क्रांतिकारी, विचारक और लेखक राष्ट्रवादी वीर सावरकर कांग्रेस की परेशानी

शायद ही कभी जिन्ना की निंदा खुले मंच से हुई हो, जिस जिन्ना ने भारत माता के विभाजन में सबसे अग्रणी भूमिका निभाई थी. यहाँ तक कि पाकिस्तान के निर्माता जिन्ना के लिए तो अलीगढ़ में भाजपा सरकार का विरोध तक कर डाला. इतनी निंदा उन अंग्रेजो की नहीं की गई जिन्होंने देश को लगभग 200 साल लूटा. हजारों वर्ष अत्याचार करने वाले मुगलों को महान बताया गया , क्योकि जिन्दा रखने थे तथाकथित सेकुलरिज्म के नकली सिद्धांत.

लेकिन जब भी और जिस भी मंच से भाषण दिया गया, वहां वीर सावरकर को अपमानित किया गया. अपने पूर्वजो का इतिहास कभी न बताने वालों ने वीर सावरकर को अपमानित कर के किसका वोट हासिल किया ये सभी जानते हैं. उनके भी वोट हासिल करने की कोशिश सावरकर को अपमान कर के की गई जो भारत की सेना और पुलिस बल के खिलाफ दिन रात मोर्चा खोले रहते हैं.

ये निंदा स्थानीय नेताओं के बजाय सर्वोच्च पदों पर आसीन राहुल गाँधी जैसो ने की. उनका इशारा पाते ही बाकी सब भी उनके सुर में सुर मिलाते रहे और अनगिनत हिन्दुओं के हत्यारे मुग़ल आक्रान्ता टीपू सुलतान की जय जयकार करने वाली कांग्रेस आजादी के नायक, हिन्दू राष्ट्रवाद के प्रणेता अमर हुतात्मा वीर सावरकार के खिलाफ तनकर खड़ी हो गई. कांग्रेस की राजस्थान सरकार ने सरकार ने नए पाठ्यक्रम में विनायक दामोदर सावरकर को वीर और देशभक्त नहीं, बल्कि जेल से बचने के लिए अंग्रेजों से दया मांगने वाला बता दिया. इतना ही नही मध्यप्रदेश में कांग्रेस के युवा टीम सावरकर जी पर अनैतिक संबंध बनाने का आरोप लगाया. यद्दपि देश देखता रहा ये सब और राष्ट्रीय जनादेश ऐसा करने वालों के विरुद्ध गया.

राजवीरेन्द्र वशिष्ठ, चंडीगढ़:

न ही भाजपा-संघ वाले स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर के बारे में बात करते थकते हैं और न ही कॉन्ग्रेस वाले हिन्दू महासभा के नेता रहे विनायक दामोदर सावरकर में नुक्स निकालते। इन दोनों राजनीतिक ध्रुवों के बीच जो खो जाता है, वह है लेखक, इतिहासकार, विचारक सावरकर- जिसने शायद एक व्यक्ति या नेता से आगे जाकर भारत में ब्रिटिश शासन की जड़ें खोद दीं। जिसने दशकों बाद पहली बार भारत-भूमि को याद दिलाया कि 1857 में महज कुछ दिशाहीन, अनुशासन-विहीन सैनिकों की हिंसा नहीं, स्वतंत्रता का पहला संग्राम हुआ था। जिसके ‘मास्टर-प्लान’ पर काम करते हुए बारीन्द्र घोष, शचीन्द्रनाथ सान्याल, रासबिहारी बोस आदि ने अपनी उम्र झुलसा दी और बिस्मिल, बाघा जतीन, राजेन्द्र लाहिड़ी आदि अनगिनत वीरों ने प्राणोत्सर्ग किया। जिसकी प्रेरणा से अध्यक्ष चुने जाने के बावजूद कॉन्ग्रेस में हाशिये पर धकेल दिए गए सुभाष चन्द्र बोस आज़ाद हिन्द फ़ौज के ‘नेताजी’ बनने नजरबंदी से भाग निकले। जिसकी किताबें इतनी लोकप्रिय थीं कि भगत सिंह उसकी प्रतियाँ बेचकर बंदूकें खरीदने का पैसा जुटा सकते थे!

‘1857 दोहरा कर ही मिलेगी आज़ादी’

1857 के विद्रोह को दबाने में अंग्रेजों ने जो क्रूरता और निर्ममता दिखाई थी, वह अनायास या अकारण ही नहीं थी। पूरी ब्रिटिश शासन व्यवस्था ब्रिटिश सेना के संरक्षण पर टिकी थी और ब्रिटिश सेना (चाहे वह ईस्ट इंडिया कम्पनी की हो या बाद में ब्रिटिश क्राउन की) में केवल मुट्ठी-भर अंग्रेज अफ़सर होते थे- भारतीयों को विदेशियों का गुलाम बना कर रखने वाली असली ताकत भारतीय सैनिक ही थे; उन राजाओं की सेनाओं के, जिनकी कम्पनी बहादुर या ब्रिटेन के राजपरिवार के साथ संधि हुई थी, या सीधे ब्रिटेन की गुलामी में पड़े हुए भू-भाग की ब्रिटिश इंडियन आर्मी के सैनिक। अतः 1857 को क्रूरता से कुचलना अंग्रेजों के लिए ज़रूरी था, ताकि आने वाली पीढ़ियों तक किसी सैनिक के दिमाग में अपने गोरे मालिकों पर बंदूक तानने की जुर्रत न आए। इसीलिए उन्होंने न केवल लोमहर्षक निर्ममता के साथ इस संग्राम को कुचला (किवदंतियाँ हैं कि मंगल पाण्डे के घर वालों की पहचान करने में नाकाम रहने पर उन्होंने कानपुर से बैरकपुर तक के हर गाँव के हर पाण्डे उपनाम वाले बच्चे-बूढ़े-औरत को गाँवों के पेड़ों से फाँसी पर लटका दिया था), बल्कि इतिहास में इसे अधिक महत्व न देते हुए महज़ एक अनुशासनहीन विद्रोह के रूप में दिखाया। वह सावरकर ही थे जिन्होंने पहले मराठी और फिर अंग्रेजी में प्रकाशित ‘1857 का स्वातंत्र्य समर’/The Indian War of Independence के ज़रिए इस लड़ाई के असली रूप को जनचेतना में पुनर्जीवित किया।

