8 साल बाद सुष्मिता diखेंगी एक नए अवतार में


जानी मानी अभिनेत्री और पूर्व मिस यूनिवर्स सुष्मिता सेन बॉलीवुड में कमबैक कर सकती है। सुष्मिता काफी समय से बॉलीवुड से दूर है और 2010 में प्रदर्शित फिल्म ‘नो प्रॉब्लम’ में अंतिम बार नजर आई थी।


मुंबई:

चर्चा है कि सुष्मिता जल्द ही वापसी करने जा रही हैं। कहा जा रहा है कि सुष्मिता ने अपनी अगली फिल्म के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। वह एक बार फिर से दमदार रोल में पर्दे पर नजर आने वाली हैं, जिसकी शूटिंग इसी साल के अंत तक शुरू हो सकती है।

बताया जा रहा है कि सुष्मिता एक स्मॉल टाउन स्टोरी में लीड रोल न‍िभाने वाली हैं। मध्य प्रदेश को बैकड्रॉप में रखते हुए यह एक क्राइम बेस्ड ड्रामा होगा, जिसमें सुष्मिता पुलिस ऑफिसर के किरदार में नजर आएंगी।

सुष्मिता को इस किरदार के लिए मेकर्स ने एक साल पहले अप्रोच किया था। कुछ दिन पूर्व सुष्मिता से जब उनके कमबैक को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि उन्होंने कई स्क्रिप्ट देखी हैं और अंततः दो स्क्रिप्ट फाइनल की हैं। फिल्मों के नाम की घोषणा जल्द ही की जाएगी।

Manoj Bajpayee unveils Hindi version of Neeraj Pandey’s Ghalib Danger

 

Filmmaker Neeraj Pandey, who also wrote the much-loved novel, Ghalib Danger, has come out with a Hindi translation of his book. Actor Manoj Bajpayee, who has collaborated with the director in several films, launched the book in Delhi on 30 August.

Owing to the positive response garnered by its English version, which was released in 2013, Neeraj Pandey decided to treat the audience with the Hindi version. Talking about his decision to translate the book in Hindi, the Aiyaary director said, “The English version has reached a large audience and I wanted the book to be read by the Hindi readers too.”

During the book launch held at the Constitution Club, Delhi, Manoj Bajpayee, who said he was overwhelmed to do the honours, read out a part of his favourite chapter from the novel for the audience.

At the event, Neeraj Pandey was asked if he ever produced a film on his book, would he cast Manoj for either of the main characters—Kamran Ali and Mirza. To this, the director replied in the affirmative. He said if he decided to make a film on Ghalib Danger, he would surely want Manoj to be a part of it.

“I am a greedy actor, I want to play both the characters, Kamran and Mirza,” Manoj Bajpayee quipped.

Earlier, Neeraj took to Twitter to share his excitement about the book launch. “Excited to embark on a new journey with the love and support from my dear friends #NaseeruddinShah and @AnupamPKher! #GhalibDanger,” he wrote.

The Gali Guliyaan actor too shared a sneak peek of the book on Twitter and wrote, “Here comes the Hindi translation of GHALIB DANGER written by my friend my favourite person and director NEERAJ PANDEY @neerajpofficial book will be out on 30th August.”

Ghalib Danger, which Pandey says isn’t inspired by any real-life event, narrates the story of a Mumbai-based young taxi driver, Kamran Ali. He dreams to make it big in the city but Kamran’s life takes a turn after he saves the life of an underworld don, Mirza. This crucial incident changes the course of his life and paves his path into the mafia world. Kamran, eventually, dethrones Mirza but one of his philosophy stays in his mind, that is, Ghalib’s poetry can solve any problem. Hence, his notorious deeds and fondness for Ghalib’s poetry earned him the name, Ghalib Danger.

On the film front, Neeraj Pandey is gearing up for his next project Chanakya, starring Ajay Devgn, which is slated to release in 2019. On the other hand, Manoj Bajpayee has begun the promotions of his upcoming psychological thriller, Gali Guliyaan. The actor will also feature in Love Sonia, a film based on human trafficking. The film has already won the award in the category of Best Indie Film at the Indian Film Festival of Melbourne.

काशी घाट पर 150 पत्नी पीड़ित पुरुषों ने की पिशाचिनी मुक्ति पूजा


‘सेव इंडियन फैमिली फाउंडेशन’ के संस्थापक वकारिया ने कहा कि हर साल 92 हजार पुरुष मेंटल टॉर्चर की वजह से आत्महत्या कर लेते हैं, जबकि महिलाओं में ये आंकड़ा 24 हजार का है.


