महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश के बाद हरियाणा और यूपी में रात्रि कर्फ्यू

शोधकर्ताओं ने संभावित तीसरी लहर की भविष्यवाणी के लिए भारत में कोरोना की पहली और दूसरी लहर के आंकड़ों और अलग-अलग देशों में ओमिक्रोन के बढ़ते मामलों का भी इस्तेमाल किया है। रिसर्च करने वाली टीम में आईआईटी कानपुर की गणित और सांख्यिकी विभाग के सबरा प्रसाद राजेशभाई, सुभरा शंकर धर और शलभ शामिल थे। MedRxiv में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर के रुझानों के बाद आईआईटी कानपुर के प्रोजेक्ट में कहा गया कि भारत में तीसरी लहर दिसंबर के मध्य में शुरू हो सकती है और ये फरवरी की शुरुआत में चरम पर होगी। बता दें कि शोधकर्ताओं ने तीसरी लहर की भविष्यवाणी करने के लिए गौसियन मिक्सचर मॉडल नाम के सांख्यिकीय उपकरण का इस्तेमाल किया था। गौरतलब है कि गुरुवार को पीएम मोदी ने कोविड-19 संक्रमण को लेकर एक समीक्षा बैठक की थी। केंद्र की इस बैठक में कोविड टास्क फोर्स के सदस्य भी शामिल हुए थे। इसके साथ ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से राज्यों को पत्र लिखा गया है जिसमें संक्रमण से बचने के लिए सख्ती लागू करने के निर्देश दिए गए हैं।

डेमोक्रेटिकफ्रंट॰कॉम पंचकुला :

देश में कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के प्रसार को देखते हुए हरियाणा सरकार ने पाबंदियों का ऐलान किया है। राज्य में रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक नाइट कर्फ्यू लगाने का फैसला किया गया है तो सार्वजनिक स्थानों पर 200 से अधिक लोगों के जुटने पर रोक लगा दी गई है। हरियाणा से पहले मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे बीजेपी शासित राज्यों ने भी नाइट कर्फ्यू की घोषणा कर दी है।

राज्य में कोरोना से निपटने के लिए तैयारियों की समीक्षा बैठक के बाद खट्टर ने कहा, ”राज्य में ओमिक्रॉन केसों के बढ़ने की संभावना को देखते हुए और लोगों की सुरक्षा को देखते हुए 1 जनवरी 2022 से सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों में प्रवेश के लिए वैक्सीन की दोनों खुराक को अनिवार्य कर दिया गया है। इसके अलावा सार्वजनिक स्थानों पर 200 से अधिक लोगों के एकत्रित होने और रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक गाडियों की आवाजाही को सख्ती से बैन कर दिया गया है।”

खट्टर ने कहा, ”ओमिक्रॉन के प्रभाव को रोकने के लिए जरूरी है कि लोगों को और अधिक जागरूक बनाया जाए। सभी को टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। कोविड के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग को तैयारी पूरी कर लेनी चाहिए। 23 दिसंबर को दो लाख से अधिक लोगों को कोविड वैक्सीन की दूसरी खुराक मिली। इसके अलावा हर दिन 30 से 32 हजार मरीजों की जांच की जा रही है और जो पॉजिटिव पाए जा रहे हैं उनकी जीनोम स्वीकेंसिंग कराई जा रही है।”

हरियाणा सरकार ने लोगों को क्रिसमस का त्यौहार और नए साल का जश्न मनाने की छूट देते हुए 1 जनवरी से नाइट कर्फ्यू लागू करने के आदेश दिए हैं। हरियाणा सरकार के रात्रि कर्फ्यू के दौरान रात 11 बजे से लेकर सुबह 5 बजे तक आवागमन पूरी तरह से बंद रहेगा। इसके साथ ही 1 जनवरी से हरियाणा के सराकरी संस्थानों में एंट्री करने के लिए वैक्सीनेशन की दोनो डोज को अनिवार्य बना दिया गया है।

हरियाणा और गुजरात से पहले यूपी सरकार की तरफ से राज्य में नाइट कर्फ्यू लगाने का फैसला लिया गया है। सरकार की  तरफ से जारी आदेश में 25 दिसंबर से रात्रि 11 बजे से लेकर सुबह 5 बजे तक कोरोना कर्फ्यू लागू करने के निर्देश दिए गए हैं।  वहीं शादी-विवाह आदि सार्वजनिक आयोजनों में कोविड प्रोटोकॉल के साथ अधिकतम 200 लोगों के भागीदारी की अनुमति दी गई है। आयोजनकर्ता इसकी सूचना स्थानीय प्रशासन को देंगे।

मध्य प्रदेश सरकार ने भी तीसरी लहर की आशंका के चलते राज्य में नाइट कर्फ्यू को लागू कर दिया है। कर्फ्यू रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक जारी रहेगा. सरकार की तरफ से कोरोना संक्रमण से बचने के लिए नई गाइडलाइंस भी जारी की गई है। नए आदेश के बाद सभी सिनेमाहॉल, मल्टीप्लेक्स, थियेटर, जिम, कोचिंग सेंटर, क्लब और स्टेडियम में 18 साल से अधिक उम्र के सिर्फ वो ही लोग प्रवेश पा सकेंगे जिन्हें वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी हैं। सभी विभागाध्यक्षों, ऑफिस हेड को ये देखना होगा कि उनके स्टाफ ने वैक्सीन की दोनों डोज लगवायीं या नहीं। अगर नहीं लगवायीं तो उन्हें ऐसा करने के प्रेरित करें।

गौरतलब है कि गुरुवार को पीएम मोदी ने कोविड-19 संक्रमण को लेकर एक समीक्षा बैठक की थी। केंद्र की इस बैठक में कोविड टास्क फोर्स के सदस्य भी शामिल हुए थे। इसके साथ ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से राज्यों को पत्र लिखा गया है जिसमें संक्रमण से बचने के लिए सख्ती लागू करने के निर्देश दिए गए हैं।