1909 में प्रकाशित इस किताब में उन्होंने न केवल इस विद्रोह की राजनीतिक चेतना को रेखांकित किया बल्कि इसके राष्ट्रीय स्वरूप के पक्ष में भी तर्क रखे। यही नहीं, उन्होंने यह भी अनुमानित कर लिया था कि अगर भारत को ब्रिटिश शासन के चंगुल से मुक्त होना है तो अंततः यही रास्ता फिर से पकड़ना होगा। ब्रिटिश सेना को पुनः राष्ट्रवादी, देशभक्त सैनिकों से भरना होगा जो वर्षों तक चुपचाप सेना में अपनी पैठ बनाएँ, प्रभुत्व स्थापित करें, अन्य सैनिकों की निष्ठा विदेशी शासन से इस देश की जनता की ओर मोड़ें। अंत में जब संख्याबल आदि सभी प्रकार से मजबूत हो जाएँ तो अपने नेता के इशारे पर, सही समय पर विद्रोह कर दें। महत्वपूर्ण रणनीतिक संसाधनों, हथियारों, रसद, आपूर्ति मार्गों आदि पर कब्ज़ा कर अंग्रेजों की व्यवस्था को घुटने पर ले आएँ।

सारे जहाँ में प्रतिबंधित

बौखलाए अंग्रेजों ने किताब और सावरकर पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया। लंदन के सभी प्रकाशकों को इस किताब के अंग्रेजी अनुवाद/संस्करण के प्रकाशन के खिलाफ़ आगाह कर दिया गया। फ़्रांस ने भी अंग्रेज़ी दबाव में घुटने टेक दिए। अंततः किताब का अंग्रेज़ी संस्करण हॉलैंड (अब नीदरलैंड) में प्रकाशित हुआ- वह भी इसलिए कि ‘काली’ और ‘भूरी’ दुनिया को गुलाम बनाने में इंग्लैण्ड और हॉलैंड में ऐतिहासिक दौड़ मची थी। दोनों एक-दूसरे के औपनिवेशिक शासन को कमजोर करना चाहते थे। इस किताब को भारत में बाँटे जाने के लिए ब्रिटिश साहित्य के पन्नों में छिपा कर, या उसकी जिल्द चढ़ाकर लाया जाता था।

पीटर होपकिर्क अपनी किताब On Secret Service East of Constantinople में लिखते हैं कि इसके बाद अंग्रेजों ने सावरकर की किताब को ब्रिटिश लाइब्रेरी की सूची तक में जगह नहीं दी, ताकि भारतीय छात्रों को इसके बारे में पता न चल जाए। इसी किताब में वह यह भी बताते हैं कि सावरकर की किताब को ‘तस्करी’ कर भारत में लाने के लिए चार्ल्स डिकेंस का मशहूर उपन्यास ‘पिकविक पेपर्स’ काफ़ी इस्तेमाल हुआ है।

भगत सिंह

भगत सिंह ने न केवल सावरकर के साहित्य का खुद गहन अध्ययन किया (उनकी जेल डायरियों और लेखन में सावरकर से अधिक उद्धृत केवल एक लेखक हैं), बल्कि कई इतिहासकारों की राय है कि वे अपने क्रांतिकारी संगठन में भी सावरकर के अध्ययन को प्रोत्साहित करते थे। यही नहीं, सावरकर की ‘1857 का स्वातंत्र्य समर’ और इसके अंग्रेजी संस्करण की आमजन के बीच भारी माँग और प्रतिबंध के चलते आपूर्ति में किल्लत को देखते हुए भगत सिंह के इसकी व्यवसायिक पैमाने पर तस्करी करने के भी उद्धरण इतिहास में मिलते हैं। इस किताब को ऊँचे दामों पर बेचकर उनका संगठन अंग्रेजों के खिलाफ़ क्रांति के लिए हथियार खरीदने का धन उगाहता था। इस किताब का दूसरा संस्करण प्रकाशित करवाने में भगत सिंह की भूमिका का ज़िक्र विक्रम सम्पत द्वारा लिखित सावरकर की जीवनी में है। यही नहीं, भगत सिंह ने सावरकर की केवल इस किताब ही नहीं, ‘हिन्दू पदपादशाही’ का भी ज़िक्र अपने लेखन में किया है।

सावरकर भी भगत सिंह का काफी सम्मान करते थे। इसकी एक बानगी यह है कि सावरकर की मृत्यु के उपरांत 1970 में प्रकाशित उनकी जीवनी ‘आत्माहुति’ का विमोचन भगत सिंह की माता माताजी विद्यावती देवी के हाथों हुआ। इस समारोह में उनके छोटे भाई भी शरीक हुए थे।

आज यह कतई ज़रूरी नहीं है कि जो कुछ सावरकर ने लिखा है, वह सही ही हो। बहुत कुछ ऐसा भी हो सकता है जो उस समय भले सही रहा हो, लेकिन आज प्रासंगिक न हो। सावरकर के जीवनकाल में ही ‘हिंदुत्व’ और हिंदूवादी राजनीति की उनसे अलग परिभाषाएँ रहीं हैं। ऐसा माना जाता है कि डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी के हिन्दू महासभा छोड़ने के पीछे एक महती कारण पाकिस्तान को लेकर उनमें और सावरकर में पाकिस्तान के अस्तित्व को स्वीकार कर लेने (डॉ. मुखर्जी का मत) बनाम पुनः एक दिन अखण्ड हिंदुस्तान की सावरकर की परिकल्पना का गंभीर मतभेद था। ‘हिंदुत्व’ शब्द सावरकर के पहले भी था और सरसंघचालक मोहन भागवत ने यह कई बार साफ़ किया है कि आज का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गोलवलकर-सावरकर से आगे बढ़ चुका है। ऐसे में यदि सावरकर को यदि जीवित रखना है तो उनके प्रशंसकों, उनके अनुयायियों को उन्हें दोबारा पढ़ना होगा, उन्हें दोबारा ‘खोजना’ होगा।

यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स का तीन दिविसीय देश व्यापी हड़ताल का आह्वान 

चंडीगढ़, 26/02:

 यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स (UFBU) के आह्वान पर 11 मार्च से 13 मार्च 2020 (तीन दिन) को पूरे भारत में10 लाख से अधिक अधिकारी / कर्मचारी हड़ताल पर जाएंगे   आईएबीए और यूएफबीयू के बीच वेज रिवीजन और अन्य मुद्दों क़े बारे जों 01/11/2017 से लागू है , के बारे में आज आईएबीए के उदासीन रवैये के खिलाफ बैंक स्क्वायर सेक्टर 17 चंडीगढ़   मे विरोध पर्दर्शन मे किया जिस मे त्रिसिटी के 1000 से अधिक  बैंक कर्मचारियों /अधिकारियों ने भाग लिया। 20 फ़रवरी  ईसी स्थान पर वीशाल प्रदर्शन किया गया था | जिस में हजारों बैंक कर्मियों नए हिस्सा लिया ।

