यूपी राज्यसभा चुनाव: मायावती की पार्टी में बगावत

बसपा के सात विधायकों के पार्टी से बगावत करने पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि बसपा ने जनाधार खो दिया है जल्द ही पार्टी खत्म हो जाएगी। उन्होंने सपा को भी नहीं बख्शा और कहा कि सपा-बसपा जनता के मुद्दों पर बात नहीं करते हैं केवल ट्विटर पर राजनीति करते हैं।

उप्र (ब्यूरो):

कांग्रेस पार्टी ने बसपा सुप्रीमो मायावती से दुश्मनी बढ़ाई है तो भाजपा ने दोस्ती कर ली है। राजस्थान के राजनीतिक संकट के समय भाजपा नेता जब बसपा विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के मसले पर अदालत पहुंचे थे तभी दोस्ती का संकेत मिला था। बाद में मायावती ने कई तरह से परदे के पीछे की एक पुख्ता दोस्ती का संकेत दिया। उन्होंने मध्य प्रदेश में हो रहे उपचुनावों में कांग्रेस उम्मीदवारों को हराने के लिए कई जगह उम्मीदवार उतारे। वे सीधे भाजपा की मदद कर रही हैं। संसद में वे कई मसलों पर सरकार का साथ देती रही हैं। सो, बदले में अब भाजपा ने भी उन पर एक बड़ी मेहरबानी की है।

भाजपा ने उत्तर प्रदेश में हो रहे राज्यसभा चुनाव में उनके लिए एक सीट छोड़ दी है। अब यह देखना है कि भाजपा अपने बचे हुए वोट बसपा को दिलाती है या जीतने के लिए वे दूसरे वोट का बंदोबस्त करती हैं। बहरहाल, भाजपा चाहती तो आराम से नौ सीट जीत सकती थी। लेकिन उसने आठ ही उम्मीदवार उतारे। समाजवादी पार्टी को पता है कि अपनी ताकत के दम पर उसे एक सीट मिलेगी। सो, उसने रिटायर हो रहे पार्टी महासचिव रामगोपाल यादव का नामांकन करा दिया। इसके बाद भाजपा ने आठ सीटों के लिए उम्मीदवार घोषित किए। जिस दिन भाजपा के उम्मीदवारों की घोषणा हुई उसी दिन बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार ने परचा भरा था। सोमवार को दिन में बसपा महासचिव सतीश चंद्र मिश्र के साथ जाकर राजीव गौतम ने परचा दाखिल किया।

अगर बसपा को पहले से पता नहीं होता कि भाजपा सीट छोड़ रही है तो सतीश चंद्र मिश्र परचा दाखिल कराने नहीं जाते। बहरहाल, उत्तर प्रदेश की दस राज्यसभा सीटों पर चुनाव हो रहा है। प्रदेश की 403 में से आठ सीटें खाली हैं, जिन पर उपचुनाव हो रहा है। सो, एक सीट जीतने के लिए 37 वोट की जरूरत है। भाजपा के पास अपने 304 सीटों के साथ साथ अपना दल के नौ और चार निर्दलियों का समर्थन है। यानी उसके पास 317 विधायक हैं। उसे आठ सीट जीतने के लिए 296 वोट की जरूरत है। इसके बाद उसके पास 21 वोट बचते हैं।

दूसरी ओर बहुजन समाज पार्टी के पास सिर्फ 18 विधायक हैं। सीट जीतने के लिए बाकी 19 विधायक कहां से आएंगे? भाजपा अपने बचे हुए सारे वोट ट्रांसफर कर दे तो बसपा आसानी से जीत जाएगी। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के भी चार विधायक हैं। वे भी बसपा का साथ दे सकते हैं। हालांकि अगर वे कांग्रेस के साथ रहतीं तब भी उनकी पार्टी एक सीट जीत सकती थी। सपा के बचे हुए 11 और कांग्रेस के सात विधायकों की मदद से बसपा का उम्मीदवार जीत सकता था। लेकिन यूपी की राजनीति में कांग्रेस की सक्रियता देखते हुए यह संभव नहीं था।

भाजपा की चुनावी घोषणा: वोट दो मुफ्त में वैक्सीन लो

बिहार विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने आज अपना विजन डॉक्यूमेंट जारी किया है. इस विजन डॉक्यूमेंट में बीजेपी ने वादा किया कि हर बिहारवासियों को फ्री में कोरोना का टीका लगाया जाएगा. बीजेपी के इस वादे पर राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) समेत कई विपक्षी दलों ने निशाना साधा.

