प्रकाश पंत नहीं रहे

नई दिल्‍ली: उत्‍तराखंड के वित्‍त मंत्री प्रकाश पंत का अमेरिका में निधन हाे गया. वह अम‍ेरिका में  फेंफड़े की बीमारी का इलाज करा रहे थे. उनकी मौत के बाद उत्‍तराखंड में तीन दिन का राजकीय अवकाश घोष‍ित कर दिया गया है. गुरुवार को सभी सरकारी दफ्तरों और स्‍कूलों का अवकाश रहेगा.

प्रकाश पंत कुछ दिन पहले ही इलाज के लिए अमेरिका गए थे. इससे पहले उनका इलाज राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्ली के राजीव गांधी अस्पताल में हुआ था. हालांकि उनकी बीमारी के बारे में बहुत स्‍पष्‍ट जानकारी नहीं दी गई थी. 

खुद मुख्‍यमंत्री संभाल रहे थे चार्ज
प्रकाश पंत की बीमारी के बाद उनके विभाग को खुद उत्‍तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत संभाल रहे हैं. पंत के पास विभाग संसदीय कार्य, विधायी, भाषा, वित्त, आबकारी, पेयजल एवं स्वच्छता, गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग की जिम्‍मेदारी थी.

उनके निधन पर उत्‍तराखंड के मुख्‍यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ट्वीट किया. उन्‍होंने लिखा, उत्तराखंड में मेरे सहयोगी एवं प्रदेश के वित्तमंत्री श्री प्रकाश पंत जी का अमेरिका में इलाज के दौरान स्वर्गवास होने का समाचार पा कर स्तब्ध भी हूँ और व्यथित भी. प्रकाश जी का जाना मेरे लिए व्यक्तिगत एवं अपूर्णीय क्षति है; उनके निधन से हमारा तीन दशक पुराना साथ यादों में रह गया.
 
प्रकाश पंत उत्‍तराखंड के पिथौरागढ़ विधानसभा से 2002 से 2007 में निर्वाचित हुए थे. बजट सत्र के दौरान विधानसभा में बजट पेश करते हुए प्रकाश पंत की तबीयत बिगड़ गई थी, इसके बाद वह पूरा बजट भाषण नहीं पढ़ पाए थे. उस समय उनका बजट सीएम रावत ने पूरा किया था.

लोक सभा ही नहीं राज्य सभा में भी बढ़ेंगी भाजपा की सीटें

अजेय भाजपा के रथ को रोक्न गठबंधन के भी बस का नहीं है, कारण कई सांसदिया क्षेत्रों में विपक्ष के मिल कर भी उतने मत नहीं हैं जो भाजपा को हटा पाते। लेकिन विपक्ष मोदी की प्रचंड जीत के बाद भी अभी बाज नहीं आया है। कांग्रेस को यकीन है की अब वह लोक सभा में मात्र 44 थे तब उन्होने सांसद नहीं चलने दी थी तो अब तो वह फिर 51 हैं, राज्य सभा में भी विपक्ष बहू संख्या में है इसी लिए विपक्ष अपनी मन मर्ज़ी करेगा। लें राज्य सभा में भारी लत फेर के संकेत हैं।

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में भारी सफलता के बाद भाजपा नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के पास अगले साल के अंत तक राज्यसभा में बहुमत हो जाएगा और उसके बाद मोदी सरकार के लिए अपने विधायी एजेंडे को आगे बढ़ाने में आसानी हो जाएगी. फिलहाल राजग के पास राज्यसभा में 102 सदस्य हैं, जबकि कांग्रेस नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन संप्रग के पास 66 और दोनों गठबंनों से बाहर की पार्टियों के पास 66 सदस्य हैं.

राजग के खेमे में अगले साल नवंबर तक लगभग 18 सीटें और जुड़ जाएंगी. राजग को कुछ नामित, निर्दलीय और असंबद्ध सदस्यों का भी समर्थन मिल सकता है. राज्यसभा में आधी संख्या 123 है और ऊपरी सदन के सदस्यों का चुनाव राज्य विधानसभा के सदस्य करते हैं. अगले साल नवंबर में उत्तर प्रदेश में खाली होने वाली राज्यसभा की 10 में से अधिकांश सीटें भाजपा जीतेगी. इनमें से नौ सीटें विपक्षी दलों के पास हैं. इनमें से छह समाजवादी पार्टी (सपा) के पास, दो बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और एक कांग्रेस के पास है.

