नई दिल्ली – श्री माता वैष्णो देवी कटड़ा के बीच चलेगी स्पेशल रेलगाड़ी

रघुनंदन पराशर, डेमोक्रेटिक फ्रंट, जैतो – 27 दिसम्बर :

            उत्तर रेलवे ने मंगलवार को कहा कि रेलयात्रियो के सुविधाजनक आवागमन हेतु रेलवे नई दिल्ली – श्री माता वैष्णो देवी कटड़ा के बीच स्पैशल चलाने का निर्णय लिया है। सूत्रों के अनुसार ट्रेन संख्या 

01635/01636 नई दिल्ली -श्री माता वैष्णो देवी कटड़ा-नई दिल्ली स्पेशल रेलगाड़ी (2 फेरे) लगाएंगी। ट्रेन संख्या 

            01635 नई दिल्ली-श्री माता वैष्णो देवी कटड़ा स्पेशल रेलगाड़ी दिनाँक 30 दिसम्बर को नई दिल्ली से रात्रि 11.30 बजे प्रस्थान कर अगले दिन पूर्वाह्न 11:20 बजे श्री माता वैष्णो देवी कटड़ा पहूँचेगी | वापसी दिशा में 01636 श्री माता वैष्णो देवी कटरा – नई दिल्ली स्पेशल रेलगाड़ी 1 जनवरी 2023  को श्री माता वैष्णो देवी कटड़ा से रात्रि 11.50 बजे प्रस्थान कर अगले दिन पूर्वाह्न 11.40 बजे नई दिल्ली पहूँचेगी| वानानुकूलित, शयनयान तथा सामान्य श्रेणी के डिब्बो वाली यह स्पेशल रेलगाड़ी मार्ग में सोनीपत, पानीपत, करनाल, कुरुक्षेत्र जं. , अम्बाला कैंट, लुधियाना, जालंधर कैंट,पठानकोट कैंट, जम्मू तवी तथा उधमपुर स्टेशनो पर दोनों दिशाओ  में रुकेगी।

            रेलवे ने दरभंगा-आनंद विहार टर्मिनल के बीच चलेगी द्वि-साप्ताहिक स्पैशल रेलगाड़ी शुरू करने का निर्णय किया है।

             रेलयात्रियो के सुविधाजनक आवागमन हेतु रेलवे दरभंगा- आनंद विहार टर्मिनल के बीच द्वि-साप्ताहिक स्पैशल रेलगाड़ी दौड़ेगी। ट्रेन संख्या05527/05528 दरभंगा- आनंद विहार टर्मिनल- दरभंगा द्वि-साप्ताहिक स्पेशल रेलगाड़ी (54फेरे) होंगे।

            05527 दरभंगा- आनंद विहार टर्मिनल द्वि-साप्ताहिक स्पेशल रेलगाड़ी  29.12.2022 से 30.03.2023 तक प्रत्येक वीरवार और रविवार को दरभंगा से दोपहर 01.15 बजे प्रस्थान कर अगले दिन दोपहर 01:00 बजे आनंद विहार टर्मिनल पहूँचेगी | वापसी दिशा में 05528 आनंद विहार टर्मिनल-दरभंगा द्वि-साप्ताहिक स्पेशल रेलगाड़ी 30.12.2022 से 31.03.2023 तक प्रत्येक शुक्रवार और सोमवार को आनंद विहार टर्मिनल से दोपहर 03.30 बजे प्रस्थान कर अगले दिन दोपहर03.45 बजे दरभंगा पहूँचेगी|

             वानानुकूलित, शयनयान तथा सामान्य श्रेणी के डिब्बो वाली यह द्वि-साप्ताहिक स्पेशल रेलगाड़ी मार्ग मे जनकपुररोड़, सीतामढ़ीजं., बैरगनिया, रक्सौलजं. , नरकटियागंज, गोरखपुर, बस्ती, गोंडा, सीतापुर,मुरादाबाद, तथा गाजियाबाद स्टेशनो पर दोनों दिशाओ मे रुकेगी|

पंचकूला झुग्गियों में गुज़र बसर कर रहे जरूरतमंदों को बांटे 150 कंबल

डेमोक्रेटिक फ्रंट संवाददाता, पंचकूला – 26 दिसंबर :

            विश्वास फाउंडेशन ने आज 150 गर्म कंबल ठण्ड के बचाव हेतू बाँटे। यह कंबल पंचकूला सेक्टर 14, सेक्टर 4 व सेक्टर 5 में तरपाल से बनी झुग्गिओं में  रह रहे जरूरतमन्द को वितरित किए गए। कम्बल मिलते ही सभी के चेहरे खिल उठे। नर सेवा ही नारायण सेवा है। जरूरतमंदों की मदद में सदैव कार्य करना परम् धर्म है। विश्वास फाउंडेशन सदैव लोगो की सेवा में लगी रहती है।

