नशा मुक्त भारत अभियान के तहत जिला स्तरीय मादक पदार्थ उपयोग रोकथाम समिति का गठन : उपायुक्त मुकेष कुमार

पंचकूला 11 अक्तूबर:

उपायुक्त मुकेष कुमार आहूजा ने बताया कि सरकार ने नशा मुक्त भारत अभियान के तहत जिला स्तरीय मादक पदार्थ उपयोग रोकथाम समिति का गठन किया है ताकि विशेषकर युवाओं को मादक पदार्थों के सेवन से दूर रहने के लिए प्रेरित करने के साथ-साथ उसके दुष्प्रभावों से अवगत करवाया जा सके।

        उपायुक्त ने बताया कि समिति नशा मुक्त भारत के तहत जिलों के अभियान गतिविधियां तैयार करेंगी और जिला अभियानों का सूत्रीकरण एवंक्रियान्वयन सुनिश्चित करेगी। समिति ऐसे अभियानों में लोगों की अधिक से अधिक भागीदारी एवं सहयोग सुनिश्चित करेगी और जिला स्तर एवं खण्ड स्तर पर सेवा प्रदाताओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करेगी। समिति शैक्षणिक संस्थानों के 100 मीटर के दायरे में सिगरेट की बिक्री पर प्रतिबंध का कड़ाई से क्रियान्वयन सुनिश्चित करेगी और मादक पदार्थों की उपलब्धता एवं बिक्री की जानकारी हासिल करेगी और ऐसी जानकारी पर की गई कार्यवाही की समीक्षा करेगी।

       जिला स्तरीय मादक पदार्थ उपयोग रोकथाम समिति के अध्यक्ष उपायुक्त होंगे। पुलिस अधीक्षक, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी, बाल विकास कार्यक्रम अधिकारी, जिला लोक सम्पर्क अधिकारी, औषध नियंत्रण अधिकारी (एफडीए), तीन गैर सरकारी संगठन, जो मादक पदार्थ रोकथाम के क्षेत्र में कार्य कर रहें और दो सेवानिवृत्त वरिष्ठ सिविल कर्मचारी और जिला समाज कल्याण अधिकारी इसके सदस्य सचिव के रूप में कार्य करेंगे।

         उपायुक्त ने  बताया कि जिला स्तरीय मादक पदार्थ उपयोग रोकथाम समिति जिलों में अभियान का सूत्रीकरण एवंक्रियान्वयन सुनिश्चित करेगी। विद्यार्थियों, शिक्षकों एवं अभिभावकों के लिए जिला के सभी स्कूलों एवं कॉलेजों में नशामुक्ति जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करेगी और इस संबंध में जागरूकता उत्पन्न करने के लिए कॉलेजों में विद्यार्थियों के क्लब गठित करेगी। नशे की लत में गिरफ्त लोगों की पहचान करेगी और उन्हें उपचार एवं परामर्श के लिए पुनर्वास केन्द्रों एवं अस्पतालों में ले जाएगी और उन्हें वहां उपलब्ध करवाए जा रहे परामर्श एवं उपचार का निरीक्षण करेगी। समिति शैक्षणिक संस्थानों के 100 मीटर के दायरे में सिगरेट की बिक्री पर प्रतिबंध का कड़ाई से क्रियान्वयन सुनिश्चित करेगी और मादक पदार्थों की उपलब्धता एवं बिक्री की जानकारी हासिल करेगी और ऐसी जानकारी पर की गई कार्यवाही की समीक्षा करेगी। सेवाएं प्रदान कर रहे अस्पतालों एवं संस्थानों का दौरा करेगी।

        उन्होंने बताया कि जिला स्तरीय नशामुक्ति अभियानों में लोगों की अधिक से अधिक भागीदारी एवं सहयोग सुनिश्चित करेगी और जिला एवं खण्ड स्तर से नीचे सेवा प्रदाताओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करेगी। इसके अतिरिक्त, समिति जिला स्तरीय अभियान एवं क्रियान्वयन के लिए सोशल मीडिया रणनीति तैयार करेगी। राज्य स्तरीय समिति और मंत्रालय को अपने कार्यक्रमों की प्रतिपुष्टि देगी। स्वैच्छिक कार्यकर्ताओं की पहचान करेगी, उन्हें  पहचान पत्र या बैज देगी और समुदाय में जागरूकता उत्पन्न करने के लिए उन्हें सामुदायिक सहकर्मी के रूप में प्रशिक्षण प्रदान करेगी।

‘फेक भाभी’ के नक्सली / कांग्रेसी कनेक्शन : एक रिपोर्ट

हाथरस कांड में एक ताजा जानकारी सामने आने से ट्विटर पर हलचल बढ़ गई है। रिपोर्ट्स के अनुसार, पीड़‍िता के घर में एक महिला फर्जी रिश्‍तेदार बनकर रह रही थी। खुद को पीड़‍िता की ‘भाभी’ बताने वाली इस महिला का नक्‍सल कनेक्‍शन मिला है जिसकी जांच पुलिस कर रही है। इतना पता चलते ही ट्विटर पर इस भाभी की चर्चा तेज हो गई। कुछ ही देर में ‘फेक नक्‍सल भाभी’ हैशटैग टॉप ट्रेंड्स में शामिल हो गया। लोग इस नई जानकारी के बाद सवाल उठा रहे हैं कि क्‍या साजिश की जो बात कही जा रही है, वह सही है। कई यूजर्स ने कांग्रेस महासचिव प्र‍ियंका गांधी पर भी निशाना साधा है। कुछ पत्रकार भी निशाने पर हैं।

