‘मन की बात’ का 47वां संस्करण

 

मोदी ने रविवार को आकाशवाणी अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 47वें संस्करण में देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि सुशासन को मुख्य धारा में लाने के लिए देश सदा वाजपेयी का आभारी रहेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वाजपेयी ने भारत को नई राजनीतिक संस्कृति दी और बदलाव लाने का प्रयास किया। इस बदलाव को उन्होंने व्यवस्था के ढांचे में ढालने की कोशिश की जिसके कारण भारत को बहुत लाभ हुआ हैं और आगे आने वाले दिनों में बहुत लाभ होने वाला सुनिश्चित है।

उन्होेंने कहा कि भारत हमेशा 91वें संशोधन अधिनियम 2003 के लिए अटल जी का कृतज्ञ रहेगा। इस बदलाव ने भारत की राजनीति में दो महत्वपूर्ण परिवर्तन किए। पहला यह कि राज्यों में मंत्रिमंडल का आकार कुल विधानसभा सीटों के 15 प्रतिशत तक सीमित किया गया। दूसरा यह कि दल-बदल विरोधी कानून के तहत तय सीमा एक-तिहाई से बढ़ाकर दो-तिहाई कर दी गयी। इसके साथ ही दल-बदल करने वालों को अयोग्य ठहराने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश भी निर्धारित किए गए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कई वर्षों तक भारी भरकम मंत्रिमंडल गठित करने की राजनीतिक संस्कृति ने ही बड़े-बड़े “जम्बो” मंत्रिमंडल कार्य के बंटवारे के लिए नहीं बल्कि राजनेताओं को खुश करने के लिए बनाए जाते थे। वाजपेयी ने इसे बदल दिया। इससे पैसों और संसाधनों की बचत हुई। इसके साथ ही कार्यक्षमता में भी बढ़ोतरी हुई।

मोदी ने कहा कि यह अटल जी दीर्घदृष्टा ही थे, जिन्होंने स्थिति को बदला और हमारी राजनीतिक संस्कृति में स्वस्थ परम्पराएं पनपी। अटल जी एक सच्चे देशभक्त थे। उनके कार्यकाल में ही बजट पेश करने के समय में परिवर्तन हुआ। पहले अंग्रेजों की परम्परा के अनुसार शाम को पांच बजे बजट प्रस्तुत किया जाता था क्योंकि उस समय लन्दन में संसद शुरू होने का समय होता था। वर्ष 2001 में अटल जी ने बजट पेश करने का समय शाम पांच बजे से बदलकर सुबह 11 बजे कर दिया।

मोदी ने कहा कि वाजपेयी के कारण ही देशवासियों को ‘एक और आज़ादी’ मिली। उनके कार्यकाल में राष्ट्रीय ध्वज संहिता बनाई गई और 2002 में इसे अधिसूचित कर दिया गया। इस संहिता में कई ऐसे नियम बनाए गए जिससे सार्वजनिक स्थलों पर तिरंगा फहराना संभव हुआ। इसी के कारण अधिक से अधिक भारतीयों को अपना राष्ट्रध्वज फहराने का अवसर मिल पाया। इस तरह से उन्होंने प्राण प्रिय तिरंगे को जनसामान्य के क़रीब कर दिया। उन्होेंने कहा कि वाजपेयी ने चुनाव प्रक्रिया और जनप्रतिनिधियों से संबंधित प्रावधानों में साहसिक कदम उठाकर बुनियादी सुधार किए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इसी तरह आजकल आप देख रहे हैं कि देश में एक साथ केंद्र और राज्यों के चुनाव कराने के विषय में चर्चा आगे बढ़ रही है। इस विषय के पक्ष और विपक्ष दोनों में लोग अपनी-अपनी बात रख रहे हैं। ये अच्छी बात है और लोकतंत्र के लिए एक शुभ संकेत भी। मैं जरुर कहूंगा कि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए, उत्तम लोकतंत्र के लिए अच्छी परम्पराएं विकसित करना, लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए लगातार प्रयास करना, चर्चाओं को खुले मन से आगे बढ़ाना, यह भी अटल जी को एक उत्तम श्रद्धांजलि होगी।

वाजपेयी के योगदान का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने गाज़ियाबाद से कीर्ति, सोनीपत से स्वाति वत्स, केरल से भाई प्रवीण, पश्चिम बंगाल से डॉक्टर स्वप्न बनर्जी और बिहार के कटिहार से अखिलेश पाण्डे के सुझावाें का जिक्र किया।

श्रावण पूर्णिमा एवं रक्षाबंधन की कोटी कोटी बधाई

श्रावण माह की पूर्णिमा: ओणम एवं रक्षाबंधन

 

श्रावण माह की पूर्णिमा बहुत ही शुभ व पवित्र दिन माना जाता है. ग्रंथों में इन दिनों किए गए तप और दान का महत्व उल्लेखित है. इस दिन रक्षा बंधन का पवित्र त्यौहार मनाया जाता है इसके साथ ही साथ श्रावणी उपक्रम श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को आरम्भ होता है. श्रावणी कर्म का विशेष महत्त्व है इस दिनयज्ञोपवीत के पूजन तथा उपनयन संस्कार का भी विधान है.

ब्राह्मण वर्ग अपनी कर्म शुद्धि के लिए उपक्रम करते हैं. हिन्दू धर्म में सावन माह की पूर्णिमा बहुत ही पवित्र व शुभ दिन माना जाता है सावन पूर्णिमा की तिथि धार्मिक दृष्टि के साथ ही साथ व्यावहारिक रूप से भी बहुत ही महत्व रखती है. सावन माह भगवान शिव की पूजा उपासना का महीना माना जाता है. सावन में हर दिन भगवान शिव की विशेष पूजा करने का विधान है.

इस प्रकार की गई पूजा से भगवान शिव शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं. इस माह की पूर्णिमा तिथि इस मास का अंतिम दिन माना जाता है  अत: इस दिन शिव पूजा व जल अभिषेक से पूरे माह की शिव भक्ति का पुण्य प्राप्त होता है.

कजरी पूर्णिमा | Kajari Purnima

कजरी पूर्णिमा का पर्व भी श्रावण पूर्णिमा के दिन ही पड़ता है यह पर्व विशेषत: मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश के कुछ जगहों में मनाया जाता है. श्रावण अमावस्या के नौंवे दिन से इस उत्सव तैयारीयां आरंभ हो जाती हैं. कजरी नवमी के दिन महिलाएँ पेड़ के पत्तों के पात्रों में मिट्टी भरकर लाती हैं जिसमें जौ बोया जाता है.

कजरी पूर्णिमा के दिन महिलाएँ इन जौ पात्रों को सिर पर रखकर पास के किसी तालाब या नदी में विसर्जित करने के लिए ले जाती हैं .इस नवमी की पूजा करके स्त्रीयाँ कजरी बोती है. गीत गाती है तथा कथा कहती है. महिलाएँ इस दिन व्रत रखकर अपने पुत्र की लंबी आयु और उसके सुख की कामना करती हैं.

श्रावण पूर्णिमा को भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अनेक नामों से जाना जाता है और उसके अनुसार पर्व रुप में मनाया जाता है जैसे उत्तर भारत में रक्षा बंधन के पर्व रुप में, दक्षिण भारत में नारयली पूर्णिमा व अवनी अवित्तम, मध्य भारत में कजरी पूनम तथा गुजरात में पवित्रोपना के रूप में मनाया जाता है.

रक्षाबंधन | Rakshabandhan

रक्षाबंधन का त्यौहार भी श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है इसे सावनी या सलूनो भी कहते हैं. रक्षाबंधन, राखी या रक्षासूत्र का रूप है राखी सामान्यतः बहनें भाई को बांधती हैं इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं उनकी आरती उतारती हैं तथा इसके बदले में भाई अपनी बहन को रक्षा का वचन देता है और उपहार स्वरूप उसे भेंट भी देता है.

इसके अतिरिक्त ब्राहमणों, गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों द्वारा संबंधियों को जैसे पुत्री द्वारा पिता को भी रक्षासूत्र या राखी बांधी जाती है. इस दिन यजुर्वेदी द्विजों का उपकर्म होता है, उत्सर्जन, स्नान-विधि, ॠषि-तर्पणादि करके नवीनयज्ञोपवीत धारण किया जाता है. वृत्तिवान ब्राह्मण अपने यजमानों को यज्ञोपवीत तथा राखी देकर दक्षिणा लेते हैं.