            विश्वास फाऊंडेशन की अध्यक्ष साध्वी नीलिमा विश्वास व उपाध्यक्ष साध्वी शक्ति विश्वास जी की मौजूदगी में बांटे गए। इस कंबल वितरण में उनके साथ संस्था के अनुयायी प्रदूमन बरेजा व पूनम बरेजा भी उपस्थित रहे। असहायो पर सबकी दया नही होती बल्कि भगवान की जिसपर कृपा होती है वही इस तरह के पुन्य कार्य करते हैं। जिसका कोई सहारा नहीं होता उसका भगवान ही सहारा होता है।

हरिमोहन रूंख’ की काव्य कृति ‘म्हारो काळजो’ का विमोचन और चर्चा

 करणीदानसिंह राजपूत, डेमोक्रेटिक फ्रंट, सूरतगढ़ –  20 दिसम्बर :

                        संभाग भर के साहित्यकारों की गरिमामय उपस्थिति में 18 दिसंबर को चर्चित कवि एवं वरिष्ठ पत्रकार डॉ. हरिमोहन सारस्वत ‘रूंख’ की राजस्थानी काव्य कृति ‘म्हारो काळजो’ का विमोचन किया गया।

 राजस्थान साहित्य अकादमी के इस विमोचन कार्यक्रम में अध्यक्षता करते हुए शिक्षाविद डॉ. मदन सैनी ने कहा कि साहित्यकार को मां के समान प्रसव पीड़ा भोगनी पड़ती है तब जाकर कहीं एक कृति का जन्म होता है। 

                        वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मंगत बादल ने कहा कि ‘म्हारो काळजो’ कृति का शीर्षक ही पाठकों के मन में पढ़ने की उत्कंठा जगाता है। 

            इस अवसर पर खास मेहमान के रूप में बोलते हुए डॉ संदेश त्यागी ने कहा कि भले ही एक पेड़ कट जाए लेकिन यदि रूंख के त्याग से कविता बचती है तो बहुत बड़ी बात है। मंच पर सपत्निक 

             उपस्थित कवि रूंख ने नूतन कृति से कुछ कविताओं का वाचन भी किया। महाजन फील्ड फायरिंग रेंज स्थापना के लिए जब 34 गांव खाली कराए गए और लोगों को अन्यत्र बसाया गया। उस समय विस्थापित होने की कविता सुनाई गई तब अधिकांश आंखें नम हो गई।

            इस मौके पर मंच पर आशीर्वाद स्वरूप कवि रूंख की माताजी श्रीमती राज सारस्वत, आंचल प्रन्यास की अध्यक्ष आशा शर्मा, कवि राजूराम बिजारणियां, डॉ. गौरी शंकर प्रजापत, डॉ. प्रशांत बिस्सा व सिद्धार्थ रूंख भी उपस्थित रहे। उल्लेखनीय है कि मानवीय संवेदना और थार की संस्कृति के रंग उकेरती यह कृति सूर्य प्रकाशन मंदिर द्वारा प्रकाशित की गई है। डॉ. प्रशांत बिस्सा का वक्तव्य साहित्यकारों में जोश पैदा करने वाला था।

हिमाचल के CM सुखविंदर सिंह सुक्खू कोरोना पॉजिटीव, भारत जोड़ो यात्रा के पश्चात प्रधानमंत्री से मिलने गए

            18 दिंसबर को हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का सैंपल लिया गया था। इसके बाद देर शाम को उनकी रिपोर्ट आई है, जिसमें वह पॉजिटिव पाए गए हैं। दरअसल, बीते तीन दिन से हिमाचल के सीएम दिल्ली दौरे पर हैं। बता दें कि 16 दिसंबर को सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू कांग्रेस के 40 विधायकों समेंत भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुए थे।

CM Sukhvinder Singh Sukhu
भारत जोड़ो यात्रा से सुक्खू

अजय सिंगला, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/दिल्ली :

            हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू को कोरोना हो गया है। सोमवार को उनकी रिपोर्ट आई है, जिसमें वह कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। बता दें कि सीएम सुक्खू दिल्ली में हैं औऱ आज ही को उन्हें शिमला लौटना है।