कॉंग्रेस गोवा में 2022 के चुनावों के लिए गंभीर नहीं है : रोहण खूँद

प्रियंका वाड्रा का राजनैतिक तौर पर अपने को महत्वपूर्ण बताना एक असर ऐसा है की गांधी परिवार नुसान उठा सकता है। प्रियंका के कारण कॉंग्रेस पार्टी में भी दो भाग हो रहे हैं, वह चाहे पंजाब हो या रास्थान। गोवा कांग्रेस को आज कई त्‍यागपत्रों का सामना करना पड़ा है। इससे इस तटीय राज्‍य में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ गठबंधन को लेकर भ्रम की स्थिति निर्मित हो गई है क्‍योंकि राज्‍य की प्रमुख विपक्षी पार्टी, कांग्रेस की  महासचिव प्रियंका वादरा आज गठजोड़ के मामले में कई  बैठक करने वाली हैं। गोवा की पोरकोरिम विधानसभा सीट से कांग्रेस नेताओं ने एक ग्रप ने आज सुबह इस्‍तीफा दे दिया। निर्दलीय विधायक रोहन खुंटे द्वारा समर्थित इस ग्रुप ने दावा किया कि कांग्रेस पार्टी, वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर गंभीर नहीं है।

सारिका तिवारी, चंडीगढ़/नयी दिल्ली :

2022 में पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में गोवा भी शामिल है। गोवा में सियासी दलों द्वारा प्रचार प्रसार शुरू है। वहीं, कांग्रेस ने भी चुनावी शंखनाद कर दिया है, लेकिन इससे पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। शुक्रवार को प्रियंका गांधी के दौरे से ठीक पहले  पोरवोरिम विधानसभा सीट के कई नेताओं ने इस्तीफे दे दिए हैं। नेताओं का कहना है कि कांग्रेस राज्य में चुनाव लड़ने को लेकर गंभीर नहीं है।  पूर्व जिला पंचायत सदस्य गुपेश नायत ने कहा, ‘कांग्रेस पार्टी राज्य में चुनाव को लेकर गंभीर नहीं दिख रही है। अब तक उसने अपनी कोई तैयारी भी शुरू नहीं की है।’

 कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा कुछ ही देर में गोवा की राजधानी पणजी पहुंचेंगी। प्रियंका वाड्रा अपने तय यात्रा के अनुसार, वह असोलन में शहीद स्मारक पर पुष्प अर्पित करेंगी और सभा को संबोधित करेंगी। इसके बाद प्रियंका वाड्रा  एक्वेम के कोस्टा मैदान में एक महिला सम्मेलन ‘प्रियदर्शनी’ को संबोधित भी करेंगी। इसके अलावा वह राज्य महिला कांग्रेस पदाधिकारियों और पदाधिकारियों के साथ भी बातचीत करेंगी।

पोरकोरिम के इस ग्रुप की अगुवाई करने वाले पूर्व जिला पंचालय मेंबर गणेश नाइक ने कहा, ‘कांग्रेस पार्टी आने वाले गोवा चुनाव को गंभीरता से लेती नजर नहीं आ रही। कुछ नेताओं के रुख के कारण ऐसा लग रहा कि उन्‍हें कुछ रुचि ही नहीं है। ‘ कांग्रेस को एक और झटका तब लगा जब दक्षिण गोवा के इसके सीनियर लीडर मोरेनो रेबेलो ने भी इस्‍तीफा दे दिया।  रेबलो के इस्‍तीफे वाले पत्र में दावा किया गया है कि वे कर्टोरियन सीट से मौजूदा एमएलए, अलेक्सियो रेगिनाल्‍डो को पार्टी के हितों के खिलाफ काम करने के बावजूद, उम्‍मीदवार बनाने से खफा हैं।

गोवा में शिवसेना और कांग्रेस का गठबंधन

बता दें कि पिछले दिनों शिवसेना सांसद संजय राउत ने नई दिल्ली में प्रियंका के साथ एक घंटे की मुलाकात की थी और बाद में गोवा में पार्टियों के बीच चुनाव पूर्व गठबंधन का संकेत दिया था। विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस से नेताओं का लगातार जाना पार्टी के लिए सही संकेत नहीं है। गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री लुइज़िन्हो फलेरियो ने सितंबर में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के लिए कांग्रेस छोड़ दी थी। वहीं, पूर्व सीएम रवि नाइक ने इस सप्ताह की शुरुआत में राज्य विधानसभा से इस्तीफा दे दिया। इससे पहले अक्तूहर राहुल गांधी अगले साल होने वाले चुनावों के प्रचार के लिए अक्टूबर में गोवा भी गए थे

लोक सभा में नागालैंड में हुई हत्याओं पर गृह मंत्री का ब्यान

राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने मामले को उठाते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह से जवाब देने की मांग की और संबंधित घटना की पूरी जानकारी मांगी।  विपक्ष के नेता खड़गे ने कहा- हम मांग करते हैं कि संसद के दोनों सदनों में केन्द्रीय गृह मंत्री घटना में बारे में विस्तृत जानकारी दें। ऐसी हम उम्मीद करते हैं। यह एक बेहद ही संवेदनशील मुद्दा है। ऐसा नहीं होना चाहिए। उन्हें अवश्य यह जवाब देना चाहिए कि क्यों ऐसा हुआ है।  सभापति वेंकैया नायडू ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह इस मुद्दे पर बयान देंगे। उन्होंने इसे काफी गंभीर मुद्दा बताया। राज्यसभा की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।

नयी दिल्ली(ब्यूरो), 06 दिसंबर :

गृह मंत्री अमित शाह सोमवार को संसद के दोनों सदनों में नगालैंड की घटना पर बयान दे रहे हैं। उक्त घटना में सुरक्षा बलों की गोलीबारी में 14 आम नागरिक मारे गए थे। संसदीय सूत्रों ने बताया कि शाह पहले लोकसभा में और फिर राज्यसभा में बयान दे सकते हैं।

नागालैंड में सुरक्षा बलों की गोलीबारी में 13 नागरिकों की मौत और उसके बाद हुई हिंसा में एक सैनिक की मौत के मामले में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार (6 दिसंबर, 2021) को संसद में बयान दिया। उन्होंने बताया कि भारतीय सेना को नागालैंड के मोन जिले के तिजीत क्षेत्र में तिरुगाँव के पास उग्रवादियों की आवाजाही की सूचना मिली थी, जिसके आधार पर सेना के 21 पैराकमांडो के एक दस्ते ने 4 दिसंबर, 2021 की शाम को संदिग्ध क्षेत्र में घात लगाया।