श्रावणी पूर्णिमा पर अमरनाथ यात्रा का समापन

पुराणों के अनुसार गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर श्री अमरनाथ की पवित्र छडी यात्रा का शुभारंभ होता है और यह यात्रा श्रावण पूर्णिमा को संपन्न होती है. कांवडियों द्वारा श्रावण पूर्णिमा के दिन ही शिवलिंग पर जल चढया जाता है और उनकी कांवड़ यात्रा संपन्न होती है. इस दिन शिव जी का पूजन होता है पवित्रोपना के तहत रूई की बत्तियाँ पंचग्वया में डुबाकर भगवान शिव को अर्पित की जाती हैं.

श्रावण पूर्णिमा महत्व

श्रावण पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ होता है अत: इस दिन पूजा उपासना करने से चंद्रदोष से मुक्ति मिलती है, श्रावणी पूर्णिमा का दिन दान, पुण्य के लिए महत्वपूर्ण होता है अत: इस दिन स्नान के बाद गाय आदि को चारा खिलाना, चिंटियों, मछलियों आदि को दाना खिलाना चाहिए इस दिन गोदान का बहुत महत्व होता है.

श्रावणी पर्व के दिन जनेऊ पहनने वाला हर धर्मावलंबी मन, वचन और कर्म की पवित्रता का संकल्प लेकर जनेऊ बदलते हैं ब्राह्मणों को यथाशक्ति दान दे और भोजन कराया जाता है. इस दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा का विधान होता है. विष्णु-लक्ष्मी के दर्शन से सुख, धन और समृद्धि कि प्राप्ति होती है. इस पावन दिन पर भगवान शिव, विष्णु, महालक्ष्मीव हनुमान को रक्षासूत्र अर्पित करना चाहिए.

इतिहास में वर्णित कुछ प्रसंग:

श्रावण मास पूर्णिमा को मनाए जाने वाला रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम को समर्पित है। इस बार 26 अगस्त रविवार को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जा रहा है। इस त्योहार का प्रचलन सदियों पुराना है। पौराणिक कथा के अनुसार इस त्योहार की परंपरा उन बहनों ने रखी जो सगी बहनें नहीं थी। आइए जानते हैं कि आखिर क्यों मनाया जाता हैं रक्षाबंधन का त्योहार।

राजा बलि और देवी-लक्ष्मी ने शुरू की भाई बहनों की राखी

राजा बलि ने जब 100 यज्ञ पूर्ण कर स्वर्ग का राज्य छीनने का प्रयास किया तो देवराज इंद्र ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। भगवान, वामन अवतार लेकर राजा बलि से भिक्षा मांगने पहुंचे। भगवान ने तीन पग में आकाश, पाताल और धरती नापकर राजा बलि को रसातल में भेज दिया। तब राजा बलि ने अपनी भक्ति से भगवान को रात-दिन अपने सामने रहने का वचन ले लिया। तब माता लक्ष्मी ने राजा बलि के पास जाकर उन्हें रक्षासूत्र बांधकर अपना भाई बनाया और भेंट में अपने पति को साथ ले आईं। उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा थी।

द्रौपदी और कृष्ण का रक्षाबंधन

राखी या रक्षा बंधन या रक्षा सूत्र बांधने की सबसे पहली चर्चा महाभारत में आती है, जहां भगवान कृष्ण को द्रौपदी द्वारा राखी बांधने की कहानी है। दरअसल, भगवान कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से चेदि नरेश शिशुपाल का वध कर दिया था। इस कारण उनकी अंगुली कट गई और उससे खून बहने लगा। यह देखकर विचलित हुई रानी द्रौपदी ने अपनी साड़ी का किनारा फाड़कर कृष्ण की कटी अंगुली पर बांध दी। कृष्ण ने इस पर द्रौपदी से वादा किया कि वे भी मुश्किल वक्त में द्रौपदी के काम आएंगे। पौराणिक विद्वान, भगवान कृष्ण और द्रौपदी के बीच घटित इसी प्रसंग से रक्षा बंधन के त्योहार की शुरुआत मानते हैं। कहा जाता है कि कुरुसभा में जब द्रौपदी का चीरहरण किया जा रहा था, उस समय कृष्ण ने अपना वादा निभाया और द्रौपदी की लाज बचाने में मदद की।

कर्णावती-हुमायूं

मेवाड़ के महाराजा राणा सांगा की मृत्यु के बाद बहादुर शाह ने मेवाड़ पर आक्रमण कर दिया था। इससे चिंतित रानी कर्णावती ने मुगल बादशाह हुमायूं को एक चिट्टी भेजी। इस चिट्ठी के साथ कर्णावती ने हुमायूं को भाई मानते हुए एक राखी भी भेजी और उनसे सहायता मांगी। हालांकि मुगल बादशाह हुमायूं बहन कर्णावती की रक्षा के लिए समय पर नहीं पहुंच पाया, लेकिन उसने कर्णावती के बेटे विक्रमजीत को मेवाड़ की रियासत लौटाने में मदद की।

रुक्साना-पोरस

रक्षा बंधन को लेकर इतिहास में राजा पुरु (पोरस) और सिकंदर की पत्नी रुक्साना के बीच राखी भेजने की एक कहानी भी खूब प्रसिद्ध है। दरअसल, यूनान का बादशाह सिकंदर जब अपने विश्व विजय अभियान के तहत भारत पहुंचा तो उसकी पत्नी रुक्साना ने राजा पोरस को एक पवित्र धागे के साथ संदेश भेजा। इस संदेश में रुक्साना ने पोरस से निवेदन किया कि वह युद्ध में सिकंदर को जान की हानि न पहुंचाए।

कहा जाता है कि राजा पोरस ने जंग के मैदान में इसका मान रखा और युद्ध के दौरान जब एक बार सिकंदर पर उसका धावा मजबूत हुआ तो उसने यूनानी बादशाह की जान बख्श दी। इतिहासकार रुक्साना और पोरस के बीच धागा भेजने की घटना से भी राखी के त्योहार की शुरुआत मानते हैं।

जब युद्धिष्ठिर ने अपने सैनिको को बांधी राखी

राखी की एक अन्य कथा यह भी हैं कि पांडवो को महाभारत का युद्ध जिताने में रक्षासूत्र का बड़ा योगदान था। महाभारत युद्ध के दौरान युद्धिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से पूछा कि मैं कैसे सभी संकटो से पार पा सकता हूं। इस पर श्रीकृष्ण ने युद्धिष्ठिर से कहा कि वह अपने सभी सैनिको को रक्षासूत्र बांधे। इससे उसकी विजय सुनिश्चिच होगी। तब जाकर युद्धिष्ठिर ने ऐसा किया और विजयी बने। तब से यह त्योहार मनाया जाता है।

जब पत्नी सचि ने इन्द्रदेव को बांधी राखी

भविष्य पुराण में एक कथा हैं कि वृत्रासुर से युद्ध में देवराज इंद्र की रक्षा के लिए इंद्राणी शची ने अपने तपोबल से एक रक्षासूत्र तैयार किया और श्रावण पूर्णिमा के दिन इंद्र की कलाई में बांध दी। इस रक्षासूत्र ने देवराज की रक्षा की और वह युद्ध में विजयी हुए। यह घटना भी सतयुग में ही हुई थी