            जानकारी के अनुसार, 18 दिंसबर को हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का सैंपल लिया गया था। इसके बाद देर शाम को उनकी रिपोर्ट आई है, जिसमें वह पॉजिटिव पाए गए हैं। उनके गले में खराश की दिक्कत थी।

            दरअसल, बीते तीन दिन से हिमाचल के सीएम दिल्ली दौरे पर हैं। इस दौरान वह राजस्थान में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में भी शामिल हुए थे। बाद में वहां से दिल्ली लौट आए थे। दिल्ली में सुक्खू ने बीते दो दिन में कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन  खड़गे समेत कई पार्टी नेताओं से मुलाकात की और साथ ही हिमाचल कैबिनेट के गठन को लेकर भी मंथन किया।

तवांग पर कब्जे की मंशा के पीछे ड्रैगन की है ये रणनीति

            अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ-साथ यांगत्से के आसपास के इलाकों में भारत पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने में जुटा है। सरकार के अधिकारियों ने पत्रकारों यह जानकारी देते हुए कहा कि चीन इसे लेकर काफी दबाव में है और 9 दिंसबर को हुई झड़प का एक कारण ये भी हो सकता है।

अरुणाचल प्रदेश के अंजॉ जिले में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास किबिथू में सैन्य अभ्यास करते भारतीय सेना के जवानों की फाइल फोटो (PTI)
अरुणाचल प्रदेश के अंजॉ जिले में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास किबिथू में सैन्य अभ्यास करते भारतीय सेना के जवानों की फाइल फोटो

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/नयी दिल्ली :

            अरुणाचल प्रदेश के तवांग पर चीन की नजरें लंबे समय से गढ़ी हुई थीं, यहां लगातार उसके सैनिकों का जमावड़ा हो रहा था और 9 दिसंबर को उसने अंदर घुसने की हिमाकत की जिसका भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया। तवांग एक बेहद खूबसूरत जगह है जो प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ धार्मिक महत्व के लिए भी प्रसिद्ध है। चीन की नई हरकत से सवाल उठता है कि उसकी इस इलाके पर नजर क्यों है, साथ ही ये भारत के लिए खास महत्व का क्यों है। 

            अरुणाचल प्रदेश का तवांग करीब 17 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। ये जगह सेना के लिए रणनीतिक रूप से खास महत्व की है। दोनों देशों के लिए ये जगह इसलिए भी खास है क्योंकि ये 1962 के भारत-चीन से जुड़ी हुई है। इस युद्ध में तवांग पर कब्जे के बाद चीन ने इसे खाली कर दिया था क्योंकि यह मैकमोहन लाइन के अंदर पड़ता है। लेकिन बाद में चीन की नीयत बदल गई और उसने मैकमोहन लाइन को मानने से इनकार कर दिया। 

            इसके बाद से ही चीन की तवांग पर बुरी निगाह बन गई, हालांकि उसके लिए दोबारा यहां पहुंचना आसान नहीं रह गया था। अब वह पुरानी रणनीति के तहत यहां तक पहुंचना चाहता है और इसी के तहत उसके करीब 600 सैनिकों ने यहां जमावड़ा लगाते हुए दबाव बनाने की कोशिश की। 9 दिसंबर को चीनी सैनिकों ने एक कदम आगे बढ़ते हुए घुसपैठ का दुस्साहस किया जिसका भारतीय सैनिकों ने करारा जवाब दिया। 

            दरअसल, तवांग पर कब्जे की मंशा के पीछे चीन की एक खास रणनीति है। इस पोस्ट पर काबिज होने के बाद वह तिब्बत के साथ-साथ एलएसी की निगरानी भी करना चाहता है। इसी रणनीति के तहत वह बार-बार इसके करीब पहुंचने की कोशिश करता है। बता दें कि तिब्बती धर्मगुरु का तवांग से खास रिश्ता है। 1959 में तिब्बत से निकलने के बाद मौजूदा दलाई लामा ने यहां कुछ दिन बिताए थे। यह बात भी चीन को चुभती है क्योंकि उसकी आंखों में दलाई लामा खटकते रहे हैं। 


            अगर तवांग पर चीन का कब्जा हो जाए तो यह भारत के लिए किस तरह खतरा बना सकता है, समझने की कोशिश करते हैं। चीन की तरफ से एलएसी पर भारत के लिए दो प्वाइंट सबसे अहम हैं। पहला है तवांग और दूसरा है चंबा घाटी। चंबा घाटी नेपाल-तिब्बत सीमा पर मौजूद है, वहीं तवांग चीन-भूटान जंक्शन पर मौजूद है। अगर चीन तवांग पर कब्जा कर लेता है तो अरुणाचल प्रदेश पर दावा ठोक सकता है जिसे वह अपना हिस्सा मानता है। 