वैसे तो कहा जाता है कि गंगा नदी में डुबकी लगाने से सारे पाप धुल जाते हैं. लेकिन भारतीय पुरुषों के एक ग्रुप ने हिंदुओं द्वारा पवित्र माने जानी वाली गंगा में डुबकी लगाने का निर्णय लिया, जिससे दुनिया को ‘जहरीले नारीवाद से छुटकारा पाने में मदद मिल सकेगी. पिछले हफ्ते पत्नियों से पीड़ित 150 पुरुषों ने बनारस आकर गंगा में डुबकी लगाई और अपनी पत्नियों के नाम पर पिंड किया. फिर पिशाचिनी मुक्ति पूजा की.

पत्नियों के हाथों सताए पीड़ित पुरुषों की संस्था ‘सेव इंडियन फैमिली फाउंडेशन’ के दस साल पूरे होने पर आयोजित इस पूजा में करीब डेढ़ सौ लोगों ने हिस्सा लिया. इस संस्था के फाउंडर राजेश वकारिया ने बताया कि हमारे देश में जानवर संरक्षण के लिए भी मंत्रालय है, लेकिन मर्दों के हक की रक्षा के लिए कहीं कोई मंत्रालय नहीं है. यानी इस देश में मर्दों को जानवर से भी बदतर समझा जाता है.

एक और पत्नी पीड़ित अमित देशपांडे ने पतियों को अपनी पत्नियों का पिंडदान करने को कहा. उन्होंने कहा कि इन पत्नियों ने अपने-अपने पतियों की जिंदगी नरक कर दी है. उनसे दिमागी शांति छीन ली है. इन पत्नी पीड़ित पुरुषों ने जीते जी अपनी पत्नियों का पिंडदान किया, जो अब उनके साथ नहीं रहती हैं. साथ ही साथ अपनी पूर्व पत्नियों के लिए पिशाचिनी मुक्ति पूजा भी की ताकि उनकी पत्नी से जुड़ी बुरी यादें भी उनके साथ ना रहें.

‘सेव इंडियन फैमिली फाउंडेशन’ के संस्थापक वकारिया ने कहा कि हर साल 92 हजार पुरुष मेंटल टॉर्चर की वजह से आत्महत्या कर लेते हैं जबकि महिलाओं में ये आंकड़ा 24 हजार का है. वकारिया ने कहा कि दहेज विरोधी कानून यानी आईपीसी की धारा 498ए महिलाओं को उत्पीड़न से बचाने और पति के घर में पत्नी के शोषण को रोकने के लिए बनाई गई थी, लेकिन पुरुषों के खिलाफ कई बार इस कानून का दुरुपयोग होता है और पुरुष इसके खिलाफ कुछ नहीं कर सकता.

श्रावण पूर्णिमा एवं रक्षाबंधन की कोटी कोटी बधाई

ओणम: महाबहो असुर सम्राट बली के वर्ष में एक बार धरती पर आने का उत्सव

 

चंडीगढ़:

यूं तो भारत भर में हर जाति-प्रजाति के अनेक पारंपरिक त्योहार मनाए जाते हैं, लेकिन कुछ त्योहार ऐसे होते हैं, जिनका स्वरूप शहर में बहुत ही कम देखने को मिलता है। केरल के राजा महाबलि की स्मृति में दक्षिण भारतीय परिवारों ने ओणम का त्योहार वहां के रीति-रिवाजों व परंपराओं के अनुरूप श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता हैं।

दक्षिण भारतीय युवतियां जहां अपने घर की देहरी को फूलों की रंगोली से सजाती है तो महिलाएं खट्ठे-मीठे तमाम तरह के व्यंजनों को बनाकर उनका स्वाद अपने परिवार के साथ सामूहिक रूप से चखती हैं।

चूंकि यह त्योहार दक्षिण भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है, इसलिए इसे उत्सव के रूप में मनाया जाता है। सुबह से ही घरों की साफ-सफाई कर दक्षिण भारतीय परिवारों ने आज राजा महाबलि की याद में तमाम तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं।