पत्रकारों को झूठे मुकदमे दर्ज कर फंसाया जा रहा है

(श्रवण सिंह राठाैड़ दासपां )
एससी एसटी एक्ट का बाड़मेर के पत्रकार दुर्ग सिंह जी के खिलाफ बिहार में मुकदमा् दर्ज कराने वाला खुद ही मुकर गया। वो परिवादी बोल रहा है कि मुझे तो पता ही नहीं। मैं कभी बाड़मेर आया ही नहीं। दुर्ग सिंह राजपुरोहित को जानता ही नहीं हूं। मैंने तो मुकदमा ही दर्ज नहीं कराया। इस झूठे प्रकरण में दुर्ग सिंह जी राजपुरोहित गिरफ्तार हो कर बिहार की जेल में बंद है। ये क्या हो रहा है इस देश में। पत्रकारों को झूठे मुकदमे दर्ज कर फंसाया जा रहा है। कोई सुनने वाला नहीं है। क्या भाजपा सरकार इतनी कमजोर और डरपोक है, जो ऐसे घटियापन पर उतर आई है।
मतलब साफ है कि ये राजनीतिक षड़यंत्र के तहत परिवादी राकेश पासवान के किसी स्थानीय विवाद में मदद का बोलकर साइन करवाकर वहां के एक बड़े भाजपा नेता (मेयर ) ने दुर्ग सिंह के खिलाफ ये झूठी कारवाई करवाई है। भला बिहार के मेयर से बाड़मेर के दुर्ग सिंह से क्या दुश्मनी होगी ? क्या ये महामहिम राज्यपाल ने डोरा करने की कोशिश करवाईं थी ?? भगवान जाने? वैसे भी झूठ पांव नहीं होते हैं। सच्चाई सामने आ रही है। सब षड़यंत्र रचने वाले बेनकाब होंगे।
मैं राजस्थान सरकार से मांग करता हूं कि वो इस षड़यंत्र में सहयोग करने वाले बाड़मेर पुलिस अधीक्षक को तत्काल प्रभाव से हटाए। थोड़ी भी शर्म बची हो तो मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को इस प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच करानी चाहिए। इस प्रकरण में चुप्प बैठकर तमाशा देखने वालों को भी अपनी अंतरात्मा से सवाल करना चाहिए। मैंने पहले दिन जब इस प्रकरण को सबसे पहले सोशल मीडिया और अपने दिल्ली और बिहार के पत्रकार मित्रों के माध्यम से उठाया तब मुझे कुई लोगों ने मना किया था कि दुर्ग सिंह जी की छवि अच्छी नहीं है, इसलिए आपको ऐसे व्यक्ति की पैरवी नहीं करनी चाहिए ! मैं सुनता सबकी हूं, करता अपने मन की हूं। मेरा मानना है कि हमें गलत को ग़लत और सही को सही बोलने की आदत डालने की जरूरत है। आज दुर्ग सिंह जी अंदर है, कल आपका नंबर भी लग सकता है। फिलहाल नितिश कुमार के नेतृत्व वाली भाजपा की भागीदारी वाली बिहार सरकार और वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार एससी-एसटी एक्ट के इस झूठे प्रकरण के लिए पूरी तरह दोषी है। हमें सरकार के इस नंगेपन के खिलाफ लोकनिंदा के माध्यम से विरोध करना चाहिए।
सत्यमेव जयते।

मोदी सरकार की ओर से संशोधित करके लागू किए गए एससी एसटी एक्ट के प्रभावशाली लोगों की ओर से दुरुपयोग का यह संभवतया पहला मामला है। बाडमेर के वरिष्ठ पत्रकार दुर्ग सिंह राजपुरोहित के खिलाफ दर्ज एफआईआर को मैंने पढ़ा है। अपने क्राइम रिपोर्टिंग के इतने सालों के अनुभव के आधार पर दावे से कह सकता हूं कि ये फर्जी और मनगढ़ंत प्रकरण है, जिसमें बिहार और राजस्थान पुलिस ने बड़े दबाव में फर्जी तरीके से ये गिरफ्तारी की गई है। अगर निष्पक्ष जांच हुई तो कई बड़े चेहरे बेनकाब होंगे और कई सलाखों के पीछे जाएंगे। बिहार के राकेश पासवान नाम के एक कथित मजदूर ने दुर्ग सिंह के खिलाफ बिहार में एफ आई आर दर्ज कराईं है। जिसमें आरोप लगाया है कि दुर्ग सिंह ने 7 मई को बिहार आकर नीच पासवान जाति का बोलकर अपमानित किया। साथ ही घर से बाहर निकालकर मारपीट की। रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि दुर्ग सिंह का बाड़मेर में पत्थरों समेत कई तरह के व्यवसाय है। आरोप के मुताबिक पासवान बाड़मेर में दुर्ग सिंह के वहां मजदूरी करता था। छह महीने काम करके बिना मजदूरी लिए वो बिहार चला गया। दुर्ग सिंह 15 अप्रेल को बिहार उस मजदूर को लेने गया। रिपोर्ट के मुताबिक मजदूर ने माता पिता की बीमारी का हवाला देकर बिहार से बाड़मेर आने के लिए मना कर दिया। इसके बाद दुर्ग सिंह फिर 7 मई को 3-4 अज्ञात लोगों को लेकर बिहार राकेश पासवान के घर आकर बाड़मेर जबरन ले जाने के लिए धमकाने लगा। घर से घसीटकर बाहर ले कर आए। नीच जाति का बोलकर मारपीट की। मेरे 75 हजार मज़दूरी के भी नहीं दिए। ……………………………………….
बिहार में ये एफआई आर दर्ज होने के बाद कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट जारी हो जाता है। उस वारंट को पटना के एसपी ने गंभीरता से लेते हुए तुरंत बाड़मेर एसपी को जरिए ईमेल और वाट्स अप के भिजवाया गया। एसपी बाड़मेर ने प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए एसपी ने रीडर के जरिए दुर्ग सिंह को उपस्थित होने की सूचना भिजवाई। दुर्ग सिंह जी तुरंत बाड़मेर एसपी आफिस गए। एसपी ने बिठाने कै बोला। दुर्ग सिंह को इतला दी कि आपके खिलाफ पटना में एससी एसटी एक्ट और अमानत में ख़यानत का प्रकरण दर्ज हुआ है। दुर्ग सिंह ने बोला कि मेरी तो सात पीढ़ियों में से कोई भी आज तक पटना नहीं गया है। उधर एसपी ने ग्रामीण थाने के एसएचओ को बुलाकर दुर्ग सिंह को एक हैड कांस्टेबल और दो सिपाहियों के साथ पटना लेकर जाने के निर्देश दिए गए। तुरंत एक हैड कांस्टेबल और दो सिपाही एक प्राइवेट गाड़ी करके दुर्ग सिंह जी को लेकर बाड़मेर से पटना रवाना हो गए। फोन ले लिया गया। राजस्थान पुलिस गाली गलौज के गंभीर मामले के मुलजिम दुर्ग सिंह को ले जाकर पटना पुलिस को सुपुर्द कर दिया है। वहां दुर्ग सिंह को कोर्ट ने ज्यूडिशियल कस्टडी में भेज दिया है।
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सवाल
1. दुर्ग सिंह इंडिया न्यूज में कार्यरत है, उसका कोई पत्थर खनन का काम नहीं है।
2. दुर्ग सिंह जिदंगी में कभी बिहार नहीं गए।
3. दुर्ग सिंह के मुताबिक उन्होंने कभी राकेश पासवान नाम के व्यक्ति को देखा ही नहीं।
4. दुर्ग सिंह के मुताबिक उसने बिहार के गवर्नर सतपाल मलिक के बाड़मेर में दौरे को लेकर एक पोस्ट लिखी थी, जिससे भाजपा नेता प्रियंका चौधरी उससे नाराज़ हैं।
5. दुर्ग सिंह का आरोप है कि ये गवर्नर विवाद कनेक्शन की वजह से उसे झूठे मामले में बिना जांच के फर्जी एससी-एसटी एक्ट का प्रकरण दर्ज करके गिरफ्तार किया गया है।
6. एफ आई आर में दुर्ग सिंह को 7 मई को बिहार में राकेश पासवान के घर पर जाकर नीच जाति का बोलकर अपमानित करने का आरोप लगाया है, जबकि फेसबुक पर 7 मई को दुर्ग सिंह बाड़मेर में एक पुस्तक के विमोचन का लाइव दिखा रहे थे। उसकी डिटेल मैंने इस पोस्ट में स्कि्रन शाट सलंग्न है।
7. एक मजदूर को जाति सूचक शब्दों से अपमानित करने के मामले में बिहार से आए वारंट में राजस्थान पुलिस पर किसका दबाव था, जिस वजह से दुर्ग सिंह को बिना किसी नोटिस के। गिरफ्तार कर एक हैड कांस्टेबल और दो सिपाहियों को प्राइवेट टैक्सी से बिहार जाकर वहां की पुलिस को सुपुर्द किया गया। ऐसा तो किसी आतंकी गतिविधियों के मामले में भी एक तरफा कार्यवाही नहीं हुई।
8. मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को अपनी गौरव यात्रा से पहले ये स्पष्ट करना चाहिए कि उनकी पार्टी की नेता और राज्य की पुलिस का इस अनैतिक कारवाई में संलिप्तता की वो निष्पक्ष जांच करवाकर क्या तत्काल प्रभाव से बाड़मेर एसपी को वहां से हटाने और भाजपा की महिला नेता वियंका चौधरी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगी ?
(श्रवण सिंह राठाैड़ दासपां की कलम से )

Atal’s ashes to be immersed in river The Gomati at Lucknow

 

Former Prime Minister Atal Bihari Vajpayee had a long association with Lucknow and its lifeline –the river Gomti.

