युवा चले जाते हैं तो बूढ़ों को इसे मजबूत करने के प्रयासों के लिए दोषी ठहराया जाता है,सुष्मिता के इस्तीफे पर सिब्बल का तंज़

इस्तीफा देने से पहले सुष्मिता देव ने कांग्रेस पार्टी का वाट्सएप ग्रुप भी छोड़ दिया था। वहीं उन्होंने ट्विटर से अपना बायो भी हटा लिया है। अब उन्होंने खुद को बायो में कांग्रेस पार्टी का पूर्व नेता बताया है। यह कदम सुष्मिता देव ने तब उठाया है, जब ट्विटर ने उनके अकाउंट को निलंबित कर दिया है। सुष्मिता भी उन नेताओं में से एक हैं, जिनका ट्विटर अकाउंट राहुल गांधी के साथ निलंबित किया गया है। सुष्मिता देव 2014 के लोकसभा चुनाव में असम की सिल्चर सीट से कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर सांसद बनीं थीं। इसके बाद उन्हें ऑल इंडिया महिला कांग्रेस का कार्यभार भी दिया गया था। लेकिन, असम विधानसभआ चुनाव में हार के बाद सुष्मिता देव का इस्तीफा कांग्रेस के लिए और भी मुसीबत बन गया है। 

नयी दिल्ल(ब्यूरो) :

कांग्रेस पार्टी में एक के बाद एक कई नेता पार्टी छोड़कर दूसरे दल में शामिल होते जा रहे हैं। कांग्रेस पार्टी को अब एक और झटका लगा है। ऑल इंडिया महिला कांग्रेस की अध्यक्ष और असम के सिलचर से पूर्व सांसद सुष्मिता देव ने पार्टी छोड़ दी है। एक के बाद एक कई युवा नेताओं के पार्टी छोड़ने और अब सुष्मिता देव के पार्टी छोड़ने पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने तंज कसा है।

इस्तीफे के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने तंज कसते हुए कहा है कि जब युवा चले जाते हैं तो बूढ़ों को इसे मजबूत करने के प्रयासों के लिए दोषी ठहराया जाता है। ऑल इंडिया महिला कांग्रेस की अध्यक्ष के इस्तीफे के बाद कपिल सिब्बल ने एक ट्वीट कर अपनी पार्टी पर तंज कसा है। सिब्बल ने ट्वीट करते हुए लिखा कि सुष्मिता देव पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा, जब युवा चले जाते हैं तब पार्टी को मजबूत करने के लिए बूढ़ों को इसे मजबूत करने के प्रयासों के लिए दोषी ठहराया जाता है।

वहीं सुष्मिता देव के इस्तीफे की खबर पर कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मैंने सुष्मिता देव से बात करने की कोशिश की, उनका फोन ऑफ था। वह एक समर्पित कांग्रेस कार्यकर्ता थीं और शायद आज भी हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को उनका कोई पत्र नहीं मिला है। वह अपने फैसले लेने के लिए काफी परिपक्व है, जब तक मैं उससे बात नहीं करता तब तक टिप्पणी नहीं कर सकता।

ऑल इंडिया महिला कांग्रेस की अध्यक्ष और असम के सिलचर से पूर्व सांसद सुष्मिता देव ने पार्टी छोड़ दिया है। उन्होंने सोनिया गांधी को इस्तीफा सौंपे जाने के साथ ही अपना ट्विटर बायो भी बदलकर कांग्रेस की ‘पूर्व सदस्य’ कर दिया। सुष्मिता ने पार्टी क्यों छोड़ी, इसके पीछे वजह स्पष्ट नहीं हो पाया है। उन्होंने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को इस्तीफा भेज दिया है। सुष्मिता, कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व में भारत सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके संतोष मोहन देव की बेटी हैं। उनकी मां बिथिका देव भी विधायक रह चुकी हैं।

क्यों झूठ बोलते हो साहब चरखे से आज़ादी आई थी

“मैं बहुत गरीब हूँ , मेरे पास मेरी भारत माँ को देने के लिए कुछ नहीं था सिवा मेरे प्राणों के, जिसे आज मैं दे रहा हूँ”….“खुदीरामबोस” ऐसे देश प्रेमी,स्वदेशी प्रेमी क्रांतिकारी, जिसने 18वर्ष 8 महीने 8 दिन की अल्पायु में शहादत दी, आज पुण्यतिथि पर भावपूर्ण स्मरण, “जय हिंद” “जय भारत” 8 जून, 1908 को उन्हें अदालत में पेश किया गया और 13 जून को उन्हें मौत की सजा सुनाई गई। 11 अगस्त, 1908 को उन्हें फांसी पर चढ़ा दिया गया। जब जज ने फैसला पढ़कर सुनाया तो खुदीराम बोस मुस्कुरा दिए। जज को ऐसा लगा कि खुदीराम सजा को समझ नहीं पाए हैं, इसलिए मुस्कुरा रहे हैं। कन्फ्यूज होकर जज ने पूछा कि क्या तुम्हें सजा के बारे में पूरी बात समझ आ गई है। इस पर बोस ने दृढ़ता से जज को ऐसा जवाब दिया जिसे सुनकर जज भी स्तब्ध रह गया। उन्होंने कहा कि न सिर्फ उनको सिर्फ फैसला पूरी तरह समझ में आ गया है, बल्कि समय मिला तो वह जज को बम बनाना भी सिखा देंगे।

स्वतन्त्रता संग्राम/इतिहास, डेमोक्रेटिकफ्रंट॰कॉम – चंडीगढ़ :

आजादी की लड़ाई का इतिहास क्रांतिकारियों के त्याग और बलिदान के अनगिनत कारनामों से भरा पड़ा है। क्रांतिकारियों की सूची में ऐसा ही एक नाम है खुदीराम बोस का, जो शहादत के बाद इतने लोकप्रिय हो गए कि नौजवान एक खास किस्म की धोती पहनने लगे जिनकी किनारी पर ‘खुदीराम’ लिखा होता था।

11 अगस्त, आज ही के दि‍न खुदीराम बोस देश की आजादी के लि‍ए शहीद हुए थे। आइए, उनकी वीर गाथा के बारे में जानें और उन्‍हें याद करें। कुछ इतिहासकार उन्हें देश के लिए फांसी पर चढ़ने वाला सबसे कम उम्र का देशभक्त मानते हैं।

खुदीराम बोस का जन्म 3 दिसंबर 1889 को पश्चिम बंगाल के मिदनापुर में त्रैलोक्यनाथ बोस के घर हुआ था। खुदीराम को आजादी हासिल करने की ऐसी लगन लगी कि 9वीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़कर वे स्वदेशी आंदोलन में कूद पड़े। इसके बाद वे रिवॉल्यूशनरी पार्टी के सदस्य बने और ‘वंदेमातरम्’ लिखे पर्चे वितरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

1905 में बंगाल विभाजन के विरोध में चले आंदोलन में भी उन्होंने बढ़-चढ़कर भाग लिया। उनकी क्रांतिकारी गतिविधियों के चलते 28 फरवरी 1906 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन वे कैद से भाग निकले। लगभग 2 महीने बाद अप्रैल में वे फिर से पकड़े गए। 16 मई 1906 को उन्हें रिहा कर दिया गया।

6 दिसंबर 1907 को खुदीराम ने नारायणगढ़ रेलवे स्टेशन पर बंगाल के गवर्नर की विशेष ट्रेन पर हमला किया, परंतु गवर्नर बच गया। सन् 1908 में खुदीराम ने दो अंग्रेज अधिकारियों वाट्सन और पैम्फायल्ट फुलर पर बम से हमला किया लेकिन वे भी बच निकले। खुदीराम बोस मुजफ्फरपुर के सेशन जज किंग्सफोर्ड से बेहद खफा थे जिसने बंगाल के कई देशभक्तों को कड़ी सजा दी थी।उन्होंने अपने साथी प्रफुल्लचंद चाकी के साथ मिलकर किंग्सफोर्ड को सबक सिखाने की ठानी। दोनों मुजफ्फरपुर आए और 30 अप्रैल 1908 को सेशन जज की गाड़ी पर बम फेंक दिया लेकिन उस गाड़ी में उस समय सेशन जज की जगह उसकी परिचित दो यूरोपीय महिलाएं कैनेडी और उसकी बेटी सवार थीं।

किंग्सफोर्ड के धोखे में दोनों महिलाएं मारी गईं जिसका खुदीराम और प्रफुल चंद चाकी को काफी अफसोस हुआ। अंग्रेज पुलिस उनके पीछे लगी और वैनी रेलवे स्टेशन पर उन्हें घेर लिया। अपने को पुलिस से घिरा देख प्रफुल चंद चाकी ने खुद को गोली से उड़ा लिया जबकि खुदीराम पकड़े गए। मुजफ्फरपुर जेल में 11 अगस्त 1908 को उन्हें फांसी पर लटका दिया गया। उस समय उनकी उम्र सिर्फ 19 साल थी।

देश के लिए शहादत देने के बाद खुदीराम इतने लोकप्रिय हो गए कि बंगाल के जुलाहे एक खास किस्म की धोती बुनने लगे। इतिहासवेत्ता शिरोल ने लिखा है- ‘बंगाल के राष्ट्रवादियों के लिए वह वीर शहीद और अनुकरणीय हो गया। विद्यार्थियों तथा अन्य लोगों ने शोक मनाया। कई दिन तक स्कूल बंद रहे और नौजवान ऐसी धोती पहनने लगे जिनकी किनारी पर खुदीराम लिखा होता था।’

ममता ने शुरू किया इस्लामिक शहर बसाने का प्रोजेक्ट और अरेंगी मुगलिस्तान का समर्थन : जेनेट लेवी

जेनेट लेवी ने अपने लेख में लिखा है कि “बंटवारे के वक्त भारत के हिस्से वाले पश्चिमी बंगाल में मुसलमानों की आबादी 12 फीसदी से कुछ ज्यादा थी, जबकि पाकिस्तान के हिस्से में गए पूर्वी बंगाल में हिंदुओं की आबादी 30 फीसदी थी. आज पश्चिम बंगाल में मुसलमानों की जनसंख्या बढ़कर 27 फीसदी हो चुकी है. कुछ जिलों में तो ये 63 फीसदी तक हो गई है. वहीँ दूसरी ओर बांग्लादेश में हिंदू 30 फीसदी से घटकर केवल 8 फीसदी ही बचे हैं.”