केंद्रीय गृह मंत्री ने बताया कि जहाँ भारतीय सेना मौजूद थी, उसी स्थान पर एक वाहन गुजरा। वाहन को रुकने का इशारा किया गया, लेकिन वो गाड़ी उस जगह से तेजी से निकलने का प्रयास करने लगी। अमित शाह ने बताया कि इस आशंका पर कि वाहन में संदिग्ध विद्रोही जा रहे थे, उस पर गोली चलाई गई और उसमें सवार 8 व्यक्तियों में से 6 की मौत हो गई। अमित शाह ने माना कि बाद में ये ‘गलत पहचान’ का मामला पाया गया और जो दो लोग घायल हुए थे, उन्हें सेना द्वारा ही इलाज हेतु नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में ले जाया गया।

अमित शाह ने संसद को बताया, “इस घटना का समाचार मिलने के बाद स्थानीय ग्रामीणों ने सेना की टुकड़ी को घेर लिया, दो वाहनों को जला दिया और उन पर हमला किया। इसके परिणामस्वरूप सुरक्षा बल के एक जवान की मृत्यु हो गई। कई अन्य जवान घायल हो गए। अपनी सुरक्षा में एवं भीड़ को तितर-बितर करने के लिए जवानों को गोली चलानी पड़ी, जिसमें 7 अन्य नागरिकों की मौत हो गई कुछ कुछ अन्य घायल हो गए। स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने स्थिति को सामान्य करने के प्रयास किए हैं।”

केंद्रीय गृह मंत्री ने जानकारी दी थी स्थिति अभी भी तनावपूर्ण ही है, लेकिन नियंत्रण में बनी हुई है। उन्होंने बताया कि नागालैंड के पुलिस महानिदेशक और वहाँ के आयुक्त ने घटना के अगले घटनास्थल का दौरा किया। अमित शाह ने तिजीत पुलिस थाने में इस घटना को लेकर प्राथमिकी दर्ज की गई है और मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए इसे ‘राज्य अपराध पुलिस स्टेशन’ को जाँच के लिए सौंप दिया गया है। साथ ही एक विशेष SIT का भी गठन किया गया है, जिसे निर्देश दिया गया है कि वो एक महीने के भीतर जाँच पूरी करे।

उन्होंने बताया, “उपरोक्त घटना के अगले दिन शाम को लगभग 250 लोगों की उद्वेलित भीड़ ने मोन शहर में ‘असम राइफल्स’ की कंपनी ऑपेरेटिंग बेस ने तोड़फोड़ की और दफ्तर में आग लगा दी, जिसके बाद भीड़ को तितर-बितर करने के लिए ‘असम राइफल्स’ को गोली चलानी पड़ी। इस कारण एक और नागरिक की मृत्यु हो गई और एक घायल हो गए। प्रभावित क्षेत्र में किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए अतिरिक्त बल तैनात किए गए हैं। सेना के 3 कोर मुख्यालय द्वारा एक प्रेस व्यक्तव्य जारी किया गया है।”

बता दें कि इस प्रेस वक्तव्य में भारतीय सेना ने निर्दोष नागरिकों की मौत को लेकर अत्यधिक दुःख व्यक्त किया था। अमित शाह ने इसका जिक्र करते हुए कहा कि सेना इसके कारणों की जाँच उच्च-स्तर पर की जा रही है और कानून के हिसाब से कार्रवाई होगी। अमित शाह ने बताया कि वो लगातार नागालैंड की सरकार से संपर्क में हैं और केंद्रीय गृह मंत्रालय ने तुरंत पूर्वोत्तर के सचिव को कोहिमा भेजा, जहाँ उन्होंने वहाँ के नेताओं-अधिकारियों के साथ बैठक की।

भारत – पाक बार्डर खुलवाना चाहते हैं सिद्धू

सिद्धू ने कहा कि भारत-पाकिस्तान बॉर्डर को खोल देना चाहिए। उन्होंने कहा कि बॉर्डर खुलने से सबको फायदा होगा। अगर बॉर्डर खुल जाएगा तो इससे व्यापार में मदद मिलेगी। बॉर्डर बंद होने से सबको हो रहा है नुकसान, बॉर्डर खुल जाने से कई देशों के व्यापार के रास्ते खुल जाएंगे। उन्होंने कहा कि भारत-पाक व्यापार 37 बिलियन अमेरिकी डॉलर हैं, इससे 34 देश व्यापार करते हैं। लेकिन बॉर्डर बंद होने से हम केवल 3 बिलियन डॉलर का ही व्यापार कर पा रहे हैं।

नई दिल्ली (ब्यूरो)

कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू अक्सर अपनी बयानबाजी और पाकिस्तान प्रेम के चलते चर्चा में रहते हैं। एक बार फिर उनका पाकिस्तान प्रेम सामने आया है. दरअसल, शनिवार को सिद्धू ने कहा कि भारत-पाकिस्तान बॉर्डर को खोल देना चाहिए। उन्होंने कहा कि बॉर्डर खुलने से सबको फायदा होगा।

अमृतसर मे पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि पाकिस्तान बॉर्डर बंद होने से सबको नुकसान हो रहा है। अगर बॉर्डर खुल जाएगा तो इससे व्यापार में मदद मिलेगी। बॉर्डर खुल जाने से कई देशों के व्यापार के रास्ते खुल जाएंगे। उन्होंने कहा कि भारत-पाक व्यापार 37 बिलियन अमेरिकी डॉलर हैं, इससे 34 देश व्यापार करते हैं। लेकिन बॉर्डर बंद होने से हम केवल 3 बिलियन डॉलर का ही व्यापार कर पा रहे हैं।