 UFBU के सहयोगी संगठनों के आज के आंदोलन के दूसरे चरण के दौरान आईबीए के रवैये की निंदा की और अपनी मांगों के शीघ्र समाधान के लिए जोरदार नारे लगाए ।  कर्मचारियों / अधिकारियों की वास्तविक मांगों के प्रति आईएबीए के उदासीन रवैये के खिलाफ निंदा की गई 

यूएफबीयू के पर्वक्ताने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र में  सेवाओं और वेतन बढ़ोतरी के नियम इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) और अधिकारी संघों और  कर्मचारी संघों के बीच के समझौते होता है, जों 01/11/2017 से लम्बित है। यूएफबीयू पांच कामगार यूनियनों और चार अधिकारियों के संघों का प्रतिनिधित्व करता है जो वर्तमान में बैंक कर्मियों / अधिकारियों को मजदूरी के संशोधन के लिए आईबीए के साथ बातचीत कर रहा है। उन्होंने आगे कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने हमेशा इस देश की वृद्धि में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और पिछले 6 दशकों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने वर्ग बैंकिंग को बड़े पैमाने पर विशेष रूप से अर्थव्यवस्था मे निमन वर्ग  की तरफ विशेष धयान दिया उन्होंने आगे कहा कि पिछले 2 वर्षो में 21 से अधिक दौर की चर्चाएँ आईबीए के साथ हुई हैं, लेकिन आज तक बैंकरों के लिए सम्मानजनक वेतन बढोतरी नहीं हुई। भारत सरकार को चाहिए कि वह आईबीए को तत्काल वेतन निपटान के लिए निर्देश दे, बैंकरों की वास्तविक मांगों सहित 5 दिन सप्ताह का कार्यान्वयन करे। उन्होंने आगे कहा कि बैंक यूनियन्स कर्मी १ अप्रैल से देश व्यापी  हड़ताल अनिश्चित कालीन करेगें ।

उन्होंने आगे कहा कि हम ईमानदारी से सम्मानित ग्राहकों / महिलाओं को होने वाली असुविधा के लिए खेद है बैंक कर्मचारियों / अधिकारियों द्वारा हड़ताल के कारण और उनके नैतिक समर्थन के लिए उनसे अपील की गई। 

धोखाधड़ी के आरोपी आजम परिवार सहित 2 मार्च तक रहेंगे जेल में

सांसद आजम खां और उनकी विधायक पत्नी और बेटे के कोर्ट में सरेंडर के बाद कचहरी परिसर की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। जिले के सभी सपा नेता और पदाधिकारी कचहरी में जमे रहे। वहीं भीड़ बढऩे की वजह से परिसर की सुरक्षा व्यवस्था भी बढ़ा दी गई थी।

रामपुर: 

समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान की मुश्किल बढ़ गई है. कोर्ट ने पूरे परिवार को 7 दिन तक जेल भेजने का आदेश दिया है. आजम खान, उनकी पत्नी तंजीन फातिम और बेटे अब्दुल्लाह आजम खान को 2 मार्च तक के लिए जेल भेज दिया गया है. रामपुर के एडीजी 6 अदालत में आजम खान अपने परिवार के साथ पेश होने पहुंचे थे. आपको बता दें कोर्ट पिछले काफी समय से आजम खान हाजिर होने के लिए समन जारी कर रहा था. जिसकी अनदेखी आजम खान कर रहे थे. गैर हाजिरी होने के चलते कई बार कोर्ट ने आजम खान, बेटे अब्दुल्लाह आजम और पत्नी तंजीम फातमा के खिलाफ जमानती और गैर जमानती वारंट जारी किया. अब तक सपा सांसद आजम खान पर 88 मुकदमे भी दर्ज है. 

आपको बता दें कि आजम खां ने 20 मामलों में जमानत याचिका दायर की थी. इनमें 2 जन्म प्रमाणपत्र मामले में कोर्ट ने कल कुर्की के आदेश दिए थे. बधुवार को 17 मामले सुने गए. 4 में जमानत मिल गई जबकि 13 मामलों में अलग अलग डेट लगी है. एक मामले में कल भी सुनवाई होगी. जबकि बाकी मामलों में 2 मार्च को सुनवाई होगी. इनमें चुनाव में दर्ज हुआ अचार संहिता के उल्लंघन के 4 मामलों में बेल दी गई. अगली सुनवाई तक आजम खान जेल में ही रहेंगे. कई मामले में तो जमानत मंजूर हो गई है, लेकिन बेटे अब्दुल्ला आजम के फर्जी प्रमाण पत्र और दो पासपोर्ट के मामले में धारा 420 के तहत दर्ज मामले में जमानत याचिका खारिज की गई है.

गुमशुदा की तलाश

नाम: गगनदीप
पिता: श्री महेंद्र शर्मा
माता: श्रीमती चम्पा देवी
जन्म तिथि: 09-05-2004
रंग: पूर्णरूपेण गोरा
ऊँचाई(height):5’2
पता: ग्राम नन्दपुर, पोठ मल्ला
तहसील कालका, जिला पंचकूला
पिन कोड:134102
सम्पर्क: 8053590071 पिता जी
9485618487 माता ji

यह बालक पिछले 18 फरवरी से लापता है। पुलिस को सूचना दी जा चुकी है। इस बालक को आखिरी बार मनसा देवी स्थित लक्ष्मी भवन शाम 5:00 बजे घर के लिए निकलते हुए देखा गया था, तब ही से यह घर नहीं पहुंचा ।

क्या दिल्ली में भी हिंदुओं के लिए काश्मीर जैसे हालात होंगे

दिल्ली हिंसा का असर दिखने लगा है, अब दिल्ली में भी काश्मीर जैसे हालात बन गए हैं। एक समुदाय विशेष के शांति दूतों द्वारा 80 पीड़ित परिवारों ने रात को पुलिस थाणे में शरण ली और अब वही 80 परिवार अपने रिशतेदारों के यहाँ शरण लेने को मजबूर हैं। दिल्ली के कई इलाकों के हाल अब काश्मीर से होते जान पड़ते हैं। लोग अपने पुरखों के मकान/जायदाद मात्र जान और इज्ज़त बचाने के लिए छोड़ कर जा रहे हैं। मस्जिदों से हिंदुओं को दिल्ली छोड़ कर जाने के फरमान की बातें सुनने में आ रहीं हैं।

नई दिल्ली.