  • हाथरस कांड में नए खुलासे से आया मोड़, पीड़‍िता के घर में थी ‘फर्जी’ रिश्‍तेदार
  • पीड़‍िता की भाभी बनकर रह रही थी महिला, नक्‍सल कनेक्‍शन के बाद अब कॉंग्रेस कनैक्शन भी सामने आया
  • पुलिस कर रही जांच, आरोप है क‍ि इस महिला ने पीड़‍ित परिवार को बरगलाया
  • 16 सितंबर से ही सक्रिय हो गई थी महिला, SIT को है उसकी जोरों से तलाश

हाथरस / नयी दिल्ली :

हाथरस मामले में कथित ‘फेक भाभी’ के कथित नक्सल और मार्क्सवादी कनेक्शन के बाद सोशल मीडिया पर अब इसके कॉन्ग्रेसी सम्बन्ध चर्चा का विषय हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में इस महिला के बारे में दावा किया जा रहा था कि वह पीड़ित परिवारवालों के घर में मृतका की फेक भाभी बन कर रह रही थी।

यह भी माना जा रहा है कि यह महिला मीडिया और पीड़ित परिवार से मिलने आ रहे राजनीतिक दलों से क्या और कैसे कहना है, इस बारे में परिजनों को सीखाने का काम करती थी। हाथरस में पीड़िता के घर में ‘नकली भाभी’ बनकर रहने की आरोपित डॉ राजकुमारी बंसल अब लगातार अपने बयान भी बदल रही हैं और पीड़िता की भाभी या बहन होने से भी इंकार कर रही हैं। वहीं ट्विटर यूज़र्स ने कथित नक्सली महिला का कनेक्शन कॉन्ग्रेस से भी होने का दावा किया है।

दक्षिणपंथी लेखिका शेफाली वैद्य ने अपने ट्विटर एकाउंट से मध्यप्रदेश जबलपुर की रहने वाली कथित नक्सली महिला के नाम से एक ट्विटर एकाउंट खोज निकाला है। उन्होंने दावा किया है कि यह एकाउंट हाथरस पीड़ित परिजनों के साथ पीड़िता के मरने के बाद रह रही कथित नक्सली महिला का ही है।

शेफाली वैद्य ने डॉ. राजकुमारी बंसल नाम से एक ट्विटर एकाउंट का स्क्रीनशॉट शेयर किया है। बता दें कि पीड़िता की भाभी ने भी अपने एक बयान में उनके घर में 2 सप्ताह से रह रही कथित नक्सली महिला का नाम भी राजकुमारी ही बताया है।

पोस्ट किए गए स्क्रीनशॉट में शेफाली ने कई खुलासे भी किए है। इस महिला का नाम डॉक्टर राजकुमारी बंसल बताया जा रहा है जो कि जबलपुर, मध्यप्रदेश की रहने वाली हैं। उन्होंने ट्विटर पर एक ट्वीट भी किया है जिसमें लिखा है – #कास्ट मैटर्स

अपने पोस्ट में शेफाली ने कॉन्ग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए हाथरस घटना के पीछे राहुल गाँधी और प्रियंका द्वारा रची गई साजिश की ओर इशारा किया है। शेयर किए गए स्क्रीनशॉट में ट्विटर यूजर ने बताया कि राजकुमारी बंसल कॉन्ग्रेस समर्थक है, जो कि उनके ट्विटर अकाउंट से भी पता चलता है। राजकुमारी कॉन्ग्रेस के आधिकारिक ट्विटर एकाउंट को फॉलो करती है, इतना ही नहीं उन्होंने राहुल गाँधी के ट्वीट्स को भी रिट्वीट किया है।

वहीं, एक अन्य ट्विटर यूजर अंकुर सिंह ने भी यही दावा किया है। अंकुर ने एक ट्वीट करते हुए लिखा, “हाथरस में रह रही नकली भाभी मध्यप्रदेश जबलपुर की रहने वाली डॉ. राजकुमारी बंसल है। आपको क्या लगता है कि किसी को एमपी से हाथरस क्यों भेजा गया? क्या उसे पीड़ित परिवार को यह सीखने के लिए भेजा गया था कि उन्हें क्या बोलना है या किसी भी सबूत को कैसे पेश करना है? फेक भाभी राहुल गाँधी और कॉन्ग्रेस को ट्विटर पर फॉलो करती हैं।” वहीं अंकुर ने एक फेसबुक एकाउंट भी शेयर किया है जिसे उन्होंने कथित नक्सली महिला राजकुमारी का होने का दावा किया है।

राजकुमारी बंसल फॉरेंसिक एक्सपर्ट की हैसियत से गई थी हाथरस

कॉन्ग्रेस समर्थक होने का खुलासा होने के बाद राजकुमारी बंसल का एक और वीडियो सामने आया है। राजकुमारी बंसल नाम की इस महिला ने स्वीकार किया है कि वह हाथरस पीड़ित परिवार के बीच गई थी। उन्हें इस वीडियो में यह कहते हुए सुना जा सकता है कि वह फॉरेंसिक एक्सपर्ट हैं और इस सम्बन्ध में ही ‘कुछ मदद’ करने के लिए ही वो हाथरस गई थी।

