूडो के पिता पियरे देश के पीएम थे
कनाडा में सिखों के बसने का सिलसिला 20वीं सदी के पहले दशक में शुरू हुआ। इतिहासकारों की मानें तो ब्रिटिश कोलंबिया से गुजरते हुए ब्रिटिश सेना के सैनिक वहां की उपजाऊ भूमि देखकर आकर्षित हो गए। 1970 के दशक तक, सिखों की मौजूदगी कनाडा में बहुत कम थी। लेकिन 1970 के दशक में यह बदल गया। भारत ने मई 1974 में राजस्थान में पोखरण परमाणु परीक्षण किया। इससे कनाडा की सरकार नाराज हो गई। कनाडा का मानना था कि उसने भारत को शांति के मकसद से परमाणु ऊर्जा के लिए रिएक्टर्स दिए हैं। भारत ने CANDU टाइप के रिएक्टर्स का प्रयोग किया था। उस समय पियरे ट्रूडो कनाडा के पीएम थे खफा हो गए और भारत के साथ कनाडा के रिश्ते खराब हो गए। जिस समय यह सब हो रहा था, उसी समय भारत में खालिस्तान आंदोलन को हवा मिल रही थी।
खालिस्तान समर्थक कनाडा से भारत के रिश्ते अबतक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं। एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कनाडा की सरजमीं पर खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप भारतीय सुरक्षा एजेंसी पर लगाया था। अब एक कदम और आगे बढ़ते हुए कनाडा ने एक ऐसी हरकत की है, जो कभी पाकिस्तान और चीन जैसे विरोधी देशों ने भी आज तक नहीं की थी। कनाडा ने भारतीय खुफिया एजेंसी के अधिकारी पवन कुमार राय का नाम जानबूझ कर उजागर कर दिया।
भारत ने इससे पहले कई बार चीन और पाकिस्तान के राजनयिकों पर एक्शन लिया, लेकिन कभी उनकी खुफिया एजेंसी के अधिकारी का नाम उजागर नहीं किया. यहां तक कि चीन और पाकिस्तान जैसे भारत के कट्टर विरोधी देशों ने भी इस तरह खुफिया एजेंसी के अधिकारियों का नाम कभी उजागर नहीं किया। कनाडा की इस ओछी हरकत की हर कोई आलोचना कर रहा है।
कैनेडियन पत्रकार डेनियल बोर्डमैन जस्टिन ट्रुडो के बयान और भारतीय राजनयिक को देश से हटाने के उनके फैसले से हैरान हैं। उन्होंने सोशल मीडिया एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि हरदीप सिंह निज्जर की मौत में भारत का हाथ होने को लेकर एक आंतरिक रिपोर्ट आई है। इस रिपोर्ट की जाँच चल रही है। लेकिन इस रिपोर्ट के आधार पर भारतीय राजनयिक को हटाना पागलपन जैसा है।
पत्रकार बोर्डमैन ने यह भी लिखा कि ट्रुडो और उनकी टीम का यह व्यवहार पूरी तरह से बकवास है। उन्हें नहीं लगता कि पीएम ट्रुडो के इस फैसले से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसी प्रकार का लाभ मिलने वाला है।
बता दें कि जस्टिन ट्रूडो के पैरोडी अकाउंट से भी पोस्ट शेयर किया गया है। इस पोस्ट में यूजर ने लिखा, “हमारी वोटिंग अब तक के सबसे निचले स्तर पर है। इसलिए मुझे कनाडाई लोगों का ध्यान भटकाने के लिए एक नई समस्या पैदा करने की आवश्यकता है। यही कारण है कि मेरी सरकार इस साल की शुरुआत में हुई एक सिख व्यक्ति की हत्या को लेकर भारत के साथ संबंधों के बारे में अचानक ही बड़ी-बड़ी बातें कर रही है। अगर लोग डरे हुए होंगे तो मुझे अधिक समर्थन मिल सकता है।”
पियरे नामक यूजर ने लिखा, “ट्रूडो प्रसिद्ध आतंकवादी प्रेमी है।”
‘ए किड फ्रॉम ब्रुकलिन’ नामक यूजर ने एक्स पर लिखा, “वह सिख वोटों लिए पूरी योजना बना रहे हैं। वे इस बात से चिंतित नहीं हैं कि मंदिरों पर हमले हो रहे हैं और बदला लेने की बात की जा रही है।”
एक अन्य यूजर ने भारत के खिलाफ बयानबाजी को कनाडा के लिए नुकसानदेह होने का अंदेशा जताया। यूजर ने लिखा, “यह भारत-कनाडा संबंधों के लिए बहुत बड़ा खतरा होगा। भारत एक उभरती हुई शक्ति है और मुझे नहीं लगता कि सहयोगी देश इन आरोपों पर कनाडा का पक्ष लेंगे।”
कैनेडियन सोशल मीडिया यूजर ने जस्टिन ट्रूडो पर इस तरह की बयानबाजी और राजनयिक को हटाने का फैसला आंतरिक मुद्दों से जनता का ध्यान हटाने के लिए लेने का आरोप लगाया है। जेसन कुचिरका नामक यूजर ने लिखा, “मुझे लगता है कि यह सब ध्यान भटकाने के लिए किया जा रहा है। मुझे हैरानी हो रही है।”
दरअसल, खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की 18 जून, 2023 को दो अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस मामले में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो ने भारत को दोषी ठहराते हुए भारतीय राजनयिक को निष्कासित कर दिया था। भारत ने इसकी कड़ी आलोचना करते हुए कनाडाई राजनयिक को 5 दिन के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया है। चूँकि ट्रुडो के झूठे आरोपों से दोनों देशों के बीच संबंध खराब हो गए हैं। इसलिए कनाडा में ट्रुडो का विरोध हो रहा है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2023/09/tudro.jpg540960Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2023-09-19 14:36:592023-09-19 14:57:37पिता से जस्टिन ट्रूडो को विरासत में मिली भारत विरोधी राजनीति