जेनेट लेवी के americanthinker.com में प्राषित लेख से साभार

अमेरिका से आयी बंगाल के बारे में ऐसी खौफनाक रिपोर्ट, जिसने पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया है। कभी भारतीय संस्कृति का प्रतीक माने जाने वाले बंगाल की दशा आज क्या हो चुकी है, ये बात तो किसी से छिपी नहीं है. हिन्दुओं के खिलाफ साम्प्रदायिक दंगे तो पिछले काफी वक़्त से होना शुरू हो चुके हैं और अब तो हालात ये हो चुके हैं कि त्यौहार मनाने तक पर रोक लगाई जानी शुरू हो गयी है।  बंगाल पर मशहूर अमेरिकी पत्रकार जेनेट लेवी ने अब जो लेख लिखा है और उसमे जो खुलासे किये हैं, उन्हें देख आपके पैरों तले जमीन खिसक जायेगी।

जेनेट लेवी का दावा – बंगाल जल्द बनेगा एक अलग इस्लामिक देश

जेनेट लेवी ने अपने ताजा लेख में दावा किया है कि कश्मीर के बाद बंगाल में जल्द ही गृहयुद्ध शुरू होने वाला है, जिसमे बड़े पैमाने पर हिन्दुओं का कत्लेआम करके मुगलिस्तान नाम से एक अलग देश की मांग की जायेगी। यानी भारत का एक और विभाजन होगा और वो भी तलवार के दम पर और बंगाल की वोटबैंक की भूखी ममता बनर्जी की सहमति से होगा सब कुछ।

जेनेट लेवी ने अपने लेख में इस दावे के पक्ष में कई तथ्य पेश किए हैं। उन्होंने लिखा है कि “बंटवारे के वक्त भारत के हिस्से वाले पश्चिमी बंगाल में मुसलमानों की आबादी 12 फीसदी से कुछ ज्यादा थी, जबकि पाकिस्तान के हिस्से में गए पूर्वी बंगाल में हिंदुओं की आबादी 30 फीसदी थी। आज पश्चिम बंगाल में मुसलमानों की जनसंख्या बढ़कर 27 फीसदी हो चुकी है। कुछ जिलों में तो ये 63 फीसदी तक हो गई है। वहीँ दूसरी ओर बांग्लादेश में हिंदू 30 फीसदी से घटकर केवल 8 फीसदी ही बचे हैं।”

आप यहाँ जेनेट का पूरा लेख खुद भी पढ़ सकते हैं। http://www.americanthinker.com/articles/2015/02/the_muslim_takeover_of_west_bengal.html

बढ़ती हुई मुस्लिम आबादी को ठहराया जिम्मेदार

 बता दें कि जेनेट ने ये लेख अमेरिकन थिंकर’ मैगजीन में लिखा है. ये लेख एक चेतावनी के तौर पर उन देशों के लिए लिखा गया है, जो मुस्लिम शरणार्थियों के लिए अपने दरवाजे खोल रहे हैं। जेनेट लेवी ने बेहद सनसनीखेज दावा करते हुए लिखा है कि किसी भी समाज में मुस्लिमों की 27 फीसदी आबादी काफी है कि वो उस जगह को अलग इस्लामी देश बनाने की मांग शुरू कर दें।

उन्होंने दावा किया है कि मुस्लिम संगठित होकर रहते हैं और 27 फीसदी आबादी होते ही इस्लामिक क़ानून शरिया की मांग करते हुए अलग देश बनाने तक की मांग करने लगते हैं। पश्चिम बंगाल का उदाहरण देते हुए उन्होंने लिखा है कि ममता बनर्जी के लगातार हर चुनाव जीतने का कारण वहां के मुस्लिम ही हैं। बदले में ममता मुस्लिमों को खुश करने वाली नीतियां बनाती है।

सऊदी से आने वाले पैसे से चल रहा जिहादी खेल?

जल्द ही बंगाल में एक अलग इस्लामिक देश बनाने की मांग उठने जा रही है और इसमें कोई संदेह नहीं कि सत्ता की भूखी ममता इसे मान भी जाए। उन्होंने अपने इस दावे के लिए तथ्य पेश करते हुए लिखा कि ममता ने सऊदी अरब से फंड पाने वाले 10 हजार से ज्यादा मदरसों को मान्यता देकर वहां की डिग्री को सरकारी नौकरी के काबिल बना दिया है। सऊदी से पैसा आता है और उन मदरसों में वहाबी कट्टरता की शिक्षा दी जाती है।

ममता ने शुरू किया इस्लामिक शहर बसाने का प्रोजेक्ट?

गैर मजहबी लोगों से नफरत करना सिखाया जाता है। उन्होंने लिखा कि ममता ने मस्जिदों के इमामों के लिए तरह-तरह के वजीफे भी घोषित किए हैं, मगर हिन्दुओं के लिए ऐसे कोई वजीफे नहीं घोषित किये गए। इसके अलावा उन्होंने लिखा कि ममता ने तो बंगाल में बाकायदा एक इस्लामिक शहर बसाने का प्रोजेक्ट भी शुरू किया है।

पूरे बंगाल में मुस्लिम मेडिकल, टेक्निकल और नर्सिंग स्कूल खोले जा रहे हैं, जिनमें मुस्लिम छात्रों को सस्ती शिक्षा मिलेगी। इसके अलावा कई ऐसे अस्पताल बन रहे हैं, जिनमें सिर्फ मुसलमानों का इलाज होगा। मुसलमान नौजवानों को मुफ्त साइकिल से लेकर लैपटॉप तक बांटने की स्कीमें चल रही हैं। इस बात का पूरा ख्याल रखा जा रहा है कि लैपटॉप केवल मुस्लिम लड़कों को ही मिले, मुस्लिम लड़कियों को नहीं।

जेनेट ने मुस्लिमों को आतंकवाद का दोषी ठहराया

जेनेट लेवी ने लिखा है कि बंगाल में बेहद गरीबी में जी रहे लाखों हिंदू परिवारों को ऐसी किसी योजना का फायदा नहीं दिया जाता। जेनेट लेवी ने दुनिया भर की ऐसी कई मिसालें दी हैं, जहां मुस्लिम आबादी बढ़ने के साथ ही आतंकवाद, धार्मिक कट्टरता और अपराध के मामले बढ़ने लगे।

आबादी बढ़ने के साथ ऐसी जगहों पर पहले अलग शरिया क़ानून की मांग की जाती है और फिर आखिर में ये अलग देश की मांग तक पहुंच जाती है। जेनेट ने अपने लेख में इस समस्या के लिए इस्लाम को ही जिम्मेदार ठहरा दिया है। उन्होंने लिखा है कि कुरान में यह संदेश खुलकर दिया गया है कि दुनिया भर में इस्लामिक राज स्थापित हो।

तस्लीमा नसरीन का उदाहरण किया पेश

जेनेट ने लिखा है कि हर जगह इस्लाम जबरन धर्म-परिवर्तन या गैर-मुसलमानों की हत्याएं करवाकर फैला है। अपने लेख में बंगाल के हालातों के बारे में उन्होंने लिखा है. बंगाल में हुए दंगों का जिक्र करते हुए उन्होंने लिखा है कि 2007 में कोलकाता में बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन के खिलाफ दंगे भड़क उठे थे। ये पहली कोशिश थी जिसमे बंगाल में मुस्लिम संगठनों ने इस्लामी ईशनिंदा (ब्लासफैमी) कानून की मांग शुरू कर दी थी।

भारत की धर्म निरपेक्षता पर उठाये सवाल

1993 में तस्लीमा नसरीन ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों और उनको जबरन मुसलमान बनाने के मुद्दे पर किताब लज्जा’ लिखी थी। किताब लिखने के बाद उन्हें कट्टरपंथियों के डर से बांग्लादेश छोड़ना पड़ा था। वो कोलकाता में ये सोच कर बस गयी थी कि वहां वो सुरक्षित रहेंगी क्योंकि भारत तो एक धर्मनिरपेक्ष देश है और वहां विचारों को रखने की स्वतंत्रता भी है।

मगर हैरानी की बात है कि धर्म निरपेक्ष देश भारत में भी मुस्लिमों ने तस्लीमा नसरीन को नफरत की नजर से देखा। भारत में उनका गला काटने तक के फतवे जारी किए गए। देश के अलग-अलग शहरों में कई बार उन पर हमले भी हुए। मगर वोटबैंक के भूखी वामपंथी और तृणमूल की सरकारों ने कभी उनका साथ नहीं दिया। क्योंकि ऐसा करने पर मुस्लिम नाराज हो जाते और वोटबैंक चला जाता।

बंगाल में हो रही है ‘मुगलिस्तान’ देश की मांग

जेनेट लेवी ने आगे लिखा है कि 2013 में पहली बार बंगाल के कुछ कट्टरपंथी मौलानाओं ने अलग मुगलिस्तान’ की मांग शुरू कर दी। इसी साल बंगाल में हुए दंगों में सैकड़ों हिंदुओं के घर और दुकानें लूट लिए गए और कई मंदिरों को भी तोड़ दिया गया। इन दंगों में सरकार द्वारा पुलिस को आदेश दिये गए कि वो दंगाइयों के खिलाफ कुछ ना करें।

हिन्दुओं का बहिष्कार किया जाता है?