पहले कहा था ‘बहन हूँ’, अब बदले बयान

राजुकमारी बंसल अब लगातार बयान भी बदल रही हैं। हाथरस में पीड़ित परिवार के साथ बैठकर एक टीवी चैनल के साथ बातचीत में राजकुमारी बंसल ने कुछ ही दिन पहले कहा था कि वह उनकी बहन हैं जबकि अब नए बयान में उन्होंने कहा है कि उन्होंने कभी भी खुद को परिवार का सदस्य नहीं बताया।

गौरतलब है कि एक टीवी चैनल  ने अपने एक रिपोर्ट में खुलासा किया था कि एक महिला पीड़ित परिवार में मृतका की ‘भाभी’ बन कर रह रही थी और परिवार की तरफ से बयान भी दे रही थी। इसके बाद से हाथरस मामले का नक्सली कनेक्शन सामने आ रहा है। बताया जा रहा है कि उक्त ‘भाभी’ सितम्बर 16 से 22 तारीख तक परिवार के साथ रही और इस दौरान अपने नक्सली आकाओं से भी संपर्क में थी।

हालाँकि, अन्य सूत्रों का कहना है कि वो काफी समय से पीड़ित परिवार के साथ रह रही थी। कहा जा रहा है कि वो घटना के दो दिन बाद ही पीड़ित परिवार के साथ रहने आ गई थी।

वहीं अब पीड़िता की असली भाभी की एक वीडियो सामने आया है, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि सवालों के घेरे में आई महिला कोई फर्जी नहीं बल्कि उनकी दूर की रिश्तेदार थी। घूँघट में अपना चेहरा ढके और हाथ में एक बच्चा लिए पीड़िता की असली भाभी ने कहा, “उनका (संदिग्ध नक्सली) नाम राजकुमारी है। उनका एक 10 साल का बेटा है। उनका पति और एक परिवार है। ऐसा कुछ नहीं है (जो मीडिया में बताया जा रहा है)।”

‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: कार्यान्वयन के लिए रोडमैप’ पीयू में हुआ वेबिनार

कोरल ‘पुरनूर’, चंडीगढ़ – 10 अक्तूबर:

आज 10 अक्टूबर 2020 को पंजाब विश्वविद्यालय ने 2020 ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: कार्यान्वयन के लिए रोडमैप ‘पर एक वेबिनार का आयोजन किया। इस वेबिनार में, सुश्री  अनुसुईया उइके, छत्तीसगढ़ के माननीय राज्यपाल, मुख्य अतिथि थीं। इस अवसर पर सुश्री उइके ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के सफल कार्यान्वयन के लिए वेबिनार श्रृंखला के आयोजन के लिए पंजाब विश्वविद्यालय के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा हालांकि, NEP के बारे में देशव्यापी उत्साह अभी भी जारी है, हमारे लिए यह समझने का समय है कि ऐसे क्या क्या कारक आकार लेने जा रहे है  जो  देश भर में इसके कार्यान्वयन को प्रभावित करने जा रहे हैं। इस एनईपी में कई अच्छे तत्व हैं जैसे : समस्या और लक्ष्य अच्छी तरह से स्पष्ट हैं, यह सबूत-आधारित है और हितधारकों द्वारा व्यापक समर्थन के साथ समर्थित है। “मातृ भाषा पर ध्यान देना इस नीति की शीर्ष विशेषता है, इस तरह से हम आदिवासी युवाओं के बीच उनकी मातृ भाषा के लिए गर्व ला सकते हैं अन्यथा ये मूल भाषाएं बहुत जल्द नष्ट हो जाएंगी “सुश्री उइके ने कहा।

उन्होंने कहा कि इस शैक्षिक नीति की अवधारणा महात्मा गांधी की बुनियादी शिक्षा की अवधारणा पर आधारित है। यह शिक्षा नीति अत्यधिक प्रतिस्पर्धी 21 वीं सदी के लिए तैयार होने के लिए भारत के लिए एक मजबूत आधार का निर्माण करेगी। उन्होंने कहा कि यह भारत को ‘आत्म निर्भर भारत ‘बनाने की एकमात्र नीति है, क्योंकि यह गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कौशल प्रदान करने पर केंद्रित है।

“किसी भी नीति के कार्यान्वयन में पहली बाधा हितधारकों के साथ संचार की कमी होती है। किसी भी नीति को पहले हितधारकों द्वारा प्रभावी संचार के माध्यम से अच्छी तरह से समझा जाना चाहिए। सौभाग्य से, शिक्षा मंत्रालय के इस श्रेय के रूप में कि एनईपी की घोषणा से पहले ड्राफ्ट एनईपी पर हितधारकों के साथ बड़े पैमाने पर विचार-विमर्श किया गया था ” राज्यपाल ने कहा।

नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की अवधारणा; जीडीपी का 6% खर्च इस नीति  की विशेषताएं हैं।