उन्होंने अगली साल होने वाले चुनाव इस चुनाव में रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा होने जा रहा है। मैं आपको गारंटी देता हूं कि थोड़े समय के भीतर हम आपको एक विजन देंगे। सबके पास आंखें हैं, किसी के पास विजन नहीं है। सिद्धू ने कहा कि अभी जो व्यापार हो रहा है वो अपनी क्षमता का 5% भी नहीं है। उन्होंने कहा कि पंजाब को पिछले 34 महीनों में 4,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इस दौरान 15,000 नौकरियां चली गईं। उन्होंने कहा कि मैंने पहले भी अनुरोध किया था, मैं एक बार फिर से अनुरोध कर रहा हूं कि भारत-पाकिस्तान के बीच व्यापार फिर से शुरू हो. इससे सभी को फायदा होगा।

बता दें, सिद्धू पहले भी ऐसे बयान दे चुके हैं। उन्होंने एक बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को अपना भाई कहा था। इसके अलावा उन्होंने कहा था कि भारत-पाकिस्तान के बीच व्यापार भी फिर से शुरू होना चाहिए। पाकिस्तान भाई जैसा देश है। दोनों के बीच दोस्ती और प्यार बराबर बना रहे। दोनों देशों के दरवाजे और खिड़कियां खुलनी चाहिए। सिद्धू के पाकिस्तान प्रेम के लिए कई बार उनकी आलोचना भी हो चुकी है।

राजकोट में 200 महिलाओं ने ‘तलवार रास’ में दिखाया हस्तलाघव

गुजरात के राजकोट में राजपूत महिलाओं ने अपने तलवार बाजी कौशल का शानदार प्रदर्शन कर सबके दिलों को जीत लिया है। दरअसल, राजकोट में पांच दिवसीय तलवार रास कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें राजपूत महिलाओं ने न सिर्फ बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, बल्कि अपने तलवार कौशल का प्रदर्शन भी किया। इसका एक वीडियो सामने आया है, जिसमें एक महिला अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर कुछ महिलाओं की पीठ पर चढ़कर तलवार बाजी करती दिख रही है।

राजकोट में चल रहे पांच दिन के कार्यक्रम में ‘तलवार रास’ का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और तलवार कौशल दिखाया। कार्यक्रम में राजपूती महिलाओं ने आंख में पट्टी बांधकर तलवार से करतबबाजी दिखाई। वीडियो में दिख रहा है कि एक महिला आंख में पट्टी बांधकर कुछ महिलाओं की पीठ पर चढ़कर तलवार से करतब दिखा रही है।

‘तलवार रास’ में राजपूत महिलाएँ पारंपरिक कपड़े पहनती हैं। तलवार के साथ अपने कौशल का प्रदर्शन करते हुए पारंपरिक नृत्य करती हैं। राजकोट के शाही परिवार की राजकुमारी कादंबरी देवी ने कहा, “तलवार रास पिछले बारह वर्षों से आयोजित किया जा रहा है। हर साल एक नया समूह होता है और महिलाएँ पूरे उत्साह के साथ इस कार्यक्रम में भाग लेती हैं।”

कादंबरी देवी ने आगे कहा, “तलवार एक देवी की तरह है और इसलिए हम शस्त्र पूजा करते हैं।” यह आयोजन राजपूत महिला योद्धाओं के इतिहास को जीवित रखने और यह संदेश देने के लिए है कि आज की महिलाएँ उतनी ही शक्तिशाली हैं जितनी वे सालों पहले थीं।

तलवार रास की लिबरलों ने मुहर्रम से तुलना की

‘तलवार रास’ महिला सशक्तिकरण की बड़ी-बड़ी बातें करने वाले लिबरल को पसंद नहीं आया। उन्होंने इसकी तुलना मुहर्रम से करते हुए इसे ‘संघी आतंकवाद’ तक कह डाला।

विडंबना यह है कि इस कार्यक्रम की आलोचना करने वाले लोगों को विदेशी ‘आत्मरक्षा‘ तकनीकों को बढ़ावा देने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन पारंपरिक भारतीय कला और संस्कृति को देखकर वे भयभीत हो जाते हैं। बता दें कि गुजरात की लोक परंपराओं के विद्वान डॉ. उत्पल देसाई के अनुसार, तलवार रास राजपूत युद्ध नायकों की याद में बनाया गया था, जो भुचर मोरी (18 जुलाई, 1591) के ऐतिहासिक युद्ध में मारे गए थे।

उत्तराखंड, गुजरात के बाद क्या अब खट्टर का नंबर है

भारतीय जनता पार्टी ने कई राज्यों में गैर-प्रमुख जातियों के नेताओं को मुख्यमंत्री का पद सौंपा लेकिन हाल में हुए बदलावों को देखकर लगता है कि बीजेपी का हृदय परिवर्तन हो गया है। पिछले कुछ वर्षों में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पार्टी द्वारा मुख्यमंत्री को बदला जाना यह बताता है कि पार्टी ने जाति प्रमुख को महत्व देते हुए रणनीति में बदलाव किया है और इसी का कारण है कि विधानसभा चुनाव वाले राज्यों में चुनाव से पहले वहां की प्रमुख जाति के चेहरों को सीएम की कुर्सी पर बैठाया। उत्तराखंड और कर्नाटक के बाद सबसे ताजा उहादरण गुजरात का है, जहां भाजपा ने बहुसंख्यक और प्रभुत्वशाली पाटीदार समाज की मांग के आगे झुकते हुए मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को पद से हटा दिया और भूपेंद्र पटेल को नया मुख्यमंत्री बनाया।

चंडीगढ़/नयी दिल्ली:

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को गुरुवार को अचानक दिल्ली बुलाया गया, जहां पर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की है। मुख्यमंत्री खट्टर पीएम से मिलने उनके आवास पर पहुंचे हैं। दोनों नेताओं के बीच एक घंटे तक बैठक चली है। बताया जा रहा है कि इस दौरान वो गृह मंत्री अमित शाह सहित कई अन्य केंद्रीय मंत्रियों और आरएसएस के कुछ पदाधिकारियों से भी मुलाकात कर सकते हैं। हालांकि और मुलाकातों को लेकर खुद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इनकार किया है। कयास ऐसे भी लगाए जा रहे हैं कि क्या बीजेपी संगठन गुजरात के बाद अब हरियाणा में बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बारे में खट्टर ने जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी को उनके जन्मदिवस की पूर्व संध्या पर बधाई दी है। हरियाणा सरकार के नए इनीशिएटिव्स को लेकर पीएम मोदी जी से बातचीत हुई है। मेरी फसल मेरा ब्यौरा, मेरा पानी मेरी विरासत, सहित राइट टू सर्विस कमिशन, के सॉफ्टवेयर को लेकर और तमाम नए प्रोजेक्ट्स के बारे में प्रधानमंत्री को जानकारी दी है।