अगले साल असम, अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश में सीटें मिलेंगी
उत्तर प्रदेश विधानसभा में भाजपा के 309 सदस्य हैं. सपा के 48, बसपा के 19 और कांग्रेस के सात सदस्य हैं. अगले साल तक बीजेपी को असम, अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश में सीटें मिलेंगी. भाजपा राजस्थान, बिहार, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में सीटें गंवाएगी. महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव के परिणामों का भी राजग की सीट संख्या पर असर होगा. हालांकि असम की दो सीटों के चुनाव की घोषणा हो चुकी है, जबकि तीन अन्य सीटें राज्य में अगले साल तक खाली हो जाएंगी. बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के पास राज्य विधानसभा में दो-तिहाई बहुमत है.

एक तिहाई सीटें जून और नवंबर में खाली होंगी
ऊपरी सदन की लगभग एक-तिहाई सीटें इस साल जून और अगले साल नवंबर में खाली हो जाएंगी. दो सीटें अगले महीने असम में खाली हो जाएंगी और छह सीटें इस साल जुलाई में तमिलनाडु में खाली हो जाएंगी. उसके बाद अगले साल अप्रैल में 55 सीटें खाली होंगी, पांच जून में, एक जुलाई में और 11 नवंबर में खाली होंगी.

कई अहम बि‍ल पास करा सकेगी बीजेपी
भाजपा नेतृत्व वाली सरकार का प्रयास अपने विधायी एजेंडे को आगे बढ़ाने का होगा, जो पिछले पांच सालों के दौरान विपक्ष के विरोध के कारण आगे नहीं बढ़ पा रही थीं. सरकार तीन तलाक विधेयक को पास नहीं करा सकी, जबकि यह विधेयक लोकसभा में पारित हो चुका है. नागरिकता संशोधन विधेयक भी पास नहीं हो पाया है. बीजू जनता दल और तेलंगाना राष्ट्र समिति दोनों ने हालांकि भाजपा और कांग्रेस से समान रूप से दूरी बना रखी है, लेकिन दोनों दलों ने पिछले साल राज्यसभा के उपसभापति पद के लिए हरिवंश का समर्थन किया था.

जम्मू और लादाख के लोग 370 और 35 ए से आज़ादी चाहते हैं: भाजपा

तकरीबन हर चुनावी घोषणा पत्र में भाजपा अनुछेद 370 और 35ए हटाने की बात करती है, इस बार भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी चुनावों से पहले इन धाराओं को हटाने की आपनी प्रतिबद्धता दोहराई। पार्टी ने यह भी कहा कि विधानसभा चुनावों के बाद अपने दम पर राज्य में सरकार बनाने का नेशनल कांफ्रेंस का दावा ‘खोखला’ है

जम्मू: बीजेपी की जम्मू-कश्मीर इकाई ने शनिवार को दावा किया कि जम्मू और लद्दाख क्षेत्रों के लोग पार्टी को वोट देकर जल्द से जल्द संविधान के अनुच्छेद 370 और 35ए को हटवाना चाहते हैं.  पार्टी ने यह भी कहा कि विधानसभा चुनावों के बाद अपने दम पर राज्य में सरकार बनाने का नेशनल कांफ्रेंस का दावा ‘खोखला’ है.

बीजेपी ने हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में राज्य की उधमपुर, जम्मू और लद्दाख सीट पर जीत दर्ज की है जबकि कश्मीर घाटी की सभी तीन सीटों श्रीनगर, बारामूला और अनंतनाग सीटों पर नेशनल कांफ्रेंस को जीत मिली थी.  नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने शुक्रवार को कहा था कि प्रधानमंत्री विशाल बहुमत के बावजूद अनुच्छेद 35ए और 370 नहीं हटा सकते. 

इसपर बीजेपी की राज्य इकाई के प्रवक्ता ब्रिगेडियर (सेवानिवृत) अनिल गुप्ता ने कहा, ‘अब्दुल्ला और नेशनल कांफ्रेंस के नेतृत्व के पास अनुच्छेद 35ए और 370 को लेकर बड़े-बड़े दावे करने के लिये जम्मू और लद्दाख का जनादेश नहीं है क्योंकि इन दोनों क्षेत्रों के लोग इन अनुच्छेदों को जल्द से जल्द हटवाना चाहते हैं.’

‘कश्मीर के लिए अनुच्छेद 370 सबसे बड़ा अवरोधक’
इससे पहले बुधवार (22 मई) को भाजपा के महासचिव राम माधव ने कहा था कि कश्मीर को बाकी देश के साथ भावनात्मक तौर पर जोड़ने की राह में अनुच्छेद 370 सबसे बड़ा अवरोधक है. 

उन्होंने कहा था कि कश्मीर मुद्दे को अलग-थलग विषय के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘कश्मीर में स्थिति को संभालने की प्रक्रिया में जम्मू और लद्दाख बलि के बकरे बन गए हैं.’