मान्यता है कि राजा महाबलि के शासन में रोज हजारों तरह के स्वादिष्ट पकवान व व्यंजन बनाए जाते थे। चूंकि महाबलि साल में एक बार अपनी प्रजा से मिलने आते हैं, इसलिए उनके प्रसाद के लिए कई तरह के लजीज व्यंजनों को बनाए जाते हैं।

ओनम केरल में मनाया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। वैसे तो इसे फसलों की कटाई के बाद मनाया जाता है, पर इसका महत्व सामान्य कृषि संबंधित त्योहारों से कहीं ज्यादा है। दरअसल ओनम की कहानी महान राजा महाबली से जुड़ी हुई है। महाबली की पौराणिक कथा से पता चलता है कि आखिर क्यों आज भी ओनम का त्योहार मनाया जाता है।

महाबली की पौराणिक कथा – राजा बलि देवांबा का बेटा और प्रह्लाद का पौत्र था। वह जन्म से ही असुर था। अपने दादा प्रह्लाद के परामर्श के कारण वह राजगद्दी पर बैठने में कामयाब रहा। असुरों का राजा होने के नाते उनका नीतिशस्त्र और प्रसाशनिक क्षमता अद्वितीय थी। वह भगवानों का सम्मान करता था और आपनी उदारता के लिए जाना जाता था।

ओणम का त्‍योहार तीनों लोक पर विजय – महाबली योग्य होने के साथ-साथ महत्वकांक्षी भी था। वह ब्रहमांड के तीनों लोक, यानी पृथ्वी, परलोक और पाताल लोक का सम्राट बनना चाहता था। इसलिए उन्होंने देवताओं के विरूद्ध युद्ध छेड़ दिया और परलोक पर कब्जा कर लिया। उन्होंने देवों के राजा इंद्र को पराजित किया और तीनों जगत का शासक बन गया। साथ ही उन्होंने अश्वमेध यगना शुरू किया, ताकि ब्राह्मांड के तीनों लोक पर शासन कर सके।

वामन अवतार – एक असुर के हाथों पराजित होने के कारण देवता परेशान हो गए। उन्होंने परलोक वापस पाने के लिए भगवान विष्णु से मदद के लिए प्रार्थना की। प्रार्थना सुन कर भगवान विष्णु एक बौने ब्राह्मण लड़के के रूप में महाबली के सामने प्रकट हुए। यह भगवान विष्णु का वामन अवतार था। उन्होंने महान राजा से अपने पैरों के तीन कदम जितनी भूमि देने का आग्रह किया।

उदार महाबली ने इसे तुरंत स्वीकार कर लिया। इसके बाद भगवान विष्णु का आकार एकाएक बढ़ता ही चला गया। तब उन्होंने एक कमद से ही पूरी पृथ्वी और दूसरे कदम से पूरा परलोक नाप डाला। अब भगवान विष्णु ने तीसरा कदम रखने के लिए स्थान मांगा। धर्मनिष्ठ महाबली ने तब अपना मस्तक ही प्रस्तुत कर दिया। भगवान विष्णु ने अपना तीसरा कदम उनके मस्तक पर रखकर उन्हें पाताल लोक पहुंचा दिया।

ओनम की कहानी पौराणिक कथाओं के अनुसार जब राजा महाबली पाताल लोक जा रहे थे तो उन्होंने भगवान विष्णु से एक वरदान मांगा। उन्होंने आग्रह किया कि उन्हें साल में एक बार केरल आने की अनुमति दी जाए, ताकि वह सुनिश्चित कर सकें कि उनकी प्रजा खुशहाल और समृद्ध है।

भगवान विष्णु ने उनकी इच्छा स्वीकार कर ली। यानी कि ओनम ही वह समय है जब महाबली अपनी प्रजा को देखने के लिए आते हैं। शायद यही वजह है कि ओनम इतने हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह ओनम की पौराणिक कथा है, जिसका संबंध प्रचीन असुर राजा बलि से है।

ओणम की रस्में
ओणम का त्यौहार 10 दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें बहुत सी गतिविधियाँ शामिल हैं। महिलाएँ घरों को सजाने के लिए रंग बिरंगे फूलों से रंगोली बनाती हैं, और पुरुष तैराकी और नौका-दौड़ जैसी गतिविधियों में हिस्सा लेते हैं। केरल के लोग ओणम त्यौहार को बहुत धूमधाम से मनाते हैं। ओणम त्यौहार के दस दिन इस प्रकार हैं:

अथम – इस दिन बहुत ही शानदार फ़ूलों की रंगोली बनाई जाती है क्योंकि माना जाता है कि इस दिन राजा महाबली पाताल लोक से धरती पर ओणम के अवसर पर आते हैं। इस दिन हस्त नक्षत्र होता है।

चिथिरा –
 ओणम के दूसरे दिन सारी पुरानी चीज़ों को निकाल दिया जाता है और अपने घर को हर तरह सुंदर बनाया जाता है। आज चिथिरा नक्षत्र होता है।

चोढ़ी –
 इस दिन का विशेष महत्व महिलाओं के लिए है क्योंकि इस दिन महिलाएँ अपने आप को सजाने के लिए नए कपड़े और गहनों की खरीददारी करती हैं। इस दिन स्वाति नक्षत्र होता है।

विसकम –
 इस दिन सभी गतिविधियाँ और प्रतियोगिताएँ शुरू होती हैं। नौका-दौड़ और पूकलम इस दिन की प्रमुख विशेषताएँ हैं। इस दिन विसकम नक्षत्र होता है।

अनिज़्हम – ओणम के पाँचवे दिन नौक-दौड़ का अभ्यास प्रारंभ हो जाता है। वल्लमकली नामक नौका-दौड़ बहुत ही प्रसिद्ध खेल है जो कि अब पर्यटन आकर्षण केंद्र बन चुका है। इस दिन अनिज़्हम नक्षत्र होता है।

थ्रिकेटा – ओणम के छठें दिन बहुत ही बड़ा उत्सव मनाया जाता है। जो लोग घर से दूर काम करते हैं, वे सब इस दिन को अपने परिवार के साथ मनाते हैं। ओणम के छठें दिन थ्रिकेटा नक्षत्र प्रबल होता है।

मूलम –
 यह वो दिन है जब केरल के मंदिरों में ओणसाद्य का आयोजन किया जाता है जो कि एक भव्य दावत मानी जाती है। इस दिन बहुत सी नृत्य कलाओं का आयोजन भी होता है जैसे कि पुलीकली और कैकोट्टी। मूलम नक्षत्र इस दिन होता है।

पुरदम –
 इस दिन ओणम का उत्सव अपनी चरम सीमा पर पहुँच जाता है। भगवान वामन और राजा महाबली की मिट्टी की मूर्तियाँ बनाई जाती हैं और पूकलम की रचनाएँ अपनी जटिलता तक पहुँच जाती हैं। इस दिन पुरदम नक्षत्र प्रबल होता है।

उतरदम –
 इस दिन फूलों का एक विशाल गलीचा राजा महाबली के स्वागत के लिए तैयार किया जाता है। नौवें दिन की गतिविधियाँ अपने शीर्ष पर आ जाती हैं। इस दिन उत्तरदम नक्षत्र प्रबल होता है।

थिरुवोणम –
 यह दिन परम उत्सव का दिन है। सारी गतिविधियाँ जैसे कि लोक नृत्य, कथकली नृत्य, पूकलम प्रतियोगिता, नौका-दौड़, और ओणसाद्य मनाई जाती हैं। उसके बाद, केरल के लोग अपने प्रिय राजा महाबली को अलविदा करते हैं।

 

वल्लमकली – प्रसिद्ध नौका-दौड़
नौका-दौड़ की गतिविधि केरल के लोगों के बीच ही नहीं, बल्कि पर्यटकों की भी पसंदीदा है। नौका-दौड़ में भाग लेने वाली नाव विशेष होती है। यह लगभग 100 फ़ीट लंबी है और 140-150 लोगों के बैठने की क्षमता रखती है। इसकी आकृति कोबरा जैसी है। इस नाव को बनाने में बहुत ही मेहनत लगती है, इसलिए मछुआरों के लिए इस नाव का भावनात्मक मूल्य है। यह एक ऐसी गतिविधि है जिससे कोई चूकना नही चाहेगा।
ओणसद्या – एक भव्य भोज
यह एक ऐसी दावत है जो कोई भी छोड़ना नहीं चाहेगा। यह एक नौं प्रकार का भोज है जो मुँह में अपना स्वाद छोड़ जाता है। केरल के लोग इस भोज को इतना पसंद करते हैं कि एक ओणसद्या भोज के लिए वह अपना सब कुछ बेच सकते हैं। परंपरा के अनुसार, ओणसद्या भोज केले के पत्ते पर परोसा जाता है। भोज में 60 तरह के व्यंजन और 20 तरह के मिष्ठान शामिल हैं जो पर्यटकों के बीच बहुत प्रसिद्ध है।