पटना(ब्यूरो): 

बिहार चुनाव के लिए अपना संकल्प पत्र जारी भारतीय जनता पार्टी (BJP) सवालों के घेरे में आ गई है. दरअसल, पार्टी ने अपने संकल्प पत्र में कहा है कि दोबारा सत्ता में आने पर बिहार के लोगों को फ्री में कोरोना की वैक्सीन दी जाएगी. ऐसे में अब विपक्षी पार्टियां सवाल उठा रही हैं कि क्या कोरोना का टीका बीजेपी का है या पूरे देश पर इसका हक होगा? बिहार में वैक्सीन से वोट का ‘सौदा’ आखिर क्यों? इसे लेकर आप क्या सोचते हैं #WhyVoteForVaccine पर ट्वीट कर अपनी राय हमें बताएं.  सफाई में

बताया गया की जिस प्रकार बंगाल में ममता बेनर्जी ने आयुष्मान भारत का और किसानों को वार्षिक दर पर दिये जाने वाले रुपये 6000/= का मानदेय अपने राज्य में नहीं देने दिया, ठीक उसी प्रकार कोरोना वैक्सीन का 70 प्रतिशत केंद्र सरकार और 30%

भाजपा का संकल्पपत्र

बिहार चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गुरुवार को संकल्प पत्र ‘आत्मनिर्भर बिहार का रोडमैप 2020-25′ जारी किया. जिसमें कोरोना वायरस का नि:शुल्क टीका लगाने, तीन लाख शिक्षकों की नियुक्ति करने सहित शिक्षा, चिकित्सा एवं अन्य क्षेत्रों में 19 लाख नए रोजगार देने, महिलाओं के लिए सूक्ष्म वित्तपोषण की नई योजना लाने और बिहार को सूचना प्रौद्योगिकी का केंद्र बनाने सहित 11 संकल्प व्यक्त किए गए हैं.

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भाजपा का यह संकल्प पत्र जारी किया जिसे ‘आत्मनिर्भर बिहार का रोडमैप 2020-25′ का नाम दिया गया है. इसके तहत पांच सूत्र, एक लक्ष्य, 11 संकल्प रखे गए हैं. इसके साथ ही पार्टी ने ‘भाजपा है, तो भरोसा है’ का नारा भी दिया है. इस दौरान भाजपा महासचिव भूपेंद्र यादव, केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे, नित्यानंद राय, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल सहित कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे. सीतारमण ने संवाददाताओं से कहा कि बिहार एक ऐसा राज्य है जहां सभी नागरिक राजनीतिक रूप से संवेदनशील और अच्छी तरह से सूचित हैं और वे उन वादों को जानते और समझते हैं जिन्हें पार्टी करती है.

उन्होंने कहा, ‘हमने भरोसे को आधार मानकर संकल्प पत्र तैयार किया है. हमारे हर संकल्प पत्र में वादे को पूरा करने की प्रतिबद्धता होती है. इसलिये जब कभी हमारे घोषणापत्र के बारे में पूछा जाता है तब हम उन्हें विश्वास के साथ जवाब दे सकते हैं कि हमने जो वादा किया था, उसे पूरा करते हैं.’ वित्त मंत्री ने कहा कि जब तक कोरोना वायरस का टीका नहीं आता है, तब तक मास्क ही टीका है, लेकिन जैसे ही टीका आ जायेगा तो भारत में उसका उत्पादन बड़े स्तर पर किया जाएगा. उन्होंने कहा कि हमारा संकल्प है कि जब टीका तैयार हो जायेगा तब हर बिहारवासी को कोरोना वायरस का टीका निः शुल्क उपलब्ध कराया जाएगा. भाजपा की वरिष्ठ नेता ने कहा कि जब हम विकास की बात करते हैं तब 1990 से 2005 के 15 साल के शासनकाल और 2005 से 2020 के शासनकाल की तुलना करें तो स्थिति स्पष्ट होगी.

उन्होंने कहा कि बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग)सरकार के पिछले 15 वर्षों के शासन में राज्य का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) तीन प्रतिशत से बढ़कर 11.3 प्रतिशत हो गया है. बिहार का बजट 2005 के 23 हजार करोड़ रुपये से बढ़कर दो लाख करोड़ रुपये हो गया है, कृषि विकास दर दो प्रतिशत से बढ़कर 8.5 प्रतिशत हो गई, बिजली उत्पादन 22 प्रतिशत से बढ़कर अब 100 प्रतिशत हो गया और प्रति व्यक्ति आय में भी काफी वृद्धि दर्ज की गई. सीतारमण ने कहा कि 2005 से पहले के औद्योगिक उत्पादन का सतत आंकड़ा नहीं मिला है क्योंकि पूर्व की सरकार की प्राथमिकता औद्योगिक विकास नहीं था. राजग सरकार के दौरान प्रदेश की औद्योगिक विकास दर 17 प्रतिशत हो गई है.

भाजपा के संकल्प पत्र में कहा गया है कि आने वाले एक वर्ष में राज्य के सभी प्रकार के विद्यालय, उच्च शिक्षा के विश्वविद्यालयों तथा संस्थानों में तीन लाख नए शिक्षकों की नियुक्ति करेंगे. इसमें 10 हजार चिकित्सों सहित कुल एक लाख लोगों को स्वास्थ्य विभाग में नौकरी के अवसर देने, बिहार में मेडिकल, इंजीनियरिंग सहित तकनीकी शिक्षा को हिंदी भाषा में उपलब्ध कराने का संकल्प व्यक्त किया गया है. भाजपा ने कहा है कि कोरोना वायरस का टीका तैयार होने पर हर बिहारवासी को कोरोना का निःशुल्क उपलब्ध कराया जाएगा.