On Thursday, the ashes of the departed leader will be immersed in the same river which found a frequent mention in his speeches during his five-time tenure as Member of Parliament from this constituency. A similar ritual will also be carried out in other rivers of the state.

Bharatiya Janata Party (BJP) MP, MLAs and MLCs have been directed by the top brass of the Uttar Pradesh unit to be in their respective parliamentary and Assembly constituencies on the day of the immersion of the ashes and the `Kalash Yatra’, which will precede it.

A total of 20 ‘asthi kalash’ are expected to reach Lucknow on Tuesday where they will be placed at the BJP headquarters to enable the people to pay homage to the former Prime Minister. Following this, ‘asthi kalash yatras’ will start for the 18 divisions of the state on Wednesday.

The ashes of the leader will be immersed in the main rivers of the state thereafter. For example, the river Ganga at Garhmukteshwar in Meerut division, Mandakani in Chitrakoot, Saryu in Ayodhya, Sangam in Allahabad, Ramganga in Moradabad, Rapti in Gorakhpur, Betwa in Jhansi, Tamsa in Azamgarh have been zeroed in upon for the ashes immersion ceremony.

This will be followed by ‘shradhanjali sabhas’ in the 92 district units of the party.

Massive arrangements are underway in Lucknow for the final farewell to the former PM whose ashes will be immersed in river Gomti. Around one lakh people are expected to take part in the prayer meet and the immersion ceremony which will be held at the Jhule Lal park on the river embankment.

Seating arrangement for 20,000 people is being made for the prayer meet which will be attended by Chief Minister Yogi Adityanath and his ministerial colleagues. Also present on the occasion will be Home Minister Rajnath Singh, who is also the MP from Lucknow.

Members from Vajpayee’s family are also expected to be present on the occasion. Lucknow was the ‘karamabhoomi’ of the late PM.

A BJP leader said that it has been decided to send invitations to leaders and presidents of all political parties including the Congress, the Samajwadi Party and the Bahujan Samaj Party for the prayer meet.

Senior BJP leaders including general secretary Sunil Bansal, state general secretary Gobind Shukla have been regularly visiting the Jhule Lal park to monitor the arrangements.

The cabinet meeting slated for Tuesday is expected to take some vital decisions regarding the naming of important buildings after Vajpayee.

बक्कफुट पर विपक्ष कर रहा अमर्यादित हमले


मुजफ्फरपुर शेल्टर होम रेप कांड की आड़ में निजी चारित्रिक हनन का प्रयास विद्रूप राजनीति का परिचायक है


मुजफ्फरपुर शेल्टर होम यौन उत्पीड़न की घटना के डिटेल ज्यों-ज्यों सामने आए ये एक सेक्स स्कैंडल का रूप लेता गया. 34 नाबालिग लड़कियों के साथ लंबे समय से रेप और यातना की पराकाष्ठा ने ब्रांड बिहार पर गहरा चोट किया है. इसकी जितनी आलोचना की जाए कम है और विपक्ष का मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग भी उनका क्षेत्राधिकार है, लेकिन इस घटना की आड़ में निजी चारित्रिक हनन का प्रयास विद्रूप राजनीति का परिचायक है.

पिछले कुछ दिनों से मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के वरिष्ठ नेताओं ने सत्ता पक्ष को निशाना बनाने के लिए अमर्यादित तरीके से प्रहार करने की रणनीति अपनाई है. हालांकि इस मामले में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने भी बहती गांगा में हाथ साफ किया और तेजस्वी के निजी सचिव के खिलाफ कथित यौन उत्पीड़न के कागजात पेश कराए.

बेटियों के साथ हुए अन्याय की आड़ में राजनीतिक रोटी सेंकना सही नहीं

नेताओं की जाती राजनीतिक महत्वाकांक्षा के तहत विरोधियों की छवि धूमिल कर अपने आकाओं को खुश करने के लिए इस तरह के हथकंडे अपनाए जाते रहे हैं. तर्कों और तथ्यों के सहारे तो इसे एक हद जायज ठहराया भी जा सकता है लेकिन बिना किसी बुनियाद के कतई नहीं. बिहार की बेटियों के साथ जो कुछ हुआ उसकी आड़ में राजनीतिक रोटी सेंकने की कोशिश में नीतीश कुमार और उनके सहयोगियों को चुनिंदा तरीके से ‘उत्पीड़क’ साबित करने की कोशिश बिहारी कट्टे की शक्ल ले सकती हो जो अक्सर बैकफायर करता है.

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने जिस संजीदगी पर आक्रामकता से इस मामले पर आरजेडी का रूख सार्वजनिक किया ठीक उसके विपरीत भाई वीरेंद्र और शिवानंद तिवारी सरीखे नेताओं ने मुद्दा केंद्रित अटैक को निजी सनसनीखेज आरोपों के जरिए भटकाने की कोशिश की. तेजस्वी को अपने स्वयंभू कमांडरों को जद में लाने की जरूरत है. इसका कारण ये भी है कि शिवानंद जैसे नेता इमरजेंसी के जमाने की भूमिका गिना-गिनाकर अपने को प्रासंगिक बनाए रखने की कोशिश करते आए हैं. इसके उलट असल राजनीतिक जीवन में ऐसे समाजवादी हर दरबार में घुटने टेक उसके मुखिया के कंधे का इस्तेमाल बंदूक चलाने के लिए करते आए हैं.

सीबीआई को मुजफ्फरपुर मामले की जांच सौंपने के बाद मंजू वर्मा का इस्तीफा हो चुका है. इसमें कोई शक नहीं कि इन दोनों फैसलों के पीछे विपक्ष का दबाव भी काम आया. विपक्ष के पास सरकार पर दबाव बनाने का मौका है. बनाए, लेकिन निजी चारित्रिक हनन से बाज आए.

विपक्ष को इन तीन बातों का ध्यान रखना चाहिए

विपक्ष को तीन चीजों पर गौर करना चाहिए. पहला, आरोप मढ़ने के लिए कैमरे के सामने जाने वाली की निजी विश्वसनीयता कैसी है. दूसरा, जिस पर चारित्रिक चोट करना है उसका कोई पुराना इतिहास रहा है या ये सिर्फ पूर्वाग्रह से प्रेरित है. तीसरा, कालांतर में इस तरह के आरोपों का राजनीतिक प्रतिफल.

इन सभी मानकों पर हालिया हमला आरजेडी का भटकाव है. दरअसल नीतीश कुमार पर निजी चारित्रिक हमले का प्रतिफल सर्वविदित है. तब विपक्ष की नेता राबड़ी देवी थीं. 2009 का चुनाव था. उन्होंने नीतीश पर दो ट्रेनों के नामकरण को लेकर हमला बोला. नतीजा, 40 में 32 सीटें जेडीयू-बीजेपी के पाले में गईं. अगले विधानसभा चुनाव में आरजेडी 22 पर सिमट गई. सिर्फ यही कारण था, ऐसा नहीं है, पर इससे भी कोई इनकार नहीं कर सकता कि जनता के मन मस्तिष्क में हर नेता की एक छवि होती है और उसे बिगाड़ने का प्रयास विफल होने पर खामियाजा भुगतना पड़ता है. आज वो दो रेलगाड़ियां भी चल रही हैं और नीतीश की सीएम की कुर्सी भी बरकरार है.

हालांकि तेजस्वी ने खुद भी पिछले साल नवंबर में पुराना राग छेड़ा था. इसका कारण भी था. तब तेजस्वी की कुछ पुरानी तस्वीरें नीतीश के सिपहसालारों ने सामने लाई थी जिनका मौजूदा राजनीतिक पटल पर कोई औचित्य नहीं है. ऐसी स्थितियों में विपक्ष को नीतीश से सीखना चाहिए. धीरज और चुप्पी राजनीति के अकाट्य हथियार हैं. खासकर तब जब आपको अपने ऊपर लेशमात्र भी संदेह न हो.

