पंचांग, 9 सितम्बर 2022
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य कराना चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – 09 सितम्बर 22 :
नोटः आज अनंत चतुर्दशी व्रत है। तथा मेला, बाबा सोढ़ल जालन्धर पंजाब। श्री सत्यनारायण व्रत कदली व्रत।
अनंत चतुर्दशी : अनंत चतुर्दशी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को पूरे भारतवर्ष में एक शुभ पर्व के रूप में मनाया जाता है। यह दिन हिंदू व जैन समाज के लिए संपूर्ण कामना पूर्ति हेतु अति शुभ दिन माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु जोकि जगत के पालन हारा हैं उनके रक्षा स्वरूप की पूजा करते हैं।2
मेला, बाबा सोढ़ल जालन्धर पंजाब : अनंत चौदस को लेकर श्री सिद्ध बाबा सोढल मेले का आयोजन शुक्रवार सुबह 7 बजे से होगा। इस दौरान आस्था का सैलाब बाबा के दर्शन करने के लिए उमड़ेगा। हालांकि मेला पिछले कई दिनों से जारी है, लेकिन अनंत चौदस के दिन श्री सिद्ध बाबा सोढल मंदिर में विधिवत रूप से धार्मिक रस्में पूरी की जाती है।
श्री सत्यनारायण व्रत : भगवान सत्यनारायण व्रत की कथा किसी भी दिन वैसे श्रद्धा भक्ति के साथ की जा सकती है, किन्तु पूर्णिमा तिथि इसके लिए प्रशस्त मानी गई है। इस कथा का श्रवण प्रथम दाम्पत्य जीवन मे बंधने वाले दंपत्ति, प्रथम वधु प्रवेश, में किया जाता है। इसके अतिरिक्त दुःखों से मुक्ति पाने और सुखों मे वृद्धि करने हेतु इस व्रत का अनुष्ठान प्रत्येेक माह की पूर्णिमा तिथि में भी किया जाता है। यदि किसी को दुःखों को मुक्ति न मिल रही हो तो वह किसी विद्धान व संस्कारित पंड़ित के सहयोग से वर्ष पर्यन्त या उससे अधिक समय तक प्रत्येक पूर्णिमा के दिन षोड़षोपचार विधि से पूजन करते हुए भगवान श्रीसत्यनाराण व्रत की कथा सुनें तो उसे चमत्कारिक फल प्राप्त होगा।
कदली व्रत : स्वर्गफल’ कदली जिसका वृक्ष देवभूमि की आराध्य मां नंदा एवं सुनंदा के लिए अर्पण को तत्पर रहता है। खास बात है मां नंदा-सुनंदा की प्रतिमा के लिए योग्य वृक्ष के चयन की प्रक्रिया बड़ी अद्भुत व आध्यात्म पर आधारित है। केले के बागान (किंवाड़ी) में शुभ मुहूर्त में पुरोहित अभिमंत्रित चावल फेंकते हैं। तभी मां को अर्पित किए जाने योग्य कदली वृक्ष का तना व उसकी पत्तियां अप्रत्याशित रूप से हिल कर संकेत दे देता है। पंडित या शास्त्री एवं यजमान उसी वृक्ष का चयन कर गंगा जल से स्नान करा तिलक-चंदन एवं लाल व सफेद वस्त्र बांधते हैं। उसे काटे जाने तक बाकायदा नियमित पूजन किया जाता है। मुहूर्त के अनुरूप पेड़ का चुनाव कर गंगा जल स्नान, टीका-चंदन व लाल व सफेद वस्त्र बांध अभिषेक किया जाता है।
विक्रमी संवत्ः 2079,
शक संवत्ः 1944,
मासः भाद्रपद़,
पक्षः शुक्ल पक्ष,
तिथिः चतुर्दशी सांयकाल 06.08 तक है,
वारः शुक्रवार,
नक्षत्रः धनिष्ठा प्रातः 11.35 तक है।
विशेषः आज पश्चिम दिशा की यात्रा न करें। शुक्रवार को अति आवश्यक होने पर सफेद चंदन, शंख, देशी घी का दान देकर यात्रा करें।
योगः सुकृत सांयकाल 06.11 तक,
करणः गर,
सूर्य राशिः सिंह, चंद्र राशिः कुम्भ,
सूर्योदयः 06.07, सूर्यास्तः 06.29 बजे।
राहु कालः प्रातः 10.30 बजे से दोपहर 12.00 बजे तक,