शादी के वायरल अनोखे कार्ड के जरिये बीजेपी को वोट देने का उपहार देने की बात लिखी गई है.
देश में चुनावी बयार बहना शुरू हो गई है. तमाम राजनैतिक पार्टियों के नेता अभी से उड़न खटोले की सवारी पर फर्राटा भरकर माहौल बनाने में जुटे हैं. ऐसे में अमेठी के अंदर बीजेपी के एक अदना से कार्यकर्ता ने अपनी पार्टी के लिए बड़ा काम किया है जो चर्चा का विषय बन गया है. शादी के वायरल अनोखे कार्ड के जरिये बीजेपी को वोट देने का उपहार देने की बात लिखी गई है.
विनायक त्रिपाठी नाम के अपील कर्ता अमेठी के जामो थाने के निवासी हैं. वह अमेठी युवा मोर्चे से जुड़े हैं. विनायक ने कार्ड पर एक संदेश लिखवाया है, ‘2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को वोट ही हमारा उपहार है. हम अमेठी से एक कमल दिल्ली भेजने के लिए अपील करते हैं.’ यह कार्ड इन दिनों बीजेपी कार्यकर्ताओं के लिए सोशल मीडिया पर शेयर करने का एक साधन बन गया है. गौरतलब हो कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को संसदीय क्षेत्र से वापस लौटे घंटे भी नहीं बीते थे कि शादी के एक कार्ड ने अमेठी की सियासत में भूचाल ला दिया. सोशल मीडिया पर वायरल शादी का कार्ड बीजेपी के युवा मोर्चा के नेता के घर का है.
अमेठी में ये राजनैतिक उफान तब आया है जब अभी कल ही राहुल गांधी ने बहन प्रियंका को पार्टी का बड़ा पद देकर उनको प्रत्यक्ष रूप से राजनीति में लाए हैं. ये खबर देश प्रदेश के साथ साथ अमेठी में जैसे पहुंची अमेठी के कांग्रेसियों के अलावा अमेठी के आम लोग भी गदगद हो गए थे. जगह जगह खुशियां मनाई जा रही थी, लेकिन अब इस कार्ड ने प्रियंका पर चर्चा कम करते हुए मोदी-मोदी की चर्चा शुरू करा दी है.
आपको बता दें कि इससे पहले सूरत के एक युवा की शादी का कार्ड भी सोशल मीडिया पर खूब छाया हुआ था. सूरत के युवराज पोखरना और साक्षी अग्रवाल ने अपनी शादी के कार्ड पर भगवान गणेश के बजाए राफेल की तस्वीर छपवाई थी. राफेल को लेकर पीएम मोदी की तारीफ करता और उसके फायदे गिनाता यह कार्ड सोशल मीडिया पर छाया हुआ था. इस शादी के कार्ड के चर्चे प्रधानमंत्री कार्यालय तक भी पहुंच गए थे, जिसके बाद पीएम मोदी की ओर से इस जोड़े को शादी से पहले बधाई और आशीर्वाद मिला था.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/01/ofm5emeg_wedding-card-rafale_625x300_13_January_19.jpg400650Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-01-24 19:51:592019-01-24 19:52:02नमो में भरोसा जताएँ मोदी को वोट दें हमें आशीर्वाद
पीयूष गोयल को यह जिम्मेदारी अस्थायी तौर पर दी गई है क्योंकि अरुण जेटली अमेरिका गए हैं
नई दिल्ली: अंतरिम बजट पेश करने से नौ दिन पहले रेल मंत्री पीयूष गोयल को बुधवार को वित्त और कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया गया. अरुण जेटली अस्वस्थ हैं और इलाज के लिए विदेश में हैं, इस वजह से उनके मंत्रालयों का प्रभार गोयल को दिया गया है.
राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी सूचना में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सलाह पर वित्त और कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार अस्थायी रूप से गोयल को सौंपा गया है. गोयल के पास पहले से जो मंत्रालय हैं वह उसका कामकाज भी देखते रहेंगे. बीजेपीकी अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार को एक फरवरी को अपने मौजूदा कार्यकाल का अंतिम बजट पेश करना है.
जेटली को बनाया गया बिना पोर्टफोलियो वाला मंत्री इसके अलावा अरुण जेटली को उनके इलाज तक बिना पोर्टफोलियो वाला मंत्री बनाया गया है. स्वस्थ होने के बाद जेटली फिर से वित्त और कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालेंगे.
इससे पहले पिछले साल मई में भी गोयल को दोनों मंत्रालयों का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था. उस समय जेटली का गुर्दा प्रत्यारोपण हुआ था. गोयल ने 100 दिन तक जेटली की अनुपस्थिति में इन मंत्रालयों का प्रभार संभाला था. जेटली पिछले साल 23 अगस्त को काम पर लौट आए थे और उन्होंने वित्त और कॉरपोरेट मंत्रालयों की जिम्मेदारी फिर संभाल ली थी.