राजनीतिक शुचिता वक्त का तकाजा है

हालिया विपक्षी हमलों में इस बात का ध्यान रखा गया कि नीतीश के निजी व्यक्तित्व को प्रहार से मुक्त रखा जाए. फिर उनके निकटवर्ती नेताओं को चुना गया. आरसीपी अपने कथित टैक्स के लिए पहले से ही निशाने पर थे. तो शिवानंद ने आनन-फानन में बुलाए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में संजय झा पर अनर्गल आरोपों की झड़ी लगा दी. लेकिन नीरज कुमार की तरह कुछ निरर्थक और अप्रासंगिक सबूत दिए बिना.

अगर तेजस्वी ने खुद उनके कंधे पर रख बंदूक चलाई है, तो रणनीति ठीक नहीं है क्योंकि यहां पूर्वाग्रह का पुट ज्यादा दिखाई देता है. सूबे में पिछले साल आए राजनीतिक भूचाल के पीछे जिन कुछ नेताओं की भूमिका थी उनमें संजय झा भी शामिल हैं. संजय झा को पर्दे के पीछे सक्रिय रह कर महागठबंधन से नीतीश के अलग होने और बीजेपी के साथ जाने की पटकथा का सह लेखक माना जाता है. शायद इसीलिए रातों-रात सरकार बदलने के बाद लालू यादव ने संजय झा पर तीखे प्रहार किए थे. अगर हालिया हमला उस पूर्वाग्रह से प्रेरित है तो विपक्ष फिर बुनियादी चूक कर रहा है.

वहीं जेडीयू प्रवक्ताओं को भी इसका भान होना चाहिए कि युवा नेतृत्व के मानक पर उनकी टोली में सूनापन है और ये तेजस्वी की बड़ी ताकत है. ऐसे में राजनीतिक शुचिता वक्त का तकाजा है. खासकर तब जब अटलजी की याद में हमारी आंखें सजल हैं. शायद बिहार से उनके लिए यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी.

केरल में बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने 10 करोड़ रुपए की राशि देने की घोषणा की

प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक बयान में बताया कि प्रधानमंत्री ने केरल को 500 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता देने की घोषणा की है. यह राशि 12 अगस्त को गृह मंत्रालय की ओर से 100 करोड़ रुपए की देने की घोषणा से अलग है. कोच्चि में एक उच्च स्तरीय बैठक की समीक्षा के बाद प्रधानमंत्री ने बाढ़ से प्रभावित कुछ क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया.

राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) ने बारिश और बाढ़ से जूझ रहे केरल के विभिन्न इलाकों से 10 हजार से ज्यादा लोगों को सुरक्षित निकाला है और कहा है कि उसने अब तक का देश का सबसे बड़ा राहत और बचाव अभियान छेड़ा है.

एनडीआरएफ के एक प्रवक्ता ने कहा कि उसकी कुल 58 टीम राहत एवं बचाव काम के लिए केरल में तैनात की गई हैं. उनमें से 55 टीम वहां काम कर रही हैं जबकि तीन टीम रास्ते में है. प्रवक्ता ने कहा, ‘बाढ़ से जूझ रहे केरल राज्य में बल ने अपना राहत एवं बचाव अभियान तेज कर दिया है.’

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि हम केरल बाढ़ से प्रभावित लोगों को लेकर चिंतित हैं. केंद्र सरकार हर संभंव मदद कर रही है. रेल अब मुफ्त में खाने पीने की चीजें बाढ़ प्रभावित इलाकों में ले जाएगी.


 

हरियाणा:

केरल में बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने 10 करोड़ रुपए की राशि देने की घोषणा की।
बीते 100 सालों में सबसे भीषण बाढ़ का सामना कर रहे हैं केरलवासी जान-माल के भारी नुकसान को देखते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने लिया निर्णय।
बाढ़ पीड़ितों को मदद और बचाव कार्यों के लिए सहयोग की दिशा में लिया गया निर्णय।

 


मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केरल बाढ़ प्रभावितों के मदद के लिए 10 करोड़ रुपए की सहायता राशि देने की घोषणा की है.

 

 

 


कल्याण डोंबिवली महानगरपालिका के बीजेपी के सभी कॉरपोरेटर केरल बाढ़ प्रभावित लोगों के मदद के लिए अपनी एक महीने की सैलरी दान करेंगे

 

 

 

 


उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने केरल बाढ़ प्रभावितों के मदद के लिए 15 करोड़ रुपए देने की घोषणा की है.

 

 

 

 

 


छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने केरल के मुख्यमंत्री विजयन से फोन पर बात कर हर संभंव मदद करने का भरोसा दिया है.

 

 

 


गुजरात

गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने केरल बाढ़ प्रभावित लोगों के मदद के लिए 10 करोड़ रुपए की मदद की घोषणा की है.

 

 

 


महाराष्ट्र

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने केरल में बाढ़ प्रभावित लोगों के मदद के लिए 20 करोड़ रुपए की सहायता राशि देने की घोषणा की है.

 

 

 


झारखंड

केरल में बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद के लिए झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास ने 5 करोड़ रुपए की सहायता राशि देने की घोषणा की है

 

 

 


ओडिशा

ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने भी केरल के लिए 5 करोड़ रुपए की सहायता राशि का ऐलान किया है. पटनायक ने नौकाओं के साथ 245 दमकलकर्मी केरल भेजने का ऐलान किया.

 

 

 


हार

बाढ़ की मार झेल रहे केरल की मदद में बिहार सरकार आगे आई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को केरल को 10 करोड़ रुपए की मदद का ऐलान किया.

 

 

 


मुख्यमंत्री ने कहा, प्रधानमंत्री ने हवाई सर्वे किया और हालात जाने. हमारे हेलिकॉप्टर खराब मौसम के कारण कुछ जगहों पर नहीं जा सके. वित्तीय सहायता देने के लिए हमने पीएम का आभार जताया और उनसे और हेलिकॉप्टर और नौकाएं देने की गुहार लगाई है.


मुख्यमंत्री पिनारई विजयन ने कहा, हमने प्रधानमंत्री को सभी परिस्थितियों की जानकारी दे दी. केरल में हालात बहुत खराब हैं. हमें एकजुट होना पड़ेगा. प्रधानमंत्री ने केरल की हालत को बखूबी समझा. राजस्व विभाग के अधिकारी भी हमारे साथ थे.


प्रधानमंत्री के साथ बैठक में मुख्यमंत्री विजयन ने प्रदेश में बाढ़ से हुई तबाही का हाल बताया. विजयन के मुताबिक केरल को 19,512 करोड़ की हानि हुई है.


 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बाढ़ के हालात का जायजा लेने के लिए आज यानी शनिवार सुबह कोच्चि पहुंचे हैं. उन्होंने यहां मुख्यमंत्री पिनारई विजयन और राज्य सरकार के साथ बाढ़ राहत को लेकर बैठक की है. उन्होंने केरल में बाढ़ राहत के लिए 500 करोड़ के पैकेज का ऐलान किया है.

केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इससे पहले केरल की आपदा के लिए 100 करोड़ पैकेज का ऐलान किया था. तब इतनी बड़ी आपदा के लिए इतने कम पैकेज की घोषणा करने पर सरकार को आलोचना का सामना करना पड़ा था.

केरल में भारी बारिश और बाढ़ के चलते अकले शुक्रवार को ही 106 लोगों की मौत हो गई है. इसी के साथ केरल में बीते 8 अगस्त से बाढ़ और बारिश की वजह से मरने वालों का आंकड़ा बढ़कर 324 हो गया है.

प्राकृतिक आपदा की इस स्थिति में राज्य में ऑक्सीजन की कमी और पेट्रोल पंपों में तेल नहीं होने से संकट और गहरा हो गया. बाढ़ की वजह से पर्यटन के लिए मशहूर केरल को गहरा धक्का लगा है. हजारों एकड़ खेत में खड़ी फसलें बर्बाद हो गई हैं. लोगों के घर और मकान ढह गए हैं. साथ ही सड़कें पुल और बुनियादी ढांचे को बड़ा नुकसान पहुंचा है.