सही प्राथमिकताएं निर्धारित करना किसी भी नीति के सफल कार्यान्वयन का एक और महत्वपूर्ण कदम है। एनईपी के कार्यान्वयन में दो प्रमुख खिलाड़ी हैं – केंद्र में शिक्षा मंत्रालय और हितधारक, जिसमें राज्य सरकारें, स्कूल और शैक्षणिक संस्थान शामिल हैं। इस प्रकार इन सभी हितधारकों पर भी इसके सफल क्रियान्वन की जिम्मेवारी निहित है। “आधुनिक शिक्षा प्रणाली में स्थानीय साहित्य के विकास पर जोर दिया जाना चाहिए। अच्छी और गुणवत्ता वाली सामग्री विकसित करना समय की आवश्यकता है और यह इस नीति के कार्यान्वयन की कुंजी रहने वाली है। ” एनईपी के कार्यान्वयन के बारे में बात करते हुए राज्यपाल ने कहा

राज्यपाल ने कहा कि चूंकि एनईपी प्रकृति में दीर्घकालिक है, इसलिए हमें पहली प्राथमिकता के रूप में समर्थन तंत्र बनाने की जरूरत है। समर्थन तंत्र का विचार पहले से ही भारत के उच्च शिक्षा आयोग (HECI) की स्थापना के माध्यम से नियमन, मान्यता, वित्त पोषण और शैक्षणिक मानक-सेटिंग के लिए अलग-अलग कार्यों के साथ चार ऊर्ध्वाधर बनाये गए है। राज्यपाल की राय थी कि इस पैटर्न में हमारे पास एक आयोग होना चाहिए, जिसमें सभी हितधारकों का  प्रतिनिधित्व होना चाहिए।

इससे पहले, प्रोफेसर राजकुमार, पंजाब विश्वविद्यालय के कुलपति, ने अपने संबोधन में कोरोना महामारी के समय में पंजाब विश्वविद्यालय द्वारा की गई विभिन्न गतिविधियों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया था। उन्होंने बताया कि 4 अप्रैल 2020 से लेकर आज तक पंजाब विश्वविद्यालय ने ऑनलाइन मंच पर लगभग 370 वेबिनार / कार्यशालाएं आयोजित की हैं।

इस अवसर पर प्रो वी.आर. सिन्हा ने वेबिनार के परिचयात्मक नोट को प्रस्तुत किया और अतिथियों का परिचय दिया। अंत में प्रो हरीश ने औपचारिक वोट ऑफ थैंक्स प्रस्तुत किया।

देशद्रोह के आरोपी स्टेन ‘स्वामी’ के समर्थन में उतरे जेएमएम और कॉंग्रेस पार्टी

‘स्वामी’ छद्म नाम से भारत में ईसाई धर्म का प्रचार कर रहे पादरी स्टेन ‘स्वामी’ भीमा कोरेगांव हिंसा और प्रधान मंत्री मोदी की हत्या के षड्यंत्र के आरोप में एनआईए की राडार पर थे। उन्हे नामकुम स्टेशन परिसर से गिरफ्तार किया गया। उनकी गिरफ्तारी के बाद ही से झारखंड मुक्ति मोर्चा के हेमंत सोरेन और कॉंग्रेस पार्टी समेत कई कई कैथोलिक संस्थाएँ गिरफ्तारी का विरोध कर रहीं हैं।

नयी दिल्ली(ब्यूरो):

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अब भीमा-कोरेगाँव हिंसा मामले में आरोपित पादरी स्टेन स्वामी के समर्थन में उतर आए हैं। स्टेन स्वामी को NIA ने हिरासत में लिया है। हेमंत सोरेन ने पूछा, “गरीब, वंचितों और आदिवासियों की आवाज़ उठाने’ वाले 83 वर्षीय वृद्ध ‘स्टेन स्वामी’ को गिरफ्तार कर केंद्र की भाजपा सरकार क्या संदेश देना चाहती है?” साथ ही कहा है, “अपने विरोध की हर आवाज को दबाने की ये कैसी जिद?

कई कांग्रेस नेता भी स्टेन स्वामी के बचाव में आ गए हैं। झारखंड कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सह राज्य के वित्त तथा खाद्य आपूर्ति मंत्री डॉ. रामेश्वर उराँव ने कहा कि फादर स्टेन स्वामी को ‘अर्बन नक्सलवाद’ के नाम पर गिरफ्तार किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने मोदी सरकार पर देश के विभिन्न हिस्से में रहने वाले बुद्धिजीवियों को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि स्टेन स्वामी 25 वर्षों से राँची में जनजातीय वर्ग के उत्थान में जुटे हैं।

डॉक्टर उराँव ने कहा कि स्टेन स्वामी को फँसाने की साजिश रची गई है। एक दैनिक समाचार पत्र की खबर के अनुसार, प्रदेश कॉन्ग्रेस के प्रवक्ता आलोक कुमार दुबे ने कहा कि केंद्र सरकार विभिन्न जाँच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। राज्य में पार्टी के एक अन्य प्रवक्ता लाल किशोरनाथ शाहदेव ने आरोप लगाया कि संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा को कम किया जा रहा है, जिसका परिणाम आने वाले दिनों में देश की जनता को भुगतना पड़ेगा।