सही समय पर लिया गया पंजाब सरकार का सही फैसला

चंडीगढ़: 

केंद्र के कृषि कानूनों को लेकर पंजाब-हरियाणा में विरोध प्रदर्शन के बीच मंगलवार को इस कानून के खिलाफ पंजाब विधानसभा में प्रस्ताव पेश किया गया. प्रस्ताव पेश करने के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा, “मैं इस्तीफा देने से नहीं डरता.” मुख्यमंत्री ने आगे कहा, “मुझे अपनी सरकार के बर्खास्त होने का डर नहीं है, लेकिन मैं किसानों को परेशान या बर्बाद नहीं होने दूंगा.”

पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंहने केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ मंगलवार को राज्य विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश किया. नए कृषि कानूनों के खिलाफ बुलाए विशेष विधानसभा सत्र के दूसरे दिन सदन के नेता ने प्रस्ताव पेश किया. मुख्यमंत्री ने केन्द्र के कृषि कानूनों के खिलाफ तीन विधेयक भी पेश किए. 

मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह द्वारा पेश किए तीन विधेयक, किसान उत्पादन व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विशेष प्रावधान एवं पंजाब संशोधन विधेयक 2020, आवश्यक वस्तु (विशेष प्रावधान और पंजाब संशोधन) विधेयक 2020 और किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा (विशेष प्रावधान और पंजाब संशोधन) विधेयक 2020 हैं. 

सिंह ने सदन को संबोधित करते हुए कहा कि कृषि राज्य का विषय है, लेकिन केन्द्र ने इसे नजरअंदाज कर दिया. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे काफी ताज्जुब है कि आखिर भारत सरकार करना क्या चाहती है.”

कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020, कृषक (सशक्तीरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 विधेयक हाल ही में संसद में पारित हुए थे. राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के इन्हें मंजूरी देने के बाद अब ये कानून बन चुके हैं. कृषि राज्यों पंजाब और हरियाणा में किसान केन्द्र के इन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं.

बंगाल में राष्ट्रपति शासन की मांग अनुचित नहीं लेकिन फैसला संविधान अनुसार: अमित शाह

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि राज्यपाल  की रिपोर्ट और संविधान को ध्यान में रखते हुए पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन  लागू करने का फैसला किया जाएगा। अमित शाह ने एक ‘निजी चैनल’ को दिए इंटरव्यू में कहा कि बंगाल में कानून व्यवस्था बिल्कुल चरमराई हुई है और सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही। उन्होंने कहा कि यहां पर विपक्षी नेताओं को मारा जा रहा है और लोकतंत्र की हत्या की जा रही है। एक सवाल के जवाब में तो उन्होंने यहां तक कह दिया कि बीजेपी नेताओं की राष्ट्रपति शासन की मांग गलत नहीं है।

नयी दिल्ली(ब्यूरो):

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि राज्यपाल जगदीप धनखड़ की रिपोर्ट और संविधान को ध्यान में रखते हुए पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने का फैसला किया जाएगा. एक पत्रकार समूह के संपादक के साथ एक खास इंटरव्यू में शाह ने कहा, “मैं स्वीकार करता हूं कि पश्चिम बंगाल में कानून और व्यवस्था की स्थिति खराब है. जहां तक भारत सरकार के राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले लेने का संबंध है, हमें इसके लिए भारतीय संविधान और राज्यपाल ‘साहब’ की रिपोर्ट के माध्यम से इस पर विचार करने की जरूरत है.

शाह की यह टिप्पणी बीजेपी नेताओं कैलाश विजयवर्गीय और बाबुल सुप्रियो की ओर से राज्य में राष्ट्रपति शासन की मांग किये जाने के बाद आई है. शाह ने कहा, “राजनीतिक नेताओं के तौर पर इस मुद्दे पर उनका रुख तार्किक रूप से सही है. बंगाल में कानून और व्यवस्था की स्थिति खराब है.”

“हर जिले में बम बनाने के कारखाने हैं, स्थिति बेहद खराब और हिंसा अभूतपूर्व”

यह पूछे जाने पर कि क्या वे यह कह रहे हैं कि वर्तमान स्थिति राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए अनुकूल नहीं है, शाह ने कहा, “नहीं, मैंने ऐसा नहीं कहा. मैंने कुल मिलाकर यह कहा कि उनकी मांग में कुछ भी गलत नहीं है.”

बिगड़ती कानून-व्यवस्था की स्थिति, राजनीतिक हत्याओं और विपक्षी नेताओं पर झूठे मामलों में मुकदमे दर्ज करने पर चिंता जताते हुए, शाह ने कहा, “देखिए, पश्चिम बंगाल में कानून और व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है. भ्रष्टाचार अपने चरम पर है. हर जिले में बम बनाने के कारखाने हैं. स्थिति बेहद खराब है और हिंसा अभूतपूर्व है. ऐसी स्थिति किसी अन्य राज्य में नहीं है. पहले ऐसी हिंसा केरल में होती थी, लेकिन वहां भी स्थिति अब नियंत्रण में है. यह स्थिति चिंताजनक है.”