अलग-अलग जगहों पर फंसे 80,000 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित जगहों पर ले जाया गया. इनमें 71,000 से ज्यादा लोग बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित एर्नाकुलम जिले के अलुवा क्षेत्र से थे.

तीनों सेनाओं के अलावा राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के जवानों ने छतों और ऊंची जगहों पर फंसे लोगों को सुरक्षित जगहों पर ले जाने का काम शुक्रवार को फिर से शुरू किया. पहाड़ी इलाकों में पहाड़ के हिस्से जमीन पर गिरने से सड़क जाम हो रहे हैं, जिससे बाकी जगहों से उनका संपर्क टूट जा रहा है. द्वीप की शक्ल ले चुके कई गांवों में फंसे लोगों को निकालने का अभियान भी जारी है.

नौका से नहीं पहुंचने लायक जगहों में फंसी महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों सहित कई लोगों को सेना के हेलीकॉप्टरों से सुरक्षित जगहों पर ले जाया जा रहा है.ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और ब्रिटेन में रह रहे केरल के लोगों ने टीवी चैनलों के जरिए अधिकारियों से अपील की है कि वे उनके प्रियजन की मदद करें.

ऑस्ट्रेलिया में रह रही सौम्या ने कहा कि उनके माता और कुछ रिश्तेदार बीते दो दिनों से अलुवा में फंसे हुए हैं. एक अन्य ने कहा कि उनकी बुजुर्ग रिश्तेदार मैरी वर्गीज को ऑक्सीजन सिलिंडर की सख्त जरूरत है और उनकी हालत लगातार बिगड़ रही है. एक वॉट्सऐप वीडियो में छह साल के बच्चे के साथ एक जगह पर फंसी हुई महिला मदद की गुहार लगाती नजर आ रही है. वह कह रही है, ‘हमारे पास न खाना है और न पीने को पानी। कृपया हमारी मदद करें.’

In tribute to Vajpayee, PM Modi walks the extra mile

Indian Prime Minister Narendra Modi (R) walks behind a truck pulling the coffin with the body of former Indian prime minister Atal Bihari Vajpayee during a funeral procession in New Delhi on August 17, 2018.
Three-time Indian prime minister Atal Bihari Vajpayee died August 16, sparking tributes from across the political spectrum as current leader Narendra Modi mourned the “irreplaceable loss” of the respected statesman.


In a rare gesture, Prime Minister Modi joined the sea of people who walked down from the BJP headquarters up to the Smriti Sthal, a distance of roughly 5km


He may not be a true follower of the style of politics that former Prime Minister Atal Bihari Vajpayee believed in, but Prime Minister Narendra Modi paid a rare tribute to the three-time BJP PM by covering his final journey on foot on Friday.

In a rare gesture, Prime Minister Modi joined the sea of people who walked down from the BJP headquarters up to the Smriti Sthal, a distance of roughly 5 km. By doing so, the Prime Minister set aside the protocol and apprehensions over his security. This was a silent gesture of PM Modi to show how much he loved and respected BJP stalwart AB Vajpayee

Prime Minister Narendra Modi paying his last respects to former prime minister Atal Bihari Vajpayee at the cremation ground in New Delhi on August 17, 2018.

Vajpayee’s funeral procession started from the BJP headquarters on the Deen Dayal Upadhyay Marg, and then took the Bahadur Shah Zaffar Marg, crossed Delhi Gate and Daryaganj, to take the Netaji Subhash Marg, before reaching Smriti Sthal at Shanti Van.

Social media was flooded with posts appreciating PM Modi’s gesture towards the former PM.

Atal Bihari Vajpayee Left for Heavenly Abode

 

Atal Bihari Vajpayee ,93, left for Heavenly Abode  today at05:05  pm  according to an official declaration .

 

Former Prime Minister Atal Bihari Vajpayee continues to be on life support system since Wednesday and as per hospital sources at the All India Institute of Medical Sciences (AIIMS) his condition “is very critical”.

A press release from the AIIMS on Thursday morning said: “Former Prime Minister Shri Atal Bihari Vajpayee’s condition continues to be the same. He is critical and is on life support systems.”

On August 16 morning, Prime Minister Narendra Modi visited AIIMS to enquire about the health condition of Mr. Vajpayee, his second visit in less than 24 hours. Mr. Modi had visited the hospital on Wednesday evening to enquire about the BJP leader’s condition.

On Thursday morning, Vice-President M. Venkaiah Naidu and BJP leaders, including Home Minister Rajnath Singh, party president Amit Shah and BJP veteran L.K. Advani, also visited the AIIMS to enquire about him.

Atal Bihari Vajpayee was an iconic leader of the Bharatiya Janata Party (BJP), known for his cultural moderation, liberalism and political reasonableness. He became the Prime Minister of India thrice. It was during his tenure that India successfully conducted nuclear tests at Pokhran and renewed hopes for peace between India and Pakistan emerged with the start of the New Delhi-Lahore bus service. His government has been till date the only non-Congress government to stay in power for five years. Besides being a seasoned politician and outstanding parliamentarian, Atal Bihari Vajpayee is also a renowned poet and a highly popular personality across the political spectrum.

The Narendra Modi Government has announced the conferment of Bharat Ratna on former prime minister Atal Bihari Vajpayee. His birthday on 25 December has been declared as ‘Good Governance Day’. Famous for his oratorical skills.

Early life

Atal Bihari Vajpayee was born in a middle-class Brahmin family to Krishna Devi and Krishna Bihari Vajpayee on 25 December, 1924 in Gwalior (Madhya Pradesh). His father was a poet and a school teacher. Vajpayee did his schooling from the Saraswati Shishu Mandir, Gwalior. Later, he studied at Victoria College, Gwalior – now Laxmi Bai College, for his graduation. It was at Dayanand Anglo-Vedic College, Kanpur that Vajpayee completed his post-graduation in Political Science.

Joining as the Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) worker in 1939, Vajpayee became a pracharak (full-time worker) in 1947. He also worked for Rashtradharma Hindi monthly, Panchjanya Hindi weekly and the dailies Swadesh and Veer Arjun.

Vajpayee chose to stay bachelor for whole life.

Political Career

Atal Bihari Vajpayee began his career in politics as a freedom fighter. Later he joined the Bharatiya Jana Sangh (BJS), a Hindu right-wing political party, under the leadership of Dr Syama Prasad Mookerjee. He became national secretary of BJS in charge of the Northern region.

As the new leader of BJS, Vajpayee was elected to the Lok Sabha for the first time in 1957 from Balrampur. He rose to become the national president of the Jana Sangh in 1968. Supported by his colleagues Nanaji Deshmukh, Balraj Madhok and L K Advani, Vajpayee took the Jana Sangh to greater glory.

Atal Bihari Vajpayee participated in the Total Revolution movement launched by Jayaprakash Narayan (JP) against the Internal Emergency imposed by then prime minister Indira Gandhi in 1975. In 1977, Jana Sangh became a part of the Janata Party, the grand-alliance against the Indira Gandhi government.

Atal Bihari Vajpayee became a Union Minister in 1977 when Morarji Desai-led Janata Party coalition came to power for the first time. He became the Minister of External Affairs. As foreign minister, Vajpayee became the first person to deliver a speech at the United Nations General Assembly in Hindi. His career as a minister was short-lived as he resigned from his post following the resignation of Morarji Desai in 1979. But by then, Vajpayee had established himself as a political leader.

Vajpayee along with Lal Krishna Advani, Bhairon Singh Shekhawat and others from the BJS and Rashtriya Swyamsevak Sangh (RSS) formed the Bharatiya Janata Party in 1980. He became a strong critic of the Congress (I) government that followed the fall of Janata Party government.

Vajpayee did not support Operation Blue Star and raised his voice against the anti-Sikh violence after the assassination of Prime Minister Indira Gandhi in 1984 by two of her Sikh bodyguards.

The BJP won two parliamentary seats in the 1984 elections. Vajpayee functioned as BJP President and Leader of the Opposition in the Parliament. Known for his liberal views, Vajpayee bemoaned the demolition of the Babri Mosque on 6 December, 1992 and declared it as the BJP’s “worst miscalculation”.

As Prime Minister of India

By 1984 elections, the BJP had established itself as an important political party in Indian politics. Vajpayee was sworn in as the 10th Prime Minister of India following the 1996 General Elections, where the BJP emerged as the single largest party in the Lok Sabha. However, the government collapsed after only 13 days after his government could not gather support from other parties to obtain a majority. He thus became the shortest serving Prime Minister in India.