            यही वजह है कि भारत इसे लेकर बेहद सतर्क रहता है। 1962 युपद्ध के घाव अभी भी ताजा हैं और भारत दोबारा उसे दोहराता हुआ नहीं देखना चाहेगा। भारत बिल्कुल भी नहीं चाहेगा की सामरिक महत्व की ये जगह उसके हाथ से निकल जाए। इसी को देखते हुए भारत ने पिछले कुछ वर्षों में इस पर खास ध्यान देते हुए निर्माण कार्य तेज किए हैं। इसके अलावा यहां सैनिकों की संख्या बढ़ाते हुए निगरानी भी तेज कर दी है। नए घटनाक्रम ने भारत की आशंका को सही साबित कर दिया है कि चीन पर कतई भरोसा नहीं किया जा सकता है। गलवान घाटी के बाद अब तवांग की घटना ने भारत को बेहद सतर्क कर दिया है। 

            भारतीय सेना ने सोमवार को जानकारी दी कि 9 दिसंबर को तवांग सेक्टर में LAC पर भारत और चीन के सैनिक आपस में भिड़ गए थे और आमने-सामने की इस झड़प में दोनों पक्षों के कुछ जवानों को मामूली चोटें भी आई थीं।

            रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को संसद को बताया कि इस झड़प में न किसी भारतीय सैनिक की मृत्यु हुई है और न ही किसी को गंभीर चोट आई है। उन्होंने लोकसभा में कहा, “इस आमने-सामने की लड़ाई में दोनों पक्षों के कुछ सैनिकों को चोटें आईं। मैं इस सदन को बताना चाहता हूं कि हमारे किसी भी सैनिक की मौत नहीं हुई है और न ही कोई गंभीर चोट आई है। भारतीय सैन्य कमांडरों के समय पर हस्तक्षेप के कारण, पीएलए सैनिक अपने स्थानों पर पीछे हट गए हैं।

panchang

पंचांग 12 दिसम्बर 2022

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य कराना चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क, 12 दिसम्बर 22 :

विक्रमी संवत्ः 2079, 

 तिथिः चतुर्थी,

शक संवत्ः 1944,

 मासः पौष,

 पक्षः कृष्ण पक्ष,

सांयः 06.49 तक है,

 वारः सोमवार।

विशेषः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर सोमवार को दर्पण देखकर, दही,शंख, मोती, चावल, दूध का दान देकर यात्रा करें।

 नक्षत्रः पुष्य,

रात्रि कालः 11.36 तक है,

 योगः ऐन्द्र प्रातः काल 06.06 तक,

 करणः बालव,

 सूर्य राशिः वृश्चिक,

 चंद्र राशिः कर्क,

 राहु कालः प्रातः 7.30 से प्रातः 9.00 बजे तक,

 सूर्योदयः 07.08, सूर्यास्तः 05.21 बजे। 

हरियाणा  राज्य नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो हिसार टीम ने विद्यार्थियों को दिलाई नशा न करने की शपथ

पवन सैनी,  डेमोक्रेटिक फ्रंट, हिसार  –  05 दिसंबर :

                        हरियाणा  राज्य नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के प्रमुख एवं एडीजीपी श्री श्रीकांत जाधव के दिशा निर्देशों और नशा मुक्त हरियाणा नशा मुक्त भारत की सोच को साकार करने के लिए चलाए जा रहे अभियान को के तहत हरियाणा  राज्य नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो हिसार की टीम ने  अनाजमंडी स्थित महाराजा अग्रसेन पब्लिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल  में जागरूकता अभियान चलाया।

            एनसीबी  यूनिट हिसार की टीम ने विद्यार्थियों को नशे के दुष्परिणाम के बारे में जागरूक किया। विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए एएसपी प्रोबिना पी ने कहा कि वे स्वयं नशे से दूर रहकर दूसरों को भी नशा न करने के लिए प्रेरित करें। विद्यार्थियों को नशा न करने की शपथ दिलाई गई।  

            पीएसआई बर्लिन, एसआई मक्खन सिंह यूनिट हिसार े द्वारा अध्यापकों व बच्चों को एचएसएनसीबी की टीम से जोड़ा तथा  नशे के दुष्परिणाम के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि नशे के कारण हमारी युवा पीढ़ी बर्बाद हो रही है। उन्होंने कहा कि यदि आपके आसपास कोई भी व्यक्ति नशे का व्यापार करता है तो हरियाणा राज्य नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के टोल फ्री नंबर पर सूचना दें ताकि उस व्यक्ति पर कार्रवाई की जा सके।