ममता को डर था कि मुसलमानों को रोका गया तो वो नाराज हो जाएंगे और वोट नहीं देंगे। लेख में बताया गया है कि केवल दंगे ही नहीं बल्कि हिन्दुओं को भगाने के लिए जिन जिलों में मुसलमानों की संख्या ज्यादा है, वहां के मुसलमान हिंदू कारोबारियों का बायकॉट करते हैं। मालदा, मुर्शिदाबाद और उत्तरी दिनाजपुर जिलों में मुसलमान हिंदुओं की दुकानों से सामान तक नहीं खरीदते।

यही वजह है कि वहां से बड़ी संख्या में हिंदुओं का पलायन होना शुरू हो चुका है। कश्मीरी पंडितों की ही तरह यहाँ भी हिन्दुओं को अपने घरों और कारोबार छोड़कर दूसरी जगहों पर जाना पड़ रहा है। ये वो जिले हैं जहां हिंदू अल्पसंख्यक हो चुके हैं।

आतंक समर्थकों को संसद भेज रही ममता

इसके आगे जेनेट ने लिखा है कि ममता ने अब बाकायदा आतंकवाद समर्थकों को संसद में भेजना तक शुरू कर दिया है। जून 2014 में ममता बनर्जी ने अहमद हसन इमरान नाम के एक कुख्यात जिहादी को अपनी पार्टी के टिकट पर राज्यसभा सांसद बनाकर भेजा। हसन इमरान प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिमी का सह-संस्थापक रहा है।

हसन इमरान पर आरोप है कि उसने शारदा चिटफंड घोटाले का पैसा बांग्लादेश के जिहादी संगठन जमात-ए-इस्लामी तक पहुंचाया, ताकि वो बांग्लादेश में दंगे भड़का सके। हसन इमरान के खिलाफ एनआईए और सीबीआई की जांच भी चल रही है।

लोकल इंटेलिजेंस यूनिट (एलआईयू) की रिपोर्ट के मुताबिक कई दंगों और आतंकवादियों को शरण देने में हसन का हाथ रहा है। उसके पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से रिश्ते होने के आरोप लगते रहे हैं। जेनेट के मुताबिक़ बंगाल का भारत से विभाजन करने की मांग अब जल्द ही उठने लगेगी। इस लेख के जरिये जेनेट ने उन पश्चिमी देशों को चेतावनी दी है, जो मुस्लिम शरणार्थियों को अपने यहाँ बसा रहे हैं, कि जल्द ही उन्हें भी इसी सब का सामना करना पडेगा।

बंगाल में चुनाव के बाद,जनवरी 1990 की याद ताजा हो गईं,जब 6 लाख कश्मीरी पंडितों को मस्जिदों से चेतावनी दी गई कि यदि आप जीवित रहना चाहते हैं तो अपने परिवार की महिलाओं को (बेटियों, बहनों, पत्नियों) को छोड़कर कश्मीर से भाग जाओ, तब देश में वी पी सिंह की सरकार बनी थी, उनके गृह मंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद थे, और कश्मीर में कांग्रेस के समर्थन से फारुख अब्दुल्ला की सरकार थी। मुस्लिमो ने उनकी संपत्ति हड़प ली और महिलाओं का लगातार बलात्कार होता रहा, और कत्लेआम  होता रहा, किसी मीडिया ने कोई News नहीं दिखाई, फलस्वरूप कश्मीर से हिंदू समाज को अपनी संपत्ति और महिलाओं को छोड़कर भागना पड़ा, वही स्थिति आज बंगाल में होने जा रही है, भाजपा के नेता भी लगभग नपुंसक हो गये हैं, सारी शक्ति हाथ में होते हुए भी लगभग असहाय हो रहे हैं। हिंदुओं के ऊपर होते हुए अत्याचार  देख कर सभी तथाकथित सेकुलर नेता चुप है। यही नेता किसी दूसरे धर्म के व्यक्ति के साथ उनकी ही गलती से कोई खंरोच भी आती तो छाती पीटते हुए सारे देश की नाक में दम कर देते हैं, और UNO तक शिकायत करके देश की छवि बिगाड़ने में भी संकोच नहीं करते। पूरा अंतरराष्ट्रीय मीडिया भारत के विरुद्ध दुष्प्रचार में एकजुट हो जाता है।  

हिंदू समाज को इतना ज्ञान होना चाहिए कि भारत का जन्म 1947 में नहीं हुआ था बल्कि भारत 5000 वर्ष पुरानी हमारी संस्कृति है, हम पूरे विश्व को अपना परिवार मानते हैं जिसमें पशु पक्षी वृक्ष सभी प्राणी शामिल हैं व धरती को अपनी माता मानते हैं। लगभग आधे से अधिक विश्व पर हमारा शासन था। लेकिन अपनी उदारता के कारण हम अपनी जमीन पर दूसरों को बसाते गये और खुद बेघर होते गए। हिंदू घटता गया तो देश बंटता गया। यदि हमें सुरक्षित रहना है तो हनुमान जी की तरह अपनी शक्ति को पहचाना होगा। हमें मंदिरों में केवल मनोकामनाएं पूर्ती के लिए ही नहीं जाना बल्कि हमें अपने देवी-देवताओं से सीखना भी है,वो एक हाथ में माला रखते थे वे दूसरे हाथ में भाला भी रखते थे, हमें शास्त्र के साथ साथ शस्त्र का भी ज्ञान होना चाहिए।  हिंदू समाज को अपनी आत्मरक्षा के बारे में सोचना चाहिए। केवल सरकार व पुलिस के ऊपर ही निर्भर नहीं रहना चाहिए।

हिंदू समाज अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए मंदिर के अलावा कहीं भी जा सकता है चाहे वो धरती के नीचे गड़े हुए मुर्दे ही क्यों न हो, वहां भी बढ़े शान से चादर चढ़ाकर आता है जबकि अन्य कोई भी समाज ऐसा नहीं करता। हमें अपने भविष्य को बचाना है या अपने अस्तित्व को समाप्त करना है ॽ

‘देश में जंग होगी युद्ध होगा: राकेश टिकैत

राकेश टिकैत ने कहा किसान तो वापसी आएगा नहीं किसान वहीं रहेगा और सरकार को बातचीत करनी चाहिए। हमने 5 सितंबर की एक बड़ी पंचायत बुलाई है। आगे का निर्णय हम उसमें लेंगे 2 महीने का हमने सरकार को वक्त दिया है। अपना फैसला सरकार भी कर लिया और किसान भी कर ले। राकेश टिकैत ने कहा है ऐसा लग रहा है देश में जंग होगी युद्ध होगा।

नयी दिल्ली(ब्यूरो):

पश्चिम बंगाल में खेला हुआ क्या यूपी में भी खेला होगा इस पर राकेश टिकैत ने कहा उत्तर प्रदेश में भी खेला होगा अगर खेला करवाना चाहेंगे तो खेला होगा। इनके पास 2 महीने का टाइम है 5 सितंबर कि हमारी पंचायत है उससे पहले पहले बातचीत करके हमारा समाधान कर दें नहीं तो इनका खेला जरूर होगा। तो वहीं पीलीभीत में राकेश टिकैट ने कहा कि बीती 26 जनवरी को लाल किला पर जो घटना हुई उसकी जांच होनी चाहिए। इस दौरान उन्होंने कहा कि जनसंख्या कानून सही है, लेकिन यह राष्ट्रीय स्तर पर लागू होना चाहिए। टिकैट निजी कार्यक्रम में पीलीभीत पहुंचे थेय़ कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस के कई नेता सहित सैकड़ों किसान मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन तब तक चलेगा जब तक सरकार कृषि कानून वापस नहीं लेती।

टिकैत ने कहा कि सरकार जो कानून लाई है, इससे और ज्यादा नुकसान होगा। राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार कानून वापसी ले और किसानों से बैठ कर बात करे, नहीं तो ये आंदोलन जारी रहेगा। किसानों में गर्माहट है। किसानों के धरने पर बोलते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि वो शांतिपूर्ण तरिके से धरना दे रहे, इसलिए सरकार नही सुन रही है। क्रांतिकारी तरीके से धरना दें तो सुन लेगी।