 दिल्ली के गोकुलपुरी में सोमवार और मंगलवार की रात इलाके में रह रहे कई परिवारों के लिए तांडव की रात लेकर आया. गोकलपुरी इलाके के गंगा नगर मोहल्ले में रह रहे 80 परिवार 35 सालों से अपने घरों में रह रहे थे. लेकिन दिल्ली के इस इलाके में हिंसा भड़कने के बाद कुछ असमाजिक तत्वों ने इनके घरों पर हमला कर दिया, लेकिन पुलिस के सही समय पहुंचने पर इन लोगों की जान बची. बाद में पुलिस इस मोहल्ले से सभी 80 परिवार को सुरक्षित निकालकर दयालपुर थाने ले गई.

इन्हीं परिवार में से बचाकर दयालपुर थाने लाए गए एक शख्स का कहना है कि हम लोग सभी गोकुलपुरी के गंगा नगर में पिछले 35 सालों से रह रहे हैं. कभी कोई दिक्कत नही हुई, लेकिन सोमवार और मंगलवार को जैसे ही मौजपुर और बाबरपुर इलाकों में दंगा भड़की, अफवाहों का बाजार गर्म हो गया. इसके नतीजे में दूसरे लोगों ने हमारे घरों पर हमला कर दिया. किसी तरह हम लोग अपने अपने घरों में कैद हो गए. पुलिस को फोन कर सहायता मांगी. इन लोगों का कहना है कि अगर पुलिस समय पर नहीं पहुंचती तो हम लोग आज जिंदा नहीं बचते.

पुलिस ने मंगलवार की रात लगभग 100 लोगों को थाने में शरण दी थी, जो बुधवार को मेट्रो के शुरू होते ही अपने अपने सगे सबंधी के घर चले गए. ऐसे ही एक परिवार को गाजियाबाद से ले जाने आए एक अन्य शख्स कहते हैं कि मुझे मेरे भाई ने मंगलवार सुबह ही माहौल ठीक न होने की बात कही थी, लेकिन हालत ठीक नहीं होने की वजह से नहीं आ पाया. वह कहते हैं कि शुक्रिया पुलिस का जिन्होंने मेरे परिवार की जान बचाई.

पुलिस के एक अधिकारी ने बताया, “इन परिवार में से अधिकतर कल शाम को ही अपने अपने करीबी के घर चले गए. जो रहना चाहते थे उनके लिये खाने पीने की व्यवस्था की गई. अब धीरे धीरे स्थिति ठीक हो रही है. पुलिस हर जगह है. इसलिए जो जाना चाहते हैं, धीरे-धीरे कर अपने रिश्तेदारों के घर जा रहे हैं.”

इस बीच कल देर रात से दिल्ली के इन हिंसा प्रभावित इलाकों में पुलिस और अर्ध सैनिक बलों का फ्लैग मार्च जारी है. खुद पुलिस के आला अधिकारी सड़कों पर पेट्रोलिंग करते दिख रहे हैं.

क्या करें जब जीवनदाता ही हत्यारा बन जाए?

गर्भपात कराना यानी कि भ्रूण हत्या एक कानूनी जुर्म है। और यह एक गैर कानूनी अपराध सिर्फ तब तक नहीं है जब तक इसकी सीमाओं को लांघा नहीं गया और इसकी सीमा है 24 हफ्ते तक का दर्द अगर किसी भी महिला ने 24 हफ्ते के गर्भ के बाद गर्भपात करवाया तो इसको कानूनी जुर्म देखा जाएगा और कानून के दायरे में रखते हुए जिसने गर्भपात करवाया है उसे 3 वर्ष और जिस एजेंट डॉक्टर ने गर्भपात किया है। जिसने गर्भपात की सुविधा उपलब्ध कराई है। उस डॉक्टर को 7 वर्ष की कैद। निश्चित है।

विशेष:

पुरनूर
purnoorv@gmail.com

इस कथन का नाता किसी ऐसी घटना से नहीं है। जिसमें किसी माता या किसी पिता ने अपनी ही औलाद को मौत के घाट उतारा हो या उसके साथ किसी भी प्रकार की बदसलूकी की हो। बल्कि यहां पर जीवनदाता उसको कहा गया है जिसे हमारे भारत में भगवान का दर्जा भी दिया जाता है। यानी कि डॉक्टर को हमारे भारत देश में भगवान जीवनदाता के नाम से आदर सत्कार के साथ बुलाया जाता है और वह सिर्फ इसलिए क्योंकि सिर्फ डॉक्टर ही हैं जो कड़ी से कड़ी मुश्किल भारी बीमारियों से मरीजों को बाहर निकाल कर लाते हैं और उन को एकदम भला चंगा कर देते हैं। और इनके इसी कार्य की वजह से भारत ही नहीं पूरी दुनिया भर के लोग उन पर पूरी तरह से निर्भर हैं, अपनी सेहत अपने स्वास्थ्य को लेकर।

जिस क्षेत्र में डॉक्टर काम करते हैं, उस क्षेत्र को मेडीवेशन कहा जाता है और मेडीवेशन के क्षेत्र में डॉक्टर सिर्फ एक प्रकार का ही नहीं बल्कि विभिन्न प्रकारों का होता है। जैसे पौधों का डॉक्टर पेड़ों का डॉक्टर जानवरों का डॉक्टर पक्षियों का डॉक्टर वह इंसानों का डॉक्टर और इंसानों का डॉक्टर कोई सिर्फ एक ही नहीं होता। वह भी भिन्न-भिन्न प्रकार के होते हैं। जैसे दिमाग का डॉक्टर अलग दिल का डॉक्टर अलग किडनी का अलग महिलाओं का अलग पुरुषों का अलग वहीं बच्चों का अलग डॉक्टर पाया जाता है।

जैसा कि आप जानते हैं कि भारत में तो डॉक्टर को भगवान का नाम देकर आदर सत्कार के साथ बुलाया जाता है। लेकिन पूरे विश्व भर में हर व्यक्ति मैडिविजन क्षेत्र का आभारी है। क्योंकि केवल यही क्षेत्र है जो कि ना उन्हें सिर्फ उनकी बीमारियों से छुटकारा पाने में मदद करता है बल्कि उस बीमारी को झेलने की ताकत भी देता है। क्योंकि इस क्षेत्र में मनोवैज्ञानिकों की भी सुविधा उपलब्ध है। परंतु इस चित्र में सबसे ज्यादा महिलाओं के डॉक्टर यानी कि प्रसूतिशास्त्री