बड़ी खबर! 14 रुपए तक सस्ता हो रहा है पेट्रोल-डीजल, कच्चे तेल की कीमतों में आई कमी ने दी खुशखबरी

                         कच्चे तेल के दाम गिरने के चलते देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 14 रुपए तक की कमी आ सकती है। इंटरनेशनल बाजार में कच्चे तेल (ब्रेंट) की कीमत जनवरी से निचले स्तर पर हैं। यह अब 81 डॉलर से नीचे आ गया है। अमेरिकी क्रूड 74 डॉलर प्रति बैरल के करीब है। एसएमसी ग्लोबल के मुताबिक, क्रूड में 1 डॉलर गिरावट आने पर देश की तेल कंपनियों को रिफाइनिंग पर प्रति लीटर 45 पैसे की बचत होती है। इस हिसाब से पेट्रोल-डीजल के दाम 14 रु. प्रति लीटर तक कम होने चाहिए। हालांकि, विशेषज्ञों के मुताबिक पूरी कटौती एक बार में नहीं होगी।

Petrol-diesel price

अजय सिंगला, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/ नयी दिल्ली :

            कच्चे तेल के दाम गिरने के चलते देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 14 रुपए तक की कमी आ सकती है। इंटरनेशनल बाजार में कच्चे तेल (ब्रेंट) की कीमत जनवरी से निचले स्तर पर हैं। यह अब 81 डॉलर से नीचे आ गया है। अमेरिकी क्रूड 74 डॉलर प्रति बैरल के करीब है।

            खास तौर पर कच्चे तेल की कीमत में बड़ी गिरावट से भारतीय रिफाइनरी के लिए कच्चे तेल की औसत कीमत (इंडियन बास्केट) घटकर 82 डॉलर प्रति बैरल रह गई है। मार्च में ये 112.8 डॉलर थी। इस हिसाब से 8 महीने में रिफाइनिंग कंपनियों के लिए कच्चे तेल के दाम 31 डॉलर (27%) कम हो गए हैं।

            एसएमसी ग्लोबल के मुताबिक, क्रूड में 1 डॉलर गिरावट आने पर देश की तेल कंपनियों को रिफाइनिंग पर प्रति लीटर 45 पैसे की बचत होती है। इस हिसाब से पेट्रोल-डीजल के दाम 14 रु. प्रति लीटर तक कम होने चाहिए। हालांकि, विशेषज्ञों के मुताबिक पूरी कटौती एक बार में नहीं होगी।

जानिए पेट्रोल-डीजल के दाम घटने की 3 वजह

1. ऑयल कंपनियों को प्रति बैरल 245 रुपए की बचत

            अभी देश में पेट्रोल और डीजल की जो कीमतें हैं, उसके हिसाब से क्रूड ऑयल का इंडियन बास्केट करीब 85 डॉलर प्रति बैरल होना चाहिए, लेकिन ये 82 डॉलर के आसपास आ गया है। इस भाव पर ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को प्रति बैरल (159 लीटर) रिफाइनिंग पर करीब 245 रुपए की बचत होगी।

2. ऑयल कंपनियों को हो रहा घाटा अब खत्म

            पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा था कि सरकारी तेल कंपनियों को पेट्रोल की बिक्री पर मुनाफा होने लगा है, लेकिन डीजल पर अब भी 4 रुपए प्रति लीटर घाटा हो रहा है। तब से अब तक ब्रेंट क्रूड करीब 10% सस्ता हो गया है। ऐसे में कंपनियां डीजल पर भी मुनाफे में आ गई हैं।

3. 70 डॉलर की तरफ बढ़ रहा कच्चा तेल, मिलेगी राहत

            पेट्रोलियम एक्सपर्ट नरेंद्र तनेजा ने कहा कि ब्रेंट तेजी से 70 डॉलर की तरफ बढ़ रहा है। इससे पेट्रोल-डीजल के दाम जरूर कम होंगे, लेकिन थोड़ा वक्त लगेगा। तेल आयात से लेकर रिफाइनिंग तक का साइकल 30 दिन का होता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम घटने के एक माह बाद असर दिखता है।

देश में तेल के दाम पिछले करीब 6 महीने से स्थिर हैं। हालांकि जुलाई में महाराष्ट्र में पेट्रोल जरूर पांच रुपए और डीजल तीन रुपए प्रति लीटर सस्ता हुआ था, लेकिन बाकी राज्यों में दाम जस के तस बने हुए हैं।