अपने दिल्ली दौरे को लेकर बोले सीएम खट्टर ने कहा कि दिल्ली दौरे पर और कुछ मुलाकातें नहीं हैं। गुड़गांव से होते हुए कल चंडीगढ़ के लिए वापसी होगी। करनाल की घटना और किसान आंदोलन को लेकर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चर्चा हुई है। करनाल की घटना की जानकारी दी है. सुप्रीम कोर्ट ने जो रास्ता छोड़ने की बात की है उसकी कमेटी की जानकारी भी प्रधानमंत्री को दी है।

जानकारों की मानें तो बरोदा उपचुनाव में बीजेपी की हार और इसके अलावा निकाय चुनाव में बीजेपी की सोनीपत और अंबाला में हार हुई. किसान आंदोलन को लेकर हरियाणा बीजेपी बैकफुट पर नजर आई है। इसके अलावा मुख्यमंत्री मनोहर लाल और गृहमंत्री अनिल विज के बीच कई विवाद सामने आए हैं। दोनों के बीच का विवाद हाईकमान तक भी पहुंचा है।

हालांकि इस मुलाकात का एजेंडा सार्वजनिक नहीं हुआ है, चर्चा जोरों पर कि इस बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बदल सकते हैं, इसके साथ ही हरियाणा में मंत्रिमंडल विस्तार हो सकता है। बता दें कि केंद्र सरकार 6 महीने के अंदर तीन बीजेपी शासित राज्यों के 4 मुख्यमंत्रियों को बदल चुकी है. इसकी शुरूआत हुई उत्तराखंड से हुई और बयार चलते-चलते गुजरात तक पहुंची। अब कयास लगाए जा रहे हैं कि ये हरियाणा का नंबर भी आ सकता है।

मुख्यमंत्री के रूप में भाजपा गैर-प्रमुख जाति के नेताओं को चुनने के लिए जानी जाती रही है. फिर चाहे बात हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की हो या फिर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की. इन दोनों नेताओं को नरेंद्र मोदी-अमित शाह नेतृत्व ने जाट और मराठा समुदायों के बाहर से चुना था. जिसमें से खट्टर अभी भी मुख्यमंत्री पद पर विराजमान हैं, हालांकि सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि 2024 में होने वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा मुख्यमंत्री बदल सकती है और गुजरात के तर्ज पर यहां भी किसी जाति-समुदाय प्रमुख चेहरे को राज्य का सीएम बना सकती है. हालांकि, ये सिर्फ भी कयास भर है.

एक कथित ‘हिंदू विरोधी’ विज्ञापन के वायरल होने के बाद ट्विटर ने एक बार फिर #BoycottMyntra को ट्रेंड करते देखा।

व्यापार/वाणिज्य डेस्क चंडीगढ़:

@hindutvaoutloud नाम के एक इंस्टाग्राम पेज ने उन सभी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के बारे में एक पोस्ट किया, जिन्होंने ‘हिंदू-विरोधी’ उत्पाद और विज्ञापन डाले हैं। स्लाइड की शुरुआत एक विज्ञापन से होती है जिसमें भगवान कृष्ण को मिंत्रा पर लंबी साड़ी के लिए ऑनलाइन खरीदारी करते देखा जा सकता है क्योंकि पृष्ठभूमि में ‘द्रौपदी चीरहरण’ होता है।

विज्ञापन से नाराज कई लोगों ने ट्विटर पर शॉपिंग वेबसाइट Myntra का बहिष्कार किया।

हालांकि, उन्होंने जो कुछ याद किया वह “www.scrolldroll.com” एक छोटे से फ़ॉन्ट में लिखा गया था।

इस विज्ञापन ने 2016 में विवाद खड़ा कर दिया जब लोगों ने मान लिया कि यह Myntra का एक विज्ञापन है। हालाँकि, यह स्क्रॉलड्रोल की एक पोस्ट थी, जो यह जानना चाहता था कि अगर देवता 21वीं सदी की तकनीक का उपयोग करते तो क्या होता।

उस समय, मिंत्रा ने भी एक ट्वीट कर पुष्टि की थी कि यह विज्ञापन उनके द्वारा प्रकाशित नहीं किया गया था। स्क्रॉलड्रोल ने पहले इस विज्ञापन की जिम्मेदारी ली थी

हालाँकि, विज्ञापन 2021 में एक बार फिर ट्विटर पर वायरल हो गया है, जो हिंदुओं को नाराज कर रहा है जो न केवल Myntra का बहिष्कार कर रहे हैं बल्कि Flipkart को अनइंस्टॉल भी कर रहे हैं।

‘डिजायर’ का निर्माण अब गुजरात में, कॉंग्रेस काट रही बवाल

किसी भी प्रदेश में उद्योग रीढ़ की हड्डी का काम करते हैं। हरयाणा में फ़रीदाबाद मानेसर इस बात का गवाह हैं। मारुति उद्योग ने अपने उपस्थिती यहाँ अच्छे से दर्ज़ करवाई है। बावजूद पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के शासन काल में हुई मारुति प्लांट हिंसा के जहां एक अधिकारी को ज़िंदा जला दिया गया था। मनेसार प्लांट अच्छे से काम कर रहा है। अभी हालिया रिपोर्ट के अनुसार मारुति सुज़ुकी अपना नया यूनिट गुजरात ले जाने को बाध्य है। कारण हरियाणा सरकार के कुछ नए नियम हैं जिनके अनसार उद्योग में 75% कामगार हरियाणा से ही होंगे, जो मारुति उद्योग को मान्य नहीं है।

व्यापार /उद्योग डेस्क, चंडीगढ़:

मारुति सुज़ुकी की ‘डिजायर’ प्लांट प्रशासनिक और कुछ पुराने कटु अनुभवों के चलते गुजरात ले जाया जा रहा है। कॉंग्रेस इसे खट्टर सरकार की नाकामी बता कर प्रचारित कर रही है। पूरे प्रदेश में कॉंग्रेस नेता आधे सच आ प्रचार कर रहे हैं वहीं यह बताना भूल रहे हाँ की मात्र 18000 करोड़ के निवेश के लिए खट्टर सरकार ने हरियाणा के हितों से कोई सम्झौता नहीं इया, यदि कर लिया होता तो विपक्ष हरियाणा ए यवाओं के हितों पर कुठाराघात की दुहाई देता

देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड (MSIL) भारत में एक लोकेशन पर सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल प्लांट बनाने के लिए 18,000 करोड रुपये का निवेश करने जा रही है। मारुति हरियाणा में नई फैक्ट्री बनाने जा रही है। मारुति की इस नई फैक्ट्री में सालाना 10 लाख से अधिक कार बन सकेगी।

मारुति सुजुकी के चेयरमैन आर सी भार्गव ने यह जानकारी दी है। मारुति सुजुकी के ग्रीन फील्ड लोकेशन में 700 से 1000 एकड़ जगह शामिल हो सकती है। यह वास्तव में मारुति सुजुकी की गुड़गांव की पहली फैक्ट्री के रिप्लेसमेंट की तरह काम कर सकता है।

नई यूनिट में बड़ा निवेश

मारुति सुजुकी हालांकि इस बात से चिंतित है कि हरियाणा सरकार ने एक नियम बनाकर स्थानीय लोगों के लिए 75 फ़ीसदी जॉब आरक्षित कर दिया है। मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन आर सी भार्गव ने कहा, “मारुति सुजुकी नए प्लांट के लिए ₹18000 का निवेश करने जा रही है। नई यूनिट से सालाना 10 लाख कारों का उत्पादन हो सकेगा। हम नई यूनिट के रूप में बड़ा निवेश करने जा रहे हैं।”

हरियाणा सरकार के नियम से दिक्कत

मारुति सुजुकी (Maruti Suzuki) की योजना जल्द ही नया यूनिट शुरू करने की है, लेकिन इसमें उसे कुछ दिक्कतें आ रही है। भार्गव ने कहा कि मारुति (Maruti Suzuki) के नए प्लांट की राह में सबसे पहले कोरोना संकट की वजह से आई। पिछले साल संकट की वजह से मारुति (Maruti Suzuki) की योजना ठंडे बस्ते में चली गई, अब इस पर दोबारा विचार किया जा रहा है। मारुति सुजुकी (Maruti Suzuki) के नए प्लांट लगाने की राह में कई बाधाएं है। हरियाणा सरकार के स्थानीय लोगों को जॉब देने के फैसले से नई यूनिट लगाने में समस्या आ सकती है।

गुरुग्राम प्लांट में जगह की कमी

मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन आर सी भार्गव ने कहा, “हरियाणा सरकार द्वारा स्थानीय लोगों के लिए नौकरियों में 75 फ़ीसदी आरक्षण के मुद्दे पर कई उद्योग केंद्र सरकार से चर्चा कर चुके हैं। हरियाणा सरकार के इस कदम से राज्य में निवेश या प्रतियोगी क्षमता को बढ़ावा देने में मदद मिलने की उम्मीद नहीं है। पूरा उद्योग जगत यह मानता है और इस बारे में सरकार से बातचीत हो चुकी है।” भार्गव ने कहा कि मारुति सुजुकी गुरुग्राम प्लांट को जगह की दिक्कत की वजह से दूसरी जगह शिफ्ट करना चाहती है। स्थानीय लोगों को मारुति की यूनिट के कामकाज की वजह से काफी समस्याएं आ रही है और कंपनी इससे बचना चाहती है।

मॉडल का निर्माण अलग जगह होगा

देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया कॉम्पैक्ट सेडान डिजायर के उत्पादन के स्थानांतरण के जरिये न तो निवेश और न ही रोजगार हरियाणा से गुजरात लेकर जा रही है। मारुति सुज़ुकी के चेयरमैन आर सी भार्गव ने इस बारे में स्थिति साफ की। कंपनी ने कहा है कि वह हरियणा के अपने दो संयंत्रों तथा मूल कंपनी सुजुकी के गुजरात कारखाने में अपने उत्पादन की दक्षता को अधिकतम कर रही है। मारुति यह कदम विभिन्न मॉडलों की मांग के मद्देनजर उठा रही है।

हरियाणा के यूनिट चालू रहेंगे

भार्गव ने कहा, ‘‘हरियाणा के मारुति संयंत्र अपनी पूरी क्षमता पर परिचालन करते रहेंगे। रोजगार पूरा रहेगा, इसमें कोई बदलाव नहीं होगा। गुरुग्राम से कोई उत्पादन बंद होने नही जा रहा है। यदि डिजायर यहां से जाती है, तो किसी अन्य मॉडल का यहां उत्पादन होगा। यह कारोबार को सुसंगत बनाने का तरीका है कि कैसे हम सबसे अधिक दक्ष तरीके से मारुति के विभिन्न मॉडल का उत्पादन कर सकते हैं।’’

भाजपा और कांग्रेस चाहे जितनी कोशिशें कर लें अरविंद केजरीवाल को बदनाम नहीं कर सकती: योगेश्वर शर्मा

  • योगेश्वर शर्मा ने कहा: राजनीति छोडक़र तीसरी लहर से निबटने का इंतजाम करना चाहिए
  • भाजपा और कांग्रेस देश को गुमराह करने के लिए माफी मांगे

पंचकूला,26 जून:

आम आदमी पार्टी का कहना है कि  केंद्र की भाजपा सरकार और जगह जगह चारों खाने चित्त हो रही कांग्रेस अरविंद केजरीवाल को बदनाम करने की लाख कोशिशें कर लें,सफल नहीं होंगी। पार्टी का कहना है कि दिल्ली के लोग जानते हैं कि केजरीवाल उनके लिए लड़ता है और उनकी खातिर इन मौका प्रस्त पार्टियों के नेताओं की बातें भी सुनता है। यही वजह है कि दिल्ली की जनता ने तीसरी बार भी उन्हें सत्ता सौंपी तथा भाजपा को विपक्ष में बैठने लायक और कांग्रेस को कहीं का नहीं छोड़ा। आने वाले दिनों में यही हाल इन दोनों दलों का पंजाब मेें भी होने वाला है। इसी के चलते अब दोनों दल आम आदमी पार्टी व इसके मुखिया अरविंद केजरीवाल को निशाना बना रहे हैं।  पार्टी का कहना है कि अब तो इस मामले के लिए बनाई गई कमेटी  के अहम सदस्य एवं एम्स के प्रमुख डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि अब तक फाइनल रिपोर्ट नहीं आई है। ऐसे यह कहना जल्दबाजी होगी कि दिल्ली ने दूसरी लहर के पीक के वक्त जरूरी ऑक्सीजन की मांग को चार गुना बढक़र बताया। उन्होंने कहा कि मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में है, ऐसे में हमें जजमेंट का इंतजार करना चाहिए। ऐसे में अरविंद केजरीवाल को निशाना बनाने वाले भाजपा एवं कांग्रेस के नेता जनता को गुमराह के करने के लिए देश से माफी मांगे।
 आज यहां जारी एक ब्यान में आप के उत्तरी हरियाणा के सचिव योगेश्वर शर्मा ने कहा कि भाजपा और कांग्रेसी नेताओं को शर्म आनी चाहिए कि वे उस अरविंद केजरीवाल पर आरोप लगा रहे हैं जो अपने लोगों के लिए दिन रात एक करके काम करता है और उसने कोरोनाकाल में भी यही किया था। उन्होंने कहा कि देश की राजधानी दिल्ली में कोविड की दूसरी लहर जब अपने चरम पर थी तो यहां ऑक्सीजन की मांग में भी बेतहाशा वृद्धि हो गई थी। चाहे सोशल मीडिया देखें या टीवी चैनल हर जगह लोग अप्रैल और मई माह में ऑक्सीजन की मांग कर रहे थे। कई अस्पताल और यहां तक कि मरीजों के तीमारदार भी ऑक्सीजन की मांग को लेकर कोर्ट जा पहुंचे थे। उन्होंने कहा है कि अरविंद केजरीवाल ठीक ही तो कह रहे हैं कि उनका गुनाह यह है कि वह दिल्ली के  2 करोड़ लोगों की सांसों के लिए लड़े और वह भी उस समय जब  भाजपा और कांग्रेस के नेता चुनावी रैली कर रहे थे। तब भाजपा के दिल्ली के सांसद अपने घरों में छिपे बैठे थे। उन्होंने कहा कि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ठीक ही तो दावा किया है कि जिस रिपोर्ट के आधार पर अरङ्क्षवद केजरीवाल को बदनाम किया जा रहा है, वह है ही नहीं। है तो उसे सार्वजनिक करना चाहिए। उन्होंने कहा कि दरअसल भाजपा का आईटी सैल अरङ्क्षवद केजरीवाल के पंजाब दौरे के बाद से ही बौखलाया हुआ है, क्योंकि पंजाब में उसका आधार खत्म हो चुका है और आप पंजाब के साथ साथ अब गुजरात में भी सफलता के परचम फैला रही है। पंजाब व गुजरात में भाजपा के लोग आप का दामन थाम रहे हैं। ऐसे में उसे व कांग्रेस को आने वाले विधानसभा चुनावों में अगर किसी से खतरा है तो वह अरङ्क्षवद केजरीवाल और उनकी पार्टी आप से है। उन्होंने कहा कि ये पार्टियां और उनके नेता उन लोगों को झूठा बताकर उनका अपमान कर रहे हैं जिन लोगों ने अपनों को खोया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को देश में अपने पोस्टर लगवाने के बजाये कोविड-19 की तीसरी लहर के खतरे से निपटने की तैयारियों पर ध्यान देना चाहिए।  उन्होंने प्रधानमंत्री को सचेत किया के स्वास्थ्य विशेषज्ञ तीसरी लहर की चेतावनी दे रहे हैं, इसलिए यह आराम का वक्त नहीं है, बल्कि सरकार को अग्रिम प्रबंध करने चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसा न हो कि जिस तरह केंद्र सरकार के दूसरी लहर से पहले के ढीले व्यवहार के कारण हजारों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी, वैसा ही तीसरी लहर के बाद हो। उन्होंने सरकार को वायरस के बदलते स्वरूप की तुरंत वैज्ञानिक खोज कर विशेषज्ञों की राय के अनुसार सभी इंतजाम करने को कहा। उन्होंने कहा कि अपनी नाकामियों का ठीकरा अरविंद केजरीवाल पर फोडऩे से काम नहीं चलेगा। काम करना होगा क्योंकि देश के लोग देख रहे हैं कि कौन काम कर रहा है और कौन ऐसी गंभीर स्थिति में भी सिर्फ राजनीति कर रहा है।

स्वतंत्र भारत के इतिहास का काला अध्याय ‘आपातकाल’

46 साल पहले भारत ने आपातकाल का अनुभव किया भारतीय इतिहास का काला अध्याय राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता से निपटने के बजाय भारत पर इमरजेंसी ठोक देना और लोकतांत्रिक शक्तियों का दमन करना ज्यादा आसान लगा। ऐसा भी नहीं था कि 25 जून की रात अचानक से आपातकाल की घोषणा कर दी गई थी। इसके पीछे एक बड़ी रणनीति थी. देश की जनता पर आपातकाल थोपने का मकसद सत्ता में बने रहना का तो था ही इससे भी अधिक खतरनाक मंशा तत्कालीन हुकुमत की थी। हमें उस पक्ष पर भी  चर्चा करनी चाहिए, जिसके कारण देश के लोकतंत्र को एक परिवार ने बंदी बना लिया। दरअसल लोकतंत्र की हत्या करके ही जो चुनाव जीता हो उसे लोकतंत्र का भान कैसे रह जाएगा ? लोकतंत्र की उच्च मर्यादा की उम्मीद उनसे नहीं की सकती, जो जनमत की बजाय धनमत और शक्ति का दुरुपयोग करके सत्ता पर काबिज होने की चेष्टा करें।

