भारत एफ़डीआई पर सख्त
नई दिल्ली(ब्यूरो):
वाणिज्य मंत्रालय ने शनिवार को नया नोटिफिकेशन जारी किया है. इस नोटिफिकेशन के अनुसार भारत के साथ लैंड बॉडर्र शेयर करने वाले देशों का एफडीआई (FDI) बिना सरकार की सहमति के नहीं आ सकता. इसके अनुसार अगर कोई व्यक्ति दूसरे देश में है और वो भारत में इंवेस्ट करना चाहता है तो उसके लिए भी सरकार से अप्रूवल लेना अनिवार्य होगा.
जानकारों के मुताबिक चाइना की एग्रेसिव इंवेस्टमेंट पॉलिस के तहत इंडियन कंपनी के शेयर खरीदने में ज्यादा तेजी दिखाने के मद्देनजर ये फैसला किया गया है. हाल ही में चाइना ने HDFC बैंक में अपना शेयर 1% से ज्यादा बढ़ाया था. माना जा रहा था कि चाइना और भी ऐसी कंपनियों में निवेश कर सकता है जिसमें उसे फायदा नजर आ रहा है. ऐसे समय में जब कोविड-19 से देश जूझ रहा है तो ये आशंका जताई जा रही थी कि अगर चाइना अपनी खरीद की ये रणनीति बनाएं रखता है तो कंपनियों में कंट्रोल हासिल करके भारतीय बाजारों के डायनामिक्स को प्रभावित कर सकता है.
ऐसे में देसी कंपनियों के हित प्रभावित हो सकते हैं और छोटे कारोबारियों पर बहुत बुरी चोट पहुंच सकती है. हाल ही में HDFC बैंक में चाइना के बैंक का शेयर बढ़ने के साथ ही सरकार के कान खड़े हो गए थे.
देश में कोई गैर रहवासी (NRI) जब निवेश करता तो उसके लिए विदेशी प्रत्यक्ष नियम (FDI policy) के हिसाब से वह निवेश कर सकता है. सरकार ने इसके तहत अलग-अलग सेक्टर्स में अलग-अलग प्रतिशत तक निवेश की अनुमति दी है. कुछ सेक्टर में ऑटोमेटिक रूट से निवेश की अनुमति होती है यानि इसके लिए सरकार की परमिशन की जरूरत नहीं होती. वहीं कुछ सेक्टर में सरकार के अप्रूवल की जरूरत होती है.
कुछ सेक्टर में ऐसा भी है कि 49% तक निवेश की ऑटोमेटिक रूट से अनुमति है. जैसे इंश्योरेंस के लिए, वहीं कुछ सेक्टर जैसे ऑटोमोबाइल में 100% ऑटोमेटिक रूट से निवेश की अनुमति है. वहीं डिफेंस, स्पेस जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों के सेक्टर्स में कड़ी पाबंदी के साथ-साथ सरकार की अनुमति के बिना निवेश नहीं होता. वर्तमान में सरकार ने जो बदलाव किया है उसमें चीन पाकिस्तान बांग्लादेश की कंपनियों का निवेश भी आ जाता है.
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