मुख्य रूप से 4 बातों पर निर्भर करते हैं पेट्रोल-डीजल के दाम

  • कच्चे तेल की कीमत
  • रुपए के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की कीमत
  • केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा वसूले जाने वाला टैक्स
  • देश में फ्यूल की मांग

भारत अपनी जरूरत का 85% कच्चा तेल करता है आयात
            हम अपनी जरूरत का 85% से ज्यादा कच्चा तेल बाहर से खरीदते हैं। इसकी कीमत हमें डॉलर में चुकानी होती है। ऐसे में कच्चे तेल की कीमत बढ़ने और डॉलर के मजबूत होने से पेट्रोल-डीजल महंगे होने लगते हैं। कच्चा तेल बैरल में आता है। एक बैरल यानी 159 लीटर कच्चा तेल होता है।

भारत में कैसे तय होती हैं पेट्रोल-डीजल की कीमतें?
            जून 2010 तक सरकार पेट्रोल की कीमत निर्धारित करती थी और हर 15 दिन में इसे बदला जाता था। 26 जून 2010 के बाद सरकार ने पेट्रोल की कीमतों का निर्धारण ऑयल कंपनियों के ऊपर छोड़ दिया। इसी तरह अक्टूबर 2014 तक डीजल की कीमत भी सरकार निर्धारित करती थी।

            19 अक्टूबर 2014 से सरकार ने ये काम भी ऑयल कंपनियों को सौंप दिया। अभी ऑयल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की कीमत, एक्सचेंज रेट, टैक्स, पेट्रोल-डीजल के ट्रांसपोर्टेशन का खर्च और बाकी कई चीजों को ध्यान में रखते हुए रोजाना पेट्रोल-डीजल की कीमत निर्धारित करती हैं।

गैंगरेप के 11 दोषियों को दोबारा जेल भेजने की मांग, इनकी 15 अगस्त को हुई थी रिहाई

            13 मई को सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि सजा 2008 में मिली, इसलिए रिहाई के लिए 2014 में गुजरात में बने कठोर नियम लागू नहीं होंगे। 1992 के नियम ही लागू होंगे जिसके तहत  गुजरात सरकार ने 14 साल की सजा काट चुके लोगों को रिहा किया था। अब बिलकिस बानो 13 मई के आदेश पर पुनर्विचार की मांग कर रही हैं। उनका कहना है कि जब मुकदमा महाराष्ट्र में चला, तो नियम भी वहां के लागू होंगे गुजरात के नहीं।

गोधरा कांड के बाद भड़के दंगों में बिलकिस का गैंगरेप हुआ

अजय सिंगला, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/ नयी दिल्ली – 30 नवंबर :

            2002 के गुजरात दंगों के दौरान परिवार की हत्या और गैंगरेप के 11 दोषियों को रिहाई मिलने के बाद बिलकिस बानो ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट के मई के उस आदेश को चुनौती देते हुए एक समीक्षा याचिका भी दायर की जिसमें गुजरात सरकार को 1992 की छूट नीति के लिए आवेदन करने की अनुमति दी गई थी।

            पहली याचिका में 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती दी गई है और सभी को तुरंत जेल भेजने की मांग की गई है। जबकि दूसरी याचिका सुप्रीम कोर्ट के मई के आदेश पर पुनर्विचार याचिका है। बिलकिस की ओर से सुप्रीम कोर्ट में जल्द सुनवाई की भी मांग की गई है। मुख्य न्यायाधीश भारत,  डी वाई चंद्रचूड़ ने भरोसा दिया कि मामले में देखेंगे कि कब सुनवाई हो सकती है।

मुख्य न्यायाधीश भारत डी वाई चंद्रचूड़ ने दिया भरोसा

            याचिका में कहा गया है कि सर्वोच्च न्यायालय उस फैसले पर फिर से विचार करे जिसमें कहा गया था कि दोषियों की रिहाई पर फैसला गुजरात सरकार करेगी। बिलकिस ने कहा है कि इसके लिए उपयुक्त सरकार महाराष्ट्र सरकार है।  क्योंकि केस का ट्रायल महाराष्ट्र में चला था। बिलकिस की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में जल्द सुनवाई की भी मांग की गई है। मुख्य न्यायाधीश भारत डी वाई चंद्रचूड़ ने भरोसा दिया कि मामले में देखेंगे कि कब सुनवाई हो सकती है।