डेरेक ओब्रायन ने बयान पर की तल्ख टिप्पणी

वहीं शाह की इस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए, राज्यसभा में टीएमसी संसदीय दल के नेता डेरेक ओ’ब्रायन ने कहा, ”मौत की गिनती ‘बढ़ाने की अपनी हताशा में, बीजेपी अब’ राजनीतिक हत्या ‘के रूप में टीबी या कैंसर से होने वाली मौत को भी गिनने की कोशिश कर रही है. वह पहले अपनी बंगाल इकाई में अंदर ही अंदर चल रही लड़ाई पर बात क्यों नहीं करते? उन्हें सीपीएम के दौर के बंगाल के इतिहास का अध्ययन करना चाहिए ताकि यह समझ सकें कि राज्य कितना आगे आ गया है. तृणमूल शांति और सद्भाव के लिए प्रतिबद्ध है. हो सकता है कि अमित शाह जी को अपना ध्यान यूपी और गुजरात पर लगाना चाहिए. आखिरकार राजनीतिक हत्याएं’ एक ऐसा विषय है जिसे वे अच्छी तरह से जानते हैं.”

‘मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैं पीएम नरेंद्र मोदी का अंधसमर्थक हूं और मैं उन्हें अपने नेता के रूप में सम्मान देता हूं’ : चिराग पासवान

चिराग पासवान ने कहा कि वो पीएम नरेंद्र मोदी के अंधसमर्थक हैं और उन्हें अपने नेता के रूप में सम्मान देते हैं. चिराग पासवान ने कहा कि हम अपने घोषणापत्र, अभियान सामग्री में पीएम नरेंद्र मोदी की तस्वीर का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं.

बिहार/ नयी दिल्ली(ब्यूरो):

बिहार चुनाव से ठीक पहले एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ रही लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) को लेकर बीजेपी नेता लगातार बयानबाजी कर रहे हैं. अब एलजेपी को बिहार चुनाव में ‘वोटकटवा’ कहने के मुद्दे पर एलजेपी अध्यक्ष चिराग पासवान का दर्द सामने आया है. चिराग पासवान ने कहा है कि बीजेपी नेताओं की ओर से इस तरह की भाषा का इस्तेमाल किए जाने से वो दुखी हैं.

चिराग पासवान ने कहा, ‘बीजेपी के ‘वोटकटवा’ कहने से मैं निराश हूं. मैं निराश हूं कि बीजेपी के नेता वोटकटवा जैसी भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं. मुझे पता है कि बीजेपी नेताओं पर दबाव है. मैं उनकी समस्या को समझ सकता हूं, वे बिहार के सीएम के दबाव में हैं. निश्चित रूप से हम बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी के बयान से खुश नहीं हैं. लेकिन मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अंधसमर्थक हूं.’

चिराग पासवान ने कहा, ‘मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैं पीएम नरेंद्र मोदी का अंधसमर्थक हूं और मैं उन्हें अपने नेता के रूप में सम्मान देता हूं.’ चिराग पासवान ने कहा कि हम अपने घोषणापत्र, अभियान सामग्री में पीएम नरेंद्र मोदी की तस्वीर का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं.

इसके साथ ही चिराग पासवान ने कहा, ’10 नवंबर को सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा, जब बिहार में बीजेपी-एलजेपी गठबंधन के तहत वास्तविक डबल इंजन की सरकार बनेगी. मुझे पता है कि सीएम अपनी बिहार रैली के दौरान पीएम मोदी को मेरे खिलाफ बोलने के लिए मजबूर करेंगे.’

‘प्रभावित नहीं करेगी एलजेपी’

दरअसल, केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बयान जारी करते हुए कहा कि एलजेपी बिहार के चुनाव में कोई प्रभाव नहीं डाल पाएगी. एलजेपी बिहार के चुनावों में सिर्फ एक वोटकटवा पार्टी बनकर रह जाएगी. प्रकाश जावड़ेकर ने स्पष्ट किया है कि बिहार में केवल चार पार्टियां (बीजेपी, जेडीयू, हम और वीआईपी) ही साथ मिलकर चुनाव लड़ रही हैं.

होने वाले राज्यसभा की 11 सीटों में से 10 पर भाजपा को जीत का यकीन

उत्तर प्रदेश की 10 और उत्तराखंड की एक सीट पर राज्यसभा चुनाव होने हैं. इन सभी 11 सीटों पर 27 अक्टूबर को नामांकन और 9 नवंबर को मतदान होगा. मतदान के दिन ही मतों की गणना कर ली जाएगी और नतीजे 11 नवंबर को घोषित किए जाएंगे. यूपी में सपा को जबरदस्त नुकसान और बीजेपी को सियासी तौर पर सात सीटों का फायदा होता नजर आ रहा है. इसके जरिए एनडीए पहली बार बहुमत के आंकड़े को आसानी से हासिल कर लेगा.

पटना (ब्यूरो):

स्टोरी हाइलाइट्स

  • यूपी की 10 में आठ सीटों पर बीजेपी की जीट तय
  • सपा को यूपी में महज एक राज्यसभा सीटें मिलेगी
  • कांग्रेस-बसपा एक भी सीट जीतने की हालत में नहीं

राज्यसभा की 11 सीटों पर चुनाव के लिए निर्वाचन आयोग ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. इनमें उत्तर प्रदेश की 10 और उत्तराखंड की एक सीट पर राज्यसभा चुनाव होने हैं. इन सभी 11 सीटों पर 27 अक्टूबर को नामांकन और 9 नवंबर को मतदान होगा. मतदान के दिन ही मतों की गणना कर ली जाएगी और नतीजे 11 नवंबर को घोषित किए जाएंगे.

राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल हो रहा पूरा

दरअसल, 25 नवंबर को उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के 10 सदस्यों का कार्यकाल खत्म होने जा रहा है. इनमें सबसे ज्यादा सपा के सदस्य हैं. सपा के चन्द्रपाल सिंह यादव, रवि प्रकाश वर्मा,, विशम्भर प्रसाद निषाद, जावेद अली खान, प्रोफेसर रामगोपाल यादव की सीटें रिक्त हो रही हैं जबकि बीजेपी कोटे की दो सीटें रिक्त हो रही हैं, जिनमें अरुण सिंह और नीरज शेखर की सीट है. इसके अलावा बसपा से वीर सिंह और राजाराम की सीट शामिल है और कांग्रेस कोटे से पीएल पुनिया का भी कार्यकाल पूरा हो रहा है. इसके अलावा उत्तराखंड से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद राज बब्बर का कार्यकाल पूरा हो रहा है.  

सपा को तगड़ा नुकसान हो रहा

हालांकि, मौजूदा समय की बात करें तो यूपी विधानसभा में अभी 395 (कुल सदस्य संख्या-403) विधायक हैं और 8 सीटें खाली हैं, जिनमें से 7 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं. ऐसे में राज्यसभा चुनाव तक उनके नतीजे नहीं आ सकेंगे. यूपी विधानसभा की मौजूदा स्थिति के आधार पर नवंबर में होने वाले चुनाव में जीत के लिए हर सदस्य को करीब 37 वोट चाहिए. यूपी में मौजूदा समय में बीजेपी के पास 306 विधायक हैं जबकि 9 अपना दल और 3 निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल है. वहीं, सपा 48, कांग्रेस के 7, बसपा के 18 और ओम प्रकाश राजभर की पार्टी के 4 विधायक हैं. 

यूपी की 10 में से 8 से 9 सीटें बीजेपी के खाते में

यूपी के विधायकों के आंकड़े के लिहाज से बीजेपी 10 में से 8 सदस्यों को चुनकर उच्च सदन में आसानी से भेज सकती है. इसके अलावा उसे अतिरिक्त समर्थन मिल गया तो बीजेपी 9वीं सीट भी आसानी से जीत सकती है. वहीं, सपा विधायकों की संख्या के लिहाज से महज एक सीट मिलती दिख रही है जबकि बसपा और कांग्रेस अपने विधायकों के दम पर एक भी सीट नहीं जीत पा रही है. इस तरह से सपा को पांच में से चार सीटों का नुकसान उठाना पड़ेगा तो बसपा को अपनी दोनों सीटों का. वहीं, बीजेपी को 6 से 7 सीटों का सियासी फायदा मिलता दिख रहा है. 

राज्यसभा के कुल 245 सदस्य हैं, जिनमें से बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए के पास सौ से ज्यादा सदस्य हैं. बीजपी 85, जेडीयू 5, बीपीएफ 1, आरपीआई 1, एनपीएफ 1, एमएनएफ 1 और नामित सदस्य 7 को मिलाकर कुल 101 सदस्यों का समर्थन हासिल है. इसके अलावा एआईडीएमके 9 के सदस्य हैं, जो एनडीए सरकार के साथ हैं. इस तरह से 110 सदस्य हो रहे हैं. ऐसे में यूपी और उत्तराखंड की 11 में से 10 सीटें जीतने में सफल रहते हैं तो यह आंकड़ा 120 पर पहुंच जाएगा. इस तरह से एनडीए पहली बार बहुमत के आंकड़े के साथ मॉनसून सत्र में नजर आएगा. 

राम विलास पासवान का निधन केंद्रीय मंत्री थे काफी समय से थे बीमार, वह 74 वर्ष के थे

ब्रेकिंग

राम विलास पासवान का निधन केंद्रीय मंत्री थे काफी समय से थे बीमार

नयी दिल्ली(ब्यूरो):

केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का  गुरुवार को नई दिल्ली में निधन हो गया है. पासवान के बेटे चिराग पासवान ने ट्वीट कर ये जानकारी दी है. पासवान पिछले कुछ समय से बीमार थे और दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती थे. 3 अक्टूबर को देर रात रामविलास पासवान के दिल का ऑपरेशन किया गया था. मौसम विज्ञानी कहे जाने वाले राम विलास पासवान 1969 में विधायक चुने गए थे. पासवान मोदी कैबिनेट में उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री थे.

5 जुलाई 1946 को बिहार के खगड़िया में जन्मे रामविलास पासवान कोसी कॉलेज और पटना यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद 1969 में बिहार के डीएसपी के तौर पर चुने गए थे. 1969 में पहली बार संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से विधायक बनने वाले पासवान राज नारायण और जयप्रकाश नारायण का अनुसरण करते थे. पासवान 1974 में पहली बार लोकदल के महासचिव बनाए गए. वे व्यक्तिगत रूप से राज नारायण, कर्पूरी ठाकुर और सत्येंद्र नारायण सिन्हा जैसे आपातकाल के प्रमुख नेताओं के करीबी थे.