जेटली का अमेरिका में आपरेशन हुआ, दो सप्ताह आराम की सलाह केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली का मंगलवार को न्यूयॉर्क के एक अस्पताल में आपरेशन हुआ। सूत्रों ने यह जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि चिकित्सकों ने जेटली को दो सप्ताह आराम करने की सलाह दी है।
अरुण जेटली 13 जनवरी को अमेरिका गए थे। सूत्रों ने कहा कि इस सप्ताह ही उनकी ‘सॉफ्ट टिश्यू’ कैंसर के लिए जांच की गई थी। इस दौरान भी जेटली सोशल मीडिया पर सक्रिय रहे। फेसबुक पर पोस्ट लिखने के अलावा उन्होंने मौजूदा मुद्दों पर ट्वीट भी किए। इससे पहले पिछले साल 14 मई को जेटली का एम्स में गुर्दा प्रत्यारोपण हुआ था। उसके बाद से वह विदेश नहीं गए थे।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/01/piyush-goyal-759.jpg422759Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-01-23 18:57:542019-01-23 18:57:56अंतरिम बजट से ठीक पहले पीयूष गोयल को मिला वित्त मंत्रालय का जिम्मा
महाधरना के बाद WJI ने देश की मीडियाकर्मियों की 28
मांगों का ज्ञापन PMO को सौंपा
WJI ने अपने सदस्यों को 3 लाख का दुर्घटना बीमा देने की घोषणा की
नई
दिल्ली / वर्किंग जर्नलिस्ट ऑफ इंडिया ने 16 जनवरी अपने स्थापना दिवस के अवसर
पर मीडिया महा धरना का आयोजन किया।
पिछले
कुछ समय से पत्रकारों की मांगो को लेकर वर्किंग जर्नलिस्ट आफ इंडिया सम्बद्ध
भारतीय मजदूर संघ काफी सक्रिय रहा है।
देश
में पत्रकारों का शीर्ष संगठन है। यह
संगठन पत्रकारों के कल्याणार्थ समय समय पर रचनात्मक और प्ररेणादायक
कार्यक्रम और आंदोलन चलाता रहा है।इसको देश के विभिन्न राज्यों से आये पत्रकार
संगठन समर्थन दे रहे है।
वर्किंग
जर्नलिस्टस ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनूप चौधरी और राष्ट्रीय महासचिव
नरेंद्र भंडारी ने
आज
के महाधरना में पत्रकार एकजुटता का दृश्य देखने को मिला।देश के 12 राज्यों के पत्रकार और कई पत्रकार
संगठन धरना में आकर सरकारों के प्रति आक्रोश व्यक्ति किया।पत्रकारों का खाना था
केंद्र सरकार तो नया मीडिया आयोग बना रही है और न ही ऑनलाइन मीडिया को मंदिर का दे
रही है जबकि पूरे देश में मीडिया कर्मी देश को मजबूत बनाने का काम करते हैं। महा
धरना के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष अनूप चौधरी के नेतृत्व में WJI
प्रतिनिधिमंडल
pmo पहुंचा और वहां पर पत्रकारों की 28 मांगो का ज्ञापन सौंपा गया।
आज WJI ने
अपने स्थापना दिवस पर अपने सदस्य पत्रकारों के हित में 3 लाख दुर्घटना बीमा की घोषणा की।
माहौल
उस समय बहुत ही उत्साहवर्धक हो गया जब भारतीय मजदूर संघ के क्षेत्रीय संगठन मंत्री
पवन कुमार, संगठन महामंत्री अनीश मिश्रा और संगठन मंत्री ब्रजेश कुमार धरना स्थल
पहुंचे। उन्होंने पत्रकारों की मांगों का समर्थन दिया।
वर्किंग
जर्नलिस्ट आफ India WJI प्रवक्ता उदय मन्ना ने बताया कि पत्रकारों में
जो आक्रोश भरा वो कोई भी दिशा ले सकता है। मीडियाकर्मी RJS स्टार सुरेंद्र आनंद के गीत ने माहौल
में जोश भर दिया।
वर्किंग जर्नलिस्टस ऑफ इंडिया के पदाधिकारियों
द्वारा तैयार मांग पत्र जिसमे सरकार से मांग हैः-
वर्तमान
समय की मांगों पर ध्यान में रखते हुए वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट में संशोधन किया
जाये।
कार्यकारी
पत्रकार अधिनियम में इलेक्ट्रानिक मीडिया, वेब
मीडिया, ई-मीडिया और अन्य सभी मीड़िया को
अपने
अधिकार क्षेत्र में लाया जाये।
भारत
की प्रेस काउंसिल के स्थान पर मीडिया काउंसिल बनाई जाये। जिससे पीसीआई के दायरे और
क्षेत्राधिकार
को बढ़ाया जाये।
भारत
के सभी पत्रकारों को भारत सरकार के साथ पंजीकृत किया जाये और वास्तविक मीड़िया
पहचान
पत्र जारी किया जायें।
जिन
अखबारों ने वेज कार्ड की सिफारिशों को लागू नहीं किया उन पर सरकारी विज्ञापन देने
पर
कोई
