एक साधारण फिटनेस रूटीन ने बॉक्सिंग के लिए मुझमें जुनून पैदा कर दिया : गुरसीरत कौर

एक साधारण फिटनेस रूटीन ने बॉक्सिंग के लिए मुझमें जुनून पैदा कर दिया: गोल्ड मेडलिस्ट गुरसीरत कौर

डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़,  13 सितंबर:

“मेरा सफ़र वज़न कम करने की इच्छा से शुरू हुआ था, और मैंने कभी नहीं सोचा था कि यह मुझे इस मुकाम तक ले जाएगा। फिटनेस रूटीन के तौर पर शुरू हुई यह शुरुआत जल्द ही जुनून में बदल गई”। यह बात माउंट कार्मेल स्कूल, सेक्टर 47 की छात्रा 14 वर्षीय गुरसीरत कौर ने चंडीगढ़ प्रेस क्लब में आयोजित एक पत्रकार वार्ता के दौरान साझा की। जिन्होंने 28 अगस्त से 10 सितंबर तक अबू धाबी (यूएई) में आयोजित एशियाई स्कूल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता।

अबू धाबी में स्वर्ण जीतने से पहले चौदह वर्षीय खिलाड़ी ने 8-11 अगस्त तक हरियाणा के रोहतक में आयोजित एएसबीसी एशियाई जूनियर और स्कूलबॉयज़ और स्कूलगर्ल्स बॉक्सिंग चैंपियनशिप ट्रायल में स्वर्ण पदक जीता था और पहला स्थान हासिल किया था।

उनके पिता कंवल दीप सिंह फोर्टिस अस्पताल, मोहाली में चीफ सिक्योरिटी ऑफिसर (सीएसओ) के पद पर कार्यरत हैं जबकि माता नवप्रीत कौर शिक्षिका के रूप में कार्यरत हैं।

गुरसीरत ने कहा कि एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतना मेरे जीवन में एक निर्णायक क्षण रहा है। यह बॉक्सिंग में मेरे द्वारा की गई वर्षों की कड़ी मेहनत, समर्पण और दृढ़ता का प्रतीक है। मेरे कोच मुझे एक बॉक्सिंग के रूप में आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं, मुझे अपने कौशल को सुधारने और निखारने के लिए प्रेरित करते रहे हैं। पढ़ाई और बॉक्सिंग दोनों को प्रबंधित करना आसान नहीं है, लेकिन उचित योजना और समय प्रबंधन के साथ, मैं दोनों मोर्चों पर ध्यान केंद्रित करने में सक्षम रही हूं। भविष्य में मेरा लक्ष्य सुधार जारी रखना और बड़े मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व करना है। गुरसीरत ने कहा, मैं शैक्षणिक रूप से उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए अपने परिवार और देश को गौरवान्वित करना जारी रखना चाहती हूं।

उनकी मां नवरीत कौर ने उनकी पिछली उपलब्धियों के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा, गुरसीरत कौर ने कई उल्लेखनीय उपलब्धियों के माध्यम से खुद को बॉक्सिंग में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है। उन्होंने खेल के प्रति अपने असाधारण कौशल और समर्पण का प्रदर्शन करते हुए चंडीगढ़ में सर्वश्रेष्ठ बॉक्सिंग का खिताब जीता। उनकी प्रतिभा का प्रदर्शन तब और भी बढ़ गया जब उन्होंने नोएडा में एक कंपीटिशन में स्वर्ण पदक हासिल किया, जिससे रिंग में उनका दबदबा और भी बढ़ गया। इसके अलावा, कौर ने रोहतक में आयोजित ट्रायल में पहला स्थान हासिल किया, जो उनकी बेहतर तकनीक और तैयारी का प्रमाण है। उनके उल्लेखनीय प्रदर्शन की परिणति एशियन स्कूल बॉक्सिंग चैंपियनशिप (एएसबीसी) में स्वर्ण पदक जीतने के साथ हुई, जिससे वह अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक मजबूत प्रतियोगी के रूप में पहचानी गईं। ये उपलब्धियाँ सामूहिक रूप से उनकी असाधारण प्रतिभा और बॉक्सिंग के प्रति प्रतिबद्धता को उजागर करती हैं।