The BJP-led coalition government came back to power as the National Democratic Alliance (NDA) in 1998. Vajpayee was again sworn in as the Prime Minister.

Vajpayee’s second term as PM is known for Nuclear tests conducted at Pokhran desert in Rajasthan, in May 1998. Vajpayee also pushed for peace process with Pakistan. He inaugurated the historic Delhi-Lahore bus service in February 1999. He also pitched for resolving the Kashmir dispute and other conflicts with Pakistan.

But Pakistan ditched India by launching Kargil War, wherein Pakistani soldiers infiltrated into the Kashmir Valley and captured border hilltops around the town of Kargil.

Indian army units, under Operation Vijay, fought Pakistani intruders braving heavy artillery shelling amidst extremely cold weather, and treacherous hilly terrain, and ultimately emerged victorious. However, Vajpayee’s government lasted 13 months when the All India Anna Dravida Munnetra Kazhagam (AIADMK) withdrew its support to the government in mid-1999.

In the following election, however, the NDA came back with full majority and Vajpayee was able to complete five years (1999-2004) in office as a non-Congress PM for the first time. Atal Bihari Vajpayee took oath as Prime Minister of India for the third time on 13 October 1999.

However, his third term also saw India yielding to terrorists when in December 1999, Indian Airlines flight IC 814 from Kathmandu to New Delhi was hijacked and taken to Kandahar, Afghanistan. The government had to release dread terrorists including Maulana Masood Azhar from prison to secure the freedom of passengers. On the brighter side, the Vajpayee government introduced many economic and infrastructural reforms, including encouraging the private sector and foreign investments. It also undertook National Highway Development Projects and Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana. Vajpayee adopted pro-business, free-market reforms approach to boost India’s economic development.

In March 2000, Vajpayee signed the Historic Vision Document during the visit of the then US President Bill Clinton. The Declaration incorporated several strategic issues, apart from pitching for expansion in trade and economic ties between the two countries.

Atal Bihari Vajpayee again tried for peace with Pakistan during the Agra summit with the then Pakistan President Pervez Musharraf, but the talks failed to achieve any breakthrough as Musharraf declined to leave aside the Kashmir issue.

The Atal Bihari Vajpayee regime also witnessed an attack on Indian Parliament on 13 December 2001, when Pakistan-supported terrorists stormed the Parliament building in Delhi. They were ultimately foiled in their attempts by the Indian security forces.

Vajpayee as PM was pained when communal riots broke out in Gujarat in 2002 after the Godhra train tragedy.

Retirement

The 2004 General Election brought about the downfall of the NDA, which lost almost half its seats and the Congress-led United Progressive Alliance (UPA) assumed the reins of power. Vajpayee refused to take up the position of the Leader of the Opposition paving the way for Lal Krishna Advani’s leadership of BJP. He now lives in retirement and seclusion owing to ill health.

Awards

  • Prime Minister Narendra Modi and Foreign Minister Sushma Swaraj (far right) hand over the Liberation War award to Vajpayee’s family members.
  • Padma Vibhushan in 1992
  • D. Lit. from Kanpur University in 1993
  • Lokmanya Tilak Award in 1994
  • Best Parliamentarian Award in 1994
  • Bharat Ratna Pandit Govind Vallabh Pant Award in 1994
  • Bharat Ratna in 2015
  • Liberation War award (Bangladesh Muktijuddho Sanmanona) in 2015

Facts and Information about Atal Bihari Vajpayee

Born 25 December 1924 (age 93) at Gwalior (Madhya Pradesh)
Parents Krishna Devi, Krishna Bihari Vajpayee
Education Victoria College (Now Laxmibai College), Gwalior ; DAV College, Kanpur .
Marriage Unmarried but has an adopted daughter, Namita
Recognition Known for his liberal social, cultural and political views
Awards Padma Vibhushan (1992), Honorary Doctorate of Philosophy from the Kanpur University (1993) and Bharat Ratna (2014)
Other than Politics An acclaimed poet, journalist and a brilliant orator
Political career Started as a freedom fighter; took part in Quit India Movement in 1942. Met Bharatiya Jana Sangh (BJS) leader Syama Prasad Mookerjee, took over BJS leadership after Mookerjee’s deathFounded the Bharatiya Janata Party (the BJP), along with his colleagues such as Lal Krishna Advani and Bhairon Singh Shekhawat in 1980. Served as the president of this party, during the first five years.

Served as a Member of Parliament for 50 years. Was elected 10 times to Lok Sabha beginning with 1957, represented six different constituencies.

As Prime Minister Elected as the Prime Minister of India thrice: 1996 – Vajpayee became Prime Minister for the first time but had to resign in just 13 days after the BJP failed to get the support of other parties.1998 – Headed the National Democratic Party (NDA) government as the Prime Minister for the second time but could rule only for 13 months when the All India Anna Dravida Munnetra Kazhagam (AIADMK) withdrew its support.

1999 – Completed his full five-year term, becoming the longest serving non-Congress Prime Minister at the Centre (13 October 1999- 19 May 2004).

Vajpayee retired from politics in 2005.

Legacy – In May 1998, the Vajpayee government conducted five underground nuclear tests in Pokhran, Rajasthan.– Strongly pitching for India-Pakistan friendship, he inaugurated a bus service from Delhi to Lahore in Pakistan in 1999.

– His government set out on a number of economic reforms and encouraged foreign investment and privatisation.

– Asked the then Gujarat CM Narendra Modi to abide by his ‘Rajdharma’ after the Gujarat communal riots.

लाल किले के प्राचीर से प्रधान मंत्री का राष्ट्र को सम्बोधन

 

देश बुधवार को 72वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। बतौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले पर पांचवीं बार तिरंगा फहराया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि हमने फैसले लेने का साहस किया. भारत दुनिया छठवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना. संकल्प के साथ ही सपने पूरे होंगे. अगले साल जलियांवाला बाग हत्याकांड को 100 साल पूरे हो जाएंगे. मैं उन सभी को नमन करता हूं जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति दी. इससे पहले वे राजघाट पहुंचे और महात्मा गांधी की समाधि पर श्रद्धांजलि दी.

मोदी स्पीच अपडेट…

– 82 मिनट के भाषण से प्रधानमंत्री ने देश को संबोधित किया.

– मैं बेसब्र हूं क्योंकि कई देश हमसे आगे निकल चुके हैं, मैं बेसब्र हूं उन देशों से अपने देश को आगे ले जाने के लिए

– जम्मू कश्मीर के लोग स्थानीय निकाय के चुनाव की मांग कर रहे थे, मुझे खुशी है कि आने वाले कुछ महीनों में उन्हें अपने अधिकार का इस्तेमाल करने का मौका मिलेगा. यहां के चुने हुए पंचायत विकास को नई रफ्तार देंगे. जल्द यहां पंचायत के चुनाव हों, उसकी दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं.

– हम गोली और गाली से नहीं, हम कश्मीरियों को गले लगाकर आगे बढ़ना चाहते हैं.

– माओवाद आए दिन हिंसा की वारदात को अंजाम देता है, लेकिन विकास की नई-नई योजनाओं की वजह से माओवाद 126 जिलों से कम होकर 90 जिलों तक सिमट गया है.

– आज मुझे खुशी है कि सुरक्षाबलों के प्रयास, राज्य और केंद्र सरकार के प्रयास की वजह से त्रिपुरा और मेघालय पूरी तरह से अफ्पसा से मुक्त हो गए हैं.

– मुस्लिम बहनों को विश्वास दिलाना चाहता हूं, तीन तलाक की कुरीती ने महिलाओं को काफी मुश्किल का सामना करना पड़ा है. संसद में अभी भी कुछ लोग हैं जो इस विधेयक को पास नहीं होने देना चाहता हूं, लेकिन मैं मुस्लिम महिलाओं को विश्वास दिलाता हूं कि मैं आपकी आशा अकांक्षाओं को पूरा करने की पूरी कोशिश करुंगा और इसमे कोई कमी नहीं छोड़ुुंगा.

– भारतीय सशस्त्र सेना में एसएससी के माध्यम से महिलाओं को पुरुष की तरह पारदर्शी व्यवस्था का ऐलान करता हूं. देश की महिलाएं नए व शक्तिशाली भारत के निर्माण में कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं.