माधव ने कहा कि घाटी के उन लोगों की हिफाजत होनी चाहिए जो भारत समर्थक भावनाएं रखते हैं. उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 के कारण नहीं, जम्मू-कश्मीर के भारत के साथ आने के पत्र (इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन) पर दस्तखत के दिन ही कश्मीर भारत का अखंड हिस्सा बन गया.

माधव ने कहा कि कश्मीर के भारत से जुड़ने की वजह अनुच्छेद 370 नहीं है. कश्मीर के कुछ नेता देश में इस तरह की भ्रांति फैला रहे हैं. बाकी देश के साथ कश्मीर के भावनात्मक जुड़ाव में अनुच्छेद 370 सबसे बड़ा बाधक है. 

रहस्यमय येती के सबूत

All About Yeti:  इंडियन फोर्स ने दावा किया है कि एक अभियान दल ने हिमालय के मकालू कैंप (Makalu Base Camp)  के पास मायावी हिममानव ‘येति‘ (Yeti) के पैरों के निखान देखा है। मकालू वरुन राष्ट्रीय उद्यान नेपाल (Nepal) के लिंबुवान हिमालय क्षेत्र में स्थित है। यह जगह दुनिया का एक मात्र ऐसा संरक्षित क्षेत्र है जहां पर 26,000 फुट से अधिक उष्णकटिबंधीय वन के साथ-साथ बर्फ से ढकी चोटियां हैं। जानें हिममानव येति के बारें में सबकुछ।  

भारतीय सेना की ओर से किए गए एक ट्वीट में कुछ तस्वीरें शेयर की गई हैं और दावा किया गया है कि इसमें दिख रहे पैर के निशाने हिममानव येति के हैं। इसमें पैरों की नाप 32X15 इंच है। भारतीय सेना ने दावा किया है यह पैर के निशाने भारतीय सेना  को नेपाल के मकालू बेस कैंप के पास मिले हैं। सेना के अतिरिक्त सूचना महानिदेशालय ने  ट्वीट करके बताया, ‘पहली बार, भारतीय सेना (Indian Army) के पर्वतारोहण अभियान दल ने मकालू बेस कैंप के करीब हिममानव ‘येति’ (Yeti) के रहस्यमयी पैरों के निशान देखे हैं।” आगे उन्होंने बताया, ‘इस मायावी हिममानव (Him Manav Yeti) को इससे पहले सिर्फ मकालू-बरुन नेशनल पार्क में देखा गया है। जो कि एक आश्चर्य की बात है।

‘येति’ एक नाम अनेक

हिमालय में रहने वाले येति को कई नामों से बुलाया जाता है। इसे तिब्बत में ‘मिचे’ यानी की इंसानी भालू। इसके अलावा मिगोई, मिरका, कांग आदमी और बन मांची जैसे नामों से जाना जाता है।
 
आखिर क्या है येति (Yeti)?
येति एक ऐसे वानर प्राणी का नाम है। जो कि एक इंसान से भी लंबा और बड़ा होने के साथ-साथ पूरा शरीर मोटे-मोटे बालों से ढका होता है। येती दुनिया के सबसे रहस्यमयी प्राणियों में से एक है, जिसकी कहानियां करीब 100 साल पुरानी है. लद्दाख के कुछ बौद्ध मठों ने दावा किया था कि हिममानव ‘येती’ उन्होंने देखे हैं. इन दावों को लेकर वैज्ञानिक एकमत नहीं हैं. शोधकर्ताओं ने येती को मनुष्य नहीं बल्कि ध्रुवीय और भूरे भालू की क्रॉस ब्रीड यानी संकर नस्ल बताया है. कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि येती एक विशालकाय जीव हैं, जिसकी शक्लोसूरत तो बंदरों जैसी होती है, लेकिन वह इंसानों की तरह दो पैरों पर चलता है. माना जाता है इसके अस्तित्व का कोई सबूत नहीं है लेकिन इसे लोग ‘घिनौना स्नोमैन’ नाम से भी पुकारते है।

येति इन जगहों पर रहता है
येति के रहने को लेकर मान्यता है कि यह  हिमालय, साइबेरिया, मध्य और पूर्वी एशिया में रहता है।

ऐसे करता है खुद की सुरक्षा
येति को लेकर की किस्सें प्रचलित है। माना जाता है कि ह ऐसे इलाकों में रहते है। जहां पर इंसानों का पहुचंना मुश्किल है। यह अपने बचाव के लिए पत्थर के औजार का इस्तेमाल करते है। इसके अलावा इसकी आवाज बहुत ही अजीब मानी जाती है। 