यहाँ माएं अपनी प्रसूति समस्याएं लेकर आती हैं और यही वह डॉक्टर हैं जो एक मां को उनकी संतान से मिलवाते हैं। लेकिन यह हर बार एक संतान को उसकी मां से नहीं मिलवा पाते, बहुत बार यह हत्यारे भी बन जाते हैं जो कि एक अजन्मी जान को मौत के घाट उतार देते हैं। गर्भपात के बारे में तो हम सब जानते हैं और यह भी जानते हैं कि गर्भपात कराना यानी कि भ्रूण हत्या एक कानूनी जुर्म है। और यह एक गैर कानूनी अपराध सिर्फ तब तक नहीं है कि जब तक इसकी सीमाओं को लांघा नहीं गया और इसकी सीमा है 3 माह है। अगर किसी भी महिला ने 3 माह के गर्भ के बाद गर्भपात करवाया तो इसको कानूनी जुर्म देखा जाएगा। कानून के अनुसार जिसने गर्भपात करवाया है उसे 3 वर्ष और जिस एजेंट – डॉक्टर ने गर्भपात किया है अथवा जिसने गर्भपात की सुविधा उपलब्ध कराई है उस डॉक्टर को 7 वर्ष की कैद निश्चित है। जबकि मेरे विचार से इस हत्या कि सज़ा तो उम्रक़ैद होनी चाहिए।

माँ तेरे आँचल में छिप जाने को मन करता है,
तेरी गोद में सो जाने को मन करता है |
जब तू है साथ मेरे,जिन्दगी जीने का  मन करता है |
तू ही है जिसके साथ,मै खुश हूँ ,
बस तेरे दामन में ही मह्फुस हूँ,
पर माँ, जब तू भी दुश्मन बन जाती है,
मेरी नन्ही सांसों को, जब तू ही खामोश कर जाती है|
क्या कसूर होता है मेरा, जो तू भी पराया कर जाती है |
मुझे जिन्दगी के बजाय, मौत के आगोश में सुला देती है|
डरती है रूह मेरी, न जाने कब क्या होगा ,
जब तू भी साथ ना है माँ ,तो कौन मेरा अपना होगा ,
कौन मेरा अपना होगा ????

साभार कवियत्री: कर्णिका पाठक

हमारे ग्रन्थों में भ्रूण हत्यारे अश्वत्थामा को तो मणि विहीन कर शापित अमरता का दंड मिला है। महाभारत युद्ध के पश्चात जब अश्वत्थामा ने अभिमन्यु कि पत्नी उत्तरा के गर्भस्थ शिशु कि हत्या का प्रयास किया तब श्री कृष्ण ने न केवल उस गर्भ कि रक्षा की अपितु अश्वत्थामा की मस्तिष्क मणि निकाल कर उसे उसी रिसते घाव के साथ अमर होने का श्राप दिया। एक क्षणिक उन्मादी को शास्त्रोचित दंड मिला, परंतु इन लोगों को इस दंड का कोई भय नहीं।

अभी कल ही पंचकूला की एक ऐसी घटना सामने आई है। जिसमें पंचकूला सेक्टर 6 के जनरल हॉस्पिटल की गायनी विभाग की डॉ पूनम भार्गव ने अपने ही घर में गर्भपात का सारा इंतजाम कर रखा था। और इसकी शिकायत। अमन राजपूत और विनय अरोड़ा जी ने दी।डॉ. पूनम भार्गव के कारनामों के बारे में जानकारी दी थी। इसलिए वह ट्रैप लगवाना चाहते थे। लेकिन पुलिस की ओर से सहयोग न मिलने के चलते डॉ. पूनम भार्गव रंगे हाथों पकड़े जाने से बच गई। अमन राजपूत अपने साथ जिस महिला को गर्भपात के लिए पूनम भार्गव के घर लेकर गए थे, उसके गर्भ में बच्चे को मारने के लिए पहले तो महिला को गोली खिला दी और उसके बाद अमन से पैसे देने के लिए कहा। अमन ने जब कहा कि उसके पास अभी तीन हजार रुपये ही हैं तो वह भड़क गई थी और महिला को घर पर ही बैठा लिया था। इसके बाद अमन पांच हजार रुपये और लेकर आया था। दो वकीलों को लेकर पहुंची डॉक्टर। बीते सोमवार को इस मामले की जांच कमेटी कर रही थी और कमेटी के सामने डॉक्टर पूनम भार्गव उपलब्धि रही और वह अपने साथ दो वकील लेकर आई थी उनके वकील 9:00 पर शिकायतकर्ता अमन और विनय ने ऐतराज जाहिर किया और उनके एतराज के चलते हैं कोर्ट से बाहर कर दिया गया। और इसके बाद पूनम भार्गव का वीडियो भी हम दोनों शिकायत कर्ताओं ने दिखाया जिसमें वह इससे बाबत डीलिंग करती हुई नजर आ रही है और वह बोल रही है। इस वीडियो में यह देखने को मिला कि वह किससे बात कर रही है? क्या बात कर रही हो और डीलिंग में कितने पैसे ले रही हैं? डील चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी असिस्टेंट। बलजिंदर कौर के जरिए शुरू हुई थी। जिसमें बलजिंदर अमन से कह रही थी कि गर्भपात डॉक्टर पूनम भार्गव कर देंगी लेकिन उसके लिए उन्हें पैसे देने होंगे।

डॉक्टर पूनम ने कमेटी के समक्ष यह कबूल कर लिया कि। उन्होंने गर्भपात करने के लिए अमन से ₹8000 नकद ली थी। जिसे वह मौके पर ही कमेटी के समक्ष जमा कर दिए। गर्भपात विशेषज्ञ डॉक्टर को कानून क्या सज़ा देते हैं यह एक अलग शोध का विषय रहेगा।

मोदी-ट्रंप की दोस्ती का के डंका पर कांग्रेस को ‘शंका’ क्यों है? : संबित पात्रा

सबसे बड़ा सवाल यह है मोदी-ट्रंप की दोस्ती का के डंका पर कांग्रेस को ‘शंका’ क्यों है? बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा का कहना है कि भारत का कद पूरे विश्व में बढ़ रहा है तो कांग्रेस पार्टी दुखी क्यों है? ये सवाल आज हम आपसे कांग्रेस पूछना चाहते हैं कि जब भी मौसम में खुशहाली होती है भारत खुश होता है तो कांग्रेस पार्टी दुखी क्यों होती है ये हम पूछना चाहते हैं.