अनुशासत्मक प्रतिबंध हो।
केन्द्र
सरकार लघु व मध्यम समाचार पत्रों को ज्यादा से ज्यादा विज्ञापन जारी करने के अपने
नियमों
को जल्द से जल्द परिवर्तित करे।
देश
में पत्रकार सुरक्षा कानून तैयार किया जाये।
तहसील
और जिला स्तर के संवाददाताओं एवं मीडिया व्यक्तियों के लिए 24 घंटे की हेल्पलाईन
सेवायें
उपलब्ध कराई जायें।
भारत
में सभी मीड़िया संस्थानों को वेज बोर्ड की सिफारिशों को सख्ती से लागू करवाने के
नियम बनाये जाये।
ड्यूटी
के दौरान अथवा किसी मिशन पर काम करते हुये पत्रकार एवं मीडियाकर्मी की मृत्यु होने
पर उसके परिजन को 15 लाख का मुआवजा और परिजनों को नौकरी दी
जाये।
सभी
पत्रकारों को रिटायरमेंट के बाद पेंशन की सुविधा ओर सेवानिवृति की उम्र 64 वर्ष की जाये।
सभी
पत्रकारों को राज्य एवं केन्द्र सरकारों की तरफ से चिकित्सा सुविधा और बीमा सुविधा
दी जाये।
पत्रकारिता
नौकरियों में अनुबंध प्रणाली का उन्मूलन किया जाये।
कैमरामैन
समेत सभी पत्रकारों को सरकारी कार्यक्रमों को कवर करने के लिए कोई पांबदी नहीं
होनी चाहिए।
बेहतर
पारस्परिक सहयोग के लिए जिला स्तर पुलिस-पत्रकार समितियां गठित की जाये।
शुरूआती चरणों में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी द्वारा
पत्रकारों से संबंधित सभी मामलों की समीक्षा की जाये
और
पत्रकारों से जुड़े मामलों को जल्द से जल्द निपटारे के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाई
जाये।
मीड़िया
व्यक्तियों को देश भर में उनकी संस्थान के पहचान पत्र के आधार पर सड़क टोल पर
भुगतान
करने
से मुक्त किया जाये।
पत्रकारों
को बस और रेल किराये में कुछ रियायत प्रदान की जाये।
केन्द्रों
और राज्य सरकारें PIB-DIP
पत्रकारों की मान्यता प्राप्त करने की प्रक्रिया को एकरूपता व सरल बनायें।
समाचार
पत्रों से GST खत्म की जाए।
विदेशी
मीडिया के लिए भारतीय मीडिया संस्थानों में विनिवेश की अनुमति ना दी जाये।
आनलाईन
मीडिया को मान्यता दी जाये उन्हें सरकारी विज्ञापन दिये जायें व उनका सरकारी
एक्रीडेशन किया जाये।
केन्द्र
सरकार अविलम्ब नये मीडिया आयोग का गठन करें।
संविधान
में मीडिया को चौथे स्तम्भ के रूप में संवैधानिक दर्जा दिया जाये।
महिला
पत्रकारों के लिए होस्टल बनाये जायें।
पत्रकारों
की रिहायश के लिए सस्ती दरों पर भूखंड आबंटित किये जायें। अलग-अलग राज्यों से
पत्रकार और WJI पदाधिकारी भी उपस्थित रहे और संबोधन
दिया।
हरियाणा
भूपिंदर
सिंह
धर्मेंद्र
यादव
अमित
चौधरी
राजिंदर
सिंह
मोहन
सिंह
राज
कुमार भाटिया
उत्तर
खंड
सुनील
गुप्ता महा सचिव उत्तरखंड व कार्यकारिणी सदस्य
लखनऊ
पवन
श्रीवास्तव अध्यक्ष उत्तर प्रदेश व कार्यकारिणी
विशेष
Mr अशोक मालिक – राष्ट्रीय अध्यक्ष
नेशनल
यूनियन ऑफ जॉर्नलिस्ट
मनोहर
सिंह अध्यक्ष
दिल्ली
पत्रकार संघ
संजय
राठी अध्यक्ष
हरियाणा
यूनियन ऑफ जॉर्नलिस्ट
चंडीगढ़
से नेशनल मीडिया कन्फेडरेशन के उपाध्यक्ष सुरेंद्र वर्मा,
राष्ट्रीय
मीडिया फाउंडेशन मध्यप्रदेश के अध्यक्ष आशीष पाण्डेय,
दिल्ली
एनसीआर की टीम आरजेएस मीडिया
इसके
अलावा WJI की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के
उपाध्यक्ष संजय उपाध्याय,संजय सक्सेना
कोषाध्यक्ष
अंजलि भाटिया,
सचिव
अर्जुन जैन,विपिन चौहान आदि ने महाधरना को सफल
बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
आशा
है पत्रकारों के संगठनों की एकजुटता का प्रयास सरकार का ध्यान आकर्षित करेगा।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/01/f4aef9d8-0beb-4bd0-8144-100e574a25bf.jpg5201040Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-01-17 06:02:402019-01-17 06:02:43WJI ने दिल्ली में अपना मांग पत्र PMO को सौंपा
Case pertains to
raising of “objectionable” and “anti-India” slogans at an event on the campus
against the hanging of Parliament attack mastermind Afzal Guru.