अनुच्छेद 370 और 35-A की समीक्षा की जाएगी: राजनाथ सिंह

“राजनाथ सिंह ने कहा कि हमने अपना दिल बड़ा किया और जम्मू कश्मीर जाकर दिल खोलकर सबसे वार्ता की, और कश्मीर का हल निकालने के प्रयास किये, अब तक सबसे ज्यादा बार जम्मू कश्मीर जाने वाला गृहमंत्री हूं. और अब वक्त की मांग है कि अनुच्छेद 370 और 35ए की समीक्षा की जाये.”
जम्मू काश्मीर की समस्या का हल तभी निकलेगा जब काश्मीरी पंडितों का पुनर्वास घाटी में होगा और अनुच्छेद 35-ए खत्म कर दिया जाएगा

लखनऊ: केंद्रीय गृहमंत्री एवं लखनऊ लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि अब समय आ गया है कि जम्मू कश्मीर में लागू अनुच्छेद 370 और 35ए की समीक्षा की जाये. उन्होंने कहा, ‘‘हम डंके की चोट पर कहते हैं कि हम (इसकी) समीक्षा करेंगे.’’ सिंह ने कहा कि हमने अपना दिल बड़ा किया और जम्मू कश्मीर जाकर दिल खोलकर सबसे वार्ता की, और कश्मीर का हल निकालने के प्रयास किये, अब तक सबसे ज्यादा बार जम्मू कश्मीर जाने वाला गृहमंत्री हूँ. और अब वक्त की मांग है कि अनुच्छेद 370 और 35ए की समीक्षा की जाये.

गृहमंत्री ने शिव शान्ति आश्रम सिंगारनगर के कार्यक्रम में कहा कि यह सच्चाई है कि विगत पांच वर्षों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार द्वारा जितना काम हुआ है उसकी प्रशंसा देश में ही नहीं बल्कि विश्व में की जा रही है, अब विश्व के देशों में भारत के प्रति धारणा बदल गयी है, चित्र बदल रहा है. 

आज हमारा देश विश्व में सबसे ज्यादा आर्थिक वृद्धि करने वाला देश माना जाने लगा है और अगर इसी तरह यह आर्थिक वृद्धि जारी रही तो 2030 तक हम विकसित राष्ट्र की श्रेणी में आ जायेंगे. उन्होंने कहा कि आज देश में नक्सलवाद, उग्रवाद, आतंकवाद कम हुआ है. पहले जवान ज्यादा मरते थे, जबकि आतंकवादी, नक्सलवादी कम मारे जाते थे. लेकिन अब परिदृश्य बदल गया है.

नक्सलवाद सिमटकर पांच-सात जिलों तक समिति रह गया है.  पूर्वोत्तर राज्यों में आज शांति है इन पांच वर्षों में आतंकवाद की कोई बड़ी वारदात नहीं हुई, यह एक बड़ी उपलब्धि है. सिंह ने कहा कि हम नभ, जल, थल सब जगह अपनी शक्ति बढ़ा रहे हैं आज कोई देश हमारे ऊपर आंख उठाकर नही देख सकता, हम किसी को छेड़ते नहीं यह हमारा इतिहास गवाह है.  यह हमारी कमजोरी नहीं, यही हमारी ताकत है. 

भारत की चीन-पाक सीमा पर बनेंगी सुरक्षा सुरंगें

युद्ध में अपना कम से कम नुक्सान करवा कर शत्रु को अत्यधिक एवं मार्मिक चोट देना ही कुशल सिपहसालार कि निशानी है. साथ ही किसी भी प्रकार के हमले में अपने सैनिकों और उनके मॉल असबाब को दुश्मनों के हाथों से बचाए रखना भी एक रणनीति होती है, भारतीय सेना भी अब सीमा पर इसी प्रकार के निर्माण कार्यों को प्रोत्साहित कर रही है. भारतीय सेना ने सीमा पर सुरंगें बनाने का संकल्प लिया है.

नई दिल्‍ली: भारत अब अपनी सीमाओं की सुरक्षा को और पुख्‍ता करने जा रहा है. अब पाकिस्तान और चीन की सीमा पर पहाड़ों के अंदर गोला-बारूद के जखीरे रखने के लिए सुरंगें बनाई जाएंगीं. हर सुरंग में 2 लाख किलो गोला बारूद स्टोर होगा. ये 4 सुरंगें 2 साल में बनकर तैयार होंगीं. इन सुरंगों की सबसे बड़ी खासि‍यत ये होगी कि ये हर हमले से सुरक्ष‍ित होंगीं.