पासवान ने दो शादियां की थीं. उनकी पहली पत्नी राजकुमारी देवी के साथ उनका रिश्ता 1969 से 1981 तक रहा. 1982 में उन्होंने रीना शर्मा से शादी की. पासवान के परिवार में उनकी पत्नी के अलावा दो बेटियां उषा और आशा पासवान और एक बेटा चिराग पासवान हैं.

काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी विवाद: कोर्ट ने वक्फ बोर्ड पर लगाया 3000 का जुर्माना

अगली सुनवाई में सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड की याचिका को एडमिट किए जाने के साथ ही इस पर निर्णय लिया जाएगा कि इस मामले की सुनवाई सिविल कोर्ट में चलेगी या वक्फ ट्रिब्यूनल लखनऊ में? अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमिटी ने पहले ही जिला जज की अदालत में याचिका दायर कर के सिविल कोर्ट में सुनवाई को चुनौती दे रखी है। कहा जाता है कि ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण औरंगजेब ने करवाया था और यह निर्माण मंदिर तोड़कर किया गया था। इसी को लेकर पूरा विवाद है। 1991 में ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वनाथ के पक्षकार पंडित सोमनाथ ने मुकदमा दायर करते हुए कहा था कि मस्जिद, विश्वनाथ मंदिर का ही हिस्सा है और यहां हिंदुओं को दर्शन, पूजापाठ के साथ ही मरम्मत का भी अधिकार होना चाहिए। उन्होंने दावा किया था कि विवादित परिसर में बाबा विश्वनाथ का शिवलिंग आज भी स्थापित है। 

उप्र(ब्यूरो):

काशी में बाबा विश्वनाथ और ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर चल रहे विवाद के सम्बन्ध में सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड ने जिला जज की अदालत में याचिका दायर की है। इस याचिका में ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर चल रहे मुक़दमे को चुनौती दी गई है। याचिका को स्वीकार कर लिया गया है। हालाँकि, कोर्ट ने देर से याचिका दायर करने के लिए बोर्ड पर 3000 रुपए का जुर्माना भी लगाया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 13 अक्टूबर को होने वाली है।

अगली सुनवाई में सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड की याचिका को एडमिट किए जाने के साथ ही इस पर निर्णय लिया जाएगा कि इस मामले की सुनवाई सिविल कोर्ट में चलेगी या वक्फ ट्रिब्यूनल लखनऊ में? अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमिटी ने पहले ही जिला जज की अदालत में याचिका दायर कर के सिविल कोर्ट में सुनवाई को चुनौती दे रखी है। बोर्ड चाहता है कि इसकी सुनवाई निचली अदालत में न होकर वक़्फ़ ट्रिब्यूनल लखनऊ में चलाया जाए।

एक राष्ट्रिय टीवी चैनल की खबर के अनुसार, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के वकील मोहम्मद तौहीद खान ने जानकारी दी है कि जिला जज की अदालत में सिविल रिवीजन दाखिल करने में हुई देरी पर माफ़ी माँगते हुए सेक्शन-5 लिमिटेशन एक्ट के तहत प्रार्थना पत्र दायर किया गया था। जिला जज ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद अक्टूबर 13, 2020 को अगली सुनवाई की तारीख तय की गई है। स्वयंभू विश्वेश्वर महादेव बनाम अंजुमन इंतजामिया मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने 18 सितंबर को दूसरे प्रतिवादी के तौर पर शामिल होने के लिए कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था।

इस प्रार्थना पत्र पर प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ की ओर से वादमित्र ने निर्धारित समयावधि के बाद याचिका दायर करने पर आपत्ति जताई गई थी। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने निर्णय के लिए 6 अक्टूबर की तारीख तय की थी। सिविल जज ने 25 फरवरी 2020 को पक्षकारों की बहस सुनने तथा दलीलों के विश्लेषण के बाद सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड तथा अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की चुनौती को खारिज कर दिया था।

दावा है कि काशी विश्वनाथ मंदिर में भगवान शिव के जिस ज्योतिर्लिंग का दर्शन किया जाता है, उसका मूल स्वरूप वो नहीं बल्कि उस जगह पर मौजूद है जहाँ 350 वर्ष पहले मुगल बादशाह औरंगजेब के आदेश पर एक मस्जिद बना दी गई थी। एक राष्ट्रिय चैनल की खबर के अनुसार, हिंदू पक्ष ने वाराणसी की उस अदालत में 351 वर्ष एक महत्वपूर्ण कागज जमा कराया है जो काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद की सुनवाई कर रही है।

इसमें लिखा है कि औरंगजेब को ये खबर मिली है कि मुलतान के कुछ सूबों और काशी में ‘बेवकूफ ब्राह्मण अपनी रद्दी किताबें’ पाठशालाओं में पढ़ाते हैं और इन पाठशालाओं में हिंदु और मुसलमान विद्यार्थी और जिज्ञासु उनके बदमाशी भरे ज्ञान, विज्ञान को पढ़ने की दृष्टि से आते हैं। बादशाह औरंगजेब ने ये सुनने के बाद सूबेदारों के नाम ये फरमान जारी किया कि वो अपनी इच्छा से ‘काफिरों के मंदिर और विद्यालय ध्वस्त कर दें। फिर मूर्तिपूजन बंद करा कर काशी विश्वनाथ मंदिर को गिरा दिया गया।

