फोटोजर्निलिस्टों की तीन दिवसीय फोटोप्रदशर्नी हुई सम्पन्न नेतागण, पूर्व खिलाडी, डीसी, विद्यार्थियों आदि ने लिया प्रदशर्नी का आनंद
जनमाष्टमी यानी कृष्ण के जन्म का उत्सव. कृष्ण के जन्म से दो बिल्कुल कड़ियां अलग जुड़ती हैं. एक ओर मथुरा की काल कोठरी है जहां वासुदेव और देवकी जेल में अपनी आठवीं संतान की निश्चित हत्या का इंतजार कर रहे हैं. दूसरी तरफ गोकुल में बच्चे के पैदा होने की खुशियां हैं. कृष्ण के जन्म का ये विरोधाभास उनके जीवन में हर जगह दिखता है. धार्मिक विश्वासों को छोड़ दें तो एक किरदार के रूप में कृष्ण के जीवन के तमाम पहलू बेहद रोचक हैं. और समय-समय पर उनके बारे में जो नई कहानियां गढ़ी गईं उन्हें समझना भी किसी समाजशास्त्रीय अध्ययन से कम नहीं है.
अब देखिए वृंदावन कृष्ण की जगह है, लेकिन वृंदावन में रहना है तो ‘राधे-राधे’ कहना है. ऐसा नहीं हो सकता कि आप अयोध्या में रहकर सिया-सिया, लुंबिनी में यशोधरा-यशोधरा या ऐसा कुछ और कहें. यह कृष्ण के ही साथ संभव है. कान्हा, मुरली और माखन के कथाओं में कृष्ण का बचपन बेहद सुहावना लगता है. लेकिन कृष्ण का बचपन एक ऐसे शख्स का बचपन है, जिसके पैदा होने से पहले ही उसके पिता ने उसकी हत्या की जिम्मेदारी ले ली थी. वो एक राज्य की गद्दी का दावेदार हो सकता था तो उसको मारने के लिए हर तरह की कोशिशें की गईं. बचपन के इन झटकों के खत्म होते-होते पता चलता है कि जिस परिवार और परिवेश के साथ वो रह रहा था वो सब उसका था ही नहीं.
कहानियां यहीं खत्म नहीं होतीं. मथुरा के कृष्ण के सामने अलग चुनौतियां दिखती हैं. जिस राज सिंहासन को वो कंस से खाली कराते हैं उसे संभालने में तमाम मुश्किलें आती हैं. अंत में उन्हें मथुरा छोड़नी ही पड़ती है. महाभारत युद्ध में एक तरफ वे खुद होते हैं दूसरी ओर उनकी सेना होती है. वो तमाम योद्धा जिनके साथ उन्होंने कई तैयारियां की होंगी, युद्ध जीते होंगे. अब अगर कृष्ण को जीतना है तो उनकी सेना को मरना होगा. इसीलिए महाभारत के कथानक में कृष्ण जब अर्जुन को ‘मैं ही मारता हूं, मैं ही मरता हूं’ कहते हैं तो खुद इसे जी रहे होते हैं.
महाभारत से इस्कॉन तक कृष्ण
अलग-अलग काल के साहित्य और पुराणों में कृष्ण के कई अलग रूप हैं. मसलन महाभारत में कृष्ण का जिक्र आज लोकप्रिय कृष्ण की छवि से बिलकुल नहीं मिलता. भारतीय परंपरा के सबसे बड़े महाकाव्य में कृष्ण के साथ राधा का वर्णन ही नहीं है. वेदव्यास के साथ-साथ श्रीमदभागवत् में भी राधा-कृष्ण की लीलाओं का कोई वर्णन नहीं है. राधा का विस्तृत वर्णन सबसे पहले ब्रह्मवैवर्त पुराण में मिलता है. इसके अलावा पद्म पुराण में भी राधा का जिक्र है. राधा के शुरुआती वर्णनों में कई असमानताएं भी हैं. कहीं दोनों की उम्र में बहुत अंतर है, कहीं दोनों हमउम्र हैं.