NHPC और Army के बीच इस समझौते पर दस्तखत किए गए. समझौते के मुताबिक 2 साल में 15 करोड़ की लागत से 4 सुरंगे बनाई जाएंगीं. हर सुरंग में 200 मीट्रिक टन यानी 2 लाख किलो गोला बारूद रखा जा सकेगा.

पहले भी ऐसी सुरंगें बनाने की कोशि‍श हो चुकी है…
3 सुरंगे चीन सीमा और एक पाकिस्तान सीमा पर बनाई जाएंगीं. सेना ने पहले ऐसी सुरंगे बनाने की कोशिश की थी, लेकिन कामयाब  नहीं हुई. अब सेना इसके लिए NHPC की महारत का उपयोग करना चाहती है. NHPC ने पहाड़ों में कई पॉवर प्रोजेक्ट बनाने में सुरंगों का इस्तेमाल किया है.

इसलिए तैयार की जा रही हैं सुरंग
सेना को सबसे ज़्यादा खतरा गोला बारूद के भंडारो पर हमले से होता है. युद्ध के समय ये दुश्मन के सबसे पहले हमलों का निशाना होते हैं. इन सुरंगो में रखा लाखो किलो गोला बारूद न तो ज़मीनी हमले से तबाह किया जा सकेगा और न ही हवाई हमले से. इस पायलट प्रोजेक्ट के बाद इस तरह की और सुरंगें बनाई जाएंगी.

अपने बेटे के चुनाव प्रचार के लिए अनिल शर्मा को पद और विधायकी छोडनी होगी

अभी कुछ दिन पहले ही 92 वर्षीय पंडित सुख राम ने राहुल गांधी से आशीर्वाद प्राप्त किया था और अपने पौत्र आश्रय शर्मा के साथ कांग्रेस का दामन थामा था।

नाहन (हिमाचल प्रदेश): हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने रविवार को अपने कैबिनेट सहयोगी अनिल शर्मा से यह स्पष्ट करने को कहा कि वह मंडी लोकसभा सीट से अपने पुत्र एवं कांग्रेस उम्मीदवार के लिए प्रचार करने के वास्ते सरकार से अलग होंगे या वहां भाजपा उम्मीदवार का समर्थन करेंगे. ठाकुर ने कड़ा रुख अपनाया और राज्य के ऊर्जा मंत्री शर्मा से स्पष्टीकरण मांगा. कुछ दिन पहले ही उनके पिता एवं पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री सुखराम अपने पोते आश्रय शर्मा के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए थे. आश्रय शर्मा को मंडी से कांग्रेस का टिकट दिया गया है.

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शर्मा से स्पष्टीकरण उत्तराखंड में चुनाव प्रचार के लिए जाते समय पोंटा में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए मांगा. ठाकुर ने कहा कि उनके कैबिनेट सहयोगी शर्मा को इसको लेकर स्पष्टीकरण देना चाहिए कि वह मंडी में किसके लिए प्रचार करेंगे…अपने पुत्र या भाजपा उम्मीदवार रामस्वरूप शर्मा के लिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि शर्मा को जल्द निर्णय करना चाहिए कि वह चुनाव में मंडी में अपने पुत्र की मदद के लिए कांग्रेस के साथ जाएंगे या भाजपा उम्मीदवार के लिए प्रचार करेंगे.

उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि अनिल शर्मा अपने पुत्र के लिए प्रचार करते हैं तो उन्हें अपना कैबिनेट पद और हिमाचल प्रदेश विधानसभा की सदस्यता गंवानी होगी. उन्होंने कहा कि इस पर किसी को भी कोई संदेह नहीं होना चाहिए. मुख्यमंत्री ने इसके साथ ही शर्मा के मुद्दे को लेकर भाजपा में मतभेद होने की अटकलों को भी खारिज किया

सीएम जयराम ठाकुर ने कहा, पार्टी में इस मुद्दे पर कोई दूसरा मत नहीं है और जो वह कह रहे हैं वह पार्टी का सर्वसम्मत विचार है. उन्‍होंने यह भी विश्वास जताया कि भाजपा हिमाचल प्रदेश की मंडी सहित सभी चार लोकसभा सीटें बरकरार रखेगी और उन पर भाजपा की जीत का अंतर बढ़ेगा.