चंडीगढ़ के माउंट कार्मेल स्कूल की प्रिंसिपल डॉ. परवीना जॉन सिंह ने कहा, “गुरसीरत ने पढ़ाई और खेल के बीच संतुलन बनाने का एक प्रेरणादायक उदाहरण पेश किया है। शुरू से ही, उसने दोनों क्षेत्रों में अटूट ध्यान और दृढ़ संकल्प दिखाया है, अपने लक्ष्य तक पहुँचने के लिए उसे अपने अल्मा मेटर और माता-पिता से लगातार प्रेरणा मिलती रही है। उसकी कई उपलब्धियों में से, एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतना पूरे देश के लिए बहुत गर्व की बात है। मैं गुरसीरत और उसके माता-पिता को इस उपलब्धि के लिए हार्दिक बधाई देती हूँ।”

गुरसीरत के कोच डॉ. भगवंत सिंह ने कहा, “एक 14 साल की लड़की को समर्पण के साथ काम करते देखना वास्तव में सराहनीय है, वह न सिर्फ़ एक बॉक्सर बल्कि एक योद्धा बनकर उभरी है। उन्होंने इसे हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत की है और जिसका फल उन्हें मिला है। उनका धैर्य और दृढ़ संकल्प मुझे उनका कोच होने पर गर्व महसूस कराता है और मैं उसके लचीलेपन और कौशल से आश्चर्यचकित हूं और वह एक ऐसी खिलाड़ी हैं जिसके पास शेर का दिल और चैंपियन की इच्छाशक्ति है।

पंजाब में खेल संस्कृति को बढ़ावा देने में ‘खेडां वतन पंजाब दियां’

पंजाब में खेल संस्कृति को बढ़ावा देने में ‘खेडां वतन पंजाब दियां’ का अहम योगदान: डा. राजकुमार
– सांसद डा. राज कुमार चब्बेवाल ने होशियारपुर ब्लाक-2 के मुकाबलों की करवाई शुरुआत

तरसेम दीवाना, डेमोक्रेटिक फ्रंट, हुशियारपुर, 03 सितंबर :

सांसद डा. राज कुमार चब्बेवाल ने कहा कि पंजाब में खेल संस्कृति को बढ़ावा देने में खेडां वतन पंजाब दीयां का अहम योगदान है। उन्होंने कहा कि हर वर्ष होने वाले ‘खेडां वतन पंजाब दियां’ खेल मुकाबलों ने पंजाब की जवानी को एक नई दिशा दी है। वे आज सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल बोहन में ब्लाक होशियारपुर-2 के खेल मुकाबलों की शुरुआत करवाने के दौरान खिलाड़ियों को संबोधित कर रहे थे।

सांसद डा. राज कुमार चब्बेवाल ने कहा कि मुख्य मंत्री भगवंत मान की दूरदर्शी सोच व प्रयासों में पंजाब में पिछले तीन वर्षों से ही खेल के नए युग की शुरुआत हो चुकी है और अब पंजाब की जवानी खेल में अपना विशेष योगदान दे रही है। उन्होंने कहा कि राज्य मे 1 हजार खेल नर्सरियां बनाई जा रही हैं, जिसमें से 260 खेल नर्सरियां जल्द ही शुरु हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान निजी तौर पर खेलों को प्रदेश में प्रोत्साहित कर रहे हैं और पंजाब में पहली बार खिलाड़ियों को खेल मुकाबलों की तैयारी के लिए 8 से 15 लाख रुपए तक दिए गए और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पंजाब का नाम रोशन करने वाले खिलाड़ियों को करोड़ों रुपयों के नकद ईनाम के साथ-साथ अच्छे सरकारी पदों पर नौकरियां भी दी जा रही है। उन्होंने कहा कि ओलंपिक में पंजाब के 19 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया है जो कि राज्य के लिए गर्व की बात है। इस दौरान उन्होंने बताया कि गांव के स्टेडियम को 15 लाख रुपए की राशी दी गई है ताकि युवाओं को ज्यादा से ज्यादा खेलों के साथ जोड़ा जा सके।