हाल ही में कृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह मामले में मथुरा के सिविल कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा था कि मंदिर-ईदगाह के स्थान में कोई बदलाव नहीं होगा। याचिका में मंदिर के पास बनी ईदगाह को हटाने की माँग की गई थी। अदालत ने याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया था। याचिकाकर्ताओं ने अब इलाहाबाद हाई कोर्ट जाने का फैसला किया है। मथुरा की अदालत में दायर हुए एक सिविल मुकदमे में श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर की 13.37 एकड़ जमीन का मालिकाना हक माँगा गया था। 

4 PFI सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद अब मामले का जामिया यूनिवर्सिटी से कनेक्शन सामने आया

हाथरस कांड को लेकर कांग्रेस समेत कई सियासी दल राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं. वही दंगा भड़काने की साजिश की भी खुलासा हुआ है. दिल्ली से हाथरस जाते हुए 4 PFI सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद अब मामले का जामिया यूनिवर्सिटी से कनेक्शन सामने आया है. पुलिस का कहना है कि मथुरा के पास टोल प्लाजा से गिरफ्तार होने वाले 4 युवक यूपी में दंगे कराने की साजिश कर रहे थे और इनमें एक मसूद अहमद नाम का युवक PFI का मास्टरमाइंड है. बता दें कि इस साल की शुरुआत में ही नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में देशभर में हुए हिंसक प्रदर्शनों में भी PFI यानी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया शामिल था.

नयी दिल्ली(ब्यूरो) :

दिल्ली से हाथरस जाते हुए 4 PFI सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद अब मामले का जामिया यूनिवर्सिटी से कनेक्शन सामने आया है। पुलिस का कहना है कि मथुरा के पास टोल प्लाजा से गिरफ्तार होने वाले 4 युवक यूपी में दंगे कराने की साजिश कर रहे थे और इनमें एक मसूद अहमद नाम का युवक PFI का मास्टरमाइंड है। बता दें कि इस साल की शुरुआत में ही नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में देशभर में हुए हिंसक प्रदर्शनों में भी PFI यानी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया शामिल था।

मसूद अहमद के बारे में मौजूदा जानकारी के अनुसार, वह बहराइच जिले के जरवल रोड के मोहल्ला बैरा काजी का रहने वाला है और दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया में एलएलबी का छात्र है। इसके अलावा, जामिया का यह छात्र मसूद अहमद 2 साल पहले पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की स्टूडेंट विंग कैम्पस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI) से जुड़ा था।

बता दें कि पीएफआई सदस्यों में बहराइच निवासी मसूद अहमद के शामिल होने की सूचना पाते ही स्थानीय पुलिस सक्रिय हो गई है। न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक बहराइच पुलिस का कहना है कि ये इलाका इंडो-नेपाल सीमा से सटा हुआ है और पिछले कुछ समय में पीएफआई से जुड़े कुछ अन्य लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।

पुलिस ने पकड़े गए लोगों के पास से हाथरस कांड से जुड़ा भड़काऊ लिटरेचर भी बरामद किया है और इनके मोबाइल, लैपटॉप जब्त किए गए हैं। ऐसे में पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि यूपी और देश के भीतर जातीय और सांप्रदायिक दंगे फैलाने के लिए भारत-नेपाल सीमा पर पीएफआई की क्या गतिविधियाँ चल रही हैं?

इसके अलावा पुलिस ने यह भी बताया है कि पूरे मामले में विदेशी फंडिग की बात की जा रही है। इसलिए इस कोण के साथ भी जाँच चल रही है। पुलिस ने कहा है कि अगर आगे जरूरत पड़ी तो जाँच एजेंसियों का सहारा लेकर भी मामले की तह तक पहुँचा जाएगा।

पुलिस ने पीएफआई जैसे संगठनों को सांप्रदायिक तनाव फैलाने और समाज में तोड़ने वाला बताया है। उन्होंने कहा कि राम मंदिर भूमि पूजन के दौरान भी इस संगठन से जुड़़े लोगों की गिरफ्तारी हुई थी।

उल्लेखनीय है कि हाथरस मामले में पुलिस ने चंदपा थाने में जाति आधारित संघर्ष की साजिश रचने और सरकार की छवि को बिगाड़ने के प्रयास के आरोप में अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की है। प्रदेश भर में अब तक इस बाबत 21 मामले दर्ज हो चुके हैं।

एडिशनल डीजीपी (कानून-व्‍यवस्‍था) प्रशांत कुमार के मुताबिक, हाथरस मामले में जिले के विभिन्‍न थाना क्षेत्रों में दर्ज 6 मुकदमों के अलावा सोशल मीडिया के विभिन्‍न प्‍लेटफार्म पर आपत्तिजनक टिप्‍पणी को लेकर बिजनौर, सहारनपुर, बुलंदशहर, प्रयागराज, हाथरस, अयोध्‍या, लखनऊ आयुक्तालय में कुल 13 मामले दर्ज किए गए हैं।