‘चौकीदार चोर है’ लेकिन माल कमल नाथ के करीबियों से

‘चौकीदार चोर है’ का नारा देने वाली कांग्रेस के मध्यप्रदेश से मुख्यमंत्री के निजी अधिकारियों ओएसडी जिसकी नियुक्ति स्वयं कमल नाथ ने की थी के घर से आयकर विभाग के छापे के दौरान 9 करोड़ रूपये मिलने की सूचना है ज्ञातव्य है की सरकार बने अभी 100 दिन भी नहीं हुये। अब तक नोटों की गिनती जारी है । ख़बर लिखे जाने तक मिली हुई रकम 16 करोड़ हो चुकी थी। कमल नाथ के करिबियों के 50 ठिकानों पर आईटी की रेड पड़ रही है।नोएडा में कमल नाथ के भांजे की कंपनी मोसर बीयर के यहाँ भी प्रोविडेंट फ़ंड के घोटाले के चलते रेड की है। अटकलें हैं की पूरी रकम करीब 290 करोड़ के आसपास है

मध्‍य प्रदेश की राजधानी भोपाल में सीएम कमलनाथ के ओएसडी प्रवीण कक्‍कड़ के घर पर आईटी रेड के बाद वही हालात बन रहे हैं जो कुछ समय पहले बंगाल में बने थे. कक्‍कड़ के साथी अश्‍विन शर्मा के घर के बाहर मप्र पुलिस और सीआरपीएफ के जवान आमने सामने हैं.

भोपाल: मध्‍य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आईटी रेड के बाद अब सियासत गर्म होने लगी है. यहां पर भी कमोबेश वही हालात बन रहे हैं, जो एक महीने पहले पश्चिम बंगाल में बने थे. तब सीबीआई और स्‍थानीय पुलिस आमने सामने थी. अब मप्र की राजधानी भोपाल में सीआरपीएफ और मप्र की पुलिस आमने सामने है. रविवार को मध्‍यप्रदेश के भोपाल इंदौर सहित कुछ स्‍थानों पर आयकर का छापा पड़ा था. इसमें कमलनाथ के ओएसडी के आवास से 9 करोड़ रुपए की बरामदगी हुई थी. आयकर विभाग ने इस छापेमारी में सीआरपीएफ की मदद ली है.

पहले कांग्रेस की ओर से आरोप लगाया गया कि ये कार्रवाई बदले की भावना से की गई. इसके बाद भोपाल में उस समय विवाद की स्‍थ‍िति बन गई, जब सीआरपीएफ और पुलिस के जवान भोपाल में अश्‍व‍िन शर्मा के आवास पर आमने सामने आ गए. अश्‍वि‍न शर्मा, मध्‍यप्रदेश के सीएम कमलनाथ के ओएसडी प्रवीण कक्‍कड़ के सहयोगी हैं. सीआरपीएफ का कहना है कि मप्र पुलिस के जवान उसे काम नहीं करने दे रहे हैं. वहीं पुलिस की दलील है कि जिस जगह छापेमारी हो रही है, वहां से सीआरपीएफ ने सुबह से ही किसी को बाहर नहीं निकलने दिया है. हम उन्‍हीं हालात को देखने आए हैं. हमारा छापेमारी की घटना से कोई लेना देना नहीं है. सीआरपीएफ का कहना है कि मध्‍य प्रदेश पुलिस उन्‍हें काम नहीं करने दे रही.

9 करोड़ की रकम बरामद हुई थी
आयकर विभाग ने आयकर चोरी के आरोप में रविवार तड़के मध्‍यप्रदेश के सीएम कमलनाथ से जुड़े लोगों के दिल्ली और मध्य प्रदेश स्थित 50 ठिकानों पर छापेमारी की. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के निजी सचिव के घर से आयकर विभाग के छापे में 9 करोड़ की रकम बरामद हुई.

पुलिस ने दी अपनी दलील
इस छापेमारी में आयकर विभाग ने पुलिस की बजाय सीआरपीएफ का सहयोग लिया. कक्‍कड़ का सहयोगी अश्‍वि‍न शर्मा भोपाल के प्‍लेट‍िनम प्‍लाजा में रहता है. उसे सीआरपीएफ ने अपने कब्‍जे में ले रखा है. पुलिस का दावा है कि अश्‍विन शर्मा जिस रेसीडेंसियल बिल्‍ड‍िंग में रहते हैं, वहां पर दूसरे परिवार भी रहते हैं. सीआरपीएफ अपनी कार्यवाही के चलते दूसरे लोगों को बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा है. इस कारण हमें इस मामले में दखल देना पड़ा है. वहीं सीआरपीएफ का कहना है कि इस बिल्‍डि‍ंग में आने जाने के दूसरे रास्‍ते भी हैं.