राजेश गुप्ता छोटू और आदित्य विक्रम जायसवाल सहित झारखण्ड के कई कॉन्ग्रेस नेताओं ने स्टेन स्वामी का समर्थन किया है। इससे पहले भी कॉन्ग्रेस पार्टी के लोग खुल कर भीमा-कोरेगाँव के आरोपितों का समर्थन करते आए हैं। वामपंथी पार्टियाँ और नेतागण पहले से ही कहते आ रहे हैं कि सरकार भीमा-कोरेगाँव मामले में ‘एक्टिविस्ट्स को फँसा’ रही है। हालाँकि, इनमें से कई के खिलाफ चार्जशीट दायर हो चुकी है।

कई कैथोलिक संस्थाएँ और तथाकथित एक्टिविस्ट्स पहले से ही विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं और स्टेन स्वामी की गिरफ़्तारी को NIA की ‘एकतरफा कार्रवाई’ बता रहे हैं। इन सभी ने झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन से इस मामले में हस्तक्षेप करने की भी माँग की है। 2000 ‘बुद्धिजीवियों’ ने इसे मोदी सरकार का ‘विच हंट’ करार दिया है। वहीं झारखंड पुलिस ने मीडिया से कहा कि वो सारे सवाल NIA से पूछे, पुलिस से नहीं।

ज्ञात हो कि फादर स्टेन स्वामी पर दो साल पहले महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगाँव में हुई हिंसा व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रचने में संलिप्तता का आरोप है। बताया जा रहा है कि स्टेन स्वामी पर भीमा-कोरेगाँव मामले में एनआईए ने आतंकवाद निरोधक क़ानून (यूएपीए) की धाराएँ भी लगाई गई हैं। एनआईए की एक टीम ने नामकुम स्टेशन परिसर में फादर स्टेन स्वामी को गिरफ्तार किया था।

11 अक्टूबर को कारगिल हीरो निकालेंगे बाइक रैली।

पंचकुला ब्यूरो:

An organization of all india ex sevice men द्वारा एक बाइक रैली का आयोजन किया जा रहा है जिसमे कारगिल वॉर के वह हीरो जिनके योगदान की वजह से भारत ने कारगिल युद्ध में फतेह हासिल की वह सब कल दिल्ली से पिंजौर एक बाइक रैली करते हुए आएंगे और उनका स्वागत करने हेतु शहर के तमाम लोग पहुंचेंगे।

यह जानकारी demokraticfront.com को An organization of all india ex servicemen के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव वेटरन अनुराग लठवाल ने दी।

राम विलास पासवान का निधन केंद्रीय मंत्री थे काफी समय से थे बीमार, वह 74 वर्ष के थे

ब्रेकिंग

राम विलास पासवान का निधन केंद्रीय मंत्री थे काफी समय से थे बीमार

नयी दिल्ली(ब्यूरो):

केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का  गुरुवार को नई दिल्ली में निधन हो गया है. पासवान के बेटे चिराग पासवान ने ट्वीट कर ये जानकारी दी है. पासवान पिछले कुछ समय से बीमार थे और दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती थे. 3 अक्टूबर को देर रात रामविलास पासवान के दिल का ऑपरेशन किया गया था. मौसम विज्ञानी कहे जाने वाले राम विलास पासवान 1969 में विधायक चुने गए थे. पासवान मोदी कैबिनेट में उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री थे.

5 जुलाई 1946 को बिहार के खगड़िया में जन्मे रामविलास पासवान कोसी कॉलेज और पटना यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद 1969 में बिहार के डीएसपी के तौर पर चुने गए थे. 1969 में पहली बार संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से विधायक बनने वाले पासवान राज नारायण और जयप्रकाश नारायण का अनुसरण करते थे. पासवान 1974 में पहली बार लोकदल के महासचिव बनाए गए. वे व्यक्तिगत रूप से राज नारायण, कर्पूरी ठाकुर और सत्येंद्र नारायण सिन्हा जैसे आपातकाल के प्रमुख नेताओं के करीबी थे.

पासवान ने दो शादियां की थीं. उनकी पहली पत्नी राजकुमारी देवी के साथ उनका रिश्ता 1969 से 1981 तक रहा. 1982 में उन्होंने रीना शर्मा से शादी की. पासवान के परिवार में उनकी पत्नी के अलावा दो बेटियां उषा और आशा पासवान और एक बेटा चिराग पासवान हैं.

हाथरस में दंगे होंगे, फिर इस मुद्दे को भुनाने के लिए राहुल गांधी हाथरस आएंगे : श्योराज वाल्मीकि

“दंगा तो कोई भी रोक नहीं पाएगा, जो स्थिति बनती जा रही है। वाल्मीकि समाज मार्शल कौम है। हमलोगों को आप गाँव में मार सकते हैं। बहुत काट दिए जाएँगे, बहुत मार दिए जाएँगे। शहर में हमलोग अच्छी-खासी तादाद में हैं। तैयारी पूरी है। इसके लिए हम पूरे तरीके से लगे हुए हैं।” स्टिंग ऑपरेशन में रिपोर्टर के पूछने पर श्योराज वाल्मीकि ने कहा कि पीड़ित दलित परिवार पर दबाव बनाया जा रहा था और जाति के नाम पर माहौल बिगाड़ने की तैयारी हो रही थी. कथित स्टिंग ऑपरेशन में उन्होंने कहा कि हाथरस में दंगे होंगे. गोलियां चलेंगी. दो लोग इधर से मरेंगे और दो लोग उधर से मरेंगे. फिर इस मुद्दे को भुनाने के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी हाथरस आएंगे. आंदोलन लंबा चलेगा.