Three years after “anti-India” slogans were
allegedly raised on the Jawaharlal Nehru University (JNU) campus, the Delhi
police on Monday submitted a chargesheet in the sedition case at the Patiala
House Courts.
The case pertains to the raising of “objectionable” slogans at the event in 2016 against the hanging of Parliament attack mastermind Afzal Guru.
The 1,200-page chargesheet, along with more
than 10 pieces of video evidence and testimonies of 90 eyewitnesses, was
submitted to the court in a trunk at 2.40 p.m., the police said.
“Kanhaiya Kumar, Syed Umar Khalid and Anirban Bhattacharya have been chargesheeted under IPC Sections 124A [sedition], 323, 465 [forgery], 471 [using as genuine, forged document], 143 [punishment for unlawful assembly], 149 [unlawful assembly with common object], 147 [rioting], 120B [criminal conspiracy],” said a police officer. Apart from the three then JNU students, the police have chargesheeted Aqueed Hussain, Basharat Ali, Mujeeb Hussain Gattoo, Umair Gul, Muneeb Hussain Gatoo, Rayees Rasool and Khalid Bashir Bhat. They are all from Kashmir and were students, said the police.
The officer said the names of 36 others had
also been put on the chargesheet, but sufficient evidence against them had not
come on file so far to launch trial.
Videos sent for test
The 36 include Shehla Rashid and Aparajita
Raja. They have been kept in column number 12 of the chargesheet, which said
they were present during the event but the police did not have sufficient
proof.
During the investigation, videos of the event
were sent to the Central Forensic Science Laboratory for confirmation and after
its report was received many people were questioned. Eyewitnesses, including
staff of the JNU administration, security guards at the university gate and
other students, have submitted their testimonies.
After the case was registered at the Vasant
Vihar police station, Kanhaiya Kumar, Umar and Anirban were arrested in
February 2016. They were later given conditional bail.
“The presence of outsider Kashmiri students
was established with the help of CCTV located at the university gate. They were
seen leaving the premises unmasked. The event was organised even after
permission was denied by the JNU administration,” added the officer. The
chargesheet said investigation revealed that Kanhaiya Kumar, then JNU Students’
Union president, led the protesters on the evening of February 9, 2016 and
raised anti-India slogans.
“The charge of sedition against Kanhaiya Kumar
and others is absurd. If it takes 3 years and 1200 pages to make out a charge
of sedition (based on a public speech), that alone exposes the motive of the
government…. ,” tweeted P. Chidambaram, Congress leader.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/01/jnu-75911.jpg422759Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-01-15 04:58:592019-01-15 04:59:03Kanhaiya Kumar dubs Delhi Police chargesheet in sedition case ‘politically motivated’, Shehla Rashid calls it ‘manufactured controversy’
पाकिस्तान में करोड़ों रुपये मूल्य की अपनी संपत्ति छोड़कर पंजाब पहुंचे 50 वर्षीय सरन सिंह ने कहा कि पाकिस्तान में उनके साथ दोयम दर्ज का व्यवहार किया जाता था. नरेन्द्र मोदी सरकार के नागरिकता संशोधन विधेयक से सुरवीर सिंह और पाकिस्तान तथा अफगानिस्तान के हजारों शरणार्थियों के मन में आस की उम्मीद फिर से जगी है
नई दिल्ली: अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न से परेशान होकर भागे सुरवीर सिंह को पहचान और आजीविका के दो पाटों के बीच पिसना पड़ रहा है. अपनी मातृभूमि भारत की नागरिकता के लिए आवश्यकताओं को पूरा करने और एक स्थिर नौकरी पाने के लिए उनकी दुविधा 27 साल बाद भी दूर होने का नाम नहीं ले रही है. चार सदस्यों के अपने परिवार के साथ अमृतसर में रहने वाले 33 वर्षीय सिंह ने कहा कि उसे अपनी मातृभूमि में रहने के लिए हर दूसरे महीने सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटने पड़ते है. वर्ष 1992 में उसके माता-पिता के भारत आने का फैसला लेने से पहले सुरवीर सिंह का परिवार अफगानिस्तान के नंगरहार प्रांत में रहता था.