अश्‍वि‍न शर्मा को आयकर विभाग की टीम साथ ले जाना चाहती है
अश्‍वि‍न शर्मा सीएम कमलनाथ के ओएसडी प्रवीण कक्‍कड़ का सहयोगी है. इसे आयकर टीम पूछताछ के लिए अपने साथ ले जाना चाहती है. इसके घर से भी आयकर विभाग को बड़ी मात्रा में कैश और ट्रांसफर के कागजात मिले हैं. सीआरपीएफ के अधिकारी प्रदीप कुमार का कहना है कि मप्र पुलिस हमारे काम में रुकावट डाल रही है. इतना ही नहीं पुलिस के जवान हमें गालियां भी दे रहे हैं. हम सिर्फ अपने अधिकारियों के ऑर्डर फॉलो कर रहे हैं.

अखिलेश अपनी नीतियों के कारण अजमगढ़ खो देंगे : ‘निरहुआ’

नई दिल्ली: 

भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर अभिनेता दिनेशलाल यादव ‘निरहुआ’ के नाम से जाने जाते हैं. लोकसभा चुनाव 2019 में निरहुआ भी चुनावी मैदान में हैं और बीजेपी की तरफ से उन्हें यूपी के आजमगढ़ से उम्मीदवार बनाया गया है. इस सीट पर निरहुआ का मुकाबला यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश सिंह यादव से होने वाला है. अब तक अपनी फिल्मी करियर में निरहुआ ने खूब नाम कमाया है और अब वह राजनीतिक गलियारों में भी अपनी पहचान बनाने निकल पड़े हैं.

पूरा आजमगढ़ यही कह रहा है

एक निजी टीवी चैनल के साथ खास बातचीत में निरहुआ ने आजमगढ़ सीट पर चर्चा करते हुए बताया, ‘अखिलेश सिंह हमारे बड़े भाई हैं, साथ ही एक बड़े नेता भी हैं, लेकिन आजमगढ़ में वह सिर्फ अपने नीतियों के कारण हारेंगे. मेरे लिए तो पूरा आजमगढ़ ही मेरा है, चाहे वह हिंदू हो या मुस्लमान हो, चाहे वो कोई दलित हो या पिछड़ा हो कोई भी हो, सारे मेरे साथ हैं. पूरा आजमगढ़ कह रहा है कि भइया हमें सिर्फ आप ही चाहिए. सच के साथ जो हैं, उसके साथ सभी हैं. अगर मैं गलत राह पर होता तो मेरे साथ कोई नहीं होता.’

आजमगढ़ में चुनाव लड़ना को बताया नियती

आज तक जिसके लिए आप चुनाव प्रचार करते आए हैं और आज उन्हें के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. क्या आप उन्हें हराने की क्षमता रखते हैं? इस सवाल का जवाब देते हुए निरहुआ ने बताया, ‘ईश्वर को कब क्या करना है और नियती में कब क्या लिखा है वो हम लोग नहीं जानते. कहा जाता है कि एक पल में क्या से क्या हो जाएगा ये कोई नहीं जानता है और आज मैं अखिलेश सिंह के खिलाफ चुनाव में खड़ा हूं, यह उसी का उदाहरण है.’

पीएम मोदी ने जो कहा वो कर दिखाया

वहीं, पीएम मोदी के बारे में बातचीत करते हुए निरहुआ ने कहा, ‘पीएम नरेंद्र मोदी आज किसी से ये नहीं पूछने जाते हैं कि तुम अगले हो या पिछले हो, तुम मोदी हो या यादव हो. अरे भाई गरीब है तो इसको पेंशन दो, शौचालय दो… सबको दे रहे हैं, सबका साथ सबका विकास. पीएम ने जो कहा, वो करके दिखाया भी. कथनी और करनी में बाकी लोगों का तो बड़ा अंतर है. बाकी लोग तो कहते कुछ और हैं और करते कुछ और हैं.’

यूपी में सारी सीटें बीजेपी की

निरहुआ ने कहा, ‘वे लोग कहते हैं कि हम बाबासाहेब अंबेडकर जी को मानते हैं. बाबासाहेब अंबेडकर के नाम पर दलितों को इकट्ठा किए और बाबासाहेब अंबेडकर ने कहा कि शिक्षत बनो, संघर्ष करो और आगे बढ़ो. ये थोड़ी ही न कहा था कि शिक्षक बनो और दलितों का शोषण करो. ये (मायावती) तो शिक्षक बन गईं और शिक्षक बनने के बाद इन्होंने अपने दिमाग का इस्तेमाल करके सबको एक साथ जुटाकर उनके हक की चीजों को आज क्या कर रही हैं, देखिए आप.’ उन्होंने अंत में कहा, ‘यूपी में सारी सीटें बीजेपी ही जीतेगी. मैं उन लोगों के विचार से बिलकुल भी सहमत नहीं हूं, जो ये सोचते हैं कि नरेंद्र मोदी जी से बेहतर प्रधानमंत्री कोई और हो सकते हैं.