            हादसे के समय बिलकिस की उम्र 21 साल थी और वे गर्भवती थीं। दंगों में उसके परिवार के 6 सदस्य जान बचाकर भागने में कामयाब रहे। गैंगरेप के आरोपियों को 2004 में गिरफ्तार किया गया था। जनवरी 2008 में CBI की स्पेशल कोर्ट ने 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा दी थी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने आरोपियों की सजा को बरकरार रखा था। आरोपियों को पहले मुंबई की आर्थर रोड जेल और इसके बाद नासिक जेल में रखा गया था। करीब 9 साल बाद सभी को गोधरा की सबजेल में भेज दिया गया था।

            दोषियों की रिहाई पर बिलकिस के पति याकूब रसूल ने कहा, ‘हमें यकीन ही नहीं हो रहा कि बिलकिस से गैंगरेप करने वाले, मेरी 3 साल की बेटी को पटक-पटककर मार देने वाले, मेरे परिवार के सात लोगों की हत्या करने वालों को सरकार ने कैसे छोड़ दिया। ये सोचकर ही हमें डर लग रहा है। इस फैसले ने बिलकिस को तोड़ दिया है। वो किसी से बात नहीं कर रही हैं। वह कुछ भी कहने की हालत में नही हैं।’

           जेल से रिहा होने के बाद एक आरोपी ने कहा- जब हम जेल से छूटे तो परिवार में खुशी का माहौल था। जेल में रहने के दौरान हमने असहनीय कष्ट और अपमान सहा। अपने कई दोस्तों-रिश्तेदारों को भी खो दिया। हमारे साथ सजा काट रहे जशुकाका की पत्नी की कैंसर से मौत हो गई।


           27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक कोच में भीड़ ने आग लगा दी थी। इसमें अयोध्या से लौट रहे 57 कारसेवकों की मौत के बाद दंगे भड़क गए थे। दंगों में एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। इनमें ज्यादातर मुसलमान थे। केंद्र सरकार ने मई 2005 में राज्यसभा में बताया था कि गुजरात दंगों में 254 हिंदू और 750 मुसलमान मारे गए थे।

‘द कश्मीर फाइल्स’ ने कश्मीरी पंडितों की त्रासदी का दस्तावेजीकरण करके उनके लिए एक हीलिंग प्रोसेस शुरू किया : अनुपम खेर

  • ‘फिल्म में मेरे आंसू और मुश्किलें असली हैं’ – अनुपम खेर

रघुनंदन पराशरडेमोक्रेटिक फ्रंट, जैतो –  23 नवम्बर :

            सूचना व प्रसारण मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि द कश्मीर फाइल्स  के मुख्य अभिनेता अनुपम खेर ने कहा कि 32 साल बाद इस फिल्म ने दुनिया भर के लोगों को 1990 के दशक में कश्मीरी पंडितों के साथ हुई त्रासदी के बारे में जागरूक होने में मदद की है। वे पणजी, गोवा में 53वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में आयोजित इफ्फी टेबल टॉक्स में हिस्सा ले रहे थे।उन्होंने कहा,”ये सच्ची घटनाओं पर आधारित फिल्म है। निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने इस फिल्म के लिए दुनिया भर से लगभग 500 लोगों का साक्षात्कार लिया था। 19 जनवरी 1990 की रात को बढ़ती हिंसा के बाद 5 लाख कश्मीरी पंडितों को कश्मीर घाटी में अपने घरों और यादों को छोड़ना पड़ा था।एक कश्मीरी हिंदू के रूप में मैंने उस त्रासदी को जिया है। लेकिन उस त्रासदी को कोई कुबूल करने को तैयार नहीं था। दुनिया इस त्रासदी को छिपाने की कोशिश कर रही थी। इस फिल्म ने उस त्रासदी का दस्तावेजीकरण करके एक हीलिंग प्रोसेस शुरू किया।”एक त्रासदी को परदे पर जीने की प्रक्रिया याद करते हुए अनुपम खेर ने कहा कि “द कश्मीर फाइल्स” उनके लिए सिर्फ एक फिल्म नहीं है,बल्कि एक भावना है जिसे उन्होंने निभाया है। उन्होंने कहा, “चूंकि मैं उन लोगों का प्रतिनिधित्व करता हूं जिन्हें उनके घरों से निकाल दिया गया है, इसलिए मैं सर्वोत्तम संभव तरीके से इसे व्यक्त करने को एक बड़ी जिम्मेदारी मानता हूं। मेरे आंसू, मेरी मुश्किलें जो आप इस फिल्म में देख रहे हैं, वे सब असली हैं।”