सोवियत संघ की वापसी और मुजाहिदीन के आगमन के बाद हिंदुओं और सिखों के अफगानिस्तान छोड़ने की एक लहर सी चली थी. परिवार का एकमात्र कमाने वाला होने के नाते सुरवीर सिंह कई तरह की नौकरियां करके अपनी आजीविका कमाते हैं. हालांकि उनका परिवार उसी समय भारत आया था और उनके परिवार के प्रत्येक व्यक्ति के पास अलग-अलग तारीखों में जारी किये गये वीजा और शरणार्थी प्रमाण पत्र हैं.
सिंह ने कहा कि क्योंकि उनकी नागरिकता का आवेदन नौकरशाही के चक्रव्यूह में फंस गया है और उन्हें अपने कागजातों को बनाये रखने के लिए नियमित रूप से सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने की आवश्यकता पड़ती है. उन्होंने कई राजनीतिक नेताओं से भारतीय नागरिकता हासिल करने की गुहार लगाई है लेकिन उन्हें आश्वासनों के अलावा कुछ नहीं मिला है. सुरवीर सिंह ने कहा,‘‘हर 12 महीनों में कागजातों की अवधि समाप्त होने के बाद, मुझे हर दो या तीन महीनों में इनके नवीनीकरण के लिए अपने परिवार के एक सदस्य के साथ नई दिल्ली जाना पड़ता है. ’’
उन्होंने कहा कि नौकरी तलाशना पहले से ही बहुत मुश्किल है क्योंकि कोई भी शरणार्थियों को रोजगार नहीं देना चाहता है. यहां तक कि अगर किसी को नौकरी मिलती है तो अक्सर उन्हें कम भुगतान किया जाता है और हर दूसरे महीने नई दिल्ली जाने की आवश्यकता की वजह से नियोक्ता नाराज हो जाते है और वे ऐसे कर्मचारियों की तलाश करते है जिन्हें कम छुट्टी की जरूरत होती है. हालांकि नरेन्द्र मोदी सरकार के नागरिकता संशोधन विधेयक से सुरवीर सिंह और पाकिस्तान तथा अफगानिस्तान के हजारों शरणार्थियों के मन में आस की उम्मीद फिर से जगी है.
यह प्रस्तावित विधेयक नागरिकता कानून 1955 में संशोधन के लिए लाया गया है. इस विधेयक के कानून बनने के बाद, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के मानने वाले अल्पसंख्यक समुदायों को 12 साल के बजाय छह साल भारत में गुजारने पर और बिना उचित दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता मिल सकेगी. सुरवीर सिंह ने कहा,‘‘मैं सरकार से इस विधेयक को जल्द से जल्द पारित करने का आग्रह करता हूं. ’’ उनकी तरह ही सरन सिंह ने कहा कि वह एक गरिमापूर्ण जीवन चाहते है.
पाकिस्तान में करोड़ों रुपये मूल्य की अपनी संपत्ति छोड़कर 1999 में अपने परिवार के साथ पंजाब पहुंचे 50 वर्षीय सरन सिंह ने कहा कि पाकिस्तान में उनके साथ दोयम दर्ज का व्यवहार किया जाता था. वह पाकिस्तान की खैबर एजेंसी में रहते थे जहां आतंकवाद और धार्मिक उत्पीड़न जोरों पर था. उन्होंने कहा कि आतंकवादी प्राय: उन्हें बाध्य किया करते थे कि यदि वे जीवित रहना चाहते हैं तो उनका परिवार इस्लाम कबूल कर ले.
इसलिए कई महिलाओं का अपहरण कर लिया गया और उन्हें जबरन इस्लाम कुबूलवाया गया. सरन ने कहा,‘‘कोई भी हमारी बेटियों और बेटों से शादी नहीं करना चाहता क्योंकि जब उन्हें पता चलता है कि हम पाकिस्तान से है तो वे हमे संदेह की नजर से देखते है. लोग कहते हैं कि आपके पास भारतीय नागरिकता नहीं है, अगर सरकार आपको निर्वासित करने का फैसला करती है तो क्या होगा? शादी का क्या होगा?’’
उन्होंने कहा,‘‘हम पाकिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न से बचकर अपनी मातृभूमि भारत पहुंचे लेकिन यहां हम लाल फीताशाही और नौकरशाही की बाधा में फंस गये. कभी-कभी अधिकारी हमें अपने पाकिस्तानी पासपोर्ट को नवीनीकृत करने के लिए कहते हैं जिसके लिए हमें पाकिस्तान जाने और जारी किए गए कागजात प्राप्त करने के लिए अपने जीवन को जोखिम में डालना पड़ता है. ’’
सरन ने कहा,‘‘जब हम पाकिस्तान में रह रहे थे तो स्थानीय लोगों का कहना था कि आप पाकिस्तानी नहीं हूं क्योंकि आप हिंदू और सिख हो और आपको अपने देश जाना चाहिए. भारत में रहने के दौरान लोग कहते हैं कि आप पाकिस्तान से हो. ’’ उन्होंने सरकार से उन्हें जल्द से जल्द नागरिकता दिये जाने का अनुरोध किया.