निरहुया अखिलेश के लिए चुनौती बन पाएंगे

राजनीति में कब किसके सितारे बुलंद हो जाए, इसका अनुमान लगाना बेहद मुश्किल होता है. कुछ यूं ही दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ के साथ हुआ है. निरहुआ कभी सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिलने का जुगाड़ लगाया करते थे. अब भोजपुरी कलाकार दिनेश लाल यादव आज़मगढ़ लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष व यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं.

नई दिल्ली: राजनीति में कब किसके सितारे बुलंद हो जाए, इसका अनुमान लगाना बेहद मुश्किल होता है. कुछ यूं ही दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ के साथ हुआ है. भोजपुरी कलाकार दिनेश लाल यादव को बीजेपी ने पूर्वी यूपी की आज़मगढ़ लोकसभा सीट से प्रत्याशी घोषित किया है. इसी सीट से समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष व यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. 

भोजपुरी स्टार दिनेश लाल यादव एक ज़माने में समाजवादी पार्टी के नेताओं के बेहद करीबी माने जाते थे. निरहुआ सपा के लिए चुनाव प्रचार भी कर चुके हैं. निरहुआ सपा नेता सुभाष पाषी के बेहद अजीज़ दोस्त माने जाते हैं. यूपी की सियासत से जुड़े कई महत्वपूर्ण लोगों ने बताया कि यही निरहुआ सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिलने का जुगाड़ लगाया करते थे. बीजेपी में शामिल होने से कुछ महीनों पहले भी निरहुआ सपा नेता सुभाष पासी के माध्यम से अखिलेश से मिलने का समय मांग रहे थे. यही नहीं एक वक्त ऐसा भी था जब निरहुआ सपा का स्टाक प्रचारक भी बनना चाह रहे थे. 

लेकिन अब वक्त का पहिया कुछ यूं घूमा कि दिनेश लाल यादव उसी नेता के ख़िलाफ़ चुनावी मैदान में उतर रहे हैं, जिनसे मिलने का समय मांगा करते थे. हालांकि निरहुआ के लिए आज़मगढ़ सीट से चुनाव लड़ना बेहद चुनौती भरा होगा. क्योंकि ये सीट सपा की परंपरागत सीट मानी जाती है. फिलहाल आज़मगढ़ लोकसभा सीट से मुलायम सिंह यादव सांसद हैं. पूर्वांचल में आज़मगढ़ को समाजवादियों का गढ़ भी कहा जाता है.

निरहुआ के सामने दूसरी सबसे बड़ी चुनौती बीजेपी के स्थानीय नेता होंगे. पिछली बार रमाकांत यादव आज़मगढ़ से लोकसभा का चुनाव लड़े थे और हार गए थे. रमाकांत का आज़मगढ़ में अच्छा दबदबा है. इस बार भी रमाकांत आज़मगढ़ से चुनाव लड़ना चाह रहे थे लेकिन बीजेपी ने रमाकांत को टिकट नहीं दिया. रमाकांत की नाराज़गी निरहुआ पर भारी पड़ सकती है. कांग्रेस अखिलेश यादव के ख़िलाफ़ अपना प्रत्याशी नहीं उतारेगी, इससे मुस्लिम वोटों में बंटवारा नहीं होगा. 2017 के विधानसभा चुनाव में आज़मगढ़ की 10 विधानसभा सीट में से सपा- 5, बीएसपी- 4 और बीजेपी सिर्फ 1 सीट जीती थी. आज़मगढ़ लोकसभा सीट का जातीय समीकरण देखें तो यह सीट यादव-मुस्लिम बाहुल्य मानी जाती है. 

आज़मगढ़ का जातीय समीकरण:
यादव- 3.5 लाख
मुस्लिम- 3 लाख
दलित- 2.5 लाख
ठाकुर- 1.5 लाख
ब्राह्मण- 1 लाख
राजभर- 1 लाख
विश्वकर्मा- 70 हज़ार
भूमिहार- 50 हज़ार
निषाद- 50 हज़ार
चौहान- 75 हज़ार
वैश्य- 1 लाख
प्रजापति- 60 हज़ार
पटेल- 60 हज़ार

अगर आज़मगढ़ के इस जातीय समीकरण का विश्लेषण करें तो यादव, मुस्लिम, दलित, विश्वकर्मा, चौहान और प्रजापति सपा का वोट माना जाता है और ठाकुर, ब्राह्मण, भूमिहार, निषाद, वैश्य, पटेल बीजेपी के परंपरागत वोटर माने जाते हैं. अब देखना ये होगा कि क्या निरहुआ सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की साइकिल की पीछा कर पाएंगे?