किसानों के संसद का घेराव करने पर राकेश टिकैत ने कहा किसान संसद भवन का रास्ता जानते हैं। अभी 22 तारीख से 200 लोग वहाँ जाएँगे। जब तक पार्लियामेंट चलेगी, तब तक हर रोज 200 लोग जाएँगे। अब जब भी किसान जाएगा, तो लाल किला नहीं संसद भवन ही जाएगा। डीटीसी बस से टिकट लेकर जाएगा।

2022 के चुनाव को लेकर राकेश टिकैत ने कहा, “हमारी क्या तैयारी हो, हम एक ही बार बताएँगे। हम आदेश देंगे, वो लग जाएँगे।” ट्रैक्टर अभियान पर राकेश टिकैत ने कहा, “हमने यह कहा कि ट्रैक्टर पर रंग रोगन करा लो बढ़िया सा बंपर लगवा लो, क्योंकि दिल्ली आना जाना तो लगा रहेगा।”

पश्चिम बंगाल में खेला हुआ क्या यूपी में भी ‘खेला’ होगा, इस पर राकेश टिकैत ने कहा, “उत्तर प्रदेश में भी ‘खेला’ होगा अगर ‘खेला’ करवाना चाहेंगे तो ‘खेला’ होगा। इनके पास 2 महीने का टाइम है। 5 सितंबर को हमारी पंचायत है, उससे पहले पहले बातचीत करके हमारा समाधान कर दें नहीं तो इनका ‘खेला’ जरूर होगा।”

गौरतलब है कि पिछले दिनों भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार से कहा था कि महीनों से चल रहे किसान आंदोलन को या तो बातचीत से खत्म किया जाए या गोलियों से। टिकैत ने कहा था कि किसान बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन बिना किसी शर्त के। टिकैत ने कहा था कि सरकार चाहती है कि किसान उससे सशर्त बातचीत करे लेकिन ऐसा नहीं होगा क्योंकि किसान पिछले 8 महीनों से सरकार की बात मानने के लिए प्रदर्शन में नहीं बैठे हैं।

इससे पहले राकेश टिकैत के रोने की तस्वीरें और वीडियो खूब वायरल किए गए थे। टिकैत के रोने से 2 दिन पहले गणतंत्र दिवस (जनवरी 26, 2021) के दिन दिल्ली की ‘ट्रैक्टर रैली’ में जम कर हिंसा हुई थी।

मीडिया पोर्टल ‘Kreatey’ पर प्रकाशित एक खबर के अनुसार, राकेश टिकैत के रोने से पहले खालिस्तानियों ने टेंट के भीतर ही उनकी पिटाई की थी। प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले कुछ कट्टर सिखों ने उन्हें थप्पड़ और लातों से तो मारा ही था, साथ ही उनसे पैसे वापस लेने की भी धमकी दी थी। जबकि राकेश टिकैत ने रोते हुए दावा किया था कि प्रशासन किसानों का दमन कर रहा है और उनका आत्महत्या करने का मन कर रहा है।

अखिलेश के बाद मायावती ने आतंकियों की गिरफ्तारी पर राजनीति चमकाई

अखिलेश यादव ने अलकायदा आतंकियों की गिरफ़्तारी पर उन्होंने कहा कि वो न तो यूपी पुलिस और न ही भाजपा की सरकार पर भरोसा कर सकते हैं। बता दें कि मैंगो बेल्ट काकोरी के एक मकान से ATS ने मसरुद्दीन और मिनहाज अहमद नामक दो आतंकियों को दबोचा। ये आतंकी देश के कई हिस्सों में बम ब्लास्ट की योजना बना रहे थे, जिसमें मानव-बम से हमले भी शामिल थे। जहाँ अहमद दुबग्गा का निवासी है, मसरुद्दीन मड़ियाँव में रहता था।

  • यूपी एटीएस और पुलिस ने अलकायदा के दो संदिग्ध आतंकियों को किया गिरफ्तार
  • अखिलेश यादव ने उठाए सवाल की यूपी पुलिस पर नहीं है भरोसा
  • अब मायावती ने भी खड़े किए सवाल, बोलीं- अब तक बेखबर क्यों रही पुलिस
  • मायावती ने कहा कि आतंकी पकड़े जाने की आड़ में राजनीति नहीं होनी चाहिए

लखनऊ/दिल्ली:

बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने संदिग्ध आतंकियों की गिरफ्तारी पर कहा कि इसकी आड़ में राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर दावा सही है तो यह गंभीर मामला है और कार्रवाई जरूर होनी चाहिए।

‘..आड़ में न हो राजनीति’
मायावती ने ट्वीट किया, ‘यूपी पुलिस का लखनऊ में आतंकी साजिश का भंडाफोड़ करने व इस मामले में गिरफ्तार दो लोगों के तार अलकायदा से जुड़े होने का दावा अगर सही है तो यह गंभीर मामला है। इस पर उचित कार्रवाई होनी चाहिए वरना इसकी आड़ में कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए जिसकी आशंका व्यक्त की जा रही है।’

भारत से की जा रही थीं भर्तियां

ADG प्रशांत कुमार ने इस ऑपरेशन के बारे में जानकारी देते हुए कहा, उम्र-अल-मंदी द्वारा अलकायदा  में इंडिया से भर्ती की जा रही थीं। यहां कुछ जिहादी लोगों को चिन्हित किया गया था. लखनऊ में मॉडल खड़ा करने की तैयारी में ये लोग लगे हुए थे। मॉडल के प्रमुख सदस्य मसरुद्दीन और शकील बड़ी साजिश रच रहे थे। एडीजी के मुताबिक 15 अगस्त से पहले उत्तर प्रदेश में विस्फोट (Blast) करने की साजिश रची जा रही थी।

कैसे हत्थे चढ़े आतंकी

यूपी एटीएस की टीम ठाकुरगंज इलाके के फरीदीपुर में पहुंची. वहां पर दो घरों मे सर्च ऑपरेशन किया गया. यूपी एटीएस के साथ लोकल पुलिस भी रेड में शामिल रही. सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आसपास के इलाकों में भी पुलिस तैनात की गई थी।  सूत्रों के मुताबिक छोटे ब्लास्ट की वजह से UP-ATS को इन आतंकियों के बारे में सुराग मिला। आशंका है कि इलाके में कुछ और आतंकी भी छिपे हो सकते हैं। आतंकियों की गिरफ्तारी की सूचना मिलने पर जम्मू-कश्मीर के पुलिस अफसरों ने भी यूपी पुलिस से संपर्क साधा है। इधर यूपी ATS का सर्च ऑपरेशन जारी है।

अखिलेश यादव ने अलकायदा आतंकियों की गिरफ़्तारी पर उन्होंने कहा कि वो न तो यूपी पुलिस और न ही भाजपा की सरकार पर भरोसा कर सकते हैं। बता दें कि मैंगो बेल्ट काकोरी के एक मकान से ATS ने मसरुद्दीन और मिनहाज अहमद नामक दो आतंकियों को दबोचा। ये आतंकी देश के कई हिस्सों में बम ब्लास्ट की योजना बना रहे थे, जिसमें मानव-बम से हमले भी शामिल थे। जहाँ अहमद दुबग्गा का निवासी है, मसरुद्दीन मड़ियाँव में रहता था।

इससे पहले राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने पश्चिम बंगाल और केरल में अलकायदा के मॉड्यूल का खुलासा किया था। केरल के एर्नाकुलम और पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद से इन आतंकियों की गिरफ़्तारी हुई थी। ये लोग कोच्चि नौसेना बेस और शिपयार्ड्स को निशाना बनाने वाले थे। बिहार पुलिस भी लखनऊ में अलकायदा आतंकियों की गिरफ़्तारी के बाद अलर्ट पर है। देश के कई हिस्सों में अलकायदा के स्लीपर सेल मौजूद हैं, इनकी फंडिंग पर रोक लगा कर उनके नेटवर्क को ध्वस्त करना मुख्य चुनौती है।

एक भाजपा सांसद के अलावा कई अन्य भाजपा नेता इन आतंकियों के निशाने पर थे। आसपास के घरों में इन आतंकियों के साथियों के ठिकाने हो सकते हैं, इसीलिए उनकी भी तलाशी हो रही है। सीरियल ब्लास्ट की साजिश पाकिस्तान में रची गई थी और अफगानिस्तान में इस पर ‘रिसर्च’ हुआ था। आसपास के 500 मीटर के दायरे में सारे घरों को खाली करा लिया गया। जल्द ही कई और खुलासे होने की संभावना है।

हिंदुत्व का बड़ा चेहरा बने योगी, मोदी और शाह के लिए बड़ी चुनौती बन गए हैं

राजनीतिक जगत में इस बात की भी चर्चा है कि योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाना बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शीर्ष नेताओं को अब ऐसा फ़ैसला समझ में आ रहा है, जिसे अब बदलना और बनाए रखना, दोनों ही स्थितियों में घाटे का सौदा दिख रहा है।  दूसरे, पिछले चार साल के दौरान बतौर मुख्यमंत्री, योगी आदित्यनाथ की जिस तरह की छवि उभर कर सामने आई है, उसके सामने चार साल पहले के उनके कई प्रतिद्वंद्वी काफ़ी पिछड़ चुके हैं।  यहां तक कि पिछले दो हफ़्ते से आरएसएस और बीजेपी के तमाम नेताओं की दिल्ली और लखनऊ में हुई बैठकों के बाद यह माना जा रहा था कि शायद अब यूपी में नेतृत्व परिवर्तन हो जाए लेकिन बैठक के बाद वो नेता भी योगी आदित्यनाथ की तारीफ़ कर गए जिन्होंने कई मंत्रियों और विधायकों के साथ आमने-सामने बैठक की और सरकार के कामकाज का फ़ीडबैक लिया। 