सरन ने कहा,‘‘हमें अपने दैनिक जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है क्योंकि किसी भी काम के लिए आधार कार्ड और मतदाता पहचान पत्र की जरूरत होती है. ’’ उन्होंने दावा किया कि कागजातों के नहीं होने के कारण कई शरणार्थी अपने बच्चों को शिक्षित भी नहीं कर पाते है.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/01/55891b417c034.jpg480800Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-01-13 18:34:572019-01-13 18:35:00नागरिकता संशोधन विधेयक से पाक हिंदुओं सिखों में बंधी सम्मानजनक जीवन की आस।
नई दिल्ली: बॉलीवुड एक्टर अनुपम खेर और अक्षय खन्ना की फिल्म ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ शुक्रवार (11 जनवरी) को सिनेमाघरों में रिलीज हो हुई. सच्ची घटना पर आधारित इस फिल्म को दर्शकों ने काफी पसंद किया है और यही वजह है कि इस ने पहले ही दिन बॉक्स ऑफिस पर हंगामा मचा दिया है. यह फिल्म भारतीय नीति विश्लेषक संजय बारू की किताब ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर, द मेकिंग एंड एनमेकिंग ऑफ मनमोहन सिंह’ पर आधारित है. उन्होंने इसे पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के जीवन में हुई घटनाओं के आधार पर लिखा था. संजय बारू उनके मीडिया सलाहकार भी रहे हैं. हंसल मेहता ने इस किताब पर फिल्म बनाई है और डायरेक्शन विजय रत्नाकर गुट्टे ने किया है
बॉक्स ऑफिस इंडिया के अनुसार इस फिल्म ने अपने रिलीज के पहले दिन लगभग 3.5 करोड़ रुपये की कमाई करने में सफलता हासिल की है. गौरतलब है कि अपने ट्रेलर के रिलीज के बाद से ही यह फिल्म विवादों में घिर चुकी थी. फिल्म को लेकर कई नेताओं के बयान भी सामने आए थे. यहां तक कि ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ के ट्रेलर पर प्रतिबंध लगाने की याचिका भी दिल्ली हाइकोर्ट में दायर की गई थी, जिसे बाद में कोर्ट ने खारिज कर दिया था.
‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ की कहानी की बात की जाए तो यह फिल्म पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और गांधी परिवार के बीच रिश्तों पर आधारित है या यह कह लें कि यह फिल्म न्यूक्लियर डील को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और गांधी परिवार के बीच जो विवाद थे उसी पर आधारित है. राजनीति में दिलचस्प रखने वालों लोगों के लिए ये एक जबरदस्त फिल्म है, लेकिन राजनीति से दूर रहने वालों को शायद ही यह फिल्म ज्यादा समक्ष में आए.
फिल्म में अभिनय की बात की जाए, तो सभी किरदारों ने जबरदस्त भूमिका निभाई है. डॉ. मनमोहन सिंह की भूमिका में अनुपम खेर और सोनिया गांधी की भूमिका में सुजैन बर्नर्ट के अलावा संजय बारू के किरदार में अक्षय खन्ना ने तो मानो फिल्म में जान फूंक दी हो. फिल्म में अक्षय खन्ना संजय बारू के किरदार में है, जो मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार थे. फिल्म में अक्षय आपको स्टोरी सुनाते नजर आएंगे. अक्षय खन्ना का किरदार फिल्म की जान है.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/01/prime-759.jpg422759Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-01-12 18:43:132019-01-13 01:54:173.5 करोड़ की कमाई के साथ द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर ने की अछि शुरुआत
नई दिल्ली: हिंदू धर्म के प्रमुख त्यौहारों में से एक मकर संक्रांति पूरे देश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन भगवान सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, इसलिए इसे मकर संक्रांति कहा जाता है. हिंदू धर्म में सूर्य की पूजा की जाती है और उन्हें सूर्य देवता के रूप में पूजा जाता है, जो पृथ्वी पर सभी जीवित प्राणियों का पोषण करते हैं. इस बार मकर मकर संक्रांति के पर्व पर एक खास योग बन रहा है. साल 2019 में मकर संक्रांति सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाया जायेगा.
खत्म होगा मलमास सूर्य के मकर राशि में आने से मलमास समाप्त होगा, जिससे मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाएंगे. सूर्य जब मकर, कुंभ, मीन, मेष, वृष और मिथुन राशि में सूर्य रहता है, तब ये ग्रह उत्तरायण होता है. जब सूर्य शेष राशियों कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक और धनु राशि में रहता है, तब दक्षिणायन होता है.
