काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी विवाद: कोर्ट ने वक्फ बोर्ड पर लगाया 3000 का जुर्माना

अगली सुनवाई में सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड की याचिका को एडमिट किए जाने के साथ ही इस पर निर्णय लिया जाएगा कि इस मामले की सुनवाई सिविल कोर्ट में चलेगी या वक्फ ट्रिब्यूनल लखनऊ में? अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमिटी ने पहले ही जिला जज की अदालत में याचिका दायर कर के सिविल कोर्ट में सुनवाई को चुनौती दे रखी है। कहा जाता है कि ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण औरंगजेब ने करवाया था और यह निर्माण मंदिर तोड़कर किया गया था। इसी को लेकर पूरा विवाद है। 1991 में ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वनाथ के पक्षकार पंडित सोमनाथ ने मुकदमा दायर करते हुए कहा था कि मस्जिद, विश्वनाथ मंदिर का ही हिस्सा है और यहां हिंदुओं को दर्शन, पूजापाठ के साथ ही मरम्मत का भी अधिकार होना चाहिए। उन्होंने दावा किया था कि विवादित परिसर में बाबा विश्वनाथ का शिवलिंग आज भी स्थापित है। 

उप्र(ब्यूरो):

काशी में बाबा विश्वनाथ और ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर चल रहे विवाद के सम्बन्ध में सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड ने जिला जज की अदालत में याचिका दायर की है। इस याचिका में ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर चल रहे मुक़दमे को चुनौती दी गई है। याचिका को स्वीकार कर लिया गया है। हालाँकि, कोर्ट ने देर से याचिका दायर करने के लिए बोर्ड पर 3000 रुपए का जुर्माना भी लगाया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 13 अक्टूबर को होने वाली है।

अगली सुनवाई में सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड की याचिका को एडमिट किए जाने के साथ ही इस पर निर्णय लिया जाएगा कि इस मामले की सुनवाई सिविल कोर्ट में चलेगी या वक्फ ट्रिब्यूनल लखनऊ में? अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमिटी ने पहले ही जिला जज की अदालत में याचिका दायर कर के सिविल कोर्ट में सुनवाई को चुनौती दे रखी है। बोर्ड चाहता है कि इसकी सुनवाई निचली अदालत में न होकर वक़्फ़ ट्रिब्यूनल लखनऊ में चलाया जाए।

एक राष्ट्रिय टीवी चैनल की खबर के अनुसार, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के वकील मोहम्मद तौहीद खान ने जानकारी दी है कि जिला जज की अदालत में सिविल रिवीजन दाखिल करने में हुई देरी पर माफ़ी माँगते हुए सेक्शन-5 लिमिटेशन एक्ट के तहत प्रार्थना पत्र दायर किया गया था। जिला जज ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद अक्टूबर 13, 2020 को अगली सुनवाई की तारीख तय की गई है। स्वयंभू विश्वेश्वर महादेव बनाम अंजुमन इंतजामिया मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने 18 सितंबर को दूसरे प्रतिवादी के तौर पर शामिल होने के लिए कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था।

इस प्रार्थना पत्र पर प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ की ओर से वादमित्र ने निर्धारित समयावधि के बाद याचिका दायर करने पर आपत्ति जताई गई थी। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने निर्णय के लिए 6 अक्टूबर की तारीख तय की थी। सिविल जज ने 25 फरवरी 2020 को पक्षकारों की बहस सुनने तथा दलीलों के विश्लेषण के बाद सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड तथा अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की चुनौती को खारिज कर दिया था।

दावा है कि काशी विश्वनाथ मंदिर में भगवान शिव के जिस ज्योतिर्लिंग का दर्शन किया जाता है, उसका मूल स्वरूप वो नहीं बल्कि उस जगह पर मौजूद है जहाँ 350 वर्ष पहले मुगल बादशाह औरंगजेब के आदेश पर एक मस्जिद बना दी गई थी। एक राष्ट्रिय चैनल की खबर के अनुसार, हिंदू पक्ष ने वाराणसी की उस अदालत में 351 वर्ष एक महत्वपूर्ण कागज जमा कराया है जो काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद की सुनवाई कर रही है।

इसमें लिखा है कि औरंगजेब को ये खबर मिली है कि मुलतान के कुछ सूबों और काशी में ‘बेवकूफ ब्राह्मण अपनी रद्दी किताबें’ पाठशालाओं में पढ़ाते हैं और इन पाठशालाओं में हिंदु और मुसलमान विद्यार्थी और जिज्ञासु उनके बदमाशी भरे ज्ञान, विज्ञान को पढ़ने की दृष्टि से आते हैं। बादशाह औरंगजेब ने ये सुनने के बाद सूबेदारों के नाम ये फरमान जारी किया कि वो अपनी इच्छा से ‘काफिरों के मंदिर और विद्यालय ध्वस्त कर दें। फिर मूर्तिपूजन बंद करा कर काशी विश्वनाथ मंदिर को गिरा दिया गया।

हाल ही में कृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह मामले में मथुरा के सिविल कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा था कि मंदिर-ईदगाह के स्थान में कोई बदलाव नहीं होगा। याचिका में मंदिर के पास बनी ईदगाह को हटाने की माँग की गई थी। अदालत ने याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया था। याचिकाकर्ताओं ने अब इलाहाबाद हाई कोर्ट जाने का फैसला किया है। मथुरा की अदालत में दायर हुए एक सिविल मुकदमे में श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर की 13.37 एकड़ जमीन का मालिकाना हक माँगा गया था। 

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