इस मौके पर डा. ईशांक, जिला खेल अधिकारी गुरप्रीत सिंह बाजवा, स्कूल की प्रिंसिपल मलकीत कौर, सहायक डायरेक्टर युवक सेवाएं प्रीत कोहली, जिला खेल कोआर्डिनेटर जगजीत सिंह, तैराकी कोच नीतिश ठाकुर, एथलेटिक्स कोच बलबीर कौर, लेक्चरार प्रभजोत सिंह, रजनीश कुमार गुलियानी, लेक्चरर मुनीष मोदगिल, गुरप्रीत कौर, लेक्चरार हरिंदर सैनी, राजा सिंह पट्टी, लेक्चरार उपिंदरजीत सिंह, अमरजीत राय, रेखा, गुरमीत सिंह, गुरसेवक सिंह भी मौजूद थे।

Padma Shri Dr. Kiran Seth to Inspire Chandigarh’s Youth from September 2

Demokratic Front, Chandigarh – 30     August :

At the age of 75, Padma Shri Dr. Kiran Seth is on a remarkable solo cycling journey spanning 13,500 km. After visiting Ladakh and Himachal Pradesh, he will be in the Tricity from September 2 to 4, participating in various events aimed at inspiring volunteers and leaders. His mission is to ensure that India’s rich heritage reaches every young person, a birthright of every child.

During his Chandigarh visit, Dr. Seth will meet the Punjab Governor and attend events at PEC, SD College, AKSIP School, Bhavan Vidyalaya, and other institutions with his SPIC MACAY team. ‎

ਸ਼ਿਵਾਲਿਕ ਪਬਲਿਕ ਸਕੂਲ ਜੈਤੋ ਵਿੱਚ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਖੇਡ ਦਿਵਸ ਮਨਾਇਆ

ਰਘੁਨੰਦਨ ਪਰਾਸ਼ਰ, ਡੈਮੋਕਰੇਟਿਕ ਫਰੰਟ, ਜੈਤੋ, 29 ਅਗਸਤ:

ਹਾਕੀ ਦੇ ਮਹਾਨ ਖਿਡਾਰੀ ਮੇਜਰ ਧਿਆਨ ਚੰਦ ਦੇ ਜਨਮ ਦਿਨ ਦੀ ਯਾਦ ਵਿੱਚ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਖੇਡ ਦਿਵਸ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।  ਮੇਜਰ ਧਿਆਨਚੰਦ ਨੂੰ ਹਾਕੀ ਦਾ ਜਾਦੂਗਰ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।  ਹਾਕੀ ਦੇ ਇਸ ਜਾਦੂਗਰ ਦਾ ਜਨਮ 29 ਅਗਸਤ 1905 ਨੂੰ ਹੋਇਆ ਸੀ।  ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਸ਼ਰਧਾਂਜਲੀ ਦੇਣ ਲਈ ਸ਼ਿਵਾਲਿਕ ਪਬਲਿਕ ਸਕੂਲ ਵਿੱਚ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਖੇਡ ਦਿਵਸ ਮੌਕੇ ਨਰਸਰੀ ਤੋਂ ਚੌਥੀ ਜਮਾਤ ਦੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਵਿੱਚ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਗਤੀਵਿਧੀਆਂ ਕਰਵਾਈਆਂ ਗਈਆਂ।   ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਜੋੜੀ ਖੇਡ, ਚਮਚਾ ਦੌੜ, ਸੰਤੁਲਨ ਖੇਡ, ਅੜਿੱਕਾ ਖੇਡ ਆਦਿ ਗਤੀਵਿਧੀਆਂ ਮੁੱਖ ਸਨ।  ਅਧਿਆਪਕਾਂ ਨੇ ਬੱਚਿਆਂ ਨੂੰ ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਮਹੱਤਤਾ ਅਤੇ ਨਿਯਮਾਂ ਬਾਰੇ ਦੱਸਿਆ।  ਇਨ੍ਹਾਂ ਸਾਰੀਆਂ ਗਤੀਵਿਧੀਆਂ ਵਿੱਚ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੇ ਵੀ ਪੂਰੇ ਉਤਸ਼ਾਹ ਨਾਲ ਭਾਗ ਲਿਆ ਅਤੇ ਖੇਡਾਂ ਦਾ ਆਨੰਦ ਮਾਣਿਆ।  ਸਕੂਲ ਦੇ ਪ੍ਰਿੰਸੀਪਲ ਸ੍ਰੀ ਸਰਬਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਖੇਡਾਂ ਸਾਡੇ ਜੀਵਨ ਦਾ ਅਹਿਮ ਅੰਗ ਹਨ, ਇਹ ਸਾਡੇ ਸਰੀਰਕ ਅਤੇ ਮਾਨਸਿਕ ਵਿਕਾਸ ਦਾ ਸਰੋਤ ਹਨ।  ਇਕ ਪਾਸੇ ਇਹ ਸਾਡੇ ਸਰੀਰ ਦੇ ਖੂਨ ਸੰਚਾਰ ‘ਚ ਮਦਦਗਾਰ ਹੈ ਤਾਂ ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਦਿਮਾਗ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ‘ਚ ਵੀ ਫਾਇਦੇਮੰਦ ਹੈ।  ਖੇਡਾਂ ਨੂੰ ਕਸਰਤ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵਧੀਆ ਸਾਧਨ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।  ਮਾਨਸਿਕ ਵਿਕਾਸ ਸਾਡੇ ਸਕੂਲ ਦੇ ਦਿਨਾਂ ਤੋਂ ਸ਼ੁਰੂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਪਰ ਸਰੀਰਕ ਵਿਕਾਸ ਲਈ ਕਸਰਤ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ।  ਜੋ ਅਸੀਂ ਖੇਡਾਂ ਰਾਹੀਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਹਾਂ।  ਪਰ ਅਗਾਂਹਵਧੂ ਅਤੇ ਆਧੁਨਿਕ ਬਣਨ ਦੀ ਦੌੜ ਵਿੱਚ ਅਸੀਂ ਆਪਣੀ ਸਿਹਤ ਨਾਲ ਖੇਡ ਰਹੇ ਹਾਂ।  ਅਸੀਂ ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਮਹੱਤਤਾ ਨੂੰ ਭੁੱਲਦੇ ਜਾ ਰਹੇ ਹਾਂ।ਸਕੂਲ ਪ੍ਰਬੰਧਕ ਕਮੇਟੀ ਦੇ ਮੈਂਬਰਾਂ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਸਾਨੂੰ ਸਕੂਲ ਵਿੱਚ ਬੱਚਿਆਂ ਲਈ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਖੇਡਾਂ ਦਾ ਆਯੋਜਨ ਕਰਦੇ ਰਹਿਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ।

राष्ट्रीय खेल दिवस आयोजित     

राष्ट्रीय खेल दिवस पर खेल और शारीरिक फिटनेस गतिविधियां आयोजित     

डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़,  29   अगस्त :

पोस्ट ग्रेजुएट गवर्नमेंट कॉलेज, सेक्टर-46 ने विद्यार्थियों और कर्मचारियों के बीच खेल और शारीरिक फिटनेस को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय खेल दिवस समारोह का आयोजन किया। भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस 29 अगस्त को महान हॉकी खिलाड़ी ध्यानचंद के सम्मान में मनाया जाता है। प्रिंसिपल प्रो. जेके सहगल ने कहा कि यह दिन अनुशासन, टीम वर्क और समग्र कल्याण को बढ़ावा देने में खेलों के महत्व की याद दिलाता है। उन्होंने आगे कहा कि हमें व्यक्तियों को खेलों में शामिल होने और स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करना चाहिए। प्रिंसिपल सहगल ने विभिन्न खेलों जैसे गतका, पेनकैक्सिलैट, योग, स्पीक टाकरा, शतरंज और टेबल टेनिस में सात स्वर्ण, चार रजत और चार कांस्य पदक जीतने वाले छात्रों को सम्मानित किया। इस अवसर पर डीन डॉ. अनुराधा मित्तल और वाइस प्रिंसिपल प्रोफेसर स्नेह हर्षिंदर शर्मा भी मौजूद थे।

राजकीय महाविद्यालय रायपुर रानी में राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया गया

विद्यार्थियों ने  खेलों में बढ़ चढ़कर भाग लेने एवं नशे से दूर रहने की शपथ ली

नन्द सिंगला, डेमोक्रेटिक फ्रंट, रायपुररानी, 29     अगस्त  :