करणीदानसिंह राजपूत, सूरतगढ़:

भाजपा शासित राज्यों में विरोध की दशा दिशा में अभी तो केवल मोदी के नाम के सहारे ही लड़ने और जीतने की संभावना मानते हुए राज्यों के चुनाव में उतरेंगे मगर मोदी-शाह की सबसे बड़ी मुश्किल है कि योगी उनके लिए एक चुनौती बनते जा रहे हैं। योगी फिर से जीते तो मोदी के लिए बड़ा खतरा पैदा हो सकता है। क्योंकि हिंदू नेता के तौर पर योगी इस समय भाजपा का सबसे लोकप्रिय चेहरा माने जाते हैं। 

यूपी की दशा दिशा सब के सामने आ चुकी है।

सीएम योगी आदित्यनाथ दिल्ली में आकर पीएम और गृह मंत्री से भेंट कर चुके हैं। केंद्र की टीम लखनऊ में डेरा लगाकर  हल निकालने की जुगत में बैठी है लेकिन  बीच का रास्ता नहीं निकल पा रहा है। योगी भारी पड़ रहे हैं और केंद्र की टीम वहां बिना भार का रूई का गोला साबित हो रही है।

बंगाल चुनाव में मिली हार के बाद पीएम मोदी और अमित शाह की जोड़ी को सबसे बड़ी ठेस भी पहुंची है की भाजपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वापस टीएमसी में शामिल हो गया। चाहे वह टीएमसी से ही आए थे लेकिन भाजपा से गए जब राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद था। संगठन में एक पद नीचे यानि दूसरे क्रम पर थे। मोदी शाह से समकक्ष नहीं तो कुछ छोटा।

यह मामूली तो नहीं कहा जा सकता। इसके बाद बंगाल में जो टीएमसी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए लोगों का वापस टीएमसी में लौटने का तूफान मचा है। समाचारों में तो यह संख्या बड़ी है। चुनाव के समय रोजाना ममता को झटका लगने का समाचार खूब प्रचारित किये जाते रहे जब टीएमसी छोडकर भाजपा में शामिल होते। इतना करने के बावजूद राज मिलने तक की संख्या तक नहीं पहुंच पाए। ममता को नीचा दिखाने के लिए भाजपा के राष्ट्रीय चेहरे अपने पद और कद से बहुत नीचे उतरे। अब भाजपा को रोजाना झटके लग रहे हैं।

बंगाल में राज नहीं मिलने पर जो कमजोरी आई है उससे राज्यों में चुनौती मिलने लगी है। भाजपा शासित राज्यों  में जो विरोध के स्वर देखने को मिल रहे हैं वो नेताओं की चिंता बढ़ाने के लिए काफी हैं। सबसे मुश्किल ये है कि विरोध केवल हिंदी भाषी राज्यों में नहीं है बल्कि दक्षिण तक पहुंच चुका है। चिंता केवल इतनी ही नहीं है। 

कर्नाटक में भी मुख्यमंत्री येदियुरप्पा केंद्रीय नेतृत्व को आंखें दिखा रहे हैं। वहां एक धड़ा उनके विरोध में सामने आ चुका है। केंद्रीय नेतृत्व चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहा, क्योंकि मुख्यमंत्री लिंगायत समुदाय के बड़े नेता हैं। उन्हें नाराज करने का मतलब होगा इस समुदाय को नाराज करना। कर्नाटक भाजपा के लिए अहम इस वजह से भी है क्योंकि दक्षिण में ये अकेला राज्य है जहां भाजपा अपने दम पर खड़ी है।

प्रधानमंत्री के गृह राज्य गुजरात के हालात भी ठीक नहीं हैं। वहां मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और पार्टी अध्यक्ष सीआर पाटिल के बीच सिर फुटौव्वल चल रही है। पाटिल को मोदी का नजदीकी माना जाता है। कोरोना मामले पर मुख्यमंत्री के साथ उनकी तनातनी अब जगजाहिर हो चुकी है। केंद्रीय नेतृत्व के लिए ये बड़ी चिंता का मामला है। दोनों की तनातनी में गुजरात के उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल अपने लिए मौका तलाश रहे हैं। वो मुख्यमंत्री बनने के लिए गुणाभाग कर रहे हैं।

गोवा में भाजपा के नेता और मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के खिलाफ उनकी ही कैबिनेट ने मोर्चा खोल रखा है। गोवा में भी उत्तर प्रदेश के साथ अगले साल चुनाव होना है। केंद्र ने वहां के हालात सुधारने का जिम्मा बीएल संतोष को दिया है। नतीजा देखना रोचक होगा।

बंगाल में हार के बाद किस तरह की भगदड़ भाजपा में मची है, ये बात जगजाहिर हो चुकी है। भाजपा चाहकर भी अपने लोगों को रोकने में नाकाम साबित हो रही है। त्रिपुरा में भी हालात काबू से बाहर होते जा रहे हैं। मध्य प्रदेश में भी हालात ठीक नहीं हैं। बंगाल से मात खाकर लौटे कैलाश विजय वर्गीय के बारे में कहा जा रहा है कि वो शिवराज को हटाकर खुद मुख्यमंत्री बनने के जुगाड़ में हैं। 

भाजपा की दशा दिशा शोचनीय होने पर भी माना जा रहा है कि असंतोष से कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है राज्यों में चुनाव जीतने के लिए प्रधानमंत्री मोदी का नाम ही काफी रहेगा।

उत्तर प्रदेश में चुनावों को ध्यान में रखते हुए बहुत योजनाबद्ध तरीके से बसाये जा रहे घुसपैठिए और रोहंगिया

गाजियाबद में हुई गिरफ्तारी और खुलासे के बाद सुरक्षा एजेंसियों की चिंता इस वजह से बढ़ गई है क्योंकि एटीएस ने इसी साल 6 जनवरी को संत कबीर नगर जिले के समर्थन गांव में बसे रोहिंग्या अजीजुल्लाह को गिरफ्तार किया था। जिसके बाद 28 फरवरी को अलीगढ़ के कमेला रोड पर रहे मोहम्मद फारुख और हसन को पकड़ा था। फिर फारुख के भाई शाहिद को एक मार्च को उन्नाव से दबोचा गया। इसके साथ ही साथ अन्य तार जोड़ते हुए शाहिद के बहनोई जुबेर के बारे में भी जानकारी मिली, लेकिन वह एटीएस के हाथ नहीं लगा। शाहिद के पास से 5 लाख रुपये के साथ भारतीय नागरिकता से जुड़े कई दस्तावेज मिले थे, जो फर्जी तरीके से बनाए गए थे। इन सब से पूछताछ में बांग्लादेशी रिश्तेदारों की बात सामने निकल कर आई थी और बताया गया था यहां पर वो अपने रिश्तेदारों की मदद से रहने आए थे। बाद में इनके सहारे हजारों रोहिंग्या यहां आ आ कर बस गए। सच बात तो यह है की कुछ राजनाइटिक दल भी इनकी मदद कर रहे हैं, सनद रहे की दिल्ली में 5.2 एकड़ मैं इनकी एक कॉलोनी बसा दी गयी है। इनकी दूसरे प्रदेशों में जाली दस्तावेज़ों के सहारे अपनी चुनावी नैया पार करवाने की कवायद है जो राष्ट्र के लिए बहुत ही घातक है। सूत्रों की मानें तो अभी कुछ समय पहले हुए बंगाल चुनावों को इसका सफल प्रयोग भी कहा जा रहा हा।

लखनऊ/चंडीगढ़:

उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। उससे पहले रोहिंग्या मुसलमानों को राज्य में बसाने को लेकर एक बड़ी साजिश का पर्दाफाश हुआ है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक सोची-समझी साजिश के तहत इन्हें बसाया जा रहा है। इनके फर्जी आधार कार्ड, वोटर कार्ड सहित अन्य दस्तावेज तैयार करवाए जा रहे हैं ताकि वे वोट डाल सकें। इन्हें आर्थिक मदद भी मुहैया कराई जा रही।

प्रदेश की एटीएस ने पिछले सप्ताह गाजियाबाद में रहने वाले नूर आलम और आमिर हुसैन नाम के दो रोहिंग्या को जाली कागजात के साथ गिरफ्तार किया था। इसके बाद दोनों को पाँच दिन की रिमांड पर लखनऊ भेजा गया। पूछताछ के दौरान दोनों ने कई हैरान कर देने वाले खुलासे किए हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, एजेंसियों को पता चला है कि दिल्ली के खजूरी खास इलाके के एक वेंडर ने रोहिंग्याओं को उत्तर प्रदेश में बसाया था।

यूपी एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार ने खुलासा किया है कि रोहिंग्या मुस्लिम फर्जी राशन कार्ड, पैन कार्ड और वोटर आईडी कार्ड के साथ प्रदेश के विभिन्न स्थानों में बसने लगे हैं। आज तक की रिपोर्ट में कहा गया है कि इन रोहिंग्याओं को वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके लिए उन्हें आर्थिक मदद भी दी जा रही है।