उप्र(ब्यूरो):

एक राष्ट्रिय चैनल के एक स्टिंग ऑपरेशन में हाथरस मामले को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। मामले का राजनीतिकरण कर के हाथरस को लेकर पूरे उत्तर प्रदेश में दंगे भड़काने की साजिश थी, ऐसा पता चला है। चैनल के इस स्टिंग में कॉन्ग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री श्योराज जीवन दंगे की साजिश रचते हुए दिखाई पड़ रहे हैं। इससे हाथरस केस में नया एंगल आने की सम्भावना है।

इस वीडियो में कॉन्ग्रेस नेता श्योराज जीवन वाल्मीकि कहते दिख रहे हैं, दंगा तो कोई भी रोक नहीं पाएगा, जो स्थिति बनती जा रही है। वाल्मीकि समाज मार्शल कौम है। हमलोगों को आप गाँव में मार सकते हैं। बहुत काट दिए जाएँगे, बहुत मार दिए जाएँगे। शहर में हमलोग अच्छी-खासी तादाद में हैं। तैयारी पूरी है। इसके लिए हम पूरे तरीके से लगे हुए हैं। बताया जा रहा है कि उक्त नेता कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी का करीबी है।

चैनल के अनुसार, श्योराज जीवन ने ये भी खुलासा किया कि हाथरस में जाति के नाम पर माहौल बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है और पीड़ित परिवार पर दबाव बनाया जा रहा है। चैनल का कहना है कि ये वीडियो इस बात का पक्का सबूत है और ये इस केस का सबसे बड़ा कबूलनामा है। वीडियो में कॉन्ग्रेस नेता कहते हैं, ये केस नहीं दबेगा। मैं इस मामले में 4 दिन बाद पड़ा था। परिवार हताश हो गया था।

कॉन्ग्रेस नेता ने बताया कि जब उन्हें पता चला तो वो पीड़ित परिवार से मिलने के लिए गए। उन्होंने कहा, “बच्ची को देख कर कोई बर्दाश्त नहीं कर सकता था। फिर मैंने उग्र रूप ले लिया।” चैनल का दावा है कि हाथरस में तनाव बढ़ाने के कॉन्ग्रेस नेता श्योराज जीवन खुद मैदान में उतर गए। राहुल गाँधी भी हाथरस पहुँचे तो उनसे उन्होंने मुलाकात की, जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। श्योराज जीवन को उत्तर प्रदेश में कॉन्ग्रेस के दलित चेहरों में से एक माना जाता है। स्टिंग वाले वीडियो में वो कहते हैं,

जाँच एजेंसियों की पड़ताल में यह बात भी सामने आई कि विरोध-प्रदर्शन की आड़ में रातों रात ‘जस्टिस फॉर हाथरस (Justice for hathras)’ नाम की वेबसाइट बनाई गई। इस वेबसाइट का इकलौता उद्देश्य था, उत्तर प्रदेश को दंगों की आग में झोंक देना। इस वेबसाइट को इस्लामी देशों द्वारा समर्थित कट्टरपंथी संगठन, एमनेस्टी इंटरनेशनल से फंडिंग मिलती थी। यह वेबसाइट बहुसंख्यक समुदाय में असंतोष पैदा करने, योगी और मोदी सरकार को कमज़ोर करने का प्रयास कर रही थी।

सहारनपुर पुलिस की बड़ी कार्येवाई सट्टा खेलते हुए 5 अभियुक्तों को किया गिरफ्तार

राहुल भारद्वाज, सहारनपुर:

सहारनपुर थाना कुतुबशेर (प्रभारी) विनोद कुमार सिह, ने एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए चन्दो बाई कालोनी स्थित मिन्टू कालडा के मकान पर छापेमारी करते हुए पांच लोगों को जुआ खेलते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया पुलिस की इस कार्रवाई की लोगों द्वारा जमकर प्रशंसा की जा रही है आपको बता दे, कि वरिष्ठ पुलिस (अधीक्षक), डॉo एसo चनप्पा, द्वारा अपराधियो के विरुद्व चलाये जा रहे धरपकड़ अभियान के अन्तर्गत, अपर पुलिस (अधीक्षक), नगर एवं सहायक पुलिस (अधीक्षक) क्षेत्राधिकारी नगर-प्रथम के कुशल नेतृत्व में आज  (05:30) बजे थाना कुतुबशेर पुलिस द्वारा एक बड़ी कार्रवाई करते हुए,चन्दोबाई कालोनी थाना क्षेत्र कुतुबशेर में मिंटू कालरा के मकान से (5) अभियुक्त क्रमश (1)=विक्की उर्फ विपिन लखेडा पुत्र रामचन्द लखेडा निवासी नवीननगर थाना सदर बाजार, सहारनपुर (2)=अमित बजाज पुत्र अरुण बजाज निवासी हकीकतनगर थाना सदर बाजार, सहारनपुर (3)=आशू आनन्द पुत्र सुदेश कुमार निवासी हकीकतनगर थाना सदर बाजार, सहारनपुर (4)=राजकुमार पुत्र खैरातचन्द निवासी पंजाबी बाग थाना सदर बाजार, सहारनपुर (5)=वरुण शर्मा पुत्र राजेन्द्र कुमार शर्मा निवासी शारदानगर थाना कुतुबशेर, सहारनपुर को आपस में रुपयो की हारजीत की बाजी लगाकर ताश के पत्तो द्वारा जुआ खेलते समय करीब (60,000) रुपये नगद व (52) अदद ताश के पत्ते, (2) मोटर साइकिल व (2) स्कूटी सहित गिरफ्तार करने में महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त हुई है जबकि अभियुक्त मिंटू कालरा मौके से भागने में सफल रहा हैं जिसकी गिरफ्तारी के प्रयास जारी है गिरफ्तारी व बरामदगी के सम्बन्ध में थाना कुतुबशेर पर मु.अ.सं. 381/2020 धारा 3/3 जुआ अधि. पंजीकृत कर अग्रिम कार्यवाही की गयी है।