– हमारे लिए गर्व का दिन है, भारत की सुप्रीम कोर्ट में तीन महिला न्यायाधीश हैं. आजादी के बाद यह पहली कैबिनेट है, जिसमे सुप्रीम कोर्ट में तीन महिला जज हैं.

– आज पर्यावरण की मंजूरी भ्रष्टाचार का पहाड़ पार करने जैसा है, लेकिन हमने इसे ऑनलाइन कर दिया है. हमने भाई भतीजावाद को खत्म कर दिया है. रिश्वत लेने वालों पर कार्रवाई बहुत कठोर हो रही है. 3 लाख संदिग्ध कंपनियों पर ताला लगा दिया गया है.

– 2013 के बाद यह संख्या पौने सात करोड़ हो गई है. ये ईमानदारी का जीता जागता उदाहरण है। देश ईमानदारी की ओर चल पड़ा है. इनडायरेक्ट टैक्स, 70 साल में सिर्फ 70 लाख का आंकड़ा पहुंचा था, लेकिन जीएसटी आने के बाद पिछले एक वर्ष में यह 70 लाख का आंकड़ा 1.16 करोड़ पहुंच गया है.

– आज देश ईमानदारी का उत्सव लेकर आगे बढ़ रहा है. देश में 2013 तक डायरेक्ट टैक्स देने वालों की संख्या 4 करोड़ थी. ये पिछले 70 साल की गतिविधि का परिणाम था.

– मैं देश के ईमानदार करदाताओं से कहता हूं कि मैं आपको विश्वास दिलाता हूं, आपके कर से ये योजनाएं चलती है, जब आप खाना खाने बैठते हैं तो आपके कर देने की ईमानदार प्रक्रिया का परिणाम है, आपके खाना खाने के समय में 3 गरीबों का पेट भरता है.

– बिचौलिए राशन को बाजार से खरीदकर उसकी ब्लैकमेलिंग करते थे, जबकि सरकार बाजार से 20-25 रुपए किलो गेंहू, चावल खरीदकर उसे गरीबों में 2-3 रुपए में बेचती है. लेकिन यहां अनाज को दुकानो को बेच दिया जाता था, लेकिन हमने इसे रोका है.

– आप जानकर हैरान होंगे, जबसे हम सफाई अभियान में लगे हैं, भ्रष्टाचार को रोकने में लगे हैं, 6 करोड़ ऐसे लाभार्थी जोकि राशन कार्ड, पेंशन, एलपीजी के लाभार्थी थे वह ऐसे थे जो कभी पैदा ही नहीं हुए, उनके नाम से पैसे जा रहे थे. यह कितना कठिन काम था, इस सरकार ने इसे रोका है। भ्रष्टाचार और कालाधन को रोकने की दिशा में हमने कदम उठाए हैं. इसका परिणाम यह है कि 90 हजार करोड़ रुपए जो गलत तरीके से गलत लोगों के हाथ में चले जाते थे, वह अब देश के सामान्य नागरिकों के काम आ रहा है.

– 25 सितंबर को पंडित दीन दयाल उपाध्याय की जन्मदिन पर यह प्रधानमंत्री जन आरोग्य अभियान लॉच कर दिया जाएगा.

– आयुष्मान भारत के तहत इस देश के 10 करोड़ परिवार शामिल हैं. 10 करोड़ परिवार यानि करीब-करीब 50 करोड़ परिवार, हर परिवार को 5 लाख रुपए देने की योजना है, इसे हम देने वाले हैं.

– WHO की रिपोर्ट के मुताबिक 3 लाख बच्चे स्वच्छता के कारण मरने से बचे हैं.

– बाजार से बाजार तक के अप्रोच से हम कृषि के क्षेत्र में कई रिफॉर्म ला रहें है. 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करना हमारा लक्ष्य है.

– आज हमारे देश की 65 फीसदी आबादी 35 से कम उम्र की है, इसलिए सारे विश्व की नजर हम पर बनी हुई है.

– हम कड़े फैसले लेने का सामर्थ्य रखते हैं, क्योंकि देशहित हमारे लिए सर्वोपरि है. जब हौसले बुलंद होते हैं, देश के लिए कुछ करने का इरादा होता है तो बेनामी संपत्ति का कानून भी लागू होता है.

– भारत की अर्थव्‍यवस्‍था बहुत तेजी से विकास कर रही है. पूर्वोत्‍तर भारत भी देश के विकास के साथ जुड़ रहा है. चार साल में नार्थ ईस्‍ट को भारत के साथ लाकर खड़ा कर दिया है.

– भारत की पहचान अब रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म के तौर पर है. हमने रिकॉर्ड आ​र्थिक ग्रोथ दर्ज की.

– देश के जवान के लिए कई सालों से पेंडिग वन रैंक वन पेंशन को हमने लागू किया.

– आज भारत की बात हर जगह सुनी जाती है. पूरा विश्व कहता है कि सोया हुआ हाथी जाग गया है.

– पहले विश्व के अन्य देश हमारे साथ जुड़ने से हिचकिचाते थे, कहते थे, भारत की अर्थव्यवस्था में रिस्क है लेकिन आज वही देश हमारे साथ जुड़ना चाहते हैं और उन्हें भारत में अवसर नजर आते हैं.

– आज लाल किले की प्राचीर से मैं देशवासियों को खुशखबरी सुनाना चाहता हूं. हमने सपना देखा है कि 2022 में आजादी के 75 साल पूरे होने के मौके पर या उससे पहले मां भारत की कोई संतान, चाहे बेटा हो या बेटी, वह अंतरिक्ष में जाएगा. हाथ में तिरंगा लेकर जाएगा. भारत के वैज्ञानिकों ने मंगलयान से लेकर अब तक ताकत का जो परिचय कराया है. जब हमारा यान हिंदुस्तानी लेकर जाएगा, तब अंतरिक्ष में मानव को पहुंचाने वाले विश्व के चौथे देश बन जाएंगे.

– आज भारत की हर चीज पर पूरा विश्व नजर रखता है। 2014 के बाद ये स्थिति बदली है.

– देश के छोटे व्यापारियों की वजह से, उनके दिमाग के खुलेपन की वजह से देश में जीएसटी लागू हुआ है.

– देश में आग छोटे शहरों में स्टार्टअप तेजी से बढ़ रहा है.

– 2014 से अबतक मैं अनुभव कर रहा हूं कि सवा सौ करोड़ देशवासी सिर्फ सरकार बनाकर रुके नहीं, वो देश बनाने में भी जुटे हुए हैं.

– देश आज रेकॉर्ड अनाज पैदा कर रहा है तो देश आज मोबाइल फैक्ट्री बनाने का काम भी कर रहा है. बाबा सहाब के बनाए गए संविधान में सबके लिए न्याय की बात की गई है. हमें ये सुनिश्चित करना होगा कि सभी को न्याय मिले और एक ऐसे भारत का निर्माण हो जिसमें तेजी से विकास हो.

– अगर शौचालय बनाने में 2013 की रफ्तार से चलते तो शायद तो कितने दशक बीत जाते. अगर हम गांव में बिजली पहुंचाने की बात करें, तो 2013 के आधार के आधार पर सोचें, तो एक दो दशक और लग जाते. 2013 को सोचें तो एलपीजी कनेक्शन… अगर 2013 की रफ्तार से ऑप्टिकल फाइबर लगाने का काम करते तो गांवों में पहुंचाने में पीढ़ियां निकल जातीं.

– आजादी का ये पर्व हम तब मना रहे हैं, जब उत्तराखंड, मणिपुर, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश हमारी की बेटियों ने सात समुंदर पार किया और देश वापस लौट आईं. हमारे दूरसुदूर जंगलों में रहने वाले बच्चों ने एवरेस्ट पर झंडा फहराकर तिरंगे की शान बढ़ा दी.

– पीएम मोदी ने पढ़ी सुब्रमण्यम भारती की कविता

– अगले साल जलियांवाला बाग हत्याकांड को 100 साल पूरे हो जाएंगे. मैं उन सभी को नमन करता हूं जिन्होंने अपने प्राणों की आहूती दी.

– भारत विश्व की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना. हमने ओबीसी को संवैधानिक दर्जा दिया.

– मोदी ने इससे पहले चार बार के अपने भाषण में किसी न किसी बड़ी योजना का ऐलान किया.