आईपीएस अधिकारी ने बताया है कि रोहिंग्या मुस्लिम प्रदेश के हर विधानसभा क्षेत्रों में बस गए हैं। आधार कार्ड और वोटर कार्ड समेत दूसरे पहचान प्रमाण-पत्र होने के कारण उनकी पहचान कर पाना काफी मुश्किल काम है।

नूर आलम और हुसैन की गिरफ्तारी का ऑपरेशन चलाने वाले प्रदेश एटीएस के आईजी जीके गोस्वामी ने बताया है कि आरोपितों के पास से 70,000 रुपए नकद, पैन, आधार और यूएनएचसीआर कार्ड मिला है। जाँच एजेंसी को पता चला है कि ये दोनों अलग-अलग माध्यम से रोहिंग्या मुस्लिमों को भारत में घुसाने के रैकेट में भी शामिल हैं।

एक राष्ट्रिय दैनिक को दिए एक स्टेटमेंट में आईजी ने बताया, “शुरुआती पूछताछ में पता चला कि नूर आलम और आमिर हुसैन रोहिंग्या को भारत लाने का काम कर रहे थे। यहाँ उन्हें नौकरी दिलाने और दस्तावेज बनवाने में मदद करने के बहाने उनसे पैसे वसूल करते थे। रोहिंग्याओं को बांग्लादेश के रास्ते अवैध तरीके से भारत लाया जा रहा था।”

2021 में पकड़े गए रोहिंग्या

इसी साल जनवरी (2021) के महीने में संत कबीर नगर में गिरफ्तार किए अजीज उल हक, गाजियाबाद से गिरफ्तार नूर आलम का जीजा था। अजीज फर्जी दस्तावेजों के सहारे बीते 20 साल से भारत में रह रहा था। वहीं 28 फरवरी 2021 को मोहम्मद फारूक और हसन को अलीगढ़ से गिरफ्तार करने के बाद फारूक के भाई को भी 1 मार्च को उन्नाव से गिरफ्तार किया गया था। शाहिद को फर्जी इंडियन आईडेंटिटी डॉक्युमेंट्स और 5 लाख रुपए के साथ पकड़ा गया था।

एटीएस की इस पूछताछ में जिस बात का खुलासा हुआ है वो ये है कि अपने सगे संबंधियों की सहायता से रोहिंग्या मुस्लिम पूरे प्रदेश में बस चुके हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक ज्यादातर रोहिंग्या अलीगढ़, आगरा और उन्नाव के बूचड़खानों में काम करते हैं।

पीएफआई के नेता दे रहे शरण

ए हिन्दी दैनिक की रिपोर्ट के मुताबिक, विधानसभा चुनाव से पहले बांग्लादेशी घुसपैठियों और रोहिंग्याओं ने यूपी में बसना शुरू कर दिया है। प्रतिबंधित सिमी समर्थित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के नेता इन घुसपैठियों को संरक्षण दे रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार बंग्लादेशी घुसपैठियों को स्थानीय भाषा आती है। लिहाजा वे शहरी इलाकों में ठिकाना बना रहे हैं। वहीं उनकी मदद से रोहिंग्या यूपी के ग्रामीण इलाकों में बसाए जा रहे हैं।

दिल्ली में आआपा मेहरबान रोहिङिया पहलवान

पिछले साल 16 या 17 मई को एक हिन्दी दैनिक में प्रकाशित तोषी शर्मा की विस्तृत रिपोर्ट के अनुसार, ये रोहिंग्या मुस्लमान दिल्ली की उस जमीन अवैध रूप से कब्जा कर बस गए हैं और साथ ही सारी सरकारी सुविधाओं का भी फायदा उठा रहे हैं। ओखला के विधायक और आआपा नेता अमानतुल्लाह ख़ान इस वक़्त उन सबके सबसे बड़े मददगार हैं, जिन्होंने रोहिंग्याओं को राशन-पानी से लेकर अन्य मदद मुहैया कराने के लिए दिन-रात एक की हुई है।

अब मूल प्रश्न यह है:

  • कि तोषी शर्मा कि इस रिपोर्ट पर आज तक क्या कार्यवाई हुई?
  • यदि केंद्र सरकार रोहंगिया को राष्ट्रिय सुरक्षा के लिए घाटा मानती है तो केंद्र ने अपने स्तर पर क्या कदम उठाए?
  • सूत्रों कि माने तो जब बंगाल चुनावों में घुसपैठियों कि मदद से चुनाव जीते जा सकते हैं तो दूसरे प्रदेशों में क्यों नहीं?
  • या रिपोर्ट अपने आप में प्रश्नों का पुलिंदा है

आज भी

  • दिल्ली पुलिस बेफिक्र, केंद्र ने बताया था रोहिंग्या को खतरा
  • रोहिंग्याओं की इस बस्ती में 300 से ज्यादा लोगों को सुविधाएं भी मिल रही हैं
  • आरोप: स्थानीय आआपा विधायक की मदद से बनवा लिए आधार-वोटर कार्ड

‘पुरनूर’ कोरल, चण्डीगढ़/नयी दिल्ली :

भारत में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या मुसलमान किस तरह पूरे देश में पैर पसारते जा रहे हैं इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि इससे राजधानी दिल्ली भी अछूती नहीं है। दिल्ली पुलिस की नाक के नीचे मदनपुर खादर श्मशान घाट के सामने अवैध रूप से ये रह रहे हैं। यह अवैध बस्ती उत्तरप्रदेश सिंचाई विभाग की जमीन पर बसाई गई है। हैरत की बात है कि इन्हें  बाकायदा सभी सरकारी सुविधाएं भी मिल रही हैं। लॉकडाउन में इन कैंपों में दिल्ली सरकार और ओखला विधायक अमानतुल्लाह खान की ओर से भरपूर राशन सामग्री मुहैया करवाई जा रही है। इस रोहिंग्या कैंप में चोरी की लाइट के साथ-साथ पानी के लिए अवैध तरीके से बोरिंग तक करवाया गया है। 

वहीं दूसरी ओर यहां आसपास की झुग्गियों में रह रहे प्रवासी मजदूरों के परिवार राशन को तरस रहे हैं। बता दें कि खुद केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि रोहिंग्या मुसलमान भारत की सुरक्षा के लिए खतरा है और इन्हें सरकार देश से बाहर करना चाहती है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि इस अवैध कैंप से कालिंदी कुंज थाना पुलिस की मिली भगत से अवैध रूप से गांजा, स्मैक और अन्य मादक पदार्थों का धंधा चल रहा है। कई आरडब्ल्यूए दिल्ली पुलिस से इस अवैध बस्ती को हटाने के लिए गुहार लगा चुका है लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग की जिस जमीन पर अवैध रोहिंग्याओं का कब्जा है वो करीब 5.2 एकड़ जमीन है। खसरा नंबर 612 की इस जमीन की कीमत अरबों रुपए है। जिस पर योजनाबद्ध तरीके से पुलिस संरक्षण के कारण अवैध रोहिंग्याओं और बांग्लादेशियों ने कब्जा कर रखा है।

योजनाबद्द तरीके से यूपी की जमीन पर बसाया: स्थानीय लोग

यूपी सिंचाई विभाग के आगरा कैनाल की जमीन पर ओखला विधायक अमानतुल्लाह खान पर योजनाबद्ध तरीके से बसाने का स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है। कंचन-कुंज के लोगों ने आरोप लगाया कि यहां अवैध तरीके से रह रहे रोहिंग्या पहले कंचन-कुंज में एक मुस्लिम नेता के खाली प्लाट में रह रहे थे। जहां 17 अप्रैल 2018 को साजिश के तहत झुग्गियों में आग लगाई गई। जिसके बाद इन्हें दिल्ली के बाहर यूपी सिंचाई की जमीन पर अवैध कब्जा करवाया गया है। इसके कैंप के आसपास अवैध बांग्लादेशियों को भी बसाया जा रहा है। ये रोहिंग्या इस इलाके में कई वर्षों से रह रहे हैं।  यमुना किनारे श्मशान घाट के किनारे कैंप में रह रहे अवैध रोहिंग्याओं की दिल्ली सरकार और स्थानीय विधायक अमानतुल्लाह खान की ओर से पूरी मदद करने का आरोप स्थानीय लोगों ने लगाया है। लोगों का आरोप है कि इस कैंप में करीब 300 से ज्यादा लोग रहते हैं। जो बिजली और पानी की चोरी करते हैं।

सरिता विहार एसीपी बोले- रोहिंग्या बैठे हैं तो क्या हुआ

इस बारे में सरिता विहार शर्मा ने एसीपी ढाल सिंह से भी बात की। उनका जवाब हैरान करने वाला था। जब उनसे पूछा गया कि यहां रोहिंग्या अवैध तरीके रह रहे हैं। इस बारे में स्थानीय लोग कई बार इन्हें हटाने के मांग कर चुके हैं। लेकिन दिल्ली पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। इस पर एसीपी ढाल सिंह ने कहा कि रोहिंग्या रह रहे हैं तो क्या हुआ।  इधर, यहां अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्याओं को हटाने के लिए स्थानीय पार्षद संतोष देवी दिनेश टांक ने बताया कि दिल्ली पुलिस, पूर्व सांसद महेश गिरी, मौजूदा बीजेपी सांसद गौतम गंभीर और यूपी की योगी सरकार को लिखित में शिकायत दे चुकी हैं। लेकिन पुलिस और सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की है।