इसके बाद मैथिल कोकिल कहे जाने वाले विद्यापति के पदों में राधा आती हैं. यह राधा विरह की ‘आग’ में जल रही हैं. 13वीं 14वीं शताब्दी के विद्यापति राधा-कान्हा के प्रेम के बहाने, शृंगार और काम की तमाम बातें कह जाते हैं. इसके कुछ ही समय बाद बंगाल से चैतन्य महाप्रभु कृष्ण की भक्ति में लीन होकर ‘राधे-राधे’ का स्मरण शुरू करते हैं. यह वही समय था जब भारत में सूफी संप्रदाय बढ़ रहा था, जिसमें ईश्वर के साथ प्रेमी-प्रेमिका का संबंध होता है. चैतन्य महाप्रभु के साथ जो हरे कृष्ण वाला नया भक्ति आंदोलन चला उसने भक्ति को एक नया आयाम दिया जहां पूजा-पाठ साधना से उत्सव में बदल गया.
अब देखिए बात कृष्ण की करनी है और जिक्र लगातार राधा का हो रहा है. राधा से शुरू किए बिना कृष्ण की बात करना बहुत मुश्किल है. वापस कृष्ण पर आते हैं. भक्तिकाल में कृष्ण का जिक्र उनकी बाल लीलाओं तक ही सीमित है. कृष्ण ब्रज छोड़ कर जाते हैं तो सूरदास और उनके साथ बाकी सभी कवि भी ब्रज में ठहर जाते हैं. उसके आगे की कहानी वो नहीं सुनाते हैं. भक्तिकाल के कृष्ण ही सनातन परंपरा में पहली बार ईश्वर को मानवीय चेहरा देते हैं. भक्तिकाल के बाद रीतिकाल आता है और कवियों का ध्यान कृष्ण की लीलाओं से गोपियों और राधा पर ज्यादा जाने लगता है. बिहारी भी जब श्रृद्धा के साथ सतसई शुरू करते हैं, तो ‘मेरी भव बाधा हरो राधा नागरि सोए’ ही कहते हैं. इन सबके बाद 60 के दशक में इस्कॉन जैसा मूवमेंट आता है जो उस समय दुनिया भर में फैल रहे हिप्पी मूवमेंट के साथ मिलकर ‘हरे कृष्णा’ मूवमेंट बनाता है.
ईश्वर का भारतीय रूप हैं कृष्ण
कृष्ण को संपूर्ण अवतार कहा जाता है. गीता में वे खुद को योगेश्वर भी कहते हैं. सही मायनों में ये कृष्ण हैं जो ईश्वर के भारतीय चेहरे का प्रतीक बनते हैं. अगर कथाओं के जरिए बात कहें तो वे छोटी सी उम्र में इंद्र की सत्ता और शोषण के खिलाफ आवाज उठाते हैं. जीवन भर युद्ध की कठोरता और संघर्षों के बावजूद भी उनके पास मुरली और संगीत की सराहना का समय है. वहीं वह प्रेम को पाकर भी प्रेम को तरसते रहते हैं. यही कारण है कि योगेश्वर कृष्ण की ‘लीलाओं’ के बहाने मध्यकाल में लेखकों ने तमाम तरह की कुंठाओं को भी छंद में पिरोकर लिखा है. उनका यह अनेकता में एकता वाला रूप है जिसके चलते कृष्ण को हम बतौर ईश्वर अलग तरह से अपनाते हैं.
तमाम जटिलताएं
इसमें कोई दो राय नहीं कि कृष्ण की लीलाओं के नाम पर बहुत सी अतिशयोक्तियां कहीं गईं हैं. बहुत कुछ ऐसा कहा गया है जो, ‘आप करें तो रास लीला…’ जैसे मुहावरे गढ़ने का मौका देता है. लेकिन इन कथाओं की मिलावटों को हटा देने पर जो निकल कर आता है वो चरित्र अपने आप में खास है. अगर किसी बात को मानें और किसी को न मानें को समझने में कठिनाई हो तो एक काम करिए, कथानकों को जमीन पर जांचिए. उदाहरण के लिए वृंदावन और मथुरा में कुछ मिनट पैदल चलने जितनी दूरी है. मथुरा और गोकुल या वृंदावन और बरसाने का सफर भी 2-3 घंटे पैदल चलकर पूरा किया जा सकता है. इस कसौटी पर कसेंगे तो समझ जाएंगे कि कौन-कौन सी विरह की कथाएं कवियों की कल्पना का हिस्सा हैं.