 राजकीय महाविद्यालय रायपुर रानी में राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया गया। जैसा कि आपको विदित है की खेल दिवस हॉकी के खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद के जन्मदिवस के उपलक्ष में मनाया जाता है। विद्यार्थियों ने इस अवसर पर खेलों में बढ़ चढ़कर भाग लेने एवं नशे से दूर रहने की शपथ ली। इस अवसर पर प्रधानाचार्य श्रीमती शैलजा छाबड़ा ने विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास में खेलों का महत्व बताया। विद्यार्थियों को खेलों में बढ़-चढ़कर भाग लेने की शपथ दिलाई। इस अवसर पर स्पोर्ट्स कमेटी इंचार्ज श्री राकेश गहलावत, डॉ पूजा बिश्नोई व डा रोहित भुल्लर उपस्थित रहे। पिछले वर्ष में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले महाविद्यालय के खिलाड़ियों को सम्मानित किया गया।

भारत का रत्न, हॉकी का जादूगर दादा ध्यानचंद

मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 इलाहाबाद, संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत में हुआ था। उनके जन्मदिन को भारत का राष्ट्रीय खेल दिवस घोषित किया गया है। इसी दिन खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार अर्जुन और द्रोणाचार्य पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं। भारतीय ओलम्पिक संघ ने ध्यानचंद को शताब्दी का खिलाड़ी घोषित किया था।

भारत का रत्न, हॉकी का जादूगर दादा ध्यानचंद

आज जन्मदिवस पर विशेष : भारत का रत्न, हॉकी का जादूगर दादा ध्यानचंद

वरिष्ठ पत्रकार मनमोहन सिंह, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़, 29 अगस्त :

आज 29 अगस्त है, जन्मदिवस उस महान खिलाड़ी का जो आज भी हॉकी की दुनियां का बेताज बादशाह है। अपने करोड़ों चाहने वालों में ‘दादा’ के नाम से मशहूर मेजर ध्यानचंद आज भी हर उस बशर के दिल में जिंदा हैं जो देश को प्यार करता है। आज भी उनका नाम हॉकी का पर्याय बन गया है।

तीन ओलंपिक खेलों एमेस्टरडम (1928) लॉस एंजेलिस (1932) और बर्लिन (1936) में ध्यानचंद ने भाग लिया। बर्लिन में तो वे भारतीय हॉकी टीम के कप्तान भी थे। 1928 में जब भारत की टीम समुद्र के रास्ते एमेस्टरडम के लिए रवाना हुई तो उसे विदा करने केवल तीन लोग आए थे। इनमे दो हॉकी फेडरेशन के पदाधिकारी और एक पत्रकार था। यह बात अलग है कि टीम की वापसी पर उसके स्वागत के लिए जनता का हजूम था। दादा ने तीन ओलंपिक खेलों में कुल 12 मैच खेले और 40 गोल किए। इन तीनों ओलंपिक खेलों में भारत ने प्रति मैच 8.5 की औसत से कुल 102 गोल किए और उनके खिलाफ मात्र तीन गोल हुए। दादा की प्रति मैच औसत 3.33 गोल की बैठती है।

एलान तो ऑटोग्राफ दे रहे थे:

इन तीनों ओलंपिक खेलों में जो तीन गोल भारत पर हुए उनमें अमेरिका का गोल तो इसलिए हो गया क्योंकि गोलकीपर एलेन अपनी पोस्ट को छोड़ कर अपने फैंस को ऑटोग्राफ देने में व्यस्त थे। असल में भारत के हाफ में गेंद आ ही नहीं रही थी। एलेन भी अकेले खड़े बोर हो गए थे इसलिए अपने चाहने वालों को खुश करने चले गए। इतने में एक लंबी गेंद निकली। भारतीय रक्षापंक्ति को विश्वास था कि एलेन आगे बढ़ कर गेंद रोक ही लेंगे, पर एलेन थे ही नहीं। जब तक भारतीय टीम को पता चला की गोलपोस्ट तो खाली है तब तक देर हो चुकी थी। अमेरिका एक गोल कर गया। अंत में भारत 24-1 के अंतर से जीता। ओलंपिक हॉकी के इतिहास की अब तक भी यही सबसे बड़ी जीत है। ध्यान रहे उस ज़माने में कृत्रिम खेल मैदान नहीं होते थे, अगर कहीं एस्ट्रो टर्फ होती तो शायद गोलों की गिनती कहीं अधिक होती।1936 के बाद 1940 और 1944 के ओलंपिक दूसरे विश्व युद्ध के कारण नहीं हो सके। फिर 1948 तक आते आते दादा 43 साल के हो चुके थे और खेलना छोड़ चुके थे फिर भी 31 साल की उम्र में उन्होंने अपना आखरी ओलंपिक खेल था।