पूर्व सांसद गिरी बोले-नहीं मिला था पुलिस का सहयोग 

दक्षिणी-पूर्वी दिल्ली से पूर्व भाजपा सांसद महेश गिरी ने इन रोहिंग्याओं को हटाने के लिए दिल्ली पुलिस को लिखा था। लेकिन आप विधायक अमानतुल्लाह खान ने उस समय विरोध किया था।  पूर्व सांसद महेश गिरी से एक हिन्दी दैनिक ने इस बारे में जानकारी के लिए फोन पर संपर्क किया। लेकिन उनके निजी सचिव से बात हुई। उन्होंने बताया कि क्षेत्रीय विधायक अमानतुल्लाह खान के संरक्षण में रोहिंग्या और बांग्लादेशियों को इस इलाके में योजनाबद्ध तरीके से बसाया जा रहा है। यहां तक कि इन रोहिंग्याओं के अमानतुल्लाह खान ने अपने लेटर हैड के जरिए आधार और वोटर कार्ड भी बनवाए हैं।   मदनपुर खादर ईस्ट में रह रहे जानकारों ने भास्कर से बताया कि कुछ रोहिंग्या परिवार सबसे पहले मदनपुर खादर एक्सटेंशन पार्ट वन में एक मुस्लिम व्यक्ति के घर में हॉल में रह रहे थे। फिर धीरे-धीरे अपने और लोगों को बुलाते रहे। जिसके बाद ये एक स्थानीय मुस्लिम नेता के विवादित खाली प्लाट में झुग्गियां बनाकर रहने लगे। 

  • हां, यहां पर रोहिंग्या अवैध तरीके से रह रहे हैं। लेकिन कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई इस बारे में कुछ नहीं कहना चाहता हूं। ये मेरे अधिकार क्षेत्र से बाहर है। इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए डीसीपी से बात कीजिए। – संजय सिन्हा, एसएचओ, कालिंदी कुंज
  • मेरी जानकारी में नहीं है, मैं पता करवाता हूं। जानकारी मिलने पर इस विषय में नियमानुसार कार्रवाई करेंगे। चिन्मय बिस्वाल,डीसीपी, दक्षिणी पूर्वी दिल्ली
  • विभाग की जमीन से रोहिंग्याओं का कब्जा हटाने के लिए कार्ययोजना बनाकर लखनऊ भेजा जा चुका है। इसके साथ ही दिल्ली पुलिस के असहयोग के रवैये को लेकर गृह मंत्रालय को भी लिखा गया है। सरकार जमीन खाली करवाएगी।-देवेंद्र ठाकुर, एक्सईएन, हेडवर्क खंड आगरा नहर ओखला

आज है देवी भगवती बगलामुखी अष्टमी(जयंती)

हर साल वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को बगलामुखी जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष गुरुवार, 20 मई 2021 को मां बगलामुखी जयंती मनाई जा रही है।प्राचीन तंत्र ग्रंथों में दस महाविद्याओं का उल्लेख मिलता है। 1. काली 2. तारा 3. षोड़षी 4. भुवनेश्वरी 5. छिन्नमस्ता 6. त्रिपुर भैरवी 7. धूमावती 8. बगलामुखी 9. मातंगी 10. कमला। मां भगवती श्री बगलामुखी का महत्व समस्त देवियों में सबसे विशिष्ट है। मां बगलामुखी यंत्र चमत्कारी सफलता तथा सभी प्रकार की उन्नति के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है। कहते हैं इस यंत्र में इतनी क्षमता है कि यह भयंकर तूफान से भी टक्कर लेने में समर्थ है।

माँ बगलामुखी

डेमोक्रेटिकफ्रंट॰कॉम, धर्म /संस्कृति डेस्क:

वैशाख शुक्ल अष्टमी को देवी बगलामुखी का अवतरण दिवस कहा जाता है जिस कारण इसे मां बगलामुखी जयंती के रूप में मनाया जाता है. इस वर्ष 2021 में यह जयन्ती 20 मई, को मनाई जाएगी. इस दिन व्रत एवं पूजा उपासना कि जाती है साधक को माता बगलामुखी की निमित्त पूजा अर्चना एवं व्रत करना चाहिए. बगलामुखी जयंती पर्व देश भर में हर्षोउल्लास व धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस अवसर पर जगह-जगह अनुष्ठान के साथ भजन संध्या एवं विश्व कल्याणार्थ महायज्ञ का आयोजन किया जाता है तथा महोत्सव के दिन शत्रु नाशिनी बगलामुखी माता का विशेष पूजन किया जाता है और रातभर भगवती जागरण होता है.

माँ बगलामुखी स्तंभन शक्ति की अधिष्ठात्री हैं अर्थात यह अपने भक्तों के भय को दूर करके शत्रुओं और उनके बुरी शक्तियों का नाश करती हैं. माँ बगलामुखी का एक नाम पीताम्बरा भी है इन्हें पीला रंग अति प्रिय है इसलिए इनके पूजन में पीले रंग की सामग्री का उपयोग सबसे ज्यादा होता है. देवी बगलामुखी का रंग स्वर्ण के समान पीला होता है अत: साधक को माता बगलामुखी की आराधना करते समय पीले वस्त्र ही धारण करना चाहिए.

देवी बगलामुखी दसमहाविद्या में आठवीं महाविद्या हैं यह स्तम्भन की देवी हैं. संपूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति का समावेश हैं माता बगलामुखी शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद विवाद में विजय के लिए इनकी उपासना की जाती है. इनकी उपासना से शत्रुओं का नाश होता है तथा भक्त का जीवन हर  प्रकार की बाधा से मुक्त हो जाता है. बगला शब्द संस्कृत भाषा के वल्गा का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ होता है दुलहन है अत: मां के अलौकिक सौंदर्य और स्तंभन शक्ति के कारण ही इन्हें यह नाम प्राप्त है.

बगलामुखी देवी रत्नजडित सिहासन पर विराजती होती हैं रत्नमय रथ पर आरूढ़ हो शत्रुओं का नाश करती हैं. देवी के भक्त को तीनो लोकों में कोई नहीं हरा पाता, वह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाता है पीले फूल और नारियल चढाने से देवी प्रसन्न होतीं हैं. देवी को पीली हल्दी के ढेर पर दीप-दान करें, देवी की मूर्ति पर पीला वस्त्र चढाने से बड़ी से बड़ी बाधा भी नष्ट होती है, बगलामुखी देवी के मन्त्रों से दुखों का नाश होता है.

बगलामुखी कथा

देवी बगलामुखी जी के संदर्भ में एक कथा बहुत प्रचलित है जिसके अनुसार एक बार सतयुग में महाविनाश उत्पन्न करने वाला ब्रह्मांडीय तूफान उत्पन्न हुआ, जिससे संपूर्ण विश्व नष्ट होने लगा इससे चारों ओर हाहाकार मच जाता है और अनेकों लोक संकट में पड़ गए और संसार की रक्षा करना असंभव हो गया. यह तूफान सब कुछ नष्ट भ्रष्ट करता हुआ आगे बढ़ता जा रहा था, जिसे देख कर भगवान विष्णु जी चिंतित हो गए.

इस समस्या का कोई हल न पा कर वह भगवान शिव को स्मरण करने लगे तब भगवान शिव उनसे कहते हैं कि शक्ति के अतिरिक्त अन्य कोई इस विनाश को रोक नहीं सकता अत: आप उनकी शरण में जाएँ, तब भगवान विष्णु ने हरिद्रा सरोवर के निकट पहुँच कर कठोर तप करते हैं. भगवान विष्णु ने तप करके महात्रिपुरसुंदरी को प्रसन्न किया देवी शक्ति उनकी साधना से प्रसन्न हुई और सौराष्ट्र क्षेत्र की हरिद्रा झील में जलक्रीडा करती महापीत देवी के हृदय से दिव्य तेज उत्पन्न हुआ.

उस समय चतुर्दशी की रात्रि को देवी बगलामुखी के रूप में प्रकट हुई, त्र्येलोक्य स्तम्भिनी महाविद्या भगवती बगलामुखी नें प्रसन्न हो कर विष्णु जी को इच्छित वर दिया और तब सृष्टि का विनाश रूक सका. देवी बगलामुखी को बीर रति भी कहा जाता है क्योंकि देवी स्वम ब्रह्मास्त्र रूपिणी हैं, इनके शिव को एकवक्त्र महारुद्र कहा जाता है इसी लिए देवी सिद्ध विद्या हैं. तांत्रिक इन्हें स्तंभन की देवी मानते हैं, गृहस्थों के लिए देवी समस्त प्रकार के संशयों का शमन करने वाली हैं.

पूजा-साधना काल की सावधानियां-

  • ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  • पीले वस्त्र धारण करें।
  • एक समय भोजन करें।
  • बाल नहीं कटवाए।
  • मंत्र के जप रात्रि के 10 से प्रात: 4 बजे के बीच करें।
  • दीपक की बाती को हल्दी या पीले रंग में लपेट कर सुखा लें।
  • साधना में छत्तीस अक्षर वाला मंत्र श्रेष्ठ फलदायी होता है।
  • साधना अकेले में, मंदिर में, हिमालय पर या किसी सिद्ध पुरुष के साथ बैठकर की जानी चाहिए।

बगलामुखी जयंती 2021 शुभ मुहूर्त-

बगलामुखी जयंती मुहूर्त : गुरुवार, 20 मई 2021 को 11.50 मिनट से 12.45 मिनट तक।

मां बगलामुखी पूजन

माँ बगलामुखी की पूजा हेतु इस दिन प्रात: काल उठकर नित्य कर्मों में निवृत्त होकर, पीले वस्त्र धारण करने चाहिए. साधना अकेले में, मंदिर में या किसी सिद्ध पुरुष के साथ बैठकर की जानी चाहिए. पूजा करने के लुए  पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजा करने के लिए आसन पर बैठें चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवती बगलामुखी का चित्र स्थापित करें.