नई दिल्ली: 

24  फरवरी को अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप अपनी पत्नी मेलानिया ट्रंप के साथ भारत आ रहे हैं. दो दिनों के इस दौरे में ट्रंप दिल्ली और अहमादाबाद जाएंगे. ट्रंप के आगरा में ताजमहल जाने का भी कार्यक्रम है. प्रियंका गांधी वाड्रा ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के दौरे पर स्वागत में अहमदाबाद में एक समिति के जरिये 100 करोड़ रुपये खर्च पर सवाल उठाए हैं. प्रियंका ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप के आगमन पर 100 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं. लेकिन ये पैसा एक समिति के जरिए खर्च हो रहा है. बीजेपी ने जोरदार पलटवार किया है. बीजेपी ने पलटवार करते हुए पूछा कि भारत का कद बढ़ रहा है तो कांग्रेस खुश क्यों नहीं है?  

सबसे बड़ा सवाल यह है कि मोदी-ट्रंप की दोस्ती से कांग्रेस दुखी क्यों है? देश के मान पर कांग्रेस की ‘अपमान’ वाली सियासत क्यों? कांग्रेस को दोस्ती की डील में भी ‘घोटाला’ दिखता है? ट्रंप के दौरे पर कांग्रेस-पाकिस्तान की एक सोच? मोदी-ट्रंप की दोस्ती का डंका, कांग्रेस को क्यों ‘शंका’? आतंक पर अमेरिका के संदेश से पाकिस्तान ‘बेचैन’?

बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा का कहना है कि भारत का कद पूरे विश्व में बढ़ रहा है तो कांग्रेस पार्टी दुखी क्यों है? ये सवाल आज हम आपसे कांग्रेस पूछना चाहते हैं कि जब भी मौसम में खुशहाली होती है भारत खुश होता है तो कांग्रेस पार्टी दुखी क्यों होती है ये हम पूछना चाहते हैं.

कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने भी ट्रंप के दौरे पर सवाल उठाए हैं. अल्वी ने कहा, “अहमदाबाद में 1 मिनट में 50 लाख रुपए खर्च हो रहे हैं जो मीडिया में भी आ रहा है, सबको मालूम है. आप 50 लाख 1 मिनट का खर्च कर रहे हैं, ट्रंप के आने पर आपको क्या मिलेगा?” 

पात्रा ने कहा, “इतना पैसा कैसे खर्च हो गया इस डांस पर? इतने पैसे कैसे खर्च होंगे? ये कैसे बेतुके सवाल हैं. मुझे तो कभी-कभी शक होता है कि कांग्रेस पार्टी जो स्टेडियम बना है, उस पैसे की कैलकुलेशन करके पूछेगी कि ये पैसा आपने ट्रंप के लिए खर्च किया है.” 

ट्रंप के दौरे पर कांग्रेस-पाकिस्तान की एक सोच जैसी दिखाई देती है. कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा, “‘ये समिति कौन सी है? कब बनी है? इसका रजिस्ट्रेशन कब हुआ? इसके पास इतना पैसा कहां से आया? वास्तविकता ये है कि सब पैसा सरकार का है. भारत की सरकार और गुजरात की सरकार का.” 

वारिस पठान के 15 करोड़ मुस्लिम वाले बयान पर राजनीति गर्माई

वारिस पठान ने जो आग सुलगाई है उसकी आंच पूरे भारतीय समाज को लील सकती है। तेलंगाना के गोशामहल से बीजेपी विधायक टाइगर राजा सिंह ने कहा कि अगर कोई पाकिस्तान जिंदाबाद बोलेगा उनके खिलाफ एफआईआर नहीं बल्कि पाकिस्तान छोड़कर आना चाहिए। वारिस पठान कहता है कि 15 करोड़ मुस्लिम 100 करोड़ पर भारी पड़ेंगे। ये किस भाषा का उपयोग कर रहे हो। क्या तुम लोग हम पर भारी पड़ोगे? क्या एक बार ट्रायल देख लेंगे है इतना दम आप में। उन्होंने कहा है कि वो वारिस है या लावारिस है। कहता है कि इनकी शेरनियां सड़कों पर बैठी है तो हमें पसीने आ गए। इनकी शेरनियां 500 रुपये देकर रोड पर बैठती है। इनकी शेरनियां अगर रोड पर आ गई तो शेर क्या जंगल में झक मारने गए है और क्या इनके शेर नपुंसक हैं। अगर हमारे हिंदुस्तानी शेर घर से निकल गए तो किन-किन शेरनियों का शिकार करेंगे। खुला चैलेंज देता हूं कि आ जा। 

चंडीगढ़:

ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के राष्ट्रीय प्रवक्ता वारिस पठान के 100 करोड़ पर भारी पड़ेंगे 15 करोड़ वाले बयान पर राजनीति गरमा गई है। वारिस पठान ने अपने बयान पर माफी मांगने से इनकार कर दिया है और कहा है कि मेरे बयान को गलत और तोड़मोड़ कर पेश किया गया है। वहीं इस बयान पर तेलंगाना से बीजेपी विधायक ने खुला चैलेंज दिया है कि एक बार ट्रायल करके देख लो। बीजेपी सांसद ने तो पठान को उत्तर प्रदेश आने का न्योता भी दे दिया है। आरजेडी नेता तेजस्वी ने उनकी गिरफ्तारी की मांग की है। 

इनकी शेरनियां 500 रुपये देकर रोड पर बैठती है: बीजेपी विधायक राजा सिंह

तेलंगाना के गोशामहल से बीजेपी विधायक टाइगर राजा सिंह ने कहा कि अगर कोई पाकिस्तान जिंदाबाद बोलेगा उनके खिलाफ एफआईआर नहीं बल्कि पाकिस्तान छोड़कर आना चाहिए। वारिस पठान कहता है कि 15 करोड़ मुस्लिम 100 करोड़ पर भारी पड़ेंगे। ये किस भाषा का उपयोग कर रहे हो। क्या तुम लोग हम पर भारी पड़ोगे? क्या एक बार ट्रायल देख लेंगे है इतना दम आप में। उन्होंने कहा है कि वो वारिस है या लावारिस है। कहता है कि इनकी शेरनियां सड़कों पर बैठी है तो हमें पसीने आ गए। इनकी शेरनियां 500 रुपये देकर रोड पर बैठती है। इनकी शेरनियां अगर रोड पर आ गई तो शेर क्या जंगल में झक मारने गए है और क्या इनके शेर नपुंसक हैं। अगर हमारे हिंदुस्तानी शेर घर से निकल गए तो किन-किन शेरनियों का शिकार करेंगे। खुला चैलेंज देता हूं कि आ जा। 