सारिका तिवारी,(inputs by) पुरनूर – चंडीगढ़ 26 जून:

देश में आपातकाल की नींव इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले से पड़ गई थी जिसमें अदालत ने राजनारायण के पक्ष और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ अपना फैसला सुनाया था। अदालत के फैसले से पहले 12 जून 1975 की सुबह इंदिरा गांधी अपने असिस्टेंट से पूछती हैं। आज तो रायबरेली चुनाव को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला आना है। इस पर वहां मौजूद इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी कहते हैं, “आप बेफिक्र रहिए।” संजय का तर्क था कि इंदिरा की सांसदी को चुनौती देने वाले संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार राजनारायण के वकील भूषण नहीं थे। जबकि इंदिरा के वकील एसी खरे ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि फैसला उनके ही पक्ष में आएगा। कांग्रेसी खेमा पूरी तरह से आश्वस्त था, लेकिन उस दिन जो हुआ वो इतिहास बन गया। जस्टिस जगमोहन सिन्हा ने इंदिरा के खिलाफ अपना फैसला सुना दिया। जज ने इंदिरा गांधी को चुनावों में धांधली करने का दोषी पाया और रायबरेली से सांसद के रूप में चुनाव को अवैध घोषित कर दिया। साथ ही इंदिरा के अगले 6 साल तक चुनाव लड़ने पर भी रोक लगा दी गई। हाईकोर्ट से मिले इंदिरा को झटके के बाद कांग्रेसी खेमा स्तब्ध रह गया तो राज नारायण के समर्थक दोपहर में दिवाली मनाने लगे।

पार्टी की अस्थिरता को दरकिनार कर स्वयं का वर्चस्व की रक्षा हेतु उस समय की प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी को संविधान की धारा 352 के तहत राष्ट्र आपात काल घोषित करना पड़ा। कहीं नौकरशाही और सरकार के बीच का संघर्ष, कभी विधान पालिका और न्यायपालिका के बीच विवाद, केशवानंद भारती और गोरखनाथ केस इन विवादों के साक्ष्य हैं। इससे पहले के चुनाव देखें तो कांग्रेस लगातार आज ही की तरह अपने ही अंतर कलह की वजह से सीटे गवाती रही। कई हिस्सों में बटी कांग्रेस का कांग्रेस (आर) इंदिरा के हिस्से आया जब इंदिरा गांधी ने कम्युनिस्ट पार्टी से मिलकर सरकार बनाई पार्टी का यह हाल हो गया था कि सिंडिकेट के दिग्गज भी अपनी सीटें ना बचा पाए। इंदिरा गांधी के कट्टर विरोधी मोरारजी देसाई ने पार्टी छोड़ी और इंदिरा को कमजोर करने में जुट गए। दूसरी और नीलम संजीवा रेड्डी, कामराज, निजा लिंगप्पा पूरी तरह से इंदिरा विरोधी थे। निजालिंगप्पा ने इंदिरा को पार्टी तक से निकाल दिया था।

इमरजेंसी के जो बड़े कारण बने वह है महंगाई, इंदिरा की कई मनमानियां, विद्यार्थियों का असंतोष, जॉर्ज फर्नांडिस के नेतृत्व में रेलवे की हड़ताल, जयप्रकाश नारायण का ‘संपूर्ण क्रांति’ का नारा।

सुब्रह्मण्यम स्वामी, ‘जिंदा या मुर्दा’

इमरजेंसी के दौरान इंदिरा ने बहुत मनमानियां की निरंकुश ढंग से अपने विरोधियों को कुचला, जॉर्ज फर्नांडिस तो कई साल जेल में ही रहे। उन्होंने तो चुनाव भी जेल से लड़ा सुब्रह्मण्यम स्वामी के ‘जिंदा या मुर्दा’ के वारंट जारी किए गए अखबारों पर अंकुश लगाया गया कि वह जनता की बात जनता तक ना पहुंचा पाएँ। लेकिन कुछ अखबारों ने पोस्ट खाली छोड़ कर सरकार का विरोध भी किया।

इस सब में संजय गांधी अपने मित्रों के साथ पूरी तरह से सक्रिय होकर उतरे मनमानीयों के लिए। कुछ नवनियुक्त पुलिस अधिकारी जिनमें किरण बेदी, गौतम कौल और बराड़ आदि भी शामिल थे, इन्होंने एक बार इन पर लाठीचार्ज भी किया जिसका खामियाजा इन्हे आपातकाल के हटने के बाद भी कई वर्षों तक भुगतना पड़ा। पड़ा। कई वर्षों तनख्वाह के बिना नौकरी की।

इमरजेंसी की मियाद खत्म होने संविधान में संशोधन किया गया संविधान की प्रस्तावना में सेक्यूलर शब्द शामिल किए गए सबसे बड़ी बात इस संशोधन में यह की गई के न्यायपालिका संसद द्वारा पारित किसि भी कानून को गलत नहीं ठहरा सकती।

आपातकाल की काली रात 19 महीने लंबी थी और इस लंबे वक्त तक देश का लोकतंत्र कोमा में रहा। जनता के अधिकार, लिखने बोलने की आजादी सब आपातकाल की जंजीरों में जकड़ी हुई थी। आपातकाल के दौरान इंदिरा के बेटे संजय गांधी की हनक थी। जबरन नसबंदी जैसे तानाशाही फैसलों ने जनता को परेशान कर दिया था। जनवरी के महीने में आपातकाल हटाने के फैसले के साथ-साथ राजराजनीतिक बंदियों को रिहा करने के आदेश दिए गए और आम चुनाव की घोषणा की गई। इंदिरा को लगने लगा था कि वो प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाएंगी, लेकिन जनता ने कुछ और ही सोच रखा था। 1977 के आम चुनाव में कांग्रेस की बुरी तरह हार हुई। इंदिरा गांधी.. संजय गांधी समेत तमाम नेता हारे और हार गई तानाशाही…
यह थी 1975 की इमरजेंसी और उसके परिणाम