4 PFI सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद अब मामले का जामिया यूनिवर्सिटी से कनेक्शन सामने आया

हाथरस कांड को लेकर कांग्रेस समेत कई सियासी दल राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं. वही दंगा भड़काने की साजिश की भी खुलासा हुआ है. दिल्ली से हाथरस जाते हुए 4 PFI सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद अब मामले का जामिया यूनिवर्सिटी से कनेक्शन सामने आया है. पुलिस का कहना है कि मथुरा के पास टोल प्लाजा से गिरफ्तार होने वाले 4 युवक यूपी में दंगे कराने की साजिश कर रहे थे और इनमें एक मसूद अहमद नाम का युवक PFI का मास्टरमाइंड है. बता दें कि इस साल की शुरुआत में ही नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में देशभर में हुए हिंसक प्रदर्शनों में भी PFI यानी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया शामिल था.

नयी दिल्ली(ब्यूरो) :

दिल्ली से हाथरस जाते हुए 4 PFI सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद अब मामले का जामिया यूनिवर्सिटी से कनेक्शन सामने आया है। पुलिस का कहना है कि मथुरा के पास टोल प्लाजा से गिरफ्तार होने वाले 4 युवक यूपी में दंगे कराने की साजिश कर रहे थे और इनमें एक मसूद अहमद नाम का युवक PFI का मास्टरमाइंड है। बता दें कि इस साल की शुरुआत में ही नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में देशभर में हुए हिंसक प्रदर्शनों में भी PFI यानी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया शामिल था।

मसूद अहमद के बारे में मौजूदा जानकारी के अनुसार, वह बहराइच जिले के जरवल रोड के मोहल्ला बैरा काजी का रहने वाला है और दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया में एलएलबी का छात्र है। इसके अलावा, जामिया का यह छात्र मसूद अहमद 2 साल पहले पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की स्टूडेंट विंग कैम्पस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI) से जुड़ा था।

बता दें कि पीएफआई सदस्यों में बहराइच निवासी मसूद अहमद के शामिल होने की सूचना पाते ही स्थानीय पुलिस सक्रिय हो गई है। न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक बहराइच पुलिस का कहना है कि ये इलाका इंडो-नेपाल सीमा से सटा हुआ है और पिछले कुछ समय में पीएफआई से जुड़े कुछ अन्य लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।

पुलिस ने पकड़े गए लोगों के पास से हाथरस कांड से जुड़ा भड़काऊ लिटरेचर भी बरामद किया है और इनके मोबाइल, लैपटॉप जब्त किए गए हैं। ऐसे में पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि यूपी और देश के भीतर जातीय और सांप्रदायिक दंगे फैलाने के लिए भारत-नेपाल सीमा पर पीएफआई की क्या गतिविधियाँ चल रही हैं?

इसके अलावा पुलिस ने यह भी बताया है कि पूरे मामले में विदेशी फंडिग की बात की जा रही है। इसलिए इस कोण के साथ भी जाँच चल रही है। पुलिस ने कहा है कि अगर आगे जरूरत पड़ी तो जाँच एजेंसियों का सहारा लेकर भी मामले की तह तक पहुँचा जाएगा।

पुलिस ने पीएफआई जैसे संगठनों को सांप्रदायिक तनाव फैलाने और समाज में तोड़ने वाला बताया है। उन्होंने कहा कि राम मंदिर भूमि पूजन के दौरान भी इस संगठन से जुड़़े लोगों की गिरफ्तारी हुई थी।

उल्लेखनीय है कि हाथरस मामले में पुलिस ने चंदपा थाने में जाति आधारित संघर्ष की साजिश रचने और सरकार की छवि को बिगाड़ने के प्रयास के आरोप में अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की है। प्रदेश भर में अब तक इस बाबत 21 मामले दर्ज हो चुके हैं।

एडिशनल डीजीपी (कानून-व्‍यवस्‍था) प्रशांत कुमार के मुताबिक, हाथरस मामले में जिले के विभिन्‍न थाना क्षेत्रों में दर्ज 6 मुकदमों के अलावा सोशल मीडिया के विभिन्‍न प्‍लेटफार्म पर आपत्तिजनक टिप्‍पणी को लेकर बिजनौर, सहारनपुर, बुलंदशहर, प्रयागराज, हाथरस, अयोध्‍या, लखनऊ आयुक्तालय में कुल 13 मामले दर्ज किए गए हैं।