पूकलम – फ़ूलों का गलीचा
पूकलम अनेक रंगों के फ़ूलों से तैयार किया हुआ गलीचा होता है। यह एक कलात्मक स्पर्श वाली कला है। हर घर के आँगन में सुंदर और रंगीन रंगोली बनाई जाती हैं जो कि बहुत ही आकर्षक होती हैं। लोग पूकलम के दिन रंगोली बनाना प्रारंभ करते हैं जो कि ओणम के अंतिम दिन तक चलती है। रंगोली की गोल आकृति केरल के लोगों की संस्कृति और सामाजिकता को दर्शाता है।

GGSCW-26 FRESHERS’ PARTY 2018

Photo: Rakesh Shah

Joyful exuberance and high spirits marked the Freshers’ Party organized by the students and staff of Guru Gobind Singh College for Women, Sector 26 on August 24, 2018. The purpose of the event was to make the new students feel like an integral part of the college family. The young girls looked radiant in their best attires.

 The event was set on course by a spectrum of items with foot-tapping music, including Manipuri, Classical, Western and Punjabi dance performances, and modelling. The audience was kept enthralled with the pomp on stage. The young performers were encouraged and supported by their seniors and teachers.

The following titles were awarded to the freshers:

TITLES WINNERS
MISS FRESHER Ankita Trehan (M.Com. I)
1ST RUNNER UP Jasleen Kaur (B.Com. I)
2ND RUNNER UP Shivani Maan (M.Com. I)
MISS ELEGANT Sanskriti Chandel (B.C.A. I)
MISS CHARMING Reeta Bhatt (M.Com. I)

Dr. Jatinder Kaur, the Principal welcomed the “daughters” of GGSCW and highlighted that such programmes generate a feeling of fraternity among the students. The Principal admired the whole-hearted effort made by them and at the same time reminded them to remain focused on their academic goals.

‘राहुल गांधी, क्या आपने हिन्दुस्तान की सुपारी ली हुई है?’: संबित पात्रा


राहुल के बयान की आलोचना करते हुए बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, क्या आपने हिन्दुस्तान की सुपारी ली हुई है, जो विदेश जाकर अपने ही देश को बदनाम करने पर तुले हो


कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तुलना अरब जगत के इस्लामी संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड से की और आरोप लगाया कि आरएसएस भारत के स्वभाव को ‘बदलने’ और इसकी संस्थाओं पर ‘‘कब्जा’’ करने की कोशिश कर रहा है.

राहुल के इस बयान पर बीजेपी ने पलटवार करते हुए पूछा कि क्या कांग्रेस अध्यक्ष ने भारत नाम के विचार की ‘सुपारी’ ले रखी है. बीजेपी ने कहा कि राहुल को अपने बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए.

मुस्लिम ब्रदरहुड अरब जगत में सबसे पुराना राजनीतिक इस्लामी संगठन है. अरब के कुछ देशों में इसे आधिकारिक राजनीतिक पार्टी के तौर पर काम करने की इजाजत नहीं है.

लंदन स्थित थिंक टैंक अंतरराष्ट्रीय सामरिक अध्ययन संस्थान (आईआईएसएस) को संबोधित करते हुए राहुल ने आरएसएस पर आरोप लगाया कि वह भारत के स्वभाव को बदलने और इसकी संस्थाओं पर कब्जा करने की कोशिश कर रहा है.

राहुल ने कहा, ‘आरएसएस भारत के स्वभाव को बदलने की कोशिश कर रहा है. अन्य पार्टियों ने भारत की संस्थाओं पर कब्जा करने की कोशिश नहीं की है.’ उन्होंने कहा, ‘आरएसएस का विचार अरब जगत में मुस्लिम ब्रदरहुड के विचार जैसा ही है.’

इससे पहले, राहुल ने गुरुवार को बर्लिन में आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा था कि बीजेपी और आरएसएस भारत के लोगों को बांट रहे हैं जबकि कांग्रेस उन्हें आपस में जोड़ने का काम करती है. उन्होंने यह आरोप भी लगाया था कि आरएसएस में महिलाओं के लिए कोई जगह नहीं है और वहां उन्हें ‘दोयम दर्जे का नागरिक’ माना जाता है.

‘राहुल गांधी, क्या आपने हिन्दुस्तान की सुपारी ली हुई है?’