            अनुपम खेर ने आगे कहा कि इस फिल्म में एक अभिनेता के रूप में अपने शिल्प का इस्तेमाल करने के बजाय, उन्होंने असल जिंदगी की घटनाओं के पीछे की सच्चाई को अभिव्यक्ति देने के लिए अपनी आत्मा का इस्तेमाल किया। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि फिल्म के पीछे मुख्य विषय ये है कि कभी हार नहीं माननी चाहिए। उन्होंने कहा, “उम्मीद हमेशा आसपास ही कहीं होती है।”कोविड महामारी और उसके बाद लगे लॉकडाउन ने लोगों के फिल्में देखने के तरीके को प्रभावित किया है। अनुपम खेर ने इस तथ्य पर जोर देते हुए कहा कि ओटीटी प्लेटफॉर्म से दर्शकों को विश्व सिनेमा और विभिन्न भाषाओँ की फिल्में देखने की आदत पड़ गई है। उन्होंने कहा, “दर्शकों को यथार्थवादी फिल्मों का स्वाद मिला। जिन फिल्मों में वास्तविकता का अंश होगा, वे निश्चित रूप से दर्शकों के साथ जुड़ेंगी। कश्मीर फाइल्स जैसी फिल्मों की सफलता इसका प्रमाण है। गाने और कॉमेडी के बगैर भी यह फिल्म कमाल की साबित हुई। यह वास्तव में सिनेमा की जीत है।”उन्होंने उभरते फिल्म निर्माताओं को सलाह देते हुए कहा कि किसी को भी अपने जेहन से यह धारणा निकाल देनी चाहिए कि वे किसी भाषा विशेष के फिल्म उद्योग से आते हैं। श्री खेर ने कहा, “इसके बजाय, सभी फिल्म निर्माताओं को खुद की पहचान भारतीय फिल्म उद्योग के एक ऐसे फिल्म निर्माता के रूप में करनी चाहिए जोकि एक खास भाषा की फिल्म कर रहा है। यह फिल्म उद्योग जिंदगी से भी बड़ा है।”इफ्फी के साथ अपनी यात्रा को याद करते हुए अनुपम ने कहा कि उन्होंने पहली बार 1985 में 28 साल की उम्र में अपनी फिल्म सारांश के लिए इफ्फी में भाग लिया था। उन्‍होंने कहा, “चूंकि मैंने उस फिल्म में 65 साल की उम्र के व्‍यक्ति का किरदार निभाया था, इसलिए उस समय इफ्फी में मुझे किसी ने नहीं पहचाना। 37 साल बाद 532 से अधिक फिल्मों के साथ इफ्फी के लिए फिर से गोवा में होना, मेरे लिए एक महान क्षण है, जो एक प्रतिष्ठित महोत्‍सव बनकर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ महोत्‍सवों में शुमार हो चुका है।”

            बातचीत में अनुपम खेर ने यह भी घोषणा की कि वह उड़िया फिल्म प्रतीक्षा का हिंदी में निर्माण करेंगे, जो – पिता-पुत्र की एक जोड़ी की कहानी है, जिसमें बेरोजगारी एक प्रमुख विषय है। उन्‍होंने कहा कि वह स्‍वयं भी इसमें एक मुख्य भूमिका निभाएंगे। प्रतीक्षा के निदेशक अनुपम पटनायक भी महोत्‍सव स्थल पर पीआईबी द्वारा कलाकारों और फिल्मकारों की मीडिया और प्रतिनिधियों के साथ आयोजित बातचीत के दौरान मंच साझा कर रहे थे। कश्मीर फाइल्स के निर्माता अभिषेक अग्रवाल ने बातचीत में शामिल होते हुए कहा कि यह फिल्म थी जिसने उन्हें चुना था, न कि उन्‍होंने इस फिल्‍म को चुना था।

            सारांश: कृष्णा पंडित एक युवा कश्मीरी पंडित शरणार्थी हैं जो अपने दादा पुष्करनाथ पंडित के साथ रहते हैं। उनके दादा ने 1990 में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार को देखा था। उन्हें कश्मीर से भागना पड़ा था और उन्‍होंने जीवन भर धारा 370 को निरस्‍त किए जाने के लिए संघर्ष किया था। कृष्‍णा का मानना है कि उनके माता-पिता की मौत कश्मीर में एक दुर्घटना में हुई थी। जेएनयू के छात्र के रूप में, अपनी गुरु प्रोफेसर राधिका मेनन के प्रभाव में वह इस बात पर यकीन करने से इंकार करते हैं कि कोई नरसंहार हुआ था और वह आज़ाद कश्मीर के लिए लड़ता है। अपने दादा की मृत्यु के बाद ही उन्‍हें सच्चाई का पता चलता है।