ऐसे नेताओं को गिरफ्तार किया जाना चाहिए: तेजस्वी
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा ‘ये बयान शर्मनाक है और उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए। एआईएमआईएम भाजपा की बी-टीम के रूप में काम कर रही है। उसी तरह अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा जैसे नेताओं को भी गिरफ्तार किया जाना चाहिए। जो कोई भी उत्तेजक बयान दे उसके खिलाफ कार्रवाई होनी ही चाहिए।

भाजपा और AIMIM एक दूसरे के पूरक हैं: दिग्विजय सिंह

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि इसी प्रकार के बयान असाउद्दीन ओवेसी सांसद के भाई अकबरउद्दीन ओवेसी विधायक ने दिए थे। वारिस पठान के खिलाफ सख़्त कार्रवाई होना चाहिए। कांग्रेस सदैव कट्टरपंथी विचारधारा के खिलाफ लड़ी है। भाजपा और AIMIM एक दूसरे के पूरक हैं। दोनों धार्मिक भावना फैला कर नफ़रत पैदा करते हैं।

कौन सी आजादी चाहिए, किससे आजादी चाहिए: संबित पात्रा

बीजेपी के नेता संबित पात्रा ने कहा है कि ओवैसी की पार्टी के कद्दावर नेता वारिस पठान कहते हैं कि हम छीन कर लेंगे आजादी। मैं इन तथाकथित लिबरल से पूछना चाहता हूं कि कौन सी आजादी चाहिए, किससे आजादी चाहिए? ओवैसी की पार्टी ने कहा है कि 15 करोड़, 100 करोड़ पर भारी पड़ेंगे। अगर भाजपा के नेता ने ऐसा कोई बयान दे दिया होता तो आज सारे तथाकथित लिबरल सड़क पर उतर जाते, पूरे देश में कोहराम मचा देते। लेकिन आज एक भी सामने नहीं आ रहा है, एक भी सवाल नहीं पूछ रहा है। ये सारे लोग हमारे मुस्लिम भाइयों को बरगला रहे हैं, भ्रमित कर रहे हैं। इन सभी लोगों के हाथ में संविधान और दिल में वारिस पठान है, ये साबित कर दिया है। आज ये स्पष्ट हो गया है कि इनके हाथ में संविधान और मन में वारिस पठान है।

आओ कभी उत्तर प्रदेश में: बीजेपी संसाद

उत्तर प्रदेश के कानपुर से बीजेपी सांसद सत्यदेव पचौरी ने वारिस पठान के बयान का विडियो पोस्ट करते हुए लिखा है, ‘आओ कभी उत्तर प्रदेश में।’ 

क्या ये हिंदुस्तान को पाकिस्तान बनाना चाहते हैं?
केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता गिरिराज सिंह ने वारिस पठान के बयान पर ट्वीट कर कहा, ‘ओवैसी का भाई-15 मिनट के लिए पुलिस हटा लो, 100 करोड़ हिंदुओं को बता देंगे। वारिस पठान -15 करोड़, 100 करोड़ पर भारी पड़ेंगे। ओवैसी के मंच से ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’। ‘कांग्रेस, राजद और टुकड़े-टुकड़े गैंग से पूछना चाहते हैं क्या ये हिंदुस्तान को पाकिस्तान बनाना चाहते हैं?

ऐसे बयान देश को तोड़ने का काम करते हैं: संजय सिंह

आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने कहा है कि वारिस पठान का बयान काफी निदंनीय और शर्मनाक है। ऐसे लोग समाज और देश को तोड़ने का काम करते है। ऐसे बयान से देश जुड़ता नहीं और एकता भाईचारा नहीं बनता है। सभ्य समाज में इसे स्वीकारा नहीं जा सकता। देश में दंगल कराएंगे, झगड़ा करना चाहते हैं। 

क्या कहा था वरिस पठान ने

वारिस पठान ने बिना किसी धर्म का नाम लिये कहा था कि देश में मुसलमानों की संख्या भले ही 15 करोड़ से कम हो लेकिन जरूरत पड़ने पर वे 100 करोड़ लोगों पर भारी पड़ेंगे। उन्होंने कहा था कि अभी तो केवल मुस्लिम महिलाएं बाहर निकली हैं तो पूरा देश परेशान हो गया। जब पूरा समुदाय एकजुट होकर बाहर निकलेगा, तब बहुत बड़ा असर पड़ेगा। मुंबई के भायखला से पूर्व विधायक ने विवादित बयान देते हुए कहा था कि ईंट का जवाब पत्थर से देना हमने सीख लिया है। मगर इकट्ठा होकर चलना होगा। अगर आजादी दी नहीं जाती तो हमें छीनना पड़ेगा। वे कहते हैं कि हमने औरतों को आगे रखा है, अभी तो केवल शेरनियां बाहर निकली हैं तो तुम्हारे पसीने छूट गए। तुम समझ सकते हो कि अगर हम सब एक साथ आ गए तो क्या होगा। पन्द्रह करोड़ हैं लेकिन 100 के ऊपर भारी हैं। ये याद रख लेना। उन्होंने जब यह बयान दिया तो वहां हैदराबाद से सांसद एवं एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी भी मौजूद थे।

पहले 15 करोड़ अब ‘पाकिस्तान ज़िंदाबाद’ AIMIM हर कदम बे-नकाब होती हुई

राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा कहाँ हैं? वास्तविक रूप में इनके हाथ में संविधान है, दिल में वारिस पठान है, आज ये स्पष्ट हो गया है, क्योंकि इनमें से एक भी व्यक्ति निकलकर कोई वारिस पठान पर सफाई नहीं मांग रहा है. संबित पात्रा ने कहा, “जब मंच के पीछे पाकिस्तान को ऑक्सीजन देने की बात होती है, और मंच के आगे संविधान और तिरंगा पकड़ने का नाटक किया जाता है, तो कभी-कभी हकीकत मुंह से निकल जाती है.”

चंडीगढ़ :

 नागरिकता संशोधन के खिलाफ लड़ाई ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ तक पहुंच गई है. जो लड़ाई जिन्ना वाली आजादी से शुरू हुई थी वो चिकन नेक काटने से होते हुए छीन कर लेंगे आजादी के बाद अब पाकिस्तान जिंदाबाद तक पहुंच गई है. मंच भी वही था जहां से 15 करोड़ वाली धमकी दी गई थी, जहां से हिंदुओं को हिलाने की धमकी दी गई थी. जहां से 15 करोड़ को 100 करोड़ वाला दंगा प्लान बताया गया था उसी मंच के पाकिस्तान जिंदाबाद का वायरस मुल्क में फैलाने की कोशिश की गई. सवाल ये है कि ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ वाला वायरस हिदुस्तान में कब तक बर्दाश्त करेगा. 