राहुल के बयान की आलोचना करते हुए बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (जिनका हाल में निधन हुआ) जैसे लोग राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पृष्ठभूमि के हैं और राहुल द्वारा लंदन में एक कार्यक्रम में संगठन की तुलना एक इस्लामी संगठन से किया जाना ‘अक्षम्य’ है.

दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कहा, ‘राहुल गांधी, क्या आपने हिन्दुस्तान की सुपारी ली हुई है? क्या आपने भारतवर्ष की सभ्यता और संस्कृति और लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार की सुपारी ली हुई है जो विदेश जाकर अपने ही देश को बदनाम करने पर तुले हो?’

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी यह कैसे कह सकते हैं कि हिन्दुस्तान की सोच, लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार की सोच आतंकी संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड की सोच है? क्या वह कहना चाहते हैं कि हिन्दुस्तान ने एक आतंकी संगठन को समर्थन दिया है और देश की जनता की सोच एक आतंकी संगठन की सोच है.

नोटबंदी का विचार सीधे आरएसएस से आया

इससे पहले, नोटबंदी की आलोचना करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘नोटबंदी का विचार सीधा आरएसएस से आया, वित्त मंत्री और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की अनदेखी की गई और प्रधानमंत्री के दिमाग में बात डाली गई.’ आठ नवंबर 2016 को नोटबंदी का ऐलान किया गया था, जिसके तहत 500 और 1000 के पुराने नोटों पर पाबंदी लगा दी गई थी.

नोटबंदी का ऐलान करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दावा किया था कि इससे काला धन, अवैध गतिविधियों एवं आतंकवाद पर लगाम लगेगी. राहुल ने कहा कि भारत की आर्थिक ताकत लाखों सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम में निहित है, क्योंकि वे नौकरियां पैदा करते हैं. उन्होंने कहा, ‘जब कोई समूचे संस्थागत ढांचे की अनदेखी करता है और देश में नोटबंदी का फैसला करता है तो उससे भारत की ताकत बढ़ती नहीं है.’

All India yuva tabla mahotsav 20th August to 23rd August

 

Pracheen Kala Kendra is going to organize four day  Musical treat in form of  All India Yuva Tabla Mahotsav to promote young and upcoming talent from all over India.   Tabla  is the main originating from the Indian Subcontinent, consisting of a pair of drums, used in traditional, classical, popular and folk music. It  has been a particularly important instrument in Hindustani classical music since the 18th century, and remains in use in IndiaPakistanAfghanistanNepalBangladesh, and Sri Lanka.

This festival is being organized with sole aim to  promote  young and upcoming artists of  gharanas of Tabla who are flag bearers of    our cultural heritage.  So , the Kendra has endeavor to organize a four  day Tabla Mahotsav  in the city at M.L. Koser Indoor Auditorium, Sector 35 complex of Kendra, Chandigarh  from 20th to 23rd August 2018 at 6:30 p.m. daily. A brief pen sketch of the participating Tabla sensations  is  appended below:

Brief pen sketch of  Artists performing in Tabla Mahotsav

 

Nishit Gangani: Nishit Gangani  is  disciple of  Pt. Fateh Singh Gangani . He is child prodigy of  famous Ganganis . Nishit (15 years old) is the newest addition to the bandwagon. The continuum between uncle and nephew consists of siblings, cousins, fathers and grandfathers.

Zargham Khan:  Zargham is  child prodigy of Ajrara Gharana renowned Tabla exponent Ustad Akram Khan. He is  disciple of Ustad Hashmat Khan . He is youngest Tabla player of  Khan family. His  hands are  like  thunder on Tabla.

Aarchik Banerjee: Aarchik Banerjee is  prodigal child of Vocalist Nibedita Banerjee and Tabla Maestro Pt. Shubhankar Banerjee . Inspite of being  a school student , a football fanatic , his first love is Tabla.  His first performance  was in Switzerland  at the age  of 8.  He is blessed to be appreciated by  Tabla  Maestroes  like  Pt. Shankar Ghogh, Pt. Anindo Chatterjee , Pt. Swapan Chowdhury   , Pt. Hari Prasad Chaurasia. He performed in various events  in India and abroad.