ऐसे करें पूजा मकर संक्रांति पर सुबह जल्दी उठें और स्नान करें. संभव हो तो तीर्थ स्नान पर स्नान करें, इससे पुण्य की प्राप्ति होती है. स्नान के बाद तांबे के लोटे में लाल फूल और चावल डालकर सूर्य को जल चढ़ाएं. मंदिर में गुड़ और काले तिल का दान करें. ये शुभ होता है. भगवान को गुड़-तिल के लड्डू का भोग लगाएं और भक्तों को प्रसाद वितरित करें.
आदित्य ह्रदय स्तोत्र का करें पाठ ज्योतिष के अनुसार, सूर्य के मकर राशि में प्रवेश पर उसकी किरणों से अमृत की बरसात होने लगती है. इस दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं. इसलिए मकर संक्रांति पर सूर्य की पूजा का विशेष महत्व है. ऐसे में अगर भाषा व उच्चारण शुद्ध हो तो आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ अवश्य करें क्योंकि यह एक बहुत ही फलदायक रहेगा.
इस मंत्र का करें जाप सूर्य मंत्र ऊँ सूर्याय नम: का जाप 108 बार करें, लाभ होगा.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/01/makara_sankranti_2019.jpg427730Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-01-12 18:32:142019-01-12 18:32:16मकर संक्रांति को प्रात: आदित्य ह्रदय स्तोत्र का करें पाठ
नई दिल्लीः पेट्रोल और डीजल की कीमतों में सोमवार को इजाफा होने के बाद मंगलवार को राजधानी समेत चारों महानगरों में तेल के दामों में राहत मिली. सोमवार को पेट्रोल के रेट में 21 पैसे की तेजी आई थी लेकिन मंगलवार को दाम पुराने स्तर पर ही बने रहे. वहीं डीजल के रेट भी 62.24 रुपये प्रति लीटर के स्तर पर कायम रहे. ग्लोबल मार्केट में कच्चे तेल की
पेट्रोल
देहली
68.50
कोलकतता
70.64
मुंबई
74.16
चेन्नई
71.70
कीमतों में तेजी आने से भविष्य में पेट्रोल और डीजल के रेट बढ़ सकते हैं. मंगलवार को दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई में पेट्रोल के रेट पुराने स्तर क्रमश: 68.50 रुपये, 70.64 रुपये, 74.16 रुपये और 71.07 रुपये प्रति लीटर पर कायम रहे.
7 जनवरी को पहली बार बढ़ी कीमत
वहीं दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई में डीजल के रेट क्रमश: 62.24 रुपये, 64.01 रुपये, 65.12 रुपये और 65.70 रुपये प्रति लीटर के स्तर पर ही बने रहे. आपको बता दें नए साल में 1 जनवरी को पेट्रोल के रेट में 19 पैसे प्रति लीटर की कटौती हुई थी.
डीज़ल
देहली
62.24
कोलकतता
64.01
मुंबई
65.12
चेन्नई
65.70
2 और 3 जनवरी को कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ, लेकिन 4 जनवरी को 21 पैसे और फिर 5 जनवरी को 15 पैसे प्रति लीटर पेट्रोल सस्ता
हुआ. इसके बाद 6 जनवरी को कीमत स्थिर रहीं, जबकि सोमवार 7 जनवरी को कीमतें पहली बार बढ़ी.
इसके बाद 8 जनवरी को
पेट्रोल और डीजल के रेट पुराने स्तर पर ही कायम रहे.
आने वाले दिनों में बढ़ सकती हैं कीमत
पिछले कुछ दिनों में कच्चे तेल की कीमत में एक बार फिर तेजी से इजाफा हुआ है. 25 दिसंबर 2018 को 50 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचने वाला ब्रेंट क्रूड इस समय 57.56 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गया है. ऐसे में आने वाले दिनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में एक बार फिर से तेजी देखने को मिल सकती है.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/06/Petrol-Pump_2016.jpg400700Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-01-08 04:11:242019-01-08 04:12:24पेट्रोल के दामों में राहत स्थायी नहीं
केंद्र सरकार ने अब आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को सरकारी नौकरी और उच्च शिक्षा संस्थानों में 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला लिया है.
नई दिल्ली : मोदी सरकार की कैबिनेट ने सोमवार को बड़ा ऐलान किया है. केंद्र सरकार ने अब आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को सरकारी नौकरी और उच्च शिक्षा संस्थानों में 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला लिया है. देश के करोड़ों लोगों को केंद्र सरकार के इस फैसले का लाभ मिलेगा. इस फैसले की 10 प्रमुख बातें ये हैं-
1. सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने के फैसले पर मुहर लगाई गई. कैबिनेट ने फैसला लिया है कि यह आरक्षण आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को दिया जाएगा.
2. बताया जा रहा है कि आरक्षण का फॉर्मूला 50%+10% का होगा. सूत्रों का कहना है कि लोकसभा में मंगलवार को मोदी सरकार आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को आरक्षण देने संबंधी बिल पेश कर सकती है.
3. केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्य मंत्री विजय सांपला के मुताबिक जिन लोगों की सालाना आमदनी 8 लाख से कम होगी उन्हें आरक्षण का लाभ मिलेगा.
4. जिन सवर्णों के पास खेती की 5 एकड़ से कम जमीन होगी, उन्हें आरक्षण का लाभ मिलेगा.
5. इस आरक्षण का लाभ वे सवर्ण पा सकेंगे, जिनके पास आवासीय भूमि 1000 वर्ग फीट से कम होगी.
6. जिन सवर्णों के पास अधिसूचित नगर पालिका क्षेत्र में 100 गज से कम का आवासीय प्लॉट है वे इस आरक्षण का लाभ उठा सकेंगे.
यह भी पढ़ें : 8 लाख से कम आमदनी वाले गरीब सवर्णों को मिलेगा 10% आरक्षण, जानिए क्या होंगी लाभ की शर्तें?
7. इसके अलावा जिन सवर्णों के पास गैर अधिसूचित नगर पालिका क्षेत्र में 200 गज से कम का आवासीय प्लॉट है उन्हें इस आरक्षण का लाभ मिल सकेगा.
8. सूत्रों का यह भी कहना है कि सरकार संविधान में संशोधन के लिए बिल ला सकती है. इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में संशोधन होगा.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/01/333830-narender-modi.jpg545970Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-01-07 15:19:052019-01-07 15:56:091000 वर्ग फीट से छोटे घर के सवर्ण मालिक आएंगे आरक्षण के दायरे में
सरकार ने गरीब सवर्णों के लिए नौकरी और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले मास्टरस्ट्रोक खेला है. मोदी सरकार ने फैसला लिया है कि वह सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देगी. सोमवार को पीएम मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की हुई बैठक में सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने के फैसले पर मुहर लगाई गई. कैबिनेट ने फैसला लिया है कि यह आरक्षण आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को दिया जाएगा. आरक्षण का लाभ सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षा में मिलेगा.
बताया जा रहा है कि आरक्षण का फॉर्मूला 50%+10 % का होगा. सूत्रों का कहना है कि लोकसभा में मंगलवार को मोदी सरकार आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को आरक्षण देने संबंधी बिल पेश कर सकती है. सूत्रों का यह भी कहना है कि सरकार संविधान में संशोधन के लिए बिल ला सकती है. इसके तहत आर्थिक आधार पर सभी धर्मों के सवर्णों को दिया जाएगा आरक्षण. इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में संशोधन होगा. केंद्र सरकार के इस फैसले पर वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इसे कहते हैं 56 इंच का सीना.
सरकार के इस बड़े फैसले का भारतीय जनता पार्टी ने स्वागत किया है. पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि गरीब सवर्णों को आरक्षण मिलना चाहिए. पीएम मोदी की नीति है कि सबका साथ सबका विकास. सरकार ने सवर्णों को उनका हक दिया है. पीएम मोदी देश की जनता के लिए काम कर रहे हैं.
मालूम हो कि करीब दो महीने बाद लोकसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में सवर्णों को आरक्षण देने का फैसला बीजेपी के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है. हाल ही में संपन्न हुए मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में बीजेपी की हार हुई थी. इस हार के पीछे सवर्णों की नाराजगी को अहम वजह बताया जा रहा है.
पिछले लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में बीजेपी+ को 80 में से 73 सीटें मिली थीं. इस बार बीजेपी को चुनौती देने के लिए समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने हाथ मिला लिया है. इसके बाद माना जा रहा था कि बीजेपी इस गठबंधन से निपटने के लिए कोई बड़ा कदम उठा सकती है. सवर्णों को आरक्षण देने के फैसले को सरकार का मास्टस्ट्रोक माना जा रहा है.
दरअसल सियासी विश्लेषकों के मुताबिक सपा-बसपा ने यूपी में अपने चुनावी गठबंधन में कांग्रेस को रणनीति के तहत शामिल नहीं करने का फैसला किया है. उसके पीछे बड़ी वजह मानी जा रही है कि बीजेपी के सवर्ण तबके में बंटवारे के लिहाज से कांग्रेस और सपा-बसपा अलग-अलग चुनाव लड़ने जा रहे हैं ताकि सवर्णों का वोट बीजेपी और कांग्रेस में विभाजित हो जाए. लेकिन लंबे समय से गरीब सवर्णों के लिए आरक्षण की मांग के चलते इस घोषणा से बीजेपी को सियासी लाभ मिल सकता है.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/01/0_55_NmvfmQlZQ7hos.jpg524979Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-01-07 10:04:432019-01-07 10:04:46सवर्णों को भी आरक्षण, सरकारी नौकरियों में रिजर्वेशन का दायरा 50% से बढ़कर 60% होगा
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