कृष्ण के जीवन में बहुत सारे रंग हैं. कुछ बहुत बाद में जोड़े गए प्रसंग हैं जिन्हें सही मायनों में धार्मिक-सामाजिक हर तरह के परिवेश से हटा दिया जाना चाहिए. राधा के वर्णन जैसी कुछ ऐसी चीज़ें हैं जो महाभारत और भागवत में नहीं मिलती मगर आज कृष्ण का वर्णन उनके बिना संभव नहीं है. इन सबके बाद भगवद् गीता है जो सनातन धर्म के एक मात्र और संपूर्ण कलाओं वाले अवतार की कही बात. जिसमें वो अपनी तुलना तमाम प्रतीकों से करते हुए खुद को पीपल, नारद कपिल मुनि जैसा बताते हैं. आज जब तमाम चीजों की रक्षा के नाम पर हत्याओं और अराजकता एक सामान्य अवधारणा बनती जा रही है. निर्लज्जता, झूठ और तमाम तरह की हिंसा को कथित धर्म की रक्षा के नाम पर फैलाया जा रहा है, ऐसे में कृष्ण के लिए अर्जुन का कहा गया श्लोक याद रखना चाहिए यतः सत्यं यतो धर्मो यतो ह्लीराजर्वं यतः. ततो भवति गोविंदो यतः कृष्णोस्ततो जयः यानी जहां नम्रता, सत्य, लज्जा और धर्म हैं वहीं कृष्ण हैं, जहां कृष्ण हैं वहीं विजय है. अंतिम बात यही है कि कृष्ण होना सरस होना, क्षमाशील होना, नियमों की जगह परिस्थिति देख कर फैसले लेना और सबसे ज़रूरी, निरंकुशता के प्रतिपक्ष में रहना है.
इन्हीं लोकाचारों में श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर महर्षि गर्ग पधारे और उनका नामकरण संस्कार किया। उनका नाम कृष्ण निकाल कर उनके जीवन की अनेकों भविष्यवाणी ज्योतिष शास्त्र के अनुसार की थी जो अक्षरशः सही रही। इस आधार पर श्रीकृष्ण की कुंडली में ग्रह क्या बोलते हैं का यह संक्षिप्त विश्लेषण प्रस्तुत किया जा रहा है।
भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र के संयोग में भगवान श्रीकृष्ण ने अवतार लिया। सोलह कला सम्पूर्ण महान योगी श्रीकृष्ण का नामकरण व अन्नप्राशन संस्कार गर्ग ऋषि ने कुल गुरू की हैसियत से किया तथा कृष्ण के जीवन की सभी भविष्यवाणियां की जो अक्षरशः सही रहीं। भाद्रपद मास की इस बेला पर हम गर्ग ऋषि को प्रणाम करते हैं।
अष्टमी तिथिि की मध्य रात्रि में जन्मे कृष्ण का वृषभ लग्न में हुआ। चन्द्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में बैठे व गुरू, शनि, मंगल, बुध भी अपनी-अपनी उच्च राशियों में बैठे थे। सूर्य अपनी ही सिंह राशि में बैठे।
योग साधना, सिद्धि एवं विद्याओं की जानकारी के लिए जन्म जन्म कालीन ग्रह ही मुख्य रूप से निर्भर करते हैं। अनुकूल ग्रह योग के कारण ही कृष्ण योग, साधना व सिद्धि में श्रेष्ठ बने। गुरू अष्टमेश बनकर तृतीय स्थान पर उच्च राशि में बैठ गुप्त साधनाओं से सिद्धि प्राप्त की तथा पंचमेश बुध ने पंचम स्थान पर उच्च राशि कन्या में बैठ हर तरह की कला व तकनीकी को सीखा।
चन्द्रमा ने कला में निपुणता दी। मंगल ने गजब का साहस व निर्भिकता दी। शुक्र ने वैभवशाली व प्रेमी बनवाया। शनि ने शत्रुहन्ता बनाया व सुदर्शन चक्र धारण करवाया। सूर्य ने विश्व में कृष्ण का नाम प्रसिद्ध कर दिया।
जन्म के ग्रहों ने कृष्ण को श्रेष्ठ योगी, शासक, राजनीतिज्ञ, कूटनीतिज्ञ, चमत्कारी योद्धा, प्रेमी, वैभवशाली बनाया। श्रीकृष्ण की कुंडली में पांच ग्रह चन्द्रमा, गुरू, बुध, मंगल और शनि अपनी उच्च राशि में बैठे तथा सूर्य व मंगल अपनी स्वराशि में हैं।
रोहिणी नक्षत्र में जन्म लेने वाला बुद्धि और विवेक का धनी होता है। यही चन्द्रमा का अति प्रिय नक्षत्र और चन्द्रमा की उपस्थिति व्यक्ति को जातक मे आकर्षण बढा देती है। ऐसे व्यक्ति सभी को प्रेम देते हैं और अन्य लोगों से प्रेम लेते हैं। श्रीकृष्ण को इस योग ने सबका प्रेमी बना दिया और वे भी सबसे प्रेम करते थे।
जन्म कुंडली का पांचवा स्थान विद्या, बुद्धि और विवेक तथा प्रेम, संतान, पूजा, उपासना व साधना की सिद्धि का होता है। यहां बुध ग्रह ने उच्च राशि में जमकर इन क्षेत्रों में कृष्ण को सफल बनाया तथा राहू के संयोग से बुध ग्रह ने परम्पराओं को तुड़वा ङाला और भारी कूटनीतिकज्ञ को धराशायी करवा डाला।