दादा ने भारतीय हॉकी को उरूज़ से रसातल की तरफ जाते देखा। पर तीन दिसंबर 1979 को 74 बरस की आयु में संसार छोड़ने से पहले उन्होंने भारत को कुआलालंपुर (1975) में तीसरा विश्व कप जीतते देखा। उनके लिए इससे अधिक खुशी की बात क्या होगी की फाइनल में पाकिस्तान को हराने वाला गोल उनके अपने पुत्र अशोक कुमार की स्टिक से आया। भारत ने यह फाइनल 2-1 के अंतर से जीता था। अशोक कुमार आज भी हॉकी को समर्पित हैं। हॉकी के विकास में लगे हैं। पिछले दो ओलंपिक खेलों में भारत ने लगातार दो कांस्य पदक जीत कर यह साबित कर दिया है कि यदि ओडिशा के पूरब मुख्यमंत्री नवीन पटनायक जैसे कुछ और लोग आगे आ कर हॉकी को बढ़ावा दें तो हमारे खिलाड़ी हॉकी को ध्यानचंद के सपनों की उड़ान दे सकते हैं।
दादा को नमन।

कबड्डी अंडर-19 में जटवाड़ ने बाजी मारी

नन्द सिंगला, डेमोक्रेटिक फ्रंट, रायपुररानी, 22   अगस्त  :

शहजादपुर ब्लॉक के अंतर्गत ब्लॉक लेवल टूर्नामेंट धनाना में आयोजित किए गए। जिसमें ब्लॉक के 13 विद्यालयों के छात्रों ने अलग-अलग आयु वर्ग में प्रतिभाग किया। दो दिवसीय इस खेल आयोजन के दूसरे दिन अंडर-19 लड़को के वर्ग में कबड्डी में जटवाड़ की टीम ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। एक रोचक मुकाबले में जटवाड़ ने शहजादपुर के लड़कों को खेल के अंतिम क्षणों में हराया और पहला स्थान प्राप्त किया। इस आयोजन की मुख्य अतिथि खंड शिक्षा अधिकारी ज्योति रानी ने विजेता टीम और उनके प्रशिक्षकों को बधाई दी । विद्यालय की प्रधानाचार्य नीलम शर्मा ने भी विजेताओं का उत्साह वर्धन करते हुए उन्हें आगामी जिला स्तर की खेल प्रतियोगिताओं में भी इसी प्रकार अच्छा प्रदर्शन करने और अपने विद्यालय और ब्लॉक का नाम रोशन करने की शुभकामना दी। इस अवसर पर कोच हरिंदर,गुरजंट,जसबीर और विजेता टीम हर्ष,रोहित,दिलशान,दिलबर,नवजोत, कमल,साहिल उपस्थित रहे।

भाजपा ने महिला पहलवानों समेत तमाम खिलाड़ियों का अपमान : हुड्डा

  • ओलंपिक पदक विजेता पहलवान अमन सहरावत ने की भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सांसद दीपेंद्र हुड्डा से मुलाकात
  • हुड्डा ने की अमन सहरावत की सराहना, कहा- अमन ने देश को किया गौरवान्वित
  • कांग्रेस सरकार बनने पर खिलाड़ियों के लिए फिर लागू होगी ‘पदक लाओ, पद पाओ’ नीति, मिलेगी उच्च पदों पर नियुक्ति : हुड्डा
  • कांग्रेस के 750 से ज्यादा खिलाड़ियों को दी थी सरकारी नियुक्तियां, नौकरियों में दिया था 3% खेल कोटा : हुड्डा
  • भाजपा ने किया खेल नीति को खत्म, महिला पहलवानों समेत तमाम खिलाड़ियों का अपमान : हुड्डा
  • कांग्रेस कार्यकाल में डीएसपी नियुक्त हुए खिलाड़ियों को बीजेपी ने आजतक नहीं दी पदोन्नति : हुड्डा

डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़, 20 अगस्त :

पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने पर फिर से खिलाड़ियों के लिए ‘पदक लाओ, पद पाओ’ नीति को लागू किया जाएगा। साथ ही खिलाड़ियों के लिए फिर से नौकरियों में 3 प्रतिशत कोटा लागू होगा और उन्हें उच्च पदों पर नियुक्ति दी जाएगी। हुड्डा ने यह बात  ओलंपिक पदक विजेता पहलवान अमन सहरावत से मुलाकात के बाद कही। पूर्व सीएम हुड्डा और सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने अपने आवास पर अमन सहरावत का स्वागत किया और उन्हें सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि अमन ने पदक जीतकर हरियाणा ही नहीं बल्कि पूरे देश को गौरवान्वित किया है।

मुलाकात के बाद हुड्डा ने कहा कि सरकार को खिलाड़ियों को पद, सम्मान और इनाम देने में कोई कोताही नहीं बरतनी चाहिए। कांग्रेस ने ‘पदक लाओ, पद पाओ’ नीति के तहत खिलाड़ियों को डीएसपी जैसे उच्च पदों पर नियुक्तियां दी थीं। लेकिन बीजेपी ने सत्ता में आते ही इस नीति को बंद कर दिया और खिलाड़ियों से उच्च पदों पर नियुक्ति का अधिकार छीन लिया। बीजेपी इस कद्र खिलाड़ियों से भेदभाव कर रही है कि उसने कांग्रेस कार्यकाल में डीएसपी बने खिलाड़ियों को आजतक पदोन्नति नहीं दी।

हुड्डा ने बताया कि कांग्रेस सरकार के समय में 750 से ज्यादा खिलाड़ियों को डीएसपी, इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर और अन्य सरकारी पदों पर नियुक्तियां मिलीं थी। देश में पहली बार खिलाड़ियों को 5 करोड़ रुपये तक के नकद पुरस्कार दिए गए थे। इससे प्रदेश में खेलों के लेकर सकारात्मक माहौल बना था। छोटे-छोटे बच्चे भी मेडल जीतने का सपना देखने लग गए और मां-बाप बच्चों को कहने लगे थे- ‘खेलो-कूदो, मेडल लाओ, सरकार डीएसपी बनावैगी’। इसके चलते हरियाणा खेलों का हब बना और देश को मिलने वाले 40-50% मेडल इस छोटे के राज्य से आने लगे।

लेकिन भाजपा सरकार ने हरियाणा में खेलों को लेकर गंभीर नहीं है। ‘खेलो इंडिया’ के बजट से हरियाणा को मात्र 3 प्रतिशत हिस्सा मिला है। हरियाणा जो ओलंपिक में सबसे ज्यादा पदक लाता है, उसे तो केवल 66 करोड़ मिले, जबकि गुजरात और यूपी को भाजपा सरकार ने 400-500 करोड़ रुपये दिए हैं। कांग्रेस कार्यकाल के दौरान गांवों में सैकड़ों खेल स्टेडियम बनाए गए थे, लेकिन भाजपा ने उनका रख-रखाव तक ढंग से नहीं किया। अंतराष्ट्रीय स्तर के स्टेडियम भी अनदेखी का शिकार हो रहे हैं। स्कूली स्तर की खेल प्रतियोगिता ‘स्पैट’ को भी बीजेपी ने बंद कर दिया।

बीजेपी ने राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को अपमानित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। न्याय की मांग लेकर धरने पर बैठी महिला पहलवानों को सरकार ने सड़क पर घसीटा और भाजपा के मंत्री पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने वाली कोच को भी सरकार न्याय नहीं दिलवा पाई।  