हाथरस गैंगरेप ‘ऑनर किलिंग’ का मामला : अधिवक्ता एपी सिंह

हाथरस गैंगरेप मामले में ऑनर किलिंग का चौंकाने वाला एंगल सामने आया है। उन्होंने इस मामले को ऑनर किलिंग बताया है। गांव वालों का कहना है कि पीड़िता का आरोपी संदीप के साथ प्रेम संबंध था। यह बात पीड़िता का परिवार को नापसंद थी. इसी बात को लेकर पहले भी दोनों परिवारों के बीच झगड़ा हुआ था। उस दिन भी जब संदीप और पीड़िता को एक साथ देखा गया तो घरवालों को आक्रोश आ गया। इसी के बाद पीड़िता के परिवार ने पूरी घटना को अंजाम दिया। गांव वालों का कहा है कि लव कुश और उसके चाचाओं नाम इसलिए लिया गया कि उनसे पहले से ही कूड़ा डालने और नाली निकासी को लेकर झगड़ा होता रहता था। लिहाजा पीड़ित परिवार ने एक तीर से दो निशाने मारने की कोशिश की, हाथरस मामले की जाँच कर रही SIT को इस मामले में रिपोर्ट सौंपने के लिए 10 दिनों का अतिरिक्त समय दिया गया है। इससे पहले बुधवार को ही रिपोर्ट सौंपी जानी थी। गृह सचिव भगवान स्वरूप इस SIT की अगुवाई कर रहे हैं। SIT ने गाँव में जाकर इस मामले की पूरी छानबीन की है।

पटना(ब्यूरो):

हाथरस मामले में आरोपितों के वकील एपी सिंह ने पीड़ित परिवार पर बड़े आरोप लगाए हैं। उन्होंने इसे ‘ऑनर किलिंग’ का मामला बताते हुए कहा कि पीड़िता को उसके भाई ने ही मारा है। साथ ही वकील एपी सिंह ने इस मामले का राजनीतिकरण करने के भी आरोप लगाए। उन्होंने आरोप लगाया कि घटना के एक सप्ताह बाद जब नेताओं ने पीड़ित परिवार से मुलाकात की, उसके बाद ही बलात्कार का मामला दर्ज किया गया।

वकील एपी सिंह ने कहा कि उन्होंने आरोपितों के परिजनों से बातचीत की है और साथ ही कहा कि अब तक मेडिकल रिपोर्ट में बलात्कार की कोई पुष्टि नहीं हुई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, निर्भया मामले के दो वकील एक बार फिर से आमने-सामने हो सकते हैं। निर्भया के दोषियों के खिलाफ पैरवी करने वाली वकील सीमा समृद्धि कुशवाहा ने हाथरस पीड़िता का केस लड़ने का ऐलान किया है।

वकील एपी सिंह

एपी सिंह ने बताया कि आरोपितों के वकील के अलावा भारतीय क्षत्रिय महासभा के अध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री मानवेंद्र सिंह ने भी उनसे सपर्क कर के इस मामले में आरोपितों की तरफ से केस लड़ने को कहा है। मानवेन्द्र सिंह ने कहा है कि उनका संगठन वकील की फीस भरने के लिए धन इकठ्ठा करेगा। उन्होंने एससी-एसटी एक्ट के दुरूपयोग का आरोप लगाते हुए कहा कि सवर्ण समाज को बदनाम करने के लिए ऐसा किया जा रहा है, जिससे राजपूत समाज आहत हुआ है।

वहीं पीड़ित परिवार की तरफ से सीमा समृद्धि कुशवाहा ने वकालतनामे पर हस्ताक्षर भी कर दिया है। उन्होंने कहा है कि वो सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर के इस मामले की सुनवाई दिल्ली स्थानांतरित करने की माँग करेंगी। उन्होंने कहा कि वो हाथरस की बेटी को न्याय दिलाएँगी और दोषियों को सज़ा मिलेगी लेकिन ये तब तक संभव नहीं हो पाएगा, जब तक मामला उत्तर प्रदेश से बाहर नहीं जाता।

उधर हाथरस मामले की जाँच कर रही SIT को इस मामले में रिपोर्ट सौंपने के लिए 10 दिनों का अतिरिक्त समय दिया गया है। इससे पहले बुधवार (अक्टूबर 7, 2020) को ही रिपोर्ट सौंपी जानी थी।गृह सचिव भगवान स्वरूप इस SIT की अगुवाई कर रहे हैं। SIT ने गाँव में जाकर इस मामले की पूरी छानबीन की है। इस मामले में यूपी सरकार सीबीआई जाँच की सिफारिश भी कर चुकी है। SIT ने चश्मदीदों के साथ क्राइम सीन क रिक्रिएट भी किया था।

भारतीय जनता पार्टी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने हाथरस पीड़िता के भाई से पूछताछ की माँग की है। उन्होंने कहा है कि आरोपित और पीड़ित परिवार के बीच कई फोन कॉल हुए। अक्टूबर 2019 से मार्च 2020 के बीच लड़की के भाई के नाम से रजिस्टर्ड फोन नंबर से 100 से अधिक फोन कॉल किए गए थे। 19 वर्षीय पीड़िता का भाई कथित तौर पर आरोपित के संपर्क में था। अमित मालवीय ने कहा कि यह मामला आपसी रंजिश का परिणाम हो सकता है।