स्वगृही शुक्र ने उन्हें वैभवशाली बनाया तो वहां उच्च राशि में बैठे शनि ने जमकर शत्रुओं का संहार करवाया। भाग्य व धर्मस्थान में उच्च राशि में बैठे मंगल ने उनका भाग्य छोटी उम्र में ही बुलंदियों पर पहुंचा दिया। मारकेश व व्ययेश बने मंगल ने धर्म युद्ध कराकर व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन कराया।
अष्टमेश गुरू को मारकेश मंगल ने देख उनके पांव के अगूठे में वार करा पुनः बैकुणठ धाम पहुंचाया। अष्टमेश और मारकेश का यह षडाष्ठक योग बना हुआ है और मारकेश मंगल ग्रह को पांचवी दृष्टि से राहू देख रहा। यह सब ज्योतिष शास्त्र के ग्रह नक्षत्रों का आकलन मात्र है। सत्य क्या था यह तो परमात्मा श्रीकृष्ण ही बता सकते हैं।
Chandigarh / Panchkula:
According to Mrs.Latika Sharma ,Chairman & Amar jit Kumar ,Secretary Genetal of Haryana Sports Welfare Association (regd.) is organising the First Bharat Ratna Shri.Atal Bihari Vajpayee (Former Prime Minister of India ) International Women’s (Seniors) and Boys U-15 International Cricket Championship at Cricket Stadium,Panchkula (Haryana) & Chandigarh (U.T.) from 20th November to 24th November,2018 between Our Asia Region Neighbouring Countries Bangladesh ,Nepal ,Afghanistan ,Pakistan & India as a mark of tribute to the former Prime minister. According to Latika Sharma & Amarjit kumar It is to be mentioned that the After the demise of the late Prime Minister and to showcase his contribution to the nation which was highly appreciable and as he was one among the few leaders who was universally accepted by all political parties,Sports Lovers all our India as well as World and people from all walks of life the tournament has been named as { Bharat Ratna Sh.Atal Bihari Vajpayee Trophy }
According to Secretary General In this Bhartiya Rural Premier International Girls (Seniors) & Boys under-15 Cricket League day/night Championship total eight Girls cricket teams from Bangladesh, Nepal,Afghanistan,,Pakistan & India shall participate in this mega championship at Cricket Stadium’s Panchkula (Haryana ) & Chandigarh(U.T.) (India.) from 20th to 24th November ,2018. According to Mrs.Latika Sharms,Chairman & Secretary General Amarjit kumar the Haryana Sports Welfare Association (regd.) the main motto to organise the 2nd Girls International Rural league cricket championshipas ” BETI KHILAYO” to follow the theme of “BETI BACHAYO,BETI PADHAYO”is a Social Campaign of the Government of India that aims to Generateawareness & improve the efficiency of welfare services intended for Girls.According to Amarjit kumar ,Secretary General of Haryana Sports Welfare Association (Regd.) the main motive of the First Boys under-15 International Junior League Cricket Championship is to restrain the young Generation of our Rural / backward Area from the drug addiction and shall given chance to villages / Rural Area Junior players to show their talent in International Stadiums Chandigarh (U.T.) and Panchkula (Haryana) with international teams. Amarjit Kumar said that the main aims is to promote and develop the game of cricket for men from the grass root level in the Junior age Grouos.Amar Jit Kumar said that the organising Committee will provide Top class Boarding, Lodging and Transport facilities to all participants and officials accompanying the International girls (Seniors) & boys under-15 cricket teams fromBangladesh,Nepal,,Afghanistan, Pakistan & india.