इसके बाद आचमन कर हाथ धोएं। आसन पवित्रीकरण, स्वस्तिवाचन, दीप प्रज्जवलन के बाद हाथ में पीले चावल, हरिद्रा, पीले फूल और दक्षिणा लेकर संकल्प करें. इस पूजा में  ब्रह्मचर्य का पालन करना आवशयक होता है  मंत्र- सिद्ध करने की साधना में माँ बगलामुखी का पूजन यंत्र चने की दाल से बनाया जाता है और यदि हो सके तो ताम्रपत्र या चाँदी के पत्र पर इसे अंकित करें.

माँ बगलामुखी मंत्र

श्री ब्रह्मास्त्र-विद्या बगलामुख्या नारद ऋषये नम: शिरसि।
त्रिष्टुप् छन्दसे नमो मुखे। श्री बगलामुखी दैवतायै नमो ह्रदये।
ह्रीं बीजाय नमो गुह्ये। स्वाहा शक्तये नम: पाद्यो:।
ऊँ नम: सर्वांगं श्री बगलामुखी देवता प्रसाद सिद्धयर्थ न्यासे विनियोग:।

इसके पश्चात आवाहन करना चाहिए

ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं स्तम्भिनि सकल मनोहारिणी अम्बिके इहागच्छ सन्निधि कुरू सर्वार्थ साधय साधय स्वाहा।

अब देवी का ध्यान करें इस प्रकार

सौवर्णामनसंस्थितां त्रिनयनां पीतांशुकोल्लसिनीम्
हेमावांगरूचि शशांक मुकुटां सच्चम्पकस्रग्युताम्
हस्तैर्मुद़गर पाशवज्ररसना सम्बि भ्रति भूषणै
व्याप्तांगी बगलामुखी त्रिजगतां सस्तम्भिनौ चिन्तयेत्।

मंत्र

ऊँ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां
वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्ववां कीलय
बुद्धि विनाशय ह्रीं ओम् स्वाहा।

माँ बगलामुखी की साधना करने वाला साधक सर्वशक्ति सम्पन्न हो जाता है. यह मंत्र विधा अपना कार्य करने में सक्षम हैं. मंत्र का सही विधि द्वारा जाप किया जाए तो निश्चित रूप से सफलता प्राप्त होती है. बगलामुखी मंत्र के जाप से पूर्व बगलामुखी कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए. देवी बगलामुखी पूजा अर्चना सर्वशक्ति सम्पन्न बनाने वाली सभी शत्रुओं का शमन करने वाली तथा मुकदमों में विजय दिलाने वाली होती है.

गंगा जयंती : 18 मई

जिस दिन गंगा जी की उत्पत्ति हुई वह दिन गंगा जयंती (वैशाख शुक्ल सप्तमी) और जिस दिन गंगाजी पृथ्वी पर अवतरित हुई वह दिन ‘गंगा दशहरा’ (ज्येष्ठ शुक्ल दशमी) के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पवित्र गंगा नदी में डुबकी लगाने से सभी पाप नष्ट हो जाते है और मनुष्य को मोक्ष प्राप्त होता है।

गंगा जयंती हिन्दुओं का एक प्रमुख पर्व है. वैशाख शुक्ल सप्तमी के पावन दिन गंगा जी की उत्पत्ति हुई इस कारण इस पवित्र तिथि को गंगा जयंती के रूप में मनाया जाता है. इस वर्ष 2021 में यह जयन्ती 18 मई को मनाई जाएगी.

गंगा जयंती के शुभ अवसर पर गंगा जी में स्नान करने से सात्त्विकता और पुण्यलाभ प्राप्त होता है. वैशाख शुक्ल सप्तमी का दिन संपूर्ण भारत में श्रद्धा व उत्साह के साथ मनाया जाता है यह तिथि पवित्र नदी गंगा के पृथ्वी पर आने का पर्व है गंगा जयंती. स्कन्दपुराण, वाल्मीकि रामायण आदि ग्रंथों में गंगा जन्म की कथा वर्णित है.

भारत की अनेक धार्मिक अवधारणाओं में गंगा नदी को देवी के रूप में दर्शाया गया है. अनेक पवित्र तीर्थस्थल गंगा नदी के किनारे पर बसे हुये हैं. गंगा नदी को भारत की पवित्र नदियों में सबसे पवित्र नदी के रूप में पूजा जाता है. मान्यता है कि गंगा में स्नान करने से मनुष्य के समस्त पापों का नाश होता है. लोग गंगा के किनारे ही प्राण विसर्जन या अंतिम संस्कार की इच्छा रखते हैं तथा मृत्यु पश्चात गंगा में अपनी राख विसर्जित करना मोक्ष प्राप्ति के लिये आवश्यक समझते हैं. लोग गंगा घाटों पर पूजा अर्चना करते हैं और ध्यान लगाते हैं.

गंगाजल को पवित्र समझा जाता है तथा समस्त संस्कारों में उसका होना आवश्यक माना गया है. गंगाजल को अमृत समान माना गया है. अनेक पर्वों और उत्सवों का गंगा से सीधा संबंध है मकर संक्राति, कुंभ और गंगा दशहरा के समय गंगा में स्नान, दान एवं दर्शन करना महत्त्वपूर्ण समझा माना गया है. गंगा पर अनेक प्रसिद्ध मेलों का आयोजन किया जाता है. गंगा तीर्थ स्थल सम्पूर्ण भारत में सांस्कृतिक एकता स्थापित करता है गंगा जी के अनेक भक्ति ग्रंथ लिखे गए हैं जिनमें श्रीगंगासहस्रनामस्तोत्रम एवं गंगा आरती बहुत लोकप्रिय हैं.

गंगा जन्म कथा

गंगा नदी हिंदुओं की आस्था का केंद्र है और अनेक धर्म ग्रंथों में गंगा के महत्व का वर्णन प्राप्त होता है गंगा नदी के साथ अनेक पौराणिक कथाएँ जुड़ी हुई हैं जो गंगा जी के संपूर्ण अर्थ को परिभाषित करने में सहायक है.  इसमें एक कथा अनुसार गंगा का जन्म भगवान विष्णु के पैर के पसीनों की बूँदों से हुआ गंगा के जन्म की कथाओं में अतिरिक्त अन्य कथाएँ भी हैं. जिसके अनुसार गंगा का जन्म ब्रह्मदेव के कमंडल से हुआ.

एक मान्यता है कि वामन रूप में राक्षस बलि से संसार को मुक्त कराने के बाद ब्रह्मदेव ने भगवान विष्णु के चरण धोए और इस जल को अपने कमंडल में भर लिया और एक अन्य कथा अनुसार जब भगवान शिव ने नारद मुनि, ब्रह्मदेव तथा भगवान विष्णु के समक्ष गाना गाया तो इस संगीत के प्रभाव से भगवान विष्णु का पसीना बहकर निकलने लगा जिसे ब्रह्मा जी ने उसे अपने कमंडल में भर लिया और इसी कमंडल के जल से गंगा का जन्म हुआ था.

गंगा जयंती महत्व

शास्त्रों के अनुसार बैशाख मास शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को ही गंगा स्वर्ग लोक से शिव शंकर की जटाओं में पहुंची थी इसलिए इस दिन को गंगा जयंती और गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाता है.  जिस दिन गंगा जी की उत्पत्ति हुई वह दिन गंगा जयंती (वैशाख शुक्ल सप्तमी) और जिस दिन गंगाजी पृथ्वी पर अवतरित हुई वह दिन ‘गंगा दशहरा’ (ज्येष्ठ शुक्ल दशमी) के नाम से जाना जाता है इस दिन मां गंगा का पूजन किया जाता है.  गंगा जयंती के दिन गंगा पूजन एवं स्नान से रिद्धि-सिद्धि, यश-सम्मान की प्राप्ति होती है तथा समस्त पापों का क्षय होता है. मान्यता है कि इस दिन गंगा पूजन से मांगलिक दोष से ग्रसित जातकों को विशेष लाभ प्राप्त होता है. विधिविधान से गंगा पूजन करना अमोघ फलदायक होता है.

पुराणों के अनुसा गंगा विष्णु के अँगूठे से निकली हैं, जिसका पृथ्वी पर अवतरण भगीरथ के प्रयास से कपिल मुनि के शाप द्वारा भस्मीकृत हुए राजा सगर के 60,000 पुत्रों की अस्थियों का उद्धार  करने के लिए हुआ था  तब उनके उद्धार के लिए राजा सगर के वंशज भगीरथ ने घोर तपस्या कर माता गंगा को प्रसन्न किया और धरती पर लेकर आए। गंगा के स्पर्श से ही सगर के 60 हजार पुत्रों का उद्धार संभव हो सका  इसी कारण गंगा का दूसरा नाम भागीरथी पड़ा.