Tarun Lala: Tarun lala was born on 27th July 1993. He started learning Tabla at the early age of Four from Shri Sandeep Chauhanji and after him he learned from Shri Suresh khadanvisji. Tarun gave his first performance at the age of six at South Central Cultural Zone. He is blessed to learn  Tabla intricacies  from  Great tabla Maestro Pt. Arvind Mulegaonkar ji.  He has given many performances throughout India and won the appreciation from audience and critic alike.

Vinay Mundhe:  Vinay Mundhe is learning Tabla for last10 years . Initially he has learned from Shri. Avinash Patwardhan and after that Sh.  Sagar Mestry in Mumbai, later he continued his training under Sh. Swapnil Bhise. Currently he is taking further guidance and taalim of Punjab gharana from Pt.Yogesh Samsi. He has received silver medal in national level youth festival from Mumbai University, He has won 1st prize in Pt. Nandan Mehta Taal-vadya Spardha 2018 organized by Saptak & Gujarat Government at Ahmedabad. In academics, he is completing his graduation in Tabla (B.A.in Music) from university of Mumbai.

Shivagrah Bhattacharya:  Shivargh Bhattacharya is  a young table player from Lucknow gharana . He is a graduate in Mass Communication .  He started learning Tabla in the age of six.. he is gandabandh  Shagird of Ustad Ilmas Husain Khan , a prominent pillar of  Lucknow gharana. Shivagrah  also grabed 1st position in State level music competition by SNA Lucknow.. He also received a scholarship from Ministry of Culture, Govt. of India. He has performed not only in India but in abroad as well.

Ishaan Ghosh:

Rabab Singh: Rabab Singh is Son of Ustad Kulwinder Singh (Disciple of Ustad Alla Rakha Khan). Completed my Schooling from New St. Soldier Senior Secondary School, Punjab, 2012 &Currently Doing my BA from Guru Nanak College, Punjab.His early training from Ustad Kulwinder Singh & now learning under the Guidance of Ustad Fazal Qureshi of Punjab Gharana. He performed in India and abroad and won applause from all.

Romaan Khan: Born in the year 1996 into a family of musicians. Romaan Khan is the son of Danish Aslam Khan. Romaan Khan belongs to the Ajrada gharana and is the grandson and disciple of Ustad Hashmat Ali Khan Sahib who was a prominent exponent of this gharana. Romaan started learning Tabla at a very young age from his maternal Uncle Ustad Shafaat Ahmed Khan Sahab who was the leading exponent of dilli gharana. later he continued his main training under the guidance of his grandfather Ustad Hashmat Ali Khan.,  Ustad Chhamma Khan Sahab , Ustad Akram Khan . Romaan has performed in many festivals.

 

Shahbaaz Khan: Shahbaaz Khan was born in a traditional family of Music of Delhi Gharana. He is a son of the famous Tabla Maestro Ustad Shakeel Ahmed Khan & the Grandson of Ustad Usman Khan- the famous Classical Vocalist of Delhi Gharana. He is great maternal grandson S/o Doyen of Ajrara Gharana Ustad Niyazu Khan Saheb and Doyen of Farukhabaad Gharana Ustad Amir Hussain Khan Saheb. Shahbaaz started his initial training under the guidance of hisfather Ustad Shakeel Ahmed Khan since the age of four years now he is under the prestigious wings of his Maternal Grandfather Ustad lqbal Hussain KhanSaheb of Farukhabaad and Ajrara Gharana. Shahbaaz is a child prodigy and performing on the stage since the age of 8 years. He has been performing invarious concerts in Delhi and also performed in various parts of country and abroad, has given some of the TV recordings for channels like DD National etc.

Reshma Pandit: Reshma is a young percussionist and fabulous  Solo Tabla performer. Born in 1991, was a keen interest in Tabla playing from very tender age.  She learnt tabla from  her father Pt. Kumar Pandit.  She  has performed in  many prestigious events in India and abroad.

Jyotirmoy Roy Chowdhury : Jyotirmay was initiated in Tabla at the age of four by great Tabaliya Pt. Abhijit  Banerjee in the year 1996 with familiar love & affection. After 12 years of learning, Jyotirmay started to take lessons from the Tabla wizard Late Pt. Shankar Ghosh. Finally, he could able to reach before his long cherished, legend of Tabla, Taalyogi Padmashree Pt. Suresh Talwalkar for further extensive training at Pune, Maharastra, which is continuing till date.

 

राष्ट्र आराधना का सर्वोत्तम समय

Glorious Independence Day

Let’s pray together for our Matribhumi