हालांकि, ओवैसी ने तुरंत मंच पर ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ कहने वाली लड़की को रोका लेकिन सवाल अभी भी वहीं बना हुआ है. देशद्रोह के लिए जिस मंच से उकसाया और भड़काया जाएगा, उस मंच से ऐसी ही चीजें निकलकर आना स्वाभाविक है. बीजेपी ने आरोप लगाया है कि मंच के पीछे पाकिस्तान को ऑक्सीजन दी जाती है, इसलिए तिरंगे और देशभक्ति वाली एक्टिंग ज्यादा समय तक नहीं चल पाई और सच्चाई सामने आ गई. 

बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “कहां हैं राहुल गांधी? कहां हैं प्रियंका जी? वास्तविक रूप में इनके हाथ में संविधान है, दिल में वारिस पठान है, आज ये स्पष्ट हो गया है, क्योंकि इनमें से एक भी व्यक्ति निकलकर कोई वारिस पठान पर सफाई नहीं मांग रहा है. पात्रा ने कहा, “जब मंच के पीछे पाकिस्तान को ऑक्सीजन देने की बात होती है, और मंच के आगे संविधान और तिरंगा पकड़ने का नाटक किया जाता है, तो कभी-कभी हकीकत मुंह से निकल जाती है.” 

उधर, कांग्रेस नेता हुसैन दलवई का कहना है कि जिन्ना इस तरह से ही बातें करते थे और उनको इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि इस देश में जिन्ना अभी पैदा नहीं होगा. ना जिन्ना को हिंदू मानेगा ना मुसलमान मानेगा. केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “जो लोग देशद्रोही नारे लगा रहे हैं, क्योंकि उनको कुछ राजनीतिक पार्टियों का समर्थन मिल रहा है.” शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत का कहना है कि आपके मंच पर ऐसी व्यक्ति आती है और नारे देती है उसका मतलब आपने इस देश में ज़हर घोल दिया है.

वाराणसी में मोदी कि गर्जना: CAA, 370 के अपने फैसलों पर हम कायम हैं और कायम रहेंगे

नागरिकता कानून पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश हित में ये फैसले जरूरी थे और दुनियाभर के दवाब के बावजूद इन फैसलों पर हम कायम हैं और कायम रहेंगे. अभी हाल ही में अकाल तखत ने भी CAA के खिलाफ मुसलमानों का साथ देने का फैसला किया है आवर आकाल तख्त के प्रमुख ने तो यहाँ तक कह दिया था कि देश में सिख असुरक्षित हैं.

नयी दिल्ली(ब्यूरो): 

अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी दौरे पर पहुंचे पीएम नरेंद्र मोदी ने नागरिकता संशोधन कानून पर बड़ा बयान दिया है. पीएम मोदी ने कहा कि सरकार का फैसला अडिग है. भारत वर्षों से धारा 370 को रद्द करने और सीएए को लागू करने जैसे फैसलों का इंतजार कर रहा था. पीएम मोदी ने कहा कि अनुच्छेद 370 का फैसला हो या फिर CAA, दोनों देशहित में जरूरी थे. हम अपने फैसले के साथ खड़े हैं और रहेंगे.

‘श्री सिद्धांत सिखवानी ग्रन्थ’ का विमोचन

पीएम मोदी ने काशी वासियों को 12 सौ करोड़ की विकास परियोजनाओं की सौगात दी. रविवार को काशी प्रवास के दौरान पीएम मोदी सबसे पहले जंगमबाड़ी मठ में आयोजित समारोह में शामिल हुए और ‘श्री सिद्धांत सिखवानी ग्रन्थ’ का विमोचन तथा मोबाइल एप लॉन्च किया. यहां मंच पर प्रधानमंत्री के साथ सीएम योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सीएम वीएस येदुरप्पा, जगद्गुरु शिवाचार्य डॉ चंद्रशेखर भी मौजूद रहे.

यहां पीएम मोदी ने कहा कि देश सरकार से नहीं बनता बल्कि एक-एक नागरिक के संस्कार से बनता है और नागरिक के संस्कार को उसकी कर्तव्य भावना श्रेष्ठ बनाती है. एक नागरिक के रूप में हमारा आचरण ही भारत के भविष्य को तय करेगा, नए भारत की दिशा तय करेगा.

राम मंदिर निर्माण को लेकर गठित ट्रस्ट पर पीएम मोदी ने कहा कि कुछ दिन पहले ही सरकार ने ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ के गठन की घोषणा की है. यह ट्रस्ट अयोध्या में भगवान राम की जन्मस्थली पर, भव्य और दिव्य मंदिर के निर्माण का काम देखेगा और सारे फैसले लेगा.

पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा का लोकार्पण

प्रधानमंत्री मोदी ने वाराणसी-चंदौली की सीमा पर स्थित पड़ाव में एकात्मवाद के प्रणेता माने जाने वाले पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति स्थल संग्रहालय का भी लोकार्पण किया. यहां स्थापित पंडित जी की 63 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया. पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा के ठीक सामने कुंड का निर्माण किया गया है, जिसमें दो फुट जल हमेशा रहेगा, जिसे प्रतिमा की सुंदरता के लिए बनाया गया है. कुंड की खासियत यह है कि कुंड में जैसे ही दो फुट से ज्यादा पानी होगा, पानी फिल्टर होकर एसटीपी के जरिए पुन: फाउंटेन से होकर कुंड में झरने के रूप में गिरेगा. देश में दीनदयाल उपाध्याय की यह सबसे बड़ी प्रतिमा है. इस स्मारक केंद्र में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जीवन और काल से संबंधित जानकारियां होंगी. उत्तर प्रदेश किसान गन्ना संस्थान में पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति स्थल का निर्माण कराया गया है.

महाकाल एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाई

प्रधानमंत्री मोदी ने तीन ज्योर्तिलिंगों को जोड़नी वाली महाकाल एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाई. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा, ”आज जब हम भारत में 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था की बात करते हैं, तो पर्यटन इसका एक अभिन्न हिस्सा है. प्रकृति के अलावा, विरासत पर्यटन में लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक मजबूत भूमिका है. साथ ही, वाराणसी के साथ अन्य पवित्र स्थलों को नई तकनीकों का उपयोग करके विकसित किया जा रहा है.