The Association shall give Glittering trophies and individual prizes. The Haryana Sports Welfare Association (Regd.) will distribute every Man of the match, best batsman, best bowler, best all rounder, best wicket keeper, best fielder of the championship and Up-Coming Cricketers.
All the matches of the Championship will be played at International Cricket Stadium’s Chandigarh (U.T.), Panchkula (Haryana), on day/night affairs with coloured clothing and white ball. Qualified umpires, scorer and officials will be deputed in the League Championship.
Panchkula :
The Haryana Sports Welfare Association (regd.) is organising the First Bharat Ratna Shri.Atal Bihari Vajpayee (Former Prime Minister of India ) International Women’s (Seniors) and Boys U-15 International Cricket Championship at Cricket Stadium,Panchkula (Haryana) & Chandigarh (U.T.) from 20th November to 24th November,2018 between Our Asia Region Neighbouring Countries Bangladesh ,Nepal ,Afghanistan ,Pakistan & India as a mark of tribute to the former Prime minister. It is to be mentioned that the After the demise of the late Prime minister and to showcase his contribution to the nation which was highly appreciable and as he was one among the few leaders who was universally accepted by all political parties,Sports Lovers all our India as well as World and people from all walks of life the tournament has been named as { Bharat Ratna Sh.Atal Bihari Vajpayee Trophy }.
Chandigarh 01.09.2018
Chandigarh police achieved a success to work out the snatching case occurred in Sector 22 Chandigarh by the team under the supervision of Sh. Krishan Kumar, SDPO Central Division, lead by SHO-17 and I/C PP-22 with police party by the arrest of accused Varun Chaudhary S/o Suresh Kumar R/o H. No. 17, Type-13 JEF, PGI, Sector-12 Chandigarh Age-21 years alongwith one juvenile
During interrogation of accused Varun Chaudhary, case FIR No. 242 dated 21.07.18 U/s 379,356,411 IPC PS-17 has been worked out with recovery of mobile phone and purse. Both were produced before the Hon’ble court, juvenile was sent to Juvenile home and one day police remand of accused Varun Chaudhary was obtained. During remand he revealed that in the year of 2015 he was arrested in four snatching cases in Chandigarh. He further confessed that he along with said juvenile committed snatchings on a blue color pulsar M/Cycle before the Month of July-2018. They committed 03 snatchings in different Police Stations of Chandigarh and 01 in Phase-6 Mohali (PB). These snatching confessed by him are being verified. M/cycle involved in snatching cases, which in now in accidental condition at Mohali was also taken into police possession. He is on police remand and more recovery or snatching cases could be affected.
Recovered Item:-
Xolo Mobile Phone Duel SIM, Purse & Blue Pulsar M/Cycle
Profile of accused:-
Varun Chaudhary S/o Suresh Kumar R/o H. No. 17, Type-13 JEF, PGI, Sector-12 Chandigarh Age -21 year, Qualification- 12th, Un-married, unemployed.