हाथरस गैंगरेप ‘ऑनर किलिंग’ का मामला : अधिवक्ता एपी सिंह

हाथरस गैंगरेप मामले में ऑनर किलिंग का चौंकाने वाला एंगल सामने आया है। उन्होंने इस मामले को ऑनर किलिंग बताया है। गांव वालों का कहना है कि पीड़िता का आरोपी संदीप के साथ प्रेम संबंध था। यह बात पीड़िता का परिवार को नापसंद थी. इसी बात को लेकर पहले भी दोनों परिवारों के बीच झगड़ा हुआ था। उस दिन भी जब संदीप और पीड़िता को एक साथ देखा गया तो घरवालों को आक्रोश आ गया। इसी के बाद पीड़िता के परिवार ने पूरी घटना को अंजाम दिया। गांव वालों का कहा है कि लव कुश और उसके चाचाओं नाम इसलिए लिया गया कि उनसे पहले से ही कूड़ा डालने और नाली निकासी को लेकर झगड़ा होता रहता था। लिहाजा पीड़ित परिवार ने एक तीर से दो निशाने मारने की कोशिश की, हाथरस मामले की जाँच कर रही SIT को इस मामले में रिपोर्ट सौंपने के लिए 10 दिनों का अतिरिक्त समय दिया गया है। इससे पहले बुधवार को ही रिपोर्ट सौंपी जानी थी। गृह सचिव भगवान स्वरूप इस SIT की अगुवाई कर रहे हैं। SIT ने गाँव में जाकर इस मामले की पूरी छानबीन की है।

पटना(ब्यूरो):

हाथरस मामले में आरोपितों के वकील एपी सिंह ने पीड़ित परिवार पर बड़े आरोप लगाए हैं। उन्होंने इसे ‘ऑनर किलिंग’ का मामला बताते हुए कहा कि पीड़िता को उसके भाई ने ही मारा है। साथ ही वकील एपी सिंह ने इस मामले का राजनीतिकरण करने के भी आरोप लगाए। उन्होंने आरोप लगाया कि घटना के एक सप्ताह बाद जब नेताओं ने पीड़ित परिवार से मुलाकात की, उसके बाद ही बलात्कार का मामला दर्ज किया गया।

वकील एपी सिंह ने कहा कि उन्होंने आरोपितों के परिजनों से बातचीत की है और साथ ही कहा कि अब तक मेडिकल रिपोर्ट में बलात्कार की कोई पुष्टि नहीं हुई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, निर्भया मामले के दो वकील एक बार फिर से आमने-सामने हो सकते हैं। निर्भया के दोषियों के खिलाफ पैरवी करने वाली वकील सीमा समृद्धि कुशवाहा ने हाथरस पीड़िता का केस लड़ने का ऐलान किया है।

वकील एपी सिंह

एपी सिंह ने बताया कि आरोपितों के वकील के अलावा भारतीय क्षत्रिय महासभा के अध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री मानवेंद्र सिंह ने भी उनसे सपर्क कर के इस मामले में आरोपितों की तरफ से केस लड़ने को कहा है। मानवेन्द्र सिंह ने कहा है कि उनका संगठन वकील की फीस भरने के लिए धन इकठ्ठा करेगा। उन्होंने एससी-एसटी एक्ट के दुरूपयोग का आरोप लगाते हुए कहा कि सवर्ण समाज को बदनाम करने के लिए ऐसा किया जा रहा है, जिससे राजपूत समाज आहत हुआ है।

वहीं पीड़ित परिवार की तरफ से सीमा समृद्धि कुशवाहा ने वकालतनामे पर हस्ताक्षर भी कर दिया है। उन्होंने कहा है कि वो सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर के इस मामले की सुनवाई दिल्ली स्थानांतरित करने की माँग करेंगी। उन्होंने कहा कि वो हाथरस की बेटी को न्याय दिलाएँगी और दोषियों को सज़ा मिलेगी लेकिन ये तब तक संभव नहीं हो पाएगा, जब तक मामला उत्तर प्रदेश से बाहर नहीं जाता।

उधर हाथरस मामले की जाँच कर रही SIT को इस मामले में रिपोर्ट सौंपने के लिए 10 दिनों का अतिरिक्त समय दिया गया है। इससे पहले बुधवार (अक्टूबर 7, 2020) को ही रिपोर्ट सौंपी जानी थी।गृह सचिव भगवान स्वरूप इस SIT की अगुवाई कर रहे हैं। SIT ने गाँव में जाकर इस मामले की पूरी छानबीन की है। इस मामले में यूपी सरकार सीबीआई जाँच की सिफारिश भी कर चुकी है। SIT ने चश्मदीदों के साथ क्राइम सीन क रिक्रिएट भी किया था।

भारतीय जनता पार्टी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने हाथरस पीड़िता के भाई से पूछताछ की माँग की है। उन्होंने कहा है कि आरोपित और पीड़ित परिवार के बीच कई फोन कॉल हुए। अक्टूबर 2019 से मार्च 2020 के बीच लड़की के भाई के नाम से रजिस्टर्ड फोन नंबर से 100 से अधिक फोन कॉल किए गए थे। 19 वर्षीय पीड़िता का भाई कथित तौर पर आरोपित के संपर्क में था। अमित मालवीय ने कहा कि यह मामला आपसी रंजिश का परिणाम हो सकता है।