इन तमाम बातों से स्पष्ट है कि भाजपा सरकार हरियाणा के युवाओं को खिलाड़ी नहीं बनाना चाहती। ये सरकार युवाओं को सिर्फ नशेड़ी बनाना चाहती है। इसीलिए खेलों की बजाए सरकार द्वारा नशे को प्रमोट किया जा रहा है। हरेक गली, मोहल्ले व कॉलोनी में शराब के ठेके खोले जा रहे हैं। चिट्टा जैसे सूखे नशे आज गांव-गांव तक पहुंच गए। क्योंकि सरकार नशा कारोबारियों और तस्करों को सरंक्षण दे रही है। लेकिन कांग्रेस सरकार बनने पर इसपर अंकुश लगाया जाएगा। हरियाणा की जवानी को बचाना कांग्रेस का लक्ष्य है।

सात वर्षीय अवंतिका वर्मा ने एशिया बुक ऑफ  रिकॉर्ड-2024 में दर्ज करवाया नाम

– आंखों पर पट्टी बांधकर महज 30 सैकेंड में बता दिए विश्व के 42 देशों की मुद्रा के नाम –

पवन सैनी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, हिसार, 08   अगस्त :

 6 साल की उम्र में मात्र 44 सैकेंड और 63 मिली सैकेंड में भारत के 28 राज्यों के नाम और उनके वर्तमान मुख्यमंत्रियों के नाम सिर्फ  बाऊंड्री मेप से बताकर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड-2023 में नाम दर्ज करवाने के महज एक साल के बाद मात्र 30 सैकेंड में आंखों पर पट्टी बांधकर 42 देशों की मुद्राओं के नाम बताकर एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज करवाकर हिसार के आर्य नगर निवासी अवंतिका वर्मा ने इतिहास के पन्नों में अपना व अभिभावकों का नाम दर्ज करवा दिया है। अवंतिका वर्मा की दो सालों में प्राप्त दोहरी उपलब्धि पर पूरा परिवार बेटी की ऐतिहासिक सफलता पर अपने आपको गौरवांवित महसूस कर रहा है। अवंतिका वर्मा के अभिभावकों को चहुंओर से बधाई देने वालों का सिलसिला जारी है। अवंतिका के पिता प्रदीप कुमार वर्मा ने बताया कि वे राजस्थान के भिवाड़ी में एक नामी कंपनी में जॉब करते हैं, जबकि उनकी पत्नी नीलम वर्मा हाऊस वाइफ  है।

          प्रदीप वर्मा ने बताया कि अक्सर देखा गया है कि 6 साल की उम्र में बच्चे ठीक से पढऩा-लिखना व उठना-बैठना भी नहीं सीखते। बच्चों को चीजें ठीक से याद भी नहीं रहती और उन्हें सिखाने के लिए परिजनों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। या यूं कहें कि ये परिजनों के लिए परीक्षा की घड़ी होती है कि वो अपने बच्चों को बेहतर तरीके से उनकी रुचि के मुताबिक ढाल सकें, लेकिन बेटी अवंतिका वर्मा में परमात्मा ने गजब की प्रतिभा बख्शी है। करीब दो साल पूर्व भिवाड़ी में एक सेमीनार में अवंतिका ने इस प्रकार की चीजों के बारे में देखा था। यहीं से भी अवंतिका के मन में सफलता की पींगें हिलारें लेने लगी और फिर उसने पीछे मुडक़र नहीं देखा। वर्मा ने बताया कि पूरे परिवार खासकर अवंतिका के दादा शंकरलाल वर्मा ने अवंतिका को लगातार बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित किया।

अवंतिका की माता नीलम ने बताया कि उन्हें भी अवंतिका की प्रतिभा पर पूरा भरोसा था। परिजनों ने मिले प्रोत्साहन को अवंतिका ने जाया नहीं जाने दिया और महज 30 सैकेंड में आंखों पर पट्टी बांधकर स्क्रीन की तरफ मुंह करके 42 देशों की मुद्राओं के नाम बताकर इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज करवा दिया। बतौर अंवतिका वर्मा ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। अगर उन्हें सही दिशा व दशा दी जाए तो वे किसी भी मंजिल को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। अवंतिका वर्मा ने अभिभावकों से आह्वान किया कि वे अपने बच्चों की रूचि के अनुसार हर गतिविधि में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें, ताकि वे अपने साथ-साथ अभिभावकों का भी नाम रोशन कर सकें।