राकेश शाह, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ :
नगर निगम चुनाव में पहली बार सबसे ज्यादा 14 पार्षद जीतकर इतिहास रचने वाली आम आदमी पार्टी (आ.आ.पा.) की चंडीगढ़ इकाई के पूरे ढांचे को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया गया है। निगम चुनाव के बाद से लगातार दो बार मेयर पद के चुनाव हारने वाली आप में पिछले डेढ़ से दो वर्षो के भीतर गुटबाजी चरम पर पहुंच गई थी। इससे पहले कि पार्टी और उसके पार्षद टूटने की कगार पर पहुंचते आला कमान ने चंडीगढ़ यूनिट को भंग करने में जरा भी देर नहीं लगाई। ट्वीट के जरिए पार्टी के पंजाब-चंडीगढ़ मामलों के प्रभारी जरनैल सिंह ने बकाया चंडीगढ़ इकाई को भंग किए जाने का मैसेज चला दिया। मैसेज जारी होते ही शहर की सियासत गरमा गई। पार्टी के पार्षद-कार्यकर्ता स्थानीय नेताओं के खेमों में विभाजित बताए गए हैं। प्रभारी ने ट्वीट किया कि चंडीगढ़ इकाई को तुरंत प्रभाव से भंग कर दिया है, नई इकाई की घोषणा जल्द की जाएगी।
हालिया मेयर चुनाव में पार्षदों ने दिखाई थी एकजुटता, वर्तमान विवाद से हुई किरकिरी, अब विपक्षी दल लाभ लेने की रहेंगे फिराक में
वहीं, हालिया मेयर चुनाव में आप के सभी 14 पार्षद एकजुट रहे। पार्टी भले ही चुनाव हार गई थी, इस एकजुटता का संदेश और प्रभाव काफी था। विपक्षी दलों के बीच भी एक छाप पड़ी थी। ताजा घटनाक्रम से पार्टी की खासी किरकिरी हो गई है अब विपक्षी दल भाजपा से लेकर कांग्रेस तक इसका लाभ लेने की फिराक में रहेंगे।
विपक्षी इस कोशिश में रहेगा कि कैसे आप पार्षदों को तोड़कर निगम सदन में अपनी संख्या बढ़ाई जाएं। इसमें बीजेपी की भूमिका अधिक रह सकती है। जिसे मेयर चुनाव में 14-14 की बराबरी की लड़ाई में सांसद की महज एक वोट का लाभ मिल जाता है। हालांकि इतना कम अंतर किसी एक वोट के इधर-उधर होने की स्थिति में मेयर चुनाव में हार का कारण भी बन सकता है। बीजेपी इस स्थिति से निकलने की पूरी कोशिश में है।
नेता प्रतिपक्ष-पार्षद के चयन से बिगड़ी बात, बैठक में हुई बहस-बाजी
वहीं, कहा जाता है कि इस वर्ष नेता प्रतिपक्ष पार्षद के चयन से बात ज्यादा बिगड़ गई। कहा जाता है कि इससे नाराज आठ पार्षदों ने दिल्ली और पंजाब के मुख्यमंत्री सहित प्रभारी तक पत्र लिखकर आपत्ति जताई थी। कहा जाता है कि मामलों को सुलझाने के लिए शनिवार को पार्षदों और नेताओं की बंद कमरे में आपस में बैठक भी हुई। एक पार्षदों का दल अपने पंसदीदा पार्षद को नेता प्रतिपक्ष बनने पर अड़ा हुआ था तो शेष आठ अन्य पार्षद अपने उम्मीदवार की पैरवी कर रहे थे। कहा जाता है कि इसे लेकर बहस भी हुई। स्थिति पर नजर रखते हुए हाईकमान ने मामला और बिगड़ने से पहले ही सम्भवतः डेमेज कंट्रोल का रास्ता निकालते हुए चंडीगढ़ यूनिट को भंग करना ही बेहतर समझा।
नेता प्रतिपक्ष को लेकर एक पार्षद का मैसेज सोशल साइट पर भी चल गया था, इसे लेकर भी पार्षदों में नाराजगी बढ़ गई थी। जिनका पत्र में कहना था कि सभी 14 पार्षदों को बिना विश्वास में लिए निर्णय लिया गया।
पिछले वर्ष मेयर चुनाव में सीनियर डिप्टी मेयर के पद पर हुई थी एक वोट क्रास
आ.आ.पा. में गुटबाजी की पहली फूट तक दिखाई पड़ी थी जब पिछले वर्ष निगम में मेयर चुनाव के बाद सीनियर डिप्टी मेयर पद के चुनाव में एक वोट क्रास हुई थी। इसके बाद कई मौकों पर आप पार्षद ही एकजुट नहीं दिखे। सदन में शहर के दक्षिण सैक्टरों की सफाई का ठेका को लेकर प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कुछ आप पार्षद भाजपा पार्षदों का ही हाथ उठकर समर्थन करते दिखे। इस पर तब पार्टी की भंग हो चुकी इकाई के संयोजक ने उन सभी पार्षदों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया था। हालांकि बाद में इसे पार्षदों ने गलती करार दिया था। जिसके बाद यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया था।
सदन में किस माइंडसेट से जाएंगे आप पार्षद ?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि निगम सदन में अब आ.आ.पा.पार्षद किस माइंड सेट के साथ जाएंगे। ताजा घटनाक्रम अगले वर्ष 2024 लोक सभा चुनाव की तैयारी की दिशा में शुभ संकेत नहीं माना जा सकता है। जनता के बीच विश्वास बनाकर ही आप पहली बार निगम सदन में पहुंची थी। अब वहीं दल टूट की कगार पर है। देखने वाली बात यह होगी कि नई इकाई का गठन कब तक होता है। स्थानीय स्तर के बड़े नेता कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं है।
मेयर चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस – भाजपा के पार्षद हाथ से फिसल गए
मेयर चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस और भाजपा के एक-एक पार्षद आते आते हाथ से फिसल गए। इस रणनीतिक और सियासी चूक को लेकर भी असंतोष फैला हुआ है। दावा यह भी किया जा रहा है कि यह चूक नहीं होती तो निगम इतिहास में पहली बार आप का मेयर बनता। पिछले वर्ष मेयर चुनाव में भी पार्टी एक अयोग्य वोट से चूक गई थी। पार्टी अदालत की कानूनी लड़ाई भी हार गई।
चंडीगढ़ यूनिट भंग होने के बाद भी नेताओं के पद पर बने रहने के दावे
वहीं, चंडीगढ़ यूनिट भंग होने के साथ दावा किया जा रहा है कि आप चंडीगढ़ इकाई के नए ढांचे की घोषणा होने तक स्थानीय स्तर के नेता पहले की तरह अपने पद पर बने रहेंगे। हालांकि इसे लेकर अस्पष्ट स्थिति है। वहीं, दावा किया गया कि पार्टी के सांगठनिक ढांचे को बूथ से लेकर शीर्ष स्तर तक मजबूत और कारगर बनाने की से यह फैसला लिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि जल्द ही नई संरचना की घोषणा भी की जाएगी। इसमें सक्षम और मेहनती कार्यकतार्ओं और नेताओं की जिम्मेदारियों को बढ़ाया जाएगा और उनकी जिम्मेदारियों को भी आपस में बांटा जाएगा ताकि आम आदमी पार्टी एक मजबूत और संगठित टीम के रूप में उभार सके।