डिम्पल अरोड़ा, डेमोक्रेटिक फ्रंट, कालांवाली– 27 जुलाई :
गांव ख्योवाली के प्रगतिशील किसान रमन गोदारा के बाग का इजरायली दूतावास के प्रवक्ता व मीडिया डेलिगेट्स ने निरीक्षण किया। उद्यान विभाग हरियाणा के अंतर्गत बने फल उत्कृष्टता केंद्र इंडो.ईजरायल परियोजना मांगेआना केंद्र पर इजरायली दूतावास के प्रवक्ता मुहमद हबीब डॉ ब्रहम देव प्रोजक्ट ऑफिसर इजरायली दूतावास नई दिल्ली व श्री लंका से आए चार मीडिया डेलीगेटस द्वारा दौरा किया गया। आगमन के दौरान विभाग द्वारा नियुक्त किए गए नोडल अधिकारी डॉ आत्म प्रकाश उप निदेशक उद्यान विभाग व केंद्र इंचार्ज डॉ सत्यबीर शर्मा उद्यान अधीक्षक द्वारा समस्त अधिकारियों का स्वागत किया गया। इजरायली दूतावास व श्री लंका से आए मीडिया ने गांव ख्योवाली के प्रगतिशील किसान रमन गोदारा के बागो का निरिक्षण किया। जिसमें मुख्य रूप से फलदार पौधों किन्नु व नींबू वर्गीय पोधो के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध करवाई गई।
डॉ आत्म प्रकाश उप निदेशक उद्यान विभाग ने कहा कि किसानो के हित में किए गए महत्पूर्ण कार्यों की आधुनिक उत्पादन तकनीक विभिन्न फसलों में सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली की तकनीक गुणवत्तापूर्ण उत्पादन के साथ ही फसलो की उत्पादकता बढ़ाने की तकनीक कृषक समुदाय की आय में वृद्धि करने बारे जानकारी उपलब्ध करवाई गई। इसके साथ ही हरियाणा राज्य में स्थापित इंडो.इजरायल परियोजना के तहत स्थापित अन्य पांच केंद्रो व उद्यान विभाग हरियाणा द्वारा स्थापित नौ केंद्रो के बारे में अतिथियों को जानकारी उपलब्ध करवाई गई। केंद्र पर अपनाई जा रही उत्पादन व सिंचाई की तकनीक जो कि जिला सिरसा के सभी किसानो द्वारा अपने खेतो में अपनाई जा रही है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2023/07/IMG-20230727-WA0024.jpg4781280Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2023-07-27 14:07:392023-07-27 14:08:07इजरायली दूतावास व मीडिया डेलिगेट्स ने किया बाग का निरीक्षण
We may request cookies to be set on your device. We use cookies to let us know when you visit our websites, how you interact with us, to enrich your user experience, and to customize your relationship with our website.
Click on the different category headings to find out more. You can also change some of your preferences. Note that blocking some types of cookies may impact your experience on our websites and the services we are able to offer.
Essential Website Cookies
These cookies are strictly necessary to provide you with services available through our website and to use some of its features.
Because these cookies are strictly necessary to deliver the website, you cannot refuse them without impacting how our site functions. You can block or delete them by changing your browser settings and force blocking all cookies on this website.
Google Analytics Cookies
These cookies collect information that is used either in aggregate form to help us understand how our website is being used or how effective our marketing campaigns are, or to help us customize our website and application for you in order to enhance your experience.
If you do not want that we track your visist to our site you can disable tracking in your browser here:
Other external services
We also use different external services like Google Webfonts, Google Maps and external Video providers. Since these providers may collect personal data like your IP address we allow you to block them here. Please be aware that this might heavily reduce the functionality and appearance of our site. Changes will take effect once you reload the page.
Google Webfont Settings:
Google Map Settings:
Vimeo and Youtube video embeds:
Google ReCaptcha cookies:
Privacy Policy
You can read about our cookies and privacy settings in detail on our Privacy Policy Page.