One Juvenile
Previous History of accused Varun Chaudhary:
FIR No. 34/23.01.15 U/s 356,379,411,34 IPC PS-11
FIR No. 114/16.03.15 U/s 356,379,411,34 IPC PS-11
FIR No. 73/27.02.15 U/s 356,379,411,34 IPC PS-17
FIR No. 94/28.02.15 U/s 356,379 IPC PS-26
पंचकूला, 1 सितंबर:
आम आदमी पार्टी की जिला पंचकूला इकाई ने पैट्रो पदार्थों की कीमतों में बार बार हो रही मूल्य वृद्धि के खिलाफ केंद्र सरकार का पुतला फूंका। पार्टी ने इस दौरान लगातार अनियंत्रित हो रही महंगाई को काबू न कर पाने को लेकर भाजपा सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की।
आआपा के अंबाला के लोकसभा तथा जिला पंचकूला के अध्यक्ष योगेश्वर शर्मा ने इस अवसर पर कहा कि जिस तरह से पैट्रो पदार्थों की कीमतों में आए दिन वृद्धि हो रही है, उसका सीधा असर आम आदमी की रसोई एवं अन्य खर्चों के लिए तय अन्य बजट पर भी पड़ता है। मगर देश की सत्तारूढ़ भाजपा सरकार और उसके नेताओं को शायद इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। इसीलिए वे अपने होठों पर चुप्पी का ताला लगाए बैठे हैं। उन्होंने कहा कि इस जुमलेबाज पार्टी ने लोगों को चुनावों से पहले जो बहुत बड़े सपने दिखाए थे, वे सब टूट गए हैं और देश व प्रदेश की जनता इस पार्टी से छुटकारा चाहती है। उन्होंने कहा कि इस पार्टी व पार्टी के नेताओं में काम करने की नीयत नहीं है अन्यथा वायदे पूरे किए जा सकते थे जैसा कि दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी की सरकार ने करके दिखाया है। उन्होंने कहा कि भारी विरोध और रुकावटों के बावजूद आप की सरकार ने दिल्ली की जनता से किए 83 प्रतिशत वायदे पूरे किए हैं।
-कहा..जिले की सड़कें बदहाल मुश्किलों भरा हो रहा राहगीरों का सफर
पंचकूला, 1 सितंबर:
इंडियन नैशनल लोकदल पार्टी के जिलाध्यक्ष एवं पूर्व विधायक प्रदीप चौधरी ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि जिस प्रकार से पट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाकर लोगों को लूटने का काम किया जा रहा है, वो बहुत ही गलत बात है, इसके लिए भाजपा ज्यादा जिम्मेदार इसलिए है, क्योंकि भाजपा ने तेल कंपनियों को जो मनमर्जी की छूट दी है, उसकी मार उपभोक्ताओं पर पड़ रही है और यहीं कारण है कि आज तेल की कीमतें बेलगाम होती जा रही है।
प्रदीप चौधरी ने कहा कि जब अंतराष्ट्रीय बाज़ार में तेल की क़ीमतें कम होती है तो लोगों को तेल कंपनियां कोई राहत नही देती है। परंतु जब तेल की क़ीमतें बढ़ती है तो पेट्रोल-डीजल की कीमतों म बेतहाशा बढ़ोतरी कर दी जाती है। जिससे उपभोक्ताओं भी भारी आर्थिक मार पड़ती है। उन्होंने कहा कि तेल के भाव बढ़ने के बाद दैनिक प्रयोग की वस्तुओं के दाम बढ़ जाते है। ऐसे में आम आदमी पर महंगाई की दोहरी मार पड़ती है।
प्रदीप चौधरी ने सरकार पर आरोप लगाया कि जीरो टोलरेंस की बातें करने वाली बीजेपी सरकार के राज में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार हो रहा है। आज पंचकूला की सड़कें बदहाल है और राहगीरों का सफर परेशानियों भरा है। गरीब लोगों के राशनकार्ड नही बन रहे है। सरकार अपने वायदों पर ध्यान दौड़ाए, क्योँकि जो वायदे जनता से किये थे वो आज तक पूरे नही किये गए।
अम्बाला- जैन मुनि तरुण सागर जी के निधन पर हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने व्यक्त किया शोक।
अम्बाला- विज ने कहा समाज को सही दिशा दिखाने में हमेशा याद किया जायेगा तरुण सागर जी का योगदान।
अम्बाला- विज ने कहा- तरुण सागर जी के ब्रह्मलीन होने की खबर सुनकर आहत हूं।
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